आईफोन में फंसा इश्क

सतपुड़ा की पहाडि़यों से घिरे मध्य प्रदेश के अमला को मध्य प्रदेश का शिमला भी कहा जाता है. 5 जुलाई, 2022 की सुबह अमला पुलिस स्टेशन के टीआई संतोष पंद्रे पुराने केस की फाइल को देख रहे थे, तभी केबिन के बाहर से आई आवाज ने उन का ध्यान फाइल से हटा दिया.

‘‘साब, क्या मैं अंदर आ सकती हूं?’’ दरवाजे पर एक अधेड़ उम्र की महिला अपने पति के साथ खड़ी थी.

उन्हें देखते ही टीआई ने कहा, ‘‘आइए, अंदर आ जाइए, कहिए कैसे आना हुआ?’’

‘‘साब, मेरा नाम लता काचेवार है. मेरे पति इस दुनिया में नहीं हैं. मेरा बेटा मानसिक रूप से बीमार है. हम लोग अमला नगर परिषद के वार्ड नंबर 10 में रहते हैं. मेरी 19 साल की बेटी मुसकान 3 जुलाई की सुबह बाजार से जरूरी सामान लेने के लिए घर से निकली थी, मगर अभी तक घर नहीं लौटी है,’’ यह कहते हुए लता फफक कर रो पड़ी.

टीआई ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘आप चिंता मत कीजिए, पुलिस आप की हरसंभव मदद करेगी. मुसकान का हुलिया बताइए और अगर उस की कोई फोटो हो तो मुझे दे दीजिए. पुलिस उसे जल्द ही खोज निकालेगी.’’

‘‘साब, मुसकान के हाथ पर 3 स्टार वाला एक टैटू बना हुआ है और उस के बाल सुनहरे हैं और ये रही उस की फोटो,’’ लता ने अपनी बेटी की फोटो पर्स से निकालते हुए कहा.

टीआई संतोष पंद्रे ने फोटो पर नजर डाली तो सुनहरे बालों की खूबसूरत नाकनक्श की मुसकान को देख क र समझ गए कि उम्र के इस मोड़ पर अकसर लड़केलड़कियों के कदम फिसल ही जाते हैं.

‘‘यदि तुम्हें किसी पर शक हो तो खुल कर बताओ, पुलिस तुम्हारे साथ है.’’ टीआई ने कहा.

‘‘साब, मेरी बेटी कभी घर और दुकान के अलावा कहीं नहीं जाती थी. किसी लड़के के साथ उस की दोस्ती भी नहीं थी. साब, पिछले 2 सालों से वह अमला के कृष्णा ज्वैलर्स के यहां सेल्सगर्ल का काम कर रही है.’’ लता ने टीआई को बताया.

टीआई ने मुसकान की जल्द ही पतासाजी का आश्वासन देते हुए लता को घर जाने को कहा.

लता जानती थी कि मुसकान अकसर खरीददारी के लिए कृष्णा ज्वैलर्स के मालिक पुनीत सोनी के साथ नागपुर आतीजाती थी और कई बार काम के सिलसिले में वहीं होटल में रुक भी जाती थी. लेकिन अब तो उस का पता ही नहीं चल पा रहा था.

दूसरे दिन सुबह तक मुसकान न तो घर लौटी और न ही उस से फोन पर संपर्क हो पाया तो लता ने कृष्णा ज्वैलर्स के मालिक पुनीत सोनी को फोन लगा कर बेटी के संबंध में जानकारी ली.

पुनीत ने लता को बताया कि मुसकान तो कल दुकान पर आई ही नहीं थी. इतना ही नहीं, पुनीत ने यह भी बताया कि वह 2-3 दिन छुट्टी पर जाने की बात भी कह रही थी.

पुनीत की बातें सुन कर लता के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मुसकान कहां चली गई.

उधर पुलिस ने मुसकान की गुमशुदगी दर्ज करने के बाद उस की पतासाजी के लिए सोशल मीडिया पर उस की सूचना प्रसारित कर दी. इस के अलावा विभिन्न थानों में भी उस की फोटो भेज दी. मगर मुसकान के बारे में कोई भी सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगा.

अमला शहर की सीमा महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से भी लगी हुई हुई है. ऐसे में आपराधिक घटनाओं की सूचनाओं के आदानप्रदान के लिए पुलिस विभाग का अंतरराज्यीय वाट्सऐप ग्रुप बना हुआ है.

7 जुलाई, 2022 को उसी वाट्सऐप ग्रुप में नागपुर काटोल पुलिस ने एक नौजवान युवती की लाश मिलने की पोस्ट शेयर की तो बैतूल जिले की एसपी सिमाला प्रसाद की नजर उस पोस्ट पर ठहर गई.

वह लाश महाराष्ट्र के नागपुर के पास काटोल पुलिस थाने के अंतर्गत चारगांव इलाके में ईंट भट्ठे के पास मिली थी. वह पीले रंग की टीशर्ट पहने थी, जिस पर अंगरेजी में लव लिखा हुआ था. उस के हाथ पर 3 स्टार का टैटू बना हुआ था. युवती के सिर पर हमले की वजह से चेहरे की पहचान आसानी से नहीं हो पा रही थी.

एसपी ने यह पोस्ट अमला पुलिस के सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर की तो अमला पुलिस थाने के टीआई संतोष पंद्रे ने फोटो को गौर से देखा. मुसकान की मां लता ने उन्हें जो फोटो दिया था, उस से उस की कदकाठी काफी मेल खा रही थी.

टीआई ने मुसकान की मां लता को थाने बुला कर वह फोटो दिखाई तो उस के होश उड़ गए. पीली टीशर्ट और हाथ पर बने टैटू को देख कर वह जोर से चीखी, ‘‘मेरी बेटी कहां है और उस का ये हाल किस ने कर दिया?’’

इस के बाद पुलिस लता को ले कर नागपुर के काटोल पहुंच गई. काटोल पुलिस थाने के टीआई महादेव आचरेकर ने लता को युवती की लाश के कपड़े, अंगूठी और मोबाइल फोन दिखाया तो उस ने बताया कि ये सब उस की बेटी मुसकान के हैं.

महाराष्ट्र के किसी भी थाने में इस तरह के हुलिए वाली किसी लड़की की गुमशुदगी दर्ज नहीं थी.

इस वजह से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि युवती शायद पड़ोसी राज्यों में से किसी शहर की रहने वाली हो.

इस पर नागपुर क्राइम ब्रांच ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों की पुलिस से संपर्क किया और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर कर दी. पोस्टमार्टम के बाद लाश की शिनाख्त न होने से काटोल पुलिस ने लाश दफना दी थी.

नागपुर (ग्रामीण) पुलिस के काटोल थाने में मुसकान की हत्या का मामला कायम कर लता से पूछताछ की और मुसकान के मोबाइल में मिले फोटो के आधार पर यह बात सामने आई कि मुसकान का प्रेम प्रसंग कृष्णा ज्वैलर्स के मालिक पुनीत सोनी से चल रहा था. लिहाजा काटोल पुलिस केस की जांच के लिए अमला आ गई.

पुलिस ने पुनीत सोनी से मुसकान की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो पहले तो वह पूरे घटनाक्रम से अंजान बना रहा. पुलिस ने जब उस के मोबाइल की काल डिटेल्स रिपोर्ट सामने रखी तो वह बगलें झांकने लगा.

पुलिस ने उस के शोरूम पर काम करने वाले 17 साल के किशोर अन्नू से पूछताछ की तो वह डर गया और उस ने पल भर में ही पूरे रहस्य से परदा हटा दिया. पुलिस टीम ने पुनीत से सख्ती से पूछताछ की तो मुसकान की हत्या की सारी कहानी सामने आ गई.

अमला के सरदार वल्लभभाई पटेल वार्ड में रहने वाली मुसकान महत्त्वाकांक्षी थी, मगर परिवार की माली हालत के चलते उसे हायर सेकेंडरी परीक्षा पास करते ही सेल्सगर्ल की नौकरी करनी पड़ी.

कोरोना काल में मुसकान के पिता की मौत हो जाने के बाद परिवार की माली हालत खराब हो गई थी. मुसकान का बड़ा भाई आपराधिक किस्म का था. आए दिन उस के झगड़े होते रहते थे. इसी के चलते पिछले साल उस का किसी ने मर्डर कर दिया था.

बड़े भाई की मौत के बाद घर चलाना मुश्किल हो गया था. ऐसे में मुसकान कृष्णा ज्वैलर्स शोरूम पर सेल्सगर्ल की नौकरी करने लगी.

मुसकान को कृष्णा ज्वैलर्स शोरूम पर काम करते हुए बमुश्किल महीना भर ही बीता था, मगर इस एक महीने में ही उसे एक बात साफ समझ में आ गई थी कि शोरूम के मालिक पुनीत की नजरें उसे ही घूरा करती हैं.

28 साल का पुनीत सोनी अपने पिता सुनील सोनी की एकलौती संतान होने के साथ हैंडसम भी था. मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में अमला नगर परिषद की गणेश कालोनी में रहने वाले पुनीत का ज्वैलरी का कारोबार आसपास के इलाकों में खूब चलता है.

19 साल की खूबसूरत मुसकान जब पुनीत के पास काम मांगने आई तो वह पहली ही नजर में पुनीत के दिल में उतर गई. वैसे तो पुनीत शादीशुदा होने के साथ एक बेटे का बाप भी था, लेकिन खूबसूरत लड़की को अपने सामने पा कर उस की चाहत इस कदर बढ़ चुकी थी कि वह अपने आप को रोक नहीं सका.

एक दिन शोरूम पर जब ग्राहक नहीं थे तो पुनीत ने अपने दिल का हाल मुसकान से कह ही दिया, ‘‘मुसकान, तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम्हें देखता हूं तो मैं अपने दिल को काबू में नहीं रख पाता हूं.’’

कम उम्र में घरपरिवार के खर्च की जिम्मेदारी संभालने वाली मुसकान भी उस के प्यार के इजहार को नकार न सकी. ज्वैलरी शोरूम पर ही उन का प्यार परवान चढ़ने लगा.

पुनीत मुसकान की हर ख्वाहिश और जरूरतों का खयाल रखने लगा. पुनीत मुसकान को अपने प्यार के जाल में फंसा चुका था. वह आए दिन मुसकान को तरहतरह के गिफ्ट की पेशकश करता था. दुकान में 17 साल का एक लड़का अन्नू (परिवर्तित नाम) भी काम करता था. पुनीत और मुसकान के बीच मीडिएटर का काम अन्नू करता था.

पुनीत मुसकान के साथ संबंध बनाने को उतावला हो रहा था, मगर मुसकान अपने मातापिता के डर से इस के लिए राजी नहीं थी.

पिछले साल दीपावली के पहले की बात है. एक दिन मौका पा कर पुनीत मुसकान के घर जा कर उस की मां से बोला, ‘‘मांजी दीपावली के बाद सीजन शुरू होने वाला है. ज्वैलरी की खरीदारी के लिए मुसकान को नागपुर साथ ले जाना है, मुसकान को ग्राहकों की पसंदनापसंद का खूब अनुभव हो गया है.’’

बेटी की तारीफ सुन कर लता ने यह सोच कर हामी भर दी कि आखिर पुनीत उस का मालिक जो ठहरा, उस के साथ जाने में हर्ज ही क्या है.

मुसकान के घर वालों की सहमति मिलते ही एक दिन कार से पुनीत और मुसकान नागपुर के लिए चल पड़े. रास्ते में कार के सफर के दौरान उन्होंने खूब मस्ती की. नागपुर पहुंच कर दिन भर ज्वैलरी की खरीदारी की और पुनीत ने मुसकान को नए स्टाइलिश कपड़े दिलाए तो उस की खुशी दोगुनी हो गई.

मुसकान अपने आप पर फख्र कर रही थी कि पुनीत उस का कितना खयाल रखता है. शाम को एक होटल में कमरा ले कर दोनों ठहर गए. कमरे में पहुंचते ही पुनीत के सब्र का बांध टूट चुका था. उस ने मुसकान को अपनी बाहों में भरते हुए कहा, ‘‘तुम्हारा प्यार पाने के लिए मैं कब से तड़प रहा था मेरी जान, आज मुझे अपनी प्यास बुझा लेने दो.’’

मुसकान ने भी हौले से पुनीत के सिर पर हाथ घुमाते हुए कहा, ‘‘थोड़ा सब्र करो. मैं तो पूरी रात तुम्हारे साथ हूं. मैं भी अपना सब कुछ तुम्हें लुटा दूंगी.’’

प्यार के जोश और वासना की आग में 2 जिस्म कब एक जान हो गए, उन्हें पता ही नहीं चला. रात भर होटल में अपनी हसरतों को पूरा करने के बाद दूसरे दिन सुबह दोनों अमला पहुंच गए.

एक बार शुरू हुआ वासना का खेल धीरेधीरे रफ्तार पकड़ चुका था. पुनीत ज्वैलरी की खरीदारी का बहाना बना कर मुसकान को अकसर ही नागपुर और दूसरे शहरों में ले जाने लगा.

मुसकान भी यह बात समझ चुकी थी कि शादीशुदा जिंदगी जीने वाला उस का प्रेमी पुनीत केवल उस के जिस्म से ही खेल रहा था, लिहाजा वह भी पुनीत से अपनी हर जायजनाजायज मांग रखने लगी थी.

धीरेधीरे वह पुनीत को ब्लैकमेल भी करने लगी. पुनीत यदि मुसकान की मांग पूरी करने में आनाकानी करता तो वह उसे बदनाम करने की धमकी देने लगती.

देखते ही देखते मुसकान की लाइफस्टाइल काफी मौडर्न हो चुकी थी. महंगे कपड़े और मोबाइल का शौक उस के सिर चढ़ कर बोल रहा था. बदनामी के डर से मुसकान की हर डिमांड पूरी करना पुनीत की मजबूरी बन चुकी थी.

जून महीने के अंतिम सप्ताह की बात है. रात के करीब 9 बजे जब  मुसकान अपने घर जाने लगी तो उस ने पुनीत से कहा, ‘‘मेरा मोबाइल बारबार हैंग हो जाता है, मुझे एक आईफोन दिला दो.’’

‘‘चलो देखते हैं, अभी तो घर निकलो बाद में बात करते हैं.’’ पुनीत ने उस समय तो बात टालने के मकसद से यह कह कर बात खत्म कर दी थी.

धीरेधीरे पुनीत को यह बात समझ आ गई थी कि दुकान की आमदनी का बहुत बड़ा हिस्सा वह मुसकान पर खर्च कर रहा है. पुनीत यह सोच कर हैरान था कि इसी तरह चलता रहा तो किसी दिन उस का ज्वैलरी का कारोबार ठप्प हो जाएगा.

प्रेमिका की आए दिन बढ़ने वाली डिमांड उस की परेशानी का सबब बन चुकी थी. इस बार 60-70 हजार के आईफोन की डिमांड से पुनीत मन ही मन तिलमिला गया था. उसे अब रातरात भर नींद नहीं आ रही थी.

आखिर में पुनीत ने मुसकान से छुटकारा पाने का कठोर निर्णय ले लिया था. अपनी इस योजना में उस ने दुकान पर काम करने वाले नौकर अन्नू को रुपयों का लालच देते हुए शामिल कर लिया था.

योजना के मुताबिक पुनीत ने 3 जुलाई की सुबह अचानक मुसकान को फोन किया, ‘‘हैलो मुसकान, जल्दी से तैयार हो जाओ, आईफोन लेने के लिए नागपुर चलना है.’’

मुसकान आईफोन मिलने की खुशी में पागल हो गई और जल्दी से तैयार हो कर घर से बाहर निकलते हुए मां से केवल इतना ही कह पाई, ‘‘मैं बाजार जा रही हूं, कुछ देर में वापस आती हूं.’’

कुछ ही देर में  पुनीत और अन्नू कार ले कर बाजार आ चुके थे. बाजार से मुसकान को कार में बिठा कर वे नागपुर के लिए रवाना हो गए.

कार पुनीत ही ड्राइव कर रहा था और मुसकान अगली सीट पर बैठी थी, जबकि पिछली सीट पर बैठा अन्नू मोबाइल पर गेम खेलने का नाटक कर रहा था.

कार से सफर के दौरान मुसकान को बीयर की पेशकश की गई, लेकिन उस ने इंकार कर दिया. पुनीत और अन्नू ने मिल कर शराब पी. कुछ ही घंटों में कार मध्य प्रदेश की सीमा से बाहर निकल चुकी थी.

रास्ते में सुनसान जगह पर पुनीत ने कार रोकी और बराबर की सीट पर बैठी मुसकान के गले में हाथ डाल कर प्यार का नाटक करने लगा. इसी दौरान पीछे बैठे हुए अन्नू ने उस का जोर से गला दबा दिया. मुसकान ने जोर से चीखने की कोशिश की, मगर पुनीत ने उस का मुंह हथेली से बंद कर दिया.

कुछ ही देर में जब वह बेहोश हो गई तो दोनों ने उसे कार से बाहर खींच लिया और सड़क पर पड़े पत्थर से उस का सिर कुचल कर मौत के घाट उतार दिया. मुसकान की लाश को सड़क के किनारे लुढ़का कर दोनों कार से अमला वापस आ गए.

पुनीत ने मुसकान की ब्लैकमेलिंग से तंग आ कर उसे प्रदेश के बाहर खत्म करने की योजना इसलिए बनाई ताकि किसी को उस पर शक न हो. मगर पुलिस की नजरों से वह ज्यादा दिन तक बच नहीं सका.

महाराष्ट्र के काटोल पुलिस के टीआई महादेव आचरेकर और मध्य प्रदेश के अमला पुलिस के टीआई संतोष पंद्रे की सूझबूझ से 11 जुलाई को मुसकान की हत्या के राज से परदा हट गया.

महाराष्ट्र पुलिस ने पुनीत सोनी और अन्नू को मुसकान की हत्या के जुर्म में भादंवि की धारा 302 और 201 के तहत दर्ज कर कोर्ट में पेश किया, जहां से पुनीत को नागपुर सैंट्रल जेल और अन्नू को बाल सुधार गृह भेज दिया.   द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में अन्नू परिवर्तित नाम है.

बेवफा प्रेमी का बदला

रोजाना की तरह लखनऊ के जीआरएम मैरिज लौन के मालिक रोशन लाल का बेटा महेंद्र मौर्या उर्फ पुष्कर मौर्या 25 जुलाई, 2022 को अपनी कपड़े की दुकान बंद कर कार से घर लौट रहा था. उस की कार ज्यों ही भुअर पुल के नीचे पहुंची, गाड़ी के सामने 2 बाइक आ कर रुक गईं.

खराब रास्ते के चलते पुष्कर की कार धीरेधीरे चल रही थी. अचानक आई बाइकों के चलते पुष्कर ने भी कार रोक दी. उस समय आसपास कोई और नजर नहीं आ रहा था.

बाइक से मास्क लगाए दोनों सवार उतरे और कार पर अंधाधुंध फायरिंग करने लगे. आगे का शीशा तोड़ती कुछ गोलियां सीधे कार में बैठे महेंद्र को भी जा लगीं और पलक झपकते ही उस का सिर स्टीयरिंग पर जा टकराया.

यह घटना उस की दुकान से महज 500 मीटर की दूरी पर भुअर अंडरपास के निकट हुई थी. दोनों हमलावर पहले से ही घात लगाए रुके हुए थे. घटनास्थल पर ही महेंद्र को मौत के घाट उतार चुके दोनों बाइक सवार वहां से फरार हो गए थे.

गोलियां चलने की आवाजें सुन कर नजदीक के भुअर पुलिस चौकी पर तैनात पुलिस वाले भागेभागे वहां पहुंच गए. गोलीबारी की वारदात की सूचना चौकी इंचार्ज परवेज अंसारी ने थाना ठाकुरगंज के प्रभारी हरिश्चंद्र को मोबाइल से दे दी.

सूचना पाते ही थानाप्रभारी हरिश्चंद्र भी डीसीपी शिवा शिम्मी चिनअप्पा, एसीपी इंद्रप्रकाश सिंह और एडिशनल डीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा को सूचना दे कर एडिशनल इंसपेक्टर (क्राइम) विजय कुमार यादव, एसआई राजदेव प्रजापति, कांस्टेबल सुबोध सिंह के साथ कुछ समय में ही घटनास्थल पर पहुंच गए.

खबर मिलने पर कुछ देर में ही मृतक के घर वाले भी आ गए. थानाप्रभारीने महेंद्र के पिता रोशन लाल मौर्या से भी आवश्यक पूछताछ की. घटनास्थल और लाश का निरीक्षण करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. थानाप्रभारी ने रोशन लाल की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

थानाप्रभारी हरिश्चंद्र ने विवेचना अपने हाथों में ले कर आगे की जांच शुरू की. इस के लिए मुखबिरों को भी लगा दिया.

जल्द ही महेंद्र की हत्या के बारे में कुछ जानकारियां उन्हें मिल गईं. उस के मुताबिक उसे सुपारी दे कर मरवाया गया था. यह काम उस की पत्नी के ममेरे ससुर संजय मौर्या के इशारे पर किया गया था. इस जानकारी के आधार पर ही पुलिस टीम ने इस हत्याकांड की जांच को आगे बढ़ाया.

थानाप्रभारी हरिश्चंद्र ने महेंद्र मौर्या के पिता को साथ ले कर पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की. उन से गहन पूछताछ हुई. रोशन लाल ने भी हत्या का मुख्य कारण परिवारिक निजी कारणों की ओर इशारा किया. उन्होंने पुलिस को कुछ गोपनीय बातें भी बताईं.

जांच का सिलसिला आगे बढ़ा. मुखबिरों के जाल बिछाए गए और सर्विलांस प्रभारी राजदेव प्रजापति के माध्यम से महेंद्र के फोन नंबर की काल डिटेल्स जुटाने का काम किया गया. पुलिस को जल्द ही सफलता मिल गई और महेंद्र के सभी हमलावरों के बारे में पता लगा लिया गया.

पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक, हमलावरों के नाम सतीश गौतम और मुकेश रावत थे. जांच अधिकारी हरिश्चंद्र ने सहयोगी विवेचक इंसपेक्टर विजय कुमार यादव और भुअर पुलिस चौकी के इंचार्ज परवेज अंसारी को हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए लगा दिया. सर्विलांस से मिली लोकेशन के आधार पर दोनों 31 जुलाई, 2022 को आईआईएम रोड से करीब ढाई बजे दिन में गिरफ्तार कर लिए गए.

हमलावरों में सतीश गौतम लखनऊ की मलिहाबाद तहसील के अहमदाबदा कटोरी का रहने वाला था, जबकि दूसरा हमलावर मुकेश रावत लखनऊ के काकोरी थानांतर्गत सैफलपुर गांव का रहने वाला निकला.

दोनों से जब पुलिस अधिकारियों ने गहन पूछताछ की, तब जो कहानी सामने आई, वह काफी चौंकाने वाली थी.

इसी के साथ उन्होंने महेंद्र मौर्या को गोली मार कर हत्या करने का जुर्म भी स्वीकार कर लिया. साथ ही यह भी बताया कि संजय मौर्या ने महेंद्र मौर्या की हत्या की सुपारी दी थी. उस से मिली जानकारी के आधार पर हमलावरों ने महेंद्र की हत्या से पहले उस के रोजाना की रुटीन के आधार पर वारदात की योजना बनाई थी.

संजय मौर्या ने बचाव और पुलिस को गुमराह करने के लिए कई इंतजाम भी किए थे. जैसे उस ने बाराबंकी जेल में बंद एक अपराधी ज्ञानसिंह यादव की जमानत करवा कर दिनेश सिंह नामक युवक से उस की आईडी प्रूफ पर एक सिम लिया था.

कथा लिखे जाने तक सआदतगंज निवासी संजय मौर्या और हत्याकांड में नाम आने वाले दूसरे आरोपियों में ज्ञानसिंह यादव और दिनेश सिंह ठाकुर फरार थे.

सतीश गौतम और मुकेश रावत के बयानों के आधार पर हत्याकांड के पीछे की सच्चाई इस प्रकार उजागर हुई—

बुद्धेश्वर मंदिर से गुजरता हुआ हरदोई बाईपास दुबग्गा के पास मिलता है. वहीं दूसरी ओर हरदोई से आने वाला सीधा राजमार्ग आगे बालागंज चौक से होता हुआ केजीएमयू मैडिकल कालेज केंद्र को जा कर निकलता है.

महेंद्र मौर्या के पिता रोशन लाल का दुबग्गा बाईपास के किनारे अपना मकान है. वहीं उन का मैरिज लौन जीआरएम बना हुआ है. उन का बड़ा बेटा महेंद्र उन के कारोबार को सालों से संभाले हुए था.

लखनऊ हरदोई राजमार्ग के किनारे लखनऊ से 25 किलोमीटर की दूरी पर मलिहाबाद में राम प्रसाद मौर्या रहते हैं. उन के 2 बेटे राहुल और पंकज के अलावा एक बेटी पल्लवी है. संजय मौर्या की चचेरी बहन रामश्री इसी खानदान को ब्याही गई थी.

पल्लवी और संजय का परिचय एक शादी के दौरान हुआ था. पहली नजर में ही पल्लवी संजय के दिल में उतर गई थी. उसे ले कर संजय सपने सजाने लगा था.

संजय मौर्या के पिता शिवकुमार मौर्या को जब इस की जानकारी हुई, तब वह बेहद नाराज हो गए. शिवकुमार ने पल्लवी के घर वालों से संजय के रिश्ते की बात करने से सिरे से इनकार कर दिया. वह संजय की शादी पल्लवी से करने के लिए हरगिज तैयार नहीं हुए.

कारण, रिश्ते का घालमेल और उलटा पड़ जाना था, जो सामाजिक तौर पर मान्य नहीं होता. दरअसल, संजय जिस रिश्तेदारी में था, उस के मुताबिक उस की पल्लवी से शादी नहीं हो सकती थी.

इसे देखते हुए शिवकुमार ने अपने बेटे संजय का विवाह लखनऊ शहर में दूसरी जगह से कर दिया, जो जून 2022 में संपन्न हुआ था. हालांकि रामप्रसाद ने पहले ही जनवरी 2022 में अपनी बेटी पल्लवी की शादी दुबग्गा निवासी रोशन लाल के बेटे महेंद्र मौर्या के साथ कर दी थी.

शादी के बाद संजय पल्लवी से मिलने के बहाने से उस की ससुराल आने लगा था, जो उसे अच्छा नहीं लगता था और तब उस ने अपने पति महेंद्र मौर्या से उन के अपने रिश्तेदार संजय मौर्या के घर आने पर रोक लगाने को कहा.

संजय अकसर महेंद्र की गैरमौजूदगी में पल्लवी के पास आने लगा था. शादी से पहले संजय और पल्लवी के बीच के प्रेम संबंध के बारे में रोशन लाल, महेंद्र और परिवार के किसी सदस्य को कोई जानकारी नहीं थी.

सामाजिक मर्यादा के कारण पल्लवी ने संजय से दूरी बनाना ही उचित समझा और पति से उसे घर आने से मना करने का आग्रह किया. ऐसा करते हुए उस ने अपने दिल पर पत्थर रख लिया था. संजय और महेंद्र के बीच भी रिश्तेदारी थी. वह महेंद्र का रिश्ते में मामा लगता था. इस लिहाज से संजय पल्लवी का ममेरा ससुर बन गया था.

जबकि संजय एक रसिक किस्म का युवक था. वह पल्लवी की सुंदरता और जवानी पर लट्टू हो चुका था. पल्लवी भी उसे बेहद पसंद करती थी. वे डिजिटल जमाने के प्रेमी थे. सोशल मीडिया से जुड़े थे. फेसबुक फ्रैंड भी थे. उन की डेटिंग मैसेजिंग बौक्स में गुड मौर्निंग और गुडनाइट से होती थी.

इस सिलसिले में दोनों फेसबुक के जरिए अपने दिल की भावनाएं प्रदर्शित करते रहते थे. देर रात तक उन की चैटिंग होती रहती थी. किंतु उसे वह जीवनसाथी नहीं बना पाई थी.

जुलाई 2020 तक सब कुछ ठीकठाक चलता रहा. पल्लवी और संजय की बातचीत केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित रही, लेकिन यह बात उस की मां रामश्री से छिपी न रह सकी और एक दिन रामश्री ने अपने पति रामप्रसाद से पल्लवी का विवाह किसी अन्य स्थान पर करने को कहा. और फिर रामप्रसाद ने अपने एक रिश्तेदार रोशन लाल से उस के बेटे का हाथ अपनी बेटी के लिए मांग लिया.

पल्लवी जनवरी, 2022 में अपनी ससुराल आ गई. उस के बाद से संजय काफी परेशान रहने लगा. उस के मन में महेंद्र के प्रति ईर्ष्या और घृणा होने लगी. वह उस की प्रेमिका छीनने वाला दुश्मन की तरह नजर आने लगा. उस ने मन में ठान लिया कि वह उस के वैवाहिक जीवन में जहर घोल कर ही रहेगा, ताकि पल्लवी का संबंध उस से टूट जाए.

उस के दिमाग में यहां तक खुराफाती कीड़ा कुलबुलाने लगा कि यदि उसे खत्म कर दिया जाए, तब वह विधवा पल्लवी का हाथ लेगा. बताते हैं कि वह इसी उधेड़बुन में लग गया.

एक दिन संजय और महेंद्र का आमनासामना आगरा एक्सप्रेसवे पर हो गया. संजय ने उस पर नाराजगी दिखाते हुए कहा कि तू अपनी नईनवेली बीवी के बहकावे में हमारे रिश्ते को खत्म करना चाहता है.

संजय ने कहा, ‘‘आज की लौंडिया हमारे मामाभांजे के रिश्ते में आग लगाना चाहती है, और तू उस की हर बात मान रहा है. अभी से ही बीवी का गुलाम बन गया. कल को तो अपने मांबाप को भी उस के चक्कर में छोड़ देगा.’’

महेंद्र को यह बात चुभ गई, क्योंकि उस ने पल्लवी में न केवल एक आदर्श पत्नी का रूप देखा था, बल्कि एक आज्ञाकारी बहू को भी पाया था. यही नहीं वह अपने मामा की रंगीनमिजाजी और फरेबी आदतों को पहले से ही जानता था.

उसे जैसे ही पल्लवी ने बताया कि तुम अपने मामा संजय को यहां आने से मना कर दो, वैसे ही उस की मंशा को समझ गया था.

उस रोज हाईवे पर संजय के साथ महेंद्र की तीखी नोकझोंक हुई. गुस्से में संजय ने धमकी दी कि उसे उस के घर आनेजाने से कोई नहीं रोक सकता है. उस की जब मरजी होगी, वह आएगा और जाएगा.

पल्लवी को ले कर हुए विवाद के बाद महेंद्र ने भी संजय को चेतावनी दी थी कि वह उसे और पल्लवी को परेशान न करे.

दरअसल, महेंद्र को भी तब तक संजय और पल्लवी के बीच के प्रेम संबंध की जानकारी हो गई थी, लेकिन वह इसे तूल नहीं देना चाहता था. क्योंकि उस ने महसूस किया था कि पल्लवी  शादी के बाद उस रिश्ते को खत्म कर चुकी है. महेंद्र ने संजय से साफ लहजे में कह दिया था कि वह उस के वैवाहिक जीवन के रास्ते से हट जाए. उस की गृहस्थी में जहर न घोले.

यह बात संजय को और भी कचोट गई. उस घटना के बाद उस ने महेंद्र मौर्या की हत्या करने की योजना बना ली. इसे कार्यरूप देते हुए कुछ माह निकल गए और इसी बीच उस की भी शादी हो गई. फिर भी संजय पल्लवी को हासिल करने की फिराक में लगा रहा.

योजना के मुताबिक पहले उस ने बाराबंकी जेल में बंद अपने दोस्त ज्ञानसिंह यादव की जमानत करवाई. जमानत पर बाहर आने के बाद बदले में उस से महेंद्र की हत्या को अंजाम देने के लिए कहा.

उस के बाद ही ज्ञान सिंह यादव ने अपने कुछ सहयोगियों की मदद ली. उन से पहले महेंद्र की रेकी करवाई. उसे महेंद्र की हत्या के लिए संजय से 35 हजार रुपए मिले. जबकि संजय ने भाड़े पर लिए गए मुकेश रावत को मकान बनवाने के लिए 75 हजार रुपए देने का वादा किया. इस में से उसे 20 हजार दे दिए थे. बाकी पैसे काम हो जाने के बाद देने के लिए कहा था.

इस तरह से निर्धारित तारीख पर भाड़े के हत्यारों ने महेंद्र की गोली मार कर हत्या कर दी. रोशन लाल ने पूछताछ में बताया कि संजय ने उसे भी फोन पर धमकी दी थी कि वह महेंद्र की हत्या करने के बाद उस की विधवा बहू से शादी करेगा.

इसे उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया था. पल्लवी के साथ उस के संबंध और संजय की धमकियों की पुष्टि को ले कर जांच अधिकारी ने उस से भी पूछताछ की थी.

इस कहानी के लिखे जाने तक हत्याकांड की योजना बनाने वाला आरोपी संजय पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाया था. बाकी आरोपियों के कब्जे से हत्या में प्रयुक्त मोटरसाइकिलें बरामद कर ली गई थीं. पुलिस ने महेंद्र की अल्टो कार भी अपने कब्जे में ले ली थी

लखनऊ पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर ने हत्याकांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 25 हजार रुपए के ईनाम देने की घोषाणा की.  द्य

(कथा विवेचक तथा समाचार पत्रों से प्राप्त सूचना पर आधारित. कथा में कुछ नाम

काल्पनिक हैं)

चार्ल्स शोभराज : जिसका 11 मुल्कों की पुलिस इंतजार करती थी

हतचंद भाओनानी गुरुमुख यानी चार्ल्स शोभराज  एक बार फिर नेपाल की सुप्रीम कोर्ट से रिहाई के आदेश के बाद चर्चा में आ गया है .दरअसल, बहुत कम ऐसे जीवंत किरदार होते हैं जो लोगों के आकर्षण का केंद्र हो जाते हैं.

चार्ल्स शोभराज  उन्ही भाग्यशाली अपराधिक कृत्य कारित करने वाले शख्सियत में से एक है, जो हमेशा से मीडिया में सुर्खियां बटोरते रहे हैं. और आमजन मानस  के आकर्षण का केंद्र बनी रहे. अब जब नेपाल सुप्रीम कोर्ट से लंबे समय तक जेल के सीखचों में बंद रहने के बाद के चार्ल्स शोभराज की रिहाई को बड़े ही आकर्षण के साथ देखा जा रहा था पर अचानक ग्रहण लग गया और काठमांडू के जेल प्रशासन ने चार्ल्स शोभराज की रिहाई नहीं कर आदेश को अस्पष्ट बता दिया.

दरअसल, चार्ल्स शोभराज की जिंदगी इसी तरह उतार-चढ़ाव की  रही है कब क्या होगा कोई नहीं जानता अभी जब यह खबर सुर्खियों में है कि रिहाई नहीं हो पाई तो हो सकता है यह रिपोर्ट प्रकाशित होते होते वह रिहा हो जाए और हो सकता है भारत अथवा फ्रांस की पुलिस को  अन्य मामलों में कार्रवाई के लिए सुपुर्द भी कर दिया जाए.

वस्तुतः चार्ल्स शोभराज एक ऐसा किरदार है जिसने  लाखों लोगों को प्रभावित किया है. लोग उसे देखना सुनना और पढ़ना पसंद करते हैं .  पुलिस ने जब फिल्मी स्टाइल में उसकी गिरफ्तारी की थी वह भी अपराधिक इतिहास में एक दस्तावेज के रूप में सुरक्षित है.

आइए, आज आपको उस घटनाक्रम से वाकिफ कराते हैं. अमाडो गौसांल्येस गोवा पणजी का वह शख्स है जिसने पुलिस को चार्ल्स शोभराज को बांधने के लिए रस्सी उपलब्ध कराई थी. उसको आज भी छह अप्रैल, 1986 की शाम स्मरण है जब मुंबई अपराध शाखा के मौजूदा इंस्पेक्टर मधुकर जेंडे ने चार्ल्स शोभराज को पकड़ने के लिए उस पर रिवाल्वर तान दी थी.

वह गोवा में पोरचोरिम के एक रेस्टोरेंट मे चार्ल्स शोभराज के बगल वाली मेज पर बैठा हुआ था. इस घटना के वक्त सब कुछ सामान्य था और और  ‘कोकेरियो’ केसिनो हमेशा की तरह ग्राहकों से भरा हुआ था. व्यवसायी अमांडो को वह दिन वह समय अब भी याद है जब  शोभराज को मुंबई अपराध शाखा की टीम ने गोवा में  उसके सामने ही गिरफ्तार किया था.

उस घटना को लगभग 35 साल से ज्यादा व्यतीत हो चुके हैं मगर कैसिनो के व्यवसायी को सारी घटना आज भी आंखों के सामने झूल रही है और जब चार्ल्स शोभराज अब रिहाई के कगार पर है उसने अपनी भावना साझा की है.

बताते हैं कि उस दिन ‘रेस्तरां के दूसरी तरफ शादी का कार्यक्रम चल रहा था. घटना जब घटी उस दरमियान लोग भोजन का आनंद उठा रहे थे सब कुछ सामान्य था.

गोवा के पणजी में अब उस केसिनो में आने जाने वाले लोग उत्सुकता से बातें करते हैं. यही नहीं रेस्टोरेंट प्रबंधन ने एक कौन में चार्ल्स शोभराज की प्रतिमा भी स्थापित कर दी है जो पर्यटकों के लिए ‘सेल्फ प्वाइंट’ बना हुआ  है.

भारतीय और वियतनामी माता-पिता की संतान  चार्ल्स शोभराज  हत्या के मामले में लंबा समय जेल में बिता चुका है. वह  दो विदेशी नागरिकों की हत्या के आरोप में 2003 से उम्रकैद की सजा काट रहा है. शोभराज सन् 1972 से 76 के दौरान एशिया आने वाले पश्चिमी देशों के पर्यटकों को अपने जाल में फांस लेता था और उन्हें मादक पदार्थ खिला कर कर उनकी हत्या कर दिया करता था.

उसने जिन लोगों की हत्या की थी उनमें से दो महिलाओं के शव केवल विकिनी में मिले थे. शातिर तरीके से लोगों को धोखा देने और छलने के अपने कृत्य के कारण शोभराज ‘विकिनी किलर’ और ‘द सपेट’ के नाम से जाना जाता है . यह अपराध की दुनिया एक ऐसा नाम है जिसे शायद कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.

दरअसल, उस दिन शोभराज और उसके साथी ने बिना लड़े ही हार मान ली लेकिन पुलिस उसे कोई मौका नहीं देना चाहती थी इसलिए उसे कुर्सी से बांधने के लिए रस्सी उन्होंने मांगी, जिसे रेस्टोरेंट प्रबंधन ने उपलब्ध कराई। जिससे शोभराज को बांधा गया.

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जिसकी सचमुच 11 मुल्कों की पुलिस इंतजार करती थी

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बिकिनी किलर के नाम से दुनिया में मशहूर चार्ल्स शोभराज को  नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया इसके बावजूद चार्ल्स शोभराज का भाग्य देखिए वह जेल से रिहा नहीं हो पाया क्योंकि जेल प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को जब बारीकी से देखा तो यह पाया कि उसमें स्पष्ट आदेश नहीं है. अतः सर्वोच्च अदालत के आदेश के बावजूद जेल प्रशासन ने चार्ल्स शोभराज को रिहा करने से इंकार कर दिया . यही नहीं इसके अलावा शोभराज के वकीलों को भी उससे मिलने नहीं दिया गया .

जेल प्रशासन ने दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अस्पष्ट है. और उसमें यह उल्लेख नहीं है कि किस मुकदमे में रिहा करने को कहा गया है. दरअसल नेपाल में इस समय शोभराज दो विदेशी युवतियों की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहा है. इसके अलावा शोभराज एक हत्या के प्रयास और जेल में हुए मर्डर अटेम्ट मामले में भी दोषी पाया गया था.

जेल प्रशासन ने नेपाल उच्चतम न्यायालय से अनुरोध करते हुए आग्रह किया है सब कुछ स्पष्ट होने के साथ ही चार्ल्स शोभराज को छोड़ दिया जाएगा. वस्तुत: शोभराज ने जेल से रिहा होने के लिए याचिका दायर की थी. उसका कहना था कि वह निर्धारित समय से ज्यादा समय तक जेल में बंद है इसलिए उसे रिहा कर दिया जाए.

नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अर्जी स्वीकार कर ली थी और इसी आधार पर चार्ल्स शोभराज को जेल से रिहा करने का आदेश दे दिया गया. सचमुच चार्ल्स शोभराज एक ऐसा अपराधिक शख्स था जिसकी एक समय में ग्यारह मुल्कों की पुलिस इंतजार  करती थी. अपनी रिहाई के आदेश के साथ एक बार फिर यह शख्स दुनिया भर में चर्चा में है.

खुशबू के प्यार की दुर्गंध

पहली जून, 2002 की बात है. सुबह के 4 बज रहे थे. आगरा के खंदौली थाने में तैनात कांस्टेबल के.डी. बाबू और अंकित चौधरी गश्त से लौट रहे थे. आगराजलेसर मार्ग पर गांव आबिदगढ़ के मोड़ पर सड़क किनारे पेड़ की आड़ में एक शव जल रहा था. यह देख कर दोनों कांस्टेबलों ने अपनी बाइक रोकी और वहां पहुंच गए.

वहां शव जलता दिखा तो उन्होंने तत्काल थानाप्रभारी आनंदवीर सिंह को फोन से सूचना दी. थानाप्रभारी ने भी तत्परता दिखाई. वह थाने से कंबल ले कर मौके पर पहुंच गए. तब तक  दोनों कांस्टेबलों ने रेत आदि डाल कर किसी तरह आग बुझाने की कोशिश जारी रखी. थानाप्रभारी के पहुंचने के बाद कंबल डाल कर आग पूरी तरह बुझा दी गई.

जल रहा शव एक युवती का था. तब तक युवती का पेट और नीचे का ज्यादातर हिस्सा जल चुका था. चेहरे व हाथ का कुछ भाग भी झुलस गया था. उधर से गुजर रहे ग्रामीणों को जैसे ही इस की जानकारी मिली, वह भी वहां पहुंच गए.

थानाप्रभारी आनंदवीर सिंह ने अधजले शव का निरीक्षण किया. मृतका लगभग 20-22 साल की युवती थी.

थानाप्रभारी ने इस सनसनीखेज घटना की जानकारी से उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा दिया. शव की शिनाख्त न होने पर पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव को मोर्चरी भिजवा दिया. यह बात पहली जून, 2022 की है.

युवती कौन थी? उस की हत्या किस ने, कहां और क्यों की? युवती के पास मोबाइल अथवा ऐसी कोई चीज भी नहीं मिली थी, जिस से उस की शिनाख्त हो सके. पुिलस का प्रयास था कि शव की शिनाख्त जल्दी हो जाए ताकि उस के हत्यारों को गिरफ्तार कर हत्या का परदाफाश किया जा सके.

मथुरा में यूपी 112 की पीआरवी पर तैनात सिपाही वीरपाल सिंह की बड़ी बेटी 20 वर्षीय खुशबू जो बलकेश्वर स्थित संत रामकृष्ण कन्या महाविद्यालय में बीकौम द्वितीय वर्ष की छात्रा थी. वह 30 मई, 2022 को सुबह  10 बजे कालेज जाने के लिए घर से निकली थी. इस के बाद वह दोपहर 3 बजे तक वापस नहीं आई.

इस पर उस के दादा रामचरन ने खुशबू को फोन किया, लेकिन काल रिसीव नहीं हुई. वह लगातार फोन मिलाते रहे. उस का मोबाइल स्विच्ड औफ आ रहा था.

किसी अनहोनी की आशंका पर उन्होंने बेटे वीरपाल सिंह को इस की जानकारी दी. वीरपाल जानकारी मिलते ही आगरा आ गए. पहले उन्होंने खुशबू की सहेलियों से पूछताछ की.

काफी तलाश करने के बाद भी जब बेटी का कोई पता नहीं चला, तब वीरपाल ने बेटी के लापता होने की रिपोर्ट आगरा के थाना एत्माद्दौला में 31 मई को दर्ज करा दी.

सिपाही वीरपाल सिंह मूलरूप से एटा जिले के जलेसर के नगला नैनसुख गांव के रहने वाले हैं. उन का परिवार थाना एत्माद्दौला क्षेत्र की शांताकुंज कालोनी में रहता है. 2 बेटियों में खुशबू बड़ी थी.

खुशबू के लापता होने पर पुलिस ने घर वालों से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि 30 मई की सुबह 10 बजे घर से खुशबू पड़ोसी दुर्गेश के साथ उस की बाइक पर कालेज जाने के लिए निकली थी. उस की परीक्षाएं चल रहीं थीं. उस का 4 जून को पेपर था. इस के लिए उसे कालेज की लाइब्रेरी में कुछ किताबें जमा करनी थीं, जबकि कुछ किताबें ले कर आनी थीं. इस के बाद वह लापता हो गई. इस पर पुलिस ने पड़ोसी दुर्गेश से पूछताछ की. दुर्गेश ने बताया उस ने खुशबू को वाटरवर्क्स पर छोड़ दिया था.

 

पुलिस ने कई स्थानों के सीसीटीवी कैमरे भी चैक किए. खुशबू के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली और जांच शुरू की. पुलिस को खुशबू की आखिरी लोकेशन 30 मई की रात पौने 10 बजे ट्रांस यमुना कालोनी की मिली. इस के बाद मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया था.

पुलिस ने ट्रांस यमुना कालोनी में भी उसे तलाशा. अब तक पुलिस के हाथ ऐसा कोई सुराग नहीं लगा था, जिस से खुशबू के बारे में जानकारी मिल पाती. पुलिस 30 मई के उन नंबरों की जांच में जुट गई, जिन पर खुशबू की बात हुई थी.

इसी बीच वीरपाल सिंह को रात को जानकारी मिली कि 20-21 साल की एक युवती की अधजली लाश थाना खंदौली पुलिस को मिली है. इस पर वीरपाल सिंह घर वालों के साथ रात में ही पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए.

चेहरे और कपड़ों से घर वालों ने उस शव की शिनाख्त बेटी खुशबू के रूप में की. खुशबू की हत्या की जानकारी होते ही घर में कोहराम मच गया. बेटी की मौत से मां कुसुम लता के आंसू रुक नहीं रहे थे.

वीरपाल सिंह ने अपनी बेटी की हत्या का आरोप नाऊ की सराय के नवनीत नगर निवासी आशीष तोमर पर लगाते हुए उस के खिलाफ थाना खंदौली में हत्या व सबूत मिटाने की धारा में रिपोर्ट दर्ज करा दी.

आरोप में कहा गया था कि आशीष काफी समय से उन की बेटी को परेशान कर रहा था. वह उस पर शादी का दबाव बना रहा था. शादी से इंकार करने पर उस ने खुशबू की हत्या कर दी और सबूत मिटाने के लिए शव को जलाने का प्रयास किया.

खुशबू ने 8वीं तक की पढ़ाई गांव में ही की थी. इस के बाद वह आगरा आ गई. 9वीं से 12वीं कक्षा तक एक पब्लिक स्कूल में पड़ी. वर्तमान में वह बलकेश्वर स्थित संत रामकृष्ण कन्या महाविद्यालय से बीकौम कर रही थी. यह उस का दूसरा साल था.

आशीष और खुशबू दोनों एकदूसरे को कई सालों से जानते थे. पब्लिक स्कूल में 9वीं कक्षा में आशीष और खुशबू साथसाथ पढ़ते थे. पढ़ाई के दौरान ही दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए. दोनों चोरीछिपे मिलते और बातचीत करने लगे. आशीष और खुशबू दोनों ही एकदूसरे को बहुत पसंद करने लगे थे.

किसी तरह दोनों की दोस्ती की जानकारी खुशबू के घर वालों को हो गई. तब उन्होंने खुशबू को समझाने के साथ ही आशीष को भी खुशबू से दूर रहने की हिदायत दी. जहां खुशबू आशीष को प्यार करती थी तो वहीं खुशबू के सिपाही पिता उसे पसंद नहीं करते थे.

पिता वीरपाल ने आशीष को 3 बार समझाया भी था. बीकौम करने के लिए उन्होंने बेटी का एडमिशन भी गर्ल्स कालेज में करा दिया था. लेकिन आशीष पर ऐसी दीवानगी छाई थी कि समझाने के बाद भी उस ने खुशबू का पीछा नहीं छोड़ा. वह उस से मिलता और फोन पर बात भी करता.

उधर अपने पिता के डर से खुशबू ने अब आशीष से मिलना छोड़ दिया था. कभीकभी दोनों की मोबाइल पर ही बातचीत हो पाती थी. यह बात आशीष को नागवार गुजरी.

घटना से 6 महीने पहले आशीष ने खुशबू के साथ खींचे फोटो सोशल मीडिया पर डाल दिए थे. जब इस बात की जानकारी खुशबू के पिता वीरपाल को हुई तो उन्होंने आशीष के खिलाफ थाना एत्माद्दौला में शिकायत कर आशीष को थाने में बंद करा दिया.

इस पर आशीष माफी मांगने लगा, वादा  किया कि वह फिर कभी खुशबू को परेशान नहीं करेगा. तब इस पर उसे थाने से छोड़ दिया गया और शिकायत वापस ले ली गई. लेकिन आशीष बेटी की जान ले लेगा, यह किसी ने नहीं सोचा था. खुशबू की हत्या की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने 2 जून, 2022 को आशीष तोमर और उस के पिता मुकेश तोमर को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर दोनों से पूछताछ की गई.

आशीष ने खुशबू की हत्या का जुर्म कुबूल करते हुए बताया कि वह खुशबू से काफी समय से प्यार करता था. खुशबू भी उसे चाहती थी. दोनों मोबाइल पर एकदूसरे से बातें करते थे. वह उस से शादी करना चाहता था, लेकिन अपने घर वालों के दवाब में खुशबू शादी से मना कर देती थी.

30 मई को सोमवती अमावस्या थी. आशीष के मातापिता गंगा स्नान के लिए राजघाट गए थे. पिता मुकेश तोमर प्राइवेट ठेकेदारी का काम करते हैं. उन के जाने के बाद आशीष ने खुशबू से मिलने का अच्छा मौका देख कर उसे फोन किया और आखिरी बार मिलने का वादा कर उसे अपने घर पर बुला लिया. खुशबू के घर में आते ही आशीष ने उसे आगोश में ले लिया. दोनों एकदूसरे की गलबहियां डाले काफी देर तक बातचीत करते रहे.

शाम करीब 4 बजे खुशबू अपने घर जाने के लिए उठी. उस ने कहा, बहुत देर हो गई है. आज मैं कालेज भी नहीं जा सकी, घर वाले इंतजार कर रहे होंगे.  तब भावुक हो कर आशीष ने कहा, ‘‘खुशबू, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं. मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता. मैं तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

शादी की बात करने पर खुशबू बोली, ‘‘आशीष, तुम तो जानते ही हो कि हमारा प्रेम अमर है. प्यार कभी शादी का मोहताज नहीं होता. फिर मेरे घर वाले भी तुम से शादी के अभी खिलाफ हैं.’’

उस ने शादी से इंकार कर दिया. इस पर दोनों में विवाद होने लगा. बात बढ़ गई और गुस्से में आशीष ने खुशबू की दुपट्टे से गला घोंट कर हत्या कर दी.

खुशबू की हत्या करने के बाद उस ने उस के शव को अपने पलंग के नीचे छिपा दिया. गुस्से में आशीष ने अपनी प्रेमिका की हत्या तो कर दी थी, लेकिन हत्या के बाद वह परेशान हो गया.

उस के जेहन में बारबार एक ही प्रश्न घुमड़ रहा था कि लाश को अब ठिकाने कैसे लगाया जाए? वह रात भर शव के साथ ही रहा.  पूरी रात उस की आंखों में जाग कर कटी. दूसरे दिन यानी 31 मई को उस के मातापिता आ गए.

गरमी का मौसम होने और कमरा बंद होने से लाश से दुर्गंध आने लगी थी. इस पर उस ने कमरे में धूपबत्ती भी जलाई थी. लेकिन अब दुर्गंध तेज हो गई थी. दुर्गंध आने पर पिता मुकेश तोमर ने जब आशीष से इस संबंध में पूछताछ की तो वह कुछ जबाव नहीं दे पाया.  इस पर पिता को शक हो गया. उन्होंने कमरे की तलाशी ली. तब उन्हें खुशबू का शव पलंग के नीचे मिल गया.

लड़की की लाश देख कर मुकेश तोमर घबरा गए. तब आशीष ने हत्या के बारे में उन्हें बताया, ‘‘मुझ से गलती हो गई.’’

मुकेश तोमर ने पुलिस को इस संबंध में जानकारी नहीं दी. दोनों ने शव को ठिकाने लगाने की साजिश रची. शव को रजाई के कवर में लपेट कर वापस पलंग के नीचे रख दिया.

35 घंटे तक शव पलंग के नीचे छिपाए रखने से तीक्ष्ण दुर्गंध आने लगी थी.  मंगलवार रात करीब 3 बजे उन्हें शव की गठरी बांधी. फिर उसे बाइक पर रख कर घर से 5 किलोमीटर दूर जलेसर मार्ग पर ले गए.

बाइक पिता मुकेश ने चलाई जबकि शव को ले कर आशीष बाइक पर पीछे बैठा. एक सुनसान जगह पर बाइक को रोकी. सड़क किनारे पेड़ की आड़ में शव को फेंक दिया और उस पर पैट्रोल डाल कर लाइटर से आग लगा दी.

बापबेटे की साजिश थी कि शव जलने के बाद पहचाना नहीं जा सकेगा और पुलिस उन्हें पकड़ नहीं सकेगी. लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था.

पहली जून की सुबह 4 बजे गश्त से वापस आ रही पुलिस ने आग को बुझा कर शव पूरी तरह जलने से बचा लिया. दोनों कांस्टेबलों की सूझबूझ से छात्रा खुशबू हत्याकांड का परदाफाश आसान हो गया.

हत्यारोपी प्रेमी आशीष और उस के पिता मुकेश तोमर ने खुशबू के शव को पहले यमुना में फेंकने की योजना बनाई थी. लेकिन उन्हें लगा कि यमुना में फेंकने के लिए काफी दूर जाना पड़ेगा. इस दौरान खंदौली मार्ग पर भी आना होगा. ऐसे में पुलिस उन्हें पकड़ सकती है.

तब खाली जगह पर शव को गड्ढे में दफनाने के बारे में भी सोचा, लेकिन तब भी दोनों को लगा कि गड्ढा खोदने में काफी समय लगेगा. अंत में शव को घर से दूर फेंक कर उसे आग के हवाले करने की योजना बनाई.

आरोपी आशीष जानता था कि खुशबू के लापता होने पर पुलिस सब से पहले उस के मोबाइल की लोकेशन पता करेगी. रूह कंपा देने वाली घटना को अंजाम देने के बाद पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए शातिर आशीष प्रेमिका के मोबाइल फोन को अपनी जेब में रख कर इधरउधर घूमता रहा.

हत्या वाली 30 मई की रात लगभग पौने 10 बजे ट्रांस यमुना कालोनी में पहुंच कर मोबाइल को स्विच्ड औफ कर दिया था. उसे लगा था कि पुलिस यहीं आसपास खुशबू को तलाश करेगी. खुशबू के जूते और मोबाइल आदि आशीष के घर पर ही रह गए थे. पुलिस ने बाइक सहित सारे सबूत बरामद कर लिए.

खुशबू के घर वालों का कहना है कि घटना में और भी लोग शामिल थे. आरोपी के घर में उस की मां भी थी. पुलिस ने उसे आरोपी नहीं बनाया, जबकि उसे घर में खुशबू का लाश होने की पूरी जानकारी थी.

एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने खुशबू हत्याकांड का परदाफाश करते हुए बताया  कि हत्याकांड में शामिल पितापुत्र दोनों हत्यारोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. आशीष की मां को भी आरोपी बनाया जाएगा.

पुलिस ने खुशबू की हत्या के आरोपी प्रेमी आशीष व उस के पिता मुकेश को न्यायालय में पेश किया, जहां न्यायालय के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया.

धृतराष्ट्र की तरह पुत्रमोह में पड़ कर जहां मुकेश ने बेटे आशीष के अपराध को पुलिस को बताने के बजाए 35 घंटे तक शव को पलंग के नीचे छिपाए रखा. शव ठिकाने लगाने में बेटे का पूरा साथ दिया. मुकेश के इस काम ने उसे भी हत्या का आरोपी बना दिया. यदि वह अपने बेटे के अपराध को न छिपाता तो बुढ़ापे में उसे जेल की सलाखों के पीछे न जाना पड़ता.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्रेमी को पति बनाने की जिद

15 जुलाई, 2022 की सुबह थी. मोहल्ले में अब तक अधिकांश लोग जाग चुके थे. घर के सभी सदस्य उठ गए थे. लेकिन नगीना को अपनी बड़ी बेटी रुचि नहीं दिखाई दी तो उस ने आंगन में बैठे पति मनोज से पूछा, ‘‘रुचि बिटिया कहां है?’’

इस पर मनोज ने बताया कि ऊपर कमरे में सो रही है. अब तक नीचे नहीं उतरी है. उसे जगाने के लिए मां नगीना ने आवाज दी. लेकिन उस ने कोई जबाव नहीं दिया. इस पर मां जीना चढ़ कर पहली मंजिल पर बने कमरे में गई. दरवाजा धकेल कर जैसे ही कमरे में घुसी, उस के मुंह से चीख निकल गई. कमरे में खून फैला हुआ था. वहां रुचि मरी पड़ी थी. उस के ऊपर बोरी पड़ी हुई थी.

रुचि की मौत की बात सुनते ही घर में कोहराम मच गया. चीखपुकार का शोर सुन कर आसपास के लोग भी आ गए. मनोज की जवान बेटी की अचानक मौत होने से मोहल्ले में सनसनी फैल गई. रुचि की लाश देख उस की मां और भाईबहन बिलखबिलख कर रो रहे थे. मोहल्ले की महिलाओं ने उन्हें किसी तरह संभाला.

पड़ोसियों ने हत्या की सूचना पुलिस को दे दी. घटना की जानकारी होते ही थानाप्रभारी नरेंद्र शर्मा, सीओ (सिटी) अभिषेक श्रीवास्तव पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए और घटनास्थल का निरीक्षण किया. सूचना दिए जाने पर एसपी (ग्रामीण) डा. अखिलेश नारायण सिंह भी आ गए. फोरैंसिक टीम को भी वहां बुला लिया गया.

पूछताछ में पिता मनोज राठौर ने बताया कि रुचि ने अपने हाथ की नस काट कर आत्महत्या कर ली है. उस ने बताया कि वह उस की शादी के लिए लड़का तलाश रहा था. जबकि वह दूसरी जाति के युवक से प्रेम करती थी और उस से शादी करना चाहती थी. हम लोगों ने गैरबिरादरी के लड़के के साथ शादी करने से मना कर दिया था. इस बात से वह नाराज हो गई और उस ने हाथ की नस काट कर आत्महत्या कर ली.

इस पर एसपी (ग्रामीण) ने ऊपर बने कमरे में जा कर लाश का निरीक्षण किया. कमरे में लाश बोरे से ढकी थी. हालात कुछ संदिग्ध लगे. बोरा हटाया तो रुचि के गले के पास भी खून दिखाई दिया. गौर से देखने पर पता चला कि उस का गला भी कटा हुआ है. इस से स्पष्ट हो गया कि रुचि की हत्या की गई है.

पिता की बातों से शक होने पर पुलिस ने बिना देर किए उसे हिरासत में ले लिया और उसे थाने ले गई.

मनोज ही अपनी बेटी का हत्यारा था. इस बात पर किसी को भरोसा नहीं हो रहा था कि सीधासादा दिखने वाला मनोज इतनी बेरहमी से बेटी की हत्या कर सकता है. पड़ोसियों के साथ ही रिश्तेदार भी उसे कोस रहे थे.

इस बीच  फोरैंसिक टीम ने मौके से सबूत जुटाए. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया.

पुलिस ने थाने पर ले जा कर मनोज से पूछताछ की. कुछ देर तो वह रुचि द्वारा अपने हाथ की नस काट कर आत्महत्या की बात पर टिका रहा, लेकिन पुलिस की सख्ती पर उस ने बेटी की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. अपनी बेटी की हत्या का उसे कोई पछतावा नहीं था. बेटी के कत्ल के पीछे जो कहानी निकली, वह इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश में कांच की नगरी के नाम से प्रसिद्ध फिरोजाबाद जनपद के थाना उत्तर के तिलक नगर इलाके में रहने वाला मनोज कुमार राठौर एक चूड़ी कारखाने में काम करता था. घर में पत्नी नगीना के अलावा 3 बेटियां और एक बेटा था.

वैसे मनोज मूलरूप से मक्खनपुर थाना क्षेत्र के गांव अंगदपुर का रहने वाला है. उस के मातापिता और भाई गांव में ही रहते हैं. कुछ साल से वह तिलक नगर में अपना मकान बना कर परिवार के साथ रह रहा था.

मनोज का बायां हाथ लगभग 10 साल पहले थे्रशर मशीन में आ जाने से कट गया था. एक हाथ कटने के बाद भी मनोज परिवार के भरणपोषण के लिए चूड़ी कारखाने में काम करने लगा.

परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए अब घर पर ही चूड़ी जुड़ाई का काम उस की पत्नी नगीना करने लगी थी. बड़ी बेटी रुचि 9वीं कक्षा में पढ़ रही थी. उस की पढ़ाई बंद करा कर उसे भी इसी काम में लगा दिया. वह चूडि़यों पर नग लगाने का काम करती थी. रुचि इस काम से अपना खर्चा भी निकाल लेती थी.

घटना से 6 महीने पहले की बात है. अपनी सहेली के जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने रुचि उस के घर पहुंची थी. जन्मदिन में थाना एटा के ग्राम पिलुआ निवासी फोटोग्राफर सुधीर पचौरी फोटो खींच रहा था. रुचि ने भी उस से अपनी सहेली के साथ तरहतरह के पोजों में फोटो खिंचवाए.

सुधीर उस का अनगढ़ सौंदर्य देख ठगा सा रह गया. रुचि को भी एहसास हो गया कि सुधीर उसे कैमरे की आंख से देख रहा है. जवानी की दलहीज पर पहुंची रुचि का दिल तेजी से धड़कने लगा था. इसी बीच फोटोग्राफर सुधीर और रुचि के बीच परिचय हो गया. घर आते समय रुचि ने सुधीर को अपना मोबाइल नंबर देने के साथ ही उस का नंबर भी ले लिया.

रुचि सोशल मीडिया पर भी थी. वे दोनों फेसबुक पर एकदूसरे से जुड़ कर बात करने लगे. सुधीर रहने वाला तो एटा क्षेत्र का था, लेकिन काम के संबंध में वह फिरोजाबाद में कमरा ले कर रहने लगा था.

सोशल मीडिया के जरिए रुचि और सुधीर की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, इस का दोनों को ही पता नहीं चला. इस बीच रुचि और सुधीर आपस में मिल भी लेते थे और अपने दिल का हाल भी एकदूसरे को बता देते थे. धीरेधीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. यहां तक कि दोनों ने शादी करने का फैसला तक ले लिया.

अब दोनों चोरीछिपे अकसर मिलने लगे थे. जब भी रुचि और सुधीर अकेले में मिलते, दोनों भविष्य के सपने संजोते.

एक दिन रुचि ने सुधीर का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा, ‘‘सुधीर, तुम मुझे कितना प्यार करते हो?’’

इस पर सुधीर ने कहा, ‘‘यह भी कोई पूछने की बात है. प्यार का कोई पैमाना तो होता नहीं है, जिस से मैं बता सकूं. लेकिन तुम यह सब क्यों पूछ रही हो?’’

रुचि राठौर समाज की थी जबकि सुधीर ब्राह्मण समाज से था. रुचि ने कहा, ‘‘सुधीर समाज से डर कर तुम मुझे भूल तो न जाओगे?’’

रुचि ने सुधीर से साफसाफ कह दिया कि वह जातपांत में विश्वास नहीं करती है, शादी करेगी तो उसी से अन्यथा अपनी जान दे देगी.

इस पर सुधीर ने उस के होंठों पर हाथ रख उसे चुप कराते हुए कहा, ‘‘2 सच्चे प्रेमियों को मिलने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती. मैं तुम से सच्चा प्यार करता हूं और तुम्हारे ही साथ शादी करूंगा.’’

हालांकि दोनों की जाति (बिरादरी) अलगअलग थी. इस के बावजूद उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया था.

प्रेमी युगल अपने भविष्य के सुखद सपने संजोते हैं, दिल कुछ और चाहता है और किस्मत कुछ और. रुचि और सुधीर भी सपने संजोने लगे.

बेटी किसी लड़के के साथ प्यार की पींगें बढ़ा रही है, इस की जानकारी रुचि के घर वालों को नहीं थी. बल्कि इन सब बातों से बेखबर मनोज को जवान होती बेटी रुचि की शादी की चिंता सता रही थी. वह उस के लिए लड़का देखने लगा.

उस ने दिल्ली में एक लड़का देखा था. उस के परिवार से बात चल रही थी. इस की भनक जैसे ही रुचि को लगी तो उस ने पिता से कहा, ‘‘एक लड़का जो फोटोग्राफर है और अच्छा कमाता है, वह अपनी जाति का है. उस से मेरी शादी करा दो.’’

तब मनोज ने पत्नी नगीना से बात की. इस पर सभी लोग सुधीर से रुचि की शादी कराने को तैयार हो गए. निर्णय लिया कि शादी से पहले लड़का परिवार के अन्य सदस्यों को भी दिखा दिया जाए.

करीब 2 महीने पहले मनोज और नगीना सुधीर को साथ ले कर परिवार के अन्य सदस्यों को दिखाने के लिए गांव अंगदपुर पहुंचे. यहां सभी को लड़का पसंद आ गया. बातचीत के दौरान सुधीर की अन्य जगह रिश्तेदारियों के संबंध में पूछने पर वह सही से बता नहीं सका.

इस दौरान पता चला कि सुधीर उन की जाति का नहीं है. जबकि मनोज बेटी की शादी सजातीय लड़के से करना चाहता था, क्योंकि अभी रुचि से छोटी 2 बेटियां और थीं.

युवक के गैरबिरादरी का होने से रुचि के घर वाले इस शादी के लिए राजी नहीं हुए. रुचि ने पिता से सुधीर की जाति छिपाई थी. जाति छिपाने वाली बात से मनोज बेटी से नाराज हो गया और गुस्से में आ गया था.

फिर भी उस ने पहले बेटी को समझाने की कोशिश की. यहां तक कि उस का दिल्ली में रिश्ता भी तय कर दिया. इस बात से रुचि चिढ़ गई. रुचि ने पिता द्वारा तय की गई शादी करने से इंकार कर दिया.

रुचि पिता की इच्छा के खिलाफ अपने प्रेमी से मिलती और उस के साथ घूमने जाती रही. इसी बीच 11 जुलाई, 2022 को रुचि ने सुधीर को घर बुलाया. कुछ समय घर पर रहने के बाद वह दोस्त के घर जाने की बात कह कर चला गया. देर शाम सुधीर फिर से घर आया और रात को घर पर ही रुक गया.

देर रात रुचि और सुधीर को मनोज ने एक कमरे में बांहों में बांहें डाले बातचीत करते देख लिया. रात के समय एकांत में बैठ कर दोनों का बातचीत करना उसे अखर गया. उस ने इस बात का विरोध किया.

रुचि को यह सब नागवार गुजरा. वह जिद पर अड़ गई. उस ने अपने पिता से कह दिया कि वह शादी करेगी तो सुधीर से और यदि आप ने विरोध किया तो वह सुधीर के साथ कोर्ट मैरिज कर लेगी. इस बात से परिवार में कलह रहने लगी.

बेटी की यह हरकत उसे नागवार गुजरी.  इस बात ने आग में घी का काम किया. 2 दिन से मनोज सो नहीं सका था. बेटी की हरकत  उस की आंखों के सामने बारबार घूम रही थी. उसे समाज में अपनी बदनामी का डर सता रहा था.

तब उस ने एक खौफनाक निर्णय ले लिया. वह बाजार से एक आरी खरीद कर लाया और उसे घर में छिपा कर रख दिया. मनोज की योजना की भनक तक नगीना और घर के अन्य सदस्यों को भी नहीं लगी.

घर के निचले तल पर 3 कमरे और किचन है, वहीं ऊपरी मंजिल पर 2 कमरे हैं. गुरुवार 14 जुलाई, 2022 की रात को मनोज के परिवार के सभी सदस्य सो गए थे. नगीना दोनों बेटियों व बेटे के साथ कमरे में सो गई. उस ने रुचि को भी अपने साथ सोने को बुलाया था, लेकिन वह ऊपरी मंजिल पर बने अपने कमरे में सोने चली गई. जबकि मनोज जीने के सामने चारपाई पर लेट गया, लेकिन मनोज की आंखों से तो नींद उड़ चुकी थी.

आधी रात के बाद मनोज दबे पांव अपनी चारपाई से उठा. उस समय कूलर चलने के कारण कमरे में सो रही पत्नी नगीना को कुछ पता नहीं चला. मनोज ने लाई हुई आरी उठाई और सीढि़यां चढ़ कर रुचि के कमरे में पहुंचा. उस समय वह गहरी नींद में सो रही थी.

मनोज ने सो रही रुचि के सिर पर पहले डंडे से प्रहार किया, जिस से वह अचेत हो गई. इस के बाद आरी से उस का गला रेत कर हत्या कर दी. हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए मनोज ने रुचि की कलाई की नस भी काट दी. बेहोशी के कारण न तो रुचि चीख सकी और न अपना बचाव कर पाई.

हत्या के बाद उस ने शव को बोरे से ढंक दिया. मनोज ने बेटी की हत्या करने के बाद खून से सने हाथों को धोया. बेटी का गला रेत कर सुकून की नींद सोता रहा. फिर सुबह के समय वह अपने गांव अंगदपुर गया और वहां रुचि के मोबाइल को रख कर वापस घर आ गया था.

यह जानकारी जब नगीना और मोहल्ले के अन्य लोगों को हुई तो सभी आश्चर्यचकित रह गए कि मनोज ने बेटी का कितनी चालाकी से कत्ल कर दिया और किसी को इस का अहसास तक नहीं हुआ कि एक बाप ऐसा कर सकता है.

नगीना ने पति मनोज के खिलाफ बेटी की हत्या करने की रिपोर्ट दर्ज कराई. 15 जुलाई, 2022 को पुलिस ने मनोज की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त आरी बरामद कर ली. शनिवार 16 जुलाई को उसे न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

प्रेम विवाह के प्रति आज भी परिवार और समाज का दृष्टिकोण बदला नहीं है. खासकर 2 अलगअलग जातियों के पे्रमियों का मिलना तो और दुश्वार कर दिया जाता है. यही इस घटना में भी हुआ.द्य

प्यार की वो आखिरी रात

25 मई, 2022 की रात करीब 3-साढ़े 3 बजे प्रयागराज में यमुनापार इलाके के चकहीरानंद मोहल्ले में पुलिस की कई गाडि़यां हूटर बजाते हुए एक के बाद एक देखते ही देखते प्रवेश करती गईं. गरमी की उमस से बेहाल मोहल्ले वालों को सुबह में गरमी से थोड़ी राहत मिली थी. सभी सोने का प्रयास कर रहे थे कि हूटर बजाती गाडि़यों से लोगों की नींद टूट गई. सभी गाडि़यां सुनील मिश्रा के घर के पास कर रुक गईं.

लोगों की नींद में खलल पड़ चुकी थी. सभी आश्चर्यचकित थे. अचरज से अपनेअपने मकानों की छतों पर खड़े हो कर एकदूसरे से आंखों ही आंखों में इशारे से मानो पूछ रहे हों, ‘‘आखिर इतनी सुबह भारी पुलिस फोर्स हमारे मोहल्ले में क्यों आई है? क्या कोई आतंकी सुनील मिश्रा के मकान में घुसा है? आखिर माजरा क्या है? अभी तो रात के 3-साढ़े 3 बजे हैं. लेकिन इतनी रात पुलिस की दस्तक क्यों?’’

इस तरह के तमाम विचार चकहीरानंद मोहल्ले में रहने वालों के मन में उमड़घुमड़ रहे थे. चूंकि इस समय गंगापार के हालात सही नहीं चल रहे थे. सामूहिक हत्याओं, नरसंहार से पूरा प्रयागराज जिला थर्रा उठा था, सो मोहल्ले वालों का यह सोचना लाजिमी था.

बहरहाल, कुछ देर में ही इस सवाल का जवाब भी मिल गया. खुद सुनील मिश्रा ने पहले पुलिस की हेल्पलाइन नंबर 112 पर डायल कर के सूचना दी थी कि उस के घर में चोर घुस आया है, जिसे उस की बेटी अमायरा ने गोली मार दी है और मौके पर ही उस की मौत हो गई है. बेटी अमायरा भी बुरी तरह से घायल फर्श पर पड़ी तड़प रही है.

यह सूचना मिलते ही आननफानन में पुलिस नैनी थानाक्षेत्र में स्थित घटनास्थल पर पहुंची थी. जब पुलिस के जवानों ने सुनील मिश्रा के मकान में प्रवेश किया तो घटनास्थल का सीन देख कर सब सन्न रह गए.
छत की सीढि़यों के नीचे स्लैब पर सुनील मिश्रा की बेटी अमायरा घायल अवस्था में पड़ी तड़प रही थी. उस के हाथ और पेट में गोली लगी थी. रिवौल्वर भी उस की हथेली में था. छत पर 22-23 साल के एक नौजवान की लाश पड़ी थी.

पुलिस अफसरों को देखते ही मकान मालिक सुनील मिश्रा और उस के घर के सदस्य गला फाड़फाड़ कर रोने लगे.

एसएसपी अजय कुमार एसपी सौरभ दीक्षित ने भी घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. बहरहाल, घटनास्थल का क्राइम सीन कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा था और सुनील मिश्रा का कथन कुछ और.

फिलहाल प्रारंभिक काररवाई करते हुए सुनील मिश्रा की घायल बेटी मृत युवक, जिस का नाम अरनव था, की डैडबौडी को फौरन जिला अस्पताल एसआरएन पहुंचाया गया.

क्योंकि अमायरा की जान खतरे में थी और वह बुरी तरह से पेट पकड़ कर फर्श पर तड़प रही थी. एक गोली उस की हथेली में लगी थी तो दूसरी उस के पेट में फंसी हुई थी. अरनव की डैडबौडी का पोस्टमार्टम होना जरूरी था और अमायरा का प्राथमिक उपचार.

अब तक घटना की सूचना पा कर अरनव के परिजन भी चुके थे. जवान बेटे की लाश को जब पुलिस वाले पोस्टमार्टम के लिए भेज रहे थे तो उस के मातापिता, भाईबहन का रोरो कर बुरा हाल था. अरनव का घर सुनील मिश्रा के मकान से महज एक किलोमीटर की दूरी पर था.

उपरोक्त घटना की सूचना जंगल की आग की तरह पूरे नैनी क्षेत्र और सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे शहर में फैल चुकी थी. खैर, आगे की काररवाई करते हुए सब से पहले पुलिस को सूचना देने वाले अमायरा के पिता सुनील मिश्रा को ही थाने ला कर पूछताछ शुरू की गई.

सुनील मिश्रा के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. वह फूटफूट कर अधिकारियों के सामने बस रोए जा रहा था.

उसे ढांढस बंधाते हुए एसएसपी अजय कुमार ने कहा, ‘‘देखिए मिश्राजी, इस तरह रोनेधोने से काम नहीं चलेगा. आप की बेटी को गोली लगी है और वह जीवनमौत के बीच संघर्ष कर रही है. ईश्वर ने चाहा तो उस की जिंदगी बच जाएगी और सच्चाई भी सामने जाएगी.

‘‘पहले हमें आप यह बताइए कि आप ने क्या देखा था मृतक युवक कौन है? क्योंकि आप ही ने सब से पहले इस वारदात की सूचना पुलिस को मोबाइल से दी थी, इसलिए आप ने जो कुछ भी देखा हो उसे बता दीजिए ताकि हम अपराधियों तक पहुंच सकें.’’

अधिकारियों की बात सुन कर सुनील मिश्रा थोड़ा शांत हुआ और बोला, ‘‘साहब, मुझे नहीं मालूम कि मृत कौन है? यह किस का बेटा है और कहां का रहने वाला है. मेरे खयाल से यह लड़का चोरीचकारी की नीयत से मेरे घर में घुसा होगा, जिसे मेरी बेटी ने देख लिया होगा. वह किसी घटना को अंजाम देने में कामयाब हो पाता उस से पहले बेटी अमायरा ने मेरी रिवौल्वर से उस पर फायर कर दिया होगा. अपने बचाव के लिए मरने से पहले उस ने अमायरा से रिवौल्वर छीन कर उसे भी गोली मार दी.

‘‘उमस बहुत ज्यादा हो रही थी. मैं पानी पीने के लिए उठा था और गरमी से राहत के लिए ऊपर एसी वाले कमरे में जा रहा था, जहां घर के बाकी सदस्य सो रहे थे. तभी मैं ने देखा कि मेरी बेटी खून से लथपथ पड़ी फर्श पर तड़प रही थी. मैं भागते हुए छत पर गया तो देखा उस लड़के की लाश पड़ी थी. उस लड़के को मैं नहीं जानता. उसे मोहल्ले में भी कभी नहीं देखा.’’

पुलिस के लिए बड़ा ही दिलचस्प और संगीन मामला था. एसएसपी की दूरदृष्टि और पुलिसिया नजरिया कुछ और ही कह रही थी तथा सुनील मिश्रा का बयान कुछ और. कारण, अगर सुनील की बातों पर यकीन कर भी लिया जाए तो उस की बेटी अमायरा ने पहले ही किसी भी नीयत से उस के मकान में दाखिल युवक को अपने पिता की रिवौल्वर से जान से मार डाला था तो फिर उस के बाद अपने पेट और हथेली पर गोली मारने की क्या जरूरत थी.

अब कातिल उन की निगाहों के सामने था, जो पूरे घटनाक्रम को छिपाने की साजिश बड़ी ही होशियारी से कर रहा था.

उस के परिवार के अन्य सदस्यों से भी पूछताछ की गई. सभी का कहना था कि उस समय सब लोग गहरी नींद में थे. फायरिंग सुनील मिश्रा की चीखपुकार सुन कर जागे थे.
सुनील मिश्रा से अधिकारियों ने दोबारा घुमाफिरा कर सवालों की झड़ी लगा दी तो वह पुलिस के सामने टूट गया और फूटफूट कर रोने लगा. भर्राए गले से बताया कि वह युवक उस की बेटी का प्रेमी अरनव है. उस की हत्या का जुर्म और बेटी पर गोली चलाने की बात सुनील मिश्रा ने स्वीकार कर ली.
शर्म और ग्लानि से भरे सुनील मिश्रा ने औनर किलिंग की जो कहानी पुलिस अधिकारियों को सुनाई, वह इस प्रकार निकली.

पेशे से ढाबा चलाने वाला सुनील मिश्रा अधिकतर घर से बाहर ही रहता था. उस का घूरपुर रोड परमिश्रा फैमिली रेस्टोरेंट ढाबाहै. परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे और एक बेटी अमायरा. सुनील का अपने घर चकहीरानंद में महीने में एक बार ही आना होता था.

कथा में आगे बढ़ने से पहले अरनव के परिवार के बारे में संक्षिप्त जानकारी जरूरी है.

असमय ही प्रेम में फना हुए अरनव के पिता सत्यप्रकाश एलआईसी एजेंट हैं. पत्नी संध्या के अलावा 2 बेटे अरनव और विकास (बदला हुआ नाम) थे, जिन में अरनव की मौत हो चुकी है.
अरनव सिंह इस साल 12वीं कक्षा में नैनी के महर्षि विद्या मंदिर इंटर कालेज रामनगर में पढ़ता था. उस का घर पीएसी कालोनी स्थित नैनी क्षेत्र में है.

अरनव के पिता मूलरूप से सुलतानपुर जिले के रहने वाले हैं. वह काफी सालों से इलाहाबाद यमुनापार इलाके में पूरे परिवार के साथ रह रहे थे.

दोनों के परिवार वाले अमायरा और अरनव की प्रेम कहानी से अनभिज्ञ थे. अरनव और अमायरा दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे. किताबों के लेनदेन से उन का प्रेम परवान चढ़ा था. जिस के चलते अरनव को अपने प्राण गंवाने पड़े.

सुनील मिश्रा का समय अकसर परिवार से दूर बाहर ही बीतता था. परिवार के भरणपोषण के लिए ढाबा चलाता था. काफी दिनों के बाद वह एक दिन पहले ही अपने घर आया था.
रात को मंगलवार का व्रत खोलने के बाद वह पत्नी के साथ बिना एसी वाले कमरे में सो रहा था. बच्चे एसी वाले कमरे में थे. उस रात गरमी बहुत ज्यादा थी.

गरमी से बेहाल पतिपत्नी एसी वाले कमरे में सोने के लिए गए तो देखा सभी बच्चे तो कमरे में सो रहे थे लेकिन अमायरा वहां नहीं थी. आखिर कहां गई होगी वह? सुनील बस यही सोच रहा था कि उसी समय कुछ खटपट की आवाज सुनाई दी.

बदहवास हालत में अमायरा कमरे में आई. उस की मां ने पूछा तो उस ने जवाब दिया कि पेट में हलका दर्द हो रहा है. इतना कहने के बाद वह फिर से पानी पीने जाने की बात कह कर कमरे से बाहर निकली.
अब तक सुनील मिश्रा को अमायरा पर शक हो चला था. आखिर वह उस का बाप था. जमाने के रंगढंग देख रहा था. उस ने एक बात गौर की थी, जब पतिपत्नी बच्चों के कमरे में सोने गए थे तो उस समय बेटी सीढि़यों से उतर कर कमरे में आई थी. आखिर इतनी रात गए वह छत पर क्या कर रही थी?

यह सवाल उस के जहन में बारबार घूम रही थी. जब वह पानी पीने का बहाना कर के कमरे से दोबारा निकली तो उस का रुख फिर से छत की ओर था. सुनील मिश्रा भी उस के पीछेपीछे छत की तरफ बढ़ा.
अमायरा को पिता के पीछेपीछे आने का अहसास हुआ तो उस ने पैर पकड़ लिए, ‘‘पापा, कहां जा रहे हैं?’’
उस समय वह बेहद घबराई हुई थी.

‘‘पर कोई नहीं है. चलिए, चल कर सोते हैं. आप थकेमांदे इतने दिनों बाद आए हैं चलिए कमरे में.’’

सुनील मिश्रा ने रोते हुए बताया, ‘‘साहब, मैं ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बेटी जिसे मैं बहुत प्यार करता था, वह मेरी इज्जत खाक में मिला देगी. हकीकत तो यह है कि जब वह छत पर गई तो कुछ देर बाद मैं भी दबेपांव वहां गया. वह अपने प्रेमी के साथ आलिंगनबद्ध थी.

‘‘मुझे सारा माजरा समझ गया. क्योंकि मैं ने उसे रंगेहाथों आपत्तिजनक हालत में देख लिया था. मैं वह सीन देख करअब क्या बताऊं एक जवान बेटी का पिता क्या कर सकता है. अपनी बेटी को आपत्तिजनक अवस्था में देख कर आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं.

‘‘मेरा शरीर गुस्से से थरथर कांपने लगा. खून खौल उठा था मेरा. मैं नीचे कमरे में आया और अपनी रिवौल्वर उठा ली. अमायरा ने मुझे रोकने की बहुत कोशिश की. लेकिन मैं उसे धकियाते हुए छत पर पहुंचा तो देखा वह लड़का छत पर उकड़ूं बैठा हुआ था.

‘‘मैं ने क्रोध में कर उस पर रिवौल्वर तानी तो बेटी ने फिर मेरे पैर पकड़ लिए. उस ने अरनव के जान की भीख मांगी तो मुझे और भी ज्यादा गुस्सा गया. गुस्से में मैं ने पहली गोली अमायरा पर ही चला दी. गोली उस के हाथों को छूते हुए निकल गई. वह गिर पड़ी. उस के बाद उस के प्रेमी अरनव को 2 गोलियां मारीं. फिर घूमा और एक गोली अमायरा पर दोबारा चलाई जो सीधे उस के पेट में जा कर लगी.

‘‘गोली चलने की आवाज से घर वाले भी जाग गए थे. वे बदहवास भागे आए. अब तक मैं ने खुद को भी खत्म करने का निर्णय ले लिया था. मैं ने रिवौल्वर अपनी कनपटी पर सटाई और ट्रिगर दबा दिया लेकिन बुलेट फंस गई. दोबारा ट्रिगर दबाना चाहा तब तक घर वालों ने मुझे पकड़ लिया.’’

बयान देते हुए वह फिर से फूटफूट कर रोने लगा क्योंकि वह अपनी बेटी अमायरा को बेटों से ज्यादा चाहता था. बड़ी मन्नतों से वह पैदा हुई थी. अमायरा सीए बनना चाहती थी, जिस के लिए उस ने कौमर्स विषय चुना था.

वह उसे हर खुशी देना चाहता था. उस के सीए बनने के सपने को भी पूरा करना चाहता था. एक ओर जहां सुनील मिश्रा बेटी को बहुत प्यार करता था तो वहीं दूसरी ओर बेटी के पैर बहक गए. वह पिता की

गैरमौजूदगी में अपने प्रेमी अरनव से रोज मिलती थी और उस के मिलन में सहायक थी उस की बुआ की बेटी. वही घर वालों की आंखों में धूल झोंक कर कर दोनों का मिलन करवाती थी.

बहरहाल, बेटी के विश्वासघात ने जहां उस के प्रेमी अरनव की जिंदगी छीन ली तो दूसरी ओर पिता का साया और विश्वास भी. अमायरा के नसीब में अब प्रेमी का प्यार है और ही पिता की सरपरस्ती. पुलिस ने कानूनी काररवाई करते हुए रिपोर्ट दर्ज कर सुनील मिश्रा को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया है. द्य
कथा में अमायरा परिवर्तित नाम है.

4 साल बाद मिले कंकाल ने बयां की इश्क की कहानी- भाग 4

पुलिस कई दिनों तक चंद्रवीर को अपने तरीके से तलाश करती रही. सविता ने इस बीच यह शक भी व्यक्त किया कि उस के पति की हत्या कर के भूरे ने शव उस के घर में या अपने घर में गाड़ दिया है.

अपना शक दूर करने के लिए पुलिस ने भूरे और चंद्रवीर का आंगन और कमरों को खुदवा कर भी देख डाला लेकिन तब भी कोई ऐसा सूत्र नहीं हाथ आया, जिस से समझा जाता कि चंद्रवीर की हत्या कर के उस का शव जमीन में दबा दिया गया है.

पुलिस ने चंद्रवीर के मामले में काफी माथापच्ची की, जब कोई सुराग हाथ नहीं आया तो पुलिस ने चंद्रवीर के लापता होने वाली फाइल वर्ष 2021 में बंद कर दी गई.

सविता ने दिल पर पत्थर रख लिया. पहले चोरीछिपे अरुण से उस की आशनाई चलती थी अब तो अरुण का ज्यादा समय उसी के घर में बीतने लगा. सविता अपनी बेटी की गैरमौजूदगी में अरुण के साथ रास रचाती.

उस ने यह आसपड़ोस में जाहिर करना शुरू कर दिया था कि चंद्रवीर के बाद अरुण उस के परिवार का सच्चे मन से साथ दे रहा है. लोगों को क्या लेनादेना था. वैसे भी लोगों की नजर में अरुण सविता का चचेरा देवर था, कोई गैर नहीं था.

4 साल बाद फिर खुली फाइल

समय तेजी से सरकता रहा. चंद्रवीर को लापता हुए पूरे 4 साल बीत गए, तब 2021 में बंद हुई एकाएक उस की बंद धूल चाट रही फाइल दोबारा से खुल गई.

दरअसल, 4 अप्रैल, 2022 को गाजियाबाद के नए नियुक्त हुए एसएसपी मुनिराज जी. ने वह तमाम फाइलें खुलवाईं, जिन के केस अनसुलझे थे. इन्हीं में एक फाइल चंद्रवीर की भी थी.

एसएसपी मुनिराज जी. ने यह फाइल थाना नंदग्राम गेट से ले कर क्राइम ब्रांच की एसपी दीक्षा शर्मा के हवाले कर दी.

दीक्षा शर्मा ने इस केस की जांच इंसपेक्टर (क्राइम ब्रांच) अब्दुर रहमान सिद्दीकी को सौंप दी. क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर ने पूरी फाइल का गहराई से अध्ययन किया तो उन्हें लगा कि चंद्रवीर कोई बच्चा नहीं था जिसे चुपचाप गोद में उठा कर लापता कर दिया गया हो. यह काम 2 या उस से अधिक लोग कर सकते हैं.

वह लोग जब चंद्रवीर के घर में आए होंगे तो कुछ शोरशराबा होना चाहिए था. चंद्रवीर को खामोशी से गायब नहीं किया जा सकता. अगर कुछ आहट वगैरह हुई तो सविता और उस की बेटी ने जरूर सुनी होगी. पूछताछ इन्हीं से शुरू की जाए तो कुछ सूत्र हाथ आ सकता है.

इंसपेक्टर अपने साथ पुलिस टीम को ले कर सविता के घर पहुंच गए.

तब सविता घर पर नहीं थी. उस की 16 वर्षीय बेटी दीपा घर में ही थी. इंसपेक्टर ने उस से ही पूछताछ शुरू की. दीपा को सामने बिठा कर उन्होंने गंभीरता से पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम दीपा है न बेटी?’’

‘‘जी,’’ दीपा ने सिर हिलाया.

‘‘तुम्हारे पापा रात के अंधेरे में लापता हुए, क्या यह बात ठीक है?’’

‘‘सर…’’ दीपा गहरी सांस भर कर एकाएक रोने लगी.

इंसपेक्टर ने उस के सिर पर प्यार से हाथ फेरा, ‘‘मुझे इतना अनुभव तो है बेटी कि कोई बात तुम्हारे सीने में दफन है, जो बाहर आना चाहती है. लेकिन तुम्हारी हिचक उसे बाहर आने से रोक रही है. क्यों, मैं ठीक कह रहा हूं न दीपा?’’

दीपा ने आंसू पोंछे और सिर हिलाया, ‘‘हां सर, मेरे दिल में एक बात 4 साल से दबी पड़ी है. मैं बताती तो किसे, मां को बताने का मतलब होता मेरी भी मौत. चाचा को भी नहीं बता सकती थी, वह मां से मिले हुए हैं. आसपड़ोस में बताती तो मेरे पिता की बदनामी होती…’’

बेटी ने बयां कर दी हकीकत

इंसपेक्टर की आंखों में चमक आ गई. चंद्रवीर के लापता होने का राज दीपा के दिल में छिपा हुआ है, यह समझते ही वह पूरे उत्साह से भर गए. सहानुभूति से उन्होंने दीपा के सिर पर फिर हाथ घुमाया, ‘‘देखो दीपा, मैं चाहता हूं कि तुम्हारे पापा के साथ न्याय हो. मुझे बताओ तुम्हारे मन में कौन सी बात दबी हुई है. डरो मत, अब तुम्हारी सुरक्षा हम करेंगे.’’

‘‘सर, मेरे पिता की हत्या हो चुकी है. मेरी मां और चाचा अरुण ने उन्हें मारा है.’’ दीपा ने बताया, ‘‘यह हत्या मेरी मां के चाचा से अवैध संबंधों के कारण हुई है.’’

‘‘ओह, क्या तुम ने अपनी आंखों से देखा था पिता की हत्या होते हुए?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.

‘‘जी हां, उस दिन 28 सितंबर, 2018 की रात थी. अरुण चाचा को मां ने आधी रात को घर बुलाया. पापा गहरी नींद में थे. अरुण चाचा ने साथ लाए तमंचे से मेरे पापा के सिर में गोली मार दी. मैं बहुत डर गई. मैं कंबल में दुबक गई. मुझे नहीं पता कि दोनों ने पापा की लाश का क्या किया. सुबह मां ने पापा के रात में कहीं चले जाने की बात उड़ा दी और उन्हें तलाश करने का नाटक करने लगी.’’

‘‘हूं, मैं तुम्हें सरकारी गवाह बनाऊंगा. तुम्हारी सुरक्षा अब हमारी जिम्मेदारी है बेटी.’’ इंसपेक्टर ने कहा और उठ कर खड़े हो गए.

उन्होंने यह बात तुरंत एसपी (क्राइम ब्रांच) दीक्षा शर्मा को बता कर उन से आदेश मांगा. एसपी दीक्षा शर्मा ने सविता और अरुण को गिरफ्तार करने के आदेश दे दिए.

क्राइम ब्रांच टीम ने 13 नवंबर, 2022 को सविता को अरुण के घर से अरुण के साथ ही हिरासत में ले लिया. दोनों को क्राइम ब्रांच के औफिस में लाया गया और उन से सख्ती से पूछताछ की गई तो दोनों टूट गए.

सविता ने अपने पति की हत्या अरुण के साथ मिल कर करने की बात कुबूल करते हुए बताया, ‘‘साहब, मेरे अपने देवर अरुण से अवैध संबंध हो गए थे. एक दिन चंद्रवीर ने हमें आपत्तिजनक हालत में देख लिया था. उसी दिन से वह मुझे बातबात पर गाली देता और मारता था.

‘‘मैं कब तक मार खाती. मैं ने अरुण को उकसाया तो उस ने चंद्रवीर की हत्या करने के लिए 28 सितंबर, 2018 का दिन तय किया. वह पहले अपने मांबाप को मेरठ में अपने दूसरे घर में छोड़ आया फिर उस ने अपने घर में गहरा गड्ढा खोदा.

‘‘28 सितंबर की रात को वह तमंचा ले कर मेरे इशारे पर घर में आया. चंद्रवीर तब खापी कर चारपाई पर गहरी नींद सो गया था. अरुण ने उस के सिर में गोली मार दी. मैं ने चंद्रवीर के सिर से निकलने वाले खून को एक बाल्टी में भरने के लिए चारपाई के नीचे बाल्टी रख दी. ऐसा इसलिए किया कि खून से फर्श खराब न हो.’’

‘‘तुम लोगों ने लाश क्या उसी गड्ढे में छिपाई है, जिसे अरुण ने खोद कर तैयार किया था?’’ इंसपेक्टर ने प्रश्न किया.

‘‘जी सर,’’ अरुण ने मुंह खोला, ‘‘मैं ने 7 फुट गहरा गड्ढा अपने घर में खोदा था. लाश और खून सना तकिया उसी में डाल कर मिट्टी भर दी, फिर उस पर पहले की तरह फर्श बनवा दिया.’’

पति की हत्या कर शव ठिकाने लगाने के बाद भी सविता नंदग्राम थाने में हर सप्ताह चक्कर लगा कर पति को ढूंढने की गुहार लगाती थी.

हत्या की बात कुबूल करने के बाद अरुण उर्फ अनिल और सविता को विधिवत हिरासत में ले कर उन पर भादंवि की धारा 302, 201 व 120बी के तहत केस दर्ज कर लिया गया.

पुलिस ने निकलवाया 4 साल पहले दफन किया शव

मजिस्ट्रैट, क्राइम ब्रांच की टीम और एसपी (क्राइम ब्रांच) दीक्षा शर्मा की मौजूदगी में अरुण के कमरे में गड्ढा खुदवाया गया तो उस में तकिया और चंद्रवीर की सड़ीगली लाश मिली गई, जिसे बाहर निकाल कर कब्जे में ले लिया गया.

अरुण और सविता को न्यायालय में पेश कर के 2 दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया गया.

क्राइम ब्रांच ने रिमांड अवधि के दौरान अरुण से तमंचा और एक कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली. वह बाल्टी भी कब्जे में ले ली गई, जिस में चंद्रवीर को गोली मारने के बार सिर से निकलने वाला खून इकट्ठा किया गया था.

खून बाथरूम में बहा कर पानी चला दिया गया था. बाल्टी का इस्तेमाल सविता ने नहीं किया था, उस ने बाल्टी धो कर कोलकी में रख दी थी.

कुल्हाड़ी के बारे में पूछने पर अरुण ने बताया, ‘‘सर, चंद्रवीर के हाथ में चांदी का कड़ा था, जिस पर उस का नाम खुदा हुआ था. इस कुल्हाड़ी से मैं ने उस का हाथ काट कर कैमिकल फैक्ट्री के पीछे गड्ढा खोद कर दबा दिया था.’’

‘‘हाथ इसलिए काटा होगा कि कड़े से लाश पहचान ली जाती, क्यों?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.

‘‘जी हां, अगर लाश पुलिस के हाथ आती तो तब तक वह सड़ चुकी होती लेकिन इस कड़े से यह पता चल जाता कि लाश चंद्रवीर की है.’’ अरुण ने कुबूल करते हुए बताया.

क्राइम ब्रांच की टीम अरुण को कैमिकल फैक्ट्री के पीछे ले कर गई. वहां अरुण ने एक जगह बताई, जहां पुलिस ने खुदाई कर के हाथ का पिंजर बरामद कर लिया.

सभी चीजें सीलमोहर कर कब्जे में ले ली गईं. सविता और अरुण को 2 दिन बाद न्यायालय में पेश किया गया तो वहां से दोनों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने का आदेश दे दिया.

पुलिस टीम अब चंद्रवीर की लाश जो अस्थिपंजर के रूप में थी, का डीएनए टेस्ट करवाने के प्रयास में थी ताकि यह साबित किया जा सके कि 7 फुट गहरे गड्ढे से बरामद लाश चंद्रवीर की ही है.

जिस औरत की खुशियों के लिए चंद्रवीर हमेशा एक पांव पर खड़ा रहता था, उसी औरत ने क्षणिक सुख पाने के लिए अपने देवर पर खुद को न्यौछावर कर दिया और उसी के साथ मिल कर अपने पति चंद्रवीर की जघन्य हत्या कर दी.  द्य

आनंदलोक की सैर का हर्जाना

राजस्थान के नागौर जिले का मकराना कस्बा संगमरमर पत्थर के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. इसी मकराना कस्बे में तमाम ऐसे व्यवसायी हैं, जो मार्बल व्यवसाय कर के हर साल करोड़ों रुपए कमाते हैं. व्यवसायियों ने संगमरमर मार्बल पत्थर कटिंग की फैक्ट्रियां खोल रखी हैं. इन फैक्ट्रियों में पत्थरों की कटिंग होने के बाद और्डर के हिसाब से माल देश के अलगअलग कोनों में भेजा जाता है.

मकराना के दीपक भी मार्बल व्यवसायी हैं. घरपरिवार से संपन्न दीपक हैंडसम ही नहीं दिल के भी भले आदमी हैं. गरीबों की वह अकसर मदद किया करते थे. उन के पास रुपएपैसों की कमी नहीं थी. दीपक को मार्बल व्यवसाय से लाखों रुपए की कमाई हर महीने होती थी. वह बनठन कर रहते थे.

दीपक की हर रोज कई लोगों से मुलाकात होती रहती थी. कभी किसी व्यक्ति को रुपएपैसे की जरूरत पड़ती थी तो वह दीपक से अपना दुखड़ा कह देता. दीपक से उस का दुख देखा नहीं जाता था. वह मांगने वाले की मदद कर के दिल में सुकून महसूस करते थे.

दीपक का अपना खुशहाल परिवार था. मातापिता, भाईबहन, पत्नी और बच्चे. सभी खुशहाल और इज्जत से जीवन जी रहे थे.

यह बात आज से 3 साल पहले की है. दीपक के मोबाइल पर एक काल आई. उन्होंने काल रिसीव कर कहा, ‘‘हैलो, दीपक बोल रहा हूं. आप कौन बोल रहे हैं?’’

‘‘दीपकजी, नमस्कार. मैं गुणावती गांव से रेखा कंवर बोल रही हूं. पहचाना मुझे?’’ फोन करने वाली युवती ने कहा.

तब दीपक बोले, ‘‘रेखा कंवर! मुझे कुछ याद नहीं आ रहा. बोलिए, मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?’’

‘‘दीपकजी, गुणावती गांव के जनरल स्टोर पर और ब्यूटीपार्लर में आप से कई बार मुलाकात हो चुकी है. अब पहचाना?’’ युवती बोली.

दीपक को अब कुछकुछ याद आया. वह बोले, ‘‘अच्छा, तो आप जनरल स्टोर की मालकिन रेखाजी बोल रही हैं. पहचान लिया. कहिए, कैसे याद किया?’’

‘‘दीपकजी, मैं बहुत परेशान हूं और इसी वक्त आप से मिलना चाहती हूं. मैं इस समय जनरल स्टोर पर आप का इंतजार कर रही हूं. मुझे आप पर पूरा भरोसा है कि आप अवश्य आ कर मेरा दुख और परेशानी दूर करेंगे.’’

‘‘ऐसी क्या परेशानी है, जिस से आप दुखी हैं. जरा बताएंगी?’’ दीपक ने पूछा.

‘‘आप यहां आ जाएं, फिर सब बता दूंगी. प्लीज दीपकजी, जल्दी आइएगा. मैं इंतजार कर रही हूं.’’ रेखा कंवर ने विनती भरे स्वर में कहा.

दीपक को लगा कि रेखा को जरूर कोई परेशानी है. दीपक से किसी की परेशानी या दुख देखा नहीं जाता था. वह बिना कुछ सोचेविचारे गाड़ी ले कर उसी वक्त मकराना से गांव गुणावती के लिए चल दिए.

थोड़ी देर बाद दीपक रेखा कंवर के जनरल स्टोर पर पहुंच गए. उस वक्त जनरल स्टोर पर रेखा कंवर अकेली थी. दीपक के आते ही रेखा ने दुकान बंद की. वह दीपक की गाड़ी में बैठ कर अपने घर आ गई. उस का घर पास में ही था.

दीपक भी उस के साथ उस के घर में आ गया. दोनों जब कमरे में पहुंचे तो रेखा कंवर ने कमरे का दरवाजा बंद कर अंदर से कुंडी लगा दी. दीपक ने रेखा को कुंडी लगाते देखा तो वह बोला, ‘‘कुंडी क्यों लगाई? दरवाजा खोल कर बात करना ठीक नहीं रहेगा क्या?’’

सुन कर रेखा बोली, ‘‘ऐसी बातें बंद दरवाजों के पीछे ही ठीक हैं.’’

कहने के साथ रेखा कंवर ने अपने सारे कपड़े उतार दिए. रेखा को कपड़े उतारते देख दीपक डरते हुए बोला, ‘‘रेखाजी, यह क्या कर रही हैं? मैं जा रहा हूं.’’

कहने के साथ ही दीपक कुंडी खोलने लगा. तभी रेखा ने उस का कुंडी वाला हाथ पकड़ कर अपने शरीर पर रखते हुए कहा, ‘‘अगर मेरा कहना नहीं मानोगे तो मैं हल्ला मचा कर लोगों को इकट्ठा कर के बताऊंगी कि तुम मेरे साथ रेप कर रहे थे. बेहतर होगा कि मेरा साथ दो. मेरा दिल तुम पर आ गया था.

‘‘मेरी जैसी गोरी व खूबसूरत युवती को इस हालत में देख कर भी तुम ऐसे भाग रहे हो जैसे मैं मर्द हूं और तुम औरत और मैं तुम्हारे साथ रेप करने वाली हूं. सोचना छोड़ो और आओ आनंदलोक की सैर करो.’’

कहने के साथ ही रेखा ने दीपक की कमीज भी उतार दी. दीपक इज्जतदार था. वह सोच रहा था कि अगर कोई ऐसे वक्त पर यहां आ गया और उस ने रेखा के साथ बंद कमरे में देख लिया तो इज्जत का जनाजा निकल जाएगा.

दीपक जान छुड़ाने की कोशिश कर रहा था. वहीं रेखा कंवर उस के साथ शारीरिक संबंध बनाने को उतावली हो रही थी. दीपक के न…न करने पर भी रेखा नहीं मानी और उस ने दीपक को भी कपड़ों से मुक्त कर दिया.

दीपक समझ गया था कि वह गलत युवती के पास आ गया है. अब जान छुड़ानी है तो इस के साथ शारीरिक संबंध बनाने ही पडें़गे.

दीपक ने लोकलाज छोड़ कर रेखा कंवर को बांहों में भरा और बिस्तर पर आ गया. इस के बाद दोनों के तन एकदूसरे से रगड़ने लगे. सांसों का तूफान उठा और कमरे का तापमान बढ़ गया.

रेखा गोरी रंगत की सुंदर युवती थी. उस समय रेखा 29 वर्ष की और दीपक 50 साल का था. रेखा के तन में काफी देर बाद दीपक ने अपने तन की गरमी उड़ेल कर रेखा को चूमते हुए कहा, ‘‘सच में आनंदलोक की सैर करा दी. बड़ा मजा आया.’’

सुन कर रेखा मंदमंद मुसकरा कर बोली, ‘‘मुझे तो तुम से भी ज्यादा मजा आया. आज के बाद मैं जब भी फोन करूं या तुम्हारा मन हो फोन कर के आ जाना. दोनों इसी तरह खूब मौजमस्ती किया करेंगे. आज से हम दोनों दोस्त नहीं प्रेमी हैं.’’

सुन कर दीपक बोला, ‘‘मैं डर रहा था कि कोई आ जाएगा तो मेरी इज्जत चली जाएगी. आगे से हम पूरी सावधानी से प्रेमिल संबंध जारी रखेंगे डार्लिंग.’’

उस दिन दोनों ने शारीरिक संबंध बनाने के बाद एकदूजे से विदा ली. दीपक बहुत खुश था. उस ने कभी सोचा भी न था कि एक दिन हूर जैसी युवती उस पर इस तरह फिदा हो कर पके आम सी उस के पहलू में आ गिरेगी.

3 साल पहले शुरू हुआ यह शारीरिक संबंधों का खेल अकसर दीपक और रेखा दोहराने लगे. रेखा का जब मन होता, वह दीपक के मोबाइल पर फोन कर के उसे अपने जनरल स्टोर या घर पर बुला लेती. फिर दोनों रेखा के घर में बंद कमरे में कपड़ों से मुक्त हो कर एकदूजे में समा जाते.

अधेड़ उम्र में दीपक उस का ऐसा दीवाना हुआ कि वह रुपएपैसे से रेखा की दिल खोल कर मदद करने लगा. रेखा का बचपन से सपना था कि वह किसी अमीर युवक से शादी कर के मौजमस्ती की जिंदगी बिताए. मगर गरीब मातापिता के लिए जब रोटी का जुगाड़ करना ही मुश्किल था तो ऐसे में महत्त्वाकांक्षी बेटी के लिए धनवान युवक से शादी करना सपने जैसा था.

रेखा जब जवान हुई, तब उस के मातापिता ने उस के योग्य वर की खोज शुरू की. उन की मेहनत रंग लाई और रेखा कंवर की शादी नागौर जिले के मकराना थानांतर्गत गुणावती गांव के विक्रम सिंह के साथ आज से करीब 8-9 साल पहले हो गई थी.

रेखा कंवर दुलहन बन कर जब ससुराल पहुंची तो उस के सारे अरमान बिखर गए. जैसा स्मार्ट व धनवान जीवनसाथी रेखा को चाहिए था, विक्रम वैसा नहीं था.

विक्रम सिंह गरीब था. वह कच्चे घर में रहता था और मार्बल फैक्ट्री में मार्बल कटिंग का काम करता था. कहने का मतलब यह कि विक्रम सिंह मजदूरी कर के परिवार का पालनपोषण करता था.

रेखा ने अपनी किस्मत को कोसा और पति विक्रम सिंह के साथ किसी तरह जीवन गुजारने लगी. रेखा जब अपना कच्चा मकान देखती तो उसे बहुत दर्द होता. वह चाहती थी कि उस का मार्बल का पक्का मकान हो. घर में वे सब सुखसुविधाएं हों जो एक साधनसंपन्न व्यक्ति के घर में होती हैं.

जैसी सोच थी रेखा की, उसी के अनुसार वह योजना बना रही थी. रेखा अब तक यह समझ गई थी कि अगर वह पति के भरोसे बैठी रही तो उस की इच्छाएं अधूरी ही रहेंगी. विक्रम को मजदूरी के इतने पैसे मिलते थे कि उस से बड़ी मुश्किल से रोटी का ही जुगाड़ हो पाता था.

विक्रम और रेखा अपने संयुक्त परिवार से अलग हो कर कच्चा मकान बना कर रहने लगे. रेखा का ख्वाब था पैसों में खेलना और ऐशोआराम से जीवन जीना. जब उस के ख्वाब अधूरे ही रहे तो उस ने गुणावती गांव में फैंसी जनरल स्टोर व ब्यूटीपार्लर खोल लिया. इस से थोड़ी आर्थिक स्थिति जरूर सुधरी, मगर वह जैसा चाहती थी वैसा कुछ नहीं हुआ.

रेखा कंवर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती थी. उस ने सोशल मीडिया के जरिए दीपक से बात करनी शुरू की और फिर चंद मुलाकातों में ही रेखा जान गई कि अगर उस के ख्वाब पूरे होने हैं तो दीपक से दोस्ती करनी होगी.

दीपक से जानपहचान बढ़ा कर उसे तकलीफ में होने की बात कह कर गांव गुणावती बुला कर अपने घर में ले जा कर शारीरिक संबंध बना लिए. उस के बाद रेखा कंवर अकसर दीपक को फोन कर के अपने घर बुला कर शारीरिक संबंध बनाती थी.

दीपक सोचता था कि रेखा का दिल उस पर आया है, इस कारण वह उस से शारीरिक संबंध बनाती है. दीपक की रेखा से गहरी छनने लगी. रेखा जबतब बहाने बना कर उस से रुपए भी ऐंठती रहती थी.

रेखा ने अपने पति विक्रम सिंह और गांव के लोगों से दीपक का परिचय अपने धर्मभाई के रूप में कराया था. रेखा कहती थी कि दीपक उस का धर्मभाई है, जो सगे भाई से भी बढ़ कर है. वह रुपएपैसे से उस की मदद करता है.

रेखा जब पैसा घर लाती तब पति पूछता, ‘‘रेखा, ये रुपए कहां से आए?’’

सुन कर रेखा कहती, ‘‘दीपक भैया ने दिए हैं. वह कहते हैं कि मैं ऐश करूं और बहन मुसीबत में दिन गुजारे. यह उन्हें अच्छा नहीं लगता है. दीपक भैया हालचाल पूछते रहते हैं. हमारी आर्थिक स्थिति देख कर मेरे लाख मना करने के बाद भी कसम दिला कर रुपएपैसे देते हैं.’’

सुन कर बेचारा पति विक्रम इसे ही सच मान लेता था. उसे भनक तक नहीं लगी थी कि उस की बीवी दीपक के साथ क्या खेल कर रही है. वह समझता था कि दीपक अच्छाभला आदमी है.

पिछले साल रेखा कंवर ने अपना कच्चा घर तोड़ कर मार्बल का मकान बनवाना शुरू कर दिया था. तब भी रेखा ने विक्रम से कहा कि उस का धर्मभाई दीपक मकान बनाने में दिल खोल कर मदद कर रहा है.

विक्रम को और क्या चाहिए था. वह आंखें मूंद कर पत्नी पर विश्वास करता था. वहीं रेखा अपने पति से विश्वासघात कर रही थी. वह धर्मभाई बने दीपक की बांहों में झूला तो झूलती ही थी, विदेशी पोर्न फिल्मों की नायिका की तरह दीपक से कई पोजीशन में शारीरिक संबंध बना कर उस की तबीयत खुश कर देती थी.

दीपक पिछले काफी समय से चिंतित व गुमसुम सा रहने लगा था. उस के घर वालों ने पूछा भी कि वह गुमसुम सा क्यों लग रहा है. मगर दीपक यह कह देता कि मुझे किस बात की चिंता होगी. आप लोगों का वहम है.

मगर परिजन व मित्रों को लगता था कि दीपक डराडरा सा रहता है. उस के माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिख रही थीं. वह 16 अप्रैल, 2022 के बाद से एकदम गुमसुम व चिंतित हो गया. उस की जीने की इच्छा खत्म हो गई थी. उस के मन में आत्महत्या करने के विचार आ रहे थे.

दीपक ने आत्महत्या करने की ठान ली. उस ने इस बात की चर्चा किसी से नहीं की. दीपक ने सुसाइड करने से पहले एक बार अपनी बहन से मिल कर आने के बाद सुसाइड करने का मन में पक्का विचार कर लिया.

वह 22 अप्रैल, 2022 को मकराना से अपनी बहन से मिलने जयपुर पहुंचा. बहन ने भाई की हालत व गुमसुम सा देखा. तब उस ने पूछा, ‘‘क्या बात है भाईसाहब, आप बहुत दुखी लग रहे हैं. जो भी बात हो कह दो. शायद मैं कुछ मदद कर सकूं.’’

सुन कर दीपक सुबकने लगा. बहन ने सांत्वना दे कर चुप कराया. तब दीपक बोला, ‘‘मुझे एक औरत और 2 आदमी मिल कर हनीट्रैप में फंसा कर ब्लैकमेल कर रहे हैं. उन लोगों ने मुझ से 31 लाख रुपए ले लिए हैं. एक हफ्ते पहले उन लोगों ने मेरा उस महिला के साथ अश्लील वीडियो भेज कर 50 लाख रुपए मांगे हैं. रुपए नहीं देने पर अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दे रहे हैं. मैं उन के जाल में बुरी तरह फंस गया हूं. मैं रुपए दूंगा तब वे और डिमांड करेंगे और नहीं दूंगा तो वे लोग वीडियो वायरल कर देंगे. इज्जत जाए उस से पहले मैं सुसाइड कर रहा हूं.’’

सुन कर बहन बोली, ‘‘वह औरत कौन है उस के साथ जो 2 लोग हैं, वे कौन हैं?’’

इस के बाद दीपक ने रेखा कंवर से मिलने के बाद से अब तक की पूरी कहानी विस्तार से सुना दी. सुन कर बहन बोली, ‘‘योजना के तहत रेखा ने तकलीफ में होने का नाटक कर तुम्हें घर बुलाया. इस के बाद कमरे का दरवाजा बंद कर कपड़े उतार कर तुम्हें डराधमका कर शारीरिक संबंध बनाए. उस की वीडियो बना ली ताकि भविष्य में तुम्हें ब्लैकमेल कर के रुपए ऐंठ सके. तुम मेरे साथ मकराना थाने चलो. वहां हम रिपोर्ट कर के इस गैंग को गिरफ्तार करा देंगे.’’

दीपक ने भी थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज कराने का मन बना लिया. दोनों भाईबहन 24 अप्रैल, 2022 को मकराना थाने पहुंच गए और थानाप्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा को सारी बात बता दी. इस के बाद रेखा कंवर, विक्रम सिंह और शैतान सिंह के खिलाफ हनीट्रैप में फंसा कर ब्लैकमेल करने की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

थानाप्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा को दीपक ने बताया कि रेखा ने उस के अश्लील वीडियो बना रखे थे. इस के बाद उस ने वीडियो शेयर करने की धमकी दे कर 8 लाख रुपए ले लिए. डेढ़ महीने पहले वह रेखा के पास गया तो वहां पहले से रेखा कंवर का भांजा शैतान सिंह व विक्रम सिंह मौजूद था. दोनों ने उन के पुराने वीडियो दिखा कर दबाव बनाया और रेखा से फिर से संबंध बनाने को कहा. इस का भी उस ने वीडियो बना लिया.

दीपक ने बताया कि 10 दिन पहले शैतान सिंह ने उस के मोबाइल पर वह वीडियो भेज कर धमकाया और 23 लाख रुपए ले लिए. इस के बाद वे 50 लाख रुपए देने का दबाव बनाने लगे.

23 लाख रुपए लेने के बाद शैतान सिंह ने अप्रैल के दूसरे हफ्ते में उसे धमकाया कि मामला निपटाना है तो 50 लाख रुपए लगेंगे. रुपए नहीं देने पर उस ने वीडियो वायरल करने की धमकी दी.

थानाप्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा ने मामला दर्ज करने के बाद काररवाई करते हुए उसी दिन 24 अप्रैल, 2022 को रेखा कंवर, विक्रम सिंह व शैतान सिंह को कस्टडी में ले लिया. तीनों आरोपियों को थाने ला कर पूछताछ की.

पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने जुर्म कुबूल कर लिया. मार्बल व्यापारी दीपक को हनीट्रैप में फंसाने वाली रेखा लग्जरी लाइफ जीना चाहती थी. पति महंगे शौक पूरे नहीं कर पा रहा था. वह चाहती थी कि उस का एक आलीशान घर हो.

इस बीच दीपक के संपर्क में आई. दोनों के बीच 3 साल से रिलेशन थे लेकिन बढ़ते लालच के चलते वह व्यापारी से 50 लाख रुपए मांगने लगी, जिस से ये सारी कहानी सामने आ गई.

नागौर एसपी राममूर्ति जोशी, कुचामन सिटी एएसपी गशेराम के सुपरविजन में डीएसपी मकराना रविराज सिंह और थानाप्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा की टीम ने आरोपी रेखा कंवर, शैतान सिंह और विक्रम सिंह को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल जब्त कर जांच के लिए भेज दिए. खैर, जो भी हो रेखा का लालच उसे ले डूबा. पूछताछ पूरी कर तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

कथा में दीपक नाम परिवर्तित है.

बिछड़ा राही प्यार का : समीर के प्यार को क्यों ठुकरा दिया – भाग 4

‘‘नाई हैं हम साहब. गुलफ्शा को मैं ने अपने बारे में सब बता रखा था. वह मुझे पसंद करती थी, उस ने कभी मेरी जाति को ले कर सवाल नहीं किया. लेकिन उस के घर वाले इस निकाह के सख्त खिलाफ थे. वे नहीं चाहते थे कि गुलफ्शा मुझ से मिले.

‘‘उस के भाई तौहीद ने मुझे गुलफ्शा के साथ मिलते 2-3 बार देखा था. उस ने मेरे सामने गुलफ्शा को पीटा था और मुझे भी 2-3 थप्पड़ जड़ दिए थे. मुझे वह धमकी भी देता था कि अगर मैं ने गुलफ्शा का पीछा नहीं छोड़ा तो वह मुझे जान से मार देगा.’’

‘‘कल तुम गुलफ्शा से मिले थे?’’ श्री राठी ने पूछा.

‘‘हां, गुलफ्शा ने मुझे फोन कर के यहां इसलामपुर के एक रेस्टोरेंट में बुलाया था. वह बहुत परेशान और टेंशन में थी. उस ने मुझे बताया था कि उस के लिए अब्बूअम्मी ने एक लड़का देखा है जिस से उस के निकाह की बात चल रही है. लेकिन वह यह निकाह नहीं करेगी, वह मुझ पर दबाव बना रही थी कि मैं उसे ले कर भाग चलूं.

‘‘लेकिन सर, मैं इस के लिए तैयार नहीं था. मैं ने गुलफ्शा को प्यार से समझाया कि हम निकाह करेंगे. भाग कर नहीं बल्कि समाज के सामने. मेरे समझाने पर गुलफ्शा खुशीखुशी घर लौट गई थी. लेकिन सर रात में कोई… और कोई क्यों सर, उस के घर वालों ने ही उसे मार डाला. उस की जान ले ली.’’

समीर फिर सुबकने लगा. श्री राठी ने उस के कंधे पर प्यार से हाथ रखा, ‘‘यानी तुम्हारा गुलफ्शा की हत्या में कोई हाथ नहीं है?’’

‘‘मुझ से कैसी भी कसम ले लीजिए सर. मैं अपनी गुलफ्शा, जिसे मैं ने टूट कर चाहा, जिस के लिए सुनहरे सपने बुने, मैं उसे क्यों मार डालूंगा. उस की मौत ने तो मुझे अंदर तक तोड़ कर रख दिया है. मैं अब गुलफ्शा के बगैर कैसे जी पाऊंगा.’’ समीर फफक कर रोते हुए बोला.

‘‘गुलफ्शा से कैसे पहचान हुई थी समीर?’’ अनंगपाल ने प्रश्न किया.

‘‘मैं ने सब से पहले उसे इसलामपुर के बड़े बाजार में उस की सहेली के साथ देखा था. वह कोई सूट खरीदना चाह रही थी. मैं भी अपनी बहन के लिए सूट खरीदने आया था.

‘‘मैं ईद पर अपनी बहन को कीमती सूट देना चाहता था. मुझे जो सूट पसंद आया था, वही सूट गुलफ्शा को भी पसंद था लेकिन उस सूट का दुकानदार के पास एक ही पीस था.

‘‘गुलफ्शा ने मुझ से रिक्वेस्ट की कि मैं यह सूट उसे खरीदने दूं. मैं ने उस की बात मान ली और गुलफ्शा को वह सूट खरीदने दिया.

‘‘वहीं से वह मेरी ओर आकर्षित हुई थी. उस ने मेरा नाम और मोबाइल नंबर ले लिया. इस के बाद वह मुझ से फोन पर बातें करने लगी.

‘‘धीरेधीरे हमारी ये बातें मुलाकातों में बदल गईं. हम एकदूसरे से मोहब्बत करने लगे. करीब 2 साल से हमारी मोहब्बत गहरी और गहरी होती चली गई. लेकिन आप ने गुलफ्शा की हत्या की खबर सुना दी…’’

कमरे में गहरी खामोशी छा गई. अनंगपाल ही नहीं, एसएचओ खारी और अन्य एसआई यह मान चुके थे कि समीर ने गुलफ्शा को नहीं मारा. लेकिन अभी असली हत्यारा कानून की पकड़ से दूर था, इसलिए समीर को शक का लाभ नहीं दिया जा सकता था.

समीर के पिता शौकत सलमानी अपने रिश्तेदारों के साथ थाना कोतवाली आ गए थे. उन का भी यही कहना था कि समीर गुलफ्शा को सच्ची मोहब्बत करता था, उस ने उस से निकाह करने की बात उन्हें बता दी थी.

वह गुलफ्शा के घर बेटे का रिश्ता ले कर गए थे, लेकिन लड़की के भाई तौहीद ने सख्ती से यह रिश्ता ठुकराते हुए कहा था कि हम समीर को समझा दें कि वह गुलफ्शा से न मिले, वरना अंजाम बुरा होगा.

हम ने समीर को बहुत समझाया, लेकिन यह अपनी जिद पर अड़ा रहा. परिणाम गुलफ्शा को उस के भाई ने अपनी झूठी शान के लिए मार डाला. साहब, आप तौहीद को पकडि़ए, सब हकीकत सामने आ जाएगी.

शाम तक समीर को थाने में बिठाया गया. शाम को गुलफ्शा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई, जिस में उस की हत्या का कारण गला घोटना बताया गया. उसे 2 नवंबर की रात 12 बजे से 3 बजे के बीच मारा गया था.

समीर इस वक्त घर में सोया हुआ था. उस की फोन की लोकेशन ट्रेस करने से भी पता चला कि उस का फोन रात में डासना क्षेत्र में ही था.

अब तक विनेश और सुरेंद्रपाल भी नन्हे के पड़ोसियों से पूछताछ कर के लौट आए थे. पड़ोसियों द्वारा बताया गया था कि तौहीद गुलफ्शा से मारपीट करता था. रात को भी उस ने गुलफ्शा को पीटा था. गुलफ्शा और समीर से मोहब्बत के कारण तौहीद की समाज में बदनामी हो रही थी. संभव है गुलफ्शा को उसी ने मारा हो.

एसएचओ और एसआई अनंगपाल ने सलाहमशविरा करने के बाद नन्हे के घर दबिश दी. तौहीद और मोहिद घर में ही मिल गए. लेकिन नन्हे और शमशीदा घर से फरार हो गए थे. तौहीद और मोहिद को थाने में ला कर सख्ती से पूछताछ की गई तो तौहीद टूट गया.

उस ने बेहिचक स्वीकार कर लिया कि अपनी इज्जत की खातिर उस ने अपने भाई और अम्मी के साथ मिल कर गुलफ्शा की पिटाई की और फिर तकिए से उस का मुंह दबा कर उस का गला घोट दिया. उस की लाश बाहर बरामदे में ला कर तौहीद ने ही डाली और घर का मुख्य दरवाजा भी भीतर से खोल दिया.

तौहीद का कहना था कि शाम को गुलफ्शा समीर से मिलने गई थी और घर आ कर उस से निकाह करने की जिद कर रही थी. तब गुस्से में आ कर उस ने यह कदम उठाया. ऐसी बहन को मार कर वह फांसी पर चढ़ने को तैयार है.

तौहीद के कुबूलनामे के बाद दफा 302 और 34 आईपीसी के तहत उस के साथ मोहिद को भी विधिवत गिरफ्तार कर के न्यायालय में पेश कर के जिला जेल भेज दिया गया.

फरार शमशीदा की तलाश में कथा लिखे जाने तक छापेमारी की जा रही थी. वह पुलिस के हाथ नहीं आई थी. इस मामले में नन्हे बेगुनाह था, उस के खिलाफ कोई काररवाई नहीं की गई, लेकिन वह अपनी बीवी के साथ खुद भी भूमिगत हो गया था, इसलिए उसे भी तलाशना आवश्यक हो गया था.    द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित