दो बीवियों का खूनी : पति क्यों बना हत्यारा

राजस्थान के जिला जालौर के थाना चितलवाना का एक गांव है सेसावा. इसी गांव में दीपाराम प्रजापति अपनी 2 पत्नियों के साथ रहता था. उस की पहली शादी 10 साल पहले मालूदेवी से हुई थी. माली भोलीभाली मंदबुद्धि लड़की थी. इसलिए दीनदुनिया से बेखबर वह खुद में ही मस्त रहती थी. लेकिन वह घरगृहस्थी के सभी काम कर लेती थी. भले ही वह काम धीरेधीरे करती थी.

जिस समय दीपाराम की शादी माली देवी से हुई थी, वह काफी गरीब था. वह राजमिस्त्री था. किसी तरह मेहनतमजदूरी कर के गुजरबसर कर रहा था. लेकिन माली से शादी के बाद उस के दिन फिर गए. वह मकान बनाने के ठेके लेने लगा. वहां वह खुद राजमिस्त्री था. अब उस के यहां कईकई राजमिस्त्री काम करने लगे.

कुछ ही दिनों में दीपाराम लाखों में खेलने लगा. पैसे आए तो उस के शौक भी बढ़ गए. उस ने अपना बढि़या मकान बनवा लिया. कार भी खरीद ली. इस बीच माली से उसे एक बेटा पैदा हुआ, जो इस समय 7 साल का है.

मंदबुद्धि माली जो कभी दीपाराम को सुघड़ और बहुत सुंदर लगती थी, पैसा आने के बाद वह बेकार लगने लगी. इस की एक वजह यह थी कि वह सिर्फ औरत थी. वह न सजती थी न संवरती थी.

दिन भर काम में लगी रहती और रात में कहने पर उस के पास सो जाती. इस तरह धीरेधीरे माली से उस का मन उचटने लगा. वह ऐसी पत्नी चाहता था, जो उसे प्यार करे. सजसंवर कर नखरे दिखाए, उस के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी, इसलिए वह दूसरी शादी के बारे में सोचने लगा. उसे लगा कि दूसरी शादी के बाद ही उस की जिंदगी की नीरसता दूर हो सकती है.

दूसरी शादी का विचार आते ही वह लड़की की खोज में लग गया, जो उस के लायक हो. इस के लिए उस ने अपनी जानपहचान वालों को भी सहेज दिया. उस के किसी जानपहचान वाले ने एक ऐसी औरत के बारे में बताया जिस की 3 शादियां हो चुकी थीं. इस के बावजूद वह मांबाप के घर रह रही थी.

उस औरत का नाम था दरिया देवी उर्फ दौली. वह राजस्थान के जिला बाड़मेर के गांव सिवाना के रहने वाले पीराराम प्रजापति की बेटी थी. दौली के बारे में दीपाराम को पता चला तो वह पीराराम से उस के एक परिचित के माध्यम से मिला. उस ने वहां बताया कि उस की शादी हुई थी, लेकिन पत्नी की मोैत हो गई है. इसलिए अब वह उस की बेटी दौली से नाताप्रथा के तहत विवाह करना चाहता है. इस के लिए उस ने पीराराम को मोटी रकम का लालच दिया.

पीराराम को मोटी रकम तो मिल ही रही थी, इस के अलावा जवान बेटी से मुक्ति भी. उस ने 5 लाख रुपए ले कर दौली का नाताप्रथा के तहत दीपाराम से विवाह कर दिया. इस तरह दीपाराम से चौथा विवाह कर के उस की पत्नी बन गई. लेकिन जब वह ससुराल पहुंची तो उस की पहली पत्नी माली और उस के बेटे को देख कर उस ने सिर पर आसमान उठा लिया. क्योंकि दीपाराम ने यह झूठ बोल कर उस से शादी की थी. उस की पहली पत्नी  मर चुकी है और उस का कोई बच्चा भी नहीं है.

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इस के बाद तो यह रोज का सिलसिला बन गया. दौली दीपाराम को झूठा कहती और उस की किसी बात पर यकीन नहीं करती. दीपाराम उसे समझाता कि माली मंदबुद्धि है. नौकरानी की तरह रहती है. उसे तो मौज से रहना चाहिए. लेकिन इस पर दौली राजी नहीं थी. उस का कहना था कि वह पति का बंटवारा नहीं चाहती. उस ने यह बात अपने घर वालों से बताई तो उन्होंने पंचायत बुला ली.

पंचों की खातिरदारी में दीपाराम को लाखों रुपए खर्च करने पड़े. इस के अलावा उसे दौली के नाम से उसे 10 लाख रुपए की एफडी करानी पड़ी. इस तरह दूसरी पत्नी के चक्कर में एक बार फिर उसे लाखों रुपए खर्च करने पड़े.

पंचायत में समझौता तो करा दिया लेकिन दौली शांत नहीं हुई. वह लगभग रोज ही उस से लड़ाईझगड़ा करती. दिनभर का थकामांदा दीपाराम घर लौटता तो चायपानी पिलाने के बजाए वह उसे जलीकटी सुनाती. दीपाराम पत्नी के इस व्यवहार से काफी दुखी था. वह दौली को बहुत समझाता, लेकिन वह तो लड़ने का कोई न कोई बहाना ढूंढती रहती थी.

बहाने की कोई कमी नहीं होती थी. बहाना मिलते ही वह आसमान सिर पर उठा लेती थी. 2 बच्चों, ढाई साल के कैलाश और 8 महीने की सरिता की मां बनने के बाद भी दौली के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया.

इधर दीपाराम को गुजरात के पालनपुर में मकान बनाने का ठेका मिला था. वहां वह ससुराल में रहता था. दौली उस के साथ ही थी. वह वहां भी क्लेश करती थी. दौली के इस व्यवहार से तंग आ कर उस का मन काम से उचटने लगा और पहली पत्नी माली की ओर उस का झुकाव होने लगा. इस की वजह यह थी कि माली भोलीभाली थी. उस के लिए तो सभी एक जैसे थे. पति प्यार करे तो ठीक, न करे तो भी ठीक. वह अपनी मस्ती में मस्त रहती थी. बेटे और सास की सेवा में लगी रहती थी.

नवंबर, 2017 में दौली दीपाराम के साथ सेसावा आई तो सास से खूब झगड़ा किया. दीपाराम को दौली की यह हरकत इतनी बुरी लगी कि अब वह उसे पत्नी नहीं, मुसीबत लगने लगी. यही सोच कर अब वह इस मुसीबत रूपी पत्नी से पीछा छुड़ाने के बारे में सोचने लगा, क्योंकि उस ने उस का ही नहीं, पूरे परिवार का जीना मुहाल कर दिया था.

दीपाराम अब इस बात पर विचार करने लगा कि वह दौली से कैसे पीछा छुड़ाए. वह उसे इस तरह मारना चाहता था कि लोगों को लगे कि उस की हत्या नहीं की गई, बल्कि दुर्घटना में मरी है. ऐसा होने पर पुलिस भी उस का कुछ नहीं कर पाएगी. पालनपुर में वह ऐसा करना नहीं चाहता था, इसलिए गहने बनवाने की बात कह कर वह उसे गांव ले आया.

18 दिसंबर, 2017 को वह सेसावा आ गया. चलते समय उस ने बोतल में 2 लीटर पैट्रोल भरवा लिया था. बोतल में पैट्रोल देख कर दौली को संदेह हुआ तो उस ने यह बात मायके वालों को बता दी. लेकिन घर वालों ने उस का वहम बता कर बात खारिज कर दी. क्योंकि दीपाराम ने अपने ससुर को पहले ही फोन कर के बता दिया था कि वह दौली के लिए गहने बनवाने गांव जा रहा है.

19 दिसंबर, 2017 की सुबह दीपाराम ने मां से कहा कि वह दौली के लिए थोड़े गहने बनवाने जा रहा है. हम दोनों के आने तक वह बच्चों का खयाल रखना. यह बात मंदबुद्धि माली ने सुनी तो गहने के लालच में वह भी भाग कर आई और कार का पिछला दरवाजा खोल कर बैठते हुए बोली, ‘‘मुझे भी गहने चाहिए. मैं भी साथ चलूंगी.’’

दीपाराम उसे उतार भी नहीं सकता था, दूसरे इसलिए उस ने कार आगे बढ़ा दी. दौली दीपाराम की बगल वाली सीट पर आगे बैठी थी. उस ने कार बढ़ा दी, लेकिन वह इस सोच में डूब गया कि वह अपनी योजना को कैसे अंजाम दे? वह एक बार फिर योजना बनाने लगा.

इस बार उस के दिमाग में जो योजना आई, उस के अनुसार उस ने जिस तरफ दौली बैठ गई थी, उसी ओर गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर सड़क किनारे पड़े पत्थरों से कार भिड़ा दी.

संयोग से दौली को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. उस के मन में शंका तो थी, वह कार से उतर भागी. वह समझ गई कि दीपाराम उसे मारने के लिए लाया है. वह थोड़ी दूर गई थी कि रास्ते खड़ी औरतों ने पूछा, ‘‘क्या हुआ, तुम इस तरह भाग क्यों रही हो.’’

‘‘मेरा पति मुझे मारना चाहता है. इसीलिए उस ने कार पत्थरों से टकरा दी है.’’

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दीपाराम ने भाग रही दौली को पकड़ा और गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘‘गलती से कार टकरा गई थी. लगता है समय ठीक नहीं है. चलो, घर लौट चलते हैं.’’

दौली दीपाराम के साथ जाने को तैयार नहीं थी लेकिन, औरतों ने कहा कि औरतें 2 हैं और पति अकेला, वह कुछ नहीं कर पाएगा.  फिर यह उस का वहम है, भला उसे क्यों मारेगा. वह पति के साथ घर जाए.

इस के बाद दौली और माली पीछे वाली सीट पर बैठ गईं तो दीपाराम गांव की ओर लौट पड़ा. दीपाराम सिर्फ दौली को मारना चाहता था, लेकिन अब वह दौली के साथ माली को भी ठिकाने लगाने के बारे में सोचने लगा. उस का सोचना था कि उस के पास पैसे हैं ही, वह तीसरी शादी कर लेगा.

गांव एक किलोमीटर के लगभग रह गया तो दीपाराम ने कार रोक दी. वह फुरती से नीचे उतरा और कार को लौक कर दिया, जिस से माली और दौली उतर न सकें. पैट्रोल की बोतल उस ने अपनी सीट के पास ही रखी थी. उतरते समय उस ने बोतल हाथ में ले ली थी. बाहर आ कर उस ने बोतल का पैट्रोल कार पर उड़ेल कर आग लगा दी. कार धूधू कर जलने लगी. कार के दरवाजे लौक थे, इसलिए दौली और माली बाहर नहीं आ सकीं.

उन की चीखें तक बाहर नहीं आ सकीं और दोनों उसी में घुटघुट कर मर गईं. थोड़ी देर बाद उधर से एक मोटरसाइकिल सवार निकला तो उसे देख कर दीपाराम चीखनेचिल्लाने लगा. उस ने गांव में खबर की तो गांव वाले वहां पहुंचे. तब तक कार जल चुकी थी.

गांव वालों ने किसी तरह पानी डाल कर आग बुझाई तो पता चला कि कार के साथ दीपाराम की दोनों पत्नियां जल कर मर चुकी थीं. उस का कहना था कि गाड़ी बंद होने पर वह नीचे उतरा तो दरवाजे खुद लौक हो गए और उस के बाद आग लगने से दोनों जल कर मर गईं.

गांव वालों ने घटना की सूचना थाना चितलवाना को दी तो थानाप्रभारी तेजू सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे. 2 महिलाओं की जली हुई लाशें कार में पड़ी थीं. पति सिर पीटपीट कर रो रहा था. पुलिस ने उसे सांत्वना दी. थानाप्रभारी ने इस घटना की सूचना एसपी विकास शर्मा एवं एसएसपी बींजाराम मीणा एवं डीएसपी फाऊलाल को दी.

थोड़ी देर में पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल पर आ गए. निरीक्षण में पुलिस को यह घटना संदिग्ध लगी तो दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा कर उन के मायके वालों को सूचना दे कर थाने बुला लिया. दौली के मायके वालों का कहना था कि यह दुर्घटना नहीं, इस में दीपाराम की कोई साजिश है तो पुलिस ने दीपाराम से सख्ती से पूछताछ की.

आखिर उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि दौली के लड़नेझगड़ने से ऊब कर उस ने ऐसा किया. वह पहली पत्नी को नहीं मारना चाहता था, मगर वह भी गहनों के चक्कर में साथ आ गई और मारी गई.

दीपाराम ने अपराध स्वीकार कर लिया तो 20 दिसंबर को मालूदेवी और दौली की हत्या का मुकदमा मृतका दौली के पिता पीराराम की ओर थाना चितलवाना में दीपाराम प्रजापत के खिलाफ दर्ज करा दिया गया. पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया. अब उस के तीनों बच्चों की देखभाल उस की बूढ़ी मां कर रही है.

स्वार्थ की राह पर बिखरा अपनों का खून – भाग 1

उत्तर प्रदेश के जिला कासगंज का एक छोटा सा गांव है अभयपुरा. महावीर सिंह इसी गांव के संपन्न किसान बंसीलाल का बेटा था. इसी जिले के थाना मिरहची के अंतर्गत गांव कल्यानपुर में महावीर की बहन ब्याही थी. 5 अक्तूबर, 2016 को वह अपने घर से बहन के घर जाने के लिए निकला. बहन को उसने यह खबर फोन कर के दे दी थी कि वह शाम तक पहुंच जाएगा.

जब शाम तक महावीर बहन के घर नहीं पहुंचा तो बहन ने महावीर की पत्नी केला देवी को फोन कर के पूछा, ‘‘भाभी, महावीर भैया आने को कह रहे थे, अभी तक नहीं आए.’’

‘‘वह तो सुबह ही यहां से मिरहची के लिए निकल गए थे. अभी तक नहीं पहुंचे तो कहां चले गए.’’ केला देवी बोली.

‘‘पता नहीं भाभी,’’ बहन बोली, ‘‘आप उन के दोस्तों को फोन कर के देखो. क्या पता दोस्तों के साथ हों.’’

केला देवी ससुर बंसीलाल के पास गई और यह बात उन्हें बता दी. बंसीलाल ने महावीर का फोन नंबर मिलाया तो वह स्विच्ड औफ आ रहा था. बंसीलाल की भी समझ में नहीं आया कि बेटा गया तो गया कहां. उन्होंने उस के दोस्तों को भी फोन कर के पूछा पर कहीं से भी उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

उन का दिल तेजी से धड़कने लगा, चिंता बढ़ने लगी. कुछ नहीं सूझा तो वह मोहल्ले के  1-2 लोगों को साथ ले कर थाना अमोपुर पहुंच गए. थानाप्रभारी विजय सिंह को उन्होंने बेटे महावीर के गायब होने की बात बताई.

थानाप्रभारी ने बंसीलाल को विश्वास दिलाया कि वह महावीर का जल्द पता लगा लेंगे. उस की गुमशुदगी लिखने के बाद पुलिस महावीर की तलाश में जुट गई. महावीर कोई दूध पीता बच्चा तो था नहीं, जिस से यह समझा जाता कि वह कहीं खो गया होगा. वह समझदार और शादीशुदा था.

पुलिस यह मान कर चल रही थी कि या तो किसी ने उस का अपहरण कर लिया होगा या फिर उस के गायब होने के पीछे प्रेम प्रसंग का मामला होगा.

थानाप्रभारी ने सब से पहले महावीर के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के बाद उन्होंने उस के बारे में जांच की कि वह किस तरह का शख्स था. गांव में उस का किसकिस के साथ उठनाबैठना था.

इस जांच में थानाप्रभारी विजय सिंह को एक नई जानकारी यह मिली कि महावीर का बदन सिंह के घर कुछ ज्यादा ही आनाजाना था. उस की बीवी निर्मला के साथ उस के नाजायज संबंध थे. इस जानकारी के बाद वह बदन सिंह के घर पहुंचे तो बदन सिंह घर पर नहीं मिला. उस की पत्नी निर्मला ने बताया कि वह एक दिन पहले ही दिल्ली गए हैं. इस पर पुलिस ने उस का पता लगाने के लिए अपने मुखबिर लगा दिए.

3 हफ्ते बीत गए पर बदन सिंह के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. इस दौरान पुलिस महावीर के बारे में अन्य स्रोतों से भी पता लगाने की कोशिश कर रही थी. 30 अक्तूबर, 2016 को एक मुखबिर ने थानाप्रभारी को बदन सिंह के बारे में एक खास सूचना दी. उस ने बताया कि बदन सिंह आज गांव के बाहर ईंट भट्ठे पर आएगा. इस खबर को सुन कर थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ गांव के बाहर ईंट भट्ठे पर पहुंचे तो वहां पर उन्हें बदन सिंह के साथ एक युवक और मिला.

पुलिस ने उन दोनों को हिरासत में ले लिया. बदन सिंह के साथ जो युवक था, उस ने अपना नाम मान पाल निवासी गांव सामंती बताया. थाने में उन दोनों से पूछताछ की गई तो बदन सिंह ने बताया कि महावीर सिंह उस का जिगरी दोस्त था, पर दोस्ती की आड़ में उस ने उस के साथ ऐसा गुनाह किया जो माफी के लायक नहीं था इसलिए हालात ऐसे हो गए कि उस की हत्या करानी पड़ी.

इस के बाद उस ने महावीर की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

महावीर कासगंज जिले के थाना अमापुर के एक छोटे से गांव अभयपुरा में रहता था. वह दिल्ली में नौकरी करता था, इसलिए उसे दिल्ली की हवा लगी हुई थी. उस के पिता के पास अच्छीखासी जमीन थी पर महावीर का खेती के काम में मन नहीं लगता था, इसलिए वह दिल्ली में नौकरी करता था. पिता ने उस की शादी एटा निवासी केला देवी से कर दी थी. बाद में वह एक बेटे का पिता बना जिस का नाम यशवीर रखा.

महावीर की गांव के कई हमउम्र लड़कों से दोस्ती थी. उन्हीं में से एक था बदन सिंह. बदन सिंह के पिता के पास भी अच्छीखासी खेती की जमीन थी. वह पिता के साथ खेती के काम में हाथ बंटाता था. बदन सिंह की शादी निर्मला से हो चुकी थी. बाद में वह भी 2 बच्चों का पिता बना.

महावीर और बदन सिंह एक तरह से लंगोटिया यार थे. महावीर महीने 2 महीने में जब भी दिल्ली से आता तो उस का ज्यादातर वक्त बदन सिंह के साथ ही बीतता था. घर आने पर बदन सिंह की पत्नी निर्मला महावीर की खूब खातिर करती थी. महावीर के दिल्ली चले जाने के बाद बदन सिंह भी खुद को अकेला महसूस करता था.

एक बार जब महावीर दिल्ली से गांव आया तो कुछ अलग ही घटित हो गया. वह अपने दोस्त बदन सिंह के घर पहुंचा तो उस की पत्नी निर्मला को देखता ही रह गया. वह बहुत सुंदर लग रही थी. महावीर के दिल में अजीब सी हलचल होने लगी.

वह निर्मला के नजदीक आने की ख्वाहिश रखने लगा. लेकिन उस के मन के किसी कोने में यह बात भी उठ रही थी कि क्या दोस्त की बीवी को ले कर ऐसी बातें सोचना सही है? उस ने निर्मला से अपने मन की बात नहीं कही और घर लौट आया. पर बारबार निर्मला की चाहत उसे बेचैन किए जा रही थी. उसे परेशान देख कर पत्नी केला देवी ने उस से परेशानी की वजह पूछी पर उस ने कोई जवाब नहीं दिया.

महावीर ने गांव के कई लड़कों को दिल्ली ले जा कर नौकरी पर लगवाया था. कुछ सोच कर उस ने इस बार बदन सिंह को भी दिल्ली चल कर नौकरी करने को कहा, लेकिन बदन सिंह ने साफ इनकार कर दिया.

जेठ के चक्कर में पति की हत्या – भाग 1

राजस्थान के उदयपुर शहर को झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है. इसी शहर के प्रतापनगर थाने के अंतर्गत उदयसागर झील स्थित है. 17 नवंबर, 2020 को लोगों ने उदयसागर झील में एक बोरा पानी के ऊपर तैरता देखा. लग रहा था जैसे कि उस में कोई चीज बंधी हो. किसी ने इस की सूचना प्रतापनगर थाने में फोन द्वारा दे दी.

सूचना पा कर थानाप्रभारी विवेक सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर जा पहुंचे. उन्होंने झील से बोरा निकलवाया. जब बोरा खोला गया तो उस में किसी अधेड़ उम्र के व्यक्ति का शव निकला. मृतक की उम्र 45 वर्ष के आसपास लग रही थी.

मृतक ने पैंटशर्ट पहनी हुई थी. चेहरे से लग रहा था कि वह असम, मणिपुर इलाके का है. मृतक की जामातलाशी में कुछ नहीं मिला था, जिस से कि मृतक की शिनाख्त हो पाती. शव की शिनाख्त नहीं होने पर कागजी काररवाई कर शव को राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया.

पुलिस ने अज्ञात शव की शिनाख्त कराने की पूरी कोशिश की. मगर किसी ने उस व्यक्ति की शिनाख्त नहीं की. एक सप्ताह तक मृतक की पहचान नहीं हुई तो पुलिस ने शव को लावारिस मान कर मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करा कर उस की अंत्येष्टि करा दी.

प्रतापनगर थाने में अज्ञात व्यक्ति का शव मिलने का मामला दर्ज कर लिया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मृतक को गला दबा कर मारा गया था. यह हत्या का मामला था. मगर जब तक मृतक की शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक पुलिस काररवाई करती भी तो कैसे.

पुलिस ने खूब हाथपैर मारे कि शव की कोई तो पहचान करे. मगर किसी ने इस व्यक्ति को देखा नहीं था. पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी अज्ञात शव की सुरागसी के लिए लगा रखा था. मगर साढ़े 4 महीने तक कुछ पता नहीं चला.

मगर अचानक उदयपुर पुलिस की जिला स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद पाटीदार को मुखबिर से सूचना मिली कि कुछ लोग एक मृत व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की बात कहते हुए कई पंचायतों के चक्कर लगा रहे हैं.

तब प्रह्लाद पाटीदार एवं स्पैशल टीम के इंचार्ज हनुमंत सिह भाटी की टीम ने जब 2 लोगों पर निगरानी रखी तो किसी व्यक्ति की मौत के बाद फरजी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की बात सामने आई.

टीम ने जब दोनों व्यक्तियों को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने अपने 3 अन्य साथियों के साथ मिल कर असम के उत्तम दास की हत्या करने की बात स्वीकार की. उन्होंने बताया कि उत्तम दास की हत्या उस के बड़े भाई तपन दास ने कराई थी. आरोपियों ने पुलिस को यह भी बताया कि तपन दास ने उन्हें इस काम के लिए साढ़े 12 लाख रुपए की सुपारी दी थी.

स्पैशल टीम और प्रतापनगर थाना पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़ी तो फरजी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के मामूली से प्रयास के पीछे अपराध की बड़ी कहानी निकल आई. किसी ने ऐसा सोचा भी नहीं था.

इस खुलासे के बाद न सिर्फ घिनौना अपराध सामने आया बल्कि उदयसागर में 17 नवंबर, 2020 को मिली अज्ञात व्यक्ति की लाश की वह गुत्थी भी सुलझ गई, जो करीब पौने 5 माह से प्रतापनगर थाना पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई थी.

मामला असम के रहने वाले एक परिवार में अवैध संबंधों का निकला, जिस में तपन दास को छोटे भाई उत्तम दास की पत्नी रूपा से प्यार हो गया तो आगे चल कर प्यार के इस खेल में उत्तम दास बलि का बकरा बन गया और उस की लाश हजारों किलोमीटर दूर उदयपुर की उदयसागर झील में फिंकवा दी. सुपारी किलर 5 युवकों से पूरी जानकारी एवं मृतक के भाई तपन दास का मोबाइल नंबर पुलिस ने हासिल कर लिया. इस के बाद एक विशेष पुलिस टीम गठित की गई.

इस टीम में जिला स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद पाटीदार की विशेष भूमिका रही. इस के अलावा जिला स्पैशल टीम में प्रतापनगर थाने के एसआई मांगीलाल, एएसआई गोविंद सिंह, सुखदेव सिंह, विक्रम सिंह, अनिल पूनिया, मोड़ सिंह, कांस्टेबल अचलाराम, विश्वेंद्र सिंह, नंदकिशोर, उमेश, हरिकिशन, नवलराम, फिरोज, साइबर सेल से गजराज सिंह को शामिल किया गया.

फिर एसआई मांगीलाल, कांस्टेबल नंदकिशोर को फ्लाइट से गुवाहाटी भेजा गया. इन्होंने स्थानीय पुलिस की मदद से मुख्य आरोपी तपन दास की तलाश की.

तपन दास से पूछताछ के बाद मृतक की पत्नी रूपा दास को भी हिरासत में ले लिया. मृतक के परिजनों से भी पूछताछ की गई. उन लोगों ने बताया कि रूपा ने दिसंबर 2020 के दूसरे हफ्ते बताया कि उदयपुर में उत्तम दास की कोरोना से मृत्यु हो गई है.

कोरोना होने के कारण शव का वहीं अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस के बाद मृतक के पैतृक निवास पर विधिविधान से अंतिम क्रियाएं की गई थीं. मृतक के परिजन तो उत्तम दास की मौत कोरोना से होने की मान रहे थे, मगर उदयपुर पुलिस ने घर वालों को बता दिया कि उत्तम की मृत्यु कोरोना से नहीं हुई थी, बल्कि बड़े भाई तपन दास ने साढ़े 12 लाख रुपए की सुपारी दे कर उस की हत्या कराई थी.

पुलिस से सच जान कर मृतक के परिजन बहू और हत्यारे बेटे तपन दास को कोसने लगे और विलाप करने लगे. पुलिस टीम दोनों आरोपियों रूपा दास और उस के जेठ तपन दास को गिरफ्तार कर उदयपुर ले आई.

उदयपुर में थाना प्रतापनगर में सातों आरोपियों से मृतक उत्तम दास की हत्या के संबंध में एसपी डा. राजीव पचार, एएसपी (सिटी) गोपालस्वरूप मेवाड़ा, डीएसपी राजीव जोशी, थानाप्रभारी (प्रतापनगर) विवेक सिंह ने कड़ी पूछताछ की.

पूछताछ में सभी आरोपियों ने उत्तम की हत्या करने का जुर्म कबूल कर के सारी कहानी बयां कर दी. इस के बाद एसपी डा. राजीव पचार ने 9 अप्रैल, 2021 को प्रैसवार्ता कर पत्रकारों को इस मामले की जानकारी दी.

पुलिस पूछताछ में अवैध संबंध में हत्या की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार है.

प्यार से निकला नफरत का दर्द – भाग 1

सुबह के 10 बज रहे थे. झारखंड के गुमला शहर थाने के इंसपेक्टर राजू कुमार गुप्ता अपने औफिस में मौजूद थे और थाने के दीवान दयाराम महतो उन से फाइलों पर दस्तखत करवा रहे थे. तभी संतरी ने औफिस में प्रवेश किया और कहा, ‘‘जयहिंद सर, बाहर एक औरत खड़ी है. कब से रोए जा रही है. कहती है, साहब से मिलना है. बहुत परेशान है.’’

‘‘ठीक है, उस औरत को अंदर भेज दो.’’ फाइलों के बीच नजर गड़ाए इंसपेक्टर ने उत्तर दिया.

‘‘जी सर,’’ सैल्यूट मार कर संतरी औफिस से बाहर निकला और उस औरत को अंदर भेज दिया.

गंदलुम साड़ी में दुबकी डरीसहमी परेशान औरत औफिस में आई और इंसपेक्टर गुप्ता ने उसे कुरसी पर बैठने का इशारा किया तो वह एक कुरसी पर बैठ गई.

थोड़ी देर बाद जब इंसपेक्टर गुप्ता काम से खाली हुए तो दुखियारी महिला की ओर मुखातिब हुए, ‘‘क्या बात है और आप ऐसे क्यों रोए जा रही हो?’’

‘‘साहब…’’ कहती हुई महिला भावुक हो गई और उस की आंखों से झरझर आंसू बहने लगे, ‘‘साहब, मेरा नाम पूनम है और पतिया की रहने वाली हूं.’’

‘‘सो तो ठीक है. पहले आप रोना बंद करो और ठीकठीक से बताओ आखिर बात क्या है? तभी तो मैं आप की कोई मदद कर पाऊंगा.’’

‘‘नहीं रोऊंगी साहब,’’ अपने आंसू पोछते हुए पूनम चुप हो कर आगे बोली, ‘‘साहब, मेरा पति रविंद्र महतो उर्फ रवि 3 महीने से गायब है. उस का कहीं पता नहीं चल रहा है, आप कुछ कीजिए.’’

‘‘पति 3 महीने से गायब है और आप अब तक हाथ पर हाथ धरे बैठी रहीं?’’

‘‘नहीं साहब, मैं ने अपनी तरफ से उसे बहुत ढूंढा लेकिन जब उन का कहीं पता नहीं चला, जब एकदम से नाउम्मीद हुई तो आप के पास गुहार लगाने आ गई.’’

‘‘ठीक है, आप को अंदाजा हो सकता है कि वह कहां जा सकता है? या कहीं तुम दोनों के बीच कोई झगड़ावगड़ा तो नहीं हुआ था, जो गुस्से में आ कर घर छोड़ कर खुद ही कहीं चला गया हो?’’

‘‘नहीं साहब, मेरा पति मुझ से बहुत प्यार करता है. हमारे बीच कभी भी तूतूमैंमैं तक नहीं हुई है तो उन का इस बात पर घर छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता है.’’

‘‘तो किसी पर शक है?’’

‘‘हां सर, मुझे संजू देवी पर शक है. वह मेरे पति का अपहरण करा सकती है. आप उसे पकड़ कर पूछिए तो बता सकती है कि मेरा पति कहां है.’’

‘‘ये संजू देवी कौन है और तुम्हारे पति से उस का क्या संबंध, जो उस का अपहरण करवा सकती है?’’ इंसपेक्टर गुप्ता के इस सवाल पर पूनम ने उन्हें पूरी बात विस्तार से बता दी. उस की बातों और तर्कों में दम था कि संजू जरूर पूनम के पति का अपहरण करा सकती है.

उन्होंने पूनम से एक तहरीर लिखाई और उसे विश्वास दिलाया कि वह कानून पर भरोसा रखे. उस के साथ पूरापूरा न्याय होगा और दोषियों को उन के किए की सजा जरूर मिलेगी. कह कर उसे उस के घर भेज दिया.

इंसपेक्टर राजू कुमार गुप्ता ने पीडि़ता पूनम की तहरीर के आधार पर संजू देवी के खिलाफ अपहरण की धारा में नामजद मुकदमा दर्ज कर आवश्यक काररवाई शुरू कर दी. यह बात 4 जनवरी, 2023 की है.

मामला इतना आसान नहीं था, जितना कि दिख रहा था. रविंद्र महतो उर्फ रवि की गुत्थी सुलझाने के लिए इंसपेक्टर गुप्ता ने एसपी हृदीप पी. जनार्दनन और एसडीपीओ मनीष चंद्र लाल को पूरे प्रकरण की जानकारी दी.

चूंकि मामला अपहरण से जुड़ा हुआ था और एक महिला के द्वारा अपहरण किया जाना प्रकाश में आया था, इसलिए यह मामला पेचीदा हो दिख रहा था. पुलिस अधिकारियों की नजर में यह मामला अपहरण के बजाय कुछ और दिख रहा था लेकिन वे अभी किसी नतीजे पर पहुंच नहीं सकते थे, इसलिए एसपी और एसडीपीओ ने एक रणनीति तैयार की. उस का नेतृत्व इंसपेक्टर राजू गुप्ता के हाथों में सौंप दिया.

इंसपेक्टर गुप्ता ने वैसा ही किया, जैसा उन्हें एसडीपीओ मनीष चंद्र लाल ने करने का आदेश दिया था. मुकदमा दर्ज होने के तीसरे दिन इंसपेक्टर गुप्ता पुलिस टीम के साथ आरोपी संजू देवी को गिरफ्तार करने के लिए रवाना हो गए.

संजू देवी सिमडेगा जिले की कुम्हार टोला बस्ती में रहती थी. संजू विधवा थी. उस के कोई बालबच्चा नहीं था. कुम्हार टोला, ठेठईटांगर थाना क्षेत्र में पड़ता था, इसलिए वहां की पुलिस की मदद ली गई. दोनों थानों की पुलिस की संयुक्त काररवाई में रात के समय संजू देवी के घर पर दबिश दी. घर से संजू देवी को गिरफ्तार कर लिया गया.

पूछताछ करने पर उस ने पुलिस को बताया कि 3 महीने पहले ही उस की हत्या कर दी गई थी. अब वह इस दुनिया में नहीं है. हत्या में उस का साथ उस के प्रेमी अजय महतो, उस की बड़ी बहन कौशल्या देवी, बहन के प्रेमी राजेंद्र साहू ने दिया था. संजू की निशानदेही पर उसी रात अजय महतो भी गिरफ्तार कर लिया गया.

पुलिस ने अजय से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने भी अपना जुर्म कुबूल कर लिया और वही बात दोहराई, जो उस की प्रेमिका संजू बता चुकी थी. इधर जैसे ही संजू और अजय की गिरफ्तारी की खबर कौशल्या और उस के प्रेमी राजेंद्र साहू को हुई, दोनों फरार हो गए.

बहरहाल, रविंद्र महतो की हत्या की बात तो संजू देवी और अजय महतो ने कुबूल कर ली थी, लेकिन शव बरामद होना बाकी था. पुलिस अगली सुबह यानी 8 जनवरी, 2023 को गिरफ्तार आरोपियों और अजय महतो को छंदा नदी के किनारे ले गई, जहां 2 टुकड़ों में बंटे रविंद्र महतो की लाश दफनाई थी.

आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने रविंद्र की लाश जो कंकाल बन चुकी थी, बरामद कर ली. प्रारंभिक काररवाई करने के बाद पुलिस ने उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया.

रविंद्र महतो हत्याकांड का खुलासा हो चुका था. 8 जनवरी की शाम एसडीपीओ मनीष चंद्र लाल ने पुलिस लाइंस में प्रैसवार्ता बुला कर पत्रकारों के सामने त्रिकोण प्रेम में हुई रविंद्र महतो की हत्या का खुलासा किया. इस के बाद दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

उधर फरार अन्य दोनों आरोपियों कौशल्या देवी और उस के प्रेमी राजेंद्र साहू को गिरफ्तार करने के लिए उन के हर संभावित ठिकानों पर दबिश दी जाने लगी, लेकिन दोनों पुलिस की पहुंच से बाहर थे.

पुलिस पूछताछ के बाद रविंद्र महतो हत्याकांड की कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

ले बाबुल घर आपनो : सीमा ने क्या चुना पिता का प्यार या स्वाभिमान – भाग 1

न जाने शंभुजी को क्या हो गया था, इतनी बड़ी कोठी, कार, नौकरचाकर, पैसा देखते ही चौंधिया गए थे. शायद उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उन के दामन में इतनी दौलत आएगी कि जिसे समेटने के लिए उन्हें स्वार्थ के दरवाजे खोल कर बुद्धि के दरवाजे बंद कर देने पड़ेंगे.

‘‘मुझे जीवनसाथी की जरूरत है, पापा, दौलत पर पहरा देने वाले पहरेदार की नहीं,’’ सीमा ने साफ शब्दों में अपनी बात कह दी.

शंभुजी कोलकाता से लौट कर आए तो उन्हें बड़ी हैरानी हुई. हमेशा दरवाजे पर स्वागत करने वाली सीमा आज कहीं भी नजर नहीं आ रही थी. मैसेज तो उन्होंने कोलकाता से चलने से पहले ही उस के मोबाइल पर भेज दिया था. क्या उस ने पढ़ा नहीं? लेकिन वे तो हमेशा ही ऐसा करते हैं. चलने से पहले मैसेज कर देते हैं और उन की लाड़ली बेटी सीमा दरवाजे पर मिलती है. उस का हंसता चेहरा देखते ही वे अपनी सारी थकान, सारा अकेलापन पलभर में भूल जाते हैं. शंभुजी का मन उदास हो गया. कहां गई होगी सीमा? मोबाइल भी घर पर छोड़ गई. किस से पूछें वे? और उन्होंने एकएक कर के सारे नौकरों को बुला लिया. पर किसी को पता नहीं था कि सीमा कहां है. सब का एक ही जवाब था, ‘‘सुबह घर पर थी, फिर पता नहीं बिटिया कहां गई.’’

शंभुजी ने सीमा का मोबाइल चैक किया. उन का मैसेज उस ने पढ़ लिया था. फिर भी सीमा घर में नहीं रही. क्या होता जा रहा है उसे? पिछले कई महीनों से वे देख रहे हैं, सीमा में कुछ परिवर्तन होते जा रहे हैं. न वह उन के साथ उतना लाड़ करती है, न उन्हें अपने मन की कोई बात ही बताती है और न ही अब उन से कुछ पूछती है. पिछली बार जब वे कोलकाता जा रहे थे, तो उन्होंने कितना पूछा था, ‘क्यों, बेटे, तुम्हें कुछ मंगवाना है वहां से?’ तो बस, केवल सिर हिला कर उस ने न कर दी थी और वहां से चली गई थी.

पहले जब वे कहीं जाते थे, तो कैसे उन के गले में बांहें डाल कर लटक जाती थी, और मचल कर कहती थी, ‘पापा, जल्दी आ जाइएगा, इतने बड़े सूने घर में हमारा मन नहीं लगता.’

उन का भी कहां इस घर में मन लगता है. यह तो सीमा ही है, जिस के पीछे उन्होंने इतने बरस हंसतेहंसते काट दिए हैं और अपनी पत्नी मीरा को भी भुला बैठे हैं. जबजब वे सीमा को देखते हैं, उन्हें हमेशा यही संदेह होता है, मीरा लौट आई है. और वे अपने अकेलेपन की खाई को सीमा की प्यारीप्यारी बातों से पाट देते हैं.

एक दिन सीमा भी तो पूछ बैठी थी, ‘पापा, मेरी मां बहुत सुंदर थीं?’

‘हां बेटा, बहुत सुंदर थी?’

‘बिलकुल मेरी तरह?’

‘हां, बिलकुल तेरी तरह.’

‘वे आप से रूठती भी थीं?’

‘हां बेटा.’

‘मेरी तरह?’

‘आज तुम्हें क्या हो गया है, सीमा? यह सब तुम्हें किस ने बताया है?’ वे नाराज हो गए थे.

‘15 नंबर कोठी वाली रेखा चाची हैं न, उन्होंने कहा था, मां बहुत अच्छी थीं. आप उन की बात नहीं मानते थे तो वे रूठ जाती थीं,’ सीमा बड़े भोलेपन से बोली थी.

‘तू वहां मत जाया कर, बेटी. अपने घर में क्यों नहीं खेलती? कितने खिलौने हैं तेरे पास?’ उन्होंने प्यार से समझाया था.

‘वहां शरद है न, वह मेरे साथ कैरम खेलता है, बैडमिंटन खेलता है, यहां मेरे साथ कौन खेलेगा? आप तो सारा दिन घर से बाहर रहते हैं,’ वह रोआंसी हो आई थी.

वे उस छोटी सी बेटी को कैसे बताते कि उस की मां उन से क्यों रूठ जाती थी. वे तो आज तक अपने को कोसते हैं कि मीरा की वे कोई भी इच्छा पूरी न कर सके. कितनी स्वाभिमानी थी वह? इतनी बड़ी जायदाद की भी उस की नजर में कोई कीमत न थी. हमेशा यही कहती थी कि वह सुख भी किस काम का जिस से हमेशा यह एहसास होता रहे, यह हमारा अपना नहीं, किसी का दिया हुआ है.

यह जो आज इतना बड़ा राजपाट है, यह सब उन्हें मीरा की बदौलत ही तो मिला था. लेकिन मीरा ने कभी इस राजपाट को प्यार नहीं किया. न जाने शंभुजी को क्या हो गया था, इतनी बड़ी कोठी, कार, नौकरचाकर, पैसा देखते ही चौंधिया गए थे. शायद उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उन के दामन में इतनी दौलत आ आएगी कि जिसे समेटने के लिए उन्हें स्वार्थ के दरवाजे खोल कर बुद्धि के दरवाजे बंद कर देने पड़ेंगे.

बहुत बड़ा कारोबार था मीरा के पिताजी का. कितने ही लोग उन के दफ्तर में काम करते थे. शंभुजी भी वहीं काम करते थे. वे बहुत ही स्मार्ट, होनहार और ईमानदार व्यक्ति थे. अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने मीरा के पिता का मन जीत लिया था. शंभुजी से उन की कोई बात छिपी नहीं थी, और शंभुजी भी उन की बात को अपनी बात समझ कर न जाने पेट के किस कोने में रख लेते थे, जिस से कोई जान तक नहीं पाता था. मीरा की मां ने ही एक दिन पति को सुझाव दिया था, ‘क्योंजी, तुम तो दिनरात शंभुजी की प्रशंसा करते हो. अगर हम अपनी मीरा की शादी उन से कर दें, तो कैसा रहेगा? गरीब घर का लड़का है, अपने घर रह जाएगा.’

‘मैं भी कितने दिनों से यही सोच रहा था. मुझे भी ऐसा लड़का चाहिए जो मेरा कारोबार भी संभाल ले, और हमारी बेटी भी हमारे पास रह जाए,’ मीरा के पिता ने बात का समर्थन किया था.

‘मेरी चिंता दूर हुई. लेदे कर एक ही तो औलाद है, वही आंखों से दूर हो जाए तो यह तामझाम किस काम का?’

‘लड़का हीरा है, हीरा. चरित्रवान, स्मार्ट, मेहनती, ईमानदार, यह समझ लो, चिराग ले कर ढूंढ़ने से भी ऐसा लड़का हमें नहीं मिलेगा.’

‘तो बात पक्की कर लो. यह जरूर जतला देना, घरजमाई बन कर रहना पड़ेगा. उसे मंजूर हो तो बस चट मंगनी पट ब्याह वाली बात कर ही डालो,’ मीरा की मां ने पुलकित हो कर कहा था.

बात पक्की हो गई थी. बड़ी धूमधाम से मीरा और शंभुजी की शादी हुई थी. शंभुजी के पांव धरती पर नहीं पड़ते थे. पहले तो दफ्तर में काम करने वाले सभी साथियों ने ईर्ष्या की थी, लेकिन धीरेधीरे वे सब के लिए छोटे मालिक हो गए थे. मीरा के पिता तो जैसे उन्हें पा कर पूरी तरह निश्ंिचत हो गए थे. धीरेधीरे सारा कारोबार ही उन्होंने शंभुजी को सौंप दिया था.

निक्की यादव की बेरहम हत्या : नई दुल्हन बेड पर, पहली फ्रिज में – भाग 1

दक्षिणपश्चिम दिल्ली के मित्राऊं गांव के गहलोत परिवार में 11 फरवरी, 2023 को बेहद खुशी का माहौल था. खुशियों का ठिकाना नहीं था, उन्होंने अपने बेटे साहिल गहलोत को आखिर शादी के बंधन में बांध ही दिया था, क्योंकि वह कई सालों से अपनी शादी के लिए उन से टालमटोल कर रहा था, लेकिन आखिर वह परिवार की जिद के आगे घुटने टेकने को मजबूर हो गया. 10 फरवरी, 2023 को वह चमचमाती हुई शेरवानी-सेहरा पहन कर घोड़ी पर चढ़ा और बाजेगाजे के साथ बारात ले कर मंडोला गांव पहुंच गया. रात को शादी की रस्में पूरी हुईं और 11 फरवरी को वह अपनी दुलहन के साथ घर लौट आया.

गहलोत परिवार में नईनवेली बहू आई थी, घर मेहमानों से भरा हुआ था. युवकयुवतियां घर की बैठक में अभी भी डीजे की धुन पर थिरक रहे थे. इन में साहिल के भांजे, भतीजे, भाईबहनें और वे दोस्त, जो साहिल के बहुत नजदीकी थे, सभी पूरे जोश में फिल्मी गानों की धुन पर अपनी कमर मटका रहे थे.

सुबह से शाम होने को आ गई, लेकिन खुशी और जोश से भरे युवाओं के पांव थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे. कुछ समय को उन में से कोई एक बैठ जाता तो दूसरे झूमते रहते, न उन्हें खाने का होश था, न सुस्ताने का. उन्होंने पूरा समां बांध रखा था.

ऊपर की मंजिल पर साहिल का कमरा था, जिसे सुहागकक्ष के रूप में सजा दिया गया था. नई दुलहन सुहाग सेज पर बैठी अपने प्रियतम साहिल का पलक पांवड़े बिछाए इंतजार कर रही थी. वह खुश थी क्योंकि उसे सपनों के राजकुमार जैसा पति मिला था, उस का मन फूले नहीं समा रहा था और दिल की धड़कनें उस को संगीत की लय पर थिरकती महसूस हो रही थीं.

उसे उन पलों का इंतजार था, जब साहिल सुहाग कक्ष में आ कर उसे प्यार से अपनी बांहों में समेट कर उस के तनमन को अपनी खुशबू से महका देने वाला था. एकएक पल उसे रोमांच से भर रहा था कि अचानक उसे नीचे हाल में बज रहे डीजे के बंद होने और भारी बूटों के धड़धड़ाते हुए सीढि़यों पर आने की आवाजों ने चौंका दिया.

सुहाग कक्ष में पहुंची पुलिस

कुछ पल बीते. उस के सुहाग कक्ष को धकेल कर कुछ सिपाही अंदर घुस आए. उन के पीछेपीछे साहिल के पिता वीरेंद्र सिंह गहलोत और अन्य रिश्तेदार भी थे. सभी हैरानपरेशान और घबराए हुए दिखाई दे रहे थे.

दुलहन भी पुलिस को देख कर घबरा गई थी. वह पलंग से नीचे उतर कर घूंघट चेहरे पर डाल कर एक ओर खड़ी हो गई.

पुलिस के सिपाही पूरे कमरे की छानबीन करने लगे. उन के साथ द्वारका जिले के थाना हरिदासनगर के एसएचओ राजकुमार भी थे.

‘‘आखिर बात क्या है इंसपेक्टर साहब, आप क्या तलाश कर रहे हैं, हमें भी तो बताइए.’’ साहिल के पिता वीरेंद्र सिंह गहलोत ने परेशान होते हुए पूछा.

‘‘आप का बेटा साहिल कहां है?’’ एसएचओ ने घूम कर वीरेंद्र सिंह के चेहरे पर नजरें जमा दीं, ‘‘हमें साहिल चाहिए.’’

‘‘वह तो घर में नहीं है.’’ उन्होंने बताया.

‘‘कहां गया है?’’

‘‘मालूम नहीं, कुछ बता कर नहीं गया. लेकिन साहब, साहिल ने ऐसा क्या कर दिया है, जो आप इस तरह उसे घर में घुस कर ढूंढ रहे हैं?’’

‘‘उस ने एक लड़की निक्की यादव को गायब किया है.’’

‘‘निक्की यादव, यह कौन है?’’ गहलोत ने हैरानी से पूछा.

‘‘आप को नहीं मालूम?’’ एसएचओ राजकुमार ने वीरेंद्र सिंह को घूरा, ‘‘निक्की यादव आप के बेटे की प्रेमिका है और उस के साथ लिवइन पार्टनर के रूप में द्वारका में रहरही थी. आप के बेटे ने उसी का अपहरण किया है.’’

एसएचओ से यह सच्चाई सुन कर गहलोत के हाथपांव फूल गए, वह अपना सिर पकड़ कर वहीं पलंग पर बैठ गए .

नई दुलहन अपने पति साहिल की इस करतूत को सुन कर सन्न रह गई. उसे गश आ गया और वह घड़ाम से नीचे गिर गई. साहिल के रिश्तेदार उस की ओर लपके.

एसएचओ ने इस ओर से अपना ध्यान हटा लिया. पुलिस ने घर का चप्पाचप्पा छान मारा, लेकिन साहिल उन्हें घर में नहीं मिला. इंसपेक्टर राजकुमार ने सिर पकड़ कर बैठे वीरेंद्र सिंह गहलोत से साहिल के संभावित ठिकानों और दोस्तों का पता ले कर उन्हें कड़ी वार्निंग दी, ‘‘देखिए, यदि साहिल यहां आता है तो आप उसे रोक कर रखेंगे और पुलिस को सूचना देंगे. यदि आप लोगों ने साहिल के यहां आने के बाद पुलिस को सूचना नहीं दी तो आप पर भी कानूनी काररवाई की जाएगी.’’

यह चेतावनी दे कर एसएचओ अपनी टीम के साथ वहां से थाने की ओर रवाना हो गए

इस के बाद 12 फरवरी को ही पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना मिली थी कि मित्राऊं (दिल्ली) के रहने वाले साहिल ने अपने साथ लिवइन में रहने वाली पार्टनर 22 वर्षीया निक्की यादव को गायब कर दिया है. निक्की यादव झज्जर (हरियाणा) के रहने वाले सुनील यादव की बेटी है. वह दिल्ली में द्वारका की परमार कालोनी में किराए पर अपनी छोटी बहन के साथ रहती थी.

कंट्रोल रूम से मिली इस सूचना के आधार पर द्वारका जिले के बाबा हरिदास नगर की पुलिस मित्राऊं पहुंची थी. पुलिस को साहिल की तलाश थी, जो उसे मित्राऊं के अपने घर में नहीं मिला था.

चूंकि पुलिस को यह मालूम हो गया था कि साहिल की शादी किसी दूसरी लड़की से 10 तारीख को हो गई है, इसलिए पुलिस को पूरा विश्वास था कि साहिल ने निक्की यादव को इसलिए गायब किया है कि वह साहिल की शादी में कोई हंगामा खड़ा न कर सके. पुलिस को शंका थी कि कहीं साहिल ने निक्की का कत्ल न कर दिया हो. यदि ऐसा हुआ होगा तो साहिल निक्की की लाश को ठिकाने लगाने की जुगत में लग गया होगा.

अभी हाल ही में (18 मई, 2022 ) दिल्ली में श्रद्धा नाम की एक युवती का कत्ल हो गया था. यह हत्या उस के प्रेमी आफताब ने की थी. आफताब ने श्रद्धा को कत्ल करने के बाद उस के शव के टुकड़ों को काफी दिनों तक फ्रिज में रखा था और बाद में वह उन टुकड़ों को महरौली के जंगल में फेंकता रहा था.

इस घटना ने लोगों को ही नहीं, बल्कि पुलिस को भी झकझोर दिया था. इस से दिल्ली पुलिस सकते में आ गई थी. पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल भी उठे थे, किंतु आफताब को गिरफ्तार कर के पुलिस ने इस मामले को काफी कुछ शांत करने की कोशिश की थी. अब फिर से दिल्ली में लिवइन पार्टनर निक्की का मामला सामने आ गया.

क्राइम ब्रांच ने संभाली जांच

कहीं साहिल भी निक्की की हत्या कर के पुलिस के लिए एक सिरदर्दी न पैदा कर दे, इसी बात को ध्यान में रख कर पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने यह मामला तुरंत दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया.

क्राइम ब्रांच के विशेष आयुक्त रविंद्र यादव ने इस केस को गंभीरता से लेते हुए क्राइम ब्रांच के डीसीपी सतीश कुमार के नेतृत्व में एक टीम बनाई. टीम में वेस्टर्न रेंज के एसीपी राजकुमार, इंसपेक्टर सतीश कुमार, एएसआई कृष्ण, सुरेश कुमार, संजय, हवलदार रोहताश आदि को शामिल किया गया. इस के बाद टीम के सभी सदस्य सिर जोड़ कर निक्की यादव के मामले में कार्य योजना बनाने में जुट गए.

सगे बेटे ने की साजिश – भाग 1

अनीता शुक्रवार की शाम पौने 5 बजे अपनी भाभी कंचन वर्मा के घर पहुंची. उस ने दरवाजे पर लगी कालबेल बजाई. लेकिन कई बार घंटी बजाने के बाद भी जब अंदर कोई हलचल नहीं हुई तो उस ने दरवाजे को धक्का दिया. इस से दरवाजा खुल गया.

अनीता अंदर पहुंची. उस ने भाभी को आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. बैडरूम में टीवी चल रहा था और मोबाइल भी बैड पर पड़ा था. तभी उस की नजर बाथरूम की ओर गई. उस ने बाथरूम का दरवाजा खोला तो वह हैरान रह गई. वहां फर्श पर भाभी कंचन बेहोश पड़ी थीं. घर का सामान अस्तव्यस्त पड़ा हुआ था.

यह सब देखते ही अनीता चीखती हुई बाहर की ओर भागी. उस ने यह जानकारी आसपास के लोगों व भाई कुलदीप वर्मा को दी. यह 19 फरवरी, 2021 की बात है.

अनीता के चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर आसपास के लोग एकत्र हो गए. अनीता ने बगल में रहने वाली उस की दूसरी भाभी व भाई कुलदीप वर्मा को फोन कर बुलाया.

इस बीच किसी ने यह सूचना थाना क्वार्सी को दे दी. तभी सर्राफा कारोबारी कुलदीप वर्मा अपने नौकर के साथ घर पहुंचे और अपनी पत्नी को मैडिकल कालेज ले जाने के साथसाथ अपनी दोनों बेटियों व बेटे को फोन किया. डाक्टरों ने जांच के बाद कंचन वर्मा को मृत घोषित कर दिया.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी छोटेलाल पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. हत्या व लूट की घटना से सनसनी फैल गई थी. कुलदीप वर्मा प्रतिष्ठित सर्राफा कारोबारी थे. घटना की जानकारी होते ही व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथसाथ कुलदीप वर्मा की दोनों बेटियां, बेटा व शहर में रहने वाले अन्य परिजन व करीबी एकत्र हो गए.

घनी आबादी वाले इलाके में हत्या व लूट की घटना पर लोग आक्रोशित हो कर हंगामा करने लगे. स्थिति की गंभीरता को भांप कर इंसपेक्टर ने अपने उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया.

आननफानन में अलीगढ़ के एसएसपी मुनिराज जी, एसपी (सिटी) कुलदीप सिंह गुनावत, एसपी (क्राइम) डा. अरविंद कुमार  सहित अन्य अधिकारी भी पहुंच गए. एसएसपी ने फोरैंसिक, क्राइम ब्रांच, सर्विलांस, फील्ड यूनिट और डौग स्क्वायड की टीमों को भी मौके पर बुला लिया.

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के क्वार्सी थाना क्षेत्र की सरोज नगर कालोनी में प्रतिष्ठित सर्राफा व्यवसायी कुलदीप वर्मा अपनी पत्नी कंचन वर्मा के साथ रहते थे. उन का यह मकान एटा चुंगी चौराहे से करीब 100 मीटर की दूरी पर है.

सर्राफा कारोबारी कुलदीप वर्मा रोजाना की तरह सुबह एटा चुंगी चौराहे के पास नौरंगाबाद स्थित अपने शोरूम पर चले गए थे. इस के बाद ही बदमाशों ने घटना को अंजाम दिया था.

उच्चाधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. लूट और हत्या के बारे में जानकारी ली. कंचन के गले पर चोट के निशान थे. जबकि नाक से खून निकल रहा था. देखने से लग रहा था कि बदमाशों ने कालबैल बजा कर कंचन से दरवाजा खुलवाया और घर में घुस कर लूटपाट की, विरोध करने पर उन्होंने कंचन वर्मा की गला दबा कर हत्या कर दी. फिर उन को ले जा कर बाथरूम में बंद कर दिया.

बाथरूम से गैस की बदबू आने पर पता चला कि गैस गीजर का पाइप कटा हुआ था, तुरंत गैस सिलिंडर को बंद किया गया.

घर वालों ने पुलिस को बताया कि दूध वाले, नौकरानी, अपने बेटे व करीबी के अलावा मृतका किसी के लिए दरवाजा नहीं खोलती थीं. घर में कुत्ता भी है, जो घटना के समय मकान की पहली मंजिल के कमरे में बंद था.

यह भी पता चला कि नौकरानी काम कर के चली गई थी. दोपहर करीब डेढ़ बजे कंचन ने अपने छोटे दामाद पुनीत को जन्मदिन की बधाई देने के लिए फोन किया था. उन्होंने करीब 7 मिनट बात की थी. फिर यह कहते हुए बैड पर मोबाइल रख दिया कि दरवाजे पर कोई आया है. इस के बाद फोन कट गया था.

काम किसी परिचित का था

यही आखिरी काल थी. इसी दौरान बदमाशों ने घटना को अंजाम दिया था. शाम पौने 5 बजे शहर के ही ऊपरकोट मोहल्ले में रहने वाली कुलदीप की बहन अनीता आई, तब घटना की जानकारी हुई थी.

फोरैंसिक टीम ने कई स्थानों से फिंगरप्रिंट उठाए. घर में ऐसा कोई व्यक्ति आया था,  जिसे यह तक पता था कि घर में हथौड़ी और आरी कहां रखी थीं. उसे यह जानकारी थी बैडरूम के अंदर एक छोटा कमरा है, जिस के अंदर तिजोरी है.

पुलिस को आशंका थी कि वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों को घर की हर चीज की जानकारी थी. संभावना थी कि लुटेरे परिवार के नजदीकी रहे होंगे.

दिनदहाड़े हुई इस वारदात की आसपास के किसी व्यक्ति को भनक तक नहीं लगी थी. जबकि घर वालों के मुताबिक हत्या व लूट की घटना दोपहर करीब डेढ़ बजे किसी के कालबैल बजाने के बाद हुई थी.

बदमाशों ने घर के औजारों से ही छोटे कमरे तथा वहां रखी तिजोरी के ताले तोड़े थे. घर में जमीन, बीमा पौलिसी आदि के कागजात बिखरे पड़े थे. टूटी हुई चूडि़यां भी मिलीं. अंदर के कमरे की तिजोरी तोड़ कर बदमाश हीरे, सोने और चांदी के गहने लूट ले गए थे.

लूटे गए सामान की कीमत एक करोड़ से अधिक बताई. सर्राफ कुलदीप वर्मा की तरफ से पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 394 के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली थी.

मौके की काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए अलीगढ़ भेज दिया. कुलदीप वर्मा का नौरंगाबाद देवी मंदिर के पास कुलदीप ज्वैलर्स के नाम से शोरूम है. घटना के समय वह अपने शोरूम पर कारीगर के साथ थे.

सर्राफा कारोबारी की दोनों विवाहित बेटियों ने पुलिस को बताया कि इस वारदात में हो न हो, कोई ऐसा व्यक्ति शामिल है, जो या तो हमारा अपना है या फिर हमारे घर के बारे में बारीकी से जानता है कि कौन सी चीज कहां रखी है.

इस बारे में परिवार के करीबी सदस्यों, अकसर घर आने वालों के अलावा किसी को जानकारी नहीं थी. टूटी चूडि़यां देख कर पुलिस ने अनुमान लगाया कि बदमाशों से संघर्ष के दौरान मृतका की चूडि़यां टूट गई होंगी. खोजी कुत्ता मकान के बाहर गली के मोड़ तक जाने के बाद ठिठक कर रह गया. इसे ले कर तमाम तरह के कयास लगाए जाने लगे.

घर वालों ने बताया कि दुकान के कीमती जेवरातों के अलावा गिरवी रखे जेवरात भी टूटी तिजोरी में रखे थे. बदमाशों ने बैडरूम के अंदर वाले कमरे और उस के अंदर रखी तिजोरी के अलावा किसी चीज को हाथ नहीं लगाया था.

खानदानी काम था सर्राफा

कुलदीप वर्मा मूलरूप से महेंद्रनगर के रहने वाले थे. कुलदीप 5 भाइयों में दूसरे नंबर के हैं. सब से बड़े भाई राजू की मृत्यु हो चुकी है जबकि तीसरे नंबर के संजय, चौथे नंबर के पंकज व सब से छोटा महेंद्र है. पिता ज्ञानचंद्र की भी ज्वैलरी की दुकान थी. इन का ज्वैलरी का काम खानदानी है.

चारों भाई सन 2012 में नई विकसित हुई कालोनी सरोज नगर में अपनेअपने मकान बनवा कर रहने लगे थे. चारों का अपनाअपना सर्राफा का कारोबार है. जिस में कुलदीप का कारोबार सब से अच्छा था.

कुलदीप वर्मा के 2 बेटियां पायल व काजल हैं. दोनों बेटियों की शहर में ही अलगअलग इलाकों में शादियां कर दी गई थीं. बेटियों के अलावा इकलौता बेटा योगेश उर्फ राजा है. राजा ने करीब 6 महीने पहले शहर के ही कपड़ा व्यापारी की बेटी से प्रेम विवाह किया था.

युवती दूसरी बिरादरी की व उम्र में राजा से बड़ी होने के कारण मांबाप इस से नाखुश थे. बहनों ने भी इस प्रेम विवाह का विरोध किया था. इसलिए राजा अपनी पत्नी के साथ जीवीएम मौल के सामने किराए के मकान में रहने लगा था. घटना की जानकारी होने पर वह भी घर आ गया था.

जानकारी होने पर कोल क्षेत्र के विधायक अनिल पाराशर, इगलास क्षेत्र के भाजपा विधायक राजकुमार पीडि़त परिवार से मिलने पहुंचे.  दिन भर सियासी लोगों की आवाजाही लगी रही. हत्या व लूट के विरोध में आक्रोशित सर्राफा कारोबारियों ने अपनी दुकानें बंद रखीं.

दिनदहाड़े सर्राफा व्यवसाई की पत्नी की हत्या व लूट से नाराज व्यापार मंडल के पदाधिकारी व सर्राफा व्यवसायी एसएसपी व एसपी से मिले और वारदात के शीघ्र खुलासे की मांग की. इस घटना से प्रशासन की चाकचौबंद व्यवस्था की पोल खुल गई थी.

खून में डूबी ‘हिना’ : नफरत की अनूठी दास्तान – भाग 1

5 जुलाई, 2017 को इलाहाबाद और कानपुर के बीच स्थित जिला कौशांबी के थाना कोखराज के गांव पन्नोई के पास सड़क किनारे एक युवती की लाश पड़ी होने की खबर फैलते ही वहां अच्छीखासी भीड़ लग गई. लाश औंधे मुंह पड़ी थी. उस के आसपास खून भी फैला था, जो सूख कर काला पड़ चुका था. किसी ने इस बात की सूचना पुलिस कंट्रोलरूम को दी तो थोड़ी ही देर में पुलिस कंट्रोलरूम की सूचना पर थाना कोखराज पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई.

पुलिस ने लाश सीधी कराई तो पता चला कि युवती के माथे के बीचोबीच सटा कर गोली मारी गई थी. वहां बड़ा सा छेद स्पष्ट दिखाई दे रहा था. मृतका ने नीले रंग की जींस और गुलाबीसफेद रंग की डौटेड कुर्ती पहन रखी थी. शक्लसूरत और पहनावे से वह बड़े घर की लग रही थी.

थानाप्रभारी की सूचना पर एसपी अशोक कुमार पांडेय भी घटनास्थल पर आ गए थे. उन्होंने भी थानाप्रभारी बृजेश द्विवेदी के साथ घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. लाश के पास से कोई खोखा नहीं मिला था. वहां जितना खून फैला होना चाहिए था, वह भी नहीं था. इस से अंदाजा लगाया गया कि हत्या कहीं और कर के लाश यहां ला कर फेंकी गई थी.

पुलिस ने वहां जमा लोगों से लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन शिनाख्त हो नहीं सकी. इस के बाद पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. इस के बाद थाने आ कर पन्नोई गांव के चौकीदार की ओर से अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

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लाश की शिनाख्त के चक्कर में ही उस का पोस्टमार्टम 9 जुलाई को किया गया. 2 डाक्टरों अनुभव शुक्ला और रेखा सिंह के पैनल ने लाश का पोस्टमार्टम किया. इस की वीडियोग्राफी भी कराई गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मृतका के साथ दुष्कर्म हुआ था. वह प्रेग्नेंट भी थी. डाक्टरों ने दुष्कर्म और प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए स्वाब और स्मीयर प्रिजर्व कर लिए थे.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार,युवती की मौत करीब 115 से 120 घंटे पहले हुई थी. इस का मतलब लाश मिलने से करीब 40 घंटे पहले ही उस की हत्या हो चुकी थी यानी उस की हत्या 4/5 जुलाई की रात 12 से 1 बजे के बीच हुई थी. युवती के माथे से जिस तरह सटा कर गोली मारी गई थी, उस से साफ लगता था कि गोली मारने वाला उस का कोई करीबी था.

लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी तो पोस्टमार्टम के बाद 10 जुलाई को पुलिस ने उस का अंतिम संस्कार करा दिया. कौशांबी पुलिस के लिए यह मामला एक चुनौती बन गया था, क्योंकि 7 दिनों बाद भी मृतका की पहचान नहीं हो सकी थी.

एसपी अशोक कुमार पांडेय ने लाश की शिनाख्त और मामले के खुलासे के लिए थाना पुलिस को तो लगाया ही, क्राइम ब्रांच की भी एक टीम को लगा दिया. घटना के 8 दिनों बाद यानी 12 जुलाई को लाश के फोटो वाट्सऐप, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए तो किसी व्यक्ति ने फोन कर के क्राइम ब्रांच को बताया कि कौशांबी में मिली लाश हिना तलरेजा की है. फेसबुक पर इस का एकाउंट है.

पुलिस के लिए यह सूचना काफी महत्त्वपूर्ण थी. पुलिस ने हिना तलरेजा का एकाउंट खंगाला तो उस का पता और मोबाइल नंबर मिल गया. पुलिस ने उस नंबर पर फोन किया तो वह बंद था. उस की लोकेशन पता की गई तो उस की अंतिम लोकेशन इलाहाबाद के मीरापुर से सटे मोहल्ला दरियाबाद की मिली. उसी के आधार पर पुलिस ने अनुमान लगाया कि मृतका इलाहाबाद की रहने वाली हो सकती है.

इस के बाद क्राइम ब्रांच की टीम मृतका के घर वालों की तलाश में इलाहाबाद पहुंची. आखिर 4 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद 18 जुलाई को पुलिस उस की मां नीलिमा तलरेजा तक पहुंच गई. 18 जुलाई को थाना पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम इलाहाबाद के मीरापुर पहुंची तो पता चला कि हिना वहां किराए पर रहती थी.

हिना की लाश का फोटो दिखाने पर मकान मालिक ने बताया कि यह फोटो हिना तलरेजा की है, महीने भर पहले यह अपनी मां के साथ उन के यहां किराए पर रहती थी, लेकिन उन्होंने उन से अपना मकान खाली करा लिया था. उस के पिता की मौत हो चुकी थी. उन के मकान से जाने के बाद मांबेटी कहां रह रही हैं, यह वह नहीं बता सके. उन्होंने यह जरूर बताया था कि हिना सिविल लाइंस स्थित किसी हुक्का बार में काम करती थी.

पुलिस खोजतेखोजते सिविल लाइंस स्थित उस हुक्का बार तक पहुंच गई, जहां हिना काम करती थी. हुक्का बार की मालकिन दामिनी चावला (बदला हुआ नाम) ने भी फोटो देख कर उस की शिनाख्त हिना तलरेजा के रूप में कर दी. उन के बताए अनुसार, खुद को पर्सनैलिटी मेकर बताने वाली हिना का इलाहाबाद के कई बारों में आनाजाना था. उसे शराब की लत लग चुकी थी. शराब का निमंत्रण मिलने पर वह किसी भी समय, किसी के भी साथ, कहीं भी चली जाती थी. कुछ दिनों पहले वह शराब पी कर एक बार में बेहोश हो गई थी, तब 2 लड़कों ने उसे अपनी कार से उस के घर पहुंचाया था.

दामिनी चावला के माध्यम से पुलिस हिना की मां तक पहुंची. वह मीरापुर में ही दूसरी जगह पर किराए पर रह रही थीं. पुलिस ने उन्हें फोटो दिखाई तो बेटी की लाश की फोटो देखते ही वह रो पड़ीं. पुलिस ने उन्हें शांत कराया तो उन्होंने बताया कि 4 जुलाई, 2017 की शाम 7 बजे वह दिल्ली जाने की बात कह कर घर से निकली थी. उसी दिन रात को उस ने 10:44 और 10:45 बजे अपनी 2 फोटो फेसबुक पर शेयर किए थे. उस के बाद से उस के एकाउंट पर कोई अपडेट नहीं था. उस ने मां से भी संपर्क नहीं किया था. वह तो यही समझ रही थीं कि हिना दिल्ली में है.

जांच आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने हिना के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस के नंबर पर अंतिम बार जिन 2 लोगों से बात हुई थी, उन के नाम अदनान खान और खालिद थे. दोनों थाना शाहगंज के रहने वाले थे. पुलिस उन के घर पहुंची तो दोनों ही अपनेअपने घरों से गायब मिले. इस से पुलिस को उन पर शक हुआ.

देवर के प्रेम में पति की आहुति

16 जुलाई, 2017 की सुबह की बात है. लोग रोजाना की तरह उठ कर अपने दैनिक कामों में लग गए थे. उसी दौरान कुछ लोग स्टोन पार्क की ओर गए, तभी किसी व्यक्ति की नजर वहां पड़ी लाश की ओर गई. इस के बाद जल्दी ही यह बात आग की तरह पूरे पुरानी छावनी थानाक्षेत्र में फैल गई. जहां लाश पड़ी थी, वह क्षेत्र पुरानी छावनी थानाक्षेत्र के अंतर्गत आता था.

स्टोन पार्क में लाश पड़ी होने की खबर सुन कर स्टोन पार्क के आसपास रहने वाले लोगों का घटनास्थल पर जमघट लग गया. इसी बीच किसी ने यह सूचना थाना पुरानी छावनी को दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी प्रीति भार्गव पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गईं. उन्होंने देखा, मृतक 50-55 साल का था और उस की लाश लहूलुहान पड़ी हुई थी.

थानाप्रभारी ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतक की छाती, गले, हाथ व सिर पर किसी तेजधार हथियार के घाव थे. उस की लाश के पास ही शराब की खाली बोतल और 2 गिलास पड़े हुए थे. इस से अनुमान लगाया गया कि हत्या से पहले हत्यारे ने मृतक के साथ शराब पी होगी. घटनास्थल पर काफी भीड़ इकट्ठा हो चुकी थी.

थानाप्रभारी ने भीड़ से मृतक की शिनाख्त कराई तो किसी ने उस का नाम अंगद कडेरे बताते हुए कहा कि यह स्टोन पार्क की करीबी बस्ती का रहने वाला है और पेशे से हलवाई है. थानाप्रभारी ने एसआई रामसुरेश को अंगद के घर भेज कर उस की हत्या की खबर भिजवा दी. अंगद की पत्नी गीता को जैसे ही पति की हत्या की खबर मिली, उस का रोरो कर बुरा हाल हो गया.

मृतक की पत्नी और बच्चे एसआई रामसुरेश के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे. पुलिस ने उन से संक्षिप्त पूछताछ कर के घटनास्थल की काररवाई पूरी की और लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

मृतक अंगद की पत्नी गीता की तरफ से पुलिस ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. एसपी डा. आशीष ने थानाप्रभारी प्रीति भार्गव को हत्या के शीघ्र खुलासे के निर्देश दिए. थानाप्रभारी ने सब से पहले मृतक अंगद के घर जा कर उस के घर वालों से पूछताछ की. उन लोगों ने बताया कि अंगद की किसी से कोई रंजिश नहीं थी, वह बहुत सीधेसादे इंसान थे. बस उन्हें शराब पीनेपिलाने की आदत थी.

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15 जुलाई, 2017 की रात उन के मोबाइल पर किसी का फोन आया था. फोन पर बात करने के बाद वे यह कह कर घर से निकल गए थे कि उन्हें जरूरी काम है, बस थोड़ी देर में लौट कर आते हैं. लेकिन जाने के बाद वह वापस लौट कर नहीं आए. सुबह को उन की हत्या की जानकारी मिली.

प्रीति भार्गव ने अंगद कडेरे की पत्नी गीता से विस्तार से बातचीत की, लेकिन उस का इतना भर कहना था कि यह सब कैसे हो गया, इस बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है. गीता से बातचीत करते वक्त प्रीति भार्गव की नजर उस के हावभाव पर टिकी हुई थी.

पति के मरने का जो गम होना चाहिए, वह उस के चेहरे पर दिखाई नहीं दे रहा था. गीता थानाप्रभारी से बातचीत करने तक में डर रही थी. यहां तक कि उन से नजरें चुरा रही थी. थानाप्रभारी ने अपने अनुभव से अनुमान लगाया कि कहीं न कहीं दाल में काला जरूर है. लेकिन बिना ठोस सबूत के गीता पर हाथ डालना उन्होंने ठीक नहीं समझा. लिहाजा वे गीता से यह कह कर थाने लौट आईं कि अगर किसी पर संदेह हो तो फोन कर के मुझे बता देना.

इस के बाद थानाप्रभारी ने गीता के मोबाइल नंबर की कालडिटेल्स निकलवाई. कालडिटेल्स से उन्हें पता चला कि घटना वाले दिन गीता के मोबाइल पर देर रात जो आखिरी काल आई थी, वह बंटी जाटव की थी. उन्होंने बिना देरी किए थाने के तेजतर्रार एसआई रामसुरेश और कुछ पुलिसकर्मियों को मुरैना भेजा. पुलिस ने बंटी जाटव के सुभाषनगर स्थित घर से उसे पकड़ लिया और पूछताछ के लिए उसे पुरानी छावनी थाने ले आए.

उस से अंगद कडेरे की हत्या के बारे में गहनता से पूछताछ की तो पहले तो वह खुद को निर्दोष बताता रहा, लेकिन जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया. बंटी ने अपना अपराध कबूल करते हुए बताया कि अंगद कडेरे की हत्या उस ने ही की थी. उस ने अंगद की हत्या की जो कहानी बताई, वह अवैध संबंधों पर आधारित थी.

अंगद कडेरे पुरानी छावनी थाने के अंतर्गत आने वाले स्टोन पार्क के पीछे बसी बस्ती में रहता था. वह जवान हुआ तो अपनी आजीविका चलाने के लिए हलवाई का काम करने लगा. उस की पहली पत्नी से 4 बच्चे सपना, गजेंद्र, भारती और विकास थे.

दरअसल, अंगद ने पहली पत्नी मीरा की मौत के बाद गीता से दूसरी शादी कर ली थी. इस से पहले अंगद अपनी दूसरी पत्नी गीता के साथ मुरैना के सुभाषपुरा में रहता था. वहीं उस के पड़ोस में बंटी जाटव रहा करता था. गीता से शादी के बाद उस के यहां 2 बेटे दुर्गेश और आकाश पैदा हुए. बंटी का अंगद के यहां काफी आनाजाना था. उस की गीता से बहुत पटती थी. गीता रिश्ते में उस की भाभी लगती थी, इस नाते वह उस से हंसीमजाक कर लेता था.

अंगद हलवाई था. दिन भर अपनी दुकान और कभीकभी रात में शादीविवाह में काम करने की वजह से वह देर रात को थकामांदा घर लौटता तो पत्नी को ज्यादा वक्त नहीं दे पाता था. खाना खाने के बाद वह शराब पी कर सो जाता था. यह बात गीता को काफी अखरती थी. पति की इस उदासीनता के चलते गीता का झुकाव बंटी की ओर हो गया.

भाभी के इस आमंत्रण को बंटी भांप गया. अंगद के काम पर निकलते ही वह उस के घर पहुंच जाता और अपनी लच्छेदार बातों से गीता का मन बहलाता. जल्दी ही एक दिन ऐसा आया, जब दोनों ने अपनी सीमाएं लांघ कर अपनी हसरतें पूरी कर लीं. दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. घर में अंगद के साथ उस के आधा दरजन बच्चे और पत्नी रहती थी. अंगद के काम पर निकलते ही गीता घर में अकेली रह जाती थी. बंटी इसी का फायदा उठा कर उस के घर पहुंच जाता था. इस तरह काफी दिनों तक दोनों ऐश करते रहे.

जाहिर है, अवैध संबंध छिपाए नहीं छिपते. बस्ती की औरतों को इस बात का शक हो गया कि बंटी अंगद की गैरमौजूदगी में ही उस के घर क्यों आता है. किसी तरह यह बात अंगद के कानों तक पहुंच गई. इस से अंगद का माथा ठनका. उस ने गीता से दोटूक कह दिया कि उस की गैरमौजूदगी में बंटी घर पर कतई न आया करे. लेकिन गीता की शह की वजह से बंटी ने अंगद के घर आना बंद नहीं किया.

यह पता चलते ही अंगद ने खुद ही बंटी से सख्त लहजे में कह दिया कि वह उस की गैरमौजूदगी में घर पर न आया करे, वरना इस का अंजाम बुरा होगा. उधर उस ने अपनी पत्नी गीता को भी जम कर खरीखोटी सुनाई. आखिर बंटी ने अंगद के यहां उस की गैरमौजूदगी में आना बंद कर दिया.

अंगद की रोकटोक की वजह से गीता और बंटी की मुलाकात नहीं हो पा रही थी. दोनों ही बहुत परेशान थे. ऐसे में दोनों को अंगद अपनी राह का कांटा दिखाई देने लगा.

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एक दिन मौका मिलते ही गीता ने बंटी से मुलाकात की. उस ने बंटी से कहा कि अंगद को हमारे संबंधों की जानकारी हो चुकी है. उस ने मेरे ऊपर जो सख्ती की है, उस हालत में मैं नहीं रह सकती. मुझे तुम इस घुटनभरी जिंदगी से निकालो. बेहतर होगा, किसी तरह अंगद को ठिकाने लगा दो. इस के बाद ही हम दोनों सुकून से रह सकेंगे. गीता की बातों में आ कर वह अंगद की हत्या करने को तैयार हो गया.

15 जुलाई की रात अंगद खाना खाने बैठा ही था कि उस के मोबाइल पर बंटी जाटव का फोन आया. उस ने यह सोच कर उस का फोन रिसीव किया कि उसे कोई काम होगा, इसी वजह से इतनी रात गए फोन कर रहा है.

बंटी बोला, ‘‘अंगद भाई, तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है. मेरे एक रिश्तेदार को बेटे के जन्मदिन पर बड़ी पार्टी देनी है. ऐसा करते हैं हम दोनों मिल कर ठेके पर कैटरिंग का काम ले लेते हैं. पैसे मैं लगा दूंगा. पार्टी से आज ही बात कर लेते हैं. अगर आज बात नहीं की तो पार्टी किसी दूसरे को कैटरिंग का ठेका दे सकती है. तुम जल्दी आ जाओ, मैं स्टोन पार्क के पास तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं. अगर बात बन गई तो आज ही पार्टी से एडवांस ले लेंगे.’’

अंगद बंटी की बातों में आ गया. वह गीता से यह कह कर घर से निकल गया कि थोड़ी देर में लौट कर खाना खाएगा. जब वह स्टोन पार्क के करीब पहुंचा तो बंटी वहां शराब की बोतल लिए खड़ा था. अंगद को देखते ही वह बोला, ‘‘चलो, पार्टी के पास चलने से पहले एकदो पैग लगा लेते हैं.’’

दोनों ने वहीं बैठ कर शराब पी. शराब पीने के बाद बंटी ने क हा, ‘‘अब रात भी काफी हो गई है. गीता भाभी खाने के लिए इंतजार कर रही होंगी. हम पार्टी से सुबह बात कर लेंगे. मैं ऐसा करता हूं कि पहले तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूं, उस के बाद अपने घर चला जाऊंगा.’’

उस के बाद अंगद उस की बाइक के पीछे बैठ गया. कुछ दूर चल कर बंटी ने स्टोन पार्क के निकट अपनी बाइक रोक दी और बाइक की डिक्की में रखी कुल्हाड़ी निकाल ली.

अंगद बंटी की योजना से पूरी तरह अनभिज्ञ था. उसे क्या पता था कि अंगद ने डिक्की से कुल्हाड़ी उस की हत्या करने के लिए निकाली है. उस ने अंगद से कहा, ‘‘भाईसाहब, अभी एक बोतल और रखी है मेरी डिक्की में, 2-2 पैग और ले लेते हैं.’’

अंगद बंटी की बात टाल नहीं सका. दोनों जिस जगह पर खड़े हो कर बातचीत कर रहे थे, वहां बैठ कर शराब पीना ठीक नहीं था. लिहाजा वे वहां से कुछ दूर चले और स्टोन पार्क में झाडि़यों के पास बैठ कर शराब पीने लगे.

अंगद एक तो पहले से ही ज्यादा पिए हुए था. 2 पैग और लगाने के बाद उसे ज्यादा नशा हो गया, जिस से उस के कदम लड़खड़ाने लगे. ठीक उसी समय बंटी ने उस पर कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ प्रहार करने शुरू कर दिए.

नशे की हालत में अंगद को संभलने तक का अवसर नहीं मिला. वह निढाल हो कर नीचे गिर पड़ा. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई. बंटी ने उसे हिलाडुला कर देखा तो वह मर चुका था. वह वहां से अपने घर मुरैना चला गया. उस ने मुरैना पहुंचते ही गीता को उस के मोबाइल पर अंगद की हत्या की सूचना दे दी.

उस ने बतौर ऐहतियात गीता से कहा कि जब उसे पुलिस द्वारा अंगद की हत्या की खबर मिले तो वह रोने का नाटक करे, जिस से किसी को योजना पर संदेह न हो. पुलिस ने बंटी से पूछताछ के बाद गीता को भी गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी बिना नानुकुर के स्वीकार कर लिया कि पति की हत्या की साजिश में वह भी शामिल थी. बंटी की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त वह कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली, जोकि गीता ने उसे धार लगा कर दी थी.

उस के बाद दोनों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया. उधर हत्याकांड के खुलासे पर पुलिस अधीक्षक डा. आशीष ने सीएसपी जादौन, टीआई पुरानी छावनी प्रीति भार्गव, एसआई रामसुरेश सिंह कुशवाह को 5 हजार रुपए का इनाम देने की घोषणा की है.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

यारों की बाहों में सुख की तलाश – भाग 1

‘‘भौजी…ओ भौजी,’’ दरवाजे को थपकी देते हुए राजेश ने जोर से आवाज लगाई. थोड़ी ही देर में दरवाजा खुला. दरवाजा खोलने वाली युवती काजल थी. गोरे रंग की तीखे नाकनक्श वाली काजल के चेहरे पर उस वक्त उदासी छाई हुई थी. दरवाजा खोल कर उस ने राजेश पर उचटती सी नजर डाली और धीरे से पूछा, ‘‘क्या चाहिए?’’

‘‘उत्तम भैया नहीं हैं क्या घर में?’’ हिचकते हुए राजेश ने पूछा. ‘‘अभी घर नहीं लौटे हैं, आएंगे तो फोन करवा दूंगी, आ जाना.’’ कहते हुए काजल ने दरवाजा बंद करना चाहा तो राजेश ने दरवाजा पकड़ लिया, ‘‘माफ करना भौजी, तुम्हारे चेहरे की उदासी देख कर मेरा मन बैठ गया है. बताओ, हमेशा हंसतामुसकराता रहने वाला चेहरा आज यह उदास क्यों है?’’

‘‘क्या करोगे जान कर…’’ काजल ने बात घुमा दी, ‘‘अपने भैया के लिए आए थे, वह नहीं हैं तो फिर आ जाना.’’

‘‘मैं अपनी भौजी को भी तो अपना मानता हूं.’’ राजेश जल्दी से बोला, ‘‘तुम्हारा उदासी भरा चेहरा क्या मुझे वापस जाने देगा?’’

काजल ने गहरी सांस ली और दरवाजा छोड़ते हुए बोली, ‘‘अंदर आ जाओ.’’

राजेश कमरे में आ गया. काजल ने उसे कुरसी दी तो वह उस पर बैठते हुए बेचैन स्वर में बोला, ‘‘मैं भैया से ज्यादा तुम्हें अपना मानता हूं भौजी. तुम्हारी उदासी देख कर मन विचलित हो गया है. बताओ, क्या भैया से कोई कहासुनी हो गई है?’’

‘‘नहीं, वह घर में नहीं हैं तो उन से कहासुनी क्यों होगी. बस, मन यूं ही उदास हो गया.’’ काजल ने कह कर फिर गहरी सांस भरी.

‘‘नहीं, मैं नहीं मानता. यूं ही तुम उदास नहीं हो सकती. तुम्हें शुभम की…’’

काजल ने झपट कर राजेश के मुंह पर हथेली रख कर उस का वाक्य पूरा नहीं होने दिया. तुरंत बोली, ‘‘शुभम की कसम मत दो, मैं तुम्हें ऐसे ही बता देती हूं.’’

‘‘बताओ,’’ राजेश ने उस का हाथ अपने मुंह से हटा कर उस की आंखों में झांका.

‘‘मेरी उदासी का सबब तुम्हारे भैया ही हैं. आज मैं अकेली बैठी तुम्हारे भैया के साथ अपनी शादी को ले कर विचार कर रही थी.’’ काजल का स्वर गंभीर हो गया, ‘‘पता नहीं क्या देख कर मेरे घर वालों ने मेरी शादी उत्तम के साथ कर दी. यह तो देख लेते कि उत्तम अपाहिज है, उस की जोड़ी मेरे साथ जमेगी भी या नहीं. कुछ नहीं सोचा और मुझे लपेट दिया शादी के बंधन में.’’

‘‘हूं… यह तो उन्हें सोचना ही चाहिए था.’’ राजेश ने गंभीर स्वर में कहा, ‘‘वैसे तो उत्तम में कोई और खोट नहीं है न…मेरा मतलब वह तुम्हें खुश तो रखता ही है न?’’

‘‘हां, खुश तो बहुत रखता है. मेरे लिए दिनरात मेहनत करता है और वैसे भी अब हमारी शादी को 9-10 साल हो गए हैं. शुभम भी 8 साल का हो गया है. अब उत्तम के एक खोट को ले कर क्या गिलाशिकवा करूंगी.’’

‘‘तब उदास क्यों हो गई?’’

‘‘देवरजी, हम एक साथ बाजारहाट को जाते हैं तो मुझे उन के साथ जाने में हिचक होती है. सोचती हूं देखने वाले क्या सोचते होंगे. कहां मैं इतनी सुंदर और कहां वो अपाहिज… मेरे साथ लंगड़ा कर चलता हुआ. मुझे तब अपने आप पर कोफ्त सी महसूस होने लगती है और मैं उदास हो जाती हूं.’’ काजल ने कहने के बाद गहरी सांस भरी.

‘‘मत सोचा करो ऐसा, अब जो नसीब में था, वह हो गया. अब तुम्हें उत्तम भैया के साथ निभा कर ही चलना होगा.’’

‘‘चल तो रही हूं राजेश, लेकिन तुम्हीं बताओ, क्या घर वालों ने मेरे साथ नाइंसाफी नहीं की है? क्या वह मेरे लिए तुम्हारे जैसा सुंदर, सजीला युवक नहीं तलाश सकते थे?’’

काजल की इस बात पर राजेश के दिल में अजीब सी हलचल हुई. उस ने काजल को गहरी नजरों से देखा.नजरें आपस में मिलीं तो काजल ने तुरंत नजरें झुका लीं.

अपनी बात का अर्थ जान कर वह लजा गई थी. राजेश के होंठ मुसकरा दिए. काजल बात को दूसरी दिशा में मोड़ने के लिए बोली, ‘‘बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूं.’’

‘‘रहने दो भौजी, चाय फिर किसी दिन पी लूंगा.’’ राजेश जल्दी से बोला, ‘‘भैया आएं तो कहना मैं आया था. कुछ काम था, मुझे बुलवा लेंगे.’’ कहने के साथ राजेश तेजी से दरवाजे की ओर बढ़ गया. उस ने कनखियों से देखा, काजल उसे हसरतभरी नजरों से देख रही थी.

उत्तम मंडल के पिता का नाम गुलाय मंडल था. गुलाय मंडल वार्ड नंबर 13, धूसर, तायकापट्टी, जिला पूर्णिया, बिहार का निवासी था. उस के घर में जब उत्तम का जन्म हुआ तो वह जन्म से ही विकलांग था. उस के जन्म से गुलाय और उस की पत्नी को खुशी की जगह दुख हुआ.

गुलाय इस चिंता में पड़ गया कि उत्तम का भविष्य क्या होगा, उस की शादी कैसे होगी. लेकिन जब उत्तम जवान हुआ तो गुलाय की सोच से परे एक अच्छा रिश्ता उत्तम के लिए आ गया. काजल जैसी सुंदर लड़की से उत्तम का विवाह हो गया. खूबसूरत पत्नी पा कर विकलांग उत्तम अपने भाग्य पर इतरा उठा.

उस ने काजल को खुश रखने के लिए अपने बूते जीतोड़ मेहनत की. घर के आंगन में साल भर बाद एक बेटा आ गया तो उत्तम की खुशी का ओरछोर नहीं रहा. वह खुशी से झूम उठा.

काजल अब तक उत्तम को अपना भाग्य मान कर उस के साथ रहना सीख गई थी. बेटे को जन्म दे कर वह उसी में अपनी खुशी तलाश करती हुई उस की परवरिश में लग गई. उत्तम पहले से ज्यादा कड़ी मेहनत करने लगा, लेकिन जब वहां (गांव में) जरूरत के हिसाब से काम नहीं मिला तो उस ने दिल्ली का रुख किया.

यहां बिहार के काफी लोग पांव जमा कर पैसा कमा रहे थे. दिल्ली में उत्तम को अपने गांव धूसर का रहने वाला राजेश मिल गया. उसी के सहयोग से उत्तम एक कंपनी में काम पर लग गया. उस ने राजेश के ही माध्यम से राजौरी गार्डन के मकान नंबर 496 का फर्स्ट फ्लोर किराए पर ले लिया. यह मकान टी.सी. कैंप में था और इस का मकान मालिक मोहन सिंह था.