एक लड़की का कमाल – भाग 1

हल्द्वानी के कस्बा काठगोदाम की रहने वाली प्रियंका पिछले कई महीनों से महसूस कर रही थी कि उस के पति कृष्णा सेन के व्यवहार में बड़ा परिवर्तन आ गया है. जहां पहले वह उसे अपनी आंखों पर बिठाए रखता था. उस के हर नाजनखरे सहता था. वहीं अब उसे उस की हर बात कांटे की तरह चुभती है. इतना ही नहीं, वह हर समय उस के साथ झगड़े पर उतारू रहता है. प्रियंका यदि किसी बात पर उस से बहस करती तो वह उस की पिटाई कर देता था.

यानी अब वह ज्यादा चिढ़चिढ़ा सा हो गया था. शराब पी कर वह उस से अकसर रोजाना ही झगड़ता था. पति की प्रताड़ना से तंग आ कर वह अपने मायके चली जाती थी.

शादीशुदा बेटी को ज्यादा दिनों तक घर पर बैठाना कुछ लोग सही नहीं समझते. प्रियंका के मातापिता भी उन्हीं में से एक थे. बेटी के हावभाव से वे समझ जाते थे कि वह ससुराल से गुस्से में आई है. तब वह अपनी बेटी के साथसाथ दामाद को फोन पर समझाते थे. मांबाप के समझाने के बाद प्रियंका अपने भाई के साथ ससुराल लौट जाती थी.

एक बार की बात है, एक महीना मायके में रहने के बाद प्रियंका जब अकेली ही हल्द्वानी की तिकोनिया कालोनी में रह रहे पति के पास पहुंची तो वहां कमरे पर एक लड़की मिली. उस के पहनावे और साजशृंगार से लग रहा था, जैसे उस की शादी हाल में ही हुई है. कमरे में पति कृष्णा और उस लड़की के अलावा और कोई नहीं था. प्रियंका ने पति से उस लड़की के बारे में पूछा तो कृष्णा ने बताया कि यह उस की पत्नी सरिता है. उस ने इस से हाल ही में शादी की है.

इतना सुनते ही प्रियंका के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. गुस्से से उस का चेहरा लाल हो गया. कोई भी शादीशुदा औरत हर चीज सहन कर सकती है पर यह बात वह हरगिज सहन नहीं कर सकती कि उस का पति उस के होते हुए शौतन ले आए. वह गुस्से में बोली, ‘‘मुझ में और मेरे प्यार में क्या कमी थी जो तुम इसे ले आए. मैं कहे देती हूं कि मेरे जीतेजी इस घर में कोई और नहीं रह सकती. तुम तो बड़े ही छिपे रूस्तम निकले. लगता है मेरे मायके जाने का तुम इंतजार कर रहे थे, जो मेरे जाते ही इसे ले आए.’’ कहते हुए प्रियंका की आंखों में आंसू भर आए.

पत्नी की बातों पर कृष्णा को गुस्सा तो बहुत आ रहा था, लेकिन गलती कृष्णा की थी, इसलिए वह पत्नी की बातें सुनता रहा. नईनवेली दुलहन के सामने उसे बेइज्जती का सामना करना पड़ रहा था. प्रियंका का गुस्सा शांत हो गया तो कृष्णा ने उसे मनाने की कोशिश करते हुए समझाया, ‘‘प्रियंका, मेरी मजबूरी ऐसी हो गई थी जिस की वजह से मुझे यह शादी करनी पड़ी. इस से तुम हरगिज परेशान मत हो. मैं तुम्हारा पूरा ध्यान रखूंगा. तुम्हारे प्रति मेरा प्यार वैसा ही बना रहेगा. तुम दोनों ही इस घर में रहना.’’

प्रियंका को पति की बात पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था, लेकिन अब बोल कर कोई फायदा नहीं था. पहले ही वह उसे काफी सुना चुकी थी. इसलिए वह चुप्पी साधे रही. उस से कुछ कहने के बजाय वह कमरे में चली गई और रो कर उस ने अपना मन हलका किया.

कृष्णा ने फिर की 5 लाख की डिमांड

अब प्रियंका के मन में पति के प्रति पहले जैसा सम्मान नहीं रहा. खुद भी वह बेमन से वहां रही. कृष्णा उस के बजाए दूसरी पत्नी को ज्यादा महत्त्व देने लगा. वहां प्रियंका की स्थिति दोयम दरजे की हो कर रह गई थी. एक दिन कृष्णा ने प्रियंका से कहा कि बिजनेस के लिए उसे 5 लाख रुपए की जरूरत है. वह अपने मायके से 5 लाख रुपए ला दे.

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‘‘मैं अब और पैसे नहीं लाऊंगी. सीएफएल बल्ब की फैक्ट्री लगाने के लिए तुम मेरे घर वालों से 8 लाख रुपए पहले ही ले चुके हो. तुम ने वो पैसे तो लौटाए नहीं हैं.’’ प्रियंका बोली.

‘‘क्या मैं कहीं भागा जा रहा हूं, जो तुम इस तरह की बात कर रही हो. पिछली बात को तुम भूल जाओ. अब यह बात ध्यान से सुन लो कि तुम्हें हर हालत में 5 लाख रुपए लाने ही होंगे वरना इस घर में नहीं रह सकोगी. यहां तुम्हारी कोई जगह नहीं रहेगी.’’ कृष्णा सेन ने दो टूक कह दिया.

प्रियंका पति के सामने गिड़गिड़ाई कि अब उस के मायके वालों की ऐसी स्थिति नहीं है कि वह इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था कर सकें, पर पति का दिल नहीं पसीजा. उस ने प्रियंका को दुत्कारते हुए कहा कि वह यहां से चली जाए. पति के दुत्कारने के बाद प्रियंका के सामने मायके जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था. लिहाजा उस ने अपने भाई को फोन कर दिया और उस के साथ मायके चली गई.

प्रियंका ने मायके में पति कृष्णा द्वारा दूसरी शादी करने की बात बताई तो सभी आश्चर्यचकित होते हुए बोले, ‘‘पहली पत्नी के होते हुए उस ने दूसरी शादी कैसे कर ली.’’ इस के बाद प्रियंका ने अपने मांबाप को एकएक बात बता दी. कृष्णा के द्वारा प्रियंका पर ढाए गए जुल्मोसितम की बात सुन कर सभी को गुस्सा आ गया. मायके वालों ने तय कर लिया कि वे फरेबी कृष्णा सेन के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करा कर उस के किए की सजा दिलाएंगे.

एक दिन प्रियंका अपने मांबाप के साथ थाना काठगोदाम पहुंची. वहां मौजूद थानाप्रभारी को उस ने अपनी प्रताड़ना की सारी कहानी बता दी. उस ने यह भी कह दिया कि शादी में अच्छाखासा दहेज देने के बाद भी पति कृष्णा सेन दहेज के लिए उसे प्रताडि़त करता था. एक बार उस ने पति के कहने पर अपने मांबाप से 8 लाख रुपए ला कर दिए थे वह पैसे तो उस ने लौटाए नहीं, अब 5 लाख रुपए और मांगने की जिद पर अड़ गया. पैसे न देने पर उस ने उसे घर से निकाल दिया.

थानाप्रभारी ने प्रियंका की पीड़ा सुनने के बाद भरोसा दिया कि वह उस के पति के खिलाफ सख्त काररवाई करेंगे. एक सप्ताह गुजर जाने के बाद भी थाना पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो प्रियंका फिर थाने पहुंची. थानाप्रभारी ने उसे फिर टरका दिया. थाने वाले 4 महीने तक उसे ऐसे ही टरकाते रहे. 4 महीने तक थाने के चक्कर लगातेलगाते वह थक चुकी थी पर थाने वाले कृष्णा सेन के खिलाफ रिपोर्ट नहीं लिख रहे थे.

9 अक्तूबर, 2017 को प्रियंका अपने भाई के साथ हल्द्वानी के एसएसपी जयप्रभाकर खंडूरी से मिली और काठगोदाम थानापुलिस द्वारा उस के पति के खिलाफ अभी तक कोई काररवाई न करने की शिकायत की.

एसएसपी ने प्रियंका की शिकायत को गंभीरता से लिया. उन्होंने उसी समय काठगोदाम एसएसआई संजय जोशी को फोन कर के आदेश दिया कि प्रियंका की तरफ से रिपोर्ट दर्ज कर आरोपी के खिलाफ तत्काल काररवाई करें.

थाने पहुंच कर प्रियंका एसएसआई से मिली तो उन्होंने बड़े गौर से उस की समस्या सुनी और उस की तहरीर पर उस के पति कृष्णा सेन के खिलाफ भादंवि की धारा 417, 419, 420, 467, 468, 471, 323, 504 व 506 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

चूंकि इस मामले में आदेश कप्तान साहब का था, इसलिए एसएसआई संजय जोशी एसआई मंजू ज्वाला और पुलिस टीम के साथ हल्द्वानी स्थित तिकोनिया कालोनी गए. आरोपी कृष्णा सेन तिकोनिया कालोनी में ही रहता था.

पुलिस जब उस के कमरे पर पहुंची तो वह वहां नहीं मिला. पता चला कि वह अपना किराए का मकान खाली कर के कहीं चला गया है.

डेढ़ सौ करोड़ की मालकिन शुभांगना की मौत की मिस्ट्री – भाग 1

“मैम साहब, दरवाजा खोलिए, मैं आप के लिए चाय लाई हूं.’’ नौकरानी टीला ने शुभांगना के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए कहा. कमरे से कोई आवाज नहीं आई तो टीला ने दोबारा दरवाजा खटखटाते हुए कहा, ‘‘मैम साहब, सुबह के 6 बज गए हैं, दरवाजा खोलिए.’’

इस बार भी न तो दरवाजा खुला और न ही कमरे के अंदर से हलचल की कोई आवाज आई. चिंतित हो कर टीला सोचने लगी कि मैम साहब आज उठ क्यों नहीं रही हैं? उस ने दरवाजे को धक्का दिया तो वह खुल गया. उस ने कमरे के अंदर जो देखा, उसे देख कर हैरान रह गई. शुभांगना कमरे में लगे पंखे से लटक रही थी. उसे इस हालत में देख कर उस की समझ में नहीं आया कि वह क्या करे. थोड़ी देर में होश ठिकाने आए तो उस ने चाय की ट्रे मेज पर रखी और तेजी से सीढि़यां उतरते हुए पहली मंजिल पर पहुंच कर अपने कमरे में सो रहे शुभांगना के 15-16 साल के बेटे मिहिर को झिंझोड़ कर जगाया.

मिहिर आंखें मलते हुए उनींदा सा उठा तो घबराई हुई टीला ने कहा, ‘‘बेटा, मैम साहब को पता नहीं क्या हो गया है? वह अपने कमरे में पंखे से लटकी हुई हैं.’’

टीला की बात सुन कर मिहिर चौंका. वह तेजी से कमरे से निकला और घर में लगी लिफ्ट से दूसरी मंजिल पर मम्मी के कमरे में पहुंचा. टीला भी उस के साथ थी. मिहिर ने मम्मी को पंखे से लटकी देखा तो उस की भी कुछ समझ में नहीं आया. उस ने ‘मम्मीमम्मी’ 2-3 बार आवाज लगाई. मम्मी जीवित होतीं तब तो जवाब देतीं. मिहिर रोने लगा. उसे रोता देख कर टीला भी रोने लगी. उस ने रोतेरोते ही कहा, ‘‘मेरी समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं?’’

‘‘मैं पापा और नानाजी को फोन करता हूं.’’ रोते हुए मिहिर ने कहा.

नाना को बताई हकीकत

इस के बाद मिहिर ने रोतेरोते नानाजी प्रेम सुराणा और पापा राजकुमार सावलानी को फोन कर के बताया कि मम्मी अपने कमरे में पंखे से लटकी हुई हैं. घर में कोई बड़ा और समझदार आदमी नहीं था. मिहिर अभी किशोर था, और टीला नौकरानी. उन की समझ में कुछ नहीं आया तो दोनों प्रेम सुराणा और राजकुमार सावलानी के आने का इंतजार करने लगे.

कुछ ही देर में प्रेम सुराणा बेटी शुभांगना के बंगले पर पहुंच गए. वह लिफ्ट से सीधे दूसरी मंजिल पर स्थित शुभांगना के कमरे में पहुंचे. नाना को देख कर मिहिर उन से लिपट कर जोरजोर से रोते हुए बोला, ‘‘नानाजी, मम्मी को क्या हो गया है?’’

बेटी को पंखे से लटकी और नाती को इस तरह रोते देख कर प्रेम सुराणा को जैसे लकवा मार गया. मुंह से कोई शब्द नहीं निकला. उन की आंखें पथरा सी गईं. पल, दो पल बाद वह थोड़ा संयमित हुए तो उन की आंखों से भी आंसू टपक पडे़े.

यह कैसे और क्या हो गया, यह सब सोचने और समझने का समय प्रेम सुराणा के पास नहीं था. शुभांगना ने जींस और टौप पहन रखी थी, साथ ही वह पूरे गहने भी पहने हुए थी. प्रेम सुराणा ने शुभांगना के कमरे में रखी सैंटर टेबल पर टिके पैरों को पकड़ कर ऊपर उठाया और उस के गले में पड़े चुन्नी के फंदे को निकाला. उन की इस कोशिश में वह नीचे गिर पड़ी.

उन्होंने शुभांगना की नब्ज टटोली तो वह शांत थी. लेकिन वह पिता थे, इसलिए उन का मन नहीं माना और वह उसे सवाई मान सिंह अस्पताल ले गए. अस्पताल के डाक्टरों ने प्राथमिक जांच के बाद शुभांगना को मृत घोषित कर दिया. प्रेम सुराणा फफकफफक कर रोने लगे. शुभांगना की मौत स्वाभाविक नहीं थी, इसलिए उन्होंने इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी.

इंस्टीट्यूशंस की चेयरपर्सन थीं शुभांगना

यह इसी 26 अगस्त, 2017 की सुबह की बात है. शुभांगना गोखले मार्ग, जयपुर की पौश कालोनी सी स्कीम में बने अपने बंगले में रहती थी. वह राजस्थान के प्रतिष्ठित दीपशिखा एजुकेशन इंस्टीट्यूट समूह के मालिक प्रेम सुराणा की बेटी थी. वह खुद जसोदा देवी कालेजेज एंड इंस्टीट्यूशंस चलाती थी और इन इंस्टीट्यूशंस की चेयरपर्सन भी थी.

सुराणा की सूचना पर थाना अशोक नगर के एसआई कृष्ण कुमार सहयोगियों के साथ शुभांगना के बंगले पर पहुंच गए. पुलिस ने शुभांगना के कमरे से वह चुन्नी जब्त कर ली थी, जिस के फंदे में वह लटकी मिली थी. पुलिस सवाई मान सिंह अस्पताल भी गई, जहां शुभांगना की लाश को कब्जे में ले कर उस का पोस्टमार्टम करवाया. पोस्टमार्टम के बाद लाश घर वालों को सौंप दी गई.

शुभांगना की मौत जयपुर के अमीर घरानों में चर्चा का विषय बन गई. इस की वजह यह थी कि वह डेढ़, दो सौ करोड़ रुपए की संपत्ति की मालकिन थी. ऐसे में उस की इस तरह हुई मौत पर तरहतरह के सवाल उठने लगे. सब से बड़ा सवाल यह था कि शुभांगना ने फंदा लगा कर खुद जान दी या उसे मार कर इस तरह लटका कर आत्महत्या का रूप दिया गया था. कहानी आगे बढ़ने से पहले शुभांगना के बारे में जान लेना जरूरी है.

प्रेम सुराणा की बेटी शुभांगना शादी से पहले अपना नाम रुचिरा सुराणा लिखती थी. सुराणा परिवार जयपुर की पौश कालोनी बनीपार्क में रहता था. रुचिरा तब 16-17 साल की थी, जब उसे फिल्में देखने और गाने सुनने का शौक लगा. राजकुमार सावलानी बनीपार्क की सिंधी कालोनी में वीडियो लाइब्रेरी चलाता था. यह उस समय की बात है, जब फिल्में या तो थिएटर में या वीसीआर द्वारा देखी जाती थीं. वीसीआर में वीडियो कैसेट लगती थी.

राजकुमार के हाथ लगी स्वर्णमृगी

रुचिरा वीडियो कैसेट्स लेने अकसर राजकुमार की वीडियो लाइब्रेरी जाती रहती थी. धीरेधीरे रुचिरा का राजकुमार के यहां आनाजना बढ़ता गया. राजकुमार भी उस समय 18-19 साल का था. जवानी की दहलीज पर खड़ी रुचिरा की उम्र नाजुक दौर से गुजर रही थी. ऐसे में कब वह पारिवारिक और सामाजिक मर्यादाओं को ताक पर रख कर फिसल गई, किसी को पता नहीं लगा.

कहा जाता है कि नौवीं तक पढ़ा राजकुमार वीडियो लाइब्रेरी चलाने से पहले अंडे का ठेला लगाता था. लेकिन अपने नाम के अनुसार, वह खूबसूरत था. शायद यही वजह थी कि उम्र के नाजुक दौर से गुजर रही रुचिरा उस के आकर्षण में खिंचती चली गई. रुचिरा नाबालिग थी, लेकिन राजकुमार बालिग था. रुचिरा पैसे वाले बाप की बेटी थी, इसलिए राजकुमार उस से प्रेम की पींगे बढ़ाता गया. उस के मोहपाश में बंधी रुचिरा न अपना भलाबुरा सोच पाई न ऊंचनीच.

कहा जाता है कि राजकुमार ने रुचिरा को मानसिक रूप से इतना इमोशनल बना दिया था कि वह उस के कहने पर अपना सब कुछ गंवाने को तैयार थी. आखिर सारे बंधन तोड़ कर रुचिरा ने घर वालों की मर्जी के खिलाफ जा कर सन 1997 में दिल्ली जा कर आर्यसमाज मंदिर में राजकुमार सावलानी से शादी कर ली. शादी के बाद उस ने नाम बदल कर शुभांगना सावलानी रख लिया.

मामी का उफनता शबाब – भाग 1

20 मई, 2022 की शाम कोेई 8 बजे बृजमोहन हर रोज की तरह गांव के बाहर लगे वाटर कूलर से पानी लेने गया था. काफी देर बाद भी वह पानी ले कर नहीं लौटा तो उस के घर वालों ने सोचा कि वह कहीं शराब पीने में लग गया होगा. लेकिन देर रात तक वह घर नहीं लौटा तो घर वालों को उस की चिंता हुई. उन्होंने उसे गांव में हर जगह खोजा,लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चला.

बृजमोहन के अचानक गायब हो जाने से गांव वाले भी उस की खोज में लग गए थे. गांव वालों के सहयोग से बृजमोहन का देर रात पता तो चल गया. लेकिन वह गांव से सटे हुए एक खाली प्लौट में लहूलुहान बेहोशी की हालत में मिला. ऐसी हालत में उसे देख कर उस के परिवार में शोक की लहर दौड़ गई.

उसे तुरंत ही काशीपुर के एल.डी. भट्ट सरकारी अस्पताल ले गए. जहां पर डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया था.

डाक्टरों की सूचना पर काशीपुर कोतवाल मनोज रतूड़ी तुरंत ही पुलिस टीम के साथ एल.डी. भट्ट अस्पताल पहुंचे. पुलिस ने उस के घर वालों से सारी बात मालूम की.

पुलिस ने मृतक के घर वालों से पूछताछ की. बृजमोहन शादीशुदा 2 बच्चों का बाप था. वह मेहनतमजदूरी कर किसी तरह से अपने बच्चों का पालनपोषण कर रहा था. गांव में उस की किसी के साथ कोई दुश्मनी भी नहीं थी. पुलिस ने पूछताछ करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजने की तैयारी शुरू कर दी.

पोस्टमार्टम होने वाली बात सामने आते ही उस के घर वाले विरोध करने लगे. उन का कहना था कि पुलिस पोस्टमार्टम के नाम पर लाश की दुर्गति करती है. इसी कारण वह किसी भी कीमत पर उस की लाश का पोस्टमार्टम नहीं होने देंगे.

इस बात को ले कर मृतक की बीवी प्रीति कौर ने रोतेधोते काफी बखेड़ा कर कर दिया. पुलिस के बारबार समझाने पर भी वह मानने को तैयार न थी. उस समय किसी तरह पुलिस ने घर वालों को समझाबुझा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

इस के बाद पुलिस केस की जांच में जुट गई. थानाप्रभारी ने बृजमोहन के घर वालों से उस के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि बृजमोहन ने प्रीति कौर के साथ लव मैरिज की थी. जिस के बाद से ही प्रीति कौर के घर वाले उस से नाराज चल रहे थे.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस को लगा कि कहीं उस के मायके वालों ने ही तो उस के पति की हत्या नहीं कर दी. इस बात के सामने आते ही पुलिस ने प्रीति कौर के मायके वालों से भी पूछताछ की.

लेकिन पुलिस पूछताछ में मायके वालों ने साफ शब्दों में कहा कि प्रीति के अपनी मरजी से शादी करने की वजह से उन्होंने उस से पूरी तरह से नाता तोड़ लिया था. जिस के बाद वह कभी भी उन के घर नहीं आई थी. जिस से साफ जाहिर था कि बृजमोहन की हत्या से उन का कोई लेनादेना नहीं रहा होगा.

पुलिस ने प्रीति कौर के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस के नंबर पर सब से ज्यादा सौरभ नाम के व्यक्ति से बात करने की बात सामने आई.

सौरभ बृजमोहन का भांजा था. वह अभी कुंवारा था.

बृजमोहन के घर सब से ज्यादा भी वही आताजाता था. यह जानकारी मिलते ही पुलिस सौरभ के घर उस से मिलने गई तो वह पुलिस को आता देख चकमा दे कर घर से फरार हो गया. लेकिन जल्दबाजी में वह अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ गया था.

पुलिस ने उस का मोबाइल अपने कब्जे में लिया और चैक किया तो पता चला वह दिन में कईकई बार अपनी मामी प्रीति कौर से काफी देर तक बात करता था. उस के वाट्सऐप को खोल कर देखा तो पाया कि वह अपनी मामी से दिन में कई बार चैटिंग करता था.

यही नहीं उस ने अपनी मामी को कई अश्लील पोस्ट भी भेज रखी थीं. जिस से साफ जाहिर हो गया था कि उस का मामी प्रीति के साथ चक्कर चल रहा था. शक होने पर पुलिस ने सब से पहले गांव में लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले.

जांचपड़ताल के दौरान एक कैमरे में मृतक बृजमोहन अकेला ही हाथ में खाली बोतलें ले जाते नजर आया. उस के कुछ देर बाद ही मृतक का भांजा सौरभ भी उस के पीछेपीछे जाता दिखा. जिस से साफ जाहिर था कि बृजमोहन की हत्या से पहले सौरभ ही उस के संपर्क में था.

मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मृतक के शरीर पर काफी चोट के निशान दर्शाए गए थे. उस के सिर के पीछे काफी गहरे चोट के निशान पाए गए थे. जिस के कारण ही उस की मौत हुई थी. जबकि मृतक की बीवी प्रीति कौर उस की हत्या को सामान्य मौत मान रही थी.

मृतक के बड़े भाई बुद्ध सिंह ने अपने भांजे सौरभ के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट लिखा दी.

सौरभ के नाम एफआईआर दर्ज होते ही पुलिस उस की खोजबीन में लग गई. पुलिस के अथक प्रयासों से सौरभ जल्दी पुलिस के हत्थे चढ़ गया.

सौरभ को गिरफ्तार कर पुलिस ने उस से कड़ी पूछताछ की तो अपना गुनाह स्वीकार करते हुए उस ने हत्या का सारा राज खोल दिया. सौरभ ने बताया कि उस ने अपने मामा की हत्या मामी प्रीति कौर के कहने पर ही की थी. उस का मामी के साथ कई सालों से प्रेम प्रसंग चल रहा था.

बृजमोहन की हत्या की सच्चाई सामने आते ही पुलिस ने उस की बीवी प्रीति

कौर को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.

पुलिस पूछताछ में प्रीति ने जल्दी अपना गुनाह स्वीकार करते हुए अपनी जिंदगी का राज खोल दिया था.

पुलिस पूछताछ के दौरान बृजमोहन की हत्या का जो राज खुला, उस के पीछे एक दिलचस्प कहानी भी सामने आई.

उत्तराखंड के शहर काशीपुर से लगभग 15 किलोमीटर दूर रामनगर मार्ग पर गऊशाला से पहले पड़ता है एक गांव गोपीपुरा. इसी गांव में शिवचरन सिंह का परिवार रहता था. शिवचरन सिंह हेमपुर बस डिपो में ही एक चपरासी थे.

शिवचरन सिंह के 3 बच्चे थे, जिन में एक बेटी और 2 बेटे. सब से बड़ी बेटी बाला, उस के बाद बुद्ध सिंह, बृजमोहन सिंह इन सब में छोटा था. शिवचरन सिंह ने बच्चों को पालापोसा और जवान होने पर 2 बच्चों की शादी भी कर दी थी.

शिवचरन सिंह ने नौकरी से रिटायर होने के बाद ही दोनों बेटों के अलगअलग घर भी बनवा दिए थे. बुद्ध सिंह की शादी होते ही वह भी अपनी पत्नी को साथ ले कर अलग रहने लगा था.

पहली बीवी का खेल – भाग 1

20जनवरी, 2022 को गुरुवार का दिन था. दोपहर के करीब 12 बजे शरद विश्वकर्मा ने लखनऊ के थाना पारा की हंसखेड़ा पुलिस चौकी के इंचार्ज ओमप्रकाश मिश्रा को फोन किया. उस ने बताया कि उस की बहन शिवा विश्वकर्मा उर्फ जारा उर्फ सोफिया खान (27 साल) सुबह से अपने घर से गायब है. वह पुरानी कांशीराम कालोनी के फ्लैट नंबर 2/6 में अपने पति यासीन खान के साथ रहती है.

‘‘ठीक है, आप चिंता मत करो, कुछ ही देर में पुलिस वहां पहुंचती है,’’ चौकी इंचार्ज ओमप्रकाश मिश्रा ने शरद से कहा.

इस के बाद एसआई मिश्रा ने अपने पास बैठे सहयोगी एसआई सुधांशु रंजन को फोन पर हुई बातचीत के बारे में बताते हुए विचारविमर्श किया.

फिर वह एसआई सुधांशु रंजन और महिला सिपाही अंतिमा पांडेय को साथ ले कर मौके पर आ पहुंचे. फ्लैट पर ताला लगा था. उन्होंने फ्लैट के दरवाजे की झिरखी से झांक कर देखा. कमरे में अंधेरा था.

अंधेरे में कमरे के अंदर कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था. अंदर से हलकी दुर्गंध आती महसूस हुई तो मौके की नजाकत को समझ कर एसआई सुधांशु रंजन ने थाना पारा के प्रभारी दधिबल तिवारी को फोन पर मामला संदिग्ध होने की आशंका जाहिर करते हुए तुरंत ही मौके पर आने को कहा.

थानाप्रभारी दधिबल तिवारी एसआई की सूचना पा कर महिला एसआई रीना वर्मा, हैडकांस्टेबल अशोक कुमार को साथ ले कर पुरानी कांशीराम कालोनी आ पहुंचे.

पड़ोसियों से पुलिस ने यासीन खान के बारे में पूछताछ की तो वह कुछ नहीं बता सके.चूंकि फ्लैट से दुर्गंध आ रही थी, इसलिए लोगों की मौजूदगी में पुलिस ने फ्लैट का ताला तोड़ दिया. उस के बाद कमरे का सघन निरीक्षण किया. काफी देर तक छानबीन करने पर यासीन खान की दूसरी पत्नी शिवा विश्वकर्मा उर्फ जारा उर्फ सोफिया खान की लाश पलंग पर गद्दे की तह में लिपटी हुई मिली.

पुलिस टीम अभी छानबीन कर ही रही थी, उसी समय मृतका शिवा उर्फ सोफिया का भाई शरद विश्वकर्मा भी मौके पर पहुंच गया.

उस ने थानाप्रभारी को बताया कि यासीन खान ने पहली पत्नी शहर बानो के मौजूद रहते हुए उस की बहन शिवा विश्वकर्मा से दूसरा प्रेम विवाह नेपाल में किया था और उस के साथ इसी फ्लैट पर दोनों पत्नियां रहती थीं.

शरद विश्वकर्मा ने बताया कि वह 6 दिन पहले नेपाल से अपना इलाज कराने बहन शिवा उर्फ सोनिया खान के कहने पर लखनऊ आया था और डिलाइट सन हौस्पिटल में भरती था.

20 जनवरी, 2022 को दिन के लगभग 10 बजे के समय शिवा से उस की फोन पर बात हुई थी तो उस ने खाना ले कर अस्पताल में आने को कहा था. लेकिन 2 घंटे बीत जाने के बाद भी शिवा खाना ले कर जब अस्पताल नहीं पहुंची तो मन में जानने की उत्सुकता हुई.

इस पर उस ने शिवा को कई बार फोन किया तो बहुत मुश्किल से बहनोई यासीन खान ने काल रिसीव करते हुए उसे बताया कि तुम्हारी बहन की शहर बानो से कुछ कहासुनी हो गई है. कुछ ही देर में मैं उसे मना कर अस्पताल ला रहा हूं.

जब काफी देर हो गई और शिवा खाना ले कर अस्पताल नहीं पहुंची तो शरद विश्वकर्मा को कुछ आशंका हुई. तब उस ने मोबाइल फोन से थाना पारा चौकी इंचार्ज ओमप्रकाश मिश्रा को सूचना दी.

शरद विश्वकर्मा ने कहा कि उस का बहनोई यासीन खान और उस की पहली पत्नी शहर बानो सुबह अपने घर पर मौजूद थे, जिन्होंने अस्पताल आने का जिक्र किया था, लेकिन अब वह अपनी पत्नी शहर बानो को ले कर गायब हो गया.

थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने एसआई ओमप्रकाश मिश्रा और सुधांशु रंजन से मृतका के पोस्टमार्टम काररवाई कराने हेतु निर्देश देने के बाद शरद विश्वकर्मा से तहरीर ले कर मुकदमा दर्ज करने को कहा और थाने लौट आए.

शरद विश्वकर्मा की तरफ से पारा थाने में भादंवि की धारा 302, 201 के अंतर्गत यासीन खान एवं उस की पत्नी शहर बानो के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया.

मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस के गले यह बात नहीं उतर रही थी कि यासीन खान अपनी पत्नी सोफिया की हत्या भला क्यों करेगा.

पड़ोसियों से छानबीन करने पर एसआई ओमप्रकाश मिश्रा को पता चला कि शहर बानो 2 दिन पहले ही अपने मायके बहराइच से लगभग 3 माह के बाद ही लौटी थी और वह यहां लखनऊ में यासीन और सोफिया के साथ एक ही रूम में रहती थी.

अब पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार था. 22 जनवरी, 2022 को शिवा विश्वकर्मा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को मिल गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह बात स्पष्ट हो गई कि उस की हत्या किसी धारदार हथियार से नहीं, बल्कि गला दबा कर की गई थी.

थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने विवेचना अपने हाथों में ले कर जांच करनी शुरू कर दी. पुलिस को भरोसा था कि सोफिया की हत्या का क्लू उस के भाई शरद विश्वकर्मा से जरूर मिल जाएगा, लेकिन पुलिस के पूछने पर शरद हत्या का राज व कारण तो नहीं बता सका, अलबत्ता इतना जरूर कहा कि शहर बानो एवं उस की बहन में काफी अनबन रहती थी और उस की बहन को शहर बानो फूटी आंख नहीं सुहाती थी.

पड़ोसियों ने बताया यासीन खान सोफिया के कहने पर ही शहर बानो को मनमुटाव के चलते 3 महीने पहले उस के मायके नानपारा, बहराइच छोड़ आया था और घटना के बाद पुलिस के पहुंचने से पहले शहर बानो और यासीन खान दोनों घर से फरार हो गए थे.

अब पुलिस को शिवा उर्फ सोफिया के पति यासीन खान और शहर बानो की तलाश थी ताकि हत्या का परदाफाश हो सके.

कानपुर रोड कृष्णानगर अंडरपास से मुखबिर की सूचना पर 22 जनवरी, 2022 को रात के समय शहर बानो और यासीन खान को गिरफ्तार कर लिया गया.

पूछताछ में यासीन खान ने बताया कि उस ने शहर बानो के सहयोग से ही दूसरी पत्नी सोफिया की हत्या की थी. हत्या के बाद उस की लाश को गद्दे में छिपा दी थी. उस ने हत्या की जो वजह बताई, वह हैरान कर देने वाली निकली—

बाप बेटे की एक बीवी – भाग 1

उस दिन, 2018 की 18 तारीख थी. थानाप्रभारी सीआई पुष्पेंद्र सिंह अपने औफिस में बैठे थे. उन्होंने महिला कांस्टेबल सावित्री को बुला कर हवालात में बंद हत्यारोपी पूजा को लाने को कहा.

23-24 वर्षीय सांवले रंग की पूजा छरहरे बदन और आकर्षक नैननक्श की महिला थी. एक दिन पहले ही 2 पुरुषों के साथ पूजा के खिलाफ भादंवि की धारा 302 (हत्या) 201 और 34 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था.

थानाप्रभारी पुष्पेंद्र खुद इस केस की जांच कर रहे थे. पूजा आ गई तो उन्होंने उस से पूछताछ शुरू करते हुए पूछा, ‘‘पूजा, तू ने अपने पति कालूराम को क्यों मारा?’’

‘‘हां, यह सच है कि मैं ने अपने पति को मारा है.’’ संक्षिप्त सा उत्तर दिया पूजा ने.

‘‘हत्या के इस मामले में तेरे साथ और कौनकौन थे?’’ सीआई ने अगला सवाल किया.

‘‘साहब, इस काम में कौर सिंह और उस के बेटे संदीप कुमार ने मेरा साथ दिया था.’’

‘‘पूजा, ये बापबेटे न तो तेरी जाति के हैं न रिश्तेदार, फिर भी इन लोगों ने इस जघन्य अपराध में तेरा साथ दिया. आखिर क्यों?’’ इस पर पूजा चुप्पी साध गई.

‘‘साहब, ये दोनों बापबेटे मुझे चाहते हैं. पिछले कुछ दिनों से मैं बापबेटे की पत्नी बन कर रह रही थी. मेरा पति कालूराम हमारी राह का कांटा बन रहा था. इसलिए हम तीनों ने मिल कर उस की हस्ती ही मिटा दी.’’ पूजा के मुंह से यह सुन कर पुष्पेंद्र सिंह हतप्रभ रह गए. क्योंकि भाईभाई की एक पत्नी तो संभव है, पर बापबेटे की नहीं.

अपनी सालों की सर्विस में पुष्पेंद्र सिंह सैकड़ों आपराधिक मामलों से रूबरू हुए थे. पर इस मामले ने जैसे उन के अंतरमन को झकझोर दिया था. भोलीभाली सूरत वाली अनपढ़ पूजा ग्रामीण युवती थी. लेकिन उस के भोले चेहरे के पीछे का डरावना सच यह था कि उस ने अपने शारीरिक सुख की चाह में न केवल अपने भोलेभाले पति का कत्ल किया, बल्कि अपने भविष्य को भी अंधकारमय बना लिया था.

पूछताछ के बाद सीआई पुष्पेंद्र सिंह ने पूजा, कौर सिंह और उस के बेटे संदीप को नौहर के एसीजेएम की अदालत में पेश कर के उन का रिमांड मांगा. अदालत ने तीनों हत्यारोपियों का 3 दिन का पुलिस रिमांड दे दिया. रिमांड अवधि में पूछताछ के बाद जो कहानी निकल कर सामने आई, वह कुछ इस तरह थी—

राजस्थानके जिला हनुमानगढ़ की एक तहसील है टिब्बी. इसी तहसील के गांव कमरानी में रहता था हंसराज. सन 2012 में उस की 2 बेटियों पूजा व मंजू की शादी सीमावर्ती जिला चुरू के गांव बांय निवासी धन्नाराम के 2 बेटों कालूराम व दीपक के साथ हुई थी.

दोनों भाई अपनी पत्नियों के साथ मेहनतमजदूरी कर के अमनचैन से जिंदगी गुजार रहे थे. शुरू में सब ठीक था, लेकिन बाद में पूजा को ससुराल की बंदिशें और सास की रोकटोक अखरने लगी.

वह चाहती थी कि पति के साथ कहीं अलग रहे. उस की यह जिद बढ़ने लगी तो घर में झगड़ा होने लगा. पूजा की वृद्ध सास ने समझदारी दिखाते हुए कालूराम को कहीं दूसरी जगह रहने को कह दिया. तब तक पूजा एक बेटी की मां बन चुकी थी. पूजा की चाहत पर सन 2014 में कालूराम पत्नी व बेटी को ले कर अपनी ससुराल कमरानी में रहने लगा.

कमरानी में कालूराम मेहनतमजदूरी कर के अपने छोटे से परिवार का पेट पालने लगा. हाड़तोड़ मेहनत की वजह से कालू का शरीर कमजोर होने लगा था. शारीरिक क्षमता बनाए रखने की लालसा में उस ने अपने साथियों की सलाह पर नशा करना शुरू कर दिया. कोई अन्य पदार्थ नहीं मिलता तो वह मैडिकल स्टोर पर मिलने वाली गोलियां खा कर काम चला लेता था. वैसे भी अफीमपोस्त की बनिस्बत ऐसी गोलियां आसानी से मिल जाती हैं.

पूजा के घर के पास ही मजहबी सिख काका सिंह का मकान था. काका सिंह ने हनुमानगढ़ निवासी कौर सिंह की बेटी से प्रेमविवाह किया था. कौर सिंह का बेटा संदीप 15-20 दिन में अपनी बहन से मिलने कमरानी आता रहता था. संदीप जब भी अपनी बहन से मिलने आता तो 2-3 दिन रुक कर जाता था.

उस दिन संदीप कमरानी पहुंचा तो उस की बहन की पड़ोसन पूजा भी वहीं बैठी थी. संदीप की बहन ने अपने भाई संदीप से पूजा का परिचय करवा दिया. संयोग से पूजा ने कुछ देर पहले ही स्नान किया था. भीगे बालों से उस का भीगा वक्षस्थल व मादक यौवन युवा संदीप को इतना भाया कि वह उस का दीवाना बन गया. एकांत पा कर उस ने पूजा के सौंदर्य की तारीफ भी कर डाली. साथ ही कहा भी, ‘‘भाभी, आप से तो जानपहचान हो ही गई, अब भैया से भी मिलवा दो.’’

संदीप के मुसकान भरे आग्रह ने पूजा के अंतरमन में हिलोरे पैदा कर दी थीं. संदीप भी पूजा को भा गया था. उस ने कहा, ‘‘क्यों नहीं, कल आप के भैया काम पर नहीं जाएंगे, वह पूरा दिन घर में ही रहेंगे. जब मन करे आ जाना.’’

अगले दिन दोपहर बाद संदीप अपनी बहन को बाजार जाने का कह कर पूजा के घर जा पहुंचा. पूजा आंगन में खड़ी थी. वह उसे देखते ही बोला, ‘‘लो भाभी, हम आ गए हैं.’’

जवाब में पूजा ने अंगड़ाई लेते हुए कहा, ‘‘आओ देवर जी, आप का स्वागत है.’’

अपनी बात कह कर पूजा कमरे में चली गई. संदीप भी उस के पीछेपीछे कमरे में चला गया.

उस दिन पूजा और संदीप में काफी देर बातें हुईं. इन बातों से संदीप समझ गया कि पूजा अपने पति से संतुष्ट नहीं है. इस के पीछे एक वजह यह भी रही कि बीते दिन पूजा ने उस से कहा था कि उस का पति दिन भर घर पर रहेगा, जबकि वह घर पर नहीं था. इस से संदीप उस की मंशा को भांप गया. इसलिए उस ने पूजा से उसी तरह की बातें कीं. पूजा उस की बातों का रस लेती रही. नतीजा यह निकला कि 2 दिन में ही पूजा और संदीप के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

उस दिन सांझ ढले कालूराम काम से लौटा. घर आते ही उस ने अपनी नशे की खुराक ली और खाना खा कर बिस्तर पर पसर गया. कुछ ही देर में उसे नींद आ गई. हालांकि पूजा व उस की मां ने कालूराम को नशाखोरी के बावत समझाया था, पर उस पर कोई असर नहीं हुआ था.

रात घिर आई थी. पूजा व काका सिंह के परिवार के लोग खर्राटें भर रहे थे. पर पूजा व संदीप की आंखों से नींद कोसों दूर थी. लगभग 11 बजे संदीप दबे पांव आ कर पूजा के बाहर वाले कोठे में छुप गया था. संदीप को आया देख पूजा भी कोठे में आ गई. दिन की तरह एक बार फिर दोनों ने शारीरिक खेल खेला. घंटा भर बाद संदीप बहन के घर चला गया.

शैतानी दिमाग की साजिश

10 सितंबर, 2018 को लुधियाना के जिला एडिशनल सेशन जज अरुणवीर वशिष्ठ की अदालत में अन्य दिनों की अपेक्षा कुछ ज्यादा भीड़ थी. वजह यह थी कि उस दिन लुधियाना शहर के एक ऐसे दोहरे मर्डर केस का फैसला सुनाया जाना था, जिस ने पूरे शहर में सनसनी फैला दी थी. इस में हतप्रभ कर देने वाली बात यह थी कि आरोपी रिशु ग्रोवर मृतकों के परिवार का ही सदस्य था और उस परिवार की हर तरह से देखरेख करता था.

इस के बावजूद उस ने मां और बेटी की इतनी वीभत्स तरीके से हत्या की थी कि उन की लाशें देख कर पुलिस तक का कलेजा कांप उठा था. यह केस लगभग 5 सालों तक न्यायालय में चला, जिस में 23 गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए.

इन गवाहों में एक गवाह ऐसा भी था, जिस ने आरोपी को घटनास्थल से फरार होते देखा था. अभियोजन पक्ष ने इस केस में पुलिस वालों, फोटोग्राफर, फिंगरप्रिंट एक्सर्ट्स, पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों आदि के बयान भी अदालत में दर्ज कराए थे.

निर्धारित समय पर जिला एडिशनल सेशन जज अरुणवीर वशिष्ठ के अदालत में बैठने के बाद जिला अटौर्नी रविंदर कुमार अबरोल ने कहा कि आरोपी रिशु ग्रोवर ने अपनी ताई और उन की बेटी की खंजर से बेहद क्रूरतम तरीके से हत्या की थी. लिहाजा ऐसे आरोपी को फांसी की सजा मिलनी चाहिए. वहीं बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि ये दोनों मर्डर किसी और ने किए हैं. हत्याएं करने के बाद हत्यारा खून से दीवार पर एक नाम भी लिख कर गया था.

खून से दीवार पर जिस का नाम लिखा गया था, पुलिस को उस शख्स से सख्ती से पूछताछ करनी चाहिए थी. लेकिन पुलिस ने उस शख्स को बचा कर सीधेसादे रिशु ग्रोवर को फंसा कर जेल में डाल दिया. रिशु पर लगाए गए सारे आरोप निराधार हैं. लिहाजा उसे इस केस से बाइज्जत बरी किया जाना चाहिए.

जिला एडिशनल सेशन जज ने तमाम गवाहों के बयान, सबूतों और वकीलों की जिरह के बाद आरोपी रिशु ग्रोवर को दोषी करार दिया और सजा सुनाने के लिए 13 सितंबर, 2018 का दिन नियत कर दिया.

आखिर ऐसा क्या हुआ था कि इस हत्याकांड के फैसले पर लुधियाना के लोगों के अलावा वकीलों और मीडिया तक की निगाहें जमी थीं. सनसनी फैला देने वाले इस केस को समझने के लिए हमें घटना की पृष्ठभूमि में जाना होगा.

लुधियाना के बाबा थानसिंह चौक के निकट मोहल्ला फतेहगंज में बलदेव राज अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी ऊषा के अलावा 2 बेटियां आशना व हिना एक बेटा राहुल था. बड़ी बेटी आशना की वह शादी कर चुके थे. शादी के लिए 2 बच्चे और बचे थे. वह उन की शादी की भी तैयारी कर रहे थे, लेकिन इस से पहले ही उन की मृत्यु हो गई.

बलदेव राज की मृत्यु के बाद घर की जिम्मेदारी ऊषा के ऊपर आ गई थी. खेती की जमीन से वह परिवार की गुजरबसर करने लगीं. पंजाब के तमाम लोग विदेशों में काम कर के अच्छा पैसा कमा रहे हैं. ज्यादा पैसे कमाने की चाह में राहुल भी अपने एक जानकार की मदद से आस्ट्रेलिया चला गया. वहां उसे अच्छा काम मिल गया था.

राहुल के आस्ट्रेलिया जाने के बाद लुधियाना में उस के घर में 55 वर्षीय मां ऊषा और 21 वर्षीय बहन हिना ही रह गई थीं. राहुल ने अपनी बहन आशना और बहनोई विकास मल्होत्रा का खयाल रखने को कह दिया था. इस के अलावा उस ने अपने चाचा के बेटे रिशु ग्रोवर से भी मांबहन का ध्यान रखने को कहा था.

रिशु टिब्बा रोड के इकबाल नगर में रहता था. वैसे भी ऊषा का घर बाबा थानसिंह चौक पर ऐसी जगह रास्ते में था कि रिशु आतेजाते अपनी ताई ऊषा का हालचाल जान लिया करता था.

जब रिशु ऊषा के यहां आनेजाने लगा तो ऊषा उस से घर के छोटेमोटे काम कराने लगीं. इस में रिशु के मातापिता को भी कोई ऐतराज नहीं था. कुछ समय और बीता तो ताई के कहने पर रिशु कभीकभी रात को भी उन के घर रुकने लगा.

इसी बीच एक यह परेशानी सामने आई कि बाबू नाम का एक लड़का हिना के पीछे पड़ गया. बाबू का सेनेटरी का काम था. हिना जब भी घर से बाहर निकलती, बाबू उस का रास्ता रोक कर उस से छेड़छाड़ करता था. इस से परेशान हो कर हिना ने इस की शिकायत पहले रिशु से की और बाद में यह बात अपनी बहन और जीजा को भी बता दी.

रिशु ने अपने तरीके से बाबू को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना. कोई हल न निकलता देख हिना के बहनोई विकास ने इस की शिकायत थाना डिवीजन नंबर-3 में कर दी. पुलिस ने बाबू को थाने बुला कर धमका दिया. इस के बावजूद वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. यह सन 2012 की बात है.

इस बीच राहुल आस्ट्रेलिया से लुधियाना लौटा तो यह बात उसे भी पता चली. लगभग 2 महीने लुधियाना में रहने के बाद जब वह वापस आस्ट्रेलिया लौटा तो अपनी मां ऊषा और बहन हिना की जिम्मेदारी फिर से रिशु को सौंप गया. आगे चल कर यही राहुल की सब से बड़ी भूल साबित हुई.

रिशु एक आवारा, बदचलन और बेहद गिरा हुआ इंसान था. सिगरेट, शराब, जुए से ले कर कोई ऐसा गलत ऐब नहीं बचा था, जो रिशु में नहीं था. ऊषा और हिना का ध्यान रखने की आड़ में वह ऊषा के घर पर ही अपना डेरा जमा कर बैठ गया. दरअसल, रिशु के खुराफाती दिमाग में एक भयानक षड्यंत्र ने जन्म ले लिया था. उस का सीधा निशाना हिना थी जो इस बात से बिलकुल अनजान थी.

नाजायज रिश्ते, नाजायज तरीके. कब किसी इंसान को गुनाह के रास्ते पर ला कर खड़ा कर दें, कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. जिस भाई को राहुल मां और बहन की देखभाल की जिम्मेदारी सौंप गया था, उसी भाई के मन में एक अपराध ने जन्म ले लिया था.

अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए रिशु ने अपनी ताई की बेटी हिना को अपने जाल में फंसाना शुरू कर दिया. जल्दी ही वह अपने मकसद में कामयाब भी हो गया. उस ने हिना के साथ नाजायज रिश्ता कायम कर लिया. बाद में वह इसी नाजायज रिश्ते की आड़ ले कर उसे ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठने लगा. उस से मिले पैसों का इस्तेमाल वह अपने सपने पूरे करने में खर्च करता था.

ताज्जुब की बात यह थी कि उसी घर में रहते हुए भी ऊषा को इस सब की भनक तक नहीं लग पाई थी. इस की वजह यह थी कि रिशु अपनी ताई को खाने में नींद की गोलियां दे देता था. गोलियों के नशे को ऊषा अपनी उम्र का रोग समझती थीं.

शुरूशुरू में तो हिना रिशु के आकर्षण में फंस गई थी पर जब तक उसे उस की नीयत का पता चला, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. लेकिन अब पछताने से कोई फायदा नहीं था. क्योंकि वह सिर से ले कर पांव तक रिशु के चंगुल में फंसी हुई थी, जहां से अकेले बाहर निकलना उस के बूते की बात नहीं थी.

अंत में हार कर हिना ने अपने भाई राहुल को आस्ट्रेलिया फोन कर के यह बात बता दी. यहां हिना ने एक बार फिर बड़ी गलती की. वह राहुल से अपने और रिशु के शारीरिक संबंधों और रिशु द्वारा ब्लैकमेल करने की बात छिपा गई थी. यह बात फरवरी 2013 की है.

अपनी बहन की बात सुन राहुल आस्ट्रेलिया से लुधियाना आया और उस ने रिशु को आड़े हाथों लिया. रिशु के मातापिता ने भी उस की अच्छी खबर ली. आखिर अपनी करनी से शर्मिंदा हो कर रिशु ने राहुल के अलावा अन्य सभी रिश्तेदारों से माफी मांग ली.

बात तो यहीं खत्म हो गई थी पर राहुल कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था. उस ने हिना की शादी करने के लिए लड़के की तलाश शुरू कर दी. लड़का मिल भी गया. राहुल ने लुधियाना के पखोवाल रोड निवासी सौरव के साथ हिना की मंगनी कर के शादी पक्की कर दी.

शादी की तारीख 20 नवंबर, 2013 तय हुई. इस बार राहुल ने बहन की शादी की जिम्मेदारी अपनी बहन आशमाऔर जीजा विकास मल्होत्रा को सौंपी.

यह सब कर के वह 24 अप्रैल, 2013 को आस्ट्रेलिया लौट गया. आस्ट्रेलिया जा कर उस ने वहां से 4 लाख रुपए और करीब 100 डौलर अपनी मां को भेजे. मां ने शादी की तैयारियां शुरू कर दी थीं. राहुल समयसमय पर अपनी मां को फोन कर के बात करता रहता था.

21 मई, 2013 को राहुल ने आस्ट्रेलिया से अपनी मां को फोन कर के हालचाल पूछना चाहा तो मां का फोन बंद मिला. उस ने 2-3 बार मां को फोन मिलाया, पर हर बार फोन बंद ही मिला. उस ने 22 मई को फिर से मां को फोन किया. उस दिन भी उन का फोन स्विच्ड औफ था. बहन हिना का फोन भी बंद था.

राहुल परेशान था कि दोनों के फोन क्यों नहीं मिल रहे. फिर उस ने अपने जीजा विकास मल्होत्रा को फोन कर कहा, ‘‘जीजाजी, पता नहीं क्यों मां और हिना का फोन नहीं मिल रहा है. मैं कल से कोशिश कर रहा हूं. आप वहां जा कर पता तो करें, क्या बात है?’’

‘‘ऐसी तो कोई बात नहीं है. मैं और आशमा कल रात को वहीं थे. हो सकता है वे लोग सो रहे हों या कोई सामान खरीदने बाजार गए हों. फिर भी मैं जा कर देखता हूं.’’ विकास ने कहा. उस के बाद विकास अपनी पत्नी आशमा को ले कर ससुराल गया.

दोनों ने वहां जा कर देखा तो मकान का मुख्य दरवाजा बंद जरूर था पर उस में कुंडी नहीं लगी थी. असमंजस की हालत में विकास ने अंदर जा कर देखा तो नीचे वाले कमरे में बैड पर सास ऊषा की खून से लथपथ लाश पड़ी थी.

मां की लाश देख कर आशमा की चीख निकल गई. विकास भी घबरा गया और सोचने लगा कि हिना कहां है. इस के बाद उस ने ऊपर के फ्लोर पर जा कर देखा तो बाथरूम के बाहर हिना की भी खून सनी लाश पड़ी थी. उस की लाश के पास दीवार पर खून से ‘बाब’ लिखा हुआ था. बाब यानी बाबू.

विकास को यह समझते देर नहीं लगी थी कि ये दोनों हत्याएं बाबू सेनेटरी वाले ने ही की है. क्योंकि वह हिना को अकसर परेशान करता था. विकास ने इस की सूचना थाना डिवीजन-3 को दे दी. साथ ही उस ने फोन द्वारा राहुल को भी बता दिया.

सूचना मिलते ही इंसपेक्टर बृजमोहन, एसआई प्रीतपाल सिंह, एएसआई राजवंत पाल, हवलदार वरिंदर पाल सिंह, सरजीत सिंह और सिपाही राजिंदर सिंह के साथ बताए गए पते की तरफ रवाना हो गए.

घटनास्थल पर पहुंच कर उन्होंने लाशों का मुआयना किया तो पता चला कि उन की हत्या किसी धारदार हथियार से की गई थी. मौके पर उन्होंने क्राइम टीम को बुलवाया. कई जगह से फिंगरप्रिंट और खून के सैंपल लिए और दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दिया.

प्राथमिक पूछताछ में विकास मल्होत्रा से यह बात भी पता चली थी कि वारदात को अंजाम देने के बाद हत्यारे घर में रखे 4 लाख रुपए, 100 डौलर और सोने की एक चेन भी ले गए थे. विकास के बयानों के आधार पर पुलिस ने इस दोहरे हत्याकांड का मुकदमा आईपीसी की धारा 302, 460 के तहत दर्ज कर के तफ्तीश शुरू कर दी.

विकास ने इस हत्याकांड का शक बाबू पर जाहिर किया था और दीवार पर भी खून से ‘बाब’ लिखा हुआ था, इसलिए इंसपेक्टर बृजमोहन ने बाबू को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी.सख्ती से पूछताछ करने पर भी बाबू इस हत्याकांड के बारे में कुछ नहीं बता पाया था. उस का कहना था कि वह हिना का पीछा जरूर करता था पर इन हत्याओं में दूरदूर तक भी उस का कोई हाथ नहीं है.

अचानक पुलिस को शक हुआ कि कहीं पैसों के लालच में विकास ने ही तो इस घटना को अंजाम नहीं दिया क्योंकि उसे भी पता था कि घर में इतना कैश रखा है. फोरेंसिक रिपोर्ट में यह बताया गया था कि घटनास्थल से मिले खून के सैंपल के साथ एक किसी तीसरे आदमी का भी खून था, जो शायद हत्यारे का था.

इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए पुलिस ने विकास से पूछताछ की. विकास ने भी खुद को बेकसूर बताया. उस से की गई पूछताछ के बाद भी पुलिस को हत्यारों से संबंधित कोई सुराग नहीं मिला.

संभावनाओं का पिटारा पुलिस के सामने खुला हुआ था. लेकिन अभी तक कोई ठोस लीड नहीं मिल रही थी. तफ्तीश के दौरान पुलिस को एक ऐसा शख्स मिला, जिस ने हत्यारे को घर से निकलते देखा था और वह उसे अच्छी तरह से पहचानता भी था.

इस के बाद पुलिस ने अन्य सबूत जुटाने के लिए हिना के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर खंगाली. उस में कई संदिग्ध नंबर थे. उन सभी नंबरों में एक नंबर ऐसा भी था जिस पर हिना की सब से ज्यादा बातें होती थीं. वह नंबर हिना के चचेरे भाई रिशु ग्रोवर का था.

इस हत्याकांड के 2 दिन बाद राहुल भी आस्ट्रेलिया से आ गया. 25 मई को ही वह इंसपेक्टर बृजमोहन से मिला. राहुल ने बताया कि रिशु ने उस की बहन हिना से नाजायज संबंध बना लिए थे. इतना ही नहीं वह हिना को ब्लैकमेल कर उस से पैसे भी ऐंठता रहता था.

राहुल के बयानों ने इस केस का पासा पलट दिया और कातिल सामने आ गया. पता चला कि हिना और ऊषा का हत्यारा कोई और नहीं बल्कि रिशु ग्रोवर था.

पुलिस ने रिशु को हिरासत में ले लिया. रिशु के खून की जांच कराई गई तो वह उसी खून से मैच कर गया जो घटनास्थल पर मृतकों के अलावा मिला था. रिशु से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस की निशानदेही पर इंसपेक्टर बृजमोहन ने नाले से हत्या में इस्तेमाल खंजर, प्लास्टिक के दस्ताने और एक रूमाल बरामद किया.

पुलिस ने हत्या के बाद लूटे हुए पैसों में से 2 लाख 11 हजार रुपए और 100 डौलर भी बरामद कर लिए. काररवाई पूरी करने के बाद रिशु को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था.

तफ्तीश पूरी करने के बाद इंसपेक्टर बृजमोहन ने एक महीने बाद इस केस की चार्जशीट अदालत में दाखिल कर दी थी. पुलिस ने अदालत में तमाम गवाह पेश किए. उन में एक ऐसी महिला गवाह थी जिस ने इस हत्याकांड को अंजाम देने के बाद रिशु को घटनास्थल से फरार होते देखा था. दरअसल वह महिला रोज तड़के ढाई बजे सेवा करने के लिए गुरुद्वारा साहिब जाती थी. उसी समय उस ने रिशु को ऊषा के घर से निकलते देखा था.

अदालत ने उस महिला की गवाही को अहम माना. तमाम गवाहों और सबूतों के आधार पर एडिशनल सेशन जज अरुणवीर वशिष्ठ ने रिशु ग्रोवर को दोषी ठहराया.

रिशु को दोषी ठहराने के बाद लोगों के जेहन में एक ही सवाल घूम रहा था कि पता नहीं 13 सितंबर को जज साहब उसे कौन सी सजा सुनाएंगे. लोगों के 3 दिन इसी ऊहापोह की स्थिति में गुजरे. आखिर वो दिन भी आ गया जो माननीय जज ने सजा सुनाने के लिए मुकर्रर किया था.

13 सितंबर को तमाम लोग बड़ी बेताबी के साथ कोर्टरूम में पहुंच गए थे. सुबह ठीक 10 बजे माननीय जज अदालत में बैठे. उन्होंने केस फाइल पर नजर डालते हुए कहा कि जिला अटौर्नी रविंदर कुमार अबरोल की दलीलों, गवाहों के बयानों और मौके पर मिले अन्य साक्ष्यों से यह बात पूरी तरह साबित हो जाती है कि रिशु ग्रोवर ने अपनी ताई और हिना को खंजर से ताबड़तोड़ वार कर के बेरहमी से मार डाला था.

रिशु चचेरी बहन से अवैध संबंध बना कर उसे ब्लैकमेल कर पैसे वसूलता था, जबकि 6 महीने बाद उस की शादी होनी थी. लिहाजा ब्लैकमेलिंग का धंधा व पैसा मिलना बंद होने की रंजिश में उस ने ही दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया था और हिना की शादी के लिए घर में रखा सारा पैसा लूट लिया था.

रिशु इतना शातिरदिमाग था कि दोहरे हत्याकांड को अंजाम देने के बाद उस ने पुलिस को गुमराह करने के लिए घर में रखे गहने व कैश भी गायब कर दिए थे. साथ ही दीवार पर खून से ‘बाब’ लिख दिया था, जिस से पुलिस उस तक न पहुंच सके.

दोषी की घृणित मानसिकता से यह बात भी स्पष्ट हो जाती है कि उस ने जघन्यतम अपराध किया है. ऐसे आदमी को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है. अभियोजन पक्ष ने अपनी चार्जशीट में आरोपी पर जो आरोप लगाए हैं, वह उन्हें पूरी तरह से साबित करने में सक्षम रहा है.

आरोपी का दोष पूरी तरह से साबित होता है, लिहाजा भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के अंतर्गत दोषी रिशु ग्रोवर को अदालत मृत्युदंड की सजा सुनाती है. अपना फैसला सुनाने के बाद न्यायाधीश अरुणवीर वशिष्ठ ने अपनी कलम की निब तोड़ दी और उठ कर अपने चैंबर में चले गए. रिशु ग्रोवर को फांसी की सजा सुनाए जाने पर आशमा और उस के पति विकास ने संतोष व्यक्त किया.

सौतिया डाह में पत्नी ने लिया बदला

62 वर्षीय रामविलास साह जिला सीतामढ़ी के डुमरा थाना क्षेत्र में आने वाले गांव बनचौरी में अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में दूसरी पत्नी सुनीता के अलावा 2 बेटे थे. पहली पत्नी मनतोरिया से उस के 6 बच्चे थे. लेकिन मनतोरिया अपने बच्चों के साथ दूसरे मकान में रहती थी.

एक तरह से उस का पति रामविलास से कोई संबंध नहीं था. रामविलास के पास खेती की अच्छीखासी जमीन थी. डुमरा इलाके में वह बड़े काश्तकारों में शुमार था. रामविलास के दिन बड़ी खुशहाली में कट रहे थे. अपने नियमानुसार वह सुबह 5 बजे बिस्तर त्याग देता था.

4 जून, 2018 को सुबह के 9 बजे गए थे. उस दिन न तो रामविलास उठा और न ही उस की पत्नी सुनीता और न ही उस के दोनों बेटे. घर में भी कोई हलचल नहीं हो रही थी. यह देख कर पड़ोस में रहने वाले रामविलास के भतीजे श्रवण को बड़ा अजीब लगा. इस के पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था कि चाचा या चाची इतनी देर तक सोते रहे हों.

यह देख कर श्रवण से नहीं रहा गया तो वह चाचाचाची को आवाज लगाते हुए उन के घर के अंदर दाखिल हो गया. घर का मुख्य दरवाजा यूं ही भिड़ा हुआ था, हलका सा धक्का देते ही किवाड़ खुल गई. श्रवण आवाज देते हुए चाचाचाची के कमरे में पहुंच गया.

कमरे में जा कर उस की नजर बिस्तर पर पड़ी तो उस का दिल दहल गया. बिस्तर पर रामविलास साह और उस की पत्नी सुनीता देवी की रक्तरंजित लाशें पड़ी थीं. श्रवण चिल्लाते हुए उलटे पांव बाहर आ गया.

उस के चीखने की आवाज सुन कर आसपड़ोस के लोग भी वहां आ गए. जब वे लोग रामविलास के घर में गए तो पतिपत्नी की लाशें देख कर हैरत में रह गए. उन के दोनों बच्चे घर में दिखाई नहीं दे रहे थे. लोगों ने जब दूसरे कमरे में देखा तो उन के दोनों बेटों नवल और राहुल की लाशें भी खून से लथपथ पड़ी मिलीं.

हत्यारों ने चारों की हत्या बड़ी बेरहमी से गला रेत कर की थी. थोड़ी देर में ही 4-4 लाशें पाए जाने की खबर बनचौरी गांव में ही नहीं बल्कि पूरे डुमरा क्षेत्र में फैल गई. जिस ने भी सुना दौड़ा चला आया.

देखतेदेखते वहां भारी भीड़ जमा हो गई थी. इसी बीच किसी ने घटना की सूचना थाना डुमरा को दे दी थी. एक ही परिवार के 4 लोगों की हत्या की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी विकास कुमार सिंह तुरंत पुलिस टीम के साथ बनचौरा के लिए रवाना हो गए. जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो रामविलास के घर के बाहर लोगों का हुजूम लगा था.

उच्चाधिकारियों को घटना की सूचना देने के बाद थानाप्रभारी घटनास्थल का निरीक्षण करने लगे. घटना की सूचना मिलते ही एसपी विकास बर्मन, एएसपी संदीप कुमार नीरज, डीएसपी (सदर) कुमार वीर वीरेंद्र, डीएसपी राजवंश सिंह, नगर थाने के इंसपेक्टर मुकेश चंद कुंवर, एसआई शशि भूषण सिंह आदि घटनास्थल पर पहुंच गए.

छानबीन के दौरान पुलिस अधिकारियों ने पाया कि हत्यारों ने चारों को गोली मारी थी. बाद में उन्होंने सब के गले रेते थे. ऐसा काम वही कर सकता था, जो उन से सख्त नफरत करता हो. मतलब यह कि हत्यारा नहीं चाहता था कि उन में से कोई भी जिंदा बचे. वह उन्हें आखिरी सांस तक मरते देखना चाहता था.

छानबीन के दौरान पुलिस ने मौके से 4 खोखे बरामद किए. हत्यारों ने घर में रखे किसी भी सामान को हाथ नहीं लगाया था, कमरे का सारा सामान अपनी जगह रखा था. इस से साफ जाहिर हो रहा था कि हत्यारों का मकसद सिर्फ हत्या करना था.

इस का मतलब रामविलास साह और उस के परिवार की हत्या किसी साजिश के तहत की गई थी. निश्चित रूप से हत्यारे परिचित रहे होंगे, जिन्हें घर के कोने की जानकारी थी. तभी वह बड़ी आसानी से अपना काम कर के निकल गए और किसी को कानोंकान भनक तक नहीं लगी.

घटना की सूचना मृतक रामविलास के साले यानी सुनीता के भाई बिरजू साह को मिली तो वह भी बनचौरी पहुंच गया. बहनोई और भांजों की लाशें देख वह दहाड़ मार कर रोने लगा. उस की बहन के घर में कोई दीया जलाने वाला तक नहीं बचा था.

पड़ोसियों, गांव वालों आदि से बात करने के बाद पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर चारों लाशें पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दीं. पुलिस ने मृतका सुनीता के भाई बिरजू को थाने बुलवा कर पूछताछ की तो उस ने इस सामूहिक नरसंहार के लिए अपने बहनोई की पहली बीवी मनतोरिया देवी और उस के 3 बेटों बिटटू कुमार, विक्रम कुमार उर्फ पप्पू और रोहित कुमार को जिम्मेदार मानते हुए नामजद रिपोर्ट दर्ज करा दी.

बिरजू साह की तहरीर पर पुलिस ने नामजद लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 120बी, 34 और 27 आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया.

घटना की मौनिटरिंग एसपी विकास बर्मन खुद कर रहे थे. उन्होंने सदर डीएसपी कुमार वीर वीरेंद्र को निर्देश दिया कि पुलिस की एक टीम बना कर आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करें ताकि वे भाग न सकें.

डीएसपी कुमार वीर वीरेंद्र ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एक स्पैशल टीम गठित की, जिस में तेजतर्रार और विश्वासपात्र पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया. नामजद चारों आरोपी गांव बनचौरी के ही रहने वाले थे. पुलिस को मुखबिर के जरिए सूचना मिली कि आरोपी गांव में ही छिपे हैं और भाग निकलने का मौका ढूंढ रहे हैं.

मुखबिर की सूचना पर पुलिस अविलंब बनचौरी पहुंची और रामविलास की पत्नी मनतोरिया के घर दबिश दी. घर खुला हुआ था लेकिन वहां कोई नहीं मिला. तभी पुलिस को पता चला कि चारों आरोपी अभीअभी घर छोड़ कर फरार हुए हैं.

आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस गांव के बाहर पहुंची. पुलिस को देखते ही आरोपी बिट्टू, विक्रम और रोहित भागने लगे. पुलिस ने दौड़ कर तीनों आरोपियों को पकड़ लिया. ये तीनों भाई थे.

इन की मां मनतोरिया उन के साथ नहीं थी. शायद वह किसी दूसरे रास्ते से निकल गई थी. पुलिस तीनों आरोपियों को थाने ले आई. थानाप्रभारी विकास कुमार सिंह ने आरोपियों की गिरफ्तारी की सूचना डीएसपी कुमार वीर वीरेंद्र सिंह और एसपी विकास बर्मन को दे दी.

दोनों अधिकारी थाने पहुंच गए. एसपी और डीएसपी के समक्ष थानाप्रभारी ने तीनों आरोपियों से चौहरे हत्याकांड के संबंध में पूछताछ की तो उन्होंने बिना किसी झिझक के अपना जुर्म कबूल कर लिया. चारों की हत्या किए जाने का उन्हें कोई मलाल नहीं था.

उन के चेहरों पर कोई अफसोस नहीं दिख रहा था बल्कि उन की आंखों में मृतकों के प्रति नफरत की चिंगारी फूट रही थी. पुलिस ने जब उन से हत्याओं की वजह पूछी तो उन्होंने विस्तार से कहानी सुनाई. पता चला कि इस खूनी कहानी की काली दास्तान पारिवारिक रंजिश की बुनियाद पर लिखी जा गई थी.

तीनों आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद एसपी विकास वर्मन ने पुलिस लाइंस में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया. तीनों आरोपियों ने पत्रकारों के सामने अपने पिता, सौतेली मां और दोनों सौतेले भाइयों की हत्या किए जाने का जुर्म कबूल किया.

इस के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इस खूनी कहानी को विस्तार से जानने के लिए हमें 30 साल पीछे जाना होगा, जब इस कहानी की बुनियाद रखी गई.

रामविलास साह अपने पिता के साथ खेतीकिसानी का काम करता था. करीब 40 साल पहले उस के पिता ने उस का विवाह मनतोरिया के साथ कर दिया था. रामविलास की जिंदगी में मनतोरिया बहार बन कर छा गई. समय के साथ मनतोरिया 6 बच्चों की मां बनी. जिन में 3 बेटे और 3 बेटियां थीं.

करीब 30 साल पहले रामविलास साह ने सुनीता से दूसरी शादी रचा ली थी. पति के इस फैसले पर मनतोरिया आगबबूला हो गई. बच्चे भी पिता की दूसरी शादी से खुश नहीं थे, उन्होंने सुनीता को मां मानने से इनकार कर दिया. यहीं से रामविलास साह के जीवन में महाभारत की शुरुआत हो गई. रामविलास ने सुनीता से किस विवशता अथवा मजबूरी के तहत शादी की थी, इसे रामविलास ही जानता होगा.

हालांकि रामविलास दोनों पत्नियों को बराबर प्यार देता था. पहली पत्नी के बच्चों को वही दुलार देता था जो उन्हें देता आया था. बच्चों के साथ उस ने कभी भेदभाव नहीं किया. लेकिन बच्चे पिता से नाखुश रहते थे और अपनी मां का ही साथ देते थे.

खैर, आगे चल कर सुनीता भी 2 बच्चों नवल कुमार उर्फ भोलू और राहुल कुमार की मां बन गई. नवल और राहुल के पैदा होने के बाद तो घर में कलह और बढ़ गई. पहली पत्नी मनतोरिया और उस के बच्चे रामविलास पर दबाव बना रहे थे कि वह सुनीता से संबंध तोड़ दे. लेकिन रामविलास ने मनतोरिया और बच्चों से दो टूक कह दिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए वह सुनीता से कभी अलग नहीं हो सकता. पति का यह जवाब सुन कर मनतोरिया मन मसोस कर रह गई.

आखिर रामविलास ने इस कलह से निबटने के लिए अपनी संपत्ति 2 बराबर भागों में बांट दी. एक हिस्सा मनतोरिया के नाम लिख दिया और दूसरा हिस्सा सुनीता के नाम. यही नहीं उस ने पुस्तैनी मकान भी पहली पत्नी को दे दिया और उसी गांव में घर से थोड़ी दूरी पर एक नया घर बना कर सुनीता और दोनों बच्चों के साथ रहने लगा.

लेकिन उस का यह पूरा खेल उल्टा पड़ गया. मनतोरिया और उस के तीनों बच्चों को ये सब इसलिए नागवारा गुजरा कि रामविलास ने सौतेली मां को अपनी जायदाद में से हिस्सा क्यों दिया. उन्होंने पिता से कहा कि वह सौतेली मां का हिस्सा उन्हें दे दें, नहीं तो इस का अंजाम बुरा हो सकता है. लेकिन रामविलास ने पत्नी और बच्चों की बातों पर ध्यान नहीं दिया.

बात इसी साल मार्चअप्रैल महीने की है. मनतोरिया और उस के तीनों बेटों बिट्टू, विक्रम और रोहित के मन में लालच आ गया. उन्होंने धोखे से सुनीता के हिस्से की 12 कट्ठे जमीन में से 4 कट्ठा जमीन 4 लाख रुपए में बनचौरी गांव के पवन साह को बेच  दी. पवन साह के नाम जमीन का बैनामा होने तक सुनीता या रामविलास को कानोंकान खबर तक नहीं हुई.

लेकिन यह बात छिपने वाली नहीं थी. आखिरकार रामविलास को पता चल ही गया कि मनतोरिया ने धोखे से सुनीता के हिस्से की 4 कट्ठा जमीन गांव के पवन साह को बेच दी है. इस बात को ले कर मनतोरिया और सुनीता के बीच विवाद छिड़ गया.

रामविलास सुनीता का ही साथ दे रहा था. उस ने मनतोरिया को इस के लिए खूब खरीखोटी सुनाई. इस पर मनतोरिया के सब से छोटे बेटे रोहित ने पिता को भलाबुरा कह दिया. बेटे की बात रामविलास के दिल में चुभ गई. उस ने आव देखा न ताव, उस के गाल पर 2 थप्पड़ रसीद कर दिया.

बेटे पर हाथ उठाने वाली बात न तो मनतोरिया को अच्छी लगी और न ही बिट्टू और विक्रम को. 2 थप्पड़ों से उस के सीने में धधक रही नफरत की आग ज्वाला बन गई. यह बात तीनों बेटों को नागवार गुजरी कि पिता ने कैसे हाथ उठाया. उन्होंने ठान लिया कि इस का परिणाम उन्हें भुगतना ही होगा. सुनीता जब तक जिंदा रहेगी तब तक उन्हें चैन नहीं मिलेगा.

उस रोज के बाद से तीनों भाइयों के सिर पर खून सवार हो गया. वह पिता, सौतेली मां और उस के दोनों बेटों को मौत के घाट उतारने की योजना बनाने लगे. बिट्टू और विक्रम ने रुपयों का बंदोबस्त कर के आर्म्स सप्लायर वीरेंद्र ठाकुर से 25 हजार रुपए में 2 पिस्टल और कारतूस खरीद लिए. उस के बाद बेटों ने मां को बता कर उसे भी अपनी योजना में शामिल कर लिया.

मनतोरिया तो चाहती ही थी कि उस की सौतन सुनीता उस के रास्ते से हट जाए. उस ने बच्चों को डांटने के बजाए उन की पीठ थपथपाई. मां के योजना में शामिल हो जाने से बेटों के हौसले बुलंद हो गए. बिट्टू और रोहित ने साथ देने के लिए खोया गांव में रहने वाले ममेरे भाई रामकृत साह और सियाराम साह को भी योजना में शामिल कर लिया.

अब वह जल्द से जल्द अपनी योजना को अंजाम देना चाहते थे. आखिर इस के लिए उन्होंने 3 जून, 2018 की रात तय की. योजना को अंजाम देने से पहले तीनों भाइयों ने रात में शराब पी. 3-4 जून, 2018 की रात करीब 12 बजे बिट्टू, विक्रम और रोहित हथियार ले कर अपने पिता रामविलास साह के घर की ओर बढ़े. बिट्टू और विक्रम ने खिड़की से भीतर झांक कर देखा तो रामविलास और सुनीता गहरी नींद में सोए थे. दूसरे कमरे में नवल और राहुल भी सो रहे थे.

बिट्टू और विक्रम के मुख्य शिकार नवल और राहुल ही थे. उन्होंने पहले उन्हीं की हत्या करने की योजना बनाई थी. विक्रम ने खिड़की से ही नवल और राहुल के सीने में 1-1 गोली उतार दी, जबकि बिट्टू ने पिता रामविलास और सौतेली मां सुनीता को गोली मारी, रोहित बाहर खड़ा पहरा दे रहा था.

गोली मारने के बाद बिट्टू और विक्रम घर में घुस गए और दोनों ने फलदार चाकू से चारों के गले रेत दिए. इस के बाद इन लोगों ने सीने पर ताबड़तोड़ वार कर अपने आक्रोश को ठंडा किया. जब उन्हें विश्वास हो गया कि चारों के जिस्म ठंडे पड़ गए हैं, तो उन्हें तसल्ली हुई.

इस खूनी खेल को अंजाम देने में उन्हें केवल आधा घंटा लगा. इस के बाद वे अपने घर पहुंचे और खून से सने अपने हाथपैर धोए. फिर मां को बता दिया कि उन्होंने उन चारों को मौत के घाट उतार दिया. अब उन के रास्ते का कांटा सदा के लिए हट गया है.

उसी रात उन्होंने अपनी मां को ममेरे भाई रामकृत साह और सियाराम साह के साथ भेज दिया. वहां से दोनों मनतोरिया को कहां ले गए अब तक पता नहीं चला. 4 जून, 2018 को ही तीन आरोपी गिरफ्तार कर लिए. मनतोरिया कथा लिखने तक पुलिस की गिरफ्त से दूर थी.

पुलिस ने बिट्टू कुमार, विक्रम और रोहित की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त पिस्टल और चाकू भी बरामद कर लिए. इस के अलावा उन्हें पिस्टल और कारतूस उपलब्ध कराने वाले बिट्टू के ममेरे भाई रामकृत साह और सियाराम साह को 6 जून, 2018 को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने तीनों आरोपियों से पूछताछ कर के उन्हें जेल भेज दिया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

ससुर ही हो दुराचारी फिर कहां जाए बहू बेचारी

बड़े ही धूमधाम से शादी की गई. जब वह ससुराल आई तो उसे ही घर संभालने की जिम्मेदारी दे दी गई. बहू ने सलीके से घर संभाल लिया. पर ससुर की नीयत में खोट आ गई और बन गया बहू की जवानी का प्यासा. यों कहें कि ससुर का दिल बहू की मचलती जवानी पर आ गया और कर बैठा ऐसी हरकत कि बहू का ही नहाते समय का वीडियो बना लिया और करने लगा जिस्मानी संबंध बनाने के लिए ब्लैकमेल. वहीं पति ने भी ससुराल से फोन कर दिया और तलाक दे कर पीछा छुड़ाने में भलाई समझी. अब बहू मायके में रह कर अपना इलाज करा रही है.

यह घटना अलीगढ़ की है जबकि पीड़िता संगम विहार, दिल्ली की है. अलीगढ़ में ससुर ने अपनी बहू से छेड़छाड़ की. बाथरूम में नहाते समय उस का वीडियो बना लिया और उसे ब्लैकमेल करने लगा.

पीड़िता के पुरजोर विरोध करने पर पति व घर के दूसरे सदस्य उसे परेशान करने लगे. सिजेरियन आपरेशन के बाद टांके भी नहीं कटे थे कि उसे बीमार हालत में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ (ससुराल) से संगम विहार, नई दिल्ली (मायके) भिजवा दिया गया.

मायके संगम विहार, दिल्ली में कुछ दिन ही बीते थे कि पति ने फोन कर उसे तलाक दे दिया. इस पर पीड़िता ने संगम विहार थाने में शिकायत दी है और कार्यवाही करने की मांग की है. वहीं वूमन सेल के एसीपी ने बताया कि ससुराल पक्ष को जल्दी ही नोटिस भेज कर बुलाया जाएगा और पुलिस भी कानून सम्मत कार्यवाही करेगी.

पुलिस को दी शिकायत में पीड़िता ने अपना दर्द बयां किया है कि 10 सितंबर, 2017 को उस का निकाह अलीगढ़ के मौलाना आजाद नगर निवासी 23 साला युवक से हुआ था. एक दिन वह घर में खाना बना रही थी. अकेला पा कर ससुर रसोई में घुस आया और छेड़छाड़ करने लगा. जब इस का पुरजोर विरोध किया गया तो ससुर व घर के दूसरे लोगों ने उस की पिटाई की.

7 नवंबर, 2018 को ससुराल वालों ने मच्छर मारने की दवा पिला कर उसे व पेट में पल रहे बच्चे को मारने की कोशिश की. मामला पुलिस तक पहुंचा तो ससुराल वालों ने मौखिक समझौता करा दिया. 23 दिसंबर, 2018 को पीड़िता के कपड़ों में आग लगा दी गई, लेकिन वह किसी तरह बच गई. पुलिस को भी इस की सूचना दी गई थी.

पीड़िता का आरोप है कि 23 दिसंबर, 2018 को वह बाथरूम में नहा रही थी, तभी उस के ससुर ने छिप कर उस का वीडियो बना लिया. फिर वीडियो को इंटरनैट पर वायरल करने की धमकी दे कर संबंध बनाने की कहने लगा.

21 फरवरी, 2019 को पीड़िता ने सिजेरियन आपरेशन से एक बच्चे को जन्म दिया, जिस का खर्च पीड़िता के पिता ने उठाया. उस के टांके कटे भी नहीं थे कि उसे ससुराल अलीगढ़ से बीमार हालत में मायके संगम विहार, दिल्ली भिजवा दिया गया.

पिता ने सफदरजंग अस्पताल में उस का इलाज कराया. 3 अप्रैल की रात 10 बजे पति का फोन आया तो महिला यह सोच कर खुश हो गई कि शायद वह उसे ले जाएगा. लेकिन पति ने कहा कि वह उसे अब नहीं रख सकता, इसलिए उस ने 3 बार तलाक, तलाक, तलाक बोल कर फोन काट दिया. पीड़िता हैरान है कि पति ने भी उसे छोड़ दिया है.

ससुर ने तो रिश्ता तारतार कर ही दिया और पति ने भी आग में घी डालने का काम किया और तलाक दे कर पीछा छुड़ा लिया. ऐसे रिश्ते कितने दिनों तक महफूज रहेंगे और अदालतें भी इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं करती हैं. ससुर तो अपनी करतूतों से बाज नहीं आएगा वहीं पति भी पल्ला झाड़ कर चुप हो गया. पुलिस मामले को सुलझाने के बजाय उलझा ज्यादा देती है. समझौता कराना आसान है पर उसे घर में रह कर निभाना पीड़िता के लिए ज्यादा ही दुखदायी लगा. ऐसे घर में लौटना अब असंभव है.