सिर कटी लाश का रहस्य – भाग 1

मुंबई के पास वसई थाना क्षेत्र के भुईगांव समुद्र तट पर झाडि़यों के बीच एक लावारिस काले रंग का बड़ा सा ट्रौली बैग देख लोगों ने पुलिस को सूचना दी. सूचना मिलते ही वसई पुलिस मौकाएवारदात पर पहुंच गई. पुलिस को पहली ही नजर में मामला संदिग्ध नजर आया. क्योंकि एक सुनसान समुद्र किनारे पर किसी सूटकेस के पड़े होने का और कोई मतलब समझ में नहीं आ रहा है.

फिलहाल पुलिस ने उस ट्रौली बैग को अपने कब्जे में ले लिया और उसे खोला. जैसी आशंका थी, वही हुआ. सूटकेस खोलते ही पुलिस की आंखें फटी रह गईं. बैग से एक सिर कटी लाश बरामद हुई थी. कदकाठी आदि देख कर लग रहा था कि उस युवती की उम्र 26-27 की होगी. लग रहा था कि हत्यारे ने शातिर तरीके से लाश ठिकाने लगाने की कोशिश की थी.

सिर कटी लाश मिलने से वहां सनसनी फैल गई. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर सिर कटी लाश यानी धड़ को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया. पुलिस ने उस के कटे सिर को ढूंढना शुरू कर दिया, लेकिन काफी कोशिश करने के बाद भी कटा सिर बरामद नहीं हो सका. यह बात 26 जुलाई, 2021 की थी.

चूंकि पहली ही नजर में यह बात साफ हो गई थी कि हत्यारा बेहद चालाक और शातिर है. वसई पुलिस ने बिना देर किए आईपीसी की धारा 302, 201 के तहत हत्या का मामला अज्ञात के खिलाफ दर्ज कर लिया.

मृतका की शिनाख्त के लिए पुलिस ने उस के कपड़ों, सूटकेस के विभिन्न एंगिल से फोटो खिंचवा कर उस के 200 बड़े बैनर और पोस्टर बनवा लिए. फिर वह पूरे महाराष्ट्र के साथ ही आसपास के राज्यों में लगवा दिए ताकि कहीं से भी अगर कोई इन तसवीरों को देख कर पुलिस से संपर्क करे तो आगे जांच की जा सके. जिस के बाद हत्यारों को पकड़ा जा सके.

इतना ही नहीं पुलिस ने पड़ोसी राज्य के बौर्डर के थानों में संपर्क किया, आसपास के थानों में फोन घुमाए. इस के अलावा क्राइम ऐंड क्रिमिनल ट्रैकिंग ऐंड मिसप्स पर भारत भर में हजारों गुमशुदा शिकायतों की जांच की गई, लेकिन वहां भी कोई सुराग नहीं मिला.

एक साल बाद भी नहीं मिला सुराग

पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने के साथ ही लाश का डीएनए सैंपल सुरक्षित रखवा दिया. इस के बाद पुलिस मामले में कोई सुराग मिलने का इंतजार करने लगी.

पुलिस ने इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए लाश की शिनाख्त के लिए पूरी ताकत लगा दी.  जोनल डीसीपी संजय कुमार पाटिल ने 6 टीमों का गठन किया, जिस में इंसपेक्टर ऋषिकेश पावल, इंसपेक्टर (क्राइम) अब्दुल हक, एपीआई राम सुरवासे, सुनील पवार, सागर चव्हाण, एसआई विष्णु वघानी, कांस्टेबल सुनील मालवकर, विनोद पाटिल, मिलिंद घरत, शरद पाटिल, विनायक कचरे शामिल थे.

इस के साथ ही सीसीटीवी कैमरों की जांच भी की गई. लेकिन इतने प्रयास के बाद भी पुलिस को कोई क्लू नहीं मिला. दिन गया रात आई, रात गई दिन आया और धीरेधीरे दिन, महीने इस तरह पूरा एक साल गुजर गया. लेकिन इस बीच पुलिस को इस सिर कटी युवती की लाश के सिलसिले में कहीं से कोई सूचना नहीं मिली.

कर्नाटक के बेलगाम में रहने वाले जावेद शेख पिछले एक साल से अपनी 25 वर्षीय बेटी सान्या उर्फ सानिया शेख से बात करने के लिए परेशान थे. जब भी वह फोन मिलाते, बेटी का मोबाइल स्विच्ड औफ मिलता था. जबकि उस के पति के नंबर पर फोन मिलाने पर रौंग नंबर कह कर फोन काट दिया जाता था. अपनी बेटी से बात करने के लिए पूरा परिवार तरस गया था. उस की कोई खोजखबर भी नहीं मिल रही थी.

जावेद इस बात से बहुत परेशान थे. अपनी बेटी से उन की आखिरी बार बात 8 जुलाई, 2021 को हुई थी. बेटी की ससुराल मुंबई के नालासोपारा में थी. उन दिनों कोविड के चलते यात्रा करना व कहीं आनाजाना मुश्किल हो रहा था.

बेटी की तलाश में पहुंचे मुंबई

आखिर काफी सोचविचार के बाद जावेद और उन के घर वालों ने मुंबई जा कर सानिया शेख के बारे में पता करने का निर्णय लिया. जावेद शेख अपने बेटों व कुछ परिचितों के साथ 27 अगस्त, 2022 को मुंबई के लिए रवाना हुए.

मुंबई पहुंच कर जावेद नालासोपारा स्थित सानिया की ससुराल पहुंचे. वहां पहुंच कर उन्हें जो जानकारी मिली, उस से उन के पैरों तले की जमीन जैसे खिसक गई.

यह जान कर वह हैरान रह गए कि जिस फ्लैट में सानिया के ससुराल वाले रहते थे, एक साल पहले बेच कर वे लोग यहां से चले गए थे. ससुराल वाले कहां चले गए, इस की वहां किसी को जानकारी नहीं थी.

अब सानिया के घर वालों को दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली नजर आने लगी थी. क्योंकि ससुराल वालों के फ्लैट बेचने की जानकारी उन्हें मुंबई आने के बाद ही हुई थी. इस संबंध में उन्हें किसी ने कोई बात नहीं बताई थी. इधर सानिया से पिछले एक साल से बात नहीं हो पाना, फ्लैट को बेच देना, ये बातें किसी साजिश की ओर इशारा कर रही थीं.

तब जावेद शेख 29 अगस्त, 2022 को बिना देर किए नालासोपारा के अचोले थाने पहुंच गए. उन्होंने पुलिस को बताया कि सानिया के मातापिता की मौत उस के बचपन में ही हो गई थी. भतीजी सानिया को उन्होंने अपनी बेटी मान कर पालापोसा था.

5 साल पहले 2017 में उस की शादी मुंबई के ठाणे जिले के नालासोपारा इलाके के रश्मि रीजेंसी अपार्टमेंट निवासी आसिफ शेख के साथ कर दी.

इंसाफ की ज्योति : बेकसूर को मिली सजा – भाग 1

21अक्तूबर, 2022 की सुबह 10 बजे कानपुर कोर्ट में विशेष हलचल थी. दरअसल, उस दिन हाईप्रोफाइल ज्योति मर्डर केस का फैसला अपर जिला जज (प्रथम) की अदालत में सुनाया जाना था. इस केस की अंतिम बहस बीते दिन पूरी हो गई थी और अपर जिला जज (प्रथम) अजय कुमार त्रिपाठी ने सभी आरोपियों को दोषी करार दिया था.

अदालत का फैसला सुनने के लिए आरोपियों तथा मृतका ज्योति के घर वाले भी अदालत कक्ष में आ चुके थे. वकीलों तथा नागरिकों में भी फैसले को ले कर उत्सुकता थी. अत: अदालत का कक्ष खचाखच भरा था. कक्ष के बाहर भी भारी भीड़ जुटी थी.

ठीक 12 बजे विद्वान जज अजय कुमार त्रिपाठी ने अदालत कक्ष में प्रवेश किया. उन के आसन ग्रहण करते ही बचाव व अभियोजन पक्ष के वकीलों ने उन्हें अभिवादन किया. उस के बाद मुजरिम पीयूष श्यामदासानी, उस की प्रेमिका मनीषा मखीजा, अवधेश चतुर्वेदी, रेनू कनौजिया, आशीष व सोनू कश्यप को कड़ी सुरक्षा में कोर्टरूम में लाया गया. सभी 6 आरोपियों की जज के समक्ष हाजिरी हुई. इस के बाद अदालत की काररवाई शुरू हुई.

मृतका ज्योति के वकील धर्मेंद्र पाल सिंह तथा सरकारी वकील दामोदर मिश्र ने जज अजय कुमार त्रिपाठी के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि पति द्वारा षडयंत्र के तहत पत्नी की नृशंस हत्या कराई गई. यह विरल से विरलतम श्रेणी का अपराध है. इस से पूरा समाज द्रवित है. इसलिए सभी अभियुक्तों को मृत्युदंड दिया जाए ताकि समाज में एक संदेश जाए.

बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने भी अपने तर्क दिए और जज के समक्ष कम से कम दंड देने का अनुरोध किया. पीयूष के वकील सईद नकवी ने तर्क दिया कि अभियुक्त संभ्रांत परिवार का है. इस से पहले वह न तो किसी अपराध में दोष सिद्ध हुआ और न ही उस का कोई आपराधिक इतिहास है.

अभियुक्ता मनीषा मखीजा के वकील ने तर्क रखा कि वह अविवाहित और संभ्रांत परिवार से है. यह उसका पहला अपराध है, अत: कम से कम दंड दिया जाए.

अभियुक्त आशीष कश्यप के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि वह गरीब है और उस के पिता अत्यंत बीमार हैं. घर का एकमात्र कमाने वाला है, अत: उसे कम से कम दंड दिया जाए. अवधेश व सोनू कश्यप के वकील सुरेश सिंह चौहान ने तर्क दिया कि वे दोनों गरीब हैं. अत: उन्हें कम से कम दंड दिया जाए.

दोनों पक्षों को सुनने के बाद विद्वान जज अजय कुमार त्रिपाठी ने इस केस को विरल से विरलतम श्रेणी में नहीं माना और आरोपी पीयूष, उस की प्रेमिका मनीषा मखीजा तथा अवधेश चतुर्वेदी, आशीष कश्यप, सोनू कश्यप व रेनू कनौजिया को उम्रकैद की सजा सुनाई. सभी पर 2.18 लाख का जुरमाना भी लगाया. जुरमाने की आधी धनराशि मृतका ज्योति की मां कंचन को देने का आदेश पारित किया.

अदालत ने अपराध की जानकारी होने के बावजूद पुलिस को सूचना न देने के आरोप में पीयूष की मां पूनम तथा भाई मुकेश व कमलेश का गुनाह साबित न होने पर बरी कर दिया.

अदालत का फैसला सुनते ही पीयूष फूटफूट कर रोने लगा. उस की प्रेमिका मनीषा मखीजा की आंखों से भी आंसू टपकने लगे. वहीं मृतका ज्योति के पिता शंकर लाल नागदेव की आंखों से भी आंसू छलक पड़े. उन्होंने कहा कि वह अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं. देर से सही पर इंसाफ की ज्योति जली.

पीयूष श्यामदासानी कौन था? उस ने पत्नी ज्योति की हत्या सुपारी दे कर क्यों कराई? वह जेल की सलाखों के पीछे कैसे पहुंचा? यह सब जानने के लिए उस के अतीत में झांकना जरूरी है.

उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर का एक पौश इलाका है पांडव नगर. यहां ज्यादातर धनाढ्य और रसूखदार लोगों के बंगले हैं. इसी पांडव नगर इलाके में धनाढ्य व्यवसायी ओमप्रकाश श्यामदासानी का भी आलीशान बंगला है. उन के परिवार में पत्नी पूनम श्यामदासानी के अलावा 2 बेटे मुकेश उर्फ मुक्की तथा पीयूष श्यामदासानी हैं. ओम प्रकाश के साथ ही उन के बड़े भाई राजमोहन श्यामदासानी भी रहते हैं.

राजमोहन और ओमप्रकाश के पिता कोड़ामल गन्नामल 1960 के दशक में सिंध प्रांत से कानपुर आए थे. दोनों भाई पहले प्रेम नगर में किराए पर रहते थे और परचून की दुकान चलाते थे. परचून की दूकान में घाटा हुआ, तो उन्होंने दुकान बंद कर के गुजरबसर के लिए पंक्चर लगाने की दुकान खोल ली. पर इस काम से भी उन की गुजरबसर नहीं हो पाती थी.

एक ओर दोनों भाइयों की माली हालत बिगड़ती जा रही थी तो दूसरी ओर घर के खर्च बढ़ते जा रहे थे. ऐसे में दोनों भाइयों ने खादी ग्रामोद्योग बोर्ड से किसी तरह 10 हजार रुपए का लोन पास कराया और संगीत सिनेमा के सामने हाता में होजरी के डिब्बे बनाने का कारखाना खोल लिया. धीरेधीरे काम बढ़ा तो आर्थिक स्थिति सुधरने लगी.

तब तक राजमोहन 3 बेटों के पिता बन चुके थे. लेकिन ओमप्रकाश की पत्नी की गोद अभी तक सूनी थी. ओमप्रकाश और उन की पत्नी पूनम ने तमाम प्रयास किए, लेकिन उन के औलाद नहीं हुई. हर तरफ से निराश हो कर ओमप्रकाश श्यामदासानी ने लिखापढ़ी के बाद अपनी बहन के बेटे मुकेश उर्फ मुक्की को गोद ले लिया. इसे इत्तफाक कहें या कुछ और कि मुकेश को गोद लेने के बाद ओमप्रकाश और पूनम की जिंदगी में खुशहाली आ गई. कुछ सालों के बाद पूनम पीयूष नाम के बच्चे की मां भी बन गई. पीयूष के जन्म से पूनम की जिंदगी में बहार आ गई.

इसी बीच राजमोहन व ओमप्रकाश ने साझेदारी में मेसर्स हिमांगी फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से सचेंडी में फैक्ट्री खोल ली. यह फैक्ट्री सोना उगलने लगी तो श्यामदासानी परिवार का रसूख भी बढ़ने लगा.

इस के बाद श्यामदासानी परिवार ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उन के यहां चारों तरफ से पैसा ही पैसा बरसने लगा. इसी बीच ओमप्रकाश और राजमोहन ने मुंबई दौड़भाग कर के कानपुर के लिए ‘पारले जी’ बिसकुट की फ्रैंचाइजी मंजूर करवा ली. इस के साथ ही श्यामदासानी बंधुओं ने पनकी में ‘मेसर्स स्वाति बिसकुट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी’ खोल ली. स्वाति बिसकुट के साथसाथ ये लोग पारले जी बिस्कुट भी बनाने लगे.

पैसा के बाद मिली पावर और पौलिटिक्स

श्यामदासानी परिवार के पास पैसा आया और रसूख बढ़ा तो दोनों भाइयों ने कानपुर के पौश इलाके पांडव नगर में एक आलीशान बंगला बनवाया और उसी में सपरिवार रहने लगे. अब उन की गिनती बड़े उद्यमियों में होने लगी थी. इस परिवार के पास 12 लग्जरी गाडि़यां थीं, जो उन की शानोशौकत को बयां करती थीं.

कहावत है कि पैसा, पावर और पौलिटिक्स तीनों ही एकदूसरे के बिना अधूरे हैं. इंसान के पास इन में से कोई एक भी हो तो बाकी 2 खुदबखुद खिंचे चले आते हैं. राजमोहन व ओमप्रकाश श्यामदासानी के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. बिजनैस में बढ़ोत्तरी के दौरान ही ओमप्रकाश ने फ्लोर मिल में भी हाथ आजमाया.

नफरत की आग में खाक हुए रिश्ते – भाग 1

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी शहर में एक बड़ी आबादी वाला मोहल्ला है पुरोहिताना. यह कोतवाली थाना अंतर्गत आता है. इसी मोहल्ले में गुड्डू खटीक अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी विनीता के अलावा एक बेटा करन तथा बेटी कोमल थी.

सरस्वती बालिका इंटर कालेज से हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद वह आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से मांबाप ने इजाजत नहीं दी.

कोमल के घर से 2 घर बाद 25 वर्षीय करन गोस्वामी का घर था. वह अपनी मां पिंकी तथा भाई रौकी के साथ रहता था. उस के पिता प्रेमपाल की मौत हो चुकी थी. करन प्राइवेट नौकरी करता था और ठाठबाट से रहता था.

पड़ोसी होने के नाते कोमल के भाई करन खटीक व करन गोस्वामी में दोस्ती थी. दोनों साथ उठतेबैठते और बोलतेबतियाते थे. करन गोस्वामी का दोस्त के घर आनाजाना लगा रहता था. करन गोस्वामी जब भी करन खटीक के घर जाता, उस की मुलाकात कोमल से भी होती थी. कभीकभार उस से बातचीत भी हो जाती थी.

बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा तो उन के दिलों में प्यार पनपने लगा. करन की आंखों के रास्ते कोमल उस के दिल में समा चुकी थी.

कोमल बनसंवर कर घर से निकलती थी. करन तिरछी नजरों से उसे रोज देखा करता था. उस की नजरों से ही पता चलता था कि वह उसे चाहता है. करन का तिरछी नजरों से निहारना कोमल को अच्छा लगता था. करन के प्यार का एहसास कोमल के दिल को छू गया था.

एक शाम कोमल बाजार जा रही थी, तभी सिंधिया तिराहे के पास करन गोस्वामी मिल गया. औपचारिक बातचीत के बाद करन ने कहा, ‘‘कोमल, मेरे मन में बहुत दिनों से एक बात घूम रही है. मौका न मिलने की वजह से वह बात मैं तुम से कह नहीं सका. आज मैं तुम से वह बात कह देना चाहता हूं. तुम मुझे हनुमान मंदिर के पास मिलो.’’

उस की बात सुन कर कोमल समझ रही थी कि वह क्या कहना चाहता है. फिर भी वह नासमझ बनते हुए बोली, ‘‘ऐसी क्या बात है करन, जो तुम मुझे अलग में बताना चाहते हो. फिर भी तुम कहते हो तो मैं हनुमान मंदिर के पास मिलती हूं.’’

कुछ देर बाद दोनों हनुमान मंदिर पहुंच गए. चबूतरे पर दोनों आमनेसामने बैठ गए. लेकिन करन की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह अपने मन की बात उस से कहे. तभी कोमल बोली, ‘‘करन, तुम कुछ कहने के लिए मुझे यहां लाए थे. बताओ, क्या बात है?’’

करन ने हिम्मत जुटा कर उस की नजरों से नजरें मिला कर कहा, ‘‘कोमल, तुम मेरे दिल में रचबस गई हो. तुम्हारा यह सुंदर सलोना चेहरा हमेशा मेरी आंखों के सामने घूमता रहता है. अब तुम्हारे बिना नहीं रहा जाता.’’

करन की बातें सुन कर कोमल चहक कर बोली, ‘‘करन, मैं भी तुम से प्यार करती हूं. लेकिन…’’

‘‘लेकिन क्या कोमल?’’ करन ने मायूस हो कर पूछा.

कोमल गंभीर हो कर बोली, ‘‘करन, तुम जानते ही हो कि मेरी और तुम्हारी जाति अलग है. इस वजह से यह रिश्ता कभी नहीं हो सकता. अगर हम ने कोशिश की तो पूरा समाज हमारे खिलाफ हो जाएगा.’’

करन ने कोमल का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘कोमल, मैं तुम्हारे प्यार में पागल हूं. तुम्हारे लिए मैं किसी से भी टकराने को तैयार हूं.’’

करन का हौसला देख कर कोमल की हिम्मत बढ़ गई. उस ने मुसकराते हुए प्यार के इस रिश्ते पर अपनी मुहर लगा दी.

इस के बाद कोमल और करन का प्यार दिन दूना और रात चौगुना बढ़ने लगा. करन की आवाजाही भी दोस्त के घर बढ़ गई. वह कोमल से फोन पर भी घंटों बतियाने लगा.

कोई काम न होने के बावजूद करन के आनेजाने से कोमल की मां विनीता को शक होने लगा. एक दिन करन ने कोमल के दरवाजे पर दस्तक दी तो उस की मां ने दरवाजा खोला. सामने करन को देख कर उस ने कहा, ‘‘करन, तुम्हारा हमारे यहां बेमतलब आनाजाना ठीक नहीं है. हमारे घर सयानी बेटी है, लोग तरहतरह की बातें करते हैं.’’

करन समझ गया कि कोमल की मां विनीता को शक हो गया है, इसलिए वह वापस चला गया.

कोमल को मां का यह व्यवहार पसंद नहीं आया. इसलिए उस ने कहा, ‘‘मम्मी, करन के साथ तुम्हें इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए था.’’

रात में कोमल ने करन को फोन किया कि मां ने उस के साथ जो किया, वह उसे अच्छा नहीं लगा. अब वह काफी परेशान है. करन ने उसे समझाया कि वह मिलने का कोई न कोई रास्ता निकाल लेगा, इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं.

अब वे देर रात को फोन पर बतियाने लगे थे. लेकिन एक दिन कोमल के भाई करन खटीक ने रात में कोमल को मोबाइल फोन पर बातें करते सुन लिया तो उस का माथा ठनका. करन ने उस के हाथ से मोबाइल छीन कर देखा तो वह जिस नंबर पर बात कर रही थी, वह उस के दोस्त करन गोस्वामी का था.

पहले तो उसे केवल शक था, पर अब विश्वास हो गया कि दोस्त ने उस के साथ दगा किया है.

करन गोस्वामी के प्रति उस के मन में नफरत पैदा होने लगी. सुबह को उस ने यह बात अपनी मां को बताई तो घर वालों की नजरें चौकस हो गईं. सभी कोमल पर निगाह रखने लगे.

लेकिन शायद उन्हें यह बात पता नहीं थी कि प्यार पर जितना पहरा बिठाया जाता है. वह उतना ही बढ़ता जाता है.

मामी का उफनता शबाब – भाग 1

20 मई, 2022 की शाम कोेई 8 बजे बृजमोहन हर रोज की तरह गांव के बाहर लगे वाटर कूलर से पानी लेने गया था. काफी देर बाद भी वह पानी ले कर नहीं लौटा तो उस के घर वालों ने सोचा कि वह कहीं शराब पीने में लग गया होगा. लेकिन देर रात तक वह घर नहीं लौटा तो घर वालों को उस की चिंता हुई. उन्होंने उसे गांव में हर जगह खोजा,लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चला.

बृजमोहन के अचानक गायब हो जाने से गांव वाले भी उस की खोज में लग गए थे. गांव वालों के सहयोग से बृजमोहन का देर रात पता तो चल गया. लेकिन वह गांव से सटे हुए एक खाली प्लौट में लहूलुहान बेहोशी की हालत में मिला. ऐसी हालत में उसे देख कर उस के परिवार में शोक की लहर दौड़ गई.

उसे तुरंत ही काशीपुर के एल.डी. भट्ट सरकारी अस्पताल ले गए. जहां पर डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया था.

डाक्टरों की सूचना पर काशीपुर कोतवाल मनोज रतूड़ी तुरंत ही पुलिस टीम के साथ एल.डी. भट्ट अस्पताल पहुंचे. पुलिस ने उस के घर वालों से सारी बात मालूम की.

पुलिस ने मृतक के घर वालों से पूछताछ की. बृजमोहन शादीशुदा 2 बच्चों का बाप था. वह मेहनतमजदूरी कर किसी तरह से अपने बच्चों का पालनपोषण कर रहा था. गांव में उस की किसी के साथ कोई दुश्मनी भी नहीं थी. पुलिस ने पूछताछ करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजने की तैयारी शुरू कर दी.

पोस्टमार्टम होने वाली बात सामने आते ही उस के घर वाले विरोध करने लगे. उन का कहना था कि पुलिस पोस्टमार्टम के नाम पर लाश की दुर्गति करती है. इसी कारण वह किसी भी कीमत पर उस की लाश का पोस्टमार्टम नहीं होने देंगे.

इस बात को ले कर मृतक की बीवी प्रीति कौर ने रोतेधोते काफी बखेड़ा कर कर दिया. पुलिस के बारबार समझाने पर भी वह मानने को तैयार न थी. उस समय किसी तरह पुलिस ने घर वालों को समझाबुझा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

इस के बाद पुलिस केस की जांच में जुट गई. थानाप्रभारी ने बृजमोहन के घर वालों से उस के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि बृजमोहन ने प्रीति कौर के साथ लव मैरिज की थी. जिस के बाद से ही प्रीति कौर के घर वाले उस से नाराज चल रहे थे.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस को लगा कि कहीं उस के मायके वालों ने ही तो उस के पति की हत्या नहीं कर दी. इस बात के सामने आते ही पुलिस ने प्रीति कौर के मायके वालों से भी पूछताछ की.

लेकिन पुलिस पूछताछ में मायके वालों ने साफ शब्दों में कहा कि प्रीति के अपनी मरजी से शादी करने की वजह से उन्होंने उस से पूरी तरह से नाता तोड़ लिया था. जिस के बाद वह कभी भी उन के घर नहीं आई थी. जिस से साफ जाहिर था कि बृजमोहन की हत्या से उन का कोई लेनादेना नहीं रहा होगा.

पुलिस ने प्रीति कौर के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस के नंबर पर सब से ज्यादा सौरभ नाम के व्यक्ति से बात करने की बात सामने आई.

सौरभ बृजमोहन का भांजा था. वह अभी कुंवारा था.

बृजमोहन के घर सब से ज्यादा भी वही आताजाता था. यह जानकारी मिलते ही पुलिस सौरभ के घर उस से मिलने गई तो वह पुलिस को आता देख चकमा दे कर घर से फरार हो गया. लेकिन जल्दबाजी में वह अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ गया था.

पुलिस ने उस का मोबाइल अपने कब्जे में लिया और चैक किया तो पता चला वह दिन में कईकई बार अपनी मामी प्रीति कौर से काफी देर तक बात करता था. उस के वाट्सऐप को खोल कर देखा तो पाया कि वह अपनी मामी से दिन में कई बार चैटिंग करता था.

यही नहीं उस ने अपनी मामी को कई अश्लील पोस्ट भी भेज रखी थीं. जिस से साफ जाहिर हो गया था कि उस का मामी प्रीति के साथ चक्कर चल रहा था. शक होने पर पुलिस ने सब से पहले गांव में लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले.

जांचपड़ताल के दौरान एक कैमरे में मृतक बृजमोहन अकेला ही हाथ में खाली बोतलें ले जाते नजर आया. उस के कुछ देर बाद ही मृतक का भांजा सौरभ भी उस के पीछेपीछे जाता दिखा. जिस से साफ जाहिर था कि बृजमोहन की हत्या से पहले सौरभ ही उस के संपर्क में था.

मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मृतक के शरीर पर काफी चोट के निशान दर्शाए गए थे. उस के सिर के पीछे काफी गहरे चोट के निशान पाए गए थे. जिस के कारण ही उस की मौत हुई थी. जबकि मृतक की बीवी प्रीति कौर उस की हत्या को सामान्य मौत मान रही थी.

मृतक के बड़े भाई बुद्ध सिंह ने अपने भांजे सौरभ के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट लिखा दी.

सौरभ के नाम एफआईआर दर्ज होते ही पुलिस उस की खोजबीन में लग गई. पुलिस के अथक प्रयासों से सौरभ जल्दी पुलिस के हत्थे चढ़ गया.

सौरभ को गिरफ्तार कर पुलिस ने उस से कड़ी पूछताछ की तो अपना गुनाह स्वीकार करते हुए उस ने हत्या का सारा राज खोल दिया. सौरभ ने बताया कि उस ने अपने मामा की हत्या मामी प्रीति कौर के कहने पर ही की थी. उस का मामी के साथ कई सालों से प्रेम प्रसंग चल रहा था.

बृजमोहन की हत्या की सच्चाई सामने आते ही पुलिस ने उस की बीवी प्रीति

कौर को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.

पुलिस पूछताछ में प्रीति ने जल्दी अपना गुनाह स्वीकार करते हुए अपनी जिंदगी का राज खोल दिया था.

पुलिस पूछताछ के दौरान बृजमोहन की हत्या का जो राज खुला, उस के पीछे एक दिलचस्प कहानी भी सामने आई.

उत्तराखंड के शहर काशीपुर से लगभग 15 किलोमीटर दूर रामनगर मार्ग पर गऊशाला से पहले पड़ता है एक गांव गोपीपुरा. इसी गांव में शिवचरन सिंह का परिवार रहता था. शिवचरन सिंह हेमपुर बस डिपो में ही एक चपरासी थे.

शिवचरन सिंह के 3 बच्चे थे, जिन में एक बेटी और 2 बेटे. सब से बड़ी बेटी बाला, उस के बाद बुद्ध सिंह, बृजमोहन सिंह इन सब में छोटा था. शिवचरन सिंह ने बच्चों को पालापोसा और जवान होने पर 2 बच्चों की शादी भी कर दी थी.

शिवचरन सिंह ने नौकरी से रिटायर होने के बाद ही दोनों बेटों के अलगअलग घर भी बनवा दिए थे. बुद्ध सिंह की शादी होते ही वह भी अपनी पत्नी को साथ ले कर अलग रहने लगा था.

पहली बीवी का खेल – भाग 1

20जनवरी, 2022 को गुरुवार का दिन था. दोपहर के करीब 12 बजे शरद विश्वकर्मा ने लखनऊ के थाना पारा की हंसखेड़ा पुलिस चौकी के इंचार्ज ओमप्रकाश मिश्रा को फोन किया. उस ने बताया कि उस की बहन शिवा विश्वकर्मा उर्फ जारा उर्फ सोफिया खान (27 साल) सुबह से अपने घर से गायब है. वह पुरानी कांशीराम कालोनी के फ्लैट नंबर 2/6 में अपने पति यासीन खान के साथ रहती है.

‘‘ठीक है, आप चिंता मत करो, कुछ ही देर में पुलिस वहां पहुंचती है,’’ चौकी इंचार्ज ओमप्रकाश मिश्रा ने शरद से कहा.

इस के बाद एसआई मिश्रा ने अपने पास बैठे सहयोगी एसआई सुधांशु रंजन को फोन पर हुई बातचीत के बारे में बताते हुए विचारविमर्श किया.

फिर वह एसआई सुधांशु रंजन और महिला सिपाही अंतिमा पांडेय को साथ ले कर मौके पर आ पहुंचे. फ्लैट पर ताला लगा था. उन्होंने फ्लैट के दरवाजे की झिरखी से झांक कर देखा. कमरे में अंधेरा था.

अंधेरे में कमरे के अंदर कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था. अंदर से हलकी दुर्गंध आती महसूस हुई तो मौके की नजाकत को समझ कर एसआई सुधांशु रंजन ने थाना पारा के प्रभारी दधिबल तिवारी को फोन पर मामला संदिग्ध होने की आशंका जाहिर करते हुए तुरंत ही मौके पर आने को कहा.

थानाप्रभारी दधिबल तिवारी एसआई की सूचना पा कर महिला एसआई रीना वर्मा, हैडकांस्टेबल अशोक कुमार को साथ ले कर पुरानी कांशीराम कालोनी आ पहुंचे.

पड़ोसियों से पुलिस ने यासीन खान के बारे में पूछताछ की तो वह कुछ नहीं बता सके.चूंकि फ्लैट से दुर्गंध आ रही थी, इसलिए लोगों की मौजूदगी में पुलिस ने फ्लैट का ताला तोड़ दिया. उस के बाद कमरे का सघन निरीक्षण किया. काफी देर तक छानबीन करने पर यासीन खान की दूसरी पत्नी शिवा विश्वकर्मा उर्फ जारा उर्फ सोफिया खान की लाश पलंग पर गद्दे की तह में लिपटी हुई मिली.

पुलिस टीम अभी छानबीन कर ही रही थी, उसी समय मृतका शिवा उर्फ सोफिया का भाई शरद विश्वकर्मा भी मौके पर पहुंच गया.

उस ने थानाप्रभारी को बताया कि यासीन खान ने पहली पत्नी शहर बानो के मौजूद रहते हुए उस की बहन शिवा विश्वकर्मा से दूसरा प्रेम विवाह नेपाल में किया था और उस के साथ इसी फ्लैट पर दोनों पत्नियां रहती थीं.

शरद विश्वकर्मा ने बताया कि वह 6 दिन पहले नेपाल से अपना इलाज कराने बहन शिवा उर्फ सोनिया खान के कहने पर लखनऊ आया था और डिलाइट सन हौस्पिटल में भरती था.

20 जनवरी, 2022 को दिन के लगभग 10 बजे के समय शिवा से उस की फोन पर बात हुई थी तो उस ने खाना ले कर अस्पताल में आने को कहा था. लेकिन 2 घंटे बीत जाने के बाद भी शिवा खाना ले कर जब अस्पताल नहीं पहुंची तो मन में जानने की उत्सुकता हुई.

इस पर उस ने शिवा को कई बार फोन किया तो बहुत मुश्किल से बहनोई यासीन खान ने काल रिसीव करते हुए उसे बताया कि तुम्हारी बहन की शहर बानो से कुछ कहासुनी हो गई है. कुछ ही देर में मैं उसे मना कर अस्पताल ला रहा हूं.

जब काफी देर हो गई और शिवा खाना ले कर अस्पताल नहीं पहुंची तो शरद विश्वकर्मा को कुछ आशंका हुई. तब उस ने मोबाइल फोन से थाना पारा चौकी इंचार्ज ओमप्रकाश मिश्रा को सूचना दी.

शरद विश्वकर्मा ने कहा कि उस का बहनोई यासीन खान और उस की पहली पत्नी शहर बानो सुबह अपने घर पर मौजूद थे, जिन्होंने अस्पताल आने का जिक्र किया था, लेकिन अब वह अपनी पत्नी शहर बानो को ले कर गायब हो गया.

थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने एसआई ओमप्रकाश मिश्रा और सुधांशु रंजन से मृतका के पोस्टमार्टम काररवाई कराने हेतु निर्देश देने के बाद शरद विश्वकर्मा से तहरीर ले कर मुकदमा दर्ज करने को कहा और थाने लौट आए.

शरद विश्वकर्मा की तरफ से पारा थाने में भादंवि की धारा 302, 201 के अंतर्गत यासीन खान एवं उस की पत्नी शहर बानो के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया.

मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस के गले यह बात नहीं उतर रही थी कि यासीन खान अपनी पत्नी सोफिया की हत्या भला क्यों करेगा.

पड़ोसियों से छानबीन करने पर एसआई ओमप्रकाश मिश्रा को पता चला कि शहर बानो 2 दिन पहले ही अपने मायके बहराइच से लगभग 3 माह के बाद ही लौटी थी और वह यहां लखनऊ में यासीन और सोफिया के साथ एक ही रूम में रहती थी.

अब पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार था. 22 जनवरी, 2022 को शिवा विश्वकर्मा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को मिल गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह बात स्पष्ट हो गई कि उस की हत्या किसी धारदार हथियार से नहीं, बल्कि गला दबा कर की गई थी.

थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने विवेचना अपने हाथों में ले कर जांच करनी शुरू कर दी. पुलिस को भरोसा था कि सोफिया की हत्या का क्लू उस के भाई शरद विश्वकर्मा से जरूर मिल जाएगा, लेकिन पुलिस के पूछने पर शरद हत्या का राज व कारण तो नहीं बता सका, अलबत्ता इतना जरूर कहा कि शहर बानो एवं उस की बहन में काफी अनबन रहती थी और उस की बहन को शहर बानो फूटी आंख नहीं सुहाती थी.

पड़ोसियों ने बताया यासीन खान सोफिया के कहने पर ही शहर बानो को मनमुटाव के चलते 3 महीने पहले उस के मायके नानपारा, बहराइच छोड़ आया था और घटना के बाद पुलिस के पहुंचने से पहले शहर बानो और यासीन खान दोनों घर से फरार हो गए थे.

अब पुलिस को शिवा उर्फ सोफिया के पति यासीन खान और शहर बानो की तलाश थी ताकि हत्या का परदाफाश हो सके.

कानपुर रोड कृष्णानगर अंडरपास से मुखबिर की सूचना पर 22 जनवरी, 2022 को रात के समय शहर बानो और यासीन खान को गिरफ्तार कर लिया गया.

पूछताछ में यासीन खान ने बताया कि उस ने शहर बानो के सहयोग से ही दूसरी पत्नी सोफिया की हत्या की थी. हत्या के बाद उस की लाश को गद्दे में छिपा दी थी. उस ने हत्या की जो वजह बताई, वह हैरान कर देने वाली निकली—