आखिर कैसे बदहाली का शिकार हुआ बौलीवुड का ये सितारा

25 साल से ज्यादा का अरसा गुजर जाने के बाद भी बौलीवुड के खूबसूरत और प्रतिभाशाली अभिनेता राज किरण मेहतानी आज भी हिन्दी फिल्मों के दर्शकों के जेहन में जिंदा हैं तो इसकी वजहें भी हैं. वे वाकई एक ज़िंदादिल अभिनेता थे. जिसने सौ से भी ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया और रोल छोटा होते हुये भी अपनी दमदार एक्टिंग की छाप छोड़ी.

कर्ज से हुए थे फेमस.

साल 1980 में सुभाष घई द्वारा निर्देशित सुपर डुपर हिट कर्ज फिल्म में वे एक ऐसे ही छोटे रोल में थे लेकिन पूरी फिल्म के फ्रेम्स में दिखाई दिये थे. इस फिल्म में सिम्मी ग्रेवाल एक लालची पत्नी की भूमिका में थीं जो पति की जायदाद हड़पने के लिए उसकी हत्या कर देती है. बाद में राज किरण का पुनर्जन्म ऋषि कपूर के रूप में होता है और वह पूर्वजन्म में की गई अपनी हत्या का बदला पत्नी से लेता है. हालांकि कर्ज अंधविश्वास पर आधारित फिल्म थी फिर भी वह खूब चली थी क्योंकि उसमें वह सब कुछ था जो दर्शकों को चाहिए रहता है. फिल्म में ऋषि कपूर मोंटी नाम के सिंगर बने थे जो राज किरण का दूसरा जन्म था.

सेट पर हुई थी राज और ऋषि की दोस्ती.

इसी फिल्म से ऋषि और राज की दोस्ती परवान चढ़ी थी. कर्ज हिट हुई तो राज किरण को धडाधड़ फिल्में मिलने लगीं. इनमें घर हो तो ऐसा, बसेरा, बुलंदी और तेरी मेहरबानियां उल्लेखनीय हैं लेकिन यह उनकी बदकिस्मती ही कही जाएगी कि उन्हें अधिकतर रोल सहायक अभिनेता के ही मिले.

सी ग्रेड फिल्मों में भी किया काम.

राज किरण महत्वाकांक्षी थे लेकिन उन्होने एक पेशेवर अभिनेता की तरह अपनी हालत से समझौता कर लिया और अच्छी फिल्म और किरदार की चाह में सी ग्रेड तक की फिल्में करते रहे. फिर हर चौथी पांचवी फिल्म में राज किरण दिखने लगे पर अपने अभिनय की छाप छोड़ी

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’…

उन्होने महेश भट्ट निर्देशित कला फिल्म अर्थ से जिसमें वे एक फ्रीलान्स सिंगर के रोल में थे जो पति कुलभूषण खरबन्दा की परित्यक्ता शबाना आजमी से प्यार करने लगता है. इस फिल्म में उन पर फिल्माई एक गजल ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो…. क्या गम है जिसको छुपा रहे हो’, आज भी शिद्दत से सुनी और गुनगुनाई जाती है. 1995 तक राज किरण फिल्मों और शेखर सुमन के एक टीवी सीरियल रिपोर्टर में दिखे लेकिन फिर एकाएक ही रहस्यमय तरीके से न केवल फिल्मों से बल्कि भारत से ही गायब हो गए.

डिप्रेशन में थे राज.

1949 में मुंबई में जन्मे राज किरण दिखते रहते यानि फिल्मी ढंग से ही लापता न होते तो तय एक बेहतर चरित्र अभिनेता होते. उनके घर में पत्नी कथिजा नाचियार उर्फ रूपा और बेटी ऋषिका के अलावा दो भाई भी हैं. राज किरण की यूं गुमशुदगी के बारे में तरह तरह की अफवाहें फिल्म इंडस्ट्री में उड़ने लगीं. कइयों ने तो उन्हें मृत ही मान लिया. इसके पहले यह बात भी उजागर हुई थी कि राज किरण नामालूम वजहों के चलते गहरे अवसाद में आ गए हैं. जिनका इलाज मुंबई के भायखला स्थित मसीना अस्पताल में चला था लेकिन इसके बाद वे कहां गए इसकी जानकारी उनकी पत्नी और बेटी भी नहीं दे पाईं.

सस्पेंस पर सस्पेंस.

राज किरण को भारत में आखिरी दफा देखने का दावा महेश भट्ट ने ही किया था जो उनकी मिजाजपुर्सी के लिए मसीना अस्पताल गए थे और मीडिया को उनके डिप्रेशन में होने की जानकारी दी थी. बाद मे जब यही मीडिया उनकी पत्नी और बेटी के पीछे पड़ गया तो उन्होने बताया कि राज किरण लापता हैं और पुलिस उन्हें ढूंढ रही है इसके अलावा प्राइवेट जासूसों की सेवाएं भी ली जा रहीं हैं.

दीप्ति नवल ने फेसबुक पर चलाई मुहिम.

फिल्म इंडस्ट्री में जिन इने गिने लोगों से राज किरण की गहरी छनती थी उनमें से एक अभिनेत्री दीप्ति नवल भी हैं. जिन्होने अपने इस दोस्त को ढूंढने के लिए फेसबुक पर मुहिम भी चलाई थी और बाद में बताया भी कि राज किरण को अमेरिका में टैक्सी चलाते देखा गया. लेकिन अब तक फिल्म इंडस्ट्री में काफी कुछ बदल गया था जिसमें राज किरण एक खूबसूरत हादसे की तरह भुला दिये गए थे.

ऋषि कपूर ने दिया था ये बयान.

अमेरिका से राज किरण का नाता था क्योंकि उनके भाई गोविद मेहतानी वहां के बड़े कारोबारी हैं जिनके कारोबार को जमाने में उन्होने काफी मदद की थी. यह एक संभावना भर थी कि राज किरण अपने भाई के पास चले गए होंगे लेकिन दीप्ति नवल के खुलासे के बाद साल 2009 में उनके एक और दोस्त ऋषि कपूर ने यह बयान देकर फिर से राज किरण को जिंदा कर दिया था कि वे अमेरिका में ही हैं और टेक्सास के एक मेंटल हास्पिटल में इलाज करा रहे हैं और इलाज का खर्च वहां काम करके उठा रहे हैं. ऋषि कपूर ने यह भी कहा था कि वे जल्द अपने दोस्त को भारत वापस ले आएंगे और उन्हें पूरी सहूलियत से रखेंगे. हालांकि ऋषिकपूर अपनी बात पर अमल नहीं कर पाए.

उधर राज किरण की पत्नी और बेटी ने इस बात को झूठा बताकर पल्ला झाड लिया. इसी दौरान यह बात भी सामने आई कि राज किरण अपनी पत्नी के लालच और बेबफाई के चलते डिप्रेशन का शिकार हुये थे. यानि कर्ज फिल्म की कहानी उनकी जाती ज़िंदगी में भी लागू हो रही थी . फर्क इतना भर था कि हकीकत में ऋषिकपूर या किसी और ने फिल्म की तरह उनके लिए कुछ नहीं किया.

किसी को नहीं पता कहां हैं राज किरण.

अब राज किरण के बारे में अधिकृत रूप से कोई कुछ नहीं कह पा रहा. आए दिन उनके होने न होने के बारे में तरह तरह की अफवाहें जरूर उड़ती रहती हैं और अब तो यह सिलसिला भी बंद हो गया है. ऐसे में यह कह पाना मुश्किल है कि वे जिंदा हैं भी या नहीं. लेकिन यह कहना जरूर लाजिमी है कि वाकई राज किरण परवीन बाबी की तरह फिल्म इंडस्ट्री की क्रूरता और अपनों की ही की अनदेखी का शिकार हुये हैं. जब तक वे काम कर रहे थे तब तक सुर्खियों और खबरों में बने रहे लेकिन जैसे ही बीमारी और नाकामयाबी का दौर आया तो सभी ने आंखे फेर लीं. उनकी फिल्मों से कमाई गई शौहरत तो जिंदा है और रहेगी लेकिन दौलत कहां गई यह राज अब उनके नाम की तरह राज ही रहेगा.

सुशांत डेथ केस: अभी बड़े बड़े नाम आने बाकी हैं

टैलेंट मैनेजर जया साहा, उन की असिस्टेंट करिश्मा और इंडस्ट्री की शीर्ष अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की ड्रग्स को ले कर सामने आई चैट से बौलीवुड को बहुत बड़ा झटका लगा है. रिया ने एनसीबी अधिकारियों को 25 नाम बताए थे, जिन्हें एनसीबी घेरने की तैयारी कर रही है. दीपिका पादुकोण शायद उन्हीं में से एक है.

इस चैट में दीपिका जया साहा से ‘हैश’ यानी हशीश भेजने की बात कहती हैं. जाहिर है अब दीपिका भी एनसीबी जांच के दायरे में आ गई हैं. कुछ समय पहले उन्होंने भी अपने डिप्रेशन का जिक्र किया था. उस दौर की चर्चा करते हुए दीपिका ने अपने अनुभव सब से शेयर किए थे. हो सकता है यह उसी दौर की चैट हो.
सिर्फ दीपिका ही नहीं, सारा अली खान, श्रद्धा कपूर, सिमोन खंबाटा और रकुलप्रीत सिंह जैसी बड़ी अभिनेत्रियां भी नशीले धुएं की चपेट में घिर गई हैं. एनसीबी ने आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि की है कि इन तीनों को पूछताछ के लिए सम्मन भेजे जाएंगे. पता चला है कि फिल्म ‘छिछोरे’ की सक्सेज पर जब सुशांत के फार्महाउस पर पार्टी हुई थी तो उस पार्टी में श्रद्धा भी गई थीं. बकौल रिया, उस पार्टी में ड्रग्स भी थे.

जब रिया ने अपने बयान में रकुलप्रीत का नाम लिया था, तब उन्होंने दिल्ली हाइकोर्ट में मीडिया ट्रायल पर प्रश्न करते हुए कहा था कि जब रिया ने उन के नाम वाले कथित बयान को वापस ले लिया है, तब भी मीडिया उन का नाम इस मामले से जोड़ रही है. लेकिन अब मीडिया नहीं एनसीबी उन से पूछताछ की तैयारी में है.  टैलेंट मैनेजर जया से काफी लंबी पूछताछ के बाद अधिकारिक रूप से इन अभिनेत्रियों की ड्रग्स में संलिप्तता पाई गई है.  हो सकता है कुछ और चौंकाने वाले बड़े नाम सामने आएं. जब दीपिका पादुकोण का नाम इस नशीली दुनिया का हिस्सा बन सकता है तो अब कुछ भी संभव है.

बौलीवुड वाले ड्रग्स इस्तेमाल ही नहीं कर रहे वरन उस का व्यापार भी कर रहे हैं. जिस का सबूत हाल ही में कर्नाटक की मंगलुरु पुलिस के हाथ लगा. सुपरहिट फिल्म ‘एबीसीडी: एनीबडी कैन डांस’ के एक्टर और ‘डांस इंडिया डांस’ रियलिटी शो के प्रतिभागी रहे किशोर अमन शेट्टी को ड्रग्स लेने और बेचने के लिए कर्नाटक की मंगलुरु पुलिस ने गिरफ्तार किया है.किशोर के साथ ही अकील नौशिल को भी सिंथेटिक ड्रग एमडीएमए या एमटी रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. ये दोनों महाराष्ट्र और बेंगलुरु से ड्रग्स मंगवा कर स्टूडेंट्स को बेचते थे.

सुशांत केस सौल्व करने के दौरान जब एनसीबी का इनवैस्टीगेशन शुरू हुआ तो रिया और जया साहा की चैट से कई ड्रग पेडलर निशाने पर आ गए. मतलब यह कि मुंबई में भारी मात्रा में ड्रग्स की सप्लाई की जाती है. 18 सितंबर को एनसीबी की टीम ने अलगअलग स्थानों पर छापा मार कर 928 ग्राम चरस और कई लाख कैश के साथ 4 लोगों को गिरफ्तार किया. एक दूसरी छापेमारी में 3 लोगों को 500 ग्राम गांजे के साथ पकड़ा गया. सुशांत केस में ड्रग्स की जांच करते हुए एनसीबी ने सब से बड़ी गिरफ्तारी ड्रग सप्लायर राहिल की थी. बौलीवुड में राहिल को सैम अंकल के नाम से जाना जाता है. मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पूछताछ के दौरान राहिल ने कई जानेमाने सिलेब्रिटीज का नाम लिया है.

कुछ ऐसे ही चिरपरिचित नामों का जिक्र रिया भी अपने बयान में कर चुकी थी, जो अब सच बन कर सामने भी आने लगे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, बौलीवुड का ही कोई शख्स राहिल का बौस है. इसी बौस के कहने पर राहिल सिलेब्रिटीज को मलाना क्रीम (सुपर क्वालिटी की चरस) सप्लाई करता था.मुंबई अपने फिल्म प्रोडक्शन के लिए जितनी मशहूर है, उतनी ही अपनी जिंदादिल पार्टियों के लिए भी चर्चित है. जहां मौजमस्ती  के साथ बड़ीबड़ी बिजनैस डील भी होती हैं. ग्लैमर इंडस्ट्री के हाईप्रोफाइल स्टार्स और स्ट्रगलर्स भी ऐसी पार्टियों में शिरकत करते हैं. इन पार्टियों में शराब के साथ ड्रग्स भी चलती है.

कंगना रनौत ने पार्टी कल्चर के बारे में कहा कि एक दौर में वह ‘हाई और माइटी’ क्लब का हिस्सा थीं, जहां हर दूसरी रात पार्टीज में जाना पड़ता था, जिन में बौलीवुड सिलेब्रिटीज ड्रग्स लेते थे. इसी तरह ‘बेइमान लव’ फिल्म के अभिनेता ने इंडस्ट्री में प्रचलित ड्रग्स को ले कर कहा कि ‘वीड’ सिगरेट की  तरह है, कैमरापरसन से ले कर स्पौट बौय तक सामान्य रूप से वीड लेते हैं.बौलीवुड पार्टियों की मुख्य ड्रग कोकीन और एमडीएमए है, जिसे एलएसडी या एसिड भी कहा जाता है. साथ ही पार्टियों में केटामाइन भी इस्तेमाल की जाती है. ये सभी हार्ड ड्रग्स हैं. इन का असर 15 से 20 घंटे तक रहता है. इन हार्ड ड्रग्स का जिक्र रिया की चैट में भी आया था.

अगस्त महीने में मुंबई पुलिस ने एक ड्रग पेडलर को मेफेड्रान नाम की ड्रग के साथ गिरफ्तार किया था. उस के पास से भारी मात्रा में मेफेड्रान बरामद हुई, जिसे एमसीएटी, म्याउ म्याउ और एमडी भी कहते हैं. इसे पार्टियों में खूब पसंद किया जाता है. मुंबई और दिल्ली में ड्रग्स की खपत को देखते हुए कई जगहों से ड्रग सप्लाई की जा रही है. मिजोरम के तस्कर म्यांमार से याबा टैबलेट की तस्करी कर के मिजोरम के रास्ते दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में सप्लाई देते हैं.

इन शहरों में इस नशीले पदार्थ की काफी डिमांड है. असम राइफल्स ने इसी साल 29 फरवरी को ड्रग की 39 लाख टैबलेट बरामद की थीं, जिन की कीमत करीब 9700 लाख रुपए थी. इस के साथ ही मार्च से अब तक 96 ड्रग पेडलर्स से 3.42 करोड़ रुपए कीमत की 3.6 किलोग्राम हेरोइन और प्रतिबंधित नशे की 6,29,800 टैबलेट बरामद की जा चुकी हैं.

ये आंकड़े सिर्फ एक जगह के हैं जबकि नशे के सौदागरों की देश के हर प्रांत में भरमार है. इसी से साबित होता है कि नशे की जड़ें कितनी गहरी हैं. महंगा होने की वजह से ड्रग्स का कारोबार मोटा पैसा कमाने का आसान जरिया है, जिस की झलक मुंबई में नजर आ रही है. ?

अबू सलेम की आवाज पर धड़कता था इस अभिनेत्री का दिल

1993 में मुंबई बम धमाकों के मामले की सुनवाई कर रही टाडा अदालत अबू सलेम समेत 5 अन्य दोषियों को सजा सुना दी है. इस वजह से अबू सलेम तो चर्चा में हैं ही, एक्ट्रेस मोनिका बेदी का नाम भी सुर्खियों में आ गया है. मोनिका लंबे समय तक अबू सलेम की गर्लफ्रेंड रही थीं. इन दिनों वह बेशक फिल्मी दुनिया से दूर हैं, लेकिन एक समय वो भी था जब अबू की वजह से ही उन्हें फिल्में मिलनी शुरू हुई थी.

ये जानना दिलचस्प है कि एक अंडरवर्ल्ड डौन और एक स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस के बीच प्यार की ये कहानी कहां और कैसे पनपी. मोनिका बेदी मूल रूप से पंजाब की हैं. उन्होंने ब्रिटेन की आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी इंग्लिश लिटरेचर की पढ़ाई की. डांस और माडलिंग में भी मोनिका को काफी दिलचस्पी थी. यही दिलचस्पी उन्हें मुंबई लाई और यहां आकर 1995 में उन्हें उनकी पहली फिल्म ‘सुरक्षा’ मिली.

कहा जाता है कि अबू सलेम से मोनिका की मुलाकात एक बौलीवुड पार्टी के दौरान हुई थी. लेकिन एक मुलाकात ने ही दोनों के बीच कुछ ऐसा आकर्षण पैदा किया कि फिर मुलाकातों का सिलसिला बढ़ गया.

मोनिका की मानें तो थोड़े वक्त के लिए ही सही, मोनिका का दिल अबू के लिए धड़का जरूर था. मोनिका के मुताबिक उन्हें नहीं पता था कि जिस शख्स के लिए उनका दिल धड़क रहा था वो अंडरवर्ल्ड का मोस्ट वान्टेड है. उन्हें नहीं पता था कि जिसके साथ वो प्यार कर बैठी हैं उसका असली नाम अबु सलेम है.

साल 1998 में मोनिका पहली दफा फोन पर सलेम के संपर्क में आईं. मोनिका दुबई में थीं, फोन पर उन्हें दुबई में एक स्टेज शो करने का आफर मिला. बस उसी के बाद वो अबू को चाहने लगीं. मोनिका सलेम की आवाज पर फिदा हो गई थीं. अबू सलेम भी मोनिका से बेहद प्यार करता था.

बताया तो यहां तक जाता है कि मोनिका को उनकी पहली हिट फिल्म ‘जोड़ी नंबर वन’ में भी सलेम ने ही काम दिलवाया था. बौलीवुड में मोनिका के लिए वह एक ऐसा दौर था, जब सब उनकी इज्जत करने लगे थे. हर कोई उन्हें खुश करने की कोशिश करता था. जबकि ये सब मोनिका की परफार्मेंस की वजह से नहीं, बौलीवुड में सलेम के खौफ की वजह से हो रहा था.

1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट के आरोपी अबू सलेम को साल 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था. बताया जाता है कि जब यह गिरफ्तारी हुई, तब होटल में उनके साथ मोनिका बेदी भी थीं.

सुनने में आया था कि इसके बाद मोनिका ने सलेम का साथ छोड़ दिया था और सरकारी गवाह बन गई थीं. बता दें कि मोनिका फर्जी पासपोर्ट के मामले में चार साल जेल में बीता चुकी हैं.

अपने हिस्से की सजा काटकर वह कई टीवी रिएलिटी शोज में भी नजर आ चुकी हैं. वह बिग बौस सीजन 2 के अलावा झलक दिखला जा में भी नजर आई थीं. उन्होंने यूनिवर्सल म्यूजिक के एक एलबम के लिए इक ओंकार भी गाया है. साल 2013 में उन्होंने स्टार प्लस के शो सरस्वतीचंद्र में नेगेटिव रोल भी किया था.

सुशांत-रिया मामला: प्यार या बिजनेस?

सुशांत केस में भारत की 3 सर्वोच्च एजेंसियों सीबीआई, ईडी और एनसीबी ने अपनेअपने ढंग से जांच की. सच को समझने और सामने लाने के लिए देश के सर्वोच्च मैडिकल इंस्टीट्यूट के 3 सीनियर डाक्टरों को भी जांच में शामिल किया गया. जांच के दौरान ईडी को रिया के मोबाइल से ड्रग्स से जुड़ी कुछ चैट मिली तो एनसीबी को आना पड़ा. इस के बाद तो बौलीवुड पर…

मायानगरी मुंबई, वह महानगर जहां आदर्शवाद और संवेदनशील भावनाओं के बेहद महीन धागों से
इंद्रधनुषी सपने रचे जाते हैं, गढ़े जाते हैं. जब ये सपने तैयार हो कर सेल्युलाइड पर उतरते हैं तो दर्शकों को कुछ समय के लिए वास्तविकता से दूर उस दुनिया में ले जाते हैं, जहां सब कुछ इंद्रधनुषी रंगों और मखमली रोशनियों में लिपटा महसूस होता है, खूबसूरत, मनलुभावन. रजतपट पर दिखाए जाने वाले सपने बुनने और बेचने वाली मुंबई पिछले 6 दशकों से युवा दिलों की धड़कन बनी हुई है.

लेकिन जब कभी सपनों के रेशमी जाल बुनने वाला कोई धागा न खुलने वाली गिरह बन जाता है तो मायानगरी की इंद्रधनुषी छवि के पीछे छिपी विद्रूपता खुल कर खुदबखुद उजागर हो जाती है. इस बार स्वप्न के इंद्रधनुषी वितान में छेद करने का जरिया बनी सुशांत सिंह राजपूत की कथित हत्या या आत्महत्या, जिस में रिया चक्रवर्ती के नाम ने सपनों की दुनिया में ऐसी उथलपुथल मचाई कि अंदर की वास्तविक कुरुपता फूटफूट कर बाहर आने लगी.

पहले मुंबइया फिल्म इंडस्ट्री का नेपोटिज्म मीडिया के निशाने पर रहा, फिर सुशांत की गर्लफ्रैंड रही रिया चक्रवर्ती सवालों के घेरे में आ गई. रोज नई खबरें, रोज नए अनुमान. सुशांत की आकस्मिक मृत्यु ने उन के प्रशंसकों को झकझोर कर रख दिया था, इसलिए वे दिन में कईकई बार बदलती खबरों में सच्चाई ढूंढते रहे.
यही वजह थी कि जब यह खबर आई कि सुशांत बौलीवुड के नेपोटिज्म का शिकार बने, साइन करने के बावजूद उन की कई फिल्मों को बंद कर दिया गया. बौलीवुड लौबी उन्हें आउटसाइडर मान कर आगे नहीं बढ़ने दे रही थी. और भी न जाने क्याक्या कारण उन की मौत के जिम्मेदार मान लिए गए.

यह सब न्यूज चैनल्स पर देखसुन कर सुशांत के फैंस का गुस्सा इस कदर फूटा कि उन्होंने बौलीवुड के दिग्गज डायरेक्टर प्रोड्यूसरों को निशाने पर ले कर सोशल मीडिया पर उन की आलोचना शुरू कर दी. अपनी प्रशंसा सुनने के आदी दिग्गज फिल्म निर्माता और निर्देशक इस कड़वाहट को पचा नहीं पाए.
उन्होंने सोशल मीडिया के अपने एकाउंट धड़ाधड़ बंद करने शुरू कर दिए. लेकिन सुशांत के फैंस यहीं नहीं रुके, उन्होंने सुशांत की आखिरी फिल्म ‘दिल बेचारा’, जो ओटीटी पर रिलीज होने जा रही थी, की सोशल मीडिया के साथसाथ इतनी माउथ पब्लिसिटी की कि यह फिल्म सुपरडुपर हिट रही, फिर लोगों की डिमांड पर इसे जल्दी ही टेलीविजन पर भी दिखा दिया गया.

इस सब के बीच मुंबई पुलिस जो सुशांत की मौत को पहले ही आत्महत्या करार दे चुकी थी, ने नेपोटिज्म वाले ऐंगल से इनवैस्टीगेशन के नाम पर बड़ेबड़े निर्मातानिर्देशकों को थाने बुला कर पूछताछ की प्रक्रिया शुरू कर दी. दूसरी तरफ इलैक्ट्रौनिक मीडिया सुशांत की गर्लफ्रैंड रही रिया की कुंडली खंगालने पर लगा था.

रिया का नाम सुशांत की मौत के बाद ही सुर्खियों में आया था. सुशांत के मामले में यह नाम बारबार लिए जाने की वजह कुछ संदेहास्पद स्थितियां थीं, जैसे सुशांत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान ने भी 8 जून को ही आत्महत्या की थी. सुशांत के साथ लिवइन में रह रही रिया भी उसी दिन अपने पेरैंट्स के घर गई थी. आखिर 8 तारीख में ऐसा क्या था?इसी बीच सुशांत के पिता के.के.

सिंह ने हत्या का आरोप लगाते हुए पटना में रिपोर्ट लिखाई, जिस में रिया और उस के भाई शौविक का नाम शामिल था. रिपोर्ट में यह आरोप भी लगाया गया कि सुशांत के बैंक एकाउंट में 15 करोड़ रुपए थे. लेकिन रिया और उस के भाई शौविक ने यह रकम हथिया ली. इस मामले की जांच करने बिहार पुलिस मुंबई गई थी, लेकिन वहां की पुलिस ने सहयोग नहीं किया. बाद में जब पटना के एसपी विनय तिवारी मुंबई पहुंचे तो कोरोना की आड़ ले कर उन्हें क्वारेंटाइन कर दिया गया.

न्यूज चैनल्स की नायाब कवरेज

सुशांत की मौत का मामला शायद ऐसा पहला मामला है, जिसे सब से ज्यादा कवरेज मिली. यूं तो मुंबई में सभी चैनलों के संवाददाता हैं, लेकिन इस मामले की कवरेज के लिए चैनलों ने अपने कई संवाददाताओं को भेजा. एक चैनल के तो एक दरजन संवाददाता मुंबई गए, जिन में कई सीनियर भी थे.

न्यूज चैनल्स ने कवरेज के लिए रिया का घर, सुशांत की सोसायटी, एक्सचेंज बिल्डिंग जहां रिया और ड्रग्स पेडलर से पूछताछ की जा रही थी, डीआरडीओ गेस्टहाउस और कोर्ट पर अपने रिपोर्टर और कैमरापरसन तैनात कर रखे थे ताकि पलपल की खबर दी जा सके. महीने भर से मुंबई की कवरेज देख कर आमिर खान की फिल्म ‘पीपली लाइव’ की याद ताजा हो जाती थी.

फिर सुशांत के पिता के.के. सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिल कर सुशांत केस की सीबीआई जांच की संस्तुति करने का अनुरोध किया. मुख्यमंत्री की संस्तुति पर केंद्र सरकार ने उसी दिन सीबीआई को सुशांत केस की जांच के आदेश दे दिए.इस पर रिया चक्रवर्ती अपने वकील के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. उस का कहना था कि जांच सीबीआई की जगह मुंबई पुलिस से ही कराई जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

हालांकि शुरुआती दौर में रिया ने खुद सुशांत मामले की जांच सीबीआई से कराने की बात कही थी.21 अगस्त से सीबीआई ने मुंबई जा कर अपनी जांच शुरू कर दी. सीबीआई की एक टीम ने बांद्रा थाने की पुलिस से अब तक की जांच के सबूत और रिपोर्ट मांगी. बांद्रा जोन के डीसीपी अभिषेक त्रिमुखे ने इस मामले में दर्ज 56 बयान, फोरैंसिक रिपोर्ट, आटोप्सी रिपोर्ट, सुशांत के तीनों मोबाइल, लैपटौप आदि चीजें सीबीआई को सौंप दीं.

सीबीआई की दूसरी टीम ने सुशांत के कुक नीरज और हाउस मैनेजर सैमुअल मिरांडा  से पूछताछ की. वहीं सीबीआई की एसपी नूपुर प्रसाद रिया चक्रवर्ती से उन के यूरोप टुअर, सुशांत सिंह से उन के रिलेशन और पैसों से संबंधित जानकारी जुटाने में जुट गईं.

बढ़ती जांच फंसते पेंच

जैसे-जैसे जांच का दायरा आगे बढ़ा, सुशांत के फ्लैटमेट सिद्धार्थ पिठानी और दीपेश सावंत ने सीबीआई से सरकारी गवाह बनने की गुजारिश कर डाली. अब तक अलगअलग बयान दे कर मीडिया को गुमराह करने वाला पिठानी जब सरकारी गवाह बनने को तैयार हुआ तो सीबीआई को अंदेशा हो गया कि सुशांत की आत्महत्या का मामला उतना सीधासरल नहीं है, जितना लग रहा है.

सीबीआई की तीनों टीमें दिल्ली से साथ लाए गए फोरैंसिक एक्सपर्ट्स के साथ मिल कर सुशांत की हत्या या आत्महत्या की गुत्थी को सुलझाने की कोशिश में अपनी जांच का दायरा बढ़ाती जा रही थीं.

इसी के चलते सीबीआई ने सुशांत के फ्लैट पर सुशांत की सुसाइड वाली थ्योरी को समझने के लिए 2 बार सुसाइड सीन रिक्रिएट किया. उस समय सब से पहले सुशांत को फंदे में लटका देखने वाले सिद्धार्थ पिठानी और दीपेश सावंत मौजूद थे. जब सुशांत की बहन मीतू सिंह वहां पहुंचीं, तब सुशांत का शव बैड पर था. बाद में सीबीआई ने सुशांत और दीपेश को गिरफ्तार कर लिया था.

सुशांत के घर वालों ने उन के एकाउंट में 15 करोड़ रुपए होने की बात कही थी. लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी जब सीबीआई सुशांत के एकाउंट से गायब 15 करोड़ रुपए की रकम का कोई पता नहीं लगा सकी तो छानबीन के लिए ईडी आगे आई. ईडी ने रिया के 2 मोबाइल फोन कब्जे में ले कर जांच शुरू की.
रिया चूंकि इन फोनों के मैसेज डिलीट कर चुकी थी, इसलिए ईडी ने उस के दोनों फोन क्लोन कर लिए ताकि उन का डाटा रिकवर हो सके.

दूसरी तरफ पूछताछ में रिया ने कहा कि उस का सुशांत के खातों से कोई लेनादेना नहीं था. हालांकि सुशांत अपनी मरजी से उस पर पैसा जरूर खर्च करता था.बहरहाल, ईडी की जांच के दौरान रिया पिछले 5 साल में अपने बैंक स्टेटमेंट में आए पैसों का कोई जवाब नहीं दे सकी. दूसरी तरफ उस का एकाउंट मैनेज करने वाले उस के पिता इंद्रजीत चक्रवर्ती ने भी गलतबयानी की. इस जांच में 52 लाख का गलत ट्रांजैक्शन सामने आया.

रिया चक्रवर्ती और उस के परिवार से पूछताछ में सुशांत के एकाउंट से गायब 15 करोड़ रुपए के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी, फलस्वरूप सुशांत के परिवार द्वारा रिया पर लगाया गया 15 करोड़ रुपए गायब करने का आरोप साबित नहीं हुआ.इस के बावजूद रिया निर्दोष नहीं निकली, क्योंकि ईडी की जांच में पूरे मामले ने नाटकीय घटनाक्रम से गुजरते हुए एक नया ही रुख अपना लिया.

बात नेपोटिज्म, प्यार में बेवफाई, 15 करोड़ और गृहक्लेश जैसे उन सभी कारणों, जो सुशांत की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराए गए थे, को लांघती हुई उस नशीली आबोहवा तक जा पहुंची, जिसे ड्रग्स, मारिजुआना और कोकीन जैसे मादक पदार्थ गुलजार करते हैं.

ईडी ने इस संबंध में एनसीबी यानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को पत्र लिख कर यह बात बता दी. ईडी के बुलावे पर मुंबई आई नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की टीम ने जांच संभाल ली. एनसीबी की जांच जैसेजैसे आगे बढ़ी तो नशे के व्यापार का कड़वा कसैला धुआं बौलीवुड के इंद्रधनुषी आसमान को अपनी गिरफ्त में लेने लगा.एक के बाद एक खुलासा फिल्म इंडस्ट्री के अंदर की गंदगी को उलीचउलीच कर बाहर फेंकने लगा, जिस से सपनों का तिलिस्म टूटने लगा. परदे पर दिखने वाली आदर्शवादिता कहीं अंधेरे में दुबक कर बैठ गई.

फोन का डाटा हुआ रिकवर

दरअसल, एनसीबी ने जब रिया के मोबाइल की रिकवर हुई चैट पढ़नी शुरू की तो पूरे मामले का रुख ही बदल गया. इस चैट में हाई ड्रग्स और एमडीएमए का जिक्र था, जिस में टैलेंट मैनेजर जया शाह ने रिया से कहा, ‘चाय, कौफी या पानी में 4 बूंदें डालो और उसे पिला दो. असर देखने के लिए 30-40 मिनट इंतजार करो.’ मैसेज की ये लाइनें बहुत कुछ कहती थीं.

इस के बाद एनसीबी ने रिवर्स इनवैस्टीगेशन किया. सब से पहले उन एक्टिव पेडलर्स को गिरफ्त में लिया गया, जो ड्रग्स का कारोबार करते हैं. एनसीबी द्वारा गिरफ्तार आरोपी कैजान इब्राहिम ने पूछताछ के दौरान अनुज केशवानी का नाम लिया था. हालांकि कैजान को मुंबई की एस्प्लेनेड कोर्ट से 24 घंटे से भी पहले जमानत मिल गई. कैजान के बयान के आधार पर एनसीबी ने जब अनुज केशवानी के ठिकानों पर छापा मारा तो कथित रूप से हशीश, एलएसडी, मारिजुआना जैसी ड्रग्स बरामद हुईं.

सुशांत के हाउस मैनेजर सैमुअल मिरांडा ने एनसीबी को बताया कि मार्च में रिया चक्रवर्ती को ड्रग्स सप्लाई की गई थी, जिसे पहली बार जैद ने और दूसरी बार अब्दुल बासित परिहार ने शौविक को दिया था. अब्दुल बासित ने अपने बयान में कहा कि वह शौविक चक्रवर्ती के कहने पर जैद विलात्रा और कैजान इब्राहिम से ड्रग्स खरीदता था.

जैद विलात्रा को एनसीबी पहले ही गिरफ्तार कर चुकी थी. उस पर कई ड्रग डीलिंग में शामिल रहने का आरोप था. सैमुअल मिरांडा के अनुसार रिया ने उस से 3 बार ड्रग्स देने को कहा था, जिन्हें पेडलर से शौविक ने लिया था.

रिया और शौविक चक्रवर्ती की 17 मार्च को हुई वाट्सऐप चैट सामने आई तो उस में भी ड्रग्स का जिक्र था. इन सारे सबूतों के बाद एनसीबी का शिकंजा रिया के इर्दगिर्द कसता गया. जब पूछताछ के दौरान रिया संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई तो अगले दिन एनसीबी ने रिया और शौविक को आमनेसामने बैठा कर सवाल करने शुरू कर दिए.

आखिर फंस ही गई रिया

सूत्रों के अनुसार रिया टालने वाले जवाब देती रही. तब एनसीबी ने रिया को उस के वाट्सऐप चैट दिखा कर पूछा कि वह ड्रग्स लेती थी या नहीं, इस पर रिया ने इनकार कर दिया.अंतत: 3 तीन दिन चली 20 घंटों की लंबी पूछताछ के बाद 8 सितंबर को रिया चक्रवर्ती गिरफ्तार कर ली गई.

उस पर ड्रग सिंडीकेट का हिस्सा होने का आरोप लगाते हुए एनसीबी ने कहा कि केस से जुड़ी जो भी ड्रग डील हुई, उन्हें रिया ने फाइनैंस किया था.एनसीबी ने इस केस में रिया, शौविक चक्रवर्ती, सुशांत के हाउस मैनेजर सैमुअल मिरांडा और सुशांत के घरेलू नौकर दीपेश सावंत सहित 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया. ड्र्रग्स केस में दीपेश पर सैमुअल ने आरोप लगाया था.

रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के बाद उस के वकील सतीश मानशिंदे ने कहा कि 3 एजेंसियां अभिनेत्री (रिया) के पीछे इसलिए पड़ी हैं क्योंकि उन्होंने ऐसे शख्स से प्यार किया जो नशे का आदी था और जिसे मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं थीं. वह ड्रग एडिक्ट से प्यार करने की सजा भुगत रही हैं, जो कई सालों से मानसिक रूप से बीमार था.ज्ञातव्य हो कि ड्रग्स केस में नाम आने के बाद रिया चक्रवर्ती ने कहा था कि सुशांत उस से मिलने से पहले ही मारिजुआना लेते थे.

साथ ही यह भी बताया कि सुशांत दिन भर में मारिजुआना भरी 3-4 सिगरेट पी जाते थे. वह उन्हें रोकने की कोशिश भी करती थी लेकिन एडिक्शन के चलते सुशांत के लिए मारिजुआना का इंतजाम उसी को करना पड़ता था. रिया की इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो नहीं पता, लेकिन इतना जरूर है कि सुशांत ड्रग्स की चपेट में आ चुके थे. एनसीबी के अनुसार सुशांत जो सिगरेट पीते थे, उस में ड्रग्स होती थी, जिस की वजह से उन की मानसिक हालत खराब हो रही थी. एनसीबी ने यह बात सीबीआई को बताई तो सीबीआई ने अपनी जांच को गति देनी शुरू कर दी.

जबकि सुशांत के डिप्रेशन का इलाज करने वाले 2 डाक्टरों ने पूछताछ के दौरान मुंबई पुलिस को बयान दिया था कि सुशांत डिप्रेशन, तनाव, चिंता और पायपोलर डिसऔर्डर के शिकार थे.

डाक्टरों के अनुसार सुशांत ने दवाइयां लेनी बंद कर दी थीं, जिस से उन की हालत बिगड़ती चली गई और उन्हें खुद को संभालना मुश्किल हो गया.

सीबीआई ने बुलाए एम्स के डाक्टर

इतना ही नहीं, मुंबई पुलिस ने सुशांत की जिस मौत को देखते ही आत्महत्या बता दिया था, सीबीआई ने उसे अपने तरीके से इनवैस्टीगेट किया, यहां तक कि देश के सर्वोच्च मैडिकल इंस्टीट्यूट एम्स के 3 फोरैंसिक एक्सपर्ट्स की टीम मुंबई बुलाई गई. इस टीम ने मुंबई पहुंच कर इस केस की जांच शुरू कर दी. इस जांच में कूपर अस्पताल के डाक्टरों से पूछताछ भी शामिल थी, जिन्होंने सुशांत की आटोप्सी की थी. एम्स की टीम ने सुशांत के गले में मौजूद जख्म के निशान को ले कर आटोप्सी करने वाले डाक्टरों से लंबी पूछताछ की.

साथ ही एम्स ने सुशांत के विसरा सैंपल की दोबारा जांच का निर्णय लिया ताकि यह पता चल सके कि सुशांत को कोई जहर या कोई ऐसा ड्रग तो नहीं दिया गया था, जो घातक हो. हालांकि सुशांत का विसरा मात्र 20 परसेंट ही बचा था, बाकी मुंबई पुलिस जांच के दौरान इस्तेमाल कर चुकी थी. ऐसे में एम्स के फोरैंसिक डिपार्टमेंट के लिए यह चुनौती और भी मुश्किल थी.

वैसे भी सुशांत केस में इतना झूठ, इतनी बयानबाजी और न्यूज चैनलों द्वारा इतना इनवैस्टीगेशन किया जा चुका है कि सच अपने मुद्दे से भटक कर बहुत पीछे रह गया. जिसतिस के बयानों और झूठ पर आधारित मनगढ़ंत किस्से न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर तैरतेगूंजते रहे, जिस में सब से ज्यादा झूठ सुशांत की गर्लफ्रैंड रही रिया चक्रवर्ती ने और उन के फ्लैटमेट रहे सिद्धार्थ पिठानी ने ही बोला, जबकि ये दोनों ही उन के सब से ज्यादा करीबी थे.

यहां तक कि सिद्धार्थ ने सीबीआई को गुमराह करने में भी कसर नहीं छोड़ी. सिद्धार्थ को इस बात की जानकारी जनवरी से ही थी कि सुशांत को सिगरेट में ड्रग्स दी जाती है. इस के अलावा सिद्धार्थ ने अपने बयान में कहा था कि सुशांत की बौडी को फंदे से मीतू सिंह के कहने पर उतारा था, लेकिन जब सुशांत की बहन मीतू को सिद्धार्थ के सामने लाया गया तो उस ने मीतू सिंह के सामने कहा कि सुशांत का शव जब बैड पर रखा गया तब मीतू वहां पहुंची थीं.

जहां सुशांत ने कथित आत्महत्या की थी, उस घर की जांचपड़ताल करने के बाद एम्स की फोरैंसिक टीम ने इस संदर्भ में कहा था कि सुशांत की मौत के पीछे कोई बड़ा कारण है, क्योंकि सिद्धार्थ पिठानी सुशांत को फांसी के फंदे से उतारने का जो बयान दे रहे हैं, वह संदेह के दायरे में है.साथ ही टीम ने यह आशंका भी जाहिर की कि सुशांत की बौडी को जल्द डिस्पोजल करने के पीछे ड्रग्स भी बड़ी वजह हो सकती है, क्योंकि उन का पीएम (पोस्टमार्टम) सही तरीके से किया होता तो इस का खुलासा हो सकता था.

सुशांत केस में मुंबई पुलिस द्वारा कराए गए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट और पोस्टमार्टम के दौरान की गई वीडियोग्राफी के फुटेज व अन्य फोटोग्राफ के आधार पर एम्स की टीम ने सुशांत की बौडी पर चोट के पैटर्न का भी विश्लेषण किया. फोरैंसिक एक्सपर्ट्स को रिपोर्ट में छोटीछोटी कई कमियां नजर आईं, उस से कई सवाल उठते थे.

एम्स की टीम हर पहलू से उन्हीं सवालों के जवाब ढूंढने में जुटी थी, जिस में एक ऐंगल सुशांत की हत्या से भी संबंधित था, क्योंकि एम्स के मैडिकल बोर्ड ने शुरुआत में ही यह आशंका जाहिर की थी कि हत्या के ऐंगल को इग्नोर नहीं किया जा सकता.बहरहाल, 17 सितंबर को एम्स के फोरैंसिक विभाग के विभागाध्यक्ष और सुशांत सिंह राजपूत की संदेहास्पद मौत की जांच के लिए बनाए गए बोर्ड के चेयरमैन डा. सुधीर गुप्ता ने बयान जारी करते हुए कहा कि अगले हफ्ते मैडिकल बोर्ड अपनी राय सीबीआई को सौंप देगा और बोर्ड की राय निर्णायक होगी.

यानी सुशांत सिंह राजपूत के घरवालों और उन के चाहने वालों को अपने प्रिय स्टार की मौत का सच जानने के लिए कुछ और इंतजार करना होगा. उस स्टार की, जो चांद के ख्वाब देखता था, सितारों की दुनिया में जीता था और खुद स्टार बन कर रुपहले परदे पर चमकता था. यह सब के लिए अकल्पनीय था कि सुशांत इतनी जल्दी और इतना अचानक हमेशा के लिए अपनी सितारों की दुनिया में चला जाएगा और उसी का हिस्सा बन जाएगा.

टुकड़ों में मिली अभिनेत्री की लाश

राइमा इसलाम शिमू बांग्लादेश की एक जानीमानी अभिनेत्री थीं. उन्होंने न सिर्फ 50 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, बल्कि 2 दरजन से अधिक नाटकों में भी काम कर दर्शकों के दिलों में जगह बनाई. यह महज इत्तफाक की बात है कि जिन दिनों देश भर में अपने दौर की खूबसूरत और लोकप्रिय अभिनेत्री परवीन बाबी की जिंदगी पर बनी वेब सीरीज ‘रंजिश ही सही’ की चर्चा हो रही थी, उन्हीं दिनों बांग्लादेश की परवीन जितनी ही सैक्सी, लोकप्रिय और सुंदर एक्ट्रेस राइमा इसलाम शिमू की दुखद हत्या की चर्चा भी उतनी ही शिद्दत से हो रही थी.

फर्क सिर्फ इतना था कि परवीन बाबी की लाश उन के घर में मिली थी, जबकि राइमा की एक सड़क पर मिली थी. यह सड़क बांग्लादेश की राजधानी ढाका के केरानीगंज अलियापुर इलाके में हजरतपुर ब्रिज के नजदीक है, जो कालाबागान थाने के अंतर्गत आता है.

17 जनवरी, 2022 को राइमा की लाश मिली तो बांग्लादेश में सनाका खिंच गया क्योंकि वह कोई मामूली हस्ती नहीं थीं बल्कि घरघर में उन की पहुंच थी. अपनी अभिनय प्रतिभा के दम पर उन्होंने अपना एक बड़ा दर्शक और प्रशंसक वर्ग तैयार कर लिया था.

जिस हाल में राइमा की लाश मिली थी, उस से साफ जाहिर हो रहा था कि उन की बेरहमी से हत्या की गई है.

इस हादसे ने एक बार फिर साफ कर दिया कि रील और रियल लाइफ में जमीनआसमान का फर्क होता है और आमतौर पर फिल्म स्टार्स, फिर वे किसी भी देश के हों, की जिंदगी उतनी हसीन और खुशनुमा होती नहीं जितनी कि उन के जिए किरदारों में दिखती है.

यही राइमा के साथ हुआ कि हत्यारा कोई और नहीं बल्कि उन का बेहद करीबी शख्स था और हत्या की वजह कोई अफेयर, पैसों का लेनदेन, कोई विवाद या नशे की लत या फिर कोई दिमागी बीमारी भी नहीं थी.

45 वर्षीय राइमा साल 1977 में ढाका के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी थीं, जिन्हें बचपन से ही अभिनय का शौक था. ढाका से स्कूल और कालेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक्टिंग का कोर्स भी किया था.

19 साल की उम्र में ही उन्हें ‘बर्तमान’ फिल्म में काम करने का मौका मिल गया था. निर्माता काजी हयात की इस कामयाब फिल्म से वह फिल्म इंडस्ट्री में पहचानी जाने लगीं.

फिल्म समीक्षकों ने तो उन की एक्टिंग को अव्वल नंबर दिए ही थे, दर्शकों ने भी उन्हें सराहा था. इस की वजह उन का ताजगी से भरा चेहरा और बेहतर एक्टिंग के अलावा उन की कमसिन अल्हड़पन और खूबसूरती भी थी.

पहली फिल्म कामयाब होने के बाद राइमा ने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. देखते ही देखते उन्होंने बांग्लादेश के तमाम दिग्गज निर्देशकों के साथ काम किया. इन में इनायत करीम, शरीफुद्दीन खान, दीपू, देलवर जहां झंतु और चाशी नजरूल इसलाम प्रमुख हैं.

सभी छोटेबड़े निर्देशकों के साथ राइमा ने 50 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया और टीवी पर भी अपना जलवा बिखेरा.

लोगों के दिलों में बसी थीं राइमा

छोटे परदे पर आना उन की व्यावसायिक मजबूरी भी हो गई थी, क्योंकि बांग्लादेश के लोग भी टीवी धारावाहिकों को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं. राइमा ने कोई 25 धारावाहिकों में एक्टिंग की, जिस से घरघर उन की पहुंच और स्वीकार्यता बढ़ती गई.

बांग्लादेश फिल्म इंडस्ट्री के लगभग सभी बड़े नायकों के साथ उन्होंने काम किया. खासतौर से अमित हसन, बप्पाराज रियाज, शाकिब खान, जाहिद हसन और मुशर्रफ करीम के साथ उन की जोड़ी खूब जमती थी.

राइमा आला कारोबारी दिमाग की मालकिन थीं, इसलिए उन्होंने खुद का प्रोडक्शन हाउस भी खोल लिया था. जिस के तहत कई टीवी सीरियल बने थे. अलावा इस के वह फिल्म पत्रकारिता भी ‘अर्थ कोथा द नैशनल बिजनैस मैगजीन’ के लिए करती थीं.

बहुमुखी प्रतिभा की धनी इस एक्ट्रेस को टीवी न्यूज चैनल एटीएन बांग्ला में सेल्स एंड मार्केटिंग में वाईस प्रेसिडेंट भी नियुक्त किया गया था. जल्द ही एक नामी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी टीएन इवेंट्स लिमिटेड के सीईओ की जिम्मेदारी भी उन्हें दी गई थी.

इतना ही नहीं, उन्होंने बांग्लादेश में ही अपना ब्यूटी सैलून भी शुरू कर दिया था, जिस का नाम रोज ब्यूटी सैलून है. ढाका का ग्रीन रोड इलाका राइमा के घर की वजह से भी पहचाना जाने लगा, जो दर्शकों और प्रशंसकों की नजर में किसी मन्नत या जन्नत से कम नहीं था.

लेकिन कोई सोच भी नहीं सकता था कि लाखों लोगों का मनोरंजन करने वाली और दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली इस एक्ट्रेस की निजी जिंदगी किसी नर्क से कम बदतर नहीं थी और इस की वजह था उन का पति शखावत अली नोबेल, जो कभी उन पर जान छिड़का करता था. इन दोनों ने 16 साल पहले लव मैरिज की थी.

शौहर ही निकला कातिल

आम दर्शक इस से ज्यादा कुछ नहीं सोच पाता कि उस की चहेती एक्ट्रेस अपने महल जैसे घर के अंदर सदस्यों के साथ हंसखेल रही होगी, रोमांस कर रही होगी या फिर डायनिंग टेबल पर बैठी लंच या डिनर कर रही होगी.

और कुछ नहीं तो पति और बच्चों के साथ आंचल हवा में लहराते लौन के झूले पर झूलती गाना गा रही होगी. उस के इर्दगिर्द रंगबिरंगे फूल और चहचहाते पक्षी होंगे. सर के ऊपर नीला खुला आसमान होगा. लेकिन ऐसा कुछ भी कम से कम राइमा की जिंदगी में तो नहीं था.

पिछले कुछ दिनों से वह बेहद घुटन भरी जिंदगी जी रही थीं. आलीशान घर के अंदर कलह स्थायी रूप से पसर चुकी थी जिस से उन के दोनों बच्चे सहमेसहमे से रहते थे.

राइमा और शखावत कहने और देखने को ही साथ रहते थे और मियांबीवी कहलाना भी उन की सामाजिक मजबूरी हो चली थी. लेकिन रोजरोज की मारकुटाई और कलह आम बात हो चुकी थी.

यह सब कितने खतरनाक मुकाम तक पहुंच चुका था, इस का खुलासा 17 जनवरी, 2022 को राइमा की लाश मिलने के बाद हुआ. अंदर से टूटी और थकी हुई यह एक्ट्रेस 16 जनवरी को मावा एक शूटिंग के लिए गई थी. लेकिन देर रात तक वापस घर नहीं लौटी तो घर वालों को चिंता हुई क्योंकि राइमा का फोन भी बंद जा रहा था.

कालाबागान थाने में उन की गुमशुदगी की सूचना दर्ज हुई. एक रिपोर्ट राइमा की बहन फातिमा निशा ने भी लिखाई थी. पुलिस ने राइमा की ढुंढाई शुरू की, लेकिन देर रात तक कोई कामयाबी नहीं मिली तो मामला सुबह तक के लिए टल गया.

इस दौरान उन का भाई शाहिदुल इसलाम खोकान लगातार पुलिस वालों से बहन को ढूंढने की गुजारिश करते खुद भी राइमा की तलाश में इस उम्मीद के साथ लगा रहा कि कहीं से कोई सुराग मिल जाए. लेकिन उस के हाथ भी मायूसी ही लगी.

17 जनवरी की सुबह कुछ राहगीरों ने हजरतपुर ब्रिज के पास एक लावारिस संदिग्ध बोरे को देख इस की खबर पुलिस को दी. पुलिस ने आ कर जैसे ही बोरे को खोला तो उस में से बरामद हुई राइमा की लाश, जो 2 टुकड़े कर बोरे में ठूंसी गई थी.

गले पर चोट के निशान भी साफसाफ दिख रहे थे, जिस से स्पष्ट हो गया कि राइमा की हत्या हुई है और लाश को यहां फेंक दिया गया है. लेकिन हत्यारा कौन हो सकता है, यह सवाल पुलिस को मथे जा रहा था.

राइमा की हत्या की खबर जंगल की आग की तरह फैली और फैंस जहांतहां इकट्ठा होने लगे. शव को पोस्टमार्टम के लिए सर सलीमुल्लाह मैडिकल कालेज भेज दिया गया.

पुलिस को शखावत पर शक तो था ही, लेकिन जैसे ही राइमा के भाई शाहिदुल इसलाम खोकान ने यह कहा कि शखावत एक ड्रग एडिक्ट है. वह अकसर मेरी बहन से कलह करता था. मैं ने उस की कार में खून देखा है. वह सुबह 8 से ले कर 10 बजे तक घर पर नहीं था. मुझे लगता है कि उसी दौरान उस ने राइमा की लाश फेंक दी.

फिल्मों जैसा कत्ल

शाहिदुल की शिकायत पर पुलिस ने शखावत को घेरा तो बिना किसी ज्यादा मशक्कत के उस ने सच उगल दिया. अब तक राइमा के फैंस जगहजगह मोमबत्तियां ले कर उन की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने लगे थे.

सोशल मीडिया पर भी राइमा छाई हुई थीं. लोग श्रद्धांजलि देते राइमा के हत्यारे को गिरफ्तार करने की मांग और प्रदर्शन कर रहे थे.

हिरासत में लिए गए शखावत ने बगैर किसी खास चूंचपड़ के अपना गुनाह कुबूल लिया. उस के बयान की बिनाह पर 6 लोग और गिरफ्तार किए गए, जिन में उन का ड्राइवर और एक नजदीकी दोस्त अब्दुल्ला फरहाद भी था. फरहाद को शखावत ने फोन कर बुलाया था.

पूछताछ में पता चला कि शखावत और फरहाद ने राइमा की हत्या 16 जनवरी को ही कर दी थी. वक्त था सुबह 7 बजे का. इन दोनों ने राइमा की लाश बोरे में भर दी और उसे प्लास्टिक की डोरी से सिल दिया. यह काम इत्मीनान से बिना किसी अड़ंगे के हो सके, इस के लिए उन्होंने घर पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड को नाश्ता लेने भेज दिया था.

घटनास्थल से बरामद डोरी शखावत के गले का फंदा बनेगी, यह भी तय दिख रहा है क्योंकि जब पुलिस टीम घर पहुंची थी तो इस डोरी का पूरा बंडल वहां से बरामद हुआ था. जिस से शक की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी.

ये दोनों लाश को ठिकाने लगाने के पहले उसे मीरपुर ले गए थे, लेकिन वहां कोई उपयुक्त सुनसान जगह नहीं मिली तो वापस घर आ गए थे.

राइमा की लाश उन लोगों के लिए बोझ बनती जा रही थी. मीरपुर से वापसी के बाद दोनों रात साढ़े 9 बजे के करीब हजरतपुर ब्रिज पहुंचे और लाश वाले बोरे को वहीं फेंक दिया, लेकिन हड़बड़ाहट और जल्दबाजी में गलती से डोरी वहीं छोड़ दी, जो उन के खिलाफ एक पुख्ता सबूत बन गई.

लाश फेंकने के बाद घर आ कर दोनों ने सबूत मिटाने की गरज से कार को धोया और बदबू दूर करने के लिए उस में ब्लीचिंग पाउडर भी छिड़का. लेकिन इस के बाद भी खून के धब्बे पूरी तरह नहीं मिट पाए थे.

यानी राइमा शूटिंग पर गई है, यह झूठ जानबूझ कर फैलाया गया था, जिस से कत्ल को किसी हादसे में तब्दील किया जा सके या उस का ठीकरा किसी और के सिर फूटे, नहीं तो उसे तो ये लोग 16 जनवरी, 2022 को ही ऊपर पहुंचा चुके थे.

गलत नहीं कहा जाता कि मुलजिम कितना भी चालाक हो, कोई न कोई सबूत छोड़ ही देता है फिर शखावत और फरहाद तो नौसिखिए थे, जो यह मान कर चल रहे थे कि उन्होंने बड़ी चालाकी से अपने गुनाह को अंजाम दिया है, इसलिए पकडे़ जाने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होगा. कुछ दिन हल्ला मचेगा और फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा.

पुलिस के सामने शखावत ने शरीफ बच्चों की तरह मान लिया कि राइमा से कलह के चलते उस ने उस का कत्ल किया, लेकिन हकीकत में वह अव्वल दरजे का शराबी और ड्रग एडिक्ट था, जो पत्नी को मार कर उस की सारी दौलत हड़प कर लेना चाहता था, जिस से ताउम्र मौज और अय्याशी की जिंदगी जी सके.

पर अब उसे जिंदगी भर जेल की चक्की पीसना तय दिख रहा है. हो सकता है अदालत कोई रहम न दिखाते हुए शखावत को फांसी की सजा ही दे दे, जिस का कि वह हकदार भी है.

प्रत्यूषा बनर्जी : आत्महत्या और अनसुलझे सवाल

अभिनेत्री प्रत्यूषा बनर्जी का स्वर अभी भी कानों में गूंज रहा है. मेरे साथ पहले इंटरव्यू के दौरान उस ने बताया था कि टीवी धारावाहिक ‘बालिका वधू’ में बड़ी आनंदी के किरदार को निभाने के लिए हजारों लड़कियों के बीच से उसे कैसे चुना गया था. 18 वर्ष की उम्र में इतने बड़े शो की मुख्य भूमिका का मिलना काफी अहम था क्योंकि मुंबई में बड़ी संख्या में लड़के, लड़कियां एक अच्छी भूमिका के लिए सालोंसाल दिनरात न जाने कितने प्रोडक्शन हाऊसों के चक्कर लगाते रहते हैं. प्रत्यूषा को बचपन से अभिनय का शौक था. वह कई बार आईने के सामने खड़ी हो कर अभिनय किया करती थी.

जमशेदपुर के साधारण बंगाली परिवार में पलीबढ़ी प्रत्यूषा को जब बालिका वधू के लिए औडिशन का मौका मिला तो वह पहले लखनऊ, फिर मुंबई आई. इस धारावाहिक की मुख्यपात्र बन कुछ ही दिनों में वह सब की चहेती बन गई. उस की बातों में दृढ़ विश्वास था. वह हंसमुख थी, सौम्य थी. मुंबई में अभिनय की दुनिया की चकाचौंधभरी जिंदगी, ग्लैमरस पार्टियां प्रत्यूषा को अच्छी लगने लगीं. उस ने पहले विकास गुप्ता, मकरंद मलहोत्रा से डेटिंग की और फिर अभिनेतानिर्माता राहुल राज सिंह से डेटिंग करती रही. राहुल भी जमशेदपुर के हैं. एक बर्थडे पार्टी में एक कौमन फ्रैंड के जरिए वे दोनें मिले थे.

‘बालिका वधू’ की प्रसिद्धि से प्रत्यूषा खुश थी लेकिन इस धारावाहिक का अतिव्यस्त शूटिंग कार्यक्रम उस को रास नहीं आया. 2013 में जब यह धारावाहिक अपनी लोकप्रियता के चरम पर था तभी प्रत्यूषा ने इस धारावाहिक को यह कह कर छोड़ दिया कि वह बे्रक चाहती है, रोजरोज की शूटिंग से तंग आ चुकी है.बाद में यह भी सुना गया कि उस ने अपनी मां की बीमारी के चलते शो छोड़ा था. इस के बाद उस ने रिऐलिटी शो ‘झलक दिखला जा’ के 5वें सीजन और ‘बिग बौस’ के 7वें सीजन, ‘कौमेडी क्लास’, ‘ससुराल सिमर का’, ‘पावर कपल’ आदि किए.

24 वर्षीय प्रत्यूषा बनर्जी की मौत सब को चौंकाने वाली थी क्योंकि अप्रैल में ही वह राहुल राज सिंह से शादी करने वाली थी. उस ने अपनी भावी शादी का जोड़ा डिजाइनर रोहित वर्मा को डिजाइन के लिए दिया था. ऐसे में पंखे से लटक कर आत्महत्या की वजह समझ में नहीं आ रही. आखिर इतनी हंसमुख और स्पष्टवादी लड़की किस तरह से ऐसा कदम उठा सकती है. कुछ लोगों ने तो 1 अप्रैल के इस दिन को ‘अप्रैल फूल’ माना. पर जब हकीकत सामने आई तो फैमिली और फ्रैंड्स के होश उड़ गए.

हालांकि पोस्टमौर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह आत्महत्या माना गया है लेकिन प्रत्यूषा के दोस्त और साथी कलाकार इसे हत्या मानते हैं. उन के अनुसार, राहुल एक ऐयाश लड़का है. इस से पहले उस ने कोलकाता की एक लड़की से शादी की थी और फिर उसे छोड़ दिया था. इस के बाद वह प्रत्यूषा से मिला. और 1 साल से प्रत्यूषा के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहा और प्रत्यूषा से वह शादी करने वाला था.

इस बीच, उस के जीवन में सलोनी शर्मा नाम की एक लड़की आई जो एक धारावाहिक में काम करती है. राहुल और सलोनी की नजदीकी प्रत्यूषा को पसंद नहीं थी. उस ने राहुल से सलोनी को छोड़ने के लिए कहा पर राहुल नहीं माना. प्रत्यूषा के दोस्त और साथी कलाकारों का कहना है कि राहुल को अपनी गर्लफ्रैंड्स के पैसों पर ऐश करने में मजा आता है. रात की पार्टियों में वह अकसर दिखाई पड़ता था.

प्रत्यूषा काफी दिनों से तनाव में जी रही थी. ऐसे में उस का अकेले रहना कहां तक ठीक था? प्रत्यूषा अपने और राहुल के रिश्ते से खुश थी. इंस्टाग्राम पर वह काफी तसवीरें पोस्ट किया करती थी. ऐसे में आत्महत्या की वजह समझना मुश्किल हो रहा है. यह सही है कि लिवइन रिलेशनशिप आजकल के युवाओं का पसंदीदा रिश्ता है. यह बड़े शहरों में बढ़ भी रहा है. ग्लैमरवर्ल्ड में तो लिवइन की भरमार है.

छोटे शहरों से आई लड़कियां या लड़के जब मायानगरी मुंबई की इस चकाचौंध को देखते हैं तो इसे हजम कर पाना उन के लिए मुश्किल होता है. ऐसी घटनाएं यहां होती रहती हैं जब रिलेशनशिप में रहने वाले लड़के और लड़कियां अपना काम पूरा होने के बाद एकदूसरे को छोड़ देते हैं. कुछ तो डिप्रैशन के शिकार हो कर आत्महत्या कर लेते हैं तो कुछ तांत्रिक, पंडेपुजारी के जाल में फंस जाते हैं और अपना पैसा व इज्जत दोनों गंवा बैठते हैं.

लिवइन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रत्यूषा और राहुल की यही कहानी थी. जिस में राहुल ने ऐश किया और प्रत्यूषा मंजिल से भटक कर मौत के मुंह में समा गई. प्रत्यूषा की मौत को उस के दोस्त मर्डर मानते हैं. प्रत्यूषा की दोस्त काम्या पंजाबी और विकास गुप्ता ने दावा किया है कि प्रत्यूषा ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उस की हत्या की गई है.

राहुल की प्रेमिका सलोनी शर्मा भी, राहुल की गैरहाजिरी में, प्रत्यूषा के साथ दुर्व्यवहार करती थी. काम्या ने कहा कि मृत्यु से 3-4 दिन पहले प्रत्यूषा ने फोन कर उसे राहुल की बात बताई थी और उस से मदद मांगी थी. काम्या उस समय दिल्ली में थी और 4 अप्रैल को मुंबई पहुंच कर उस से मिलने वाली थी.

लिवइन रिलेशनशिप में रहना आज लड़के और लड़कियों में आम है पर इस रिश्ते में आई समस्याओं को झेलना उन के लिए आसान नहीं होता. इस बारे में मुंबई के फोर्टिस अस्पताल की मनोरोग चिकित्सक डा. पारुल टांक कहती हैं, ‘‘प्रत्यूषा उदासीनता की शिकार थी.

अभी तक जो बात सामने आ रही है उस के हिसाब से उस का निजी जीवन, मातापिता से संबंध और कैरियर ये तीनों ही सही नहीं थे, ऐसे में डिप्रैशन होना स्वाभाविक है.’’ लिवइन रिलेशनशिप की बढ़ती संख्या को देख कर सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल, 2015 को इसे मान्यता दे दी है. कोर्ट के अनुसार, अगर लड़का या लड़की अपनी मरजी से साथ रहते हैं तो उन्हें शादीशुदा माना जाएगा. उन के बच्चे भी जायज ठहराए जाएंगे.

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट डा. संजय मुखर्जी कहते हैं, ‘‘लिवइन रिलेशनशिप में लड़का या लड़की दोनों में आपसी समझ अच्छी होनी चाहिए. एकदूसरे पर जल्दी भरोसा करना ठीक नहीं होता. अंधविश्वासी होना ठीक नहीं है. इस रिश्ते में टाइमपास कर दोनों पार्टनरों में से कोई भी रिश्ते को छोड़ सकता है.’’ डा. संजय आगे कहते हैं, ‘‘प्रत्यूषा की घटना को पर्सनैलिटी डिस्और्डर कहना ठीक होगा जिसे ‘न्यूरोटिसिज्म’ कहते हैं. यह अधिकतर आनुवंशिकी होता है. प्रत्यूषा अपने मांबाप की इकलौती संतान थी.

ऐसे में राहुल का उसे धोखा दे कर किसी और के साथ समय बिताना उसे ‘हर्ट’ कर गया. ऐसे लोगों को अगर प्यार, खुशी सबकुछ ठीक तरह से मिले तो ये मस्त जिंदगी जीते हैं और अगर इन्हें जरा भी किसी से तकलीफ मिलती है, ये बरदाश्त नहीं कर पाते.’’

प्रत्यूषा ने कम उम्र में सफलता हासिल की थी. लेकिन पैसा, बौयफ्रैंड आदि सब धीरेधीरे उस से छिनता चला गया. अभिनय से शिखर पर पहुंची प्रत्यूषा अभिनय की ग्लैमरस दुनिया की शिकार हो गई. उस ने आत्महत्या की, उसे आत्महत्या करने को मजबूर किया गया या उस की हत्या की गई, इस पर संशय रहेगा.

फिल्म स्टार्स को शादी के ठुमकों से भी करोड़ों की कमाई

वाकया अब से कोई 8 साल पहले का है. मशहूर बौलीवुड अभिनेता शाहरुख खान एक शादी में शामिल होने के लिए दुबई गए थे. विवाहस्थल था नामी मेडिनाट जुमैराह होटल, मेजबान थे अहमद हसीम खूरी और मरियम ओथमन, जिन की गिनती खाड़ी के बड़े रईसों में शुमार होती है.

मौका था इन दोनों के बेटे की शादी का, जो इतने धूमधाम से हुई थी कि ऐसा लगा था कि इस में पैसा खर्च नहीं किया गया बल्कि फूंका और बहाया गया है. इस की वजह भी है कि शायद ही खुद अहमद हसीम खूरी को मालूम होगा कि उन के पास कितनी दौलत है.

एक आम पिता की तरह इस खास शख्स की यह ख्वाहिश थी कि बेटे की शादी इतने धूमधाम से हो कि दुनिया याद रखे और ऐसा हुआ भी, जिस में शाहरुख खान का वहां जा कर नाच का तड़का लगाना एक यादगार लम्हा बन गया था.

चूंकि खूरी शाहरुख के अच्छे परिचित हैं, इसलिए यह न सोचें कि वे संबंध निभाने और शिष्टाचारवश इस शादी में शिरकत करने गए थे, बल्कि हकीकत यह कि वह वहां किराए पर नाचने गए थे. आधे घंटे नाचने की कीमत शाहरुख ने 8 करोड़ रुपए वसूली थी और मेजबानों ने खुशीखुशी दी भी थी.

रियल एस्टेट से ले कर एयरलाइंस तक के कारोबार के किंग अहमद हसीम खूरी जो दरजनों छोटीबड़ी कंपनियों के मालिक हैं, के लिए यह वैसी ही बात थी जैसे किसी भेड़ के शरीर से 8-10 बाल झड़ जाना. लेकिन शाहरुख के लिए यह पैसा पूरी तरह से बख्शीश तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन बोनस जरूर था.

यह डील राशिद सैय्यद ने करवाई थी, जो दुबई में शाहरुख के इवेंट आयोजित करवाते हैं. इस डील में भी उन्हें तगड़ा कमीशन मिला था. यह वह दौर था जब शाहरुख खान अपनी बीमारी की वजह से निजी आयोजनों में जाने से परहेज करते थे, पर आधे घंटा ठुमका लगाने के एवज में मिल रही 8 करोड़ की रकम का लालच वह छोड़ नहीं पाए थे. क्योंकि सौदा कतई घाटे का न हो कर तगड़े मुनाफे का था.

ऐसा नहीं है कि शाहरुख देश की शादियों में नाचनेगाने की फीस चार्ज न करते हों. हां, वह कम जरूर होती है. आजकल वह शादियों में शामिल होने के 2 करोड़ लेते हैं और मेजबान अगर उन्हें नचाना भी चाहे तो यह फीस 3 करोड़ हो जाती है.

लेकिन समां ऐसा बंधता है कि लड़की या लड़के वाले के पैसे वसूल हो जाते हैं. शान से शादी करना हमेशा से ही लोगों की फितरत रही है और इस के लिए वे ज्यादा से ज्यादा दिखावा और खर्च करते हैं, जिस का बड़ा हिस्सा मनोरंजन पर खर्च होता है.

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करोड़ों के ठुमके

एक दौर था जब अमीरों और जमींदारों के यहां की शादियों में नामी रंडियां, बेड़नियां और तवायफें दूरदूर से नाचने के लिए बुलाई जाती थीं. इन का नाच देखने और मुजरा सुनने के लिए खासी भीड़ इकट्ठी होती थी.

प्रोग्राम के बाद लोग मान जाते थे कि वाकई मेजबान इलाके का सब से बड़ा रईस और दिलदार आदमी है, जिस ने 11 बेड़नियां नचा कर फलां को मात दे दी, जो अपने बेटे की शादी में केवल 5 तवायफें ही ला पाया था.

5 हों या 7 या फिर 11, इन पेशेवर नचनियों को खूब मानसम्मान दिया जाता था और उन की खातिर खुशामद में कोई कमी नहीं रखी जाती थी. इन की फीस भी तब के हिसाब से तौलें तो किसी शाहरुख, सलमान, रितिक रोशन, अक्षय कुमार, कटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा, रणवीर सिंह या प्रियंका चोपड़ा से कम नहीं होती थी.

ये सभी फिल्म स्टार शादियों और दूसरे निजी आयोजनों में हिस्सा लेने में अपनी और मेजबान की हैसियत के हिसाब से फीस लेते हैं, जो फिल्मों के अलावा इन की अतिरिक्त आमदनी होती है. हालांकि पैसों के लिए ये अब उद्घाटन के अलावा शपथ ग्रहण समारोहों तक में शामिल होने लगे हैं और विज्ञापनों व ब्रांड प्रमोशन से भी अनापशनाप कमाते हैं. लेकिन शादियों की बात कुछ अलग हटकर है.

वक्त के साथ शादियों के पुराने तौरतरीके बदले तो बेड़नियों और तवायफों की जगह फिल्म स्टार्स ने ले ली. शादियों में खासतौर से इन की मांग ज्यादा होती है, क्योंकि खुशी के इस मौके को लोग यादगार बना लेना चाहते हैं. ऐसे में अगर कोई फिल्मी सितारा वे अफोर्ड कर सकते हैं तो उसे बुलाने से चूकते नहीं.

ये डील सीधे भी होती हैं, पीआर एजेंसी और इवेंट कंपनियों के जरिए भी. और किसी जानपहचान वाले का फायदा भी उठाया जाता है. हालांकि अधिकांश बड़े सितारों ने इस बाबत अपने खुद के भी बिजनैस मैनेजर नियुक्त कर रखे हैं.

शाहरुख खान वक्त की कमी के चलते साल में 3-4 से ज्यादा शादियों में नहीं जाते. इस से ही उन्हें कोई 10 करोड़ की सालाना कमाई हो जाती है. शाहरुख की तरह ही सलमान खान भी साल में 3-4 शादियों में ही शिरकत करते हैं. हां, उन की फीस थोड़ी कम 2 करोड़ रुपए है.

सलमान शादियों में दिल से नाचते हैं और घरातियों और बारातियों को भी खूब नचाते हैं. शाहरुख के बाद सब से ज्यादा मांग उन्हीं की रहती है. आप जान कर हैरान हो सकते हैं कि इन दोनों के पास साल में ऐसे यानी पेड डांस के कोई 200 न्यौते आते हैं, लेकिन ये जाते सिर्फ 3 या 4 में ही हैं.

अक्षय नहीं दिखाते ज्यादा नखरे

जिन्हें शाहरुख या सलमान खान से मंजूरी नहीं मिलती, वे अक्षय कुमार जैसे स्टार की तरफ दौड़ लगा देते हैं जो आसानी से मिल जाते हैं और इन की फीस भी उन से कम होती है. आजकल अक्षय कुमार डेढ़ करोड़ में नाचने को तैयार हो जाते हैं क्योंकि उन का बाजार ठंडा चल रहा है.

अक्षय कुमार की यह खूबी है कि बेगानी शादी में यह दिखाने की पूरी कोशिश करते हैं कि वे वर या वधु पक्ष के बहुत अजीज हैं. अब यह और बात है कि समझने वाले समझ जाते हैं कि वे आए तो किराए पर नाचने हैं.

अक्षय कुमार से भी सस्ते पड़ते हैं रणवीर सिंह, जिन की शादी में नाचने की फीस सिर्फ एक करोड़ रुपए है और केवल शादी में शामिल होना हो यानी नाचना न हो तो वे 50 लाख में भी मुंह दिखाने को तैयार हो जाते हैं.

‘कहो न प्यार है’ फिल्म से रातोंरात स्टार बन बैठे रितिक रोशन शादी में शामिल होने के लिए एक करोड़ फीस चार्ज करते हैं और नाचना भी हो तो इस अमाउंट में 50 लाख रुपए और जुड़ जाते हैं. यानी डेढ़ करोड़ रुपए

कपूर खानदान के रणबीर कपूर कभीकभार ही ऐसे न्यौते स्वीकारते हैं, उन की फीस डेढ़ करोड़ रुपए है.

सस्ती पड़ती हैं एक्ट्रेस

नायकों के मुकाबले शादियों में नचाने को नायिकाएं सस्ती पड़ती हैं जबकि उन में आकर्षण ज्यादा होता है. सब से ज्यादा डिमांड कटरीना कैफ की रहती है, जिन की फीस बड़े नायकों के बराबर ढाई करोड़ रुपए है.

कटरीना को अपनी शादी में नाचते देखने का लुत्फ वही उठा सकता है, जो घंटा आधा घंटा के एवज में यह भारीभरकम रकम खर्च कर सकता हो. हालांकि ऐसे शौकीनों की कमी भी नहीं. कटरीना के बराबर ही मांग प्रियंका चोपड़ा की रहती है. उन की फीस भी ढाई करोड़ है, जिसे अदा कर उन से ठुमके लगवाए जा सकते हैं.

इन दोनों को टक्कर देने वाली करीना कपूर डेढ़ करोड़ में शादी को यादगार बनाने के लिए तैयार हो जाती हैं और नाचती भी दिल से हैं. तय है कपूर खानदान की होने के नाते वे भारतीय समाज और उस की मानसिकता को बारीकी से समझती हैं कि लोग बस इस मौके को जीना चाहते हैं जिस में उन का रोल एक विशिष्ट मेहमान का है.

उन के दादा राजकपूर की हिट फिल्म ‘प्रेम रोग’ में अचला सचदेव नायिका पद्मिनी कोल्हापुरे की शादी में बहैसियत तवायफ ही आई थीं. इस दृश्य के जरिए राजकपूर ने दिखाया था कि ठाकुरों और जमींदारों के यहां शादियों में नाचगाना 7 फेरों से कम अहमियत नहीं रखता और इस पर वे खूब पैसे लुटाते हैं.

रणवीर सिंह की पत्नी दीपिका पादुकोण भी सस्ते में शादी में जाने तैयार हो जाती हैं उन की फीस महज एक करोड़ रुपए है. नामी अभिनेत्रियों में सब से किफायती अनुष्का शर्मा हैं, जो शादी में शामिल होने के 50 लाख और नाचना भी हो तो एक करोड़ रुपए लेती हैं. क्रिकेटर विराट कोहली से शादी करने के बाद भी उन की फीस बढ़ी नहीं है.

वजह कुछ भी हो, शादी को रंगीन और यादगार बनाने के लिए अभिनेत्रियां कम पैसों में मिल जाती हैं. मसलन, सोनाक्षी सिन्हा जो मोलभाव करने पर 25 लाख में भी नाचने को राजी हो जाती हैं, जबकि वह भारीभरकम फीस वाली अभिनेत्रियों से उन्नीस नहीं और उन के मुकाबले जवान और ताजी भी हैं.

युवाओं में उन का खासा क्रेज है. सोनाक्षी से भी कम रेट में उपलब्ध रहती हैं दीया मिर्जा, सेलिना जेटली और गुजरे कल की चर्चित ऐक्ट्रेस प्रीति झिंगयानी और एक वक्त का बड़ा नाम अमीषा पटेल, जिन्होंने रितिक रोशन के साथ ही ‘कहो न प्यार है’ फिल्म से डेब्यू किया था.

इमेज है बड़ा फैक्टर

अपने बजट को ही नहीं बल्कि लोग इन कलाकारों को बुलाते समय अपनी प्रतिष्ठा और उन की इमेज को भी ध्यान में रखते हैं. क्या कोई अरबपति उद्योगपति राखी सावंत को अपने यहां शादी में बुलाएगा, जबकि उस की फीस महज 10 लाख रुपए है? जबाब है बिलकुल नहीं बुलाएगा, क्योंकि राखी की इमेज कैसी है यह सभी जानते हैं.

राखी सावंत को बुलाया तो जाता है और वह हर तरह से नाचती भी हैं लेकिन उन के क्लाइंट आमतौर पर वे नव मध्यमवर्गीय होते हैं जो अपनी धाक समाज में जमाना चाहते हैं.

यही हाल केवल 25 लाख में नाचने वाली पोर्न स्टार सनी लियोनी का है, जिन की क्लाइंटल रेंज उन्हीं की तरह काफी कुछ हट कर है.

राखी और सनी जैसी दरजन भर छोटी अभिनेत्रियों की आमदनी का बड़ा जरिया ये शादिया हैं, जिन में शिरकत करने और नाचने को वे एक पांव पर तैयार रहती हैं. इसी क्लब में मलाइका अरोड़ा भी शामिल हैं, जिन की फीस भी कम 15 लाख है.

हरियाणवी डांसर सपना चौधरी के धमाकेदार डांस और बेबाक अंदाज को तमाम लोग पसंद करते हैं. स्टेज शो के अलावा शादी समारोह में जाने के लिए वह एक लाख रुपए में ही तैयार हो जाती हैं. लेकिन वह 50 प्रतिशत एडवांस लेती हैं.

बड़े नायक और नायिकाएं अपने यहां शादियों में नचवा कर लोग न केवल अपनी रईसी झाड़ लेते हैं बल्कि धाक भी जमा लेते हैं. लेकिन कोई कभी खलनायकों को नहीं बुलाता. कभीकभार शक्ति कपूर शादियों में 10 लाख रुपए में ठुमका लगाने चले जाते हैं पर अब उन की इमेज कामेडियन और चरित्र अभिनेता की ज्यादा बन चुकी है. वैसे भी वह जिंदादिल कलाकार हैं जिस का बाजार और कीमत अब खत्म हो चले हैं.

बदलता दौर बदलते लोग

शादी में हंसीमजाक, नाचगाना न हो तो वह शादी कम एक औपचारिकता ज्यादा लगती है. इसलिए इन में हमेशा कुछ न कुछ नया होता रहता है.

60-70 के दशक में बेड़नियां और तवायफें नचाना उतने ही शान की बात होती थी, जितनी कि आज नामी स्टार्स को नचाना होती है. जरूरत बस जेब में पैसे होने की है. शादियों में नाचने से फिल्मी सितारों को आमदनी के साथसाथ पब्लिसिटी भी मिलती है.

इन के दीगर खर्च और नखरे भी आमतौर पर मेजबान को उठाने पड़ते हैं मसलन हवाई जहाज से आनेजाने का किराया, 5 सितारा होटलों में स्टाफ सहित ठहरने का खर्च और कभीकभी तो कपड़ों तक का भी. बशर्ते मेजबान ने यदि कोई ड्रेस कोड रखा हो तो नहीं तो ये लोग अपनी पसंद की पोशाक पहनते हैं.

शादियों में फिल्मी सितारों का फीस ले कर नाचने और ठुमकने का कोई ज्ञात इतिहास नहीं है, लेकिन इस की शुरुआत का श्रेय उन छोटीबड़ी आर्केस्ट्रा पार्टियों को जाता है, जिन्होंने 80 के दशक से शादियों में गीतसंगीत के स्टेज प्रोग्राम देने शुरू किए थे.

बाद में इन में धीरेधीरे छोटे और फ्लौप कलाकार भी नजर आने लगे. आइडिया चल निकला तो देखते ही देखते नामी सितारों ने इसे धंधा ही बना डाला.

शादियों में इस दौर में महिला संगीत और हल्दी मेहंदी का चलन भी तेजी से समारोहपूर्वक मनाने का बढ़ा था, जिस में रंग इन स्टार्स ने भरना शुरू कर दिया. थीम वेडिंग के रिवाज से भी इन की मांग बढ़ी.

इस के बाद भी यह बाजार बहुत बड़ा नहीं है क्योंकि इन की फीस बहुत ज्यादा है, जिसे कम लोग ही अफोर्ड कर पाते हैं. हां, सपना हर किसी का होता है कि उन के यहां शादी में कोई सलमान, शाहरुख, अक्षय, कटरीना या प्रियंका नाचें, लेकिन यह बहुत महंगा सपना है.

फिल्म लेखक और अभिनेत्री के इश्क़ की उड़ान

26 दिसंबर, 2021 की सुबह का वक्त था. उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के थाना खागा के थानाप्रभारी  आनंद प्रकाश शुक्ला क्षेत्र के एक कुख्यात अपराधी की फाइल पलट रहे थे. तभी एक युवक ने उन के कक्ष में प्रवेश किया.

वह बेहद घबराया हुआ था. उन्होंने एक नजर उस पर डाली फिर पूछा, ‘‘सुबहसुबह कैसे आना हुआ? क्या कोई खास बात है? तुम इतने घबराए हुए क्यों हो?’’
‘‘सर, मेरा नाम इंद्रमोहन सिंह राजपूत है. मैं गुलरिहनपुर मजरे के कूरा गांव का रहने वाला हूं. बीती रात मेरी पत्नी योगमाया ने हंसिया से गला रेत कर आत्महत्या कर ली. उस की लाश घर के अंदर पड़ी है. रात में सूचना देने नहीं आ सका. इसलिए सुबह आया हूं.’’

थानाप्रभारी आनंद शुक्ला के सामने कई ऐसे सवाल थे, जिन के जवाब इंद्रमोहन सिंह दे सकता था. लेकिन पहली जरूरत मौके पर पहुंचने की थी. इसलिए उन्होंने सब से पहले एसपी (फतेहपुर) राजेश कुमार सिंह और डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा को घटना की जानकारी दी. फिर वह पुलिस टीम ले कर मौके पर पहुंच गए.

उस समय इंद्रमोहन सिंह के घर के बाहर लोगों की भीड़ थी. भीड़ को हटाते हुए थानाप्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला ने सहकर्मियों के साथ घर के अंदर प्रवेश किया और उस कमरे में पहुंचे, जहां मृतका की लाश पड़ी थी.

कमरे का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था. कमरे के अंदर पड़े पलंग पर योगमाया नाम की युवती की लाश खून से तरबतर पड़ी थी. उस के गले पर 3 गहरे घाव थे, जिन से खून रिस रहा था. खून से बिस्तर तरबतर था. पलंग के पास ही खून सना हंसिया पड़ा था, जिसे श्री शुक्ला ने जांच हेतु सुरक्षित कर लिया.

मृतका योगमाया का रंग गोरा, शरीर स्वस्थ और उम्र 25 वर्ष के आसपास थी. मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ. शव निरीक्षण के बाद थानाप्रभारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह मामला आत्महत्या का नहीं है, बल्कि रणनीति के तहत हत्या का है. पुलिस को गुमराह करने के लिए आत्महत्या की सूचना दी गई है.
सच्चाई का पता लगाने के लिए वह वहां पर मौजूद मृतका के मायके वालों से जानकारी के लिए बड़े तभी एसपी राजेश कुमार सिंह तथा डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा वहां आ गए.

पुलिस को दिखा हत्या का मामला

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया फिर इंसपेक्टर आनंद प्रकाश शुक्ला से बातचीत की. इंसपेक्टर शुक्ला ने शक जाहिर किया कि मामला आत्महत्या का नहीं, बल्कि हत्या का है और इस का रहस्य मृतका के पति इंद्रमोहन सिंह के पेट में ही छिपा है.
मौके पर मृतका का पति इंद्रमोहन सिंह मौजूद था. अत: एसपी राजेश कुमार सिंह ने उस से पूछताछ की. इंद्रमोहन सिंह ने बताया कि वह रंगकर्मी है. भोजपुरी फिल्मों में कहानी लेखन का काम करता है. इस के अलावा वह भोजपुरी गानों पर एलबम बनाता है.

कल सुबह वह पहले अपनी ससुराल गया, फिर वहां से लखनऊ चला गया था. घर पर उस की पत्नी योगमाया, एक वर्षीय बेटा अनमोल तथा भोजपुरी फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री नेहा वर्मा थी.

देर रात जब वह घर वापस आया तो नेहा वर्मा ने बताया कि योगमाया ने आत्महत्या कर ली. रात अधिक हो जाने के कारण वह थाने नहीं गया. सुबह सूचना देने गया. भोजपुरी फिल्म नायिका नेहा वर्मा डरीसहमी घर पर ही मौजूद थी.

राजेश कुमार सिंह ने नेहा वर्मा से पूछताछ की तो उस ने बताया कि रात 8 बजे उस ने और योगमाया ने साथ बैठ कर खाना खाया था. उस के बाद योगमाया अपने बेटे के साथ कमरे में जा कर लेट गई और वह दूसरे कमरे में जा कर सो गई.

रात 10 बजे के लगभग उसे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी तो वह कमरे में गई. वहां पलंग पर योगमाया मृत पड़ी थी. उस ने हंसिया से गला रेत कर आत्महत्या कर ली थी. कुछ देर बाद इंद्रमोहन सिंह आ गए.

तब वह बच्चे को गोद में ले कर चीखते हुए बाहर निकले. उस के बाद इंद्रमोहन सिंह के मातापिता व भाई आ गए, जो पड़ोस में रहते हैं.

नेहा वर्मा ने यह भी बताया कि वह 2 साल से इंद्रमोहन सिंह के संपर्क में है. वह भोजपुरी फिल्मों में साइड रोल करती है. अभी कुछ माह पहले ही उस की ‘पश्चाताप’ फिल्म बनी है, जो जल्द ही रिलीज होने वाली है. इस भोजपुरी फिल्म में उस का साइड रोल है.

फिल्म की कहानी इंद्रमोहन सिंह ने लिखी थी. उस ने बताया कि वह 4 दिन पहले ही अपने पिता के साथ गोरखपुर से कूरा गांव आई थी. पहले भी वह कई बार इंद्रमोहन सिंह के साथ गांव आई थी.

पूछताछ के दौरान राजेश सिंह की नजर नेहा वर्मा के कपड़ों पर पड़ी. वह सलवार सूट पहने थी. सलवार खून से सनी थी और हाथों पर भी खून के दाग थे. गले पर खरोंच का निशान था. श्री सिंह ने वहां पर लगे खून के बाबत उस से पूछा, तो वह सकपका गई और कोई सही जवाब न दे सकी. वह कभी इंद्रमोहन सिंह की तरफ देखती तो कभी आंखें नीची कर लेती.

राजेश कुमार सिंह समझ गए कि नेहा वर्मा कुछ गहरा राज छिपा रही है. यह मामला आत्महत्या का नहीं है. हत्या के इस मामले में नेहा का हाथ हो सकता है.

योगमाया के शव के पास उस की सास कृष्णा व ससुर चंद्रमोहन सुबक रहे थे. डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा ने उन से पूछताछ की तो कृष्णा देवी ने बताया, ‘‘साहब, हमारी बहू योगमाया आत्महत्या नहीं कर सकती, उस की हत्या की गई है. नेहा और इंद्रमोहन के बीच नाजायज रिश्ता है, जिस का विरोध योगमाया करती थी. इसी विरोध के चलते नेहा ने उस को रास्ते से हटा दिया साहब, उस को तुरंत गिरफ्तार करो.’’

मृतका के भाई सत्यप्रकाश ने डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा को बताया कि बहनोई इंद्रमोहन व नेहा वर्मा के बीच पिछले 2 सालों से अवैध संबंध है. इस नाजायज रिश्ते का बहन विरोध करती थी. इस पर इंद्रमोहन उसे प्रताडि़त
करता था.

कई बार उसे समझाने की कोशिश की गई लेकिन वह नहीं माना. इन्हीं नाजायज रिश्तों का विरोध करने पर इंद्रमोहन और नेहा वर्मा ने उस की हत्या कर दी और आत्महत्या करने की झूठी सूचना थाने जा कर दी.

आसपड़ोस के लोगों ने भी नाजायज रिश्ता पनपने और हत्या का शक जताया. शक के आधार पर पुलिस अधिकारियों ने इंद्रमोहन सिंह राजपूत और उस की प्रेमिका नेहा वर्मा को हिरासत में ले लिया और मृतका योगमाया के शव को पोस्टमार्टम हेतु फतेहपुर के जिला अस्पताल भिजवा दिया.

इंद्रमोहन सिंह राजपूत और नेहा वर्मा को थाना खागा लाया गया. यहां पुलिस कप्तान राजेश कुमार सिंह व डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा ने दोनों से सख्त रुख अपना कर पूछताछ की तो उन को सच्चाई उगलने में ज्यादा देर नहीं लगी.

नेहा ने बताया कि वह इंद्रमोहन राजपूत से प्यार करने लगी थी. दोनों के बीच अवैध रिश्ता भी बन गया था. वह इंद्रमोहन से शादी रचाना चाहती थी. लेकिन उस की पत्नी योगमाया बाधक थी. इस बाधा को दूर करने के लिए उन दोनों ने साजिश रची और योगमाया की हत्या कर दी. वह अपना जुर्म कुबूल करती है.

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इंद्रमोहन सिंह राजपूत ने बताया कि वह खूबसूरत नेहा वर्मा के प्यार में अंधा हो गया था. वह उस से शादी कर खुशियां पाना चाहता था. नेहा के कहने पर उस ने पत्नी की मौत का षडयंत्र रचा और उसे मौत की नींद सुला दिया.
चूंकि इंद्रमोहन और नेहा ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था और आलाकत्ल हंसिया भी बरामद हो गया था. अत: थानाप्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला ने मृतका के भाई सत्यप्रकाश को वादी बना कर धारा 302 आईपीसी के तहत इंद्रमोहन सिंह राजपूत तथा नेहा वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और दोनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस जांच में इश्क में डूबी एक ऐसी नायिका की कहानी सामने आई, जो खुद ही नायिका से खलनायिका बन गई.

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद के थरियांव थाना अंतर्गत एक गांव है अब्दुल्लापुर घूरी. इसी गांव में विदित कुमार राजपूत अपने परिवार के साथ रहते थे. उस के परिवार में पत्नी आरती के अलावा एक बेटा सत्यप्रकाश तथा 2 बेटियां दिव्या व योगमाया थीं.

विदित कुमार किसान थे. कृषि उपज से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. बड़ी बेटी दिव्या का विवाह वह कर
चुके थे.

ममेरी बहन से की थी लवमैरिज

दिव्या से छोटी योगमाया थी. वह छरहरी काया और तीखे नाकनक्श वाली लड़की थी. उस की मुसकान सामने वाले पर गहरा असर डालती थी. योगमाया जितनी खूबसूरत थी, पढ़ने में भी उतनी ही तेज थी.

उस ने हाईस्कूल की परीक्षा सरस्वती बालिका इंटर कालेज से पास कर ली थी और आगे भी पढ़ना चाहती थी. लेकिन मांबाप ने उस की पढ़ाई बंद करा दी और घरेलू काम में लगा दिया.
योगमाया के घर इंद्रमोहन सिंह का आनाजाना लगा रहता था. वह फतेहपुर जिले के ही थाना खागा के गांव कूरा के रहने वाले चंद्रमोहन राजपूत का बेटा था. रिश्ते में दोनों सगे ममेरे भाईबहन थे. घर आतेजाते योगमाया की खूबसूरती और मुसकान इंद्रमोहन के दिल में बस गई थी.

एक दिन इंद्रमोहन ने उस से अपने मन की बात भी कह दी, ‘‘योगमाया, मैं तुम से प्यार करता हूं. यदि तुम मेरा प्यार कुबूल कर लोगी, तो मैं खुद को दुनिया का सब से खुशनसीब इंसान समझूंगा.’’

योगमाया उम्र के जिस पायदान पर थी, उस उम्र में लड़कियों को ऐसी बातें गुदगुदा देती हैं. योगमाया का दिलोदिमाग भी सनसनी से भर गया. उस ने इंद्रमोहन की आंखों में देखा. उन आंखों में प्यार का सागर ठाठें मार रहा था. उस की आंखों में देखते हुए कुछ देर तक वह सोच में डूबी रही, उस के बाद बोली, ‘‘अगर मैं तुम्हारा प्यार कुबूल कर लूं तो तुम्हारा अगला कदम क्या होगा?’’
‘‘शादी?’’ इंद्रमोहन ने तपाक से जवाब दिया.
‘‘लेकिन हमारातुम्हारा रिश्ता तो बहनभाई का है. हम दोनों के घर वाले राजी नहीं हुए तो…?’’ योगमाया ने पूछा.
‘‘…तो हम भाग कर प्रेम विवाह कर लेंगे.’’
योगमाया मुसकराई फिर नजरें झुका कर स्वीकृति में सिर हिला दिया.

इंद्रमोहन और योगमाया के घर वालों को दोनों के प्यार व शादी रचाने की बात पता चली तो उन के पैरों तले जमीन खिसक गई. घर वालों ने दोनों को बहुत समझाया, लेकिन जब वह नहीं माने तो विदित कुमार ने 20 वर्षीय बेटी योगमाया की शादी 12 फरवरी, 2015 को इंद्रमोहन राजपूत के साथ कर दी.

फिल्म कहानी लेखक बन गया इंद्रमोहन

शादी के बाद योगमाया इंद्रमोहन की दुलहन बन कर ससुराल आ गई. चूंकि इंद्रमोहन की मां कृष्णा इस शादी से नाराज थी, अत: वह पति चंद्रमोहन व छोटे बेटे जंगबहादुर के साथ अलग मकान में रहने लगी. वह इंद्रमोहन व योगमाया से बहुत कम बातचीत करती थी.

इंद्रमोहन सिंह बीए पास था. उस का रुझान भोजपुरी फिल्मों की तरफ था. वह फिल्म लेखन में अपनी किस्मत आजमाना चाहता था. उस ने भोजपुरी फिल्म के लिए कई कहानियां लिखीं, कुछ कहानी भोजपुरी फिल्म निर्माताओं को पसंद आईं तो कुछ कूड़ेदान में चली गईं.

लेकिन इंद्रमोहन सिंह हताश नहीं हुआ और लेखन कार्य तथा निर्माताआें के संपर्क में बना रहा. इंद्रमोहन सिंह अपनी पत्नी योगमाया से खूब प्यार करता था और उसे किसी प्रकार की कमी महसूस नहीं होने देता था.

योगमाया भी इंद्रमोहन की सेवा करती थी. आर्थिक संकट में भी वह पति का साथ देती थी. आर्थिक संकट के दौरान एक बार तो उस ने अपने आभूषण तक बेच दिए थे.

इंद्रमोहन और योगमाया का जीवन सुखमय बीत ही रहा था कि इसी बीच नेहा वर्मा नाम की बला आ गई, जिस ने योगमाया की जिंदगी में जहर घोल दिया. उस ने योगमाया के जीवन की खुशियां तो छीनी ही फिर आखिर में जिंदगी भी छीन ली.

नेहा वर्मा मूलरूप से मुंडेरा कस्बे के महराजगंज की रहने वाली थी. उस के पिता काशीनाथ वर्मा गोरखपुर के सुभाष नगर मोहल्ले में रहते थे. वह प्राइवेट फर्म में नौकरी करते थे. काशीनाथ साधारण पढ़ेलिखे व्यक्ति थे. आमदनी भी सीमित थी. लेकिन वह सीमित आमदनी में भी खुश थे. मुंडेरा कस्बे में उन का आनाजाना लगा रहता था.

नेहा वर्मा से हुई मुलाकात

20 वर्षीय नेहा वर्मा गोरीचिट्टी छरहरी काया की युवती थी. नैननक्श भी तीखे थे. सब से खूबसूरत थीं उस की आंखें. खुमार भरी गहरी आंखें. उस की आंखों में ऐसी कशिश थी कि जो उस में देखे, खो सा जाए.

नेहा ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर ली थी और आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी. वह फैशनेबल थी. अकसर मौडर्न कपड़े पहनती थी और खुद को सजासंवरा बनाए रखती थी.

सुंदर चेहरे वाली नेहा की आकर्षक देह पर मौडर्न कपड़े खूब फबते थे. जिस से देखने में वह फिल्मी हीरोइन सरीखी लगती थी. वह स्वभाव से चंचल और समय के हिसाब से काफी तेज थी. नेहा भोजपुरी फिल्में खूब देखती थी. उस का भी सपना था कि वह फिल्मों में काम करे.

वह फिल्म अभिनेत्री बनने का सपना संजोए बैठी थी. नेहा वर्मा और इंद्रमोहन सिंह की पहली मुलाकात 25 नवंबर, 2019 को मुंडेरा (महराजगंज) में एक पारिवारिक शादी समारोह में हुई. इस शादी समारोह में नेहा वर्मा अपने पिता काशीनाथ के साथ आई थी, जबकि इंद्रमोहन अपनी पत्नी योगमाया के साथ आया था. सजीसंवरी नेहा पर जब इंद्रमोहन की नजर पड़ी तो पहली ही नजर में वह उस के दिल में रचबस गई. मौका मिला तो दोनों में हायहैलो हुई और फिर परिचय हुआ.

इंद्रमोहन ने बताया कि वह फतेहपुर जिले के कूरा गांव का रहने वाला है और भोजपुरी फिल्मों में फिल्म की कहानी लेखन का कार्य करता है. नेहा वर्मा ने बताया कि वह गोरखपुर से पिता के साथ आई है. उसे भोजपुरी फिल्में पसंद है. वह भी फिल्मों में काम करना चाहती है. नेहा ने इंद्रमोहन का परिचय अपने पिता काशीनाथ से भी कराया. इंद्रमोहन ने भी अपनी पत्नी योगमाया का परिचय नेहा से कराया.

उस शादी समारोह में नेहा वर्मा और इंद्रमोहन ने एकदूसरे से खूब बातचीत की तथा एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर दे दिए. इस के बाद दोनोें के बीच मोबाइल फोन पर बातचीत होने लगी.
इंद्रमोहन नेहा से मिलने गोरखपुर भी जाने लगा. नेहा और इंद्रमोहन के बीच पहले दोस्ती हुई फिर प्यार पनपने लगा. इसी बीच इंद्रमोहन और नेहा भोजपुरी फिल्म के गाने पर एलबम भी बनाने लगे. इंद्रमोहन ने नेहा को कई भोजपुरी फिल्म निर्माताओं से भी मिलवाया और फिल्म में रोल देने का अनुरोध किया.

साथसाथ काम करते दोनों के बीच प्यार पनपा तो तन मिलन की भी इच्छा प्रबल हो उठी. एक दिन प्यार के क्षणों में दोनों के तन सटे तो दोनों ने एकदूसरे को बांहों में भर
लिया. फिर तो उन्हें एकाकार होने में ज्यादा देर नहीं लगी. अवैध संबंधों का सिलसिला अनवरत चलने लगा. नेहा इंद्रमोहन के प्यार में ऐसी पड़ी कि हमेशा के लिए उस के साथ रहने के बारे में सोचने लगी.

फिल्म में नेहा को दिलाया रोल

फरवरी, 2020 में इंद्रमोहन सिंह राजपूत ने फिल्म ‘पश्चाताप’ की कहानी लिखी. यह कहानी भोजपुरी फिल्म निर्मातानिर्देशक सन्नी प्रकाश को पसंद आ गई. सन्नी प्रकाश ने फिल्म के कलाकारों का चयन किया और इंसपायरर फिल्म ऐंड एंटरटेनमेंट प्रा.लि. के बैनर तले फिल्म बनाने का निर्णय लिया.

इस फिल्म में नायकनायिका के रूप में राकेश गुप्ता तथा स्मिता सना का चयन हुआ. साथ ही सहनायिका के रूप में नेहा वर्मा का चयन हुआ. ग्रामीण परिवेश की इस ‘पश्चाताप’ फिल्म की शूटिंग 21 सितंबर, 2020 से फतेहपुर के आसपास के क्षेत्र से शुरू हुई. शूटिंग के लिए नेहा वर्मा गोरखपुर से फतेहपुर आती थी और इंद्रमोहन सिंह राजपूत के गांव कूरा में उसी के घर में रुकती थी.

इंद्रमोहन की पत्नी योगमाया पति पर आंखें मूंद कर विश्वास करती थी और उस के कहने पर नेहा की सेवा में लगी रहती थी. लेकिन उस के विश्वास को ठेस तब लगी, जब उस ने एक रात नेहा को पति के साथ रंगेहाथों पकड़ लिया. कोई भी औरत भूख और पति की प्रताड़ना तो सह सकती है, लेकिन पति का बंटवारा कभी नहीं.

योगमाया को भी पति का बंटवारा मंजूर नहीं था. सो उस ने विरोध शुरू कर दिया. नेहा को ले कर वह पति से लड़नेझगड़ने लगी.

नेहा वर्मा को योगमाया का विरोध खटकने लगा. वह इंद्रमोहन को योगमाया के खिलाफ भड़काने लगी. इस का नतीजा यह हुआ कि इंद्रमोहन पत्नी को अधिक प्रताडि़त करने लगा. तब योगमाया ने पति और नेहा के बीच पनप रहे रिश्तों की जानकारी सास कृष्णा तथा अपने मायके वालों को दे दी. सब ने इंद्रमोहन को समझाया भी, लेकिन वह नहीं माना.

फिल्म ‘पश्चाताप’ की शूटिंग 6 महीने तक चली. इस बीच नेहा वर्मा कई बार कूरा गांव आई. वह जब भी आती, घर में कलह होती. नेहा वर्मा इंद्रमोहन के प्यार में इतनी डूब गई थी कि वह उस के साथ शादी कर घर बसाने की सोचने लगी थी. लेकिन वह यह भी जानती थी कि योगमाया के रहते घर बसाना संभव नहीं है.

उस के प्यार में योगमाया बाधा बनी तो उस ने उसे मिटाने का निश्चय कर लिया. इंद्रमोहन पहले ही नेहा की खूबसूरती का कायल था, सो वह उस की जायजनाजायज बातों को मान लेता था. इंद्रमोहन अब तक एक बच्चे का बाप बन चुका था, लेकिन उसे बच्चे से ज्यादा लगाव न था. योगमाया से भी वह नफरत करने लगा था.

पे्रमिका नेहा के साथ किया पत्नी का कत्ल

21 दिसंबर, 2021 को नेहा वर्मा अपने पिता काशीनाथ वर्मा के साथ गोरखपुर से इंद्रमोहन के घर कूरा गांव आई. उसे पता चला था कि फिल्म ‘पश्चाताप’ जल्दी ही रिलीज होने वाली है. सिनेमाघरों में पोस्टर भी चस्पा हो गए थे.

एक दिन रुक कर काशीनाथ वर्मा तो वापस चले गए लेकिन नेहा इंद्रमोहन के घर ठहर गई. 23 दिसंबर, 2021 की रात योगमाया ने नेहा और इंद्रमोहन को फिर से रंगेहाथों पकड़ लिया. इस पर उस ने जम कर हंगामा किया और पति तथा नेहा को खूब खरीखोटी सुनाई. अपमानित नेहा ने इंद्रमोहन को योगमाया  के खिलाफ भड़काया और रास्ते से हटाने को कहा.

इंद्रमोहन पहले तो राजी नहीं हुआ, लेकिन बाद में मान गया. इस के बाद नेहा और इंद्रमोहन ने योगमाया की हत्या का षडयंत्र रचा.
25 दिसंबर, 2021 को योजना के तहत इंद्रमोहन अपने भाई जंगबहादुर के साथ लखनऊ जाने की बात कह कर घर से निकला. लेकिन लखनऊ न जा कर वह अपनी ससुराल घुरू गया और अपने साले सत्यप्रकाश से मिला. उस ने साले को भी बताया कि वह किसी काम से लखनऊ जा रहा है. भाई जंगबहादुर को उस ने फतेहपुर भेज दिया.

इधर घर में योगमाया, उस का एक वर्षीय बेटा अनमोल तथा नेहा वर्मा थी. रात 8 बजे योगमाया ने नेहा वर्मा के साथ खाना खाया फिर बच्चे के साथ कमरे में पड़े पलंग पर जा कर लेट गई. कुछ देर बाद योगमाया सो गई.

लेकिन नेहा वर्मा की आंखों से नींद कोसों दूर थी. योजना के तहत उसने इंद्रमोहन से मोबाइल फोन पर बात की और घर बुला लिया. रात 10 बजे नेहा वर्मा और इंद्रमोहन, योगमाया के कमरे में पहुंचे. नेहा के हाथ में हंसिया था. कमरे में योगमाया रजाई से मुंह ढंके सो रही थी. नेहा उस की छाती पर सवार हो गई और रजाई मुंह से हटा कर उस की गरदन पर हंसिया से वार कर दिया.

योगमाया चीखी और उठने का प्रयास किया लेकिन उठ न सकी. बचाव में उस ने नेहा की गरदन पकड़ ली. इसी बीच नेहा ने हंसिया से वार पर वार योगमाया की गरदन पर किए. जिस से उस की गरदन पर 3 गहरे जख्म बने और खून की धार बहने लगी.
फिर भी उस ने उठने का प्रयास किया और पैर पटकने लगी. तभी इंद्रमोहन ने उस के पैर दबोच लिए और नेहा ने फिर गरदन पर हंसिया से वार किए. कुछ देर तड़पने के बाद योगमाया ने दम तोड़ दिया.

इसी बीच मां की बगल में लेटा मासूम अनमोल तेज आवाज में रोने लगा तो इंद्रमोहन ने उसे गोद में उठा लिया. फिर वह चीखता हुआ घर के बाहर आया.
उस की चीखने की आवाज सुन कर उस के मातापिता व पड़ोसी आ गए. उन सब को इंद्रमोहन ने बताया कि योगमाया ने आत्महत्या कर ली है. लेकिन मातापिता व पड़ोसियों ने उस की बात का यकीन नहीं किया.

नेहा वर्मा के हाथों में लगा खून तथा खून से सराबोर सलवार देख कर सब समझ गए कि मामला हत्या का है. रात अधिक हो जाने के कारण इंद्रमोहन थाने नहीं गया. सुबह 7 बजे वह थाना खागा पहुंचा और पत्नी योगमाया द्वारा आत्महत्या किए जाने की सूचना दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला पुलिस टीम के साथ इंद्रमोहन के घर पहुंचे.

27 दिसंबर, 2021 को थानाप्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला ने आरोपी इंद्रमोहन सिंह राजपूत तथा नेहा वर्मा से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें फतेहपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रोंं पर आधारित