आरजू को अपनी स्विफ्ट डिजायर कार में बिठा कर नवीन करोलबाग, धौलाकुआं, ङ्क्षरगरोड से मुनीरका होते हुए देवली गांव पहुंचा. वहां पर नवीन की बुआ रहती हैं. कार को सडक़ पर खड़ी कर के वह अकेला ही बुआ के यहां कार्ड देने गया. आरजू बारबार उस से यही कह रही थी कि तुम शादी के कार्ड बांट तो रहे हो, लेकिन मैं यह शादी होने नहीं दूंगी. नवीन ने तो कुछ और ही सोच रखा था, इसलिए उस की धमकी को उस ने गंभीरता से नहीं लिया.
साढ़े 12 बजे वह देवली से निकला. दोपहर तक उसे अपनी बहन के घर पहुंचना था. साढ़े 12 बजे उसे देवली में ही बज गए. बहन के यहां पहुंचने में उसे 2 घंटे और लगने थे, इसलिए वह कार को तेजी से चलाते हुए सैनिक फार्म, साकेत, महरौली होते हुए वसंतकुंज पहुंचा. वहां बाजार में बीकानेर की दुकान पर उस ने आरजू को गोलगप्पे खिलाए. सवा 2 बजे वह बहन के गांव के लिए निकला. इस बीच आरजू शादी की बात को ले कर उस से बहस करती रही.
नांगल देवत गांव से पहले केंद्रीय विद्यालय के पास सुनसान सडक़ पर उस ने कार रोक दी. आरजू उसे बारबार धमकी दे रही थी. नवीन बेहद गुस्से में था. उस ने आरजू के गले में पड़ी चुन्नी के दोनों सिरे पकड़ कर कस दिए. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई. गला दबाते समय आरजू की नाक और मुंह से थोड़ा खून तो निकला ही, उस का यूरिन भी निकल गया था.
आरजू के मरते ही नवीन के हाथपैर फूल गए. नाक व मुंह से निकले खून को आरजू के बैग से पोंछा. आरजू के पास 2 मोबाइल फोन थे. उस ने दोनों के सिमकार्ड निकाल लिए. इस के बाद उस की लाश कार की डिक्की में डाल दी. कार की अगली सीट पर निकले उस के यूरिन को उस ने पहले अखबार से, फिर बोतल के पानी से साफ किया.
बहन के यहां पहुंचने में उसे देर हो चुकी थी. वह बहन के यहां पहुंचा तो बहन अपने दोनों बच्चों के साथ तैयार बैठी थी. फटाफट उन्हें गाड़ी में बिठा कर अपने घर ले आया. हत्या करने के बाद भी वह बहन से सामान्य रूप से बातें करता आया था. चूंकि कार में लाश थी, इसलिए उस ने उस की चाबी अपने पास ही रखी. उस के दिमाग में एक ही बात घूम रही थी कि वह लाश को ठिकाने कहां और कैसे लगाए.
नवीन का जो मकान बना हुआ था, उस के ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग है. पहली मंजिल पर वह खुद रहता है. दूसरी मंजिल पर उस के मातापिता और दादी रहती हैं और तीसरे फ्लोर पर उस का बड़ा भाई संदीप पत्नी के साथ रहता है.
2 फरवरी को नवीन की शादी का दहेज का सामान आ गया था. वह सारा सामान ग्राउंड फ्लोर पर ही रखा हुआ था. 5 फरवरी को उस की बारात जानी थी. घर वालों ने रात को दहेज का सामान के कमरे में सेट कर दिया था. इस के बाद सभी अपनेअपने कमरों में जा कर सो गए. लेकिन नवीन को नींद नहीं आ रही थी. वह लाश को ठिकाने लगाने के बारे में ही सोच रहा था.
उस के मकान की रसोई और अन्य कमरों की वेंटिलेशन के लिए कुछ जगह खाली छोड़ी गई थी. इसे वे शाफ्ट कहते थे. लाश छिपाने के लिए नवीन को वही जगह उपयुक्त लगी. सुबह करीब 5 बजे नवीन उठा और अपनी कार की डिक्की से आरजू की लाश निकाल कर शाफ्ट में डाल दी. लाश के ऊपर उस एक पौलीथिन डाल दी. शाफ्ट में एग्जास्ट फैन लगा था. उस की हवा से कहीं पौलीथिन लाश से हट न जाए, उस के ऊपर घर में पड़ा टूटा कांच डाल दिया. अपने ही घर में लाश को ठिकाने लगा कर नवीन को थोड़ी तसल्ली हुई. अगले दिन वह आरजू का पौकेट पर्स, मोबाइल फोन हैदरपुर बाईपास के नजदीक गहरे नाले में फेंक आया.
उधर आरजू के मांबाप को जब पता चला कि 2 फरवरी को उन की बेटी नवीन के ही साथ गई थी तो कविता चौहान ने नवीन के भाई संदीप से बात की. कविता के दबाव पर संदीप और उस के पिता ने नवीन से बात की तो उस ने बताया कि उस ने आरजू की हत्या कर दी है और उस की लाश को जंगल में फेंक आया है. उस ने यह नहीं बताया कि लाश घर के शाफ्ट में रखी है.
कार में हत्या का सबूत न रह जाए, इस के लिए उस की धुलाई होनी जरूरी थी. दिल्ली के पीतमपुरा गांव में नवीन के रिश्ते के मामा कृष्ण रहते थे. संदीप ने फोन कर के आरजू की हत्या करने वाली बात उन्हें बताई तो उन्होंने तसल्ली दी कि चिंता न करें, आगे का काम वह देख लेगा.
5 फरवरी को नवीन के भात भरने की रस्म पूरी करने के लिए कृष्ण राजपुरा गांव पहुंचा तो वह अपने साथ अपने गांव ही के नवीन को भी साथ लाया था, वह उन का नजदीकी था. भात भरने की रस्म के बाद कृष्ण और नवीन उस की स्विफ्ट डिजायर कार पीतमपुरा ले गए. इसी चक्कर में वे उस की बारात तक नहीं गए. पीतमपुरा में उन्होंने कार की अंदरबाहर अच्छी तरह सफाई करा दी. 6 फरवरी को कार संदीप के घर पहुंचा दी.
शाफ्ट में रखी लाश की बदबू घर में फैलने लगी तो नवीन थोड़ीथोड़ी देर में परफ्यूम छिडक़ देता था. परफ्यूम की बोतल खत्म हो गई तो वह बाजार से तेज सुगंध वाले परफ्यूम की 2 दरजन बोतलें खरीद लाया, जिन में से वह 17 बोतलें छिडक़ चुका था. मेहमान और घर वाले यही समझ रहे थे कि नवीन यह सब शादी की खुशी में कर रहा है. सच्चाई तो तब सामने आई, जब पुलिस ने घर से आरजू की लाश बरामद की.
नवीन खत्री ने अपनी नईनवेली दुलहन के साथ हनीमून के लिए गोवा जाने का प्रोग्राम बनाया था. उस की 6 फरवरी की शाम को दिल्ली से गोवा की फ्लाइट थी. लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही उस की फ्लाइट चली गई तो निराश हो कर वह घर लौट आया. इस के बाद किसी काम से वह आजादपुर गया था. रात 10 बजे वह वहां से बस से मौडल टाउन के लिए लौट रहा था, तभी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
नवीन खत्री से पूछताछ के बाद पुलिस ने 12 फरवरी को नवीन खत्री के पिता राजकुमार, भाई संदीप खत्री, रिश्ते के मामा कृष्ण और नवीन को भादंवि की धारा 201, 202, 212 के तहत गिरफ्तार कर लिया. सभी को महानगर दंडाधिकारी श्री सुनील कुमार की कोर्ट में पेश किया गया. पुलिस ने राजकुमार, संदीप खत्री, कृष्ण और नवीन पर जमानती धाराएं लगाई थीं, इसलिए इन चारों को उसी समय कोर्ट से जमानत मिल गई, जबकि नवीन खत्री को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
नवीन खत्री के पिता राजकुमार हाल ही में जेल से पैरोल पर बाहर आया था. उस ने सन 2005 में गांव के ही अजय का मामूली बात पर कत्ल कर दिया था. हत्या के इस मामले में उस के परिवार के 6 सदस्य जेल गए थे. बहरहाल, कथा लिखने तक प्रेमिका की हत्या करने वाले नवीन खत्री की जमानत नहीं हुई थी. केस की जांच इंसपेक्टर सुधीर कुमार कर रहे हैं.
—कथा पुलिस सूत्रों और आरजू के घर वालों के बयानों पर आधारित


