
कोतवाल सिंह ने सेठपाल से उस के पूरे परिवार के सदस्यों के बारे में पूछताछ की. सेठपाल की बातें सुन कर श्री सिंह भी चौंक पड़े, क्योंकि 6 फरवरी की रात से ही कुलवीर के लापता होने की बात बताई गई थी. उन्हें इस के पीछे दाल में काला होने का शक हुआ.
यानी वह समझ गए कि इस मामले में परिवार या पासपड़ोस का ही कोई न कोई शामिल हो सकता है. यह भी सवाल था कि कुलवीर ने ही सब को बेहोश कर दिया हो और खुद भी घर से फरार हो गया हो? लेकिन यह जांच का विषय था कि उस ने आखिर ऐसा क्यों किया होगा? घर में गहने या रुपएपैसे सहीसलामत थे.
उसी तरीख से कुलवीर का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ था. श्री सिंह ने मामले की जांच करने के लिए एसएसआई अंकुर शर्मा को सेठपाल के साथ उस के गांव भेज दिया.
अंकुर शर्मा ने ढाढेकी ढाणा पहुंच कर सेठपाल के सभी परिजनों से उस की बेहोशी की हालत के बारे में गहन तहकीकात की. इस बाबत पड़ोसियों से भी बात की. इस की सिलसिलेवार जानकारी उन्होंने कोतवाल अमरजीत सिंह को दे दी.
श्री सिंह शर्मा की रिपोर्ट पढ़ कर इस निर्णय पर पहुंचे कि कुलवीर ही अपने घर वालों को बेहोश कर फरार हो गया होगा. सेठपाल की तहरीर पर कुलवीर की गुमशुदगी दर्ज करने के बाद मामले की विवेचना महिला थानेदार एकता ममगई को सौंप दी गई.
नहीं मिला ठोस सुराग
इस की सूचना सीओ मनोज ठाकुर और एसपी (देहात) स्वप्न किशोर को भी दे दी गई. उन से आगे की जांच और काररवाई के निर्देश के बाद विवेचक एकता ममगई ने कुलवीर के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. जांच शुरू तो हो गई थी, कुलवीर की सरगरमी से तलाश हो रही थी. लेकिन कुलवीर के बारे में कोई ठोस जानकारी हाथ नहीं लगी थी. जबकि उस की फोटो के साथ आसपास के क्षेत्रों में पैंफ्लेट चिपका दिए गए थे.
कुलवीर के कुछ दोस्तों और घर वालों से भी उस के बारे में और उस की आदतों को ले कर पूछताछ की गई थी. यह सब करते हुए 3 सप्ताह से अधिक का समय निकल गया था. पुलिस को कुलवीर के बारे में कोई भी सटीक जानकारी नहीं मिल पाई थी.
अब बारी थी परिवार के सभी सदस्य और गांव के दूसरे लोगों से बारीबारी पूछताछ की. इस पर जब गहनता से काम किया जाने लगा किसी ने दबी जुबान में बताया कि उस की नाबालिग बहन गीता का पड़ोसी राहुल के साथ प्रेम संबंध है.
पुलिस ने गीता से की पूछताछ
इस सूचना के बाद देरी किए बगैर गीता से पूछताछ करने के लिए उसे थाने बुलाया गया. पहले तो गीता ने पुलिस को झूठी बातों में उलझाने की कोशिश की. उस ने बताया था कि कुलवीर पिता सेठपाल से नाराज हो कर घर से चला गया है. लेकिन वह नाराजगी की कोई ठोस वजह नहीं बता पाई.
इस के बाद जब अमरजीत सिंह ने गीता से उस के पड़ोसी शादीशुदा राहुल से चल रहे प्रेम संबंधों के बारे में पूछा तो उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. थाने में महिला सिपाही की सख्ती के सामने वह अधिक समय तक नहीं टिक पाई.
12 मार्च, 2023 को गीता ने स्वीकार कर लिया कि उसे कुलवीर पीटता रहा है, क्योंकि वह राहुल से प्यार करती है. उस ने उसे राहुल से दूर रहने की सख्त हिदायत दी थी. भाई की धमकी सुन कर वह डर गई थी. उस ने औनर किलिंग के बारे में काफी कुछ सुन रखा था कि कैसे मांबाप, भाई और रिश्तेदार अपनी प्रतिष्ठा की खातिर प्रेमी प्रेमिका को मौत के घाट उतार देते हैं.
इस बारे में उस ने राहुल को बताया, जिस से राहुल भी कुलवीर के खिलाफ आग उगलने लगा. और फिर उस ने गीता के साथ मिल कर एक योजना बनाई. इस से पहले कुलवीर गीता के खिलाफ कोई गंभीर कदम उठाए, उस से पहले क्यों न वही कुलवीर को ही निपटा दे.
इस योजना में उस ने अपने दोस्त कृष्णा को भी 40 हजार रुपए का लालच दे कर शामिल कर लिया. इस योजना को उन्होंने 6 फरवरी, 2023 की रात को अंजाम भी दे दिया.
आशिकी में निपटाया बहन ने भाई को
रात को 11 बजे राहुल ने सेठपाल के दरवाजे पर हल्की सी दस्तक दी थी. गीता ने तुरंत दरवाजा खोल दिया था. उस के साथ एक लड़का कृष्णा भी था. राहुल जब उसे ले कर घर में घुसा, तब बाहर के कमरे में कुलवीर को खाट पर गहरी नींद में सोया पाया.
गीता धीमे से राहुल से बोली, “इसे जल्दी निपटाओ.’’
इस के बाद गीता ने अपने भाई कुलवीर के हाथ पकड़ लिए, जबकि कृष्णा ने कुलवीर के पैर. उस के बाद राहुल ने दोनों हाथों से कुलवीर का गला घोंट दिया.
कुलवीर का शरीर कुछ समय में ही बेजान हो गया. राहुल और कृष्णा ने उस की लाश को एक चादर में बांध लिया. उसे कृष्णा अपने घर में ले आ आया. कृष्णा अपने घर में एक गड्ढा पहले से ही खोद कर रखा था. उस ने कुलवीर की लाश उसी में दबा दी. दूसरी ओर गीता ने कुलवीर का मोबाइल फोन स्विच औफ कर पास के तालाब में फेंक दिया और खुद नींद की गोलियां खा कर घर में ही सो गई.
पुलिस ने गीता से मिली जानकारी के बाद राहुल से भी उसी दिन पूछताछ की. इस के लिए उसे थाने बुलाया. उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया गया. इस से भी बात नहीं बनी तब पुलिस सेवा की धमकी दी गई. इस धमकी से वह टूट गया और उस ने न केवल गीता के साथ अनैतिक संबंध की बात स्वीकार की, बल्कि कुलवीर की हत्या का जुर्म भी स्वीकार कर लिया.
कुलवीर के बारे में गीता और राहुल से वारदात के बारे में मिली जानकारी के बाद सीओ मनोज ठाकुर कोतवाली लक्सर आ गए थे. उन्होंने भी गीता से गहनता से पूछताछ की. इस के बाद एसएसआई अंकुर शर्मा और महिला थानेदार एकता ममगई ने कृष्णा को भी उस के घर से हिरासत में ले लिया.
गीता, राहुल और कृष्णा के बयान दर्ज कर लिए गए. तीनों के बयानों में एकरूपता थी. गीता और कृष्णा ने भी राहुल के ही बयान का समर्थन किया था. इस के बाद पुलिस ने कुलवीर की गुमशुदगी के मामले में हत्या कर लाश छिपाने की धाराएं जोड़ दीं. इस के बाद पुलिस ने राहुल की निशानदेही पर कृष्णा के घर से कुलवीर का शव भी बरामद कर लिया. उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.
अगले दिन पुलिस ने राहुल और कृष्णा को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. गीता की उम्र 18 वर्ष से कम होने के कारण उसे कोर्ट ने बाल संरक्षण गृह भेज दिया गया.
कथा लिखे जाने तक कुलवीर हत्याकांड की विवेचना महिला थानेदार एकता ममगई द्वारा की जा रही थी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में गीता नाम परिवर्तित है.
एक बार राहुल और गीता के प्रेमसंबंध का खुला प्रदर्शन कुलवीर की नजरों के सामने आ गया. कुलवीर की आंखों में खून उतर आया. उस ने राहुल और गीता दोनों को जबरदस्त डांट लगाई. इतना ही नहीं, पारिवारिक रिश्ते और समाज की मानमर्यादा का हवाला देते हुए राहुल को घर आने से मना कर दिया. बहन गीता पर भी राहुल के घर आनेजाने से रोक लगा दी. दरअसल, गीता और राहुल को कुलवीर ने आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था.
गीता हुई राहुल की प्रेम दीवानी
बीते साल 2022 में दशहरे का त्योहार था, इस मौके पर घर के सभी सदस्य मेला घूमने लक्सर गए हुए थे. जबकि गीता किसी कारण साथ नहीं जा पाई थी. उसी समय कुलवीर ने राहुल को गीता के साथ देख लिया था. तभी से उस के दिमाग में खलबली मची हुई थी. वह गीता पर पैनी नजर रखे हुए था और राहुल से भी खिन्न रहने लगा था.
जब कभी राहुल उस के घर आता, तब वह उस से रूखेपन से बात करता. राहुल भी उस के इस व्यवहार से तंग आ गया था. गीता को तो घर से बाहर निकलने तक पर पाबंदी लगा दी थी. गीता जब इस का विरोध जताती थी तब वह उस की पिटाई कर देता था. कुलवीर ने गीता को राहुल से दूर रहने की सख्त चेतावनी दे दी थी. इस के उलट गीता का राहुल से छिप कर मिलना जारी था.
नाबालिग गीता पर राहुल ने ऐसा जादू कर दिया था कि वह उस की प्रेम दीवानी बनी हुई थी, जबकि वह विवाहित और 2 बच्चों का बाप था. उन की आशिकी चरम पर थी. अकसर उन की मुलाकातें रात को होने लगी थीं. उन्हें जब भी मिलना होता था, गीता रात को अपने घर वालों को दूध में नींद की गोलियां मिला कर दे देती थी फिर दोनों एकांत में मिल लेते थे.
एक बार राहुल प्रेमिका को बाहों में भरता हुआ बोला, “गीता, आखिर हम लोग इस तरह छिप कर कब तक मिलते रहेंगे. कुलवीर हम पर हमेशा नजरें गड़ाए रहता है.’’
“हां, सही कहते हो, केवल वही हमारे प्यार का दुश्मन बना बैठा है. मुझे लग रहा है कि उसे ठिकाने लगाना होगा.’’ गीता तल्ख आवाज में बोली.
“क्या मतलब है तुम्हारा.’’ राहुल बोला.
“यही कि कोई तरीका निकालो उसे खत्म करने का,’’ गीता बोली.
“ठीक है, तुम तैयारी करो, मैं किसी से बात करता हूं.’’ राहुल बोला और कपड़े सहेज कर अपने घर चला गया.
राहुल और गीता ने एक योजना बना ली थी. योजना के अनुसार 6 फरवरी, 2023 को रात के खाने के बाद गीता ने अपने घर वालों को दूध में नींद की गोलियां पीस कर दे दीं. कुछ समय में ही घर के सभी लोग अचेतावस्था में आ गए थे.
पूरा परिवार हो गया बेहोश
7 फरवरी की सुबह सूर्योदय होने के काफी समय बाद 55 वर्षीय सेठपाल के मंझले बेटे पंकज की नींद टूट गई. घर में सन्नाटा पा कर वह कुछ समझ नहीं पाया. हालांकि वह भी काफी सुस्ती महसूस कर रहा था. किसी तरह उठ कर अपने कमरे से बाहर निकला तो बाहर पिता को बेसुध सोया पाया. इतनी देर तक सोए रहने पर उसे आश्चर्य हुआ, जबकि वह सुबह के 5 बजे तक उठ जाते थे.
पंकज ने उन्हें झकझोर कर जगाया. उन्होंने आंखें खोलीं जरूर, मगर अर्द्धबेहोशी की हालत में ही रहे. उस वक्त भी उस पर कुछ बेहोशी छाई हुई थी. उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि नींद आ रही है. उस ने पाया कि घर में मां और बहन गीता की भी कोई चहलपहल नहीं हो रही है. रसोई में सन्नाटा है. बाथरूम में भी किसी तरह की आवाज नहीं आ रही है. कुलवीर के कमरे में भी सन्नाटा है.
सेठपाल ने बेटे पंकज से चाय लाने को बोला. पंकज ने गीता, मां, छोटे भाई और यहां तक कि अपने बड़े भाई कुलवीर तक को बारीबारी से कई आवाजें लगाईं. उस का कोई जवाब नहीं मिला. वह खुद सुस्ती में था, इसलिए पहले चाय पीने की सोची और रसोई में चाय बनाने चला गया.
चाय का पानी गैस पर चढ़ा कर खुद बाथरूम में मुंह धोने लगा. ब्रश करने और मुंह धोने के क्रम में उस ने चेहरे को कई बार ठंडे पानी से धोया. तब उस की थोड़ी सुस्ती कम हुई. रसोई में आ कर उस ने चाय बनाई और 2 कप में ले कर पिता के कमरे में गया.
पिता वहीं कंबल में ही अधलेटे थे. आंखें बंद कर रखी थीं. पंकज ने उन से मुंहहाथ धोने के लिए कहा. जबकि सेठपाल ने सहारे से उन्हें उठाने का इशारा किया. उस वक्त भी उन्हें नींद आ रही थी. ऐसा लग रहा था, मानो उन की नींद पूरी नहीं हुई हो. एक तरह से वह अर्धनिद्रा की हालत में ही थे. पंकज उन की हालत को देख कर घबरा गया. किसी तरह से उस ने अपनी चाय पी और पड़ोसियों को आवाज लगाई.
पंकज की आवाज सुन कर कुछ पड़ोसी वहां आ गए. उन्होंने सेठपाल की हालत देखते ही पूछा, “इन्होंने कोई दवा खाई है क्या? इन पर किसी नशीली दवाई का रिएक्शन हुआ लगता है.’’
पड़ोसियों ने पाया कि सेठपाल की पत्नी, बेटी और छोटा बेटा भी एक कमरे में बेसुध सोए हैं. जबकि बड़ा बेटा कुलवीर अपने कमरे में नहीं है. उन्हें समझते देर नहीं लगी कि जरूर घर में कोई विवाद हुआ है. हो सकता है इसी कारण कुलवीर ने सभी को नशे की कोई दवा खिला दी हो और घर से चला गया हो.
पड़ोसियों ने सब से पहले गांव के एक आयुर्वेद डाक्टर को सेठपाल के घर पर बुलाया. परिवार के सभी सदस्यों के स्वास्थ्य की जांच करवाई. उन्होंने जांच में पाया था कि सेठपाल के परिवार वालों ने या तो किसी नशीली वस्तु का सेवन किया है या उन्हें किसी ने धोखे से ज्यादा मात्रा में नींद की गोलियां खिला दी हैं.
उन्हें कुछ दवाइयां दे कर प्राथमिक उपचार कर दिया गया. बाद में सभी को सरकारी अस्पताल में भरती करवाया गया. वहां वे 2 दिनों तक भरती रहने के बाद पूरी तरह से ठीक हो पाए. तब तक कुलवीर का कोई पता नहीं था. वह घर से गायब ही था.
कुलवीर की गुमशुदगी कराई दर्ज
तब सेठपाल व उस की पत्नी सुमन ने कुलवीर को ढूंढना शुरू कर दिया था. सेठपाल को कुलवीर की चिंता होनेलगी थी. उन्होंने उस के लापता होने की जानकारी कोतवाली लक्सर को देने का मन बनाया, जो उन के गांव से 5 किलोमीटर दूरी पर है.
वहां वह 10 फरवरी को दिन में 11 बजे के करीब पहुंचे और कोतवाल अमरजीत सिंह को बेटे कुलवीर के लापता होने की जानकारी दी. उस के बयानों के आधार पर कुलवीर की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कर ली गई. शिकायत में उन्होंने पूरे परिवार को किसी के द्वारा बेहोशी दवा खिलाए जाने के बारे में भी बताया.
नाबालिग गीता पर राहुल ने ऐसा जादू कर दिया था कि वह उस की प्रेम दीवानी हो गई थी, जबकि वह विवाहित और 2 बच्चों का बाप था. उन की आशिकी चरम पर थी. गीता रात को अपने परिवार वालों को दूध में नींद की गोलियां मिला कर दे देती थी फिर दोनों एकांत में मिल लेते थे.
एक बार राहुल प्रेमिका को बाहों में भरता हुआ बोला, “गीता, आखिर हम इस तरह छिप कर कब तक मिलते रहेंगे. कुलवीर हम पर हमेशा नजरें गड़ाए रहता है.’’
“हां, सही कहते हो, घर में केवल वही हमारे प्यार का दुश्मन बना बैठा है. मुझे लग रहा है कि कुछ करना ही होगा.’’ गीता तल्ख आवाज में बोली.
“क्या मतलब है तुम्हारा.’’ राहुल बोला.
“यही कि कोई तरीका निकालो इस समस्या के समाधान का,’’ गीता बोली.
“ठीक है, मैं कुछ सोचता हूं.’’ राहुल बोला और फटाफट अपने कपड़े पहन कर अपने घर चला गया.
इसी दौरान कुलवीर रहस्यमय तरीके से गायब हो गया. हरिद्वार जिले के एसएसपी अजय सिंह को करीब एक माह से लापता कुलवीर के बारे में एक सुराग मिल ही गया था. उस की पुष्टि के लिए उन्होंने तुरंत लक्सर थाने के कोतवाल अमरजीत सिंह को उस दिशा में काम करने का आदेश दे दिया.
आदेश पाते ही 12 मार्च, 2023 को अमरजीत सिंह ने भी फौरी काररवाई करते हुए ढाढेकी ढाणा के राहुल कुमार को थाने बुलवाया. उसे सीओ मनोज ठाकुर के सामने हाजिर किया गया. वह डरासहमा पुलिस के सामने खड़ा था. उस ने बताया कि उस की 9 साल पहले मोनिका से शादी हुई थी. उस से 2 बच्चे भी हैं. अपनी पत्नी मोनिका से बहुत खुश है.
उसी दौरान वह पड़ोसियों के नाम और उन के साथ अच्छे संबंध होने के बारे में बताने लगा, तभी जांच अधिकारी ने बीच में ही टोक दिया, “…अच्छा तो तुम कुलवीर के पड़ोसी हो?’’
“जी सर,’’ राहुल बोला.
“वह महीने भर से लापता है. उस के बारे में तुम क्या जानते हो?
“नहीं मालूम.’’ राहुल बोला.
“कुछ तो पता होगा. पिछली बार तुम उस से कब मिले थे?’’
“याद नहीं, लेकिन एक महीने से ज्यादा हो गया. कहां गया है…नहीं मालूम. उस से मेरे अच्छे संबंध थे.’’ राहुल बोला.
“अच्छे संबंध थे? क्या मतलब है तुम्हारा? अब नहीं है क्या?’’ जांच अधिकारी ने बीच में ही सवाल कर दिया.
यह सुनते ही राहुल थोड़ा असहज हो गया. हड़बड़ाता हुआ बोला, “मेरा मतलब है उस से मेरी पुरानी जानपहचान है. कुछ हफ्तों से वह नहीं दिखाई दिया है. कहीं गया होगा अपने कामधंधे को ले कर!’’
“गीता के बारे में तुम क्या जानते हो?’’ पुलिस ने बात बदल कर दूसरा सवाल किया.
“गीता? वह तो कुलवीर की बहन है. अच्छी लड़की है.’’ राहुल झट से बोल पड़ा.
“हां हां वही गीता, सुबह आई थी यहां. अपने लापता भाई की तहकीकात करने. तुम्हारी तो बहुत शिकायत कर रही थी. बोल गई है कि तुम ने ही उसे उस के खिलाफ भड़का दिया है, जिस से वह घर वालों से नाराज हो कर कहीं चला गया है. इसीलिए तुम्हें यहां बुलवाया गया है.’’ जांच अधिकारी बोले.
“मैं ने उसे भड़काया है? उसे! भला मैं क्यों ऐसा करूंगा, सर?’’ राहुल बोला.
“अपने मतलब के लिए.’’
“मेरा उस से क्या लेनादेना, क्या मतलब उस से…वह अपनी मरजी का मालिक और मैं…’’
“…और तुम अपनी मनमानी के मालिक… यही बात है न!’’ राहुल अपनी सफाई दे रहा था कि बीच में ही जांच अधिकारी बोल पड़े.
“जी…जी सर, मैं ने कोई मनमानी नहीं की उस के साथ.’’ राहुल अचानक घबरा गया.
“तो क्या कुछ किया उस के साथ, जो महीने भर से घर नहीं लौटा है? तुम्हीं बताओ न.’’ पुलिस के इस तर्क पर राहुल की जुबान से एक भी शब्द नहीं निकल पाया. जांच अधिकारी ने उस की चुप्पी और चेहरे पर उड़ती हवाइयों पर तीखी निगाह टिका दी. कुछ सेकेंड कमरे में सन्नाटा छाया रहा.
“कुलवीर के बारे कुछ बताया इस ने?’’ कोतवाल अमरजीत सिंह ने कमरे के दरवाजे से पूछा.
“अभी तक तो नहीं सर!’’ जांच अधिकारी बोले.
“कोई बात नहीं गीता ने सब कुछ बता दिया है. इसे मेरे कमरे में ले कर आओ, अब इस की खबर मैं लूंगा. यह इतनी आसानी से सच नहीं उगलने वाला है. इसे पुलिस सेवा की जरूरत है.’’ अमरजीत बोले.
“पुलिस सेवा!’’ अचानक रहुल बोला.
जांच अधिकारी बोले, “नहीं जानते पुलिस सेवा के बारे में? कोई बात नहीं, अब जान जाओगे. यह ऐसी सेवा होती है, जिसे कभी भी भूल नहीं पाओगे.’’
“सर जी, मैं ने कुछ भी नहीं किया कुलवीर के साथ…जो कुछ हुआ वह गीता के कहने पर ही कृष्णा ने किया…’’
“कृष्णा ने किया? कौन है कृष्णा? क्या किया उस के साथ? गीता ने उस के बारे में कुछ भी नहीं बताया…वह तो सिर्फ तुम्हारा ही नाम ले रही थी.’’ अमरजीत बोले.
“कृष्णा मेरी जानपहचान का है, दूसरे गांव में रहता है.’’ राहुल बोला.
“मुझे तो यह भी पता चला है कि तुम्हारा और गीता का चक्कर चल रहा है.’’ अमरजीत ने कहा.
“गलत बात है सर,’’ राहुल बोला.
“गलत नहीं है, तुम्हारे और गीता का राज कुलवीर को मालूम हो गया था. इसलिए तुम्हारी उस के साथ लड़ाई हो गई थी. अब वह कहां है किसी को नहीं मालूम. परिवार वालों ने उस के लापता होने की रिपोर्ट लिखवाई है. तुम उस के बारे में पूरी बात बताओगे तभी उसे तलाशने में मदद मिलेगी…वरना?’’ जांच अधिकारी ने कहा.
प्रेमी ने खोल दिया राज
पुलिस घुड़की और हमदर्दी से राहुल के चेहरे पर पसीना आ गया था. उस के चेहरे का भाव भांपते हुए अमरजीत समझ चुके थे कि उन्हें कुलवीर के बारे में नया सुराग मिल सकता है. उन्होंने उसे पानी पिलाया और उस के लिए चाय भी मंगवाई, फिर उसे ठंडे दिमाग से गीता, कुलवीर, कृष्णा और उस से जुड़ी सारी बातें बताने को कहा. उस के बाद जो कहानी सामने आई वह इस प्रकार है—
उत्तराखंड के जिला हरिद्वार के लक्सर थानांतर्गत गांव ढाढेकी ढाणा में सेठपाल अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी, 3 बेटे और एक बेटी थी. वह एक साधारण किसान था. बड़ा बेटा कुलवीर पिता के साथ खेतीबाड़ी में हाथ बंटाता था.
पड़ोस में ही राहुल का भी घर था. वह भी अपने मातापिता, पत्नी और बच्चों के साथ खुशी से जीवनयापन करता रहा था. सेठपाल रिश्ते में उस का चाचा लगता है. राहुल का उन के घर में आनाजाना लगा रहता था. बीते एक साल से वह गीता की सुंदरता पर मर मिटा था. जब भी वह अकेले में मिलती, वह उस की तारीफ करता था. उन के बीच बढ़ती नजदीकियों की भनक परिवार में गीता के भाइयों को भी लग गई थी, लेकिन इसे उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया.
कविता अकसर दीपचंद को अपने से दूर रखती थी. इस से दीपचंद का संदेह और पुख्ता हो गया था. वह कविता पर दबाव बनाने लगा कि वह बृजेश से मेलजोल बंद कर दे और न ही उस से फोन पर बात करे. बृजेश को ले कर उस का कविता से विवाद भी होने लगा था.
इस कहासुनी में वह कभीकभी कविता की पिटाई भी कर देता था. यहां तक कि दीपचंद ने पत्नी कविता को खर्च के लिए पैसे देने भी बंद कर दिए तो कविता को समझ आ गया था कि अब पति के जिंदा रहते वह बृजेश से अपने संबंधों को जारी नहीं रख पाएगी.
बृजेश भी कविता के प्यार में इतना पागल हो चुका था कि उसे कविता से मिले बगैर चैन नहीं मिलता. कविता के मन में हरदम यही विचार आता था कि वह पति को रास्ते से हटा दे और उस के बाद बृजेश के साथ इसी तरह नाजायज संबंध बनाए रखेगी. इस से उस के ससुर की जमीनजायदाद में भी उस का हिस्सा बना रहेगा और प्रेमी की बाहों का झूला भी उसे मिलता रहेगा. यहीं से कविता ने बृजेश के साथ मिल कर पति को रास्ते से हटाने की साजिश रची.
प्रेमी के लिए मिटाया सिंदूर
जब कविता पति की हत्या के लिए तैयार हो गई तो बृजेश ने अपने साथ टेंटहाउस में साथ काम करने वाले दोस्त गणेश विश्वकर्मा को साजिश में शामिल कर लिया. उस ने गणेश को दोस्ती का वास्ता दे कर रुपए देने का लालच दिया.
योजना के मुताबिक कविता इस बीच मायके चली गई, जिस से दीपचंद के अचानक लापता होने पर संदेह न हो. हत्या के लिए 19 जुलाई, 2023 की तारीख तय की गई. उस दिन दीपचंद ने काम से छुट्टी ले रखी थी, यह बात कविता ने दीपचंद को फोन कर के तसल्ली भी कर ली थी कि वह घर पर ही है. इस के बाद उस ने बृजेश को फोन कर दीपचंद की लोकेशन बता दी.
बृजेश ने पन्ना जिले के अमानगंज निवासी बिट्टू दुबे की चार पहिया गाड़ी एमपी20 सीई 6749 किराए पर ले ली. इस के बाद वह सुनवानी से गणेश विश्वकर्मा को साथ ले कर खैरा गांव पहुंचा. वहां दीपचंद को फोन कर घर के बाहर मिलने बुलाया. फिर पार्टी के बहाने दीपचंद को साथ ले कर वर्धा होते हुए खजरूट स्थित पेट्रोल पंप के पास पहुंचे. वहां एक गुमटी से सिगरेट, पानी और नमकीन के पैकेट लिए. बृजेश ने शराब पहले ही खरीद ली थी. रास्ते में एक जगह रुक कर तीनों ने शराब पी.
बृजेश और गणेश ने दीपचंद को ज्यादा शराब पिलाई. दीपचंद जल्दी ही शराब के नशे में धुत हो गया. इस के बाद बृजेश ने गाड़ी पंडवन पुल के पास बने मंदिर की ओर मोड़ दी. कल्लू ने मंदिर के पास गाड़ी रोक कर दीपचंद को गाड़ी से उतारा. इस के बाद गणेश और बृजेश ने दीपचंद को जमीन पर पटक दिया और उस का गला दबा दिया. इस से दीपचंद बेहोश हो गया.
दीपचंद के बेहोश होने के बाद बृजेश बर्मन उर्फ कल्लू ने गाड़ी में रखी लाठी उठाई और सिर पर तब तक वार किए, जब तक वह मर नहीं गया. इस के बाद उस के लोअर से मोबाइल और पर्स निकाल लिए. पर्स में करीब 700 रुपए थे, जो बृजेश ने रख लिए और पर्स और चप्पलें झाड़ी में फेंक दीं.
पुलिस ने बरामद किए अहम सबूत
इस के बाद बृजेश बर्मन और गणेश विश्वकर्मा ने दीपचंद की लाश को गाड़ी नंबर एमपी20 सीई6749 में डाल कर पंडवन की केन नदी में ले जा कर बहा दिया. दीपचंद का मोबाइल और घटना में प्रयुक्त खून से सना डंडा भी नदी में फेंक दिया. तब तक रात के साढ़े 10 बज चुके थे.
दोनों ने गाड़ी में लगे खून को साफ किया और रात में ही गाड़ी उस के मालिक बिट्टू दुबे को सौंप कर अपने अपने घर आ गए. 3 दिन बाद जब दीपचंद के लापता होने की खबर फैली तो बृजेश भी दिलासा देने उस के घर गया, जिस से किसी को उस पर शक न हो.
आरोपियों ने खजरूट की जिस दुकान से शराब व सिगरेट खरीदी थी, पुलिस ने उस दुकान मालिक वीरभान सिंह से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस दिन बृजेश बर्मन व गणेश विश्वकर्मा गाड़ी से आए थे और शराब व सिगरेट खरीदी थी. वीरभान ने यह भी बताया कि ड्राइवर वाली सीट पर बृजेश बर्मन बैठा था, बगल वाली सीट पर दीपचंद बैठा था.
बृजेश बर्मन और गणेश विश्वकर्मा पन्ना के सुनवानी के जिस टेंटहाउस में काम करते थे, उस के मालिक कमलेश विश्वकर्मा से भी पुलिस टीम ने पूछताछ की तो कमलेश ने बताया कि 21 अगस्त को जब गैसाबाद की पुलिस जांच करने सुनवानी आई थी, उस रात गणेश ने शराब के नशे में बृजेश बर्मन के साथ मिल कर दीपचंद की हत्या की बात बताई थी.
टीआई विकास सिंह चौहान ने बृजेश और गणेश की निशानदेही पर झाड़ियों में छिपाई चप्पलें और खाली पर्स जब्त कर लिया. इस के अलावा घटना में प्रयुक्त बिट्टू दुबे की गाड़ी भी जब्त कर ली. जहां दीपचंद का शव फेंका गया, वह जगह पन्ना जिले में आती है. केन नदी पन्ना जिले की सब से बड़ी नदी है और इस में बड़ी संख्या में मगरमच्छ भी रहते हैं.
इस से यह आशंका भी व्यक्त की जा रही थी कि नदी में बहाए गए शव को मगरमच्छों ने अपना ग्रास न बना लिया हो. स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ के सहयोग से केन नदी में दीपचंद की लाश की सर्चिंग करवाई, लेकिन लाश बरामद नहीं हो सकी.
25 अगस्त, 2023 को गैसाबाद पुलिस ने हत्या, साक्ष्य छिपाने और साजिश रचने का मामला दर्ज कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उन्हें दमोह जेल भेज दिया गया.
दीपचंद की हत्या को एक माह से अधिक समय हो गया था, मगर दीपचंद का शव बरामद नहीं हुआ था. इसे ले कर दीपचंद के परिवार और रिश्तेदारों ने पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था. एसडीआरएफ की टीमें केन नदी में लगातार शव तलाश रही थीं, परंतु सफलता नहीं मिल रही थी. एक माह के दौरान नदी में बाढ़ भी आ चुकी थी, इस से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि शव कहीं दूर निकल गया हो. दमोह जिले के एसपी और एसडीओपी नितिन पटेल लगातार पुलिस टीमों को खोजबीन के लिए भेज रहे थे.
30 अगस्त, 2023 को गैसाबाद पुलिस को सूचना मिली कि अमानगंज थाने के जिज गांव के नाले के पास एक क्षतविक्षत शव के अवशेष पड़े हुए हैं. सूचना पर पहुंची पुलिस टीम को केन नदी और एक नाले के बीच बने टापू पर देर रात शव के अवशेष बरामद हुए.
शिनाख्त के लिए एसडीओपी (हटा) नीतेश पटेल के निर्देश पर गैसाबाद थाना पुलिस टीम मौके पर दीपचंद के पिता हाकम को ले कर पहुंची. हाकम ने हाथ में बंधे रक्षासूत्र और उस के पहने हुए कपड़ों से उस की शिनाख्त अपने बेटे दीपचंद पटेल के रूप में की.
पुलिस ने शव को बरामद कर पंचनामा और पोस्टमार्टम की काररवाई कर शव के अवशेष डीएनए टेस्ट के लिए सुरक्षित करने के बाद वह परिजनों के सुपुर्द कर दिया.
एसपी सुनील तिवारी ने शव की खोजबीन में लगे पुलिसकर्मियों और एसडीआरएफ टीम के प्रयासों की सराहना की. कविता पटेल ने एक गलती से अपनी मांग का सिंदूर पोंछ कर अपनी बसी बसाई घरगृहस्थी उजाड़ ली और जेल की हवा खानी पड़ी.
11जुलाई, 2014 को रात करीब 8 बजे होटल क्रिस्टल पैलेस के रिसैप्शन कांउटर पर एक युवक पहुंचा. उस युवक के पास 2 बैग थे. वह काउंटर पर बैठी लड़की से बोला, ‘‘हमें डबलबैड वाला एसी रूम चाहिए.’’
यह सुन कर रिसैप्शन पर बैठी लड़की उस युवक को गौर से देखने लगी. वह समझ नहीं पा रही थी कि जब वह अकेला है तो डबल बेड वाले कमरे की बात क्यों कर रहा है. उस ने पूछा, ‘‘आप अकेले हैं?’’
‘‘जी नहीं, मिसेज भी साथ हैं. वह बाहर आटो का किराया दे रही हैं.’’ युवक ने इतना ही कहा था कि एक युवती दरवाजा खोलते हुए अंदर दाखिल हुई और उस युवक के बराबर में आ कर खड़ी हो गई. रिसैप्शनिस्ट समझ गई कि यह इस की बीवी होगी. रिसैप्शनिस्ट ने एसी रूम का किराया एक हजार रुपए प्रतिदिन बताया तो युवक ने रूम लेने की सहमति जता दी.
रिसैप्शनिस्ट ने कमरा बुक करने की औपचारिकताएं पूरी कराने के लिए उस युवक और युवती से नाम पूछा तो उन्होंने अपने नाम दिलीप वर्मा और पिंकी बताए. आईडी के रूप में दिलीप वर्मा ने अपना पैन कार्ड और पिंकी ने वोटर आईडी कार्ड दिखा कर उन की फोटोकौपी जमा करा दी. औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रिसैप्शनिस्ट ने कमरा नंबर 207 उन के नाम बुक कर दिया. होटल में काम करने वाले एक लड़के से उन का सामान कमरा नंबर 207 में पहुंचा दिया.
2 दिनों तक दिलीप और पिंकी होटल में सामान्य तरीके से रहे. लेकिन तीसरे दिन के क्रियाकलापों से रिसैप्शनिस्ट को दिलीप पर शक होने लगा. दरअसल हुआ यह कि 16 जुलाई की दोपहर 12 बजे के करीब दिलीप होटल से यह कह कर बाहर गया कि वह बाहर से खाना लाने और एटीएम से पैसे निकालने जा रहा है.
जब दिलीप 2 घंटे तक नहीं लौटा, तो रिसैप्शनिस्ट ने जानकारी लेने के लिए इंटरकौम से कमरा नंबर 207 में इंटरकौम की घंटी भी बजाई. लेकिन कई बार घंटी बजने के बाद भी पिंकी ने फोन नहीं उठाया तो रिसैप्शनिस्ट ने यह जानकारी होटल के मैनेजर गणेश सिंह को दी.
दिलीप खाना लेने और एटीएम मशीन से पैसे निकालने गया था. यह काम कर के उसे काफी देर पहले लौट आना चाहिए था. उस के न आने और पिंकी द्वारा कमरे का फोन न उठाने पर मैनेजर गणेश सिंह को भी शक होने लगा. मैनेजर ने उसी समय होटल मालिक प्रशांत गुप्ता को फोन कर के होटल बुला लिया.
कुछ देर बाद प्रशांत गुप्ता होटल पहुंचे तो मैनेजर गणेश सिंह ने सारी बात उन्हें बता दी. होटल क्रिस्टल पैलेस गाजियाबाद के सेक्टर-16 वसुंधरा में था. इस संदिग्ध मामले की जानकारी पुलिस को देनी जरूरी थी. इसलिए प्रशांत गुप्ता के कहने पर मैनेजर ने थाना इंदिरापुरम की पुलिस चौकी प्रहलाद गढ़ी के चौकीप्रभारी शिव कुमार राठी को फोन कर के यह सूचना दे दी.
सूचना पाते ही वह 2 सिपाहियों के साथ होटल क्रिस्टल पैलेस पहुंच गए. होटल के स्टाफ से बात करने के बाद उन्होंने ‘मास्टर की’ से कमरे का ताला खुलवाया तो डबल बैड पर एक युवती की लाश पड़ी दिखाई दी. होटल कर्मचारियों ने बताया कि यह लाश उसी युवती की है जो दिलीप के साथ आई थी. दिलीप ने इसे अपनी पत्नी बताया था. मामला हत्या का था इसलिए चौकीप्रभारी शिव कुमार राठी ने यह खबर इंदिरापुरम के थानाप्रभारी राशिद अली को भी दे दी. कुछ ही देर में वह क्रिस्टल होटल पहुंच गए.
थानाप्रभारी राशिद अली ने कमरे का निरीक्षण किया तो युवती के गले पर लाल घेरे का निशान दिखाई दिया. पलंग के पास ही मोबाइल चार्जर पड़ा हुआ मिला. इस से ऐसा लगा कि दिलीप ने शायद उसी तार से उस का गला घोंटा होगा. मृतका नीले रंग की जींस और टीशर्ट पहने थी. बिस्तर पर मिले संघर्ष के निशानों से अनुमान लगाया गया कि मृतका ने अपनी जान बचाने की कोशिश की होगी.
कमरे में 2 बैग भी रखे हुए थे. तलाशी लेने पर उन में से पेन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, दोनों के कपड़े व कुछ अन्य सामान बरामद हुआ. बैग से शिरडी से दिल्ली तक के 2 टिकिट भी मिले, जो 11 जुलाई के थे. कमरे में बीयर की 3 खाली बोतलें भी मिलीं.
बरामद सामान से मृतका की पहचान पिंकी उर्फ प्रिया पुत्री राजेश्वर निवासी 115/4 बी ब्लौक, गली नं. 7, खिचड़ीपुर दिल्ली के रूप में हुई. यह भी पता चल गया कि जो युवक उस के साथ आया था, वह दिलीप वर्मा पुत्र श्रीप्रकाश वर्मा निवासी सी 912, बुधविहार मंडोली शाहदरा, दिल्ली का था. मृतका की तलाशी लेने पर उस की जेब से उस का मोबाइल बरामद हुआ. स्थितियों को देख कर अनुमान लगाया जा सकता था कि किसी बात को ले कर दोनों में तकरार इतनी बढ़ी होगी कि गुस्से में दिलीप ने उस का गला घोंट दिया होगा और फरार हो गया.
थानाप्रभारी ने मौके पर क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी बुला लिया. टीम ने विभिन्न कोणों से मृतका के फोटो खींचे और अन्य वैज्ञानिक सुबूत इकट्ठे किए. इस के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए हिंडन स्थित मोर्चरी भेज दिया गया और होटल मालिक प्रशांत गुप्ता की तहरीर पर दिलीप वर्मा के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली.
अगली काररवाई तक पुलिस ने होटल का वह कमरा सील कर के बुकिंग रजिस्टर अपने कब्जे में ले लिया. पुलिस ने मृतका पिंकी के फोन की काल लिस्ट देखने के बाद उस नंबर को मिलाया, जिस पर उस की आखिरी बार बात हुई थी. वह नंबर अक्षय नाम के एक युवक का था, जो पिंकी का परिचित था. पुलिस ने अजय को पिंकी की हत्या की सूचना दी तो वह उस के परिजनों के साथ थाना इंदिरापुरम पहुंच गया.
पुलिस उन्हें मोर्चरी ले गई तो उन्होंने लाश देख कर पुष्टि कर दी कि वह पिंकी ही थी. पिंकी के घरवालों ने बताया कि वह लक्ष्मीनगर के एक माल में नौकरी करती थी. जुलाई के पहले हफ्ते में वह एक दिन अपनी ड्यूटी पर तो गई लेकिन वापस नहीं लौटी. उन लोगों ने उस का फोन मिलाया तो वह स्विच औफ मिला था. जिस जगह वह नौकरी करती थी वहां भी मालूम किया गया और इधरउधर भी देखा गया. लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला था. इस पर उन लोगों पुलिस को सूचना दे दी.
लाश का पोस्टमार्टम हो जाने के बाद पुलिस ने पिंकी की लाश उस के घरवालों को सौंप दी. उस के घरवालों ने पुलिस को यह भी बताया कि वह दिलीप वर्मा नाम के किसी युवक को नहीं जानते.
घरवालों को पिंकी की लाश सौंपने के बाद इस मामले की जांच एसएसआई विशाल श्रीवास्तव को सौंप दी गई. विशाल श्रीवास्तव ने 17 जुलाई को होटल क्रिस्टल पैलेस के मैनेजर गणेश सिंह से पूछताछ की तो उस ने बताया कि 14 जुलाई, 2014 की देर शाम 8 बजे दिलीप वर्मा और पिंकी होटल पहुंचे थे. दिलीप ने पिंकी को अपनी पत्नी बता कर कमरा लिया था. अगले दिन दोनों एक साथ कहीं गए थे लेकिन वापसी में वे अलगअलग होटल लौटे थे.
16 जुलाई को दोपहर 12 बजे के आसपास दिलीप यह कह कर होटल से गया था कि वह खाना लाने व एटीएम से पैसे निकालने जा रहा है. वह काफी देर बाद नहीं लौटा तो उस का मोबाइल मिलाया गया. लेकिन वह स्विच्ड औफ था.
इस पर पिंकी के कमरे का फोन मिलाया. लेकिन जब कोई जवाब नहीं मिला तो यह सूचना होटल मालिक प्रशांत गुप्ता को दी गई. उन के होटल पहुंचने के बाद प्रह्लाद गढ़ी के चौकीप्रभारी को खबर की गई. एसएसआई ने गणेश सिंह के अलावा प्रशांत गुप्ता से भी पूछताछ की.
हत्यारोपी दिलीप वर्मा का पुलिस को पता मिल चुका था. उस की तलाश में एक पुलिस टीम उस के मंडोली, शाहदरा स्थित पते पर भेजी गई. लेकिन वह घर पर नहीं मिला. पुलिस ने उस के बारे में उस के पिता श्रीप्रकाश वर्मा से मालूमात की.
उन्होंने बताया कि दिलीप जुलाई के पहले हफ्ते में शिरडी घूमने गया था और अभी तक नहीं लौटा है. पुलिस उन्हें यह हिदायत दे कर लौट आई कि जैसे ही वह घर आए, उसे इंदिरापुरम थाने ले आएं.
थाना इंदिरापुरम पुलिस ने दिलीप के मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगा दिया ताकि उस की लोकेशन का पता लग सके. इस से पहले कि पुलिस को उस की लोकेशन पता चलती, लोनी क्षेत्र में उस के द्वारा आत्महत्या कर लेने की सूचना मिल गई.
20 जुलाई, 2014 को दोपहर 2 बजे लोनी थाने को सूचना मिली कि अमित विहार के पास स्थित एक ढलाई फैक्ट्री की पहली मंजिल पर एक 25 वर्षीय युवक ने आत्महत्या कर ली है. पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला कि मरने वाला युवक दिलीप वर्मा है. पुलिस ने मौके पर जरूरी काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिए हिंडन स्थित मोर्चरी भेज दी.
लोनी पुलिस ने दिलीप के पिता से मालूमात की तो उन्होंने बताया कि दिलीप ने 18 जुलाई को हरिद्वार से फोन कर के उन्हें बताया था कि उस ने वसुंधरा स्थित क्रिस्टल होटल में 16 जुलाई को अपनी प्रेमिका पिंकी की हत्या कर दी है और पुलिस के डर से वह इधरउधर छिप रहा है.
उस ने कहा था, ‘पापा, मुझ से बड़ी भूल हो गई है. आप मुझे बचा लो. नहीं तो मैं सुसाइड कर लूंगा.’
तब मैं ने उसे घर आने को कहा था. इस पर 18-19 जुलाई की रात 2 बजे वह घर पहुंचा. उस वक्त वह रो रहा था. तब मैं ने उसे अपने छोटे भाई भीष्म वर्मा के साथ लोनी स्थित फैक्ट्री भेज दिया था. जहां उस ने सुसाइड कर लिया.
लोनी पुलिस को जब पता चला कि मरने वाला युवक एक लड़की की हत्या के आरोप में वांछित था तो उस ने यह सूचना थाना इंदिरापुरम को दे दी. खबर मिलते ही एसएसआई विशाल श्रीवास्तव थाना लोनी पहुंच गए. लोनी पुलिस ने दिलीप के सुसाइड के मामले की फाइल विशाल श्रीवास्तव को सौंप दी.
विशाल श्रीवास्तव ने थाने बुला कर दिलीप के पिता श्रीप्रकाश वर्मा से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि 19 जुलाई, 2014 की सुबह दिलीप जब घर पहुंचा तो उस ने पिंकी और खुद के प्यार की पूरी कहानी बताई थी.
दिलीप पिंकी से प्यार वाली बात यदि पहले ही बता देता तो शायद आज उन्हें यह दिन देखने को नहीं मिलता. पुलिस को पिंकी और दिलीप के प्यार की जो कहानी पता चली, वह इस प्रकार थी.
19 वर्षीय पिंकी दिल्ली के खिचड़ीपुर निवासी राजेश की बेटी थी. 45 वर्षीय राजेश दिल्ली के हसनपुर डिपो के पास एक निजी कंपनी में चपरासी था. उस के 6 बेटियां और एक बेटा था. पिंकी उस की दूसरे नंबर की बेटी थी. राजेश को जो सैलरी मिलती थी उस से जैसेतैसे उस के घर का खर्च चल पाता था. तब उस की पत्नी आशा एक निजी अस्पताल में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करने लगी. आर्थिक तंगी की वजह से वह बच्चों को ज्यादा पढ़ालिखा नहीं सका.
युवावस्था की ओर बढ़ती हर लड़की की तरह पिंकी के भी कुछ सपने थे. लेकिन परिवार के हालात ऐसे नहीं थे कि वह उन सपनों को साकार कर सके. अपने सपने पूरे करने के लिए उस ने खुद ही कुछ करने का फैसला किया. उस ने अपने लिए नौकरी ढूंढ़नी शुरू कर दी. वह खूबसूरत तो थी ही. इसलिए एक जानकार के जरिए उसे लक्ष्मी नगर स्थित एक माल में सेल्सगर्ल के रूप में नौकरी मिल गई.
नौकरी लगने के बाद पिंकी ने बनठन कर रहना शुरू कर दिया. यहीं पर जनवरी, 2014 के पहले सप्ताह में उस की मुलाकात दिलीप वर्मा से हुई. दिलीप अकसर उस माल में आता रहता था. पहली ही मुलाकात में दोनों आंखों के जरिए एकदूसरे के दिल में उतर गए थे.
बाद में दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर भी दे दिए. दोनों की फोन पर बातें होने लगीं. उन की दोस्ती प्यार के मुहाने की ओर बढ़ती चली गई. एकांत में मेलमुलाकातों के चलते उन के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए.
समाज भले ही ऐसे संबंधों को मान्यता न दे लेकिन आधुनिकता की इस दौड़ में आज का युवा ऐसे रिश्तों से परहेज नहीं करता. दिलीप से प्यार हो जाने के बाद पिंकी के संबंध और भी कई युवकों से हो गए. बाद में वह उन युवकों से पैसे भी ऐंठने लगी. वह अपने कपड़ों की तरह दोस्तों को बदलने लगी. ऐसे में उस की दिलीप से दूरी बढ़ गई.
पिंकी के बदले व्यवहार को दिलीप समझ नहीं सका. लेकिन जब उस ने एक दिन उसे किसी दूसरे युवक के साथ घूमते देखा तो उस का खून खौल गया. प्रेमिका की इस बेवफाई पर उस ने उस से कुछ नहीं कहा. ऐसा कर के वह उसे बदनाम नहीं करना चाहता था. लेकिन अगली मुलाकात में दिलीप ने जब उस युवक के बारे में उस से जानना चाहा तो वह साफ मुकर गई.
उस ने पिंकी को समझाने की बहुत कोशिश की. वह उस पर लगातार सुधरने के लिए दबाव डालता रहा. इसी दबाव के चलते एक दिन उस ने पिंकी के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया. जिसे सुन कर पहले तो पिंकी आश्चर्यचकित रह गई, लेकिन दिलीप के बारबार कहने पर उस ने कह दिया कि इस बारे में फिर किसी दिन बात करेंगे.
रूठी प्रेमिका को मनाने की दिलीप की कोशिश काफी दिनों तक चलती रही. इसी कोशिश के तहत जुलाई के पहले हफ्ते में दिलीप ने शिरडी जाने के 2 टिकिट बुक कराए. पिंकी शिरडी जाने को तैयार भी हो गई.
दोनों नियत समय पर शिरडी पहुंच गए. 11 जुलाई को शिरडी से लौटने का टिकिट भी बुक था. वहां से लौट कर दोनों 14 जुलाई को देर शाम 8 बजे गाजियाबाद के वसुंधरा स्थित क्रिस्टल होटल पहुंचे. वहां दिलीप ने उसे अपनी पत्नी बता कर कमरा बुक कराया. एक दिन का किराया उस ने जमा कर दिया.
16 जुलाई को दिलीप ने पिंकी से शादी के मसले पर फिर बात की. वह उस की बात को फिर से टालने लगी. तभी दिलीप ने उस से उस युवक के बारे में पूछा जिस के साथ वह घूम रही थी. इस बात पर पिंकी भड़क गई. बातोंबातों में दोनों में तकरार बढ़ गई. जब बात ज्यादा बढ़ी तो दिलीप ने गुस्से में मोबाइल फोन चार्जर के तार से पिंकी का गला घोंट दिया.
पिंकी की हत्या के आरोप में वह फंस सकता था इसलिए दोपहर 12 बजे के करीब वह रिसैप्शन पर बैठी लड़की से यह कह कर निकल गया कि वह ढाबे से खाना लेने जा रहा है. और आते समय वह एटीएम से पैसे निकाल कर लाएगा ताकि कमरे का किराया दे सके.
होटल से निकलते ही दिलीप ने अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया था. वह वहां से सीधा हरिद्वार निकल गया. ताकि पुलिस उसे न ढूंढ़ सके. दिलीप के घरवालों को यही पता था कि वह शिरडी से नहीं लौटा है. उन्होंने 1-2 बार उस का फोन भी मिलाया था, लेकिन वह स्विच्ड औफ था.
18 जुलाई, 2014 को दिलीप ने अपने पिता को फोन कर के बताया कि वह हरिद्वार में है. उस समय उस की आवाज में घबराहट थी. हरिद्वार में होने की बात पर श्रीप्रकाश वर्मा ने चौंकते हुए पूछा, ‘‘तू गया तो शिरडी था, हरिद्वार कैसे पहुंचा?’’
‘‘पापा मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई है. मैं ने गाजियाबाद में एक लड़की का मर्डर कर दिया है. अब मैं बहुत परेशान हूं. मन करता है सुसाइड कर लूं.’’ दिलीप ने बताया.
मर्डर की बात सुनते ही वह अपने यहां पुलिस के आने की बात को समझ गए. बेटे ने अपराध तो किया ही था, लेकिन इस का मतलब यह नहीं था कि वह उसे सुसाइड करने देते. उन्होंने उसे काफी समझाया और सुसाइड जैसा कदम न उठाने की बजाय घर आने को कहा. पिता के समझाने पर दिलीप रात 2 बजे घर आ गया. उस समय वह काफी तनाव में था. उस समय श्रीप्रकाश वर्मा ने उस से कुछ नहीं कहा. अगले दिन सुबह उन्होंने उस से पूछा तो उस ने पिंकी से प्यार होने से ले कर हत्या तक की पूरी बात बता दी.
गाजियाबाद पुलिस दिलीप की तलाश में जब घर आई थी तो श्रीप्रकाश गुप्ता से कह गई थी कि जैसे ही दिलीप घर आए तो उसे इंदिरापुरम थाने ले आएं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि उन्होंने उसे छोटे भाई भीष्म वर्मा के साथ लोनी में स्थित फैक्ट्री भेज दिया. जहां वह दोपहर 12 बजे के करीब पहली मंजिल पर गले में अंगोछे का फंदा बना कर पंखे के हुक से लटक गया और उस की मौत हो गई.
प्रेमिका पिंकी के हत्यारे प्रेमी दिलीप ने भी अपनी जीवनलीला खत्म कर ली थी इसलिए इस मामले में जांच के लिए अब कुछ खास बचा ही नहीं था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
शादी के पहले के प्रेमी से जोड़े संबंध
शादी के बाद दीपचंद जैसा पति और हाकम जैसा नेकदिल ससुर पा कर कविता भी काफी खुश थी, उस ने ससुराल को ही अपना घर मान लिया था. कविता के मम्मीपापा राजस्थान के जोधपुर में एक सीमेंट फैक्टी में काम करते थे.
दीपचंद का मन खेतीबाड़ी में नहीं लगता था. इस वजह से वह उन दिनों काम की तलाश कर रहा था. जब कविता के पिता ने उसे जोधपुर में काम दिलाने की बात की तो वह शादी के कुछ महीनों बाद ही राजस्थान पहुंच गया. दीपचंद तब राजस्थान की एक सीमेंट फैक्ट्री में नौकरी पर चला गया.
घर में अकेली कविता को तन्हाई ने डस लिया. उस के मन के एक कोने में अब भी अपने बचपन के प्यार बृजेश बर्मन उर्फ कल्लू की यादें थीं. जब अकेलापन भारी पड़ने लगा तो उस ने बृजेश से फिर तार जोड़ लिए. कविता का मायका सुनवानी पन्ना में था, वह पहले शराब कंपनी में काम करता था. तब कविता के पापा के घर में ही किराए पर रहता था.
कविता ने बीएससी तक की पढ़ाई की थी और वह शुरू से ही सपनों की दुनिया में सैर करने वाली लड़की थी. बृजेश तब शराब कंपनी में काम कर के अच्छे पैसे कमा रहा था. उसे कविता पहली ही नजर में पसंद आ गई थी. वह आतेजाते कविता से बात करने के बहाने ढूंढता. उस समय कविता की उम्र महज 19 साल थी.
एक दिन बृजेश शाम को जल्दी अपने रूम पर आ गया. उस समय कविता की मां मंदिर गई थीं और पिता किसी काम से बाहर गए हुए थे. बृजेश ने मौका देखते ही अपने प्यार का इजहार करते हुए कहा, “कविता, तुम बहुत खूबसूरत हो. आई लव यू कविता.’’
कविता भी मन ही मन बृजेश को चाहने लगी थी, मगर डर के मारे यह बात दिल में दबाए बैठी थी. जब बृजेश ने प्यार का इजहार किया तो उस ने भी कह दिया, “आई लव यू टू बृजेश.’’
कविता की स्वीकृति मिलते ही बृजेश ने उस का हाथ पकड़ा और गालों पर चुंबन लेते हुए कहा, “कविता, मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता.’’
कविता का चेहरा मारे शर्म के लाल हो गया, उस ने जल्दी से अपना हाथ छुड़ाया और अपने कमरे की तरफ भाग गई. धीरेधीरे दोनों में गहरी दोस्ती और फिर प्यार परवान चढ़ने लगा. बृजेश अकसर कविता के लिए महंगे गिफ्ट भी ला कर देने लगा.
कविता पटेल और बृजेश बर्मन अलगअलग जाति के थे. दोनों शादी के लिए राजी थे, मगर सामाजिक रीतिरिवाजों में इस की इजाजत नहीं थी. बृजेश उसे घर से भगा कर शादी करना चाहता था, लेकिन कविता घर से भाग कर शादी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई. आखिर में मई, 2021 में कविता की शादी उस के घर वालों ने दमोह जिले के खैरा गांव निवासी दीपचंद से कर दी.
किराएदार से हुआ था प्यार
23 साल की कविता की शादी दीपचंद पटेल से हुई थी. उस समय कविता हायर सेकेंडरी तक पढ़ी थी. जब उस ने अपने ससुर से आगे पढ़ने की इच्छा जताई तो उन्होंने उस का एडमिशन पन्ना के अमानगंज कालेज में करवा दिया. शादी से पहले कविता का उस के मकान में रहने वाले किराएदार बृजेश बर्मन उर्फ कल्लू से अफेयर जरूर था, मगर दोनों की जाति अलग होने की वजह से उन की शादी नहीं हो पाई.
शादी के बाद सब ठीकठाक चल रहा था. कविता के ससुर उसे बेटी की तरह प्रेम करते थे. शादी के बाद कविता अपने प्रेमी बृजेश को भी भुला चुकी थी. कविता के पति की नौकरी राजस्थान की सीमेंट फैक्ट्री में थी. शादी के कुछ दिन बाद दीपचंद वापस नौकरी पर लौट गया तो कविता को खाली घर काटने लगा.
एक दिन वह मोबाइल के कौंटैक्ट नंबर देख रही थी, तभी उसे बृजेश का नंबर दिखा. उसे पुराने दिन याद आने लगे. वह बृजेश से बात करने की कोशिश तो करती, लेकिन कुछ सोच कर रुक जाती थी. आखिरकार एक दिन उस ने बृजेश से बात करने की गरज से फोन किया तो बृजेश ने काल रिसीव करते हुए कहा, “हैलो कौन?’’
“बृजेश, पहचाना नहीं मुझे. तुम तो बहुत बदल गए, अब तो मेरी आवाज भी भूल गए.’’ कविता ने शिकायत की.
“जानेमन तुम्हें कैसे भूल सकता हूं. इस अननोन नंबर से काल आई तो पहचान नहीं सका.’’ बृजेश सफाई देते हुए बोला.
“तुम ने तो मेरी शादी के बाद कभी काल भी नहीं की,’’ कविता बोली.
“कविता, मैं तुम्हें दिल से चाहता था, इसलिए मैं तुम्हारा बसा हुआ घर नहीं उजाड़ना चाहता था. मैं ने अपने दिल पर पत्थर रख कर तुम्हारी खुशियों की खातिर समझौता कर लिया था,’’ बृजेश बोला.
“सच में इतना प्यार करते हो तो मुझ से मिलने दमोह आ जाओ, तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं हो रही.’’ कविता ने फिर से उस के प्रति चाहत दिखाते हुए कहा.
कई महीने बाद बृजेश और कविता ने अपने दिल की बातें कीं तो उन का पुराना प्यार जाग गया. उस के बाद दोनों की मेल मुलाकात का सिलसिला चल निकला. बृजेश से जब कविता का दोबारा संपर्क हुआ तो उस समय वह टेंट हाउस में काम करने लगा था. कविता से उस की मुलाकात अकसर कालेज जाते समय होती थी. जब बृजेश कविता की ससुराल भी आने लगा तो कविता ने अपने ससुर और पति से उस का परिचय मुंहबोले भाई के तौर पर कराया.
बृजेश ने दीपचंद से भी दोस्ती कर ली थी. दीपचंद खाने पीने का शौकीन था, इसलिए अकसर ही दीपचंद की बैठक बृजेश के साथ होने लगी. दीपचंद और उस के पिता हाकम को यह शक तक नहीं हुआ कि वह यहां कविता के लिए आता है.
दीपचंद को उस की गैरमौजूदगी में जब बृजेश के कुछ अधिक ही घर आने की खबर मिलने लगी तो उसे संदेह हुआ. फिर दीपचंद राजस्थान से नौकरी छोड़ कर लौट आया. वह पन्ना की सीमेंट फैक्ट्री में काम पर लग गया. वह अपने गांव खैरा के घर से ही ड्यूटी आनेजाने लगा. दीपचंद के लौटने के बाद दोनों का मिलना मुश्किल हो गया था.
धीरेधीरे दीपचंद को पत्नी कविता और बृजेश के संबंधों की भनक लग चुकी थी. हालांकि दोनों ने अपने संबंधों को दीपचंद के सामने स्वीकार नहीं किया. कविता हमेशा बृजेश को मुंहबोला भाई ही बताती रही. शादी के 2 साल बाद भी उन के संतान नहीं हुई थी.