Family Crime : गुस्से में आइरन के तार से पत्नी का घोंट डाला गला

Family Crime : 29 दिसंबर, 2021 की रात को देहरादून के थाना नेहरू कालोनी के थानाप्रभारी प्रदीप चौहान इलाके में गश्त लगा रहे थे. तभी उन्हें वायरलेस से पुलिस कंट्रोल रूम द्वारा डिफेंस कालोनी से सटे फ्रैंड्स एनक्लेव में एक महिला के आत्महत्या करने की सूचना मिली.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी थाने से सिपाही देवेंद्र और विजय को साथ ले कर फ्रैंड्स कालोनी जाने के लिए निकल पड़े.

इस की जानकारी चौहान ने सीओ अनिल जोशी और एसपी (सिटी) सरिता डोवाल व एसएसपी जन्मेजय खंडूरी को भी दे दी थी. साथ ही चौहान ने डिफेंस कालोनी पुलिस चौकीप्रभारी चिंतामणि मैठाणी को भी घटनास्थल पर जल्दी पहुंचने को कह दिया.

मात्र 10 मिनट में ही थानाप्रभारी घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां जमा भीड़ को हटा कर पुलिस सूचना में बताए गए मकान के भीतर पहुंची तो वहां करीब 32 वर्षीया एक महिला बिछावन पर मृत पड़ी थी. उस का गला धारदार हथियार से रेता हुआ था.

उस शव के पास ही एक चाकू और कपड़े इस्तरी करने की आइरन का तार पड़ा हुआ था. शव के पास ही करीब एक साल का बच्चा लेटा था. जबकि उसी कमरे के कोने में एक 7 वर्षीय लड़की डरीसहमी सी खड़ी थी.

मौके की जांचपड़ताल के बाद थानाप्रभारी ने पाया कि शायद महिला की गला काट कर हत्या की गई है.

वहां मौजूद आसपास के लोगों से पूछताछ करने पर मृतका का नाम श्वेता श्रीवास्तव मालूम हुआ. उस का पति सौरभ श्रीवास्तव घर पर नहीं मिला. पड़ोसियों ने बताया कि वे इस मकान में काफी समय से रह रहे थे. घटना के बाद सौरभ श्रीवास्तव अपनी स्कूटी ले कर कहीं चला गया था.

शव और घटना की जानकारी जुटाए जाने के दरम्यान सीओ अनिल जोशी और एसपी (सिटी) सरिता डोवाल भी वहां पहुंच गईं. पुलिस ने श्वेता की मौत की सूचना उन की बेटी के मोबाइल से उस के मायके वालों को दे दी.

फिर मौके की काररवाई पूरी कर शव पोस्टमार्टम के लिए दून अस्पताल भेज दिया. बच्चों को पड़ोसियों ने संभाल लिया. श्वेता की मौत की खबर पा कर उस के पिता अजय कुमार श्रीवास्तव भागेभागे कुशीनगर से देहरादून आ गए.

अगले दिन ही अजय कुमार ने थाने पहुंच कर थानाप्रभारी से अपनी बेटी श्वेता के संबंध में जानकारी ली. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार श्वेता की गला काट कर हत्या हुई थी. थानाप्रभारी ने जब उन से किसी पर शक करने के बारे में पूछा तो अजय ने साफ कह दिया कि उन की बेटी का हत्यारा कोई और नहीं बल्कि उन का दामाद सौरभ श्रीवास्तव ही है.

उस के बाद अजय श्रीवास्तव ने अपने दामाद सौरभ श्रीवास्तव के खिलाफ अपनी बेटी श्वेता की हत्या करने की तहरीर थानाप्रभारी को दे दी.

अजय कुमार की तहरीर पर सौरभ श्रीवास्तव के खिलाफ श्वेता श्रीवास्तव की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

इस हत्याकांड की जांच डिफेंस कालोनी चौकीप्रभारी चिंतामणि मैठाणी को सौंपी गई थी. हत्या का आरोपी सौरभ फरार हो गया था. उस की तलाश के लिए मुखबिर लगा दिए गए थे.

अजय श्रीवास्तव ने स्थानीय लोगों की मदद से श्वेता के शव का अंतिम संस्कार देहरादून के ही श्मशान घाट में कर दिया था.

उस के 3 दिन बाद नेहरू कालोनी पुलिस को श्वेता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई थी. रिपोर्ट में श्वेता की मौत का कारण गला काटना बताया गया था. उस के बाद तो पुलिस के सामने सौरभ को गिरफ्तार करना बड़ी चुनौती बन गई थी.

उस की खोजबीन और पकड़ के लिए एसएसपी जन्मेजय खंडूरी ने एसओजी टीम को भी लगा दिया. नए सिरे से पुलिस की 2 टीमों का गठन किया गया था.

बात 31 जनवरी, 2022 की है. शाम का अंधेरा घिर चुका था. एसओजी टीम को मुखबिर के द्वारा एक महत्त्वपूर्ण सूचना मिली. उस सूचना के आधार पर एसओजी टीम थानाप्रभारी प्रदीप चौहान के साथ डिफेंस कालोनी की एक सुनसान जगह पर पहुंच गई.

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वहां पर सड़क के किनारे एक बड़े पत्थर पर एक युवक खोयाखोया सा बैठा था. मुखबिर के इशारे पर पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. हिरासत में लेते ही वह युवक बोला, ‘‘अरे, मुझे क्यों पकड़ रहे हो? मैं ने क्या किया है?’’

‘‘तुम से कुछ पूछताछ करनी है, इसलिए चुपचाप थाने चलो,’’ थानाप्रभारी ने कहा.

‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’ थाने पहुंचने पर थानाप्रभारी ने उस से पूछा.

वह युवक चुप रहा.

‘‘जल्दी बताओ,’ उस के कुछ नहीं बोलने पर थानाप्रभारी ने डपट दिया.

‘‘जी…जी, सौरभ श्रीवास्तव.’’

‘‘पिता का नाम?’’

‘‘शंभूलाल श्रीवास्तव.’’

‘‘पूरा पता बताओ,’’ चौहान बोले.

‘‘कुशीनगर जिले का रहने वाला हूं. देहरादून में फ्रैंड्स एनक्लेव में रहता हूं.’’

‘‘इसे तुम पहचानते हो?’’ यह कहते हुए चौहान ने अपने मोबाइल की एक तसवीर उस के सामने कर दी. तसवीर देख कर सौरभ चुप लगा गया.

‘‘जवाब दो, हां या नहीं?’’

‘‘जी, पहचानता हूं. यह मेरी पत्नी श्वेता है.’’

‘‘वह अभी कहां है?’’

‘‘मुझे नहीं मालूम?’’ सौरभ बोला.

‘‘नहीं मालूम मतलब? कई दिनों से तुम कहां थे?’’

‘‘कंपनी के काम के सिलसिले में दिल्ली गया हुआ था,’’ सौरभ ने बताया.

‘‘उन दिनों में पत्नी और परिवार की तुम ने कोई खोजखबर क्यों नहीं ली?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘जी, मेरा मोबाइल दिल्ली जाते समय खो गया था.’’

‘‘इसे देखो,’’ चौहान ने दूसरी तसवीर उस के सामने कर दी.

तसवीर देख कर उस के मुंह से आवाज ही नहीं निकल पा रही थी. सर्दी में भी उस के चेहरे पर पसीना आ गया था. उस ने सिर झुका लिया और फफकफफक कर रोने लगा.

दरअसल, वह तसवीर भी उस की पत्नी श्वेता की ही थी, लेकिन तसवीर में वह मृत थी. सौरभ को रोता देख कर एक पुलिसकर्मी ने पानी का गिलास ला कर उस के सामने रख दिया. सौरभ एक सांस में पूरा पानी गटागट पी लिया.

सौरभ थाने में अपनी पत्नी की लाश के फोटो देख कर हिल गया था. उस से श्वेता की हत्या की बाबत विस्तार से पूछताछ होने लगी. वह एक माह तक खुद को बचातेबचाते शरीर और दिमाग से काफी थक गया था. टूट चुके सौरभ ने पुलिस को पत्नी की हत्या के बारे में जो कुछ बताया, वह इस प्रकार था—

उत्तर प्रदेश में जिला कुशीनगर के पिटेरवा कस्बे के रहने वाले अजय कुमार श्रीवास्तव ने अपनी बेटी श्वेता श्रीवास्तव की शादी साल 2014 में हरिद्वार निवासी सौरभ श्रीवास्तव के साथ की थी.

श्वेता 6 माह ससुराल में रहने के बाद अपने पति के साथ देहरादून आ गई थी. ग्रैजुएट सौरभ को सरकारी नौकरी भले ही नहीं मिली थी, लेकिन वह सीएसडी कंपनी में मार्केटिंग के काम से संतुष्ट था.

उस की इतनी कमाई हो जाती थी कि वह पत्नी के शौक पूरे कर सके. उस की पसंद के कपड़े दिलवा सके. साथसाथ घूमनेफिरने जा जा सके, रेस्टोरेंट में डिनर कर सके, या फिर कीमती सामानों में एंड्रायड फोन या ज्वैलरी आदि की खरीदारी करने में नानुकुर नहीं करे. सौरभ की कोशिश रहती थी कि वह पत्नी की ख्वाहिश हरसंभव पूरी करता रहे.

दोनों की जिंदगी हंसीखुशी से गुजरने लगी थी. समय का पहिया भी अपनी गति से घूम रहा था. खुशहाल जीवन बिताते हुए श्वेता 2 बच्चों की मां बन गई थी. पहली संतान बेटी और उस के बाद बेटे के जन्म के बाद सौरभ ने पत्नी से परिवार पूरा होने की बात कही थी. पत्नी ने भी संतोष जताया था.

इसी के साथ सौरभ अपने छोटे से परिवार को हमेशा खुश रखने की कोशिश में रहने लगा था. अपने बढ़े हुए खर्च को पूरा करने के लिए सौरभ और मेहनत करने लगा था, ताकि पत्नी की कोई फरमाइश अधूरी न रह जाए.

यह कहा जा सकता है कि सौरभ और श्वेता के दांपत्य जीवन की गाड़ी पटरी पर सरपट दौड़ रही थी. इस में खलल तब पड़ गई, जब 2 साल पहले कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ा और लौकडाउन से अचानक कई विकट परिस्थितियां पैदा हो गईं.

सौरभ का कामधंधा भी प्रभावित हो गया. आमदनी धीरेधीरे कम होने लगी. इस के विपरीत श्वेता ने घरेलू खर्च, अपनी फरमाइशों और शौक में कोई कमी नहीं आने दी.

शुरुआत में तो कुछ महीने तक सौरभ जमापूंजी काम में लाता रहा, किंतु जैसेजैसे लौकडाउन की तारीखें बढ़ती चली गईं, वैसेवैसे उस की हालत बिगड़ने लगी. नौबत कर्ज ले कर घर खर्च पूरे करने की आ गई.

कुछ महीने बाद लौकडाउन में ढील मिली, लेकिन उस का काम पहले की तरह रफ्तार नहीं पकड़ पाया. इस के विपरीत श्वेता के फरमाइशों की लिस्ट बढ़ती रही. एक दिन सौरभ के काम से घर लौटते ही उस ने टोका, ‘‘तुम्हें कुछ याद है?’’

‘‘क्या याद नहीं है? मैं कुछ समझा नहीं.’’ सौरभ बोला.

‘‘मैं जानती हूं, तुम जानबूझ कर अनजान बन रहे हो,’’ श्वेता ने मुंह बना कर कहा, ‘‘तुम्हें सच में कुछ नहीं पता या कोई और बात है?’’

‘‘अरे, साफसाफ बोलो न, बात क्या है?’’ सौरभ ने पूछा.

इसी बीच उस की बेटी आ कर बोल पड़ी, ‘‘पापापापा, आज मम्मी का बर्थडे है. आप ने सुबह हैप्पी बर्थडे भी नहीं बोला.’’

‘‘अच्छा तो यह बात है. लो, अभी बोल देता हूं,’’ यह कहते हुए सौरभ ने ‘हैप्पी बर्थडे श्वेता डार्लिंग,’ बोल दिया.

‘‘केवल विश करने से नहीं होगा. बर्थडे गिफ्ट लाओ,’’ श्वेता बोली.

‘‘तुम कैसी बात करती हो, तुम्हें मालूम है, इन दिनों मेरा काम पहले की तरह नहीं चल रहा है,’’ सौरभ उदास लहजे में बोला.

‘‘तो मैं क्या करूं?’’ श्वेता ने कहा.

‘‘देखो, मुझे समझने की कोशिश करो. ऐसा तो पहली बार हुआ है, जब मैं तुम्हें बर्थडे गिफ्ट नहीं दे पा रहा हूं. पिछली बार तुम्हारी पसंद का मोबाइल फोन दिया था,’’ सौरभ बोला.

‘‘उस फोन पर तो बेटी का कब्जा हो गया है. उसी से पढ़ाई करती है.’’

‘‘अच्छा चलो, बर्थडे गिफ्ट उधार रहा मुझ पर.’’ सौरभ ने समझाया.

‘‘चलो मैं मान गई, लेकिन कम से कम आज कहीं डिनर पर तो ले चलो,’’ श्वेता बोली.

‘‘फिर वही बात श्वेता, अभी मैं एकएक पैसा जोड़ रहा हूं और तुम खर्च बढ़ाने की बात कर रही हो,’’ सौरभ तुनकते हुए बोला.

‘‘कितना खर्च बढ़ जाएगा? देखो, आज मैं ने घर में कुछ पकाया भी नहीं है. महीनों से घर में पड़ेपड़े बोर होने लगी हूं,’’ श्वेता ने कहा.

‘‘बाहर जाने में कई दिक्कतें हैं. वैसे भी रेस्टोरेंट में बैठ कर खाने पर रोक है.’’

‘‘तब कुछ औनलाइन ही मंगवा लो.’’ श्वेता के बोलते ही दूसरे कमरे से बेटी बोल पड़ी, ‘‘पापापापा, पिज्जा मंगवाना. मैं चीज वाला और्डर सेलेक्ट करूंगी. उस में कोल्डड्रिंक्स फ्री मिलेगा. …और मम्मी, चौकलेट वाला केक भी मंगवाना.’’

सौरभ और श्वेता के बीच बहस जैसी बातचीत औनलाइन और्डर पर आ कर थम गई. उस रोज सौरभ को 1150 रुपए का एक्सट्रा खर्च आ गया. श्वेता का बर्थडे घर पर ही  मना लिया गया, किंतु सौरभ इस चिंता में पड़ गया कि वह स्कूटी की किस्त कैसे दे पाएगा.

उस के बाद सौरभ ने खुद को कंपनी के काम में झोंक दिया. काफी मुश्किलों के बाद जरूरी खर्च पूरे करने लगा, लेकिन कर्ज चुका पाने में असमर्थ बना रहा. कभी घर की परेशानी तो कभी काम में आने वाली रुकावटों से जूझता रहा. परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी का निर्वाह करतेकरते वह थक सा गया था.

हालांकि वह जितना परेशान अपने काम को ले कर नहीं रहता था, उस से कहीं अधिक श्वेता की बातों को ले कर तनाव में रहता था.

श्वेता की फरमाइशें तो जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं लेती थीं. कई बार तो अपनी मांगों के लिए बच्चों की तरह जिद पकड़ लेती थी. इस बीच कोरोना का दूसरा फेज भी आया. उस झटके ने उसे और भी झकझोर कर रख दिया.

पत्नी की फिजूलखर्ची से वह तंग आ गया था. इस की वजह से वह मकान मालिक को 3 महीने का किराया नहीं दे पाया था, जिस से वह काफी तनाव में रहने लगा था. इस के बाद भी श्वेता ने अपने खर्च कम नहीं किए थे. वह उस से रोज अपने खर्च के लिए पैसे मांगती रहती थी.

इसी दौरान सौरभ की छोटी बहन की शादी 10 फरवरी, 2022 को होनी तय हो गई थी. जब सौरभ ने श्वेता को शादी में चलने के लिए कहा तो वह इस बात पर अड़ गई थी कि वह शादी में तभी जाएगी, जब वह उसे रानीहार खरीद कर देगा.

इस पर सौरभ ने उसे काफी समझाया कि शादी में पहले के जो जेवर हैं उन्हीं को पहन ले, लेकिन उस की जिद थी कि नया रानीहार ही चाहिए.

सौरभ की समस्या यह थी कि उसे शादी के लिए और भी दूसरे खर्च करने थे. सभी को नए कपड़े दिलवाने थे. बेटी को अच्छा फ्रौक और सैंडल खरीदने थे. जबकि पत्नी रानीहार की जिद पर अड़ी रही.

29 दिसंबर, 2021 की रात को श्वेता उस से रानीहार दिलाने के लिए बुरी तरह से झगड़ पड़ी. तब तक सौरभ का दिमाग काम करने की स्थिति में नहीं बचा था. पत्नी के व्यवहार से उसे काफी गुस्सा आ गया. बेटी दूसरे कमरे में सो रही थी. तूतूमैंमैं काफी बढ़ गई.

बात बढ़ने पर सौरभ ने पत्नी को गुस्से में उठा कर उसे बिछावन पर पटक दिया. उस के बाद पहले बच्चे की बैल्ट, फिर आइरन के तार से ही उस का गला कस दिया. दम घुटने से श्वेता तड़प उठी. तब सौरभ तुरंत किचन से चाकू लाया और पत्नी का गला रेत डाला. उस की मौत के बाद वह बच्चों को उसी हालत में छोड़ कर स्कूटी से चला गया था.

श्वेता की हत्या के बाद वह देहरादून के ही अलगअलग स्थानों पर छिपता रहा. उस ने पुलिस पर नजर बनाए रखी. जब विधानसभा की ओर से डिफेंस कालोनी की ओर आ रहा था, तब काफी थके होने के कारण सुस्ताने के लिए सड़क किनारे एक बड़े पत्थर पर ओट ले कर बैठ गया था. तभी पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर उसे गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने सौरभ श्रीवास्तव के बयान दर्ज कर के अगले दिन उस का मैडिकल करवाया. उसी दिन उसे अदालत में पेश कर दिया, जहां से वह जेल भेज दिया गया. सौरभ द्वारा श्वेता की हत्या में प्रयुक्त चाकू व आइरन की तार, बेल्ट आदि पहले से ही बरामद हो चुकी थी. कथा लिखे जाने तक सौरभ श्रीवास्तव देहरादून जेल में बंद था. दोनों बच्चों को अजय श्रीवास्तव अपने साथ कुशीनगर ले गए थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

देवर भाभी की रसीली कहानी : पति बना बलि का बकरा

crime story : राजस्थान की राजधानी जयपुर के थाना फुलेरा के गांव हिरनोदा में दिनेश वर्मा पत्नी हेमलता उर्फ हेमा एवं 2 बच्चों के साथ रहता था. बच्चों में बेटी की उम्र 5 साल और बेटे की उम्र 3 साल थी. दिनेश की शादी करीब 7 साल पहले हुई थी. दिनेश पढ़ालिखा था, मगर सरकारी नौकरी नहीं लगी तो परिवार का गुजारा करने के लिए दूसरे काम करने लगा था.

वह रोज सुबह काम पर जाता और शाम को घर लौटता था. हेमलता पढ़ीलिखी थी. वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती थी. उस के पड़ोस में रहने वाला रिश्ते का देवर योगेश वर्मा भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था.

हेमलता और योगेश प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी साथ बैठ कर करते थे. प्रतियोगी परीक्षा होती तब भी   दोनों साथ ही जाते थे. देवरभाभी का रिश्ता था. दोनों के बीच हंसी ठिठोली भी होती थी.

गुरुवार, 4 मार्च, 2021 की बात है. रात करीब ढाई बजे हेमा के कमरे से उस के रोने की आवाज आने लगी. रोनेचिल्लाने की आवाज सुन कर मकान के दूसरे हिस्से में सो रही हेमा की सास, चाचा ससुर का परिवार और आसपास के लोग इकट्ठा हो गए. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि आधी रात को क्या हो गया जो हेमा रो रही है.

उन सभी ने बंद कमरे का दरवाजा खटखटाया, ‘‘दिनेश, दरवाजा खोलो. बहू क्यों रो रही है?’’

सुन कर हेमा ने रोते हुए कमरे की चिटकनी गिरा कर दरवाजा खोला. दरवाजा खुलते ही जो मंजर लोगों ने देखा, वह बड़ा भयावह था. दिनेश बेड पर खून से लथपथ मृत हालत में पड़ा था. उस का गला कटा हुआ था. काफी खून बिखरा हुआ था. यह दृश्य देख कर दिनेश की मां रोने लगी. किसी तरह उन्हें चुप कराया गया.

हेमा ने कहा, ‘‘मैं सो रही थी. इसी दौरान इन्होंने खुद का गला काट कर खुदकुशी कर ली. मैं नींद से जागी तब यह दृश्य देख कर रोने लगी. हाय राम इन्होंने यह क्या कर लिया. अब मेरा और बच्चों का क्या होगा.’’

दिनेश की लाश के पास बेड पर खून से सना एक चाकू पड़ा था. शायद उसी से गला काट कर उस ने आत्महत्या की थी. उसी समय पुलिस थाना फुलेरा में फोन कर के घटना की सूचना दे  दी गई.

सूचना पा कर थानाप्रभारी रणजीत सिंह पुलिस टीम के साथ हिरनोदा स्थित दिनेश वर्मा के घर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का मौकामुआयना किया. उन्हें दिनेश की मौत संदेहास्पद लगी. इसलिए उन्होंने इस घटना की सूचना उच्चाधिकारियों को दी.

सूचना पा कर दुदू के एडिशनल एसपी ज्ञान प्रकाश नवल, सीओ (सांभर) कीर्ति सिंह, सांभर के थानाप्रभारी हवा सिंह घटनास्थल पर आ गए. मौके पर एफएसएल टीम, एमओबी एवं डौग स्क्वायड को भी बुला लिया गया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया.

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एफएसएल एवं एमओबी टीम ने साक्ष्य वगैरह उठाए. मृतक दिनेश का गला कटा हुआ था. उस के बिस्तर पर सलवटें वगैरह नहीं थीं. पुलिस अधिकारियों को पता था कि दिनेश अगर अपने हाथ से गला काटता तो चाकू का वार लगते ही वह छटपटाता. उठता या बैठता.

गला काटने पर खून का फव्वारा बहता तो उस के हाथ खून से सने होते. जबकि उस के हाथ साफ थे. इस के अलावा यदि दिनेश स्वयं गला काटता तो वह इतना ज्यादा गला नहीं काट पाता.

मृतक की बीवी हेमा ने पुलिस को बताया कि वह सो रही थी और उस के पति ने स्वयं गला काट कर खुदकुशी कर ली. वह नींद से जागी तब उसे यह पता चला. हेमा की बात पुलिस अधिकरियों के गले नहीं उतरी.

उपस्थित भीड़ में एक ऐसा युवक था, जो पुलिस अधिकारियों के ईर्दगिर्द मंडरा रहा था. वह पुलिस पर नजर रख रहा था. पुलिस ने उस के बारे में पूछा तो पता चला कि वह मृतक के रिश्ते का भाई योगेश है.

साइबर टीम को भी घटनास्थल पर बुलाया था. सभी ने अपना कार्य पूरा किया तो शव को फुलेरा पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पुलिस अधिकारियों को मृतक की बीवी की बातों पर यकीन नहीं हुआ. तब उसे पूछताछ के लिए थाने बुलाया.

पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ की. पूछताछ में पता चला कि पिछले एकडेढ़ साल से हेमलता उर्फ हेमा और पड़ोस में रहने वाले रिश्ते के देवर योगेश वर्मा के बीच नजदीकियां हैं.

बस, यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने योगेश वर्मा को भी उसी समय पूछताछ के लिए गिरफ्त में ले लिया. हेमलता उर्फ हेमा और यागेश वर्मा से पुलिस अधिकारियों ने मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की. पूछताछ में दोनों टूट गए.

उन दोनों ने दिनेश वर्मा की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने मात्र 3 घंटे में ही दिनेश वर्मा हत्याकांड से परदा उठा दिया. जुर्म कबूल करते ही पुलिस ने हेमलता उर्फ हेमा और उस के प्रेमी देवर  योगेश वर्मा को गिरफ्तार कर लिया.

मैडिकल बोर्ड से दिनेश के शव का पोस्टमार्टम करा शव उस के परिजनों को सौंप दिया. हेमलता उर्फ हेमा और उस के प्रेमी योगेश वर्मा से की गई पूछताछ के बाद जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

राजस्थान की राजधानी जयपुर के गांव हिरनोदा के बलाइयों का मोहल्ला में रहने वाले दिनेश वर्मा की शादी करीब 7 साल पहले हेमलता उर्फ हेमा से हुई थी. बाद में दिनेश 2 बच्चों का पिता बना.

घर के खर्चे बढ़ गए लेकिन दिनेश की कहीं नौकरी न लगी तो वह दूसरे काम कर के परिवार का पालनपोषण करने लगा. हेमलता प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थी. यह बात एक साल पहले की है.

उस के पड़ोस में रहने वाला 26 वर्षीय योगेश वर्मा भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था. योगेश उस का देवर लगता था. दोनों प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. इस दौरान एकदूसरे के संपर्क में आए.

दिनेश सुबह काम पर घर से चला जाता था. फिर वह शाम को ही घर वापस लौटता था. हेमा की सास अपने छोटे बेटे के पास सटे मकान में रहती थी. हेमा अपने दोनों बच्चों के साथ पूरे दिन घर में अकेली रहती थी.

योगेश अकसर दिनेश की गैर मौजूदगी में हेमलता के पास आ कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने लगा. दोनों सवालजवाब करते और पढ़ाई करते. थोड़े दिनों तक साथ रहतेरहते दोनों प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के साथ प्रेम परीक्षा की तैयारी में लग गए.

योगेश वर्मा जब भी हेमलता के घर आता. वह हेमा को ही ताकता रहता था. एक दिन हेमा ने कहा, ‘‘योगेश, तुम ऐसे घूरघूर कर क्या देखते हो. मैं कोई आठवां अजूबा हूं?’’

सुन कर योगेश बोला, ‘‘भाभी आप इतनी खूबसूरत हैं. मगर देखो कहां ऐसे आदमी के पल्ले बंधी हैं, जो दिन में काम और रात में शराब पी कर अपने में ही मस्त रहता है. उसे आप की परवाह नहीं है.’’

‘‘यह किस्मत का खेल है, योगेश. इस में किसी का दोष नहीं है?’’ हेमा ने उदास स्वर में कहा.

इस पर योगेश बोला, ‘‘किस्मत बनाना और बिगाड़ना खुद के हाथ में होता है. आप चाहो भाभी तो आप की और मेरी किस्मत संवर सकती है.’’ योगेश बोला.

‘‘वो भला कैसे?’’ वह चौंकते हुए बोली.

‘‘भाभी मैं आप से प्यार करता हूं. मुझे आप बहुत अच्छी लगती हैं. जब मैं आता हूं तो रूप की रानी को ही देखता रहता हूं.’’  योगेश ने कहा.

‘‘अच्छा, तो यह बात है. ऐसे में यह सब सोचना पाप है.’’ हेमलता ने समझाते हुए कहा.

योगेश ने उसी वक्त एक और तीर चलाया, ‘‘आप को देख कर लगता नहीं कि आप 2 बच्चों की मां हैं.’’ योगेश ने कहा तो हेमा मुसकरा पड़ी. तभी योगेश ने कहा, ‘‘भाभी. आई लव यू?’’

कहने के साथ योगेश ने हेमा को बांहों में भर लिया. हेमा ने दिखावे के लिए नानुकूर की. मगर उस का मन भी योगेश की बांहों में झूलने का था.

उस दिन मौका मिलने पर दोनों अपनी मर्यादाएं लांघ कर एकदूसरे में समा गए. एक बार अवैध संबंध कायम हुए तो यह खेल हर रोज खेला जाने लगा. बेचारा दिनेश दिन भर काम में खपता और उस की पत्नी गैर मर्द की बांहों में झूलती.

काफी समय तक दोनों के अवैध संबंधों की भनक किसी को नहीं लगी. लेकिन जब दोनों ने सावधानी बरतनी छोड़ी तो उन के अवैध संबंधों की चर्चा घर के बाहर होने लगी. एक रोज जब हेमा और योगेश आपत्तिजनक स्थिति में थे तो हेमा की सास ने उन्हें देख लिया. तब योगेश वहां से भाग गया.

योगेश के जाने के बाद सास ने हेमा को खूब खरीखोटी सुनाई. सास ने कहा, ‘‘आज के बाद योगेश को घर में देख तो मैं दिनेश से कह दूंगी. फिर वह तुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा. तू योगेश से कह दे कि वह आइंदा घर नहीं आए.’’

हेमा सास की कड़वी बातें सुनती रही. उस की चोरी पकड़ी गई थी. वह कुछ बोलती तो बखेड़ा होता. एक दिन मां ने दिनेश से भी इशारों में कहा, ‘‘बेटा, तू काम करने चला जाता है. योगेश दिनभर बहू के पास पड़ा रहता है. कहता है दोनों प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.

‘‘मुझे इन के लक्षण अच्छे नहीं लग रहे. योगेश का घर आना बंद करा और बहू पर नकेल कस. वरना वह हमें मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ेगी.’’

मां की बात सुन कर दिनेश सब समझ गया. वह कोई दूध पीता बच्चा नहीं था. दिनेश ने पत्नी हेमा से कहा, ‘‘सुना है, योगेश दिन भर यहां पड़ा रहता है. उस को मैं आज के बाद घर में नहीं देखना चाहता. न ही तुम उस से फोन पर बात करोगी. प्रतियोगी परीक्षा कोई जरूरी नहीं.’’

सुन कर हेमा को बहुत बुरा लगा. मगर वह इतना ही बोली, ‘‘जैसी आप की मरजी.’’

थोड़े दिन तक हेमा व योगेश दूर रहे. हेमा ने फोन कर के योगेश को बता दिया था कि उन के अवैध संबंधों की पोल खुल गई है. इसलिए वह कुछ दिनों तक दूर ही रहे.

इस दौरान वह मौका मिलने पर फोन पर बात कर लेते थे. लेकिन ऐसा वह ज्यादा दिनों तक नहीं कर सके. दोनों मिलने के लिए तड़पने लगे तो एक दिन योगेश ने हेमा से कहा, ‘‘हेमा एक बार तो मिलो बहुत दिन हो गए हैं.’’

‘‘मैं देखती हूं.’’ हेमा ने कहा. एक दिन सास ढाणी में किसी के घर गई तो हेमा ने फोन कर के योगेश को घर बुला लिया. योगेश और हेमा काफी दिन बाद मिले थे. इसलिए दोनों कमरे में बंद हो गए. मगर उन्हें डर था कि कोई आ जाएगा.

वासना की आग जल्दी से बुझा कर योगेश घर के बाहर निकला तो सामने से आते दिनेश को उस ने देख लिया. वह सिर पर पैर रख कर भाग खड़ा हुआ.

दिनेश घर आया. उस ने हेमलता को आवाज दी. पति की आवाज सुन कर हेमलता अंदर तक कांप गई. उसे यह भान हो गया था कि दिनेश ने योगेश को घर से निकलते देख लिया है. वह थरथर कांपती हाजिर हुई. तब दिनेश बोला,  ‘‘जब हम ने मना किया है तो योगेश घर किसलिए आया था.’’

‘‘वह एक सवाल पूछने आया था.’’ हेमा झूठ बोली.

दिनेश ने हेमा के गाल पर तड़ाक से एक थप्पड़ रसीद करते हुए कहा,  ‘‘तुझे मना किया है कि उस कमीने से कभी बात नहीं करना. फिर भी वह सवाल पूछने के बहाने से आया. आज आखिरी बार कह रहा हूं कि सुधर जा, नहीं तो…’’ दांत पीस कर दिनेश बोला तो हेमा डर गई. वह बोली,  ‘‘दोबारा कभी गलती नहीं होगी. आज माफ कर दें.’’

दिनेश ने कहा,  ‘‘ठीक है.’’

यह बात एक माह पहले की है. हेमा ने अगले दिन मौका मिलने पर योगेश को फोन कर के सारी बात बता दी. हेमा ने कहा,  ‘‘योगेश, अगर तुम मुझे प्यार करते हो तो दिनेश को रास्ते से हटाना होगा. या फिर मुझे भूलना होगा.’’

सुन कर योगेश बोला,  ‘‘मैं तुम्हें हरगिज नहीं भुला सकता. इसलिए दिनेश को ही रास्ते से हटाते हैं.’’

उस के बाद हेमलता और योगेश ने दिनेश की हत्या की साजिश रची. साजिश के तहत दिनेश की हत्या कर के उसे आत्महत्या का रूप देना था. एक महीने से दोनों मौके की ताक में थे. बुधवार, 3 मार्च, 2021 को योगेश बाजार से 2 चाकू खरीद लाया. उन में से एक तेज धारदार था और दूसरा सब्जी काटने वाला छोटा चाकू था. यह चाकू हेमलता के घर में छिपा दिए.

4 मार्च, 2021 की शाम को दिनेश वर्मा ने शराब पी. शराब का नशा हावी हुआ तो वह खाना खा कर कमरे में जा कर बिस्तर पर सो गया. हेमा ने फोन कर के योगेश को बता दिया कि दिनेश शराब पी कर सोया है. आज रात उस का काम तमाम करना है. आधी रात के बाद करीब 1 बजे योगेश छिपता हुआ दिनेश के घर आया. हेमा ने कमरे का दरवाजा खोला. दिनेश नशे में सो रहा था. योगेश ने हेमा से चाकू लिया और दबे पांव चल कर दिनेश के बैड के पास पहुंच गया.

एक पल की देर किए बगैर योगेश सोते हुए दिनेश की छाती पर चढ़ बैठा, दिनेश के दोनों हाथ योगेश ने अपने पैरों से दबा दिए. हेमलता अपने पति के पैरों पर चढ़ बैठी. दिनेश नींद से जागता उस से पहले ही योगेश ने तेजधार चाकू से उस का गला रेत दिया. दिनेश नींद में थोड़ा छटपटाया और मौत की नींद सो गया. फिर हेमा ने छोटा चाकू दिनेश के बहते खून में डुबोया और वहीं रख दिया. योगेश गला रेतने वाला चाकू ले कर हेमा से यह कह कर कि थोड़ी देर बाद रो कर बताना कि दिनेश ने खुदकुशी कर ली है.

इस के बाद रात करीब ढाई बजे हेमा ने रोना शुरू किया तो सास, चाचा ससुर एवं पड़ोस के लोग आए. इस के बाद हेमा ने सभी को नियोजित कहानी बताई. पुलिस को संदेह हुआ तो उन दोनों से पूछताछ की और हत्या का राज खोल दिया.

योगेश की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया. पूछताछ पूरी होने पर हेमा और योगेश को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया. जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

Extramarital Affairs : आशिक मिजाज ससुर की कातिल बहू

Extramarital Affairs : गीता पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिला बरेली के थाना बहेड़ी के गांव फरीदपुर के रहने वाले गंगाराम की दूसरे नंबर की बेटी थी. गंगाराम की गिनती गांव के  संपन्न किसानों में होती थी. उन की 3 शादियां हुई थीं. पहली पत्नी रमा की बीमारी से मौत हो गई तो उन्होंने सुधा से शादी की. पारिवारिक कलह की वजह से उस ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली तो उन्होंने तीसरी शादी रेशमा से की.

रेशमा से ही उन्हें 4 बेटियां और 2 बेटे थे. बड़ी बेटी ललिता की उन्होंने उम्र होने पर शादी कर दी थी. उस से छोटी गीता का 8वीं पास करने के बाद पढ़ाई में मन नहीं लगा तो उस ने पढ़ाई छोड़ दी. गीता जिस उम्र में थी, अगर उस उम्र ध्यान न दिया जाए तो बच्चों को बहकते देर नहीं लगती. वे सही गलत के फर्क को समझ नहीं पाते. ऐसा ही कुछ गीता के साथ भी हुआ.

गीता गंगाराम के अन्य बच्चों से थोड़ा अलग हट कर थी. वह जिद्दी थी, इसलिए उस के मन में जो आता था, वह हर हाल में वही करती थी. उसे लड़कों की तरह रहना, उन्हीं की तरह दोस्ती करना और बिंदास घूमते हुए मस्ती करना कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता था. इसलिए वह लड़कों की तरह कपड़े तो पहनती ही थी, अपने बाल भी लड़कों की ही तरह कटवा रखे थे. वह अकसर गांव के लड़कों के साथ घूमती रहती थी. उम्र के साथ उस के बदन में ही नहीं, सुंदरता में भी निखार आ गया था.

गंगाराम के पास ट्रैक्टर भी था और मोटरसाइकिल भी. गीता दोनों ही चीजें चला लेती थी. इसलिए उस का जब मन होता, वह मोटरसाइकिल ले कर घूमने निकल जाती. उसे लड़कों से कोई परहेज नहीं था, इसलिए गांव के लड़के उस के आसपास मंडराते रहते थे. गीता नादान तो थी नहीं कि उन लड़कों की मंशा न समझती, इसलिए अपने बिंदासपन से वह उन्हें अंगुलियों पर नचाती रहती थी. लेकिन उन लड़कों को इस का फायदा भी मिलता था. वे लड़के गीता से जो चाहते थे, वह उन्हें मिला भी.

फिर तो गांव में गीता को ले कर तरहतरह की चर्चाएं होने लगीं. जब इस सब की जानकारी गीता के पिता गंगाराम को हुई तो उस ने गीता पर बंदिशें लगाईं. लेकिन गीता अब काबू में आने वाली कहां थी. कोई न कोई बहाना बना कर वह घर से निकल जाती. कोई ऊंचनीच न हो जाए, इस डर से गंगाराम गीता के लिए लड़के की तलाश करने लगा. जल्दी ही उस की यह तलाश खत्म हुई और उसे बरेली के ही थाना नवाबगंज के गांव लावाखेड़ा निवासी परमानंद का बेटा मनोज मिल गया.

परमानंद भी किसान थे. उस के पास भी ठीकठाक खेती थी, जिस की वजह से उस के यहां भी गांवदेहात के हिसाब से किसी चीज की कमी नहीं थी. उस के परिवार में पत्नी उर्मिला के अलावा 3 बेटियां और 2 बेटे मनोज तथा चैतन्य स्वरूप थे. बेटियों का वह विवाह कर चुका था. अब मनोज का नंबर था. यही वजह थी कि जब गंगाराम उस के यहां अपने किसी रिश्तेदार के माध्यम से रिश्ता ले कर पहुंचा तो बात बन गई. इस के बाद सारे रस्मोरिवाज पूरे कर के मनोज और गीता को शादी के गठबंधन में बांध दिया गया. यह शादी फरवरी, 2009 में हुई थी.

गीता सुंदर तो थी ही, साथ ही उस में वे सारे गुण विद्यमान थे, जो पुरुषों को दीवाना बना देते हैं. यही वजह थी कि गीता ने अपनी अदाओं से पहली ही रात में मनोज को अपना दीवाना बना दिया था. गीता पहली ही रात में समझ गई कि उसे पति उस के मनमाफिक मिला है. वह जैसा सीधासादा, अंगुलियों पर नाचने वाला पति चाहती थी, मनोज ठीक वैसा ही निकला था.

2-4 दिनों में ही मनोज गीता के हुस्न में इस कदर खो गया कि हर पल, हर जगह उसे गीता ही गीता नजर आने लगी. उस का गीता को छोड़ कर कहीं जाने का मन ही न होता. खेतों पर भी उस का मन न लगता. लेकिन जिम्मेदारी ऐसी चीज है, जो पत्नी तो क्या, मांबाप से भी दूर होने को मजबूर कर देती है. यही हाल मनोज का भी हुआ. साल भर बाद वह एक बेटे का बाप बना तो खर्च बढ़ते ही उसे अपनी जिम्मेदारी का अहसास होने लगा.

इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए मनोज को कमाना धमाना जरूरी था, जिस के लिए वह ऊधमसिंहनगर चला गया. वहां उसे टाटा मैजिक के लिए पुर्जे बनाने वाली अल्ट्राटेक कंपनी में नौकरी मिल गई. रहने के लिए उस ने शांति कालोनी रोड स्थित बधईपुरा में जागरलाल के मकान में किराए पर कमरा ले लिया.

कमाईधमाई के लिए मनोज खुद तो ऊधमसिंहनगर चला गया था, लेकिन घरवालों की देखरेख के लिए गीता को गांव में ही मांबाप के पास छोड़ गया था. उस ने एक बार भी नहीं सोचा कि उस के बिना गीता का मन गांव में कैसे लगेगा. शायद उसे लग रहा था कि जिस तरह वह पत्नीबच्चे और परिवार के लिए त्याग कर रहा है, उसी तरह गीता भी कर लेगी.

लेकिन मनोज की यह सोच गलत साबित हुई. क्योंकि गीता को तो शारीरिक संबंधों का चस्का पहले से ही लगा हुआ था. ऐसे में वह बिना पति के कैसे रह सकती थी. उस का दिन तो घर के कामधाम और बच्चे में कट जाता था, लेकिन रातें काटे नहीं कटती थीं. बेचैनी से वह पूरी रात करवटें बदलती रहती थी. शारीरिक सुख के बिना वह बुझीबुझी सी रहती थी. उस की इस बेचैनी और परेशानी को घर का कोई दूसरा सदस्य भले ही नहीं समझ सका, लेकिन पितातुल्य ससुर परमानंद ने जरूर समझ लिया था.

इस की वजह यह थी कि परमानंद लंगोट का कच्चा था. उस के लिए रिश्तों से ज्यादा महत्वपूर्ण स्त्री का शरीर था. शायद यही वजह थी कि गीता को उस ने देखते ही पसंद कर लिया था. परमानंद अपनी बहू पर शुरू से ही फिदा था. लेकिन बेटे के रहते वह बहू के करीब नहीं जा पा रहा था. बहू के नजदीक जाने के लिए ही उस ने बेटे को जिम्मेदारी का अहसास दिला कर उसे घर से बाहर भेज दिया था.

मनोज के जाने के बाद गीता की बेचैनी बढ़ी तो परमानंद गीता के नजदीक जाने की कोशिश करने लगा. वह उस से बातें करने के बहाने ढूंढ़ने लगा. गीता उस से बातें करती तो वह अकसर बातें करते करते अपनी सीमाएं लांघ जाता. वह उसे कोई सामान पकड़ाती तो सामान पकड़ने के बहाने वह उसे छूने (Extramarital Affairs) की कोशिश करता. ससुर की इन हरकतों से अनुभवी गीता को समझते देर नहीं लगी कि वह उस से क्या चाहता है. गीता को शक तो पहले से ही था, लेकिन जब निगाहें बदलीं और परमानंद बातबात में हंसीमजाक करने लगा तो उस का शक यकीन में बदल गया.

परमानंद देखने में ही जवान नहीं था, बल्कि शरीर से भी हृष्टपुष्ट था. इस की वजह यह थी कि वह अपने शरीर और खानपान का विशेष ध्यान रखता था. बच्चे सयाने हो गए हैं, यह कह कर पत्नी उर्मिला उसे पास नहीं फटकने देती थी. जबकि परमानंद अभी खुद को जवान समझता था और स्त्रीसुख की लालसा रखता था.

परमानंद को इस बात की जरा भी चिंता नहीं थी कि गीता उस की बेटी की उम्र की तो है ही, उस की बहू भी है. वह वासना में इस कदर अंधा हो गया था कि मर्यादा ही नहीं, रिश्ते नाते भी भूल गया. गीता अब उसे सिर्फ एक औरत नजर आ रही थी, जो उस की शारीरिक भूख शांत कर सकती थी. यहां परमानंद ही नहीं, गीता भी अपनी मर्यादा भुला चुकी थी. यही वजह थी कि वह परमानंद की किसी अशोभनीय हरकत का विरोध नहीं कर रही थी, जिस से उस की हिम्मत और हसरतें बढ़ती जा रही थीं. फिर तो एक स्थिति यह आ गई कि परमानंद की रात की नींद गायब हो गई. अब वह मौके की तलाश में रहने लगा.

आखिर उसे एक दिन तब मौका मिल गया, जब पत्नी मायके गई हुई थी. गरमी के दिन होने की वजह से बाकी बच्चे अंदर सो रहे थे. गीता घर के काम निपटा कर बाहर दालान में आई तो ससुर को बेचैन हालत में करवट बदलते देखा. उसे लगा ससुर की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए उस ने उस के पास आ कर पूछा, ‘‘लगता है, आप की तबीयत ठीक नहीं है?’’

परमानंद हसरत भरी निगाहों से गीता को ताकते हुए बोला, ‘‘तुम इतनी दूरदूर रहोगी तो तबीयत ठीक कैसे रहेगी.’’

गीता को परमानंद की बीमारी का पहले से ही पता था. बीमार तो वह खुद भी थी. इसीलिए तो मौका देख कर उस के पास आई थी. उस ने चाहतभरी नजरों से परमानंद को ताकते हुए कहा, ‘‘यह आप का भ्रम है. मैं आप से दूर कहां हूं बाबूजी. आप के आगेपीछे ही तो घूमती रहती हूं.’’

अब गीता इस से ज्यादा क्या कहती. परमानंद ने उस का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा तो वह खुद ही उस के ऊपर गिर पड़ी. इस तरह एक बार मर्यादा की दीवार गिरी तो उस पर रोजरोज वासना की इमारत खड़ी होने लगी. गीता का तो मर्यादा से कभी कोई नाता ही नहीं रहा था, उसी में उस ने ससुर को भी शामिल कर लिया. परमानंद की संगत में आ कर वह शराब भी पीने लगी. अब वह शराब पी कर ससुर के साथ आनंद उठाने लगी. कुछ दिनों बाद उस ने अपने चचिया ससुर से भी संबंध बना लिए.

ये ऐसा रिश्ता है, जिसे कितना भी छिपाया जाए, छिपता नहीं है. किसी दिन उर्मिला ने गीता को परमानंद के साथ रंगरलियां मनाते रंगेहाथों पकड़ लिया. लेकिन उन दोनों पर इस का कोई असर नहीं पड़ा. जब घर का मुखिया ही पतन के रास्ते पर चल रहा हो तो घर के अन्य लोग चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते. उर्मिला भी जब ससुरबहू के इस मिलन को नहीं रोक पाई तो उस ने यह बात अपने बेटे मनोज को बताई.

मनोज जानता था कि उस का बाप और पत्नी बरबादी की राह पर चल रहे हैं, इसलिए वह भाग कर गांव आया. बाप से वह कुछ कह नहीं सकता था, उस ने गीता को समझाने की कोशिश की. लेकिन गीता अब कहां मानने वाली थी. हार कर मनोज उसे अपने साथ ले गया. मनोज का विचार था कि गीता साथ रहेगी तो ठीक रहेगी. लेकिन जिस की आदत बिगड़ चुकी हो, वह कैसे सुधर सकती है. बहुत कम लोग ऐसे मिलेंगे, जो ऐसे मामलों में सुधरने के बारे में सोचते हैं.

मनोज के नौकरी पर जाते ही गीता आजाद हो जाती. वह कमरे में ताला डाल कर घूमने निकल जाती. उस ने वहां भी अपने रंगढ़ंग दिखाने शुरू किए तो वहां भी रंगीनमिजाज लोग उस के पीछे पड़ गए. उन्हीं में रुद्रपुर की आदर्श कालोनी का रहने वाला शेखर और जगतपुरा का रहने वाला मनोज भटनागर भी था. गीता के दोनों से ही प्रेमसंबंध बन गए. शेखर ने बातें करने के लिए गीता को एक मोबाइल फोन भी खरीद कर दे दिया था. यही नहीं, दोनों गीता की हर जरूरत पूरी करने को तैयार रहते थे. गीता उन के साथ घूमतीफिरती, सिनेमा देखती, होटलों और रेस्तरांओं में खाना खाती. बदले में वह उन्हें खुश करती और खुद भी खुश रहती.

मनोज जागरलाल के जिस मकान में किराए पर रहता था, उसी में उस के बगल वाले कमरे में रामचंद्र मौर्य रहता था. वह जिला बरेली के थाना मीरगंज के अंतर्गत आने वाले गांव गौनेरा का रहने वाला था. था तो वह शादीशुदा, लेकिन वहां वह अकेला ही रहता था. वह वहां एक फैक्ट्री में ठेकेदारी करता था. अगलबगल रहने की वजह से मनोज और रामचंद्र के बीच परिचय हुआ तो दोनों एक ही जिले के रहने वाले थे, इसलिए उन में आपस में खास लगाव हो गया था. जल्दी ही रामचंद्र गीता के बारे में सब कुछ जान गया था. मनोज के काम पर जाते ही वह उस के कमरे पर पहुंच जाता और गीता से घंटों बातें करता रहता.

पुरुषों को अपनी ओर आकर्षित करने में माहिर गीता समझ गई कि रामचंद्र उस के कमरे पर क्यों आता है. वह जान गई कि पत्नी से दूर औरत सुख के लिए बेचैन रामचंद्र उसी के लिए उस के आगेपीछे घूमता है. रामचंद्र गीता से दोगुनी उम्र का था. लेकिन गीता के लिए इस का कोई मतलब नहीं था. उसे मतलब था तो सिर्फ देहसुख और पैसों से, जो चाहने वाले उस पर लुटा रहे थे. तरहतरह के मर्दों के साथ मजा लेने वाली गीता को रामचंद्र का आना अच्छा ही लगा. इसलिए गीता उस का मुसकरा कर स्वागत करने लगी.

फिर तो रामचंद्र को उस के करीब आने में देर नहीं लगी. जल्दी ही दोनों के मन ही नहीं, तन भी एक हो गए. लेकिन जितनी जल्दी वे एक हुए, उतनी ही जल्दी उन की पोल भी खुल गई. एक दिन मनोज फैक्ट्री से जल्दी आ गया तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था. उस ने दरवाजा खटखटाया तो गीता ने दरवाजा काफी देर बाद खोला. वह मनोज को देख कर चौंकी. उस के कपड़े अस्तव्यस्त थे, इसलिए मनोज को लगा, वह सो रही थी. गीता ने सहमे स्वर में पूछा, ‘‘आज तुम इतनी जल्दी कैसे आ गए?’’

‘‘फैक्ट्री का जनरेटर खराब था, इसलिए काम नहीं हुआ.’’ कह कर मनोज कमरे में दाखिल हुआ तो सामने पलंग पर रामचंद्र को बैठे देख कर उसे माजरा समझते देर नहीं लगी. मनोज को देख कर वह तेजी बाहर निकल गया. मनोज ने गुस्से से पूछा, ‘‘यह यहां क्या कर रहा था?’’

‘‘पानी पीने आया था.’’ गीता ने हकलाते हुए कहा.

‘‘कमरा बंद कर के पानी पिला रही थी या उस के साथ गुलछर्रे उड़ा रही थी?’’

‘‘तुम्हें यह कहते शरम नहीं आती?’’ गीता चीखी.

‘‘शरम तो तुम्हें आनी चाहिए, जो एक के बाद एक गलत हरकतें करती आ रही हो. अपने मर्द के होते हुए पराए मर्द के साथ गुलछर्रे उड़ा रही हो. तुम्हें तो शरम से डूब मरना चाहिए.’’

‘‘तुम में है ही क्या? तुम न तो पत्नी को संतुष्ट (Extramarital Affairs)  कर सकते हो, न ही उस के खर्चे उठा सकते हो. अगर तुम को इस सब से परेशानी हो रही है तो मुझे छोड़ दो.’’ गीता ने अपना फैसला सुना दिया.

‘‘तू तो चाहती ही है कि मैं तुझे छोड़ दूं तो तू घूमघूम कर गुलछर्रे उड़ाए. तुझे तो अपनी इज्जत की पड़ी नहीं है, लेकिन मुझे तो अपनी इज्जत की फिक्र है. इसलिए सामान बांध लो और अब हम गांव चलते हैं.’’

अगले दिन मनोज ने नौकरी छोड़ दी और हिसाबकिताब ले कर गांव आ गया. कुछ दिनों गांव में रह कर मनोज अकेला ही दिल्ली चला गया, जहां किसी कंस्ट्रक्शन कंपनी में नौकरी करने लगा. उस के जाते ही गीता फिर आजाद हो गई. अब वह वही करने लगी, जो उस के मन में आता. शेखर और मनोज उस से मिलने उस की ससुराल भी आने लगे. मनोज के पास मोटरसाइकिल थी, गीता का जब मन होता, मोटरसाइकिल ले कर अकेली ही बरेली से रुद्रपुर चली जाती और अपने प्रेमियों से मिल कर वापस आ जाती.

रामचंद्र से गीता को विशेष लगाव था. वह उसी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताती थी. जब इस सब की जानकारी परमानंद को हुई तो उस ने गीता को रोका. लेकिन वह मानने वाली कहां थी. उस ने एक दिन गीता को रामचंद्र के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया तो उस ने सरेआम रामचंद्र की पिटाई कर दी. रामचंद्र को यह बुरा तो बहुत लगा, लेकिन वह उस समय कुछ करने की स्थिति में नहीं था.

गीता को भी ससुर की यह हरकत पसंद नहीं आई. क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि कोई उसे अपनी जागीर समझे और उस की बेलगाम जिंदगी पर अंकुश लगाए. जब उस ने अपने पति मनोज की बात नहीं मानी तो परमानंद की बात कैसे मानती. यही वजह थी कि परमानंद बारबार उस के रास्ते में रोड़ा बनने लगा तो उस ने इस रोड़े को हमेशा के लिए हटाने की तैयारी कर ली. इस के लिए उस ने रामचंद्र को भी राजी कर लिया. वह राजी भी हो गया, क्योंकि वह भी उस से अपनी बेइज्जती का बदला लेना चाहता था.

गीता ने ससुर को ठिकाने लगाने की जो योजना बनाई थी, उसी के अनुसार 27 जुलाई को वह परमानंद को मोटरसाइकिल से रुद्रपुर रामचंद्र के कमरे पर ले गई. देर रात तक गीता, रामचंद्र और परमानंद बैठ कर शराब पीते रहे. गीता और रामचंद्र ने तो खुद कम पी, जबकि परमानंद को जम कर पिलाई. यही नहीं, उस की शराब में नींद की गोलियां भी मिला दी थीं, जिस से कुछ ही देर में वह बेहोश हो कर लुढ़क गया. उस के बाद गीता और रामचंद्र ने उसी के अंगौछे से उस का गला घोंट दिया.

इस के बाद गीता ने मोटरसाइकिल स्टार्ट की तो रामचंद परमानंद की लाश को बीच में बैठा कर पीछे स्वयं बैठ गया. गीता मोटरसाइकिल ले कर काला डूंगी रोड पर भाखड़ा नदी के किनारे पहुंची, जहां दोनों ने परमानंद की लाश को बोरी में कुछ ईंटों के साथ डाल कर नदी के पानी में फेंक दिया. इस के बाद गीता रुद्रपुर में ही रामचंद्र के कमरे पर कई दिनों तक रुकी रही.

11 अगस्त को गीता मोटरसाइकिल से अपनी ससुराल लावाखेड़ा पहुंची तो परमानंद के छोटे बेटे चैतन्य स्वरूप ने पिता के बारे में पूछा. तब गीता ने किसी रिश्तेदारी में जाने की बात कह कर बात खत्म कर दी. 2 दिन ससुराल में रह कर गीता फिर चली गई. गीता के जाने के बाद कई दिनों तक परमानंद नहीं लौटा तो घर वालों को चिंता हुई.

उन्हें गीता पर शक हुआ कि कहीं उस ने अपने प्रेमियों शेखर और मनोज के साथ मिल कर उस की हत्या तो नहीं करा दी. चैतन्य स्वरूप ने कोतवाली नवाबगंज जा कर अपने पिता के गायब होने की सूचना दी. उस समय इंसपेक्टर अशोक कुमार के पास कोतवाली का भी चार्ज था. उन्हें लगा कि बहू ससुर को क्यों गायब करेगी? यही सोच कर उन्होंने चैतन्य को लौटा दिया. परमानंद का परिवार उस की तलाश में लगा रहा. उसी बीच 21 अगस्त को इंसपेक्टर अशोक कुमार का तबादला हो गया तो उन की जगह आए इंसपेक्टर जे.पी. तिवारी. चैतन्य स्वरूप उन से मिला तो उन्होंने उस से तहरीर ले कर शेखर और मनोज भटनागर के खिलाफ अपराध संख्या-827/13 पर भादंवि की धारा 364 के तहत मुकदमा दर्ज करा कर गीता के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगवा दिया.

सर्विलांस सेल के पुलिसकर्मियों की गीता से कई बार बात हुई. गीता उन से कभी गुजरात में होने की बात कहती तो कभी हरियाणा में होने की बात बताती, जबकि उस की लोकेशन बरेली के आसपास की ही थी. पुलिस समझ गई कि गीता बहुत ही शातिर है. गीता के नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई गई तो पता चला कि वह सब से अधिक अपनी बड़ी बहन ललिता से बात करती थी. इंसपेक्टर जे.पी. तिवारी ने ललिता और उस के पति प्रमोद को थाने ला कर पूछताछ की तो उन्होंने गीता का ठिकाना बता दिया. गीता उस समय बरेली के थाना मीरगंज के सामने राजेंद्र सेठ के मकान में किराए का कमरा ले कर रह रही थी. उसी के साथ रामचंद्र मौर्य भी था. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. यह 23 दिसंबर, 2013 की बात है.

पूछताछ में गीता और रामचंद्र ने परमानंद की हत्या का अपराध स्वीकार कर के उस की हत्या की पूरी कहानी सिलसिलेवार बता दी. पुलिस ने दोनों को रुद्रपुर ले जा कर उन की निशानदेही पर भाखड़ा नदी से परमानंद की लाश बरामद करने की कोशिश की, लेकिन लाश बरामद नहीं हो सकी. इस के बाद पुलिस ने दोनों को सीजेएम की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. लाश की बरामदगी के लिए एक बार फिर पुलिस दोनों को रिमांड पर लेने का प्रयास कर रही थी. लेकिन कथा लिखे जाने तक दोनों का रिमांड मिला नहीं था.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

5 Crime Stories Inspired by Real-Life Mysteries

5 Crime Stories Inspired by Real-Life Mysteries  : अगर आप क्राइम स्टोरी पढ़ने के शौकीन हैं, तो इन 5 टॉप फैमिली क्राइम की सच्ची कहानियों को ज़रूर पढ़ें. ये कहानियां आपको रोमांचक मनोरंजन के साथ-साथ अपराध की  दुनिया की गहराई तक ले जाएंगी. यहां दी जा रही है रहस्य से भरपूर टॉप 5 क्राइम स्टोरीज.

30 साल की रंजिश ने ली चार लोगों की जान

5 Crime Stories Inspired by Real-Life Mysteries : 62 वर्षीय रामविलास साह जिला सीतामढ़ी के डुमरा थाना क्षेत्र में आने वाले गांव बनचौरी में अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में दूसरी पत्नी सुनीता के अलावा 2 बेटे थे. पहली पत्नी मनतोरिया से उस के 6 बच्चे थे. लेकिन मनतोरिया अपने बच्चों के साथ दूसरे मकान में रहती थी. एक तरह से उस का पति रामविलास से कोई संबंध नहीं था. रामविलास के पास खेती की अच्छीखासी जमीन थी. डुमरा इलाके में वह बड़े काश्तकारों में शुमार था. रामविलास के दिन बड़ी खुशहाली में कट रहे थे.

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6 टुकड़े कर महिला को 10 फिट गड्डे में दफनाया

5 Crime Stories Inspired by Real-Life Mysteries : घटना राजस्थान के जोधपुर की है. जिस में एक महिला के 6 टुकड़े कर 10 फिट का गड्डा खोदा जाता है और उस महिला को उस में दफना दिया जाता है. इस घटना से गांव वाले और पुलिस वाले भी हैरान हैं. राजस्थान का एक ऐसा खूबसूरत शहर है जिस में हर साल लाखों लोग को घूमने आते हैं. वह लोगों के लिए एक पर्यटक का स्थल बन चुका है, आज उसी शहर में दर्दनाक घटना हुई है. इस शहर का नाम है जोधपुर जिसे सन सीटी के नाम से भी जाना जाता है. देश और विदेश से लोग यहाँ घूमने आते हैं, लेकिन आज इस शहर में एक ऐसी घटना हुई है जिस ने पूरे देश के लोगों को झकझोर दिया है.

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आशिकमिजाज पत्नी ने हैरो चोरी के इल्ज़ाम में पति को भेजा जेल

5 Crime Stories Inspired by Real-Life Mysteries : बात 26 जुलाई, 2018 की है. कुछ चरवाहे भोगपुर डैम के पास अपने जानवर चरा रहे थे. तभी उन की नजर डैम के मछली झाला क्षेत्र में पानी पर तैरती एक लाश पर पड़ी. चरवाहों ने डैम के किनारे जा कर देखा तो लाश किसी युवक की थी. एक चरवाहे ने इस की सूचना पुलिस को दे दी. चूंकि यह इलाका जसपुर थाना कोतवाली के अंतर्गत आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से जसपुर कोतवाली को सूचना दे दी गई. खबर मिलते ही थानाप्रभारी सुशील कुमार, परमापुर चौकी इंचार्ज वी.के. बिष्ट के साथ मौके पर पहुंच गए. पुलिस के पहुंचने तक अंधेरा घिर आया था, मौके पर कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं था. पुलिस ने लाश डैम के पानी से बाहर निकलवाई. लाश की जांच की तो उस के कपड़ों से पहचान की कोई चीज नहीं मिली. लाश एक युवक की थी. शिनाख्त न होने पर पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए काशीपुर भेज दी.

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देवर और भाभी ने मिलकर खोला देह व्यापार अड्डा

5 Crime Stories Inspired by Real-Life Mysteries : 27 जून, 2018 की सुबह काशीपुर स्टेशन के अधीक्षक ने थाना आईटीआई को फोन कर के बताया कि बाजपुर ट्रैक पर किसी की लाश पड़ी है. यह सूचना मिलते ही आईटीआई थानाप्रभारी कुलदीप सिंह अधिकारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. जब पुलिस वहां पहुंची, तब वहां कोई भी मौजूद नहीं था. वजह यह थी कि न तो वहां कोई आम रास्ता था और न ही कोई वहां से गुजरा था. घटनास्थल पर पहुंच कर पुलिस ने लाश और घटनास्थल का मुआयना किया. साथ ही जरूरी काररवाई भी की. मृतक के गले और छाती पर चोट के निशान थे.

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मां ने बेटे की हत्या कर आंगन में दफनाया

5 Crime Stories Inspired by Real-Life Mysteries : नशेड़ी निरमैल सिंह मां को मारतापीटता ही नहीं था, बल्कि सीधेसीधे कहता था कि उस के अपने ही किराएदार रविंद्र सिंह से नाजायज संबंध हैं. बेटे की इन्हीं हरकतों से एक ममतामयी मां मजबूर हो कर हत्यारिन बन गई पंजाब के जिला तरनतारन के थाना सरहाली का एक गांव है शेरों. इसी गांव की रहने वाली मनजीत कौर के पति बलवंत सिंह की मृत्यु बहुत पहले हो गई थी. बलवंत सिंह की गांव में खेती की थोड़ी सी जमीन और रहने का अपना मकान था. कुल इतनी जायदाद मनजीत कौर को पति से मिली थी. इस के अलावा वह उसे 2 बेटे और 1 बेटी भी दे गया था.

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समलैंगिक काजल ने किया मां और भाई का कत्ल

सूचना पाते ही यमुना नगर की पुलिस आननफानन में मौका ए वारदात पर पहुंच गई. तब तक काजल के नाते रिश्तेदार और पड़ोसी भी वहां इकट्ठा हो चुके थे. पुलिस ने घटनास्थल का बहुत बारीकी से मुआयना किया. पुलिस ने जांच में पाया कि मीना और राहुल की हत्या उन के सिर पर किसी भारी चीज से हमला करने और गला घोंटने से की गई थी.

मौके पर ही मोबाइल चार्जिंग केबल पड़ा मिला था, जिसे देख कर पुलिस ने अनुमान लगाया कि उस से ही दोनों का गला घोंटा गया होगा. बारीकी से जांच के क्रम में पुलिस ने पाया कि हत्यारों ने घर में लगे इकलौते सीसीटीवी कैमरे को बंद कर दिया था. निश्चित तौर पर ऐसा बचने के लिए ही किया गया होगा. यह बात पुलिस को अटपटी लगी.

कारण, पुलिस ने घर में हुए ऐसे अनेक आपराधिक मामलों में बचाव के लिए चोर या बदमाश अकसर सीसीटीवी कैमरे को स्विच्ड औफ नहीं करते, बल्कि उसे तोडफ़ोड़ देते हैं. यहां तक कि वे कैमरे और उस की डीवीआर भी उठा ले जाते हैं.

कैमरे को बंद किया जाना पुलिस को अपने आप में एक अजीब बात लगी थी. हत्यारों ने सीसीटीवी का डीवीआर गायब करने की जगह उसे स्विच्ड औफ कर दिया था. सीसीटीवी कैमरे को स्विच्ड औफ करने का एक मतलब था कि इस के स्विच्ड औफ होने से पहले के फुटेज का कैमरे में कैद हो जाना.

पुलिस अब आश्वस्त हो गई थी कि उसे इसी बंद कैमरे और डीवीआर से हत्यारे का कोई न कोई सुराग अवश्य मिल जाएगा. इसी पक्के विश्वास के साथ जांच टीम ने सीसीटीवी कैमरे और डीवीआर को अपने कब्जे में करने के लिए टेक्निकल टीम को आदेश दे दिया.

शाम के करीब 4 बज चुके थे, लेकिन गरमी की तपिश में कोई कमी नहीं आई थी. तारीख थी 23 जून. हरियाणा के यमुनानगर में भी गरमी की आग बरस रही थी. आजाद नगर इलाके के मकान में अपनी 47 वर्षीया मां मीना और 23 साल के छोटे भाई राहुल के साथ रहने वाली 27 वर्षीया काजल स्कूटी से आई थी.

टाइट जींस पैंट और टीशर्ट में बगैर हेलमेट के थी. स्कूटी से उतर कर पसीने से लथपथ चेहरे को स्कार्फ से पोंछती हुई अपने घर की ओर 2 कदम ही बढ़ी थी कि सामने वाले घर की खिड़की से आवाज आई, ”क्यों री काजल! ते इत्ती गरमी में कहां से आवै से?…आज पूरे दिन थारी मम्मी भी न दिखे? कहीं गैर सी का?’’

”ना ताई! मम्मी घर में होवे. मैं तो उन के वास्ते जूस लावे गई सी.’’ काजल बोलती हुई जूस के पैकेट का थैला दिखाने के लिए हाथ ऊपर उठा लिया था.

”सब ठीक सै ना!…मम्मी की तबीयत! …राहुल कहीं गवा है का?…वो भी ना दिखा आज…’’ सामने वाली ताई ने एक साथ कई सवाल कर दिए.

काजल उन के सवालों को नजरंदाज करती हुई तेज कदमों से अपने घर में भुनभुनाती हुई दाखिल हो गई. उस की नजर सिर्फ हम पर टिकी रहती है… ”मम्मी कहां है? भाई कहां गया? भाभी मायके से कब आएगी?…ते बियाह कब करेगी?’’

घर में घुसते ही काजल चीख पड़ी. उस की चीख काफी तेज थी, जो पासपड़ोस के कई लोगों ने सुनी. उस चीख पर सब से पहली आवाज ताई की आई, ”क्या हुआ काजल? कुछ बात है क्या?’’

काजल चीखती चिल्लाती दौड़ती हुई घर के बाहर आ गई. तब तक ताई भी दुपट्टा संभालती हुई अपने घर से बाहर आ चुकी थी. काजल बुरी तरह हांफ रही थी… वह कुछ बोल नहीं पा रही थी… वहीं जमीन पर दोनों हाथों से सिर पकड़ कर बैठ गई.

”क्या हुआ कुछ बोलेगी भी!’’ ताई ने उसे उठाया और झकझोरती हुई बोली. अपने दुपट्टे से काजल के चेहरे का पसीना पोंछा, जबकि काजल की जुबान से आवाज ही नहीं निकल पा रही थी. कुछ सेकेंड बाद वह अपने घर की ओर इशारा कर इतना भर बोल पाई, ”उधर मां का मर्डर! …भाई भी मर गया…! …घर में दोनों की लाशें पड़ी हैं!’’

”मर गया?’’ ताई चौंकती हुई बोली.

”उधर भीतर कमरे में मम्मी और राहुल मरे हुए हैं…उन को किसी ने मार डाला…’’ काजल बोलते बोलते रोने लगी.

तब तक कुछ और लोग भी वहां आ गए थे. उन में से एक बोला, ”चलो, अंदर चल कर देखते हैं.’’

ताई भी बोली, ”हां, अंदर चलते हैं.’’

…लेकिन काजल ने हाथ के इशारे से किसी को भी घर के भीतर जाने से मना कर दिया, फिर कुछ सेकेंड बाद बोली, ”नहीं! भीतर कोई नहीं जाएगा. पहले पुलिस को फोन करती हूं.’’

काजल ने अपनी जींस पैंट से मोबाइल निकाला और पुलिस को सूचना देने के लिए 112 नंबर पर काल कर दी.

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बंद सीसीटीवी से कैसे मिला हत्या का सुराग

सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई. घर के अंदर 2 लाशें देख कर पुलिस सन्न रह गई. इस दोहरे हत्याकांड का कोई भी चश्मदीद नहीं था. जो कुछ मालूम हो सकता था, उस के लिए घर की इकलौती बेटी काजल से ही संभव था. वह भी वारदात के वक्त मौके पर मौजूद नहीं थी, लेकिन उस ने ही अपनी मां और भाई की लाशों को पहली बार देखा था.

ऐसे में पुलिस ने काजल से ही पूछताछ शुरू की. उस से पुलिस ने सीधा सवाल किया, ”तुम घर से किस वक्त निकली थी?’’

”जी, दोपहर को.’’ काजल बोली.

”किसलिए?’’ पुलिस का अगला सवाल था.

”मेकअप करवाने के वास्ते ब्यूटी पार्लर गई थी…!’’ काजल तुरंत बोली.

”लेकिन चेहरे पर तो कोई मेकअप नहीं दिख रहा. वैसे भी तुम्हारा पहनावा लड़कियों जैसा नहीं दिख रहा.’’ पुलिस ने जिरह की.

”मुझे केश की कटिंग करवानी थी…और पार्लर में भीड़ भी थी, इसलिए कुछ समय इंतजार कर वापस आ गई.’’ काजल ने सफाई दी.

”इतनी भयंकर गरमी में तुम दोपहर को ब्यूटी पार्लर गई, बड़ी अजीब बात है. शाम को भी तो जा सकती थी!’’ पुलिस बोली.

”ऐसे ही साहब, मन हो गया सो चली गई. हां साहबजी, मां ने फोन पर मैसेज भेज कर घर लौटते वक्त जूस के 2 पैकेट लाने के लिए कहा था. ये देखिए…लेकिन मुझे क्या मालूम था साहबजी कि मेरे पीछे मेरी दुनिया ही उजड़ जाएगी…!’’ बोलते हुए काजल की आंखें नम हो गई थीं.

”मेरी मां और भाई को लुटेरों ने मार डाला है, उसे जल्दी पकडि़ए. मेरे पीछे वे घर में लूटपाट के लिए आए थे.’’ काजल बोली.

उस की बात के आधार पर पुलिस ने घर की छानबीन की. पाया कि घर की ज्वैलरी आदि गायब थी और काजल के लाए हुए जूस के पैकेट भी घर में मौजूद थे. काजल ने मां के मोबाइल से भेजा गया जूस लाने का मैसेज भी पुलिस को दिखाया.

इस अनुसार काजल बिलकुल सच बोल रही थी. फिर भी पुलिस को वही बात खटक रही थी कि घर में लगे इकलौते सीसीटीवी कैमरे को क्यों बंद किया गया होगा? इसे ले कर पुलिस ने काजल से दोबारा पूछना शुरू किया, ”घर का सीसीटीवी कैमरा बंद क्यों है? किस ने बंद किया?’’

”मुझे क्या पता!’’ काजल ने रूखेपन से जवाब दिया और इसे ले कर हैरानी जताई.

”विचित्र बात है, तुम घर की मेंबर हो. भाई की तरह तुम भी जिम्मेदार हो. घर में सुरक्षा के लिए कैमरा लगाया गया है. वह सहीसलामत चल रहा है या नहीं, इस का ध्यान तो तुम भी रखती ही होगी?’’ पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे को ले कर एक साथ कई जानकारियां लेनी चाहीं, लेकिन वह एक भी ठोस जवाब नहीं दे पाई.

वह यह भी नहीं बता पाई कि कैमरा किस ने और क्यों बंद किया होगा? उस के बाद पुलिस ने मामले की तफ्तीश आगे बढ़ाने के लिए गली में लगे दूसरे सीसीटीवी कैमरों को खंगालना शुरू किया.

इस कोशिश में पुलिस को 2 नई जानकारियां मिलीं. फुटेज से मिली पहली जानकारी मुंह पर कपड़ा बांधे हुए एक नौजवान के सुबह के समय काजल के घर आने की थी. दूसरी जानकारी में वही युवक कुछ देर बाद कुछ सामान ले कर बाहर जाता हुआ भी दिखा था.

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शक के घेरे में कैसे आई काजल

दूसरे फुटेज को देख कर पुलिस एक बार फिर चौंक गई. वहीं मौजूद काजल से किया गया अगला सवाल था, ”इस फुटेज में लड़के के साथ तुम भी बाहर जाती दिख रही हो. तुम्हारे घर आया वह लड़का कौन है? क्या तुम उसे जानती हो? वह तुम्हारे घर आता दिखा था… मुंह पर कपड़ा क्यों बांध रखा है?’’

इन सवालों पर काजल सकपका गई. खासकर लड़के के बारे में पूछने पर काजल एकदम से नर्वस हो गई थी. चेहरे का उड़ा रंग देख कर पुलिस को उस पर संदेह हो गया और और सारी तफ्तीश उस की तरफ मोड़ दी गई.

पुलिस ने गौर किया कि घर का सीसीटीवी कैमरा सुबह को ही बंद कर दिया गया था. जबकि काजल के कहने के मुताबिक तब तक तो लुटेरों ने घर पर धावा भी नहीं बोला था और न ही किसी की हत्या हुई थी. यानी ये कैमरे घर के ही किसी मेंबर ने बंद किए थे. जबकि काजल का कहना था कि वह दोपहर 2 बजे के आसपास घर से निकली थी और 4 बजे तक वापस लौट आई थी.

यानी काजल द्वारा पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार हत्याएं 2 से 3 या फिर 3 से 4 बजे के बीच हुई होगी. काजल से पूछताछ पूरी हो जाने के बाद मीना और राहुल की लाशों को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया था.

साथ ही काजल को हत्याकांड में अपराधियों तक पहुंचने और लूटपाट के सामान की बरामदगी के लिए उस का साथ देने को कहा गया था. पुलिस को उस ने पूछताछ में बताया था कि हत्यारों ने घर से लाखों रुपए के जेवरात लूट लिए हैं.

अगले दिन ही मीना और राहुल की लाशों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी. रिपोर्ट चौंकाने वाली थी. हत्या का तरीका प्रारंभिक तहकीकात से मिलताजुलता था, लेकिन हत्या का समय काजल के बयान से मेल नहीं खा रहा था. इस तरह से पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार कातिल की पोल खुल गई थी. साथ ही काजल भी झूठी साबित हो गई थी.

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                                                      मृतक मां और बेटा

रिपोर्ट के अनुसार पुलिस का संदेह और भी गहरा हो गया कि काजल को हत्याकांड के संबंध में पूरी जानकारी है, जिसे उस ने छिपाने की कोशिश की है. अपनी मां और भाई की हत्या को ले कर काजल झूठ बोल रही है.

पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों के मुताबिक दोनों की हत्याएं लाशों को पोस्टमार्टम के लिए लाए जाने से कोई 6 से 7 घंटे पहले हो चुकी थीं. यानी कि उन की मौत सुबह 10 बजे के आसपास ही हो गई थी. इस हिसाब से हत्याकांड के दौरान काजल घर में ही मौजूद थी.

पुलिस के लिए यह जानकारी काजल के खिलाफ अपराध में शामिल होने के सबूत के तौर पर थी. पुलिस ने बिना देर किए काजल को हिरासत में ले लिया. उस का मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया. उस की जांच के लिए उस की काल डिटेल्स निकलवाई. पुलिस ने काजल के साथसाथ उस की मां और भाई के मोबाइल फोन की लोकेशन की भी जांच की.

इस तरत टेक्निकल जांच रिपोर्ट को देख कर पुलिस हैरान रह गई कि दोपहर को जब उस की मां के मोबाइल फोन से काजल के मोबाइल फोन पर जूस लाने का मैसेज भेजा गया था, तब उस की मां का मोबाइल फोन उन के घर में नहीं, बल्कि काजल के पास ही था. क्योंकि दोनों के मोबाइल फोन की लोकेशन साथसाथ घर से बाहर की थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उस की जूस लाने की कहानी को भी गलत साबित कर दिया था. इस से पुलिस को पता चल गया था कि वह साजिश उस ने जांच टीम को गुमराह करने के लिए कहानी गढ़ी थी. खुद को अपनी मां के मोबाइल फोन से ही झूठा मैसेज भी भेजा था. एक साथ इतने सबूतों के सामने आने के बाद पुलिस ने काजल को गिरफ्तार कर लिया.

काजल ने क्यों रची मां के कत्ल की साजिश

हालांकि पुलिस के सामने मांबेटे के हत्यारों के बारे में जानकारी जुटानी बाकी थी. इस के लिए उस ने काजल से सख्ती से पूछताछ की. उस से पुलिस ने सीधा सवाल किया कि अपनी मां और छोटे भाई का कत्ल क्यों किया? उस की अपनी मां और भाई से आखिर ऐसी क्या दुश्मनी थी? जबकि उस के परिवार में उसे मिला कर सिर्फ 3 ही लोग थे… और अब मां और भाई के मारे जाने के बाद वह बिलकुल अकेली रह गई है.

काजल ने इन सवालों का जो जवाब दिया, वह काफी हैरान करने वाला निकला. इसी क्रम में काजल ने अपनी मां और भाई की हत्या करनी भी स्वीकार कर ली. उस ने हत्या संबंधी पूरे घटनाक्रम की सिलसिलेवार ढंग से परतें खोल कर रख दीं.

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                                                            आरोपी कृष

काजल ने बताया कि उस ने अपनी मां और भाई की जान लेने की साजिश पहले ही रच ली थी और इस में अपने एक ममेरे भाई कृष को भी शामिल कर लिया था.

उस रोज की तारीख 23 जून, 2024 को रविवार का दिन था. सुबह के वक्त भाई राहुल शेविंग करवाने के लिए घर से बाहर गया हुआ था. तभी काजल ने कृष को बुला लिया. इस के बाद दोनों ने मिल कर रौड की तरह एक भारी चीज से पहले मां मीना के सिर पर हमला कर दिया. इस हमले से मीना बेसुध हो गई.

उसी हालत में दोनों ने मिल कर मोबाइल फोन की चार्जिंग केबल से मीना का गला घोंट दिया. काजल मीना के पैर पकड़े थी और कृष चार्जिंग केबल से उस का गला कसने में लगा हुआ था. उन की कुछ सेकेंड में ही मौत हो गई.

तभी राहुल घर वापस आ गया. उसे आया देख कर दोनों ने मीना को छोड़ राहुल को पकड़ लिया. उन्होंने उस के भी सिर पर रौड से हमला किया. इस के बाद कृष ने राहुल का गला घोंट दिया, जबकि काजल भाई के पांव पकड़े रही.

इस तरह बैडरूम में पहले मीना की हत्या हो गई और और फिर उस के कुछ ही देर बाद मीना के बेटे यानी काजल का छोटे भाई राहुल मारा गया. वारदात के बाद दोनों ने मिल कर इसे लूटपाट का रूप देने के लिए घर का सारा सामान बिखेर दिया.

कुछ सामानों के साथ काजल ने कृष को घर से रवाना कर दिया. इस तरह काजल ने मामले को पूरी तरह से लूटपाट का बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कुछ कीमती चीजें गायब कर दी गईं. वारदात के पहले काजल ने घर में लगा सीसीटीवी कैमरा बंद कर दिया था, लेकिन उस के दिमाग में यह बात नहीं आई कि गली के दूसरे मकानों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. उस में वारदात के सबूत कैद हो गए थे.

काजल की जीवनशैली अपने भाई से बिलकुल अलग थी. कहने को वह लड़की है, लेकिन उस में लड़कियों वाले लक्षण नहीं मिलते हैं.

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            आरोपी काजल

वह हमेशा लड़कों वाले कपड़ों में नजर आती थी. इसे ले कर उस की मां से हमेशा बकझक हो जाती थी. लड़के जैसे उस के हावभाव और रवैए को देख कर पुलिस भी हैरान थी. दूसरी लड़कियों की तरह मां और भाई की मौत पर काजल को किसी ने एक बार भी भरी आंखों से रोते हुए नहीं देखा.

ऊपर से वह पुलिस के सारे सवालों के जवाब पूरे आत्मविश्वास से देने की कोशिश कर रही थी. पड़ोसियों की निगाह में भी काजल दूसरी लड़कियों से एकदम अलग थी. वह न सिर्फ लड़कों की तरह टीशर्ट और पैंट पहनती, बल्कि उस का पूरा अपीयरेंस भी लड़कों की तरह ही होता था. वह बातचीत भी लड़कों के लहजे में करती थी.

भाभी से बनाना चाहती थी समलैंगिक संबंध

पुलिस ने उस के बारे में और भी कई जानकारियां जुटाईं, जिस से मालूम हुआ कि उस की बचपन से ही लड़कों की तरह रहने की आदत है. उस के  रिश्तेदारों ने पुलिस के सामने खुलासा किया वह असल में यह एक समलैंगिक लड़की है. जिस की असलियत का पता उस की मां और भाई को चल गया था.

इस कारण उस का दोनों से हमेशा झगड़ा भी होता रहता था. वह अकसर मां और भाई के साथ लड़ पड़ती थी. कई बार गुस्से में भाई उस से बोलता था कि उस की वजह से उस की शादीशुदा जिंदगी बरबाद हो गई है.

दरअसल, काजल ने अपनी एक सहेली की शादी अपने भाई राहुल से करवा दी थी. बताते हैं कि उस सहेली से काजल के पहले से ही समलैंगिक संबंध थे. इस कारण घर में कलह होने लगी थी और राहुल की वह शादी टूट गई थी.

कुछ दिनों बाद राहुल की दूसरी लड़की से शादी हुई. काजल की दूसरी भाभी के साथ भी नजदीकियां बढऩे लगीं, पास आने की कोशिश करने लगी, जिस से राहुल की शादी दूसरी बार भी टूट गई.

इस के बाद काजल से उस की मां और भाई के संबंध और भी खराब हो गए. इसी बीच एक घरेलू मामला मकान और प्लौट को ले कर आ गया. यह पहले से ही विवाद का कारण बना हुआ था. ये दोनों पहले से मीना के नाम थे और काजल को लगता था कि इस का हिस्सा उसे नहीं मिलेगा.

ये जायदाद मीना को अपने मायके से मिली थी. दूसरी तरफ मीना के एक भतीजे  कृष को लगता था कि उस की बुआ उसे अपनी प्रौपर्टी का कोई हिस्सा नहीं देगी. ऐसे में काजल और कृष दोनों प्रौपर्टी को ले कर आपस में बातें किया करते थे. वे इसे ले कर काफी परेशान थे.

उस के बाद ही दोनों ने मिल कर मीना और राहुल को रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली थी. उन्होंने सोचा कि ऐसा करने से मीना की प्रौपर्टी पर उन का हक हो जाएगा. काजल प्रौपर्टी के साथसाथ अपनी आजाद जिंदगी पाने के लिए भी मां और भाई के अंकुशों से मुक्त होना चाहती थी.

इस हत्याकांड में काजल समेत उस के ममेरे भाई कृष की भी गिरफ्तारी हुई. पूछताछ में उस ने बताया कि काजल ने उसे 50 हजार रुपए का लालच दिया था. यह भी कहा था कि उसे पैतृक मकान भी मिल जाएगा.

इस मामले की पूरी जांच यमुना नगर थाना शहर के एसएचओ जगदीश की देखरेख में संपन्न हुई थी. वारदात यमुना नगर के आजाद नगर की गली नंबर 2 की है. पूरी जांच में यह भी पाया गया कि मीना और राहुल की हत्या के बाद आरोपी काजल घर में रखे गहने अपने साथ ले गई थी, जो 14 लाख रुपए से अधिक के थे.

उन्हें वह अपनी एक्टिवा की डिक्की में ले कर घंटों घूमती रही थी, ताकि पुलिस को विश्वास हो जाए कि घर में लूटपाट के दौरान दोनों की हत्या की गई है.

हत्याकांड का खुलासा करने के बाद पुलिस ने रिमांड पर आरोपी काजल से पूछताछ के दौरान एक्टिवा से सारे गहने बरामद कर लिए.

मामले में काजल के ममेरे भाई विश्वकर्मा मोहल्ला निवासी कृष को भी गिरफ्तार कर पुलिस ने 25 जून, 2024 को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे भी रिमांड पर लिया गया. कथा संकलन तक पुलिस दोनों आरोपियों से पूछताछ कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

15 टुकड़ों में बंटी गीता

राजधानी पटना के थाना परसा बाजार के थानाप्रभारी नंदजी अपने औफिस में बैठे थे. तभी 60-65 साल का एक व्यक्ति अंदर आया. उन्होंने उस पर सरसरी निगाह डालने के बाद सामने खाली पड़ी कुरसी पर बैठने का इशारा किया. वह कुरसी पर बैठ गया. उस के माथे पर उभरी चिंता की लकीरों से साफ लग रहा था कि वह परेशान और चिंतित है.

नंदजी ने उस के आने का कारण पूछा तो वह बोला, ‘‘साहब, मेरा नाम राकेश चौधरी है, मैं तरेगना डीह गांव का रहने वाला हूं. मैं बहुत परेशान हूं, मेरी मदद कीजिए.’’

परेशानी पूछने पर वह बोला, ‘‘साहब, मेरी विवाहित बेटी गीता एक हफ्ते से घर से लापता है. उस का मोबाइल फोन भी बंद है. स्थानीय अखबारों में कई दिनों से टुकड़ों में मिली महिला की लाश की खबरें छप रही हैं. उस खबर को पढ़ कर ही मैं यहां आया हूं.’’

इस के बाद वह व्यक्ति अपने थैले से गीता की तसवीर निकाल कर नंदजी की ओर बढ़ाते हुए बोला, ‘‘यह गीता की तसवीर है, मुझे डर है कि कहीं उस के साथ कोई अनहोनी घटना तो नहीं घट गई.’’

‘‘आप फिक्र न करें.’’ नंदजी ने तसवीर पकड़ते हुए कहा, ‘‘वैसे आप कैसे इतने यकीन से कह सकते हैं कि गीता इसी थानाक्षेत्र से लापता हुई है?’’

‘‘साहब, मैं यह बताना भूल गया कि मेरी नातिन यानी गीता की बेटी जिस का नाम पूनम है, अपने पति रंजन के साथ कुसुमपुरम कालोनी में किराए के मकान में रहती है. जब मैं उस के घर गया तो ताला लगा मिला. पड़ोसियों से पूछने पर पता चला कि पूनम 18 तारीख से ही घर पर नहीं है. उस का फोन भी बंद है, इसलिए मैं यहां आ गया.’’

नंदजी के कहने पर राजेश चौधरी ने अपनी बेटी गीता की गुमशुदगी की तहरीर लिख कर दे दी.

दरअसल, 18 अप्रैल को पटना-गया पैसेंजर ट्रेन के गया रेलवे स्टेशन पर पैसेंजर ट्रेन की एक बोगी में ऊपर की सीट पर कोने में बादामी रंग के लेदर के 2 बड़े बैगों में किसी महिला के हाथपैरों के कटे हुए 3-3 टुकड़े मिले थे.

इस के 3 दिन बाद 20 अप्रैल को जक्कनपुर के पटना-गया रेलखंड पर गुमटी के पास रेलवे ट्रैक पर किसी महिला का कटा हुआ सिर और फ्लैक्स में बंधे हुए धारदार हथियार मिले थे. उसी दिन उन्हीं के थानाक्षेत्र परसा बाजार की कुसुमपुरम कालोनी में किसी महिला का धड़ से कमर तक का हिस्सा एक नाले से बरामद किया गया था.

दरअसल, 2 जिलों पटना और गया के 3 थानाक्षेत्रों गया जंक्शन, पटना के जक्कनपुर और परसा बाजार में 15 टुकड़ों में बंटा एक महिला का शव मिला था. शव एक अधेड़ महिला का था, जिस की उम्र करीब 40-50 साल के बीच रही होगी. 1-1 दिन के अंतराल में मिले शव के टुकड़ों से पटना और गया में सनसनी फैल गई थी.

गया, जक्कनपुर और परसा बाजार से मिले अंगों को एसएसपी मनु महाराज एक ही महिला के होने की आशंका जता रहे थे. उन का तर्क था कि हत्यारों ने लाश के टुकड़े 3 जगहों पर इसलिए फेंके होंगे, ताकि पुलिस आसानी से न तो महिला की शिनाख्त करा सके और न ही कातिलों तक पहुंच सके. इस से साबित हो रहा था कि कातिल जो भी था, बहुत चालाक था. स्थानीय अखबारों ने शव के टुकड़ों की सनसनीखेज खबर बना कर पुलिस की बखिया उधेड़ रखी थी.

राजेश चौधरी की बेटी गीता 17 अप्रैल से लापता थी. उस ने उस का जो हुलिया बताया था, शव के कटे अंगों को जोड़ कर देखने पर काफी मिलताजुलता लग रहा था. नंदजी ने सोचा कि कहीं शव के टुकड़े गीता के ही तो नहीं हैं.

नंदजी ने जक्कनपुर के इंसपेक्टर ए.के. झा को अपने थाने में बुला लिया. वह जब परसा बाजार थाना पहुंचे तो उन्होंने उन का परिचय राजेश चौधरी से करवाया और सारी बात उन्हें बता दी. इस के बाद वह राजेश चौधरी और इंसपेक्टर झा को साथ ले कर एसएसपी मनु महाराज के औफिस गए और उन्हें पूरी जानकारी दी.

एसएसपी मनु महाराज ने जक्कनपुर के थानाप्रभारी ए.के. झा से उस फ्लैक्स के बारे में जानकारी ली, जिसे जक्कनपुर के रेलवे ट्रैक से बरामद किया गया था और उस में खून से सने 3 धारदार हथियार मिले थे. उस फ्लैक्स पर फ्रैंड्स क्लब औफ कुसुमपुरम, नत्थूरपुर रोड, परसा बाजार लिखा था. फ्लैक्स पर लिखे पते के आधार पर पुलिस ने अनुमान लगाया कि हो न हो, महिला का कुसुमपुरम से कोई संबंध रहा होगा.

पुलिस की मेहनत तब रंग लाई. जब लापता बेटी की तलाश के लिए राजेश चौधरी थाने पहुंच गए. पुलिस को यकीन हो चला था कि टुकड़ों में मिला शव गीता का ही रहा होगा.

क्योंकि जिस दिन से गीता लापता हुई थी, उसी के अगले दिन से उस की बेटी और दामाद भी मकान पर ताला लगा कर फरार थे. पुलिस के शक की सूई मृतका की बेटी पूनम और दामाद रंजन की ओर घूम गई थी, लेकिन वह जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहती थी.

चूंकि यह सनसनीखेज मामला परसा बाजार थाने से जुड़ा था, इसलिए इस केस को गया राजकीय रेलवे थाने और जक्कनपुर थाने से स्थानांतरित कर के जांच के लिए परसा बाजार थाने को सौंप दिया गया.

एसएसपी मनु महाराज के आदेश पर इस मामले की जांच की जिम्मेदारी परसा बाजार थानाप्रभारी नंदजी को सौंपी गई. जक्कनपुर थाने के इंसपेक्टर ए.के. झा को कहा गया कि केस के खुलासे में वह नंदजी को सहयोग करें.

थानेदार नंदजी और ए.के. झा ने फ्लैक्स पर लिखे पते को ध्यान में रखते हुए जांच आगे बढ़ाई. फ्लैक्स पर फ्रैंड्स क्लब औफ कुसुमपुरम, नत्थूरपुर रोड, परसा बाजार लिखा था. पुलिस ने शक के आधार पर कुसुमपुरम के 6 युवकों को हिरासत में ले लिया. पूछताछ में उन युवकों ने बताया कि इस तरह के फ्लैक्स उन्होंने सरस्वती पूजा में लगाए थे. बाद में डेकोरेशन वाले फ्लैक्स में सामान लपेट कर ले गए थे.

उन युवकों से पूछताछ के आधार पर पुलिस उस डेकोरेटर तक पहुंच गई, जिस ने सरस्वती पूजा में सजावट की थी. डेकोरेटर ने पुलिस को बताया कि जेनरेटर देने वाला राजेश चौधरी फ्लैक्स को अपने साथ ले गया था. डेकोरेटर से पुलिस ने राजेश का पता लिया और शाहपुर थानाक्षेत्र स्थित उस के गांव खाजेकलां पहुंच गई. राजेश घर पर ही मिल गया. अचानक पुलिस को देख कर वह घबरा गया.

उस के चेहरे के उड़े रंग और पसीने को देख कर पुलिस का शक और पुख्ता हो गया. पुलिस उसे गिरफ्तार कर के थाना परसा बाजार ले आई. वहां जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने सारा राज उगल दिया. पूछताछ में उस ने बताया कि मरने वाली गीता उस के दोस्त रंजन की सास थी. रंजन ने उसे 20 हजार रुपए देने का लालच दिया था. उस के कहने पर ही उस ने उस का साथ दिया था. हत्या के बाद उन दोनों ने मिल कर गीता के शरीर के 15 टुकडे़ किए थे. यह बात 22 अप्रैल की है.

राजेश के बयान के आधार पर पुलिस ने उसी रात खाजेकलां से मृतका के पति उमेशकांत चौधरी, उस की बेटी पूनम और प्रेमी अरमान मियां को गिरफ्तार कर लिया. रंजन पुलिस के आने से पहले ही फरार हो गया था.

पुलिस ने पूनम और उमेशकांत से गीता की हत्या और अरमान से उस के प्रेम के रिश्ते के बारे में पूछताछ की तो दोनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. उमेशकांत ने पत्नी की हत्या का षडयंत्र कैसे रचा था, उस से परदा उठ गया.

गीता देवी हत्याकांड के आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उमेशकांत चौधरी, पूनम, रंजन चौधरी और राजेश को नामजद आरोपी बना कर भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर के अदालत पर पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. पुलिस पूछताछ में गीता हत्याकांड की कहानी कुछ इस तरह सामने आई—

48 वर्षीय उमेशकांत चौधरी मूलरूप से पटना के शाहपुर थाना के गांव जमसौर का रहने वाला था. वह शारीरिक रूप से विकलांग था. विकलांगता के आधार पर उसे पटना सचिवालय स्थित भवन निर्माण विभाग में ड्राफ्ट्समैन की नौकरी मिल गई थी. करीब 25 साल पहले उस का विवाह इसी जिले के मसौढ़ी, तरेगना डीह के रहने वाले राकेश चौधरी की बेटी गीता से हुआ था.

औसत कदकाठी की गीता को शादी के बाद जब पति के विकलांग होने की बात पता चली तो उस के अरमान आंसुओं में बह गए. उस के साथ अपनों ने ही धोखा किया था.

शादी से पहले मांबाप ने बेटी को उस के पति की विकलांगता के बारे में कुछ नहीं बताया था. अलबत्ता, उन्होंने इतना जरूर कहा था कि लड़का सरकारी नौकरी में है. अच्छा कमाता है, उस में कोई दुर्गुण नहीं है और वह परिवार व पैसे से भी मजबूत है.

बेटी के भावी जीवन के प्रति एक पिता की यह सोच गलत भी नहीं थी. खैर, पति जैसा भी था, उस का जीवनसाथी था. गीता से वह बहुत प्यार करता था. दोनों की जीवन नैया आहिस्ताआहिस्ता चलने लगी. धीरेधीरे गीता 3 बच्चों की मां बन गई. 3 बच्चों की मां बनने के बाद भी उस की शारीरिक बनावट को देख कर कोई नहीं कह सकता था कि वह 3 बच्चों की जन्म दे चुकी है.

उमेशकांत के बचपन का एक दोस्त उसी गांव में रहता था, जिस का नाम अरमान मियां था. वह गबरू जवान था. उस का आनाजाना घर के भीतर तक था. दोस्त की बीवी को वह भाभी कह कर बुलाता था और कभीकभी उस से मजाक भी कर लेता था. गीता इसे गंभीरता से नहीं लेती थी.

अरमान ने जब से दोस्त की पत्नी को देखा था, उस पर उस का दिल आ गया था. गीता भी अरमान के कसरती और सुडौल बदन को देख कर उस पर मर मिटी थी. जल्दी ही दोनों के संबंध बन गए. उमेशकांत भले ही शरीर से विकलांग था, लेकिन आंख से अंधा या कान से बहरा नहीं था.

उसे पत्नी और दगाबाज दोस्त की घिनौनी करतूतों का पता चला तो वह गुस्से से लाल हो उठा. उस ने पत्नी को समझाया कि वह अपनी हरकतों से बाज आए. लेकिन अरमान के प्यार में अंधी गीता को न तो पति की बात सुनाई दी और न ही उस की नसीहत का कोई असर हुआ. इसी बात को ले कर उमेश पत्नी से नाराज रहता था.

गीता और अरमान के अवैध संबंधों से परेशान हो कर उमेशकांत पत्नी गीता और बच्चों को ले कर ससुराल तरेगना डीह आ गया और वहीं पर परिवार के साथ रहने लगा. धीरेधीरे बच्चे बड़े होते गए. इस बीच उस के बडे़ बेटे को बैंक में नौकरी मिल गई और वह चुनार चला गया. बेटी पूनम की खाजेकलां के रंजन कुमार से शादी हो गई थी. छोटी बेटी को उस ने पढ़ाई के लिए परिवार से दूर भेज दिया था.

इस के बावजूद गीता में बदलाव नहीं आया था. वह अरमान से मिलने जमसौर चली जाती थी. इस बात को ले कर पतिपत्नी में विवाद काफी बढ़ गया था. फिर भी गीता ने अरमान को नहीं छोड़ा. अरमान की वजह से उमेशकांत की बसी बसाई गृहस्थी उजड़ गई थी. दोनों सिर्फ रिश्तों के पतिपत्नी रह गए थे.

गीता के मायके में रहने के दौरान अरमान का वहां भी आनाजाना लगा रहा. इस से परेशान हो कर उमेशकांत बेटी पूनम को ले कर कुसुमपुरम कालोनी में किराए का कमरा ले कर रहने लगा. पूनम पिता की तकलीफ को समझती थी. वह मां के चालचलन को भी अच्छी तरह जानती थी. दामाद रंजन भी ससुर के साथ ही खड़ा रहता था.

गीता हर महीने के आखिरी दिन कुसुमपुरम कालोनी वाले घर आती और जबरन पति की सारी तनख्वाह ले कर चली जाती. उस में से आधी रकम वह खुद रखती और आधी अपने आशिक को दे देती.

वह मायके में ही मांबाप के साथ रह रही थी. इस बात से उमेशकांत और पूनम उस से काफी नाराज थे. पत्नी की हरकतों से आजिज आया उमेशकांत समझ नहीं पा रहा था कि इस मुसीबत से हमेशा के लिए कैसे पीछा छुड़ाए. इस बारे में उस ने बेटी पूनम और दामाद रंजन से बात की. बेटी और दामाद भी गीता की हरकतों से आजिज आ चुके थे. वे भी उस से पीछा छुड़ाना चाहते थे.

दामाद रंजन ने ससुर को भरोसा दिलाया कि वह परेशान न हों. इस मुसीबत से छुटकारा पाने का वह कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेगा. रंजन आपराधिक सीरियल बड़े चाव से देखा करता था.

सीरियल देख कर ही उस ने सास को रास्ते से हटाने की योजना बनाई. उस की योजना यह थी कि सास की हत्या कर के उस के शरीर के छोटेछोटे टुकड़े किए जाएं और बैग में भर कर उसे ट्रेन में डाल दिया जाए. उस के बाद सारा खेल ही खत्म हो जाएगा.

रंजन ने सास की हत्या की फूलप्रूफ योजना बना डाली. उस ने इस योजना के बारे में अपने ससुर उमेशकांत को भी बता दिया. उमेशकांत पत्नी से खुद इतना आजिज आ चुका था कि अब उसे उस के नाम से भी घृणा हो गई थी. वह चाहता था कि जितनी जल्दी हो सके, गीता नाम की बला से मुक्ति मिल जाए. उस ने हां कर दी.

रंजन चौधरी इस योजना को अकेला अंजाम नहीं दे सकता था. उसे एक ऐसे सहयोगी की जरूरत थी, जो उस का साथ भी दे और इस राज को अपने सीने में दफन भी रखे.

ऐसे में उसे अपने ही गांव का बचपन का साथी और कारोबारी पार्टनर राजेश याद आया. वह उस का हमराज था. उस ने 20 हजार रुपए का लालच दे कर उसे अपनी योजना में शामिल कर लिया. राजेश शादीविवाह में किराए पर जनरेटर चलाता था. रंजन उस के धंधे में बराबर का सहयोगी था.

योजना के मुताबिक, 17 अप्रैल 2017 को पूनम ने मां को फोन किया और विश्वास में ले कर उसे चिकन की दावत पर कुसुमपुरम वाले किराए के मकान पर बुलाया. दोपहर बाद गीता मायके से कुसुमपुरम पहुंच गई. घर से निकलते समय उस ने किसी को कुछ नहीं बताया था कि वह कहां जा रही है. जब वह बेटी के घर पहुंची तो वहां पूनम के अलावा उमेशकांत और दामाद रंजन भी मौजूद थे. थोड़ी देर चारों हंसीठिठोली करते रहे, ताकि गीता को शक न हो.

पूनम मां को रंजन से बातचीत करने को कह कर किचन में चली गई. उमेशकांत भी बेटी के पीछेपीछे हो लिया. उमेशकांत ने पहले ही नींद की दवा मंगा कर रख ली थी.

पूनम कटोरी में मीट और थाली में चावल परोस कर ले आई. नींद की 10 गोलियां पीस कर उस ने अच्छी तरह मीट की कटोरी में मिला दी थीं. पूनम ने मां को खाना खिलाया. खाना खाने के थोड़ी देर बाद गीता का सिर भारी होने लगा और उसे नींद आ गई. गोलियों ने अपना असर दिखा दिया था.

गीता के बेहोश होते ही पूनम, रंजन और उमेशकांत सक्रिय हो गए. योजना के अनुसार, रंजन ने उमेशकांत और पूनम को वहां से खाजेकलां भेज दिया, जहां उस का पुश्तैनी मकान था. इस के बाद रंजन ने खाजेकलां से अपने दोस्त राजेश को कुसुमपुरम बुला लिया. वह रात 9 बजे के करीब कुसुमपुरम आ गया.

बेहोश गीता को जब होश आया तो वह उल्टियां करने लगी. रंजन और उस का दोस्त राजेश आगे के कमरे में बैठे टीवी देख रहे थे. गीता समझ गई कि बेटी, पति और दामाद ने मिल कर उस के साथ धोखा किया है. बात समझ में आते ही वह अपने फोन से अरमान को फोन कर के सारी बातें बताने लगी.

रंजन ने सास को फोन करते सुन लिया. वह घबरा गया कि कहीं उन की योजना पर पानी न फिर जाए. वह दौड़ कर सास के पास पहुंचा और उस के हाथों से फोन छीन लिया. फोन छीनते समय दोनों के बीच गुत्थमगुत्था भी हुई, तब तक राजेश भी आ गया था.

रंजन ने सास को उठा कर बैड पर पटक दिया. राजेश ने उस के दोनों पैर पकड़ लिए और रंजन ने उस का गला घोंट कर हत्या कर दी. रंजन ने सास का मोबाइल फोन ले कर उसे स्विच्ड औफ कर दिया, ताकि कोई उस से संपर्क करने की कोशिश न कर सके. बाद में उस ने हथौड़ी से फोन का चूरा कर के नाले में फेंक दिया.

जब रंजन और राजेश दोनों को यकीन हो गया कि गीता मर चुकी है तो उन्होंने लाश को बैडरूम से निकाल कर बरामदे में रखी चौकी पर रख दिया. रंजन पहले ही लोहा काटने वाले 2 ब्लेड और 1 गड़ासा खरीद लाया था, वह कमरे से गड़ासा ले आया और उसी से उस ने गीता का गला काट दिया. उस ने एक बड़ा टब चौकी के नीचे रख दिया था, ताकि घर में खून न फैले. टब में खून जमा हो गया तो वह उसे बाथरूम में फेंक आया. बाथरूम में कई बाल्टी पानी गिरा कर उस ने खून नाली में बहा दिया.

धड़ को सिर से अलग करने के बाद रंजन और राजेश ने मिल कर गीता के दोनों पैरों के 6, दोनों हाथों के 6 और धड़ के कमर के बीच से 3 टुकड़े यानी कुल मिला कर 15 टुकड़े किए. योजना के अनुसार, पहले से खरीद कर लाए गए 2 बड़े लैदर के बैगों में हाथ और पैरों के टुकड़े भर दिए.

कटे सिर और धारदार हथियारों को रंजन ने फ्लैक्स के टुकड़े में लपेट दिया और उसे काले रंग की बड़ी सी पौलीथिन में रख दिया. यह सब करने में उन्हें ढाई घंटे का समय लगा. लाश के टुकड़ों को बैग में भरने के बाद दोनों बाथरूम में गए और शरीर पर लगे खून को अच्छी तरह साफ किया. इस के बाद दोनों ने बड़ी सफाई से सारे सबूत मिटा दिए. तब तक सुबह हो गई थी.

योजना के अनुसार, रंजन और राकेश को 18 अप्रैल को दोपहर के डेढ़ बजे एकएक बैग ले कर पटना-गया पैसेंजर ट्रेन में चढ़ना था. उन्होंने ऐसा ही किया और इत्मीनान से सीट पर बैठ गए. दोनों बैगों को उन्होंने ऊपर वाली सीट पर कोने में रख दिया. फिर पुनपुन स्टेशन पर उतर कर दोनों घर लौट आए. उन बैगों को उसी दिन रात में गया जंक्शन पर जीआरपी ने बरामद किया था.

अगले दिन 19 अप्रैल को रंजन और राजेश ने जक्कनपुर स्टेशन के बीच गुमटी के पास गीता का कटा हुआ सिर और रेलवे ट्रैक पर फ्लैक्स में लिपटे धारदार हथियार फेंक दिए.  फिर रात में ही धड़ और कमर के बीच से किए गए टुकड़ों को उन्होंने बोरे में भर कर कालोनी से दूर नाले में फेंक दिया. 20 अप्रैल को जक्कनपुर और परसा बाजार पुलिस ने सिर और धड़ बरामद कर लिए.

बहरहाल, रंजन चौधरी ने फूलप्रूफ योजना बनाई थी. हर चालाक कातिल की तरह उस से भी एक चूक यह हो गई थी कि उस ने धारदार हथियारों को फ्लैक्स में लपेट कर फेंका था. फ्लैक्स के ऊपर पता लिखा था. उस पते के आधार पर ही पुलिस टुकड़ों में बंटी गीता के कातिलों तक पहुंच गई और सनसनीखेज हत्या से परदा उठा दिया. इस मामले में अरमान मियां से भी पूछताछ की गई, लेकिन निर्दोष पाए जाने पर उसे छोड़ दिया गया.

कथा लिखे जाने तक गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों उमेशकांत, पूनम, राजेश जमानत पर जेल से बाहर आ गए थे. फरार चल रहा रंजन चौधरी गिरफ्तार कर लिया गया था. पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल कर दिया था. राजेश और रंजन अभी भी जेल में हैं. पति, बेटी और दामाद को अपने किए पर जरा भी अफसोस नहीं है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बेवफाई का बवंडर

बेवफाई की लाश

बेवफाई का बवंडर – भाग 3

लगभग साल भर बाद अबू फैजल काठमांडू से वापस घर आया तो पड़ोसियों ने शाहरुख और रुखसार की शिकायत उस से की तो उस का माथा ठनका. उस ने इस बारे में पत्नी से बात की.

उस ने सकुचाते हुए कहा, ‘‘रुखसार एक बात पूछूं?’’

‘‘एक नहीं, चार पूछो.’’ वह बोली.

‘‘मुझे तुम्हारे और किसी अजनबी के बारे में जो बातें सुनने को मिली हैं. क्या वह सच हैं?’’

‘‘क्या बात?’’

‘‘यही कि तुम्हारे किसी शख्स के साथ नाजायज संबंध हैं.’’

‘‘कहने वालों के मुंह में कीड़े पड़ें. मैं बताती हूं कि वह शख्स शाहरुख है. वह नौबस्ता में रहता है. बाजार में उस से मुलाकात हुई थी. शाहरुख हमारी मदद करता है, अपने रिजवान को प्यार करता है और बुरी नजर रखने वालों से हमें बचाता है, इसलिए लोग हम से जलते हैं और वे तुम्हारे कान भर रहे हैं.’’

अबू फैजल ने उस समय सहज ही अपनी बीवी पर भरोसा कर लिया, लेकिन उस के मन में शक का कीड़ा रह जरूर गया था. इस शक की वजह से उस ने दोबारा काठमांडू जाने का विचार त्याग दिया और जाजमऊ की उसी जूता फैक्ट्री में फिर से काम करने लगा, जिस में पहले करता था.

पति के नेपाल नहीं जाने पर रुखसार भी सतर्क हो गई और उस ने अपने प्रेमी शाहरुख को भी सतर्क कर दिया. अब दोनों सतर्कता के साथ मिलते.

लेकिन होशियारी के बावजूद एक रोज अबू फैजल ने अपने ही घर में शाहरुख और रुखसार को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया. उस रोज शाहरुख तो भाग गया, लेकिन रुखसार भाग कर कहां जाती. अबू फैजल ने उस की जम कर पिटाई की. रंगेहाथ पकड़े जाने के बावजूद रुखसार ने माफी नहीं मांगी, बल्कि उस ने घर में कलह करनी शुरू कर दी.

वह चीख चीख कर उस से बात कर रही थी. कलह से परेशान अबू फैजल ने रुखसार को समझाया और शाहरुख से संबंध तोड़ने की सलाह दी. उस समय तो रुखसार चुप हो गई. अबू फैजल ने सोचा कि पत्नी ने उस की बात मान ली है लेकिन उस ने बाद में प्रेमी से मिलना जारी रखा.

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अबू फैजल अपने स्तर से पत्नी को सही राह पर लाने में सफल नहीं हुआ तब उस ने सास को सारी बातें बता कर मदद मांगी. सास शमशाद बेगम ने भी हर तरह से रुखसार को समझाया, मगर जिस राह पर वह चल पड़ी थी उस से कदम पीछे खींचने को वह तैयार न थी.

रुखसार की हठधर्मी और मनमानी के चलते अबू फैजल से उस के मतभेद बढ़ते गए. फिर घर में झगड़े भी शुरू हो गए. रोजरोज के झगड़े से तंग आ कर एक दिन रुखसार ने शौहर का घर छोड़ दिया और मायके जा कर रहने लगी. यह 20 जनवरी, 2019 की बात है.

29 जनवरी, 2019 को अबू फैजल ससुराल पहुंचा तो उसे पता चला कि रुखसार अपने प्रेमी शाहरुख के साथ यहां से भाग गई है. अबू फैजल अपनी सास और साले के साथ रुखसार को खोजने लगा. वह उसे ढूंढते हुए गल्लामंडी स्थित शाहरुख के घर पहुंचे. रुखसार वहां मौजूद थी.

शमशाद बेगम बेटी को समझाबुझा कर घर ले आई. अबू फैजल गुस्से से लाल था. वह रुखसार पर हाथ उठाता, उस के पहले ही सास ने उसे रोक दिया. अबू फैजल पत्नी को अपने साथ घर ले जाना चाहता था, लेकिन रुखसार जाने को राजी नहीं हुई.

पहली फरवरी, 2019 की सुबह करीब 8 बजे अबू फैजल अपनी फैक्ट्री चला गया. उस रोज शमशाद बेगम की छोटी बेटी की तबीयत कुछ खराब थी. अत: दोपहर बाद वह बेटी को ले कर दवा लेने चली गई. उधर अबू फैजल फैक्ट्री गया जरूर लेकिन उस का मन काम में नहीं लगा और लंच के बाद वह घर की ओर निकल पड़ा.

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शाम लगभग 3 बजे अबू फैजल ससुराल पहुंचा. उस समय घर पर उस की बीवी रुखसार व बेटा रिजवान था. उस ने रिजवान को 10 रुपए दिए और घर के बाहर भेज कर दरवाजा भीतर से बंद कर दिया. रुखसार घर में सजीसंवरी बैठी थी. अबू फैजल को शक हुआ तो वह गुस्से से ताना कसते हुए बोला, ‘‘सजसंवर कर क्या अपने यार से मिलने जा रही हो?’’

‘‘हां,जा रही हूं. रोज जाऊंगी, तुम से देखते बने तो देखो, वरना आंखें फोड़ लो.’’ रुखसार भी गुस्से से बोली.

‘‘बदचलन, बदजात एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी.’’ कहते हुए अबू फैजल पत्नी को पीटने लगा.

इसी दौरान उस की नजर सामने रखे सिलबट्टे पर पड़ी. लपक कर उस ने सिल का पत्थर उठाया और रुखसार के सिर और चेहरे पर वार करने लगा. दर्द से रुखसार चीखने चिल्लाने लगी.

इसी समय शमशाद बेगम बेटी शबनम के साथ दवा ले कर वापस घर आ गई. उस ने घर का दरवाजा बंद पाया और अंदर से चीख सुनी तो उस ने दरवाजा पीटना शुरू कर दिया.

अबू फैजल ने दरवाजे पर दस्तक तो सुनी, लेकिन उस के हाथ थमे नहीं. उस के हाथ तभी थमे, जब रुखसार खून से लथपथ हो कर जमीन पर पसर गई और उस की सांसें थम गईं.

बीवी की हत्या करने के बाद अबू फैजल ने खून सना पत्थर शव के पास फेंका और दरवाजा खोला. सामने सास को देख कर वह बोला, ‘‘मैं ने तुम्हारी बेटी को मार डाला है. अब तुम चाहो तो मुझे भी मार डालो.’’

कहते हुए वह तेजी से भाग गया और थाने पहुंच गया. थाने पहुंच कर कार्यवाहक एसओ रविशंकर पांडेय को उस ने सारी बात बता दी.

हत्यारोपी अबू फैजल से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने 2 फरवरी, 2019 को उसे कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया. कथा संकलन तक उस की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी. मासूम रिजवान अपनी नानी शमशाद बेगम के संरक्षण में था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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दुराचारी पिता का हश्र

दिल्ली पुलिस के कंट्रोलरूम को 30 अप्रैल, 2014 को सूचना मिली कि केशोपुर डिपो (Keshopur Depot) के नजदीक गहरे नाले के किनारे बेडशीट में लिपटी हुई कोई चीज पड़ी है और उस बेडशीट पर खून के धब्बे भी लगे हैं. यह इलाका पश्चिमी दिल्ली के ख्याला (Khyala Police Station) थाने के अंतर्गत आता है, इसलिए पुलिस कंट्रोलरूम ने यह सूचना वायरलैस द्वारा ख्याला (Khyala) थाने को बता दी. सूचना में बताई गई जगह पर जब तक थाना पुलिस वहां पहुंची, तब तक वहां तमाम लोग इकट्ठे हो गए थे.

खून सनी बेडशीट देख कर पुलिस को भी शक हो रहा था. वहीं पर खून से सना तकिया भी पड़ा था. पुलिस ने जब वह बेडशीट खुलवाई तो उस में एक अधेड़ आदमी की लाश निकली.

50-55 साल के उस आदमी की गरदन और पैरों पर केबल का तार लपेटा हुआ था. उस का सीना चीरा हुआ था और उस के सिर, और शरीर के अन्य भाग पर कई जगह घाव थे. भीड़ में से कोई भी शख्स उस लाश की शिनाख्त नहीं कर सका तो पंचनामा करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए दीनदयाल अस्पताल भिजवा दी.

ख्याला थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या कर लाश छिपाने का मामला दर्ज कर लिया गया. इस केस को सुलझाने के लिए पश्चिमी जिले के डीसीपी रणवीर सिंह ने एसीपी इलिश सिंघल की देखरेख में एक पुलिस टीम बनाई.

टीम ने सब से पहले अज्ञात लाश मिलने की सूचना दिल्ली के सभी थानों को वायरलैस द्वारा दे दी और लाश की शिनाख्त के लिए जिले में सार्वजनिक स्थानों पर लाश के फोटो लगे पैंफ्लेट चिपकवाए.

पहली मई को पुलिस को खबर मिली कि थाना राजौरी गार्डन में एक आदमी आया है. वह पैंफ्लेट में छपे फोटो को देख कर कह रहा है कि वह उस का रिश्तेदार है. चूंकि हत्या का मामला थाना ख्याला में दर्ज था, इसलिए ख्याला पुलिस थाना राजौरी गार्डन पहुंच गई.

ख्याला पुलिस ने जब उस आदमी से पूछताछ की तो उस ने मरने वाले उस अधेड़ का नाम दलजीत सिंह (Daljeet Singh)  बताया और कहा कि वह उस का रिश्तेदार है व राजौरी गार्डन की शहीद भगत सिंह कालोनी में डीडीए फ्लैट्स में रहता है.

पुलिस जब डीडीए कालोनी में दलजीत सिंह के फ्लैट पर पहुंची तो वहां उस की बेटी परमजीत कौर मिली. पुलिस ने परमजीत से उस के पिता दलजीत के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह एक ट्रैवल एजेंसी में ड्राइवर हैं और 30 अप्रैल की सुबह कार ले कर घर से निकले हैं. अभी तक वह घर नहीं लौटे हैं.

पुलिस ने बताया कि उन की तो हत्या हो चुकी है. इतना सुनते ही परमजीत रोने लगी. तसल्ली दे कर पुलिस ने उसे चुप कराया. अस्पताल ले जा कर जब उसे लाश दिखाई तो उस ने उस की शिनाख्त अपने पिता के रूप में की.

लाश की शिनाख्त होने के बाद पुलिस का अगला काम हत्यारों तक पहुंचना था. वह जिस ट्रैवल एजेंसी में नौकरी करता था, पुलिस ने उस एजेंसी के मालिक ललित कुमार से बात की. ललित ने बताया कि 30 अप्रैल को दलजीत सिंह ड्यूटी पर आया ही नहीं था.

इस बीच पुलिस ने दलजीत की फैमिली बैकग्राउंड के बारे में पता लगा लिया था. जिस में जानकारी मिली कि परमजीत कौर की कई युवकों से दोस्ती थी. यह दोस्ती उस के पिता को पसंद नहीं थी. इस से पुलिस को परमजीत पर ही शक होने लगा. पिता ड्यूटी पर गए थे, जबकि वह ड्यूटी पर पहुंचे ही नहीं थे. इसलिए पुलिस ने परमजीत से एक बार फिर पूछताछ की.

इस बार सख्ती से की गई पूछताछ में परमजीत ने पुलिस के सामने सच्चाई उगल दी. उस ने पुलिस को बताया कि वह बाप नहीं, दुराचारी था जो अपनी ही बेटी पर गलत नजर रखता था. हालात ऐसे बन गए, जिस की वजह से उसे मारना पड़ा. फिर उस ने अपने ही पिता के कत्ल की जो कहानी बताई, वह पारिवारिक रिश्ते को तारतार करने वाली निकली.

दलजीत सिंह पश्चिमी दिल्ली स्थित राजौरी गार्डन की शहीद भगत सिंह कालोनी में परिवार के साथ रहता था. परिवार में पत्नी के अलावा उस की 3 बेटियां थीं. 2 बेटियों की वह शादी कर चुका था. शादी के लिए अब 23 साल की परमजीत कौर ही बची थी. करीब 3 साल पहले दलजीत की पत्नी की मौत हो गई. इस के बाद घर में केवल 2 लोग ही रह गए थे.

परमजीत ने पुलिस को बताया कि मां के मरने के बाद उस का पिता उस के साथ गलत हरकतें करने लगा. विरोध करने पर वह उसे धमका देता. जिस से वह डर गई. इस के बाद तो उस की हिम्मत बढ़ गई और वह उस का शारीरिक शोषण करने लगा.

पिछले 3 सालों से परमजीत कौर पिता के शारीरिक शोषण का शिकार होती रही. पड़ोस में ही रहने वाले पिं्रस संधु और अशोक शर्मा नाम के युवकों से परमजीत की दोस्ती थी. एक दिन उस ने अपने दिल का दर्द दोस्तों के सामने बयां कर दिया और इस जिल्लतभरी जिंदगी से छुटकारा दिलाने का अनुरोध किया.

एक बाप अपनी सगी बेटी के साथ इस तरह की हरकतें कर सकता है, यह उन्होंने पहली बार सुना था. परमजीत से इस बारे में सलाह मशविरा करने के बाद उन्होंने ऐसे दुराचारी बाप को सबक सिखाने की योजना बना ली.

29 अप्रैल, 2014 को दलजीत सिंह घर लौटा और खाना खा कर सो गया. तभी परमजीत ने अपने दोस्त प्रिंस संधु और अशोक शर्मा को बुला लिया. फिर तीनों ने गहरी नींद में सोए दलजीत पर विकेट से हमला किया. जब उस ने चीखने की कोशिश की तो परमजीत ने उस का मुंह दबोच लिया. उस के सिर से काफी खून निकल चुका था, इसलिए थोड़ी देर में ही उस की मौत हो गई.

कहीं वह जिंदा न रह जाए, इसलिए उन लोगों ने शीशे के तेज धार वाले टुकड़े से उस का सीना चीर कर पेसमेकर निकाल लिया. फिर उस के पैर और उस की गरदन केबल के तार से बांध दी. लाश एक बेडशीट में लपेट दी.  डैडबाडी ठिकाने लगाने के लिए वह उसे इनोवा कार में डाल कर केशोपुर डिपो के पास ले गए. एक तकिए पर भी खून लग गया था, उन्होंने वह तकिया भी कार में रख लिया.

केशोपुर डिपो के पास एक गहरा नाला है. उन्होंने सोचा कि लाश गहरे पानी में फेंक देंगे तो वह बह कर कहीं दूर चली जाएगी. यही सोच कर उन्होंने कार से लाश निकाल कर फेंकी तो वह नाले के पानी में गिरने के बजाय किनारे पर ही गिर गई. फिर उन्होंने खून से सना तकिया भी जल्दी से वहीं फेंक दिया.

लाश ठिकाने लगा कर उन्होंने कार उत्तम नगर के मोहन गार्डन इलाके में एक जगह खड़ी कर दी और अपनेअपने घर चले गए.

परमजीत से पूछताछ के बाद पुलिस ने प्रिंस संधु और अशोक शर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया. तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित परमजीत कौर परिवर्तित नाम है