Ghaziabad News : करोड़ों की चोरियां कर बना रोबिनहुड़

Ghaziabad News : महानगरों की कोठी और बंगलों में चोरी होना कोई नई बात नहीं है. लेकिन देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद के कवि नगर इलाके की कोठी नंबर केडी-12 में रहने वाले स्टील कारोबारी कपिल गर्ग के घर में 3 सितंबर, 2021 की रात को हुई चोरी की वारदात कुछ अलग थी. पहली खास बात तो यह थी कि कपिल गर्ग उत्तर प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग के मकान से चंद कदमों कीदूरी पर रहते थे, जिस से वहां की सुरक्षा चाकचौबंद थी. दूसरी बात यह थी कि चोरों ने कपिल गर्ग के मकान में खिड़की की ग्रिल तोड़ कर प्रवेश किया था और वह अलमारी में रखे हुए हीरे व सोने के करोड़ों रुपए के जेवर व नकदी चुरा ले गए थे.

यही कारण था कि चोरी की इस घटना को पुलिस ने असाधारण मान कर इस की गंभीरता से तफ्तीश शुरू की थी. कारोबारी कपिल कुमार गर्ग की कविनगर औद्योगिक क्षेत्र में हरि स्टील एंड क्रेन सर्विस के नाम से फर्म है. यहां इस कोठी में वह अपने बेटे वंश गर्ग, पुत्रवधू शिवानी और 8 माह की पोती के साथ रह रहे थे. कुछ महीने पहले उन की पत्नी की कोरोना से मृत्यु हो गई थी. 3 सितंबर, 2021 की रात कपिल और उन का बेटा वंश एक कमरे में सोए हुए थे, जबकि पुत्रवधू व पोती दूसरे कमरे में सो रही थी.

इस दौरान रात के किसी वक्त कोठी के पीछे की तरफ से छत से होते हुए चोर कोठी में दाखिल हुए और प्रथम तल पर बनी खिड़की की ग्रिल तोड़ कर कोठी के भीतर प्रवेश किया. चोर सीधे उन की बहू के कमरे में पहुंचे और कमरे के भीतर बने स्टोर में रखी अलमारी में से सोने व हीरे के जेवर चोरी कर ले गए. सुबह उठने पर वारदात का पता चला तो घर में कोहराम मच गया. हैरानी यह थी कि परिवार में सोते हुए किसी भी सदस्य को इस की भनक तक नहीं लगी. तत्काल पुलिस को सूचना दी गई. वारदात चूंकि शहर की सब से पौश कालोनी की थी. इसलिए कविनगर थानाप्रभारी संजीव शर्मा टीम के साथ तत्काल मौके पर पहुंच गए.

एसएसपी पवन कुमार, एसपी (सिटी प्रथम) निपुण अग्रवाल ने भी मौके पर पहुंच कर घटनास्थल का निरीक्षण किया. मौके पर फोरैंसिक टीम ने भी पहुंच कर जांच के लिए नमूने एकत्र किए. डौग स्क्वायड को भी मौके पर बुलाया गया, लेकिन उन से कोई खास मदद नहीं मिली. शुरुआत में कपिल गर्ग इतना ही बता सके कि घर में करीब एक करोड़ रुपए से अधिक के गहनों व नकदी की चोरी हुई है. चोरी हुए जेवरों में उन की विवाहित बेटी के भी आभूषण थे, जो उन के पास ही रखे थे. चोरों ने जिस तरह सफाई के साथ घर में प्रवेश किया था और उस स्थान को ही निशाना बनाया था, जहां कीमती गहने रखे थे, उस से साफ था कि चोरी की वारदात में किसी पहचान वाले का ही हाथ होगा.

दरअसल, चोरों ने मकान के पिछले हिस्से से, जोकि बंद रहता है, उस तरफ से कोठी में प्रवेश किया. उन को शायद जानकारी थी कि जेवर कहां रखे हैं. इस के चलते वह कोठी में बने सिर्फ उस कमरे में पहुंचे, जहां जेवर रखे हुए थे. गार्ड व घरेलू सहायक को भी पता नहीं चला कि घर में चोर घुसे हैं. घटना के समय गार्ड व घरेलू सहायक भी घर में मौजूद थे. घरेलू सहायक मनोज पहली मंजिल पर बने कमरे में सोया हुआ था, जबकि गार्ड दिल बहादुर बाहर गार्डरूम में तैनात झपकी ले रहा था. पुलिस ने दोनों से ही पूछताछ की और उन की बैकग्राउंड के बारे में जानकारी हासिल की.

लेकिन कपिल गर्ग ने उन में से किसी पर भी शक जाहिर नहीं किया था. पुलिस ने तहकीकात के लिए दोनों के पहचानपत्र और मोबाइल नंबर ले लिए ताकि उन के फोन की काल डिटेल्स निकाली जा सके. घर में सीसीटीवी कैमरे भी लगे थे, इसलिए पुलिस को लगा कि चलो जिस ने भी चोरी की है, वह सावधानी बरतने के बावजूद पकड़ में आ जाएगा. लेकिन जब कैमरों की जांच की गई तो पता चला कि पिछले काफी समय से सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हुए थे. पुलिस ने परिवार की इस लापरवाही पर माथा पीट लिया. अकसर ऐसा ही होता है लोग हजारों रुपए खर्च कर देते हैं, लेकिन अपनी हिफाजत के लिए लगे सीसीटीवी कैमरे लगवाने के बाद कभी यह देखने की कोशिश नहीं करते कि वे काम कर भी रहे हैं या नहीं.

एसएसपी पवन कुमार के निर्देश पर कपिल गर्ग की शिकायत पर कविनगर थाने में 4 सितंबर, 2021 को भारतीय दंड संहिता में चोरी की धारा 380, 457 के अंतर्गत केस दर्ज कर के थाने के एसएसआई देवेंद्र कुमार सिंह को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी. पहले दिन से ही पुलिस पर वारदात का खुलासा करने के लिए उच्चाधिकारियों का जबरदस्त दबाव था. इसीलिए एसपी (सिटी) निपुण अग्रवाल ने थानाप्रभारी संजीव शर्मा के साथ क्राइम ब्रांच प्रभारी सचिन मलिक की एक विशेष टीम का गठन कर दिया. थाना पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीमें इलाके में मुखबिरों की सहायता से सुरागसी के काम में जुट गईं.

थाने की पुलिस कपिल गर्ग के परिचितों, उन के घर आने वाले लोगों, फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों के साथ कालोनी में आने वाले वेंडरों की लिस्ट बना कर उन से पूछताछ का काम करने लगी. सीसीटीवी फुटेज से दिखी आशा की किरण दूसरी तरफ क्राइम ब्रांच की टीम ने केडी ब्लौक में सभी कोठियों और रोड साइड में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने का काम शुरू कर दिया. पुलिस की टीमों में 2 दिन के भीतर 25 से अधिक सीसीटीवी के फुटेज देखे तो क्राइम ब्रांच की टीम को आशा की किरण दिखाई देनी शुरू हो गई. दरअसल, घटना वाली रात 3 से 4 बजे के बीच एक काले रंग की स्कौर्पियो गाड़ी कपिल गर्ग के घर के आसपास तथा उन की गली के बाहर मंडराती नजर आई.

लेकिन फुटेज इतनी धुंधली थी कि उस में सवार लोगों व गाड़ी का नंबर स्पष्ट नहीं दिखा. लेकिन इस से उम्मीद का एक सिरा पुलिस के हाथ लग गया था. जिस जगह चोरी हुई, वहां से 3 रास्ते शहर से बाहर जाने वाले थे. पुलिस ने उन सभी रास्तों पर आगे की तरफ बढ़ते हुए जितने भी सीसीटीवी कैमरे रोड साइडों में लगे थे, उन्हें खंगालने का काम शुरू कर दिया. जैसेजैसे टीम वहां के सीसीटीवी फुटेज खंगालती रही, वैसेवैसे सुराग पुख्ता होता चला गया. ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रैसवे पर बने टोल प्लाजा की तरफ बढ़ते हुए ये काली स्कौर्पियो गाड़ी एक के बाद एक कई सीसीटीवी में कैद हो गई, लेकिन कहीं भी गाडी का नंबर साफतौर पर दिखाई नहीं दिया.

सीसीटीवी की जांच में ये गाड़ी जब टोल प्लाजा के पास एक पैट्रोल पंप पर पहुंची, गाड़ी कुछ देर वहां रुकी, लेकिन उस ने पैट्रोल पंप से उस में तेल नहीं भरवाया. वह गाड़ी थोड़ी देर रुक कर टोल को पार कर ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रैसवे पर चढ़ गई, जिस से साफ हो गया कि ये गाड़ी गाजियाबाद से बाहर चली गई थी. लेकिन इस पूरी कवायद का फायदा ये हुआ कि पुलिस को टोल प्लाजा के सीसीटीवी से स्कौर्पियो कार का नंबर मिल गया. इस जगह मिली सीसीटीवी में यह भी साफ हो गया कि गाड़ी में ड्राइवर समेत कुल 2 लोग सवार थे. पुलिस ने टोल प्लाजा के सीसीटीवी फुटेज को भी जांच के लिए कब्जे में ले लिया. टोल प्लाजा के फास्टटैग एकाउंट की जांचपड़ताल की तो पता चला कि किसी इरफान नाम के व्यक्ति के वालेट से ये पेंमेट हुई थी.

टोल प्लाजा और परिवहन विभाग से सभी डिटेल्स निकलवा कर जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि ये गाड़ी और फास्टटैग से जुड़ा बैंक खाता इरफान पुत्र मोहम्मद अख्तर, निवासी गांव जोगिया गाढ़ा, थाना पुपरी, जिला सीतामढ़ी, बिहार के नाम पर है. कविनगर थानाप्रभारी संजीव कुमार शर्मा ने जब इस जांच प्रगति से एसपी (सिटी) निपुण अग्रवाल को अवगत कराया तो उन्होंने एक टीम तत्काल बिहार के सीतामढ़ी रवाना करने का आदेश दिया. उसी दिन आरटीओ विभाग से भी स्कौर्पियो गाड़ी के बारे में जानकारी हासिल कर ली गई थी.

यूपी पुलिस टीम पहुंची सीतामढ़ी एसएसआई देवेंद्र सिंह और क्राइम ब्रांच प्रभारी सचिन मलिक के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम सीतामढ़ी के लिए भेज दी गई. 7 सितंबर, 2021 को पुलिस की टीम ने स्थानीय पुपरी थाने से इरफान के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि इरफान एक शातिर अपराधी है. उस के खिलाफ पुपरी थाने में ही झगड़ा, जानलेवा हमला करने और धमकी देने के मामले दर्ज हैं. स्थानीय पुलिस से गाजियाबाद पुलिस को पता चला कि दिल्ली, पंजाब, गोवा, कर्नाटक, ओडिशा व तेलंगाना की पुलिस इरफान की तलाश में अकसर उस के गांव में छापा मारती रहती है लेकिन वह इतना शातिर है कि पुलिस के हत्थे नहीं चढता.

स्थानीय पुलिस को साथ ले कर जब पुलिस की टीम ने इरफान के गांव जोगिया गाढ़ा में उस के घर पर छापा मारा तो वहां इरफान नहीं मिला, लेकिन उस की पत्नी गुलशन परवीन पुलिस को मिल गई. पुलिस को गांव में उस के घर में खड़ी वह स्कौर्पियो कार भी मिल गई, जिसे कविनगर में कपिल गर्ग के घर में चोरी के दौरान सीसीटीवी फुटेज में देखा गया था. इतना ही नहीं, वहां बिहार नंबर की एक महंगी जगुआर कार भी मिली. पुलिस समझ गई कि गाजियाबाद में चोरी के बाद इरफान सीधे अपने गांव आया था और चोरी का माल ठिकाने लगाने के बाद वह वहां से खिसक गया. पुलिस को पूरा यकीन था कि इतनी बड़ी चोरी करने के बाद इतनी जल्दी उस ने चोरी का सारा माल नहीं बेचा होगा, लिहाजा पुलिस ने इरफान के घर की तलाशी ली.

पुलिस को वहां से नकदी तो ज्यादा नहीं मिली, लेकिन कई लाख रुपए के गहने बरामद हुए जो कपिल गर्ग के घर हुई चोरी का माल था या नहीं, यह जानने के लिए पुलिस टीम ने घर से बरामद हुए सामान के फोटो खींच कर गाजियाबाद में एसएचओ संजीव शर्मा को भेजे. संजीव शर्मा ने कपिल गर्ग के परिवार को बुला कर वाट्सऐप से आई फोटो जब परिजनों को दिखाई तो उन्होंने बता दिया कि इस में से अधिकांश गहने उन के घर से ही चोरी हुए हैं. अब यह बात पूरी तरह साफ हो गई कि कपिल गर्ग के घर हुई चोरी में इरफान का ही हाथ है. पुलिस ने उस की पत्नी गुलशन उर्फ परवीन को चोरी का माल घर में रखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस को स्थानीय पुलिस से इस बात की जानकारी भी मिल चुकी थी कि इरफान ने अपने गांव व आसपास के इलाकों में बहुत सारे लोगों को शार्टकट से पैसा कमाने का लालच दे कर अपने गैंग में शामिल कर लिया था. इसलिए पुलिस ने उस की पत्नी गुलशन से स्थानीय थाने में महिला पुलिस की मदद से सख्ती के साथ पूछताछ की तो पता चला कि गाजियाबाद के कविनगर में हुई चोरी के दौरान पुपरी थाना क्षेत्र का ही इरफान का ड्राइवर मोहम्मद शोएब पुत्र गुलाम मुर्तजा निवासी राजाबाग कालोनी तथा विक्रम शाह पुत्र रामवृक्ष शाह निवासी गाढ़ा कालोनी भी शामिल था.

पुलिस ने उसी रात छापा मारा. संयोग से दोनों अपने घर पर ही मिल गए और दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. उन के घर से भी तलाशी के दौरान चोरी के कुछ आभूषण बरामद हुए जो उन्होंने कपिल गर्ग के घर से चोरी किए थे. तीनों आरोपियों को सीतामढ़ी की अदालत में पेश करने के बाद कविनगर पुलिस उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर ले कर गाजियाबाद आ गई. यहां पर सक्षम न्यायालय में पेश कर तीनों को पुलिस ने 3 दिन की रिमांड पर ले लिया. जिस के बाद उच्चाधिकारियों ने गुलशन परवीन, शोएब और विक्रम से विस्तृत पूछताछ की. शोएब तथा विक्रम ने घटनास्थल केडी 12 में कपिल गर्ग की कोठी पर जा कर इस बात की पहचान कर दी कि वे इरफान के साथ 3 सितंबर को चोरी करने आए थे. इस के बाद शुरू हुआ ताबड़तोड गिरफ्तारियों का सिलसिला.

पुलिस की टीमों ने इरफान के गिरोह में काम करने वाले इमरान पुत्र अकीउर्रहमान मूल निवासी एकता नगर, थाना क्वारसी, अलीगढ़ जो इन दिनों बरेली के खुशबू एनक्लेव इलाके में रहता था, को भी गिरफ्तार किया. इमरान चोरी के आभूषण बिकवाने में इरफान की मदद करता था. पुलिस ने अलीगढ़ के रहने वाले 3 सर्राफा कारोबारियों मुरारी वर्मा, शिवम वर्मा तथा धीरज वर्मा को भी गिरफ्तार किया. जिन से चोरी के कुछ आभूषण भी बरामद किए गए. इन चारों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस टीमों ने जांचपड़ताल और पूछताछ को आगे बढ़ाते हुए इरफान के गांव के रहने वाले मोहम्मद मुजाहिद और पड़ोस के जाहिदपुर गांव में रहने मोहम्मद सरबरूल हुदा को भी गिरफ्तार कर लिया. लेकिन यह सिलसिला यहीं खत्म होने वाला नहीं था.

छानबीन आगे बढ़ी तो पता चला कि अलीगढ़ में बरौला जाफराबाद में रहने वाली इरफान की प्रेमिका रूपाली उर्फ संगीता गांव गाढ़ा जोगिया में रहने वाली उस की विधवा बहन लाडली खातून को भी इरफान के चोरी के कारनामों की पूरी जानकारी रहती है. वे दोनों न सिर्फ पुलिस से बचने के लिए छिपने में उस की मदद करती हैं, बल्कि चोरी के माल को ठिकाने लगाने से ले कर उस से ऐश भरी जिंदगी जीने में भी हिस्सेदार बनी रहती हैं. एक के बाद एक पुलिस इरफान से जुड़े 11 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी थी, लेकिन पुलिस के लिए छलावा बन चुका इरफान उर्फ उजाला हर बार पुलिस की पकड़ से फिसल जाता था.

इस दौरान साक्ष्यों के अभाव में उस की बहन लाडली खातून तथा प्रेमिका रूपाली उर्फ संगीता की जमानत भी हो गई. लेकिन इरफान फिर भी पुलिस की पकड़ में नहीं आया. कविनगर पुलिस तथा क्राइम ब्रांच की टीम लगातार उस की गिरफ्तारी के प्रयास में लगी रही. इस दौरान कविनगर थाने के प्रभारी संजीव शर्मा का तबादला हो गया था. उन की जगह अब्दुल रहमान सिद्दीकी कविननगर थाने के नए थानाप्रभारी बन कर आए. उन्होंने जांच अधिकारी देवेंद्र सिंह के साथ मिल कर नई रणनीति तैयार की और अब तक पूछताछ में आए तमाम लोगों की निगरानी का काम शुरू करा दिया जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इरफान के साथ जुड़े थे.

लगातार प्रयास के बाद पुलिस टीम को जानकारी मिली कि इरफान 24 अक्तूबर को गाजियाबाद कोर्ट में अपने वकील से मिलने के लिए आएगा. क्योंकि उस ने अपने गिरोह के गिरफ्तार साथियों की जमानत करानी है. पुलिस ने 24 अक्तूबर को इरफान को पकड़ने के लिए बड़ा जाल बिछाया. अदालत में वकीलों के चैंबर से ले कर अदालत के बाहर जाने वाले रास्तों पर सादा लिबास में पुलिस की टीमों ने जाल बिछा दिया. दोपहर बाद करीब साढ़े 3 बजे जब इरफान अपने वकील से मिल कर आरडीसी कालोनी से निकल कर बसअड्डे की तरफ जाने के लिए कचहरी के गेट से बाहर निकला तो सादा लिबास में खड़ी पुलिस की टीमों ने उसे दबोच लिया और गाड़ी में डाल कर कविनगर थाने ले आई.

जिस इरफान को पकड़ने के लिए कविनगर थाने की पुलिस 2 महीनों से हाथपांव मार रही थी, उस से पूछताछ करने के लिए एसपी (सिटी) निपुण अग्रवाल और एसएसपी पवन कुमार ने खुद इरफान उर्फ उजाला उर्फ आर्यन से पूछताछ की तो उस के बारे में जान कर सभी की आंखें हैरत से फैल गईं. शातिर चोर निकला इलाके का रौबिनहुड क्योंकि जिस शख्स को वे महानगर का सब से बड़ा चोर मान कर पकड़ने में लगे थे, असल में अपराधी के रूप में वह एक रौबिनहुड था, जो अमीरों के घर में चोरी कर के उन से की गई कमाई को गरीबों में बांट देता था. वह गरीब परिवार की लड़कियों की शादियां कराता था.

सीतामढ़ी में उस के गांव में रहने वाला कोई गरीब अगर बीमार पड़ता या किसी ऐसी गंभीर बीमारी से पीडि़त हो जाता कि उस का इलाज करना उस की सामर्थ्य में नहीं होता तो वह ऐसे लोगों के इलाज का पूरा खर्च खुद उठाता था. किसी गरीब की बेटी की डोली अगर पैसे के बिना न उठ रही हो तो इरफान पैसा दे कर इस नेक काम में परिवार की मदद करता. इरफान दिल्ली के कुख्यात चोर बंटी के कारनामे से बेहद प्रभावित था और उसे वह अपना आदर्श मानता है.

मूलरूप से बिहार के सीतामढ़ी में जोगिया गाढ़ा गांव के रहने वाले इरफान (35) का परिवार पहले बहुत गरीब था. पिता खेतों में मजदूरी किया करते थे और साल 2000 में उन की मौत हो गई. छोटे से टूटेफूटे मकान में रहने वाले इरफान के परिवार में उस के 2 भाई और 2 बहनें हैं. इरफान के साथ उस की 65 साल की मां नसीमा खातून, बड़ा भाई फरमान भाभी गिन्नी खातून और इरफान की पत्नी गुलशन परवीन तथा उस की 2 बेटियां रहते हैं. उस की एक बड़ी विधवा बहन लाडली खातून भी अपने एक बच्चे के साथ उसी के साथ रहती थी. पांचवीं कक्षा तक पढ़ा इरफान लिखना नहीं जानता. बस वह अपने हस्ताक्षर कर सकता है. लेकिन इस के बावजूद उस के अंदर ऐसी खासियत है कि वह जिस से भी एक बार मिल ले, वह उस का मुरीद हो कर रह जाता है.

इरफान ने 2 शादियां की थीं. उस की दोनों ही शादियां प्रेम विवाह थीं. पहली शादी उस ने सीतामढ़ी की गुलशन परवीन से की, जबकि दूसरी मुंबई में रहने वाली हिंदू भोजपुरी एक्ट्रैस से. पहली चोरी में ही मिले थे 35 लाख रुपए पहली पत्नी गुलशन को उस ने पहली बार अपनी बड़ी भाभी के घर जाने के दौरान देखा था. वहीं दोनों में प्यार हो गया और जल्द ही दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. उस वक्त इरफान चोरी के धंधे में नहीं था और परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी. दोनों की शादी के लिए उन के परिवार वाले रजामंद नहीं थे, लेकिन उन की मरजी के खिलाफ दोनों ने शादी कर ली.

शादी के बाद गुलशन परवीन ने पति इरफान के साथ घर की गरीबी को दूर करने के लिए एक छोटा सा होटल खोलने से ले कर कपड़े की दुकान चलाने तक के कई छोटेबड़े काम किए. लेकिन हालात नहीं सुधरे. इसीलिए कुछ समय बाद अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इरफान पत्नी को गांव में छोड़ कर मुंबई से दिल्ली तक घूमा. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. तभी उस की छोटी बहन की शादी तय हो गई. लेकिन परिवार के पास इतना भी पैसा नहीं था कि उस की शादी की जा सके. यह 11 साल पहले की बात है. तब इरफान को लगा कि सीधे रास्ते से जिदंगी में कुछ नहीं किया जा सकता. इरफान ने बहन की शादी के लिए पहली बार बिहार में ही बड़ी चोरी की थी, जिस में उसे 35 लाख रुपए मिले.

बहन की शादी हो गई, लेकिन इस के बाद इरफान की जिदंगी बदल गई. इस के बाद इरफान ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उसे लगा कि अगर किसी नेक काम के लिए अमीर लोगों के घर से माल उड़ा कर जरूरतमंदों की मदद की जाए तो यह पाप नहीं, बल्कि दुनिया का सब से नेक काम है. बस रौबिनहुड के इसी सिद्धांत को अपना कर इरफान अपराध के दलदल में उतरा तो फिर उस ने वापस मुड़ कर नहीं देखा. वह चोरी दर चोरी करता चला गया. इरफान उर्फ उजाला 22 साल की उम्र में ही मुंबई चला गया. उस के बारे में लोगों को यही जानकारी थी कि वह मुंबई, हैदराबाद, कानपुर, दिल्ली में बैग बनाने का बिजनैस करता है. बाद में 2012 में जब वह घर आया तो उस ने लोगों को बताया कि कि वह मुंबई में बियर बार चलाता है.

हालांकि एक जमाना था जब इरफान का परिवार मजदूरी करता था. रहने के नाम पर बस एक झोपड़ी थी. काम नहीं मिलने पर खाने को लाले पड़ जाते थे. लेकिन परिवार की माली हालत सुधारने के लिए जब उस ने चोरी करनी शुरू की तो उस का रुतबा ही बदल गया था. गांव वालों को वह अपने काम के बारे में कुछ नहीं बताता था. गांव आते ही करीब करीब 10 साल पहले उस ने गांव में पहले जमीन खरीदी, उस के बाद जब और पैसा आया तो आलीशान घर बनवाया. फिर एक से एक महंगी बाइक खरीदी और लाखों रुपए की कीमत की लग्जरी कारें खरीदीं. बाद में उस ने अपने गैंग में गांव के कुछ युवकों को भी शामिल कर लिया और उन्हें अपने साथ घुमाने लगा.

गांव के युवकों पर वह पानी की तरह रुपए खर्च करता, जिस से वह भी उस की तरह जिंदगी बसर करने के लिए उस के चोरी के धंधे से जुड़ते चले गए. धीरेधीरे महंगी कार खरीदने के बाद उसे विदेशी गाडि़यां खरीदने का शौक लग गया. जगुआर से जाता था चोरी करने  साल 2012 में वह पहली बार तब खबरों में आया जब उस ने दरभंगा में एक नाचने वाली पर लाखों रुपए उड़ाए. बाद में 2013 में कानपुर पुलिस उसे 30 लाख की ज्वैलरी चोरी के मामले में गिरफ्तार करने गांव आई तो वह पुपरी थाने से भाग गया.

फिर वह 2014 में चुनाव के दौरान अपनी महंगी गाड़ी में 4 लाख रुपए के साथ पकड़ा गया था. इस के बाद धीरेधीरे लोगों को पता चलने लगा कि वह एक अपराधी है और बड़े महानगरों में रहने वाले लोगों के घरों में चोरियां करता है. कविनगर (गाजियाबाद) में चोरी की वारदात से कुछ दिन पहले बिहार जाते हुए इरफान की जगुआर कार सड़क दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गई थी. इस के बाद उस ने अपनी पत्नी गुलशन के नाम से नई स्कौर्पियो कार खरीद ली. कपिल गर्ग के घर चोरी करने के लिए इरफान इसी स्कौर्पियो से अपने ड्राइवर शोएब के साथ आया था. इरफान ने दिल्ली में नोटबंदी से पहले एक जज के घर 65 लाख रुपए की चोरी की थी. जब वह चोरी करने के लिए घर में घुसा तो अलमारी में नोटों की गड्डियां मिलीं.

उस ने 2 बैगों में नोट भरे, लेकिन वह एक ही बैग उठा पाया और ले कर चला गया. चोरी के बाद नोट गिने तो 65 लाख रुपए निकले. बाद में पता चला कि जज ने केस ही दर्ज नहीं कराया था.  इरफान अपराध की दुनिया का अब वह नाम बन चुका नाम था, जो चोरी के मामले में एक्सपर्ट बन चुका था. वह बंटी चोर की तरह अकेले ही चोरी की वारदात को अंजाम दिया करता था. चोरी की वारदात को अंजाम देने के समय इरफान अपने साथ महज पेचकस रखता था. पूरे तरीके से काले कपड़े पहन कर घर में प्रवेश किया करता था. आमतौर वह नंगे पांव ही घरों में घुसता था. वह दीवार पर नंगे पैर चढ़ कर कोठियों में ऐसे घुस जाता था जैसे स्पाइडरमैन फिल्म का हीरो दीवारों पर चढ़ता है. वह कभी भी मेनगेट से नहीं जाता, बल्कि पिछली दीवार से चढ़ कर चोरी करता था.

कविनगर के कारोबारी कपिल गर्ग की कोठी में भी वह पीछे के रास्ते से ही अकेले घुसा था. पिछले 10 सालों से चोरी की वारदात करने के बावजूद इरफान आज तक किसी भी वारदात में रंगेहाथ नहीं पकड़ा गया. वारदात के दौरान न तो किसी कोठी के गार्ड ने उसे पकड़ा और न ही कोठियों में पलने वाले कुत्तों ने उस पर हमला किया. इरफान चोरी के दौरान कीमती गहनों और नकदी पर ही हाथ साफ करता था. घर के सामान में वह कीमती इलैक्ट्रौनिक सामानों को ही अपने साथ ले जाता था.

इरफान जब चोरी करने के लिए जाता तो वह यह नहीं देखता कि घर किस का है और उस के आसपास कौन रहता है. बस उस के दिल से अगर ये आवाज निकल जाती कि फलां घर पर हाथ साफ करना है तो वह बेधड़क उस घर में रखे कीमती सामान पर हाथ साफ कर देता. देश के बड़े शहरों में थे इस शातिर चोर की गैंग के सदस्य 2 साल पहले उस ने गोवा के राज्यपाल के घर के पास से एक व्यापारी के घर से लाखों रुपए की नकदी और गहने चुरा लिए क्योंकि उस के दिल से आवाज निकली कि इस घर में मोटा माल मिलेगा.

इरफान की खूबी थी कि किसी भी वारदात को करने से पहले खुद कभी रेकी नहीं करता था. हां, देश के कई बड़े शहरों में फैले उस के गैंग के सदस्य जरूर रेकी कर के उसे जरूर बता देते थे कि अमुक घर में मोटा माल मिल सकता है या उस में रहने वाले लोग घर से बाहर हैं. लेकिन तब भी इरफान तब तक चोरी नहीं करता था, जब तक मौके पर जा कर उस के दिल से आवाज नहीं निकलती. वह अपनी महंगी गाड़ी से निकलता और दिल की गवाही देते ही वारदात को अंजाम दे देता था. उस का अंदाजा इतना सटीक था कि वह आज तक जिस घर में गया, लाखों रुपया ले कर ही निकला.

इरफान उर्फ उजाला लग्जरी गाडि़यों से अपने ड्राइवर व साथियों के साथ चोरी करने निकलता. कविनगर में चोरी करने के बाद वह अपने गांव सीतामढ़ी, बिहार चला गया था. वहां उस ने कुछ दिनों के लिए चुराई गई ज्वैलरी अपने खेत के गड््ढे में दबा दी थी. इस के बाद ज्वैलरी को बिहार के मुजफ्फरपुर व दरभंगा के सुनारों के यहां गिरवी रख कर मोटी रकम ले ली थी. कुछ ज्वैलरी उस ने बेच भी दी थी. इस के बाद वह अलीगढ़ चला गया, जहां 3 सुनारों को उस ने चोरी के कुछ जेवर बेचे. 1-2 दिन अपनी माशूका रूपाली के पास रहा उस के बाद वहीं से नेपाल भाग गया. इस दौरान उस के लोग चोरी के मामले में गिरफ्तार हो चुकी गुलशन, बहन लाडली व माशूका रूपाली की जमानत कराने में जुटे रहे. इरफान लगातार अपने लोगों के संपर्क में था.

इरफान ने पूछताछ में बताया कि वह तो बस गरीबों की मदद करने के लिए चोरी करता है, लेकिन पुलिस तो उस से भी बड़ी चोर है. जिस का उदाहरण देने के लिए इरफान ने गाजियाबाद पुलिस को एक किस्सा सुनाया. उस ने बताया कि बंगलुरु में उस ने चोरी की एक वारदात को अंजाम दिया था, जिस में उसे मात्र डेढ़ लाख रुपए मिले थे. इस वारदात के बाद उस ने हैदराबाद में चोरी की एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया. लेकिन तब तक बंगलुरु पुलिस ने उसे अपने इलाके में हुई चोरी की वारदात में गिरफ्तार कर लिया और उस के घर से 40 लाख रुपए बरामद हुए. लेकिन यह रकम को बंगलुरु पुलिस ने बरामदगी में नहीं दिखाई थी और डेढ़ लाख रुपए की चोरी का खुलासा कर दिया.

इरफान ने दिल्ली में चोरी की कई वारदातों को अंजाम दिया, लेकिन वह केवल 2 बार पकड़ा गया. पहली बार 2017 में इरफान को दक्षिणपूर्वी दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. दरअसल इस मामले में गिरफ्तारी की भी एक दिलचस्प कहानी है. 24 मई, 2017 को उस ने न्यू फ्रैंड्स कालोनी में रहने वाले राजीव खन्ना के घर में लाखों रुपए के सोने और हीरे के आभूषण चोरी किए थे. इस मामले में स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने सीसीटीवी फुटेज तथा मौके पर मिले एक मोबाइल फोन से सुराग लगा कर इरफान व उस के एक साथी को गिरफ्तार कर लिया था.

दरअसल, इस वारदात में इरफान गलती से अपना मोबाइल घटनास्थल पर भूल गया था. यही मोबाइल फोन उस की गिरफ्तारी का सबब बन गया. हालांकि इस वारदात के बाद उस ने अपने व अपने घर वालों तक के फोन नंबर बदलवा दिए थे, मगर अंत में पकड़ा गया. दूसरी बार इरफान उर्फ उजाला को जनवरी 2021 में दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच की इंटरस्टेट यूनिट के एसीपी संदीप लांबा व इंसपेक्टर गुरमीत की टीम ने गिरफ्तार किया था. तब उस ने दिल्ली एनसीआर सहित आधा दरजन राज्यों में चोरी करने का खुलासा किया था.

उस ने पुलिस को बताया था कि उस के गैंग के सदस्य दिल्ली, यूपी, बिहार, पंजाब आदि राज्यों में फैले हुए हैं. दिन के समय वे गरीबों की मदद के लिए चंदा मांगने के बहाने रेकी करते थे और जो घर बंद मिलता, उस के बारे में उसे बता देते थे. इरफान उर्फ उजाला ने करीब 3 साल पहले दिल्ली में ताबड़तोड़ चोरी की घटनाएं कर दिल्ली पुलिस की नींद उड़ा दी थी. बाद में जब लांबा की टीम ने उसे पकड़ा तो उन्होंने इरफान को कुरान शरीफ की कसम दिला कर दिल्ली में चोरी न करने का वादा लिया. तब उस ने भरोसा दिया था कि वह आज के बाद दिल्ली में कभी चोरी नहीं करेगा.

दिल्ली पुलिस को किए वादे पर इरफान खरा भी उतर रहा था. इसीलिए इरफान ने दिल्ली को छोड़ कर गाजियाबाद को अपना निशाना बना लिया था. 2 बीवी और 4 प्रेमिकाएं हैं इस चोर की इंसान में कुछ खूबियां होती हैं तो कुछ बुरी लतें भी होती हैं. इरफान की 2 बीवी तथा  4 प्रेमिकाएं हैं. चोरी में मोटा माल हाथ लगने के बाद सब से पहले किसी प्रेमिका के पास ही जाता था. दोनों बीवियों के अलावा वह अपनी इन प्रेमिकाओं पर भी दिल खोल कर पैसा खर्च करता था. इन में से अलीगढ़ में रहने वाली प्रेमिका रूपाली को तो कविनगर पुलिस ने गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. जबकि उस की दूसरी माशूकाएं आगरा, सवाई माधोपुर तथा बंगलुरु की रहने वाली हैं. चोरी की रकम से वह इन्हें महंगे उपहार देता था. बदले में वे उसे न सिर्फ छिपने में मदद करतीं बल्कि उस की अय्याशी का सामान भी बनतीं.

इरफान मुंबई, चंडीगढ़, बंगलुरु और दिल्ली के लाउंज व बारों में जम कर मौजमस्ती करता व रुपए उड़ाता था. महंगी कारों, डिजाइनर कपड़ों और विलासितापूर्ण जीवन का शौकीन इरफान बार में एकएक गाने की फरमाइश पूरी करने पर 10-10 हजार रुपए उड़ाता था. भोजपुरी फिल्मों की एक अभिनेत्री मुंबई में रहने के दौरान उस की दोस्त बन गई थी, जो मुंबई में रहती थी, जब भी चोरी की बड़ी वारदात को अंजाम देता तो पहले गांव जाता, वहां लोगों की मदद करने के लिए जो भी पैसा खर्च करना होता करता. कुछ रोज अपनी पत्नी गुलशन के साथ गुजरता, उस के बाद वह मुंबई चला जाता और अपनी भोजपुरी फिल्मों की अभिनेत्री प्रेमिका के साथ रह कर जम कर मौजमस्ती करता.

उस की पहचान एक पैसे वाले के रूप में होने लगी. अपनी फिल्मी माशूका पर दिल खोल कर पैसे खर्च करता और जब पैसा खत्म होने लगता तो किसी दूसरे शिकार की तलाश में मोटा हाथ मारने के लिए किसी दूसरे शहर का रुख कर लेता. बाद में उस ने इस एक्ट्रैस से शादी कर ली. उस की कमजोरी थी फेसबुक, जिस पर इरफान अपनी विलासितापूर्ण जिदंगी की फोटो और वीडियो अपलोड करता रहता था. इरफान ने एक साल पहले ही अपनी पत्नी के नाम से महंगी जगुआर कार खरीदी थी, जिस से इलाके में उस की शान और भी बढ़ गई. शोएब नाम के अपने ड्राइवर के साथ वह कार में चलता था.

जब वह दूसरे महानगरों में चोरी करने के लिए जाता तो अकसर अपने ड्राइवर व गाड़ी को ले कर चोरी करने जाता था. इतनी महंगी कार होने के कारण कोई भी उस पर शक नहीं करता था. वह महंगे होटलों में रुकता है. जब वह कार से चोरी करने नहीं जाता तो बिहार से दूसरे शहरों में आनेजाने के लिए हवाई जहाज से सफर करता था. धीरेधीरे जब दूसरे राज्यों की पुलिस उसे गिरफ्तार करने गांव पहुंचने लगी तो गांव वालों को पता चल गया कि वह एक कुख्यात चोर है. लेकिन तब तक वह गांव वालों के बीच अपनी छवि एक फरिश्ते के रूप में गढ़ चुका था. पुलिस कुछ भी कहती, लेकिन लोग उस के खिलाफ न तो कुछ बोलते न ही उस के बारे में गलत सुनने को तैयार होते थे.

चोरी के पैसों से उस ने धीरेधीरे अपने गांव व आसपास के लोगों को सहयोग करना शुरू कर दिया. अपने गांव की नाली खडं़जे से ले कर जर्जर सड़कों को भी बनवाना शुरू कर दिया. धीरेधीरे लोग उस के पास मदद मांगने आने लगे तो उसे भी अपनी तारीफें सुनने के कारण उन की मदद करने का चस्का लग गया. वह कभी किसी गरीब की बेटी की शादी करा देता तो कभी गांव में किसी बीमार के इलाज का खर्च उठा लेता. जरूरतमंदों की खुले रूप से करता था आर्थिक मदद उस की छवि गांव में रौबिनहुड जैसी बन गई. सामाजिक काम में इरफान किस कदर सक्रिय हो चुका था, इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2 साल पहले अपने पड़ोस में रहने वाली एक गरीब लड़की के कैंसर के औपरेशन पर उस ने 20 लाख रुपए खर्च कर दिए थे.

वह अपने गांव में हर महीने चिकित्सा शिविर का आयोजन करता था. गांव के लोगों को अब पता था कि वह बड़े शहरों का महाचोर है. इस के बावजूद गांव के लोगों के लिए वह फरिश्ता ही था, जो उन की जिंदगी में उजाला भरने के लिए चोरी कर अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहा था. इसीलिए लोग उस के नाम के आगे उजाला लगाने लगे थे. इरफान जब लोगों की मदद करता तो इस में वह ये नहीं देखता था कि मदद मांगने वाला किस मजहब का है. इरफान के मुसलिम बहुल गांव जोगिया में केवल 4 हिंदू परिवार रहते हैं. वहां के जोगिंदर राम की भी उजाला ने मदद की है.

उस ने 3 महीने पहले ही जोगिंदर की बेटी की शादी में 4 हजार रुपए से मदद की तो कुछ साल पहले लीवर इंफेक्शन के औपरेशन के लिए उसे 5 हजार रुपए दिए थे. इसी गांव में रहने वाली रामसती का 2 साल पहले बच्चेदानी का औपरेशन कराने के लिए इरफान उर्फ उजाला ने उसे 10 हजार रुपए दिए थे. सामाजिक काम कर के फरिश्ते के रूप में बनाई गई छवि के कारण गांव तथा आसपास के इलाकों के लोग अब इरफान पर दबाव डालने लगे कि अगर वह राजनीति में आ जाएगा तो उन की जिंदगी संवर जाएगी. इरफान भी जानता था कि राजनीति में आने के बाद ही वह अपनी कौम और लोगों की मदद कर सकता है.

लोगों ने उस पर ज्यादा दबाव डाला तो उस ने गांव व आसपास के क्षेत्र में और तेजी से सामाजिक कार्य शुरू कर दिए. उस ने राजनीति में कदम रखने के लिए अपनी पत्नी गुलशन परवीन को आगे कर दिया. वह गांव और इलाके की राजनीति से राजनीति में आगे बढ़ना चाहता था. इसलिए उस ने कुछ दिन पहले ही पुपरी के जिला परिषद क्षेत्र संख्या 34 से अपनी पत्नी को प्रत्याशी बनाया. नामांकन से ले कर चुनाव प्रचारप्रसार में उस ने दिल खोल कर रुपए खर्च किए. हालांकि इस दौरान पुलिस ने गुलशन को गिरफ्तार कर के जेल भी भेजा, लेकिन जेल से निकलने के बाद उस ने नामांकन किया और लोगों ने जम कर उस के प्रचार में साथ दिया.

इसे इरफान की पत्नी की मेहनत कहें या इरफान की सामाजिक कामों से मिली शोहरत, उस की पत्नी भारी मतों से चुनाव जीत गई. दरअसल, चुनाव से कुछ दिन पहले ही इरफान ने करीब डेढ़ करोड़ रुपया खर्च कर के 7 गांवों की सड़कें बनवाई थीं. इस से इलाके के लोगों को लगने लगा कि वह चुनाव जीतने से पहले इतना विकास कर सकती है तो चुनाव जीतने के बाद इलाके को जन्नत बना देगी. कविनगर पुलिस ने इरफान व उस के पकड़े गए साथियों से अब तक चोरी में प्रयुक्त की जाने वाली स्कौर्पियो व जगुआर समेत एक करोड़ की कीमत से अधिक के सोने व हीरे के जेवर बरामद किए हैं. उस के खिलाफ विभिन्न प्रदेशों में चोरी के 25 मामले दर्ज हैं. तथा उस ने अब तक करीब 20 करोड़ से अधिक की चोरियां की हैं.

उस ने अपनी पत्नी गुलशन परवीन से चुनाव जीतने के बाद चोरी न करने का वायदा किया था. उस की पत्नी अब जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत चुकी है. लेकिन रौबिनहुड बनने का उस का ख्वाब उसे जरायम की दुनिया से दूर नहीं रख पाया. Ghaziabad News

—कथा पुलिस की जांचपड़ताल व आरोपियों से हुई पूछताछ पर आधारित)

 

Kerala Crime News : पत्नी की हत्या करने के बाद चलाया फेसबुक लाइव

Kerala Crime News : एक ऐसी दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है, जहां एक पति ने अपनी पत्नी की बेरहमी से हत्या कर डाली. हैरानी की बात यह रही कि वारदात के बाद वह खुद थाने पहुंचा और गुनाह कुबूल कर लिया. आखिर ऐसा क्या हुआ था कि उस ने अपनी ही पत्नी की जान ले ली. इस खौफनाक मर्डर मिस्ट्री के पीछे का रहस्य क्या है? चलिए जानते हैं इस पूरी स्टोरी को विस्तार से

यह सनसनीखेज घटना केरल के कोल्लम जिले के कूथानाडी गांव से सामने आई है, जहां सोमवार को 42 साल के इशहाक ने अपनी पत्नी शालिनी की चाकू से बेरहमी से हत्या कर डाली. पत्नी जब नहाने गई थी, तब उस ने इस घटना को अंजाम दिया. उस ने पत्नी शालिनी  के छाती और पीठ पर जोरदार हमला किया जिस से उस की मौत हो गई.

हत्या के बाद हुआ फेसबुक लाइव

इशहाक ने हत्या के 2 मिनट बाद फेसबुक लाइव किया और कहा कि पत्नी उस पर कभी भरोसा नहीं करती थी. और उस की बातों पर हमेशा अनदेखी किया करती थी. जब कभी पतिपत्नी के बीच विवाद हो जाता तो वह मायके में अपनी मम्मी के पास जा कर रहने लग जाती. वापस आती तो घर को छोड़ने की धमकी भी दिया करती.

पुलिस के अनुसार, आरोपी का नाम इशहाक का उस की पत्नी लंबे समय से विवाद चल रहा था. मृतका हमेशा आरोपी पति के चरित्र पर शक किया करती थी. आरोपी ने बताया कि गहने गिरवी रख कर गाड़ी खरीदी थी. इस के अलावा आरोपी अपनी पत्नी की राजनीतिक बैठकों और नौकरी करने से नाराज था.

हत्या करने के बाद आरोपी पुलिस स्टेशन पहुंचा और पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. इस के बाद पुलिस तुंरत घटना स्थल पर पहुंची तो शव को देख हैरान थी. देखा कि शालिनी खून से लथपथ पड़ी हुई थी. उस के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. पुलिस के द्वारा अब विस्तार से जांच करने के लिए एक टीम गठित कर दी गई है. Kerala Crime News

Family Dispute : नफरत का खौफनाक अंजाम

Family Dispute : पति नीरज से अनबन हो जाने के बाद आयशा अपने 12 वर्षीय बेटे सक्षम के साथ मायके में रहने लगी थी. पत्नी के प्रति नीरज के मन में उपजी इस नफरत का ऐसा खौफनाक अंजाम निकला कि…

21 अक्तूबर, 2021 की रात के करीब साढ़े 11 बजे फरीदाबाद के गोठड़ा मोहब्ताबाद का रहने वाला गगन (26 वर्ष) अपने परिवार के साथ खाटू श्याम के दर्शन कर के घर लौटा था. गगन हर साल इसी समय के आसपास अपने पूरे परिवार के साथ खाटू श्याम मंदिर में दर्शन के लिए जाया करता था. उस मंदिर के प्रति उस की आस्था बहुत थी. वह इस साल अपनी माता सुमन (50 वर्ष), अपनी बहन आयशा (30 वर्ष), अपने छोटे भांजे सक्षम (12 वर्ष) और अपने दोस्त राजन शर्मा के साथ मंदिर में दर्शन कर के लौटा था.

गगन राजन के साथ ही फरीदाबाद सेक्टर 55-56 में प्रौपर्टी डीलिंग और पुरानी गाडि़यों की खरीदफरोख्त का काम करता था. इस से पहले गगन अपने परिवार के साथ फरीदाबाद सेक्टर 55 में किराए पर ही रहता था. लेकिन इसी साल सितंबर में उस ने गोठड़ा मोहब्ताबाद में किराए के एक मकान में, जो कि एक पूर्व सरपंच का मकान है, वहां रहने लगा था. उस के पुराने घर से इस नए मकान के बीच करीब 30 मिनट पैदल की दूरी थी. 21 अक्तूबर को मंदिर से दर्शन कर देर रात घर लौटने की वजह से गगन ने राजन को अपने घर पर ही रुकने का आग्रह किया था, क्योंकि रात बहुत हो चुकी थी और वह अपने इलाके में देर रात होने वाली घटनाओं और वारदातों के बारे में अच्छे से जानता था.

राजन ने भी गगन की बात मान ली और वह उस रात उसी के घर पर ही रुक गया. देर रात को लंबा सफर कर के लौटे सभी लोग पहले फ्रैश हुए और हलकाफुलका खाना खा कर वे सब सोने के लिए अपनेअपने कमरे में चले गए. आयशा व उस की मां सुमन मकान में नीचे के कमरे में सोने चली गईं और गगन, राजन वह सक्षम पहली मंजिल पर सोने चले गए. सब थकेहारे थे तो हर किसी को जल्दी नींद भी आ गई थी और सभी गहरी नींद में सो भी गए थे. बस सक्षम ही रात को जागा हुआ था.

नींद तो सक्षम को भी तेज आ रही थी, लेकिन वह किसी का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहा था. वह रात को जगे हुए अपने मम्मी के फोन में गेम खेल रहा था. रात के करीब ढाई बजे के आसपास उस का फोन बजा. इस से पहले कि फोन की घंटी हर किसी को नींद से जगा देती कि उस से पहले ही सक्षम ने तुरंत फोन उठा लिया. यह उस के पिता नीरज चावला (35 वर्ष) का फोन था. सक्षम ने फोन उठा कर फुसफुसाते हुए कहा, ‘‘हैलो पापा.’’

नीरज अपने बेटे को पुचकारते हुए बोला, ‘‘अरे मेरा बेटा कैसा है? खाटू श्याम घूम कर आ गए सब? कैसा लगा वहां घूम कर? मजा आया?’’

सक्षम ने फिर से फुसफुसाते हुए अपने पिता के सवालों का जवाब दिया, ‘‘जी पापा. वहां तो खूब मजा आया पापा. काश! आप भी साथ होते और मजा आता. हमें तो काफी रात हो गई थी वहां से वापस आते हुए.’’

ये सुन कर नीरज ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं बेटे. सुनो, जो हमारी बीच बात हुई थी तुम्हें याद है न?’’

सक्षम ने उत्सुकता के साथ कहा, ‘‘जी पापा, मुझे याद है. आप क्या लाए हो मेरे लिए?’’

नीरज ने जवाब दिया, ‘‘वो तो सरप्राइज है मेरे बच्चे. मैं अभी तुम्हारे घर के बाहर ही तो खड़ा हूं. नीचे आ कर दरवाजा खोलो और अपना गिफ्ट ले जाओ. और हां, किसी को इस बारे में बताने की जरूरत नहीं है. ये गिफ्ट स्पैशल तुम्हारे लिए मंगवाया है बाहर से. अब जल्दी से नीचे आ कर अपना गिफ्ट ले लो. इसी बहाने मैं अपने बेटे से भी मिलूंगा.’’

अपने पिता के द्वारा लाए हुए गिफ्ट की बात सुन कर सक्षम के मन में खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. वह तुरंत अपने बिस्तर से इस तरह से उठा कि किसी और को उस के उठने की भनक तक नहीं लगी और वह जल्द ही नीचे दरवाजे की ओर भागा. आहिस्ता से सक्षम ने अंदर से लगी दरवाजे की कुंडी खोली और धीरे से दरवाजा खोला. उस ने देखा उस के पिता दरवाजे के ठीक सामने अपने हाथों में एक थैली लिए खड़े थे. सक्षम न समझ सका पिता के इरादे सक्षम के दरवाजा खोलने पर नीरज ने झुक कर उसे पहले अपने गले लगा लिया और फुसफुसाते हुए उस से पूछा, ‘‘कोई जागा तो नहीं बेटा?’’

सक्षम ने भी उसी तरह से नीरज को जवाब दिया, ‘‘नहीं पापा, कोई नहीं जागा.’’

यह सुन कर नीरज ने सक्षम के कंधे पर हाथ रखा और घर के अंदर आ गया. सक्षम को यह देख कर थोड़ा अजीब लगा. उस ने अपने पिता को रोकना चाहा, लेकिन वह कहां रुकने वाला था. उन दोनों के अंदर घुसते ही बाहर से एक और आदमी मकान में आ घुसा. यह शख्स नीरज का दोस्त लेखराज था. लेखराज के अंदर आते ही उस ने भीतर से मुख्य दरवाजे की कुंडी बंद कर दी और भाग कर पहली मंजिल पर जा पहुंचा. लेखराज को देखते ही इस से पहले कि सक्षम कुछ कहता, नीरज ने उस के मुंह पर हाथ रख दिया और उसे अपनी गोद में उठा कर उस कमरे की ओर चल पड़ा, जहां पर उस की पत्नी आयशा और उस की सास सुमन सोए हुए थी.

एक तरफ नीचे ग्राउंड फ्लोर पर नीरज अपने बेटे के साथ था तो दूसरी ओर लेखराज पहली मंजिल पर गगन और राजन के कमरे में था. लेखराज ने अपनी कमर से एक देसी तमंचा निकाल कर सोते हुए राजन पर गोली चला दी. गोली चलने की आवाज सुन कर गगन नींद से जाग गया और उस की नजर लेखराज और उस के हाथ में तमंचे पर पड़ी. गगन के अवचेतन दिमाग ने खुद को बचाने के लिए अपने बिस्तर किनारे रखे फोन को लेखराज की ओर जोर से फेंका.

वह फोन लेखराज के चेहरे पर जा कर लगा और कुछ पलों के लिए उस का ध्यान गगन से हट गया. इतने में गगन भाग कर दरवाजे की ओर से निकलने ही वाला था कि लेखराज ने गगन पर पीछे से गोली चला दी, जोकि उस की कमर पर लगी. गोली लगते ही वह गिर पड़ा. गगन के शरीर से निकला खून पूरे फर्श पर फैल चुका था, जिसे देख लेखराज को लगा कि वह मर गया है, क्योंकि गगन के शरीर से किसी तरह की कोई हरकत नहीं हो रही थी. पहली मंजिल पर गोली चलने की आवाज सुन कर 12 साल का छोटा बच्चा इस से पहले कि कुछ समझ पाता, नीरज ने उसे नीचे उतार दिया. फिर उस ने अपने थैले में से तमंचा बाहर निकाल कर अपनी सास सुमन पर निशाना साधते हुए 2 गोलियां चला दीं.

नीरज की पत्नी आयशा जो गहरी नींद में सो रही थी, बाहर होने वाले शोर से वह भी जाग गई. इस से पहले कि वह कुछ समझ पाती, नीरज ने मौका देख कर एक गोली अपनी पत्नी की छाती पर दाग दी. गोली मारने के बाद नीरज ने इधरउधर देखा तो सक्षम वहां मौजूद नहीं था. नीरज ने जब उसे अपनी गोद से उसे नीचे उतारा था, तब वह भाग कर बाथरूम में चला गया था. उस ने खुद को बाथरूम में बंद कर लिया. सक्षम इतनी दहशत में था कि उस ने बाथरूम में किसी तरह की कोई हरकत करने की हिम्मत नहीं दिखाई.

इतने में लेखराज अपना काम पूरा कर के नीचे आया और उस ने नीरज से पूछा, ‘‘काम हो गया, अब आगे क्या करना है?’’

नीरज ने अपने थैले में से 2 धारदार चाकू निकाले और एक उस के हाथ में थमाते हुए बोला, ‘‘ये दोनों किसी भी कीमत पर जिंदा नहीं रहने चाहिए. इन्होंने मेरा जीना हराम कर दिया है, इसलिए इन्हें पूरी तरह से खत्म कर दो.’’

गोली मारने के बाद चाकुओं से गोदा दोनों को कहते हुए लेखराज और नीरज दोनों सुमन और आयशा की लाश की ओर बढ़े और दोनों उन के शरीर पर चढ़ कर उन के शरीर पर लगातार चाकू से वार करने लगे. उन्होंने उन का शरीर गोदने के बाद महसूस किया कि मकान में उन का नौकर भी रहता है, उस नौकर को भी उन्होंने ठिकाने लगाना जरूरी समझा. उसी समय उन्होंने महसूस किया कि कोई मकान का मेन दरवाजा खोल रहा है. यह उस मकान में काम करने वाला नौकर शिवा ही था. उसे देख कर नीरज उस की ओर अपना तमंचा ले कर दौड़ा. शिवा अपनी जान बचाने के लिए तेजी से भागा और दीवार फांदते हुए वह मकान के इर्दगिर्द खाली पड़े प्लौट को पार करते हुए भाग निकला.

इस बीच नीरज ने उस की ओर निशाना साध कर गोली भी चलाई थी, लेकिन गोली के तमंचे में फंस जाने की वजह से शिवा अपनी जान बचाने में कामयाब रहा. नीरज और लेखराज सक्षम को छोड़ घर में सभी को गोली मारने के बाद तुरंत वहां से नौ दो ग्यारह हो गए. हत्यारों की गोली से बच गया गगन नीरज और लेखराज ने सभी को गोली तो मार दी थी, लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि गगन को गोली लगने के बाद भी वह बच जाएगा. गगन को उस की कमर पर गोली लगी थी, उस का खून भी काफी बह चुका था लेकिन वह जिंदगी और मौत के बीच लटक गया था.

नीरज और लेखराज के हत्या कर के वहां से निकल जाने के बाद सक्षम रोताबिलखता एकएक कर अपने परिवार के पास जा कर उन्हें देख रहा था, तभी उस ने देखा कि उस के मामा के शरीर में हरकत हो रही थी. यह देख कर फोन ले कर वह भागते हुए अपने मामा गगन के पास पहुंचा. गगन ने 100 नंबर डायल कर पुलिस को फोन लगाया और पुलिस को कराहती आवाज में जल्द ही अपने घर पर आने के लिए कहा. सुबह के करीब साढ़े 3 बज रहे थे, जब इस घटना की सूचना फरीदाबाद में धौज थाना क्षेत्र को मिली. धौज थाना परिसर गगन के नए घर से मात्र 5 मिनट की दूरी पर ही था.

मामले की सूचना मिलते ही धौज थानाप्रभारी दयानंद अपनी टीम के साथ कुछ ही देर में गगन के घर जा पहुंचे और उन्होंने सब से पहले मकान में गगन को ढूंढ निकाला और उसे पास के अस्पताल ले गए. उसी दौरान उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले की सूचना दी. सूचना मिलने पर थोड़ी देर में जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और फोरैंसिक टीम भी वहां पहुंच गई. फोरैंसिक टीम द्वारा अपना काम निपटाने के बाद पुलिस ने दोनों लाशें पोस्टमार्टम के लिए भेज दीं. इस के बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर थानाप्रभारी ने जांच शुरू कर दी. पुलिस ने सक्षम से उस के पिता का मोबाइल नंबर ले कर टेक्निकल टीम को दे दिया. टीम ने ट्रेसिंग कर के नीरज की लोकेशन का पता लगा लिया.

घटना के 9 घंटे बाद डीएलएफ और धौज की क्राइम ब्रांच की टीमों ने 22 अक्तूबर को एनआईटी फरीदाबाद से दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. पत्नी के बर्ताव से उपजी कलह इस हत्या के दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद उन से पूछताछ के दौरान इस पूरे हत्याकांड की वजह सामने आई. दरअसल, नीरज और उस की पत्नी आयशा के जीवन में सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन नीरज के मन में आयशा को ले कर उसे शक होता था. आयशा अकसर अपने बचपन के दोस्तों के साथ फोन पर बातचीत किया करती थी. कई बार वह बातों में इतनी मशगूल हो जाती थी कि आयशा का ध्यान नीरज पर होता ही नहीं था.

इस के अलावा आयशा खुले दिमाग वाली युवती थी. दोस्तों के संग बातचीत, हंसीमजाक करना उसे बेहद पसंद था. लेकिन कहीं न कहीं आयशा का इस तरह का बर्ताव करना नीरज को पसंद नहीं आता था. इसी को ले कर अकसर नीरज और आयशा के बीच झगड़े होते रहते थे. दोनों के बीच झगड़े इतने बढ़ जाते थे कि उन के बीच सुलह के लिए आयशा के मायके वालों को आना पड़ता था. इसी बीच पिछले साल, नीरज ने आयशा के भाई यानी अपने साले गगन से 10 लाख रुपए उधार भी मांगे थे. एनआईटी फरीदाबाद का रहने वाला नीरज अपने इलाके में एक टेलर मैटेरियल की दुकान खोलना चाहता था, जिस के लिए उसे पैसों की जरूरत थी.

उस ने गगन से पैसे ले कर साल भर में वापस करने की बात भी कही थी. लेकिन जब एक साल से ज्यादा का समय हो गया तो गगन नीरज को पैसे लौटाने के लिए कहने लगा. कोरोना की वजह से धंधा नहीं चलने के कारण नीरज के पास गगन को लौटाने के लिए पैसा इकट्ठे नहीं हो सके. वह गगन को आज कल कह कर हर दिन पैसे लौटाने की बात किया करता, लेकिन वह पैसों का जुगाड़ नहीं कर पा रहा था. ये बात कहीं न कहीं गगन को भी समझ आ गई थी कि उस के जीजा के पास पैसे नहीं है. सास भी मारती थी ताने जब यह बात उस ने अपने घर वालों को बताई तो आएशा की मां सुमन ने नीरज को ताना मारना शुरू कर दिया. सुमन और गगन के साथसाथ आएशा को जब कभी मौका मिलता, वे सब उसे पैसे लौटाने के लिए कहते, नहीं तो उसे किसी न किसी बहाने ताने मारते थे.

यही नहीं, पिछले एक साल से आयशा अपने बेटे सक्षम के साथ अपने मायके में ही थी. दोनों के बीच झगड़े के बाद आयशा अपने बेटे को ले कर अपने मायके रहने के लिए आ गई थी. और यह बात नीरज को काफी खटकने लगी थी. ये सब देखते हुए और इन सभी चीजों से परेशान हो कर उस ने इस हत्याकांड की प्लानिंग अपने दिमाग में ही रच ली थी. पूरी प्लानिंग के चलते नीरज ने बीते कुछ दिनों से ससुराल के लोगों को राजीनामे के बहाने अपनी बातों में फंसाना शुरू कर दिया, ताकि उस पर कोई शक न कर सके.

इसी के चलते 15-16 दिन पहले नीरज ससुराल के लोगों से राजीनामा करने के बहाने मोहब्ताबाद गया और पूरी कोठी को अपनी नजरों में उतार लिया था. उस ने इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए पैसों का लालच दे कर अपने करीबी दोस्त लेखराज को भी इस में शामिल कर लिया था. इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए नीरज ने एक महीने पहले हापुड़ से 35 हजार रुपए में 2 देसी तमंचे, 2 चाकू और कुछ कारतूस खरीद लिए थे.

नीरज ने कभी न तो हथियार रखे और न ही चलाए थे, लेकिन पत्नी के चरित्र और पैसे के लेनदेन के चलते तीनों की हत्या करने के लिए उस ने तमंचा चलाना भी सीख लिया था. फिर उस ने 21 अक्तूबर, 2021 की रात को घटना को अंजाम दे दिया. कोई भी जीवित न बचे, इसलिए नीरज और लेखराज ने गोली चलाने के साथसाथ चाकुओं से भी वार किए सास सुमन को एक गोली लगी और चाकू के कई वार किए गए. आयशा को 2 गोली लगी थीं. राजन शर्मा को एक गोली सीने में लगी, जबकि गगन के कमर में गोली लगी थी.

नीरज को अनुमान था कि इस गोली से गगन की मौत हो जाएगी. लेकिन वह जीवित बच गया. दोनों आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. Family Dispute

 

Police Story : जिस्म सौंप कर इंतकाम लेने वाली पुलिस वाली

Police Story : हैडकांस्टेबल शिवाजी माधवराव सानप के साथ अय्याशी करने वाली कांस्टेबल शीतल पांसरी का स्वार्थ पूरा नहीं हुआ तो उस के दिल पर ऐसी चोट लगी कि इंतकाम लेने के लिए उस ने एक नहीं बल्कि 2 मर्दों को अपने जिस्म का लालच दे कर अपने इंतकाम की आग बुझाई.

शिवाजी माधवराव सानप (54) मुंबई पुलिस के नेहरू नगर थाने में हैडकांस्टेबल के पद पर तैनात था. वह पुणे में रहता था. वहीं से रोजाना ड्यूटी के लिए अपडाउन करता था. पुणे से वह बस से पनवेल जाता था, फिर पनवेल से दूसरी बस पकड़ कर कुर्ला पहुंचता और कुर्ला से लोकल ट्रेन के जरिए वह नेहरू नगर थाने पहुंचता. आनेजाने के लिए उस का रुटीन ठीक उसी तरह तय था, जैसे सुबह उठ कर लोग दैनिक काम करते हैं. 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के कारण काफी भागदौड़ रही. दिन भर की थकान के बाद वह उस रात भी कुर्ला स्टेशन से उतरने के बाद पनवेल के लिए बस पकड़ने के लिए लगभग रात के साढ़े 10 बजे सड़क से गुजर रहा था.

तभी सड़क पार करते समय एक तेज रफ्तार नैनो कार ने शिवाजी को इतनी जोर की टक्कर मारी कि उस का शरीर हवा में उछलता हुआ सड़क के किनारे दूर जा गिरा. इस बीच शिवाजी को टक्कर मारने वाली कार हवा की गति से नौ दो ग्यारह हो गई. शिवाजी सानप गंभीर रूप से घायल हो गया. आनेजाने वाले कुछ राहगीरों ने यह माजरा अपनी आखों से देखा था. लिहाजा वहां मोजूद हुए लोगों में से किसी ने उसी समय पुलिस कंट्रोल रूम को इस की सूचना दे दी. पहले पीसीआर की गाड़ी आई जिस ने घायल शिवाजी को पास के एक अस्पताल में भरती करा दिया. लेकिन कुछ देर की जद्दोजहद के बाद आखिरकार शिवाजी की को मृत घोषित कर दिया गया.

मामला बिलकुल सीधासाधा सड़क हादसे का दिख रहा था, इस में शक की कोई गुंजाइश भी नहीं लग रही थी. लिहाजा पनवेल शहर पुलिस स्टेशन के सीनियर पीआई अजय कुमार लांडगे ने सड़क दुर्घटना का मामला दर्ज करवा दिया. शिवाजी के कपड़ों की तलाशी लेने के बाद जेब से उस का महाराष्ट्र पुलिस का परिचय पत्र, आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज मिले थे. इस से पुलिस को उस की पहचान कराने में भी ज्यादा जहमत नहीं उठानी पड़ी. सड़क दुर्घटना का केस दर्ज करने के बाद पनवेल पुलिस स्टेशन ने पुणे में रहने वाले शिवाजी के घर वालों को भी हादसे की खबर कर दे दी. अगली सुबह ही शिवाजी सानप की पत्नी गायित्री अपने भाई व रिश्तेदारों को ले कर पनवेल पुलिस स्टेशन पहुंची, जहां उन्हें हादसे के बारे में बताया गया.

पुलिस ने विभाग का आदमी होने के कारण जल्दी ही शिवाजी के शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव उस के परिजनों का सौंप दिया. 1-2 दिन गुजरने के बाद अचानक शिवाजी की पत्नी गायित्री अपने भाई के साथ पनवेल पुलिस स्टेशन पहुंची और सीनियर पीआई अजय कुमार लांडगे से मुलाकात की. गायत्री ने अपने मन में छिपे शक का इजहार करते हुए कहा, ‘‘सर, मेरे पति का ऐक्सीडेंट नहीं हुआ उन की हत्या की गई है. हत्या भी इस तरह कि लोगों को लगे कि ये सड़क दुर्घटना है.’’

यह सुन कर अजय लांडगे के होंठों पर हलकी सी मुसकान तैर गई. वह बोले, ‘‘देखो गायत्री, मैं तुम्हारा दुख समझता हूं. तुम्हारे पति की मौत हुई है और तुम्हारे दिमाग की हालत अभी ठीक नहीं है. लेकिन इस का मतलब ये नहीं कि तुम्हारे पति की हत्या हुई है. भला तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है. सड़कों पर हर रोज ऐसे हजारों ऐक्सीडेंट होते हैं, लेकिन इस का मतलब ये तो नहीं कि सब हत्या कही जाएंगी.’’

‘‘हां साहब, इस की वजह मैं आप को बताती हूं,’’ कहने के बाद गायत्री ने इंसपेक्टर कुमार लांडगे को जो कुछ बताया, उसे सुन कर लांडगे की आंखें फैल गईं.

कुछ देर शांत रहने के बाद इंसपेक्टर लांडगे ने कहा, ‘‘ठीक है गायत्री, तुम ने जो कुछ बताया, अगर वो सच है तो हम इस की जांच करेंगे. अगर तुम्हारे पति की मौत हत्या है तो तुम्हें इंसाफ जरूर मिलेगा और कातिल जेल की सलाखों के पीछे होगा.’’ इंसपेक्टर लांडगे ने उसी दिन पनवेल डिवीजन के एसीपी भगवत सोनावने को शिवाजी की पत्नी और उस के साले के इस शक के बारे में जानकारी दे कर यह भी बता दिया कि उन्हें क्यों शक है कि शिवाजी की मौत सड़क हादसा नहीं बल्कि मर्डर है.

सुनने के बाद एसीपी सोनावने भी सोच में पड़ गए, ‘‘लांडगे साहब, हम ऐसे ही किसी पर हाथ नहीं डाल सकते, क्योंकि हमारे पास कोई सबूत नहीं हैं. आप ऐसा करो, एक टीम तैयार करो और जरा पता करो कि इन आरोपों में कितनी सच्चाई है.’’

शिवाजी की पत्नी के कहने पर पनवेल पुलिस ने जांच तो शुरू कर दी, लेकिन खुद लांडगे के पास अभी भी इस केस को सड़क दुर्घटना नहीं मानने के लिए कोई सबूत नहीं था. हालांकि पुलिस को अभी तक यह भी नहीं पता था कि शिवाजी का ऐक्सीडेंट जिस कार से हुआ था, वह कौन सी कार थी. लेकिन कहानी में पहला ट्विस्ट तब आया, जब इंसपेक्टर लांडगे को पता चला कि शिवाजी सानप के ऐक्सीडेंट वाले स्थान से 2 किलोमीटर की दूरी पर एक सुनसान जगह पर उसी रात एक नैनो कार जली हालत में मिली.

संबंधित चौकी के स्टाफ से जानकारी मिलने के बाद लांडगे सोच में पड़ गए. लांडगे एक ही रात में शिवाजी तथा ऐक्सीडेंट स्पौट से करीब 2 किलोमीटर दूर एक जली हुई कार के मिलने की कडि़यों को जोड़ने की कोशिश कर रहे थे. इस के अगले ही दिन जब शिवाजी की पत्नी गायत्री ने यह शक जताया कि उस के पति की मौत सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि सोचीसमझी साजिश के तहत की गई है तो पुलिस मौत की जांच का काम करने में जुट गई. जिस जगह यह हादसा हुआ था, पुलिस ने उस के आसपास लगे तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकालनी शुरू कर दी. पुलिस ने थाना नेहरू नगर के ड्यूटी औफिसर और शिवाजी के परिवार वालों से शिवाजी के आनेजाने के रुटीन का पता किया कि वह पुणे से नेहरू नगर पुलिस स्टेशन कैसे आताजाता था.

इस के बाद उन्होंने नेहरू नगर थाने से ले कर कुर्ला स्टेशन तक जितने भी सीसीटीवी लगे थे, सब को चैक किया. यह एक लंबी कवायद थी, लेकिन मामला चूंकि अपने ही विभाग से जुड़े हैडकांस्टेबल की संदिग्ध मौत से जुड़ी जांच का था, लिहाजा पुलिस ने कोई कसर नहीं छोड़ी. करीब 250 सीसीटीवी फुटेज को खंगालने के बाद 15 अगस्त की रात शिवाजी कुर्ला रेलवे स्टेशन से बाहर निकलने की एक फुटेज कैमरे में मिल ही गई.

जांच आगे बढ़ी तो पनवेल के बस स्टैंड पर बस पकड़ने के लिए पैदल चलते एक और सीसीटीवी कैमरे में उन की फुटेज मिल गई. कडि़यों को जोड़ते हुए सड़क को कवर करने वाले सीसीटीवी कैमरों को भी खंगालना शुरू किया तो एक कैमरे में वह वारदात भी कैद मिली, जिस में शिवाजी को तेज रफ्तार नैनो कार कुचलती हुई आगे निकली थी. इस से एक बात साफ हो गई कि घटना वाली रात करीब 2 किलोमीटर दूर जो नैनो कार जली मिली, उस का संबंध शिवाजी सानप से ही था. अब नेहरू नगर सीनियर पीआई अजय कुमार लांडगे को यह समझ आने लगा कि शिवाजी के परिवार ने उन की हत्या की जो आशंका जताई थी, उस में जरूर सच्चाई छिपी थी क्योंकि अगर शिवाजी की मौत सिर्फ हादसा होती तो नैनो कार को जलाने की जरूरत ही नहीं थी.

यानी साफ था कि कातिल सबूत मिटाने के लिए कत्ल के लिए इस्तेमाल हुई कार को जला कर सबूत खत्म करना चाहता था. पुलिस ने जब कुछ और कैमरों को खंगाला तो पता चला कि उस में 2 लोग सवार थे. पुलिस ने एक्सपर्ट की मदद से कार में बैठे दोनों लोगों की तसवीर जूम कर के तैयार करवाई. पहले पुलिस ने अपने रिकौर्ड खंगाले कि कहीं ऐसा तो नहीं किसी पुराने अपराधी ने शिवाजी से अपनी पुरानी दुश्मनी निकालने के लिए उन की योजनाबद्ध तरीके से हत्या कर दी हो. पुलिस रिकौर्ड में जितने भी अपराधी दर्ज थे, सीसीटीवी से मिले फोटो कहीं भी मैच नहीं हुए.

इस दौरान पुलिस की एक दूसरी टीम जो इस बात की जांच कर रही थी कि शिवाजी सानप की तैनाती कहांकहां रही और उन का रिकौर्ड कैसा था. इस बिंदु पर तफ्तीश करने वाली पुलिस टीम को एक और कहानी पता चली. कहानी के मुताबिक, साल 2019 में शीतल पंचारी नाम की एक महिला कांस्टेबल ने शिवाजी के खिलाफ 2 अलगअलग पुलिस थानों में 2 रिपोर्ट लिखाई थीं. ये दोनों रिपोर्ट छेड़खानी और यौनशोषण की थी. नई कहानी सामने आने के बाद पुलिस ने 2019 में झांकने का फैसला किया, तब एक नई कहानी सुनने को मिली.

दरअसल, 2019 तक शिवाजी सानप और शीतल पंचारी मुंबई के नेहरू नगर पुलिस स्टेशन में एक साथ काम करते थे. इन दोनों के बीच काफी गहरे रिश्ते भी थे. लेकिन फिर अचानक रिश्तों में काफी कड़वाहट आ गई. दोनों के बीच झगड़े होने लगे और इसी झगड़े के बाद 2019 में शीतल ने 2 अलगअलग पुलिस थानों में शिवाजी के खिलाफ रिपोर्ट लिखा दी. यह बात शिवाजी की पत्नी और साले को भी पता थी. यही वजह है कि दोनों ने यह शक जताया कि शिवाजी की मौत सड़क हादसा नहीं, बल्कि कत्ल है और इस कत्ल में शीतल का हाथ होने का उन्होंने इशारा किया था.

पनवेल पुलिस स्टेशन नवी मुंबई के जोन-2 एरिया में आता है जिस के डीसीपी हैं शिवराज पाटिल. मामला चूंकि एक पुलिस वाले की मौत का था और शक की सुई विभाग की ही एक महिला कांस्टेबल की तरफ घूम रही थी. इसलिए इंसपेक्टर लांडगे और एसीपी भगवत सोनावने ने शीतल पंचारी के बारे में डीसीपी पाटिल को बताया गया तो उन्होंने लांडगे को क्लीन चिट दे दी कि कोशिश कर के शीतल के खिलाफ पहले सबूत एकत्र करें, उस के बाद ही उस पर हाथ डालें.

लेकिन अभी तक शीतल के खिलाफ केवल शक था. पुलिस के पास कोई सबूत नहीं था कि वह उसे कातिल ठहरा सके. इसीलिए इंसपेक्टर लाडंगे ने अपनी टीम को बड़ी खामोशी के साथ शीतल के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के काम पर लगा दिया. शीतल उस समय शस्त्र शाखा में काम करती थी. पुलिस ने शीतल के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा ली. इतना ही नहीं, उस के सोशल मीडिया अकांउट का पता लगा कर उस में भी झांकना शुरू किया, कोशिश रंग लाई. शीतल के इंस्टाग्राम पर पुलिस को एक मर्द का चेहरा और एक पोस्ट नजर आई, जिस का नाम धनराज यादव था. पुलिस ने शीतल के परिचितों को खंगालना शुरू किया तो जानकारी मिली कि धनराज यादव पेशे से एक बस ड्राइवर है.

शीतल की इंस्टाग्राम पर धनराज से दोस्ती हुई थी. लेकिन हैरानी की बात यह थी कि शीतल ने धनराज से दोस्ती करने के 5 दिनों बाद ही उस से शादी कर ली. यह बात 2019 के आखिर की है. यह अपने आप में हैरानी की बात जरूर थी. इंसपेक्टर लांडगे को लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं धनराज यादव ने ही अपनी पत्नी के साथ हुए यौन शोषण का बदला लेने के लिए शिवाजी की सड़क हादसा कर हत्या कर दी हो. वह पेशे से ड्राइवर भी था. पुलिस को लगने लगा कि कातिल अब उस से एक हाथ की दूरी पर है. गुपचुप तरीके से शीतल के जानकारों से पुलिस ने पता कर लिया कि धनराज तमिलनाडु का रहने वाला है.

शादी के सिर्फ एक महीने बाद ही धनराज रहस्यमय तरीके से अचानक शीतल को छोड़ कर तमिलनाडु चला गया. उस के बाद धनराज को किसी ने नहीं देखा. डीसीपी शिवराज पाटिल को केस की इस नई जानकारी का पता चलने पर एक टीम को तमिलनाडु भेज दिया गया. एक सप्ताह तक सुरागरसी करतेकरते पुलिस टीम आखिर तमिलनाडु में धनराज के घर तक पहुंच गई और उसे पकड़ कर मुंबई पनवेल ले आई.

हालांकि पुलिस ने नैनो कार में बैठे जिन 2 लोगों की सीसीटीवी फुटेज हासिल की थी, उन से धनराज का चेहरा कहीं भी मेल नहीं खाता था. लेकिन फिर भी उस से पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ तो उस ने कुबूल कर लिया कि उस ने इंस्टाग्राम पर कांस्टेबल शीतल से दोस्ती करने के बाद 5 दिनों में ही शादी कर ली थी, लेकिन एक महीने के बाद ही वह शीतल को छोड़ कर अपने गांव चला गयाथा.

‘‘क्यों, ऐसा क्यों किया तुम ने?’’ इंसपेक्टर लांडगे ने सवाल किया.

‘‘सर, मैं बहुत डर गया था. पहले तो दोस्ती करने के बाद इतनी जल्द मेरे जैसे ड्राइवर से एक पुलिस वाली के शादी करने का राज ही मेरी समझ में नहीं आया था. लेकिन शादी के 5 दिन बाद ही जब शीतल ने मुझ से एक खतरनाक काम करने के लिए कहा तो मेरी समझ में आ गया कि उस ने अपना काम कराने के लिए मुझ से शादी की है और मुझे हथियार बनाना चाहती है.’’ धनराज ने सहमते हुए एकएक राज उगलना शुरू कर दिया.

उस ने बताया कि शीतल ने उसे शिवाजी सानप द्वारा अपने यौनशोषण की कहानी सुना कर भावुक कर दिया था. इस के बाद शीतल ने उस से कहा कि अगर वह उस से प्यार करता है तो वह अपनी पत्नी के साथ हुई नाइंसाफी का बदला ले और शिवाजी को ट्रक से कुचल कर मार दे. यह सुन कर धनराज बहुत डर गया… क्योंकि वह मुंबई शहर में रोजीरोटी कमाने के लिए आया था. ऐसे में एक कत्ल वह भी पुलिस वाले का… ऐसा सुनते ही धनराज के रोंगटे खड़े हो गए. उस ने शीतल को समझाया, ‘‘शीतल, जो हुआ उसे भूल जाओ. यह सब जान कर भी तुम्हारे लिए मेरा प्यार कम नहीं हुआ है. वैसे भी यह काम बहुत रिस्क वाला है मैं ने जीवन में कभी ऐसा काम नहीं किया है… सोचो मैं ने यह काम कर भी दिया तो एक न एक दिन भेद खुल जाएगा. फिर मैं और तुम दोनों ही पकड़े जाएंगे.’’

लेकिन शायद शीतल के ऊपर शिवाजी से इंतकाम लेने का जुनून इस कदर सवार था कि वह आए दिन धनराज पर दबाव डालने लगी कि चाहे जैसे भी हो, उसे शिवाजी की हत्या करनी ही होगी. वह तो पेशे से ड्राइवर है इसलिए किसी को भी शक नहीं होगा. अगर पकड़े भी गए तो केवल लापरवाही से हुई दुर्घटना का केस चलेगा. इसी तरह 3 सप्ताह गुजर गए. धनराज अजीब पशोपेश में था. क्योंकि वह दिल से नहीं चाहता था कि ऐसा गलत काम करे. उसे अब इस बात का भी डर सताने लगा था कि अगर वह लगातार शीतल का काम करने से मना करता रहा तो वह कहीं उसे पुलिस विभाग में अपनी तैनाती का फायदा उठा कर किसी झूठे आरोप में फंसवा कर जेल न भिजवा दें.

उस के सामने अब यह भी साफ हो गया था कि शीतल ने उस से शादी अपना यह काम करवाने के लिए ही की थी. लिहाजा एक दिन डर की वजह से धनराज अपनी नौकरी छोड़ कर सारा सामान समेट कर अपने गांव तमिलनाडु भाग गया. धनराज से पूछताछ के बाद पुलिस एक बार फिर अंधेरे मोड़ पर खड़ी हो गई. क्योंकि पुलिस पहले ही इस बात की तसदीक कर चुकी थी कि 2019 में तमिलनाडु जाने के बाद धनराज कभी अपने राज्य से बाहर या मुंबई नहीं गया था.

‘‘अच्छा, तुम ये दोनों फोटो देख कर बताओ कि इन में से किसी को पहचानते हो? ये उस कार में बैठे लोगों की फोटो हैं जिस से शिवाजी का ऐक्सीडेंट हुआ था.’’

धनराज से पूछताछ के बाद निराश इंसपेक्टर लांडगे ने धनराज को सीसीटीवी से हासिल हुई दोनों संदिग्धों की फोटो दिखाईं तो धनराज बोला, ‘‘अरे सर, ये तो विशाल है. मैं 2019 में शीतल से शादी के बाद जिस सोसाइटी में रहता था, उसी सोसाइटी के चौकीदार बबनराव का बेटा है ये.’’

पूरी तरह से निराश हो चुके इंसपेक्टर लांडगे के चेहरे पर धनराज का जवाब सुनते ही अचानक चमक आ गई. अब उन्हें लगने लगा कि शिवाजी सानप हत्याकांड की गुत्थी सुलझ जाएगी. धनराज की इस गवाही से जब डीसीपी पाटिल को अवगत कराया गया तो उन्होंने तत्काल पुलिस कमिश्नर को इस पूरे केस की जानकारी दे कर शीतल की गिरफ्तारी का आदेश हासिल कर लिया. 12 सितंबर की रात पुलिस ने ताबड़तोड छापेमारी कर पहले शीतल को हिरासत में लिया, उस के बाद उसी रात विशाल बबनराव जाधव को. उन दोनों से पूछताछ के बाद गणेश लक्ष्मण चव्हाण उर्फ मुदावथ को भी हिरासत में ले लिया.

इन लोगों के पास से पुलिस ने 3 मोबाइल फोन, एक कार और कुछ कपड़े बरामद किए. तीनों ने कड़ी पूछताछ में शिवाजी सानप की हत्या का गुनाह कुबूल कर लिया. शिवाजी माधवराव सानप की सड़क दुर्घटना में मौत का मामला पनवेल पुलिस ने भादंसं की धारा 302 व 201 में दर्ज कर लिया. अगले दिन तीनों को कोर्ट में पेश करने के बाद 7 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया. इस दौरान पुलिस ने घटना की एकएक कडि़यों को जोड़ कर तीनों आरोपियों के खिलाफ कड़े सबूत एकत्र करने का काम किया.

इन से की गई पूछताछ के बाद इस अपराध की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली— शीतल पंचारी महाराष्ट्र के जलगांव की रहने वाली थी. स्नातक की पढ़ाई करने के बाद उसे महाराष्ट्र पुलिस में नौकरी मिल गई. 28 साल की शीतल 4 साल नौकरी के बाद जब 2018 में नेहरू नगर थाने में तैनात हुई तो उस की दोस्ती जल्द ही अपने ही थाने में तैनात हैडकांस्टेबल शिवाजी माधवराव सातप से हो गई. दोनों की दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई और दोनों के बीच जिस्मानी रिश्ता भी कायम हो गया. दोनों के बीच लंबे समय तक प्यार की कहानी चली.

उन दोनों के रिश्ते के बारे में अब विभाग में भी चर्चा होने लगी थी. शीतल के साथ काम करने वाले साथी पुलिसकर्मी भी अब उसे शिवाजी का माल कह कर चिढ़ाने लगे थे. ऐसे में बदनामी बढ़ती देख एक दिन शीतल ने शिवाजी से कहा कि हम दोनों के संबंधों को ले कर अब लोग अंगुलियां उठाने लगे हैं, इसलिए हमें अब शादी कर लेनी चाहिए. यह सुनते ही शिवाजी को झटका लगा. क्योंकि वह तो पहले से ही शादीशुदा था, उस के 2 बच्चे भी थे. लिहाजा शादी की बात सुनते ही शिवाजी ने शीतल को डपट दिया और बोला, ‘‘संबध रखने हैं तो रखो नहीं तो छोड़ दो. लेकिन मैं किसी भी हालत में शादी नहीं कर सकता. क्योंकि मैं अपनी पत्नी से बेहद प्यार करता हूं.’’

शादी से इंकार की बात सुनते ही शीतल शिवाजी पर बिफर पड़ी. क्योंकि शिवाजी ने ऐसी कड़वी बात कह दी थी, जिस ने शीतल के तन, मन और आत्मा को बुरी तरह झुलसा दिया था. शिवाजी ने तंज कसा था, ‘‘शादी से पहले जो औरत एक हैडकांस्टेबल के नीचे लेट सकती है वह अपना काम निकलवाने के लिए तो न जाने कितने बड़े अफसरों के नीचे लेटेगी. अपनी प्यार करने वाली बीवी को छोड़ कर ऐसी औरत से कौन शादी करेगा?’’

उस दिन शिवाजी और शीतल में खूब लड़ाई हुई और उसी दिन से दोनों के बीच दूरियां आ गईं. चूंकि शीतल के शिवाजी से संबंधों की बात पूरे थाने को और विभाग के दूसरे लोगों को भी पता थी. इसलिए खुद को पाकसाफ दिखाने के लिए शीतल ने पहले उस के खिलाफ उसी नेहरू नगर थाने में छेड़छाड़ की धारा 354 तथा उस के बाद कल्याण थाने में बलात्कार की धारा 376 में शिकायत दर्ज करवा दी थी. इन दोनों ही शिकायतों पर शिवाजी सानप के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई. शीतल के साथ संबंधों की जानकारी शिवाजी के परिवार तक पहुंच गई थी.

चूंकि शिवाजी सातप तेजतर्रार हैड कांस्टेबल था. मुंबई पुलिस में कई सीनियर अफसरों के साथ रहते हुए उस ने कई गुडवर्क किए थे, इसलिए वे तमाम अधिकारी उसे पसंद करते थे. सभी को ये भी पता था कि शिवाजी के शीतल के साथ संबंध थे, लेकिन उस ने कभी शीतल से जबरदस्ती नहीं की थी. यही कारण रहा कि ऐसे तमाम अधिकारियों के दबाव में शिवाजी के खिलाफ की गई शीतल की शिकायत ठंडे बस्ते में डाल दी गई. जब काफी वक्त गुजर गया और शीतल को लगने लगा कि शिवाजी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ कर वह उसे सजा नहीं दिलवा पाएगी तो उस ने खुद ही उसे सजा देने का निर्णय कर लिया.

शीतल पहले ही नेहरू नगर थाने से आर्म्स यूनिट में अपना तबादला करा चुकी थी. मन ही मन वह किसी ऐसी तरकीब पर विचार करने लगी, जिस से वह शिवाजी से अपने अपमान का इंतकाम भी ले सके और उस पर आंच भी ना आए. इसी सोचविचार में काफी वक्त गुजर गया. अचानक उसे खयाल आया कि क्यों न शिवाजी को सड़क हादसे में करवा दिया जाए. एक बार इस खयाल ने मन में जगह बनाई तो रातदिन वह इसी रास्ते से शिवाजी से बदला लेने की साजिश रचने लगी.

इसी साजिश के तहत उस ने ट्रक ड्राइवर का पेशा करने वाले धनराज यादव की इंस्टाग्राम पर प्रोफाइल देखी तो साजिश का खाका उस के दिमाग में फिट बैठ गया. शीतल ने शिवाजी को रास्ते से हटाने के लिए हथियार के रूप में धनराज को मोहरा बनाने के लिए पहले इंस्टाग्राम पर रिक्वेस्ट भेज कर धनराज से दोस्ती की और 5 दिन बाद ही उस ने धनराज को शादी के लिए प्रपोज भी कर दिया. चंद रोज के भीतर दोनों ने शादी कर ली.

एक हफ्ते बाद ही शीतल ने धनराज को शिवाजी की कहानी सुनाई और कहा कि वह उस से बदला लेना चाहती है. तुम ड्राइवर हो, तुम से सड़क हादसा हो जाए तो तुम पर कोई शक भी नहीं करेगा. लेकिन धनराज तैयार नहीं हुआ और डर कर अपने गांव भाग गया. शीतल का पहला दांव ही खाली चला गया. जिस मकसद से उस ने धनराज से शादी की थी, वह अधूरा रह गया. पर वह किसी भी कीमत पर शिवाजी से बदला लेना चाहती थी. इसी उधेड़बुन में काफी वक्त गुजर गया. इसी बीच मुंबई में 2020 की शुरुआत से कोविड महामारी का प्रकोप फैलने लगा.

कोविड का पहला दौर ठीक से खत्म भी नहीं हुआ था कि महामारी की दूसरी लहर भी शुरू हो गई. जून महीने के बाद जब हालत कुछ सुधरने लगे तो शीतल के दिमाग में फिर से शिवाजी से बदला लेने की धुन सवार हो गई. शीतल खुद इस काम को अंजाम नहीं देना चाहती थी, इसलिए अबकी बार उस ने दूसरा मोहरा चुना अपनी सोसाइटी के सिक्योरिटी गार्ड बबनराव के बेटे विशाल जाधव को. दरअसल, सोसाइटी में आतेजाते शीतल ने एक बात नोटिस की थी कि गार्ड बबनराव का 18 साल का बेटा विशाल जाधव उसे चोरीछिपी नजरों से देखता है. शीतल एक खूबसूरत और जवान युवती थी. किसी मर्द की नजर को वह भलीभांति जानती थी कि उन नजरों में उस के लिए कौन सा भाव छिपा है.

अचानक विशाल के रूप में शीतल को शिवाजी से बदला लेने का दूसरा हथियार नजर आने लगा. उस ने मन ही मन प्लान कर लिया कि अब विशाल को कैसे अपने काबू में करना है. एक जवान और जिस पर कोई लड़का पहले से ही निगाह लगाए हो, उसे काबू में करना तो बेहद आसान होता है. कुछ रोज में ही विशाल पूरी तरह शीतल के काबू में आ कर उस के आगेपीछे मंडराने लगा. शीतल ने विशाल की आंखों में अपने लिए छिपी जिस्मानी भूख को पढ़ लिया था. थोड़ा तड़पाने के बाद उस ने जब विशाल की इस जिस्मानी भूख की ख्वाहिश को पूरा कर दिया तो इस के बाद विशाल पूरी तरह उस के इशारे पर नाचने लगा.

विशाल के पूरी तरह मोहपाश में फंसते ही एक दिन शीतल ने उसे भी भावुक कर के हैडकांस्टेबल शिवाजी द्वारा अपनी इज्जत लूटने की एक झूठी कहानी सुना कर अपना बदला लेने के लिए उकसाना शुरू कर दिया. शीतल के प्यार में विशाल पागल था, लिहाजा लोहा गर्म देख कर जब कई बार विशाल से प्यार की खातिर शिवाजी से बदला लेने के लिए कहा तो एक दिन विशाल ने उस का काम करने के लिए हामी भर दी, लेकिन साथ ही कहा कि इस काम के लिए उसे एक और साथी की जरूरत पड़ेगी और इस में कुछ पैसा भी खर्च होगा.

शीतल ने तुरंत हां कर दी. बस इस के बाद शीतल ने शिवाजी को खत्म करने की साजिश को अमली जामा पहनाने का काम शुरू कर दिया. विशाल ने इस काम के लिए अपने एक दोस्त गणेश चौहान से बात की. गणेश तेलंगाना से रोजीरोटी की तलाश में मुंबई आया था. संयोग से कोरोना महामारी के कारण उन दिनों उस के पास कोई कामकाज नहीं था और पैसों की बड़ी तंगी थी.

जब विशाल ने उसे बताया कि उन्हें किसी का ऐक्सीडेंट करना है इस के बदले अच्छीखासी रकम मिलेगी तो मजबूरी में दबा गणेश भी तैयार हो गया. दोनों से शीतल ने मुलाकात की. शिवाजी को ठिकाने लगाने के लिए शीतल ने विशाल को 50 हजार और गणेश को 70 हजार रुपए एडवांस दे दिए. जिस के बाद विशाल और गणेश ने सब से पहले शिवाजी का पीछा करना शुरू किया. उस के आनेजाने के समय को नोट किया. इस के बाद उन्होंने तय किया कि वो कुर्ला से पनवेल के बीच ही शिवाजी को मार डालेंगे. इस काम के लिए शीतल ने उन्हें एक सेकेंडहैंड नैनो कार खरीदवा दी. और 15 अगस्त की रात को इस खौफनाक वारदात को अंजाम दे दिया गया.

प्लान के मुताबिक 15 अगस्त, 2021 की रात साढ़े 10 बजे पनवेल रेलवे स्टेशन से मालधक्का जाने वाली सड़क पर शिवाजी को उन की नैनो कार से जोरदार टक्कर मार दी. संयोग से राष्ट्रीय अवकाश के कारण व कम रोशनी के कारण कोई न तो यह देख सका कि टक्कर किस नंबर की कार से लगी है. शिवाजी को टक्कर मारने के वक्त शीतल एक दूसरी कार से पीछा करते हुए पूरा नजारा देख रही थी. उस ने सड़क पर घायल शिवाजी को देख कर ही समझ लिया था कि वह जिंदा नहीं बचेगा.

योजना के मुताबिक ऐक्सीडेंट करने के बाद करीब 2 किलोमीटर आगे जा कर विशाल व गणेश ने नैनो कार पर पैट्रोल डाल कर पूरी तरह जला दी ताकि कोई सबूत पीछे न छूटे. वारदात के बाद दोनों का पीछा कर रही शीतल उन्हें कार जलाने के बाद अपनी कार में बैठा कर साथ ले गई और उन्हें उन के घर छोड़ दिया. बाद में पुलिस ने जब शीतल, विशाल व गणेश के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा कर उन के मोबाइल की लोकेशन देखी तो उन की मौजूदगी उसी जगह के आसपास दिखी, जहां शिवाजी सानप का ऐक्सीडेंट हुआ था. पुलिस ने रिमांड अवधि में पूछताछ के बाद तीनों को न्यायालय में पेश कर दिया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. Police Story

—कथा पुलिस की जांच व आरोपियों से पूछताछ पर आधारित

 

Delhi Crime : पति बनाता रहा वीडियो, पत्नी ने फंदे पर लटकर लगा ली फांसी

Delhi Crime : एक ऐसी सनसनीखेज घटना सामने आई है जिस ने रिश्तों शर्मनाक कर रख दिया है. जहां एक पत्नी ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी, वहीं उस का पति उसी समय उस का वीडियो बना रहा था. आखिर क्या है इस आत्महत्या केस का सच जिस ने सबको झकझोर कर रख दिया है? आइए जानते हैं इस अपराध से जुड़ी पूरी जानकारी विस्तार से.

यह हैरान कर देनी वाली घटना दिल्ली के गाजीपुर से  सामने आई है. जहां बिहार के भागलपुर के कहलगांव की रहने वाली 31 साल की चांदनी ने सुसाइड कर लिया. चांदनी की शादी मुजफ्फरपुर जिला के पिपरा थाना क्षेत्र के निवासी सुनील राय के बेटे विधानराय राय से 12 साल पहले हुई थी. हाल ही में उसने माइक्रोफाइनेंस से करीब 4 लाख का लोन लिया था. इसी लोन को विद्यानंद चुका नहीं पा रहा था. रोजरोज फाइनेंस कर्मी की तरफ से फोन आ रहे थे. इसी लोन को चुकाने के लिए चांदनी पति से कहती तो दोनों के बीच विवाद शुरू हो जाता था. इसी विवाद ने पत्नी की जान ले ली.

सुसाइड वीडियो में सामने आया कि विद्यानंद चांदनी को फांसी के लिए उकसाता हुआ देखा गया है.जब वह  फंदे पर लटकर अपनी जान दे रही थी तो उसी समय उस का पति विद्यानंद वीडियो बना रहा था. वीडियो में उस की बेटी रो रही थी. एक मिनट और 12 सेकंड की वीडियो में देखा गया है कि चांदनी बाल्टी पर चढ़कर पंखे के ऊपर फंदा बना रही थी. बेटी मां को देख रो रही थी तो पिता ने डांट कर उसे चुप करा दिया और वीडियो बनाता रहा.

पुलिस के अनुसार, आरोपी पति को अरेस्ट कर लिया गया है और उस से पूछताछ की जा रही है. वहीं मृतका के भाई राकेश ने बताया है कि बहन के देवर ने धमकी दी है कि अगर तुम लोग दिल्ली आए तो जान से मार डालेंगे. फिलहाल पुलिस ने मृतका की डेड बौडी को कब्जे में ले कर मोर्चरी में रख दिया है. पुलिस पूरे मामले की जांच विस्तार से कर रही है. Delhi Crime

Delhi Crime : पार्किंग विवाद से हुआ खूनी हमला और डौग अटैक

Delhi Crime : एक मामूली पार्किंग विवाद ने एक खतरानाक रूप ले लिया, जहां एक शख्स को न सिर्फ बेरहमी से पीटा गया बल्कि उस पर कुत्ते से हमला भी करवाया गया. आखिर कौन हैं ये हैवानियत पर उतर आए लोग? आइए जानते हैं इस सनसनीखेज वारदात की पूरी कहानी.

यह सनसनीखेज घटना दिल्ली से सामने आई है, जहां उत्तरपूर्वी दिल्ली के वेलकम स्थित सुभाष पार्क में 15 सितंबर, 2025 को  रात के समय पार्किंग विवाद ने खूनी रूप ले लिया. शालू स्वामी नाम के व्यक्ति ने अपने दोस्तों संग पड़ोसी अरविंद राठौर (53) के परिवार पर हमला बोल दिया. आरोपी ने पहले लाठीडंडों और लोहे की रौड से मारपीट की, फिर शालू ने अपने पालतू विदेशी नस्ल के रोटवीलर कुत्ते को भी परिवार पर छोड़ दिया. इस हमले में अभी तक 6 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन में से एक की हालत नाजुक बनी हुई है.

पुलिस के अनुसार, यह घटना 15 सितंबर सोमवार को रात करीब साढ़े 11 बजे हुई, जब बाइक पार्किंग को ले कर शालू और अरविंद में गालीगलौज हो गई. अरविंद ने यह बात बेटे केतन (32 वर्ष) को बताई. केतन वहां पहुंचा तो शालू और केतन के बीच झगड़ा बढ़ गया. इस के बाद शालू ने फोन करके डालने दोस्तों को भी बुला लिया. फिर उन्होंने लाठीडंडों और लोहे की रौड से केतन पर हमला कर किया.

केतन की चीख सुनकर उस के परिवार वाले बचाने पहुंचे, तभी आरोपियों ने उस के पिता अरविंद, भाई आशीष (30), चाचा पंकज (45), चचेरे भाई हर्ष (21) और पत्नी निशा (30) पर बेरहमी से हमला कर दिया. इतना ही नहीं शालू ने विदेशी नस्ल के खतरनाक कुत्ता भी उन पर छोड़ दिया. जिस से केतन और उस के फेमिली वाले गम्भीर रूप से घायल हो गए. हमले के बाद आरोपी व उस के साथी मौके से फरार हो गए. वेलकम थाना पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है. Delhi Crime

Bihar Crime News : सोते हुए बीए की छात्रा का रेता गला

Bihar Crime News : एक ऐसा हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिस ने पूरे बिहार को हैरान कर रख दिया है. जहां एक बीए की छात्रा का सोते हुए अपराघियों ने गला रेत कर मार डाला. आखिर क्या वजह थी, जिस से अपराधियों ने सोते हुए ही उस का गला रेतना पड़ा? चलिए पढ़ते हैं, क्राइम से जुड़ी इस पूरी स्टोरी को विस्तार से

यह सनसनीखेज घटना बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर कस्बा के बहबल बाजाल से देर रात सामने आई है. जहां बीए फाइनल ईयर की छात्रा तन्नू कुमारी का सोते हुए गला रेत दिया गया, जिस से उस की मौके पर ही मौत हो गई. अपराधी रात के समय घर के पास आए और खिड़की से अंदर प्रवेश किया और घटना को अंजाम दे कर फरार हो गए. बेटी को बचाने आई उस की मम्मी पर अपराधियों ने हमला कर दिया, जिस से वह भी घायल हो गई.

आप को बता दें कि तन्नू मूल रूप से बिहार के पूर्वी चंपारण के मधुबन थाना के डोलमा गांव की निवासी थी, लेकिन बीए की पढ़ाई के सिलसिले से वह मम्मी के साथ मीनापुर में किराए का मकान ले कर रह रही थी. जबकि तन्नू के पापा भरत प्रसाद डोलमा गांव में ही रहते हैं.

एसएसपी राजेंद्र कुमार सिंह प्रभाकर ने बताया कि अभी तन्नू के कातिल का पता नहीं चल सका है. लेकिन 3 अज्ञात लोगों के खिलाख रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है. पुलिस कुछ संदिग्ध लोगों से  पूछताछ भी कर रही है. कातिलों ने खिड़की को तोड़ कर घर के अदंर घुस कर वारदात को अंजाम दिया था. पुलिस को सूचना मिली तो वह मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू कर दी है.

तन्नू के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. उस की मम्मी का कहना है कि अपराधी दुबलेपतले थे. पुलिस अब जांच कर रही है. Bihar Crime News

Crime News : शादियां कर जिस्म के धंधे में धकेलीं 200 लड़कियां

Crime News : बीएसएफ और एनजीओ की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश से हर साल 50 हजार लड़कियां भारत समेत दुबई आदि देशों में जिस्मफरोशी के लिए धकेल दी जाती हैं. ऐसा ही मानव तस्कर मुनीर है जो 200 लड़कियों का जिस्म की मंडी में बेच चुका है. आखिर कौन है मुनीर?

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित स्पैशल इनवैस्टिगेशन टीम (एसआईटी) के आला अधिकारियों द्वारा भोपाल में सितंबर 2021 के अंतिम सप्ताह में एक अहम बैठक की गई. इस दौरान मानव तस्करी समेत हनीट्रैप के बढ़ते मामले को ले कर चिंता जताई गई. राज्य में विगत कुछ माह में ऐसे मामले बढ़ गए थे. राजधानी भोपाल और दूसरे बड़े शहर इंदौर एवं ग्वालियर में एमएलए, एमपी, ब्यूरोक्रेट, बिजनैसमैन या बड़े उद्योगपति को लड़की द्वारा सैक्स जाल में फंसाने और उन से वसूली की कई शिकायतें आ चुकी थीं.

अधिकतर मामलों में लड़की द्वारा फार्महाउस, गेस्ट हाउस, रेंटेड फ्लैट या होटल के कमरे में अवैध सैक्स के वीडियो छिपे कैमरे से बनाए जाते थे. फिर उन से मोटी रकम वसूली जाती थी. इस काम को बड़े ही सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा था. जबकि पुलिस के बड़े अफसरों पर ऐसे गिरोह को धर दबोचने का पौलिटिकल प्रेशर भी बना हुआ था. कब कौन किस तरह से हनी ट्रैप का शिकार हो जाए, कहना मुश्किल था. वे टेक्नोलौजी, ऐप्स और सोशल साइटों का इस्तेमाल करते हुए बच निकलते थे.

इसी तरह पिछले कुछ महीनों से आए दिन होटल, गेस्टहाउस, स्पा और मसाज सेंटर से सैक्स रैकेट का भी भंडाफोड़ हो रहा था. दूसरे राज्यों से आई जिस्फरोशी में लिप्त लड़कियां वहां से पकड़ी जा रही थीं, लेकिन उन का सरगना गिरफ्त से बाहर था. 2-3 से ले कर कभी 11, तो कभी 15 या 21 पकड़ी गई लड़कियों में अधिकतर बांग्लादेश की होती थीं. वे वहां तक कैसे पहुंचीं, उन का मुखिया कौन है, उन के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं होती थी. यहां तक कि वे ठीक से हिंदी भी नहीं बोल पाती थीं. अपना सही पताठिकाना तक नहीं बता पाती थीं.

इन्हीं सब बातों को ले कर एसआईटी की बुलाई गई विशेष बैठक में बडे़ अफसरों ने इंदौर, भोपाल और ग्वालियर की पुलिस को आड़ेहाथों लिया था. उन्हें जबरदस्त डांट पिलाई थी. उसी सिलसिले में सैंडो, आफरीन एवं अन्य में मुनीरुल का का नाम भी सामने आया. उस का पुकारू नाम मुनीर था. वही कई एजेंटों का सरगना भी था. इस पर यह सवाल भी उठा कि मुनीर पिछले 11 महीने से क्यों फरार है, जबकि उस पर 10 हजार रुपए का ईनाम भी है. वह पकड़ा क्यों नहीं गया? उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर में इंदौर के विजय नगर और लसूडि़या इलाके में सैक्स रैकेट के खिलाफ औपरेशन चलाया गया था. तब कुल 15 लड़कियां पकड़ी गई थीं.

उन से मिली जानकारी के आधार पर ही उन आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे. उस वक्त मुख्य आरोपी मुनीर भाग निकला था. उसे पकड़ने के लिए 10 हजार रुपए ईनाम की भी घोषणा की गई थी. उस के बाद ही इंदौर में हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट और मानव तस्करी की जांच के लिए डीआईजी ने दिसंबर 2020 में ही एसआईटी बनाई थी. इस में पूर्व क्षेत्र के एएसपी राजेश रघुवंशी, विजय नगर सीएसपी राकेश गुप्ता, एमआईजी टीआई विजय सिसौदिया और विजय नगर टीआई तहजीब काजी को रखा गया था. फिर एसआईटी ने सैक्स रैकेट के खिलाफ एक अभियान छेड़ दिया था और जगहजगह सैक्स रैकेट के अड्डों पर लगातार छापेमारी की गई.थी, लेकिन मुनीर पकड़ा नहीं जा सका था. वह पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर हमेशा बच निकलता था.

एसआईटी को मुनीर के सूरत में छिपे होने की सूचना मिली थी. वह बारबार अपना ठिकाना बदलने में माहिर था, उस की लोकेशन की पूरी जानकारी पुख्ता होने के बाद ही एसपी ने उसे पकड़ने के निर्देश दिए.  इस के लिए टीम ने एक सप्ताह तक सूरत में डेरा डाल दिया. टीम को बताया गया था कि वह अपना धंधा वीडियो कालिंग के जरिए करता है. वाट्सऐप से मैसेज करता है. इसे ध्यान में रखते हुए उस की ट्रैकिंग पूरी मुस्तैदी के साथ मोबाइल टेक्नोलौजी का इस्तेमाल करते हुए की जानी चाहिए. जरा सी भी चूक या नजरंदाजी से वह बच निकल सकता था.

टीम के एक्सपर्ट पुलिसकर्मियों ने आखिरकार मोबाइल लोकेशन के आधार पर उसे 30 सितंबर, 2021 की रात को पकड़ ही लिया. पकड़े जाने पर उस ने पहले तो अपनी पहचान छिपाने की हरसंभव कोशिश की, किंतु इस में वह सफल नहीं होने पर तुरंत रुपए ले कर छोड़ने का दबाव बनाया. इस में भी उसे सफलता नहीं मिली. अंतत: टीम उसे पकड़ कर पहली अक्तूबर को इंदौर के पुलिस हेडक्वार्टर ले आई. इंदौर में एसआइटी के सामने सख्ती से पूछताछ में उस ने कई ऐसे राज खोले, जिसे सुन कर सभी को काफी हैरानी हुई. उस ने मानव तस्करी से ले कर लड़कियों को डरानेधमकाने, प्रताडि़त करने, यौन उत्पीड़न किए जाने, बांग्लादेश का बौर्डर पार करवाने,

देह के बाजार के लिए बिकाऊ बनाने के वास्ते ट्रेनिंग देने और कानून को झांसा देने के लिए फरजी शादियां करने तक के कई खुलासे किए. उस के अनुसार जो तथ्य सामने आए वे इस प्रकार हैं. मूलत: बांग्लादेश का रहने वाला मुनीर पिछले 5 सालों से मानव तस्करी के धंधे में था. बांग्लादेश के जासोर में उस का पुश्तैनी घर है. गर्ल्स स्मगलिंग में तो वह एक माहिर और मंझा हुआ खिलाड़ी था. उस की नजर हमेशा बांग्लादेश के वैसे गरीब परिवारों पर टिकी रहती थी, जिन में लड़कियां होती थीं. उन की उम्र 16-17 के होते ही उन के परिवार वालों को भारत में काम दिलाने के बहाने अच्छी कमाई का लालच दे कर मना लेता था.

शक से बचने के लिए कई बार लड़कियों को वह दुलहन बना कर लाता था. इस के लिए बाकायदा निकाहनामा साथ रखता था, लड़की का पासपोर्ट और टूरिस्ट वीजा बनने में अड़चन नहीं आती थी, भारत में ला कर उन्हें लड़कियों की मांग के आधार पर मुंबई, आगरा, अहमदाबाद, सूरत, इंदौर, भोपाल, दिल्ली आदि में सप्लाई कर देता था. वह भारत में रहते हुए भारत-बांग्लादेश के पोरस बौर्डर पर बने नाले या तार के बाड़ों से हो कर गुप्त रास्ते से पश्चिम बंगाल से सटे बांग्लादेश आताजाता रहता था. इस कारण अपने पसंद की लड़कियों को भी आसानी से बौर्डर पार करवा लेता था.

लड़कियों को एक दिन अपने पास के गांव में एजेंटों के यहां ठहरा देता था. फिर पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद ला कर उन्हें महाराष्ट्र और गुजरात में पहले से तैनात एजेंटों को 75 से एक लाख रुपए में बेच देता था. कुंवारी लड़कियों की कीमत अधिक मिलती थी. कुछ लोग उन लड़कियों का नकली आधार कार्ड और दूसरे कागजात बनाने का काम भी करते थे. एजेंट उन्हें ग्राहकों के सामने पेश करने से पहले दुलहन की तरह सजातासंवारता था. हल्दी उबटन लगा कर स्नान आदि के बाद अच्छे ग्लैमरस कपड़ों में रईस ग्राहकों के पास भेज देता था.

हालांकि इस के लिए सभी लड़कियों को नौकरी के लिए इंटरव्यू का झांसा ही दिया जाता था. जो ऐसा करने से इनकार करती थी या भागने का प्रयास करती थी, उन्हें भूखाप्यासा कमरे में बंद रखा जाता था. बाद में उसे मजबूरन देहव्यापार के धंधे में उतरना पड़ता था. इंदौर के विजय नगर में छापेमारी के दौरान पकड़ी गई 11 लड़कियों में एक लड़की ने पुलिस को अपनी आपबीती सुनाई थी. उस ने बताया था कि साल 2009 में वह 15 साल की थी. उस की मां का निधन हो गया था. तब वह नौवीं कक्षा में पढ़ रही थी. पिता पहले ही गुजर चुके थे.

मां की मौत के बाद वह एकदम से अनाथ हो गई थी. पढ़ाई बंद चुकी थी. पढ़ना चाहती थी. स्कूल की फीस भरने की चिंता में वह एक दिन पेड़ के नीचे बैठी रो रही थी. तभी उस के पास एक युवती आई. उस से बोली कि बांग्लादेश में कुछ नहीं रखा है. यहां से अच्छा भारत है. वहां बहुत तरह के काम मिल जाते हैं. कंपनियों में अच्छी नौकरी मिल जाती है. कुछ नहीं हुआ तो मौल या बड़ेबड़े होटलों या अस्पतालों में काम मिल जाता है. वहां चाहे तो पढ़ाई भी कर सकती है. वहां दूसरे देशों से आए लोगों के लिए सरकार ने कई शहरों में शेल्टर बना रखे हैं. दिल्ली में तो बांग्लादेशियों के रहने का एक बड़ा मोहल्ला बसा हुआ है.

इसी के साथ युवती ने अपने बारे में बताया कि भारत अकसर आतीजाती रहती है. वहीं उस ने एक युवक से शादी कर ली है. वह भी बांग्लादेशी है. बिल्डिंग बनाने की ठेकेदारी का काम करता है. अच्छी आमदनी हो जाती है. दूर बैठे एक युवक की तरफ इशारा करते उस ने लड़की को बताया कि वह उस का शौहर है. अज्ञात युवती ने लड़की को उस की भी अच्छी शादी हो जाने के सपने दिखाए. उस ने कहा कि भारत में रह रहे बांग्लादेश के कई अविवाहित युवक चाहते हैं कि वह अपने ही देश की लड़की से शादी करे.

वह लड़की न केवल पूरी तरह से उस युवती और युवक की बातों में आ गई, बल्कि वह उन के साथ भारत जाने को राजी भी हो गई. उसे अगले रोज सूरज निकलने से पहले इंडोबांग्ला बौर्डर तक पहुंचने के लिए कहा गया. उस ने ऐसा ही किया, किंतु उसे बौर्डर तक पहुंचने में पूरी रात पैदल चलना पड़ा. वहीं युवकयुवती उस का इंतजार करते हुए मिल गए और उसे बौर्डर पार करवा दिया. कुछ समय बाद ही लड़की उन के साथ मुर्शिदाबाद चली गई. वहीं उसे एक दूसरे आदमी के यहां ठहराया गया और एकदूसरे को मियांबीवी बताने वाले दंपति चले गए. दोनों फिर लड़की को कभी नहीं मिले.

लड़की को जिस व्यक्ति के पास ठहराया गया था, वहां अगले रोज एक दूसरा युवक आया. उस का परिचय मुनीर नाम के व्यक्ति से करवाया गया. उस के साथ लड़की का निकाह करवा दिया गया. लड़की को बताया गया कि इस से उस के भारत में रहने और ठहरने का प्रमाणपत्र बन जाएगा.  फिर मुनीर नवविवाहिता लड़की के साथ गुजरात के सूरत शहर चला आया. मुनीर ने लड़की को अपने साथ 2 दिनों तक एक किराए के कमरे में रखा. इस बीच मुनीर ने उसे छुआ तक नहीं. उसे सिर्फ इतना बताया गया कि दोनों को मुंबई जाना है.

तीसरे दिन मुनीर ने लड़की को एक व्यक्ति के हाथों बेच दिया. लड़की को कहा कि उसे उस के साथ जाना होगा, वहीं उस की नौकरी लग जाएगी. सूरत का कुछ जरूरी काम निपटा कर 2 दिन बाद वह भी आ जाएगा. लड़की को मुनीर भी दोबारा कभी नहीं मिला. इस बात को मुनीर ने भी पूछताछ के दौरान स्वीकार कर लिया था. उस ने बताया कि तब उस का इस धंधे में रखा गया पहला कदम ही था, जिस में उसे सफलता मिलने के बाद उस का उत्साह बढ़ गया था. अब उसे तो याद भी नहीं है कि ऐसी शादी उस ने और कितनी लड़कियों के साथ की है. लड़कियों को ट्रैप करने और उन्हें बहलाफुसला कर अपने जाल में फंसाने के लिए वह तरहतरह के तरीके अपनाता था.

मोबाइल के सहारे वह सारा काम निपटाता था, लेकिन हर महीने 2 महीने पर नया सिम बदल लेता था. उस का टारगेट होता था कि हर महीने कम से कम 50 लड़कियों को बांग्लादेश से ट्रैप करे और उन्हें मानव तस्करी में शामिल एजेंटों के हाथों बेच डाले. इसी के साथ उस ने स्वीकार कर लिया कि वह 200 से अधिक लड़कियों को जिस्मफरोशी में धकेल चुका है. देखते ही देखते वह पुलिस की निगाह में बांग्लादेशी लड़कियों का एक बडा तस्कर बन चुका था. छापेमारी के दौरान जब भी बांग्लादेशी लड़कियां गिरफ्तार होतीं, तब उस का नाम जरूर आता था.

मुनीर का एक बड़ा नेटवर्क था, जिस में ज्यादातर पुरुष थे, लेकिन उन में 20 फीसदी के करीब महिलाएं भी थीं. एजेंट महिलाएं बांग्लादेश में लड़कियों को फंसाने और बांग्लादेश के गांवों से बौर्डर तक पहुंचाने या फिर भारत में बौर्डर के पास के इलाके मुर्शिदाबाद तक लाने का ही काम करती थीं. वे औरतें बौर्डर पर तैनात बीएसएफ के जवानों के लिए खानेपीने का सामान ला कर देती थीं. बदले में लड़कियों को बौर्डर पार करने की थोड़ी छूट मिल जाती थी. एजेंटों द्वारा लड़कियों को मानव तस्करी के लिए जैसोर और सतखिरा से बांग्लादेश में गोजादंगा और हकीमपुर लाया जाता है. कारण वहां के बौर्डर पर कंटीले तारों के बाड़ नहीं लगे हैं. साथ ही वहां की अबादी भी घनी है.

इस कारण रोजाना की जरूरतों के लिए भारत और बांग्लादेश में लोगों का आनाजाना लगा रहता है. उसे बेनोपोल बौर्डर के नाम से जाना जाता है, दक्षिणपश्चिम के  इस हिस्से में खुली जमीन होने के कारण लोग बौर्डर को आसानी से पार लेते हैं. बौर्डर पर पकड़े जाने पर लोग 200 से 400 टका (बांग्लादेश की मुद्रा) दे कर आसानी से छूट जाते हैं. मानव तस्करी के लिए बदनाम अन्य जिलों में कुरीग्राम, लालमोनिरहाट, नीलफामरी, पंचगढ़ी, ठाकुरगांव, दिनाजपुर, नौगांव, चपई नवाबगंज और राजशाही भी है. पुलिस ने पुकारू और मुनीर से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश कर दिया. Crime News

Agra Crime News : भांजे को नीले ड्रम में बंद कर पेट्रोल छिड़क कर जला डाला

Agra Crime News : एक सनसनी घटना सामने आई है, जिस ने रिश्तों को तारतार कर रख दिया है. एक मामा ने नीले ड्रम में भांजे को जला कर मार डाला. जिस ने भी इस घटना के बारे में सुना, वह हैरान रह गया. आखिर क्यों एक मामा ने भांजे को जला कर मार डाला. इस मर्डर मिस्ट्री का पूरा सच क्या है? आइए जानते हैं, पूरी स्टोरी को विस्तार से

यह दिल दहला देने वाली घटना उत्तर प्रदेश के आगरा जिले से सामने आई है. जहां एक मामा देवीराम ने भांजे राकेश की पहले तो हत्या कर दी, फिर वह उस के शव को नीले ड्रम में भरकर सुनसान जगह पर ले गया और पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी.

 

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा कि शव पूरा जल चुका था. शव की पहचान करना मुश्किल था. इसलिए पुलिस ने जले हुए अवशेषों से डीएनए टेस्ट कराया.

ऐसे हुई शव की शिनाख्त

आप को बता दें कि 18 फरवरी, 2024 को आगरा के मलपुरा से राकेश नाम का युवक अचानक घायब हो गया था. उस के पापा ने  बेटे की गुमशुदगी की सूचना थाना मलपुरा में में दर्ज कराई. इस के बाद पुलिस ने उस की बहुत तलाश की, लेकिन उस का कोई पता नहीं चल सका तो पुलिस ने अपहरण और का केस दर्ज कर लिया. कई दिनों बाद पुलिस को मलपुरा क्षेत्र में एक जला हुआ शव मिला और उस के पास सामान भी बरामद हुआ. उसी सामान के आधार पर पुलिस ने राकेश के पापा और गांव वालों से पूछताछ की तो पता चला कि ये सामान राकेश का ही है. पुलिस ने बरामद लाश के अवशेषों और राकेश की मम्मी का डीनएन टेस्ट कराया तो रिपोर्ट से पुष्टि हो गई कि जिस युवक को जलाया था वह राकेश ही था. 20 महीने बाद पुलिस ने इस हत्या कांड का खुलासा किया.

इस के बाद पुलिस ने गांव के लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि राकेश का गांव में रहने वाले देवीराम के साथ झगड़ा हुआ था. इस के बाद पुलिस ने देवीराम से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. देवीराम ने पुलिस को बताया की राकेश रिश्ते में उस के साले का बेटा था तो उस का घर में आना जाना लगा रहता था. इसी आने जाने की वजह से राकेश ने उस की 16 साल की बेटी के नहाते हुए वीडियो बना लिया था. उसी वीडियो के आधार पर वह उसे ब्लैकमेल कर रहा था.

इस की जानकारी मिलते उस ने अपने भतीजे संग मिल कर भांजे राकेश का कत्ल करने की योजना बनाई. उस ने राकेश को बेटी के साथ शादी कराने के बहाने रात को हलवाई की दुकान पर बुलाया फिर मफलर और तार से गला घोंट दिया और नीले ड्रम में भरकर लाश को सुनसान जगह पर ले जा कर पेट्रोल छिड़कर जला डाला.

पुलिस के द्वारा आरोपी मामा को अरेस्ट कर लिया गया है और जांच भी की जा रही है. दूसरा आरोपी न्यूज़ लिखे जाने तक फरार था. Agra Crime News

Family Crime : अवैध संबंधों में ली बेटी की जान

Family Crime : दादी के जिस कमरे में अभिरोज सोया करती थी, उसी कमरे में ज्योति ने पहले तकिए से अभिरोजप्रीत का गला दबा दिया. जब वह मरणासन्न अवस्था में हो गई तो उस ने रसोई से नमक कूटने वाली वजनी चीज से उस के सिर, मुंह, पांव, हाथ और अंगुलियों पर वार किए. उस ने उस बच्ची के हाथों और दोनों पांवों को भी तोड़ दिया. जब अभिरोज की मृत्यु हो गई तो उस की लाश को बड़ी बाल्टी में डाल कर स्कूल के पास एक वीरान छप्पर के अंदर फेंक आई. हत्या की इस खबर से गांव रामपुराफूल में सनसनी फैल गई.

पंजाब के अमृतसर के गांव रामपुराफूल से 15 मई, 2023 की रात 10 बजे अमृतसर पुलिस को सूचना मिली कि उन के गांव की 7 साल की अभिरोजप्रीत कौर, जो गांव के ही सरकारी स्कूल में कक्षा 2 की छात्रा थी, 15 मई, 2023 की शाम 4 बजे ट्यूशन पढऩे घर से निकली थी, लेकिन वह अपनी ट्यूशन टीचर के पास नहीं पहुंची. वह रास्ते में ही गायब हो गई थी. जब रात के 10 बजे तक भी उस का कोई पता नहीं चला तो उस के घर वालों ने थाने में आ कर उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

गुमशुदगी दर्ज हो जाने के बाद पुलिस हरकत में आ गई. पुलिस ने गांव में घरों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक की तो उस में एक नया ऐंगल सामने आया. पुलिस को पता चला कि एक आदमी बाइक चला रहा था. बीच में एक बच्ची बैठी थी और बच्ची के पीछे एक औरत थी, जिस ने बच्ची को पकड़ रखा था.

इस बीच पुलिस ने अगवा हुई बच्ची के बारे में और जानकारी जुटानी शुरू की तो पता चला कि अगवा हुई बच्ची अभिरोजप्रीत कौर के पिता का नाम अजीत सिंह था. अजीत सिंह ने 2 विवाह किए थे. उन का पहला विवाह हरजीत कौर से हुआ था. उन की एक बेटी हुई, जिस का नाम अभिजोतप्रीत कौर रखा गया था. शादी के 2 साल के बाद दोनों में आपस में मनमुटाव होने लगा. दिन प्रतिदिन दोनों के आपसी संबंध बद से बदतर होते जा रहे थे. तब दोनों ने आपसी रजामंदी से संबंध विच्छेद कर दिए. अजीत सिंह ने अपनी पहली पत्नी हरजीत कौर को तलाक दे दिया और बेटी अपने पास रख ली.

उस के बाद अजीत सिंह के घर वालों ने अजीत का दूसरा विवाह ज्योति के साथ कर दिया. सब ने यही सोचा था कि बेटी अभिजोतप्रीत कौर को एक नई मां मिल जाएगी और अजीत सिंह का जीवन पटरी पर आ जाएगा. ज्योति की एक बेटी हुई जो अभी 3 माह की थी.

मां पर हुआ बेटी की हत्या का शक

पुलिस छानबीन में जब सीसीटीवी फुटेज में एक आदमी और औरत के बीच एक छोटी बच्ची दिखाई दी तो सभी का शक अजीत सिंह की पहली पत्नी हरजीत कौर पर गया, क्योंकि अभिजीतप्रीत कौर उस की बेटी थी. पुलिस पूछताछ में यह सामने आया कि जब से अभिजोतप्रीत कौर घर से गायब हुई थी, इस की खबर उस की सगी मां को मिली थी तो वह भी बहुत चिंतित थी. पुलिस ने हरजीत कौर से पूछताछ की तो वह निर्दोष पाई गई.

इधर 7 वर्षीय अभिजोतप्रीत कौर के अचानक गायब होने के बाद यह मामला सोशल मीडिया में सुर्खियों में छाता जा रहा था. अभिजोतप्रीत कौर की सौतेली मां बार बार मीडिया से अपनी बेटी को खोजने की रोरो कर गुहार लगा रही थी. ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की ओर से पुलिस पर दबाव बनाया जा रहा था. पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए जाने लगे थे.

इस के बाद पुलिस इस केस में पूरी मुस्तैदी से जुट गई और अपने मुखबिरों को भी काम पर लगा दिया. इधर अभिजोतप्रीत कौर की सौतेली मां ज्योति उस की फोटो मीडिया के सामने प्रस्तुत कर के रोरो कर अपनी बेटी को तलाशने का गुहार लगा रही थी.

सीसीटीवी कैमरे से पुलिस के हाथ लगा एक अहम सुराग

पुलिस ने पूरे गांव को सील कर के घरघर सघन तलाशी का अभियान चलाया. पूरे शहर भर में अभिजोत प्रीत कौर को ढूंढा गया, मगर पुलिस के पास हाथ अब तक कोई भी सुराग नहीं लग पाया था. लेकिन बाद में पुलिस के हाथ एक अहम सुराग लग गया. ज्योति के घर के सामने लगे सीसीटीवी कैमरे में सौतेली मां ज्योति एक बाल्टी में बच्ची के शव को ले जाते हुए दिखाई दी. उस के करीब 20 मिनट बाद वह खाली बाल्टी ले कर अपने घर पर आती दिखाई दी. सीसीटीवी फुटेज देखने के के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि अभिजोतप्रीत कौर के गायब होने में उस की सौतेली मां की भूमिका है.

कत्ल का सबूत हाथ में आते ही अमृतसर पुलिस ने हत्यारी मां ज्योति को हिरासत में ले कर उस से कड़ी पूछताछ की तो सारा मामला उजागर हो गया. उस ने अभिजोतप्रीत कौर की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. पुलिस ने उस की निशानदेही पर गांव के स्कूल के पास से बच्ची की लाश बरामद कर ली. इस के बाद एसएसपी सतिंदर सिंह ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर पत्रकारों को अभिजोतप्रीत की हत्या का खुलासा कर दिया.

सौतेली मां देती थी यातनाएं

मृतका अभिरोजप्रीत कौर की नृशंस हत्या की खबर जब लोगों के सामने आई तो लोगों के दिल दहल उठे थे. इस संबंध में जानकारी देते हुए मृतका अभिरोजप्रीत कौर की ट्यूशन टीचर जगमोहन कौर ने बताया कि अभिरोजप्रीत कौर 15 मई को उस के पास ट्ïयूशन के लिए नहीं आई थी. वह गांव के सरकारी स्कूल में कक्षा 2 में पढ़ती थी. पढ़ाई में वह काफी होशियार थी और स्कूल की हर गतिविधि में हमेशा सब से आगे रहती थी.

जगमोहन कौर ने बताया कि अभिरोजप्रीत कौर की सगी मां उसे छोड़ कर चली गई तो उस के पिता अजीत सिंह ने दूसरा विवाह ज्योति के साथ कर लिया था. इस के बाद तो उस मासूम बच्ची के ऊपर दुखों और यातनाओं का पहाड़ ही टूट पड़ा था. सौतेली मां ज्योति उसे यातनाएं दिया करती थी. इस के बारे में जब अभिरोजप्रीत कौर की दादी को पता चला तो वह हर रोज उसे स्कूल में छोडऩे और छुट्टी के वक्त घर लाया करती थीं. दादी का उस के प्रति काफी लगाव था. दादी स्कूल में दिन में भी उसे देखने आती रहती थी. उस की हर बात का, उस के हर सामान, कौपीकिताब, ड्रेस, खानेपीने का दादी विशेष ख्याल रखती थीं.

इस बीच दादी की तबीयत काफी खराब हो गई और उन्हें अस्पताल में भरती कराना पड़ा. क्योंकि उन के स्टेंट पडऩे थे, इसलिए वह पिछले 10 दिनों से आईसीयू में वेंटिलेटर पर थीं. इसी बात का फायदा उठाते हुए सौतेली मां ज्योति ने अभिरोजप्रीत कौर की हत्या कर डाली. बेटी की मौत पर गमगीन पिता अजीत सिंह को गहरा सदमा लगा. उन्होंने बताया कि यह सोच कर ज्योति से विवाह किया था कि बेटी को भी एक मां मिल जाएगी, जो उस का सही तरह से लालनपालन कर सकेगी. लेकिन ज्योति ने शुरू से ही अभिरोजप्रीत को सच्चा प्यार नहीं दिया. बातबात पर उस से वह नाराज हो जाया करती थी. हर समय वह उसे डांटतीफटकारती रहती थी, इसलिए मेरी बेटी अपनी दादी के कमरे में ही सोया करती थी. दादी उसे बहुत प्यार करती थीं.

मां अवैध संबंधों पर डालना चाहती थी परदा

पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर पता चला कि ज्योति की मौसी की बेटी प्रिया (काल्पनिक नाम) गांव के किसी युवक के साथ प्रेम करती थी. उन दोनों प्रेमियों को अभिरोजप्रीत ने एक दिन आपत्तिजनक हालत में देख लिया था. तब बहन ने यह बात ज्योति को बता दी थी. इस पर ज्योति अभिरोज को यह बात किसी को न बताने की हर समय चेतावनी देती रहती थी. बाद में ज्योति ने यह सोचा कि कहीं अभिरोजप्रीत ने अवैध संबंधों की यह बात घर वालों या गांव के किसी व्यक्ति को बता दी तो उस की बहन और उस के परिवार की सारे गांव में बदनामी हो सकती है. इसलिए उस ने अभिरोजप्रीत कौर का मर्डर करने का फैसला कर लिया.

पता चला कि दादी के जिस कमरे में अभिरोज सोया करती थी, उसी कमरे में ज्योति ने पहले तकिए से अभिरोजप्रीत का गला दबा दिया. जब वह मरणासन्न अवस्था में हो गई तो उस ने रसोई से नमक कूटने वाली वजन चीज से उस के सिर, मुंह, पांव, हाथ और अंगुलियों पर वार किए. उस ने उस बच्ची के हाथों और दोनों पांवों को भी तोड़ दिया. जब अभिरोज की मृत्यु हो गई तो उस की लाश को बड़ी बाल्टी में डाल कर स्कूल के पास एक वीरान छप्पर के अंदर फेंक आई. हत्या की इस खबर से गांव रामपुराफूल में सनसनी फैल गई.

ज्योति से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पश कर जेल भेज दिया. ज्योति की मौसेरी बहन का हत्या में कोई सहयोग था या नहीं, इस बारे में पुलिस की जांच की जारी थी. Family Crime

—कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है.