हत्यारी मां ने किया बेटी का कत्ल

24 वर्षीय प्रमोद यादव उत्तर प्रदेश के जिला संतकबीर नगर के गांव बगहिया का रहने वाला था. 4 भाई और 3 बहनों में वह सब से बड़ा था. उस के पिता के पास मात्र 4 बीघा खेती की जमीन थी, उस से बमुश्किल घर का गुजारा हो पाता था.

प्रमोद के गांव के कई लोग दिल्ली में रहते थे, जो उस के दोस्त भी थे. दिल्ली जाने के बाद उन लोगों के घर के आर्थिक हालात सुधर गए थे. इसलिए प्रमोद ने भी सोचा कि वह भी गांव के दोस्तों के साथ दिल्ली जा कर कोई काम देख लेगा.

एक बार होली के त्यौहार पर जब उस के यारदोस्त दिल्ली से गांव लौटे तो प्रमोद ने उन्हें अपने मन की बात बताई और त्यौहार के बाद वह भी उन के साथ दिल्ली चला गया. उस के यारदोस्त पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर क्षेत्र में रहते थे. वह भी उन के साथ रहने लगा. उन के सहयोग से वह नौकरी तलाशने लगा.

थोड़ी कोशिश के बाद गाजीपुर में ही स्थित अमरनाथ की पशु आहार की दुकान पर उस की नौकरी लग गई. नौकरी लगने के बाद भी वह गांव के 3 दोस्तों के साथ एक ही कमरे में रहता रहा. खानेपीने का खर्चा सभी आपस में मिल कर उठाते थे.

प्रमोद 2-3 महीने बाद 4-5 दिन की छुट्टी ले कर अपने गांव जाता रहता था. गांव में खर्च के बाद जो पैसे बचते, वह अपने मांबाप को दे आता. पास के गांव बगहिया के पड़ोसी रतिपाल से प्रमोद की अच्छी दोस्ती थी. सन 2004 के मई महीने में रतिपाल के भाई की शादी थी. उस ने प्रमोद को भाई की शादी में शामिल होने का निमंत्रण दिया. तब प्रमोद 5 दिन की छुट्टी ले कर शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली से चला गया था.

शादी समारोह में ही प्रमोद की मुलाकात मुन्नी से हुई. मुन्नी संतकबीर नगर के गांव भसेल की रहने वाली थी. मुन्नी 3 बच्चों में मंझले नंबर की थी. पहली ही मुलाकात में प्रमोद मुन्नी का दीवाना हो गया. बातचीत के दौरान ही दोनों ने एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर दे दिए.

शादी कार्यक्रम के बाद प्रमोद अपने गांव चला गया पर मुन्नी 4 दिनों तक रतिपाल के यहां रही. प्रमोद भी जब तक अपने घर रहा, मुन्नी से फोन पर बात करता रहता था. फोन पर ही दोनों ने प्यार का इजहार कर दिया था.

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पांचवें दिन मुन्नी अपने परिवार के साथ भसेल चली गई. उसी दिन प्रमोद भी दिल्ली चला आया. दोनों की फोन पर बातचीत होती रहती थी. रात को दोनों काफीकाफी देर तक अपने प्यार की बातें करते रहते थे. यहां तक कि दोनों ने शादी तक करने का वादा भी कर लिया.

मुन्नी की मां रामवती को भी इस बात का शक हो गया कि आखिर मुन्नी घंटोंघंटों तक किस से बातें करती है. एक दिन उस ने पूछ ही लिया, ‘‘बेटी, जब से तुम शादी से लौट कर आई हो, तुम्हारे हावभाव बदल गए हैं. जब देखो कानों में फोन लगाए रहती हो. क्या है यह सब?’’

मुन्नी जानती थी मां की बगैर रजामंदी के प्रमोद का विवाह उस के साथ नहीं हो सकता, इसलिए उस ने मां को अपने प्यार की सच्चाई बताना उचित समझा. इस के बाद उस ने मां को सारी बात बता दी.

बेटी की बात सुन कर रामवती पहले तो नाराज हुई, फिर मुन्नी की बातों से उसे लग रहा था कि वे दोनों एकदूसरे को चाहते हैं और लड़का सजातीय है तो वह मन ही मन खुश हुई.

रामवती न तो प्रमोद को जानती थी और न ही उसे उस के घरबार के बारे में जानकारी थी. बिना कोई छानबीन किए बेटी की शादी उस के साथ करना समझदारी वाली बात नहीं थी, इसलिए रामवती ने मुन्नी से कहा, ‘‘बेटा, जब तक हम प्रमोद के बारे में छानबीन न कर लें, तब तक तुम उस से फोन पर ज्यादा बातें न करो.’’

मगर मुन्नी पर तो प्यार का भूत सवार था. उस ने मां की सलाह को गंभीरता से नहीं लिया और वह चोरीछिपे उस से फोन पर बातें करती रही.

एक दिन मुन्नी से रामवती ने कह दिया कि वह फोन कर के प्रमोद को यहां बुला ले, ताकि उस से कुछ बात की जा सके.

मां की यह बात सुन कर मुन्नी मारे खुशी के बल्लियों उछल पड़ी. उस ने प्रमोद को फोन कर के मां से मिलने के लिए अपने गांव बुला लिया. रामवती ने प्रमोद से विस्तार से बात की. उस से की गई बातचीत से रामवती को भरोसा हो गया कि वह मुन्नी को हर तरह से खुश रखेगा. बेटी की खुशी को देखते हुए रामवती ने भी उन के प्यार को हरी झंडी दे दी.

मां से हरी झंडी मिलने के बाद प्रमोद और मुन्नी ने आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली. इस के बाद वह मुन्नी को अपने गांव ले गया. मुन्नी को 2-4 महीने गांव में मांबाप के पास छोड़ने के बाद वह उसे दिल्ली ले आया. और गाजीपुर के ही रामअवतार के मकान में किराए का कमरा ले कर वह रहने लगा.

रामअवतार के उस मकान के भूतल पर कुछ दुकानें बनी थीं और पहली मंजिल पर 4 कमरे बने थे. उन में से एक कमरे में प्रमोद और 3 कमरों में दूसरे किराएदार रहते थे. मुन्नी प्रमोद के साथ पूरी तरह से खुश थी.

समय अपनी गति से गुजरता गया और एकएक कर वह 3 बच्चों की मां बन गई, जिस में 2 बेटे और एक बेटी काजल थी. बच्चे बड़े हुए तो उन का दाखिला पास के ही सरकारी स्कूल में करा दिया.

प्रमोद अपनी दुकान पर सुबह 6 बजे चला जाता और दोपहर के 2 बजे जब दुकान बंद हो जाती तो वह घर आ जाता था. दोपहर 2 बजे के बाद प्रमोद घर पर ही रहता. प्रमोद चाहता था कि उसे ऐसा कोई पार्टटाइम काम मिल जाए, जो वह 2 बजे के बाद कर सके. इस बारे में उस ने अपने दोस्तों के अलावा मकान मालिक से भी कह रखा था.

एक दिन मकान मालिक रामअवतार ने उस से कहा, ‘‘प्रमोद, तुम जो पार्टटाइम काम की बात कह रहे हो, मेरे पास इस का उपाय है. उपाय यह है कि मैं अपनी दुकान में जनरल स्टोर की दुकान खुलवा दूंगा. 2 बजे से रात 10 बजे तक तुम संभालना. इस के बदले में तुम्हारा मकान का किराया नहीं लिया जाएगा. तुम यहां बिलकुल फ्री में रहना. अगर तुम्हें यह मंजूर है तब तो मैं दुकान में पैसे लगाऊं.’’

दुकान से मिलने वाली सैलरी से प्रमोद का गुजारा बड़ी मुश्किल से हो रहा था, इसलिए उस ने रामअवतार से हां कह दी. रामअवतार ने अपनी दुकान में अच्छेखासे पैसे लगा कर जनरल स्टोर खुलवा दिया. दोपहर 2 बजे से रात 10 बजे तक प्रमोद ही उस जनरल स्टोर को संभालता था.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि 13 दिसंबर, 2017 की रात होते ही प्रमोद की 7 साल की बेटी काजल अचानक लापता हो गई. काफी ढूंढने के बाद भी जब काजल नहीं मिली तो प्रमोद ने पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर के बेटी के गायब होने की सूचना दे दी.

सूचना पा कर पीसीआर वैन प्रमोद के यहां पहुंच गई. मामला गाजीपुर थानाक्षेत्र का था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम की सूचना पा कर एसआई सोनू, एएसआई यशपाल प्रमोद के यहां पहुंच गए. पुलिस ने प्रमोद और उस की पत्नी मुन्नी से बात की. उसी दौरान थानाप्रभारी अमर सिंह भी एसआई नीरज के साथ प्रमोद के कमरे पर पहुंच गए.

प्रमोद की पत्नी मुन्नी ने यही बताया कि शाम के समय वह घर के बाहर ही खेल रही थी, तभी अचानक गायब हो गई. इस के बाद पुलिस ने रात में ही काजल को ढूंढना शुरू कर दिया. टौर्च की रोशनी में पुलिस वाले डीडीए कौंप्लेक्स के नजदीक के खाली पड़े प्लाटों के आसपास के सुनसान वाले इलाकों, गड्ढों, झाडि़यों आदि में काजल को तलाशते रहे, लेकिन वह वहां कहीं नहीं मिली तो थानाप्रभारी वापस प्रमोद के कमरे पर आ गए.

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मकान का निरीक्षण करने के दौरान ही प्रमोद से थानाप्रभारी ने पूछा, ‘‘छत पर क्या है?’’

‘‘कुछ नहीं है, खुली छत है. वहां कोई नहीं जाता.’’ प्रमोद ने बताया.

थानाप्रभारी ने पास खड़े एसआई नीरज कुमार से कहा, ‘‘जरा ऊपर छत पर जा कर देखो.’’

एसआई नीरज कुमार ने टौर्च की रोशनी में पूरी छत छान मारी, पर वहां कोई भी संदिग्ध चीज नहीं मिली. पर पड़ोसी की छत पर उन्हें एक लड़की की रक्तरंजित लाश मिली. यह बात उन्होंने थानाप्रभारी को बताई तो वह भी छत पर पहुंच गए.

प्रमोद और उस की पत्नी को ले कर थानाप्रभारी अमर सिंह भी छत पर पहुंच गए. बच्ची की लाश देखते ही मुन्नी जोर से चीखी. इस के बाद वह बेहोश हो गई.

प्रमोद ने लाश की पहचान अपनी 7 वर्षीय बेटी काजल के रूप में की. पुलिस ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. फिर जरूरी काररवाई कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और प्रमोद की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

पुलिस के पूछने पर प्रमोद ने किसी से दुश्मनी आदि होने की बात भी नकार दी. पुलिस यही मान कर चल रही थी कि किसी ने इस बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद उस की हत्या कर दी होगी. पर यह बात डाक्टरी जांच के बाद पता लग सकती थी.

हत्या के इस केस को सुलझाने के लिए डीसीपी रामवीर सिंह ने थानाप्रभारी अमर सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में एसआई नीरज कुमार, सोनू सिंह, एएसआई यशपाल आदि को शामिल किया गया.

थानाप्रभारी ने पूछताछ के लिए मकान मालिक को भी थाने बुला लिया. उस के यहां रहने वाले सभी किराएदारों को भी बुला कर पूछताछ की लेकिन सभी ने इस मामले में अनभिज्ञता व्यक्त की. पड़ोस में रहने वाला सुधीर नाम का एक किराएदार फरार था. पता चला कि वह बिहार के दरभंगा का रहने वाला है. करीब 2 साल से वह डीडीए कौंप्लेक्स स्थित प्लाईवुड फैक्ट्री में नौकरी कर रहा है.

अन्य किराएदारों ने बताया कि काजल के गायब होने के बाद से सुधीर गायब है. इस बात से पुलिस के शक की सुई सुधीर की तरफ मुड़ गई.

सुधीर जिस फैक्ट्री में काम करता था, वहां से पुलिस ने उस का फोटो और मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. इस के बाद पुलिस ने सुधीर, मुन्नी और प्रमोद के फोन नंबर की कालडिटेल्स निकलवाई तो कालडिटेल्स में चौंकाने वाली जानकारी मिली. पता चला कि मुन्नी और सुधीर की रोजाना ही लंबीलंबी बातें होती थीं. केवल घटना वाली रात 9 बजे के करीब दोनों की बात नाममात्र ही हुई थी.

थानाप्रभारी अमर सिंह ने सुधीर का नंबर मिलाया तो वह स्विच्ड औफ मिला. तब उन्होंने उसे सर्विलांस पर लगवा दिया. इस के बाद वह प्रमोद के घर गए. उस समय प्रमोद और उस की पत्नी दोनों ही कमरे पर मिल गए. उन्होंने प्रमोद से पूछा, ‘‘क्या आप सुधीर नाम के किसी आदमी को जानते हैं?’’

‘‘जी, सुधीर को बस इतना ही जानता हूं कि वह पड़ोस में रहता है और मेरे पास दुकान पर वह कुछ सामान खरीदने आता रहता था. उस से ज्यादा मैं उस के बारे में कुछ नहीं जानता.’’ उस ने कहा.

प्रमोद से बात करते हुए थानाप्रभारी मुन्नी पर नजर रखे हुए थे. उन्होंने मुन्नी के चेहरे के भाव पढ़ लिए थे. पर वह उस से कुछ नहीं बोले. प्रमोद से बात कर के वह थाने लौट आए.

कुछ समय के बाद ही थानाप्रभारी अमर सिंह को सर्विलांस सेल से सूचना मिली कि सुधीर के फोन की लोकेशन गाजीपुर थाना क्षेत्र में ही है. थानाप्रभारी ने एसआई नीरज और सोनू को सुधीर को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सौंप दी.

एसआई नीरज और सोनू ने प्लाईवुड फैक्ट्री से एक ऐसे कर्मचारी को साथ लिया जो सुधीर को पहचानता था. इस के बाद वह गाजीपुर बसस्टैंड पर पहुंच गए, क्योंकि सुधीर के फोन की लोकेशन वहीं की आ रही थी. साथ गए व्यक्ति की शिनाख्त पर पुलिस ने सुधीर को बसस्टैंड से गिरफ्तार कर लिया. वहां से वह बिहार भागने की फिराक में था.

सुधीर को थाने ला कर पूछताछ की तो वह पहले इधरउधर की बातें करता रहा. फिर सख्ती करने पर उस ने सच्चाई बता दी. उस ने बताया कि काजल की हत्या में उस के साथ काजल की मां मुन्नी भी शामिल थी.

मासूम बेटी की हत्या में मां के शामिल होने की बात सुन कर पुलिस भी चौंक गई. फिर सुधीर ने उस बच्ची की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली-

प्रमोद सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक व्यस्त रहता था. काम के चक्कर में वह पत्नी को भी समय नहीं दे पाता था. लगातार 16 घंटे काम कर के वह थक कर जल्द ही सो जाता था. ऐसे में पड़ोस में रहने वाले सुधीर नाम के युवक से मुन्नी के अवैध संबंध हो गए.

दरअसल, पति की मरजी के बगैर मुन्नी ने डीडीए कौंप्लेक्स स्थित प्लाईवुड फैक्ट्री में नौकरी कर ली थी. उसी प्लाईवुड फैक्ट्री में सुधीर भी नौकरी करता था. साथसाथ काम करने पर उस की सुधीर से दोस्ती हो गई थी. 23 साल का सुधीर अविवाहित था. दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. इसी बीच उन के बीच अवैध संबंध भी बन गए.

मुन्नी के नौकरी पर चले जाने पर घर अस्तव्यस्त रहता था और बच्चों की देखभाल भी ठीक से नहीं हो पाती थी. तब प्रमोद ने दबाव डाल कर पत्नी की नौकरी छुड़वा दी. उस ने वहां 3 माह नौकरी की थी.

नौकरी छूटने के बाद भी मुन्नी के सुधीर से संबंध कायम रहे. उस की फोन पर बातचीत होती रहती थी. पति तो रात 10 बजे तक दुकान पर रहता था, इसलिए जब मुन्नी का मन होता, वह सुधीर को अपने कमरे पर बुला लेती.

10 दिसंबर, 2017 को मुन्नी और सुधीर को आपत्तिजनक स्थिति में उस की बेटी काजल ने देख लिया था. काजल को देख कर दोनों अलग हो गए. दोनों ने काजल को पैसे, कपड़े, खिलौनों आदि का लालच दे कर कहा कि उस ने जो कुछ देखा है, वह किसी को नहीं बताए.

काजल उस समय तो चुप रही, पर उस के बाद उस ने अपनी मम्मी से कह दिया कि उस की गंदी हरकत वह पापा को जरूर बताएगी. काजल के जवाब से मुन्नी घबरा गई. मुन्नी को डर लगने लगा कि काजल की वजह से वह पति की नजरों में गिर जाएगी.

साथ ही बदनामी भी होगी, इसलिए उस ने सुधीर को फोन कर के कह दिया कि काजल बात नहीं मान रही, उसे ठिकाने लगा दो, ऐसा नहीं हुआ तो मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी.

इस के बाद मुन्नी ने काजल की हत्या की योजना तैयार की. 13 दिसंबर, 2017 की रात 8 बजे के करीब पड़ोसी लालमन के कमरे में काजल टीवी देख रही थी. मुन्नी ने इशारे से काजल को बुलाया. उसे कोई अच्छी चीज दिखाने की बात कह कर वह उसे छत पर ले गई.

सुधीर चाकू लिए छत पर पहले से बैठा था. छत के किनारे पर मुन्नी ने काजल का मुंह दबा कर पटका और सुधीर ने चाकू से उस बच्ची का गला रेत दिया. कुछ ही देर में काजल की मौत हो गई.

दोनों ने मिल कर पड़ोस की छत पर लाश फेंक दी और जिस जगह उन्होंने काजल का गला रेता था, वहां पड़े खून के ऊपर उन्होंने बोरी डाल दी, ताकि खून किसी को न दिखे.

उन की योजना रात के अंधेरे में लाश को बोरी में भर कर ठिकाने लगाने की थी. पर वह लाश ठिकाने तो नहीं लगा सके, पुलिस के हत्थे जरूर चढ़ गए. इस के बाद पुलिस ने मुन्नी को भी गिरफ्तार कर लिया. सुधीर की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया.

पुलिस ने 15 दिसंबर को दोनों को कड़कड़डूमा कोर्ट में मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर जेल भेज दिया.

बिखरे हुए रिश्तों में क्यों उलझ के रह गई डोली

1 दिसंबर, 2017 की रात को एक युवक बदहवास हालत में दिल्ली के करावलनगर थाने पहुंचा. उसके हाथों से खून टपक रहा था. उस ने ड्यूटी अफसर के सामने पहुंच कर कहा, ‘‘साहब, मुझे गिरफ्तार कर लो, मैं ने अपनी बीवी का कत्ल कर दिया है.’’

युवक की बातें सुन कर ड्यूटी पर तैनात एएसआई सतीश पाल चौंके. उन्होंने हैरत से उस की ओर ध्यान से देखते हुए पूछा, ‘‘लाश कहां है?’’ ‘‘मेरे घर में.’’

युवक ने अपना नाम हीरालाल और पता शिव विहार, गली नंबर-6, मकान नंबर 846 बताया. साथ ही यह भी बताया कि उस ने पत्नी को मारने के बाद आत्महत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन कामयाब नहीं हो पाया और थाने आ गया.

हीरालाल की बात सुन कर एएसआई सतीश पाल ने थाने के डीडी नंबर 20ए में सूचना दर्ज कर दी. पुलिस ने पहले हीरालाल के घायल हाथ की मरहमपट्टी कराई. फिर थाने में मौजूद सबइंसपेक्टर इंद्रवीर कांस्टेबल अनुज को साथ ले कर घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. हीरालाल उन के साथ था.

सबइंसपेक्टर इंद्रवीर शिवविहार स्थित हीरालाल के घर पहुंचे. वहां बैडरूम में डबलबैड पर एक औरत की लाश पड़ी थी. लाश के पास 3 बच्चे गुमशुम बैठे थे. बच्चों को वहां से उठा कर दूसरी जगह बिठा दिया गया. इस के बाद एसआई इंद्रवीर ने लाश का मुआयना शुरू किया. मृतका के चेहरे और कंधों पर ताजा खरोंचों के निशान थे. लाश को देखने के बाद उन्होंने थानाप्रभारी रविकांत के मोबाइल पर फोन कर के हत्या की सूचना दे दी.

थोड़ी देर में थानाप्रभारी रविकांत, अतिरिक्त थानाप्रभारी नरेंद्र कुमार और पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. लाश का बारीकी से मुआयना करने पर उन्होंने देखा कि मृतका के गले पर गहरे रंग के निशान थे. कमरे की हालत देख कर ऐसा लग रहा था जैसे मारने के पहले मृतक के साथ बड़ी बेदर्दी से मारपीट की गई हो.

मृतका का पति हीरालाल सिर झुकाए खड़ा था. थानाप्रभारी ने उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया. इस के तुरंत बाद उसे हिरासत में ले लिया गया. घटनास्थल की तलाशी के दौरान वहां पर 6 शेविंग ब्लेड और मच्छर मारने वाली दवा मोर्टिन की 3 खाली शीशी मिलीं. हीरालाल ने बताया कि उस ने मोर्टिन पी कर आत्महत्या करने की कोशिश की थी.

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थानाप्रभारी रविकांत ने क्राइम टीम को भी घटनास्थल पर बुला लिया. क्राइम टीम ने घटनास्थल के फोटो लिए और जरूरी साक्ष्य एकत्र किए. प्राथमिक काररवाई के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेज दिया गया.

थाने लौट कर थानाप्रभारी ने इस घटना की सूचना मृतका के उत्तर प्रदेश स्थित मायके को दी और उन से जल्दी दिल्ली पहुंचने के लिए कहा. चूंकि आरोपी हीरालाल की कलाई कुछ ज्यादा घायल थी, इसलिए उसे इलाज के लिए शाहदरा के जीटीबी अस्पताल में एडमिट करा दिया गया.

उसी दिन डौली की हत्या का केस भादंवि की धारा 302 के तहत दर्ज कर लिया गया. केस में हीरालाल को नामजद अभियुक्त बनाया गया. जांच की जिम्मेदारी थानाप्रभारी रविकांत ने खुद संभाली.

रविकांत को मृतका डौली के मायके वालों के आने का इंतजार था. वे लोग जिला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश के गांव बरौली के रहने वाले थे और दिल्ली के लिए रवाना हो चुके थे. अगले दिन मृतका डौली के पिता राकेश कुमार और मां कुसुमा देवी करावलनगर थाने पहुंच कर इंसपेक्टर रविकांत से मिले.

उन्होंने अपने दामाद हीरालाल पर आरोप लगाया कि वह उन की बेटी से पहले भी मारपीट करता था. मार्च, 2017 में भी एक बार उस ने डौली की हत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन सही समय पर उपचार मिल जाने से उस की जान बच गई थी.

थानाप्रभारी रविकांत ने उन्हें एक कांस्टेबल के साथ जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी भेज दिया, जहां डौली की लाश रखी थी. शिनाख्त की औपचारिक काररवाई के बाद लाश का पोस्टमार्टम किया गया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डौली की हत्या की वजह दम घुटना बताया गया. पोस्टमार्टम के बाद डौली की लाश उस के पिता राकेश कुमार को सौंप दी गई. राकेश कुमार ने उसी दिन कुछ रिश्तेदारों की मदद से डौली का अंतिम संस्कार कर दिया.

एक दिन बाद हीरालाल जब अस्पताल से डिस्चार्ज हुआ तो उसे डौली की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. थानाप्रभारी रविकांत ने हीरालाल से डौली की हत्या का कारण जानने के लिए काफी देर तक पूछताछ की. हीरालाल ने पुलिस को डौली की हत्या के पीछे की जो कहानी बताई, वह कुछ इस तरह थी—

हीरालाल और डौली की शादी जनवरी 2007 में हुई थी. बाद में दोनों के 3 बच्चे हुए, जिन में 2 लड़के थे और एक लड़की.

हीरालाल भजनपुरा की चार्जर बनाने वाली एक फैक्ट्री में प्लंबर का काम करता था. उस की पगार बस इतनी थी कि जैसेतैसे गुजारा हो जाए. जबकि डौली चाहती थी कि उस का पति उसे सुखसुविधा के वे सारे साधन खरीद कर दे, जो घरगृहस्थी के लिए जरूरी होते हैं. जबकि उस की थोड़ी सी पगार में यह संभव नहीं था.

अभावों को ले कर पति-पत्नी के बीच आए दिन कलह होने लगी. दोनों के बीच जब संबंध ज्यादा तल्ख हुए तो डौली आंतरिक संबंधों में हीरालाल से दूरी बनाने लगी. डौली की इस हरकत से वह परेशान रहता था. फलस्वरूप दोनों के बीच खटास बढ़ती गई.

काफी प्रयासों के बाद भी हीरालाल डौली को नहीं मना सका. अब डौली बिना बताए घर से गायब भी रहने लगी थी. इस से हीरालाल को लगने लगा कि उस ने किसी के साथ अवैध संबंध बना लिए हैं. वह सोचता था कि उस के फैक्ट्री चले जाने के बाद वह किसी से मिलने बाहर जाती है. ऐसा इसलिए कि घंटों बाद जब वह घर लौटती थी तो नशे में होती थी. लेकिन डौली उस के इन आरोपों को गलत बताती थी.

18 मार्च, 2017 को भी डौली काफी देर से घर लौटी थी. हीरालाल पहले से ही परेशान था. उसे डौली का रोजरोज देर से घर लौटना पसंद नहीं था. वह आपे से बाहर हो कर उस के साथ मारपीट करने लगा. डौली ने विरोध किया तो उस ने उसे गालियां देते हुए फर्श पर पटक दिया.

लात और घूंसे बरसाने के बाद हीरालाल ने जबरन डौली को मच्छर मारने वाली दवा मोर्टिन की 2 शीशियां पिला दीं. डौली ने किसी तरह खुद को हीरालाल के चंगुल से छुड़ाया और अपने मोबाइल से 100 नंबर पर फोन कर दिया.

फलस्वरूप पुलिस आ गई और डौली की शिकायत पर थाना करावलनगर में हीरालाल के खिलाफ भादंवि की धारा 323, 341, 352, 328 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया.

कोर्ट ने उसे 18 दिन के लिए जेल भेज दिया. डौली का अस्पताल में इलाज कराया गया. ठीक होने के बाद उस के पिता राकेश कुमार उसे अपने साथ गांव ले गए. बच्चे कुछ दिनों तक हीरालाल के रिश्तेदारों के पास रहे. जब हीरालाल जेल से छूटा तो वह बच्चों को अपने घर ले आया.

डौली अपने मायके में रह रही थी. हीरालाल के खिलाफ उस का केस महिला अपराध शाखा में चलने लगा. पति के व्यवहार से उस का दिल टूट चुका था. अब वह उस से तलाक ले कर अलग हो जाना चाहती थी.

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लेकिन हीरालाल ने डौली के मायके जा कर उस से अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी. उस ने तीनों बच्चों को पालने की दुहाई दे कर डौली के ऊपर कभी हाथ न उठाने की कसम भी खाई. इस से डौली को उस पर दया आ गई.

वैसे भी डौली के लिए अकेले जीवन गुजारना मुमकिन नहीं था. मांबाप भी आखिर कब तक उस का साथ दे सकते थे. आखिर उस ने हीरालाल को माफ कर दिया. हीरालाल ने अपने सासससुर से भी अपने किए के लिए माफी मांगी और बरेली से दिल्ली लौट आया.

दिल्ली की महिला अपराध शाखा में 7 महीने तक केस चलने के बाद दोनों के बीच सुलह हो गई.

कुछ दिनों तक दोनों की जिंदगी सामान्य गति से चलती रही. लेकिन जल्द ही डौली का मन हीरालाल से भर गया. एक बार फिर हीरालाल और उस में आए दिन झगड़ों का सिलसिला शुरू हो गया.

1 दिसंबर, 2017 की सुबह हीरालाल काम पर चला गया था. दोपहर 2 बजे जब वह घर लौटा तो उसे जोरों की भूख लगी थी. उस ने डौली को जल्दी से खाना निकालने के लिए कहा. डौली ने दूसरी तरफ देखते हुए बेरुखी से बताया कि उस ने तबियत खराब होने की वजह से खाना नहीं बनाया है.

उस के खाना न बनाने की बात सुन हीरालाल गुस्से से लालपीला हो गया. उस ने डौली के ऊपर आरोप लगाया कि उसे मोबाइल पर यारों से बात करने से फुरसत मिले तो खाना बनाए. डौली ने भी अपनी गलती मानने की जगह कहा कि वह खाना नहीं बनाएगी, उसे जो करना हो कर ले.

यह सुन कर वह आपे से बाहर हो कर डौली पर टूट पड़ा. डौली ने खुद को बचाने की काफी कोशिश की पर हीरालाल के सिर पर जैसे खून सवार था. उस ने तीनों बच्चों को कमरे में बंद कर दिया, फिर डौली की बुरी तरह पिटाई करने के बाद उस का गला घोंटने लगा.

डौली ने उस का विरोध कर के खुद को बचाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन आखिर में वह हार गई. उस की हत्या करने के बाद हीरालाल ने उस की लाश को बैड पर लिटा दिया. इस के बाद उस ने कमरा खोल कर बच्चों को बाहर निकाला तो तीनों बच्चे मम्मी की लाश के पास जा कर बैठ गए. बच्चे समझ रहे थे कि पिटाई की वजह से उन की मम्मी बेहोश हो गई है.

डौली की हत्या करने के बाद हीरालाल ने पुलिस के डर से पहले तो मच्छर मारने की दवा पी कर जान देने की कोशिश की. जब इस से उस की मौत नहीं हुई तो उस ने शेविंग ब्लेड से कलाई की नस काट ली. कलाई में ज्यादा दर्द हुआ तो उस के सिर से सुसाइड करने का भूत उतर गया.

काफी सोचविचार के बाद उस ने सरेंडर करने का मन बनाया और थाना करावलनगर जा कर अपना अपराध स्वीकार कर लिया. 4 जनवरी को उसे डौली की हत्या के आरोप में कड़कड़डूमा अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

दो बीवियों का खूनी : पति क्यों बना हत्यारा

राजस्थान के जिला जालौर के थाना चितलवाना का एक गांव है सेसावा. इसी गांव में दीपाराम प्रजापति अपनी 2 पत्नियों के साथ रहता था. उस की पहली शादी 10 साल पहले मालूदेवी से हुई थी. माली भोलीभाली मंदबुद्धि लड़की थी. इसलिए दीनदुनिया से बेखबर वह खुद में ही मस्त रहती थी. लेकिन वह घरगृहस्थी के सभी काम कर लेती थी. भले ही वह काम धीरेधीरे करती थी.

जिस समय दीपाराम की शादी माली देवी से हुई थी, वह काफी गरीब था. वह राजमिस्त्री था. किसी तरह मेहनतमजदूरी कर के गुजरबसर कर रहा था. लेकिन माली से शादी के बाद उस के दिन फिर गए. वह मकान बनाने के ठेके लेने लगा. वहां वह खुद राजमिस्त्री था. अब उस के यहां कईकई राजमिस्त्री काम करने लगे.

कुछ ही दिनों में दीपाराम लाखों में खेलने लगा. पैसे आए तो उस के शौक भी बढ़ गए. उस ने अपना बढि़या मकान बनवा लिया. कार भी खरीद ली. इस बीच माली से उसे एक बेटा पैदा हुआ, जो इस समय 7 साल का है.

मंदबुद्धि माली जो कभी दीपाराम को सुघड़ और बहुत सुंदर लगती थी, पैसा आने के बाद वह बेकार लगने लगी. इस की एक वजह यह थी कि वह सिर्फ औरत थी. वह न सजती थी न संवरती थी.

दिन भर काम में लगी रहती और रात में कहने पर उस के पास सो जाती. इस तरह धीरेधीरे माली से उस का मन उचटने लगा. वह ऐसी पत्नी चाहता था, जो उसे प्यार करे. सजसंवर कर नखरे दिखाए, उस के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी, इसलिए वह दूसरी शादी के बारे में सोचने लगा. उसे लगा कि दूसरी शादी के बाद ही उस की जिंदगी की नीरसता दूर हो सकती है.

दूसरी शादी का विचार आते ही वह लड़की की खोज में लग गया, जो उस के लायक हो. इस के लिए उस ने अपनी जानपहचान वालों को भी सहेज दिया. उस के किसी जानपहचान वाले ने एक ऐसी औरत के बारे में बताया जिस की 3 शादियां हो चुकी थीं. इस के बावजूद वह मांबाप के घर रह रही थी.

उस औरत का नाम था दरिया देवी उर्फ दौली. वह राजस्थान के जिला बाड़मेर के गांव सिवाना के रहने वाले पीराराम प्रजापति की बेटी थी. दौली के बारे में दीपाराम को पता चला तो वह पीराराम से उस के एक परिचित के माध्यम से मिला. उस ने वहां बताया कि उस की शादी हुई थी, लेकिन पत्नी की मोैत हो गई है. इसलिए अब वह उस की बेटी दौली से नाताप्रथा के तहत विवाह करना चाहता है. इस के लिए उस ने पीराराम को मोटी रकम का लालच दिया.

पीराराम को मोटी रकम तो मिल ही रही थी, इस के अलावा जवान बेटी से मुक्ति भी. उस ने 5 लाख रुपए ले कर दौली का नाताप्रथा के तहत दीपाराम से विवाह कर दिया. इस तरह दीपाराम से चौथा विवाह कर के उस की पत्नी बन गई. लेकिन जब वह ससुराल पहुंची तो उस की पहली पत्नी माली और उस के बेटे को देख कर उस ने सिर पर आसमान उठा लिया. क्योंकि दीपाराम ने यह झूठ बोल कर उस से शादी की थी. उस की पहली पत्नी  मर चुकी है और उस का कोई बच्चा भी नहीं है.

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इस के बाद तो यह रोज का सिलसिला बन गया. दौली दीपाराम को झूठा कहती और उस की किसी बात पर यकीन नहीं करती. दीपाराम उसे समझाता कि माली मंदबुद्धि है. नौकरानी की तरह रहती है. उसे तो मौज से रहना चाहिए. लेकिन इस पर दौली राजी नहीं थी. उस का कहना था कि वह पति का बंटवारा नहीं चाहती. उस ने यह बात अपने घर वालों से बताई तो उन्होंने पंचायत बुला ली.

पंचों की खातिरदारी में दीपाराम को लाखों रुपए खर्च करने पड़े. इस के अलावा उसे दौली के नाम से उसे 10 लाख रुपए की एफडी करानी पड़ी. इस तरह दूसरी पत्नी के चक्कर में एक बार फिर उसे लाखों रुपए खर्च करने पड़े.

पंचायत में समझौता तो करा दिया लेकिन दौली शांत नहीं हुई. वह लगभग रोज ही उस से लड़ाईझगड़ा करती. दिनभर का थकामांदा दीपाराम घर लौटता तो चायपानी पिलाने के बजाए वह उसे जलीकटी सुनाती. दीपाराम पत्नी के इस व्यवहार से काफी दुखी था. वह दौली को बहुत समझाता, लेकिन वह तो लड़ने का कोई न कोई बहाना ढूंढती रहती थी.

बहाने की कोई कमी नहीं होती थी. बहाना मिलते ही वह आसमान सिर पर उठा लेती थी. 2 बच्चों, ढाई साल के कैलाश और 8 महीने की सरिता की मां बनने के बाद भी दौली के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया.

इधर दीपाराम को गुजरात के पालनपुर में मकान बनाने का ठेका मिला था. वहां वह ससुराल में रहता था. दौली उस के साथ ही थी. वह वहां भी क्लेश करती थी. दौली के इस व्यवहार से तंग आ कर उस का मन काम से उचटने लगा और पहली पत्नी माली की ओर उस का झुकाव होने लगा. इस की वजह यह थी कि माली भोलीभाली थी. उस के लिए तो सभी एक जैसे थे. पति प्यार करे तो ठीक, न करे तो भी ठीक. वह अपनी मस्ती में मस्त रहती थी. बेटे और सास की सेवा में लगी रहती थी.

नवंबर, 2017 में दौली दीपाराम के साथ सेसावा आई तो सास से खूब झगड़ा किया. दीपाराम को दौली की यह हरकत इतनी बुरी लगी कि अब वह उसे पत्नी नहीं, मुसीबत लगने लगी. यही सोच कर अब वह इस मुसीबत रूपी पत्नी से पीछा छुड़ाने के बारे में सोचने लगा, क्योंकि उस ने उस का ही नहीं, पूरे परिवार का जीना मुहाल कर दिया था.

दीपाराम अब इस बात पर विचार करने लगा कि वह दौली से कैसे पीछा छुड़ाए. वह उसे इस तरह मारना चाहता था कि लोगों को लगे कि उस की हत्या नहीं की गई, बल्कि दुर्घटना में मरी है. ऐसा होने पर पुलिस भी उस का कुछ नहीं कर पाएगी. पालनपुर में वह ऐसा करना नहीं चाहता था, इसलिए गहने बनवाने की बात कह कर वह उसे गांव ले आया.

18 दिसंबर, 2017 को वह सेसावा आ गया. चलते समय उस ने बोतल में 2 लीटर पैट्रोल भरवा लिया था. बोतल में पैट्रोल देख कर दौली को संदेह हुआ तो उस ने यह बात मायके वालों को बता दी. लेकिन घर वालों ने उस का वहम बता कर बात खारिज कर दी. क्योंकि दीपाराम ने अपने ससुर को पहले ही फोन कर के बता दिया था कि वह दौली के लिए गहने बनवाने गांव जा रहा है.

19 दिसंबर, 2017 की सुबह दीपाराम ने मां से कहा कि वह दौली के लिए थोड़े गहने बनवाने जा रहा है. हम दोनों के आने तक वह बच्चों का खयाल रखना. यह बात मंदबुद्धि माली ने सुनी तो गहने के लालच में वह भी भाग कर आई और कार का पिछला दरवाजा खोल कर बैठते हुए बोली, ‘‘मुझे भी गहने चाहिए. मैं भी साथ चलूंगी.’’

दीपाराम उसे उतार भी नहीं सकता था, दूसरे इसलिए उस ने कार आगे बढ़ा दी. दौली दीपाराम की बगल वाली सीट पर आगे बैठी थी. उस ने कार बढ़ा दी, लेकिन वह इस सोच में डूब गया कि वह अपनी योजना को कैसे अंजाम दे? वह एक बार फिर योजना बनाने लगा.

इस बार उस के दिमाग में जो योजना आई, उस के अनुसार उस ने जिस तरफ दौली बैठ गई थी, उसी ओर गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर सड़क किनारे पड़े पत्थरों से कार भिड़ा दी.

संयोग से दौली को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. उस के मन में शंका तो थी, वह कार से उतर भागी. वह समझ गई कि दीपाराम उसे मारने के लिए लाया है. वह थोड़ी दूर गई थी कि रास्ते खड़ी औरतों ने पूछा, ‘‘क्या हुआ, तुम इस तरह भाग क्यों रही हो.’’

‘‘मेरा पति मुझे मारना चाहता है. इसीलिए उस ने कार पत्थरों से टकरा दी है.’’

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दीपाराम ने भाग रही दौली को पकड़ा और गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘‘गलती से कार टकरा गई थी. लगता है समय ठीक नहीं है. चलो, घर लौट चलते हैं.’’

दौली दीपाराम के साथ जाने को तैयार नहीं थी लेकिन, औरतों ने कहा कि औरतें 2 हैं और पति अकेला, वह कुछ नहीं कर पाएगा.  फिर यह उस का वहम है, भला उसे क्यों मारेगा. वह पति के साथ घर जाए.

इस के बाद दौली और माली पीछे वाली सीट पर बैठ गईं तो दीपाराम गांव की ओर लौट पड़ा. दीपाराम सिर्फ दौली को मारना चाहता था, लेकिन अब वह दौली के साथ माली को भी ठिकाने लगाने के बारे में सोचने लगा. उस का सोचना था कि उस के पास पैसे हैं ही, वह तीसरी शादी कर लेगा.

गांव एक किलोमीटर के लगभग रह गया तो दीपाराम ने कार रोक दी. वह फुरती से नीचे उतरा और कार को लौक कर दिया, जिस से माली और दौली उतर न सकें. पैट्रोल की बोतल उस ने अपनी सीट के पास ही रखी थी. उतरते समय उस ने बोतल हाथ में ले ली थी. बाहर आ कर उस ने बोतल का पैट्रोल कार पर उड़ेल कर आग लगा दी. कार धूधू कर जलने लगी. कार के दरवाजे लौक थे, इसलिए दौली और माली बाहर नहीं आ सकीं.

उन की चीखें तक बाहर नहीं आ सकीं और दोनों उसी में घुटघुट कर मर गईं. थोड़ी देर बाद उधर से एक मोटरसाइकिल सवार निकला तो उसे देख कर दीपाराम चीखनेचिल्लाने लगा. उस ने गांव में खबर की तो गांव वाले वहां पहुंचे. तब तक कार जल चुकी थी.

गांव वालों ने किसी तरह पानी डाल कर आग बुझाई तो पता चला कि कार के साथ दीपाराम की दोनों पत्नियां जल कर मर चुकी थीं. उस का कहना था कि गाड़ी बंद होने पर वह नीचे उतरा तो दरवाजे खुद लौक हो गए और उस के बाद आग लगने से दोनों जल कर मर गईं.

गांव वालों ने घटना की सूचना थाना चितलवाना को दी तो थानाप्रभारी तेजू सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे. 2 महिलाओं की जली हुई लाशें कार में पड़ी थीं. पति सिर पीटपीट कर रो रहा था. पुलिस ने उसे सांत्वना दी. थानाप्रभारी ने इस घटना की सूचना एसपी विकास शर्मा एवं एसएसपी बींजाराम मीणा एवं डीएसपी फाऊलाल को दी.

थोड़ी देर में पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल पर आ गए. निरीक्षण में पुलिस को यह घटना संदिग्ध लगी तो दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा कर उन के मायके वालों को सूचना दे कर थाने बुला लिया. दौली के मायके वालों का कहना था कि यह दुर्घटना नहीं, इस में दीपाराम की कोई साजिश है तो पुलिस ने दीपाराम से सख्ती से पूछताछ की.

आखिर उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि दौली के लड़नेझगड़ने से ऊब कर उस ने ऐसा किया. वह पहली पत्नी को नहीं मारना चाहता था, मगर वह भी गहनों के चक्कर में साथ आ गई और मारी गई.

दीपाराम ने अपराध स्वीकार कर लिया तो 20 दिसंबर को मालूदेवी और दौली की हत्या का मुकदमा मृतका दौली के पिता पीराराम की ओर थाना चितलवाना में दीपाराम प्रजापत के खिलाफ दर्ज करा दिया गया. पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया. अब उस के तीनों बच्चों की देखभाल उस की बूढ़ी मां कर रही है.

स्वार्थ की राह पर बिखरा अपनों का खून – भाग 1

उत्तर प्रदेश के जिला कासगंज का एक छोटा सा गांव है अभयपुरा. महावीर सिंह इसी गांव के संपन्न किसान बंसीलाल का बेटा था. इसी जिले के थाना मिरहची के अंतर्गत गांव कल्यानपुर में महावीर की बहन ब्याही थी. 5 अक्तूबर, 2016 को वह अपने घर से बहन के घर जाने के लिए निकला. बहन को उसने यह खबर फोन कर के दे दी थी कि वह शाम तक पहुंच जाएगा.

जब शाम तक महावीर बहन के घर नहीं पहुंचा तो बहन ने महावीर की पत्नी केला देवी को फोन कर के पूछा, ‘‘भाभी, महावीर भैया आने को कह रहे थे, अभी तक नहीं आए.’’

‘‘वह तो सुबह ही यहां से मिरहची के लिए निकल गए थे. अभी तक नहीं पहुंचे तो कहां चले गए.’’ केला देवी बोली.

‘‘पता नहीं भाभी,’’ बहन बोली, ‘‘आप उन के दोस्तों को फोन कर के देखो. क्या पता दोस्तों के साथ हों.’’

केला देवी ससुर बंसीलाल के पास गई और यह बात उन्हें बता दी. बंसीलाल ने महावीर का फोन नंबर मिलाया तो वह स्विच्ड औफ आ रहा था. बंसीलाल की भी समझ में नहीं आया कि बेटा गया तो गया कहां. उन्होंने उस के दोस्तों को भी फोन कर के पूछा पर कहीं से भी उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

उन का दिल तेजी से धड़कने लगा, चिंता बढ़ने लगी. कुछ नहीं सूझा तो वह मोहल्ले के  1-2 लोगों को साथ ले कर थाना अमोपुर पहुंच गए. थानाप्रभारी विजय सिंह को उन्होंने बेटे महावीर के गायब होने की बात बताई.

थानाप्रभारी ने बंसीलाल को विश्वास दिलाया कि वह महावीर का जल्द पता लगा लेंगे. उस की गुमशुदगी लिखने के बाद पुलिस महावीर की तलाश में जुट गई. महावीर कोई दूध पीता बच्चा तो था नहीं, जिस से यह समझा जाता कि वह कहीं खो गया होगा. वह समझदार और शादीशुदा था.

पुलिस यह मान कर चल रही थी कि या तो किसी ने उस का अपहरण कर लिया होगा या फिर उस के गायब होने के पीछे प्रेम प्रसंग का मामला होगा.

थानाप्रभारी ने सब से पहले महावीर के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के बाद उन्होंने उस के बारे में जांच की कि वह किस तरह का शख्स था. गांव में उस का किसकिस के साथ उठनाबैठना था.

इस जांच में थानाप्रभारी विजय सिंह को एक नई जानकारी यह मिली कि महावीर का बदन सिंह के घर कुछ ज्यादा ही आनाजाना था. उस की बीवी निर्मला के साथ उस के नाजायज संबंध थे. इस जानकारी के बाद वह बदन सिंह के घर पहुंचे तो बदन सिंह घर पर नहीं मिला. उस की पत्नी निर्मला ने बताया कि वह एक दिन पहले ही दिल्ली गए हैं. इस पर पुलिस ने उस का पता लगाने के लिए अपने मुखबिर लगा दिए.

3 हफ्ते बीत गए पर बदन सिंह के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. इस दौरान पुलिस महावीर के बारे में अन्य स्रोतों से भी पता लगाने की कोशिश कर रही थी. 30 अक्तूबर, 2016 को एक मुखबिर ने थानाप्रभारी को बदन सिंह के बारे में एक खास सूचना दी. उस ने बताया कि बदन सिंह आज गांव के बाहर ईंट भट्ठे पर आएगा. इस खबर को सुन कर थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ गांव के बाहर ईंट भट्ठे पर पहुंचे तो वहां पर उन्हें बदन सिंह के साथ एक युवक और मिला.

पुलिस ने उन दोनों को हिरासत में ले लिया. बदन सिंह के साथ जो युवक था, उस ने अपना नाम मान पाल निवासी गांव सामंती बताया. थाने में उन दोनों से पूछताछ की गई तो बदन सिंह ने बताया कि महावीर सिंह उस का जिगरी दोस्त था, पर दोस्ती की आड़ में उस ने उस के साथ ऐसा गुनाह किया जो माफी के लायक नहीं था इसलिए हालात ऐसे हो गए कि उस की हत्या करानी पड़ी.

इस के बाद उस ने महावीर की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

महावीर कासगंज जिले के थाना अमापुर के एक छोटे से गांव अभयपुरा में रहता था. वह दिल्ली में नौकरी करता था, इसलिए उसे दिल्ली की हवा लगी हुई थी. उस के पिता के पास अच्छीखासी जमीन थी पर महावीर का खेती के काम में मन नहीं लगता था, इसलिए वह दिल्ली में नौकरी करता था. पिता ने उस की शादी एटा निवासी केला देवी से कर दी थी. बाद में वह एक बेटे का पिता बना जिस का नाम यशवीर रखा.

महावीर की गांव के कई हमउम्र लड़कों से दोस्ती थी. उन्हीं में से एक था बदन सिंह. बदन सिंह के पिता के पास भी अच्छीखासी खेती की जमीन थी. वह पिता के साथ खेती के काम में हाथ बंटाता था. बदन सिंह की शादी निर्मला से हो चुकी थी. बाद में वह भी 2 बच्चों का पिता बना.

महावीर और बदन सिंह एक तरह से लंगोटिया यार थे. महावीर महीने 2 महीने में जब भी दिल्ली से आता तो उस का ज्यादातर वक्त बदन सिंह के साथ ही बीतता था. घर आने पर बदन सिंह की पत्नी निर्मला महावीर की खूब खातिर करती थी. महावीर के दिल्ली चले जाने के बाद बदन सिंह भी खुद को अकेला महसूस करता था.

एक बार जब महावीर दिल्ली से गांव आया तो कुछ अलग ही घटित हो गया. वह अपने दोस्त बदन सिंह के घर पहुंचा तो उस की पत्नी निर्मला को देखता ही रह गया. वह बहुत सुंदर लग रही थी. महावीर के दिल में अजीब सी हलचल होने लगी.

वह निर्मला के नजदीक आने की ख्वाहिश रखने लगा. लेकिन उस के मन के किसी कोने में यह बात भी उठ रही थी कि क्या दोस्त की बीवी को ले कर ऐसी बातें सोचना सही है? उस ने निर्मला से अपने मन की बात नहीं कही और घर लौट आया. पर बारबार निर्मला की चाहत उसे बेचैन किए जा रही थी. उसे परेशान देख कर पत्नी केला देवी ने उस से परेशानी की वजह पूछी पर उस ने कोई जवाब नहीं दिया.

महावीर ने गांव के कई लड़कों को दिल्ली ले जा कर नौकरी पर लगवाया था. कुछ सोच कर उस ने इस बार बदन सिंह को भी दिल्ली चल कर नौकरी करने को कहा, लेकिन बदन सिंह ने साफ इनकार कर दिया.

जेठ के चक्कर में पति की हत्या – भाग 1

राजस्थान के उदयपुर शहर को झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है. इसी शहर के प्रतापनगर थाने के अंतर्गत उदयसागर झील स्थित है. 17 नवंबर, 2020 को लोगों ने उदयसागर झील में एक बोरा पानी के ऊपर तैरता देखा. लग रहा था जैसे कि उस में कोई चीज बंधी हो. किसी ने इस की सूचना प्रतापनगर थाने में फोन द्वारा दे दी.

सूचना पा कर थानाप्रभारी विवेक सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर जा पहुंचे. उन्होंने झील से बोरा निकलवाया. जब बोरा खोला गया तो उस में किसी अधेड़ उम्र के व्यक्ति का शव निकला. मृतक की उम्र 45 वर्ष के आसपास लग रही थी.

मृतक ने पैंटशर्ट पहनी हुई थी. चेहरे से लग रहा था कि वह असम, मणिपुर इलाके का है. मृतक की जामातलाशी में कुछ नहीं मिला था, जिस से कि मृतक की शिनाख्त हो पाती. शव की शिनाख्त नहीं होने पर कागजी काररवाई कर शव को राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया.

पुलिस ने अज्ञात शव की शिनाख्त कराने की पूरी कोशिश की. मगर किसी ने उस व्यक्ति की शिनाख्त नहीं की. एक सप्ताह तक मृतक की पहचान नहीं हुई तो पुलिस ने शव को लावारिस मान कर मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करा कर उस की अंत्येष्टि करा दी.

प्रतापनगर थाने में अज्ञात व्यक्ति का शव मिलने का मामला दर्ज कर लिया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मृतक को गला दबा कर मारा गया था. यह हत्या का मामला था. मगर जब तक मृतक की शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक पुलिस काररवाई करती भी तो कैसे.

पुलिस ने खूब हाथपैर मारे कि शव की कोई तो पहचान करे. मगर किसी ने इस व्यक्ति को देखा नहीं था. पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी अज्ञात शव की सुरागसी के लिए लगा रखा था. मगर साढ़े 4 महीने तक कुछ पता नहीं चला.

मगर अचानक उदयपुर पुलिस की जिला स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद पाटीदार को मुखबिर से सूचना मिली कि कुछ लोग एक मृत व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की बात कहते हुए कई पंचायतों के चक्कर लगा रहे हैं.

तब प्रह्लाद पाटीदार एवं स्पैशल टीम के इंचार्ज हनुमंत सिह भाटी की टीम ने जब 2 लोगों पर निगरानी रखी तो किसी व्यक्ति की मौत के बाद फरजी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की बात सामने आई.

टीम ने जब दोनों व्यक्तियों को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने अपने 3 अन्य साथियों के साथ मिल कर असम के उत्तम दास की हत्या करने की बात स्वीकार की. उन्होंने बताया कि उत्तम दास की हत्या उस के बड़े भाई तपन दास ने कराई थी. आरोपियों ने पुलिस को यह भी बताया कि तपन दास ने उन्हें इस काम के लिए साढ़े 12 लाख रुपए की सुपारी दी थी.

स्पैशल टीम और प्रतापनगर थाना पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़ी तो फरजी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के मामूली से प्रयास के पीछे अपराध की बड़ी कहानी निकल आई. किसी ने ऐसा सोचा भी नहीं था.

इस खुलासे के बाद न सिर्फ घिनौना अपराध सामने आया बल्कि उदयसागर में 17 नवंबर, 2020 को मिली अज्ञात व्यक्ति की लाश की वह गुत्थी भी सुलझ गई, जो करीब पौने 5 माह से प्रतापनगर थाना पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई थी.

मामला असम के रहने वाले एक परिवार में अवैध संबंधों का निकला, जिस में तपन दास को छोटे भाई उत्तम दास की पत्नी रूपा से प्यार हो गया तो आगे चल कर प्यार के इस खेल में उत्तम दास बलि का बकरा बन गया और उस की लाश हजारों किलोमीटर दूर उदयपुर की उदयसागर झील में फिंकवा दी. सुपारी किलर 5 युवकों से पूरी जानकारी एवं मृतक के भाई तपन दास का मोबाइल नंबर पुलिस ने हासिल कर लिया. इस के बाद एक विशेष पुलिस टीम गठित की गई.

इस टीम में जिला स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद पाटीदार की विशेष भूमिका रही. इस के अलावा जिला स्पैशल टीम में प्रतापनगर थाने के एसआई मांगीलाल, एएसआई गोविंद सिंह, सुखदेव सिंह, विक्रम सिंह, अनिल पूनिया, मोड़ सिंह, कांस्टेबल अचलाराम, विश्वेंद्र सिंह, नंदकिशोर, उमेश, हरिकिशन, नवलराम, फिरोज, साइबर सेल से गजराज सिंह को शामिल किया गया.

फिर एसआई मांगीलाल, कांस्टेबल नंदकिशोर को फ्लाइट से गुवाहाटी भेजा गया. इन्होंने स्थानीय पुलिस की मदद से मुख्य आरोपी तपन दास की तलाश की.

तपन दास से पूछताछ के बाद मृतक की पत्नी रूपा दास को भी हिरासत में ले लिया. मृतक के परिजनों से भी पूछताछ की गई. उन लोगों ने बताया कि रूपा ने दिसंबर 2020 के दूसरे हफ्ते बताया कि उदयपुर में उत्तम दास की कोरोना से मृत्यु हो गई है.

कोरोना होने के कारण शव का वहीं अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस के बाद मृतक के पैतृक निवास पर विधिविधान से अंतिम क्रियाएं की गई थीं. मृतक के परिजन तो उत्तम दास की मौत कोरोना से होने की मान रहे थे, मगर उदयपुर पुलिस ने घर वालों को बता दिया कि उत्तम की मृत्यु कोरोना से नहीं हुई थी, बल्कि बड़े भाई तपन दास ने साढ़े 12 लाख रुपए की सुपारी दे कर उस की हत्या कराई थी.

पुलिस से सच जान कर मृतक के परिजन बहू और हत्यारे बेटे तपन दास को कोसने लगे और विलाप करने लगे. पुलिस टीम दोनों आरोपियों रूपा दास और उस के जेठ तपन दास को गिरफ्तार कर उदयपुर ले आई.

उदयपुर में थाना प्रतापनगर में सातों आरोपियों से मृतक उत्तम दास की हत्या के संबंध में एसपी डा. राजीव पचार, एएसपी (सिटी) गोपालस्वरूप मेवाड़ा, डीएसपी राजीव जोशी, थानाप्रभारी (प्रतापनगर) विवेक सिंह ने कड़ी पूछताछ की.

पूछताछ में सभी आरोपियों ने उत्तम की हत्या करने का जुर्म कबूल कर के सारी कहानी बयां कर दी. इस के बाद एसपी डा. राजीव पचार ने 9 अप्रैल, 2021 को प्रैसवार्ता कर पत्रकारों को इस मामले की जानकारी दी.

पुलिस पूछताछ में अवैध संबंध में हत्या की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार है.

प्यार से निकला नफरत का दर्द – भाग 1

सुबह के 10 बज रहे थे. झारखंड के गुमला शहर थाने के इंसपेक्टर राजू कुमार गुप्ता अपने औफिस में मौजूद थे और थाने के दीवान दयाराम महतो उन से फाइलों पर दस्तखत करवा रहे थे. तभी संतरी ने औफिस में प्रवेश किया और कहा, ‘‘जयहिंद सर, बाहर एक औरत खड़ी है. कब से रोए जा रही है. कहती है, साहब से मिलना है. बहुत परेशान है.’’

‘‘ठीक है, उस औरत को अंदर भेज दो.’’ फाइलों के बीच नजर गड़ाए इंसपेक्टर ने उत्तर दिया.

‘‘जी सर,’’ सैल्यूट मार कर संतरी औफिस से बाहर निकला और उस औरत को अंदर भेज दिया.

गंदलुम साड़ी में दुबकी डरीसहमी परेशान औरत औफिस में आई और इंसपेक्टर गुप्ता ने उसे कुरसी पर बैठने का इशारा किया तो वह एक कुरसी पर बैठ गई.

थोड़ी देर बाद जब इंसपेक्टर गुप्ता काम से खाली हुए तो दुखियारी महिला की ओर मुखातिब हुए, ‘‘क्या बात है और आप ऐसे क्यों रोए जा रही हो?’’

‘‘साहब…’’ कहती हुई महिला भावुक हो गई और उस की आंखों से झरझर आंसू बहने लगे, ‘‘साहब, मेरा नाम पूनम है और पतिया की रहने वाली हूं.’’

‘‘सो तो ठीक है. पहले आप रोना बंद करो और ठीकठीक से बताओ आखिर बात क्या है? तभी तो मैं आप की कोई मदद कर पाऊंगा.’’

‘‘नहीं रोऊंगी साहब,’’ अपने आंसू पोछते हुए पूनम चुप हो कर आगे बोली, ‘‘साहब, मेरा पति रविंद्र महतो उर्फ रवि 3 महीने से गायब है. उस का कहीं पता नहीं चल रहा है, आप कुछ कीजिए.’’

‘‘पति 3 महीने से गायब है और आप अब तक हाथ पर हाथ धरे बैठी रहीं?’’

‘‘नहीं साहब, मैं ने अपनी तरफ से उसे बहुत ढूंढा लेकिन जब उन का कहीं पता नहीं चला, जब एकदम से नाउम्मीद हुई तो आप के पास गुहार लगाने आ गई.’’

‘‘ठीक है, आप को अंदाजा हो सकता है कि वह कहां जा सकता है? या कहीं तुम दोनों के बीच कोई झगड़ावगड़ा तो नहीं हुआ था, जो गुस्से में आ कर घर छोड़ कर खुद ही कहीं चला गया हो?’’

‘‘नहीं साहब, मेरा पति मुझ से बहुत प्यार करता है. हमारे बीच कभी भी तूतूमैंमैं तक नहीं हुई है तो उन का इस बात पर घर छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता है.’’

‘‘तो किसी पर शक है?’’

‘‘हां सर, मुझे संजू देवी पर शक है. वह मेरे पति का अपहरण करा सकती है. आप उसे पकड़ कर पूछिए तो बता सकती है कि मेरा पति कहां है.’’

‘‘ये संजू देवी कौन है और तुम्हारे पति से उस का क्या संबंध, जो उस का अपहरण करवा सकती है?’’ इंसपेक्टर गुप्ता के इस सवाल पर पूनम ने उन्हें पूरी बात विस्तार से बता दी. उस की बातों और तर्कों में दम था कि संजू जरूर पूनम के पति का अपहरण करा सकती है.

उन्होंने पूनम से एक तहरीर लिखाई और उसे विश्वास दिलाया कि वह कानून पर भरोसा रखे. उस के साथ पूरापूरा न्याय होगा और दोषियों को उन के किए की सजा जरूर मिलेगी. कह कर उसे उस के घर भेज दिया.

इंसपेक्टर राजू कुमार गुप्ता ने पीडि़ता पूनम की तहरीर के आधार पर संजू देवी के खिलाफ अपहरण की धारा में नामजद मुकदमा दर्ज कर आवश्यक काररवाई शुरू कर दी. यह बात 4 जनवरी, 2023 की है.

मामला इतना आसान नहीं था, जितना कि दिख रहा था. रविंद्र महतो उर्फ रवि की गुत्थी सुलझाने के लिए इंसपेक्टर गुप्ता ने एसपी हृदीप पी. जनार्दनन और एसडीपीओ मनीष चंद्र लाल को पूरे प्रकरण की जानकारी दी.

चूंकि मामला अपहरण से जुड़ा हुआ था और एक महिला के द्वारा अपहरण किया जाना प्रकाश में आया था, इसलिए यह मामला पेचीदा हो दिख रहा था. पुलिस अधिकारियों की नजर में यह मामला अपहरण के बजाय कुछ और दिख रहा था लेकिन वे अभी किसी नतीजे पर पहुंच नहीं सकते थे, इसलिए एसपी और एसडीपीओ ने एक रणनीति तैयार की. उस का नेतृत्व इंसपेक्टर राजू गुप्ता के हाथों में सौंप दिया.

इंसपेक्टर गुप्ता ने वैसा ही किया, जैसा उन्हें एसडीपीओ मनीष चंद्र लाल ने करने का आदेश दिया था. मुकदमा दर्ज होने के तीसरे दिन इंसपेक्टर गुप्ता पुलिस टीम के साथ आरोपी संजू देवी को गिरफ्तार करने के लिए रवाना हो गए.

संजू देवी सिमडेगा जिले की कुम्हार टोला बस्ती में रहती थी. संजू विधवा थी. उस के कोई बालबच्चा नहीं था. कुम्हार टोला, ठेठईटांगर थाना क्षेत्र में पड़ता था, इसलिए वहां की पुलिस की मदद ली गई. दोनों थानों की पुलिस की संयुक्त काररवाई में रात के समय संजू देवी के घर पर दबिश दी. घर से संजू देवी को गिरफ्तार कर लिया गया.

पूछताछ करने पर उस ने पुलिस को बताया कि 3 महीने पहले ही उस की हत्या कर दी गई थी. अब वह इस दुनिया में नहीं है. हत्या में उस का साथ उस के प्रेमी अजय महतो, उस की बड़ी बहन कौशल्या देवी, बहन के प्रेमी राजेंद्र साहू ने दिया था. संजू की निशानदेही पर उसी रात अजय महतो भी गिरफ्तार कर लिया गया.

पुलिस ने अजय से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने भी अपना जुर्म कुबूल कर लिया और वही बात दोहराई, जो उस की प्रेमिका संजू बता चुकी थी. इधर जैसे ही संजू और अजय की गिरफ्तारी की खबर कौशल्या और उस के प्रेमी राजेंद्र साहू को हुई, दोनों फरार हो गए.

बहरहाल, रविंद्र महतो की हत्या की बात तो संजू देवी और अजय महतो ने कुबूल कर ली थी, लेकिन शव बरामद होना बाकी था. पुलिस अगली सुबह यानी 8 जनवरी, 2023 को गिरफ्तार आरोपियों और अजय महतो को छंदा नदी के किनारे ले गई, जहां 2 टुकड़ों में बंटे रविंद्र महतो की लाश दफनाई थी.

आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने रविंद्र की लाश जो कंकाल बन चुकी थी, बरामद कर ली. प्रारंभिक काररवाई करने के बाद पुलिस ने उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया.

रविंद्र महतो हत्याकांड का खुलासा हो चुका था. 8 जनवरी की शाम एसडीपीओ मनीष चंद्र लाल ने पुलिस लाइंस में प्रैसवार्ता बुला कर पत्रकारों के सामने त्रिकोण प्रेम में हुई रविंद्र महतो की हत्या का खुलासा किया. इस के बाद दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

उधर फरार अन्य दोनों आरोपियों कौशल्या देवी और उस के प्रेमी राजेंद्र साहू को गिरफ्तार करने के लिए उन के हर संभावित ठिकानों पर दबिश दी जाने लगी, लेकिन दोनों पुलिस की पहुंच से बाहर थे.

पुलिस पूछताछ के बाद रविंद्र महतो हत्याकांड की कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

ले बाबुल घर आपनो : सीमा ने क्या चुना पिता का प्यार या स्वाभिमान – भाग 1

न जाने शंभुजी को क्या हो गया था, इतनी बड़ी कोठी, कार, नौकरचाकर, पैसा देखते ही चौंधिया गए थे. शायद उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उन के दामन में इतनी दौलत आएगी कि जिसे समेटने के लिए उन्हें स्वार्थ के दरवाजे खोल कर बुद्धि के दरवाजे बंद कर देने पड़ेंगे.

‘‘मुझे जीवनसाथी की जरूरत है, पापा, दौलत पर पहरा देने वाले पहरेदार की नहीं,’’ सीमा ने साफ शब्दों में अपनी बात कह दी.

शंभुजी कोलकाता से लौट कर आए तो उन्हें बड़ी हैरानी हुई. हमेशा दरवाजे पर स्वागत करने वाली सीमा आज कहीं भी नजर नहीं आ रही थी. मैसेज तो उन्होंने कोलकाता से चलने से पहले ही उस के मोबाइल पर भेज दिया था. क्या उस ने पढ़ा नहीं? लेकिन वे तो हमेशा ही ऐसा करते हैं. चलने से पहले मैसेज कर देते हैं और उन की लाड़ली बेटी सीमा दरवाजे पर मिलती है. उस का हंसता चेहरा देखते ही वे अपनी सारी थकान, सारा अकेलापन पलभर में भूल जाते हैं. शंभुजी का मन उदास हो गया. कहां गई होगी सीमा? मोबाइल भी घर पर छोड़ गई. किस से पूछें वे? और उन्होंने एकएक कर के सारे नौकरों को बुला लिया. पर किसी को पता नहीं था कि सीमा कहां है. सब का एक ही जवाब था, ‘‘सुबह घर पर थी, फिर पता नहीं बिटिया कहां गई.’’

शंभुजी ने सीमा का मोबाइल चैक किया. उन का मैसेज उस ने पढ़ लिया था. फिर भी सीमा घर में नहीं रही. क्या होता जा रहा है उसे? पिछले कई महीनों से वे देख रहे हैं, सीमा में कुछ परिवर्तन होते जा रहे हैं. न वह उन के साथ उतना लाड़ करती है, न उन्हें अपने मन की कोई बात ही बताती है और न ही अब उन से कुछ पूछती है. पिछली बार जब वे कोलकाता जा रहे थे, तो उन्होंने कितना पूछा था, ‘क्यों, बेटे, तुम्हें कुछ मंगवाना है वहां से?’ तो बस, केवल सिर हिला कर उस ने न कर दी थी और वहां से चली गई थी.

पहले जब वे कहीं जाते थे, तो कैसे उन के गले में बांहें डाल कर लटक जाती थी, और मचल कर कहती थी, ‘पापा, जल्दी आ जाइएगा, इतने बड़े सूने घर में हमारा मन नहीं लगता.’

उन का भी कहां इस घर में मन लगता है. यह तो सीमा ही है, जिस के पीछे उन्होंने इतने बरस हंसतेहंसते काट दिए हैं और अपनी पत्नी मीरा को भी भुला बैठे हैं. जबजब वे सीमा को देखते हैं, उन्हें हमेशा यही संदेह होता है, मीरा लौट आई है. और वे अपने अकेलेपन की खाई को सीमा की प्यारीप्यारी बातों से पाट देते हैं.

एक दिन सीमा भी तो पूछ बैठी थी, ‘पापा, मेरी मां बहुत सुंदर थीं?’

‘हां बेटा, बहुत सुंदर थी?’

‘बिलकुल मेरी तरह?’

‘हां, बिलकुल तेरी तरह.’

‘वे आप से रूठती भी थीं?’

‘हां बेटा.’

‘मेरी तरह?’

‘आज तुम्हें क्या हो गया है, सीमा? यह सब तुम्हें किस ने बताया है?’ वे नाराज हो गए थे.

‘15 नंबर कोठी वाली रेखा चाची हैं न, उन्होंने कहा था, मां बहुत अच्छी थीं. आप उन की बात नहीं मानते थे तो वे रूठ जाती थीं,’ सीमा बड़े भोलेपन से बोली थी.

‘तू वहां मत जाया कर, बेटी. अपने घर में क्यों नहीं खेलती? कितने खिलौने हैं तेरे पास?’ उन्होंने प्यार से समझाया था.

‘वहां शरद है न, वह मेरे साथ कैरम खेलता है, बैडमिंटन खेलता है, यहां मेरे साथ कौन खेलेगा? आप तो सारा दिन घर से बाहर रहते हैं,’ वह रोआंसी हो आई थी.

वे उस छोटी सी बेटी को कैसे बताते कि उस की मां उन से क्यों रूठ जाती थी. वे तो आज तक अपने को कोसते हैं कि मीरा की वे कोई भी इच्छा पूरी न कर सके. कितनी स्वाभिमानी थी वह? इतनी बड़ी जायदाद की भी उस की नजर में कोई कीमत न थी. हमेशा यही कहती थी कि वह सुख भी किस काम का जिस से हमेशा यह एहसास होता रहे, यह हमारा अपना नहीं, किसी का दिया हुआ है.

यह जो आज इतना बड़ा राजपाट है, यह सब उन्हें मीरा की बदौलत ही तो मिला था. लेकिन मीरा ने कभी इस राजपाट को प्यार नहीं किया. न जाने शंभुजी को क्या हो गया था, इतनी बड़ी कोठी, कार, नौकरचाकर, पैसा देखते ही चौंधिया गए थे. शायद उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उन के दामन में इतनी दौलत आ आएगी कि जिसे समेटने के लिए उन्हें स्वार्थ के दरवाजे खोल कर बुद्धि के दरवाजे बंद कर देने पड़ेंगे.

बहुत बड़ा कारोबार था मीरा के पिताजी का. कितने ही लोग उन के दफ्तर में काम करते थे. शंभुजी भी वहीं काम करते थे. वे बहुत ही स्मार्ट, होनहार और ईमानदार व्यक्ति थे. अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने मीरा के पिता का मन जीत लिया था. शंभुजी से उन की कोई बात छिपी नहीं थी, और शंभुजी भी उन की बात को अपनी बात समझ कर न जाने पेट के किस कोने में रख लेते थे, जिस से कोई जान तक नहीं पाता था. मीरा की मां ने ही एक दिन पति को सुझाव दिया था, ‘क्योंजी, तुम तो दिनरात शंभुजी की प्रशंसा करते हो. अगर हम अपनी मीरा की शादी उन से कर दें, तो कैसा रहेगा? गरीब घर का लड़का है, अपने घर रह जाएगा.’

‘मैं भी कितने दिनों से यही सोच रहा था. मुझे भी ऐसा लड़का चाहिए जो मेरा कारोबार भी संभाल ले, और हमारी बेटी भी हमारे पास रह जाए,’ मीरा के पिता ने बात का समर्थन किया था.

‘मेरी चिंता दूर हुई. लेदे कर एक ही तो औलाद है, वही आंखों से दूर हो जाए तो यह तामझाम किस काम का?’

‘लड़का हीरा है, हीरा. चरित्रवान, स्मार्ट, मेहनती, ईमानदार, यह समझ लो, चिराग ले कर ढूंढ़ने से भी ऐसा लड़का हमें नहीं मिलेगा.’

‘तो बात पक्की कर लो. यह जरूर जतला देना, घरजमाई बन कर रहना पड़ेगा. उसे मंजूर हो तो बस चट मंगनी पट ब्याह वाली बात कर ही डालो,’ मीरा की मां ने पुलकित हो कर कहा था.

बात पक्की हो गई थी. बड़ी धूमधाम से मीरा और शंभुजी की शादी हुई थी. शंभुजी के पांव धरती पर नहीं पड़ते थे. पहले तो दफ्तर में काम करने वाले सभी साथियों ने ईर्ष्या की थी, लेकिन धीरेधीरे वे सब के लिए छोटे मालिक हो गए थे. मीरा के पिता तो जैसे उन्हें पा कर पूरी तरह निश्ंिचत हो गए थे. धीरेधीरे सारा कारोबार ही उन्होंने शंभुजी को सौंप दिया था.

निक्की यादव की बेरहम हत्या : नई दुल्हन बेड पर, पहली फ्रिज में – भाग 1

दक्षिणपश्चिम दिल्ली के मित्राऊं गांव के गहलोत परिवार में 11 फरवरी, 2023 को बेहद खुशी का माहौल था. खुशियों का ठिकाना नहीं था, उन्होंने अपने बेटे साहिल गहलोत को आखिर शादी के बंधन में बांध ही दिया था, क्योंकि वह कई सालों से अपनी शादी के लिए उन से टालमटोल कर रहा था, लेकिन आखिर वह परिवार की जिद के आगे घुटने टेकने को मजबूर हो गया. 10 फरवरी, 2023 को वह चमचमाती हुई शेरवानी-सेहरा पहन कर घोड़ी पर चढ़ा और बाजेगाजे के साथ बारात ले कर मंडोला गांव पहुंच गया. रात को शादी की रस्में पूरी हुईं और 11 फरवरी को वह अपनी दुलहन के साथ घर लौट आया.

गहलोत परिवार में नईनवेली बहू आई थी, घर मेहमानों से भरा हुआ था. युवकयुवतियां घर की बैठक में अभी भी डीजे की धुन पर थिरक रहे थे. इन में साहिल के भांजे, भतीजे, भाईबहनें और वे दोस्त, जो साहिल के बहुत नजदीकी थे, सभी पूरे जोश में फिल्मी गानों की धुन पर अपनी कमर मटका रहे थे.

सुबह से शाम होने को आ गई, लेकिन खुशी और जोश से भरे युवाओं के पांव थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे. कुछ समय को उन में से कोई एक बैठ जाता तो दूसरे झूमते रहते, न उन्हें खाने का होश था, न सुस्ताने का. उन्होंने पूरा समां बांध रखा था.

ऊपर की मंजिल पर साहिल का कमरा था, जिसे सुहागकक्ष के रूप में सजा दिया गया था. नई दुलहन सुहाग सेज पर बैठी अपने प्रियतम साहिल का पलक पांवड़े बिछाए इंतजार कर रही थी. वह खुश थी क्योंकि उसे सपनों के राजकुमार जैसा पति मिला था, उस का मन फूले नहीं समा रहा था और दिल की धड़कनें उस को संगीत की लय पर थिरकती महसूस हो रही थीं.

उसे उन पलों का इंतजार था, जब साहिल सुहाग कक्ष में आ कर उसे प्यार से अपनी बांहों में समेट कर उस के तनमन को अपनी खुशबू से महका देने वाला था. एकएक पल उसे रोमांच से भर रहा था कि अचानक उसे नीचे हाल में बज रहे डीजे के बंद होने और भारी बूटों के धड़धड़ाते हुए सीढि़यों पर आने की आवाजों ने चौंका दिया.

सुहाग कक्ष में पहुंची पुलिस

कुछ पल बीते. उस के सुहाग कक्ष को धकेल कर कुछ सिपाही अंदर घुस आए. उन के पीछेपीछे साहिल के पिता वीरेंद्र सिंह गहलोत और अन्य रिश्तेदार भी थे. सभी हैरानपरेशान और घबराए हुए दिखाई दे रहे थे.

दुलहन भी पुलिस को देख कर घबरा गई थी. वह पलंग से नीचे उतर कर घूंघट चेहरे पर डाल कर एक ओर खड़ी हो गई.

पुलिस के सिपाही पूरे कमरे की छानबीन करने लगे. उन के साथ द्वारका जिले के थाना हरिदासनगर के एसएचओ राजकुमार भी थे.

‘‘आखिर बात क्या है इंसपेक्टर साहब, आप क्या तलाश कर रहे हैं, हमें भी तो बताइए.’’ साहिल के पिता वीरेंद्र सिंह गहलोत ने परेशान होते हुए पूछा.

‘‘आप का बेटा साहिल कहां है?’’ एसएचओ ने घूम कर वीरेंद्र सिंह के चेहरे पर नजरें जमा दीं, ‘‘हमें साहिल चाहिए.’’

‘‘वह तो घर में नहीं है.’’ उन्होंने बताया.

‘‘कहां गया है?’’

‘‘मालूम नहीं, कुछ बता कर नहीं गया. लेकिन साहब, साहिल ने ऐसा क्या कर दिया है, जो आप इस तरह उसे घर में घुस कर ढूंढ रहे हैं?’’

‘‘उस ने एक लड़की निक्की यादव को गायब किया है.’’

‘‘निक्की यादव, यह कौन है?’’ गहलोत ने हैरानी से पूछा.

‘‘आप को नहीं मालूम?’’ एसएचओ राजकुमार ने वीरेंद्र सिंह को घूरा, ‘‘निक्की यादव आप के बेटे की प्रेमिका है और उस के साथ लिवइन पार्टनर के रूप में द्वारका में रहरही थी. आप के बेटे ने उसी का अपहरण किया है.’’

एसएचओ से यह सच्चाई सुन कर गहलोत के हाथपांव फूल गए, वह अपना सिर पकड़ कर वहीं पलंग पर बैठ गए .

नई दुलहन अपने पति साहिल की इस करतूत को सुन कर सन्न रह गई. उसे गश आ गया और वह घड़ाम से नीचे गिर गई. साहिल के रिश्तेदार उस की ओर लपके.

एसएचओ ने इस ओर से अपना ध्यान हटा लिया. पुलिस ने घर का चप्पाचप्पा छान मारा, लेकिन साहिल उन्हें घर में नहीं मिला. इंसपेक्टर राजकुमार ने सिर पकड़ कर बैठे वीरेंद्र सिंह गहलोत से साहिल के संभावित ठिकानों और दोस्तों का पता ले कर उन्हें कड़ी वार्निंग दी, ‘‘देखिए, यदि साहिल यहां आता है तो आप उसे रोक कर रखेंगे और पुलिस को सूचना देंगे. यदि आप लोगों ने साहिल के यहां आने के बाद पुलिस को सूचना नहीं दी तो आप पर भी कानूनी काररवाई की जाएगी.’’

यह चेतावनी दे कर एसएचओ अपनी टीम के साथ वहां से थाने की ओर रवाना हो गए

इस के बाद 12 फरवरी को ही पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना मिली थी कि मित्राऊं (दिल्ली) के रहने वाले साहिल ने अपने साथ लिवइन में रहने वाली पार्टनर 22 वर्षीया निक्की यादव को गायब कर दिया है. निक्की यादव झज्जर (हरियाणा) के रहने वाले सुनील यादव की बेटी है. वह दिल्ली में द्वारका की परमार कालोनी में किराए पर अपनी छोटी बहन के साथ रहती थी.

कंट्रोल रूम से मिली इस सूचना के आधार पर द्वारका जिले के बाबा हरिदास नगर की पुलिस मित्राऊं पहुंची थी. पुलिस को साहिल की तलाश थी, जो उसे मित्राऊं के अपने घर में नहीं मिला था.

चूंकि पुलिस को यह मालूम हो गया था कि साहिल की शादी किसी दूसरी लड़की से 10 तारीख को हो गई है, इसलिए पुलिस को पूरा विश्वास था कि साहिल ने निक्की यादव को इसलिए गायब किया है कि वह साहिल की शादी में कोई हंगामा खड़ा न कर सके. पुलिस को शंका थी कि कहीं साहिल ने निक्की का कत्ल न कर दिया हो. यदि ऐसा हुआ होगा तो साहिल निक्की की लाश को ठिकाने लगाने की जुगत में लग गया होगा.

अभी हाल ही में (18 मई, 2022 ) दिल्ली में श्रद्धा नाम की एक युवती का कत्ल हो गया था. यह हत्या उस के प्रेमी आफताब ने की थी. आफताब ने श्रद्धा को कत्ल करने के बाद उस के शव के टुकड़ों को काफी दिनों तक फ्रिज में रखा था और बाद में वह उन टुकड़ों को महरौली के जंगल में फेंकता रहा था.

इस घटना ने लोगों को ही नहीं, बल्कि पुलिस को भी झकझोर दिया था. इस से दिल्ली पुलिस सकते में आ गई थी. पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल भी उठे थे, किंतु आफताब को गिरफ्तार कर के पुलिस ने इस मामले को काफी कुछ शांत करने की कोशिश की थी. अब फिर से दिल्ली में लिवइन पार्टनर निक्की का मामला सामने आ गया.

क्राइम ब्रांच ने संभाली जांच

कहीं साहिल भी निक्की की हत्या कर के पुलिस के लिए एक सिरदर्दी न पैदा कर दे, इसी बात को ध्यान में रख कर पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने यह मामला तुरंत दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया.

क्राइम ब्रांच के विशेष आयुक्त रविंद्र यादव ने इस केस को गंभीरता से लेते हुए क्राइम ब्रांच के डीसीपी सतीश कुमार के नेतृत्व में एक टीम बनाई. टीम में वेस्टर्न रेंज के एसीपी राजकुमार, इंसपेक्टर सतीश कुमार, एएसआई कृष्ण, सुरेश कुमार, संजय, हवलदार रोहताश आदि को शामिल किया गया. इस के बाद टीम के सभी सदस्य सिर जोड़ कर निक्की यादव के मामले में कार्य योजना बनाने में जुट गए.

सगे बेटे ने की साजिश – भाग 1

अनीता शुक्रवार की शाम पौने 5 बजे अपनी भाभी कंचन वर्मा के घर पहुंची. उस ने दरवाजे पर लगी कालबेल बजाई. लेकिन कई बार घंटी बजाने के बाद भी जब अंदर कोई हलचल नहीं हुई तो उस ने दरवाजे को धक्का दिया. इस से दरवाजा खुल गया.

अनीता अंदर पहुंची. उस ने भाभी को आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. बैडरूम में टीवी चल रहा था और मोबाइल भी बैड पर पड़ा था. तभी उस की नजर बाथरूम की ओर गई. उस ने बाथरूम का दरवाजा खोला तो वह हैरान रह गई. वहां फर्श पर भाभी कंचन बेहोश पड़ी थीं. घर का सामान अस्तव्यस्त पड़ा हुआ था.

यह सब देखते ही अनीता चीखती हुई बाहर की ओर भागी. उस ने यह जानकारी आसपास के लोगों व भाई कुलदीप वर्मा को दी. यह 19 फरवरी, 2021 की बात है.

अनीता के चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर आसपास के लोग एकत्र हो गए. अनीता ने बगल में रहने वाली उस की दूसरी भाभी व भाई कुलदीप वर्मा को फोन कर बुलाया.

इस बीच किसी ने यह सूचना थाना क्वार्सी को दे दी. तभी सर्राफा कारोबारी कुलदीप वर्मा अपने नौकर के साथ घर पहुंचे और अपनी पत्नी को मैडिकल कालेज ले जाने के साथसाथ अपनी दोनों बेटियों व बेटे को फोन किया. डाक्टरों ने जांच के बाद कंचन वर्मा को मृत घोषित कर दिया.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी छोटेलाल पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. हत्या व लूट की घटना से सनसनी फैल गई थी. कुलदीप वर्मा प्रतिष्ठित सर्राफा कारोबारी थे. घटना की जानकारी होते ही व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथसाथ कुलदीप वर्मा की दोनों बेटियां, बेटा व शहर में रहने वाले अन्य परिजन व करीबी एकत्र हो गए.

घनी आबादी वाले इलाके में हत्या व लूट की घटना पर लोग आक्रोशित हो कर हंगामा करने लगे. स्थिति की गंभीरता को भांप कर इंसपेक्टर ने अपने उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया.

आननफानन में अलीगढ़ के एसएसपी मुनिराज जी, एसपी (सिटी) कुलदीप सिंह गुनावत, एसपी (क्राइम) डा. अरविंद कुमार  सहित अन्य अधिकारी भी पहुंच गए. एसएसपी ने फोरैंसिक, क्राइम ब्रांच, सर्विलांस, फील्ड यूनिट और डौग स्क्वायड की टीमों को भी मौके पर बुला लिया.

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के क्वार्सी थाना क्षेत्र की सरोज नगर कालोनी में प्रतिष्ठित सर्राफा व्यवसायी कुलदीप वर्मा अपनी पत्नी कंचन वर्मा के साथ रहते थे. उन का यह मकान एटा चुंगी चौराहे से करीब 100 मीटर की दूरी पर है.

सर्राफा कारोबारी कुलदीप वर्मा रोजाना की तरह सुबह एटा चुंगी चौराहे के पास नौरंगाबाद स्थित अपने शोरूम पर चले गए थे. इस के बाद ही बदमाशों ने घटना को अंजाम दिया था.

उच्चाधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. लूट और हत्या के बारे में जानकारी ली. कंचन के गले पर चोट के निशान थे. जबकि नाक से खून निकल रहा था. देखने से लग रहा था कि बदमाशों ने कालबैल बजा कर कंचन से दरवाजा खुलवाया और घर में घुस कर लूटपाट की, विरोध करने पर उन्होंने कंचन वर्मा की गला दबा कर हत्या कर दी. फिर उन को ले जा कर बाथरूम में बंद कर दिया.

बाथरूम से गैस की बदबू आने पर पता चला कि गैस गीजर का पाइप कटा हुआ था, तुरंत गैस सिलिंडर को बंद किया गया.

घर वालों ने पुलिस को बताया कि दूध वाले, नौकरानी, अपने बेटे व करीबी के अलावा मृतका किसी के लिए दरवाजा नहीं खोलती थीं. घर में कुत्ता भी है, जो घटना के समय मकान की पहली मंजिल के कमरे में बंद था.

यह भी पता चला कि नौकरानी काम कर के चली गई थी. दोपहर करीब डेढ़ बजे कंचन ने अपने छोटे दामाद पुनीत को जन्मदिन की बधाई देने के लिए फोन किया था. उन्होंने करीब 7 मिनट बात की थी. फिर यह कहते हुए बैड पर मोबाइल रख दिया कि दरवाजे पर कोई आया है. इस के बाद फोन कट गया था.

काम किसी परिचित का था

यही आखिरी काल थी. इसी दौरान बदमाशों ने घटना को अंजाम दिया था. शाम पौने 5 बजे शहर के ही ऊपरकोट मोहल्ले में रहने वाली कुलदीप की बहन अनीता आई, तब घटना की जानकारी हुई थी.

फोरैंसिक टीम ने कई स्थानों से फिंगरप्रिंट उठाए. घर में ऐसा कोई व्यक्ति आया था,  जिसे यह तक पता था कि घर में हथौड़ी और आरी कहां रखी थीं. उसे यह जानकारी थी बैडरूम के अंदर एक छोटा कमरा है, जिस के अंदर तिजोरी है.

पुलिस को आशंका थी कि वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों को घर की हर चीज की जानकारी थी. संभावना थी कि लुटेरे परिवार के नजदीकी रहे होंगे.

दिनदहाड़े हुई इस वारदात की आसपास के किसी व्यक्ति को भनक तक नहीं लगी थी. जबकि घर वालों के मुताबिक हत्या व लूट की घटना दोपहर करीब डेढ़ बजे किसी के कालबैल बजाने के बाद हुई थी.

बदमाशों ने घर के औजारों से ही छोटे कमरे तथा वहां रखी तिजोरी के ताले तोड़े थे. घर में जमीन, बीमा पौलिसी आदि के कागजात बिखरे पड़े थे. टूटी हुई चूडि़यां भी मिलीं. अंदर के कमरे की तिजोरी तोड़ कर बदमाश हीरे, सोने और चांदी के गहने लूट ले गए थे.

लूटे गए सामान की कीमत एक करोड़ से अधिक बताई. सर्राफ कुलदीप वर्मा की तरफ से पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 394 के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली थी.

मौके की काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए अलीगढ़ भेज दिया. कुलदीप वर्मा का नौरंगाबाद देवी मंदिर के पास कुलदीप ज्वैलर्स के नाम से शोरूम है. घटना के समय वह अपने शोरूम पर कारीगर के साथ थे.

सर्राफा कारोबारी की दोनों विवाहित बेटियों ने पुलिस को बताया कि इस वारदात में हो न हो, कोई ऐसा व्यक्ति शामिल है, जो या तो हमारा अपना है या फिर हमारे घर के बारे में बारीकी से जानता है कि कौन सी चीज कहां रखी है.

इस बारे में परिवार के करीबी सदस्यों, अकसर घर आने वालों के अलावा किसी को जानकारी नहीं थी. टूटी चूडि़यां देख कर पुलिस ने अनुमान लगाया कि बदमाशों से संघर्ष के दौरान मृतका की चूडि़यां टूट गई होंगी. खोजी कुत्ता मकान के बाहर गली के मोड़ तक जाने के बाद ठिठक कर रह गया. इसे ले कर तमाम तरह के कयास लगाए जाने लगे.

घर वालों ने बताया कि दुकान के कीमती जेवरातों के अलावा गिरवी रखे जेवरात भी टूटी तिजोरी में रखे थे. बदमाशों ने बैडरूम के अंदर वाले कमरे और उस के अंदर रखी तिजोरी के अलावा किसी चीज को हाथ नहीं लगाया था.

खानदानी काम था सर्राफा

कुलदीप वर्मा मूलरूप से महेंद्रनगर के रहने वाले थे. कुलदीप 5 भाइयों में दूसरे नंबर के हैं. सब से बड़े भाई राजू की मृत्यु हो चुकी है जबकि तीसरे नंबर के संजय, चौथे नंबर के पंकज व सब से छोटा महेंद्र है. पिता ज्ञानचंद्र की भी ज्वैलरी की दुकान थी. इन का ज्वैलरी का काम खानदानी है.

चारों भाई सन 2012 में नई विकसित हुई कालोनी सरोज नगर में अपनेअपने मकान बनवा कर रहने लगे थे. चारों का अपनाअपना सर्राफा का कारोबार है. जिस में कुलदीप का कारोबार सब से अच्छा था.

कुलदीप वर्मा के 2 बेटियां पायल व काजल हैं. दोनों बेटियों की शहर में ही अलगअलग इलाकों में शादियां कर दी गई थीं. बेटियों के अलावा इकलौता बेटा योगेश उर्फ राजा है. राजा ने करीब 6 महीने पहले शहर के ही कपड़ा व्यापारी की बेटी से प्रेम विवाह किया था.

युवती दूसरी बिरादरी की व उम्र में राजा से बड़ी होने के कारण मांबाप इस से नाखुश थे. बहनों ने भी इस प्रेम विवाह का विरोध किया था. इसलिए राजा अपनी पत्नी के साथ जीवीएम मौल के सामने किराए के मकान में रहने लगा था. घटना की जानकारी होने पर वह भी घर आ गया था.

जानकारी होने पर कोल क्षेत्र के विधायक अनिल पाराशर, इगलास क्षेत्र के भाजपा विधायक राजकुमार पीडि़त परिवार से मिलने पहुंचे.  दिन भर सियासी लोगों की आवाजाही लगी रही. हत्या व लूट के विरोध में आक्रोशित सर्राफा कारोबारियों ने अपनी दुकानें बंद रखीं.

दिनदहाड़े सर्राफा व्यवसाई की पत्नी की हत्या व लूट से नाराज व्यापार मंडल के पदाधिकारी व सर्राफा व्यवसायी एसएसपी व एसपी से मिले और वारदात के शीघ्र खुलासे की मांग की. इस घटना से प्रशासन की चाकचौबंद व्यवस्था की पोल खुल गई थी.