एडिशनल डीसीपी (वेस्ट) लाखन सिंह यादव ने मृतक विमलेश के मातापिता से पूछताछ की और कई सवाल दागे.
इन सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी कोई कैमिकल विमलेश की बौडी पर नहीं लगाया. वह गंगाजल के पानी से उस का शरीर पोछते थे और कपड़ा बदलते थे.
सफाई का विशेष ध्यान रखते थे. उन्होंने बताया कि वह तो अंतिम क्रिया की तैयारी कर रहे थे लेकिन एक रिश्तेदार महिला ने धड़कन महसूस की, तब पता चला कि बेटा जिंदा है.
पुलिस अफसर लाखन सिंह यादव ने मृतक विमलेश कुमार की पत्नी मिताली से भी पूछताछ की तो उस का दर्द उभर पड़ा. उस ने हर सवाल का जवाब बड़ी तत्परता से दिया.
मृतक विमलेश के घर वालों की मनोदशा समझने के लिए एडीसीपी (वेस्ट) लाखन सिंह यादव ने जीएसवीएम मैडिकल कालेज के मनोचिकित्सा विभाग के सहायक प्रोफेसर गणेश शंकर से बातचीत की. उन्होंने कहा कि यह अपने आप में एक अनोखा मामला है. इस तरह के बहुत कम मामले देखे गए हैं.
प्रथमदृष्टया यह मामला शेयर्ड डिलीवरी डिसऔर्डर नाम की बीमारी का प्रतीत होता है. यह एक ऐसी बीमारी है, जो बहुत कम लोगों को होती है. इस बीमारी में एक व्यक्ति अपनी मानसिक स्थिति से नियंत्रण खो देता है. वह अन्य लोगों को भी इस के प्रभाव में ले लेता है, जिस से वे लोग भी उसी बात पर भरोसा कर लेते हैं, जिस का सच्चाई से दूरदूर तक नाता नहीं होता है. उन का मानना है कि मृतक विमलेश का परिवार भी इसी बीमारी से ग्रसित था.
बहरहाल कथा संकलन तक एडिशनल डीसीपी (वेस्ट) ने अपनी जांच रिपोर्ट जौइंट सीपी आनंद प्रकाश तिवारी को सौंप दी थी. इस के अलावा सीएमओ आलोक रंजन ने भी विमलेश की मौत हो जाने की जांच रिपोर्ट अहमदाबाद के आयकर विभाग को भेज दी.
मृतक विमलेश के परिवार वालों ने भी सच्चाई को स्वीकार कर लिया है. फिर भी स्वास्थ विभाग की टीम परिवार की निगरानी में जुटी है.
नोट-कथा जुटाई गई जानकारी तथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
अंधविश्वास व मनोरोग में बदल जाती है बेपनाह मोहब्बत
यह सच्चाई है कि जिंदगी का अंतिम पड़ाव मौत है, लेकिन भावनाओं और बेइंतहा प्रेम का मर्म कभीकभार इस सच से 2 कदम आगे निकलता दिखाई देता है. कानपुर में 17 महीने पति का शव रखे रहना इसी का एक जीताजागता उदाहरण है.
सरकारी बैंक में बड़े पद पर तैनात इस महिला को न पति के पैसों का लालच था और न संपत्ति की चाहत. बस थी तो बेपनाह मोहब्बत जो एक तरह के मनोविकार का रूप ले चुकी थी. इस में जो हम सोचते हैं, वैसा ही देखते हैं. इस तरह के कई मामले देशदुनिया में मिले हैं.
मेरठ में 25 दिनों तक डाक्टर की लाश के साथ सोता रहा भाई
कानपुर में डेढ़ साल मृतक के साथ रहने जैसी घटना मेरठ में भी घट चुकी है. करीब 8 साल पहले भाई की मौत के बाद उस का छोटा भाई लाश के साथ 25 दिनों तक सोता रहा. मेरठ (शास्त्री नगर) निवासी डा. हरीश बगई की मौत अगस्त, 2014 में हो गई थी. मौत के बाद उस के छोटे भाई ने उस का अंतिम संस्कार नहीं किया और लाश के साथ ही घर में सोता रहा.
उस ने घर से निकलना बंद कर दिया और दुर्गंध बाहर न जाए, इसलिए खिड़कीदरवाजा बंद कर कई तरह के इत्र का छिड़काव करता रहा. कई दिन गुजरने के बाद लाश सड़ने लगी और दुर्गंध आसपास के घरों तक पहुंचने लगी तब पुलिस से शिकायत की गई. पुलिस ने भाई को समझा कर किसी तरह शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा.
मिर्जापुर में 20 दिन बेटी के शव से बात करता रहा पिता
जनवरी 2019 में मिर्जापुर में एक रिटायर इंसपेक्टर दिलावर हुसैन सिद्दीकी ने अपनी बेटी की मौत के बाद उस के शव को एक महीने तक घर में छिपा कर रखा था. मातापिता मानते थे कि वह जिंदा है. 20 दिनों तक उस के शव को वो घर में रखे रहे. दोनों शव से बातें किया करते थे. उधर से आवाज नहीं आती थी तो सोचते थे कि वो बीमार है और जल्दी ही ठीक हो जाएगी.
जब घर से बदबू आने लगी तो पड़ोसियों ने पुलिस को जानकारी दी. जब पुलिस घर के अंदर पहुंची तो लड़की का शव कमरे के फर्श पर पड़ा हुआ था, जो पूरी तरह से गल चुका था. सिर्फ हड्डियां ही बची हुई थीं. पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया और बताया कि दंपति मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं.
प्रयागराज में 5 दिन तक बेटी का शव रखे रहे परिजन
जनवरी, 2022 में प्रयागराज स्थित करछना थाना क्षेत्र के डीहा गांव में अभयराज यादव की 18 साल की बेटी की मौत हो गई. लेकिन परिजन 5 दिनों तक उस का अंतिम संस्कार करने की बजाय उसे तंत्रमंत्र से जिंदा करने की कोशिश करते रहे.
उन का मानना था कि कोई देवी आएगी और उन की बेटी को जिंदा कर देगी. जब घर से तेज बदबू आने लगी तो आसपास के लोगों ने पुलिस को बताया. पुलिस घर पहुंची, तब मामले का खुलासा हुआ और जबरन शव का अंतिम संस्कार कराया जा सका.
झारखंड में पिता का शव 6 माह रखा
झारखंड के गिरिडीह शहर में प्रशांत नाम का एक शख्स 6 महीने तक अपने पिता विश्वनाथ की लाश के साथ कमरे में रहता रहा. वो अपने पिता को जिंदा करने की तमाम कोशिशें करता रहा. काफी बदबू आने पर पड़ोसियों को शक हुआ, तब मामला खुल सका.
मृतक की पत्नी ने बताया कि प्रशांत अपने पिता से बहुत प्यार करता था. वो बारबार कहता था कि वह अपने पिता को जीवित कर देगा. उसे डर था कि बेटा भी कहीं आत्महत्या न कर ले, इसलिए उस ने भी पति की यह बात छिपाए रखी.
तमिलनाडु में 20 दिन तक मां के शव के साथ रहे बच्चे
जनवरी 2021 में तमिलनाडु के डिंडीगुल में भी एक भयावह घटना घटी थी. यहां 2 बच्चों की मां इंदिरा की मौत हो गई तो बच्चे शव को रख कर इसी उम्मीद में इंतजार करते रहे कि भगवान उस की आत्मा को वापस कर देंगे.
दरअसल, एक पुजारी ने दिलासा दी थी कि पूजा से भगवान उन की मां को जिंदा कर देंगे. सब से बड़ी बात तो यह थी कि मृतक महिला यहीं पर एक थाने में हैडकांस्टेबल थी. उसे किडनी की गंभीर बीमारी थी, जिस के चलते उस की मौत हुई थी.
पति से अलग हो कर वह बच्चों को पाल रही थी. उस की मौत की बात बच्चों ने कई दिन छिपाए रखी. जब एक महिला कांस्टेबल इंदिरा के घर जानकारी लेने के लिए पहुंची तो तेज बदबू से उसे शक हुआ. अंदर जा कर देखा तो उस के होश उड़ गए.
बच्चों ने कहा कि मां सो रही है और उसे उठाना नहीं है, नहीं तो भगवान उसे नुकसान पहुंचा देंगे. जांच में पता चला कि 20 दिन पहले ही इंदिरा की मौत हो चुकी है.
बैंकाक में 21 साल तक पत्नी के शव संग रहा
ऐसी बात नहीं है कि ऐसी अंधविश्वास की घटनाएं भारत में ही होती हैं, बल्कि विदेशों में भी होती हैं. बात 2001 की है. बैंकाक के एक 72 वर्षीय बुजुर्ग की पत्नी की मौत हो गई तो वह यह सदमा बरदाश्त नहीं कर सका और उस के शव को 21 साल तक घर में दुनिया से छिपाए रहा. वह शव से बातें किया करता था. उस के 2 बेटे उसे समझाते रहे लेकिन वो यही मानता रहा कि उस की पत्नी जिंदा है इसलिए बेटे उसे छोड़ कर चले गए.
वह डैडबौडी के साथ ही रहा करता था. बौडी को अपने घर में स्टोररूम में एक कौफिन के अंदर रखा हुआ था.
21 साल बाद जब वह काफी बीमार हुआ तब उसे चिंता हुई कि अगर वह मर गया तो उस की पत्नी का अंतिम संस्कार कौन करेगा. तब जा कर उस ने खुद ये बात लोगों को बताई और एक फाउंडेशन ने अंतिम संस्कार कराया. उस समय भी वह फूटफूट कर रोे रहा था.
लंदन में मां की लाश के साथ 3 साल रही बेटी
लंदन के बु्रकलिन की रहने वाली 28 साल की चावा स्टर्न अपनी मां सुसी रोसेनथल की लाश के साथ पूरे 3 साल तक एक घर में रही. उस ने अपनी मां की लाश को घर की रसोई में बोरों पर सजा कर रखा था.
समझा जाता है कि रात को वह अपनी कुरसी घसीट कर अपनी मां के पास ले जा कर वहीं सोया करती थी. इतने सालों तक एक लाश को घर में रखने के बाद भी किसी को भी इस की कानोंकान भनक तक नहीं पड़ी. लेकिन एक दिन पड़ोस में काम करने वाले एक नौकर को लाश की सड़ांध आ ही गई. उस ने तुरंत ही पुलिस में इस बात की खबर कर दी, तब यह मामला खुला. द्य