सवा 3 बजे सचिन का नंबर हेमा के मोबाइल फोन के स्क्रीन पर चमका. साथ ही फोन की घंटी बजने लगी. हेमा ने तुरंत काल रिसीव की, ‘‘कहां हो सचिन?’’
‘‘मैं बस से उतर गया हूं. तुम बताओ, मुझे कहां आना है?’’
हेमा ने उसे बाहर मेनरोड पर आने का पूरा विवरण समझाते हुए कहा, ‘‘मैं बाहर मेनगेट के दाईं ओर खड़ी हूं.’’
उम्मीद से भी ज्यादा हैंडसम निकला प्रेमी
कुछ ही देर में सचिन आनंद विहार के प्रवेश द्वार पर पहुंच गया. लाल साड़ी में सजीसंवरी खड़ी युवती पर नजर पड़ी तो सचिन ने अनुमान लगा लिया कि वही हेमा है. उस ने अपना हाथ उठा कर हिलाया. हेमा अपने से कुछ दूरी पर खड़े जवान और हैंडसम युवक को टकटकी बांधे देखती रह गई.
उस की सोच से कहीं अधिक स्मार्ट था वह युवक. किसी हीरो जैसा खूबसूरत, यही सचिन होगा. अनुमान लगा कर हेमा उस युवक की ओर लपकी. सचिन भी उस की तरफ लपका. दोनों करीब आ गए तो हेमा के मुंह से चहकता स्वर निकला, ‘‘सचिन?’’
‘‘हेमा…’’ सचिन उत्साह से बोला.
और उस ने हेमा की ओर से हां का इशारा मिलते ही जोश में भर कर हेमा का हाथ पकड़ कर चूम लिया, ‘‘तुम्हारी आवाज ही नहीं, तुम भी बहुत स्वीट हो हेमा.’’
हेमा शरमा गई. सचिन द्वारा बेहिचक हाथ पकड़ कर चूम लेने से उस के गालों पर सुर्खी दौड़ गई. वह शरमाए स्वर में बोली, ‘‘यह पब्लिक प्लेस है सचिन, हाथ छोड़ो.’’
सचिन मुसकराया और उस ने हेमा का हाथ छोड़ दिया. कुछ क्षण वे एकदूसरे को ऊपर से नीचे तक देखते रहे. जैसे मन ही मन निर्णय ले रहे हो कि उन दोनों से दोस्त चुनने में कोई चूक तो नहीं हो गई. जब दोनों ने एकदूसरे को जी भर कर देख लिया तो सचिन बोला, ‘‘चलो किसी अच्छे रेस्टोरेंट में चल कर खाना खाएंगे, वहीं बैठ कर बातें भी
कर लेंगे.’’
‘‘चलो,’’ हेमा ने कहा.
दोनों एक आटो में सवार हो गए. हेमा ने आटो वाले को मयूर विहार फेज-1 चलने को कहा. आटो में बैठे दोनों एकदूसरे की धड़कनों की आवाज सुनते रहे. होंठों से इन के कोई बोल नहीं निकला.
आटो से वे मयूर विहार फेज-1 आ गए. आटो का किराया सचिन ने दिया. हेमा यहां के बाजार में कई बार आई थी, उस ने अपने पति के साथ एक रेस्टोरेंट में बैठ कर एक बार डोसा खाया था. वह सचिन को उसी रेस्टोरेंट में ले कर आई. दोनों एक खाली टेबल के पास पड़ी कुरसियों पर बैठ गए. वेटर तुरंत उन के करीब आ गया.
‘‘क्या खाओगी हेमा?’’ सचिन ने उस की आंखों में देखते हुए पूछा.
‘‘जो तुम्हें पसंद हो,’’ हेमा ने मुसकरा कर कहा.
सचिन ने वेटर को डोसा का आर्डर दे दिया. हेमा की यही चौइस थी. सचिन ने उस की मनपसंद डिश मंगवाई थी. डोसा आ गया तो दोनों खाने लगे. दोनों कनखियों से एकदूसरे को देख रहे थे. खामोशी अखरने लगी तो सचिन ने हेमा की ओर झुक कर इस खामोशी को तोड़ा.
‘‘अपने बारे में बताओ हेमा, मंडावली में कहां रहती हो? घर में कौनकौन हैं तुम्हारे?’’
‘‘मैं अपनी सच्चाई तुम से नहीं छिपाऊंगी सचिन,’’ हेमा गंभीर स्वर में बोली, ‘‘अगर छिपाऊंगी तो बाद में मेरे विषय में सब मालूम होने पर तुम्हें मुझ से नफरत हो सकती है. अभी हमारी पहली मुलाकात है, तुम्हें मेरी सच्चाई सुन लेने के बाद फैसला लेने का पूरा अधिकार होगा कि तुम इस दोस्ती को निभाओ या यहीं से दोस्ती तोड़ कर मथुरा लौट जाओ.’’
‘‘ऐसी क्या बात है हेमा, जो तुम इतना गंभीर हो गई?’’ सचिन हैरान हो कर बोला.
‘‘सचिन, मैं शादीशुदा औरत हूं. मेरा पति भी है और 2 बेटे भी हैं.’’
‘‘और कुछ?’’ सचिन ने मुसकरा कर कहा.
‘‘तुम मुसकरा रहे हो?’’ हेमा ने उसे आश्चर्य से देखा, ‘‘तुम्हें मेरी सच्चाई सुन लेने के बाद तो उठ कर चले जाना चाहिए था.’’
‘‘हेमा, मैं ने पहली बार तुम्हें फोन लगाया था, तभी अनुमान लगा लिया था कि तुम शादीशुदा हो. हां, तुम 2 बेटों की मां हो, यह अब मालूम हुआ है.’’
‘‘तो अब आगे?’’ हेमा ने उस की आंखों में देखा.
‘‘अरे मैडम, जब शादी हुई तो बच्चे भी होंगे 2 हों या 4, मुझे फर्क नहीं पड़ता. तुम जैसी हो, मेरी नजर में अच्छी हो.’’ सचिन इस बार गंभीर हो गया.
‘‘मेरी उम्र 37 साल हो गई है सचिन, क्या तब भी तुम्हारी दोस्ती मेरे लिए कायम रहेगी?’’ हेमा ने पूछा.
‘‘हां हेमा,’’ सचिन के स्वर में वही गंभीरता थी, ‘‘मैं ने तुम्हारी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, मेरी दोस्ती तुम कुबूल करोगी या नहीं, अब यह तुम्हें बताना है.’’
‘‘मैं तो खुद को भाग्यशाली मान रही हूं सचिन, तुम्हारे जैसा सच्चा दोस्त मुझे मिला है. बस मुझे कभी भुला मत देना,’’ हेमा ने भावुक स्वर में कहा.
‘‘कभी नहीं. अभी मैं सिर्फ 22 साल का हूं हेमा, मैं 82 साल का हो जाऊंगा, तब भी तुम्हें यूं ही अपनी दोस्त मानता रहूंगा.’’ सचिन ने दृढ़ स्वर में कहा.
डोसा खत्म हुआ तो सचिन ने रसमलाई और फिर आइसक्रीम भी मंगवा कर हेमा को पहली मुलाकात और दोस्ती के नाम पर खिला कर विदा लिया. शाम को वह वापस मथुरा के लिए रवाना हो गया. इस के बाद दोनों की फोन पर बातें होती रहतीं.
पति को ले कर पहुंची अस्पताल
दिसंबर 2022 को हेमा घबराई हुई अपने घर से निकल कर अपनी पड़ोसन सुधा (परिवर्तित नाम) के घर पहुंची. सुधा उस की हालत देख कर चौंक पड़ी. उस ने हैरानी से पूछा, ‘‘क्या हुआ हेमा? तू इतनी घबराई हुई क्यों है?’’
‘‘मेरे पति सुरेश ने बहुत ज्यादा शराब पी रखी है दीदी, काफी देर से सो रहे हैं. जब मैं ने उठाने की कोशिश की तो वह उठ नहीं रहे. चल कर देखो तो…’’ हेमा घबराए स्वर में बोली.
‘‘चलो, देखती हूं.’’ सुधा ने कहा और हाथ में उठाया जग नीचे रख कर वह दौड़ती हुई हेमा के साथ उस के घर में आ गई. एक चारपाई पर हेमा का पति सोता नजर आया. सुधा ने उस के पास पहुंच कर 2-3 बार पुकारा, ‘‘भाई सुरेश, आंखें खोलो. भाई उठ कर बैठो.’’
सुरेश बेहोश पड़ा रहा. तब सुधा ने उसे जोरजोर से हिलाया. सुरेश के शरीर में कोई हरकत न होते देख कर वह घबरा गई, ‘‘हेमा, मुझे तो लगता है ज्यादा पी लेने से बेहोश हो गया है. इसे अस्पताल ले जाओ.’’
‘‘दीदी, आप भी साथ चलिए, मेरा तो जी घबरा रहा है.’’ हेमा कहते हुए लगभग रो पड़ी.
‘‘हिम्मत रखो हेमा. चलो, मैं साथ चलती हूं. मैं मीना (परिवर्तित नाम) को भी साथ चलने को कह देती हूं.’’ सुधा ने कहा और तेजी से बाहर निकल गई.
थोड़ी ही देर में हेमा, सुधा और मीना के साथ अपने बेहोश पड़े पति सुरेश को ले कर पास में ही स्थित लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के लिए आटो से निकली.


