रसीली नहीं थी रशल कंवर

डूंगरदान पत्नी को सुखी और खुश रखने के लिए गांव से शहर ले आया था. वह जितना कमाता था, उतने में गृहस्थी आराम से चल जाती थी, लेकिन दिन भर घर में अकेली रहने वाली पत्नी रसाल कंवर ने अपना सुख खोजा पति के दोस्त मोहन सिंह राव में. इस के चलते कुछ न कुछ तो गलत होना ही था. आखिर…

रविवार 14 जुलाई, 2019 का दिन था. दोपहर का समय था. जालौर के एसपी हिम्मत अभिलाष टाक को फोन पर सूचना मिली कि बोरटा-लेदरमेर ग्रेवल सड़क के पास वन विभाग की जमीन पर एक व्यक्ति का नग्न अवस्था में शव पड़ा है.

एसपी टाक ने तत्काल भीनमाल के डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई को घटना से अवगत कराया और घटनास्थल पर जा कर काररवाई करने के निर्देश दिए. एसपी के निर्देश पर डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई तत्काल घटनास्थल की ओर रवाना हो गए, साथ ही उन्होंने थाना रामसीन में भी सूचना दे दी. उस दिन थाना रामसीन के थानाप्रभारी छतरसिंह देवड़ा अवकाश पर थे. इसलिए सूचना मिलते ही मौजूदा थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

घटनास्थल पर आसपास के गांव वालों की भीड़ जमा थी. वहां वन विभाग की खाई में एक आदमी का नग्न शव पड़ा था. आधा शव रेत में दफन था. उस का चेहरा कुचला हुआ था. शव से बदबू आ रही थी, जिस से लग रहा था कि उस की हत्या शायद कई दिन पहले की गई है.

वहां पड़ा शव सब से पहले एक चरवाहे ने देखा था. वह वहां सड़क किनारे बकरियां चरा रहा था. उसी चरवाहे ने यह खबर आसपास के लोगों को दी थी. कुछ लोग घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस को खबर कर दी.

मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को खाई से बाहर निकाल कर शिनाख्त कराने की कोशिश की, मगर जमा भीड़ में से कोई भी मृतक की शिनाख्त नहीं कर सका. शव से करीब 20 मीटर की दूरी पर किसी चारपहिया वाहन के टायरों के निशान मिले. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि हत्यारे शव को किसी गाड़ी में ले कर आए और यहां डाल कर चले गए.

पुलिस ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए. शव के पास ही खून से सनी सीमेंट की टूटी हुई ईंट भी मिली. लग रहा था कि उसी ईंट से उस के चेहरे को कुचला गया था. कुचलते समय वह ईंट भी टूट गई थी.

मौके की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए राजकीय चिकित्सालय की मोर्चरी भिजवा दिया. डाक्टरों की टीम ने उस का पोस्टमार्टम किया.

जब तक शव की शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक जांच आगे नहीं बढ़ सकती थी. शव की शिनाख्त के लिए पुलिस ने मृतक के फोटो वाट्सऐप पर शेयर कर दिए. साथ ही लाश के फोटो भीनमाल, जालौर और बोरटा में तमाम लोगों को दिखाए. लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका.

सोशल मीडिया पर मृतक का फोटो वायरल हो चुका था. जालौर के थाना सिटी कोतवाली में 2 दिन पहले कालेटी गांव के शैतानदान चारण नाम के एक शख्स ने अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराई थी.

कोतवाली प्रभारी को जब थाना रामसीन क्षेत्र में एक अज्ञात लाश मिलने की जानकारी मिली तो उन्होंने लाश से संबंधित बातों पर गौर किया. उस लाश का हुलिया लापता डूंगरदान चारण के हुलिए से मिलताजुलता था. कोतवाली प्रभारी बाघ सिंह ने डीएसपी भीनमाल हुकमाराम को सारी बातें बताईं.

मारा गया व्यक्ति डूंगरदान चारण था

इस के बाद एसपी जालौर ने 2 पुलिस टीमों का गठन किया, इन में एक टीम भीनमाल थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद के नेतृत्व में गठित की गई, जिस में एएसआई रघुनाथ राम, हैडकांस्टेबल शहजाद खान, तेजाराम, संग्राम सिंह, कांस्टेबल विक्रम नैण, मदनलाल, ओमप्रकाश, रामलाल, भागीरथ राम, महिला कांस्टेबल ब्रह्मा शामिल थी.

दूसरी पुलिस टीम में रामसीन थाने के एएसआई विरधाराम, हैडकांस्टेबल प्रेम सिंह, नरेंद्र, कांस्टेबल पारसाराम, राकेश कुमार, गिरधारी लाल, कुंपाराम, मायंगाराम, गोविंद राम और महिला कांस्टेबल धोली, ममता आदि को शामिल किया गया.

डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई दोनों पुलिस टीमों का निर्देशन कर रहे थे. जालौर के कोतवाली निरीक्षक बाघ सिंह ने उच्चाधिकारियों के आदेश पर डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराने वाले उस के रिश्तेदार शैतानदान को राजदीप चिकित्सालय की मोर्चरी में रखी लाश दिखाई तो उस ने उस की शिनाख्त अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण के रूप में कर दी.

मृतक की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने उस के परिजनों से संपर्क किया तो इस मामले में अहम जानकारी मिली. मृतक की पत्नी रसाल कंवर ने पुलिस को बताया कि उस के पति डूंगरदान 12 जुलाई, 2019 को जालौर के सरकारी अस्पताल में दवा लेने गए थे.

वहां से घर लौटने के बाद पता नहीं वे कहां लापता हो गए, जिस की थाने में सूचना भी दर्ज करा दी थी. रसाल कंवर ने पुलिस को अस्पताल की परची भी दिखाई. पुलिस टीम ने अस्पताल की परची के आधार पर जांच की.

पुलिस ने राजकीय चिकित्सालय जालौर के 12 जुलाई, 2019 के सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो पता चला कि डूंगरदान को काले रंग की बोलेरो आरजे14यू बी7612 में अस्पताल तक लाया गया था.

उस समय डूंगरदान के साथ उस की पत्नी रसाल कंवर के अलावा 2 व्यक्ति भी फुटेज में दिखे. उन दोनों की पहचान मोहन सिंह और मांगीलाल निवासी भीनमाल के रूप में हुई. पुलिस जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी.

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज जांच के बाद गांव के विभिन्न लोगों से पूछताछ की तो सामने आया कि मृतक डूंगरदान चारण की पत्नी रसाल कंवर से मोहन सिंह राव के अवैध संबंध थे. इस जानकारी के बाद पुलिस ने रसाल कंवर और मोहन सिंह को थाने बुला कर सख्ती से पूछताछ की.

मांगीलाल फरार हो गया था. रसाल कंवर और मोहन सिंह राव ने आसानी से डूंगरदान की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया.

केस का खुलासा होने की जानकारी मिलने पर पुलिस के उच्चाधिकारी भी थाने पहुंच गए. उच्चाधिकारियों के सामने आरोपियों से पूछताछ कर डूंगरदान हत्याकांड से परदा उठ गया.

पुलिस ने 16 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों मृतक की पत्नी रसाल कंवर एवं उस के प्रेमी मोहन सिंह राव को कोर्ट में पेश कर 2 दिन के रिमांड पर ले लिया. रिमांड के दौरान उन से विस्तार से पूछताछ की गई तो डूंगरदान चारण की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी-

मृतक डूंगरदान चारण मूलरूप से राजस्थान के जालौर जिले के बागौड़ा थानान्तर्गत गांव कालेटी का निवासी था. उस के पास खेती की थोड़ी सी जमीन थी. वह उस जमीन पर खेती के अलावा दूसरी जगह मेहनतमजदूरी करता था. उस की शादी करीब एक दशक पहले जालौर की ही रसाल कंवर से हुई थी.

करीब एक साल बाद रसाल कंवर एक बेटे की मां बनी तो परिवार में खुशियां बढ़ गईं. बाद में वह एक और बेटी की मां बन गई. जब डूंगरदान के बच्चे बड़े होने लगे तो वह उन के भविष्य को ले कर चिंतित रहने लगा.

गांव में अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था नहीं थी, लिहाजा डूंगरदान अपने बीवीबच्चों के साथ गांव कालेटी छोड़ कर भीनमाल चला गया और वहां लक्ष्मीमाता मंदिर के पास किराए का कमरा ले कर रहने लगा. भीनमाल कस्बा है. वहां डूंगरदान को मजदूरी भी मिल जाती थी. जबकि गांव में हफ्तेहफ्ते तक उसे मजदूरी नहीं मिलती थी.

डूंगरदान के पड़ोस में ही मोहन सिंह राव का आनाजाना था. मोहन सिंह राव पुराना भीनमाल के नरता रोड पर रहता था. वह अपराधी प्रवृत्ति का रसिकमिजाज व्यक्ति था. उस की नजर रसाल कंवर पर पड़ी तो वह उस का दीवाना हो गया. मोहन सिंह ने इस के लिए ही डूंगरदान से दोस्ती की थी. इस के बाद वह उस के घर आनेजाने लगा.

मोहन सिंह रसाल कंवर से भी बड़ी चिकनीचुपड़ी बातें करता था. जब डूंगरदान मजदूरी करने चला जाता और उस के बच्चे स्कूल तो घर में रसाल कंवर अकेली रह जाती. ऐसे मौके पर मोहन सिंह उस के यहां आने लगा. मीठीमीठी बातों में रसाल को भी रस आने लगा. मोहन सिंह अच्छीखासी कदकाठी का युवक था.रसाल और मोहन के बीच धीरेधीरे नजदीकियां बढ़ने लगीं.

थोड़े दिनों के बाद दोनों के बीच अवैध संबंध कायम हो गए. इस के बाद रसाल कंवर उस की दीवानी हो गई. डूंगरदान हर रोज सुबह मजदूरी पर निकल जाता तो फिर शाम होने पर ही घर लौटता था.

रसाल और मोहन पूरे दिन रासलीला में लगे रहते. डूंगरदान की पीठ पीछे उस की ब्याहता कुलटा बन गई थी. दिन भर का साथ उन्हें कम लगने लगा था. मोहन चाहता था कि रसाल कंवर रात में भी उसी के साथ रहे, मगर यह संभव नहीं था. क्योंकि रात में पति घर पर होता था.

ऐसे में एक दिन मोहन सिंह ने रसाल कंवर से कहा, ‘‘रसाल, जीवन भर तुम्हारा साथ तो निभाऊंगा ही, साथ ही एक प्लौट भी तुम्हें ले कर दूंगा. लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम्हारे बदन को अब मेरे सिवा और कोई न छुए. तुम्हारे तनमन पर अब सिर्फ मेरा अधिकार है.’’

‘‘मैं हर पल तुम्हारा साथ निभाऊंगी.’’ रसाल कंवर ने प्रेमी की हां में हां मिलाते हुए कहा.

रसाल के दिलोदिमाग में यह बात गहराई तक उतर गई थी कि मोहन उसे बहुत चाहता है. वह उस पर जान छिड़कता है. रसाल भी पति को दरकिनार कर पूरी तरह से मोहन के रंग में रंग गई. इसलिए दोनों ने डूंगरदान को रास्ते से हटाने का मन बना लिया. लेकिन इस से पहले ही डूंगरदान को पता चल गया कि उस की गैरमौजूदगी में मोहन सिंह दिन भर उस के घर में पत्नी के पास बैठा रहता है.

यह सुनते ही उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. गुस्से से भरा डूंगरदान घर आ कर चिल्ला कर पत्नी से बोला, ‘‘मेरी गैरमौजूदगी में मोहन यहां क्यों आता है, घंटों तक यहां क्या करता है? बताओ, तुम से उस का क्या संबंध है?’’ कहते हुए उस ने पत्नी का गला पकड़ लिया.

रसाल मिमियाते हुए बोली, ‘‘वह तुम्हारा दोस्त है और तुम्हें ही पूछने आता है. मेरा उस से कोई रिश्ता नहीं है. जरूर किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं. हमारी गृहस्थी में कोई आग लगाना चाहता है. तुम्हारी कसम खा कर कहती हूं कि मोहन सिंह से मैं कह दूंगी कि वह अब घर कभी न आए.’’

पत्नी की यह बात सुन कर डूंगरदान को लगा कि शायद रसाल सच कह रही है. कोई जानबूझ कर उन की गृहस्थी तोड़ना चाहता है. डूंगरदान शरीफ व्यक्ति था. वह बीवी पर विश्वास कर बैठा. रसाल कंवर ने अपने प्रेमी मोहन को भी सचेत कर दिया कि किसी ने उस के पति को उस के बारे में बता दिया है. इसलिए अब सावधान रहना जरूरी है.

उधर डूंगरदान के मन में पत्नी को ले कर शक उत्पन्न तो हो ही गया था. इसलिए वह वक्तबेवक्त घर आने लगा. एक रोज डूंगरदान मजदूरी पर गया और 2 घंटे बाद घर लौट आया. घर का दरवाजा बंद था. खटखटाने पर थोड़ी देर बाद उस की पत्नी रसाल कंवर ने दरवाजा खोला. पति को अचानक सामने देख कर उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं.

डूंगरदान की नजर कमरे में अंदर बैठे मोहन सिंह पर पड़ी तो वह आगबबूला हो गया. उस ने मोहन सिंह पर गालियों की बौछार कर दी. मोहन सिंह गालियां सुन कर वहां से चला गया. इस के बाद डूंगरदान ने पत्नी की लातघूंसों से खूब पिटाई की. रसाल लाख कहती रही कि मोहन सिंह 5 मिनट पहले ही आया था. मगर पति ने उस की एक न सुनी.

पत्नी के पैर बहक चुके थे. डूंगरदान सोचता था कि गलत रास्ते से पत्नी को वापस कैसे लौटाया जाए. वह इसी चिंता में रहने लगा. उस का किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था. वह चिड़चिड़ा भी हो गया था. बातबात पर उस का पत्नी से झगड़ा हो जाता था.

आखिर, रसाल कंवर पति से तंग आ गई. यह दुख उस ने अपने प्रेमी के सामने जाहिर कर दिया. तब दोनों ने तय कर लिया कि डूंगरदान को जितनी जल्दी हो सके, निपटा दिया जाए.

रसाल कंवर पति के खून से अपने हाथ रंगने को तैयार हो गई. मोहन सिंह ने योजना में अपने दोस्त मांगीलाल को भी शामिल कर लिया. मांगीलाल भीनमाल में ही रहता था.

साजिश के तहत रसाल और मोहन सिंह 12 जुलाई, 2019 को डूंगरदान को उपचार के बहाने बोलेरो गाड़ी में जालौर के राजकीय चिकित्सालय ले गए. मांगीलाल भी साथ था. वहां उस के नाम की परची कटाई. डाक्टर से चैकअप करवाया और वापस भीनमाल रवाना हो गए. रास्ते में मौका देख कर रसाल कंवर और मोहन सिंह ने डूंगरदान को मारपीट कर अधमरा कर दिया. फिर उस का गला दबा कर उसे मार डाला.

इस के बाद डूंगरदान की लाश को ठिकाने लगाने के लिए बोलेरो में डाल कर बोरटा से लेदरमेर जाने वाले सुनसान कच्चे रास्ते पर ले गए, जिस के बाद डूंगरदान के शरीर पर पहने हुए कपड़े पैंटशर्ट उतार कर नग्न लाश वन विभाग की खाली पड़ी जमीन पर डाल कर रेत से दबा दी. उस के बाद वे भीनमाल लौट गए.

भीनमाल में रसाल कंवर ने आसपास के लोगों से कह दिया कि उस का पति जालौर अस्पताल चैकअप कराने गया था. मगर अब उस का कोई पता नहीं चल रहा. तब डूंगरदान की गुमशुदगी उस के रिश्तेदार शैतानदान चारण ने जालौर सिटी कोतवाली में दर्ज करा दी.

पुलिस पूछताछ में पता चला कि आरोपी मोहन सिंह आपराधिक प्रवृत्ति का है. उस ने अपने साले की बीवी की हत्या की थी. इन दिनों वह जमानत पर था. मोहन सिंह शादीशुदा था, मगर बीवी मायके में ही रहती थी. भीनमाल निवासी मांगीलाल उस का मित्र था. वारदात के बाद मांगीलाल फरार हो गया था.

थाना रामसीन के इंचार्ज छतरसिंह देवड़ा अवकाश से ड्यूटी लौट आए थे. उन्होंने भी रिमांड पर चल रहे रसाल कंवर और मोहन सिंह राव से पूछताछ की.

रिमांड अवधि समाप्त होने पर पुलिस ने 19 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों रसाल कंवर और मोहन सिंह को फिर से कोर्ट में पेश कर दोबारा 2 दिन के रिमांड पर लिया और उन से पूछताछ कर कई सबूत जुटाए. उन की निशानदेही पर मृतक के कपड़े, वारदात में प्रयुक्त बोलेरो गाड़ी नंबर आरजे14यू बी7612 बरामद की गई. मृतक डूंगरदान के कपडे़ व चप्पलें रामसीन रोड बीएड कालेज के पास रेल पटरी के पास से बरामद कर ली गईं.

पूछताछ पूरी होने पर दोनों आरोपियों को 21 जुलाई, 2019 को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. पुलिस तीसरे आरोपी मांगीलाल माली को तलाश कर रही है.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

अंकिता भंडारी मर्डर : बाप की सियासत के बूते बेटे का अपराध – भाग 4

टीम ने जांच की शुरुआत रिजौर्ट के सभी कर्मचारियों के बयानों से की. फिर टीम ने रिजौर्ट और घटनास्थल का जायजा लिया. साथ ही अंकिता को नहर में फेंकने के सबूत जुटाए. उस के बाद बारी थी अंकिता के दोस्त पुष्पदीप से अंकिता के वाट्सऐप चैट, पुलकित से अंकिता के बारे में हुई बातचीत तथा अंकिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जांच की.

तीनों आरोपियों को 4 दिन की पुलिस कस्टडी में ले कर 30 सितंबर, 2022 को टीम ने उन्हें रिजौर्ट और घटनास्थल पर भी ले जा कर गहन पूछताछ की. उन के बयानों की वीडियोग्राफी की गई. इसी सिलसिले में रिजौर्ट में काम करने वाले एक पूर्व कर्मचारी ने रिजौर्ट के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी.

रिजौर्ट में होता था जिस्मफरोशी का धंधा

2 महीने पहले ही रिजौर्ट से काम छोड़ कर गए मेरठ निवासी विवेक और इशिता नाम के दंपति ने पुलकित पर कई आरोप लगाए. उन्होंने बताया कि पुलकित महिला कर्मचारियों पर बुरी नजर रखता था. सैलरी मांगने पर मारपीट और चोरी का आरोप लगा कर नौकरी से निकाल देता था.

दंपति ने बताया कि रिजौर्ट में बाहर से लड़कियां बुलाई जाती थीं, लेकिन उन की एंट्री दर्ज नहीं होती थी. इन लड़कियों को ग्राहकों के कमरे में भेजा जाता था. खास ग्राहकों की भी रजिस्टर में एंट्री नहीं होती थी.

इशिता ने अपने बारे में बताया कि रिजौर्ट के कर्मचारियों से पुलकित कहता था कि उसे इशिता पसंद है. उसे किसी तरह से ग्राहक के सामने पेश करने के लिए तैयार करे. यह बात एक कर्मचारी ने ही इशिता को बताई थी. पुलकित मुझे पति विवेक से अलग करना चाहता था. इलाके का पटवारी भी पुलकित से मिला हुआ था.

एक बार किसी ग्राहक का ब्लूटूथ स्पीकर छूट गया था. विवेक ने यह सोच कर उसे रख लिया कि ग्राहक के आने पर लौटा देंगे, लेकिन पुलकित ने चोरी का झूठा आरोप लगा दिया और नौकरी से निकाल दिया.

विवेक ने बताया कि रिजौर्ट में बिना लाइसैंस के शराब स्टाक कर ग्राहकों को दोगुने दाम पर बेची जाती थी. ग्राहकों को चरस, स्मैक, गांजे की भी सप्लाई होती थी.

पहली अक्तूबर, 2022 को एसआईटी आरोपियों को ले कर रिजौर्ट पहुंची और कर्मचारियों से अंकिता भंडारी के विषय में जानकारी मालूम की. कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए.

इस के बाद जांच टीम ने यह भी जानने का प्रयास किया कि रिजौर्ट में क्याक्या होता था? अंकिता क्यों रिजौर्ट छोड़ कर जाना चाहती थी? इस दौरान रिजौर्ट के एक अन्य कर्मचारी ने रिजौर्ट के कई राज खोले दिए, जो विवेक और इशिता के आरोपों से मेल खाते थे.

जांच टीम ने पुलकित के अंकिता के कमरे में जाने और उस का मुंह दबाने आदि के बारे में भी रिजौर्ट कर्मचारियों से पूछताछ की. मोबाईल पर हुई बातचीत के मुताबिक अंकिता अपना बैग ले जाने की बात कह रही थी.

अंकिता के लापता होने के बाद रिजौर्ट में क्या हुआ था, इस बाबत भी जांच टीम ने जानकारी जुटाई. इस मामले में संदिग्ध माना जा रहा राजस्वकर्मी (पटवारी) वैभव सिंह से आरोपियों के सामने ही जांच टीम ने पूछताछ की.

अंकिता को नहर में फेंकते समय वहां उपस्थित लोगों का भी जायजा लिया गया. जांच टीम ने पाया कि घटना वाले दिन कुछ लोगों ने ‘मेरी हैल्प करो’ की आवाज सुनी थी. कुछ लोगों के मुताबिक वह 2 लोगों के साथ बाइक और स्कूटी से आई थी. अंकिता स्कूटी पर थी. उस वक्त एक काले रंग की कार में आए 4 वीआईपी वहां मौजूद थे.

कथा लिखे जाने तक एसआईटी द्वारा मामले की जांच की जा रही थी तथा पुलकित, सौरभ व अंकित पौड़ी जेल में बंद थे.

लक्ष्मण झूला पुलिस के अनुसार पुलकित आर्य ने अंकिता की गुमशुदगी की जो तहरीर पुलिस को दी थी, उस से वह अंकिता के गायब होने के मामले में उस के मित्र पुष्पदीप को फंसाना चाहता था, अगर अंकिता का शव मिलता तो पुलिस उसे आत्महत्या का मामला मान सकती थी.

अंकिता की मौत से पहले पुष्पदीप ने उस से 22 मिनट तक बात की थी. पुलकित ने 17 सितंबर का ओएलएक्स पर रिजौर्ट में महिलाकर्मियों की भरती के लिए विज्ञापन भी डाला था.

इस विज्ञापन से यह आशंका बन गई थी पुलकित अंकिता के बाद किसी और युवती को नियुक्त करना चाहता था. इस बारे में भी पुष्पदीप ने एसआईटी को बताया.

एसआईटी ने 29 सितंबर को पुष्पदीप को अज्ञात स्थान पर ले जा कर उस के बयान दर्ज किए थे. आला पुलिस अधिकारियों के अनुसार यदि पुष्पदीप इस मामले में सक्रिय नहीं होता तो आरोपियों का पकड़ा जाना आसान नहीं होता.    द्य

28 साल बाद मिला न्याय : बलात्कार से पैदा बेटे का ‘मिशन मदर’ – भाग 3

सुशीला ने गर्भ गिराने की सोची, लेकिन डाक्टर के मुताबिक वह संभव नहीं था. क्षमा की जान जा सकती थी. फिर तो उन की सांसें अटकने जैसी स्थिति में आ गईं. शरीर में काटो तो खून नहीं.

दोनों बहनें समझ नहीं पा रही थीं कि क्या करें, क्या नहीं. जिस ने क्षमा के साथ दुष्कर्म किया था, वे दबंग और बदमाश किस्म के थे. उन के लिए एक ओर बदनामी का डर था तो दूसरी ओर जान का खतरा भी था.

इस की जानकारी कैलाश को हुई, तब वह गुस्से से आगबबूला हो गए. इस की शिकायत ले कर दोनों भाइयों के पास गए, लेकिन उस ने उसी पर आरोप लगा दिया.

क्षमा के पेट में पलने वाला उस का ही बच्चा बताया और धमका कर भगा दिया. उस के बाद कैलाश और भी डर गए. वह तुरंत अपने औफिस गए और सीनियर से किसी दूसरे शहर में ट्रांसफर करवाने की विनती की. इस का कारण पारिवारिक मजबूरी बताया.

गर्भवती होने पर जीजा ने करा लिया तबादला

खैर, कैलाश का तबादला बरेली से रामपुर हो गया. वह सुशीला और क्षमा को ले कर रामपुर आ गए. वहीं क्षमा की एक नर्सिंगहोम में डिलीवरी हुई. क्षमा ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया. उस वक्त क्षमा की उम्र 13 साल हो चुकी थी.

कैलाश ने हरदोई के एक दंपति से बच्चा गोद लेने की बात कर ली थी. संयोग से राजेश अग्निहोत्री को एक बेटी थी. बेटे की चाहत में उस ने क्षमा के बच्चे को गोद ले लिया.

राजेश अग्निहोत्री कैलाश के गांव का ही रहने वाला था, इसलिए उस ने कानूनी प्रक्रिया को ज्यादा महत्त्व नहीं दिया. राजेश ने बच्चे का नाम विकास अग्निहोत्री रखा.

कुछ सालों तक तो विकास राजेश का दुलारा बना रहा, किंतु जैसे ही वह अपने बेटे का बाप बना, तब विकास उसे भारी लगने लगा. वह उसे उपेक्षित करते हुए मानसिक उत्पीड़न भी करने लगा. जब वह अपने गांव जाता था, तब वहां लोग उसे नकली बाप का बेटा कहते थे. यह सुनना उसे बहुत बुरा लगता था.

दूसरी तरफ कैलाश और सुशीला ने अच्छा घर और वर देख कर क्षमा की शाहजहांपुर में ही शादी कर दी थी. शादी के बाद वह अपनी ससुराल चली गई. कुछ समय अच्छा गुजरा. वह एक बेटे की मां भी बन गई.

इसी बीच उस के दांपत्य जीवन में ग्रहण तब लग गया, जब रजी बाजार में क्षमा से टकरा गया. उस ने उसे उस के पति के सामने ही छेड़ दिया. पति ने जब इस का विरोध किया, तब उस के साथ तूतूमैंमैं करने लगा. बात हाथापाई तक पहुंच गई. इसी दौरान रजी ने बोल दिया कि वह उस के साथ कई बार सो चुकी है.

फिर क्या था, क्षमा की बसीबसाई जिंदगी में आग लग गई. पति से खूब झगड़ा हुआ और स्थिति उन के बीच तलाक तक जा पहुंची. उस की जिंदगी फिर से पटरी से उतर गई. परेशान क्षमा पहले अपने मायके में रही, फिर बच्चे को ले कर लखनऊ आ गई. वहां जा कर वह ब्यूटीपार्लर में काम कर जीविका चलाने लगी.

कोर्ट के आदेश पर 28 साल बाद हुई रिपोर्ट दर्ज

वर्ष 2006 में विकास के आने के बाद क्षमा की जिंदगी को फिर से एक नई दिशा मिल गई. उस का अच्छा असर हुआ. उन्होंने अपने करिअर को मजबूत करते हुए अच्छा कारोबार भी कर लिया.

क्षमा की इस दास्तान को सुनने के बाद एडवोकेट मोहम्मद मुतहर खां ने अदालत में एक याचिका दायर की. उस के बाद अदालत ने शाहजहांपुर के एसपी को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. इस तरह से 4 मार्च, 2021 को सदर बाजार थाने में शाहजहांपुर निवासी नकी हसन और रजी हसन के खिलाफ रिपोर्ट लिखी गई.

अदालत के आदेश पर ही जुलाई, 2021 को डीएनए टेस्ट के लिए आरोपियों और विकास के नमूने लिए गए. उसे लैब भेज दिया गया. ठीक एक साल बाद नमूनों के परिणाम भी आ गए.

जांच रिपोर्ट के अनुसार विकास के डीएनएन से नकी हसन का नमूना मैच कर गया था. डीएनए के मिलान के बाद नकी और रजी दोनों फरार हो गए.

शाहजहांपुर के एसपी एस. आनंद ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अभियुक्तों को पकड़ने के लिए 2 टीमों का गठन किया. एक टीम का नेतृत्व एसपी (सिटी) संजय कुमार के जिम्मे था, जबकि दूसरी टीम का नेतृत्व सीओ अखंड प्रताप सिंह ने किया.

पुलिस की घेराबंदी के बाद 31 जुलाई, 2022 की रात में रजी हसन को गिरफ्तार कर लिया गया. पहली अगस्त, 2022 को अदालत में पेश कर उसे जेल भेज दिया गया.

दूसरे अभियुक्त नकी हसन की भी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तारी हो गई. वह भागने की कोशिश में था. वह मुखबिर की सूचना पर 10 अगस्त, 2022 को पकड़ा गया था.

कथा लिखे जाने तक दोनों आरोपियों की उम्र 50 और 48 साल के करीब हो चुकी थी. उन्हें अभी अदालत से सजा मिलनी बाकी है, लेकिन क्षमा सिंह और उस के बेटे के दिल को तसल्ली मिली थी कि उन्होंने दोषियों को हवालात में पहुंचा दिया.

क्षमा सिंह ने कथा लेखक से कहा कि वह पत्रिका में उस के नाम के साथ उस की तसवीर भी प्रकाशित करें ताकि उन महिलाओं को भी हिम्मत मिले, जो ऐसी घटना के बाद घर में चुप हो कर बैठ जाती हैं, जिस से बलात्कारियों के हौसले बढ़ जाते हैं.

भले ही आरोपी 28 साल बाद सलाखों के पीछे पहुंचे हैं लेकिन क्षमा सिंह के मन को इस से सुकून जरूर मिला है.  द्य

(कथा पुलिस काररवाई, एडवोकेट मोहम्मद मुतहर खां और क्षमा सिंह से की गई बातचीत पर आधारित)

मर्यादा की हद से आगे – भाग 4

25 साल की उम्र पार कर चुकी मानसी जवान थी. आर्थिक स्थिति खराब होने से घर वाले उस के हाथ पीले नहीं कर सके थे. इस उम्र में वह पुरुष साथी की जरूरत महसूस कर रही थी. पवन का साथ उसे अच्छा लगा और उस ने उस का प्यार स्वीकार कर लिया. दोनों के मन मिले तो उन के तन मिलने में भी ज्यादा देर नहीं लगी.

दोस्ती के नाते मानसी पवन की बहन थी, लेकिन उन दोनों ने भाईबहन के पवित्र रिश्ते को तारतार कर दिया था. अब वह इस रिश्ते को बारबार रौंद रहे थे. इसी बीच एक रोज कल्लू ने पवन और मानसी को लिपटतेचिपटते देख लिया. यह देख उस का माथा ठनका. उस ने इस बाबत मानसी और पवन से अलगअलग पूछताछ की तो दोनों ने ही कल्लू को बरगला दिया.

कहते हैं शक का बीज बड़ी जल्दी फूलता फलता है. कल्लू के दिमाग में भी शक का बीज पड़ गया था. वह दोनों पर नजर रखने लगा. पर निगरानी के बावजूद मानसी और पवन का मिलन हो ही जाता था.

कल्लू ने अपनी बहन मानसी को डांटडपट और धमका कर दोनों के संबंध के बारे में पूछताछ की. लेकिन मानसी ने पवन को क्लीनचिट दे दी. इस से कल्लू को लगने लगा कि वह व्यर्थ में ही दोनों के संबंधों पर शक कर रहा है.

कल्लू पवन पर शक न करे और उसे घर आने के लिए मना न करे, इस के लिए पवन ने कल्लू की आर्थिक मदद करना शुरू कर दिया. यही नहीं पवन कल्लू के घर शराब की बोतल भी लाने लगा. इस का परिणाम यह हुआ कि कल्लू के घर पवन का बेरोकटोक आनाजाना होने लगा.

मानसी के पास मोबाइल नहीं था. उस ने पवन से डिमांड की तो उस ने मानसी को मोबाइल ला कर दे दिया. अब पवन को कल्लू के घर की जानकारी भी मिलने लगी और दोनों आपस में प्यार भरी रसीली बातें भी करने लगे.

पवन और मानसी के संबंधों को ले कर कल्लू के पड़ोसियों में भी कानाफूसी होने लगी थी. पड़ोसियों ने कल्लू के कान भरे और पवन के घर आने पर प्रतिबंध लगाने को कहा. इस पर कल्लू ने पवन को सख्त लहजे में मानसी से दूर रहने की चेतावनी दे दी. लेकिन पवन ने पड़ोसियों पर दोस्ती तोड़ने का आरोप लगाया और नाटक कर कल्लू को मना लिया. पवन अब तभी घर आता, जब कल्लू घर में मौजूद रहता.

लेकिन अप्रैल 2019 के पहले हफ्ते में एक रोज कल्लू ने पवन को अपनी बहन के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया. दरअसल, उस रोज शाम को पवन बोतल ले कर आया और दोनों ने बैठ कर शराब पी.

कल्लू ने उस शाम कुछ ज्यादा पी ली, जिस से वह बिना खाना खाए ही चारपाई पर लुढ़क गया और खर्राटे भरने लगा. मानसी और पवन ने कल्लू की हालत देखी तो आंखों ही आंखों में इशारा कर रंगरेलियां मनाने का मन बना लिया.

मानसी और पवन रंगरेलियां मना ही रहे थे कि कल्लू की नींद खुल गई. उस ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देखा तो उस का खून खौल उठा. उस ने मानसी की पीठ पर एक लात जमाई तो वह हड़बड़ा कर उठ बैठी. पवन भी उठ बैठा.

सामने कल्लू खड़ा था. मारे गुस्से से उस की आंखें लाल हो रही थीं. वह चीख कर बोला, ‘‘बेशर्म लड़की, शरम नहीं हाती रात के अंधेरे में गुल खिलाते हुए. मुझे शक तो पहले से ही था, पर तुम दोनों मेरी आंखों में धूल झोंकते रहे.’’

कल्लू का गुस्सा देख कर पवन तो भाग गया, पर मानसी कहां जाती. कल्लू ने उस की जम कर पिटाई की. मानसी चीखतीचिल्लाती रही और कल्लू उसे पीटता रहा. मानसी की बेहयाई और अवैध रिश्तों की बात जब लक्ष्मी को पता चली तो उस ने माथा पीट लिया. लक्ष्मी ने भी मानसी को खूब फटकार लगाई और समझाया भी.

इस घटना के बाद कल्लू और पवन की दोस्ती टूट गई. दोनों ने साथ खानापीना भी बंद कर दिया था. जब भी कल्लू का सामना पवन से हो जाता तो उस का खून खौल उठता. वह सोचता, जिस दोस्त पर वह भाई से भी ज्यादा भरोसा करता था, उसी ने उस की इज्जत पर डाका डाल दिया. ऐसे दोस्त से तो दुश्मन अच्छा होता है. वह जितना सोचता, उतनी ही दोस्त के प्रति नफरत पैदा होती.

दोस्त मर्यादा की हद से गुजर गया था. कल्लू ने उसे सबक सिखाने की ठान ली. अपनी योजना के तहत कल्लू अपनी मां लक्ष्मी और बहन मानसी को अपने घर फैजाबाद छोड़ आया.

कानपुर लौट कर वह अपने काम पर लग गया. उस ने इस बात का जिक्र किसी से नहीं किया कि उस के दोस्त पवन पाल ने उस की पीठ में विश्वासघात का छुरा घोंपा है.

उन्हीं दिनों एक शाम कल्लू पनकी पड़ाव शराब ठेके पर बैठा था. उसी टेबल पर पवन भी आ कर बैठ गया. दोनों की आंख मिली तो कल्लू ने नफरत से मुंह घुमा लिया. इस पर पवन बोला, ‘‘कल्लू भाई, मैं आप का अपराधी हूं. आप मुझे जो सजा देना चाहें, दे सकते हैं.’’

रमाशंकर उर्फ कल्लू साजिश के तहत दोस्ती करना चाहता था. अत: वह बोला, ‘‘पवन, मैं तुम्हारे अक्षम्य अपराध को माफ तो कर रहा हूं पर तुम्हारे प्रति मेरे मन में जो सम्मान था उसे भूल नहीं पाऊंगा.’’

इस के बाद दोनों गले मिले और साथ बैठ कर शराब पी. फिर तो यह सिलसिला बन गया. जब भी दोनों मिलते साथ बैठ कर खातेपीते.

पवन पाल को लगा कि कल्लू ने उसे माफ कर दिया है, पर यह उस की बड़ी भूल थी. उस ने सोचीसमझी रणनीति के तहत पवन से समझौता किया था. दोस्ती करने के बाद कल्लू अपनी योजना को सफल बनाने में जुट गया और समय का इंतजार करने लगा.

28 जून, 2019 की शाम रमाशंकर उर्फ कल्लू पनकी गल्ला गोदाम से घर वापस आ रहा था. उस के हाथ में लोहे का हुक (बोरा उठाने वाला) था. जब वह पनकी नहर पुल पर पहुंचा तभी उसे पवन पाल मिल गया. पुल पर बैठ कर दोनों कुछ देर बतियाते रहे. फिर उन का शराब पीने का प्रोग्राम बना. कल्लू बोला, ‘‘पवन, उस रोज तुम ने मुझे पिलाई थी, आज मेरी बारी है. तुम यहीं रुको, मैं शराब की बोतल, गिलास और कोल्डड्रिंक ले कर आता हूं.’’

रमाशंकर उर्फ कल्लू जब खानेपीने का सामान ले कर लौटा तब तक रात के 9 बज चुके थे. कल्लू पवन को साथ ले कर इंडस्ट्रियल एरिया के नगर निगम पार्क पहुंचा, जहां सन्नाटा पसर चुका था. कल्लू और पवन एक बेंच पर बैठ कर शराब पीने लगे. कल्लू ने अपनी योजना के तहत पवन को कुछ ज्यादा शराब पिला दी.

पवन पर जब नशा हावी हुआ तो उस के पैर लड़खड़ाने लगे. उसी समय कल्लू ने पीछे से पवन पर हमला कर दिया. वह हाथ में पकड़े लोहे के हुक से पवन के सिर पर वार पर वार करने लगा. नुकीली हुक सिर में घुसी तो सिर फट गया और खून बहने लगा. पवन वहीं लड़खड़ा कर गिर गया. कुछ ही देर बाद उस की मौत हो गई. दोस्त की हत्या करने के बाद कल्लू फरार हो गया.

इधर सुबह को मार्निंग वाक पर लोग पार्क में पहुंचे तो उन्होंने एक युवक की लाश पड़ी देखी और पनकी पुलिस को सूचना दे दी. पुलिस जांच में दोस्त द्वारा दोस्त की हत्या करने की सनसनीखेज कहानी सामने आई.

11 जुलाई, 2019 को थाना पनकी पुलिस ने अभियुक्त रमाशंकर उर्फ कल्लू को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में मानसी परिवर्तित नाम है.

दिल के टुकड़ों का रिसना – भाग 4

फेसबुक के माध्यम से स्वीटी अशोक के संपर्क में आ गई. दोनों अकसर चैटिंग कर लिया करते थे. दोनों ने आपस में मोबाइल नंबर भी शेयर कर लिए थे. धीरेधीरे दोनों दिल खोल कर बातें करने लगे. स्वीटी अशोक के परिवार के बारे में अधिक जानकारी जुटाने का प्रयत्न करती थी. जाहिर था कि वह अशोक से प्रभावित थी, इसीलिए उस के बारे में खोजबीन करती थी.

एक दिन बातचीत के दौरान स्वीटी ने पूछा, ‘‘अशोक, मैं ने तुम्हारे परिवार के बारे में बहुत कुछ जान लिया है लेकिन यह कभी नहीं पूछा कि तुम करते क्या हो?’’

अशोक फीकी हंसी हंसा, ‘‘मुझे झूठ बोलने की आदत नहीं है, इसलिए सच बताऊंगा. सच यह है कि मैं बेरोजगार हूं.’’

‘‘मैं सीरियस हूं यार.’’

‘‘मैं भी सीरियस हूं, मजाक नहीं कर रहा हूं. सच बता रहा हूं कि मैं बेरोजगार हूं. हां, इतना जरूर है कि मैं सरकारी नौकरी पाने के लिए प्रयास कर रहा हूं.’’

तब तक दोनों की दोस्ती गहरा गई थी. स्वीटी का मन अशोक को देखने, उस से मिलने और आमनेसामने बैठ कर बातें करने का था. एक दिन उस ने अशोक को पहसा आने को बोल दिया. दिन, तारीख और समय भी निश्चित कर दिया. स्वीटी के इस बुलावे को अशोक ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.

नियत दिन और समय पर अशोक पहसा कस्बा पहुंच गया. स्वीटी उसे पहसा इटारा मोड़ पर स्थित दुर्गा मंदिर के पास मिली. दोनों को पता था कि कौन कैसे कपड़े पहन कर आएगा. इसलिए उन्हें एकदूसरे को पहचानने में दिक्कत नहीं हुई.

अशोक का व्यक्तित्व आकर्षक था तो स्वीटी भी भरपूर जवान थी. अशोक से बातें करतेकरते स्वीटी सोचने लगी कि अगर अशोक जैसे सुंदर, सजीले युवक से उस की शादी हो जाए तो उस का जीवन सुखमय रहेगा.

स्वीटी सोच में डूबी हुई थी. तभी अशोक बोला, ‘‘तुम इतनी सुंदर होगी, मैं ने सोचा भी नहीं था. बुरा न मानो तो एक बात बोलूं?’’

स्वीटी की धड़कनें तेज हो गईं. उसे लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि जो मैं सोच रही हूं, अशोक भी वही सोच रहा हो. मन की बात मन में छिपा कर वह बोली, ‘‘जो कहना चाहते हो, बेहिचक कह सकते हो.’’

‘‘तुम्हें देखते ही दिल में प्यार का अहसास जाग उठा है.’’ अशोक ने उस के हाथ पर हाथ रख दिया, ‘‘आई लव यू स्वीटी.’’

प्रेम निवेदन सुनते ही स्वीटी मानो अपने आपे में नहीं रह सकी. उस ने अपना दूसरा हाथ उठा कर अशोक के हाथ पर रख दिया, ‘‘आई लव यू टू.’’

उसी समय दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई. स्वीटी घर वालों की आंखों में धूल झोंक कर जब तब अशोक से मिलने लगी. अशोक भी घर वालों को बिना कुछ बताए स्वीटी के प्यार में बंध गया.

जैसेजैसे दिन बीतते गए, दोनों का प्यार दिन दूना रात चौगुना बढ़ने लगा. दोनों का प्यार परवान चढ़ा तो फिर शारीरिक मिलन भी होने लगा. मऊ में दरजनों ऐसे लौज और होटल थे, जहां इस प्रेमी युगल को आसानी से कमरा उपलब्ध हो जाता था.

लगभग एक साल तक स्वीटी और अशोक का मिलन निर्बाध चलता रहा. उस के बाद अशोक स्वीटी से कन्नी काटने लगा. उस ने स्वीटी से मोबाइल फोन पर बात करना कम कर दिया था. जब कभी बतियाता भी तो वह झुंझला उठता था. शारीरिक मिलन से भी वह कतराने लगा था.

अशोक में आए इस परिवर्तन से स्वीटी उर्फ प्रतिमा चिंतित हो उठी. उसे लगा कि जो सपना उस ने देखा था, वह अधूरा रह जाएगा. स्वीटी ने इस बारे में गुप्तरूप से जानकारी जुटाई तो उस के पैरों तले से जमीन खिसकती नजर आई. उसे पता चला कि अशोक का झुकाव गाजीपुर की एक युवती की ओर है और दोनों छिपछिप कर मिलते हैं.

प्यार का घरौंदा टूटता देख स्वीटी बौखला गई. उस ने युवती के बारे में अशोक से बात की तो उस ने झूठ बोल दिया. साथ ही उस ने झुंझला कर स्वीटी से कहा कि वह उसे फोन न किया करे. वह न तो उस से मिलना चाहता है और न बात करना. इस के बाद स्वीटी और अशोक के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. दोनों के प्यार में गहरी दरार आ गई.

इसी बीच अशोक का चयन बिहार वन विभाग में हो गया. चयन के बाद उस ने स्वीटी से और भी दूरियां बढ़ा लीं. दरअसल, अशोक को भय सताने लगा था कि अगर स्वीटी उस के पीछे पड़ी रही तो उस का भविष्य दांव पर लग सकता है. इसलिए वह उस से पीछा छुड़ाना चाहता था. दूसरी ओर उस का परिचय एक सजातीय युवती से भी हो गया था, जिस के कारण वह स्वीटी से दूरियां बनाने लगा था.

प्यार में धोखा खाने के बाद स्वीटी के दिल में अशोक के प्रति नफरत पनपने लगी थी. स्वीटी की एक करीबी सहेली सोनम यादव मऊ में रहती थी. वह भी पहसा स्थित कालेज में बीटीसी की छात्रा थी. प्यार में मात खाने के बाद वह हर बात सोनम से शेयर करती थी. एक रोज बातचीत में सोनम ने स्वीटी को उकसाया कि वह बेवफा प्रेमी को सबक सिखाए ताकि वह किसी अन्य के साथ धोखा न करे.

20 अगस्त को स्वीटी ने काल की तो अशोक ने उसे मऊ के अवधपुरी होटल में मिलने को कहा. होटल में दोनों की बातचीत हुई और शारीरिक मिलन भी हुआ. उसी दिन अशोक ने नौकरी लग जाने और ट्रेनिंग पर जाने की बात कह कर स्वीटी को फोन न करने की हिदायत दी.

इस पर स्वीटी ने कहा कि जब बात नहीं करनी है तो तुम ने जो घड़ी और अपना फोटो गिफ्ट में दिया था, वापस ले लो. इस पर अशोक ने कहा कि वह 2 दिन बाद आ कर ले जाएगा.

लेकिन जब अशोक नहीं आया तो स्वीटी प्रतिशोध की आग में जल उठी. उस ने अपनी सहेली सोनम यादव से विचारविमर्श किया. दोनों ने बेवफा प्रेमी अशोक को सबक सिखाने की ठान ली. इस के लिए स्वीटी ने एक तेजधार वाला चाकू खरीदा और उसे अपने बैग में सुरक्षित रख लिया.

27 अगस्त, 2019 की दोपहर बाद स्वीटी अपनी सहेली सोनम यादव के साथ अशोक के घर मरूखा मझौली पहुंची. उस समय अशोक घर पर नहीं था. फलस्वरूप वे दोनों लौट गईं. जब दोनों गांव के बाहर पटरी पर पहुंचीं तभी अशोक मोटरसाइकिल से आ गया.

पहले उस की स्वीटी से झड़प हुई, फिर सोनम से. जब अशोक और सोनम में झड़प हो रही थी, तभी स्वीटी ने बैग से चाकू निकाला और अशोक के पेट में घोंप दिया. अशोक खून से लथपथ हो कर नहर की पटरी पर गिर पड़ा.

अशोक को चाकू घोंपने के बाद स्वीटी और सोनम ने तेज कदमों से नहर का पुराना पुल पार किया और मोटरसाइकिल पर मऊ की ओर जा रहे एक युवक से यह कह कर लिफ्ट मांगी कि उन दोनों को कोचिंग के लिए देर हो रही है. उस युवक ने दोनों को लिफ्ट दे दी और इस तरह वे मऊ चली गईं.

इधर पटरी पर तड़प रहे अशोक को राहगीर तथा खेतों पर काम कर रहे लोगों ने देखा तो यह खबर उस के घर वालों को दी. घर वाले उसे जिला अस्पताल ले गए, जहां उस की मौत हो गई.

घर वालों ने मौत की सूचना थाना हलधरपुर पुलिस को दी तो थानाप्रभारी अखिलेश कुमार अस्पताल पहुंचे. उन्होंने जांच शुरू की तो इश्क में फंसे अशोक की हत्या का परदाफाश हुआ.

2 सितंबर, 2019 को थाना हलधरपुर पुलिस ने आरोपी स्वीटी उर्फ प्रतिमा चौहान व सोनम यादव को मऊ कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट शशिकुमार के सामने पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया. पुलिस उस व्यक्ति का पता नहीं लगा पाई, जो हत्यारोपियों को अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा कर मऊ तक लाया था.

एक मौका और दीजिए : बहकने लगे सुलेखा के कदम – भाग 3

दर्द से उसे यों तड़पता देख कर उस ने दूध मेज पर रखा तथा उस के पास ‘क्या हुआ’ कहती हुई आई. उस के आते ही उस ने हाथपैर ढीले छोड़ दिए तथा सांस रोक कर ऐसे लेट गया मानो जान निकल गई हो. वह बचपन से तालाब में तैरा करता था, अत: 5 मिनट तक सांस रोक कर रखना उस के बाएं हाथ का खेल था.

सुलेखा ने उस के शांत पड़े शरीर को छूआ, थोड़ा झकझोरा, कोई हरकत न पा कर बोली, ‘‘लगता है, यह तो मर गए…अब क्या करूं…किसे बुलाऊं?’’

मनीष को उस की यह चिंता भली लगी. अभी वह अपने नाटक का अंत करने की सोच ही रहा था कि सुलेखा की आवाज आई :

‘‘सुयश, हमारे बीच का कांटा खुद ही दूर हो गया.’’

‘‘क्या, तुम सच कह रही हो?’’

‘‘विश्वास नहीं हो रहा है न, अभीअभी हार्टअटैक से मनीष मर गया. अब हमें विवाह करने से कोई नहीं रोक पाएगा…मम्मी, पापा के कहने से मैं ने मनीष से विवाह तो कर लिया पर फिर भी तुम्हारे प्रति अपना लगाव कम नहीं कर सकी. अब इस घटना के बाद तो उन्हें भी कोई एतराज नहीं होगा.

‘‘देखो, तुम्हें यहां आने की कोई आवश्यकता नहीं है. बेवजह बातें होंगी. मैं नीलेश भाई साहब को इस बात की सूचना देती हूं, वह आ कर सब संभाल लेंगे…आखिर कुछ दिनों का शोक तो मुझे मनाना ही होगा, तबतक तुम्हें सब्र करना होगा,’’ बातों से खुशी झलक रही थी.

‘पहले दूध पी लूं फिर पता नहीं कितने घंटों तक कुछ खाने को न मिले,’ बड़बड़ाते हुए सुलेखा ने दूध का गिलास उठाया और पास पड़ी कुरसी पर बैठ कर पीने लगी.

मनीष सांस रोके यह सब देखता, सुनता और कुढ़ता रहा. दूध पी कर वह उठी और बड़बड़ाते हुए बोली, ‘अब नीलेश को फोन कर ही देना चाहिए…’ उसे फोन मिला ही रही थी कि  मनीष उठ कर बैठ गया.’

‘‘तुम जिंदा हो,’’ उसे बैठा देख कर अचानक सुलेखा के मुंह से निकला.

‘‘तो क्या तुम ने मुझे मरा समझ लिया था…?’’ मनीष बोला, ‘‘डार्लिंग, मेरे शरीर में हलचल नहीं थी पर दिल तो धड़क रहा था. लेकिन खुशी के अतिरेक में तुम्हें नब्ज देखने या धड़कन सुनने का भी ध्यान नहीं रहा. तुम ने ऐसा क्यों किया सुलेखा? जब तुम किसी और से प्यार करती थीं तो मेरे साथ विवाह क्यों किया?’’

‘‘तो क्या तुम ने सब सुन लिया?’’ कहते हुए वह धम्म से बैठ गई.

‘‘हां, तुम्हारी सचाई जानने के लिए मुझे यह नाटक करना पड़ा था. अगर तुम उस के साथ रहना चाहती थीं तो मुझ से एक बार कहा होता, मैं तुम दोनों को मिला देता, पर छिपछिप कर उस से मिलना क्या बेवफाई नहीं है.

‘‘10 महीने मेरे साथ एक ही कमरे में मेरी पत्नी बन कर गुजारने के बावजूद आज अगर तुम मेरी नहीं हो सकीं तो क्या गारंटी है कल तुम उस से भी मुंह नहीं मोड़ लोगी…या सुयश तुम्हें वही मानसम्मान दे पाएगा जो वह अपनी प्रथम विवाहित पत्नी को देता…जिंदगी एक समझौता है, सब को सबकुछ नहीं मिल जाता, कभीकभी हमें अपनों के लिए समझौते करने पड़ते हैं, फिर जब तुम ने अपने मातापिता के लिए समझौता करते हुए मुझ से विवाह किया तो उस पर अडिग क्यों नहीं रह पाईं…अगर उन्हें तुम्हारी इस भटकन का पता चलेगा तो क्या उन का सिर शर्म से नीचा नहीं हो जाएगा?’’

‘‘मुझे माफ कर दो, मनीष. मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई,’’ सुलेखा ने उस के कदमों पर गिरते हुए कहा.

‘‘अगर तुम इस संबंध को सच्चे दिल से निभाना चाहती हो तो मैं भी सबकुछ भूल कर आगे बढ़ने को तैयार हूं और अगर नहीं तो तुम स्वतंत्र हो, तलाक के पेपर तैयार करवा लेना, मैं बेहिचक हस्ताक्षर कर दूंगा…पर इस तरह की बेवफाई कभी बरदाश्त नहीं कर पाऊंगा.’’

उसी समय सुलेखा का मोबाइल खनखना उठा…

‘‘सुयश, आइंदा से तुम मुझे न तो फोन करना और न ही मिलने की कोशिश करना…मेरे वैवाहिक जीवन में दरार डालने की कोशिश, अब मैं बरदाश्त नहीं करूंगी,’’ कहते हुए सुलेखा ने फोन काट दिया तथा रोने लगी.

उस के बाद फिर फोन बजा पर सुलेखा ने नहीं उठाया. रोते हुए बारबार उस के मुंह से एक ही बात निकल रही थी, ‘‘प्लीज मनीष, एक मौका और दे दो…अब मैं कभी कोई गलत कदम नहीं उठाऊंगी.’’

उस की आंखों से निकलते आंसू मनीष के हृदय में हलचल पैदा कर रहे थे पर मनीष की समझ में नहीं आ रहा था कि वह उस की बात पर विश्वास करे या न करे. जो औरत उसे पिछले 10 महीने से बेवकूफ बनाती रही…और तो और जिसे उस की अचानक मौत इतनी खुशी दे गई कि उस ने डाक्टर को बुला कर मृत्यु की पुष्टि कराने के बजाय अपने प्रेमी को मृत्यु की सूचना  ही नहीं दी, अपने भावी जीवन की योजना बनाने से भी नहीं चूकी…उस पर एकाएक भरोसा करे भी तो कैसे करे और जहां तक मौके का प्रश्न है…उसे एक और मौका दे सकता है, आखिर उस ने उस से प्यार किया है, पर क्या वह उस से वफा कर पाएगी या फिर से वह उस पर वही विश्वास कर पाएगा…मन में इतना आक्रोश था कि वह बिना सुलेखा से बातें किए करवट बदल कर सो गया.

दूसरा दिन सामान्य तौर पर प्रारंभ हुआ. सुबह की चाय देने के बाद सुलेखा नाश्ते की तैयारी करने लगी तथा वह पेपर पढ़ने लगा. तभी दरवाजे की घंटी बजी. दरवाजा मनीष ने खोला तो सामने किसी अजनबी को खड़ा देख वह चौंका पर उस से भी अधिक वह आगंतुक चौंका.

वह कुछ कह पाता इस से पहले ही मनीष जैसे सबकुछ समझ गया और सुलेखा को आवाज देते हुए अंदर चला गया, पर कान बाहर ही लगे रहे.

सुलेखा बाहर आई. सुयश को खड़ा देख कर चौंक गई. वह कुछ कह पाता इस से पहले ही तीखे स्वर में सुलेखा बोली, ‘‘जब मैं ने कल तुम से मिलने या फोन करने के लिए मना कर दिया था उस के बाद भी तुम्हारी यहां मेरे घर आने की हिम्मत कैसे हुई. मैं तुम से कोई संबंध नहीं रखना चाहती…आइंदा मुझ से मिलने की कोशिश मत करना.’’

सुयश का उत्तर सुने बिना सुलेखा ने दरवाजा बंद कर दिया और किचन में चली गई. आवाज में कोई कंपन या हिचक नहीं थी.

वह नहाने के लिए बाथरूम गया तो सबकुछ यथास्थान था. तैयार हो कर बाहर आया तो नाश्ता लगाए सुलेखा उस का इंतजार कर रही थी. नाश्ता भी उस का मनपसंद था, आलू के परांठे और मीठा दही.

आफिस जाते समय उस के हाथ में टिफिन पकड़ाते हुए सुलेखा ने सहज स्वर में पूछा, ‘‘आज आप जल्दी आ सकते हैं. रीजेंट में बाबुल लगी है…अच्छी पिक्चर है.’’

‘‘देखूंगा,’’ न चाहते हुए भी मुंह से निकल गया.

गाड़ी स्टार्ट करते हुए मनीष सोच रहा था कि वास्तव में सुलेखा ने स्वयं को बदल लिया है या दिखावा करने की कोशिश कर रही है. सचाई जो भी हो पर वह उसे एक मौका अवश्य देगा.

टुकड़ों में बंटी औरत – भाग 3

लौकडाउन में भुखमरी की नौबत ले आई भिवाड़ी

अमित भरतपुर में ई मित्र की दुकान करता था. अमित और कोमल भरतपुर में कुम्हेर गेट पर रहते थे. कोमल अपने पहले पति संजय के भांजे लाली गुप्ता से फोन पर बात करती थी. इस पर अमित को ऐतराज था. इसी बात पर दोनों में आए दिन झगड़ा होता था.कोरोना संक्रमण के कारण लौकडाउन होने से अमित का ई मित्र का कामकाज ठप हो गया. वह बेरोजगार हुआ, तो रोजीरोटी की तलाश में भरतपुर से भिवाड़ी आ गया. अमित और कोमल भिवाड़ी में सांथलका गांव की विनोद कालोनी में किराए का कमरा ले कर रहने लगे.

अमित सेंट गोबेन कंपनी में नौकरी करने लगा. केवल अमित की नौकरी से घर का खर्च नहीं चल पाता था. इसलिए उस ने कोमल को भी नौकरी करने को कहा. कोमल ने प्रयास किया, तो उसे भिवाड़ी के पास चौपानकी में क्लच वायर बनाने वाली कंपनी में नौकरी मिल गई.भले ही पतिपत्नी दोनों नौकरी करने लगे थे, लेकिन उन के बीच झगड़े खत्म नहीं हुए. परेशान हो कर कोमल ने 11 अगस्त को अमित को कमरे से निकाल दिया. अमित कमरे से चला गया, उस के कुछ देर बाद कोमल अपनी नौकरी पर चली गई.

पत्नी से झगड़े के बाद अमित ने एक बार तो अपने घर भरतपुर जाने का विचार बनाया. फिर उस ने रोजरोज का झगड़ा खत्म करने के लिए कोमल का ही खेल खत्म करने की योजना बना डाली. उस ने बाजार से एक लुहार से तेज धारदार वाला बड़ा चाकू खरीदा और वापस कमरे पर आ गया. कमरे की एक चाबी अमित के पास पहले से ही रहती थी. इसलिए उसे कोई परेशानी नहीं हुई.

शाम को कोमल अपनी नौकरी से वापस कमरे पर लौटी, तो अमित ने कमरे का गेट बंद कर उसे तरंग नामक भांग की गोलियां खिला दीं.भांग के नशे में कोमल को कुछ होश नहीं रहा. अमित ने उस के हाथपैर बांध दिए और गला दबा कर उस की हत्या कर दी. इस के बाद उस ने तेज धार वाले लंबे चाकू से उस के शरीर के अलगअलग टुकड़े किए. टुकड़े करने के दौरान कमरे के फर्श पर बिछी दरी पर खून फैल गया. इस पर उस ने दरी को एक तरफ रख कर बाकी खून के निशान पानी से धो दिए. इस काम में उसे करीब 3 घंटे लगे.

कोमल के शव के टुकड़ों को प्लास्टिक के 3 अलगअलग बोरों में भर कर वह रात को कमरे पर ही सो गया. दूसरे दिन सुबह जब कालोनी के लोग अपनेअपने कामों पर चले गए, तब वह कमरे से एकएक बोरा निकाल कर ले गया और कच्चे रास्ते से हो कर खिदरपुर स्कूल के पास अलगअलग जगहों पर फेंक दिए.

उस ने खून से लथपथ वह दरी भी फेंक दी. दूसरे दिन वह अपना थोड़ाबहुत घरेलू सामान ले कर बिना किसी को कुछ बताए किराए का कमरा खाली कर फरार हो गया. बाद में 7 सितंबर को पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. फरारी के दौरान वह भिवाड़ी के अलावा पलवल, भरतपुर और जयपुर में रहा.

अमित की गिरफ्तारी के बाद उस की निशानदेही पर पुलिस ने 7 सितंबर को ही कोमल के सीने से ऊपर का हिस्सा बरामद कर लिया. इस के अगले दिन 8 सितंबर को पुलिस ने खिदरपुर गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर झाडि़यों से वह दरी भी बरामद कर ली, जिस पर कोमल की हत्या की गई थी. दरी पर खून के निशान सूख चुके थे. 9 सितंबर को पुलिस ने अमित की निशानदेही पर सिर का हिस्सा भी बरामद कर लिया.

पुलिस की सूचना पर कोमल के घर वाले 8 सितंबर को कानपुर से भिवाड़ी पहुंचे. पुलिस ने कोमल के भाई और बहन के डीएनए के सैंपल लिए ताकि कोमल के शव की अधिकृत पुष्टि की जा सके.पूछताछ में यह भी पता चला कि अमित ने सन 2013 में भरतपुर में दुष्कर्म करने के बाद एक महिला होमगार्ड की हत्या कर दी थी. इस मामले में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. करीब डेढ़ साल तक वह भरतपुर जिले की सेवर जेल में बंद रहा. इस मामले में अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा दी थी. सन 2014 में हाईकोर्ट से उस की जमानत हो गई थी.

अमित ने जो अपराध किया, उस की सजा उसे कानून देगा. लेकिन कोमल की मौत से उस के पिता हरिप्रसाद टूट गए हैं. कानपुर में चाय की थड़ी लगाने वाले हरिप्रसाद की 3 बेटियों में कोमल सब से बड़ी थी. पहले पति की मौत के बाद से कोमल कानपुर में अपने पिता के पास रह कर जौब करती थी.

सुमन ने फंसाया था कोमल को

हरिप्रसाद का कहना है कि इस दौरान कोमल के संपर्क में सुमन नाम की महिला आई. सुमन धीरेधीरे उन के घर भी आने लगी. फिर वह कोमल का रिश्ता भरतपुर के अच्छे परिवार में कराने की बात कहने लगी. भरतपुर ज्यादा दूर होने के कारण उन्होंने मना कर दिया.फिर भी सुमन ने पता नहीं कब कोमल का भरतपुर के अमित से संपर्क करा दिया. जल्दी ही अमित ने कोमल को पूरी तरह अपने झांसे में ले लिया. इस का उन्हें पता भी नहीं चला. बाद में सुमन ने कहा कि एक बार भरतपुर जा कर लड़का देख आओ, पसंद आए तभी रिश्ता करना.

बेटी की खुशी के लिए हरिप्रसाद भरतपुर गए. वहां देखा तो पहले से ही शादी की पूरी तैयारी हो चुकी थी. अनजान शहर में वे अकेले पड़ गए. बेटी की सहमति से उन्होंने अगले ही दिन 13 दिसंबर, 2019 को भरतपुर में कोमल की शादी अमित से कर दी.

बाद में उन्हें पता चला कि यह शादी कराने के एवज में सुमन ने अमित से एक लाख रुपए लिए थे. कोमल शादी के बाद केवल एक बार होली पर अपने घर कानपुर गई थी.कोमल अपनी छोटी बहन काजल को फोन पर बताती थी कि अमित का चालचलन ठीक नहीं है. वह उस पर शक करता है और आए दिन झगड़ता है.

कोमल की छोटी बहन काजल की 10 अगस्त को अमित से फोन पर बात हुई थी, तब अमित ने कहा था कि आज के बाद तुम से हमारा कोई रिश्ता नहीं रहेगा और न ही तुम कोमल से बात कर सकोगी. इस के बाद से लगातार संपर्क करने के बाद भी जब परिजनों की कोमल से बात नहीं हुई तो हरिप्रसाद ने अमित के पिता को फोन किया. उन्होंने कहा कि उन का बेटे और बहू से कोई संबंध नहीं है. इस संबंध में वे अखबार में विज्ञापन भी छपवा चुके हैं.

हरिप्रसाद का कहना है कि बेटी तो चली गई, लेकिन अमित जैसे जल्लाद से कोमल का रिश्ता कराने वाली सुमन के खिलाफ भी काररवाई हो, जो पैसे कमाने के लिए जरूरतमंद युवतियों को झांसे में ले कर उन की जिंदगी बरबाद कर देती हैं.

कातिल किलर : ब्लैकमेलिंग का हुए शिकार

घटना मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले की है. 17 अप्रैल, 2019 को दिन के यही कोई 3 बजे थे. उसी समय जीवाजीगंज थाना क्षेत्र के पीपलीनाका इलाके की महावीर सोसायटी में स्थित पंडित रमेश व्यास के मकान से गोलियां चलने की आवाज आईं. एक के बाद एक 2 गोलियों की आवाज सुन कर रमेश व्यास की पत्नी गीताबाई डर गई.

उस समय वह अपने 3 मंजिला मकान में भूतल पर थी. गोलियों की आवाज सुन कर गीताबाई भागीभागी ऊपर की मंजिल पर पहुंची, जहां उस का 37 वर्षीय बेटा देवकरण अपनी 27 वर्षीया पत्नी अंतिमा के साथ रहता था.

गीताबाई ने जैसे ही बेटे और बहू को देखा तो उस की चीख निकल गई. क्योंकि बहूबेटा दोनों खून से लथपथ पड़े थे. गीताबाई के चीखने और रोने की आवाज सुन कर पड़ोसी भी आ गए. उन्होंने जब देवकरण और उस की पत्नी को देखा तो वे भी हैरान रह गए कि ऐसा कैसे हो गया.

उन दोनों की मौत हो चुकी थी. थोड़ी देर में मोहल्ले के तमाम लोग इकट्ठे हो गए. उसी दौरान किसी ने थाना जीवाजीगंज में फोन कर के सूचना दे दी.

घटना की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी शांतिलाल मीणा एसआई कैलाश भारती आदि के साथ मौके पर पहुंच गए. मकान की ऊपर वाली मंजिल के एक कमरे में उन्होंने पलंग पर देवकरण व उस की पत्नी अंतिमा के शव देखे. दोनों ही शव खून से लथपथ थे. पास ही एक पिस्टल पड़ी थी.

निरीक्षण में पता चला कि अंतिमा के सिर में गोली काफी नजदीक से मारी गई थी. लग रहा था कि देवकरण ने पहले अंतिमा की हत्या की फिर खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली. थानाप्रभारी को लगा कि शायद पतिपत्नी के बीच किसी विवाद के कारण यह घटना हुई है पर पुलिस जांच के दौरान अलमारी से जो सुसाइड नोट मिला, उस से पूरी कहानी ही बदल गई.

सुसाइड नोट में देवकरण ने रेखा और सुमन नाम की 2 युवतियों का उल्लेख करते हुए लिखा था कि वह उन्हें ब्लैकमेल कर रही थीं. उन की ब्लैकमेलिंग से परेशान हो कर वह आत्महत्या कर रहे हैं.

घटना की जानकारी मिलने पर आईजी राकेश गुप्ता व एसपी (उज्जैन) सचिन अतुलका और एडीशनल एसपी नीरज भी मौके पर पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया.

पुलिस ने देवकरण के मातापिता से इस बारे में पूछताछ की तो वे भी उन दोनों के बारे में ऐसी कोई जानकारी नहीं दे सके, जिन का जिक्र सुसाइड नोट में था. इस के बाद थानाप्रभारी ने जरूरी काररवाई कर दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. फिर केस दर्ज कर के एसपी के निर्देश पर थानाप्रभारी शांतिलाल मीणा ने जांच शुरू कर दी.

थानाप्रभारी ने सब से पहले मृतक देवकरण के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से यह बात सामने आई कि देवकरण की अकसर एकमपुरा सोसायटी में रहने वाली रेखा, इंदौर के पलासिया में रहने वाली उस की छोटी बहन सुमन और एक युवक लाखन से बात होती थी. इस में खास बात यह थी कि देवकरण को इन तीनों की तरफ से ही काल की जाती थी.

देवकरण अपनी तरफ  से उन्हें कोई फोन नहीं करता था. देवकरण ने अपने सुसाइड नोट में 2 युवतियों द्वारा ब्लैकमेलिंग की बात भी लिखी थी, इसलिए थानाप्रभारी ने शक के आधार पर रेखा व सुमन को हिरासत में लेकर उन से पूछताछ की. लेकिन दोनों युवतियों ने देवकरण को पहचानने से इनकार कर दिया.

बाद में रेखा ने चौंकाने वाली बात यह बताई कि लगभग ढाई साल पहले देवकरण ने उस से गंधर्व विवाह किया था. इसलिए पत्नी होने के नाते वह देवकरण से खर्च के लिए पैसा मांगती थी. लेकिन ब्लैकमेल करने की बात से उस ने इनकार कर दिया. अब तक पुलिस लाखन को भी हिरासत में ले कर थाने लौट आई थी.

थानाप्रभारी मीणा को युवतियों की बात झूठी लगी. लिहाजा उन्होंने रेखा, सुमन व लाखन को अलगअलग रूम में बैठा कर पूछताछ की. उन के द्वारा विरोधाभासी बयान देने पर पता चल गया कि वे तीनों झूठ बोल रहे हैं.

अंतत: उन से सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि वे देवकरण को काफी दिनों से ब्लैकमेल करते आ रहे थे. थानाप्रभारी की पूछताछ में देवकरण को ब्लैकमेल करने की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

उज्जैन के पीपलीनाका क्षेत्र की महावीर सोसायटी में रहने वाले पंडित रमेश शंकर व्यास छोटा सर्राफा स्थित नरसिंह मंदिर के पुजारी थे. उन्होंने अपने बेटे देवकरण को भी पूजापाठ, ज्योतिष की शिक्षा दी थी. इस के बाद देवकरण भी पिता के साथ मंदिर में रह कर पूजापाठ के काम में उन की मदद करने लगा था..

रेखा सिकरवार से देवकरण की मुलाकात सन 2016 में हुई थी. हुआ यह कि रेखा को उस के पति ने छोड़ दिया था. इस के लिए रेखा अपने ग्रह नक्षत्र दिखाने के लिए पंडित रमेशचंद्र व्यास के पास आई थी. रमेशचंद्र व्यास ने रेखा को अपनी कुंडली के बारे में देवकरण से सलाह लेने को कहा. देवकरण ने कुंडली देख कर उस की परेशानियां तो बता दीं, लेकिन खुद परेशानी में फंस गया.

हुआ यह कि सलाह के सिलसिले में रेखा ने देवकरण से उस का मोबाइल नंबर ले लिया और फिर अकसर उस से फोन पर अपनी समस्याओं के बारे में बातचीत करने लगी.

मंदिरों में पूजापाठ का काम सुबह काफी जल्द शुरू हो कर देर रात तक चलता था. मंदिर में पूजा के अलावा देवकरण कई यजमानों के घर विभिन्न तरह के अनुष्ठान करवाने के लिए जाता था, इसलिए रेखा से उस की बात अकसर रात में ही हो पाती थी.

इसी बातचीत के दौरान रेखा का देवकरण की तरफ झुकाव हो गया. रेखा काफी शातिर थी. वह जानती थी कि देवकरण के पास काफी पैसा है, इसलिए उस ने उसे शीशे में उतारने की योजना बनाई. उस ने एक रोज पूजापाठ के बहाने देवकरण को अपने घर बुलाया.

देवकरण जब वहां पहुंचा तो उस के घर पूजापाठ की कोई तैयारी नहीं थी. यह देख वह कुछ देर रुक कर वापस लौटने लगा तो रेखा ने उसे रोक कर कहा, ‘‘क्या सिर्फ पूजा करना ही अनुष्ठान है? स्त्रीपुरुष का प्यार भी तो अनुष्ठान ही होता है.’’

देवकरण कोई बच्चा नहीं था जो रेखा के कहने का मतलब न समझता. रेखा के प्रति उस के मन में भी आकर्षण था, लेकिन अपने परिवार की इज्जत एवं पेशे की पवित्रता को ध्यान में रख कर वह खुद आगे नहीं बढ़ा था. लेकिन जब रेखा ने खुला प्रेम प्रस्ताव दिया तो वह खुद को रोक नहीं सका, अंतत: दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. इस के बाद आए दिन दोनों की एकांत में मुलाकातें होने लगीं. रेखा के पास रोजीरोटी का कोई सहारा नहीं था, सो देवकरण से वह देहसुख के बदले पैसे वसूलने लगी.

इसी दौरान रेखा की छोटी बहन सुमन सिकरवार को भी उस के पति ने छोड़ दिया, जिस से वह भी मायके आ कर रहने लगी थी. खर्च बढ़ा तो रेखा की देवकरण से मांग भी बढ़ने लगी. लेकिन देवकरण ने इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया. इसी बीच पिता रमेशचंद्र व्यास ने देवकरण का रिश्ता उज्जैन में ही फ्रीगंज निवासी अंतिमा के साथ तय कर दिया.

यह बात रेखा को पता चली तो वह समझ गई कि पत्नी के आने के बाद देवकरण उस के कब्जे में ज्यादा दिन नहीं रहेगा. इसलिए देवकरण जब उसे अपनी शादी का निमंत्रण पत्र देने गया तो रेखा ने उसे खूब लताड़ा. रेखा ने कहा कि उस ने वादा किया था कि वह शादी के बाद भी उस का खर्च उठाता रहेगा.

अप्रैल, 2017 में अंतिमा से देवकरण का विवाह हो गया. वह बहुत सुंदर थी. अंतिमा के मधुर व्यवहार से ससुराल में सब खुश थे. पत्नी के प्यार ने देवकरण को रेखा से दूर कर दिया. लेकिन रेखा, उस की मां और बहन सुमन को यह मंजूर नहीं था. देवकरण उन के लिए वह खजाना था, जिस में हाथ डाल कर वे जब चाहे पैसा निकाल सकती थीं.

इसलिए रेखा, उस की बहन सुमन और मां भागवंती देवकरण को धमकाने लगीं. उन्होंने धमकी दी कि अगर उस ने पैसा नहीं दिया तो वे उसे बलात्कार के आरोप में जेल पहुंचा देंगी.

इसी दौरान रेखा की छोटी बहन सुमन एक साड़ी शोरूम में नौकरी करने लगी थी, जहां पहले से वहां काम कर रहे लाखन के साथ उस के अवैध संबंध बन गए. लाखन भी शातिर था, इसलिए कुछ ही दिन में उस ने सुमन की बहन रेखा को अपने प्रेमजाल में फांस लिया.

कुछ दिनों में यह जानकारी सुमन को भी मिल गई. लाखन और रेखा के संबंधों पर सुमन ने भी कोई ऐतराज नहीं जताया. इस बीच जब रेखा और देवकरण का मामला लाखन की जानकारी में आया तो मां और दोनों बेटियों के साथ वह भी देवकरण को पैसों के लिए धमकाने लगा.

देवकरण के पिता रमेशचंद्र की समाज में काफी इज्जत थी. लोग उन का बहुत सम्मान करते थे, इसलिए देवकरण परेशान रहने लगा. साथ ही उसे पत्नी अंतिमा की भी चिंता थी. उसे लगता था कि यदि अंतिमा को रेखा के बारे में पता चलेगा तो वह उस के बारे में क्या सोचेगी.

दूसरी तरफ 2 सालों में 5 लाख से भी ज्यादा रुपए और ज्वैलरी हड़पने के बाद भी रेखा, सुमन, दोनों बहनों के प्रेमी लाखन और मां भागवंती की मांग लगातार बढ़ती जा रही थी.

घटना के एक दिन पहले देवकरण उदयपुर में एक यजमान के घर बड़ा अनुष्ठान करवाने गया हुआ था. यह बात रेखा को पता चली तो वह उस पर दबाव बनाने लगी कि अनुष्ठान की दक्षिणा में मिली धनराशि वह सीधे ला कर उसे सौंप दे.

देवकरण ऐसा करता तो घर पर पिता को क्या जवाब देता, इसलिए उस ने रेखा की बात नहीं मानी, जिस से रेखा की मां भागवंती ने उसे फोन पर धमकी दी कि वह उस के हाथपैर तुड़वा देगी.

लाखन ने भी देवकरण को धमकाया कि यदि उस ने पैसे नहीं दिए तो अंजाम भुगतने को तैयार रहे. इस से देवकरण को लगने लगा कि अब उस की इज्जत को कोई नहीं बचा सकता.

इस से उस ने परिवार की इज्जत बचाने के लिए खुद की जान देने का निर्णय कर लिया. लेकिन खुद की जान देने से पहले उस ने अपनी गलती के लिए पत्नी अंतिमा से क्षमा मांगने की सोच कर अपनी परेशानी बता दी.

इस पर अंतिमा ने कहा कि जब वह नहीं रहेगा तो वह अकेली जीवित रह कर क्या करेगी.

इसलिए उस ने भी साथ मरने का फैसला कर लिया. जिस के बाद 17 अप्रैल को मंदिर से घर वापस आ कर देवकरण ने अपने कमरे में अपनी लाइसेंसी पिस्टल से पहले अंतिमा के सिर में गोली मारी, फिर खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली.

पूछताछ करने के बाद देवकरण को ब्लैकमेल करने वाली दोनों बहनों रेखा, सुमन उन की मां भागवंती और प्रेमी लाखन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.