घातक निकली बीवी नंबर 2 – भाग 1

3 जुलाई, 2018 की बात है. शाम 6 बजे थाना सजेती का मुंशी अजय पाल रजिस्टर पर दस्तखत कराने थाना परिसर स्थित दरोगा पच्चालाल गौतम के आवास पर पहुंचा. दरोगाजी के कमरे का दरवाजा बंद था, लेकिन कूलर चल रहा था. अजय पाल ने सोचा कि दरोगाजी शायद सो रहे होंगे. यही सोचते हुए उस ने बाहर से ही आवाज लगाई, ‘‘दरोगाजी…दरोगाजी.’’

अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो उस ने दरवाजे को अंदर की ओर धकेला. दरवाजा अंदर से बंद नहीं था, हलके दबाव से ही खुल गया. अजय पाल ने कमरे के अंदर पैर रखा तो उस के मुंह से चीख निकल गई. कमरे के अंदर दरोगा पच्चालाल की लाश पड़ी थी. किसी ने उन की हत्या कर दी थी.

बदहवास सा मुंशी अजय पाल थाना कार्यालय में आया और उस ने यह जानकारी अन्य पुलिसकर्मियों को दी. यह खबर सुनते ही थाना सजेती में हड़कंप मच गया. घबराए अजय पाल की सांसें दुरुस्त हुईं तो उस ने वायरलैस पर दरोगा पच्चालाल गौतम की थाना परिसर में हत्या किए जाने की जानकारी कंट्रोल रूम को और वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी.

सूचना पाते ही एसपी (ग्रामीण) प्रद्युम्न सिंह, एसपी (क्राइम) राजेश कुमार यादव, सीओ आर.के. चतुर्वेदी, इंसपेक्टर दिलीप बिंद तथा देवेंद्र कुमार दुबे थाना सजेती पहुंच गए. पुलिस अधिकारी पच्चालाल के कमरे में पहुंचे तो वहां का दृश्य देख सिहर उठे.

कमरे के अंदर फर्श पर 58 वर्षीय दरोगा पच्चालाल गौतम की खून से सनी लाश पड़ी थी. अंडरवियर के अलावा उन के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था. खून से सना चाकू लाश के पास पड़ा था. खून से सना एक तौलिया बैड पर पड़ा था. हत्यारों ने दरोगा पच्चालाल का कत्ल बड़ी बेरहमी से किया था.

पच्चालाल की गरदन, सिर, छाती व पेट पर चाकू से ताबड़तोड़ वार किए गए थे. आंतों के टुकड़े कमरे में फैले थे और दीवारों पर खून के छींटे थे. दरोगा पच्चालाल के शरीर के घाव बता रहे थे कि हत्यारों के मन में उन के प्रति गहरी नफरत थी और वह दरोगा की मौत को ले कर आश्वस्त हो जाना चाहते थे. बैड से ले कर कमरे तक खून ही खून फैला था.

छींटों के अलावा दीवार पर खून से सने हाथों के पंजे के निशान भी थे. इन निशानों में अंगूठे का निशान नहीं था. घटनास्थल को देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे दरोगा पच्चालाल गौतम ने हत्यारों से अंतिम सांस तक संघर्ष किया हो.

पुलिस अधिकारी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि आईजी आलोक सिंह तथा एसएसपी अखिलेश कुमार भी थाना सजेती आ गए. वह अपने साथ फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड को लाए थे. दोनों पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो उन के माथे पर बल पड़ गए.

बेरहमी से किए गए इस कत्ल को अधिकारियों ने गंभीरता से लिया. फोरैंसिक टीम ने चाकू और कमरे की दीवार से फिंगरप्रिंट उठाए. डौग स्क्वायड ने घटनास्थल पर डौग को छोड़ा. डौग लाश व कमरे की कई जगहों को सूंघ कर हाइवे तक गया और वापस लौट आया. वह ऐसी कोई हेल्प नहीं कर सका, जिस से हत्यारे का कोई सूत्र मिलता.

कारण नहीं मिल रहा था बेरहमी से किए गए कत्ल का

मृतक पच्चालाल के आवास की तलाशी ली गई तो पता चला, हत्यारे उन का पर्स, घड़ी व मोबाइल साथ ले गए थे. किचन में रखे फ्रिज में अंडे व सब्जी रखी थी. कमरे में शराब व ग्लास आदि नहीं मिले, जिस से स्पष्ट हुआ कि हत्या से पहले कमरे में बैठ कर शराब नहीं पी गई थी.

अनुमान लगाया गया कि हत्यारा दरोगा पच्चालाल का बेहद करीबी रहा होगा, जिस से वह आसानी से आवास में दाखिल हो गया और बाद में उस ने अपने साथियों को भी बुला लिया.

आईजी आलोक सिंह तथा एसएसपी अखिलेश कुमार यह सोच कर चकित थे कि थाना कार्यालय से महज 20 मीटर की दूरी पर दरोगा पच्चालाल का आवास था. कमरे में चाकू से गोद कर उन की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई और उन की चीखें थाने के किसी पुलिसकर्मी ने नहीं सुनीं, इस से पुलिसकर्मी भी संदेह के घेरे में थे.

लेकिन इस में यह बात भी शामिल थी कि दरोगा पच्चालाल गौतम के आवास में 2 दरवाजे थे. एक दरवाजा थाना परिसर की ओर खुलता था, जबकि दूसरा हाइवे के निकट के खेतों की ओर खुलता था. पता चला कि पच्चालाल के करीबी लोगों का आनाजाना हाइवे की तरफ खुलने वाले दरवाजे से ज्यादा होता था. हाइवे पर ट्रकों की धमाचौकड़ी मची रहती थी, जिस की तेज आवाज कमरे में भी गूंजती थी. संभव है, दरोगा की चीखें ट्रकों और कूलर की आवाज में दब कर रह गई हो और किसी पुलिसकर्मी को सुनाई न दी हो.

एसएसपी अखिलेश कुमार ने थाना सजेती के पुलिसकर्मियों से पूछताछ की तो पता चला कि दरोगा पच्चालाल गौतम मूलरूप से सीतापुर जिले के थाना मानपुरा क्षेत्र के रामकुंड के रहने वाले थे.

उन्होंने 2 शादियां की थीं. पहली पत्नी कुंती की मौत के बाद उन्होंने किरन नाम की युवती से प्रेम विवाह किया था. पहली पत्नी के बच्चे रामकुंड में रहते थे, जबकि दूसरी पत्नी किरन कानपुर शहर में सूर्यविहार (नवाबगंज) में अपने बच्चों के साथ रहती थी.

पारिवारिक जानकारी मिलते ही एसएसपी अखिलेश कुमार ने दरोगा पच्चालाल की हत्या की खबर उन के घर वालों को भिजवा दी. खबर मिलते ही दरोगा की पत्नी किरन थाना सजेती पहुंच गई. पति की क्षतविक्षत लाश देख कर वह दहाड़ मार कर रोने लगी. महिला पुलिसकर्मियों ने उसे सांत्वना दे कर शव से अलग किया.

कुछ देर बाद दरोगा के बेटे सत्येंद्र, महेंद्र, जितेंद्र व कमल भी आ गए. पिता का शव देख कर वे भी रोने लगे. पुलिसकर्मियों ने उन्हें धैर्य बंधाया और पंचनामा भर कर शव पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय चिकित्सालय भेज दिया. आलाकत्ल चाकू को परीक्षण हेतु सील कर के रख लिया गया.

4 जुलाई, 2018 को मृतक पच्चालाल के शव का पोस्टमार्टम हुआ. पोस्टमार्टम के बाद शव को पुलिस लाइन लाया गया, जहां एसएसपी अखिलेश कुमार, एसपी (ग्रामीण) प्रद्युम्न सिह व अन्य पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सलामी दे कर अंतिम विदाई दी.

इंसपेक्टर देवेंद्र कुमार, दिलीप बिंद व सजेती थाने के पुलिसकर्मियों ने पच्चालाल के शव को कंधा दिया. इस के बाद पच्चालाल के चारों बेटे शव को अपने पैतृक गांव  रामकुंड, सीतापुर ले गए, जहां बड़े बेटे सत्येंद्र ने पिता की चिता को मुखाग्नि दे कर अंतिम संस्कार किया. अंतिम संस्कार में किरन व उस के बच्चे शामिल नहीं हुए.

मनप्रीत कौर : कपड़ों की तरह पति बदलने वाली -भाग 3

सुखवीर द्वारा बेटी को साथ ले जाते ही मनप्रीत ने काशीपुर में ही एक किराए का कमरा ले लिया था. कमरा लेते ही मनप्रीत ने ऊंची उड़ान भरनी शुरू कर दी थी. उसी दौरान उस ने फोन के जरिए नफीस से संपर्क बढ़ा लिए थे.

नफीस उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर के थाना अफजलगढ़ के गांव मानियोवाला गढ़ी का रहने वाला था. वह पहले से ही शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप था. उस का अपना ट्रक था, जिस के सहारे वह अपने परिवार का पालनपोषण करता था.

नफीस के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाते ही उस ने उसे अपने कमरे पर भी बुलाना शुरू कर दिया था. फिर उस के बाद उस ने अपने पति और अपनी बच्ची की ओर मुड़ कर भी नहीं देखा था. नफीस और मनप्रीत कौर पतिपत्नी की तरह ही रहने लगे.

नफीस का काम ही ऐसा था. वह अकसर ट्रक चलाने के कारण बाहर ही रहता था. इसी कारण उस की बीवी उस के कर्मों से अनजान बनी हुई थी.

कभीकभी तो नफीस अपनी पत्नी से काम का बहाना बना कर ट्रक ले कर जसपुर मनप्रीत कौर के पास ही चला जाता था, जहां पर वह सारी रात मौजमस्ती करने के बाद फिर सुबह ही अपने घर चला जाता था.

जब मनप्रीत कौर को लगने लगा कि नफीस उसे जीजान से चाहने लगा है तो उस ने भी उस का नाजायज फायदा उठाना शुरू कर दिया था. वह उस पर अपना पूरा अधिकार जमाने लगी थी, जिस के कारण वह उस की बीवीबच्चों से भी चिढ़ने लगी थी.

उस ने नफीस से कई बार कहा कि अगर उसे उस के साथ रहना है तो वह अपने बीवीबच्चों को भूल जाए. मनप्रीत कौर उस पर बीवी को तलाक देने की बात करते हुए अपने साथ रहने का दबाव बनाने लगी थी, जिसे नफीस बरदाश्त नहीं कर पा रहा था.

लेकिन मनप्रीत कौर भी उस की एक बहुत बड़ी कमजोरी थी. वह उसे किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं था.

गांव कादराबाद में नफीस का एक दोस्त रहता था. उस के साथ उस की बहुत पुरानी दोस्ती थी. किसी कारणवश कुछ समय पहले ही उस की बीवी खत्म हो गई थी. वह कई बार अपने दोस्त को साथ ले कर मनप्रीत के पास भी आया था. जब मनप्रीत नफीस पर शादी के लिए ज्यादा ही दबाव बनाने लगी तो उस के दिमाग में एक आइडिया आया.

उस ने सोचा क्यों न वह मनप्रीत की शादी अपने दोस्त के साथ करा दे. जिस के बाद उसे उस से मिलने में किसी तरह की अड़चन भी नहीं आएगी. वह जब चाहे उस के पास जा कर अपनी हसरतें भी पूरी कर सकता है.

नफीस के मन में यह विचार आया तो उस ने अपने दोस्त के सामने मनप्रीत के साथ शादी करने वाली बात रखी. मनप्रीत कौर के साथ शादी करने वाली बात सामने आते ही उस ने तुरंत ही अपनी सहमति दे दी. उस के बाद उस ने मनप्रीत के मन की बात लेते हुए अपने दोस्त को उस से मिलवा दिया.

पहले तो मनप्रीत कौर ने उस के साथ शादी करने से साफ ही मना कर दिया. लेकिन जब उसे पता चला कि उस के पास काफी जमीनजायदाद भी है. बाद में उस ने जमीनजायदाद के लालच में उस के साथ शादी करने की हामी भर ली.

इस शादी से दोनों के मकसद पूरे होने के सपने साकार होते देख मनप्रीत जसपुर से काम छोड़ कर कादराबाद चली गई. उस के बाद वह उस के दोस्त के साथ उस की बीवी के तौर पर रहने लगी.

लेकिन नफीस का दोस्त उस के मन को नहीं भाया. वह मात्र 10 दिन उस के घर में रह कर एक रात अचानक ही वहां से गायब हो गई. उस के गायब होने से उस के दोस्त को तो ज्यादा परेशानी नहीं हुई, लेकिन नफीस उस के लिए परेशान हो उठा था. वह दिनरात उस की तलाश में जुट गया.

नफीस ने जैसेतैसे कर के उस का पता लगा ही लिया. वह हरियाणा के एक गांव में मिल गई. नफीस फिर उसे अपने साथ ले आया. वह फिर से वहीं जसपुर में आ कर रहने लगी थी.

उस के बाद उस का सारा खर्चा नफीस खुद ही उठाने लगा था. लेकिन इस के बाद भी मनप्रीत कौर उस के साथ शादी करने का दबाव बनाने लगी थी. जिस के कारण नफीस उस से तंग आ चुका था.

लौकडाउन के चलते नफीस के ट्रक के पहिए रुके तो वह भी आर्थिक तंगी से गुजरने लगा था. जिस के कारण उसे अपनी घरगृहस्थी भी चलानी मुश्किल पड़ रही थी. वहीं मनप्रीत कौर उस पर शादी करने का दबाव बना रही थी.

उसी दौरान मनप्रीत ने एक दिन नफीस से साफ शब्दों में कहा कि अगर उस ने उस के साथ शादी नहीं की तो वह उसे बलात्कार के केस में फंसा कर जेल भिजवा देगी.

मनप्रीत की धमकी सुन नफीस को दिन में ही तारे नजर आ गए. उस ने उसी दिन प्रण किया कि उसे अपनी इज्जत बचाने के लिए उस से किसी भी तरह से पीछा छुड़ाना ही होगा.

नफीस ने मनप्रीत की धमकी सुन कर भी एक साजिश के तहत उस का साथ नहीं छोड़ा था. उस के बाद वह उस से पूरी तरह से सतर्क हो गया. फिर उस के साथ पहले जैसा प्यार दिखाते हुए उस ने मनप्रीत पर पूरा विश्वास बनाए रखा. साथ ही वह उस से छुटकारा पाने के लिए हर पल नई योजनाओं को साकार रूप देने के लिए रूपरेखा भी तैयार करने लगा था.

वह हर रोज रात में क्राइम सीरियल देखने के साथसाथ मारधाड़ वाली फिल्में भी देखने लगा था. फिल्म देखने के दौरान ही उसे एक फिल्म से एक आइडिया मिल भी गया.

उस ने एक फिल्म में ऐसा ही सीन देखा, जिस में एक विलेन ने एक हीरो को ट्रक से कुचल कर मार दिया था. उस के बाद उस ने उस की पहचान छिपाने के लिए उस के चेहरे को ट्रक के पहियों से बुरी तरह से कुचल दिया था.

फिल्म का वही सीन देखने के बाद नफीस ने वही फार्मूला अपना कर मनप्रीत से पीछा छुड़ाने की योजना तैयार कर ली थी. योजनानुसार 17 सितंबर, 2021 को नफीस ट्रक ले कर काशीपुर पहुंचा. मनप्रीत के कमरे पर पहुंचते ही उस ने उस से कहा, ‘‘मनप्रीत, आज मैं बहुत खुश हूं. आज तुम जो भी मुझ से मांगोगी, वह दे दूंगा.’’

नफीस की बात सुनते ही मनप्रीत ने उस के सामने एक ही प्रस्ताव रखा, ‘‘अगर तुम मुझे कुछ देने की चाह रखते हो तो आज मुझ से शादी करने का वचन दो. मैं तभी समझूंगी कि तुम मुझ से सच्चा प्यार करते हो.’’

‘‘बस, इतनी सी बात? चलो, ठीक है मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है. इसी खुशी में आज तुम्हें मैं कहीं घुमाने ले जाना चाहता हूं.’’

नफीस की बात सुनते ही मनप्रीत का मुरझाया चेहरा खिल उठा. फिर उस ने प्यार से नफीस को चाय पिलाई और उस के साथ जाने की तैयारी करने लगी. मनप्रीत के तैयार होते ही वह उसे साथ ले कर अफजलगढ़ चला आया.

उस वक्त तक शाम हो चुकी थी. शाम होते ही नफीस के मन में पक रही खिचड़ी उबाल लेने लगी थी. नफीस का इरादा था कि उसे किसी सुनसान जगह पर ले जा कर ट्रक से नीचे धक्का दे कर मौत के घाट उतार डालेगा. उस के लिए उस ने हरिद्वार जाने वाली सड़क को चुन भी लिया था.

शाम होते ही मनप्रीत कौर ने नफीस के सामने खाना खाने की इच्छा जाहिर की तो उस ने ट्रक को एक ढाबे पर रोका. वहीं पर बैठ कर नफीस ने शराब पी और मनप्रीत ने बीयर.

उस के बाद दोनों ने उसी ढाबे पर खाना भी खाया. खाना खाने के दौरान ही मनप्रीत के मोबाइल पर किसी का फोन आया तो उस ने नफीस से उसे काशीपुर छोड़ने को कहा.

काशीपुर छोड़ने की बात सुनते ही नफीस को अपने किएकराए पर पानी फिरते दिखा. फिर उस ने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘तुम्हें कल सुबह ही काशीपुर छोड़ दूंगा. आज रात हरिद्वार चलते हैं. वहीं पर रात गुजारेंगे.’’

मनप्रीत ने नफीस से साफ शब्दों में कहा कि वह आज किसी भी हालत में हरिद्वार जाने के मूड में नहीं है. इसलिए वह उसे जल्दी से काशीपुर छोड़ दे.

मनप्रीत की जिद को देख कर नफीस का माथा घूमने लगा. उसे लगा कि काशीपुर में रहते हुए उस ने किसी और से संबंध बना लिए हैं. इसी कारण वह काशीपुर जाने की जिद पर अड़ी है. उस ने मनप्रीत से बारबार फोन करने वाले का नाम पूछा तो उस ने उसे बताने से साफ मना कर दिया. इस के बाद दोनों के बीच काफी तूतूमैंमैं भी हुई.

आखिरकार, मनप्रीत की जिद के आगे नफीस को हार माननी पड़ी. फिर वह उसे ट्रक में बैठा कर काशीपुर की ओर चल दिया. उस वक्त तक बीयर का नशा मनप्रीत पर हावी हो चुका था. वह नींद में झूमने लगी थी. उस की हालत को देखते ही नफीस को लगा कि उस से छुटकारा पाने का इस से बढि़या मौका शायद नहीं मिलेगा.

मौका पाते ही उस ने ट्रक के टूल बौक्स से लोहे की रौड निकाली. रौड निकालते ही उस ने नशे में पड़ी मनप्रीत कौर के सिर पर कई वार किए.

बेहोशी की हालत में वह उस का विरोध भी नहीं कर पाई. उस के बेहोश होते ही उस ने उस का मोबाइल और आधार कार्ड अपने कब्जे में ले लिया, ताकि उस की पहचान न हो सके.

मनप्रीत के मरणासन्न हालत में जाते ही उस ने एकांत का लाभ उठाते हुए उसे ट्रक से नीचे धक्का दे दिया. उस के बाद उस की पहचान छिपाने के लिए उस ने ट्रक को आगेपीछे करते हुए उस के सिर को बुरी तरह से कुचल दिया.

मनप्रीत को मौत की नींद सुलाने के बाद वह ट्रक ले कर वापस अपने घर चला गया था. नफीस को उम्मीद थी कि अब यह केस खुल नहीं पाएगा और पुलिस इसे दुर्घटना का ही मामला समझेगी. लेकिन मनप्रीत कौर की शिनाख्त हो जाने के बाद केस खुल गया.

पुलिस ने हत्यारोपी नफीस से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था.

मनप्रीत कौर : कपड़ों की तरह पति बदलने वाली -भाग 1

18 सितंबर, 2021 को सुबहसुबह ही काशीपुर हरिद्वार नैशनल हाईवे पर एक औरत की लाश दिखते ही क्षेत्र में सनसनी फैल गई. लाश की बुरी हालत हो चुकी थी. रात में न जाने कितने वाहन उस के ऊपर से गुजर चुके थे. करीब 40 फीट तक सड़क पर महिला के घिसटने व टायरों के निशान मौजूद थे.

घटनास्थल को देखते ही लग रहा था कि महिला सड़क किनारे चल रही होगी. उसी वक्त किसी तेज गति से आ रहे वाहन ने महिला को टक्कर मार दी होगी. उस के बाद वह महिला वाहन की चपेट में आ कर काफी दूर तक घिसटती चली गई थी. बाद में काफी खून का रिसाव हो जाने के कारण महिला की मौके पर ही मौत हो गई थी.

जैसेजैसे यह खबर क्षेत्र में फैलती गई, घटनास्थल पर लोगों का हुजूम उमड़ता गया. आनेजाने वाले वाहन चालक भी उस महिला के शव को देखने के लिए अपनी गाडि़यां रोकरोक कर चला रहे थे. लोगों में जानने की उत्सुकता थी कि पता नहीं यह औरत कौन है और उस के साथ क्या हुआ.

तभी वहां पर मौजूद लोगों में से किसी ने थाना अफजलगढ़ में फोन कर इस घटना की जानकारी दी. हाईवे पर एक महिला की लाश पड़ी होने की सूचना पाते ही अफजलगढ़ थानाप्रभारी एम.के. सिंह व सीओ सुनीता दहिया पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे.

मौके पर जा कर पुलिस ने देखा कि महिला का चेहरा बुरी तरह से कुचला हुआ था. मामला पेचीदा होने के कारण पुलिस ने फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया था. पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए घटनास्थल से सारे साक्ष्य जुटाए.

महिला के पहनावे को देख कर लग रहा था कि वह किसी अच्छे परिवार से रही होगी. उस ने नीले रंग की जींस और उस पर लाल टौप पहन रखा था. महिला के शव के दोनों ओर दूर तक खून से सने टायरों की रगड़ के निशान भी मिले थे.

पुलिस ने अपनी तहकीकात करते हुए उस महिला की शिनाख्त कराने की कोशिश की. किंतु वहां पर मौजूद लोगों ने उसे पहचानने से इंकार कर दिया था. मृत महिला के पास न तो किसी तरह की कोई आईडी ही पाई गई थी, न ही कोई मोबाइल फोन और न कोई पर्स ही पाया गया था. महिला के बाएं हाथ पर अंगरेजी में प्रवदीप नाम गुदा हुआ था.

जब किसी भी तरह से उस महिला की शिनाख्त नहीं हो पाई तो पुलिस ने आसपास के जिलों के थानों में इस की सूचना प्रेषित करा दी थी.

साथ ही सोशल मीडिया पर भी महिला का शव मिलने से संबधित पोस्ट वायरल की गई. लेकिन कहीं से भी उस महिला के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

इस पर पुलिस ने अपनी काररवाई को आगे बढ़ाते हुए उस की लाश का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए सील कराने की काररवाई भी शुरू कर दी थी. तभी सोशल मीडिया पर महिला के कपड़े व हाथ पर प्रवदीप लिखे होने की जानकारी मिलते ही उस के मायके वाले मौके पर पहुंचे.

महिला के मायके वालों के पहुंचते ही उस की पहचान 30 वर्षीय मनप्रीत कौर पत्नी सुखवीर सिंह, निवासी भीकमपुर बन्नाखेड़ा, बाजपुर जिला ऊधमसिंह नगर, उत्तराखंड के रूप में हुई.

महिला के मायके वालों ने उस के बारे में बताया कि मृतका करीब 6 साल से अपने पति सुखवीर से अलग काशीपुर में रह रही थी. कल शाम वह अपने घर से निकली थी. लेकिन उस के बाद वह वापस नहीं लौटी.

मनप्रीत कौर की लाश मिलने की सूचना पाते ही उस का पति सुखवीर सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गया था. पुलिस पूछताछ में सुखवीर सिंह ने बताया कि मनप्रीत काफी समय पहले से ही उस से अलग काशीपुर में रह रही थी.

वहीं पर रहते हुए उस की दोस्ती मानियावाला गांव निवासी नफीस से हो गई थी. दोस्ती होने के बाद से ही वह उसी के साथ रह रही थी. सुखवीर ने पुलिस को बताया कि उस की हत्या भी जरूर नफीस ने ही की होगी.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने नफीस को गिरफ्तार करने के लिए उस के घर पर दबिश दी, लेकिन वह अपने घर से फरार मिला.

इस से पुलिस यह तो समझ ही चुकी थी कि मनप्रीत कौर के मर्डर में उस का ही हाथ रहा होगा. इसी कारण वह पुलिस के डर की वजह से घर से फरार हो गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के लिए अपना जाल फैलाया.

पुलिस ने उस के मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगाते हुए उस की काल डिटेल्स भी निकलवा ली थी. जिस के कारण फरार नफीस की सच्चाई सामने आने लगी थी.

काल डिटेल्स से पता चला कि उस रात उस ने मनप्रीत से कई बार बात की थी. यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने फरार नफीस को गिरफ्तार करने के लिए जगहजगह अपने मुखबिर भी तैनात कर दिए थे.

एक मुखबिर की सूचना पर 19 सितंबर, 2021 की शाम को ही आरोपी नफीस को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ करने के दौरान नफीस ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया.

उस ने बताया कि उस का मृतका के साथ कई साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था. वह स्वयं पहले ही शादीशुदा है. उस के बावजूद मृतका उस पर शादी के लिए दबाव बना रही थी. जिस से तंग आ कर उसे मजबूरन उस की हत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

हत्या के इस केस पर पड़ा परदा उठते ही पुलिस ने आरोपी नफीस की निशानदेही पर मर्डर में प्रयुक्त हुए लोहे की रौड और मृतका को कुचलने में प्रयोग किए गए ट्रक को भी अपने कब्जे में ले लिया था. साथ ही पुलिस ने आरोपी के पास से मृतका का मोबाइल फोन व उस का आधार कार्ड भी बरामद कर लिया.

मृतका देखनेभालने में बहुत ही सुंदर थी. आरोपी पिछले 4 साल से उस महिला के साथ ही रह रहा था. आरोपी मृतका मनप्रीत को अपनी बीवी से ज्यादा प्यार करता था. फिर ऐसा क्या हुआ कि उसे अपनी पे्रमिका को इतनी दर्दनाक मौत देने पर मजबूर होना पड़ा.

यह कहानी उन शादीशुदा औरतों के लिए एक सबक है, जो शादीशुदा होने के बावजूद भी पराए मर्दों के प्रेम में फंस जाती हैं. उस के साथ ही वह अपनी बसीबसाई जिंदगी को तबाह कर लेती हैं.

मनप्रीत कौर : कपड़ों की तरह पति बदलने वाली -भाग 2

मृतका मनप्रीत कौर शादीशुदा और एक बच्ची की मां थी. गांव हरियावाला, उत्तराखंड निवासी केसर सिंह ने अब से लगभग 8 साल पहले अपनी बेटी मनप्रीत कौर की शादी उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के गांव भीकमपुर निवासी सुखबीर सिंह के साथ की थी.

हालांकि हरनाम सिंह काफी समय से गांव भीकमपुर में रहते थे. लेकिन उन की अपनी जुतासे की बिलकुल भी जमीन नहीं थी.

परिवार बड़ा था. वह स्वयं एक ट्रक ड्राइवर थे, जिस के सहारे ही उन्होंने अपने 9 सदस्यों के परिवार को जैसेतैसे चला रखा था. ट्रक ड्राइवर रहते हुए ही उन्होंने अपनी 5 बेटियों और 2 बेटों की शादी भी कर दी थी.

शादी के बाद ही उन का बड़ा बेटा गुरमुख सिंह अपनी बीवी को ले कर अलग हो गया था. सुखबीर सिंह ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए ड्राइवरी को ही अपना पेशा बनाया था. सुखबीर की शादी के कुछ समय बाद ही हरनाम सिंह भी किसी बीमारी के चलते चल बसा. उस के बाद सुखवीर अपनी पत्नी मनप्रीत कौर के साथ ही अपने पिता के घर में अकेला ही रहने लगा था.

मनप्रीत कौर के साथ शादी हो जाने के बाद दोनों खुशहाल जिंदगी गुजारने लगे थे. सुखवीर सिंह एक सीधेसादे स्वभाव का था. वह कार ड्राइवरी करता था. वह सुबह ही अपनी कार ले कर रोजीरोटी की तलाश में निकल जाता. फिर मनप्रीत कौर घर पर अकेली ही रह जाती थी.

हालांकि सुखवीर सिंह और उस के भाई गुरमुख सिंह का घर एकदूसरे से सटा हुआ था, लेकिन बीच में दीवार होने के कारण दोनों का अपना ही रहना, खानापीना था. जिस कारण मनप्रीत कौर का मन घर से उचटने लगा था.

मनप्रीत कौर और सुखवीर की शादी को 2 साल गुजर गए. लेकिन उन का आंगन फिर भी सूनासूना ही था. जिस कारण दोनों ही परेशान रहने लगे थे. अपनी परेशानी को देखते हुए सुखवीर सिंह ने मनप्रीत कौर को कई डाक्टरों को दिखाया.

शादी के 2 साल के बाद मनप्रीत एक बच्ची की मां बनी. उन के घर के आंगन में बच्चे की किलकारी गूंजी तो सुखवीर सिंह की खुशी का ठिकाना न रहा.

लेकिन एक बच्ची की मां बन जाने के बाद भी मनप्रीत कौर का मन घर की तरफ से उखड़ाउखड़ा रहने लगा था. जिस के बाद वह अपनी बेटी परबदीप को साथ ले कर अधिकांश समय अपने मायके में ही गुजारने लगी थी.

मनप्रीत कौर के मायके चले जाने के बाद सुखवीर सिंह के सामने खाना बनाने की दिक्कत आने लगी थी. अपनी परेशानी को देखते हुए उस ने कई बार अपनी बीवी मनप्रीत से घर आ कर रहने को कहा, लेकिन वह कुछ समय के लिए ही अपनी ससुराल रुकती और फिर मायके चली जाती थी. जिस कारण दोनों की जिंदगी में खटास आनी शुरू हो गई थी.

घरगृहस्थी में मनमुटाव के कारण एक दिन मनप्रीत कौर सुखवीर को छोड़ कर घर से अचानक ही गायब हो गई. मनप्रीत कौर के गायब होते ही उस के घर वालों ने उसे हर जगह ढूंढा, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चला.

लेकिन 10-15 दिन बाद वह खुद ही अपने घर चली आई. जिस के बाद दोनों में काफी विवाद भी हुआ. लेकिन फिर भी बच्ची के भविष्य को देखते हुए सुखवीर ने उसे माफ कर दिया और फिर से वह उसी के साथ रहने लगी.

उसी दौरान एक दिन मनप्रीत कौर काशीपुर नगर से अपनी बच्ची के लिए कपड़े खरीदने गई. वहां पर उस की मुलाकात आईसा से हुई. आईसा की कपड़ों की दुकान थी. उस ने वहीं से अपनी बच्ची के लिए कपड़े भी खरीदे. कपड़े खरीदने के दौरान उस ने आईसा से जानपहचान बढ़ा ली.

मनप्रीत कौर देखनेभालने में सुंदर और बोलचाल में तेज थी. तभी आईसा ने उस से जानपहचान बढ़ाते हुए पूछा, ‘‘आप क्या कोई जौब करती हो?’’

‘‘अरे दीदी, क्यों मजाक करती हो. जौब हमारी किस्मत में कहां है.’’ मनप्रीत ने टूटे दिल से जबाव दिया.

‘‘लेकिन एक बात है मनप्रीतजी, आप को कोई भी देख कर यही कहेगा कि आप कोई जौब करती होंगी.’’

‘‘मेरे बारे में कोई कुछ भी समझे. लेकिन शायद मेरी किस्मत बिन स्याही की कलम से लिखी है. किस्मत में एक ड्राइवर लिखा था. जिस के साथ अपनी टूटीफूटी जिंदगी को जैसेतैसे काट रही हूं.’’ मनप्रीत ने आईसा के सामने अपना दुखड़ा रोया.

‘‘मनप्रीतजी, आप परेशान क्यों हो रही हो. अगर आप चाहो तो मेरी शौप पर आ जाओ. मुझे काफी समय से आप जैसी ही एक लड़की की तलाश है.’’

‘‘दीदी, क्यों मजाक कर रही हो.’’

‘‘नहींनहीं, मैं मजाक नहीं कर रही. अगर आप चाहो तो कल से ही काम पर आ जाओ.’’

आईसा की बात सुनते ही मनप्रीत कौर का चेहरा खिल उठा. उस ने उसी समय आईसा की शौप पर काम करने की हामी भर ली.

मनप्रीत का मायका काशीपुर के पास ही था. उस के बाद वह अपनी बेटी को ले कर अपने मायके आ गई. फिर उस ने बच्ची को अपने मायके में छोड़ा और वह वहीं से आईसा की शौप पर काम करने आने लगी.

कपड़े की दुकान पर काम करने के दौरान ही एक दिन उस की मुलाकात नफीस से हुई. नफीस उस दिन वहां कपड़े खरीदने आया था. उसी मुलाकात के दौरान मनप्रीत ने नफीस की जानकारी लेते ही बता दिया था कि उस का पति भी एक ड्राइवर ही है.  मनप्रीत की सुंदरता को देख कर वह उस का इतना दीवाना हो गया कि उस ने उस का मोबाइल नंबर तक ले लिया था.

मनप्रीत को मायके गए हुए काफी समय हो गया तो सुखवीर उसे बुलाने के लिए ससुराल गया. उसे ससुराल जा कर ही पता चला कि वह काशीपुर में किसी कपड़े की दुकान पर काम करने लगी है.

सुखवीर ने उस से घर चलने को कहा तो उस ने साफ शब्दों में कहा कि उस का मन गांव में नहीं लगता. अगर उसे उस के साथ रहना है तो काशीपुर में कमरा ले कर रह ले.

पत्नी की बात सुनते ही सुखवीर परेशान हो उठा. उस की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि वह मनप्रीत को कैसे समझाए. उस ने उसे समझाने की कोशिश भी की. लेकिन मनप्रीत ने उस की एक न चलने दी. उस के बाद सुखवीर परेशान हो कर अपनी बेटी परबदीप को साथ ले कर अपने गांव लौट गया.

पति पत्नी का परायापन: पंकज और शैली में क्यों आ गई दूरियां

पंकज कज मिश्रा उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) के गांव भंगेल में अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी शैली मिश्रा उर्फ निधि और एक 7 साल का बेटा था. पेशे से इलैक्ट्रिशियन पंकज नोएडा के ही सेक्टर-135 में स्थित जे.पी. कौसमोस सोसायटी में नौकरी करता था.

20 जून, 2019 की सुबह 8 बजे पंकज घर से काम पर जाने के लिए साइकिल पर निकला. कुछ देर बाद जब वह सेक्टर-132 स्थित एक आईटी कंपनी के नजदीक सुनसान जगह से गुजर रहा था, तभी मोटरसाइकिल से 2 लोग उस के पास पहुंचे और उन्होंने पंकज को रुकने का इशारा किया.

पंकज ने साइकिल रोक दी. इस से पहले कि पंकज बाइक सवारों को समझ पाता, उन में से एक ने पंकज पर गोली चला दी. गोली लगते ही पंकज साइकिल सहित वहीं गिर पड़ा. वहां से गुजर रहे किसी राहगीर ने इस की सूचना 100 नंबर पर पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी.

चूंकि यह इलाका नोएडा के एक्सप्रैसवे थाने के अंतर्गत आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से यह सूचना एक्सप्रैसवे थाने को दे दी गई. सूचना मिलते ही थोड़े ही देर में एसआई अनूप कुमार यादव, दिनेश कुमार सोलंकी, गुरविंदर सिंह के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

पुलिस पंकज को नजदीक के एक प्राइवेट अस्पताल ले गई, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने मृतक के कपड़ों की तलाशी ली तो जेब में पहचान का कोई कागज नहीं मिला. जेब में सिर्फ एक मोबाइल फोन ही मिला. उस की शिनाख्त के लिए पुलिस ने मोबाइल फोन में मौजूद नंबरों पर काल करनी शुरू की.

इसी प्रयास में शारदा प्रसाद मिश्रा नाम के व्यक्ति से बात हुई. उस ने बताया कि यह नंबर उस के भाई पंकज मिश्रा का है जो नोएडा के भंगेल गांव में रहता है. पुलिस ने उसे अस्पताल बुला लिया ताकि लाश की शिनाख्त हो सके. शारदा प्रसाद अस्पताल पहुंच गया. पुलिस ने जब उसे उस युवक की लाश दिखाई तो उस ने उस की शिनाख्त अपने छोटे भाई पंकज मिश्रा के तौर पर कर दी.

उस ने पूछताछ के दौरान थानाप्रभारी भुवनेश कुमार को बताया कि पंकज जे.पी. कौसमोस सोसायटी में इलैक्ट्रिशियन का काम करता था और घटना के समय अपने काम पर जा रहा था. शिनाख्त हो जाने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल भेज दी गई.

इस के बाद थानाप्रभारी भुवनेश कुमार फिर से वारदात वाली जगह पहुंचे. उन्होंने आसपास के लोगों से पूछताछ की तो कुछ लोगों ने बताया कि बाइक सवार 2 लोगों ने साइकिल सवार एक युवक को गोली मारी थी.

थानाप्रभारी भुवनेश कुमार ने शारदा प्रसाद मिश्रा की शिकायत पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ पंकज मिश्रा की हत्या का मामला दर्ज कर लिया. एसएसपी वैभवकृष्ण के निर्देश पर थानाप्रभारी भुवनेश कुमार टीम के साथ केस की जांच करने में जुट गए.

केस की गुत्थी सुलझाने के लिए उन्होंने जांचपड़ताल शुरू की. क्योंकि बदमाशों ने उस से किसी प्रकार की लूटपाट नहीं की थी, इसलिए इस संभावना को बल मिल रहा था कि शायद पंकज से किसी की कोई पुरानी रंजिश रही होगी, जिस के कारण मौका ताड़ कर उसे मौत के घाट उतार दिया गया.

पंकज भंगेल में एक किराए के मकान में रहता था. थानाप्रभारी पूछताछ के लिए उस के घर पर पहुंच गए. घर पर मृतक पंकज की पत्नी शैली मिश्रा मिली. थानाप्रभारी ने शैली मिश्रा से पंकज की दुश्मनी के बारे में पूछा तो उस ने किसी भी व्यक्ति के साथ रंजिश से साफ इनकार कर दिया.

मृतक के भाई शारदा प्रसाद मिश्रा से भी किसी से रंजिश आदि के बारे में पूछा गया. उस ने भी ऐसी किसी दुश्मनी से अनभिज्ञता जाहिर की. यह सब देख कर पुलिस ने हत्यारों तक पहुंचने के लिए अन्य संभावित कारणों के बारे में जांचपड़ताल की.

मृतक पंकज की पत्नी शैली मिश्रा से थानाप्रभारी ने और भी कई तरह के सवाल किए तो उस के बयानों में कुछ विरोधाभास मिला. इस पर पुलिस ने पंकज और शैली मिश्रा के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर गहन जांचपड़ताल की. पता चला कि शैली मिश्रा की एक मोबाइल नंबर पर अकसर बातें होती थीं.

जब उस मोबाइल नंबर की भी काल डिटेल्स निकलवाई गई तो वह सुरेश सिधवानी नाम के एक युवक का निकला जो नोएडा के सेक्टर-82 में रहता था. पुलिस ने शैली से कुछ नहीं कहा, बल्कि सुरेश सिधवानी को पूछताछ के लिए उस के घर से उठा लिया. थाने में उससे सख्ती से उस के और शैली मिश्रा के बारे में पूछा गया तो उस ने सारा सच उगल दिया.

उस ने बताया कि पिछले 2 सालों से उस के और शैली मिश्रा के बीच गहरी दोस्ती है, जो अवैध संबंधों में बदल गई थी. उस ने और शैली ने योजना बना कर पंकज को रास्ते से हटाया है.

इस के बाद पुलिस ने शैली मिश्रा को भी भंगेल स्थित उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. वहां उस ने पहले से हिरासत में लिए गए सुरेश सिधवानी को देखा तो उस के चेहरे का रंग उतर गया. अब उस के सामने सच बोलने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था. लिहाजा पूछताछ में शैली ने भी स्वीकार कर लिया कि पंकज की हत्या उसी के इशारे पर की गई थी.

दोनों से विस्तार से पूछताछ करने पर पंकज की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला अयोध्या का रहने वाला पंकज मिश्रा पिछले कई सालों से अपनी पत्नी शैली और 7 साल के बेटे के साथ नोएडा के भंगेल गांव में रह रहा था. वह जे.पी. कौसमोस सोसायटी में इलैक्ट्रिशियन का काम करता था. वहां से उसे जो तनख्वाह मिलती थी, उस से परिवार का गुजारा मुश्किल से हो पाता था.

घरगृहस्थी चलाने में आ रही दुश्वारियों से दोनों हमेशा परेशान रहते थे. शैली सुंदर होने के साथसाथ कुछ पढ़ीलिखी भी थी. उस ने सोचा कि बेटे को स्कूल छोड़ने के बाद वह दिन भर घर में अकेली पड़ीपड़ी बोर होती रहती है, इसलिए उसे कहीं पर दिन की नौकरी मिल जाए तो काफी कुछ दुश्वारियां कम हो जाएंगी.

उस दिन जब पंकज अपनी ड्यूटी करने के बाद घर लौटा तो शैली ने उस से अपने मन की बात कही. शैली की बात सुन कर पंकज सोच में डूब गया. उस का दिल इस बात की गवाही नहीं दे रहा था कि शैली घर की दहलीज लांघ कर कहीं नौकरी करने जाए.

लेकिन घर की परिस्थितियां इस बात की ओर इशारा कर रही थीं कि उस की तनख्वाह में घर बड़ी मुश्किलों से चलता है. कई बार मुश्किलें आने पर उसे अपनी जानपहचान वालों से रुपए उधार मांगने पड़ते हैं, जिन्हें बाद में चुकाना भी काफी कठिन हो जाता है.

शैली को एकटक देखते हुए उस ने कहा, ‘‘शैली, मैं चाहता तो नहीं हूं कि तुम कहीं काम करो, लेकिन हालात को देखते हुए तुम से नौकरी करने के लिए कहना पड़ रहा है. अगर तुम्हें नौकरी करनी ही है तो कहीं पास में ही नौकरी तलाश करो.’’

पति को चिंतित देख शैली ने उसे तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘तुम मेरी चिंता मत करो, अपना अच्छाबुरा मैं अच्छी तरह जानती हूं.’’

इस के बाद वह अगले दिन से ही अपने लिए नौकरी की तलाश में जुट गई. थोड़ी कोशिश के बाद उसे एक बिल्डर के यहां नौकरी मिल गई. अब वह भी नौकरी पर जाने लगी. पत्नी के नौकरी करने से पंकज की आर्थिक स्थिति ठीक होने लगी. पैसे आए तो दोनों के चेहरों पर खुशी की लाली थिरकने लगी.

कुछ महीने तक तो पंकज के घर में सब कुछ ठीक था, परंतु एक साल गुजरने के बाद शैली के रंगढंग में काफी कुछ बदलाव आ गया. उस के रहनसहन और पहनावे को देख कर लगता था कि वह मौडर्न घराने से ताल्लुक रखती है.

औफिस से घर आने में वह कई बार लेट भी हो जाती थी. पंकज ने इस दौरान महसूस किया था कि शैली की चालढाल अब वैसी नहीं रही जैसी पहले थी. अब उस के पास महंगा मोबाइल फोन आ गया था, जिस पर वह हमेशा व्यस्त रहती थी.

एक दिन पंकज शैली के मोबाइल का वाट्सऐप देख रहा था. उसे वहां कुछ ऐसे फोटो देखने को मिले, जिस में वह एक अपरिचित आदमी के साथ काफी खुश नजर आ रही थी. उस फोटो के बारे में पूछने के लिए पंकज ने शैली को अपने पास बुलाया तो उस के चेहरे की रंगत उड़ गई.

वह कहने लगी कि यह औफिस में ही काम करने वाला व्यक्ति है. मगर पंकज को उस की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. इस के बाद उन दोनों के बीच किसी न किसी बात को ले कर नोकझोंक होने लगी. अब तक पंकज को पूरी तरह यकीन हो गया था कि शैली फोटो में जिस व्यक्ति के साथ है, उस से उस के अवैध संबंध होंगे.

एक दिन तो हद ही हो गई. उस रात शैली देर से घर लौटी थी. पंकज ने उस पर आरोप लगाया कि वह अपने प्रेमी के साथ गुलछर्रे उड़ा रही होगी, तभी घर आने में देर हो गई. पंकज ने उस समय उसे काफी भलाबुरा कहा था. शैली भी कहां चुप रहने वाली थी. उस ने भी कह दिया कि तुम मेरे ऊपर इतना शक करते हो तो मुझे तलाक दे दो. मेरी तुम्हारे साथ अब नहीं निभ सकती.

शैली की बात सुन कर पंकज सन्न रह गया. उसे उम्मीद नहीं थी कि शैली कभी उसे छोड़ कर सदा के लिए उस से दूर जाने का इरादा बना लेगी. लड़झगड़ कर उस रात दोनों सो गए. लेकिन उस दिन के बाद शैली हर 2-4 दिनों के बाद पंकज से तलाक ले कर अलग रहने पर दबाव बनाने लगी.

दरअसल, शैली जहां नौकरी करती थी, उस की बगल में सेक्टर-82 निवासी सुरेश सिधवानी की दुकान थी. सुरेश सिधवानी मूलरूप से राजस्थान का रहने वाला था. वह शादीशुदा था लेकिन अपनी पत्नी से अधिक शैली को प्यार करता था. जब उस की पत्नी को शैली के साथ उस के अवैध संबंधों की जानकारी हुई तो उस ने उसे रोकने की कोशिश की.

लेकिन सुरेश सिधवानी के सिर पर शैली के इश्क का भूल चढ़ा था, इसलिए उस ने पत्नी की बात एक कान से सुन कर दूसरे से निकाल दी. आखिर वह सुरेश को छोड़ कर चली गई.

पत्नी के घर छोड़ चले जाने के बाद सुरेश ने शैली को अपने पति से तलाक लेने पर जोर डालना शुरू कर दिया, ताकि दोनों हमेशा के लिए एक हो कर रह सकें. लेकिन पंकज मिश्रा इस के लिए राजी नहीं हुआ. उसे अपने बेटे और खानदान की इज्जत अधिक प्यारी थी.

जब शैली को लगा कि पंकज उसे तलाक नहीं देगा तब उस ने सुरेश से कहा, ‘‘सुरेश, अगर तुम मुझे सच में प्यार करते हो और हमेशा के लिए अपना बनाना चाहते हो तो पहले पंकज को खत्म करना होगा.’’

सुरेश भी यही चाहता था, इसलिए उस ने कहा कि तुम अब परेशान मत होना, मैं इस का इंतजाम कर दूंगा.

सुरेश सिधवानी के पास नगला चरणजीतदास का रहने वाला मोटर मैकेनिक इंद्रजीत आता रहता था. वह उस का विश्वासपात्र भी था. सुरेश ने पंकज की हत्या के बारे में उस से बात की. साथ ही यह भी कहा कि इस काम के एवज में वह उसे 10 लाख रुपए देगा.

इतनी बड़ी रकम के लालच में इंद्रजीत तैयार हो गया. उस ने पंकज की हत्या करने के लिए 50 हजार रुपए की पेशगी भी ले ली.

पंकज की हत्या करने की सुपारी लेने के बाद इंद्रजीत इस काम के लिए अपने दोस्त ककराला फेज-2 निवासी मोनू से मिला. उस ने मोनू से सारी बात तय कर के उसे .32 बोर की एक पिस्तौल तथा 3 गोलियां सौंप दीं.

मोनू ने गेझा, नोएडा निवासी अपने दोस्त सूरज तंवर को अपने साथ लिया. इस के बाद वे सभी पंकज की रेकी करने लगे. उन्होंने पता लगा लिया कि पंकज अपनी ड्यूटी के लिए किस रास्ते से आताजाता है. पूरी योजना बनाने के बाद 20 जून, 2019 को ये लोग पंकज का पीछा करने लगे. जैसे ही पंकज एक सुनसान जगह पर पहुंचा तो उसे रोकने के बाद गोली मार दी, जिस से घटनास्थल पर ही पंकज की मृत्यु हो गई.

पुलिस ने उन दोनों से पूछताछ के बाद इंद्रजीत, मोनू और सूरज को भी गिरफ्तार कर लिया. उन की निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल पिस्तौल और बिना नंबर प्लेट वाली मोटरसाइकिल भी बरामद हो गई.

थानाप्रभारी भुवनेश कुमार ने पंकज हत्याकांड के पांचों आरोपियों सुरेश सिधवानी, शैली मिश्रा, इंद्रजीत, मोनू और सूरज तंवर को गौतमबुद्धनगर की अदालत में पेश किया, जहां से सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

सूरज तंवर की उम्र 19 साल है और वह गेझा गांव के स्कूल में 12वीं का छात्र है. वह अपनी गर्लफ्रैंड की जरूरतों को पूरा करने के लालच में इस हत्याकांड में शामिल हुआ था. पंकज की हत्या और शैली मिश्रा के जेल चले जाने के बाद पंकज का 7 वर्षीय बेटा अपने चाचा के पास था.