इंसाफ चाहिए इस निर्भया को – भाग 2

सालों पहले मंजू खुद भी देहधंधा करती थी, वह थी भी काफी आकर्षक. लेकिन उस के चहेतों में निर्भया के दीवानों जैसी दीवानगी नहीं थी. विचारों के भंवर में फंसी मंजू अपने 30-35 साल पुराने अतीत में खो गई थी.

तहसील टिब्बी के एक गांव में जन्मी मंजू के युवा होते ही घर वालों ने सूरतगढ़ निवासी इंद्रचंद अग्रवाल से उस की शादी कर दी थी. स्वच्छंद और आजाद खयालों वाली मंजू को ससुराल की परदा प्रथा और रोकटोक कतई पसंद नहीं आई. 7 सालों में मंजू ने 3 बेटों को जन्म दिया.

बच्चे पैदा होने के बाद मंजू की सुंदरता कम होने के बजाए और बढ़ गई थी. आखिर एक दिन ससुराल की बंदिशों से ऊब कर मंजू ने अपने दांपत्य को अलविदा कह दिया. तीनों बेटे कभी मां के पास तो कभी दादादादी के पास रह कर दिन काट रहे थे. मंजू की ज्यादातर रातें अपने आशिकों के साथ गुजर रही थीं.

मंजू का एक आशिक था बबलू. उस की दबंगई से प्रभावित हो कर मंजू उस के साथ लिवइन रिलेशन में हनुमानगढ़ के हाऊसिंग बोर्ड में रहने लगी थी. बबलू मारपीट, कब्जे करना, देहव्यापार कराना, लूटपाट और हत्या के प्रयास जैसे अपराध कर के डौन बन गया था.

मंजू भी हाऊसिंग बोर्ड इलाके में मजबूर युवतियों  से धंधा करवाने लगी तो पड़ोसियों ने उस का पुरजोर विरोध किया. इस के बाद मंजू सुरेशिया में शिफ्ट हो गई.

कहा जाता है कि सन 2006 में नारी सुख का एक तलबगार मंजू के घर पहुंचा. मंजू और उस के गुंडों ने उस दिन उस ग्राहक के लगभग 30 हजार रुपए छीन लिए थे. उस आदमी ने अपने खास दोस्त को आपबीती बताई तो वह एक नामी बदमाश को ले कर मंजू के घर  पहुंच गया.

बदमाश ने 2 दिनों में पूरी रकम लौटाने को कहा और न लौटाने पर परिणाम भुगतने की धमकी दी. अगले दिन मंजू अपनी बहू को ले कर हनुमानगढ़ के तत्कालीन एसपी के पास पहुंची और सोनू की ओर से उस आदमी और उस के साथी बदमाश के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराने का आदेश करा दिया.

लेकिन दोनों लड़के इलाके के विशिष्ट लोगों को साथ जा कर सारी सच्चाई एसपी को बताई तो मंजू का मुकदमा दर्ज नहीं हुआ.

मंजू के 2 बेटे युवा होने से पहले ही चल बसे थे. बड़े बेटे सुरेश की शादी सोनू से हुई थी. मंजू ने अपनी बहू सोनू को भी धंधे में उतार दिया था. सन 2001 में बबलू डौन पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. उस के बाद मंजू ने उस की जगह ले ली. जल्दी ही वह लेडीडौन के रूप में कुख्यात हो गई.

कारण कोई भी रहा हो, मंजू ने पुलिस वालों, छुटभैये राजनेताओं से संबंध बना लिए थे. उस बीच मंजू के खिलाफ पीटा एक्ट, ब्लैकमेलिंग, देहव्यापार, कब्जा करने आदि के मुकदमे दर्ज हुए. पर उसे सजा एक में भी नहीं हुई.

उन दिनों मंजू के सैक्स रैकेट की तूती बोलती थी. उस के यहां राजस्थान की ही नहीं, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार आदि से दलालों के माध्यम से देहव्यापार के लिए लड़कियां मंगाई जाती थीं.

‘‘मैडम, कमरे में कोई ग्राहक आप का इंतजार कर रहा है.’’ गुड्डी के कहने पर मंजू की तंद्रा टूटी. मंजू कमरे में बैठे ग्राहक के पास पहुंची. चायपानी के बाद ग्राहक ने कहा, ‘‘मैडम, आप के यहां दिल्ली से कोई माल आया है, उस के बड़े चर्चे सुने हैं. मैं उस के साथ कुछ समय बिताना चाहता हूं.’’

‘‘हां, हां क्यों नहीं, उस का रेट 10 हजार रुपए हैं.’’ मंजू ने कहा.

‘‘मैं उस के साथ पूरी रात बिताऊं तो…?’’ ग्राहक ने कहा.

‘‘जरूर बिताइए, पर रात के डबल पैसे 20 हजार रुपए लगेंगे.’’ मंजू ने कहा.

ग्राहक ने 15 हजार रुपए मंजू की हथेली पर रख दिए और निर्भया के साथ विशिष्ट कमरे में घुस गया. निर्भया के लिए वह रात बहुत ही पीड़ादायक साबित हुई. उस ग्राहक ने एक ही रात में निर्भया को जैसे रौंद डाला. हवस में पागल उस आदमी ने निर्भया को जगहजगह काट खाया था. उस के साथ कुकर्म भी किया था. उस की हैवानियत से निर्भया के संवेदनशील अंगों में रक्तस्राव शुरू हो गया था.

वह गिड़गिड़ाती रही, पर शराब के नशे में मस्त ग्राहक को उस पर दया नहीं आई. निर्भया अस्तव्यस्त हालत में बैड पर पसरी पड़ी रही. उस की पीड़ा से मंजू को कोई सरोकार नहीं था. अगली रात को उस का सौदा एक ग्राहक से पुन: कर दिया गया. वह ग्राहक भी शराब पी कर निर्भया के कमरे में पहुंचा तो उस से कपड़े उतारने को कहा.

निर्भया ने कपड़े उतारे तो उस की हालत देख कर वह पीछे हट गया. बाहर आ कर उस ने मंजू से कहा, ‘‘तू ने मेरे साथ धोखा किया है. मेरे पैसे लौटा दे अन्यथा काट कर फेंक दूंगा.’’

हकीकत जान कर मंजू के बेटे मुकेश ने कहा, ‘‘मम्मी, इन के पैसे लौटा दो.’’

‘‘अरे भई इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो? अगर वह पसंद नहीं है तो सोनू के साथ टाइम पास कर लो.’’ मंजू ने बहू की ओर इशारा कर के कहा, ‘‘और अगर पैसा ही चाहिए तो सुबह आ कर ले लेना.’’

शराबी ग्राहक बड़बड़ाता हुआ चला गया. यह 27 मार्च, 2017 की बात है.

अगले दिन रात वाला ग्राहक किसी भी समय पैसे लेने आ सकता था. मंजू नहीं चाहती थी कि घर में बखेड़ा हो. इसलिए उसे लगा कि निर्भया को कहीं दूसरी जगह पहुंचा देना चाहिए. उस के पड़ोस में सरदारी बुआ (बदला हुआ नाम) रहती थीं. उसे उन का घर सुरक्षित लगा, इसलिए वह निर्भया को साथ ले कर उन के घर जा पहुंची.

सरदारी बुआ से उस ने कहा, ‘‘बुआ, यह मेरी भांजी है. मेरी कोलकाता वाली बहन की बेटी. आज इस की मम्मी आ रही है. मैं उन्हें लेने रेलवे स्टेशन जा रही हूं. घर में अकेली बोर हो जाएगी, इसलिए आप मेरे लौटने तक इसे अपने यहां रख लो.’’

इतना कह कर मंजू चली गई. उस के जाने के बाद निर्भया लड़खड़ाते हुए सरदारी बुआ के पास पहुंची तो उसे इस तरह से चलते देख सरदारी बुआ ने उस के सिर पर हाथ रख कर पूछा, ‘‘क्या बात है बिटिया, तेरी तबीयत ठीक नहीं क्या? तेरे पैरों में चोट लगी है क्या?’’

ममत्व भरे स्पर्श से निर्भया बिलख पड़ी. सरदारी बुआ के सीने पर सिर रख कर उस ने कहा, ‘‘आंटी, जख्म पैरों में ही नहीं, पूरे बदन पर हैं. हृदय घावों से छलनी हो चुका है. मंजू मेरी मौसी नहीं, इस ने मुझे खरीदा है. आंटी मुझे बचा लो.’’

सरदारी बुआ ने दुनिया देखी थी. निर्भया ने जितना कहा था, उतने में ही वह पूरा माजरा समझ गई. उस बच्ची की पीड़ा को उन्होंने गंभीरता से लिया. उन का मन निर्भया को बचाने के लिए तड़प उठा. उन्होंने तुरंत बाल संरक्षण कमेटी के जिलाध्यक्ष एडवोकेट जोट्टा सिंह को फोन कर के अपने घर बुला लिया. नाबालिग बच्ची से जुड़ा मामला था, इसलिए वह अकेले नहीं आए थे, उन के साथ उन के साथी भी आए थे.

 

इंसाफ चाहिए इस निर्भया को – भाग 1

फोन की घंटी बजी तो अख्तर खान ने स्क्रीन पर नंबर देखा. नंबर जानापहचाना था, इसलिए उस ने तुरंत फोन रिसीव किया. तब दूसरी ओर से पूछा गया कि कौन, अख्तर खान बोल रहे हैं तो अख्तर खान ने कहा, ‘‘हां…हां गुड्डी, मैं अख्तर खान ही बोल रहा हूं. कहो, क्या आदेश है?’’

‘‘अरे खान साहब, आदेश कोई नहीं है. एक अच्छी सी बात है. एक बड़ा ही प्यारा सा माल आया है. आप शौकीन आदमी हैं, इसलिए उसे सब से पहले आप के सामने ही पेश करना चाहती हूं. आप पहले आदमी होंगे, जिस के साथ वह हमबिस्तर होगी.’’ गुड्डी ने मनुहार सा करते हुए कहा.

‘‘अरे गुड्डी, पहले माल तो दिखाओ. माल देखने के बाद ही आने, न आने के बारे में सोचूंगा.’’ अख्तर खान ने कहा.

गुड्डी ने तुरंत वाट्सऐप पर एक लड़की का फोटो भेज दिया. फोटो देख कर अख्तर खान की आंखें चमक उठीं. उस ने तुरंत पूछा, ‘‘मैडम, इस का रेट क्या होगा?’’

‘‘पूरे 10 हजार लगेंगे.’’ गुड्डी ने कहा.

‘‘गुड्डी, 10 हजार में तो किसी बिकाऊ हीरोइन को खरीदा जा सकता है. यह मुंबई से लाई गई कोई हीरोइन थोड़े ही है?’’ अख्तर खान ने कहा.

‘‘अख्तर साहब, यह हीरोइन भले नहीं है, पर हीरोइन से कम भी नहीं है. इसे दिल्ली से लाया गया है. एक बार चखोगे, तो गुलाम बन जाओगे. उस के बाद इस लड़की को ही नहीं, गुड्डी को भी नहीं भूल पाओगे. खान साहब, रेट की बात छोड़ो, अगर लड़की पसंद है तो आ जाओ. फाइनल डील तो मैडम मंजू ही करेंगी.’’ गुड्डी ने कहा.

‘‘गुड्डी मैं इस समय रावतसर ही हूं. तुम कह रही हो तो आधे घंटे में पहुंच रहा हूं. सीधे मैडम मंजू के घर ही पहुंचूंगा.’’

आधे घंटे बाद अख्तर खान हनुमानगढ़ जंक्शन के मोहल्ला सुरेशिया स्थित मंजू मैडम के घर पर था. चायनाश्ते के बाद अख्तर खान को बैडरूम में सजीधजी बैठी लड़की दिखाई गई तो उस की आंखें चमक उठीं. उस ने कुरते की जेब में हाथ डाला और 7 हजार रुपए निकाल कर मंजू के हाथों पर रख दिए. बिना किसी हीलहुज्जत के रुपए मुट्ठी में दबा कर मंजू बैडरूम से बाहर निकल गई. यह मार्च, 2017 के पहले सप्ताह की बात है.

तहसील रावतसर के गांव कल्लासर के रहने वाले सुमेरदीन का बेटा अख्तर खान रंगीनमिजाज युवक था. देहव्यापार का कारोबार करने वाली मंजू अग्रवाल और उस की सहायिका गुड्डी मेघवाल से उस की कई सालों पुरानी जानपहचान थी. अख्तर खान की खेती की जमीन में ‘जिप्सम’ के रूप में प्रचुर मात्रा में खनिज पाया गया है, जिस की वजह से इलाके में उस की गिनती धनी लोगों में होती है.

मंजू के बैडरूम में उस कमसिन लड़की के साथ घंटे, डेढ़ घंटे गुजार कर अख्तर खान संतुष्ट हो कर अपने घर लौट गया. जातेजाते उस ने मंजू और गुड्डी के प्रति आभार भी व्यक्त किया था. इस के बाद मंजू और गुड्डी द्वारा बुलाए गए कई ग्राहकों को उस लड़की ने संतुष्ट किया था.

रात हो गई थी. थक कर चूर हो चुकी उस लड़की ने लगभग रोते हुए कहा, ‘‘आंटी, अब और नहीं सह पाऊंगी शरीर का पोरपोर दर्द कर रहा है.’’

‘‘बस बेटा, आखिरी ग्राहक बचा है. वह एक बड़ा अफसर है. उस के लिए तुझे एक होटल में जाना होगा. जगतार तुझे वहां ले जाएगा. बस आधे घंटे की बात है.’’ मंजू ने सख्त लहजे में प्यार से कहा.

लड़की में मना करने की हिम्मत नहीं थी. इसलिए आधे घंटे में फ्रेश हो कर वह तैयार हो गई. जगतार उसे मोटरसाइकिल से संगम होटल ले गया. लड़की को बताए गए कमरे में पहुंचा कर वह स्वागत कक्ष में आ कर बैठ गया. आधे घंटे बाद लड़की रिशेप्शन पर आई तो जगतार उसे ले कर मंजू के घर आ गया.

2 दिन पहले ही मंजू के घर जबरदस्ती लाई गई यह लड़की बीते एक सप्ताह के हर लम्हे को याद कर के आंसुओं के सागर में गोते लगा रही थी. वहीं उस से देहव्यापार कराने वाली मंजू अग्रवाल पहले ही दिन की कमाई से निहाल हो उठी थी. एक ही दिन में उस की 22 हजार रुपए की कमाई हो चुकी थी.

लड़की, जिसे निर्भया कह सकते हैं, उसे दिल्ली से ला कर मंजू के हाथों बेचा गया था. वह मंजू के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हुई थी. 2 दिन पहले ही मंजू ने उसे दिल्ली के दलाल सुनील बागड़ी के माध्यम से गोलू और निशा से एक लाख रुपए में खरीदा था.

लेकिन मंजू ने अभी उन्हें 30 हजार रुपए ही दिए थे. बाकी के 70 हजार 15 दिनों बाद देने थे, अब तक की कमाई को देख कर मंजू को यही लगा कि उस ने जो पैसे इस लड़की पर लगाए हैं, वे 5-7 दिनों में ही निकल आएंगे. उस के बाद तो उस के घर रुपयों की बरसात होगी.

घर में निर्भया के कदम पड़ते ही मंजू के दिन फिर गए थे. उस के घर ग्राहकों की लाइन लग गई थी. एक बार जो निर्भया के साथ मौज कर लेता था, उस का दीवाना बन जाता था. उसे बाहर ले जाने के लिए मंजू ग्राहकों से मुंह मांगी रकम लेती थी. निर्भया कहीं मुंह ना खोल दे या भाग न जाए, इस के लिए 2-3 लड़के हमेशा उस पर नजर रखते थे. अगर वह ग्राहक के पास जाने से मना करती तो उसे डरायाधमकाया जाता.

मासूम और नाबालिग निर्भया शरीर के साथसाथ मानसिक रूप से भी मंजू ही नहीं, उस के गुर्गों की दासी बन चुकी थी. उस की शारीरिक कसावट और रूपलावण्य में गजब का आकर्षण था. उसे होटल में ले जाने वाला आदमी ग्राहक से पहले खुद उस के साथ मौज करता था. कमाई के चक्कर में मंजू ने उसे मशीन बना दिया था.

मंजू ने तमाम लड़कियों को अपने घर में रख कर धंधा करवाया था, लेकिन बरकत तो निर्भया के आने पर ही हुई थी. सुरेशिया इलाके में मंजू के 2 मकान थे. गुड्डी उस के पड़ोस में ही रहती थी. पहले वह मंजू के यहां देहधंधा करती थी. उम्र ज्यादा हो गई तो वह मंजू के लिए दलाली करने लगी थी. मंजू अपने ग्राहकों की हर सुखसुविधा का खयाल रखती थी.

उस ने अपने मकान के एक कमरे को फाइव स्टार होटल के कमरे की तरह सजा रखा था. वह ग्राहकों के लिए शबाब के साथसाथ शराब भी उपलब्ध कराती थी. बीते एक महीने में मंजू ने निर्भया से अपनी रकम तो वसूल कर ही ली थी, अच्छाखासा फायदा भी कमा लिया था.

निर्भया के चहेतों ने उस से शादी करने के लिए मंजू के सामने मुंहमांगी रकम देने की भी बात कही थी. मंजू तैयार भी थी, पर निर्भया का आईडी प्रूफ नहीं था, इसलिए वह शादी नहीं करवा पा रही थी. मंजू यह भी जानती थी कि एक तो निर्भया नाबालिग है, इस के अलावा वह दलित समुदाय से भी है. लेकिन अंधाधुंध कमाई के चक्कर में उस की आंखों पर परदा पड़ा हुआ था.

थाई मसाज की आड़ में : जिस्मफरोशी का काला धंधा – भाग 1

पहली अगस्त, 2017 को भीलवाड़ा के एडीशनल एसपी गोपालस्वरूप मेवाड़ा अपने औफिस में बैठे थानाप्रभारी से किसी आपराधिक मामले पर चर्चा कर रहे थे, तभी अंजान नंबर से उन के मोबाइल पर फोन आया. उस समय वह गंभीर मसले पर विचार कर रहे थे, इसके बावजूद उन्होंने फोन रिसीव कर के जैसे ही मोबाइल कान से लगाया, दूसरी ओर से फोन करने वाले ने कहा, ‘‘सर, आजकल आप शहर में रोजाना कोई न कोई बड़ा धमाका कर रहे हैं, इसलिए अपराधियों में दहशत छाई हुई है.’’

‘‘भई वह तो ठीक है, यह मेरी ड्यूटी भी है,’’ गोपालस्वरूप मेवाड़ा ने जवाब में कहा, ‘‘पर यह बताइए कि आप ने फोन क्यों किया है, आप कौन बोल रहे हैं?’’

‘‘सर, आप यही समझ लीजिए कि हम आप के शुभचिंतक हैं.’’ फोन करने वाले ने कहा.

‘‘चलो, यह भी ठीक है, पर मैं यह जानना चाहता हूं कि आप ने फोन क्यों किया है? आप को कोई शिकायत हो तो बताइए, अभी मैं थोड़ा व्यस्त हूं.’’ गोपालस्वरूप मेवाड़ा ने फोन करने वाले की चिकनीचुपड़ी बातें सुन कर पीछा छुड़ाने के लिए कहा.

society

‘‘सर, मेरी कोई शिकायत नहीं है. मैंने तो आप को यह बताने के लिए फोन किया था कि शहर में आजकल तितलियों की बहार आई हुई है.’’ फोन करने वाले ने कहा.

तितलियों की बात सुन कर एसपी साहब ने कहा, ‘‘तितलियों की बहार का क्या मतलब? तुम कहना क्या चाहते हो? जो भी कहना है, साफसाफ कहो.’’

‘‘सर, शहर में देशी ही नहीं, विदेशी तितलियां भी आने लगी हैं. ये तितलियां मसाज पार्लरों में आ रही हैं.’’ फोन करने वाले ने कहा.

‘‘क्या मसाज पार्लरों में गलत काम भी हो रहे हैं?’’ गोपालस्वरूप मेवाड़ा ने फोन करने वाले से पूछा.

‘‘सर, यह पता करना पुलिस का काम है. इस बारे में आप पता करवा लीजिए.’’ उस आदमी ने इतना कह कर फोन काट दिया.

फोन कटने के बाद गोपालस्वरूप मेवाड़ा उस आदमी की बातों पर विचार करने लगे. उन्हें मामला गंभीर लगा तो थानाप्रभारी से उस फाइल पर बाद में चर्चा करने की बात कह कर उसे भेज दिया. इस के बाद अपने खास मुखबिरों को फोन कर के यह पता लगवाया कि शहर में कहांकहां मसाज पार्लर और स्पा सैंटर चल रहे हैं, साथ ही यह भी पता करवाया कि इन मसाज पार्लरों में किस तरह की गतिविधियां चल रही हैं?

2-3 घंटे में ही उन्हें मुखबिरों से जो जानकारियां मिलीं, वे चौंकाने वाली थीं. उन्होंने तुरंत अपने सूचना तंत्र से उन जानकारियों की पुष्टि करवाई. वे जानकारियां सही निकलीं तो गोपालस्वरूप मेवाड़ा ने पुलिस अधिकारियों की एक टीम बनाई. टीम में शामिल प्रशिक्षु डीएसपी दिनेश परिहार को कुछ बातें समझा कर प्राइवेट कार से सामान्य कपड़ों में शहर के महावीर पार्क के पास स्थित स्पा पैलेस भेज दिया.

कोतवाली से करीब 3 सौ मीटर दूर स्थित इस स्पा पैलेस पर दिनेश परिहार एक पढ़ेलिखे व्यापारी की तरह कार से उतरे. उन्होंने एक नजर स्पा पैलेस की बिल्डिंग पर डाली. बाहर से वह किसी मध्यम शहर के मसाज पार्लर जैसा नजर आ रहा था. लेकिन वह स्पा पैलेस का शीशे का दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हुए तो वहां की चमकदमक देख कर दंग रह गए. अंदर दाखिल होते ही रिसैप्शन पर चुस्त पोशाक पहने बैठी युवती ने मुसकरा कर उन का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘वेलकम सर, मैं आप की क्या सेवा कर सकती हूं?’’

‘‘यार, मैं तो यहां घूमने आया था. आप के स्पा का नाम सुना तो आप से मिलने चला आया,’’ दिनेश परिहार ने एक शौकीनमिजाज नौजवान की तरह अपनी पैंट की जेब से महंगी सिगरेट का पैकेट निकालते हुए कहा, ‘‘क्या मैं यहां सिगरेट पी सकता हूं?’’

‘‘सौरी सर, यहां स्मोकिंग अलाऊ नहीं है. इसकी वजह यह है कि हमारे यहां विदेशी लड़कियां भी काम करती हैं. उन्हें स्मोकिंग से एलर्जी है. इस के अलावा हमारे कस्टमर भी ऐतराज करते हैं.’’ रिसैप्शनिस्ट ने मोहक मुसकान बिखेरते हुए कहा.

‘‘ओके, आप कह रही हैं तो हम सिगरेट नहीं पीते हैं.’’ दिनेश ने रिसैप्शन के पास दीवारों पर लगी मसाज के अलगअलग तरीकों वाली तसवीरों पर नजर डालते हुए कहा.

‘‘सर, पहले आप हमारे स्पा पर कभी नहीं आए?’’ रिसैप्शनिस्ट ने पूछा.

VIDEO : सर्दी के मौसम में ऐसे बनाएं जायकेदार पनीर तवा मसाला…नीचे देखिए ये वीडियो

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

‘‘यू आर राइट, मैं जयपुर का रहने वाला बिजनैसमैन हूं. आप के स्पा पैलेस का नाम सुना तो मसाज कराने का मूड बन गया और आप के यहां चला आया.’’ दिनेश ने रिसैप्शनिस्ट के चेहरे को गौर से देखते हुए कहा.

‘‘यस सर, योर मोस्ट वेलकम.’’ युवती ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘सर, हमारे यहां 900 रुपए एंट्री फीस लगती है. पहले आप उसे जमा करा दीजिए, उस के बाद जैसा और जिस लड़की से मसाज करवाना चाहेंगे, आप को उस का अलग से पैसा देना होगा.’’

‘‘डोंट वरी,’’ दिनेश ने पैंट की जेब से नोटों से भरा पर्स निकाल कर उस में से 5-5 सौ रुपए के 2 नोट रिसैप्शनिस्ट को देते हुए कहा, ‘‘यह लीजिए, एंट्री फीस.’’

युवती ने एक हजार रुपए कैश काउंटर में रख कर सौ रुपए का नोट लौटाते हुए कहा, ‘‘सर, योर गुडनेम प्लीज.’’

‘‘व्हाय…’’ दिनेश ने सौ रुपए का नोट युवती को देते हुए कहा, ‘‘ये आप के लिए टिप है.’’

‘‘थैंक्स सर,’’ युवती ने कहा, ‘‘हम रजिस्टर मेंटेन करते हैं, इसलिए आप का नाम जानना चाहती हूं.’’

‘‘ठीक है, आप को फार्मैलिटी करनी है तो लिख लीजिए दिनेश फ्राम जयपुर.’’ दिनेश ने जानबूझ कर सरनेम छिपाते हुए कहा.

‘‘सर, आप मोबाइल नंबर भी बता दीजिए तो हम आप को भविष्य में हमारी नई सेवाओं की समयसमय पर जानकारी देते रहेंगे.’’ युवती ने कहा.

‘‘ओह नो, आप अभी मोबाइल नंबर छोडि़ए,’’ दिनेश ने कहा, ‘‘मुझे आप की सर्विसेज पसंद आईं तो मैं खुद ही मौका मिलने पर यहां हाजिर हो जाऊंगा.’’

society

‘‘ओके सर, प्लीज सिट औन सोफा,’’ युवती ने कहा, ‘‘हमारी मसाज गर्ल आप को ब्रोशर दिखाएगी. आप उन में से पसंद कर लीजिए कि कौन सी मसाज कराएंगे.’’

दिनेश सामने रखे सोफे पर बैठ गए. रिसैप्शनिस्ट ने इंटरकौम से एक युवती को बुला कर कहा, ‘‘यह सर मसाज कराना चाहते हैं, इन से बात कर लीजिए.’’

चुस्त कपड़े पहने वह युवती ब्रोशर ले कर दिनेश के बगल में बैठ गई और अपने उभारों को दिखाते हुए बोली, ‘‘सर, आप कैसी गर्ल्स से मसाज कराना चाहेंगे, इंडियन बेबी से या फौरनर बेबी से?’’

‘‘वाव, आप के यहां फौरनर गर्ल्स भी हैं?’’ दिनेश ने चौंकते हुए कहा, ‘‘तब तो आज मजा आ जाएगा. लेकिन पहले आप उस ब्यूटी के दीदार तो कराइए.’’

‘‘सर, आप मेरे साथ आइए.’’ युवती ने उठते हुए कहा.

वह युवती दिनेश को पहली मंजिल पर ले गई, जहां गलियारे के दोनों तरफ 8-10 कमरे बने हुए थे. पांच सितारा होटलों की तरह सजे गलियारे और उन कमरों में तमाम सुविधाएं थीं. कमरों में मद्धिम रोशनी के बीच एसी के अलावा बैड, मसाज टेबल और शौवर आदि लगे हुए थे.

पटरियों पर बलात्कार : समाज में होता अपराध – भाग 1

31 अक्तूबर, 2017 की शाम भोपाल में खासी चहलपहल थी. ट्रैफिक भी रोजाना से कहीं ज्यादा था. क्योंकि अगले दिन मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस समारोह लाल परेड ग्राउंड में मनाया जाना था. सरकारी वाहन लाल परेड ग्राउंड की तरफ दौड़े जा रहे थे.

सुरक्षा व्यवस्था के चलते यातायात मार्गों में भी बदलाव किया गया था, जिस की वजह से एमपी नगर से ले कर नागपुर जाने वाले रास्ते होशंगाबाद रोड पर ट्रैफिक कुछ ज्यादा ही था. इसी रोड पर स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन के बाहर तो बारबार जाम लगने जैसे हालात बन रहे थे.

एमपी नगर में कोचिंग सेंटर और हौस्टल्स बहुतायत से हैं, जहां तकरीबन 85 हजार छात्रछात्राएं कोचिंग कर रहे हैं. इन में लड़कियों की संख्या आधी से भी अधिक है. आसपास के जिलों के अलावा देश भर के विभिन्न राज्यों के छात्र यहां नजर आ जाते हैं.

शाम होते ही एमपी नगर इलाका छात्रों की आवाजाही से गुलजार हो उठता है. कालेज और कोचिंग आतेजाते छात्र दीनदुनिया की बातों के अलावा धीगड़मस्ती करते भी नजर आते हैं. अनामिका भी यहीं के एक कोचिंग सेंटर से पीएससी की कोचिंग कर रही थी. अनामिका ने 12वीं पास कर एक कालेज में बीएससी में दाखिला ले लिया था.

उस का मकसद एक अच्छी सरकारी नौकरी पाना था, इसलिए उस ने कालेज की पढ़ाई के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी थी. सर्दियां शुरू होते ही अंधेरा जल्दी होने लगा था. इसलिए 7 बजे जब कोचिंग क्लास छूटी तो अनामिका ने जल्द हबीबगंज रेलवे स्टेशन पहुंचने के लिए रेलवे की पटरियों वाला रास्ता चुना.

रेलवे लाइनें पार कर शार्टकट रास्ते से जाती थी स्टेशन

अनामिका विदिशा से रोजाना ट्रेन द्वारा अपडाउन करती थी. उस के पिता भोपाल में ही रेलवे फोर्स में एएसआई हैं और उन्हें हबीबगंज में ही स्टाफ क्वार्टर मिला हुआ है पर वह वहां जरूरत पड़ने पर ही रुकती थी. उस की मां भी पुलिस में हवलदार हैं.

कोचिंग से छूट कर अनामिका हबीबगंज स्टेशन पहुंच कर विदिशा जाने वाली किसी भी ट्रेन में बैठ जाती थी. फिर घंटे सवा घंटे में ही वह घर पहुंच जाती थी, जहां उस की मां और दोनों बड़ी बहनें उस का इंतजार कर रही होती थीं.

रोजाना की तरह 31 अक्तूबर को भी वह शार्टकट के रास्ते से हबीबगंज स्टेशन की तरफ जा रही थी. एमपी नगर से ले कर हबीबगंज तक रेल पटरी वाला रास्ता आमतौर पर सुनसान रहता है. केवल पैदल चल कर पटरी पार करने वाले लोग ही वहां नजर आते हैं. बीते कुछ सालों से रेलवे पटरियों के इर्दगिर्द कुछ झुग्गीबस्तियां भी बस गई हैं, जिन मेें मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं. यह शार्टकट अनामिका को सुविधाजनक लगता था, क्योंकि वह उधर से 10-12 मिनट में ही रेलवे स्टेशन पहुंच जाती थी.

अनामिका एक बहादुर लड़की थी. मम्मीपापा दोनों के पुलिस में होने के कारण तो वह और भी बेखौफ रहती थी. शाम के वक्त झुग्गीझोपडि़यों और झाडि़यों वाले रास्ते से किसी लड़की का यूं अकेले जाना हालांकि खतरे वाली बात थी, लेकिन अनामिका को गुंडेबदमाशों से डर नहीं लगता था.

उस वक्त उस के जेहन में यही बात चल रही थी कि विदिशा जाने के लिए कौनकौन सी ट्रेनें मिल सकती हैं. वैसे शाम 6 बजे के बाद विदिशा जाने के लिए 6 ट्रेनें हबीबगंज से मिल जाती हैं, इसलिए नियमित यात्रियों को आसानी हो जाती है. नियमित यात्रियों की भी हर मुमकिन कोशिश यही रहती है कि जल्दी प्लेटफार्म तक पहुंच जाएं. शायद देरी से चल रही कोई ट्रेन खड़ी मिल जाए और ऐसा अकसर होता भी था कि प्लेटफार्म तक पहुंचतेपहुंचते किसी ट्रेन के आने का एनाउंसमेंट सुनाई दे जाता था.

एमपी नगर से कोई एक किलोमीटर पैदल चलने के बाद ही रेलवे के केबिन और दूसरी इमारतें नजर आने लगती हैं तो आनेजाने वालों को उन्हें देख कर बड़ी राहत मिलती है कि लो अब तो पहुंचने ही वाले हैं.

बदमाश ने फिल्मी स्टाइल में रोका रास्ता

यही उस दिन अनामिका के साथ हुआ. पटरियों के बीच चलते स्टेशन की लाइटें दिखने लगीं तो उसे लगा कि वक्त पर प्लेटफार्म पहुंच ही जाएगी. जब दूर से आरपीएफ थाना दिखने लगा तो अनामिका के पांव और तेजी से उठने लगे.

लेकिन एकाएक ही वह अचकचा गई. उस ने देखा कि गुंडे से दिखने वाले एक आदमी ने फिल्मी स्टाइल में उस का रास्ता रोक लिया है. अनामिका यही सोच रही थी कि क्या करे, तभी उस बदमाश ने उस का हाथ पकड़ लिया. आसपास कोई नहीं था और थीं भी तो सिर्फ झाडि़यां, जो उस की कोई मदद नहीं कर सकती थीं. अनामिका के दिमाग में खतरे की घंटी बजी, लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी और उस बदमाश से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी.

प्रकृति ने स्त्री जाति को ही यह खूबी दी है कि वह पुरुष के स्पर्श मात्र से उस की मंशा भांप जाती है. अनामिका ने खतरा भांपते हुए उस बदमाश से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश तेज कर दी. अनामिका ने उस पर लात चलाई, तभी झाडि़यों से दूसरा गुंडा बाहर निकल आया. तुरंत ही अनामिका को समझ आ गया कि यह इसी का ही साथी है.

मदद के लिए चिल्लाने का कोई फायदा नहीं हुआ

अभी तक तीनों रेल की पटरियों के नजदीक थे, जहां कभी भी कोई ट्रेन आ सकती थी. बाहर आए दूसरे गुंडे ने भी अनामिका को पकड़ लिया और दोनों उसे घसीट कर नजदीक बनी पुलिया की तरफ ले जाने लगे. अनामिका ने पूरी ताकत और हिम्मत लगा कर उन से छूटने की कोशिश की पर 2 हट्टेकट्टे मर्दों के चंगुल से छूट पाना अब नाममुकिन सा था. अनामिका का विरोध उन्हें बजाए डराने के उकसा रहा था, इसलिए वे घसीटते हुए उसे पुलिया के नीचे ले गए.

उन्होंने अनामिका को लगभग 100 फुट तक घसीटा लेकिन इस दौरान भी अनामिका हाथपैर चलाती रही और मदद के लिए चिल्लाई भी लेकिन न तो उस का विरोध काम आया और न ही उस की आवाज किसी ने सुनी.

आखिरकार अनामिका हार गई. दोनों गुंडों ने उस के साथ बलात्कार किया. इस बीच वह इन दोनों के सामने रोईगिड़गिड़ाई भी. इतना ही नहीं, उस ने अपनी हाथ घड़ी, मोबाइल फोन और कान के बुंदे तक उन के हवाले कर दिए पर इन गुंडों का दिल नहीं पसीजा. ज्यादती के पहले ही खींचातानी में अनामिका के कपड़े तक फट चुके थे.

उन दोनों की बातचीत से उसे इतना जरूर पता चल गया कि इन बदमाशों में से एक का नाम अमर और दूसरे का गोलू है. जब इन दोनों ने अपनी कुत्सित मंशाएं पूरी कर लीं तो अनामिका को लगा कि वे उसे छोड़ देंगे. इस बाबत उस ने उन दरिंदों से गुहार भी लगाई थी.

ए सीक्रेट नाइट इन होटल – भाग 3

वीडियो देख कर रश्मि पानीपानी हो गई. अब उसे लग रहा था कि उस ने और विवेक ने जो किया था, वह किसी ब्लू फिल्म से कम नहीं था. वह हैरान इस बात पर थी कि यह सब रिकौर्ड कैसे हुआ? जबकि विवेक ने कमरे में दाखिल होते ही अच्छे से ठोकबजा कर देख लिया था कि कमरे में कोई कैमरा वगैरह तो नहीं लगा.

पर जो हुआ था, वह कंप्यूटर स्क्रीन पर चल रहा था. वीडियो देख कर सकते में आ गई रश्मि ने तुरंत फोन कर के विवेक को अपने घर बुलाया. विवेक आया तो रश्मि ने उसे सारी बात बताई, जिसे सुन कर वह भी झटका खा गया. यह तो साफ समझ आ रहा था कि वीडियो उसी रात का था, पर इसे भेजने वाले की मंशा साफ नहीं हो रही थी कि वह क्या चाहता है, सिवाय इस के कि वह गलत मंशा से रश्मि पर दबाव बना रहा था.

दोनों गंभीरतापूर्वक काफी देर तक इस बिन बुलाई मुसीबत पर चरचा करते रहे. बात चिंता की थी, इस लिहाज से थी कि अगर यह वीडियो वायरल हो गया तो वे कहीं के नहीं रह जाएंगे. दोनों अब अपनी जवानी के जोश में छिप कर किए इस कृत्य पर पछता रहे थे. लंबी चर्चा के बाद आखिरकार उन्होंने तय किया कि भेजने वाले से उस की मंशा पूछी जाए.

लिहाजा उन्होंने इस बाबत मैसेज किया तो जवाब आया कि अगर इस वीडियो को वायरल होने से बचाना है तो ढाई लाख रुपए दे दो. अब तसवीर साफ थी कि उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा था. विवेक और रश्मि, दोनों निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों से थे, इसलिए ढाई लाख रुपए का इंतजाम करना उन की हैसियत के बाहर की बात थी. पर होने वाली बदनामी का डर भी उन के सिर चढ़ कर बोल रहा था.

आखिरकार विवेक ने सख्त और समझदारी भरा फैसला लिया कि जब पौकेट में इतने पैसे नहीं हैं तो बेहतर है कि पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी जाए. दोनों अपनेअपने घर से बहाना बना कर बीती 1 मई को ग्वालियर पहुंचे और सीधे एसपी डा. आशीष खरे से मिले. मामले की गंभीरता और शादी के बंधन में बंधने जा रहे इन दोनों की परेशानी आशीष ने समझी और मामला पड़ाव थाने के टीआई को सौंप दिया.

पुलिस वालों ने दोनों को सलाह दी कि वे ब्लैकमेलर से संपर्क कर किस्तों में पैसा देने की बात कहें. रश्मि ने पुलिस की हिदायत के मुताबिक ब्लैकमेलर को फोन कर के कहा कि वह ढाई लाख रुपए एकमुश्त तो देने की स्थिति में नहीं हैं, पर 5 किस्तों में 50-50 हजार रुपए दे सकती है. इस पर ब्लैकमेलर तैयार हो गया.

सीधे उत्तम होटल पर छापा न मारने के पीछे पुलिस की मंशा यह थी कि ब्लैमेलर को रंगेहाथों पकड़ा जाए. ऐसा हुआ भी. आरोपी आसानी से पुलिस के बिछाए जाल में फंस गया और रश्मि से 50 हजार रुपए लेते धरा गया. जिस युवक को पुलिस ने पकड़ा था, उस का नाम भूपेंद्र राय था. वह उत्तम होटल में ही काम करता था.

भूपेंद्र को उम्मीद नहीं थी कि रश्मि पुलिस में खबर करेगी, इसलिए वह पकड़े जाने पर हैरान रह गया. पूछताछ में उस ने बताया कि वह तो बस पैसा लेने आया था, असली कर्ताधर्ता तो कोई और है.

वह कोई और नहीं, बल्कि होटल का 63 वर्षीय मैनेजर विमुक्तानंद सारस्वत निकला. उसे भी पुलिस ने तत्काल गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों ने पूछताछ में मान लिया कि उन्होंने इस तरह कई जोड़ों को ब्लैकमेल किया था.

भूपेंद्र ने बताया कि इस होटल में उसे उस के बहनोई पंकज इंगले ने काम दिलवाया था. काम करतेकरते भूपेंद्र ने महसूस किया कि होटल में रुकने वाले अधिकांश कपल सैक्स करने आते हैं. लिहाजा उस के दिमाग में एक खुराफाती बात वीडियो बना कर ब्लैकमेल करने की आई, जिस का आइडिया एक क्राइम सीरियल से उसे मिला था.

भूपेंद्र ने दिल्ली जा कर नाइट विजन कैमरे खरीदे, जो आकार में काफी छोटे होते हैं. इन कैमरों को उस ने टीवी के औनऔफ स्विच में फिट कर रखा था. इस से कोई शक भी नहीं कर पाता था कि उन की हरकतें कैमरे में कैद हो रही हैं. आमतौर पर ठहरने वाले इस बात पर ध्यान नहीं देते कि टीवी का स्विच औन है, क्योंकि इस से कोई खतरा रिकौर्डिंग का नहीं होता.

ग्राहकों के जाने के बाद भूपेंद्र कैमरे निकाल कर फिल्म देखता था और जिन लोगों ने सैक्स किया होता था, उन के नामपते होटल में जमा फोटो आईडी से निकाल कर फेसबुक, व्हाट्सऐप या फिर सीधे मोबाइल फोन के जरिए ब्लैकमेल करता था. दोनों ने माना कि वे ब्लैकमेलिंग के इस धंधे से लाखों रुपए अब तक कमा चुके हैं. दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

मामला उजागर हुआ तो ग्वालियर में हड़कंप मच गया. पता यह चला कि कई होटलों में इस तरह के कैमरे फिट हैं और ब्लैकमेलिंग का धंधा बड़े पैमाने पर फलफूल रहा है. इस तरह की रिकौर्डिंग के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रदर्शन भी किया.

इस पर पुलिस ने कई होटलों में छापे मारे, पर कुछ खास हाथ नहीं लगा. क्योंकि संभावना यह थी कि भूपेंद्र की गिरफ्तारी के साथ ही ब्लैकमेलर्स ने कैमरे हटा दिए थे. हालांकि उम्मीद बंधती देख कुछ लोगों ने पुलिस में जा कर अपने ब्लैकमेल होने का दुखड़ा रोया.

जब यह सब कुछ हो गया तो विवेक और रश्मि ब्रेफ्रिकी से नोएडा वापस चले गए और दोबारा शादी की तैयारियों में जुट गए. पर एक सबक इन्हें मिल गया कि हनीमून मनाते वक्त  होटल में इस बात का ध्यान रखेंगे कि टीवी के खटके में कैमरा न लगा हो और घर आने के बाद फिर फेसबुक पर यह मैसेज न मिले कि ‘ए सीक्रेट नाइट इन होटल.’

ए सीक्रेट नाइट इन होटल – भाग 2

ट्रेन के ग्वालियर स्टेशन पहुंचतेपहुंचते अंधेरा छा गया था, पर इस प्रेमीयुगल के दिलोदिमाग में एक अछूते अंजाने अहसास को जी लेने का सुरूर छाता जा रहा था. स्टेशन पर उतर कर विवेक ने औटोरिक्शा किया. नई सवारियों को देख कर ही औटोरिक्शा वाले तुरंत ताड़ लेते हैं कि ये किसी लौज में जाएंगे. कुछ देर औटोरिक्शा इधरउधर घूमता रहा. दोनों ने कई होटल देखे, फिर रुकना तय किया होटल उत्तम पैलेस में.

ग्वालियर रेलवे स्टेशन के प्लेटफौर्म नंबर एक के बाहर की सड़क पर रुकने के लिए होटलों की भरमार है. चूंकि आमतौर पर रेलवे स्टेशनों के बाहर की होटलें जोड़ों को रुकने के लिए मुफीद नहीं लगतीं, इसलिए विवेक और रश्मि को उत्तम होटल पसंद आया. जो रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर दूर रेसकोर्स रोड पर सैनिक पैट्रोल पंप के पास स्थित है. दोनों को यह होटल सुरक्षित लगा.

औटो वाले को पैसे दे कर दोनों काउंटर पर पहुंचे तो वहां एक बुजुर्ग मैनेजर बैठा था, जिस की अनुभवी निगाहें समझ गईं कि यह नया जोड़ा है. मैनेजर पूरे कारोबारी शिष्टाचार से पेश आया और एंट्री रजिस्टर उन के आगे कर दिया. आजकल होटलों में रुकने के लिए फोटो आईडी अनिवार्य है, जो मांगने पर विवेक और रश्मि ने दिए तो मैनेजर ने तुरंत उन की फोटोकौफी कर के अपने पास रख ली.

खानापूर्ति कर दोनों अपने कमरे में आ गए. 6 घंटों से दिलोदिमाग में उमड़घुमड़ रहा प्यार का जज्बा अब आकार लेने लगा. दरवाजा बंद करते ही विवेक ने रश्मि को अपनी बांहों में जकड़ लिया और ताबड़तोड़ उस पर चुंबनों की बौछार कर दी. एक पुरानी कहावत है, आग और घी को पास रखा जाए तो घी पिघलेगा, जिस से आग और भड़केगी.

यही इस कमरे में हो रहा था. मंगेतर की बांहों में समाते ही रश्मि का संयम जवाब दे गया. जल्द ही दोनों बिस्तर पर आ कर एकदूसरे के आगोश में खो गए. तकरीबन एक घंटे कमरे में गर्म सांसों का तूफान उफनता रहा. तृप्त हो जाने के बाद दोनों फ्रेश हुए तो शरीर की भूख मिटने के बाद अब पेट की भूख सिर उठाने लगी.

रश्मि का मन बाहर जा कर खाना खाने का नहीं था, इसलिए विवेक ने कमरे में ही खाना मंगवा लिया. खाना खा कर टीवी देखते हुए दोनों दुनियाजहान की बातें करते आने वाले कल का तानाबाना बुनते रहे कि शादी के बाद हनीमून कहां मनाएंगे और क्याक्या करेंगे?

एक बार के संसर्ग से दोनों का मन नहीं भरा था, इसलिए फिर सैक्स की मांग सिर उठाने लगी, जिस में उस एकांत का पूरा योगदान था, जिस की जरूरत एक अच्छे मूड के लिए होती है. इस बार दोनों ने वे सारे प्रयोग कर डाले, जो वात्स्यायन के कामसूत्र सोशल मीडिया और इधरउधर से उन्होंने सीखे थे.

2-3 घंटे बाद दोनों थक कर चूर हो गए तो कब एकदूसरे की बांहों में सो गए, दोनों को पता ही नहीं चला. और जब चला तब तक सुबह हो चुकी थी. रश्मि और विवेक, दोनों के लिए ही यह एक नया अनुभव था, जिसे उन्होंने जी भर जिया था. दोनों के बीच कोई परदा नहीं रह गया था, पर इस बात की कोई ग्लानि उन्हें नहीं थी, क्योंकि दोनों शादी के बंधन में बंधने जा रहे थे.

सुबह अपना सामान समेट कर दोनों काउंटर पर पहुंचे और होटल का बिल अदा कर रिश्तेदार के यहां पहुंच गए. रश्मि ने चहकते हुए सभी रिश्तेदारों से विवेक का परिचय कराया, लेकिन दोनों यह बात छिपा गए कि वे रात को ही ग्वालियर आ गए थे और रात उन्होंने एक होटल में गुजारी थी. जाहिर है, यह बात बताने की थी भी नहीं.

उसी दिन शाम को दोनों वापस नोएडा के लिए रवाना हो गए. साथ में था एक रोमांटिक रात का दस्तावेज, जिसे याद कर दोनों सिहर उठते थे और एकदूसरे की तरफ देख हौले से मुसकरा देते थे. बात आई गई हो गई, पर दोनों के बीच व्हाट्सऐप और फेसबुक की चैटिंग में वह रात और उस की बातें और यादें ताजा होती रहीं. अब न केवल दोनों, बल्कि उन के घर वाले भी शादी की तैयारियां और खरीदारी में लग गए थे.

इन यादों से उबरते रश्मि की नजर फिर से टैग की हुई इस लाइन पर पड़ी ‘ए सीक्रेट नाइट इन होटल’ तो वह चौंक उठी कि अजीब इत्तफाक है. फैं्रड रिक्वैस्ट भेजने वाले ने जैसे उस की यादों को जिंदा कर दिया था. रश्मि की जिज्ञासा अब शबाब पर थी कि आखिर इस लाइन का मतलब क्या है? लिहाजा उस ने कुछ सोच कर उस अंजान व्यक्ति की फ्रैंड रिक्वै

स्ट स्वीकार कर ली.

जैसे ही उस ने इस नए फेसबुक फ्रैंड का एकाउंट खोला, वह भौचक रह गई. भेजने वाले ने एक पैराग्राफ का यह मैसेज लिख रखा था.

‘रश्मिजी, आप का कमसिन फिगर लाखों में एक है. जब से मैं ने आप को देखा है, मेरी रातों की नींद उड़ गई है. वीडियो में आप एक लड़के को प्यार कर रही हैं. सच कहूं तो मुझे उस लड़के की किस्मत से जलन हो रही है. काश! उस युवक की जगह मैं होता तो आप मुझे उसी तरह टूट कर प्यार करतीं. आप को यकीन नहीं हो रहा हो तो अब वीडियो देखिए.’

अव्वल तो मैसेज पढ़ कर ही रश्मि के दिमाग के फ्यूज उड़ गए थे. रहीसही कसर वह वीडियो देखने पर पूरी हो गई, जिस में उत्तम होटल के कमरे में उस के और विवेक के बीच बने सैक्स संबंधों की तमाम रिकौर्डिंग कंप्यूटर स्क्रीन पर दिख रही थी.

 

ए सीक्रेट नाइट इन होटल – भाग 1

अप्रैल के तीसरे सप्ताह में नोएडा की रहने वाली रश्मि (बदला नाम) जब भी अपना फेसबुक एकाउंट खोलती, उसे फ्रैंड रिक्वैस्ट में एक अंजान शख्स की रिक्वैस्ट जरूर दिखाई दे जाती. वह जानती थी कि आवारा, शरारती और दिलफेंक किस्म के मनचले युवक लड़कियों की कवर फोटो और प्रोफाइल देख कर ऐसी फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजा करते हैं. अगर इन की रिक्वैस्ट स्वीकार कर ली जाए तो जल्द ही ये रोमांस और सैक्स की बातें करते हुए नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करने लगते हैं.

आमतौर पर ऐसी फैंरड रिक्वैस्ट पर समझदारी दिखाते हुए रश्मि ध्यान नहीं देती थी. इसलिए इस पर भी उस ने ध्यान नहीं दिया, क्योंकि वह बैठेबिठाए आफत मोल नहीं लेना चाहती थी. लेकिन 20 अप्रैल को उस ने इस अंजान फ्रैंड रिक्वैस्ट के साथ एक टैगलाइन लगी देखी तो वह बेसाख्ता चौंक उठी. वह लाइन थी ‘ए सीक्रेट नाइट इन होटल.’

इस टैगलाइन ने उसे भीतर तक न केवल हिला कर रख दिया, बल्कि गुदगुदा भी दिया. उसे पढ़ कर अनायास ही वह 20 दिन पहले की दुनिया में ठीक वैसे ही पहुंच गई, जैसे फिल्मों के फ्लैशबैक में नायिकाएं पहुंचने से खुद को रोक नहीं पातीं.

की बोर्ड पर चलती उस की अंगुलियां थम गईं और दिलोदिमाग पर ग्वालियर छा गया. वह वाकई सीक्रेट और हसीन रात थी, जब उस ने पूरा वक्त पहले अभिसार में अपने मंगेतर विवेक (बदला नाम) के साथ गुजारा था. जिंदगी के पहले सहवास को शायद ही कोई युवती कभी भुला पाती है. वह वाकई अद्भुत होता है, जिसे याद कर अरसे तक जिस्म में कंपकंपी और झुरझुरी छूटा करती है.

रश्मि को याद आ गया, जब वह और विवेक दिल्ली से ग्वालियर जाने वाली ट्रेन में सवार हुए थे तो उन्हें कतई गर्मी का अहसास नहीं हो रहा था. उस के कहने पर ही विवेक ने रिजर्वेशन एसी कोच के बजाय स्लीपर क्लास में करवाया था. दिल्ली से ग्वालियर लगभग 5 घंटे का रास्ता था. कैसे बातोंबातों में कट गया, इस का अंदाजा भी रश्मि को नहीं हो पाया.

आगरा निकलतेनिकलते रश्मि के चेहरे पर पसीना चुहचुहाने लगा तो विवेक प्यार से यह कहते हुए झल्ला भी उठा, ‘‘तुम से कहा था कि एसी कोच में रिजर्वेशन करवा लें, पर तुम्हें तो बचत करने की पड़ी थी. अब पोंछती रहो बारबार रूमाल से पसीना.’’

विवेक और रश्मि की शादी उन के घर वालों ने तय कर दी थी, जिस का मुहूर्त जून के महीने का निकला था. चूंकि सगाई हो चुकी थी, इसलिए दोनों के साथ ग्वालियर जाने पर घर वालों को कोई ऐतराज नहीं था. यह आजकल का चलन हो गया है कि एगेंजमेंट के बाद लड़कालड़की साथ घूमेफिरें तो उन के घर वाले पुराने जमाने की तरह ऊंचनीच की बातें करते टांग नहीं अड़ाते.

रश्मि को अपनी रिश्तेदारी के एक समारोह में जाना था, जिस के बाबत घर वालों ने ही कहा था कि विवेक को भी ले जाओ तो उस की रिश्तेदारों से जानपहचान हो जाएगी. बारबार पसीना पोंछती रश्मि की हालत देख कर विवेक खीझ रहा था कि इस से तो अच्छा था कि एसी में चलते. उसे परेशानी तो न होती.

प्यार की बात का जवाब भी प्यार से देते रश्मि उसे समझा रही थी कि उस का साथ है तो क्या गर्मी और क्या सर्दी, वह सब कुछ बरदाश्त कर लेगी. बातों ही बातों में रश्मि ने अपना सिर विवेक के कंधे पर टिका दिया तो सहयात्री प्रेमीयुगल के इस अंदाज पर मुसकरा उठे. लेकिन उन्हें किसी की परवाह नहीं थी. टे्रनों में ऐसे दृश्य अब बेहद आम हो चले हैं.

आगरा निकलते ही विवेक ने उस से वह बात कह डाली, जिसे वह दिल्ली से बैठने के बाद से दिलोदिमाग में जब्त किए बैठा था कि क्यों न हम रिश्तेदार के यहां कल सुबह चलें. वैसे भी फंक्शन कल ही है, आज की रात किसी होटल में गुजार लें. यह बात शायद रश्मि भी अपने मंगेतर के मुंह से सुनना चाहती थी.

क्योंकि स्वाभाविक तौर पर शरम के चलते वह एदकम से कह नहीं पा रही थी. दिखाने के लिए पहले तो उस ने बहाना बनाया कि घर वालों को पता चल गया तो वे क्या सोचेंगे? इस पर विवेक का रेडीमेड जवाब था, ‘‘उन्हीं के कहने पर तो हम साथ जा रहे हैं और फिर बस 2 महीने बाद ही तो हमारी शादी होने वाली है. उस के बाद तो हमें हर रात साथ ही बितानी है.’’

इस पर रश्मि बोली, ‘‘…तो फिर उस रात का इंतजार करो, अभी से क्यों उतावले हुए जा रहे हो?’’

रश्मि का मूड बनते देख विवेक ऊंचनीच के अंदाज में बोला, ‘‘अरे यार, क्या तुम्हें भरोसा नहीं मुझ पर?’’

यह एक ऐसा शाश्वत डायलौग है, जिस का कोई जवाब किसी प्रेमिका या मंगेतर के पास नहीं होता. और जो होता है, वह सहमति में हिलता सिर वह जवाब होता है.

‘‘तुम पर भरोसा है, तभी तो सब कुछ तुम्हें सौंप दिया है.’’ रश्मि ने कहा.

यही जवाब विवेक सुनना चाहता था. जब यह तय हो गया कि दोनों रात एक साथ किसी होटल के कमरे में गुजारेंगे तो बहने वाली पसीने की तादाद तो बढ़ गई, पर बरसती गर्मी का अहसास कम हो गया. दोनों आने वाले पलों की सोचसोच कर रोमांचित हुए जा रहे थे. अलबत्ता रश्मि के दिल में जरूर शंका थी कि धोखे से अगर किसी जानपहचान वाले ने देख लिया तो वह क्या सोचेगा?

अपनी शंका का समाधान करते हुए वह विवेक की आवाज में खुद को समझाती रही कि सोचने दो जिसे जो सोचना है, आखिर हम जल्द ही पतिपत्नी होने जा रहे हैं. आजकल तो सब कुछ चलता है. और कौन हम होटल के कमरे में वही सब करेंगे, जो सब सोचते हैं. हमें तो रोमांस और प्यार भरी बातें करने के लिए एकांत चाहिए, जो मिल रहा है तो मौका क्यों हाथ से जाने दें?

अवनीश का खूनी खेल : कर्मो की मिली सजा

कानपुर शहर से 30 किलोमीटर दूर एक बड़ा कस्बा है अकबरपुर. यह  (देहात) जिले के अंतर्गत आता है. तहसील व जिला मुख्यालय होने के कारण कस्बे में हर रोज चहलपहल रहती है. इस नगर से हो कर स्वर्णिम चतुर्भुज राष्ट्रीय मार्ग जाता है जो पूर्व में कानपुर, पटना, हावड़ा तथा पश्चिम में आगरा, दिल्ली से जुड़ा है.

इस नगर में एक ऐतिहासिक तालाब भी है जो शुक्ल तालाब के नाम से जाना जाता है. शुक्ल तालाब ऐतिहासिक वास्तुकारी का नायाब नमूना है. बताया जाता है कि सन 1553 में बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल ने शीतल शुक्ल को इस क्षेत्र का दीवान नियुक्त किया था. दीवान शीतल शुक्ल ने सन 1578 में इस ऐतिहासिक तालाब को बनवाया था.

इसी अकबरपुर कस्बे के जवाहर नगर मोहल्ले में सभासद जितेंद्र यादव अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी अर्चना यादव के अलावा बेटी अक्षिता (5 वर्ष) तथा बेटा हनू (डेढ़ वर्ष) था. जितेंद्र के पिता कैलाश नाथ यादव भी साथ रहते थे.

वह पुलिस में दरोगा थे, लेकिन अब रिटायर हो चुके हैं. जितेंद्र यादव की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. उन का अपना बहुमंजिला आलीशान मकान था.

जितेंद्र यादव की पत्नी अर्चना यादव पढ़ीलिखी महिला थी. वह नगर के रामगंज मोहल्ला स्थित प्राइमरी पाठशाला में सहायक शिक्षिका थी, जबकि जितेंद्र यादव समाजवादी पार्टी के सक्रिय सदस्य थे.

2 साल पहले उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सभासद का चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. वर्तमान में वह जवाहर नगर (वार्ड 14) से सभासद है. जितेंद्र यादव का अपने मकान के भूतल पर कार्यालय था, साथ ही पिता कैलाश नाथ यादव रहते थे, जबकि भूतल पर जितेंद्र अपनी पत्नी अर्चना व बच्चों के साथ रहते थे.

मकान के दूसरी और तीसरी मंजिल पर 4 किराएदार रहते थे, जिन में 2 महिला पुलिसकर्मी अनीता व ऊषा प्रजापति थीं. मकान की देखरेख व किराया वसूली का काम कैलाश नाथ यादव करते थे.

ऊषा का पति अवनीश प्रजापति मूलरूप से प्रयागराज जनपद के फूलपुर का रहने वाला था. महिला कांसटेबल ऊषा पहले प्रयागराज में तैनात थी. उस के साथ उस का पति भी रहता था. अवनीश वहां लैब टैक्नीशियन था, लेकिन लौकडाउन लगने के कारण मई 2020 में उस की लैब बंद हो गई थी.

ऊषा का ट्रांसफर भी प्रयागराज से कानपुर देहात जनपद के थाना अकबरपुर में हो गया था. उस के बाद वह पति अवनीश के साथ अकबरपुर कस्बे में सभासद जितेंद्र यादव के मकान में किराए पर रहने लगी थी.

ऊषा की शादी अवनीश प्रजापति के साथ 4 साल पहले हुई थी. 4 साल बीत जाने के बाद भी ऊषा मां नहीं बन सकी थी. इस से उस का बेरोजगार पति अवनीश टेंशन में रहता था. अवनीश घर में ही पड़ा रहता था. उस का काम केवल इतना था कि वह पत्नी ऊषा को ड्यूटी पर अकबरपुर कोतवाली स्कूटर से छोड़ आता था और ड्यूटी समाप्त होने पर घर ले आता था.

ऊषा पुलिसकर्मी होने के बावजूद जितनी सरल स्वभाव की थी, उस का पति बेरोजगार होते हुए भी उतने ही कठोर स्वभाव का था. अवनीश की न तो किसी अन्य किराएदार से पटती थी और न मकान मालिक से. हां, वह सभासद जितेंद्र यादव से जरूर भय खाता था, जितेंद्र की पत्नी अर्चना यादव तो उसे फूटी आंख नहीं सुहाती थी.

सभासद की पत्नी अर्चना यादव तथा ऊषा के पति अवनीश प्रजापति के बीच पटरी नहीं बैठती थी. दोनों के बीच अकसर तनाव बना रहता था. तनाव का पहला कारण यह था कि अवनीश साफसफाई से नहीं रहता था. वह मकान में भी गंदगी फैलाता रहता था.

अर्चना यादव शिक्षिका थीं. वह खुद भी साफसफाई से रहती थीं और मकान में रहने वाले अन्य किराएदारों को भी साफसफाई से रहने को कहती थीं. अन्य किराएदार तो अर्चना के सुझाव पर अमल करते थे, लेकिन अवनीश नहीं करता था.

वह गुटखा और पान खाने का शौकीन था. पान खा कर उस की पीक कमरे के बाहर ही थूक देता था. कमरे के अंदर की साफसफाई का कूड़ा भी बाहर जमा कर देता था, जो हवा में उड़ कर पूरे फ्लोर पर फैल जाता था.

तनाव का दूसरा कारण अवनीश की बेशरमी थी. उस की नजर में खोट था. वह अर्चना को घूरघूर कर देखता था. उसे देख कर वह कभी मुसकरा देता, तो कभी कमेंट कस देता. उस की हरकतों से अर्चना गुस्सा करती तो कहता, ‘‘अर्चना भाभी, जब तुम गुस्सा करती हो तो तुम्हारा चेहरा गुलाब जैसा लाल हो जाता है और गुलाब मुझे बहुत पसंद है.’’

अर्चना ने अवनीश की हरकतों और गंदगी फैलाने की शिकायत अपने ससुर कैलाश नाथ यादव से की तो उन्होंने अवनीश को डांटाफटकारा और कमरा खाली करने को कह दिया. लेकिन अवनीश की पत्नी ऊषा ने बीच में पड़ कर मामले को शांत कर दिया.

ऊषा प्रजापति ने मामला भले ही शांत कर दिया था, लेकिन अर्चना की शिकायत ने अवनीश के मन में नफरत के बीज बो दिए थे. वह मन ही मन उस से नफरत करने लगा था. अर्चना अपने बच्चों को भी अवनीश से दूर रखती थी. दरअसल, ऊषा की कोई संतान नहीं थी, अर्चना को डर था कि गोद भरने के लिए कहीं ऊषा व अवनीश उस के बच्चों पर कोई टोनाटोटका न कर दें.

एक रोज अर्चना किसी काम से छत पर जा रही थी. वह पहली मंजिल पर पहुंची तो अवनीश के कमरे के अंदरबाहर कूड़ा बिखरा देखा. इस पर उस ने गुस्से में कहा, ‘‘अवनीश कुत्ता भी पूंछ से जगह साफ कर के बैठता है, लेकिन तुम तो उस से भी गएगुजरे हो जो गंदगी में पैर फैलाए बैठे हो.’’

अर्चना की बात सुन कर अवनीश का गुस्सा बढ़ गया, ‘‘भाभी, मैं कुत्ता नहीं इंसान हूं. मुझे कुत्ता मत बनाओ. आप मकान मालकिन हैं, लेकिन इतना हक नहीं है कि आप मुझे कुत्ता कहें. आज तो मैं किसी तरह आप की बात बरदाश्त कर रहा हूं, लेकिन आइंदा नहीं करूंगा.’’

इस बार अर्चना ने अपने सभासद पति जितेंद्र से अवनीश की शिकायत की. इस पर सभासद ने अवनीश को खूब फटकार लगाई, साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर उसे मकान में रहना है तो सफाई का पूरा ध्यान रखना होगा. वरना मकान खाली कर दो.

अर्चना द्वारा बारबार शिकायत करने से अवनीश के मन में नफरत और बढ़ गई. उसे लगने लगा कि अर्चना जानबूझ कर किराएदारों के सामने उस की बेइज्जती करती है. उस के मन में प्रतिशोध की ज्वाला भड़कने लगी. वह बेइज्जती का बदला लेने की सोचने लगा.

28 फरवरी, 2021 की सुबह अवनीश ने पान की पीक कमरे के बाहर थूक दी. पीक की गंदगी को ले कर अर्चना और अवनीश में जम कर तूतूमैंमैं हुई. ऊषा ने किसी तरह पति को समझा कर शांत किया और गंदगी साफ कर दी. झगड़ा करने के बाद अवनीश दिन भर कमरे में पड़ा रहा और अर्चना को सबक सिखाने की सोचता रहा. आखिर उस ने एक बेहद खतरनाक योजना बना ली.

रात 8 बजे अवनीश अपनी पत्नी ऊषा को अकबरपुर कोतवाली छोड़ने गया. वहां से लौटते समय उस ने पैट्रोल पंप से एक बोतल में आधा लीटर पैट्रोल लिया और वापस घर लौट आया.

उस ने ऊपरनीचे घूम कर पूरे मकान का जायजा लिया. ग्राउंड फ्लोर स्थित कार्यालय में सभासद जितेंद्र यादव क्षेत्रीय लोगों के साथ क्षेत्र की समस्यायों के संबंध में बातचीत कर रहे थे, कैलाश नाथ भी अपने कमरे में थे.

जायजा लेने के बाद अवनीश पहली मंजिल पर आया. वहां अर्चना यादव रसोई में थी. पास में उन की 5 साल की बेटी अक्षिता तथा 18 माह का बेटा हनू भी बैठा था. अर्चना खाना पका रही थीं, जबकि दोनों बच्चे खेल रहे थे. इस बीच सिपाही अनीता कोई सामान मांगने अर्चना के पास आई. फिर वापस अपने कमरे में चली गई.

सही मौका देख कर अवनीश अपने कमरे में गया और वहां से पैट्रोल भरी बोतल ले आया. फिर वह रसोई में पहुंचा और पीछे से अर्चना यादव व उस के बच्चों पर पैट्रोल उड़ेल दिया. उस समय गैस जल रही थी, अत: पैट्रोल पड़ते ही गैस ने आग पकड़ ली. अर्चना व उस के बच्चे धूधू कर जलने लगे.

आग की लपटों से घिरी अर्चना चीखी तो महिला सिपाही अनीता ने दरवाजा खोला. सामने का खौफनाक मंजर देख कर वह सहम गई. वह उसे बचाने को आगे बढ़ी तो अवनीश ने उस पर वार कर दिया. अनीता चीखनेचिल्लाने लगी.

भूतल पर सभासद जितेंद्र यादव साथियों सहित मौजूद थे. उन्होंने चीखपुकार सुनी तो पिता कैलाश नाथ व अन्य लोगों के साथ भूतल पर पहुंचे और आग की लपटों से घिरी पत्नी अर्चना व बच्चों के ऊपर कंबल डाल कर आग बुझाई.

इसी बीच पकड़े जाने के डर से अवनीश भागा और केबिल के सहारे नीचे आ गया. घर के बाहर सभासद की स्कौर्पियो कार खड़ी थी. उस ने उसे भी जलाने का प्रयास किया. इसी बीच सभासद के साथियों ने उसे दौड़ाया तो वह भागने लगा. भागते समय सड़क पार करते हुए वह मिनी ट्रक की चपेट में आ गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और उपचार हेतु सरकारी अस्पताल पहुंचा दिया.

इधर सभासद जितेंद्र यादव ने गंभीर रूप से जली पत्नी और दोनों बच्चों को अपनी कार से प्राइवेट अस्पताल राजावत पहुंचाया. लेकिन डाक्टरों ने उन की गंभीर हालत देख कर जिला अस्पताल रेफर कर दिया.

सभासद  के पिता कैलाश नाथ यादव ने घटना की सूचना पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को दी तो हड़कंप मच गया. कुछ ही देर में कोतवाल तुलसी राम पांडेय, डीएसपी संदीप सिंह, एसपी केशव कुमार चौधरी, एएसपी घनश्याम चौरसिया तथा डीएम दिनेश चंद्र जिला अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने सभासद जितेंद्र यादव को धैर्य बंधाया और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.

चूंकि अर्चना की हालत नाजुक थी. अत: जिलाधिकारी डा. दिनेश चंद्र ने अर्चना का बयान दर्ज कराने के लिए एसडीएम संजय कुशवाहा को जिला अस्पताल बुलवा लिया. संजय कुशवाहा ने अर्चना का बयान दर्ज किया. अर्चना ने कहा कि किराएदार अवनीश ने पैट्रोल डाल कर उसे और उस के दोनों मासूम बच्चों को जलाया है.

जिला अस्पताल में अर्चना व उस के बच्चों की हालत बिगड़ी तो डाक्टरों ने उन्हें कानपुर शहर के उर्सला अस्पताल में रेफर कर दिया. उर्सला अस्पताल में रात 11 बजे जितेंद्र के मासूम बेटे हनू ने दम तोड़ दिया.

रात 1 बजे बेटी अक्षिता की भी सांसें थम गईं. उस के बाद 4 बजे अर्चना ने भी उर्सला अस्पताल में आखिरी सांस ली. इस के बाद तो परिवार में कोहराम मच गया. जितेंद्र पत्नी व मासूम बच्चों का शव देख कर बिलख पड़े. अर्चना की मां व भाई भी आंसू बहाने लगे.

पहली मार्च को सभासद जितेंद्र यादव की पत्नी अर्चना यादव व उस के मासूम बच्चों को किराएदार अवनीश द्वारा जिंदा जलाने की खबर अकबरपुर कस्बे में फैली तो सनसनी फैल गई. चूंकि मामला सभासद के परिवार का था, उन के सैकड़ों समर्थक थे. अत: उपद्रव की आशंका से पुलिस अधिकारियों ने अकबरपुर कस्बे में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया.

इधर अर्चना व उस के बच्चों की मौत की खबर अकबरपुर कोतवाल तुलसीराम पांडेय को मिली तो उन्होंने अवनीश व उस की पत्नी ऊषा की सुरक्षा बढ़ा दी. उन्होंने अवनीश को अस्पताल से डिस्चार्ज करा कर अपनी कस्टडी में ले लिया. सभासद जितेंद्र यादव की तहरीर पर कोतवाल तुलसीराम पांडेय ने भादंवि की धारा 326/302 के तहत अवनीश प्रजापति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उसे बंदी बना लिया.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद डीएसपी संदीप सिंह ने अभियुक्त अवनीश से घटना के संबंध में पूछताछ की तथा उस का बयान दर्ज किया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का भी बारीकी से निरीक्षण किया तथा साक्ष्य जुटाए.

2 मार्च, 2021 को नगरवासियों ने मृतकों की आत्माओं की शांति के लिए कैंडल मार्च निकाला और अंडर ब्रिज के नीचे उन की फोटो पर पुष्प अर्पित किए. अनेक युवकों के हाथों में हस्तलिखित तख्तियां थी.

उन की मांग थी कि हत्यारे को फांसी की सजा मिले. युवक सीबीआई जांच की भी मांग कर रहे थे. उन को शक था कि इस साजिश में कुछ और लोग भी शामिल हैं, जिन का परदाफाश होना जरूरी है.

3 मार्च, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त अवनीश प्रजापति को कानपुर देहात की माती कोर्ट में मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

सभासद जितेंद्र यादव और उन के पिता इस हृदयविदारक घटना से बेहद दुखी हैं. जितेंद्र यादव से दर्द साझा किया गया तो वह फफक पड़े. बोले, ‘किस पर भरोसा करूं. चंद मिनटों में ही हमारा सब कुछ खत्म हो गया. किराएदार ऐसा कर सकता है, कभी सोचा नहीं था. अवनीश ने मेरे परिवार को योजना बना कर जलाया है. बदले की आग में उस ने हमारी दुनिया ही उजाड़ डाली.’

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

औनलाइन चलता सेक्स रैकेट

22 जनवरी, 2021 की बात है. 12 साल की मानसी पास की दुकान से चिप्स लेने गई थी. जब वह काफी देर बाद भी घर नहीं लौटी तो घर वालों को उस की चिंता हुई. घर वाले उस दुकानदार के पास पहुंचे, जिस के पास वह अकसर खानेपीने का सामान लाती थी. उन्होंने उस दुकानदार से मानसी के बारे में पूछा तो दुकानदार ने  बताया कि मानसी तो काफी देर  पहले ही चिप्स का पैकेट ले कर जा चुकी है.

जब वह चिप्स ले कर जा चुकी है तो घर क्यों नहीं पहुंची, यह बात घर वालों की समझ में नहीं आ रही थी. उन्होंने आसपास के बच्चों से उस के बारे में पूछा, लेकिन उन से भी मानसी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

घर वालों की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मानसी गई तो गई कहां. उन्होंने उसे इधरउधर तमाम संभावित जगहों पर ढूंढा लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. तब उन्होंने इस की सूचना पश्चिमी दिल्ली के थाना राजौरी गार्डन में दे दी. चूंकि मामला एक नाबालिग लड़की के लापता होने का था, इसलिए पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया. पुलिस ने मानसी के पिता की तरफ से गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली.

डीसीपी (पश्चिमी दिल्ली) उर्विजा गोयल को जब 12 वर्षीय मानसी के गायब होने की जानकारी मिली तब उन्होंने थाना पुलिस को इस मामले में तीव्र काररवाई करने के आदेश दिए. डीसीपी का आदेश पाते ही थानाप्रभारी ने इस मामले की जांच के लिए एएसआई विनती प्रसाद के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित कर दी.

एएसआई विनती प्रसाद ने सब से पहले लापता बच्ची के घर वालों से उस के बारे में विस्तार से जानकारी ली. इतना ही नहीं, उन्होंने घर वालों से यह भी जानना चाहा कि उन की किसी से कोई रंजिश तो नहीं है. घर वालों ने उन से साफ कह दिया कि उन की किसी से कोई दुश्मनी नहीं है. इस के बाद पुलिस अपने स्तर से मानसी को तलाशने लगी.

जिस जगह से मानसी गायब हुई थी, पुलिस ने उस क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी. इस के अलावा स्थानीय लोगों से भी बच्ची के बारे में जानकारी हासिल की. पुलिस ने सोशल मीडिया पर भी निगरानी कर दी, लेकिन कहीं से भी मानसी के बारे में कोई सुराग नहीं मिला.

पुलिस टीम को जांच करतेकरते करीब 2 महीने बीत चुके थे. जब बच्ची कहीं नहीं मिली तो पुलिस ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के एंगल को ध्यान में रखते हुए केस की जांच शुरू कर दी. यानी पुलिस को यह शक होने लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि बच्ची जिस्मफरोशी गैंग के चंगुल में फंस गई हो.

इस बिंदु पर जांच करते करते पुलिस टीम ने कई जगहों पर दबिशें दीं, लेकिन लापता बच्ची का सुराग नहीं मिला.

करीब 2 महीने बाद पुलिस को सूचना मिली कि मानसी का अपहरण करने के बाद उसे दिल्ली के मजनूं का टीला इलाके में रखा गया है और वहीं पर उस से जिस्मफरोशी का धंधा कराया जा रहा है. यह सूचना रोंगटे खड़े कर देने वाली थी. क्योंकि मानसी की उम्र केवल 12 साल थी और इस उम्र में उस बच्ची के साथ जिस तरह का कार्य कराने की जानकारी मिली, वह मानवता को शर्मसार करने वाली ही थी.

hindi-manohar-social-crime-story

जांच अधिकारी विनती प्रसाद ने यह खबर अपने उच्चाधिकारियों को दी फिर उन्हीं के दिशानिर्देश पर पुलिस टीम ने 17 मार्च, 2021 को मजनूं का टीला इलाके में एक घर पर दबिश दी. मुखबिर की सूचना सही निकली. मानसी वहीं पर मिल गई.

पुलिस ने मानसी को सब से पहले अपने कब्जे में लिया. इस के बाद पुलिस ने वहां 2 महिलाओं सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया.

पुलिस ने उन सभी से पूछताछ की तो उन्होंने स्वीकार किया कि वे बड़े स्तर पर एस्कौर्ट सर्विस मुहैया कराते थे और उन का धंधा ज्यादातर वाट्सऐप ग्रुप और इंटरनेट के माध्यम से चलता है. उन के पास से पुलिस ने 5 मोबाइल फोन बरामद किए. फोनों की जांच की गई तो तमाम वाट्सऐप ग्रुप में ऐसी लड़कियों के अनेक फोटो मिले, जिन से वे जिस्मफरोशी कराते थे.

पुलिस ने गिरफ्तार किए हुए उन चारों लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि उन में से संजय राजपूत और कनिका राय मजनूं का टीला के रहने वाले थे जबकि अंशु शर्मा  मुरादाबाद का और सपना गोयल मुजफ्फरनगर की.

ये सभी औनलाइन सैक्स रैकेट चलाते थे. जांच में पता चला कि इन लोगों के काम करने का तरीका एकदम अलग था. यह गिरोह सोशल साइट पर ज्यादा सक्रिय था. गैंग के लोग 150 से ज्यादा वाट्सऐप ग्रुप में सक्रिय थे. एस्कौर्ट सर्विस मुहैया कराने वाली लड़की के फोटो ये वाट्सऐप ग्रुप में शेयर करते थे. इस के बाद ग्रुप से जो कस्टमर इन के संपर्क में आता था, उस से यह पर्सनल चैटिंग करने के बाद पैसों की डील फाइनल करते थे. फिर औनलाइन ही पेमेंट अपने खाते में ट्रांसफर कराने के बाद कस्टमर के बताए गए स्थान पर ये लड़की को सप्लाई करते थे.

इस तरह यह गैंग देश के अलगअलग बड़े शहरों में लड़कियों की सप्लाई करते था. इतना ही नहीं, फाइव स्टार होटलों में भी इन के पास से लड़कियां सप्लाई की जाती थीं.

आरोपियों ने बताया कि उन के गैंग के सदस्य अलगअलग जगहों से लड़कियां उन के पास लाते थे. मानसी का भी गैंग के 2 लोगों ने अपहरण उस समय किया था, जब वह दुकान पर गई थी. उस का अपहरण करने के बाद वह उसे अपने घर पर ले गए थे.

उन्होंने मानसी से कहा था कि आज उन के यहां पर जन्मदिन है इसलिए वह बच्चों को इकट्ठा कर के केक काटेंगे. उन्होंने मानसी को केक खाने को दिया. केक खाते ही मानसी को नशा हो गया. इस के बाद दोनों मानसी को मजनूं का टीला ले गए, वहां पर संजय राजपूत, अंशु शर्मा, सपना गोयल और कनिका राय मिली. 12 साल की बच्ची को देख कर ये चारों खुश हो गए कि अब इस से मोटी कमाई की जा सकती है. क्योंकि वह तो उसे सोने का अंडा देने वाली मुरगी समझ रहे थे.

जब मानसी पर हल्का नशा सवार था, तभी उस के साथ रेप किया गया. होश आने पर मानसी दर्द से कराहती रही. इस के बाद भी इन लोगों को उस पर दया नहीं आई. उन्होंने उसी रात उसे किसी दूसरे ग्राहक के सामने पेश किया.

इस तरह वह मानसी का शारीरिक शोषण करते रहे. जब वह विरोध करती तो ये लोग उसे प्रताडि़त करते थे. इस तरह मानसी इन लोगों के चंगुल में बुरी तरह फंस चुकी थी. वहां से निकलने का उस के पास कोई उपाय नहीं था.

आरोपियों के 2 अन्य साथी फरार हो चुके थे. पुलिस ने उन की तलाश में अनेक स्थानों पर दबिश दी, लेकिन उन का पता नहीं चला. आरोपी 35 वर्षीय संजय राजपूत, 21 वर्षीय अंशु शर्मा, 24 साल की सपना गोयल और 28 साल की कनिका राय से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

अभियुक्तों के पास से बरामद की गई 12 वर्षीय मानसी को पुलिस ने उपचार के लिए अस्पताल में भरती करा दिया. मानसी ने अपने साथ घटी सारी घटना पुलिस को बता दी.

आरोपियों को जेल भेजने के बाद पुलिस गंभीरता से इस बात की जांच करने में जुट गई. इस गैंग के तार देश में किनकिन लोगों से जुड़े थे और इन्होंने अब तक कितनी लड़कियों का अपहरण किया था.

(कथा में मानसी परिवर्तित नाम है)