उस ने बताया कि बचपन से ही उस की अपने मांबाप से नहीं बनती थी. इसलिए उस ने घर छोड़ दिया था. शक्लसूरत अच्छी थी, इसलिए उस ने सोचा कि चलो कन्नड़ फिल्मों में भाग्य आजमाते हैं. उस ने कन्नड़ फिल्मी दुनिया का रुख किया, पर वहां उसे कोई काम नहीं मिला. इस से महेश को बहुत बड़ा झटका लगा. क्योंकि वह ज्यादा पढ़ालिखा भी नहीं था कि उसे कोई ढंग की नौकरी मिल पाती. उस की समझ में नहीं आया कि अब वह क्या करे.
तभी उस ने किसी अखबार में समाचार पढ़ा कि कोई व्यक्ति मैट्रीमोनियल साइट से विवाह कर के पत्नी के लाखों रुपए ले कर फरार हो गया है. उस ठग की कहानी पढ़ कर उस के दिमाग में आइडिया आया कि इस तरह विवाह कर के भी पैसा कमाया जा सकता है. बस, उस ने सोच लिया अब वह भी इसी तरह विवाह कर के पैसे कमाएगा.
मन में यह विचार आते ही महेश ने मैट्रीमोनियल साइट पर अपनी फेक आईडी बनानी शुरू की. किसी में डाक्टर तो किसी में इंजीनियर तो किसी में सौफ्टवेयर इंजीनियर तो किसी में बिजनैसमैन तो किसी में सरकारी अफसर बन कर उस ने प्रोफाइल बना डालीं.
करीब 35 साल की महिलाओं को फांसता था महेश
मजे की बात यह थी कि वह साइट पर जा कर यह उन्हीं महिलाओं को चुनता था, जिन की उम्र 35 साल या उस से अधिक होती थी. अगर डिवोर्सी होती तो उसे और अधिक बेहतर लगती. लेकिन अमीर होनी चाहिए और देखने में ठीकठाक लगनी चाहिए.
जब शुरुआत हुई तो जैसा शुरू में बताया गया है, ठीक उसी तरह बात होती और फिर शादी की तारीख तय हो जाती. शुरू में ही महेश लडक़ी वालों से बता देता था कि उस के मांबाप नहीं हैं. परिवार में प्रौपर्टी के बंटवारे को ले कर झगड़ा चल रहा है, इसलिए परिवार का भी कोई सदस्य शादी में नहीं आएगा. बस, दोचार रिश्तेदार और दोस्त ही विवाह में आ सकते हैं.
इसलिए महेश के विवाह में उस की ओर से दसपांच लोग ही शामिल होते थे. लेकिन ये लोग भी न उस के रिश्तेदार होते थे और न दोस्त. ये लोग किराए के होते थे. इस तरह के लोगों को उसे ढूंढने भी नहीं जाना पड़ता था. क्योंकि उस ने कन्नड़ फिल्मों में काम करने के लिए खूब धक्के खाए थे, इसलिए तमाम जूनियर कलाकारों से उस की जानपहचान हो गई थी.
अपने विवाह पर वह इन्हीं लोगों को किसी को 3 हजार पर तो किसी को 5 हजार पर तो किसी को 10 हजार रुपए पर यानी हुलिए के हिसाब से फीस दे कर बाराती के रूप में ले आता था. उन्हें पैसे तो मिलते ही थे, अच्छे से अच्छे होटल में ठहरने के साथ में अच्छे से अच्छा खाना मिलता था और विदाई के समय कुछ न कुछ उपहार भी मिल जाते थे.
विवाह होते ही किराए के बाराती अपने घर चले जाते और महेश पत्नी को ले कर मैसूर आ जाता, जहां यह शादी होते ही किराए का एक घर ले लेता था. अपने घर के बारे में तो वह पहले ही बता देता था कि पुश्तैनी प्रौपर्टी को ले कर उस का झगड़ा चल रहा है.
इस के बाद वह किसी पत्नी से कहता कि उसे क्लीनिक खोलनी है तो किसी से कुछ और कह कर पैसे ले लेता था. जो न देतीं उन के पैसे और गहने चुरा कर किसी न किसी बहाने यह कह कर निकल जाता था. जाते समय वह यह भी कह जाता था कि वह उस के बारे में किसी को कुछ नहीं बताएगीं, पुलिस को भी नहीं, क्योंकि प्रौपर्टी के झगड़े में कुछ भी हो सकता है, उस की जान भी ली जा सकती है और पुलिस से भी पकड़वा कर जेल भिजवाया जा सकता है. क्योंकि करोड़ों की प्रौपर्टी का मामला है.
3 पत्नियों से उस के हैं 5 बच्चे
इसी तरह महेश ने एक डाक्टर से भी डाक्टर बन कर विवाह कर लिया था. शादी के बाद महेश डाक्टर पत्नी के साथ क्लीनिक भी गया और वहां एक डाक्टर के रूप में अपने तमाम फोटो खींच लिए थे. उन्हीं फोटो को उस ने एक डाक्टर के रूप में मैट्रीमोनियल साइट पर पोस्ट कर दिए थे.
इसी तरह कोई इंजीनियर या कोई और मिल जाती तो उस के औफिस में जा कर फोटो खींच पर मैट्रीमोनियल साइट पर पोस्ट कर देता. इसी तरह उस ने कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में कुल 15 शादियां कर डालीं. इन 15 शादियों में से 3 पत्नियों से उसे 5 बच्चे भी हुए. पर किसी भी पत्नी के साथ महेश एक महीने से अधिक नहीं रहा. इस के बाद वह किसी काम की बात कह कर निकल जाता.
जब महेश को गए ज्यादा समय हो जाता और दूसरी ओर उस के गहने और पैसे भी लुट गए होते, तब उन की समझ में आता कि उन के साथ धोखा हुआ है. पर वे अपना यह दर्द कहें किस से. क्योंकि वे अपना यह दर्द किसी से कहतीं तो जगहंसाई ही होती. इसलिए कोई भी महिला किसी से भी अपनी यह तकलीफ नहीं बताती थी. क्योंकि इस के लिए वह खुद को दोषी मानती थीं.
2013 में बेंगलुरु की एक महिला, जो इंजीनियर थी, उस ने भी महेश से विवाह किया था. 3 दिन बाद जब यह उसे छोड़ कर चला गया था और लौट कर नहीं आया था, तब उस ने उस के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई थी. तब पुलिस ने उस की रिपोर्ट पर खास ध्यान नहीं दिया था.
अगर उसी समय पुलिस ने ऐक्शन लिया होता तो तमाम महिलाएं इस ठग लुटेरे दूल्हे का शिकार होने से बच जातीं. पुलिस की लापरवाही का ही नतीजा था कि महेश शादियों पर शादियां करता गया और उस ने 15 शादियां कर डालीं. इस के बाद जो जानकारी मिली थी, उस के अनुसार 9 महिलाएं उस से शादी करने की कतार में थीं. उसे 9 पत्नियां मिल चुकी थीं, जो अलगअलग पेशे वाली थीं. वह जल्दी ही 9 शादियां और करने वाला था, लेकिन इस से पहले ये 9 शादियां होतीं, पुलिस उस तक पहुंच गई और ये 9 महिलाएं बरबाद होने से बच गईं.
मजे की बात यह थी कि महेश ने जितनी भी शादियां कीं, इन में कोई भी महिला गांव देहात की अनपढ़ महिला नहीं थी. सब की सब उच्चशिक्षित थीं, कोई डाक्टर तो कोई इंजीनियर, यहां तक कि असिस्टेंट प्रोफेसर भी थीं. सभी उस के झांसे में आ गईं और शादी के बाद किसी ने उस के खिलाफ रिपोर्ट भी नहीं दर्ज कराई.
पूछताछ में महेश ने यह भी बताया कि कुछ लड़कियां तो विवाह करतेकरते रह गईं. इस की वजह यह थी कि महेश ज्यादा पढ़ालिखा तो था नहीं, इसलिए वह जो अंगरेजी बोलता था, उस में गलतियां बहुत होती थीं. वह अच्छी अंगरेजी बोल नहीं पाता था, इसलिए सामने वाली लड़कियों को शक हो गया कि एक डाक्टर हो कर यह इतनी गलत अंगरेजी बोल रहा है. इसलिए उन्होंने उस से शादी नहीं की थी.
महेश का कहना था कि अगर वह अच्छी अंगरेजी बोल लेता तो 15 ही नहीं, अब तक वह कम से कम सौ शादियां कर चुका होता. लोगों को दिखाने के लिए बेंगलुरु के तुमकुरु में उस ने अपना एक नकली क्लीनिक भी बना रखा था, जहां वह कभीकभी डाक्टर के रूप में बैठता भी था. लोगों को शक न हो, इस के लिए उस ने एक नर्स भी नौकरी पर रखी थी.
एसआई राधा एम के अनुसार महेश नायक ने 15 शादियां कर के अब तक करीब 3 करोड़ के गहनों और रुपयों की चोरी की है. संपत्ति के नाम पर उस के पास 2 कारें थीं, लेकिन कोई मकान आदि नहीं है. पत्नियों के पैसे और गहने चुरा कर वह विलासितापूर्ण जीवन जीता था. पत्नियों को छोड़ कर जाने के बाद वह होटलों में ठहरता था.
उस ने जब पहली शादी की थी, तब वह 24 साल का था. इन 19 सालों में उस ने 15 शादियां कर ली थीं. पुलिस ने आरोपी महेश केबी से पूछताछ के बाद उसे भादंवि की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 506 (आपराधिक धमकी), 380 (चोरी) के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में निशा बदला हुआ नाम है