धीरेधीरे वक्त गुजरता गया. जगदीश चंद्र ने सोचा कि टाइम बीतने पर उस की ससुराल वाले गीता को भूल जाएंगे. यही सोच कर पहली सितंबर 2022 को निश्चिंत हो कर सुबह ही किसी काम से भिकियासैंण चला गया. उस दिन अधिवक्ता नारायण राम भी किसी काम से घर से बाहर गए हुए थे.
यही मौका पाते ही उसी दिन दोपहर करीब 2 बजे एक महिला और 2 पुरुष नारायण राम के घर में घुस गए. उन लोगों ने अधिवक्ता की पत्नी को धमकाते हुए गीता को उन के हवाले करने की बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि जगदीश तो उन के कब्जे में आ चुका है, हम किसी भी कीमत पर गीता को भी नहीं छोड़ने वाले.
नारायण राम की पत्नी ने यह बात पति नारायण राम को बताई. इस बात की जानकारी मिलते ही अधिवक्ता नारायण राम ने पुलिस को खबर की. लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही तीनों आरोपी घर से फरार हो गए.
उसी शाम को अधिवक्ता नारायण राम ने जोगा सिंह, उस के बेटे गोविंद व भावना देवी के खिलाफ उन के घर में घुस कर उन की पत्नी को जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगा कर उन के खिलाफ अल्मोड़ा कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी. इस रिपोर्ट के दर्ज होने के बाद पुलिस ने कोई काररवाई नहीं की.
जोगा सिंह ने पहले ही पलपल की खबर पाने के लिए अपने आदमी लगा रखे थे. उसी समय जोगा सिंह को पता चला कि आज जगदीश चंद्र किसी काम से भिकियासैंण गया हुआ है.
यह जानकारी मिलते ही जोगा सिंह, बेटा गोविंद सिंह और पत्नी भावना देवी को ले कर भिकियासैंण के सेलापानी पुल के पास मारुति वैन से पहुंच कर जगदीश के आने का इंतजार करने लगा.
जैसे ही जगदीश चंद्र वहां पर आया, उन लोगों ने उसे उठा लिया. उस के बाद उसे कार में डालते ही उसे बुरी तरह से मारनापीटना शुरू कर दिया था. अत्यधिक मारपीट से जगदीश चंद्र की मौत हो गई थी. उस की हत्या करने के बाद तीनों आरोपी उस की लाश को ठिकाने लगाने जा रहे थे. उसी वक्त पुलिस की पकड़ में आ गए.
इस घटना के खुलते ही पुलिस ने जगदीश की हत्या के आरोप में जोगा सिंह, उस के बेटे गोविंद सिंह और पत्नी भावना को जेल भेज दिया था.
इस केस के तीनों आरोपियों को जेल भेजने के बाद पुलिस ने सोचा कि यह मामला यहीं खत्म हो जाएगा. लेकिन इस केस के खुलने से असंतुष्ट उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पी.सी. तिवारी इस मामले को ले कर धरनाप्रदर्शन करने लगे. उन का कहना था कि इस अपहरण और मर्डर केस में इन 3 आरोपियों के अलावा भी अन्य लोग रहे होंगे.
घटना के विरोध में शुरू हुआ आंदोलन
उस के बाद उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी.सी. तिवारी ने अपने अन्य साथियों व अंबेडकर जन जागृति समिति के साथ जगदीश की पत्नी गीता को न्याय दिलाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक ज्ञापन भेजा.
ज्ञापन में जगदीश के हत्यारों को फांसी की सजा, मृतक की मां को 10 लाख रुपए मुआवजा व इस केस में पुलिस और प्रशासन की लापरवाही की जांच के साथ मृतक की पत्नी गीता को सुरक्षा की मांग की गई थी.
उसी दौरान उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी व उत्तराखंड महिला मंच के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य इस मामले को ले कर देहरादून में डीजीपी अशोक कुमार से मिले.
हालांकि इस मामले को ले कर एसओजी और सर्विलांस टीम भी कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए जांच करने में लगी थी. फिर भी सीओ टी.आर. वर्मा ने कोर्ट से आदेश लेने के बाद जेल पहुंच कर तीनों हत्यारोपियों से इस मामले में पूछताछ की.
उसी पूछताछ के दौरान ही आरोपियों ने स्वीकार किया कि इस हत्याकांड में उन के अलावा अन्य 2 लोग नौगांव पोस्ट कनोली, तहसील रानीखेत निवासी नंदन सिंह व नरेंद्र सिंह भी शामिल थे. जिस में नंदन सिंह की अगले ही दिन रहस्यमय रूप से मौत हो गई थी.
इस जानकारी के मिलते ही एसओजी टीम नरेंद्र सिंह की तलाश में जुट गई थी. उसी दिन पुलिस ने नरेंद्र सिंह को गिरफ्तार भी कर लिया था. नरेंद्र ने बताया कि पुलिस के डर से नंदन ने पहले ही जहर खा कर आत्महत्या कर ली.
इस हत्याकांड के चौथे आरोपी नरेंद्र सिंह ने पुलिस पूछताछ में जो जानकारी दी, वह इस प्रकार थी. नरेंद्र सिंह ने बताया कि नंदन उस का दोस्त था. नंदन उसी के साथ नदी से रेत निकाल कर घोड़े से ढोने का काम करते थे. जोगा सिंह से भी उस की अच्छी जानपहचान थी. एक दिन जोगा सिंह से उस की मुलाकात हुई. उस दिन उस के साथ नंदन भी था.
जोगा सिंह ने अपनी परेशानी उस के सामने रखते हुए कहा कि कोई ऐसा रास्ता बताओ, जिस से जगदीश चंद्र से उस की बेटी गीता का पीछा छूट जाए. उस दिन तीनों ने एक साथ बैठ कर शराब पी. फिर तीनों ने ही जगदीश चंद्र को मौत की नींद सुलाने का प्लान भी बना लिया था.
उस योजना के बनते ही नंदन और नरेंद्र सिंह दोनों ही जगदीश चंद्र की रैकी करने लगे थे. पहली सितंबर, 2022 को नरेंद्र सिंह को पता लग गया था कि जगदीश चंद्र किसी काम से भिकियासैंण के लिए निकलने वाला है.
पीटपीट कर की थी जगदीश चंद्र की हत्या
यह सूचना मिलते ही पांचों लोग गांव बेल्टी से एक बोलेरो द्वारा घटनास्थल सेलापानी गए. वहां पर पहुंचते ही इन लोगों ने बोलेरो को यह कह कर वापस भेज दिया कि वे एक बकरा खरीदने जा रहे हैं. अगर उन्हें बकरा मिल गया तो उसे फिर से घर ले जाने के लिए फोन कर लेंगे. उस के बाद इन सब को बोलेरो का ड्राइवर छोड़ कर वापस चला गया था.
उसी वक्त जगदीश चंद्र आया तो पांचों ने उस का अपहरण कर लिया. उस के बाद सभी आरोपी उसे नदी किनारे एक कमरे में ले गए. जहां पर जा कर सभी ने बेरहमी से उसे पीटना शुरू किया. इन लोगों ने उसे बुरी तरह से पीटते हुए उस से गीता के बारे में पूछा.
तब जगदीश ने बुरी हालत में ही बताया कि गीता वकील नारायण राम के घर पर है. यह जानकारी मिलते ही जोगा सिंह, गोविंद और भावना तीनों ही अधिवक्ता के घर पर पहुंचे थे, लेकिन वहां पर उन्हें गीता नहीं मिली तो वापिस आ गए. उस दौरान नरेंद्र सिंह और नंदन जगदीश चंद्र की देखरेख कर रहे थे.
वहां पर गीता नहीं मिली तो इन लोगों ने आते ही फिर से जगदीश को बुरी तरह से मारना शुरू किया. जिस के बाद शाम को लगभग 5 बजे के आसपास जगदीश ने दम तोड़ दिया. उस के खत्म होते ही नरेंद्र सिंह और नंदन अपने घर चले गए थे. जबकि जोगा सिंह उस का बेटा गोविंद सिंह व भावना देवी जगदीश चंद्र की लाश को ठिकाने लगाने जा रहे थे. उसी वक्त पुलिस ने तीनों को धर दबोचा था. इस हत्याकांड में आरोपी नरेंद्र सिंह को भी पुलिस ने जेल भेज दिया था.
जाति की छुआछूत को कलंकित करती कहानी ने इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया था. गीता ने अपनी सगी मां भावना पर पूरा विश्वास किया था. भावना ने ही अपनी बेटी को प्रेम की राह दिखाई. फिर वही मां इस प्रेम कहानी में खलनायिका बन कर सामने आ खड़ी हुई थी. जिस के साथ ही एक प्रेम कहानी का दुखद अंत हो गया. लेकिन गीता की जिंदगी में फिर से एक अंधेरा आ खड़ा हो गया है. द्य