पहली मोहब्बत का जलजला

6 मई, 2022 की सुबह 10 बजे मुरादाबाद के थाना सिविल लाइंस के थानाप्रभारी रविंद्र प्रताप सिंह रोजाना की भांति अपने औफिस में बैठे कामकाज देख रहे थे. उन्हें औफिस के बाहर किसी महिला के रोने की आवाज आई तो उन्होंने घंटी बजा कर पहरे पर तैनात सिपाही को बुला कर पूछा कि कौन रो रहा है.

सिपाही ने बताया कि साहब गांव मेहलकपुर से एक महिला आई है कह रही है कल से उस का आदमी गायब है. उस का फोन भी नहीं लग रहा है. थानाप्रभारी रविंद्र प्रताप सिंह ने सिपाही से कहा कि महिला को अंदर भेजो.

महिला ने थानाप्रभारी को बताया, ‘‘साहब, मेरा नाम गीता उर्फ कुसुम पाल है. मैं मेहलकपुर में रहती हूं. मेरे पति निपेंद्र कल अकेले ही गिरिजा देवी मंदिर, जोकि रामनगर उत्तराखंड में है, घूमने गए थे.’’

‘‘जब घूमने गए थे तो तुम्हें साथ क्यों नहीं ले गए?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘साहब, दरअसल बात यह है कि मेरा 11 साल का एक बेटा बिराज है, जो मुरादाबाद के कांठ रोड पर स्थित कौन्वेंट स्कूल में पढ़ता है. स्कूल से लाने ले जाने के कारण मैं उन के साथ नहीं जा सकती थी.’’ महिला ने बताया.

थानाप्रभारी ने गीता से कहा, ‘‘देखो, तुम अपने रिश्तेदारों से मालूम करो कि वह रिश्तेदारी में तो कहीं नहीं है.

अगले दिन तक निपेंद्र घर नहीं लौटा तो गीता घर के कुछ लोगों के साथ एसएसपी हेमंत कुटियाल के पास पहुंची और पति निपेंद्र के गुम होने की बात बताई. एसएसपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया को निर्देश दिए.

कप्तान का निर्देश मिलते ही एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया थाना सिविल लाइंस पहुंच गए. उन्होंने थानाप्रभारी रविंद्र प्रताप सिंह से गीता के पति निपेंद्र की गुमशुदगी दर्ज करवा दी.

एसपी (सिटी) ने सीओ आशुतोष तिवारी को अपनी निगरानी में इस मामले की जांच करने के निर्देश दिए. सीओ आशुतोष तिवारी ने एक दिन पहले ही अपना कार्यभार ग्रहण किया था. निपेंद्र के लापता होने के मामले में एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया को पता चला कि मामला गंभीर है. इसलिए उन्होंने निपेंद्र के घर वालों को औफिस बुलाया.

8 मई, 2022 को निपेंद्र की मां कुशमेश देवी व छोटा भाई पविंदर कुमार एसपी (सिटी) के पास पहुंच गए. उन्होंने बताया कि साहब, हमें निपेंद्र के लापता होने का शक उस की पत्नी गीता उर्फ कुसुम पाल पर ही है. उस के अवैध संबंध शादी से पहले गांव मेहलकपुर मायके में नीरज नाम के युवक से थे. यह जानकारी मिलते ही एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया ने थाना प्रभारी रविंद्र प्रताप सिंह को गीता और नीरज के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर गीता उर्फ कुसुम पाल व नीरज को गिरफ्तार करने को कहा.

थानाप्रभारी रविंद्र प्रताप सिंह भी हरकत में आ गए. वह टीम के सहयोग से गीता और नीरज को हिरासत में ले कर थाने लौट आए. उन्होंने गहनता से दोनों से पूछताछ की.

वह दोनों अपने को निर्दोष बताते रहे. तब पुलिस ने दोनों के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो दोनों के बीच घंटों तक बात करने का ब्यौरा मिला.

5 मई, 2022 को निपेंद्र गायब हुआ था. उसी रात 12 बजे नीरज की काल गीता उर्फ कुसुम पाल के मोबाइल पर आई थी. पुलिस ने गीता से पूछा कि रात में नीरज ने क्या बात की थी, हमारे पास तुम्हारे द्वारा बात करने की सारी रिकौर्डिंग है. तुम दोनों में क्या बात हुई, हमें मालूम है.’’

इतना सुनते ही दोनों घबरा गए. उन्हांने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. दोनों ने जो कुछ बताया एसपी (सिटी) व अन्य पुलिसकर्मियों के भी होश उड़ गए.

नीरज ने बताया, ‘‘साहब, निपेंद्र अब इस दुनिया में नहीं है. मैं ने व मेरे साथ 2 अन्य साथियों ने उस की हत्या कर लाश को जिम कार्बेट नैशनल पार्क के जगंल में फेंक दिया.

निपेंद्र की हत्या की बात सुन कर पुलिस भी चौंक गई. नीरज और गीता से पूछताछ करने के बाद निपेंद्र की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

जिला बिजनौर के कस्बा धामपुर टीचर कालोनी निवासी निपेंद्र की शादी गीता उर्फ कुसुम पाल निवासी गांव मेहलकपर निजामपुर, थाना सिविल लाइंस मुरादाबाद के साथ हुई थी.

मृतक निपेंद्र के पिता सुरेश पाल सिंह सिंचाई विभाग में उच्च पद पर कार्यरत थे. इन की पत्नी कुशमेश पाल है. सुरेश पाल सिंह के 2 बेटे थे. बड़े बेटे का नाम निपेंद्र पाल छोटे बेटे का नाम परविंदर था.

निपेंद्र पाल की शादी के साल भर बाद बेटा पैदा हुआ था. जिस का नाम बिराज रखा था. कुछ साल पहले सुरेश पाल सिंह का निधन हो गया था. मृत्यु के समय सुरेश पाल सिंह सर्विस में थे. मृत्यु के बाद उन की नौकरी कंपनसेशन ग्राउंड पर उन के बेटे परविंदर को मिल गई.

पिता सुरेश पाल सिंह को जो पैसा मिला, उस का बड़ा  बेटा निपेंद्र हकदार होगा. पिता सुरेश पाल सिंह के विभाग से 25 लाख रुपए मिले जो निपेंद्र को मिले. वह पैसे उस ने अपनी पत्नी गीता उर्फ कुसुम पाल के खाते में डलवा दिए थे.

गीता उर्फ कुसुम पाल अधिकतर समय अपने मायके मेहलकपुर, मुरादाबाद में ही बिताती थी. गीता की मां ने उस के लिए गांव मेहलकपुर में ही नया मकान बनवा कर दिया था, जिस में वह रहती थी.

गीता व उस की 4 बहनों के नाम 120 बीघा जमीन थी. गीता ही उसे जोतवा रही थी. मृतक निपेंद्र इंटर पास था,जबकि गीता बीएससी पास थी. निपेंद्र बेरोजगार था.

घटना से करीब 2 महीने पहले निपेंद्र धामपुर, बिजनौर से गांव मेहलकपुर में स्थित अपनी ससुराल में आ कर रहने लगा था. गीता ने अपनी व बहनों की 120 बीघा जमीन मेहलकपुर गांव के ही नीरज को बंटाई पर दे दी थी. जिस कारण नीरज गीता के घर आनेजाने लगा था. तभी उस के संबंध गीता से हो गए थे.

जब निपेंद्र मेहलकपुर गांव आया था, तब उस को खेत बंटाईदार नीरज व गीता के संबंधों का पता चला. निपेंद्र ने पत्नी गीता को बहुत समझाया कि गांव में मुझे तरहतरह की बातें सुननी पड़ रही हैं.

गीता ने कहा कि गांव वाले मुझ से रंजिश रखते हैं मुझे पहले भी तथा अब भी बदनाम करने से नहीं चूकते हैं. इस बात को ले कर निपेंद्र का पत्नी से आए दिन झगड़ा होने लगा था.

निपेंद्र ने अब ज्यादा ही शराब पीनी शुरू कर दी थी. अकसर निपेंद्र का नीरज को ले कर झगड़ा होता था कि वह घर क्यों आता है.

निपेंद्र अकसर खोयाखोया और उदास सा रहने लगा था. निपेंद्र जब शराब पी कर घर आता था तो गीता से मारपीट करने लगा था. उधर निपेंद्र के वहां रहने की वजह से नीरज व गीता की हसरतें पूरी नहीं हो पा रही थीं.

निपेंद्र हमेशा यही सोचता रहता था कि मैं ने बहुत बड़ी गलती कर दी जो पिता के मिले 25 लाख रुपए गीता के खाते में जमा कर दिए.

नीरज गीता का पहला प्यार था. शादी के बाद भी गीता नीरज को भूली नहीं थी. शादी के बाद भी नीरज का धामपुर अकसर आनाजाना था. निपेंद्र नीरज और गीता के संबंधों से बिलकुल अनभिज्ञ था. जब वह 2 महीने पहले मेहलकपुर आया तो इन संबंधों का पता चला था. नीरज जब भी गीता के घर आता तो गीता नीरज की बहुत आवभगत करती थी. निपेंद्र मन मसोस कर रह जाता था.

निपेंद्र के ससुराल में रहने की वजह से नीरज व गीता का मिलनाजुलना बिलकुल बंद हो गया था. नीरज व गीता अपनी हसरतें पूरी नहीं कर पाते थे.

घर में आए दिन होने वाले झगड़ों से निजात पाने के लिए नीरज व गीता ने एक खतरनाक योजना बना डाली. इस योजना में नीरज ने अपने चचेरे भाई मिथुन व भतीजे सौरभ को भी शामिल कर लिया था.

योजना के अनुसार 5 मई, 2022 की शाम 5 बजे निपेंद्र पेपर मिल चौराहे से घर का सामान लेने के लिए निकला, तभी गीता ने अपने प्रेमी नीरज को फोन किया कि निपेंद्र शराब पीने के लिए ठेके पर जाने के लिए निकला है. इस के बाद नीरज अपने 2 साथियों के साथ स्कौर्पियो कार से निकला. रास्ते में उसे निपेंद्र मिला गया.

नीरज ने गाड़ी रोक कर पूछा, ‘‘जीजा कहां जा रहे हो? आओ, हम तुम्हें बाजार तक छोड़ देंगे.’’

निपेंद्र गाड़ी में बैठ गया था.

‘‘क्या लेने जा रहे हो दारू?’’ नीरज बोला.

‘‘नहीं, मैं घर का सामान लेने निकला था.’’ निपेंद्र ने बताया.

निपेंद्र गाड़ी को शराब के ठेके के पास ले गया तभी नीरज का चचेरा भाई मिथुन भाग कर ठेके से एक बोतल शराब, 4 गिलास, पानी की एक बोतल, नमकीन, सिगरेट की डब्बी, पान मसाला ले कर आ गया था.

नीरज बोला, ‘‘यहां चौराहे पर पुलिस रहती है क्यों न चड्ढा पुल के आगे वहीं एकांत में गाड़ी खड़ी कर आराम से पिएंगे. चड्ढा पुल से हो कर रामनगर, उत्तराखंड के लिए रास्ता है. चारों ने गाड़ी में बैठ कर शराब पी.

ज्यादा शराब निपेंद्र को दी. जब निपेंद्र नशे में हो गया तो नीरज गाड़ी को रामनगर से ऊपर पर्यटनस्थल गिर्जिया देवी मंदिर से 7 किलोमीटर दूर वन विभाग की मुहान चौकी के पास जिम कार्बेट नैशनल पार्क के जंगल में ले गया.

वहां तीनों ने मिल कर निपेंद्र की गला घोट कर हत्या कर दी. जब तीनों ने यह देख लिया कि निपेंद्र मर चुका है तो उन्होंने उस की लाश गहरी खाई में फेंक दी.

निपेंद्र को ठिकाने लगाने के बाद नीरज ने 5 मई, 2022 की रात करीब 12 बजे अपनी प्रेमिका गीता को बता दिया कि काम हो गया है.

इतना सुनते ही गीता खुशी से झूम उठी. फोन को चूम कर बोली, ‘‘आई लव यू.’’

उस के बाद रात में ही तीनों अपने गांव मेहलकपुर आ गए थे. नीरज अपने घर न जा कर आम के बाग में रखवाली करने वाले चौकीदार की झोपड़ी में जा कर सो गया था.

योजना के मुताबिक, गीता उर्फ कुसुम पाल 6 मई, 2022 की सुबह 10 बजे अपने पति निपेंद्र की गुमशुदगी दर्ज करवाने थाना सिविल लाइंस पहुंच गई और थानाप्रभारी को पति के गायब होने की सूचना दी.

अब मुरादाबाद पुलिस को निपेंद्र की लाश बरामद करनी थी. लिहाजा पुलिस उसे ले कर रामनगर पहुंची. नीरज पुलिस को जगहजगह घुमाता रहा. गहरी खाइयां थीं. नीचे जंगली जानवरों का डर.

जिम कार्बेट नैशनल पार्क की वन विभाग की पुलिस ने भी मुरादाबाद पुलिस को सहयोग किया. निपेंद्र का शव बरामद कराने के लिए नीरज पुलिस को कभी इधर तो कभी उधर घुमाता रहा लेकिन उस का शव बरामद नहीं हो सका था.

हार कर पुलिस ने अभियुक्त नीरज व उस की प्रेमिका गीता उर्फ कुसुम पाल को 13 मई, 2022 को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. पुलिस ने निपेंद्र की हत्या में शामिल 2 अभियुक्तों मिथुन व सौरभ को भी 14 मई, 2022 को गिरफ्तार कर लिया. उन्होंने भी निपेंद्र की हत्या में साथ देने का अपराध स्वीकार कर लिया. निपेंद्र का शव बरामद करने के लिए पुलिस इन दोनों अभियुक्तों को भी रामनगर ले गई.

सौरभ और मिथुन की निशानदेही पर पुलिस ने उस जगह को ढूंढ निकाला, जहां पर निपेंद्र की हत्या कर लाश फेंकी गई थी. वहां से मुरादाबाद पुलिस ने ऊंची पहाड़ी के नीचे जा कर मृतक निपेंद्र का मोबाइल फोन, खून से सनी पैंट,

लाल शर्ट, उस की एक चप्पल, पत्थरों पर लगे बाल, अभियुक्त नीरज की दोनों चप्पलें, हत्या में प्रयुक्त स्कौर्पियो कार बरामद की.

मृतक निपेंद्र की लाश को जंगली जानवर खा गए थे. वह इलाका जंगली जानवरों का है. 10 दिन से पड़ी लाश जंगली जानवरों का निवाला बन चुकी थी. जो कपडे़ मिले थे, उन में जंगली जानवरों के दांतों के निशान (छेद) मिले थे. इससे लगा कि लाश जंगली जानवर खा चुके थे.

हत्या की आरोपी गीता उर्फ कुसुम पाल ने अपने पति निपेंद्र की हत्या के बाद अभियुक्त प्रेमी नीरज से दूसरी शादी का प्लान तैयार किया था. जो कशिश प्रेमी नीरज में थी, वह पति निपेंद्र में नहीं मिली. क्योंकि गीता के संबंध नीरज से शादी से पहले से थे.

नीरज गीता का पहला प्यार था. शादी के बाद भी वह नीरज को भुला नहीं पाई थी. वैसे प्रेमी नीरज भी शादीशुदा था. प्रेमी नीरज को यह भी पता था कि गीता के पास काफी बड़ी प्रौपर्टी है.

पुलिस ने मृतक निपेंद्र की हत्या में 2 अन्य अभियुक्तों मिथुन व सौरभ को 15 मई, 2022 को जेल भेज दिया था. पुलिस ने मृतक निपेंद्र के 11 साल के बेटे बिराज को उस की मौसी को सौंप दिया था. कथा लिखने तक उस की देखभाल मौसी कर रही थी.      द्य

अमिता और उसके प्रेमी का गुनाह

वह 10 मई 2022 की आधी रात थी. उस समय रात के 2 बज रहे थे. उस समय सोनी नेगी गहरी नींद में सो रही थी. अचानक उसे लगा कि कोई जोरजोर से उस के बैडरूम का दरवाजा खटखटा रहा है. तभी वह बैड पर उठ कर बैठ गई थी तथा उस ने पास में ही सो रहे अपने पति जितेंद्र को भी जगा दिया था.

इस के बाद सोनी बाहर दरवाजे से आ रही आवाज को सुनने लगी. सोनी ने आवाज को पहचान लिया था. वह आवाज उस की जेठानी अमिता की थी. पहले तो सोनी ने सोचा कि अमिता बेवक्त उस के बैडरूम का दरवाजा क्यों खटखटा रही है? मगर उस ने फिर भी किसी अनहोनी की आशंका के चलते दरवाजा खोल दिया था.

जैसे ही सोनी ने दरवाजा खोला तो अचानक अमिता उस के कमरे में बदहवास सी घुस आई और जल्दी में उस ने बताया, ‘‘सोनी तुम्हारे जेठजी रात को अच्छेभले खाना खा कर और शराब पी कर सोए थे, मगर अब न जाने उन्हें क्या हो गया है कि उन का शरीर सुन्न हो गया है. लगता है कि उन्हें हार्टअटैक आ गया है.’’

अमिता के मुंह से यह बात सुन कर सोनी व उस का पति जितेंद्र अमिता के बैडरूम में पहुंचे, जहां पर अमिता का पति दीपक बेसुध सा लेटा था. सोनी ने देखा कि दीपक के शरीर में कोई हलचल नहीं थी तथा उस के चेहरे व शरीर के कुछ हिस्सों पर मामूली चोटों के निशान भी थे. चोट के निशान देख कर सोनी को कुछ शक भी हुआ था.

दीपक के शरीर पर लगी चोटों के बारे में जब जितेंद्र व सोनी ने अपनी भाभी अमिता से पूछा तो अमिता उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाई थी, बल्कि वह जल्दी से जल्दी बेसुध पड़े दीपक को पास के अस्पताल में ले जाने की जिद करने लगी.

दीपक की हालत देख कर जितेंद्र व सोनी को शक हो रहा था, मगर वे जल्दी ही दीपक को ले कर अस्पताल जाने की तैयारी करने लगे.

यह घटना देहरादून के थाना रायवाला अंतर्गत खांडगांव की है. खांडगांव से ऋषिकेश का एम्स अस्पताल मात्र 18 किलोमीटर दूर है. तभी आननफानन में जितेंद्र, अमिता व सोनी, दीपक को उपचार हेतु एम्स ले कर पहुंचे थे. एम्स के चिकित्सकों ने 34 वर्षीय दीपक को देख कर मृत घोषित कर दिया.

दीपक के शरीर पर लगी कुछ चोटों व गले में लगे कुछ निशानों को देख कर डाक्टरों को संदेह हो गया था तथा उन्होंने इस की सूचना रायवाला थाने को दे दी थी. उस वक्त रायवाला के थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी छुट्टी पर थे, अत: थानेदार धनंजय सिंह को एम्स में भेजा गया.

एम्स पहुंच कर जब थानेदार धनंजय ने दीपक के शव का निरीक्षण किया और दीपक की मौत के बारे में उस के घर वालों से जानकारी ली तो धनंजय को भी शक हो गया. इस के बाद थानेदार धनंजय ने दीपक के शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया था.

इसी प्रकार 4 दिन बीत गए थे. 15 मई, 2022 को रायवाला के थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी छुट्टी से लौट आए थे. जब उन्हें खांडगाव निवासी दीपक की संदिग्ध मौत के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने इस घटना का हर पहलू से अवलोकन किया. उन्हें यह मामला कुछ अटपटा सा लगा था.

अटपटा इसलिए लगा था कि पत्नी हार्ट अटैक के कारण पति की मौत होना बता रही थी, जबकि पति के शरीर पर कई जगह चोटों के निशान भी थे. इस के अलावा दीपक की मौत से पहले उस की नाक से खून निकल रहा था. पुजारी को यह मामला हत्या का लग रहा था. पुजारी यह जानना चाहते थे कि यदि दीपक की हत्या हुई है तो किस ने और क्यों की?

अभी पुजारी इसी कशमकश में ही उलझे थे कि उन्होंने सोचा कि दीपक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तो बाद में ही आएगी, इस से पहले क्यों न इस मामले की सच्चाई का पता लगाया जाए. इस के लिए सब से पहले पुजारी ने देहरादून की एसओजी (ग्रामीण) के कांस्टेबल नवनीत राणा से संपर्क किया था तथा उसे जल्दी ही अमिता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स उपलब्ध कराने को कहा.

इस के अलावा थानाप्रभारी ने दूसरा काम यह किया था कि उन्होंने रायवाला थाने के थानेदार नीरज त्यागी व सिपाहियों दिनेश महर व प्रदीप गिरी को सादे कपड़ों में खांडगांव भेजा और उन्होंने उन्हें गांव में घूम कर गांव वालों से दीपक व अमिता की आम शोहरत की जानकारी करने को कहा था.

थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी की यह योजना काफी सफल रही. 2 दिन के बाद पुजारी को अमिता के मोबाइल की काल डिटेल्स प्राप्त हो गई थी. काल डिटेल्स की जानकारी के अनुसार अमिता अकसर सतेंद्र नेगी नामक व्यक्ति से काफी काफी देर तक बातें करती रहती थी.

इस के अलावा उन्हें अमिता और सतेंद्र की मोबाइल बातचीत की रिकौर्डिंग भी मिल गई. उन्होंने जब रिकौर्डिंग को सुना तो अमिता खुद ही संदेह के दायरे में आ गई.

उधर खांडगांव से लौट कर थानेदार नीरज त्यागी ने जो जानकारी थानाप्रभारी पुजारी को दी थी, उसे जान कर पुजारी को संदेह ही नहीं, बल्कि पूरा विश्वास हो गया कि दीपक नेगी की हत्या में उस की पत्नी अमिता का हाथ जरूर है.

नीरज त्यागी ने उन्हें बताया कि खांडगांव में रहने वाले दीपक नेगी व अमिता के 2 बच्चे हैं. दीपक द्वारा गांव में छोटामोटा ठेका ले कर घर का खर्च चलाया जाता है. दिसंबर 2021 से दीपक के मकान का का काम चल रहा है. यह निर्माण कार्य पूर्व सैनिक ठेकेदार सतेंद्र नेगी निवासी मोहल्ला श्यामपुर ऋषिकेश की देखरेख में चलाया जा रहा है.

दीपक नेगी शराबी प्रवृत्ति का था. दीपक ने अपने मकान का ठेका सतेंद्र नेगी को 31 लाख रुपए में दिया था. निर्माण का कार्य अभी तक चल रहा है. गत कई महीनों से ठेकेदार सतेंद्र नेगी व अमिता की अतरंगता काफी बढ़ गई थी. ठेकेदार सतेंद्र नेगी वक्तबेवक्त दीपक के घर में अकसर आताजाता रहता है.

सतेंद्र द्वारा दीपक की गैरमौजूदगी में अकसर उस के घर जाने से तथा दीपक की पत्नी अमिता से अकेले में बातचीत करने के कारण, दीपक के छोटे भाई जितेंद्र व उस की पत्नी सोनी सहित मोहल्ले वालों को भी अमिता के चरित्र पर संदेह था. अमिता का पति दीपक भी अमिता को ठेकेदार सतेंद्र से अकसर दूरी बनाने के लिए कहता रहता था.

थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी ने थानेदार नीरज त्यागी के इस कथन को गंभीरता से लिया. ये सब जानकारियां होने के बाद पुजारी ने दीपक की मौत के मामले में एसएसपी जन्मेजय खंडूरी से इस बाबत विचारविमर्श किया था तथा इस प्रकरण में उन का निर्देशन मांगा था.

श्री खंडूरी ने दीपक की मौत के प्रकरण में उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद सतेंद्र व अमिता से पूछताछ करने के निर्देश दिए थे.

वह 23 मई, 2022 का दिन था. उस वक्त रायवाला के थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी अपने औफिस में ही बैठे थे, तभी उन्हें दीपक नेगी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई. जब पुजारी ने दीपक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पढ़ा तो वे चौंक पड़े. इस में दीपक की मौत का कारण गला दबा कर दम घुटना बताया गया था.

इस के बाद पुजारी ने इस प्रकरण में पूछताछ के लिए अमिता व ठेकेदार सतेंद्र को बुलाया. थाने में अमिता व सतेंद्र से दीपक की मौत के मामले में पुजारी द्वारा गहन पूछताछ की गई थी. मगर जब पुजारी ने दोनों को अलगअलग ले जा कर पूछताछ की तो दीपक की मौत पर पड़ा परदा हट गया.

घटना की जानकारी देते हुए अमिता ने पुलिस को बताया कि बीते कई महीनों से ठेकेदार सतेंद्र के साथ मेरे अवैध संबंध थे, जिस की कुछकुछ जानकारी मेरे पति दीपक को हो गई थी. 10 मई, 2022 की घटना वाली रात को 12 बजे दीपक ने हम दोनों को आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया था. इस कारण हम दोनों अपनी पोल खुलने के डर से घबरा गए थे.

तभी हम दोनों ने एकराय हो कर चुनरी से दीपक का गला घोट कर उसे मार डाला था. इस के बाद हम दोनों ने दीपक को बैड पर लिटा दिया था. फिर सतेंद्र ठेकेदार वहां से चला गया था.

थोड़ी देर बाद मैं ने साक्ष्य छिपाने के लिए अपने देवर जितेंद्र व देवरानी सोनी को अपने कमरे में बुलाया था और उन्हें दीपक को हार्ट अटैक होने की बात बताई थी.

इस के बाद पुजारी ने अमिता के ये बयान दर्ज कर लिए थे. पूछताछ के दौरान ठेकेदार सतेंद्र ने भी प्रेमिका अमिता के बयान में सहमति जताते हुए दीपक की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.

दीपक की मौत का परदाफाश होने के बाद पुजारी ने इस हत्या का मुकदमा दीपक के छोटे भाई जितेंद्र नेगी की तहरीर पर भादंवि की धारा 302, 201 व 34 के तहत दर्ज कर लिया था. इस के बाद पुजारी ने दीपक की हत्या के खुलासे की जानकारी एसएसपी जन्मेजय खंडूरी को दी. सतेंद्र व अमिता को पुलिस ने कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

आरोपी सतेंद्र पहले सेना में नौकरी करता था तथा वर्ष 2013 में सेना से वह रिटायर हुआ था. सतेंद्र का अपनी पहली पत्नी से तलाक हो गया था. इस के बाद उस ने वर्ष 2015 में दूसरी शादी कर ली थी. रिटायरमेंट के बाद सतेंद्र भवन निर्माण के ठेके लेता था. उस के 2 बच्चे हैं.

अमिता का परिवार मूलरूप से उत्तराखंड के जिला टिहरी गड़वाल का रहने वाला है तथा 8 साल पहले दीपक से उस की शादी हुई थी. 2 बच्चों की मां अमिता भी सतेंद्र के साथ वासना के दलदल में ऐसी डूबी थी कि उस ने अपना परिवार खुद ही उजाड़ लिया था.

कथा लिखे जाने तक सतेंद्र व अमिता देहरादून जेल में बंद थे. दीपक की हत्या की जांच थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी कर रहे थे. पुजारी विवेचना पूरी करने के बाद इस प्रकरण में सतेंद्र व अमिता के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में भेजने की तैयारी कर रहे थे.  द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दिल को रंगीन बनाने की चाहत

राजधानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में दरगाह साबरी के पास बाइक रिपेयर की वर्कशाप चलाने वाला 50 वर्षीय मोइनुद्दीन कुरैशी 17 मई, 2022 की रात करीब 10 बजे वर्कशाप बंद करके घर जाने के लिए पैदल ही निकला था कि चंद कदम चलते ही उसे लघुशंका की जरूरत महसूस हुई.

कुछ आगे कालिदास मार्ग पर वह लघुशंका के लिए रुका कि तभी बाइक से उस के पीछे आए 2 बदमाशों ने काफी नजदीक से उसे गोली मार दी और फर्राटा भरते निकल गए.

मोइनुद््दीन अपने परिवार के साथ पटौदी हाउस, दरियागंज इलाके में ही रहता था. उस के परिवार में बुजुर्ग मां के अलावा पत्नी जेबा, 2 बेटे मुइज कुरैशी, गुल कुरैशी, 18 साल की बेटी व छोटा भाई रुकनुद्दीन हैं.

मोइनुद्दीन के परिवार की 50 साल से ज्यादा पुरानी दोपहिया वाहन की वर्कशाप दरियागंज में दरगाह साबरी के पास है. उस की दुकान पर कई लड़के काम करते हैं.

मोइनुद्दीन के पीछे से आए हमलावरों ने उस पर 2 गोलियां चलाईं. एक गोली उस के पेट में और दूसरी कमर में लगी. गोली लगते ही वह जमीन पर गिर कर तड़पने लगा और पल भर में खामोश हो गया. इस के बाद चारों तरफ हल्ला मच गया.

घटनास्थल के पास ही मौजूद मोइनुद्दीन का छोटा भाई रुकनुद्दीन व उस का दोस्त साजिद भागते हुए आए और मोइनुद्दीन को एलएनजेपी अस्पताल ले गए, जहां कुछ ही देर बाद मोइनुद्दीन को मृत घोषित कर दिया गया.

कुरैशी के परिवार वाले भी अस्पताल आ पहुंचे. हर तरफ मातम पसर गया. उस की बीवीबच्चे सिर पटकपटक कर रो रहे थे. अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को इस की सूचना दे दी.

कुछ देर में पुलिस घटनास्थल पर आई. आसपास के लोगों से पूछताछ की, मगर हमलावरों के बारे में कोई नहीं बता पाया. रात होने की वजह से लोग बाइक का नंबर भी नहीं देख पाए. बस पलक झपकते ही पूरा कांड हो गया.

मोइनुद्दीन के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. दूसरे दिन मृतक के छोटे भाई रुकनुद्दीन के बयान पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया.

इस सनसनीखेज मामले की जांच के लिए एसीपी योगेश मल्होत्रा की देखरेख में कई थानों के तेजतर्रार पुलिसकर्मियों की एक टीम का गठन किया गया. वाहन चोरी निरोधक दस्ता टीम के इंचार्ज संदीप गोदारा और स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर शैलेंद्र कुमार शर्मा को भी टीम में शामिल किया गया. यानी पुलिस की अलगअलग टीमें विभिन्न बिंदुओं पर काम करने लगीं.

पुलिस ने सब से पहले घटनास्थल का मुआयना किया और वहां दुकानों और घरों में लगे तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवाई ताकि बाइक और हमलावरों की पहचान हो सके.

कई दिनों की मशक्कत के बाद पुलिस ने करीब 500 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले. इस छानबीन में हमलावर सफेद रंग की अपाची बाइक पर सवार दिखे. मगर उन के चेहरे हेलमेट से ढंके हुए थे. हां, बाइक का नंबर जरूर साफ नजर आ गया. पुलिस बाइक का पता कर ही रही थी कि तभी खबर आई कि वारदात में प्रयुक्त अपाची बाइक तारा होटल के नजदीक लावारिस हालत में पड़ी है.

पुलिस ने बाइक के मालिक का पता किया तो उस के मालिक ने बताया कि उस की बाइक दिसंबर, 2021 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से चोरी हो गई थी, जिस की एफआईआर बाकायदा थाने में दर्ज है.

जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि मोइनुद्दीन की हत्या करने वाले बेहद प्रोफेशनल थे. चलती बाइक से किसी पर निशाना लगाना आसान नहीं होता, मगर उन का निशाना बिलकुल सधा हुआ था. पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारों ने अगर बाइक मेरठ से चुराई है तो जरूर उन का संबंध यूपी से ही होगा.

पुलिस के पास हमलावरों तक पहुंचने का यह रास्ता बंद हो गया तो उस ने घटनास्थल के आसपास के लोगों से और मृतक मोइनुद्दीन कुरैशी के घरवालों एवं दोस्तों से पूछताछ शुरू की.

एक दूसरी पुलिस टीम ने मृतक मोइनुद्दीन के परिवार के लोगों के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स और इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म को भी खंगालना शुरू किया.

मृतक की पत्नी, बच्चों और अन्य स्वजनों समेत 100 से अधिक लोगों से पूछताछ हुई. पूछताछ में पता चला कि मृतक मोइनुद्दीन कुरैशी की पत्नी जेबा कुरैशी उस से उम्र में 10 साल छोटी है. मोइनुद्दीन से उस का निकाह करीब 25 साल पहले हुआ था.

मोइनुद्दीन और जेबा के 3 बच्चे हैं. 2 बेटे और एक बेटी. पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि मोइनुद्दीन अकसर जेबा को मारतापीटता था. 40 वर्षीय जेबा अपने पति के जुल्मों से काफी परेशान रहती थी. वह हर वक्त उस से डरीसहमी रहती थी. पता नहीं कब, किस बात पर मोइनुद्दीन खफा हो जाए और उस को रुई की तरह धुन कर रख दे, इस का कुछ पता नहीं होता था.

छोटीछोटी बात पर उस का पारा चढ़ जाता था और जवान बच्चों के सामने ही वह पत्नी की पिटाई शुरू कर देता था. उस की हरकतों से बच्चे भी डरेसहमे से रहते थे.

पुलिस ने मोइनुद्दीन की पत्नी जेबा से जब पूछताछ की तो वह काफी घबराई हुई थी. कई सवालों को घुमाफिरा कर पूछने पर उस ने अलगअलग जवाब दिए. इस से पुलिस को उस पर कुछ शक हुआ.

फिर जब जेबा के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स पुलिस ने खंगाली तो पता चला कि वह लगातार मेरठ के एक नंबर के संपर्क में रहती थी. घटना के दिन भी उस ने इस नंबर पर कई काल किए थे.

अब पुलिस ने जेबा कुरैशी से सख्ती से पूछताछ की. शुरू में तो वह पुलिस को बरगलाती रही, मगर सख्ती के आगे वह जल्दी ही टूट गई. उस ने मोइनुद्दीन की हत्या करवाने का जुर्म स्वीकार कर लिया.

जेबा ने बताया कि वह शौहर से तंग आ चुकी थी, इसलिए उस ने अपने प्रेमी और उस के साथियों के हाथों उस जालिम शौहर को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया. जेबा 25 साल तक जिस आदमी के साथ रही, जिस के 3 बच्चों की वह मां बनी, उस के जुल्मों से वह इतनी आजिज आ चुकी थी कि उसे गोली मरवाने में उसे जरा भी झिझक नहीं हुई. आखिर क्यों जेबा के दिल में पति के लिए इतनी नफरत भर गई थी?

जेबा के 3 जवान बच्चे थे. उन की पढ़ाई, शादी सब होनी थी. मगर मानसिक और शारीरिक रूप से जेबा अपने पति के हाथों इस कदर प्रताड़ना सह चुकी थी कि उस ने एक बार भी इस बारे में नहीं सोचा.

वह तो बस जल्द से जल्द मोइनुद्दीन से मुक्ति पा लेना चाहती थी. और इस काम में उस का साथ दिया उस के प्रेमी शोएब ने, जो मेरठ का रहने वाला था और फेसबुक के जरिए उस का दोस्त बन गया था.

बीते 2 सालों में उन की दोस्ती धीरेधीरे प्यार में बदल चुकी थी. हालांकि शोएब जेबा से 11 साल छोटा था और शादीशुदा भी था, मगर वह जेबा के प्यार में ऐसा दीवाना हुआ कि उस के लिए कत्ल करने को भी तैयार हो गया. दरअसल, 25 साल पहले जब जेबा का निकाह मोइनुद्दीन कुरैशी से हुआ था, तब जेबा मात्र 15 साल की थी. उस वक्त मोइनुद्दीन की उम्र 25-26 साल थी.

जल्दी ही जेबा 3 बच्चों की मां बन गई. घरगृहस्थी और बच्चों की परवरिश में उस का बचपन और जवानी दोनों खलास हो गए. उधर मोइनुद्दीन बाइक रिपेयर के काम के अलावा प्रौपर्टी डीलिंग का काम भी करने लगा था. प्रौपर्टी के धंधे में उस की दोस्ती बड़े घरों के बिगड़ैल लड़कों से हो गई. उन के संगसाथ में वह शराब पीने लगा.

बीवीबच्चों की उस ने कभी परवाह नहीं की. उस का ज्यादातर समय पतंगबाजी और शराब पीने में बीतता था. शराब पी कर मोइनुद्दीन अकसर जेबा को पीटता था. बच्चों के सामने जेबा अपने पति की मार खा कर बुरी तरह टूट जाती थी.

साल गुजरते गए और पति की मार और दुत्कार सहतेसहते जेबा ने किसी तरह बच्चों को बड़ा किया. वह बच्चों में ही मन लगाने की कोशिश करती थी, मगर दिल का एक कोना किसी के प्यार के लिए बिलकुल खाली पड़ा था.

इसी दौरान उस ने अपने मोबाइल फोन पर फेसबुक और वाट्सऐप चलाना सीख लिया. इस ने उस के सूनेपन को थोड़ा कम किया. फेसबुक पर उस के काफी दोस्त बन गए, जिन से वह अपने दिल की बातें शेयर करने लगी.

2 साल पहले फेसबुक पर उस की दोस्ती मेरठ के शोएब से हुई. मेरठ के वेस्ट कुशल नगर, लिसाड़ी रोड निवासी 29 वर्षीय शोएब ने जेबा की फोटो देखी तो वह उस पर फिदा हो गया. शादीशुदा होते हुए भी शोएब प्यार की राह पर फिसल गया. उस को इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ा कि जेबा उस से उम्र में 11 साल बड़ी है और 3 जवान बच्चों की मां है.

दोनों के बीच सारा सारा दिन फोन पर प्यारमोहब्बत की बातें होने लगीं. मौका पा कर दोनों एकदूसरे से मिलने भी लगे. जेबा के सूने दिल में खुशियों की कलियां चिटखने लगीं. अरमानों ने करवट ली और जेबा शोएब के प्यार में पूरी तरह डूब गई.

ऐसा प्यार और नजदीकी उसे अपने पति मोइनुद्दीन से कभी नहीं मिली थी. जेबा ने शोएब के साथ निकाह करने का मन बना लिया, मगर इस मिलन में सब से बड़ा बाधक था उस का जालिम पति मोइनुद्दीन, जिसे ठिकाने लगाए बिना जेबा और शोएब का मिलन संभव ही नहीं था.

आखिरकार जब भावनाएं पूरी उफान पर पहुंचीं तो मोइनुद्दीन को रास्ते से हटाने की योजना बनाई गई. जेबा ने शोएब पर दबाव बनाया कि वह जल्द से जल्द मोइनुद्दीन को खत्म कर दे. उस ने शोएब से कहा कि अब वह उस से तभी मिलेगी जब वह मोइनुद्दीन को ठिकाने लगा देगा.

मोइनुद्दीन को मारना किसी अकेले के बस की बात नहीं थी. लंबीतगड़ी कदकाठी के मोइनुद्दीन को कोई अकेला आदमी काबू में नहीं कर सकता था. शोएब ने मोइनुद्दीन को ठिकाने लगाने के लिए भाड़े के हत्यारों से संपर्क साधा जो सुपारी ले कर उस का यह काम निपटा सकते थे.

शोएब ने विनीत गोस्वामी नाम के अपराधी से संपर्क किया. बमहेटा, कविनगर, गाजियाबाद के रहने वाले विनीत पर पहले से हत्या के प्रयास समेत 3 आपराधिक मामले दर्ज हैं. 6 लाख रुपए की सुपारी ले कर विनीत ने मोइनुद्दीन की हत्या करने का 2 बार प्रयास किया, मगर वह सफल नहीं हुआ.

विनीत ने शोएब के साथ कई बार मोइनुद्दीन का पीछा किया. वह किस वक्त वर्कशाप खोलता है, किस वक्त बंद करता है, वर्कशाप के आसपास किस वक्त कितने लोग होते हैं, वह अकेले घर जाता है या किसी के साथ, ये सारी बातें दोनों ने नोट कीं. और फिर 17 मई की रात शोएब और विनीत के हाथ वह मौका लग गया.

रात 10 बजे जब मोइनुद्दीन अपनी दुकान बंद कर के पैदल ही घर चलने को हुआ तो उसे लघुशंका की जरूरत महसूस हुई और वह सड़क के किनारे रुक गया. कुछ दूर अंधेरे कोने में काफी देर से उस के निकलने का रास्ता देख रहे शोएब ने बाइक स्टार्ट की.

विनीत भरी पिस्तौल लिए उस के पीछे बैठा था. जैसे ही बाइक सड़क किनारे लघुशंका के लिए खड़े मोइनुद्दीन के करीब पहुंची, विनीत ने उस पर फायर झोंक दिया. गोली उसे भेदती हुई निकल गई. मोइनुद्दीन जमीन पर गिर कर तड़पने लगा और चंद सेकेंड बाद ही खामोश हो गया.

जेबा कुरैशी से सच उगलवाने के बाद पुलिस ने मेरठ से पहले 29 वर्षीय शोएब को गिरफ्तार किया और उस के बाद गाजियाबाद से 29 वर्षीय विनीत गोस्वामी को हिरासत में ले लिया.

गिरफ्तारी के वक्त आरोपियों के पास से पुलिस को एक पिस्टल, 2 कारतूस और सुपारी की रकम के 3 लाख रुपए बरामद हुए. वारदात में इस्तेमाल चोरी की बाइक पहले ही पुलिस अपने कब्जे में ले चुकी थी.

डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि सभी आरोपियों को हत्या और हत्या की साजिश रचने के आरोप में जेल भेजा जा चुका है. सभी ने अपने गुनाह कुबूल कर लिए थे.   द्य

प्यार में लगी सेंध : शिवम बना हत्यारा – भाग 3

शालू शिवम से ज्यादा छैलछबीला और कम उम्र का था, इसलिए सीमा ने शिवम को दिल से निकाल दिया और शालू को दिल में बसा लिया. इस के बाद सीमा ने शिवम मिश्रा से दूरियां बनाना शुरू कर दीं.

सीमा का यह व्यवहार शिवम मिश्रा उर्फ बांगरू को खलने लगा. बेचैन हो कर उस ने गुप्त रूप से पता किया तो उस के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. उसे पता चला कि उस के दोस्त शालू ने उस की पीठ में प्यार का खंजर घोंपा है. उन दोनों के बीच शालू आ गया है, इसलिए सीमा उसे भाव नहीं दे रही है.

शिवम मिश्रा उर्फ बांगरू मन ही मन शालू को दुश्मन समझने लगा. शिवम मिश्रा को शालू अब कांटे की तरह खटकने लगा था. शिवम जब भी सीमा को फोन करता, वह उसे भूल जाने की सलाह देती, जबकि शिवम उसे छोड़ने को कतई तैयार न था.

सीमा को ले कर अब शिवम और शालू की दोस्ती में गांठ पड़ गई थी. दोनों में झगड़ा और मारपीट भी शुरू हो गई थी. शिवम ने कई बार सीमा को भी समझाया, लेकिन उस ने अपना रवैया नहीं बदला.

एक रोज शिवम आटो ले कर मोतीझील से हो कर गुजरा तो उस ने सीमा और शालू को मोतीझील उद्यान में हंसते हुए देखा. मोतीझील मैट्रो स्टेशन पर सवारी उतारने के बाद शिवम उन दोनों के पास आ गया.

शिवम को देख कर सीमा घबरा गई. शिवम ने सीमा से घर चलने को कहा. लेकिन वह शिवम के साथ जाने के बजाय शालू की मोटरसाइकिल पर बैठ कर उस के साथ फुर्र हो गई. यह बात शिवम को चुभ गई. उसे लगा कि यह सब शालू के कारण ही हो रहा है. अत: उसी पल उस ने शालू को ठिकाने लगाने की ठान ली.

इस के बाद शिवम मिश्रा उर्फ बांगरू ने अपने दोस्त अमित पासवान, सनी गुप्ता, रिशु गुप्ता व अभिषेक को घर बुलाया और सब को शराब पिलाई फिर दोस्तों के बीच अपना दर्द बयां किया.

अभी तक सीमा शालू का ही साथ दे रही थी. सीमा को अपने पक्ष में करने के लिए शिवम ने बहाने से उसे अपने घर बुलाया. सीमा के आने के बाद शिवम ने अपने दोस्तों को भी बुलवा लिया. शिवम व उस के दोस्तों ने सीमा पर दबाव बनाया कि शालू मुसलमान है. वह उस का शोषण कर कभी भी धोखा दे सकता है. वह उस का साथ छोड़ दे. उस ने दोस्ती में छल किया है, अत: उसे सजा जरूर मिलेगी.

सजा की बात सुन कर सीमा की रूह कांप गई. वह समझ गई कि इन लोगों के इरादे नेक नहीं हैं. अगर उस ने इन की बात नहीं मानी तो यह लोग उस के साथ कुछ भी कर सकते हैं. अत: दबाव में आ कर सीमा ने शालू का साथ छोड़ने की बात मान ली. धीरेधीरे शिवम ने सीमा को अपने पक्ष में कर लिया फिर वह भी शिवम का साथ देने को राजी हो गई.

पूरी योजना बनाने के बाद शिवम ने शालू से फिर से दोस्ती कर ली. वह उसे घर पर शराब पार्टी पर भी बुलाने लगा. शालू, शिवम के घर आता तो वह सीमा से भी मिल कर जाता.

सीमा से मिलने का शिवम विरोध भी नहीं करता. शिवम के नरम व्यवहार का शालू को ताज्जुब तो था, लेकिन वह उस के खतरनाक इरादों को भांप नहीं पाया.

5 अक्तूबर, 2022 को दशहरा पर्व था. दोपहर को शिवम ने दोस्तों को घर बुलाया और सब को शराब पिलाई. इस के बाद शालू की हत्या की योजना बनी. इस योजना में सीमा को भी शामिल किया गया.

योजना बनी कि शालू को मेला दिखाने के बहाने उस के घर से लाया जाए. यह भी योजना बनी कि बुलाने से अगर शालू न आए तो सीमा उसे काल कर के घर के बाहर बुलाए फिर अपहरण कर उसे लाया जाए.

योजना के तहत देर रात शिवम ने अमित, सनी, रिशु, अभिषेक व सीमा को घर बुलवा लिया. फिर दर्शनपुरवा के वाटर पार्क में बैठ कर सब ने आपस में विचारविमर्श किया. उस के बाद शिवम अपने दोस्त अमित, सनी व प्रेमिका सीमा को अपने आटो में बिठा कर रात 12 बजे परमपुरवा स्थित शालू के घर पहुंचा. सीमा को उस ने मसजिद के पास उतार दिया.

उस के बाद उस ने शालू को आवाज दी. शिवम की आवाज सुन कर शालू ने छज्जे से बाहर झांका. तब शिवम ने उस से कहा कि वह अरमापुर मेला देखने जा रहा है. वह भी साथ चले. शालू राजी हो गया. उस ने अपनी बहन नसीमा से कहा कि वह दोस्तों के साथ मेला देखने जा रहा है.

शिवम व उस के साथी सनी व अमित ने शालू को आटो में बिठा लिया. शिवम ने सीमा को उस के घर दर्शनपुरवा छोड़ दिया. फिर शालू को वाटर पार्क ले आए. यहां रिशु गुप्ता व अभिषेक पहले से मौजूद थे. शालू के आटो से उतरते ही रिशु, सनी व अमित उस पर टूट पड़े और मारपीट करने लगे.

इसी बीच उस ने बहन को दोस्तों द्वारा मारपीट करने व खतरनाक इरादों की जानकारी फोन कर के दे दी. तभी अभिषेक ने उस से मोबाइल फोन छीन लिया और तोड़ कर फेंक दिया. इस के बाद शालू को वह लोग पीटते हुए पार्क के अंदर लाए और सुनसान स्थान पर शिवम ने ईंट से सिर पर लगातार वार कर के शालू की हत्या कर दी.

हत्या के बाद शालू के शव को ठिकाने लगाने की योजना बनी. योजना के तहत ये लोग शव को गंगा बैराज ले जा कर गंगा नदी में फेंकना चाहते थे. लेकिन आटो की सीएनजी गैस खत्म हो जाने से आटो खड़ा हो गया.

तब इन लोगों ने शालू के शव को गुरुदेव पैलेस रेलवे क्रौसिंग के पास रेल पटरियों के बीच रख दिया. ताकि शव रेल से कट कर क्षतविक्षत हो जाए और लगे कि आत्महत्या की है. शव को फेंकने के बाद शिवम व उस के साथी फरार हो गए.

इधर सुबह तक कोई रेलगाड़ी गुजरी ही नहीं, जिस से शव सुरक्षित रहा. कुछ लोगों ने शव पटरियों के बीच पड़ा देखा तो सूचना थाना रावतपुर पुलिस को दी.

रावतपुर पुलिस ने शव की सूचना प्रसारित की तो जूही थाने के एसएचओ जितेंद्र सिंह, शेरू व उस के पिता अकमल को ले कर मौके पर आए और शव की शिनाख्त शालू के रूप में की. पुलिस ने शव कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो त्रिकोण प्रेम में हुई हत्या का परदाफाश हुआ.

9 अक्तूबर, 2022 को पुलिस ने आरोपी शिवम मिश्रा उर्फ बांगरू, सनी गुप्ता, रिशु गुप्ता, अमित पासवान, अभिषेक व सीमा को गिरफ्तार कर कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.   द्य

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में सीमा नाम काल्पनिक है.

मोहब्बत का खूनी अंजाम – भाग 3

अक्तूबर, 2017 की बात है. विभांशु दशहरे का मेला घूमने गया था. फोन कर के उस ने रुचि को भी मेले में बुला लिया था. काफी देर तक साथसाथ मेला घूमने के बाद दोनों अपनेअपने घरों को रवाना हुए. प्रेमिका से विदा होते विभांशु ने उसे फ्लाइंग किस दिया. रुचि ने मुसकरा कर इस का जवाब दे दिया.

इत्तफाक से उसी समय श्यामनारायण भी कहीं से उधर आ पहुंचा. उस ने दोनों को किस लेते देते देख लिया था. यह देख कर उस का खून खौल उठा. उस ने आव देखा न ताव, कुछ ग्रामीणों को आवाज लगा दी.

ग्रामप्रधान की आवाज सुन कर गांव के तमाम लोग वहां पहुंच गए. प्रधान ने विभांशु पर गांव की लड़की को छेड़ने का आरोप लगाया. इस के बाद तो ग्रामीण भड़क गए. विभांशु वहां से भागा तो उन्होंने दौड़ कर उसे दबोच लिया. इस के बाद उस की जम कर पिटाई की.

पिटाई के बाद भी उन्होंने विभांशु को नहीं छोड़ा बल्कि प्रधान श्यामनारायण ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया. जीयनपुर के थानाप्रभारी ने विभांशु को लड़की छेड़ने के आरोप में जेल भेज दिया. इस तरह प्रधान ने विभांशु को जेल भिजवा कर अपनी खुन्नस निकाल ली.

घर वालों को जब यह पता चला कि लड़की छेड़ने के आरोप में विभांशु जेल में बंद है तो वे परेशान हो गए. शर्म के मारे उन का चेहरा झुक गया. किसी तरह विभांशु के बड़े भाई वकील घनश्याम पांडेय ने उस की जमानत कराई. घर वालों ने विभांशु को खूब डांटा, साथ ही समझाया कि ये इश्कविश्क का चक्कर छोड़ कर पढ़ाई पर ध्यान दो. जब समय आएगा तो किसी अच्छी लड़की से शादी करा कर गृहस्थी बसा दी जाएगी.

परिवार के दबाव में आ कर उस समय तो कह दिया कि वह ऐसा कोई काम नहीं करेगा, जिस से परिवार की बदनामी हो लेकिन वह दिल से रुचि को निकाल नहीं पाया. साथ ही वह श्यामनारायण द्वारा जेल भिजवा देने वाली बात से काफी आहत था. उस ने तय कर लिया कि वह इस का बदला जरूर लेगा.

वह प्रधान श्यामनारायण से बदला लेने का मौका ढूंढने लगा. इसी बीच 4 दिसंबर, 2017 को ग्रामप्रधान श्यामनारायण पर किसी ने हमला कर दिया. प्रधान का पूरा शक विभांशु पर आ गया. प्रधान ने तय कर लिया कि वह विभांशु को सूद के साथ इस का भुगतान करेगा. जबकि वास्तविकता यह थी कि विभांशु का उस हमले से कोई लेनादेना नहीं था और न ही उस ने ऐसा किया था.

बहरहाल, इश्क की जलन ने एक नाकाम प्रेमी श्यामनारायण राय को इंसान से शैतान बना दिया था. वह विभांशु के खून का प्यासा हो गया. वह मौके की तलाश में था लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था.

7 दिसंबर, 2017 की शाम 6 बजे रुचि ने विभांशु को फोन कर के मिलने के लिए आजमगढ़ बुलाया. प्रेमिका के बुलावे पर वह बेहद खुश था. तैयार हो कर वह बाइक ले कर रुचि से मिलने निकल गया. घर से निकलते समय उस ने घर वालों से यही कहा था कि वह शहर जा रहा है और थोड़ी देर में आ जाएगा.

विभांशु पहले अलहलादपुर में रहने वाले अपने दोस्त दीपक सिंह के घर गया. वहां उस ने बाइक खड़ी की ओर उस की स्विफ्ट डिजायर कार ले कर प्रेमिका से मिलने आजमगढ़ रवाना हो गया. यह बात पता नहीं कैसे प्रधान श्यामनारायण को पता चल गई. फिर तो उस की बांछें खिल उठीं. वह कल्याणपुर बांसगांव से पहले खालिसपुर गांव के पास घात लगा कर बैठ गया. रात 11 बजे के करीब विभांशु स्विफ्ट डिजायर कार ले कर गुजरा.

प्रधान ने गाड़ी में विभांशु को जाते देख लिया. प्रधान मोटरसाइकिल पर था. उस ने कार का पीछा किया और ओवरटेक कर के उसे रोक लिया. सुनसान जगह पर प्रधान को देख विभांशु का माथा ठनक गया. वह कार ले कर वहां से भागना चाहा लेकिन कार के आगे प्रधान और उस की बाइक थी, इसलिए वहां से नहीं भाग सका.

सड़क पर ही दोनों के बीच बहस छिड़ गई. बात काफी बढ़ गई. मामला गालीगलौज से हाथापाई तक पहुंच गया. प्रधान श्यामनारायण का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. उस ने कार का दरवाजा खोल कर विभांशु को खींच कर बाहर निकाल लिया. उसी समय उस ने कमर से लाइसेंसी पिस्टल निकाली और उस के सिर में गोली मार दी.

गोली लगते ही विभांशु कटे पेड़ की तरह धड़ाम से सड़क पर गिर गया और मौके पर ही उस की मौत हो गई. इस के बाद प्रधान ने फोन कर के छोटे भाई सत्यम राय उर्फ रजनीश को मौके पर बुला लिया.

श्यामनारायण और सत्यम दोनों ने मिल कर उसे कार की पिछली सीट पर डाला फिर लाश ठिकाने लगाने के लिए गांव के बाहर ले गए.

वह कार को सड़क से नीचे खेत में ले गए. वहां से वह नहर की ओर ले जा रहे थे, तभी कार कुदारन तिवारी के खेत में जा कर फंस गई. वहां से कार नहीं निकली तो वह वहीं खेत में छोड़ दी और लाश भी कुछ आगे डाल दी. इस के बाद वे घर लौट आए और इत्मीनान से सो गए.

उन्हें विश्वास था कि पुलिस को उन पर शक नहीं होगा पर जब मृतक के भाई घनश्याम पांडेय ने नामजद रिपोर्ट लिखाई तो प्रधान श्यामनारायण पुलिस से बचने के लिए घर से निकल कर सगड़ी-खालिसपुर मार्ग पर जा कर खड़ा हो गया और उधर से आने वाले वाहन का इंतजार करने लगा. इस से पहले कि वह वहां से कहीं जाता, थानाप्रभारी विजयप्रताप यादव ने उसे मुखबिर की सूचना पर गिरफ्तार कर लिया.

प्रधान श्यामनारायण राय से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. इस के 3 दिनों के बाद उस का छोटा भाई सत्यम राय उर्फ रजनीश भी बांसगांव से गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ में उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

कथा लिखे जाने तक पुलिस कार में मिली महिला की सैंडिल और उल्टी के बारे में जांचपड़ताल कर रही थी. आरोपी रुचि राय फरार चल रही थी. पुलिस उस की तलाश में जुटी हुई थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

धोखे में लिपटी मोहब्बत- भाग 3

शादी के बाद रंजना विनोद को साथ ले कर कई बार अपने घर आई थी. विनोद का परिचय उस ने मांबाप से खिलाड़ी मित्र के रूप में कराया था. एकदो दिन घर रह कर वह विनोद के साथ लौट जाती थी. विनोद को जीवनसाथी चुन कर रंजना खुश थी. वह भी उसे खुश रखने के लिए पैसा पानी की तरह बहाता था.

जिस सच्चाई को विनोद छिपा रहा था, आखिरकार एक दिन उस की कलई रंजना के सामने खुल ही गई. विनोद की सच्चाई खुलते ही रंजना के ख्वाबों का महल रेत के महल के समान भरभरा कर ढह गया. विनोद इतना बड़ा धोखा देगा, उस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. इस के बाद रंजना ने विनोद से दूरियां बना लीं.

अपनी गलतियों पर परदा डालने के लिए विनोद ने रंजना से संपर्क कर के उसे भरोसा दिलाने की काफी कोशिश की, लेकिन रंजना उस की चिकनीचुपड़ी बातों में नहीं आई. इतना ही नहीं, वह अपना मोबाइल उस से वापस लेने की जिद पर अड़ गई. मोबाइल में उस की जिंदगी का अहम राज छिपा था, जबकि विनोद उसे मोबाइल लौटाने से इनकार कर रहा था.

मोबाइल न मिलने से रंजना काफी परेशान थी. एक दिन रंजना अपनी बड़ी बहन विमला के यहां गई. वह काफी परेशान और उदास थी. उस की परेशानी और उदासी देख कर विमला से रहा नहीं गया. उस ने इस का कारण पूछा तो रंजना की आंखों से आंसू टपकने लगे और वह बहन के गले लिपट कर रोने लगी. विमला समझ नहीं पाई कि आखिर ऐसी क्या बात है.

आखिर रंजना ने सारी बातें बेझिझक बता दीं. रंजना की बात सुन कर विमला के पैरों तले से जमीन खिसक गई. रंजना ने जो गलती की थी, वह माफ करने लायक नहीं थी. बड़ी बहन ने उस के गाल पर 2 थप्पड़ रसीद कर दिए, साथ ही उसे काफी भलाबुरा भी कहा.

खैर, जो होना था हो चुका था. अब सवाल उस के निदान का था. शाम के वक्त काम से जब उस का पति शंभू मंडल घर लौट कर आया और साली रंजना को देखा तो उस की खुशी दोगुनी हो गई. रात का खाना सब ने एक साथ खाया. शंभू खाना खाने के बाद कमरे में सोने गया. उस के पीछे विमला भी आ गई. उस ने पति से रंजना की सारी बातें बता दीं. पत्नी की बात सुन कर शंभू का खून खौल उठा.

उस से रहा नहीं गया तो उस ने उसी समय ससुराल फोन कर के रंजना की करतूत अपनी सास सरबी देवी और ससुर राधाकृष्ण उर्फ वकील मंडल से बता दी. हकीकत जान कर मांबाप भी सिर पकड़ कर बैठ गए. वे यह सोच कर परेशान थे कि जब रंजना की सच्चाई बिरादरी वालों को पता चलेगी तो वे कौन सा मुंह दिखाएंगे. उन्होंने यह कह कर सब कुछ शंभू मंडल पर छोड़ दिया कि वह जो उचित समझे, करे.

सुबह हुई तो शंभू ने सब से पहले रंजना से बात की. बातचीत करने के बाद उस ने कुछ सोचा और रंजना से कहा कि उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है. सब पहले की ही तरह ठीक हो जाएगा. वह अपनी नौकरी पर लौट जाए और मन लगा कर काम करे. जीजा की बातें रंजना को ठीक लगीं. उस ने वैसा ही किया.

रंजना सीतामढ़ी नौकरी पर लौट आई. इस बीच विनोद ने उस से फोन कर बात करने की कोशिश की, लेकिन रंजना ने उस से बात करने से साफ मना कर दिया. इस के बाद विनोद मोबाइल में सेव शादी की तसवीरें सार्वजनिक करने की धमकी दे कर उसे मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगा.

रंजना परेशान हो गई और घर वालों को सारी बातें बता दीं. बेटी की परेशानी देख कर सबरी देवी परेशान हो गई. उस ने दामाद शंभू से जल्द से जल्द कोई उचित कदम उठाने को कहा. इस बारे में शंभू मंडल ने रंजना के मौसेरे भाई बिट्टू, जो उसी के मोहल्ले में रहता था, से बात की. बिट्टू अपने इलाके का दबंग था.

बिट्टू और शंभू मंडल ने आपस में मिल कर रंजना की राह के कांटे को जड़ से उखाड़ने की योजना बना डाली. इस योजना में उन्होंने रंजना को भी शामिल किया. क्योंकि उस के बिना योजना को अंजाम नहीं दिया जा सकता था.

29 दिसंबर, 2016 को रंजना कालेज प्रशासन को धोखे में रख कर वहां से 2 दिनों की छुट्टी ले कर घर आई कि नया साल परिवार के साथ बिता कर लौट आएगी. घर आते समय उस ने किराए का कमरा खाली कर दिया था और सारा सामान ले कर भागलपुर चली आई थी.

30 दिसंबर को मां सबरी देवी और जीजा शंभू मंडल के कहने पर रंजना ने विनोद को नए साल को सेलिब्रेट करने के लिए भागलपुर बुलाया. रंजना के बुलाने पर विनोद 1 जनवरी, 2017 को भागलपुर आ गया.

अपने यहां आने की सूचना उस ने भागलपुर में रहने वाले अपने दोस्त संजय को दे दी थी. संजय विनोद के पास आ चुका था. विनोद को अपने साथ धोखे का अहसास तब हुआ, जब उस ने रंजना की जगह उस के बहनोई शंभू मंडल और बिट्टू को देखा.

शंभू मंडल और बिट्टू उसे रंजना के घर ले जाने के लिए अपने साथ ले कर निकले. लेकिन उसे वहां न ले जा कर तिलकामांझी थाने ले गए. संजय भी उन के साथ था. पहले से आगबबूला शंभू ने रास्ते में विनोद के गाल पर 4-5 थप्पड़ जड़ दिए थे. इस के बाद वह उसे थाने ले गया था.

थानाप्रभारी तिलकामांझी से उस ने मोबाइल चुराने की शिकायत की. विनोद के दोनों हाथ नहीं थे, उसे देख कर उन्होंने मामले को भांप लिया कि यह मामला चोरी का नहीं, बल्कि कुछ और है. जब थानाप्रभारी ने इस बाबत शंभू से पूछताछ की तो उस ने साली के मोबाइल चुराने की बात कही.

थानाप्रभारी के कहने पर उस ने अपनी साली रंजना की बात उन से करा दी. रंजना ने उन्हें बताया कि विनोद ने उस का मोबाइल चुराया नहीं है, बल्कि जबरन अपने पास रख लिया है और उसे लौटा नहीं रहा है. थानाप्रभारी ने विनोद से पूछा तो उस ने इस बात को सही बताया और रंजना का मोबाइल उसे लौटा दिया. मोबाइल ले कर दोनों थाने से चले गए और विनोद भी पटना लौट गया.

5 दिनों बाद 6 जनवरी, 2017 की शाम साढ़े 5 बजे के करीब शंभू मंडल ने विनोद को फोन किया. उस ने साली का जीवन बरबाद करने की बात कह कर उसे जान से मारने की धमकी दी.

विनोद शंभू मंडल की धमकी से डर गया. इस के ठीक आधे घंटे बाद शाम 6 बजे रामजी सिंह बेटे का हालचाल लेने के लिए फोन किया. ड्यूटी कर के औफिस से विनोद कमरे पर जा रहा था. पिता का फोन रिसीव कर के वह शंभू मंडल द्वारा जान से मारने की धमकी वाली बात बता कर रोने लगा.

वह काफी आतंकित लग रहा था. बेटे का रोना सुन कर उन्होंने उसे समझाया कि रोने के बजाए वह उसी समय उन के पास (बंगाल) आ जाए या फिर वही वहां आ जाएं. इस के बाद फोन कट गया. दरअसल विनोद ने रंजना से दूसरी शादी वाली बात घर वालों से छिपा ली थी. उस की इस नई कहानी से उस के घर वाले अनजान थे.

उस के एक घंटे बाद 7 बजे के करीब विनोद ने पिता को फोन कर के बताया कि वह भागलपुर रंजना की मां सबरी देवी से मिलने जा रहा है. उस के पास रंजना के मौसेरे भाई बिट्टू का फोन आया था. वह रंजना की मां से समझौता कराने की बात कह रहा था.

यह सुन कर रामजी सिंह का माथा ठनका. उन्होंने विनोद को वहां जाने से मना किया, लेकिन विनोद ने पिता की बात नहीं मानी और भागलपुर चला गया. वह औफिस से सीधे निकला था. फोन से ही उस ने अंकित को भागलपुर जाने की जानकारी दे दी थी. इसलिए उस के पास केवल बैग ही था. उस बैग में उस के सारे सर्टिफिकेट और टिफिन था.

7 जनवरी, 2017 की दोपहर 1 बजे भागलपुर पहुंच कर उस ने रामजी सिंह को फोन कर के अपने भागलपुर पहुंच जाने की सूचना दे दी. उस ने बिट्टू का वह नंबर भी उन्हें बता दिया था, जिस नंबर से उस ने उसे फोन किया था.

विनोद ने बिट्टू को फोन कर के बता दिया था कि वह भागलपुर पहुंचने वाला है. बिट्टू शंभू मंडल के साथ स्टेशन पहुंचा. दोनों ने उसे रिसीव किया. विनोद का बैग बिट्टू ने ले लिया था. तीनों एक ही मोटरसाइकिल पर बैठ कर रंजना के घर जाने के लिए निकले. लेकिन दोनों उसे वहां न ले जा कर सीधे कलवलिया नदी के किनारे ले गए. यह देख कर विनोद डर गया.

उस की समझ में आ गया कि उस के साथ धोखा हुआ है. उस ने भाग कर जान बचाने की कोशिश की, लेकिन उन के चंगुल से बच नहीं सका. शंभू और बिट्टू ने मिल कर उसे जमीन पर गिरा दिया. बिट्टू ने उस के दोनों पैर कस कर पकड़ लिए, जबकि मजबूत जिस्म वाला शंभू मंडल हाथों से विनोद के मुंह को तब तक दबाए रहा, जब तक उस का जिस्म ढीला नहीं पड़ गया.

अपनी संतुष्टि के लिए दोनों ने विनोद कुमार सिंह को हिलाडुला कर देखा. उस के जिस्म में कोई हरकत नहीं हुई. उस की लाश पहचानी न जा सके, इस के लिए शंभू मंडल ने साथ लाया तेजाब उस के चेहरे पर उड़ेल दिया और लाश को झाड़ी में फेंक दिया.

विनोद का सारा सामान उन्होंने नदी में डाल दिया और मोटरसाइकिल से अपने घर लौट गए. विनोद की हत्या की जानकारी उस ने सास सबरी देवी को दे दी थी. बेटी के रास्ते का कांटा साफ होने की खबर पा कर वह खुश थी. यह बात उस ने रंजना को नहीं बताई थी.

दूसरी ओर रामजी सिंह ने बेटे से बात करने के लिए शाम को जब उस के मोबाइल पर फोन किया तो उस के दोनों फोन बंद मिले. उन्होंने कई बार फोन किया, लेकिन हर बार उस का फोन बंद मिला तो वह घबरा गए.

2 दिनों बाद बेटे का पता लगाने वह पश्चिम बंगाल से पटना पहुंचे. उन्हें बेटे का कोई पता नहीं चला तो उन्होंने सचिवालय थाने में उस के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस हरकत में आई तो 17 दिनों से गायब विनोद की लाश भागलपुर में मिली.

नदी के किनारे झाड़ी के पास खेलते बच्चों की टोली ने सड़ीगली लाश देखी थी और शोर मचा दिया था. इस तरह मामला लोदीपुर थाने तक पहुंच गया.

23 जनवरी, 2017 को विनोद कुमार सिंह हत्याकांड के 4 आरोपी रंजना कुमारी, उस की मां सबरी देवी, पिता राधाकृष्ण उर्फ वकील और शंभू मंडल थाना लोदीपुर पुलिस की मदद से गिरफ्तार कर लिए गए. पांचवां आरोपी बिट्टू फरार था.

पूछताछ में शंभू मंडल ने पुलिस को बता दिया था कि विनोद का सारा सामान और मोबाइल उस ने नदी में फेंक दिया था. उस के बताए अनुसार पुलिस शंभू मंडल को भागलपुर ले गई, वहां विनोद के सामान की खोजबीन की, लेकिन उस का कोई सामान नदी से नहीं मिला.

पूछताछ के बाद चारों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. चारों आरोपी जेल में बंद हैं. सचिवालय पुलिस ने बाद में इस मुकदमे को अपहरण की धाराओं से हत्या की धाराओं में बदल दिया था.

कथा मृतक के परिजनों और पुलिस सूत्रों पर आधारित

शादी का झांसा देने वाला फरजी सीबीआई अधिकारी – भाग 3

समीर को पता नहीं कैसे भनक लग गई कि उस की पोल खुल गई है. वह अपना बैग ले कर घर से भागने की फिराक में था, तभी जेबा ने कहा, ‘‘समीर, हमें तुम्हारी असलियत का पता चल गया है. अब मैं तुम्हें पुलिस के हवाले करूंगी, जिस से तुम्हारी जिंदगी जेल में कटेगी.’’

समीर डर गया. उस ने कहा, ‘‘अगर तुम लोगों ने मेरी शिकायत पुलिस में की तो मैं तुम सभी को जान से मार दूंगा.’’

लेकिन उस की इस धमकी से न जेबा डरी और न उस के मम्मीपापा. याकूब मंसूरी ने अपने दोस्तों की मदद से समीर को पकड़ लिया और थाना अशोका गार्डन ले गए, जहां वह खुद को पुलिस अधिकारी होने का भरोसा दिलाता रहा और वादा करता रहा कि जेबा से ही शादी करेगा.

लेकिन शादी का झांसा दे कर शारीरिक शोषण करने के साथ लाखों रुपए ऐंठने वाले समीर की असलियत जेबा को पता चल गई थी, इसलिए उस ने उस की किसी बात पर भरोसा नहीं किया. मामले की नजाकत को भांपते हुए अशोका गार्डन पुलिस ने समीर को तुरंत हिरासत में ले लिया.

समीर को हिरासत में लेने के बाद पुलिस ने याकूब मंसूरी के घर में रखे उस के बैग को कब्जे में ले कर तलाशी ली तो उस में से राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सीबीआई सहित कई संस्थानों की फरजी मोहरें मिलीं. यही नहीं, उस के पास से डीआईजी रैंक के पुलिस अधिकारी की वरदी भी मिली. समीर ने एक गलती यह की थी कि उस ने जो वरदी खरीदी थी, वह डीआईजी रैंक के पुलिस अधिकारी की थी. 3 स्टार और अशोक चक्र लगी वरदी को पुलिस ने कब्जे में ले लिया था. पूछताछ में उस ने बताया कि यह वरदी उस ने बिहार के भागलपुर से खरीदी थी.

शातिर दिमाग है ठग समीर खान

एएसपी हितेश चौहान के अनुसार, समीर अनवर खान बहुत ही शातिर दिमाग था. उस ने बड़ी चालाकी से शादी डाटकौम पर अपनी प्रोफाइल बना कर जेबा मंसूरी जैसी पढ़ीलिखी लड़की को अपने जाल में फांस लिया था. बाद में पता चला कि उस ने ऐसा ही कारनामा पंजाब में किया था. मध्य प्रदेश पुलिस ने पंजाब पुलिस से जानकारी हासिल की तो पता चला कि ऐसे ही मामले में वह वहां भी गिरफ्तार किया गया था. जमानत पर रिहा होने के बाद वह फरार हो गया था.

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ के अनुसार, समीर मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला वाराणसी का रहने वाला था. उस ने दिखावे के लिए एमटेक में अप्लाई कर रखा था. उस के पिता मुंबई में झुग्गीझोपड़ी में रहते थे और फेरी में कपड़े बेच कर गुजरबसर करते थे. उस ने जेबा से बताया था कि वाराणसी में उस की तमाम जमीनजायदाद है, लेकिन यह सब झूठ था.

मजे की बात यह थी कि उस ने पंजाब में जो धोखाधड़ी की थी, उस में उस ने 40-50 लाख रुपए की चपत लगाई थी. लेकिन कहीं से भी नहीं लगता था कि इतना पैसा उस के पास होगा.

थाना अशोका गार्डन पुलिस ने समीर के खिलाफ भादंवि की धारा 170, 419, 420, 471, 472, 473, 376 और 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया था. कथा लिखे जाने तक समीर पुलिस रिमांड पर था. पुलिस उस से कई पहलुओं पर पूछताछ कर रही थी. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में समीर ने जो बताया है, उस से जाहिर होता है कि वह छोटामोटा अपराधी नहीं है.

होटल प्रबंधन को भी लगाया लाखों का चूना

समीर कितना शातिरदिमाग है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह भोपाल के सब से मशहूर होटल नूरउससबा में 2 नवंबर, 2017  से 23 नवंबर, 2017 तक लड़की के साथ रुका रहा, लेकिन होटल प्रबंधन को उस की कारगुजारियों की तनिक भी भनक नहीं लगी. वह इतने बड़े होटल को लाखों का चूना लगा कर रफूचक्कर हो गया था.

अच्छा हुआ कि वक्त रहते जेबा मंसूरी को उस पर शक हो गया, वरना हाथ से निकलने के बाद फिर शायद ही कभी वह चंगुल में फंसता. नूरउससबा पैलेस होटल में 20 दिनों से ज्यादा रहने के बाद भी वह पैसे दिए बिना  वहां से फरार हो गया था. होटल प्रबंधन के बताए अनुसार, 2 नवंबर से 23 नवंबर, 2017 तक होटल में रहने और खानेपीने का बिल 2 लाख 15 हजार 311 रुपए बना था.

समीर ने चालाकी से काम लेते हुए होटल प्रबंधन को भरोसे में लेने के लिए 20 हजार रुपए एडवांस जमा करा दिए थे. उसे वहां 24 नवंबर तक रुकना था, लेकिन एक दिन पहले ही वह अपना बोरियाबिस्तर समेट कर वहां से चलता बना.

पंजाब में आईएएस बन कर कर चुका है फरजीवाड़ा

समीर के बताए अनुसार, उस ने पंजाब के कपूरथला में भी एक बीएससी की छात्रा के साथ जालसाजी की थी. वहां भी उस ने कुछ ऐसी ही कहानी गढ़ी थी. उस ने वहां बताया था कि उस का सिलेक्शन आईएएस में हो गया है. इस तरह उस के बहकावे में आ कर उस लड़की ने समीर से सन 2016 में निकाह कर लिया था. वहां उस ने अपना नाम शमशेर बताया था.

जब फरजी आईएएस का झूठ सामने आया तो कपूरथला के थाना फगवाड़ा पुलिस ने जनवरी, 2016 में शमशेर के खिलाफ धोखाधड़ी, दहेज अधिनियम और धमकाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर के उसे गिरफ्तार कर लिया था. शमशेर उर्फ समीर वहां 2 महीने तक जेल में बंद रहा. उस की दादी ने जमानत कराई तो जेल से बाहर आते ही वह फरार हो गया.

अब देखना यह है कि मध्य प्रदेश के साथसाथ पंजाब पुलिस समीर उर्फ शमशेर को धोखाधड़ी, पैसे ऐंठने, शारीरिक शोषण और फरजी पदों का गलत इस्तेमाल करने के अपराध में कितनी सजा दिलवा सकती है. पुलिस यह भी पता कर रही है कि यह काम समीर अकेला ही करता था या उस के साथ और कोई भी था.

अनोखा चोर : इंसान को बनाया हथियार

अरुण कुमार हरदेनिया

सतना जिले के थाना बदेरा की सीमा पर बसे भगनपुर गांव में काफी शोरगुल से भरी सुबह थी. दरअसल, उस रात गांव में एक साथ 3 घरों के ताले तोड़ कर चोर लाखों का माल समेट कर ले गए थे.

शोर इन चोरियों का तो था ही, लेकिन उसी रात घटी एक दूसरी घटना के शोर की आवाज प्रदेश के पुलिस मुख्यालय तक पहुंच गई. वह घटना थी चौथे घर से एक किशोरी के गायब होने की.

वास्तव में सुबह 3 घरों में चोरी का हल्ला होने के बाद यह बात सामने आई कि किसी ने उस रात एक और घर में धावा बोला था लेकिन वहां से चोरों ने रुपयापैसा तो नहीं, जयकुमार की 13 वर्षीय बेटी श्यामली का ही अपहरण कर लिया था.

इसलिए घटना पर आश्चर्य के साथ गांव की मासूम बेटी के अपहरण हो जाने से लोगों में गुस्सा भी कम नहीं था. यह बात 12 जुलाई, 2022 की है.

घटना की खबर पा कर बदेरा थाने की एसएचओ राजश्री रोहित दलबल के साथ मौके पर पहुंच चुकी थीं. उन्होंने किशोरी के अपहरण होने की जानकारी एसपी (सतना) आशुतोष गुप्ता और एसडीपीओ लोकेश डाबर को दे दी.

चुनावी व्यस्तता के बीच एसपी और  एसडीपीओ भी भगनपुर पहुंच गए और पीडि़त परिवार से मिल कर उन्होंने घटना की पूरी जानकारी ली.

एसपी आशुतोष गुप्ता ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएचओ को जल्द ही काररवाई करते हुए बालिका को तलाश करने के निर्देश दिए. उन्होंने साइबर सेल के प्रभारी अजित सिंह सेंगर को भी इस केस की जांच में लगा दिया.

इस के अलावा एसपी आशुतोष गुप्ता ने मैहर से भी अतिरिक्त रिजर्व पुलिस फोर्स बुला ली. फिर पुलिस टीमें चोरी गई किशोरी की तलाश भदनपुर पहाड़, भदनपुर माइंस और गांव से लगे जंगल में करने लगीं. लेकिन श्यामली का पता नहीं चला.

पुलिस को जांच में पता चला कि जयकुमार की गांव के कुछ लोगों से कहासुनी हो गई थी. पुलिस ने इस ऐंगल पर भी जांच की.

गांव के 100 से ज्यादा लोगों से गहन पूछताछ की गई. लेकिन इस कवायद में किशोरी का कोई सुराग न मिलने पर गांव वालों का भी पुलिस के प्रति आक्रोश बढ़ने लगा. तब आसपास के जिलों की पुलिस भी किशोरी की तलाश में जुट गई.

दरअसल, एसपी आशुतोष गुप्ता जानते थे कि चोरों ने किशोरी को किसी गोपनीय जगह पर छिपा कर रखा होगा. किसी और सामान की चोरी होती तो पुलिस इंतजार भी कर सकती थी, लेकिन यह तो एक किशोरी की जान बचाने की बात थी.

यह फिरौती का मामला तो नहीं लग रहा था, क्योंकि जयकुमार के पास फिरौती का कोई फोन भी नहीं आया था. एसपी खुद पुलिस टीमों से संपर्क कर पलपल की खबर ले रहे थे. अलगअलग इलाकों में जा कर पुलिस टीमें अपहर्त्ताओं और किशोरी की तलाश में जुटी हुई थीं.

पुलिस बदमाशों पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रही थी, जो 2 दिन बाद 14 जुलाई की सुबह उस वक्त सफल हो गई, जब अपहृत किशोरी श्यामली अचानक ही एक आटोरिक्शा में सवार हो कर भगनपुर बसस्टैंड पहुंच गई.

श्यामली के खुद वापस आने की खबर सुन कर सीएसपी श्री चौहान ने राहत की सांस ली. उन्होंने इस की सूचना एसपी आशुतोष गुप्ता को दे दी. उन के निर्देशानुसार उन्होंने पूरी ऐहतियात बरतते हुए पहले श्यामली की काउंसलिंग कराई. वह बहुत डरी और सहमी हुई थी.

श्यामली के सामान्य होने पर पुलिस ने पहले तो उस का भरोसा जीता फिर दोस्ताना माहौल में उस से पूछताछ की. इस में वह ज्यादा कुछ नहीं बता सकी, सिवाय इस के कि उसे जो आदमी उठा कर ले गया था, उस का नाम संतोष था. यह नाम उस ने तब सुना था, जब उस का एक दोस्त उसे इस नाम से पुकार रहा था.

केवल नाम से आरोपी तक पहुंचना आसान नहीं था, क्योंकि जिले भर में इस नाम के सैकड़ों लोग हो सकते थे.

आरोपी की तलाश को मुश्किल देख कर एसपी ने टीम को बैकट्रेस तकनीक पर काम करने के निर्देश दिए. बैकट्रेस तकनीक वह होती है, जिस में पुलिस घटना के अंतिम बिंदु से पीछे की तरफ बढ़ कर आरोपियों तक पहुंचने का रास्ता बनाती है.

इस मामले में अंतिम बिंदु वह था, जब आटो वाले ने श्यामली को भगनपुर बस स्टैंड पर उतारा था. इसलिए पीछे की तरफ चल कर आगे बढ़ने के लिए पुलिस ने पहले उस आटो वाले की तलाश की, जिस से श्यामली बस स्टैंड तक आई थी.

काफी प्रयास के बाद पुलिस ने उस आटो वाले को खोज कर जब उस से इस लड़की के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह इस किशोरी को मैहर से ले कर आया था, जहां यह किसी बस से उतरी थी.

यह जानकारी मिलने पर पुलिस ने आटो के बाद उस बस की तलाश शुरू की, जिस में बैठ कर किशोरी मैहर तक आई थी.

मां शारदा के इकलौते मंदिर के लिए पूरे देश में विख्यात मैहर के लिए सैकड़ों बसें रोज सवारी ले कर आती हैं. लेकिन पुलिस कमर कस कर काम कर रही थी, इसलिए एकएक बस ड्राइवर और कंडक्टर से पूछताछ की गई.

पुलिस की मेहनत रंग लाई और उसे वह बस भी मिल ही गई, जिस से किशोरी मैहर पहुंची थी. उस बस के कंडक्टर ने बताया कि मैहर से पहले झुकेही के पास एक लाल मोटरसाइकल पर सवार 2 युवकों ने इस बालिका को बस में मैहर के लिए बैठाया था.

इतना पता चलने पर पुलिस ने वापस किशोरी से पूछताछ कर यह जानकारी जुटाई कि दोनों युवक उसे मोटरसाइकल पर बैठा कर कितनी देर में उस सड़क तक ले कर आए थे, जहां से उसे बस में बैठाया गया. इस पर श्यामली ने कहा कि लगभग 10-15 मिनट का समय लगा था.

एसपी आशुतोष ने अनुमान लगाया कि किशोरी को झुकेही के आसपास 10-12 किलोमीटर के इलाके के किसी घर में रखा गया होगा. इसलिए पुलिस टीम किशोरी को ले कर झुकेही के आसपास के इलाकों की बस्ती में घूमने लगी. जहां एक जगह श्यामली ने उस घर की पहचान कर ली, जहां उसे एक रात रखा गया था.

पुलिस ने इस घर में रहने वालों की जानकारी जुटाई तो पता चला कि वह घर राकेश का है.

पुलिस ने राकेश वर्मन और उस की पत्नी अनीता वर्मन से पूछताछ की तो उन दोनों ने बताया कि वह श्यामली को जानते तक नहीं हैं. वह उन के यहां इस से पहले कभी नहीं आई और न ही उसे कभी देखा.

उन दोनों की बातों से पुलिस को लग रहा था कि वे झूठ बोल रहे हैं, इसलिए दोनों को थाने ले आई. इसी बीच पुलिस को मुखबिरों से पता चला कि 2 दिन पहले राकेश का साला संतोष वर्मन राकेश के घर आया था. इस से पुलिस समझ गई कि पीछे चल कर आगे बढ़ने की उन की योजना कामयाब हो चुकी है.

राकेश और अनीता से पूछताछ के बाद पुलिस ने संतोष को कटनी जिले के खम्हरिया गांव में स्थित उस की ससुराल से हिरासत में ले लिया.

संतोष वर्मन ने अपना अपराध न सिर्फ स्वीकार कर लिया, बल्कि इस अपराध में शामिल 5 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया. जिस के बाद श्यामली के अपहरण पूरी कहानी इस तरह से सामने आई—

संतोष वर्मन ने पुलिस को बताया कि श्यामली के अपहरण की उसकी कोई पूर्व योजना नहीं थी. वह श्यामली के घर में भी रुपयापैसा चुराने की नीयत से दाखिल हुआ था.

लेकिन घर में माल न मिलने पर खाली हाथ लौटते समय उस की नजर अचानक ही अपनी बहन के साथ गहरी नींद सो रही श्यामली पर पड़ी तो वह उस के भोले सौंदर्य पर मोहित हो गया. जिस से वह गहरी नींद में सो रही श्यामली को गलत मंशा से कंधे पर उठा लाया.

उस की योजना श्यामली के संग एक बार सैक्स संबंध बना कर उसे जंगल में छोड़ कर आगे निकल जाने की थी, इसलिए उस ने कुछ दूर जंगल में ले जा कर उस के संग बलात्कार किया.

मगर एक बार में उस का मन नहीं भरने पर वह श्यामली को बाइक पर बैठा कर कटनी में रहने वाले अपने दोस्त अजय निषाद के घर ले गया. यहां दिन के उजाले में संतोष ने श्यामली को देखा तो उसे हमेशा अपने साथ रखने का मन बना लिया.

इसलिए वह श्यामली को खुश कर उस का दिल जीतना चाहता था. इस के लिए संतोष श्यामली को बाजार ले गया, जहां उस के लिए कुछ कपड़े और चप्पल खरीद कर दिए. खरीदारी कराने के बाद उस ने धमकाने के अंदाज में श्यामली को समझाया कि वह अपने साथ घटी इस घटना के बारे में किसी से न बताए.

मासूम श्यामली तो वैसे ही डरी हुई थी, इसलिए संतोष की बात पर वह चुपचाप सिर हिलाती रही.

अगले दिन संतोष उसे बाइक पर बैठा कर कटनी जिले के कठिला में रहने वाली अपने बहन अनीता  के घर ले गया. इस दौरान बीच में पड़ने वाले जंगल में संतोष ने एक बार फिर श्यामली को डराधमका कर उस के साथ अपनी हवस बुझाई.

बहन के घर आ कर संतोष एक रात रुका. इसी बीच उसे पता चला कि अकेले सतना की ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों की पुलिस श्यामली की जोरशोर से तलाश कर रही है तो वह समझ गया कि उस का बचना अब मुश्किल है.

लेकिन फिर उसे लगा कि अगर किसी तरह से श्यामली वापस घर पहुंच जाए तो पुलिस इस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल देगी.

इसलिए दूसरे दिन सुबह होते ही वह अपने भांजे रंजीत के साथ बाइक पर श्यामली को ले कर झुकेही आया और उसे भगनपुर जाने की पूरी बात समझा कर पैसा दे कर बस में बैठा दिया.

श्यामली संतोष के बताए अनुसार बस से मैहर उतरी और वहां से आटोरिक्शा में बैठ कर भगनपुर पहुंच गई. जिस के बाद पुलिस ने बैकट्रेस तकनीक पर काम करते हुए केवल नाम के सहारे आरोपी को खोज कर मुख्य आरोपी संतोष से जुड़े लोगों को पकड़ना शुरू कर दिया.

इस की भनक लगने पर पुलिस से बचने के लिए संतोष वर्मन भूमिगत हो गया, मगर पुलिस ने उसे उस की ससुराल में दबिश दे कर गिरफ्तार कर लिया.

इस के बाद संतोष के कटनी निवासी दोस्त अजय निषाद को भी गिरफ्तार कर लिया. जबकि संतोष के बहनोई राकेश वर्मन, बहन अनीता वर्मन और भांजे रंजीत वर्मन को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी थी.

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ बदेरा थाने में आईपीसी की धारा 363, 365, 368, 457, 380, 376 (2) (एन), 376 (ए) (ब), 506 एवं पोक्सो एक्ट की धारा 5/6 एवं एससी/एसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कर न्यायालय में पेश किया, जहां से सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया.   द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में जयकुमार और श्यामली परिवर्तित नाम हैं

ट्रॉली बेग में सिमटा आयुषि का प्यार – भाग 4

देवरिया से बनवाया था रिवौल्वर का लाइसेंस

नितेश यादव ने जिस रिवौल्वर से गोली मार कर बेटी की हत्या की थी, उस का लाइसैंस साल 2003 में अपने नाम देवरिया से बनवाया था. यह लाइसैंस आल इंडिया के लिए मान्य था. उस समय नितेश लगभग 25 साल का था.

बेटी की गोली मार कर हत्या करने वाले नितेश यादव का उस के मोहल्ले में खौफ बना हुआ था. वह पूरे इलाके में खुद को पुलिसकर्मी बताते हुए लोगों पर रौब जमाता और मनमानी करता था. मोलड़बंद इलाके में जहां नितेश रहता है, वहां उस के 6 घर हैं. यहां एक घर में नितेश पूरे परिवार के साथ रहता है.

ग्राउंड फ्लोर पर उस के बुजुर्ग मातापिता रहते थे. वहीं पहली मंजिल पर नितेश अपनी पत्नी, बेटी व बेटे के साथ रहता था. इसी मोहल्ले में नितेश के चाचा का भी मकान है.

उस के पड़ोसियों ने बताया कि उस के मिलने वाले मोहल्ले के घरों के सामने अपनी गाडि़यां खड़ी कर देते थे. विरोध करने पर वह रिवौल्वर दिखा कर लोगों को धमकाता था कि वह पुलिस में है, कोई उस से उलझा तो गोली मार देगा.

नितेश के पिता गामा प्रसाद यादव गुरुग्राम में इंजीनियर थे. जब यहां जमीन के भाव कम थे तो उन्होंने 6 प्लौट खरीद लिए. एक पर अपना मकान बना कर वह परिवार के साथ रहने लगे. शेष 5 प्लौट्स पर नितेश ने मकान बनवाए और किराए पर उठा दिए.

नितेश के अपने पिता से भी अच्छे संबंध नहीं थे. उस की हरकतों से आजिज आ कर उन्होंने अपने मकान अपनी बेटी के नाम करने की धमकी दी. इस पर वह आगबबूला हो गया और पिता के साथ भी मारपीट कर डाली. मोहल्ले के लोग बीचबचाव करने पहुंचे तो नितेश ने उन्हें भी धमकी दी कि हमारे घरेलू मामले में दखल देने की जरूरत नहीं है.

आयुषि ने दबाव बनाने के लिए खुद को बताया प्रैग्नेंट

22 साल की आयुषि ने अपनी मरजी से दूसरी जाति के युवक से शादी करने के बाद अपने मातापिता पर दबाब बनाने का प्रयास किया. क्योंकि मातापिता आयुषि को छत्रपाल से बात करने व मिलने से मना करते थे.

घटना वाले दिन जब उस का अपनी मां से झगड़ा हुआ, तब उस ने घर वालों पर दबाव बनाने के लिए कहा कि वह प्रैग्नेंट है. स्वयं को गर्भवती बताना ही उसे भारी पड़ा. इस बात को सुन कर नितेश अपने गुस्से को नहीं रोक सका और बेटी को गोली मार दी. जबकि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से पता चला कि आयुषि प्रैग्नेंट नहीं थी.

नितेश को अपने पिता गामा प्रसाद से दिल्ली व उस के आसपास खासी पैतृक संपत्ति मिली थी. जिस के बाद उस ने स्वयं भी जमीन आदि का कारोबार कर लिया. वह एक दुकान भी करता था.

नितेश कुमार यादव मूलरूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के गांव सुनारी का रहने वाला है. अपनी बेटी आयुषि की हत्या करने के बाद 18 नवंबर को उस के शव को देवरिया ले जा कर फूंकने की योजना थी.

पुलिस पूछताछ के दौरान अपनी योजना के बारे में उस ने बताया कि तड़के घर से देवरिया के लिए निकले थे. दंपति की योजना थी कि गांव जा कर बता देंगे कि बेटी का ऐक्सीडेंट हो गया था. दिन निकल आने और चैकिंग के डर से मथुरा में एक्सप्रैसवे की सर्विस रोड पर झाडि़यों में ट्रौली बैग को फेंक कर वापस चले गए.

आयुषि की हत्या के बाद दिल्ली के मोलड़बंद स्थित मकान से पुलिस और फोरैंसिक टीम द्वारा मृतका के खून के सैंपल के अलावा कपड़े, ट्रौली बैग, पोंछा जिस से फर्श का खून साफ किया गया था आदि सैंपलों को एकत्र किया गया. इन सैंपलों को राया पुलिस ने जांच के लिए एफएसएल लखनऊ भेज दिया गया.

इस के साथ ही पुलिस ने सबूत के तौर पर कार फोर्ड फिस्टा, आयुषि का मोबाइल फोन, नितेश का लाइसैंसी रिवौल्वर, उस का लाइसैंस तथा आयुषि की शादी का प्रमाणपत्र बरामद किया.

आरोपी पिता ने कार और रिवौल्वर को दिल्ली ले जा कर यमुना किनारे अधबने एक मकान में छिपा दिया था. जिस रिवौल्वर से गोली मारी थी, उस के लाइसैंस को पड़ोसी छोटेलाल यादव के घर में छिपा दिया था ताकि किसी को जानकारी न हो सके.

आयुषि की हत्या में प्रयोग की गई नितेश की रिवौल्वर और बुलेट को बैलिस्टिक जांच के लिए आगरा की विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेज दी. सीसीटीवी फुटेज के साथ ही मोलड़बंद स्थित घर व कार की फोरैंसिक रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है. ताकि उसे न्यायालय में सबूत के रूप में प्रस्तुत किया जा सके.

पुलिस आयुषि के मोबाइल की भी जांच कर रही है. वह छत्रपाल के अलावा और किसकिस से बात करती थी? कौनकौन उस के संपर्क में था?

पुलिस काल डिटेल भी खंगाल रही है. जिस समय आयुषि की हत्या हुई, उस का मोबाइल फोन कहां था? जब मांबाप उस के शव को ठिकाने लगाने के लिए निकले, तब उन के मोबाइल की लोकेशन कहां थी? कोर्ट में पुलिस इसे भी साक्ष्य के रूप में उपयोग करेगी.

20 नवंबर, 2022 को नितेश व ब्रजबाला को हिरासत में लिया गया था. इस के बाद 21 नवंबर को पुलिस ने इस हत्याकांड का परदाफाश कर दिया. पुलिस ने खुलासे के लिए लगभग 100 पुलिसकर्मियों की कुल 14 टीमें लगाईं व 300 सीसीटीवी कैमरे खंगाले.

बेटे आयुष की हत्याकांड में कोई भूमिका न पाए जाने पर उसे घर छोड़ दिया. 22 नवंबर, 2022 को पूर्वाह्न 11 बजे नितेश के पिता गामा प्रसाद यादव, आयुष व अन्य रिश्तेदारों के साथ राया थाने पहुंच गए थे.

उन्होंने नितेश से कोई बात नहीं की. वे रोते रहे, जबकि आयुष ने अपने मातापिता से बातचीत की. दोपहर बाद दोनों को एसीजेएम रमेश सिंह की अदालत में पेश किया गया. कोर्ट ने दोनों को 14 दिन की न्यायायिक अभिरक्षा में भेज दिया.

छत्रपाल से पूछताछ के लिए पुलिस ने मोबाइल से संपर्क किया, पर उस से बात नहीं हो सकी. पुलिस का कहना है कि उसे पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा.

बीसीए की छात्रा आयुषि के हत्यारोपी मां और पिता को कड़ी सजा मिल सके, इस के लिए राया पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.

हत्याकांड के 27 गवाहों को पुलिस ने केस को मजबूत बनाने के तैयार कर लिया. शीघ्र ही पुलिस गवाहों के बयान दर्ज कर और तथ्य जुटा कर इस सनसनीखेज हत्याकांड में चार्जशीट दाखिल करेगी.

नितेश के चेहरे पर नहीं थी शिकन

बेटी आयुषि की हत्या करने वाले पिता नितेश यादव को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचने के बाद कोई बेचैनी नहीं थी. बेटी को खोने के बाद भी उस के चेहरे पर शिकन व पछतावे का कोई भाव नहीं था. न आयुषि की हत्या का कोई अफसोस था.

जेल अधिकारियों ने नितेश को मुलाहिजा बैरक में जबकि मां ब्रजबाला को महिला बंदी बैरक में रखा. मामला संवेदनशील होने के कारण जेल अधिकारी सतर्क रहे. जेल में दोनों ने ही खाना खाया.

मातापिता के लाड़प्यार में पलीबढ़ी आयुषि को इतना प्यार मिला कि वह उम्र के एक पड़ाव पर जा कर दूसरी जाति के युवक के प्यार के बंधन में बंध गई. जिसे घर वालों ने स्वीकार नहीं किया. मौडर्न कल्चर को अपना कर बीसीए की छात्रा आयुषि ने छत्रपाल गुर्जर से शादी तक कर ली. यह बात मातापिता को नागवार गुजरी. मां ने भी दुलराया पर आयुषि नहीं मानी. अब परिवार की बरबादी का आखिरी मंजर सब के सामने है.

सनसनीखेज आयुषि हत्याकांड के परदाफाश में त्वरित काररवाई पर एसपी (सिटी) मार्तंड प्रकाश सिंह को डीजीपी डी.एस. चौहान ने पुलिस महानिदेशक प्रशंसा चिह्न गोल्ड मेडल स्वीकृत किया गया है. खुलासे में जुटी राया पुलिस और स्वाट टीम को भी पुरस्कृत करने की घोषणा की.      द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधार