दोस्त बना जीजा, खतरनाक नतीजा

सुबह का उजाला अभी फैलना शुरू हुआ था कि ‘बचाओ बचाओ’ की मर्मभेदी चीख ने वहां मौजूद लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था. चीखने वाले पर तेजधार हथियार से एक युवक ने हमला किया था, जिस से गंभीर रूप से घायल हो कर वह चीखा था. चीखने के साथ ही वह सड़क पर गिर पड़ा था और गिरते ही बेहोश हो गया था.

उस युवक के गिरते ही उस पर हमला करने वाला युवक लंबे फल का खून सना चाकू हाथ में लिए भागा था. सुबह का समय होने की वजह से वहां बहुत कम लोग थे, लेकिन जो भी थे, वे उस का पीछा करने या पकड़ने की हिम्मत नहीं कर सके थे.

पर उन लोगों ने इतना जरूर किया कि हमलावर के भागने के बाद सड़क पर घायल पड़े युवक को पंचकूला के सैक्टर-6 स्थित जनरल अस्पताल पहुंचा दिया था. उसे देखते ही डाक्टरों ने मृत घोषित करने के साथ इस की सूचना पुलिस को दे दी थी.

सूचना मिलते ही थाना मौलीजागरां के एएसआई गुरमीत सिंह सुबह 7 बजे के करीब अस्पताल पहुंच गए थे. घटना की जानकारी ले कर उन्होंने थानाप्रभारी इंसपेक्टर बलदेव कुमार को सूचित किया तो सिपाही अमित कुमार के साथ वह भी अस्पताल पहुंच गए थे.

जरूरी काररवाई कर के बलदेव कुमार ने उन लोगों से बात की, जो मृतक को अस्पताल ले कर आए थे. वे 2 लोग थे, जिन में एक 19 साल का मोहम्मद चांद था और दूसरा था ड्राइवर अशोक कुमार. पूछताछ में चांद ने बताया था कि वह पंचकूला के सैक्टर-16 की इंदिरा कालोनी के मकान नंबर 1821 में रहता था और सैक्टर-17 की राजीव कालोनी स्थित शरीफ हलाल मीट शौप पर नौकरी करता था.

सुबह जल्दी जा कर चांद ही दुकान खोलता था. मृतक को ही नहीं, उस पर हमला करने वाले को भी वह अच्छी तरह से पहचानता था. वह सुबह 5 बजे दुकान पर पहुंचा तो मुर्गा सप्लाई करने वाली गाड़ी आ गई. गाड़ी के ड्राइवर अशोक कुमार ने मोहम्मद चांद को आवाज दे कर गाड़ी से मुर्गे उतारने को कहा.

मोहम्मद चांद गाड़ी के पीछे पहुंचा तो गाड़ी में बैठा ड्राइवर का सहायक इरफान उतर कर उस के पास आ गया. जैसे ही वह जाली वाला दरवाजा खोल कर मुर्गे निकालने के लिए आगे बढ़ा, शाहबाज हाथ में चाकू लिए वहां आया और इरफान के सिर पर उसी चाकू से वार कर दिया.

वार होते ही इरफान पीछे की ओर घूमा तो शाहबाज ने कहा, ‘तुम ने मेरी भोलीभाली बहन को अपनी मीठीमीठी बातों में फंसा कर मेरी मरजी के खिलाफ उस से शादी की है न? तो आज मैं तुझे उसी का सबक सिखा रहा हूं. आज मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’

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इस के बाद शाहबाज ने इरफान की छाती, आंख के नीचे और कमर तथा पेट पर लगातार कई वार किए. इरफान ‘बचाओ…बचाओ’ की गुहार लगाते हुए नीचे गिर गया. शाहबाज का गुस्सा और उस के हाथ में चाकू देख कर कोई भी उस के पास जाने की हिम्मत नहीं कर सका.

लेकिन जैसे ही शाहबाज चला गया, मोहम्मद चांद और अशोक कुमार ने किसी तरह इरफान को अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने उसे देखते ही मरा हुआ बताया. ऐसा ही कुछ अशोक कुमार ने भी बताया था, लेकिन उस का कहना था कि वह आगे था. शोर सुन कर पीछे आया. तब तक शाहबाज अपना काम कर के जा चुका था.

इंसपेक्टर बलदेव कुमार ने हत्याकांड के चश्मदीद मोहम्मद चांद के बयान के आधार पर शाहबाज के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की अनुशंसा कर के तहरीर थाना भेज दी, जहां एफआईआर नंबर 101 पर भादंवि की धारा 302 के तहत यह केस दर्ज कर लिया गया. यह घटना 4 जून, 2016 की है.

उसी दिन पुलिस की एक टीम शाहबाज की तलाश में जुट गई. उस के बारे में पता करने के लिए विश्वस्त मुखबिर भी सक्रिय कर दिए गए थे. मुखबिर की ही सूचना पर शाहबाज को उसी दिन रात में गांव मक्खनमाजरा से गिरफ्तार कर लिया गया.

अदालत से कस्टडी रिमांड ले कर सब से पहले शाहबाज से उस चाकू के बारे में पूछा गया, जिस से उस ने इरफान का कत्ल किया था. 6 जून को उस की निशानदेही पर वह चाकू मौलीजागरां की एक कब्रगाह से बरामद कर लिया गया. उस ने वहां चाकू को पत्थरों के नीचे दबा कर रखा था. लेकिन उस पर लगा खून उस ने साफ कर दिया था.

इस के बाद शाहबाज से इरफान की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर के रहने वाले शाहबाज और इरफान एक ही गांव के रहने वाले थे, इसलिए वे एक साथ खेलकूद कर बड़े हुए थे. कुछ दिनों पहले कामधंधे की तलाश में दोनों चंडीगढ़ आ गए. इरफान जहां अपने बड़े भाई के साथ आया था, वहीं शाहबाज अपने पूरे परिवार के साथ आया था. उस के परिवार में अब्बूअम्मी के अलावा एक छोटी बहन साहिबा थी.

चंडीगढ़ में दोनों पंचकूला की सीमा पर बसे गांव मौलीजागरां में थोड़ी दूरी पर अलगअलग किराए के मकान ले कर रहने लगे थे. मौलीजागरां जहां चंडीगढ़ में पड़ता है, वहीं मुख्य सड़क के उस पार की दुकानें हरियाणा के जिला पंचकूला के सैक्टर-17 की राजीव कालोनी के अंतर्गत आती हैं. उन्हीं में से एक दुकान पर शाहबाज जहां मुर्गे काटने का काम करने लगा था, वहीं इरफान को मुर्गे सप्लाई करने वाली गाड़ी पर सहायक की नौकरी मिल गई थी.

अपने हिसाब से दोनों का काम ठीकठाक चल रहा था. शाहबाज के अब्बू को भी नौकरी मिल गई थी. इरफान और शाहबाज हमउम्र थे. दोनों इतने गहरे दोस्त थे कि उन में सगे भाइयों जैसा प्यार था. एक दिन भी दोनों एकदूसरे से मिले बिना नहीं रह पाते थे. एकदूसरे के यहां आनाजाना, खाना खा लेना या फिर कभीकभार सो जाना आम बात थी.

साहिबा भी दोनों के साथ बचपन से खेलतीकूदती आई थी. मगर अब वह जवान हो चुकी थी. घर वाले उस के निकाह के बारे में सोचने लगे थे. देखनेदिखाने की बात चली तो साहिबा ने हिम्मत कर के शरमाते हुए घर वालों से कहा कि वह इरफान से प्यार करती है और उसी से निकाह करना चाहती है.

साहिबा की इस बात से शाहबाज के घर में तूफान सा आ गया. घर का कोई भी आदमी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं था. शाहबाज ने साफ कहा, ‘‘इस से बड़ी जिल्लत मेरे लिए और क्या होगी कि लोग यह कह कर मेरा मजाक उड़ाएंगे कि अपनी बहन का निकाह करने के लिए ही मैं ने इरफान से दोस्ती की थी. क्या निकाह के लिए सिर्फ वही रह गया है? दुनिया में और कोई लड़का नहीं है? मैं यह निकाह किसी भी कीमत पर नहीं होने दूंगा.’’

शाहबाज ने साहिबा को तो लताड़ा ही, इरफान से भी झगड़ा किया. इरफान ने उसे समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि जो भी होगा, घर वालों की रजामंदी से होगा. लेकिन शाहबाज ने साफ कह दिया कि वह साहिबा को भूल जाए और किसी अन्य लड़की से निकाह कर ले, वरना उस के लिए ठीक नहीं होगा.

शाहबाज की इस धमकी का नतीजा यह हुआ कि कुछ दिनों बाद इरफान साहिबा को भगा ले गया और एक धार्मिक स्थल पर दोनों ने निकाह कर लिया. वह वापस आया तो साहिबा को शरीकेहयात बना कर आया. शाहबाज को इस मामले में सारी गलती इरफान की नजर आ रही थी. उस ने अपने दिलोदिमाग में बैठा लिया कि इरफान ने साहिबा के भोलेपन का फायदा उठा कर उसे अपनी बातों में फंसा लिया है.

शाहबाज इरफान से पहले से ही नाराज था, जलती पर घी का काम किया उस ने साहिबा को भगा कर. उस के अब्बू ने इस से बहुत ज्यादा शर्मिंदगी महसूस की. इसी की वजह उन्होंने 2 दिनों बाद ही मौलीजागरां का अपना निवास छोड़ दिया था और वहां से 20 किलोमीटर दूर जा कर कस्बा डेराबस्सी में किराए का मकान ले कर रहने लगे थे. उन्होंने उधर जाना ही छोड़ दिया था. शाहबाज को नौकरी की वजह से उधर जाना पड़ता था.

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जिस मीट की दुकान पर शाहबाज काम करता था, इरफान रोजाना उधर मुर्गे की सप्लाई करने आता था. लेकिन निकाह के बाद वह उधर दिखाई नहीं दिया था. पता चला कि निकाह के दिन से ही उस ने छुट्टी ले रखी है.

4 जून, 2016 की बात है. साहिबा से इरफान को निकाह किए 5 दिन हो गए थे. सुबह के 5 बजे शाहबाज दुकान पर पहुंच कर मुर्गा काटने वाला चाकू तेज कर रहा था. तभी मुर्गेवाली गाड़ी आ कर उस की दुकान से थोड़ी दूरी पर सड़क के किनारे रुकी. इरफान उतर कर गाड़ी के पीछे की ओर आया.

शाहबाज ने उसे आते देखा तो उसे देख कर उस की आंखों में खून उतर आया. उस के पास सोचनेविचारने का वक्त नहीं था. वह मीट काटने वाला चाकू ले कर तेजी से भागता हुआ इरफान के पास पहुंचा और जरा सी देर में उसे मौत के घाट उतार कर भाग गया.

पहले तो उस ने कब्रिस्तान के पास एक जगह चाकू को साफ कर के पत्थरों के नीचे छिपा दिया. उस के बाद बचने के लिए इधरउधर छिपता रहा. लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया. उस ने कहा कि इरफान ने काम ही ऐसा किया था, जिस से उसे मारने का कोई अफसोस नहीं है. इरफान ने जो किया था, उस की उसे यही सजा मिलनी चाहिए थी.

पूछताछ के बाद पुलिस ने शाहबाज को फिर से अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में बुड़ैल जेल भेज दिया गया.

बलदेव कुमार ने उस के खिलाफ आरोपपत्र तैयार कर समय से निचली अदालत में दाखिल कर दिया, जहां से सैशन कमिट हो कर 13 सितंबर, 2016 से मामले की सुनवाई चंडीगढ़ के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अतुल कसाना की अदालत में शुरू हुई.

6 अक्तूबर को अदालत ने शाहबाज के खिलाफ धारा 302 का चार्ज फ्रेम कर दिया. उस ने अदालत में खुद को बेकसूर बताते हुए दरख्वास्त की थी कि पुलिस ने एक झूठी कहानी गढ़ कर इस केस में उसे बिना मतलब फंसा दिया है. वह अपने उन बयानों से भी मुकर गया, जो उस ने कस्टडी रिमांड के दौरान पुलिस को दिए थे.

मामले की विधिवत सुनवाई शुरू होते ही अभियोजन पक्ष ने डा. अमनदीप सिंह, डा. गौरव, मोहम्मद चांद, इंतजाम अली, अशोक कुमार, इंसपेक्टर बलदेव कुमार, फोटोग्राफर फूला सिंह, हवलदार सतनाम सिंह, रमेशचंद, धर्मपाल एवं यशपाल के अलावा सीनियर कांस्टेबल कृष्णकुमार, एसआई गुरमीत सिंह, एसआई गुरनाम सिंह और डा. मनदीप सिंह के रूप में 15 गवाह अदालत में पेश किए.

इस के बाद अतिरिक्त पब्लिक प्रौसीक्यूटर ने अभियोजन पक्ष की गवाहियों के पूरी होने के बाद सीआरपीसी की धारा 293 के तहत फोरैंसिक साइंस लैबोरेटरी की रिपोर्ट के अलावा विसरा रिपोर्ट भी पेश की.

अभियोजन पक्ष की काररवाई पूरी होने के बाद 20 जनवरी, 2017 को कोड औफ क्रिमिनल प्रोसीजर की धारा 313 के तहत अभियुक्त शाहबाज का स्टेटमैंट रिकौर्ड किया गया. अभियुक्त ने उक्त सभी गवाहों को झूठ करार देते हुए यही कहा कि वह बेकसूर है. उसे झूठा फंसाया गया है.

बचाव पक्ष की ओर से साहिबा को पेश किया गया. कोड औफ क्रिमिनल प्रोसीजर की धारा 315 के अधीन दर्ज अपने बयान में साहिबा ने अदालत को बताया कि उस ने इरफान से प्रेम विवाह किया था, जिस का परिवार वालों ने पहले तो विरोध किया, लेकिन बाद में मान गए थे.

इरफान ने उसे बताया था कि उस की कुछ गलत लोगों से ऐसी दुश्मनी हो गई है कि वे मौका मिलने पर उस की जान ले सकते हैं. ऐसे में हो सकता है, इरफान को उन्हीं लोगों ने मारा हो, न कि शाहबाज ने.

बचाव पक्ष की ओर से अशोक कुमार को अविश्वसनीय करार देते हुए अदालत ने उसे मुकरा गवाह घोषित करने की गुहार लगाई गई, जो अदालत ने मान भी ली. यह भी दलील दी गई कि पुलिस द्वारा बरामद चाकू पर डाक्टर की रिपोर्ट के मुताबिक मानवीय खून नहीं लगा था.

31 जनवरी, 2017 को विद्वान जज अतुल कसाना ने इस मामले का फैसला सुनाते हुए खुली अदालत में कहा कि उन्होंने दोनों पक्षों को ध्यानपूर्वक सुनने के अलावा सभी साक्ष्यों को गौर से जांचापरखा है, जिन से यह केस शीशे की तरह साफ है. अशोक कुमार को भले मुकरा गवाह करार दिया गया है, लेकिन उस की गवाही को नकारा नहीं जा सकता.

वह भी एक तरह से इस केस का चश्मदीद गवाह था. भले ही उस की गवाही में बाद में कुछ विपरीत बातें सामने आईं, जिस वजह से उसे मुकरा गवाह घोषित किया गया. लेकिन उस की शुरू की गवाही अभियोजन पक्ष को पूरी तरह मजबूती देने में सहायक सिद्ध हुई है.

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चाकू पर मानवीय खून का अंश होने की बात रिपोर्ट में पहले ही आ चुकी है. हालांकि अभियुक्त ने उसे फेंकने से पहले साफ कर दिया था. साहिबा को बचाव पक्ष ने गवाह के रूप में पेश कर के केस की दिशा बदलने का प्रयास किया. लेकिन उस की प्रेम विवाह वाली बात मान लेने से ही प्रौसीक्यूशन की कहानी को बल मिल जाता है.

लिहाजा यह अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध करने में कामयाब रहा है और अभियुक्त शाहबाज खान मृतक मोहम्मद इरफान का कत्ल करने का दोषी पाया गया है. अभी वह जेल में है. सजा की बाबत सुनने के लिए उसे अगले दिन अदालत में पेश किया जाए.

अगले दिन शाहबाज को ला कर अदालत में पेश किया गया तो माननीय एडीजे अतुल कसाना ने उसे उम्रकैद के अलावा 10 हजार रुपए जुरमाने की सजा सुनाई.

– कथा अदालत के फैसले पर आधारित 

बदले का प्यार : क्या रीता को मिल पाया अपना प्यार

2 हत्याओं की बात थी, इसलिए सूचना मिलते ही एसपी (ग्रामीण) जयप्रकाश सिंह, सीओ अजय कुमार और थानाप्रभारी प्रयाग नारायण वाजपेयी गांव अज्योरी पहुंच गए थे. यह गांव उत्तर प्रदेश के महानगर कानपुर के थाना सजेती के अंतर्गत आता है. दोनों हत्याएं इसी गांव के श्रीपाल के घर हुई थीं. यह 19 अगस्त, 2017 की बात है.

पुलिस अधिकारी श्रीपाल के घर के अंदर  घुसे तो वहां की हालत देख कर दहल उठे. आंगन  में 2 लाशें खून से सनी अगलबगल पड़ी थीं. एक लाश युवक की थी तो दूसरी युवती की. युवक की उम्र 25 साल के आसपास थी, जबकि युवती की 20 साल के आसपास थी. दोनों लाशों के बीच 315 बोर का एक तमंचा और कारतूस के 2 खोखे भी पड़े थे.

पुलिस अधिकारी यह देख कर सोच में पड़ गए कि युवती की लाश पर तो घर वाले बिलख रहे थे, जबकि युवक की लाश पर वहां कोई रोने वाला नहीं था. एसपी जयप्रकाश सिंह ने श्रीपाल से इस बारे में पूछा तो उस ने कहा, ‘‘साहब, युवती मेरी बेटी रीता है और युवक मेरे दामाद बबलू का छोटा भाई पीयूष उर्फ छोटू. इसी ने गोली मार कर पहले रीता की हत्या की होगी, उस के बाद खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली है. जब इस ने यह सब किया, तब घर में कोई नहीं था.’’

‘‘इस ने ऐसा क्यों किया?’’ जयप्रकाश सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, पीयूष रीता से एकतरफा प्यार करता था और शादी के लिए परेशान कर रहा था. जबकि रीता उस से शादी नहीं करना चाहती थी. आज भी इस ने शादी के लिए ही कहा होगा, रीता ने मना किया होगा तो उस ने उसे मार डाला.’’ श्रीपाल ने कहा.

‘‘तुम ने पीयूष के घर वालों को इस घटना की सूचना दे दी है?’’

‘‘जी साहब, मैं ने फोन कर के इस के पिता और भाई को बता दिया है. लेकिन उन्होंने आने से साफ मना कर दिया है.’’ श्रीपाल ने कहा.

‘‘क्यों?’’ जयप्रकाश सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, इस की हरकतों से पूरा परिवार परेशान था. यह घर वालों से रीता से शादी कराने के लिए कहता था, शराब पी कर झगड़ा करता था, इसलिए घर वाले इस से त्रस्त थे. यही वजह है कि इस की मौत की खबर पा कर भी कोई आने को तैयार नहीं है.’’

इस के बाद सीओ अजय कुमार ने पीयूष के पिता विश्वंभर को फोन किया तो उस ने कहा, ‘‘साहब, मिट्टी का तेल डाल कर आप उस की लाश को जला दीजिए. उस ने जो किया है, उस से मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहा. अब मैं उस का मुंह नहीं देखना  चाहता.’’

इस के बाद अजय कुमार ने उस के बडे़ भाई बबलू को फोन किया तो उस ने भी यह कह कर आने से मना कर दिया कि उस की हरकतों से परेशान हो कर उस ने तो पहले ही उस से संबंध खत्म कर लिए थे. अब तक फोरेंसिक टीम आ चुकी थी. उस ने अपना काम कर लिया तो थानाप्रभारी प्रयाग नारायण वाजपेयी ने दोनों लाशों का पंचनामा तैयार कर उन्हें पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया.

इस के बाद रीता के घर वालों से विस्तार से पूछताछ की गई. इस पूछताछ में हत्या की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

कानपुर के कस्बा सजेती से 3 किलोमीटर की दूरी पर सड़क किनारे बसा है गांव अज्योरी. इसी गांव में श्रीपाल अपनी पत्नी, 2 बेटियों गुड्डी, रीता और 2 बेटों रविंद्र एवं अरविंद के साथ रहता था. उस के पास खेती की जो जमीन थी, उसी की पैदावार से वह अपना गुजरबसर करता था.

श्रीपाल की बड़ी बेटी गुड्डी ने दसवीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी तो उन्होंने कानपुर के थाना नौबस्ता के मोहल्ला मछरिया के रहने वाले विश्वंभर के बेटे बबलू से उस का विवाह कर दिया. विश्वंभर का अपना मकान था. भूतल पर किराने की दुकान थी, जिसे वह संभालते थे. बबलू नौकरी करता था, जबकि उस से छोटा पीयूष ड्राइवर था.

पीयूष ट्रक चलाता था. उसे जो भी वेतन मिलता था, वह खुद पर ही खर्च करता था. घर वालों को एक पैसा नहीं देता था. हां, अगर गुड्डी कुछ कह देती तो वह उस की फरमाइश पूरी करता था. देवरभाभी में पटती भी खूब थी. दोनों के बीच हंसीमजाक भी खूब होती थी. लेकिन इस हंसीमजाक में दोनों मर्यादाओं का खयाल जरूर रखते थे.

गुड्डी की छोटी बहन रीता बेहद खूबसूरत थी. उस की इस खूबसूरती में चारचांद लगाता था उस का स्वभाव. वह अत्यंत सौम्य और मृदुभाषी थी. जवानी की दहलीज पर उस ने कदम रखा तो उस की खूबसूरती और बढ़ गई. देखने वालों की निगाहें जब उस पर पड़तीं, ठहर कर रह जातीं. रीता तनमन से जितनी खूबसूरत थी, उतना ही पढ़ने में भी तेज थी. इस समय वह बीए फाइनल ईयर में पढ़ रही थी. अपने स्वभाव और पढ़ाई की वजह से रीता मांबाप की ही नहीं, भाइयों की भी आंखों का तारा थी.

पीयूष जब कभी भाई की ससुराल जाता, उस की नजरें रीता पर ही जमी रहतीं. मौका मिलने पर वह उस से हंसीमजाक और छेड़छाड़ भी कर लेता था. जीजासाली का रिश्ता होने की वजह से रीता ज्यादा विरोध भी नहीं करती थी. शरमा कर आंखें झुका लेती थी. इस से पीयूष को लगता था कि रीता उस में दिलचस्पी ले रही है.

इसी साल जून महीने की एक तपती दोपहर को पीयूष ट्रक ले कर हमीरपुर जा रहा था. घाटमपुर कस्बा पार करते ही उस का ट्रक खराब हो गया. उस ने ट्रक खलासी के हवाले किया और खुद आराम करने की गरज से भाई की ससुराल पहुंच गया. संयोग से उस समय रीता घर में अकेली थी. छोटे जीजा को देख कर रीता ने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘आप चाय पिएंगे या शरबत?’’

‘‘चिलचिलाती धूप से आ रहा हूं. अभी कुछ भी पीने से तबीयत खराब हो सकती है.’’ अंगौछे से पसीना पोंछते हुए पीयूष ने कहा.

‘‘जीजाजी, आप आराम कीजिए मैं टीवी देख रही हूं. आप को जब भी कुछ पीना हो, बता दीजिएगा.’’ रीता ने कहा.

‘‘टीवी पर देहसुख वाली फिल्म देख रही हो क्या?’’ पीयूष ने हंसी की.

शरमाते हुए रीता ने कहा, ‘‘जीजाजी, आप इस तरह की फालतू बातें मत किया कीजिए.’’

‘‘रीता यह फालतू की बात नहीं, इसी में जिंदगी का सच है.’’

‘‘कुछ भी हो, मुझे इस तरह की बातों में कोई रुचि नहीं है.’’ कहते हुए रीता कमरे से चली गई.

थोड़ी देर आराम करने के बाद पीयूष ने पानी मांगा तो रीता गिलास में ठंडा पानी ले आई. उसे देख कर पीयूष ने कहा, ‘‘रीता, तुम सचमुच बहुत सुंदर हो. तुम्हें देख कर किसी का भी मन डोल सकता है. मेरा भी जी चाहता है कि तुम्हें अपनी बांहों में भर लूं.’’

रीता ने अदा से मुसकराते हुए कहा, ‘‘अभी धीरज रखो जीजाजी और आराम से पानी पियो. मुझे बांहों में भरने का सपना रात में देखना.’’

इस के बाद दोनों खिलखिला कर हंस पड़े. पीयूष मन ही मन सोचने लगा कि रीता उस की किसी भी बात का बुरा नहीं मानती है. इस का मतलब उस के दिल में भी वही सब है, जो वह उस के बारे में सोचता है. जिस तरह वह रीता को चाहता है, उसी तरह रीता भी मन ही मन उसे चाहती है.

रीता के प्यार में आकंठ डूबा पीयूष उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाने का ख्वाब देखने लगा. अब वह रीता के घर कुछ ज्यादा ही आनेजाने लगा. उसे रिझाने के लिए जब भी वह आता, कोई न कोई उपहार ले कर आता. थोड़ी नानुकुर के बाद रीता उस का लाया उपहार ले भी लेती. जबकि रीता जानती थी कि इन उपहारों को लाने के पीछे पीयूष का कोई न कोई स्वार्थ जरूर है.

दिन बीतने के साथ रीता को पाने की चाहत पीयूष के मन में बढ़ती ही जा रही थी. लेकिन रीता न तो उस के प्यार को स्वीकार रही थी और न ही मना कर रही थी. रीता के कुछ न कहने से पीयूष की समझ में नहीं आ रहा था कि रीता उस से प्यार करती भी है या नहीं?

इस बात को पता करने के लिए एक दिन पीयूष रीता के यहां आया और उस की खूबसूरती का बखान करते हुए उस का हाथ पकड़ कर बोला, ‘‘रीता, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं और अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकता.’’

‘‘यह क्या कह रहे हैं जीजाजी आप?’’ रीता ने अपना हाथ छुड़ा कर कहा, ‘‘आप भले ही मुझ से प्यार करते हैं, लेकिन मैं आप से प्यार नहीं करती. आप से हंसबोल लेती हूं तो इस का मतलब यह नहीं कि मैं आप से प्यार करती हूं.’’

‘‘मजाक मत करो रीता,’’ पीयूष ने कहा, ‘‘रीता, तुम मेरी साली हो और साली तो वैसे भी आधी घरवाली होती है. लेकिन मैं तुम्हें पूरी तरह अपनी घरवाली बनाना चाहता हूं. इसलिए तुम मना मत करो.’’

‘‘हरगिज नहीं,’’ रीता गुस्से में बोली, ‘‘न तो मैं तुम से प्यार करती हूं और न तुम मेरी पसंद हो. मैं बीए कर रही हूं, जबकि तुम कक्षा 8 भी पास नहीं हो. मैं किसी पढ़ेलिखे लड़के से शादी करूंगी, किसी ड्राइवर से नहीं, इसलिए आप मुझे भूल जाओ.’’

रीता के इस तरह साफ मना कर देने से पीयूष का दिल टूट गया. लेकिन वह एकतरफा प्यार  में इस तरह पागल था कि उसे लगता था कि एक न एक दिन रीता मान जाएगी. इसलिए उस ने रीता के यहां आनाजाना बंद नहीं किया. यह बात अलग थी कि अब रीता उस से ज्यादा बात नहीं करती थी.

रीता ने पीयूष के एकतरफा प्यार की बात घर वालों को बताई तो सब परेशान हो उठे. यह एक गंभीर समस्या थी, इसलिए यह बात गुड्डी और उस के पति बबलू को भी बता दी गई. दोनों ने पीयूष को समझाया कि वह रीता को भूल जाए. इस पर पीयूष ने साफ कह दिया कि वह शादी करेगा तो सिर्फ रीता से करेगा, वरना जहर खा कर जान दे देगा.

पीयूष शराब भी पीता था. रीता ने उस के प्यार को ठुकराया तो वह कुछ ज्यादा ही शराब पीने लगा. वह जबतब शराब पी कर रीता से मिलने उस के घर पहुंच जाता और रीता पर शादी के लिए दबाव बनाता. रीता उसे खरीखोटी सुना कर शादी से मना कर देती थी.

पीयूष रीता के घर वालों पर भी शादी के लिए दबाव डाल रहा था. वह धमकी भी देता था कि अगर रीता से उस की शादी नहीं हुई तो अच्छा नहीं होगा. आखिर निराश हो कर पीयूष ने रीता के घर जाना बंद कर दिया. लेकिन वह उसे फोन जरूर करता था. रीता कभी फोन रिसीव कर लेती तो कभी काट देती. पीयूष दिनरात फोन करने लगा तो परेशान हो कर रीता ने अपना फोन नंबर ही बदल दिया.

रीता के यहां से इनकार होने पर पीयूष ने भाई और पिता से कहा कि वे रीता के पिता से बात कर के उस की शादी रीता से करा दें. अगर वे शादी के लिए तैयार नहीं होते तो गुड्डी को घर से निकाल दें. इस पर बात करने की कौन कहे, पिता और भाई ने पीयूष को ही डांटा.

पिता और भाई के मना करने से नाराज हो कर पीयूष ने काफी मात्रा में नींद की गोलियां खा लीं. उस की हालत बिगड़ने लगी तो उसे हैलट अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे बचा लिया. इस के बाद बबलू गुड्डी को ले कर परिवार से अलग हो गया और किराए का कमरा ले कर रहने लगा. विश्वंभर ने भी पीयूष से परेशान हो कर उस से बातचीत बंद कर दी.

पीयूष रीता के प्यार में इस तरह पागल था कि उसे जबरदस्ती हासिल करने के बारे में सोचने लगा. उस का एक साथी ड्राइवर अपराधी प्रवृत्ति का था. कई बार वह जेल भी जा चुका था. उसी की मदद से पीयूष ने 315 बोर का एक तमंचा और 4 कारतूस खरीदे. उस ने उसी से तमंचा चलाना भी सीखा.

पीयूष 19 अगस्त, 2017 की दोपहर घर पहुंचा और पिता से जबरदस्ती मोटरसाइकिल की चाबी ले कर मोटरसाइकिल निकाली और रीता के घर पहुंच गया. संयोग से उस समय घर में रीता अकेली थी. पीयूष ने रीता को आंगन में बुला कर उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘रीता, मैं तुम से आखिरी बार पूछ रहा हूं कि तुम मुझ से शादी करोगी या नहीं?’’

अपना हाथ छुड़ाते हुए रीता गुस्से में बोली, ‘‘मैं ने कितनी बार कहा कि मैं तुम से शादी नहीं कर सकती. आखिर यह बात तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आती?’’

‘‘एक बार और सोच लो रीता. तुम्हारा मना करना कहीं तुम्हें भारी न पड़ जाए?’’

‘‘मैं ने एक बार नहीं, हजार बार सोच लिया है कि मैं तुम से शादी नहीं करूंगी.’’

‘‘तो फिर यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ पीयूष ने पूछा.

‘‘हां, यह मेरा आखिरी फैसला है.’’ रीता ने कहा.

‘‘तो फिर मेरा भी फैसला सुन लो. अगर तुम मेरी दुलहन नहीं बनोगी तो मैं तुम्हें किसी और की भी दुलहन नहीं बनने दूंगा.’’ कह कर पीयूष ने कमर में खोंसा तमंचा निकाला और रीता के सीने पर फायर कर दिया. गोली लगते ही रीता जमीन पर गिरी और तड़प कर मर गई.

रीता की हत्या करने के बाद पीयूष ने अपनी भी गरदन पर तमंचा सटा कर गोली चला दी. गोली उस के सिर को भेदती हुई उस पार निकल गई. कुछ देर तड़पने के बाद उस ने भी दम तोड़ दिया.

गोली चलने की आवाज सुन कर आसपड़ोस वाले श्रीपाल के घर पहुंचे तो आंगन में 2-2 लाशें देख कर दहल उठे. पूरे गांव में शोर मच गया. श्रीपाल घर पहुंचे तो रीता के साथ पीयूष की लाश देख कर समझ गए कि पीयूष ने रीता की हत्या कर के आत्महत्या कर ली है. इस के बाद उन्होंने पुलिस को सूचना दे दी.

पीयूष के घर वाले पुलिस के कहने के बाद भी उस की लाश लेने नहीं आए तो पुलिस ने रीता की लाश के साथ पीयूष की लाश को भी श्रीपाल के हवाले कर दिया. मजबूरी में श्रीपाल को बेटी की लाश के साथ पीयूष का अंतिम संस्कार करना पड़ा. थाना सजेती पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट तो दर्ज की, पर आरोपी द्वारा आत्महत्या कर लेने से फाइल बंद कर दी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बेपनाह इश्क की नफरत : 22 साल की प्रेमिका का कत्ल – भाग 2

लोमहर्षक घटना की सूचना पा कर एसएचओ योगेंद्र बहादुर चौंके बिना नहीं रह सके. उन्होंने आननफानन में टीम तैयार की. थोड़ी देर बाद वह घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. थोड़ी देर बाद वे घटनास्थल पर अपने दलबल के साथ मौजूद थे. एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह ने कुएं के भीतर झांक कर देखा तो सचमुच कुएं में लाश के टुकड़े थे.

अभी दिल्ली की श्रद्धा हत्याकांड की तपिश कम भी नहीं हुई थी कि आजमगढ़ में श्रद्धा हत्याकांड जैसी घटना ने प्रदेशवासियों को हिला कर रख दिया था.

बहरहाल, एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह ने घटना की सूचना एसपी अनुराग आर्य को दे दी और अपनी काररवाई में जुट गए थे. जाल के सहारे कुएं के भीतर से लाश के 5 टुकड़ों को बारीबारी से बाहर निकाला गया. लेकिन उस का सिर नहीं मिला.

लाश किसी युवती की थी, जो पानी में फूल चुकी थी. लाश के बाएं हाथ में रक्षासूत्र व काला धागा, दोनों कलाइयों में कंगन और दोनों हाथों की अंगुलियों में मैरून कलर की नेल पौलिश लगी हुई थी.

कुएं के आसपास पुलिस ने मृतका की सिर की तलाश की लेकिन उस का सिर कहीं नहीं मिला. देखने से ऐसा लगता था कि लाश 4-5 दिन पुरानी होगी.

एसएचओ सिंह को अचानक याद आया कि अशहाकपुर निवासी केदार प्रजापति ने अपनी बेटी आराधना के गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई थी. कहीं ये लाश उस की बेटी आराधना की तो नहीं है. अपनी आशंका को दूर करने के लिए उन्होंने 2 कांस्टेबलों को अशहाकपुर केदार और उस के बेटे सुनील को बुलाने के  लिए भेज दिया.

घंटे भर बाद केदार प्रजापति और उस का बेटा सुनील घटनास्थल मौजूद थे. दोनों बापबेटे ने लाश को गौर से देखा. सिरविहीन लाश देख कर कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि लाश किस की हो सकती है.

लेकिन जब उन की नजर शव के बाएं हाथ पर गई तो चौंक गए. उन की बेटी आराधना भी ठीक ऐसे ही अपने बाएं हाथ की कलाई में रक्षासूत्र व काला धागा, कंगन पहनी थी और दोनों हाथों की अंगुलियों में मैरून नेल पौलिश लगाई थी. लाश के साथ भी ऐसी समानता जुड़ी हुई थी.

केदार और सुनील ने कुछकुछ आशंका जाहिर की कि लाश उन की बेटी आराधना की हो सकती है. उस ने भी यही सब पहना था, जब वह घर से निकल रही थी.

केदार और सुनील के आंशिक शिनाख्त के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए आजमगढ़ जिला अस्पताल भेज दिया.

लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज कर एसएचओ थाने लौट आए और आराधना की गुमशुदगी की सूचना को भादंसं की धाराओं 302, 201, 120बी में तरमीम करते हुए अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.

योगेंद्र बहादुर सिंह लगातार हत्यारों की सुरागरसी में जुटे हुए थे. उन्होंने आराधना का मोबाइल नंबर ले कर काल डिटेल्स निकलवाई थी और घटना से 15 दिन पहले तक की बातचीत भी सुनी थी. उन से पता चला कि मृतका आराधना की कठही के रहने वाले प्रिंस यादव के साथ प्रेम संबंध कायम था. प्रिंस यादव आराधना की बचपन की सहेली मंजू यादव का बड़ा भाई था.

कुछ और वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर यह पुख्ता हो गया था कि 5 टुकड़ों में बंटा सिरविहीन शव आराधना प्रजापति का ही था. लेकिन अभी तक उस का कटा सिर बरामद नहीं हुआ था, जिस की तलाश में पुलिस दिनरात यहांवहां भटक रही थी.

खैर, पुलिस प्रिंस यादव की तलाश में सरगरमी से जुट गई थी. उस का फोन सर्विलांस पर लगाया तो वह बंद आ रहा था. इस बात से पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि आराधना की हत्या में उस का पूरापूरा हाथ हो सकता है. इसी बीच मुखबिर ने पुलिस को एक ऐसी सूचना दी, जिसे सुन कर वह चौंक पड़े. उस ने बताया कि 9 नवंबर के दिन दोपहर में गांव के बाहर पुलिया पर प्रिंस यादव की बाइक पर आराधना को बैठे कहीं जाते देखा गया था. यही नहीं, उस के साथ उस के मामा का बेटा सर्वेश यादव दूसरी बाइक पर था. वह भी प्रिंस के साथसाथ जा रहा था.

इस के बाद प्रिंस यादव और सर्वेश की खोज में पुलिस ने तेजी कर दी थी. मगर दोनों का कहीं पता नहीं चल पा रहा था.

पुलिस के लिए दोनों एक अबूझ पहेली बन गए थे. उन के हरसंभावित ठिकानों पर दबिश दे कर पुलिस थक चुकी थी लेकिन निराशा ही हाथ लग रही थी. अभियुक्तों को गिरफ्तार न करने पर क्षेत्र के लोगों में पुलिस के प्रति आक्रोश बढ़ रहा था. उन्होंने इस के विरोध में पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

पुलिस की मेहनत का ही परिणाम था कि 19 नवंबर, 2022 की शाम 7 बजे के करीब उसी मुखबिर ने एक ऐसी सूचना दी जिसे सुन कर पुलिस की बांछें खिल उठी थीं. सूचना के मुताबिक, मुखबिर ने पुलिस को बताया कि प्रिंस अपने गांव के बाहर स्थित घनी झाडि़यों में छिपा बैठा है.

यह सूचना सुन कर एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह सतर्क हो गए और आननफानन में एक टीम बनाई, जिस में अपने कुछ विश्वस्त पुलिसकर्मियों को शामिल किया ताकि वे इस मिशन को बेहद गुप्त रखें.

पूरी योजना बनाने के बाद एसएचओ पूरी टीम के साथ जीप से रवाना हो गए. कठही गांव पहुंचने से करीब एक किलोमीटर पहले ही उन्होंने गाड़ी रोक दी. गाड़ी से उतर कर सारे पुलिसकर्मी अलगअलग हो कर पगडंडियों के रास्ते गांव के बाहर स्थित झाडि़यों तक पहुंचे, जहां प्रिंस छिपा हुआ था.

मुखबिर ने इशारे से उस के छिपे स्थान बता कर अंधेरे में कहीं गायब हो गया. पुलिस ने पोजीशन लेते हुए टौर्च की रोशनी में प्रिंस को आत्मसमर्पण करने को कहा.

इतने में झाड़ी से एक फायरिंग पुलिस पर की गई तो पुलिस सतर्क हो गई और फायरिंग की दिशा में लक्ष्य कर एसएचओ ने फायर किया. गोली जा कर प्रिंस के जांघ में लगी और वह झाड़ी में से भागता हुआ बाहर निकल आया.

प्रिंस को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी. चूंकि गोली उस की जांघ में लगी थी और तेजी से खून बह रहा था इसलिए पुलिस उसे सरकारी अस्पताल ले गई और कड़ी सुरक्षा में उस का इलाज शुरू किया गया.

प्रिंस यादव खतरे से बाहर था. अगले दिन पुलिस ने उस से अस्पताल में ही पूछताछ की तो उस ने प्रेमिका आराधना की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था. आगे उस ने यह भी बताया कि इस हत्याकांड में उस के मामा का बेटा सर्वेश भी शामिल था. उस ने यह भी बता दिया कि आराधना का कटा सिर कहां छिपा कर रखा है.

21 नवंबर, 2022 की दोपहर में पुलिस प्रिंस को पुलिस की कड़ी सुरक्षा में वहां ले गई, जहां उस ने सिर छिपाने की बात कही थी. वह गौरा का पुरा यानी शव पाए जाने वाले स्थान से 6 किलोमीटर दूर स्थित एक तालाब के किनारे गीली मिट्टी के भीतर पौलीथिन में लपेट कर गाड़ दिया था. उस की निशानदेही पर पुलिस ने मृतका का सिर बरामद कर लिया.

13 दिनों से रहस्य बने आराधना प्रजापति हत्याकांड से परदा उठ गया था. बेपनाह इश्क करने वाला पागल दीवाने प्रिंस ने नफरत के आवेश में आ कर अपनी मोहब्बत की ऐसी खूनी दास्तान लिख दी कि समूचा प्रदेश हिल गया.

बबिता का खूनी रोहन – भाग 2

इस दौरान इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक की टीम ने भीमराज की पत्नी बबीता से जब पूछताछ शुरू की तो पता चला की भीमराज ने चिराग दिल्ली गांव में अपना मकान बना रखा था, जहां वह अपनी पत्नी बबीता व 3 बच्चों के साथ रहता था.

भीमराज और बबीता के 3 बच्चों में 2 बेटी और एक बेटा था. बड़ी बेटी की उम्र करीब 19 साल थी, जबकि छोटी बेटी 15 साल की थी. उन के बीच 17 साल का एक बेटा था.

बबीता आई शक के दायरे में

42 साल की बबीता आकर्षक व तीखे नाकनक्श वाली महिला थी. इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक को पूछताछ की शुरुआत में ही लगा कि बबीता को अपने पति के साथ हुई इस गंभीर वारदात का मानो कोई रंज नहीं है.

इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक के हर सवाल का बबीता इतने सहज भाव से जवाब दे रही थी, मानो कुछ हुआ ही नहीं था.

पुलिस की नौकरी करते करते हुए अनुभव में जितेंद्र मलिक ने इस तरह के कई हादसे देखे थे, जिस में मृत्यु की शैय्या पर पड़े पति के गम और आशंका में पत्नी का रोरो कर बुरा हाल हो जाता है और उसे कोई सुधबुध नहीं रहती. लेकिन बबीता न सिर्फ इंसपेक्टर मलिक के हर सवाल का सहजता से जवाब दे रही थी अपितु जब उन्होंने उस के लिए चाय मंगाई तो वह पूरी सहजता के साथ चाय भी पी गई.

किसी पीडि़त की पत्नी का ऐसा व्यवहार इंसपेक्टर मलिक को थोड़ा अटपटा लगा. हालांकि बबीता ने पूछताछ में यह बात साफ कर दी थी कि उस के पति की किसी से उस की दुश्मनी या रंजिश के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.

बबीता ने यह भी बताया कि उस के पति भीमराज की संगत ठीक नहीं थी. वह खानेपीने का शौकीन था और अकसर शराब पी कर घर आता था. उस ने बताया कि पति की कमाई से घर ठीक से नहीं चल पाता था, इसलिए वह खुद भी घरगृहस्थी चलाने में पति का हाथ बंटाती थी. बबीता ने साउथ एक्सटेंशन में किराए की दुकान ले कर उस में अपना ब्यूटीपार्लर खोल रखा था, जो ठीकठाक चलता था और उस से अच्छीखासी कमाई भी हो जाती थी.

एक तो बबीता का अटपटा व्यवहार और दूसरा उस का ब्यूटीपार्लर के पेशे से जुड़ा होना दोनों ऐसी बातें थीं, जिस के कारण इंसपेक्टर मलिक के लिए बबीता जिज्ञासा और जांचपड़ताल का केंद्रबिंदु बन गई. उन्होंने बातों ही बातों में भीमराज के अलावा बबीता और उस के तीनों बच्चों के मोबाइल नंबर नोट कर लिए.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

बबीता से पूछताछ के बाद इंसपेक्टर मलिक ने तत्काल एसआई प्रमोद को  भीमराज और बबीता के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाने के लिए भेज दिया. इधर कई घंटे की मशक्कत और जांचपड़ताल के बाद पुलिस की अलगअलग टीमों ने 5 किलोमीटर के दायरे में जो सीसीटीवी फुटेज खंगाले थे, उन में से एक फुटेज में हुडको कालोनी के पास वही बाइक सवार पुलिस को एक बार उसी बाइक पर सवार नजर आया.

लेकिन यह फुटेज वारदात से करीब एक घंटा पहले की थी. उस वक्त बाइक सवार ने हेलमेट को हाथ में पकड़ा हुआ था और वह बाइक पर बैठा हुआ शायद किसी का इंतजार कर रहा था. इतना ही नहीं इस फुटेज में बाइक की नंबर प्लेट भी मुड़ी हुई नहीं थी, जिस से बाइक के नंबर भी स्पष्ट नजर आ रहे थे.

भीमराज के हमलावर तक पहुंचने के लिए पुलिस के हाथ यह बड़ी सफलता लगी थी. बाइक के उस नंबर को उसी शाम पुलिस ने ट्रेस कर के यह पता लगा लिया कि यह बाइक किस की है. भीमराज का हमलावर जिस बाइक पर सवार था वह महिंद्रा सेंटुरो बाइक थी. घटनास्थल से ले कर हुडको प्लेस में कालोनी के बाहर सीसीटीवी में दिख रही दोनों बाइक व उन पर वही लिबास पहने व्यक्ति एक ही था.

पुलिस ने परिवहन विभाग के पोर्टल से जब उस बाइक का इतिहास खंगाला तो पता चला कि कबीरनगर में रहने वाले प्रवीण के नाम पर यह बाइक पंजीकृत थी. पुलिस की एक टीम उसी रात प्रवीण के घर पहुंच गई और उसे हिरासत में ले लिया. फिर उस से पूछताछ शुरू हो गई.

प्रवीण को जब पता चला कि उस पर एक व्यक्ति पर गोली चलाने का आरोप है और जिस के गोली लगी है, वह जिंदगी और मौत से जूझ रहा है तो उस के होश उड़ गए.

जांच में आए नए तथ्य

उस ने बताया कि यह बाइक उस के नाम पंजीकृत जरूर है, लेकिन एक साल पहले उस ने यह बाइक लखन नाम के व्यक्ति को बेच दी थी, जिस ने शायद लौकडाउन के कारण इसे अपने नाम पर अभी ट्रांसफर नहीं कराया है.

पुलिस ने उस की बात पर विश्वास करने से पहले प्रवीण की वारदात वाले दिन की गतिविधियों का पता लगाया और उस के मोबाइल की लोकेशन चैक की तो पता कि वारदात के वक्त वह अपने घर में मौजूद था. लिहाजा पुलिस ने उस से लखन नाम के उस व्यक्ति का फोन नंबर व पता हासिल किया, जिसे उस ने अपनी बाइक बेची थी.

लखन गोविंदपुरी, दिल्ली का रहने वाला था. पुलिस ने उसे भी रात में ही दबोच लिया और थाने ले आई. जब लखन को पता चला कि जो बाइक उस ने प्रवीण से खरीदी थी, उस का इस्तेमाल किसी पर जानलेवा हमला करने में हुआ है तो लखन ने भी माथा पीट लिया.

जितेंद्र मलिक समझ गए कि कोई खास बात है, जो लखन ने ऐसी प्रतिक्रिया दी है. लिहाजा उन्होंने थोड़ा सख्ती के साथ लखन से पूछा, ‘‘लगता है तुम्हें पता है कि भीमराज को गोली किस ने मारी है.’’

‘‘नहीं सर, मुझे कुछ नहीं पता. मैं तो यह भी नहीं जानता कि आप किस भीमराज की बात कर रहे हो… सर मैं तो अपने भतीजे की बात कर रहा हूं, जिस को मैं ने पिछले कुछ महीनों से ये गाड़ी चलाने के लिए दी हुई थी. अब पता नहीं उस ने किस को ये गाड़ी दी थी कि जिस ने यह कांड किया है.’’

अगले भाग में पढ़ें- आखिर रोहन ने बता दी सच्चाई

2 आशिको की एक ही आशा – भाग 2

पुलिस की अब तक की जांच में यह पता चल गया था कि मृतक की पत्नी आशा का विकास और दीपक नाम के युवकों के साथ चक्कर चल रहा है. प्रेम त्रिकोण की इस खबर की पुलिस को अब चश्मदीद की बात से पुष्टि हो चुकी थी.

इस के बाद पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए इस ब्लाइंड मर्डर सें शामिल तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जब सख्ती से पूछताछ की तो हत्या की सच्चाई खुल कर सामने आ गई.

राजस्थान के जिला श्रीगंगानगर के सुभाष चौक बस्ती नौहर के रहने वाले अमरचंद सरकारी नौकरी करते थे. आशा उन्हीं की बेटी थी. वह हाईस्कूल तक पढ़ी थी. फिर कदम बहकने पर पिता ने उस की शादी 14 फरवरी, 2020 को हनुमानगढ़ की बस्ती पीलीगंगा निवासी फकीरचंद के बेटे राजू से कर दी.

राजू भी कोई बहुत ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था, लेकिन वह था बहुत मेहनती. वह खेतीकिसानी करता था. राजू और आशा का दांपत्य जीवन कुछ महीने तो ठीक से चला परंतु फिर धीरेधीरे आशा राजू के प्रति विमुख सी होने लगी. उस का कारण यह था कि जहां एक ओर आशा रंगीन शौकीन मिजाज की युवती थी, वहीं दूसरी ओर राजू सीधासादा था.

आशा चाहती थी कि उस का पति दिनरात उस से प्यार करता रहे, सदा उस के आगेपीछे घूमता रहे, उस की हर जरूरत को पूरा करता रहे. चाहे जरूरत सही हो या गलत. इस का परिणाम यह हुआ कि राजू आशा को कभीकभी झिड़क भी दिया करता था.

इस से अब आशा ने राजू की परवाह करनी छोड़ दी थी. इसी तरह 2 साल गुजर गए और आशा 2 बच्चों की मां भी बन गई. एक दिन बाजार में आशा की मुलाकात 22 वर्षीय दीपक से हो गई. दीपक राजू का दोस्त और दूर का रिश्तेदार भी था. दीपक श्रीगंगानगर के गांव नूरपुरा ढाणी का रहने वाला था. वह प्लंबर था.

उसे बाजार में देखते ही दीपक बोला, ‘‘अरे भाभी, आप बाजार में आई हैं. लेकिन साथ में राजू भैया क्यों नहीं आए?’’

‘‘आप के भैया को मेरी परवाह कहां? वो तो अपनी दुनिया में मस्त रहते हैं.’’ आशा ने कहा.

‘‘अरे भाभीजी, आप भी क्या बात करती हैं. हम हैं न, आप जो हुक्म करें, आप का देवर हाजिर है.’’ दीपक ने अपना सिर झुकाते हुए कहा.

‘‘ठीक है, मेरा आज सिनेमा देखने का मन है,’’ आशा ने कहा.

‘‘फिर ठीक है, आप कोई बहाना कर के आ जाना, आज दिन का शो देख लेंगे,’’ दीपक ने हामी भरते हुए कहा.

दोनों अपनेअपने घर चले गए. वैसे दीपक की कई महीनों से आशा पर नजर थी. दीपक का एक दोस्त विकास (20 वर्ष) था. विकास भी उस के साथ प्लंबर का काम करता था. विकास ने ही एक दिन दीपक से कहा था कि यार तेरी भाभी आशा तो गजब की चीज है. तू उस से बात किया कर, बड़ी मस्त चीज है.

उस दिन खाना खाने के बाद जब दीपक आशा के साथ पिक्चर देखने जाने वाला था, तभी सामने से विकास आता दिखाई दे गया. जब दीपक ने बताया कि वह आशा भाभी के साथ पिक्चर देखने जा रहा है तो वह भी जिद करने लगा.

‘‘यार विकास, बड़ी मुश्किल से तो आशा भाभी आज पिक्चर देखने को राजी हुई है. अब तू भी आने की जिद करने में लगा. कबाब में हड्डी तो मत बन यार.’’ दीपक ने झुंझलाते हुए कहा.

‘‘देख भाई दीपक, मैं तेरे साथ चलता हूं. यदि तेरी भाभी मना कर देगी तो मैं वापस चला जाऊंगा,’’ विकास बोला.

जब दीपक और विकास सिनेमाघर पर पहुंचे तो आशा बारबार इधरउधर देख रही थी. जैसे ही आशा की नजर दीपक पर पड़ी तो उस ने हाथ से इशारा करते हुए अपने पास बुला लिया.

‘‘भाभी, ये मेरा दोस्त विकास है, ऐसे ही मुझे रास्ते में मिल गया,’’ दीपक ने विकास का परिचय कराते हुए कहा.

विकास टिकट लेने खिड़की पर चला गया तो दीपक ने धीरे से कहा, ‘‘भाभी, एक बात है, आप बुरा तो नहीं मानोगी?’’

‘‘क्या बात है? अपने प्यारे देवर की बात का भला मैं बुरा क्यों मानने लगी. बोलो तो सही, तुम क्या कहना चाहते हो,’’ आशा ने कहा.

‘‘भाभी, मेरा दोस्त विकास भी हम दोनों के साथ पिक्चर देखना चाहता है.’’ दीपक ने झिझकते हुए कहा.

‘‘चलो, उस को आने दो, फिर मैं बात करती हूं.’’ आशा ने कहा तो दीपक मन ही काफी डर सा गया था. दीपक अब अपने दिल में विकास को कोसने लगा था कि इस ने आज सब काम बिगाड़ कर रख दिया. अब आशा भाभी न जाने विकास से क्या कहेगी.

 

थोड़ी ही देर में विकास पिक्चर के टिकट ले कर आ गया और उस ने दीपक और आशा को टिकट दिए और हाल के अंदर चलने का आग्रह किया.

‘‘एक बात पूछूं विकास?’’ आशा ने कहा.

‘‘जी भाभीजी, पूछिए.’’ विकास ने नजाकत से झुकते हुए कहा, ‘‘चलो ठीक है, एक से भले दो और दो से भले तीन. वैसे विकास आज तुम ने भी मेरा मन जीत लिया,’’ और वह दोनों का हाथ पकड़ कर हाल के भीतर चली गई. आशा तो पहले से खेलीखाई थी. दोनों युवकों का साथ पा कर वह बहुत खुश हुई.

इत्तफाक से तीनों सीटें कोने से लगी एक साथ थीं. आशा ने अपने लिए बीच की सीट चुनी तो दीपक और विकास उस की अगलबगल में बैठ गए. पिक्चर शुरू हो गई. इस बीच दीपक ने ठंडा और स्नैक्स भी मंगा लिया था. तीनों फिल्म देखने में मस्त थे.

उसी दौरान दीपक और विकास ने आशा के साथ हलकी छेड़छाड़ की, जिस का आशा ने विरोध नहीं किया तो वे दोनों दोस्त बहुत खुश हुए.

जब वे तीनों घर को जाने लगे तो विकास ने आशा से कहा, ‘‘भाभीजी, आप जैसे चेहरे से खूबसूरत हो, उस से ज्यादा आप जिंदादिल हो. किसी दिन हमारी जिंदगी में भी रंग भर दो.’’

ज्योतिषी के चक्कर में प्रेमी की हत्या – भाग 2

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उस से पूछताछ की. शुरू में ग्रीष्मा पुलिस को गुमराह करती रही. तब मामले को अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिया गया. पुलिस ने ग्रीष्मा से पूछा, ‘‘तुम ने अपने बौयफ्रैंड का कत्ल क्यों किया?’’

तब ग्रीष्मा ने जवाब दिया, ‘‘मैं ने शैरोन का कत्ल नहीं किया. हम दोनों एकदूसरे को बहुत प्यार करते थे. हम लोगों ने मंदिर और चर्च में शादी भी कर ली थी.’’

पुलिस इस संबंध में ग्रीष्मा से लगातार 8 घंटे तक पूछताछ करती रही. पुलिस के सामने बैठी ग्रीष्मा से पुलिस ने कई बार यही प्रश्न पूछा और हर बार वह ‘न’ में ही जबाव देती रही.

जब ग्रीष्मा के सामने शैरोन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट व अन्य सबूत रखे गए, तब वह पूरी तरह टूट गई. उस के चेहरे का रंग उड़ गया, माथे पर पसीना आ गया. कई दिनों के हाई ड्रामे और साजिश के बाद केरल पुलिस ने ग्रीष्मा को सच बताने पर मजबूर कर दिया.

आखिर 8 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद उस ने अपने प्रेमी शैरोन की मौत का सच उगल दिया. पुलिस मृतक शैरोन के उन कपड़ों, जो उस ने 14 अक्तूबर को प्रेमिका ग्रीष्मा के घर जाने पर पहने थे, को फोरैंसिक जांच के लिए भेज दिए.

ज्योतिषी ने बताया था ग्रीष्मा की कुंडली में दोष

उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने स्वीकार किया कि उस ने आर्मी आफीसर के साथ सुखी वैवाहिक जीवन जीने के लिए शैरोन को मारने की साजिश रची थी. उस का रिश्ता एक आर्मी अफसर के साथ तय हो गया था.

अपने प्रेमी शैरोन से छुटकारा पाने के लिए उसे धीमा जहर पिला कर उस की हत्या की थी. उस ने एक आयुर्वेदिक जूस में कीटनाशक मिला कर शैरोन को पीने के लिए दिया, जिस से उस की मौत हो गई. ग्रीष्मा का अपने प्रेमी शैरोन से पीछा छुड़ाने के पीछे भी एक खौफनाक और दहलाने वाली कहानी है.

ग्रीष्मा के घर वाले अपनी इकलौती बेटी और शैरोन के बीच चल रहे प्यार के बारे में जान गए थे. ग्रीष्मा के घर वाले यह सब जानते हुए भी उस के लिए रिश्ता तलाश रहे थे. ग्रीष्मा के मातापिता एक ज्योतिषी के संपर्क में भी थे. वे ग्रीष्मा के लिए लड़का देखने के साथसाथ ग्रीष्मा की जन्मकुंडली भी दिखा रहे थे. इसी बीच ग्रीष्मा के घर वालों ने ग्रीष्मा की शादी एक आर्मी आफीसर से तय कर दी थी. ज्योतिषी ने ग्रीष्मा की कुंडली देख कर जो बात बताई, उसे सुन कर उन के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई.

ज्योतिषी ने बताया कि ग्रीष्मा की कुंडली में दोष है. उस की पहली शादी जिस से भी होगी, उस के पति की मौत हो जाएगी. जबकि दूसरी शादी सफल रहेगी. दूसरे पति को कुछ नहीं होगा. बस यही बात ग्रीष्मा और उस के मन में बैठ गई.

ग्रीष्मा चाहती थी शैरोन से ब्रेकअप

ग्रीष्मा ने यह बात शैरोन को बताई. उस ने बताया कि ज्योतिषी ने बताया है कि उस के पहले पति की मौत हो जाएगी. इसलिए उस ने शैरोन से रिलेशनशिप खत्म करने को कहा. पहले तो ग्रीष्मा ने कई बहाने किए, लेकिन शैरोन नहीं माना.

शैरोन ग्रीष्मा को किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं था. वह उसे अपनी जान से भी ज्यादा चाहता था. उस ने कहा कि वह मरते दम तक उसे नहीं छोड़ेगा. उस ने ज्योतिषी की भविष्यवाणी को झूठा बताया.

ग्रीष्मा की कोशिशें नाकाम हो रही थीं, लिहाजा उस ने शैरोन से पीछा छुड़ाने के लिए एक ऐसी साजिश रची जिस की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता.

ग्रीष्मा अपनी शादीशुदा जिंदगी की हिफाजत हर हाल में चाहती थी. वह नहीं चाहती थी कि जिस से भी उस की शादी हो, उस की मौत हो जाए. जिस के चलते उस की गृहस्थी उजड़ जाए.

कहने को ग्रीष्मा का अपने बौयफ्रैंड शैरोन से भी रिश्ता काफी अच्छा था. शैरोन उसे बहुत चाहता था और शायद ग्रीष्मा भी.

अब सवाल यह था कि पहली शादी हो और वह पति मर जाए, तभी दूसरी शादी सफल हो सकेगी. शादी के लिए मोहरे की जरूरत थी. तब षडयंत्र के तहत शैरोन को मोहरा बनाया गया. उसे शैरोन से अच्छा मोहरा मिलना मुश्किल था. ग्रीष्मा ने शैरोन को तब तक अपने प्रेमजाल में पूरी तरह फांस लिया था.

ग्रीष्मा ने अपनी योजना को कार्यरूप देने के लिए तब ज्योतिषी की बात मान कर किसी को बताए बिना शैरोन से एक मंदिर में शादी भी कर ली और मांग में सिंदूर भी भरवाया तथा मंगलसूत्र जिसे केरल में ‘ताली’ कहते हैं, पहना. इस के साथ ही वेट्टुकोड चर्च में शादी भी की. ज्योतिषी के कहे अनुसार अब उस का काम पूरा हो चुका था. वह उस का विधिवत पति बन चुका था.

अब उसे पहले पति शैरोन से अलग हो कर दूसरी शादी आर्मी अफसर से करनी थी, जिस के लिए ग्रीष्मा के घरवालों ने आर्मी अफसर से उस का रिश्ता पहले ही तय कर दिया था और शादी फरवरी, 2023 में होनी थी. उसे यकीन था कि अब उस की आर्मी अफसर से जो शादी होगी, उस पर कोई आंच नहीं आएगी.

2 महीने में 10 बार दिया जहर

शैरोन इन सब बातों से पूरी तरह अनजान था. वह ग्रीष्मा को हद से ज्यादा चाहता था. उसे दूरदूर तक इस बात की जरा सी भी भनक नहीं लगी थी कि ग्रीष्मा उस के खिलाफ कोई साजिश रच रही है. जबकि ग्रीष्मा तो शेरोन को अपनी जिंदगी से दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंकना चाहती थी.

यही कारण था कि ग्रीष्मा अब शैरोन से बे्रकअप करना चाहती थी. उस ने अपनी ओर से इस रिश्ते से पीछे हटने की हर तरह से कोशिश की, लेकिन शैरोन उसे छोड़ने को किसी भी कीमत पर तैयार नहीं हुआ.

कहने को ग्रीष्मा आर्मी अफसर से अपनी सगाई तय हो जाने के बाद शैरोन से अलग होना चाह रही थी, फिर भी दोनों की अकसर मुलाकात होती रहती थी.

शैरोन के मोबाइल में ग्रीष्मा के कुछ पर्सनल फोटो व वीडियो थे. शैरोन के घर वालों ने बताया कि ग्रीष्मा ने फोटो व वीडियो के लिए शैरोन को फोन भी किया था. शैरोन रिश्ता तोड़ने व वीडियो तथा फोटो को हटाने को तैयार नहीं था. कई वीडियो ऐसे थे, जिन में दोनों शादी के जोड़े में नजर आ रहे थे.

ग्रीष्मा को डर था कि यदि प्रेमी शैरोन ने ये वीडियो उस के पति को दिखा दिए तो गड़बड़ हो जाएगी. उस की गृहस्थी बरबाद हो जाएगी. तब ग्रीष्मा ने घर वालों से मिल कर एक खौफनाक निर्णय लिया.

रिश्तों पर भारी पड़ी मोहब्बत – भाग 2

एसपी केशव कुमार के आदेश पर चारों टीमों का नेतृत्व एएसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह कर रहे थे. पुलिस ने मृतक की पत्नी नुसरत जहां को शक के दायरे में ले लिया और जांच में एक चौंकाने वाली बात सामने आई कि पतिपत्नी के बीच रिश्ते मधुर नहीं थे. उन में काफी तनाव और कड़वाहट थी और दोनों में अकसर झगड़ा होता रहता था.

मियांबीवी के बीच बिगड़े रिश्ते की असल वजह पति इम्तियाजुल का पत्नी के चरित्र पर शक करना था. इसी बिंदु को आधार मान कर पुलिस ने अपनी जांच आगे बढ़ाई और नुसरत जहां के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. यही नहीं, पुलिस ने उस के नंबर की पिछले 15 दिनों की कालडिटेल्स भी निकलवाई.

पुलिस ने उस के बातचीत की रिकौर्डिंग भी सुनी तो उस के पैरों से जमीन जैसे खिसक गई. बातचीत की रिकौर्डिंग ने पुलिस के शक को यकीन में बदल दिया. पति की हत्या में नुसरत जहां का पूरापूरा हाथ था लेकिन पुलिस ने उसे आभास तक नहीं होने दिया नहीं तो उस का साथ देने वाले सावधान हो जाते.

बहरहाल, जिस नंबर से नुसरत जहां के फोन पर आखिरी बार काल आया था, उसी नंबर से उस की लंबी बातचीत हुआ करती थी.

पुलिस ने जब उस नंबर की डिटेल्स निकलवाई तो वह दरगाह शरीफ थाना क्षेत्र के मुसल्लमपुर राम के रहने वाले नदीम अहमद का नंबर था. फिर देर रात नदीम अहमद के घर दबिश दे कर उसे पूछताछ के लिए हिरासत में ले कर थाने ले आई.

सख्ती के साथ पूछताछ में वह पुलिस के सामने टूट गया और अपना जुर्म कुबूलते हुए बताया कि उस ने अपने दोस्त और मसजिद के इमाम दाऊद के साथ मिल कर वकील इम्तियाजुल हक की हत्या की थी. इस में मृतक की पत्नी नुसरत जहां ने उस की पूरी मदद की थी.

उसी रात पुलिस ने नदीम अहमद की निशानदेही पर कोतवाली नगर स्थित काजीपुरा निवासी दाऊद अहमद और जमील कालोनी से नुसरत जहां को गिरफ्तार कर लिया. दोनों आरोपियों ने भी अपने अपराध स्वीकार कर लिए.

24 घंटे के भीतर पुलिस ने वकील इम्तियाजुल हक हत्याकांड का खुलासा कर दिया था. अगले दिन 17 अक्तूबर, 2022 को पुलिस लाइन में एएसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह ने प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित कर केस का खुलासा कर दिया.

प्रैसवार्ता संपन्न होने के बाद तीनों आरोपियों को अदालत के सामने पेश कर जेल भेज दिया गया. पुलिस पूछताछ में अधिवक्ता इम्तियाजुल हक हत्याकांड की कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

40 वर्षीय इम्तियाजुल हक मूलरूप से बहराइच जिले के थाना दरगाह शरीफ इलाके के सलारगंज स्थित जमील कालोनी में अपने परिवार सहित पैतृक मकान में रहते थे. पतिपत्नी और 2 बच्चे. यही उन का हंसताखेलता परिवार था.

उन का छोटा भाई रिजवानुल हक मांबाप के साथ रहता था. हालांकि दोनों भाइयों के बीच पैतृक संपत्तियों का बंटवारा हो चुका था. बंटवारे के बाद मांबाप ने खुद छोटे बेटे के साथ रहना पसंद किया तो बड़ा बेटा इम्तियाजुल ने उन के फैसले को मान लिया.

यूं तो इम्तियाजुल हक पेशे से वकील थे. उन की अच्छी वकालत चलती थी. मिलनसार प्रवृत्ति के इम्तियाजुल अपने पेशे में ईमानदार थे. जिस का भी केस अपने हाथों में लेते थे, उस की जीत होनी पक्की रहती थी. इस वजह से उन के मुवक्किल मुंहमांगी फीस देने को तैयार रहते थे.

अनुभवी वकील इम्तियाजुल हक वकालत से इतना कमा लेते थे कि उन की जिंदगी बड़े चैन से कट रही थी. घर में हर सुखसुविधा मुहैया थी. चाहे वह खानेपीने वाली चीज हो अथवा भौतिक सुख. किसी भी चीज में वह कभी कटौती नहीं करते थे. बच्चे भी अच्छे स्कूल में पढ़ रहे थे. वे पढ़ने में होशियार थे.

इम्तियाजुल हक की अपनी सोच थी कि बच्चे अंगरेजी के साथसाथ अन्य भाषाओं का ज्ञान हासिल कर रहे हैं तो क्यों न उन्हें अरबी भाषा का भी ज्ञान दिया जाए जो कभी न कभी उन के काम आ सकता है.

उन्होंने अपने कुछ परिचितों से बात छेड़ी तो उन के एक दोस्त ने सलारगंज स्थित मसजिद के मुअज्जिन नदीम अहमद का नाम सुझाया और कहा कि वह बेहद काबिल उस्ताद हैं. उन्हें अरबी का अच्छा ज्ञान है.

अधिवक्ता इम्तियाजुल हक की ओर से हरी झंडी मिलते ही वह दोस्त एक दिन रविवार की सुबह नदीम अहमद को अपने साथ ले कर उन के घर पहुंचा तो बच्चों से उसे मिला दिया गया और परिचय भी करवा दिया कि अब से ये आप को अरबी की तालीम देंगे. ये आप के उस्ताद हैं.

उस दिन के बाद से नदीम अहमद इम्तियाजुल के दोनों बच्चों को घर पर आ कर अरबी की तालीम देने लगा. यह घटना से करीब एक साल पहले की बात है.

नदीम अहमद गोराचिट्टा, सुंदर और लंबाचौड़ा इकहरे बदन वाला नौजवान था. यही नहीं उस की बोली में गजब की मिठास थी. अपनी मीठी बोली से किसी को भी अपनी ओर सरलतापूर्वक रिझा सकता था. इम्तियाजुल के दोनों बच्चे भी नदीम की मीठी बोली के कायल थे.

चूंकि नदीम अहमद बच्चों का उस्ताद था, इस लिहाज से दोनों बच्चों की मां नुसरत जहां उर्फ गुलसुम उस के स्वागत में चायनाश्ता वगैर खुद देने आती थी. क्योंकि दोनों बेटों के अलावा परिवार में कोई नहीं था जो उस्ताद को चायनाश्ता ले जाता.

भले ही नुसरत जहां 2 बच्चों की मां थी. 12-14 साल के करीब दोनों बच्चों की उम्र भी हो चुकी थी लेकिन शक्लोसूरत देख कर कोई नहीं बता सकता था कि वह इतने बड़ेबड़े बच्चों की मां होगी.

गले में दुपट्टा डाले और उसी के मैचिंग का पहने जब वह पहली बार हाथ में चाय की प्याली ले कर कुरसी पर बैठे नदीम के सामने गई तो नदीम की नजरें नुसरत जहां के गोल और सुंदर मुखड़े से टकराईं. उस की सुंदरता देख कर वह उस का मुरीद हो गया था. ऐसा नहीं था कि नुसरत ने उस्ताद नदीम की हरकतों को देखा न हो, उस ने अपनी झुकीझुकी नजरों से सब देख लिया था. फिर वह उस के सामने पड़ी मेज पर चाय की प्याली और नमकीन से भरी प्लेट रख कर अपने कमरे में लौट आई.

सपना को नहीं मिला अमन और फिर – भाग 2

सयानी हो चुकी बेटी के हावभाव और हरकतों को देख कर मां को संदेह हुआ तो उन्होंने पति से बात करने का विचार किया. दूसरी ओर जगदंबा खुद भी बेटी के बदले व्यवहार से सकते में थे. वह पिता थे, इसलिए बेटी से सीधे कुछ पूछ नहीं सकते थे, इसलिए वह उस पर चोरीछिपे नजर रखने लगे थे.

इस का नतीजा यह निकला कि उन्हें पता चल गया कि सपना अमनप्रताप सिंह नाम के लड़के से प्यार करती है. यह जान कर उन के होश ही उड़ गए, क्योंकि बेटी से उन्हें इस तरह की कतई उम्मीद नहीं थी. उन्होंने यह बात पत्नी से बताई तो उन की शंका सच साबित हुई. उन्होंने चिंता में कहा, ‘‘लड़की कुछ ऐसावैसा कर बैठी तो हम समाजबिरादरी में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे.’’

पतिपत्नी काफी परेशान थे, जबकि सपना अपनी ही दुनिया में खोई थी. उसे इस बात की भनक तक नहीं लग पाई कि मांबाप को उस के प्यार की खबर लग गई है. उसे पता तब चला, जब जगदंबा ने अचानक उस के कोचिंग जाने पर रोक लगा दी. इस से सपना को समझते देर नहीं लगी कि पापा को उस के प्यार वाली बात का पता चल गया है. जबकि इस के पहले उन्होंने उसे पढ़ने के लिए कहीं भी आनेजाने से मना नहीं किया था.

सपना ने पिता के इस निर्णय के बारे में मां से बात की तो उन्होंने कहा, ‘‘सपना, तुम ने जो किया है, उस की हम लोगों को जरा भी उम्मीद नहीं थी.’’

‘‘मां, मैं ने ऐसा क्या कर डाला कि मेरी पढ़ाई बंद करा दी गई?’’

‘‘तुम ने जो किया है बेटी, उस का तुम्हारे पापा को पता चल चुका है. तुम्हें घर से पढ़ने के लिए भेजा जाता था, न कि किसी लड़के से प्यार करने. तुम ने क्या सोचा था कि तुम बताओगी नहीं तो हमें पता ही नहीं चलेगा.’’

‘‘तो यह बात है. आप लोगों को मेरे और अमन के प्यार के बारे में पता चल गया है.’’ सपना ने बेशर्मी से कहा, ‘‘मां, अमन बहुत अच्छा लड़का है, हम दोनों ही एकदूसरे को बहुत प्यार करते हैं.’’

‘‘मां के सामने यह कहते तुझे शर्म नहीं आई. 4 अक्षर पढ़ क्या लिया, तुम ने खुद को न जाने क्या समझ लिया? हम ने तुम्हें यही संस्कार दिए थे. आज भी हमारे यहां बेटियों के भाग्य का फैसला मांबाप करते हैं. इतनी बेशर्मी ठीक नहीं, अगर तेरी इन बातों को तुम्हारे पापा ने सुन लिया तो तुझे जिंदा गाड़ देंगे.’’

मां की बातें सुन कर सपना की बोलती बंद हो गई. मां ने सपना को काफी देर तक समझाया, लेकिन ऐसे लोगों पर किसी के समझाने का असर कहां होता है. सपना पर भी नहीं हुआ. मौका मिलते ही उस ने अमन को फोन कर के बता दिया कि उस के मांबाप को उन के प्यार का पता चल गया है.

सपना की बात सुन कर अमन को जैसे सांप सूंघ गया. वह बुरी तरह घबरा गया, क्योंकि सपना ने उस से यह भी कहा था कि उस के पापा बहुत गुस्से में हैं. वह उस से मिलने कोचिंग जरूर जाएंगे, इसलिए वह सतर्क रहे.

ऐसा हुआ भी. अपने साले संजीव द्विवेदी को साथ ले कर जगदंबा कोचिंग सेंटर जा पहुंचे थे. कोचिंग सेंटर के गेट पर अमन को रोक कर जब उन्होंने उसे अपना परिचय सपना के पिता के रूप में दिया तो वह परेशान हो उठा.

लेकिन उस समय उन्होंने उसे डांटनेफटकारने के बजाय प्यार से सपना से दूर रहने की चेतावनी देते हुए कहा कि यह उस की पहली गलती मान कर उसे चेतावनी दे कर इस शर्त पर छोड़ रहे हैं कि अब वह कभी सपना से मिलने की कोशिश नहीं करेगा.

परिस्थितियों को देखते हुए अमन ने उस समय दोनों हाथ जोड़ कर माफी मांगते हुए वादा कर लिया कि अब वह कभी भी सपना से नहीं मिलेगा. ऐसा उस ने वक्त की नजाकत देख कर किया था, ताकि जगदंबा को उस पर भरोसा हो जाए कि वह जो भी कह रहा है, सच कह रहा है. जबकि मन ही मन उस ने कुछ और ही तय कर रखा था. बहरहाल अमन के वादे पर विश्वास कर के जगदंबा घर आ गए. सपना का कोचिंग जाना बंद ही करा दिया गया था, इसलिए घर का हर कोई उस पर नजर भी रख रहा था.

प्रेमी से मिलने के लिए सपना ने एक खेल यह खेला कि वह ऐसा व्यवहार करने लगी, जैसे वह पूरी तरह बदल गई हो. अपनी बातचीत और हावभाव से आखिर उस ने मांबाप को भरोसा दिला दिया कि वह अमन को भूल चुकी है. इस के बाद उस पर लगी पाबंदी हटा ली गई तो वह चोरीछिपे अमन से मिलने लगी. क्योंकि शायद वह अमन के बिना खुद को अधूरी समझती थी.

उसी तरह अमन भी सपना को टूट कर प्यार करता था. वह उस की रगों में लहू बन कर दौड़ रही थी. दोनों ही एकदूसरे से अलग रह कर जीने की कल्पना नहीं कर सकते थे. सपना और अमन की ये मुलाकातें ज्यादा दिनों तक सपना के घर वालों से छिपी नहीं रह सकीं. जगदंबा को पता चल गया कि सपना अमन से फिर मिलने लगी है. इस बार उन्होंने खुद सपना को अमन के साथ घूमते देख लिया था. बेटी की हरकतों से वह परेशान हो उठा था. अमन से बेटी का पीछा छुड़ाने के लिए उस ने उस के खिलाफ थाना कैंट में बेटी के साथ छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज करा दिया. थाना कैंट पुलिस ने अमन को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. यह सन 2014 की बात है.

अमन के पिता परिवार सहित जबलपुर में रहते थे. उस के चाचा राजू सिंह गांव में परिवार के साथ रहते थे. वह गांव के प्रधान भी थे. अमन के गिरफ्तार होने के बारे में जब उन्हें पता चला तो वह परेशान हो उठे. इस बात को बड़े भाई यानी अमन के पिता को बताए बगैर वह गोरखपुर पहुंचे और अमन को जमानत दिलवा कर जेल से बाहर निकलवाया.

यूट्यूबर नामरा लुटेरी गर्लफ्रेंड – भाग 2

दिनेश ने महसूस किया कि नामरा की निहायत खूबसूरती उसे अपनी ओर खींच रही है, जबकि नामरा ने भी महसूस किया कि उसे दिनेश के रूप में एक वैसा व्यक्ति मिल गया है, जो भविष्य में मददगार साबित हो सकता है.

उस के बाद 3 महीने के दरम्यान नामरा और दिनेश का कई बार मिलना हुआ. उन के बीच कामकाज की बातों के साथसाथ आज के दौर की प्यारमोहब्बत की बातें होने लगीं. बातोंबातों में दिनेश से नामरा ने बताया कि वह उसे बहुत अच्छा लगता है, हालांकि उस ने विराट बेनीवाल से शादी की है.

दिनेश के दिलोदिमाग में छा गई नामरा

अब दिनेश के दिल में नामरा के लिए कितनी जगह थी, इस का तो पता नहीं, लेकिन इतना जरूर था कि नामरा दिनेश के दिमाग पर छा गई थी. वह उस का खास दोस्त बन चुका था और उस की हर छोटीबड़ी मदद में साथ देने को तत्पर रहता था.

मदद के तौर पर नामरा हमेशा उस से कुछ न कुछ पैसे मांग लिया करती थी. कभी उधार के नाम पर तो कभी उस के प्रोजैक्ट पर आने वाले खर्च के नाम पर. दिनेश का कहना है कि नामरा ने अपनी बहन की शादी के लिए उस से उधार पैसे मांगे थे.

नामरा यहीं नहीं रुकी, उस ने एक एडवरटाइजमेंट और वीडियो शूट से जुड़े काम के सिलसिले में उस से 50 लाख रुपए एडवांस के तौर पर और ले लिए. लेकिन इस के बाद भी उस का काम शुरू नहीं हुआ.

इस बारे में पूछने पर वह कुछ न कुछ मजबूरियां बताती रही. उस के बाद से दिनेश परेशान रहने लगा. यहां तक कि उस ने कहा कि यदि वह उस का काम नहीं कर पा रही है तो उस के पैसे लौटा दे.

इस के बाद दोनों के मधुर संबंधों में थोड़ी खटास आ गई थी. जबकि नामरा पति के साथ मिल कर उस के पैसों से अपने निजी प्रोजेक्ट के वीडियो शूट कर यूट्यूब पर रेग्युलर डाले जा रही थी. उस के पैसे से ही जगहजगह घूम कर रील्स बना रही थी. फैशनेबल बनी फिर रही थी. मौडलिंग और ब्लौगर की दुनिया में सब से आगे निकल जाने की होड़ में शामिल हो गई थी.

दिनेश काफी समय से परेशान चल रहा था. उसी दौरान उस के पिता ने अपने बैंक से 5 लाख रुपए निकाले जाने के बारे में उस से जानकारी मांगी. उन्होंने पूछा कि इतने पैसे उस ने किसे और क्यों ट्रांसफर किए हैं, जबकि उसे वह बिजनैस के लिए पहले से उस की जरूरत के मुताबिक पैसा दे चुके हैं. इसी के साथ उन्होंने दिनेश को जबरदस्त डांट भी लगाई.

पिता की डांट खा कर दिनेश को लगा कि उस की गलती पकड़ी जा चुकी है. इसलिए इस से पहले कि उस की बात पिता समेत बिजनैस या फ्रैंड सर्कल में फैले और उस की बदनामी हो व इमेज को धक्का लगे, इस से पहले पिता को सारी बात बता देना जरूरी समझा.

इस के बाद दिनेश ने पिता से पूरी बात बताई कि कैसे वह पिछले 7-8 महीने से ब्लैकमेलिंग का शिकार बना हुआ है. दिनेश के पिता बेटे की कहानी सुन कर अवाक रह गए. उन्होंने समझदारी से काम लिया.

वह जानते थे कि उन का बेटा जालसाजी और ठगी का शिकार हो चुका है… और ठगने वाली मीडिया जगत की सेलिब्रिटी लड़की है. ऐसे में वह अपने बचाव के लिए रेप जैसे हथकंडे भी अपना सकती है, इसलिए उस की तरफ से कोई पहल किए जाने से पहले दिनेश का बचाव किया जाना जरूरी है.

दिनेश ने 80 लाख रुपए ऐंठने की कराई रिपोर्ट

यह बात अगस्त, 2022 की है. दिनेश ने पिता के कहने पर गुरुग्राम के थाने में नामरा कादिर और उस के पति विराट बेनीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई.

शिकायत में लिखा कि दोनों पतिपत्नी एडवरटाइजिंग के काम के सिलसिले में उस से 6-7 माह के दरम्यान 80 लाख रुपए ले चुके हैं, लेकिन उन्होंने उस का कोई काम नहीं किया है.

उस में नामरा ने बहन की शादी के लिए कुछ पैसे उधार के तौर पर लिए थे. पैसा वापस मांगने पर उल्टे उसे रेप में फंसाने की धमकी दी. उन्होंने उसे हनीट्रैप में फंसा रखा है और उस की वीडियो क्लिपिंग्स दिखा कर वसूली करते हैं.

इस शिकायत के बाद गुरुग्राम की पुलिस ने नामरा और उस के पति की जांच शुरू की गई. दिनेश के आरोप के मुताबिक उस के साथ जालसाजी और पैसा वसूलने में शामिल होने को ले कर उन्हें कई बार थाने में बुलाया गया, लेकिन वे एक बार भी जांच के लिए नहीं पहुंचे.

उलटे अपने चैनल पर दिनेश के खिलाफ ही आरोप लगाते हुए नोटिस जारी कर अपनी सफाई पेश कर दी. साथ ही बचाव के लिए उन्होंने पहली नवंबर को गुरुग्राम की जिला अदालत में इस केस के सिलसिले में अग्रिम जमानत की अरजी दाखिल कर दी. अदालत ने उन की अरजी ठुकरा दी.

इस के बाद 24 नवंबर को इस सिलसिले में नामरा और उस के पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 388 यानी धमका कर जबरन वसूली करना, 406 आपराधिक तरीके से धोखा देना, 506 यानी धमकाना, 34 यानी साजिश के लिए एक राय होना और 328 यानी जख्मी करना या फिर जहर दे कर नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना. जैसी धाराओं और इल्जामों के तहत केस दर्ज किया गया.

इस तरह नामरा गुरुग्राम पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए गिरफ्तार कर ली गई. जबकि पति विराट बेनीवाल पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ पाया.

नामरा ने रखा अपना पक्ष

इस मामले पर नामरा ने सोशल मीडिया पर अपना पक्ष रखा है. नामरा की ओर से उस के यूट्यूब चैनल पर बताया गया है कि दिनेश यादव ने मुझ पर आरोप लगाया है कि मैं ने उस के 70 से 80 लाख रुपए लूट लिए. उसे ब्लैकमेल कर के और प्यार के झांसे में फंसा के. पहली बात उस ने मुझे 70 से 80 लाख रुपए नहीं दिए और उस ने जितने भी पैसे मुझे दिए वह मेरे काम के लिए दिए थे.

ये दिल आशिकाना : क्या कसूर था शिल्पा का – भाग 2

शिल्पा झारिया कुंडम थाने के भौखा देवरी गांव की रहने वाली थी. उस के पिता गुलाब झारिया और मां राजकुमारी गांव में मेहनतमजदूरी कर के अपनी गुजरबसर करते हैं. एक भाई और 2 बहनों में सब से बड़ी शिल्पा की उम्र 21 साल थी.

वह जबलपुर आ कर पढ़ाई के साथ एक स्पा सेंटर में काम करने लगी थी. वारदात के एक दिन पहले ही गुलाब अपनी बेटी से मिल कर आए थे. उन्हें इस बात का अफसोस हो रहा था, ‘काश! बेटी को अपने गांव साथ ले आते या उस के पास रुक जाते तो शायद उस की जान बच जाती.’

6 नवंबर, 2022 को ही गुलाब झारिया ने शिल्पा को फोन पर बताया था कि मेरा पेट दर्द हो रहा है. इस पर शिल्पा बोली थी, ‘‘पापा, यहां (जबलपुर) आ जाओ, किसी डाक्टर को दिखा लेंगे.’’

उसी दिन 10 बजे गाड़ी में बैठ कर वह उस के पास 11 बजे जबलपुर आ गए थे. तब शिल्पा ने एक डाक्टर से उन का चैकअप कराया और फिर डाक्टर को दिखा मैडिकल स्टोर से दवा ले कर घर आ गए. फिर उस के साथ खाना खा कर वहां से डेढ़ बजे वापस कुंडम घर लौट आए थे.

8 नवंबर, 2022 को रात करीब 10 बजे कुंडम थाने की पुलिस जब गुलाब के घर पहुंची तो सीधेसादे लोग डर गए. पुलिस ने गुलाब से पूछा, ‘‘तुम्हारे कितने बच्चे हैं.’’ तो गुलाब ने बताया, ‘‘साब, 2 बेटी, एक बेटा है.’’

उन्होंने फिर पूछा, ‘‘बच्चे कहां हैं?’’ तो गुलाब ने उन्हें बताया, ‘‘एक बेटा, एक बेटी घर में साथ ही हैं. बड़ी बेटी जबलपुर में रहती है.’’

इतना कहना था कि पुलिस वाले बोले, ‘‘हम कुंडम थाने से आए हैं. हमारे पास तिलवारा थाने से फोन आया है कि तुम्हारी बेटी का जबलपुर में मर्डर हो गया है.’’

इतना सुनना था कि गुलाब के घर में पत्नी और बच्चे रोने लगे. पुलिस टीम ने उन्हें ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘धैर्य से काम लो और हमारे साथ जबलपुर चलो.’’

रात को गुलाब अपनी पत्नी के साथ कुंडम  पुलिस टीम के साथ जबलपुर के तिलवारा थाना पहुंचे. वहां से उन्हें मैडिकल कालेज की मोर्चरी ले जाया गया, जहां पर मोर्चरी में रखे शव की पहचान उन्होंने शिल्पा के रूप में की.

इसी दौरान छोटी बहन ने शिल्पा के मोबाइल पर फोन किया तो एक लड़के ने बात करते हुए कहा,‘‘तेरी बहन को हम ने मार दिया है.’’

यह सुन कर छोटी बहन घबरा गई. उस ने जब दोबारा फोन लगाया तो रिसीव नहीं किया गया.

आकर्षक कदकाठी की शिल्पा पिछले 3 साल से जबलपुर में रह रही थी. वह पढ़ाई के साथ ही वहां पार्लर का काम करने लगी थी. शिल्पा के मातापिता भी वहां उस के पास आतेजाते रहते थे. कभीकभी 10-15 दिन भी उस के साथ ठहरते थे. घर से कुछ राशनपानी ले कर जाते थे. मजदूरी से जुटाए पैसे भी उसे देते रहते थे. शिल्पा भी पार्लर में काम कर अपना खर्च चला रही थी.

जबलपुर में अपनी गर्लफ्रैंड का मर्डर करने के दूसरे दिन आरोपी ने सोशल मीडिया पर एक फोटो पोस्ट किया था, जिस में  कैप्शन लिखा था, ‘‘आई लव यू बाबू, हमारी मुलाकात स्वर्ग में होगी, सौरी बाबू.’’

वारदात के बाद आरोपी बारबार ठिकाने बदल रहा था. पुलिस ने आरोपी को पकड़ने के लिए 4 टीमें बनाईं.

वह इतना शातिर और चालाक था कि पुलिस के पहुंचने से पहले ही फरार हो जाता था. वह शिल्पा के ही सोशल मीडिया अकाउंट से फोटो, वीडियो शेयर कर रहा था, परंतु सिम के नेट का उपयोग करने के बजाय वाईफाई का इस्तेमाल कर रहा था. अब तक की जांच से पुलिस को पता चल गया था कि शिल्पा की हत्या में उस के बौयफ्रैंड अभिजीत पाटीदार का ही हाथ है.

अभिजीत पाटीदार द्वारा पोस्ट किए गए एक फोटो में उस के साथ शिल्पा झारिया महंगी कार में बैठी दिख रही है. सीट के पास 500-500 रुपए के नोटों की गड्डियां भी रखी थीं. दोनों के पास कुल्हड़ वाली चाय भी रखी थी. आरोपी ने गर्लफ्रैंड को याद करते हुए फोटो पोस्ट किया और कैप्शन लिखते हुए माफी भी मांगी. बाद में ये फोटो उस ने डिलीट भी कर दिए.

आरोपी अभिजीत पाटीदार लग्जरी लाइफ जीने का शौकीन है. आरोपी ने सोशल मीडिया पर लग्जरी कार के साथ जो फोटो अपलोड की थी, उस में दूसरे फोटो में शिल्पा झारिया भी दूसरी कार के साथ दिख रही थी. दोनों गाडि़यों के नंबर बीआर01 एफयू 2498 और बीआर01 ईक्यू2498 थे.

यही नहीं, वह गले में सोने की चेन और महंगी घड़ी पहनता है. मर्सिडीज जैसी कार में लाखों रुपए नकदी रख कर भी चलता था.

कैप्शन पढ़ कर पुलिस की भी नींद उड़ गई थी, क्योंकि युवती का सोशल मीडिया अकाउंट आरोपी अभिजीत पाटीदार ही यूज कर रहा था. इस के लिए वह खुद के मोबाइल फोन और सिम कार्ड के बजाय पब्लिक प्लेस के वाईफाई का उपयोग कर रहा था.

आरोपी ने इंस्टाग्राम पर शिल्पा के मर्डर के कुबूलनामे का वीडियो अपलोड किया था, जिसे हजारों लोगों ने देखा. वीडियो अपलोड होने के बाद लोग कमेंट भी कर रहे थे.

लगातार फोटो वीडियो अपलोड होने के बाद साइबर पुलिस सोशल मीडिया अकाउंट पर भी नजर रखे हुए थी. वीडियो में साफतौर पर दिख रहा था कि आरोपी किसी जगह ठहरा हुआ है. वह गाने भी सुन रहा है.

घटना के बाद जबलपुर पुलिस के सामने सब से बड़ी चुनौती शिल्पा की हत्या के आरोपी अभिजीत पाटीदार को गिरफ्तार करने की थी.

अभिजीत शिल्पा की हत्या के बाद होटल से उस का मोबाइल और एटीएम कार्ड भी ले कर भागा था. हत्या के बाद हर दिन वह अपनी लोकेशन बदल रहा था.

होटल के सीसीटीवी कैमरे में वह घटना वाले दिन एक टैक्सी में बैठ कर जाते हुए दिखा, मगर टैक्सी का नंबर साफ नजर नहीं आ रहा था. जब सीएसपी प्रियंका शुक्ला के निर्देश पर टीआई झारिया ने बरगी टोलनाके की सीसीटीवी फुटेज देखी तो टैक्सी का नंबर साफ नजर आ गया.

होटल से सिवनी की तरफ टैक्सी से भाग रहे अभिजीत ने बरगी स्थित बैंक औफ महाराष्ट्रा के एटीएम से 20 हजार रुपए निकाले थे. यहीं से आरोपी के बारे में अहम सुराग पुलिस को मिल गए.