उम्मीदों से दूर निकला लिवइन पार्टनर – भाग 1

पहली दिसंबर 2022 की सुबह जब चटक धूप खिली तो पश्चिमी दिल्ली के थाना तिलक नगर क्षेत्र में स्थित गणेश नगर में रहने वाली नीतू की आंखें खुलीं. उसे अपने सिर में भारीपन और हलका दर्द महसूस हुआ तो उस ने कस कर आंखें बंद कर लीं. इस से उसे थोड़ी राहत मिली. वह उठ कर पलंग पर बैठ गई. नजर सामने दीवार घड़ी पर गई तो चौंक पड़ी, घड़ी में साढ़े 8 बज रहे थे.

उसे हैरानी हुई. इतना समय हो गया था, आज मां ने उसे चायनाश्ते के लिए नहीं जगाया था. रोज तो मां साढ़े 6-7 बजे के बीच उसे उठा कर चायनाश्ता करवा देती थीं. आज मां को क्या हुआ, कहीं बीमार तो नहीं हो गईं. उसे याद आया, कल शाम को मां को हरारत थी. मां ने खुद कहा था कि आज उसे अच्छा नहीं लग रहा है.

नीतू पलंग से नीचे उतरी तो उसे चक्कर आ गया. उस ने अगर जल्दी से पलंग न पकड़ा होता तो गिर ही पड़ती. सिर में अभी भी भारीपन था. ऐसा रोज ही होता था लेकिन आज कुछ ज्यादा ही महसूस हो रहा था.

कुछ देर तक नीतू पलंग पकड़ कर खड़ी रही. फिर धीरेधीरे कदम रखती हुई वह बाहर आ गई. जिस कमरे में मां सोती थीं, वह बंद था. कमरे के दरवाजे पर उस का अंकल मनप्रीत कुरसी पर अधलेटा पड़ा ऊंघ रहा था.

आहट सुन कर वह हड़बड़ा कर उठ बैठा. नीतू को सामने देख कर उस की आंखों में गुस्सा भर आया, ‘‘तुम बाहर क्यों आई, क्या तुम्हें नहीं मालूम कि डाक्टर ने तुम्हें आराम करने की हिदायत दे रखी है. जाओ, जा कर सो जाओ.’’ मनप्रीत अंकल की आवाज में तीखापन था.

‘‘मां कहां है अंकल?’’ अंकल की बात को अनसुना करते हुए नीतू ने पूछा.

‘‘बाजार गई है, तुम जा कर सो जाओ.’’ मनप्रीत उसे डांटते हुए बोला, ‘‘जाओ अंदर.’’

नीतू के चेहरे पर डर की परछाइयां उभर आईं. वह जल्दी से पलटी और अपने पलंग पर आ कर लेट गई. उस ने आंखें बंद कर लीं लेकिन जेहन में मां का ही खयाल रखा. मां इतनी सुबह बाजार क्यों गईं? आज मां ने उसे उठा कर नाश्ता भी नहीं करवाया. खयालों में उलझी हुई नीतू को नींद ने फिर से अपने आगोश में समेट लिया.

दरअसल, वह मानसिक रोगी थी. उस का इलाज एक मनोरोग चिकित्सक से चल रहा था. डाक्टर की दी हुई दवाई कल रात को अंकल ने अपने हाथों से उसे खिलाई थी. दवा खा लेने के बाद वह कब सोई, उसे होश नहीं था. सुबह भी शायद दवा का ही असर था कि वह फिर से सो गई.

करीब 11 बजे उस की दोबारा से आंखें खुलीं. अब सिर का भारीपन न के बराबर था. मां बाजार से आ गई होंगी. यह सोच कर वह पलंग से उतरी और दबेपांव दरवाजे की तरफ बढ़ गई. वह मनप्रीत अंकल से डरती थी. अगर मनप्रीत अभी भी बाहर बैठा होगा तो उसे फिर डांटेगा. वह डरतेडरते दरवाजे पर आई और गरदन बाहर निकाल कर उस ने मनप्रीत अंकल की टोह ली. मनप्रीत अब कुरसी पर नहीं था.

मां के कमरे का दरवाजा अभी भी बंद था. वह बाहर निकल आई. अंकल मनप्रीत बालकनी में भी नहीं था. मनप्रीत का डर नीतू के दिमाग से जाता रहा. वह मां के कमरे के दरवाजे पर आई तो उसे दरवाजे पर ताला लगा दिखाई दिया.

मां ताला लगा कर तो नहीं जातीं, साढ़े 8 बजे वह उठी थी तब से अब तक ढाई घंटे बीत गए थे. मां का अतापता नहीं था. अगर मां सुबहसुबह बाजार गईं तो अब तक उन्हें लौट आना चाहिए था.

मां के लिए परेशान नीतू दरवाजे के पास पड़ी कुरसी पर बैठ गई. उस के हाथ कुरसी के हत्थे से टकराए तो हाथ में कुछ चिपचिपा सा लगा. उस ने हाथ को हत्थे से उठा कर देखा तो उस पर खून लगा था. नीतू घबरा गई. उस ने देखा कुरसी का हत्था खून से सना हुआ था. इसी कुरसी पर अंकल मनप्रीत बैठा हुआ था.

‘क्या यह खून उस के द्वारा कुरसी के हत्थे पर लगा है? अगर हां तो यह खून किस का है.’ यह विचार आने के बाद नीतू की घबराहट बढ़ती गई. मन में आशंकाएं उमड़ने लगीं. वह तेजी से अपने मकान से निकली और किसी जानने वाले के फोन से अपने चचेरे भाई राकेश को फोन किया. उस ने भाई से कहा कि वह तुरंत यहां गणेश नगर आ गया.

चचेरा भाई राकेश आधे घंटे में ही गणेश नगर आ गया. नीतू मकान के बाहर ही उसे मिल गई.

‘‘क्या हुआ नीतू, मुझे तुरंत आने को क्यों कहा? घर में तो सब ठीक है न?’’ राकेश ने प्रश्नों की झड़ी लगा दी.

‘‘कुछ ठीक नहीं है भाई, मां सुबह से नजर नहीं आ रही हैं. मैं सुबह साढ़े 8 बजे सो कर उठी थी, तब मनप्रीत अंकल कुरसी पर बैठा था. उस ने मुझे डांटा और सो जाने को कहा. मैं अपने कमरे में आ कर लेटी तो सो गई. जब आंखें खुलीं तो मनप्रीत अंकल को गायब पाया, वह जिस कुरसी पर बैठा था, उस का हत्था खून से सना है.’’

‘‘मांजी कहां जा सकती हैं,’’ राकेश बड़बड़ाया. फिर नीतू से पूछा, ‘‘वह कुरसी कहां है जिस पर खून लगा हुआ है?’’

नीतू उसे घर के अंदर ले आई. वह 2 कमरों का सैट था. एक कमरा नीतू के लिए था, दूसरे में नीतू की मां रेखा, मनप्रीत के साथ रहती थी. कमरे के दरवाजे पर ताला और कुरसी पर लगा खून देख कर राकेश को समझते देर नहीं लगी कि कुछ न कुछ गड़बड़ है.

उस ने मकान मालकिन और 2-3 पड़ोसियों को यह बात बताई तो उन्होंने पुलिस को फोन करने की सलाह दी. राकेश ने अपने मोबाइल फोन से पीसीआर का नंबर मिला कर उन्हें सारी बात बताई और गणेश नगर आने की प्रार्थना की.

पुलिस के आने तक आसपास इस बात की खबर फैल गई थी कि रेखा रानी सुबह से लापता है, उस के दरवाजे पर ताला लगा है और दरवाजे पर रखी कुरसी का हत्था खून से सना है. रेखा का पति मनप्रीत भी कहीं नजर नहीं आ रहा था, इसलिए अनेक प्रकार की आशंकाएं वहां चर्चा का विषय बनी हुई थीं.

पुलिस जब गणेश नगर के ए-651 मकान के सामने पहुंची तो मकान के बाहर अच्छीखासी भीड़ जमा हो चुकी थी.

ASI के फरेेबी प्यार में बुरे फंसे थाना प्रभारी – भाग 1

सामान्य दिनों की तरह शुक्रवार 24 जून, 2022 को इंदौर महानगर के पुलिस कमिश्नर के औफिस में चहलपहल बनी हुई थी. पुलिसकर्मी दोपहर बाद के अपने रुटीन वाले काम निपटाने में व्यस्त थे. साथ ही उन के द्वारा कुछ अचानक आए काम भी निपटाए जा रहे थे.दिन में करीब 3 बजे का समय रहा होगा.

वहीं पास में स्थित पुलिस आयुक्त परिसर में गोली चलने की आवाज आई. सभी पुलिसकर्मी चौंक गए. कुछ सेकेंड में ही एक और गोली चलने की आवाज सुन कर सभी दोबारा चौंके. अब वे अलर्ट हो गए थे और तुरंत उस ओर भागे, जिधर से गोलियां चलने की आवाज आई थी. पुलिस आयुक्त के कमरे के ठीक बाहर बरामदे का दृश्य देख कर सभी सन्न रह गए.

पुलिस कंट्रोल रूम में ही काम करने वाली एएसआई रंजना खांडे जमीन पर अचेत पड़ी थी. उस के सिर के नीचे से खून रिस रहा था. कुछ दूरी पर ही भोपाल श्यामला हिल्स थाने के टीआई हाकम सिंह पंवार भी अचेतावस्था में करवट लिए गिरे हुए थे.खून उन की कनपटी से तेजी से निकल रहा था. उन्हें देख कर कहा जा सकता था कि दोनों पर किसी ने गोली चलाई होगी. किंतु वहां किसी तीसरे के होने का जरा भी अंदाजा नहीं था. हां, टीआई के पैरों के पास उन की सर्विस रिवौल्वर जरूर पड़ी थी.

एक महिला सिपाही ने रंजना खांडे के शरीर को झकझोरा. वह उठ कर बैठ गई. उसे गोली छूती हुई निकल गई थी. वह जख्मी थी. उस की गरदन के बगल से खून रिस रहा था. उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया. जबकि टीआई के शरीर को झकझोरने पर उस में कोई हरकत नहीं हुई. उन की सांसें बंद हो चुकी थीं.

रंजना के साथ टीआई को भी अस्पताल ले जाया गया.गोली चलने की इस वारदात की सूचना पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र को भी मिल गई. वह भी भागेभागे घटनास्थल पर पहुंच गए. तब तक की हुई जांच के मुताबिक टीआई हाकम सिंह के गोली मार कर खुदकुशी करने की बात चर्चा में आ चुकी थी. सभी को यह पता था कि यह प्रेम प्रसंग का मामला है. मरने से पहले टीआई ने ही एएसआई रंजना खांडे पर गोली चलाई थी.

इस के बाद अपनी कनपटी पर रिवौल्वर सटा कर गोली मार ली थी. रंजना खांडे की गरदन को छूती हुई गोली निकल गई थी. गरदन पर खरोंच भर लगी थी, किंतु वह वहीं धड़ाम से गिर पड़ी थी. रंजना के गिरने पर टीआई ने उसे मरा समझ लिया था. परंतु ऐसा हुआ नहीं था. पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई कि रंजना ने टीआई पंवार पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था. जबकि पंवार रंजना पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगा चुके थे.

रंजना टीआई को कर रही थी ब्लैकमेल,रंजना और टीआई पंवार के बीच गंभीर विवाद की यही मूल वजह थी. इसे दोनों जल्द से जल्द निपटा लेना चाहते थे. इस सिलसिले में उन की कई बैठकें हो चुकी थीं, लेकिन बात नहीं बन पाई थी.टीआई पंवार तनाव में चल रहे थे. इस कारण 21 जून को बीमारी का हवाला दे कर छुट्टी पर इंदौर चले गए थे. उन्हें घटना के दिन रंजना ने 24 जून को मामला निपटाने के लिए दिन में डेढ़ बजे कौफीहाउस बुलाया था.

जबकि रंजना खुद अपने भाई कमलेश खांडे के साथ 10 मिनट देरी से पहुंची थी. उन के बीच काफी समय तक बातचीत होती रही. उसे बातचीत नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वे एकदूसरे से बहस कर रहे थे, जो आधे घंटे बीत जाने के बाद भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी. बगैर किसी नतीजे पर पहुंचे दोनों सवा 2 बजे कौफीहाउस से बाहर निकल आए थे.

पुलिस कमिश्नर औफिस के पास रीगल थिएटर है. उसी के सामने कौफीहाउस बना हुआ है. यह केवल पुलिस वालों के लिए ही है. बाहर निकलने पर भी दोनों में बहस होती रही. बताते हैं कि वे काफी तैश में थे. बहस करीब 40 मिनट तक चलती रही.

हत्यारा प्रेमी : आशिक क्यों बना कातिल

राजस्थान के जिला नागौर में एक कस्बा है. मेड़ता सिटी. इसी कस्बे में कभी मीराबाई जन्मी थीं. मीरा का मंदिर भी यहां बना हुआ है. मेड़ता सिटी की गांधी कालोनी में दीपक उर्फ दीपू रहता था. दीपक के पिता बंशीलाल डिस्काम कंपनी में नौकरी करते थे. उन की पोस्टिंग सातलावास जीएसएस पर थी. पिता की सरकारी नौकरी होने की वजह से घर में किसी तरह का अभाव नहीं था. जिस से दीपक भी खूब बनठन कर रहता था.

मेड़ता सिटी में नायकों की ढाणी की रहने वाली इंद्रा नाम की युवती से उसे प्यार हो गया था. दीपक चाहता था कि वह अपनी प्रेमिका पर दिल खोल कर पैसे खर्च करे पर उसे घर से जेब खर्च के जो पैसे मिलते थे उस से उस का ही खर्चा बड़ी मुश्किल से चल पाता था. चाह कर भी वह प्रेमिका इंद्रा को उस की पसंद का सामान नहीं दिलवा पाता था.

तब दीपक ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और वह पिता के साथ डिस्काम में ही काम करने लगा. वहां काम करने से उसे अच्छी आय होने लगी. अपनी कमाई के दम पर वह इंद्रा को अपनी मोटरसाइकिल पर घुमाताफिराता. अपनी कमाई का अधिकांश भाग वह प्रेमिका इंद्रा पर ही खर्च करने लगा.

इंद्रा एक विधवा युवती थी. दरअसल इंद्रा की शादी करीब 3 साल पहले बीकानेर में हुई थी पर शादी के कुछ दिन बाद ही उस के पति की अचानक मौत हो गई. पति की मौत का उसे बड़ा सदमा लगा.

ऊपर से ससुराल वाले उसे ताने देने लगे कि वह डायन है. घर में आते ही उस ने पति को डस लिया. ससुराल में दिए जाने वाले तानों से वह और ज्यादा दुखी हो गई और फिर एक दिन अपने मायके आ गई.

मायके में रह कर वह पति की यादों को भुलाने की कोशिश करने लगी. धीरेधीरे उस का जीवन सामान्य होता गया. वह बाजार आदि भी आनेजाने लगी. उसी दौरान उस की मुलाकात दीपक उर्फ दीपू से हुई. बाद उन की फोन पर भी बात होने लगी. बातों मुलाकातों से बात आगे बढ़ते हुए प्यार तक पहुंच गई. इस के बाद तो वह दीपक के साथ मोटरसाइकिल पर घूमनेफिरने लगी.

यह काम इंद्रा के घर वालों को पता नहीं थी. उन्हें तो इस बात की चिंता होने लगी कि विधवा होने के कारण बेटी का पहाड़ सा जीवन कैसे कटेगा. वह उस के लिए लड़का तलाशने लगे.

आसोप कस्बे में एक रिश्तेदार के माध्यम से पंचाराम नाम के युवक से शादी की बात बन गई. फिर नाताप्रथा के तहत इंद्रा की पंचाराम से शादी कर दी. यह करीब 8 माह पहले की बात है.

दूसरी शादी के बाद इंद्रा ससुराल चली गई तो दीपक बुझा सा रहने लगा. उस के बिना उस का मन नहीं लग रहा था. वह कभीकभी इंद्रा से फोन पर बात कर लेता था. कुछ दिनों बाद इंद्रा आसोप से मायके आई तो वह दीपक से पहले की तरह मिलने लगी. दूसरे पति पंचाराम से ज्यादा वह दीपक को चाहती थी. क्योंकि वह उसे हर तरह से खुश रखता था.

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मार्च 2017 में दीपक के घर वालों ने अपने ही समाज की लड़की से दीपक की शादी कर दी. दीपक ने अपनी शादी की बात इंद्रा से काफी दिनों तक छिपाए रखी पर इंद्रा को किसी तरह अपने प्रेमी की शादी की बात पता चल गई. यह बात इंद्रा को ठीक नहीं लगी. तब इंद्रा ने दीपक से बातचीत कम कर दी.

जब दीपक उसे मिलने के लिए बुलाता तो वह बेमन से उस से मिलने जाती थी. अक्तूबर, 2017 के तीसरे हफ्ते में दीपक और इंद्रा की मुलाकात हुई तो इंद्रा ने कहा, ‘‘दीपू, ससुराल से पति का बुलावा आ रहा है. मैं 2-4 दिनों में ही चली जाऊंगी.’’

‘‘इंद्रा प्लीज, ऐसा मत करो. तुम चली जाओगी तो मैं तुम्हारे बिना कैसे जी पाऊंगा. याद है जब तुम शादी के बाद यहां से चली गई थी तो मेरा मन नहीं लग रहा था.’’ दीपक बोला.

‘‘मेरी दूसरी शादी हुई है. मैं पति को खोना नहीं चाहती. मुझे माफ करना. मुझे ससुराल जाना ही होगा.’’ इंद्रा ने कहा.

दीपक उसे बारबार ससुराल जाने को मना करता रहा. पर वह जाने की जिद करती रही. इसी बात पर दोनों में काफी देर तक बहस होती रही. इस के बाद दोनों ही मुंह फुला कर अपनेअपने घर चले गए.

उस रोज 27 अक्तूबर, 2017 का दिन था. मेड़ता सिटी थाने में किसी व्यक्ति ने सूचना दी कि एक युवती की अधजली लाश जोधपुर रोड पर स्थित जय गुरुदेव नगर कालोनी के सुनसान इलाके में पड़ी है. सुबहसुबह लाश मिलने की खबर से थाने में हलचल मच गई.

थानाप्रभारी अमराराम बिश्नोई पुलिस टीम के साथ सूचना में बताए पते पर पहुंच गए. घटनास्थल के आसपास भीड़ जमा थी. पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, मगर अधजले शव के पास ऐसी कोई चीज नहीं मिली जिस से मृतका की पहचान हो पाती.

थानाप्रभारी की सूचना पर सीओ राजेंद्र प्रसाद दिवाकर भी मौके पर पहुंच गए थे. उन्होंने भी मौके का निरीक्षण कर वहां खड़े लोगों से पूछताछ की. कोई भी उस शव की शिनाख्त नहीं कर सका.

नायकों की ढाणी का रहने वाला रामलाल नायक भी लाश मिलने की खबर पा कर जय गुरुदेव नगर कालोनी पहुंच गया. उस की बेटी  इंद्रा भी 26 अक्तूबर से लापता थी. झुलसी हुई लाश को वह भी नहीं पहचान सका. लाश की शिनाख्त न होने पर पुलिस ने जरूरी काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

मरने वाली युवती की शिनाख्त हुए बिना जांच आगे बढ़नी संभव नहीं थी. सीओ राजेंद्र प्रसाद दिवाकर और थानाप्रभारी अमराराम बिश्नोई इस बात पर विचारविमर्श करने लगे कि लाश की शिनाख्त कैसे हो. उसी समय उन के दिमाग में आइडिया आया कि यदि मृतका के अंगूठे के निशान ले कर उन की जांच कराई जाए तो उस की पहचान हो सकती है क्योंकि आधार कार्ड बनवाते समय भी फिंगर प्रिंट लिए जाते हैं. हो सकता है कि इस युवती का आधार कार्ड बना हुआ हो.

पुलिस ने आधार कार्ड मशीन में मृतका के अंगूठे का निशान लिया तो पता चला कि मृतका का आधार कार्ड बना हुआ है. इस जांच से यह पता चल गया कि मृतका का नाम इंद्रा पुत्री रामलाल नायक है. लाश की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने रामलाल नायक को सिटी थाने बुलाया और उस की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

पुलिस ने रामलाल नायक से पूछताछ की तो उस ने बताया कि इंद्रा करीब डेढ़ महीने पहले गांधी कालोनी निवासी अपने दोस्त दीपक के साथ बिना कुछ बताए कहीं चली गई थी. उन दिनों गणपति उत्सव चल रहा था. वह 7-8 दिन बाद वापस घर लौट आई थी. इस बार भी सोचा था कि उसी के साथ कहीं चली गई होगी. मगर उस का मोबाइल बंद होने के कारण उन्हें शंका हुई.

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रामलाल ने शक जताया कि इंद्रा की हत्या दीपक ने ही की होगी. रामलाल से पुलिस को पता चला कि इंद्रा के पास मोबाइल फोन रहता था जो लाश के पास नहीं मिला था. अब दीपक के मिलने पर ही मृतका के फोन के बारे में पता चल सकता था.

28 अक्तूबर को डा. बलदेव सिहाग, डा. अल्पना गुप्ता और डा. भूपेंद्र कुड़ी के 3 सदस्यीय मैडिकल बोर्ड ने इंद्रा के शव का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम के बाद शव उस के परिजनों को सौंप दिया गया.

केस को सुलझाने के लिए सीओ राजेंद्र प्रसाद दिवाकर के नेतृत्व में एक पुलिस टीम  बनाई गई. टीम में थानाप्रभारी (मेड़ता) अमराराम बिश्नोई, थानाप्रभारी (कुचेरा) महावीर प्रसाद, हैडकांस्टेबल भंवराराम, कांस्टेबल हरदीन, सूखाराम, अकरम, अनीस, हरीश, साबिर खान और महिला कांस्टेबल लक्ष्मी को शामिल किया गया. दीपक की तलाश में पुलिस ने इधरउधर छापेमारी की. तब कहीं 5 दिन बाद पहली नवंबर, 2017 को दीपक उर्फ दीपू पुलिस के हत्थे चढ़ पाया.

पुलिस ने थाने ला कर जब उस से इंद्रा की हत्या के बारे में पूछा तो वह थोड़ी देर इधरउधर की बातें करता रहा लेकिन थोड़ी सख्ती के बाद उस ने इंद्रा की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया.

पुलिस ने उसी रोज दीपक को मेड़ता सिटी कोर्ट में पेश कर के 5 दिन के रिमांड पर ले लिया और कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में इंद्रा मर्डर की जो कहानी प्रकाश में आई वह इस प्रकार निकली.

दीपक और इंद्रा एकदूजे से बेइंतहा मोहब्बत करते थे. लेकिन उन के संबंधों में दरार तब आई जब इंद्रा को दीपक की शादी होने की जानकारी मिली. इंद्रा को दीपक की यह बात बहुत बुरी लगी कि उस ने शादी करने की बात उस से छिपाए क्यों रखी. इंद्रा को यह महसूस हुआ कि दीपक उसे छल रहा है. इसलिए उस ने दीपक से संबंध खत्म कर पति के पास जाने का फैसला कर लिया. यही बात उस ने दीपक को साफसाफ बता दी.

दीपक ने उसी रोज तय कर लिया था कि अगर इंद्रा ने ससुराल जाने का कार्यक्रम नहीं बदला तो वह उसे जान से मार डालेगा. इंद्रा को यह खबर नहीं थी कि दीपक उस की जान लेने पर आमादा है. जब 26 अक्तूबर को दीपक ने इंद्रा को फोन कर के बुलाया तो उसे पता नहीं था कि प्रेमी के रूप में उसे मौत बुला रही है.

उसे 27 अक्तूबर को ससुराल जाना था इसलिए सोचा कि जाने से पहले एक बार दीपक से मिल ले. इसलिए उस के बुलावे पर वह उस से मिलने पहुंच गई. इंद्रा ने जब उसे बताया कि वह कल ससुराल जाएगी तो दीपक ने ससुराल जाने से उसे फिर मना किया. वह नहीं मानी तो वह उसे बहलाफुसला कर मोटरसाइकिल से सातलावास डिस्काम जीएसएस पर बने कमरे में ले गया.

ससुराल जाने के मुद्दे पर फिर इंद्रा से बहस हुई. दीपक को गुस्सा आ गया. उस ने पहले से बनाई योजनानुसार इंद्रा की चुन्नी उसी के गले में लपेट कर उस की हत्या कर दी. गला घोंटने से इंद्रा की आंखें बाहर निकल गईं और कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

इस के बाद उस की लाश को एक बोरे में डाला और बाइक पर रख कर उसे मेड़ता सिटी से बाहर जोधपुर रोड पर जय गुरुदेव कालोनी में सुनसान जगह पर ले गया.

इस के बाद अपनी मोटरसाइकिल से पैट्रोल निकाल कर रात के अंधेरे में लाश को आग लगा दी. उस ने सोचा कि अब शव की शिनाख्त नहीं हो पाएगी और वह बच जाएगा. लेकिन आधार मशीन पर मृतका के अंगूठे का निशान लेते ही लाश की शिनाख्त हो गई और फिर पुलिस दीपक तक पहुंच गई.

पुलिस ने दीपक की निशानदेही पर उस की बाइक भी जब्त कर ली, जो इंद्रा की लाश ठिकाने लगाने में प्रयुक्त की गई थी. पूछताछ पूरी होने पर दीपक उर्फ दीपू को 5 नवंबर, 2017 को पुन: कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. मामले की जांच थानाप्रभारी अमराराम बिश्नोई कर रहे थे. कथा लिखे जाने तक दीपक की जमानत नहीं हुई थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

‘हावड़ा पटना लव ऐक्सप्रैस’ वाया फेसबुक

‘तुम क्या काम करते हो? तुम्हारा घर कहां है?’ लड़की ने अपने फेसबुक फ्रैंड के चैट बौक्स में मैसेज डाला.

लड़के ने तुरंत जवाब दिया, ‘तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. मेरा घर पटना में है. तुम कहां रहती हो?’

लड़की ने भी पलट कर जवाब दिया, ‘मैं कोलकाता में रहती हूं. तुम भी मुझे काफी अच्छे लगते हो.’

लड़के ने मैसेज टाइप किया, ‘कोलकाता में कहां रहती हो? मैं तुम से मिलना चाहता हूं. हमारा मिलन कैसे होगा? मैं तुम्हारे बगैर जिंदा नहीं रह सकता हूं.’

लड़की ने लिखा, ‘‘मैं हावड़ा में रहती हूं. मैं भी तुम्हारे बिना जिंदगी की सोच नहीं सकती हूं….’’

इस तरह की मुहब्बत से भरी चैटिंग का सिलसिला चलता रहा. इस के बाद उन दोनों ने एकदूसरे का मोबाइल फोन नंबर मांगा. दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला भी चल पड़ा. उन दोनों की मुहब्बत इतनी परवान चढ़ी कि वे मिलने के लिए बेताब हो उठे. दोनों मिले भी. शादी भी कर ली. उस के बाद लड़की के साथ जो कुछ घटा, वह रूह कंपा देने वाला था.

दरअसल, पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले की रहने वाली 22 साल की लड़की सुलेखा को फेसबुक और ह्वाट्सऐप के जरीए बिहार के एक लड़के आसिफ से दोस्ती हुई. सोशल साइटों के जरीए शुरू हुई उन की प्रेमकहानी इस कदर परवान चढ़ने लगी कि लड़की अपने फेसबुकिया आशिक से मिलने पटना पहुंच गई.

मुहब्बत की आस में हावड़ा से पटना पहुंची सुलेखा को पटना में उस के प्रेमी से छलावा और ब्लैकमेलिंग के सिवा कुछ नहीं मिला. प्रेम में पागल उस लड़की ने अपने बदमाश प्रेमी को काफी समझाने की कोशिश की, पर बात नहीं बनी. प्रेमी की खातिर लड़की ने अपना धर्म भी बदलवा लिया, पर उस के बाद भी उस के हाथ कुछ नहीं आया. थकहार कर उस ने पुलिस और अदालत का दरवाजा खटखटाया.

सुलेखा ने 13 जून, 2016 की रात को पटना के महिला थाने में दुष्कर्म, धोखेबाजी और साइबर क्राइम का मामला दर्ज कराया. इस में उस ने पटना के फुलवारीशरीफ के हारुननगर के रहने वाले आसिफ के साथसाथ 5 लड़कों को आरोपी बनाया.

इस लड़की की शिकायत मिलने के बाद छापामारी कर पुलिस ने 2 लड़कों रिजवी और फैज को गिरफ्तार कर लिया. सुलेखा ने बताया कि अप्रैल, 2015 में उसे फुलवारीशरीफ के एक लड़के का फोन आया और उस के बाद ह्वाट्सऐप पर भी मैसेज आए. दोनों फेसबुक फ्रैंड थे. उस ने बताया कि उसे किसी काम से पटना आना था, तो उस ने अपने फेसबुक फ्रैंड को फोन किया. वह उस से मिलने मीठापुर महल्ले में आया. सुलेखा मीठापुर के ही ‘सौरभगौरव’ होटल में ठहरी हुई थी.

होटल में बातचीत और नाश्ते के दौरान आसिफ ने सुलेखा की कोल्ड ड्रिंक में नशीली चीज मिला दी. जब वह बेहोश हो गई, तो उस लड़के ने उस के साथ बलात्कार किया और उस का वीडियो भी बना लिया. इस के बाद वह सुलेखा को वीडियो दिखा कर उसे ब्लैकमेल करने लगा.

ब्लैकमेलिंग से परेशान सुलेखा 28 जनवरी, 2016 को पटना आई और लड़के से मिल कर मामले को खत्म करने की कोशिश की.

आसिफ ने उस से शादी करने का भरोसा दे कर अपने जाल में फिर फंसा लिया. उस ने उसे पटना कालेज के पास के एक गर्ल्स होस्टल में ठहराया. उस के बाद गांधी मैदान के आसपास के पार्क में उस का जबरन धर्म बदलवा कर निकाह कराया गया.

निकाह के बाद वे दोनों एनआईटी कालेज के पास नफीस कालोनी में रहने लगे. सुलेखा को लगा कि अब आसिफ सुधर गया है और उस की जिंदगी पटरी पर लौट आई है.

कुछ दिनों तक तो सबकुछ ठीकठाक चला, पर 15-16 दिनों के बाद ही आसिफ फिर अपने पुराने रंग में आ गया. निकाह के 25 दिनों के बाद अचानक आसिफ गायब हो गया. उस ने अपना मोबाइल फोन भी स्विच औफ कर दिया.

सुलेखा ने 5 दिनों तक अपने शौहर के आने का इंतजार किया, लेकिन जब वह कई दिनों तक नहीं लौटा, तो सुलेखा आसिफ के फुलवारीशरीफ वाले घर पर पहुंच गई.

पहले तो आसिफ के घर वालों ने उसे जलील किया और चले जाने को कहा. जब वह आसिफ से मिलने और उस के ही घर में रहने की जिद पर अड़ी रही, तो लड़के के भाई ने उसे अपने दोस्त के मकान में किराए पर रहने का इंतजाम करा दिया.

सुलेखा ने बताया कि उस के बाद उसे यह कह कर जलील किया जाता था कि उस ने सही तरीके से इसलाम नहीं अपनाया है. अच्छी तरह से सीखने के लिए उसे एक मदरसे में रख दिया गया. वहां भी उस के साथ बदसलूकी की गई. जब वह पेट से हुई, तो जबरन उस का बच्चा गिरा दिया गया.

14 जून, 2016 को अदालत में सुलेखा का बयान दर्ज कराया गया. आसिफ और उस के दोस्तों के खिलाफ किसी के धर्म को ठेस पहुंचाने के लिए धारा 295/ए, पेट गिराने के लिए धारा 313, मारपीट के लिए धारा 323, बंधक बनाने के लिए धारा 344, बलात्कार के लिए धारा 376, नशा कराने के लिए धारा 328, हत्या करने की धमकी देने के लिए धारा 387, धोखाधड़ी करने के लिए धारा 420, धोखे से शादी करने के लिए धारा 496 और धमकी देने के लिए धारा 506 के तहत केस दर्ज किया गया है.

तारतार यह फेसबुकिया प्यार

बिहार के भागलपुर शहर की रहने वाली सीमा (बदला हुआ नाम) बनारस के चेतगंज के इंटर कालेज में पढ़ती थी. पढ़ाई के दौरान ही फेसबुक के जरीए उस की दोस्ती रोहित नाम के लड़के से हुई. वह बनारस के धोरौया थाने के लोहरिया गांव का रहने वाला था.

फेसबुक के जरीए ही रोहित ने सीमा को बताया कि वह ‘मनमोहिनी’ नाम की फिल्म बना रहा है. उस ने सीमा को अपनी फिल्म में हीरोइन बनने का लालच दिया. इस के बाद उन दोनों के बीच चैटिंग शुरू हो गई.

जब वे दोनों चैटिंग के जरीए गहरे दोस्त बन गए, तो एक दिन सीमा रोहित से मिलने पहुंच गई. रोहित ने स्क्रीन टैस्ट के बहाने उस के जिस्म को खूब सहलाया और उस से लिपटने की कोशिश की.

सीमा को उस की हरकत पसंद नहीं आई और वह वहां से जाने लगी. रोहित ने उसे समझाया कि फिल्मों में काम करने के लिए बहुतकुछ करना पड़ता है और बहुतकुछ सहना भी पड़ता है. इस के बाद रोहित ने उस से कहा कि पटना में शूटिंग होनी है, इसलिए वह पटना में उस से मिले.

पटना पहुंचने से पहले सीमा ने रोहित से फोन पर बात की और ठहरने का ठिकाना पूछा. रोहित ने उसे एक होटल का पता बताया. पटना पहुंच कर सीमा उसी होटल में ठहरी.

सीमा को यह पता नहीं चला कि कब उसे गहरी नींद लग गई. कुछ देर बाद रोहित उस के कमरे में पहुंचा और उस के जिस्म से खेलने लगा. उस ने सीमा के साथ बलात्कार किया और उस की वीडियो फिल्म भी बना ली.

रोहित ने उसे धमकाया कि अगर वह किसी को कुछ बताएगी, तो उस की ब्लू फिल्म इंटरनैट पर डाल दी जाएगी. सीमा रोतेबिलखते बनारस लौट गई.

सीमा की तकलीफों का यहीं खात्मा नहीं हुआ. इस के बाद रोहित फोन कर के बताई हुई जगह पर आने के लिए उस पर दबाव बनाने लगा.

सीमा ने उस की बात नहीं मानी, तो उस ने उस के साथ बलात्कार के वीडियो को इंटरनैट पर डाल दिया. रोहित ने सीमा को इस बारे में बता भी दिया.

सीमा ने तुरंत चेतनगंज थाने में रोहित के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी. पुलिस ने रोहित को वाराणसी कैंट स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया. अब रोहित जेल की हवा खा रहा है और पुलिस उस के पुराने रिकौर्ड को खंगालने में लगी हुई है.

दूसरी औरत के जाल में फंसा इदरीस

मुरादाबाद से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित कस्बा कांठ के मोहल्ला पट्टीवाला के रहने वाले कारोबारी इदरीस 11 जनवरी, 2018 को गायब हो गए. दरअसल, इदरीस की कांठ में ही कपड़ों की सिलाई की फैक्ट्री है. उन की फैक्ट्री में सिले कपड़े कई शहरों के कारोबारियों को थोक में सप्लाई होते हैं.

11 जनवरी को वह प्रतापगढ़ और सुलतानपुर के कारोबारियों से पेमेंट लेने के लिए घर से निकले थे. जब भी वह पेमेंट के टूर पर जाते तो फोन द्वारा अपने परिवार वालों के संपर्क में रहते थे. घर से निकलने के 2 दिन बाद भी जब उन का कोई फोन नहीं आया तो उन की पत्नी कनीजा ने बड़े बेटे शहनाज से पति को फोन कराया तो इदरीस का फोन स्विच्ड औफ मिला. शहनाज ने अब्बू को कई बार फोन मिलाया, लेकिन हर बार फोन बंद ही मिला. इस पर कनीजा भी परेशान हो गई.

इदरीस की फैक्ट्री के रिकौर्ड में उन सारे कारोबारियों के नामपते व फोन नंबर दर्ज थे, जिन के यहां फैक्ट्री से तैयार माल जाता था. चूंकि इदरीस प्रतापगढ़ और सुलतानपुर के लिए निकले थे, इसलिए शहनाज ने प्रतापगढ़ और सुलतानपुर के कारोबारियों को फोन कर के अपने अब्बू के बारे में पूछा.

कारोबारियों ने शहनाज को बता दिया कि इदरीस उन के पास आए तो थे लेकिन वह 11 जनवरी को ही पेमेंट ले कर चले गए थे. पता चला कि दोनों कारोबारियों ने इदरीस को 5 लाख रुपए दिए थे. यह जानकारी मिलने के बाद इदरीस के घर वाले परेशान हो गए. सभी को चिंता होने लगी.

इदरीस ने जानपहचान वाले सभी लोगों को फोन कर के अपने अब्बू के बारे में पूछा लेकिन उसे उन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. तभी कनीजा शहनाज के साथ प्रतापगढ़ पहुंच गईं. वहां के एसपी से मुलाकात कर उन्होंने पति के गायब होने की बात बताई.

एसपी ने इदरीस का फोन सर्विलांस पर लगवा दिया. इस से उस की अंतिम लोकेशन अमरोहा जिले के गांव रायपुर कलां की पाई गई. यह गांव अमरोहा देहात थाने के अंतर्गत आता है. प्रतापगढ़ पुलिस ने उन्हें अमरोहा देहात थाने में संपर्क करने की सलाह दी.

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30 जनवरी, 2018 को शहजाद और कनीजा थाना अमरोहा देहात पहुंचे. उन्होंने इदरीस के गुम होने की जानकारी थानाप्रभारी धर्मेंद्र सिंह को दी. थानाप्रभारी ने शहनाज की तरफ से उस के पिता की गुमशुदगी दर्ज कर ली. शहनाज ने शक जताया कि उस के घर के सामने रहने वाली फरीदा और उस के पति आरिफ ने ही उस के पिता को कहीं गायब किया होगा.

रहस्य से उठा परदा

मामला एक कारोबारी के गायब होने का था, इसलिए थानाप्रभारी ने सूचना एसपी सुधीर यादव को दे दी. एसपी सुधीर यादव ने सीओ मोनिका यादव के नेतृत्व में एक जांच टीम गठित की. टीम में थानाप्रभारी धर्मेंद्र सिंह, एसआई सुनील मलिक, डी.पी. सिंह, महिला एसआई संदीपा चौधरी, कांस्टेबल सुखविंदर, ब्रजपाल सिंह आदि को शामिल किया गया.

पुलिस ने सब से पहले इदरीस के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि इदरीस के घर के सामने रहने वाली फरीदा ने 13 जनवरी को इदरीस के मोबाइल पर 50 बार काल की थी. शहनाज ने भी फरीदा और उस के पति पर शक जताया था, इसलिए पुलिस को भी फरीदा पर शक हो गया.

पुलिस ने फरीदा और उस के पति आरिफ को पूछताछ के लिए उठा लिया. उन दोनों से पुलिस ने इदरीस के बारे में सख्ती से पूछताछ की. पुलिस की सख्ती के आगे फरीदा और उस के पति ने स्वीकार कर लिया कि उन्होंने शहजाद की हत्या कर उस की लाश बशीरा के आम के बाग में दफन कर दी है.

थानाप्रभारी धर्मेंद्र सिंह ने इदरीस का कत्ल हो जाने वाली बात एसपी को बता दी. यह जानकारी पा कर एसपी सुधीर कुमार थाना अमरोहा देहात पहुंच गए. उन की मौजूदगी में थानाप्रभारी ने अभियुक्तों को रायपुर कलां निवासी बशीरा के आम के बाग में ले जा कर खुदाई कराई तो इदरीस की लाश करीब 5 फीट नीचे दबी मिली.

पुलिस ने वह लाश अपने कब्जे में ले ली. जरूरी काररवाई कर के पुलिस ने इदरीस की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. फरीदा और आरिफ ने पूछताछ के दौरान इदरीस की हत्या की जो कहानी बताई, वह अवैध संबंधों पर आधारित निकली—

इदरीस की कांठ में ही कपड़ों की सिलाई करने की फैक्ट्री थी. उस की फैक्ट्री में फरीदा नाम की महिला भी सिलाई करती थी. वह इदरीस के घर के सामने ही रहती थी. उस का पति साइकिल मरम्मत करता था. अन्य कारीगरों के मुकाबले इदरीस फातिमा का बहुत खयाल रखता था.

इतना ही नहीं, वह अन्य कारीगरों से उसे ज्यादा पेमेंट करता था. इस मेहरबानी की वजह यह थी कि इदरीस फरीदा को चाहने लगा था. इदरीस की कोशिश रंग लाई और उस के फरीदा से प्रेम संबंध बन गए.

इदरीस और फरीदा दोनों ही बालबच्चेदार थे, जहां इदरीस के 5 बच्चे थे, वहीं फरीदा भी 2 बच्चों की मां थी. करीब डेढ़ साल से दोनों के नाजायज संबंध चले आ रहे थे. इसी दौरान फरीदा एक और बेटे की मां बन गई. इदरीस फरीदा के छोटे बेटे को अपना बेटा बताता था, इसलिए वह उस का कुछ खास ही खयाल रखता था. इदरीस फरीदा को बहुत चाहता था. वह चाहता था कि फरीदा जिंदगी भर के लिए उस के साथ रहे, इसलिए वह फरीदा पर निकाह करने का दबाव बना रहा था.

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समझाने पर भी नहीं माने फरीदा और इदरीस

उधर इदरीस और फरीदा के प्रेमसंबंधों की जानकारी पूरे मोहल्ले को थी. फरीदा के पति आरिफ ने भी फरीदा को बहुत समझाया कि उस की वजह से परिवार की मोहल्ले में बदनामी हो रही है. वह इदरीस से मिलना बंद कर दे. उधर इदरीस के पिता बाबू ने भी इदरीस को समझाया कि वह क्यों अपनी घरगृहस्थी और कारोबार को बरबाद करने पर तुला है. फरीदा को भूल कर वह अपने परिवार पर ध्यान दे.

लेकिन इदरीस फरीदा के प्रेमजाल में ऐसा फंसा था कि उसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं था. उस के सिर पर एक ही धुन सवार थी कि फरीदा अपने पति को तलाक दे कर उस के साथ निकाह कर ले. वह यही दबाव फरीदा पर लगातार बना रहा था, पर फरीदा ऐसा करने को मना कर रही थी. वह कह रही थी कि जैसा चला आ रहा है, वैसा ही चलता रहने दे.

घटना के करीब 15 दिन पहले जब रात में फरीदा के पास इदरीस का फोन आया तो फोन की घंटी बजने से आरिफ की नींद खुल गई. फरीदा लिहाफ के अंदर ही इदरीस से बातें करने लगी. किसीकिसी फोन के स्पीकर की आवाज इतनी तेज होती है कि पास का आदमी भी बातचीत सुन सकता है.

फरीदा के पास भी ऐसा ही फोन था. वह अपने प्रेमी इदरीस से जो भी बात कर रही थी, वह आरिफ भी सुन रहा था. इदरीस उस से कह रहा था कि वह अपने पति आरिफ को ठिकाने लगवा दे. इस काम में वह उस की पूरी मदद करेगा. उस के बाद हम दोनों निकाह कर लेंगे.

अपनी हत्या की बात सुन कर आरिफ के होश उड़ गए. उस ने उस समय पत्नी से कुछ भी कहना मुनासिब नहीं समझा. सुबह होते ही आरिफ ने इस बारे में पत्नी से बात की. वह झूठ बोलने लगी. इस बात पर दोनों के बीच नोकझोंक भी हुई.

इस के बाद आरिफ ने फरीदा को विश्वास में लिया और घरगृहस्थी का वास्ता दे कर कहा, ‘‘देखो फरीदा, इदरीस कितना गिरा हुआ आदमी है, वह मेरी हत्या कराने पर तुला है. अपने स्वार्थ में वह तुम्हारी भी हत्या करवा सकता है. तुम खुद सोच लो कि अब क्या चाहती हो. यहां रहोगी या उस के साथ?’’

फरीदा ने अपने बच्चों का वास्ता दे कर आरिफ से कहा, ‘‘मैं इसी घर में तुम्हारे और बच्चों के साथ रहूंगी. उस के साथ नहीं जाऊंगी.’’

बन गई कत्ल की भूमिका

आरिफ ने सोचा कि आज नहीं तो कल इदरीस उस के लिए नुकसानदायक साबित होगा, इसलिए उस ने तय कर लिया कि वह इदरीस को सबक सिखाएगा. इस काम में उस ने पत्नी फरीदा को भी मिला लिया. फरीदा ने पति को यह भी बता दिया कि इदरीस पार्टियों से पेमेंट लेने के लिए प्रतापगढ़ और सुलतानपुर गया हुआ है. इस पर आरिफ ने उस से कहा कि किसी बहाने से उसे बुला लो तो बाकी का काम वह कर देगा.

आरिफ के साले फरियाद को यह पता था कि इदरीस की वजह से उस की बहन के घर में तनाव रहता है, इसलिए आरिफ के कहने पर फरियाद भी इदरीस की हत्या के षडयंत्र में शामिल हो गया.

उधर प्रतापगढ़ और सुलतानपुर के कारोबारियों से करीब 5 लाख रुपए का कलेक्शन कर के इदरीस 13 जनवरी को कांठ लौट रहा था. सफर में उस ने अपना फोन साइलेंट मोड पर लगा लिया था. फरीदा ने इदरीस से बात करने के लिए फोन किया पर इदरीस को इस का पता नहीं चला. फरीदा उसे लगातार फोन कर रही थी.

कांठ पहुंचने पर इदरीस ने जैसे ही अपना फोन देखा तो प्रेमिका की 50 मिस्ड काल देख कर चौंक गया. उसे लगा कि पता नहीं क्या बात है जो उस ने इतनी बार फोन मिलाया. इदरीस ने फरीदा को फोन कर के कहा, ‘‘फरीदा, मेरा फोन साइलेंट मोड पर था, इसलिए तुम्हारी काल के बारे में पता नहीं लगा. बताओ, क्या बात है?’’

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‘‘मैं ने तय कर लिया है कि मैं आरिफ को तलाक दे कर तुम से निकाह करूंगी. इसी बारे में तुम से बात करना चाह रही थी.’’ फरीदा बोली, ‘‘मैं चाहती हूं कि तुम अभी कांठ बसअड्डे पर आ जाओ, वहीं पर हम बात कर लेंगे.’’

प्रेमिका के मुंह से अपने मन की बात सुन कर इदरीस खुश हो गया. उस ने कहा, ‘‘फरीदा, मैं कुछ देर में ही वहां पहुंच रहा हूं. तुम भी जल्द पहुंच जाना.’’

‘‘ठीक है, तुम आ जाओ, मैं वहीं मिलूंगी.’’ फरीदा बोली.

इदरीस थोड़ी देर में बसअड्डे पर पहुंच गया. फरीदा अपने पति के साथ वहां पहले से ही मौजूद थी. औपचारिक बातचीत के बाद फरीदा ने कहा, ‘‘रायपुर खास गांव में मेरे भाई के यहां खाने का इंतजाम है. वहां चलते हैं, वहीं बातचीत हो जाएगी.’’

इदरीस खानेपीने का शौकीन था. उस समय भी वह शराब पिए हुए था, इसलिए फरीदा के साथ रायपुर खास गांव जाने के लिए तैयार हो गया. जब वह वहां पहुंचा तो फरीदा के भाई फरियाद ने इदरीस का गर्मजोशी से स्वागत किया. उस ने चिकन बना रखा था.

कुछ देर बातचीत के बाद फरियाद ने उस से खाना खाने को कहा तो शराब के शौकीन इदरीस ने शराब पीने की इच्छा जताई. इस पर फरियाद ने कहा कि यह सब घर पर संभव नहीं है. पीनी है तो कांठ बसअड्डे पर ठेका है, वहीं पर पी लेंगे.

इदरीस को मिली मौत की दावत

इदरीस बसअड्डे पर जाने के लिए तैयार हो गया. इदरीस और आरिफ फरियाद की मोटरसाइकिल पर बैठ कर कांठ बसअड्डे पहुंच गए. इदरीस ने पैसे दे कर एक बोतल रम मंगा ली. फरियाद एक बोतल रम और पकौड़े ले आया तो आरिफ बोला, ‘‘चलो, बाग में बैठ कर पिएंगे. उस के बाद खाना खाएंगे. वहीं बात भी हो जाएगी.’’

शराब की बोतल और पकौड़े ले कर तीनों मोटरसाइकिल से आम के बाग में पहुंच गए. बाग में बैठ कर तीनों ने शराब पी. योजना के अनुसार आरिफ व फरियाद ने कम पी और इदरीस को कुछ ज्यादा ही पिला दी थी.

इदरीस जब ज्यादा नशे में हो गया तो आरिफ इदरीस से बोला, ‘‘देखो इदरीस भाई, तुम पैसे वाले हो. मैं छोटा सा एक साइकिल मैकेनिक हूं. मेरी तुम्हारी क्या बराबरी. तुम यह बताओ कि मेरा घर क्यों बरबाद कर रहे हो. तुम्हारी वजह से वैसे भी मोहल्ले में मेरी बहुत बदनामी हो गई है. अब तो पीछा छोड़ दो.’’

‘‘देखो आरिफ, तुम एक बात ध्यान से सुन लो. मैं फरीदा से बहुत प्यार करता हूं. अब फरीदा मेरी है. उसे मुझ से कोई भी अलग नहीं कर सकता. तुम्हें यह भी बताए देता हूं कि उस का जो 5 महीने का बच्चा है, वह मेरा ही है.’’

आरिफ भी नशे में था. यह सुनते ही उस का और फरियाद का खून खौल उठा. दोनों ने उस से कहा कि लगता है तू ऐसे नहीं मानेगा. इस के बाद दोनों ने इदरीस के गले में पड़े मफलर से उस का गला घोंट दिया, जिस से उस की मौत हो गई.

इदरीस की हत्या करने के बाद उन्होंने उस की लाश मोटरसाइकिल से बाग के बीचोबीच ले जा कर डाल दी. तलाशी लेने पर इदरीस की जेब से 5 लाख रुपए और एक मोबाइल फोन मिला. दोनों ही चीजें उन्होंने निकाल लीं.

उस के बाद फरियाद घर से फावड़ा ले आया. आरिफ और फरियाद ने करीब 5 फुट गहरा गड्ढा खोद कर इदरीस की लाश दफन कर दी. लाश ठिकाने लगा कर वे अपने घर लौट गए. इदरीस की जेब से मिले पैसे दोनों ने आपस में बांट लिए.

पुलिस ने फरीदा, उस के पति आरिफ के बाद फरियाद को भी गिरफ्तार कर लिया. उन की निशानदेही पर पुलिस ने 70 हजार रुपए, इदरीस का मोबाइल फोन और फावड़ा बरामद कर लिया.

पुलिस ने 11 फरवरी, 2018 को तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक तीनों अभियुक्त जेल में बंद थे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

छिपे हुए इश्क की अनोखी दास्तान

सुबह के ठीक 9 बजे थे. तारीख थी 7 मई, 2022. मध्य प्रदेश के जिला मुरैना थाना सिहोनिया के थानाप्रभारी पवन सिंह भदौरिया अपने कक्ष में आ कर बैठे ही थे कि तभी एक अधेड़ महिला उन की टेबल के सामने आ कर खड़ी हो गई. उस के साथ एक छोटी लड़की भी थी, वह उस का हाथ पकड़े  थी.

महिला परेशान और कमजोर दिख रही थी. उसे भदौरिया ने कुरसी पर बैठने का इशारा किया. एक कुरसी पर वह बैठ गई और बगल की दूसरी कुरसी पर साथ आई लड़की को बैठा दिया.

उस ने जो बात बताई उसे सुन कर भदौरिया चौंक गए. परिचय देते हुए उस ने अपना नाम मीराबाई बताया. उस ने कहा कि वह स्व. रामजी लाल सखवार की विधवा है और पास के ही गांव छत्त का पुरा में रहती है.

उस ने चौंकाने वाली बात यह बताई कि उस का बेटा विश्वनाथ 23 नवंबर, 2020 से ही घर नहीं आया है, जबकि वह खेतों में काम करने को कह कर गया था. वह गायब करवा दिया गया है. उस की पत्नी राजकुमारी का कहना है कि वह काम के सिलसिले में गुजरात में रह रहा है, लेकिन मुझे पूरा शक है कि उस की हत्या की जा चुकी है.

भदौरिया ने मीराबाई से उस के बेटे के बारे में कुछ और जानकारी मांगते हुए पूछा कि वह कैसे कह सकती है कि उस के बेटे की किसी ने हत्या कर दी होगी. या फिर वह इस का सिर्फ अंदेशा जता रही है?

इतना सुनते ही मीराबाई बिलखने लगी. भदौरिया ने उसे एक गिलास पानी पिलवाया और शांति से बेटे के बारे में बताने को कहा कि उस के बेटे से किस की दुश्मनी थी? वह कहां आताजाता था? पत्नी से उस के कैसे संबंध थे? उस के गायब करने के पीछे किस का हाथ हो सकता है? इत्यादि.

मीराबाई 2-3 मिनटों तक शांत बैठी रही, फिर उस ने बताना शुरू किया कि आखिर उसे क्यों अपने बेटे की मौत हो जाने की आशंका है? इस के पीछे कौन हो सकता है? उसे किस तरह से 22 महीनों तक धोखे में रखा गया? उसे अपनी बहू पर क्यों संदेह है? मीराबाई ने भदौरिया को जो कुछ बताया वह इस प्रकार है—

साहबजी, मेरे बेटे का नाम विश्वनाथ संखवार है. वह खेतीकिसानी के पुश्तैनी काम से जुड़ा रहा है. इस काम से कई बार गांव से दूसरे शहरों में भी जाता रहा है. उसे मैं ने अखिरी बार 2 साल पहले नवंबर महीने में तब देखा था, जब कोरोना फैला हुआ था. तारीख अच्छी तरह से याद है. उस रोज की 23 नवंबर, 2020 थी.

वह रोज की तरह उस दिन अपने खेत पर गया था, रात गहराने पर भी जब खेत से लौट कर नहीं आया, तब मैं ने अपनी बहू राजकुमारी से उस के बारे में पूछताछ की. बहू ने मुझे बताया कि गुजरात से उन के किसी दोस्त का फोन आया था, इसलिए उन्हें अचानक गुजरात जाना पड़ गया था. वह 4-5 दिनों में लौट आएंगे.

किंतु जब बेटा 5 दिन बाद भी लौट कर नहीं आया, तब मुझे चिंता हुई. मैं ने अपनी बहू से फिर उस के बारे में पूछताछ की. उस ने अपने मोबाइल से मेरे बेटे के स्थान पर किसी और को बेटा बता कर मेरी बात करा दी. मुझे आवाज सुन कर थोड़ा संदेह हुआ, लेकिन बहू ने दबाव डाल कर कहा कि उस की बात उस के बेटे से ही हुई है. उस की थोड़ी तबीयत ठीक नहीं होने से आवाज बदली हुई लगी होगी.

मुझे लगा कि हो सकता है सुनने में ऐसा हुआ हो. उस की बेटे से ही बात हुई होगी. उम्र अधिक होने और सुनने और देखने की समस्या है. जबकि सच तो यह था कि बहू मेरी इस कमजोरी का फायदा उठा कर बेटे की जगह किसी और से बात करवाती रही है. एक ही आवाज सुनसुन कर मैं ने उसे ही अपना बेटा समझ लिया.

यह तो भला हो बेटी वंदना का, जिस ने बहू के इस झांसे को पकड़ लिया. वह अपने मायके आई हुई थी. घर में अपने बड़े भाई को नहीं पा कर उस ने भी भाभी राजकुमारी से पूछताछ की.

बहू ने अपनी ननद को भी बताया कि उस के भैया इन दिनों गुजरात में रह रहे हैं. किसी और को भाई बता कर मोबाइल फोन पर उस की बात करवाने लगी. बात शुरू करते ही वंदना ने कहा कि उस की बात विश्वनाथ भैया से नहीं हो रही है. कोई और आदमी उस के भाई की आवाज बना कर बात कर रहा है.

इस तरह वंदना ने भाभी के झूठ और जालसाजी को पकड़ लिया था. उस ने भाभी से पूछा कि वह भैया के बारे में सचसच बताए. इस समय वह कहां हैं? भाभी इस का सही तरह से जवाब नहीं दे पाई. इस के बाद ही बेटी वंदना ने मुझे थाने में भाई की गुमशुदगी की सूचना लिखवाने की सलाह दी.

थानाप्रभारी पवन सिंह भदौरिया ने मीराबाई की जानकारी के आधार पर विश्वनाथ की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली. साथ ही उन्होंने इस पर काररवाई की शुरुआत करते हुए सब से पहले मुरैना के सभी थानों में विश्वनाथ के हुलिए आदि की जानकारी उपलब्ध करवा दी.

विश्वनाथ के गायब होने की सूचना भी प्रसारित करवा दी गई. मामला एक वैसे वयस्क पुरुष के 22 माह से गुमशुदा होने से संबंधित था, जो परिवार का मुखिया था. इसलिए सिहोनिया थानाप्रभारी ने इसे गंभीरता से ले कर अपने कुछ खास मुखबिर भी लगा दिए.

मुखबिरों को सौंपे गए कार्यों में एक कार्य विश्वनाथ की पत्नी के चालचलन के बारे जानकारी जुटाने का भी था. जल्द ही उन से राजकुमारी के अरविंद सखवार नाम के व्यक्ति के साथ अवैध संबंध होने के एक राज का पता चल गया.

मुखबिर ने बताया कि वह विश्वनाथ की गैरमौजूदगी में राजकुमारी से मिलने घर पर आता रहता था. विश्वनाथ के बच्चे उसे चाचा कह कर बुलाते थे. इन दिनों भी उस का आनाजाना लगा हुआ है.

भदौरिया के लिए यह बेहद महत्त्वपूर्ण जानकारी थी. उन की जांच की सुई राजकुमारी और अरविंद की ओर घूम गई. इस में उन्होंने अवैध संबंध होने के तार जोड़ लिए. अब उन्हें किसी तरह राजकुमारी और अरविंद के बीच अवैध संबंध के ठोस सबूत की जरूरत थी, ताकि उन की गतिविधियों में विश्वनाथ के शामिल होने का पता चल सके.

इस की तहकीकात में तेजी लाने के लिए उन्होंने अपने मातहतों को साइबर सेल की मदद लेने का निर्देश दिया. विश्वनाथ, राजकुमारी और अरविंद के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर जब उस का अध्ययन किया गया, तब पता चला कि बीते 22 महीनों में राजकुमारी और अरविंद सखवार के बीच सैकड़ों बार बातचीत हुई है.

कई बार तो उन के बीच घंटों तक बातचीत हुई थी. इसी के साथ महत्त्वपूर्ण जानकारी 23 नवंबर, 2020 के शाम की थी. उसी दिन अचानक गायब हुए विश्वनाथ, राजकुमारी और अरविंद के मोबाइल फोन नंबरों की लोकेशन सिकरोदा नहर के किनारे की पाई गई.

यहां तक कि गुमशुदा विश्वनाथ और उस की पत्नी राजकुमारी एवं अरविंद सखवार का नंबर जिस मोबाइल फोन में चलाया जा रहा था, उस का आईएमईआई नंबर एक ही था.

यह जानकारी थानाप्रभारी को एक महत्त्वपूर्ण कड़ी लगी. उन्होंने तुरंत सादे कपड़ों में महिला कांस्टेबल को राजकुमारी के घर उस वक्त भेजा, जिस वक्त वह घर पर नहीं थी. कांस्टेबल ने राजकुमारी के बेटे और बेटी से पूछताछ की.

उन से चौंकाने वाली जानकारी हाथ लगी. राजकुमारी के बेटे ने तो यहां तक बताया कि 23 नवंबर की शाम को उन के घर अरविंद चाचा आए थे. मम्मी ने पापा को बाजरे का लड्डू खिलाया था. उस के बाद वह सामान खरीदने की बात कह कर उन्हें अरविंद चाचा की बाइक पर बैठा कर ले गई थी. उस दिन के बाद से पापा वापस घर नहीं लौटे हैं.

इस जानकारी से विश्वनाथ के बारे में पुलिस को एक ठोस सबूत मिल गया था. उस के बाद ही थानाप्रभारी ने 10 अगस्त, 2022 को राजकुमारी और अरविंद को थाने बुलाया. उन से अलगअलग घंटों तक पूछताछ की गई. उन से पूछताछ में सामान्य सवाल पूछे गए, जिस में इधरउधर की बातचीत ही अधिक शामिल थी. इस तरह उन पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया गया.

धीरेधीरे राजकुमारी पर पुलिस की सख्ती बढ़ती चली गई. आखिरकार पुलिस की सख्ती के आगे राजकुमारी टूट गई. उस ने अपना जुर्म कुबूल करते हुए जो कुछ बताया, उस से विश्वनाथ की हत्या की पूरी कहानी साफ हो गई.

राजकुमारी ने बताया कि 23 नवंबर, 2020 को ही योजनाबद्ध तरीके से उस ने पति को बाजरे के आटे से बने लड्डू में नींद की गोलियां मिला दी थीं. उस के बाद बाजार से सामान खरीदने के बहाने साथ ले कर चली गई थी.

नींद की गोलियों के असर से पति को गहरी नींद आ जाने पर राजकुमारी ने अपने प्रेमी अरविंद से मिल कर उस के कपड़े उतार दिए थे. उस की जेब से मोबाइल फोन और पर्स निकालने के बाद उसी अवस्था में सिकरोदा की नहर में फेंक दिया. तब उन्होंने सोच लिया कि उसे ठिकाने लगा दिया गया है और उन के रास्ते का कांटा निकल गया है.

अगले दिन यानी 24 नवंबर, 2020 को थाना सरायछोला पुलिस द्बारा नहर में बह कर आए अज्ञात व्यक्ति के शव के बरामद किए जाने की जानकारी राजकुमारी को मिली. इस की पुष्टि के लिए उस ने अरविंद को खासतौर से थाने भेजा. अरविंद ने बताया कि उस शव की शिनाख्त किसी ने नहीं की. उसे अज्ञात समझ कर पुलिस ने अंतिम संस्कार करा दिया.

विश्वनाथ को रास्ते से हटाने के बारे में राजकुमारी ने उस के अरविंद के साथ प्रेम संबंध का होना बताया, जिस के बारे में उसे जानकारी हो गई थी. राजकुमारी ने बताया कि उसे ले कर विश्वनाथ के साथ झगड़े होते रहते थे. उन के दांपत्य जीवन में कड़वाहट आ गई थी.

राजकुमारी ने बताया कि उस का पति विश्वनाथ खेतीकिसानी के काम के चलते घर काफी देर से लौटता था. फिर हाथपैर धो कर खाना खाने के बाद गांव की चौपाल पर ताश खेलने निकल जाता था. ताश खेलने के बाद वह आधी रात को ही घर लौटता था. घर आते ही गहरी नींद में सो जाता था. ऐसी स्थिति में वह देहसुख से वंचित रहती थी.

अरविंद विश्वनाथ के ट्रैक्टर का ड्राइवर था. वह 3 साल पहले ही राजकुमारी के संपर्क में आया था. विश्वनाथ के घर पर नहीं होने पर भी वह बेधड़क घर आताजाता रहता था. बच्चों से भी काफी घुलमिल गया था.

राजकुमारी को पहले तो मालकिन कहता था, लेकिन उस के कहने पर ही उसे भाभी कहने लगा था. कभीकभार राजकुमारी से मजाक भी कर लिया करता था. उस की गदराई देह को वह तिरछी नजरों से देखता रहता था.

राजकुमारी को भी अरविंद की चिकनीचुपड़ी बातें सुनने में मजा आता था और उस के मजाक का जवाब मजाक में देने लगी थी. बहुत जल्द ही वह उस के प्रभाव में आ गई थी.

राजकुमारी ने बताया कि अरविंद ने उसे इतना प्रभावित कर दिया था कि जब तक दिन भर में एक बार उस का दीदार नहीं कर लेती थी, उसे चैन नहीं मिलता था.

बस फिर क्या था, अरविंद भी उसे चाहत भरी नजरों से ताकने लगा था. एक दिन उस ने मौका पा कर राजकुमारी को अपनी बाहों में जकड़ लिया था. वह पुरुष सुख से वंचित थी, इसलिए उसे अरविंद का रोमांस अच्छा लगा और फिर खुद को नहीं रोक पाई.

राजकुमारी के अनुसार, अरविंद से उस रोज जो संतुष्टि मिली थी, वह पति के साथ कई सालों में नहीं मिली थी. वह गबरू जवान बलिष्ठ मर्द था. फिर तो दोनों ओर से जब भी चाहत जागती वे सैक्स करने का मौका निकाल लेते.

वह अकसर उस वक्त घर पर ट्रैक्टर लेने और पहुंचाने आता था, जब विश्वनाथ घर पर नहीं होता था. बूढ़ी सास को काफी कम सुनाई देता था. उस की आंखों की रोशनी भी धुंधली थी.

राजकुमारी ने बताया कि एक दिन रात को अरविंद घर पर आया हुआ था. उस दौरान पति दोनों बच्चों को ले कर शादी में जयपुर गया हुआ था. घर में उस के अलावा सिर्फ सास ही थी. घर में सन्नाटा पा कर अरविंद वहीं रुक गया. उन की वह रात मौजमस्ती में गुजरी, लेकिन अलसुबह विश्वनाथ बच्चों समेत घर आ गया. उस रोज अरविंद और राजकुमारी रंगेहाथ पकड़े गए.

उस वक्त अरविंद तो विश्वनाथ की डांटडपट सुन कर चला गया, लेकिन राजकुमारी की नजर पर विश्वनाथ चढ़ गया था. उस घटना के बाद से विश्वनाथ दोनों पर नजर रखने लगा था. हालांकि उस के बाद उस ने अरविंद को नौकरी से निकाल दिया था.

राजकुमारी को यह बात और बुरी लगी. उस ने अरविंद को अपनी एक योजना बताई. अरविंद साथ देने के लिए तैयार हो गया. अरविंद की वासना में अंधी राजकुमारी ने अपने सुहाग को ही दांव पर लगा दिया था.

इस तरह से विश्वनाथ की हत्या के बाद वह अपने बच्चों को गांव में बूढ़ी सास के सहारे छोड़ कर मुरैना में कमरा ले कर रहने लगी थी.

हालांकि वह बीचबीच में बच्चों और सास से मिलने गांव आ जाती थी. सास को झांसा दिए रहती थी कि उस ने विश्वनाथ के गुजरात जाने के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी अपने सिर पर उठा ली है.

विश्वनाथ की गुमशुदगी के मामले में थाना सिहोनिया पुलिस ने राजकुमारी और उस के प्रेमी अरविंद को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर दिया, जहां दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद विश्वनाथ की पत्नी और उस के प्रेमी को जेल भेज दिया गया.

राजकुमारी ने जो सोचा था, वह पूरा नहीं हुआ. वह अपने पति की हत्या की अपराधी भी बन गई और उस के साथ उस का प्रेमी फंस गया. जो सोच कर उस ने पति की हत्या की, वह अब शायद ही पूरा हो.     द्य

(कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित)

सांप सीढ़ी वाले प्यार का भयानक अंजाम

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के थाना हाईवे क्षेत्र स्थित नगला बोहरा में रिटायर्ड फौजी तेजवीर सिंह का घर है. वे फरीदाबाद में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं. शाम लगभग 5 बजे उन के घर का दरवाजा किसी ने खटखटाया. बोला शादी का कार्ड देना है. दरवाजा तेजवीर सिंह की बड़ी बेटी सोनम ने खोला. युवक शादी का कार्ड देने की बात कहता हुआ घर के अंदर आ गया. कार्ड के साथ मिठाई का डिब्बा भी था.

अनजान युवक को देख कर मां उस से कुछ पूछती, तब तक युवक ने तेजवीर सिंह की बेटी सोनम पर शादी के कार्ड में छिपा कर लाए चाकू से ताबड़तोड़ प्रहार करने शुरू कर दिए.

जब बेटी को बचाने मां सुनीता बीच में आईं तो युवक ने उन पर भी चाकू से वार किए. घर में घुसते ही युवक ने खूनी होली खेली. शोर सुन कर आसपास के लोग जैसे ही घर की ओर दौड़े, युवक ने खुद के सीने व पेट पर भी कई चाकू मारे. इस से वह जख्मी हो गया और वहीं गिर गया. यह घटना 19 जून, 2022 की है.

घर में हुए इस खूनखराबे को देख कर सोनम की छोटी बहन और छोटे भाई की बुरी हालत हो गई. घर में चारों तरफ खून ही खून देख कर वे डर से कांपने लगे. सोनम की तो मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि मां सुनीता गंभीर रूप से घायल पड़ी थीं.

फर्श पर युवती की लाश और पास में पड़े खून के धब्बे. ये वो तसवीर थी, जिस ने कृष्ण की नगरी मथुरा के मोहब्बत जैसे खूबसूरत शब्दों को उलट कर रख दिया था.

इसी बीच जुटी भीड़ में से किसी ने थाना हाईवे पुलिस को घटना की सूचना दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अजय कौशल पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

पुलिस ने आननफानन में ग्रामीणों की मदद से घायल सुनीता और युवक को उपचार के लिए अस्पताल भिजवाया. घायल सुनीता को सिटी हौस्पिटल व आरोपी को जिला हौस्पिटल  में भरती कराया गया. बाद में युवक को आगरा के एस.एन. मैडिकल कालेज रैफर कर दिया गया. दोनों की हालत नाजुक थी.

एसपी (सिटी) मार्तंड प्रकाश सिंह ने घटना के बाद जानकारी दी कि हमलावर युवक व मृतका की मां सुनीता की हालत गंभीर है. इसलिए दोनों से पूछताछ नहीं की जा सकी है. युवक की बैग में उस का आधार कार्ड मिला था.

इस बीच घटना की गंभीरता को देखते हुए थानाप्रभारी ने उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा दिया.

जानकारी मिलते ही एसपी (सिटी) मार्तंड प्रकाश सिंह, सीओ (रिफाइनरी) धर्मेंद्र चौहान घटनास्थल पर पहुंच गए. फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया गया.

पुलिस और फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से चाकू, मिठाई का डिब्बा और एक बैग बरामद किया. बैग में ट्रेन की टिकट, आईडी मिली. पुलिस ने इन सभी चीजों को अपनी कस्टडी में ले लिया. मौके की काररवाई निपटा कर पुलिस ने सोनम के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

इस सनसनीखेज वारदात ने सभी को हिला कर रख दिया था. ग्रामीण तरहतरह की चर्चा कर रहे थे कि युवक कौन है? और उस की फौजी के परिवार से क्या दुश्मनी थी? यह केवल चर्चा थी. वास्तविक हकीकत किसी को नहीं पता थी. इस का पता हाईवे थाना पुलिस ही लगा सकती थी.

घटना की सूचना पर फरीदाबाद  से फौजी तेजवीर सिंह मथुरा आ गए. उन की तहरीर पर थाना हाईवे पुलिस ने युवक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.

इस बीच पुलिस ने अपने स्तर से जानकारी जुटाने के साथ ही परिजनों व अन्य से पूछताछ शुरू की. शुरुआती जांच में पता चला कि युवक की सोनम से फेसबुक पर दोस्ती हुई थी. आशंका व्यक्त की गई कि इकतरफा प्यार में युवक ने घटना को अंजाम दिया है.

घायल युवक की पहचान उस के पास से मिले आधार कार्ड से हुई. 23 वर्षीय युवक शिवम कश्यप मुजफ्फरनगर के थाना नई मंडी के गांव ककुड़ा का रहने वाला था.

पुलिस ने शिवम के घर वालों को भी घटना की जानकारी दी. इस पर शिवम के घर वाले भी देर रात आगरा के अस्पताल पहुंच गए.

रिटायर्ड फौजी तेजवीर सिंह के परिवार में पत्नी सुनीता के अलावा 2 बेटियां व एक बेटा है. इन में सब से बड़ी बेटी सोनम की उम्र 17 साल और छोटी की 16 साल थी. उन दोनों से छोटा बेटा था. सोनम रतनलाल फूल कटोरी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 9वीं कक्षा की छात्रा थी. तेजवीर सिंह चाहते थे कि उन की बेटी जिंदगी में कोई ऊंचा मुकाम हासिल करे. पुलिस ने मृतका की छोटी बहन व अन्य से गहनता से पूछताछ की. पुलिस की जांच और पूछताछ के बाद घटना के पीछे सोनम के कत्ल की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली निकली.

लूडो ऐप पर औनलाइन लूडो खेली जाती है. 3 साल पहले इस खेल में मुजफ्फरनगर के शिवम कश्यप उर्फ अवि की पहचान मथुरा निवासी 17 वर्षीय सोनम से हुई थी. खेलखेल में दोनों में दोस्ती हो गई.

दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं तो नोएडा में 2 बार सोनम और शिवम की मुलाकात भी हुई. दोनों ने एकदूसरे को अपनेअपने मोबाइल नंबर भी दे दिए. अब अकसर दोनों में बातें होने लगीं. छोटी बहन को अपनी बड़ी बहन सोनम की युवक से दोस्ती की बात पता थी.

जब 2 युवा दिल मिलते हैं तो दिलों में मोहब्बत के तराने गूंजने लगते हैं. उन्हें खानापीना कुछ भी अच्छा नहीं लगता. बस दिल चाहता है कि वह अपने प्यार को हर पल सामने पाए. किशोरवय के इस प्यार में दोनों ही बह गए. बिना कुछ सोचेसमझे दोनों भविष्य के सपने संजोने लगे.

सोनम और युवक के बीच चल रहे मोहब्बत के इस खेल की जानकारी जब घर वालों को हुई तो मां सुनीता ने बचपन को पीछे छोड़ कर जवानी की दलहीज पर कदम रख चुकी बेटी सोनम को डांटते हुए युवक से बातचीत करने पर अंकुश लगा दिया.

सोनम ने शिवम को हकीकत बताते हुए फिलहाल फोन न करने की बात कही.     मछली जैसे बिना पानी के तड़पती है, ऐसे ही सोनम और उस का प्रेमी शिवम उर्फ अवि तड़पने लगे. सोनम की मां द्वारा अपने प्यार पर बंदिश लगाने से वह भड़क गया. प्रेमी शादी का दबाव डाल रहा था. घर वालों के मना करने पर उस ने सोनम के घर वालों से बातचीत करने का निर्णय लिया.

अवि मुजफ्फरनगर के श्रीराम कालेज में बीसीए अंतिम वर्ष का छात्र है. उस के पिता दुकान करते हैं. घाटा होने से दुकान बंद हो गई. अवि के एक भाई और एक बहन भी है. उस ने अपने घर वालों को बताया कि वह एक नौकरी के संबंध में इंटरव्यू के लिए जा रहा है.

शिवम सोनम की मां सुनीता से मिलने के लिए 19 जून, 2022 को मुजफ्फरनगर से सुबह साढ़े 8 बजे ट्रेन में सवार हो कर मथुरा के लिए चला था. उस ने चाकू मुजफ्फरनगर  से ही खरीद लिया था. वह शाम 5 बजे मथुरा पहुंचा और मथुरा के गोवर्धन चौराहे से उस ने मिठाई खरीदी थी.

शाम 6 बजे वह सोनम के घर पहुंचा था. अवि सोनम की मां से इस बारे में बातचीत करने और समझाने आया था. इसी बीच बहसबाजी में उस ने सोनम पर चाकू से वार किया. सोनम ने जब उसे रोकने का प्रयास किया तो अवि ने गुस्से में उस पर भी चाकू से वार कर दिया.

जब सुनीता सोनम को बचाने आगे आईं तो उस ने चाकुओं से वार कर के सोनम व सुनीता को बुरी तरह से घायल कर सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया था. पकड़े जाने के डर से उस ने अपने आप को भी चाकू मार कर घायल कर लिया था.

सुनीता की कमर व पीठ पर 2 वार तथा सोनम की पीठ पर 3 वार चाकू से किए जो आरपार हो गए थे, जिस से सोनम का दिल व फेफड़े पूरी तरह फट गए. सोनम की मौत का कारण भी ताकत से किए गए चाकू के वार ही बने. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.

शिवम अपने घर से नौकरी का इंटरव्यू देने के बहाने निकला था. लेकिन उस के मन में क्या चल रहा है, कोई नहीं जानता था. घटना की जानकारी के बाद उस के घर वाले आगरा पहुंच गए. पुलिस कस्टडी में अवि का इलाज चल रहा था.

मथुरा में हुई इस सनसनीखेज घटना ने प्रेम के ढाई अक्षरों को ही दफन करदिया. कहते हैं कि इश्क अच्छोंअच्छों का दिमाग खराब कर देता है. दिल दहलाने वाली इस घटना ने कृष्ण की नगरी मथुरा के गांव बोहरा में खौफ पैदा कर दिया था.

मृतका की छोटी बहन ने बताया कि फेसबुक के माध्यम से दोनों के बीच दोस्ती हुई थी, लेकिन घर वालों ने सोनम पर अंकुश लगा दिया था. इस के चलते सोनम ने प्रेमी अवि से बात करने से इंकार कर दिया. इसी से नाराज हो कर वह सोनम की हत्या कर खुदकुशी किए जाने के इरादे से शादी के कार्ड में चाकू छिपा कर कार्ड देने के बहाने घर में घुसा और हमला कर दिया. बीच में मां के आने पर उन्हें भी घायल कर दिया.

आजकल कई औनलाइन गेम्स खेलने वाली यह युवा पीढ़ी किस तरफ जा रही है, इस का ध्यान परिजनों को रखना चाहिए. औनलाइन गेम खेलने वालों की हरकतों में बदलाव दिख जाता है. युवा पीढ़ी की हरकतों पर परिवार को पैनी नजर रखनी चाहिए.

घर का बच्चा कहां जा रहा है और क्या कर रहा है, सावधान रहते हुए कड़ी नजर रखी जाएगी तभी ऐसी सनसनीखेज घटनाओं से बचा जा सकता है.       द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित