डीसीपी डा. नाइक ने अपहृत हुए विहान को सहीसलामत बरामद करने की सूचना संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार को देते हुए कहा कि सर औपरेशन ‘सी रिवर’ सक्सेसफुल. यह खबर मिलते ही आलोक कुमार खुश होते हुए बोले, ‘‘वैल डन.’’
पुलिस को अपहरण का यह केस खोलने में भले ही 12 दिन लग गए लेकिन इस में सब से बड़ी सफलता यह रही कि विहान को पुलिस ने सहीसलामत बरामद कर लिया और अपहर्त्ता भी पकड़े गए.
5 वर्षीय विहान को बरामद करने के बाद पुलिस डाक्टरी जांच के लिए उसे जीटीबी अस्पताल ले गई. डाक्टरों ने विहान के कई तरह के टेस्ट किए. उधर डीसीपी ने रात 1 बज कर 5 मिनट पर विहान के दादा अशोक गुप्ता को फोन किया, ‘‘मैं डीसीपी राम नाइक बोल रहा हूं. बच्चा मिल गया है.’’
यह सूचना पाते ही अशोक गुप्ता चहक उठे. उन्होंने तुरंत अपने बेटे सन्नी और बहू शिखा को बताया तो उन के चेहरे खिल गए. मारे खुशी के शिखा की आंखों में आंसू भर आए. इस के बाद शिखा ने उसी समय यह जानकारी अपने मायके वालों को दे दी. घर के सभी लोग जीटीबी अस्पताल पहुंच गए. शिखा ने बेटे को देखते ही उसे उठा कर सीने से चिपका लिया.
विहान भी मां की गोद में आ कर खूब रोया. रोते हुए वह बोला, ‘‘अंकल और आंटी बहुत गंदे थे. अंकल शराब पीते थे. एक दिन उन्होंने मुझे थप्पड़ भी मारा था.’’
औपरेशन सी रिवर में एक अपहर्त्ता रवि मारा गया था, जबकि नितिन शर्मा और पंकज गिरफ्तार किए जा चुके थे. पंकज घायल हो गया था. पुलिस ने उसे जीटीबी अस्पताल में भरती करा दिया था. 7 फरवरी, 2018 को उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई. पुलिस ने दोनों बदमाशों से विहान अपहरण के बारे में पूछताछ की तो चौंकाने वाली जानकारी मिली. पता चला कि इन बदमाशों ने उस के अपहरण की साजिश 6 महीने पहले रची थी.
मास्टरमाइंड निकला नितिन शर्मा
इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड 28 वर्षीय नितिन कुमार शर्मा था, जो उत्तरपूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी का रहने वाला था. संस्थागत रूप से उस ने 10वीं तक पढ़ाई की थी. इस के बाद वह ओपन स्कूल से 12वीं की पढ़ाई कर रहा था. उसे बनठन कर रहने का शौक था. घर वाले कब तक उस के शौक पूरा करते, लिहाजा वह यारदोस्तों से पैसे ले कर अपने खर्चे पूरे करने लगा.
नितिन के पिता ममराज पिछले 30 सालों से ढाबा चला रहे थे. जब नितिन पर कर्ज बढ़ने लगा तो वह अपने पिता के ढाबे पर बैठने लगा. कई साल पहले ममराज परिवार से अलग हो गए तो नितिन अपने भाई नवीन के साथ ढाबा चलाने लगा. नवीन अपनी मां के साथ यमुना विहार में रहता था, जबकि नितिन पत्नी के साथ गोकुलपुरी में.
ढाबे का काम जम गया तो अच्छी आमदनी होने लगी. नितिन धीरेधीरे लोगों का कर्ज चुकाने लगा. करीब एक साल से उस के ढाबे पर गोकुलपुरी का रहने वाला पंकज भी काम करने लगा था. 21 साल का पंकज दिन में उस के ढाबे पर काम करता और कभी शादीपार्टी वगैरह में उसे वेटर का काम मिल जाता तो रात में वह वेटर का काम भी कर लेता था.
वेटर का काम उसे गोकुलपुरी के ही रहने वाले रवि के पिता के सहयोग से मिलता था. उस के पिता वेटर सप्लाई का काम करते थे. इस तरह रवि से भी उस की दोस्ती हो गई थी. पंकज नितिन का अच्छा दोस्त था. बाद में उस की रवि से भी दोस्ती हो गई थी. ढाबे से नितिन को अच्छी कमाई हो ही रही थी. उस कमाई को नितिन अपने दोस्तों के साथ पार्टी में खर्च कर देता था. इस के अलावा नितिन की कई गर्लफ्रैंड थीं, उन पर भी वह खूब खर्च करता था.
अंधाधुंध खर्च करने की वजह से नितिन पर कर्ज और बढ़ने लगा. बाद में उस के पास लोग तगादे के लिए आने लगे. उन से बचने के लिए वह पूरे समय ढाबे पर भी नहीं बैठ पाता था, जिस से उस की आमदनी दिनोंदिन कम होती गई. एक दिन नितिन ने अपने दोस्तों पंकज और रवि के साथ बात की कि आमदनी कैसे बढ़ाई जाए. दोनों दोस्तों ने अलगअलग सुझाव दिए, जो नितिन को पसंद नहीं आए.
सोचसमझ कर किया विहान को टारगेट
नितिन कोई ऐसा काम करना चाह रहा था, जिस से एक ही झटके में उसे इतनी कमाई हो जाए जिस से कर्ज चुकाने के बाद बचे पैसों से वह कोई ढंग का बिजनैस शुरू कर सके. इस पर पंकज ने किसी अमीर घर के बच्चे का अपहरण करने का सुझाव दिया. पंकज का यह सुझाव नितिन की समझ में आ गया. इस के बाद वे ऐसी आसामी के बारे में सोचने लगे, जिस के बच्चे का अपहरण कर के फिरौती में 50-60 लाख रुपए लिए जा सकें.
नितिन अपने ढाबे का सामान अशोक गुप्ता की दुकान से लाता था, जो न्यू मौडर्न शाहदरा की गली नंबर-3 में रहते थे. वह अशोक गुप्ता के पूरे परिवार को अच्छी तरह जानता था. गुप्ता परिवार आर्थिक रूप से संपन्न था. उन के पोतेपोती दोनों स्कूल जाते थे.
दोनों बच्चे विवेकानंद स्कूल में पढ़ते थे. स्कूल की बस दोनों बच्चों को लेने आती थी. तीनों ने अशोक के 4 साल के पोते विहान का अपहरण करने का इरादा बना लिया. इस से पहले कि वे योजना को अंजाम देते, दिसंबर, 2017 में पंकज गाड़ी चोरी के एक मामले में जेल चला गया.
करीब 10 दिन बाद पंकज जमानत पर जेल से बाहर आया, तब तक नितिन ने सारी प्लानिंग कर ली थी कि कहां से बच्चे को उठाना है और अपहरण के बाद उसे कहां रखना है.
नितिन ने करीब 6 महीने पहले शालीमार सिटी के इबोनी अपार्टमेंट में एक फ्लैट साढ़े 10 हजार रुपए महीने के किराए पर ले लिया था. उसी फ्लैट पर वह दोस्तों के साथ अय्याशी करता था. यह फ्लैट पटपड़गंज स्थित तरंग अपार्टमेंट में रहने वाली सुशीला का था. नितिन ने फ्लैट मालकिन को बताया था कि उस का गांधीनगर में रेडीमेड गारमेंट का कारोबार है.
इलाके की अच्छी तरह रैकी करने के बाद 25 जनवरी, 2018 को रवि और पंकज वारदात को अंजाम देने के लिए निकले. नियत समय पर विहान स्कूल बस में अपनी 7 साल की बहन के पास बैठ गया. उस समय स्कूल बस शिवम डेंटल क्लीनिक के पास खड़ी थी. रवि और पंकज मोटरसाइकिल द्वारा बस के पास पहुंच गए, लेकिन वहां भीड़भाड होने की वजह से उन्होंने वारदात को अंजाम नहीं दिया.




