अर्चना के पिंजरे की चिडि़या बन गई थी महिमा
वह कुछ बोलती उस से पहले अर्चना ही बोल पड़ी, ‘‘अब तो तुम समझ गई होगी कि तुम्हारे साथ क्या हुआ होगा?’’
‘‘हां, मैं तो समझ ही गई कि मेरे साथ क्या हुआ होगा, लेकिन तुम्हारे जैसी कमीनी औरत मैं ने अपनी जिंदगी में नहीं देखी.’’
‘‘मैं कमीनी हूं, कुतिया हूं वगैरहवगैरह. बहरहाल, अब काम की बात सुनो मेरी जान. तुम्हारी जान अब मेरी मुट्ठी में कैद है. जब तक तुम मेरी बात मानती रहोगी, तब तक तुम सुरक्षित रहोगी. जिस दिन तुम मुझ से पंगा लेने की कोशिश करोगी, उसी दिन तुम्हारी ब्लू फिल्म को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा. उस के बाद क्या होगा…’’
‘‘नहीं…नहीं तुम ऐसा कुछ भी मत करना, आप जो कहोगी, मैं वह सब करने को तैयार हूं. बस आप मुझे मेरे कपड़े लौटा दीजिए ताकि मैं अपने घर जा सकूं. मैं आप के सामने हाथ जोड़ती हूं प्लीज. भगवान के लिए मुझ पर तरस खाओ. मुझे मेरे घर जाने दो. मैं सब कुछ करने के लिए तैयार हूं.’’ महिमा गिड़गिड़ाने लगी.
‘‘ये हुई न गुड गर्ल वाली बात. मैं इतनी भी बुरी नहीं हूं जिस से तुम्हारी इज्जत को ठेस पहुंचे.’’ फिर अर्चना ने एक नौकर को आवाज दे कर महिमा के कपड़े मंगाए.
उस दिन से महिमा अर्चना नाग के हाथ की कठपुतली बन गई थी और सालों तक उस के गोरे बदन का सौदा करती रही. हालात के हाथों मजबूर महिमा बिकती रही.
उस दिन भी एक बड़े टारगेट को ले कर मीटिंग चल रही थी, जिस में अर्चना नाग, उस का पति जगबंधु चांद और महिमा हाल में बैठे थे. वह टारगेट था फिल्म प्रमोटर अक्षय पारिजा. जिस से ब्लैकमेल कर के 3 करोड़ रुपए ऐंठने थे.
इस काम के लिए अर्चना ने महिमा को चुना था, इसीलिए उस ने उसे रंगमहल हवेली पर बुला कर उसे समझा और धमकी रही थी कि शिकार हाथ से निकलना नहीं चाहिए.
महिमा टारगेट पूरा करने के लिए राजी नहीं थी तो वह उसे धमका रही थी कि अगर उस ने टारगेट पूरा नहीं किया तो उस के वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर देगी. फिर बीच में जगबंधु ने हस्तक्षेप कर के जैसेतैसे महिमा को मना लिया था. फिर उस के बाद जो हुआ, ऊपर कहानी में आ चुका है.
7 अक्तूबर, 2022 को पुलिस ने अर्चना नाग, जगबंधु चांद और खगेश्वर नाथ को गिरफ्तार कर झारपाड़ा जेल भेज दिया गया. 10 दिन बीत जाने के बाद भी खंडगिरी एसएचओ ने आरोपियों को रिमांड पर ले कर दोबारा पूछताछ नहीं की थी.
पुलिस के ढुलमुल रवैए को देखते हुए सामाजिक संस्थान भारतीय विकास परिषद के जगतसिंहपुर के जिलाध्यक्ष भंवर सिंह ने भुवनेश्वर उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दाखिल की.
उन्होंने अपनी याचिका में कहा, ‘‘कमिश्नरेट पुलिस इस हाईप्रोफाइल हनीट्रैप मामले की जांच में ढिलाई बरत रही है. ऐसे में मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय से कराने के निर्देश दिए जाएं. अर्चना नाग के भुवनेश्वर के मंचेश्वर और सत्य विहार में 2 आलीशान मकान, महंगी कारें और करोड़ों रुपए की संपत्ति के बारे में पता चला है.’’
जिलाध्यक्ष भंवर सिंह ने केंद्र और राज्य सरकार, प्रवर्तन निदेशालय, डीजी पुलिस, खंडगिरी पुलिस स्टेशन और भुवनेश्वर के आईआईसी को याचिका में पक्ष बनाया है. इस में मनी लांड्रिंग का भी मामला सामने आ रहा है.
मनी लांड्रिंग का मामला सामने आने के बाद पुलिस आयुक्त सोमेंद्र प्रियदर्शी ने कहा, ‘‘पुलिस ईमानदारी से अपना काम कर रही है. हनीट्रैप की आरोपी अर्चना नाग और उस के सहयोगी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. रही बात मनी लांड्रिंग की तो जांच में 2018 से 2022 तक यानी 4 सालों में 30 करोड़ रुपए की संपत्ति अर्जित किए जाने का मामला प्रकाश में आया है, जो अर्जित किया हुआ बताया जाता है. मनी लांड्रिंग का ये मामला प्रवर्तन निदेशालय का है जोकि वह अपना काम कर रहा है. एफआईआर की प्रति ईडी को सौंपी जा चुकी है.’’
उन्होंने आगे कहा कि पुलिस ने अर्चना के घर से स्पाई कैमरा, लैपटाप, पैन ड्राइव आदि अपने कब्जे में ले लिया है, जिस से वह शिकार बनाती थी. रही बात अर्चना के साथ जुड़े रहने वाले बड़े लोगों की तो जांच अभी चल रही है. सही समय आने पर उन पर आवश्यक काररवाई की जाएगी.
जो भी हो, अर्चना के हनीट्रैप का शिकार बने मंत्री, विधायक, व्यापारी और नौकरशाहों की जान अटकी है, जिन्हें बचाने की कोशिश में पुलिस जुटी है. अब देखना है कि आगे क्या होता है.
कथा लिखे जाने तक पुलिस मामले की जांच कर रही थी. पुलिस ने महिमा को सरकारी गवाह बना लिया था और बाकी तीनों आरोपियों अर्चना नाग, जगबंधु चांद और खगेश्वर नाथ को जेल भेज दिया गया था.
इस हनीट्रैप स्कैंडल से भुवनेश्वर में भूचाल आ गया था, सामाजिक संस्थाएं अर्चना नाग का साथ देने वालों के नाम उजागर करने के लिए पुलिस पर दबाव बनाए हुए थे. द्य
—कथा में महिमा परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित