पार्टियों में वह शैंपेन के नशे में हो जाती थी, जिस के बाद पीयूष ही उसे घर ले कर आता था. अब तक ड्राइवर अवधेश ने मनीषा की कार चलानी छोड़ दी थी. लेकिन वह पीयूष और मनीषा के संपर्क में बराबर रहता था. उसे जब भी पैसों की जरूरत होती थी, वह दोनों को ब्लैकमेल कर के पैसा ले लेता था.
दूसरी ओर ज्योति को पति पर शक होने लगा था. क्योंकि पीयूष उस से नजर बचा कर फोन पर बातें करता था. कभीकभी तो वह बाथरूम में घुस कर घंटों बातें करता रहता था. बात कर के वह फोन से नंबर डिलीट कर देता था. इसी तरह वह रात में मैसेज करता था और उन्हें डिलीट कर देता था.
ज्योति मोबाइल फोन उठाती तो वह उस से फोन छीन लेता और झगड़े पर उतारू हो जाता. ज्योति ने इस रहस्य का गुप्तरूप से पता लगाया तो उसे पता चला कि उस का पति रसिया स्वभाव का है. उस के पड़ोस में रहने वाली मनीषा से नाजायज संबंध हैं.
वह उसी से घंटों बातें करता है. ज्योति ने पति की इस हरकत की जानकारी मातापिता को दी तो मां कंचन ने उसे समझाया कि सब ठीक हो जाएगा. ज्योति ने अपनी सास पूनम से पति के नाजायज रिश्तों की बात बताई, लेकिन उन्होंने यह बात नहीं मानी.
एक रोज पीयूष मनीषा से मिला तो उस ने मनीषा को बताया कि ज्योति को उन दोनों के संबंधों के बारे में पता चल गया है और वह विरोध करने लगी है. इस पर मनीषा बोली, ‘‘पीयूष, एक म्यान में 2 तलवारें नहीं रह सकतीं. अगर तुम मुझ से प्यार करते हो और शादी करना चाहते हो तो ज्योति को रास्ते से हटाना ही होगा.’’
‘‘ज्योति को रास्ते से कैसे हटाया जा सकता है?’’ पीयूष ने पूछा.
‘‘ड्राइवर अवधेश की मार्फत. वह भरोसेमंद है, पैसों के लालच में आसानी से राजी हो जाएगा. वैसे भी उसे हम दोनों के संबंधों के बारे में सब कुछ पता है.’’ मनीषा बोली.
पीयूष ने अपनी फैक्ट्री की कैमिस्ट को भी फांस लिया
बात पीयूष की समझ में आ गई. उसी दिन से दोनों ने मिल कर ज्योति की हत्या का तानाबाना बुनना शुरू कर दिया. इसी के बाद योजना को अंजाम देने के लिए पीयूष ने मोबाइल की 5 सिम खरीदीं. 2 सिम अपनी आईडी से और 3 सिम फरजी आईडी से.
फरजी आईडी वाली 2 सिम उस ने मनीषा को दे दीं. इन्हीं फरजी सिमों पर दोनों के बीच हर रोज बातचीत और मैसेजबाजी होती थी. बाद में वे दोनों नंबर और मैसेज डिलीट कर देते थे.
इसी बीच पीयूष एक अन्य लड़की अंजू के संपर्क में आया. अंजू गुड़गांव की रहने वाली थी और पीयूष की फैक्ट्री में बतौर कैमिस्ट तैनात थी. अंजू से भी पीयूष के संबंध हो गए.
2 जुलाई, 2014 को पीयूष ने अवधेश को देवकी टाकीज के पास बुलाया और उस से बात कर के 80 हजार रुपए में ज्योति की हत्या की सुपारी दे दी. उस ने अवधेश को 30 हजार रुपए की पेशगी दी और शेष पैसे काम हो जाने के बाद देने को कहा. हत्या की सुपारी देने की बात उस ने मनीषा को भी बता दी.
इस के बाद अवधेश, मनीषा और पीयूष के संपर्क में रहने लगा. अवधेश ने हत्या की सुपारी लेने के बाद अपनी योजना में सोनू, रेनू और आशीष को भी शामिल कर लिया. ये तीनों अवधेश के पड़ोस में रहते थे. सोनू परचून की दुकान चलाता था. जबकि रेनू कनौजिया ड्राइवर था. तीनों मुकर न जाएं, इसलिए अवधेश ने उन्हें 10-10 हजार रुपए एडवांस दे दिए.
सब कुछ तय हो जाने के बाद पीयूष, मनीषा और अवधेश ने मिल कर ज्योति के अपहरण और हत्या की योजना बनाई. योजना को अंजाम देने से पहले इन लोगों ने रिहर्सल भी किया. ज्योति की हत्या की पूरी स्क्रिप्ट तैयार करने के बाद अंजाम देने की तारीख तय हुई 27 जुलाई, 2014.
पत्नी को ठिकाने लगाने की बना ली पूरी योजना
योजना के तहत 27 जुलाई, 2014 को पीयूष ने ज्योति के साथ अच्छा बरताव कर के उसे घुमाने और होटल में खाना खाने के लिए राजी कर लिया. उसी रात साढ़े 9 बजे वह ज्योति के साथ रैना मार्केट स्थित होटल कार्निवाल पहुंच गया.
होटल में खाना खाते वक्त ज्योति तो सामान्य थी, लेकिन पीयूष बेचैन था. वह कभी किसी को मैसेज करता तो कभी किसी को. उस के हावभावों की सारी तसवीरें होटल में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हो रही थीं. उस के मोबाइल पर कभी मनीषा का मैसेज आ रहा था तो कभी उस की दूसरी प्रेमिका का.
रात साढ़े 10 बजे पीयूष के मोबाइल पर एक काल आई. यह अवधेश की काल थी. वह बात करते हुए होटल के तीसरे माले से उतर कर नीचे आया. वहां अवधेश उस का इंतजार कर रहा था. उस ने छिप कर अवधेश से बात की और उसे 500 रुपए दिए.
इस के बाद वह वापस होटल में चला गया. अवधेश अपने साथियों के साथ रैना मार्केट गया, वहां सब ने बीयर पी तथा मैगी खाई, फिर तीनों रावतपुर जाने वाली रोड पर चल पड़े. योजना के तहत पीयूष रात सवा 11 बजे ज्योति को कार में बिठा कर रावतपुर जाने वाली रोड पर चल दिया. कुछ दूर आगे जा कर उसे अवधेश अपने साथियों सहित खड़ा दिखा.
पीयूष ने अवधेश के पास पहुंच कर गाड़ी रोक दी और खुद कार से नीचे उतर गया. उस वक्त ज्योति आगे की सीट पर बैठी हुई थी. उस के उतरते ही अवधेश ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और रेनू तथा सोनू पीछे वाली सीट पर. ज्योति खतरा भांप कर चिल्लाई, ‘‘पीयूष, ये तुम अच्छा नहीं कर रहे हो.’’
ज्योति की चीख सुन कर सोनू व रेनू ने उस के बाल पकड़ कर उसे पीछे की सीट पर खींच लिया, तब तक अवधेश ने कार आगे बढ़ा दी थी. ज्योति के चीखने की आवाज बाहर न जा पाए, इस के लिए सोनू ने ज्योति का सिर नीचे किया और रेनू ने उस पर चाकू से वार करने शुरू कर दिए. तेजधार वाले चाकू के ताबड़तोड़ वारों से कार के अंदर खून ही खून फैल गया और कुछ ही देर में ज्योति की चीखें बंद हो गईं.
योजना के अनुसार, अवधेश कार को पनकी के ई ब्लौक में ले गया और कार एक गली में खड़ी कर दी. इस बीच सोनू और रेनू ने ज्योति के गहने उतार लिए थे.
उन दोनों ने वे गहने वहीं लोहे के एंगलों के बीच छिपा दिए. अवधेश ने गाड़ी बंद कर के चाबी वहीं फेंक दी और फरार हो गया. जबकि रेनू व सोनू पैदलपैदल भाटिया होटल तक आए. वहां पर आशीष मोटरसाइकिल लिए खड़ा था. सोनू व रेनू उसी मोटरसाइकिल से घर लौट आए. उधर अवधेश ने मैसेज भेज कर काम हो जाने की जानकारी पीयूष को दे दी.
मैसेज मिलने के बाद पीयूष मनीषा से मिला. उस ने यह कह कर अपना सिम मनीषा को दे दिया कि वह उस का और अपना सिम तोड़ दे, ताकि किसी को कुछ पता न चल सके. इस के बाद वह अपने घर गया और शर्ट बदल कर घर वालों के साथ रात 12 बजे स्वरूप नगर थाने पहुंचा. तब तत्कालीन एसएचओ शिवकुमार राठौर थाने में ही मौजूद थे. पीयूष ने उन्हें बताया कि कुछ लोगों ने उस की पत्नी ज्योति का कार सहित अपहरण कर लिया है. इसलिए तुरंत रिपोर्ट दर्ज कर के उस की खोजबीन में मदद करें.
अपहरण का नाम सुनते ही एसएचओ शिवकुमार राठौर चौंके. पीयूष एक अमीर और सम्मानित परिवार का युवक था. उस के पिता ओमप्रकाश श्यामदासानी शहर के जानेमाने उद्योगपति थे. इस मामले में तत्काल एक्शन लेना जरूरी था, इसलिए शिवकुमार राठौर ने पीयूष से पूरी बात विस्तार से बताने को कहा.
इस पर पीयूष ने बताया कि रात करीब 9 बजे वह अपनी पत्नी ज्योति के साथ अपनी होंडा एकौर्ड कार से घर से निकला और सैरसपाटा करते हुए रैना मार्केट, नवाबगंज के होटल कार्निवाल पहुंचा. वहां दोनों ने साथ खाना खाया. वहां से वापसी के लिए दोनों सवा 11 बजे निकले.
जब वे कंपनी बाग चौराहे से रावतपुर की ओर जा रहे थे, तभी 4 मोटरसाइकिलों पर सवार 8 लड़कों ने उन की कार को ओवरटेक किया. इस बीच उन से हलकीफुलकी बहस हुई तो उन लोगों ने अपनी मोटरसाइकिलें कार के सामने रोक दीं और 3 लड़के उन की ओर लपके. उन में से एक ने कार का दरवाजा खोला और 2 ने उसे कार से नीचे खींच कर 3-4 तमाचे जड़ दिए. इस के बाद वह कार सहित ज्योति का अपहरण कर फरार हो गए.
पीयूष की पूरी बात सुन कर एसएचओ शिवकुमार राठौर ने इस सनसनीखेज अपहरण की जानकारी सीनियर पुलिस अधिकारियों को दे दी. चूंकि घटना एक बड़े परिवार की बहू से जुड़ी थी, इसलिए तत्कालीन आईजी आशुतोष पांडेय, डीआईजी आर.के. चतुर्वेदी, एसएसपी के.एस. इमैनुएल, एसपी (क्राइम) एम.पी. वर्मा तथा सीओ (स्वरूप नगर) राकेश नायक थाना स्वरूप नगर आ गए.
आईजी आशुतोष पांडेय के निर्देश पर कानपुर के सभी थानों को इस घटना की सूचना दे कर पूरे शहर में चैकिंग शुरू करा दी गई. पुलिस अधिकारी भी अलगअलग टीमों के साथ कार सहित ज्योति की खोज में जुट गए. आईजी आशुतोष पांडेय ने पीयूष को साथ ले कर खुद कार्नीवाल होटल से घटनास्थल तक का मुआयना किया. उन्होंने पीयूष से खुद भी पूछताछ की.