एसएचओ रविंद्र वर्मा काररवाई निपटाने में लग गए. लाश का पंचनामा तैयार कर के और संदिग्ध चीजों को सीलमुहर करने के बाद एसएचओ ने लाश को दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. फिर वह थाने वापस आ गए, उन की टीम उन के साथ थी.
उत्तम मंडल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट 5 नवंबर को राजौरी गार्डन थाने की टेबल पर पहुंची तो उसे पढ़ कर एसएचओ हैरत से उछल पड़े. पास में ही एसआई मुकेश यादव बैठे एक फाइल देख रहे थे.
अपने साहब को यूं कुरसी से उछल कर खड़ा होते देख उन्होंने आश्चर्य से पूछा, ‘‘क्या बात है सर, आप उत्तम की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देख कर हैरत में क्यों आ गए हैं?’’
‘‘मुकेश, डीसीपी साहब का तजुर्बा कमाल का निकला. उन्होंने उत्तम की बीवी काजल की कहानी का परसों बखिया उधेड़ कर कहा था कि कोई आदमी इतनी छोटी वजह पर फांसी लगा लेगा, यह संभव नहीं है.’’
‘‘लेकिन सर, उत्तम ने फांसी तो लगाई ही है. उस की लाश देखी है मैं ने, उस के गले पर फंदे के निशान दिखाई दे रहे थे.’’
‘‘मुकेश बाबू, अब उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी देख लो. उत्तम मंडल ने फांसी नहीं लगाई, उसे गला घोट कर मारा गया था और मारने के बाद फिर उस की लाश को फंदे पर लटकाया गया था.’’
‘‘क्या… यह क्या कह रहे हैं सर?’’ मुकेश ने हैरानी से कहा, ‘‘लाइए, मुझे दिखाइए पोस्टमार्टम रिपोर्ट.’’
एसएचओ ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट एसआई मुकेश की ओर बढ़ा दी. एसआई मुकेश यादव ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखी तो उन की आंखें भी आश्चर्य से चौड़ी हो गईं.
‘‘कमाल है सर, उत्तम मंडल तो गला घोटे जाने से मरा है, उसे बाद में फांसी पर लटकाया गया.’’ मुकेश यादव हैरानी से बोले.
‘‘क्या लगता है मुकेश, यह काम किस का हो सकता है?’’ एसएचओ ने पूछा.
‘‘काजल पर शक जा रहा है सर, कोई बाहर का आदमी काजल द्वारा कपड़े उतारने छत पर जाने के दौरान घर में घुस कर मंडल का गला नहीं दबा सकता और यदि दबाएगा तो इतने कम समय में चुन्नी का फंदा बना कर उत्तम की लाश को पंखे से लटका नहीं सकेगा.’’
‘‘हां, लाश को उठा कर पंखे से लटकाने में आधे घंटे की मेहनत लग सकती है. बाहर का व्यक्ति इतने इत्मीनान से यह काम करने की हिम्मत एक ही सूरत में करेगा.’’
‘‘किस सूरत में?’’
‘‘अगर उस का काजल से कोई घनिष्ठ रिश्ता रहेगा, मतलब मृतक की पत्नी काजल से वह मिला होगा.’’
‘‘गुड.’’ श्री वर्मा मुसकरा पड़े, ‘‘मैं भी यही सोच रहा हूं. उत्तम की लाश छत के पंखे से लटकाने में काजल का सहयोग किसी ने जरूर किया है. और ऐसा
सहयोग वही करेगा, जिसे काजल से लगाव होगा.’’
‘‘सर, यह भी हो सकता है कि खुद काजल ने अपने पति की हत्या की हो और फिर अपने जानकार को बुला कर लाश पंखे से लटका कर इसे आत्महत्या का रूप दिया हो.’’
‘‘बात एक ही है मुकेश. बाहर का व्यक्ति हत्या करे या काजल खुद हत्या करे, मकसद आपसी सहयोग से लाश को फंदे पर लटकाने का है. देखना है, वह बाहर का व्यक्ति काजल का हितैषी रहा है या प्रेमी?’’
‘‘प्रेमी ही होगा सर, मुझे यह मामला प्रेम संबंधों का लग रहा है. अगर काजल को यहां ला कर पूछताछ की जाए तो वह बता देगी कि उस का साथ किस ने दिया है.’’
‘‘मुकेश, सब से पहले तो यह सच्चाई उच्चाधिकारियों को बता कर उन की राय लेना आवश्यक है.’’ श्री वर्मा ने कहा तो एसआई मुकेश ने सहमति में सिर हिला दिया.
एसएचओ रविंद्र वर्मा ने डीसीपी घनश्याम बंसल को फोन कर के उत्तम मंडल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जानकारी देते हुए काजल पर अपना संदेह व्यक्त किया तो उन्होंने उन्हें अपने तरीके से कार्य करने की परमिशन देते हुए उन्हीं के सुपरविजन में एक टीम का गठन कर दिया.
इस टीम में एसएचओ रविंद्र वर्मा के अलावा इंसपेक्टर सुदेश नैन, एसआई मुकेश यादव, महिला हैडकांस्टेबल जया, मनजीत, संदीप और कांस्टेबल मनजीत को शामिल किया गया.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से उत्तम मंडल का गला दबा कर हत्या करने की बात सामने आ गई थी, इसलिए एसआई मुकेश यादव को वादी बन कर यह मामला भादंवि की धारा 302 के तहत दर्ज किया गया.
अब तक सूचना पा कर उत्तम मंडल के परिजन भी पूर्णिया (बिहार) से दिल्ली आ गए थे. उत्तम मंडल की पत्नी काजल, पिता गुलाय मंडल और उस के अन्य परिजनों को दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल की मोर्चरी में बुलवा कर उत्तम की लाश को उन के सुपुर्द कर के क्रियाकर्म की मंजूरी दे दी गई.
अभी तक एसएचओ वर्मा ने काजल या उस के घर वालों पर यह जाहिर नहीं होने दिया था कि उत्तम मंडल ने आत्महत्या नहीं की, उसे गला घोट कर मारा गया है. उसी शाम उत्तम मंडल का उस के घर वालों ने अंतिम संस्कार कर दिया.
एसएचओ वर्मा ने एक बात पर गौर किया कि खुद को उत्तम मंडल का पड़ोसी और गांव के रिश्ते से उत्तम मंडल का भाई बताने वाला राजेश हर मामले में आगे रहा था. उस की काजल के साथ खुसरफुसर होने की बात भी उन्होंने नोट कर ली थी.
उन्हें महसूस हुआ कि काजल और राजेश में कोई गहरा रिश्ता है, ऐसा रिश्ता तो उत्तम मंडल की हत्या की साजिश तक रच सकने में संकोच नहीं करेगा.
एसएचओ ने एसआई मुकेश यादव को मोहन सिंह के मकान पर भेज कर काजल और राजेश के गहरे रिश्ते की छानबीन करने का निर्देश दिया.
एसआई मुकेश यादव ने मोहन सिंह और आसपड़ोस से पूछताछ कर के जो मालूमात हासिल की, उस के अनुसार राजेश का काजल के घर में बहुत उठनाबैठना था. उत्तम मंडल की गैरमौजूदगी में भी वह कईकई घंटे उस के घर में घुसा रहता था. उस की यह घुसपैठ शक का कारण बनी.
श्री वर्मा ने 5 नवंबर, 2022 की शाम को काजल को थाने बुलवा लिया. काजल उस वक्त उत्तम की मौत में गमजदा होने का जबरदस्त नाटक कर रही थी. थाने में वह सुबक रही थी और उस की आंखों से झरझर आंसू बह रहे थे.
श्री वर्मा ने उसे सामने बिठा कर सख्ती से पूछताछ की तो वह कुछ ही देर में टूट गई और उस ने स्वीकार कर लिया कि राजेश के साथ मिल कर अपने पति की गला दबा कर हत्या की थी और उसे राजेश की सहायता से फंदे से लटकाया था.
‘‘तुम ने ऐसा क्यों किया काजल?’’ एसएचओ वर्मा ने गंभीर स्वर में प्रश्न किया.
‘‘सर, राजेश को ले कर उत्तम मुझ पर शक करता था. लेकिन खामोश रहता था. उत्तम ने मुझे परसों शाम राजेश के साथ आपत्तिजनक हालत में देख लिया था.
‘‘उस ने राजेश को और मुझे जलील करते हुए मेरी पिटाई की तो मैं ने गुस्से में राजेश को ललकारा कि वह मुझे प्यार करता है तो इसे रास्ते से हटा दे. राजेश ने तब उत्तम को नीचे गिरा दिया. मैं ने उस की छाती पर बैठ कर उस का गला दबा दिया तो वह थोड़ी देर छटपटाया, फिर उस की मौत हो गई.
‘‘हम ने सर गुस्से में ऐसा अपराध किया था. उत्तम की मौत हो जाने पर हम घबरा गए. राजेश ने मुझे सलाह दी कि अगर उत्तम को फंदे से लटका कर आत्महत्या करने की बात कही जाएगी तो पुलिस इसे सच मान लेगी. मैं ने राजेश की मदद की और मेरी चुन्नी और परदे को आपस में जोड़ कर उत्तम के गले में फंदा डाल कर पंखे से लटका दिया.
‘‘राजेश यह काम कर के वहां से चला गया तो मैं ने अपने मकान मालिक को जा कर बताया कि उत्तम ने फांसी लगा ली है. थोड़ी देर में मेरे रोने की आवाजें सुन कर राजेश दौड़ा आया और उस ने उत्तम की लाश को नीचे उतार लिया.’’
‘‘राजेश ने लाश क्यों उतारी, क्या तुम लोग नहीं जानते थे कि ऐसी अवस्था में यह पुलिस के काम में हस्तक्षेप करने जैसा अपराध होता है?’’
‘‘सर, राजेश ने मुझे बता दिया था कि वह लाश खुद नीचे उतार देगा, क्योंकि पुलिस लटकी हुई लाश की बहुत बारीकी से छानबीन करती है. लाश पंखे से लटकी रहती तो हम लोग फंस सकते थे.’’
‘‘राजेश के साथ तुम्हारे संबंध कब से हैं?’’ वर्मा ने गंभीर स्वर में पूछा.
‘‘6-7 महीने से.’’ काजल ने बताया, ‘‘राजेश ने मेरे पति को मोहन सिंह के मकान में कमरा दिलवाया था. उसी ने मेरे पति को फैक्ट्री में काम पर लगवाया था. मेरे पति उसे छोटा भाई मानते थे. राजेश शादीशुदा और 3 बेटियों और एक बेटे का बाप है, लेकिन उस की तभी से मुझ पर नजर थी, जब मैं ब्याह कर गांव में अपाहिज उत्तम के घर आई थी.
‘‘जब मैं पति के साथ दिल्ली आ गई तो राजेश अकसर मेरे घर आने लगा. मैं ने उस की आंखों में अपने लिए चाहत देखी तो मैं भी उस की ओर आकर्षित हो गई. हमारे बीच जल्दी ही संबंध बन गए. पति जब काम पर होता था, हम अपने जिस्म की प्यास बुझा लेते थे. उत्तम ने अगर उस दिन हमें आपत्तिजनक हालत में नहीं पकड़ा होता तो उस की हत्या भी नहीं होती.’’
काजल द्वारा उत्तम मंडल की गला दबा कर हत्या करने की बात स्वीकार कर लेने के बाद उसी रात राजेश को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया गया.
थाने में काजल को गरदन झुका कर बैठा देख वह समझ गया कि हत्या की बात वह कुबूल कर चुकी है, इसलिए उस ने चुपचाप इस हत्या में शामिल होने की बात स्वीकार कर ली.
पुलिस ने उन्हें दूसरे दिन अदालत में पेश कर के जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. उत्तम मंडल की हत्या का मामला पुलिस ने 24 घंटे में हल कर दिया था. इस के लिए डीसीपी घनश्याम बंसल ने पूरी टीम को शाबाशी दी.
पति द्वारा सुख मिलने के बाद भी काजल ने परपुरुष से अवैध संबंध बनाए, जिस के कारण काजल को पति की हत्या करने जैसा संगीन अपराध करना पड़ा. उस ने यह भी नहीं सोचा कि उस के जेल चले जाने के बाद उस के बेटे का क्या होगा. फिलहाल उत्तम का बेटा अपने दादादादी के साथ पूर्णिया (बिहार) चला गया था.द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित