सोनाली साव हत्याकांड : इश्किया गुरु का खूनी खेल – भाग 1

सोनाली साव उर्फ सोनी कुमारी को घर से निकले करीब 7 घंटे हो चुके थे, पर अब तक वह वापस घर नहीं लौटी थी. दिन के साढ़े 11 बजे वह मां को थोड़ी देर में लौट कर आने की बात कह घर से निकली थी और जब शाम साढ़े 5 बजे तक वह घर नहीं लौटी तो मम्मीपापा को सयानी बेटी को ले कर चिंता सताने लगी थी. धीरेधीरे संध्या पहर भी ढल चुकी थी और रात की काली चादर ने आसमान में अपने पांव पसार दिए थे. ऐसे में उस के पापा सुनील कुमार साव की सोच शून्य में तबदील हो चुकी थी.

सुनील ने अपने रिश्तेदारों परिचितों, पड़ोसियों, बेटी की सहेलियों और जिस निजी स्कूल में वह पढ़ाती थी, उस स्कूल के प्रिंसिपल आदि से पूछताछ कर ली थी, लेकिन वह किसी के यहां नहीं गई. और तो और उस का मोबाइल फोन भी बंद आ रहा था.

पहली बार ऐसा हुआ था, जब सोनाली का फोन बंद आ रहा था, नहीं तो यदि उसे घर पहुंचने में तनिक भी देर हो जाती तो वह तुरंत मम्मी या पापा को फोन कर के इन्फार्म कर देती थी, लेकिन यहां न तो उस का फोन लग रहा था और न ही उस ने फोन कर के ही बताया था कि वह कहां है?

सोनाली की तरफ से मम्मीपापा को जब कोई जानकारी नहीं मिली तो वे परेशान हो गए. भला मांबाप उसे ले कर परेशान होते क्यों नहीं होते, बेटी जवान थी. आजकल का समय कितना खराब चल रहा है, बहूबेटियां घर के बाहर कितनी सुरक्षित हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है. इसी बात की चिंता मांबाप को सता रही थी.

बहरहाल, किसी तरह घर वालों ने रात आंखों में काट दी थी. पूरी रात उन्होंने दरवाजे पर टकटकी लगाए बिता दी. पलक झपकते जरा भी दरवाजा खट से होता तो चौंक कर वे बैठ जाते थे. उन्हें ऐसा लगता था जैसे बेटी आ गई हो, लेकिन वह दरवाजा तो हवा के झोंके से खटका था. यह बात 21 मार्च, 2023 की झारखंड के कोडरमा जिले के डोमचांच की थी.

ps-ss-hatyakand

22 मार्च यानी अगली सुबह सोनाली के पापा सुनील कुमार डोमचांच थाने पहुंचे. एसएचओ अब्दुल्लाह खान थाने में ही मौजूद थे और जरूरी फाइलों को निबटाने में मशगूल थे. सुनील दूसरी पंक्ति की पहली वाली कुरसी पर चुपचाप बैठ गए थे. थोड़ी देर बाद जब एसएचओ फाइलों से फारिग हुए तो उन्होंने सुनील से पूछा, “जी, बताएं, कैसे आना हुआ सुबहसुबह?”

“नमस्ते सर.” दोनों हाथ जोड़े एसएचओ खान का अभिवादन करते हुए सुनील ने कहा, “मैं बहुत परेशान हूं सर बेटी को ले कर. कल दोपहर से उस का कहीं पता नहीं है.”

“आप का नाम क्या है? और कहां रहते हैं?” एसएचओ ने सवाल किया.

“मेरा नाम सुनील कुमार है सर. मैं दाबरोड में रहता हूं. बेटी का नाम सोनाली उर्फ सोनी है. वह एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थी. कल साढ़े 11 बजे के करीब अपनी मां से थोड़ी देर में लौट कर आने को कह घर से निकली थी, तब से अब तक वह घर नहीं लौटी और न ही उस का मोबाइल ही लगता है. इसे ले कर मुझे बड़ी चिंता खाए जा रही है कि बेटी के साथ कोई अनहोनी तो नहीं हो गई. बेटी का पता लगाने में मेरी मदद करें सर.”

“ठीक है, चिंता न करें. ऐसा करें अपनी तहरीर दीवानजी को लिखवा दें. मैं उस पर काररवाई करता हूं.

“ठीक है सर. मैं तहरीर दीवानजी को दे देता हूं, नमस्ते सर.”

ट्यूटर के खिलाफ लिखाई रिपोर्ट

सुनील कुमार एसएचओ के औफिस से उठ कर बाहर आ गए और बेटी की गुमशुदगी लिखा कर वापस घर लौट आए. अपनी तहरीर में इन्होंने दीपक कुमार साव और रोहित कुमार मेहता को नामजद किया था. उन्होंने यह आशंका जताई थी कि दीपक बेटी को बारबार फोन कर के परेशान किया करता था. दीपक को पकड़ कर कड़ाई से पूछताछ की जाए तो बेटी के बारे में जानकारी मिल सकती है.

दरअसल, कई साल पहले दीपक सोनाली को उस के घर ट्यूशन पढ़ाया करता था. तब वह 12वीं क्लास में पढ़ती थी. तभी से दोनों एकदूसरे को जानतेपहचानते थे. सोनाली के घर वाले भी दीपक को अच्छी तरह जानते थे. शिक्षक की हैसियत से वह अकसर सोनाली को फोन किया करता था. इस का घर वालों ने कभी ऐतराज नहीं किया. वे जानते थे इन के बीच एक पवित्रता और मर्यादा का रिश्ता है. इस रिश्ते का उन को खास खयाल है.

बहरहाल, बस इसी रिश्ते से आशंकित हो कर सुनील ने अपनी तहरीर में दीपक का नाम डाल दिया था. 3 दिन तहरीर दिए बीत चुके थे, पर पुलिस ने अब तक कोई काररवाई नहीं की थी. तहरीर को पुलिस ने ठंडे बस्ते के हवाले कर दी थी. उधर अखबार में रोजाना ही शिक्षिका सोनाली के रहस्यमय तरीके से गायब होने की खबरें सुर्खियों में छाई रहती थीं. पुलिस की लापरवाही की बड़ीबड़ी खबरें प्रकाशित हो रही थीं, जिस से कोडरमा के नागरिक काफी उग्र हो चुके थे.

सोनाली के लापता होने के छठें दिन भी उस का सुराग नहीं मिला मिला तो 26 मार्च को घर वालों का आक्रोश भडक़ उठा. घर वालों और स्थानीय लोगों ने पुलिस नाकामी के खिलाफ शहीद चौक के पास कोडरमा-जमुआ मुख्यमार्ग जाम कर दिया था. जाम की सूचना मिलने पर एएसपी प्रवीण पुष्कर मौके पर पहुंचे और जाम खत्म करने की आंदोलनकारियों से अपील की तो उन्होंने सोनाली के रहस्यमय तरीके से गायब होने के रहस्य से परदा उठाने की मांग रख दी.

एएसपी प्रवीण पुष्कर ने आंदोलनकारियों को विश्वास दिलाया कि 24 घंटे के भीतर सकारात्मक रिजल्ट आ जाएगा, विश्वास रखें और आंदोलन खत्म कर दें. एएसपी के आश्वासन पर तब कहीं जा कर आंदोलन खत्म हुआ. अपने वादे के पक्के एएसपी प्रवीण पुष्कर ने डोमचांच एसएचओ को बुला कर बड़ी मीटिंग की और 24 घंटे के अंदर मामले का पटाक्षेप करने की सख्त हिदायत दी. यहीं नहीं, उसी समय उन्होंने पुलिस की 2 टीमें गठित कर दीं.

police-team-ss

एक टीम का नेतृत्व एसएचओ अब्दुल्लाह खान के हाथों सौंप दिया और दूसरी टीम का नेतृत्व एसओजी कर रही थी. दोनों टीमों का काम उसी समय से शुरू हो चुका था. एसएचओ अब्दुल्लाह खान ने तहरीर में नामजद दीपक कुमार साव निवासी महथाडीह को सब से पहले हिरासत में लेने की तैयारी की.

27 मार्च, 2023 की सुबह डोमचांच पुलिस की टीम ने महथाडीह पहुंच कर दीपक साव के घर को चारों ओर से घेर लिया और सोते हुए दीपक को उठा कर हिरासत में ले कर पूछताछ के लिए डोमचांच थाने ले आई. बड़ी संख्या में पुलिस बल देख कर दीपक पसीनापसीना हो चुका था. एसएचओ अब्दुल्लाह खान ने उस से कड़ाई से पूछताछ की तो वह पुलिस के सामने टूट गया. ट्यूटर दीपक ने हत्या का अपराध स्वीकार करते हुए कुबूल कर लिए कि उसी ने डेढ़ लाख की सुपारी दे कर सोनाली की हत्या करवाई थी. इस घटना में उस के अलावा 4 और लोग शामिल थे.

दीपक की निशानदेही पर उसी दिन दोपहर में रोहित कुमार मेहता निवासी सिमरिया को भी गिरफ्तार कर लिया गया था. घटना वाले दिन रोहित उस कार को चला रहा था, जिस में पहले सोनाली का अपहरण किया गया और बाद में हत्या कर दी गई

7 दिनों से रहस्य बनी शिक्षिका सोनाली साव के रहस्य से पुलिस ने परदा उठा दिया था. बाकी के 3 आरोपी अभी भी फरार चल रहे थे. इधर जैसे ही पता चला कि आरोपियों ने सोनाली की निर्मम तरीके से हत्या कर दी है, घर में कोहराम मच गया था. घर वालों का रोरो कर बुरा हाल हो गया था.

प्रैस कौन्फ्रैंस में किया खुलासा

आननफानन में उसी दिन शाम एएसपी प्रवीण पुष्कर ने डोमचांच थाने में पत्रकार वात्र्ता का आयोजन किया. दोनों आरोपियों ने सोनाली की हत्या कैसे और क्यों की, यह सब रट्टू तोते की तरह सब बक दिया. उस के बाद शाम 5 बजे दोनों आरोपियों दीपक और रोहित मेहता को अदालत में पेश किया. अदालत ने दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए.

                                                                                                                                               क्रमशः

प्यार के लिए दबंगई कहां तक जायज

उत्तर प्रदेश के महानगर मुरादाबाद के लाइनपार इलाके के रहने वाले महावीर सिंह सैनी के परिवार में उस की पत्नी शारदा के अलावा एक बेटा अंकित और 3 बेटियां थीं. 2 बेटियों की शादी हो चुकी थी. तीसरे नंबर की बेटी पूनम 9वीं कक्षा में पढ़ रही थी. महावीर राजमिस्त्री था. रोजाना की तरह 10 दिसंबर, 2016 को भी वह अपने काम पर चला गया था. बेटा अंकित ट्यूशन पढ़ने गया था. घर पर शारदा और उस की बेटी पूनम ही थी. सुबह करीब 10 बजे जब शारदा नहाने के लिए बाथरूम में गई तब पूनम घर के काम निपटा रही थी. शारदा को बाथरूम में घुसे 5-10 मिनट ही हुए थे कि उस ने चीखनेचिल्लाने की आवाजें सुनीं. चीख उस की बेटी पूनम की थी.

चीख सुन कर शारदा घबरा गई. उस ने बड़ी फुरती से कपड़े पहने और बाथरूम से बाहर निकली तो देखा पूनम आग की लपटों से घिरी थी. उस के शरीर पर आग लगी थी. शोर मचाते हुए वह पूनम के कपड़ों की आग बुझाने में लग गई. उस की आवाज सुन कर पड़ोसी भी वहां आ गए. किसी तरह उन्होंने बुझाई. तब तक पूनम काफी झुलस चुकी थी और बेहोश थी. आननफानन में लोग उसे राजकीय जिला चिकित्सालय ले गए. बेटी के शरीर के कपड़ों में लगी आग बुझाने की कोशिश में शारदा के हाथ भी झुलस गए थे.

अस्पताल से इस मामले की सूचना पुलिस को दे दी गई. कुछ ही देर में थाना मझोला के थानाप्रभारी नवरत्न गौतम पुलिस टीम के साथ अस्पताल पहुंच गए. खबर मिलने पर पूनम के पिता महावीर भी अस्पताल आ गए. डाक्टरों के इलाज के बाद पूनम होश में आ गई थी. पूनम के बयान लेने जरूरी थे. इसलिए पुलिस ने इलाके के मजिस्ट्रैट को सूचना दे कर अस्पताल बुलवा लिया.

पुलिस और मजिस्ट्रैट की मौजूदगी में पूनम ने बताया कि शिवदत्त ने उस के ऊपर केरोसिन डाल कर आग लगाई थी. उस के साथ उस के पिता महीलाल भी थे. शिवदत्त पूनम के घर के पास चामुंडा वाली गली में रहता था. पता चला कि वह पूनम से एकतरफा प्यार करता था.

थानाप्रभारी नवरत्न गौतम ने यह जानकारी उच्चाधिकारियों को भी दे दी. मामला मुरादाबाद शहर का ही था इसलिए तत्कालीन एसएसपी दिनेशचंद्र दूबे और एएसपी डा. यशवीर सिंह जिला अस्पताल पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने पूनम का इलाज कर रहे डाक्टरों से बात की.

तब तक पूनम की हालत सुधरने के बजाय बिगड़ने लगी थी. डाक्टरों ने उसे किसी दूसरे अस्पताल ले जाने की सलाह दी. पूनम के घर वालों ने उसे दिल्ली ले जाने को कहा तो जिला अस्पताल से पूनम को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया.

महावीर की तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली. चूंकि पूनम ने शिवदत्त और उस के पिता पर आरोप लगाया था, इसलिए पुलिस ने शिवदत्त के घर दबिश दी पर उस के घर कोई नहीं मिला. पुलिस संभावित जगहों पर उन्हें तलाश करने लगी, पर दोनों बापबेटों में से कोई भी पुलिस के हत्थे नहीं लगा.

उधर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भरती पूरम की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था. उस की हालत बिगड़ती जा रही थी. बर्न विभाग के डाक्टरों की टीम पूनम को बचाने में लगी हुई थी पर उन्हें सफलता नहीं मिल सकी. आखिर 10 दिसंबर की रात को ही पूनम ने दम तोड़ दिया.

अगले दिन जवान बेटी की हृदयविदारक मौत की खबर जब उस के मोहल्ले वालों को मिली तो पूरे मोहल्ले में जैसे मातम छा गया. आरोपी को अभी तक गिरफ्तार न किए जाने से लोग आक्रोशित थे. कहीं लोगों का गुस्सा भड़क न जाए इसलिए उस इलाके में भारी तादाद में पुलिस तैनात कर दी गई.

रविवार होने की वजह से पूनम की लाश का पोस्टमार्टम सोमवार 12 दिसंबर को हुआ. दोपहर बाद उस की लाश दिल्ली से मुरादाबाद लाई गई. पुलिस मोहल्ले के गणमान्य लोगों से बात कर के माहौल को सामान्य बनाए रही. अंतिम संस्कार के समय भी भारी मात्रा में पुलिस थी.

उधर पुलिस की कई टीमें आरोपियों को तलाशने में जुटी हुई थीं. जांच टीमों पर एसएसपी का भारी दबाव था. आखिर पुलिस की मेहनत रंग लाई. 12 दिसंबर को पुलिस ने शिवदत्त को गिरफ्तार कर लिया. उस के गिरफ्तार होने के बाद लोगों का गुस्सा शांत हुआ.

थाने ला कर एसएसपी और एएसपी के सामने थानाप्रभारी नवरत्न गौतम ने अभियुक्त से पूछताछ की तो पहले तो वह पुलिस को बेवकूफ बनाने की कोशिश करता रहा पर उस का यह झूठ ज्यादा देर तक पुलिस के सामने नहीं टिक सका. उस ने पूनम को जलाने का अपराध स्वीकार कर उस की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

जिला मुरादाबाद के लाइनपार इलाके में मंडी समिति गेट के सामने की बस्ती में रहने वाला महावीर सिंह अपने राजगीर के काम से परिवार का पालनपोषण कर रहा था. इसी की कमाई से वह 2 बेटियों की शादी कर चुका था. पूनम 9वीं की पढ़ाई के साथ महिलाओं के कपड़े सिलती थी. घर के पास ही उस ने बुटीक खोल रखा था.

उस के घर के पास ही महीलाल का मकान था. महीलाल का बेटा शिवदत्त बदमाश प्रवृत्ति का था. उस की दोस्ती मंडी समिति के पास स्थित बिजलीघर में तैनात कर्मचारियों के साथ थी. उन्हीं की वजह से उसे ट्रांसफार्मर रखने के लिए बनाए जाने वाले चबूतरों का ठेका मिल जाता था.

चूंकि शिवदत्त का पड़ोसी महावीर राजमिस्त्री था, इसलिए उसी के द्वारा वह चबूतरे बनवा देता था. इस से कुछ पैसे शिवदत्त को बच जाते थे. काम की वजह से शिवदत्त का महावीर के घर आनाजाना शुरू हो गया था. महावीर की छोटी बेटी पूनम पर शिवदत्त की नजर पहले से ही थी. जब भी वह घर से निकलती तो वह उसे ताड़ता रहता था. पर पूनम ने उसे लिफ्ट नहीं दी. जब शिवदत्त का पूनम के घर आनाजाना शुरू हो गया तो उस ने पूनम के नजदीक पहुंचने की कोशिश की.

जब वह पूनम को ज्यादा ही परेशान करने लगा तो एक दिन पूनम ने इस की शिकायत अपनी मां से कर दी. इस के बाद शारदा ने यह बात पति को बताई तो महावीर ने शिवदत्त के पिता महीलाल से शिकायत करने के साथ शिवदत्त से बातचीत बंद कर दी. इस के अलावा उस ने अपने घर आने को भी उसे साफ मना कर दिया.

शिवदत्त दबंग था. महावीर द्वारा उस के पिता से शिकायत करने की बात उसे बहुत बुरी लगी. वह पूरी तरह से दादागिरी पर उतर आया और अब पूनम को खुले रूप से धमकी देने लगा कि वह उस से शादी करे नहीं तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. महावीर ने फिर से महीलाल से शिकायत की. इस बार महीलाल ने अपने बेटे शिवदत्त का ही पक्ष लिया.

महावीर कोई लड़ाईझगड़ा नहीं करना चाहता था. बात बढ़ाने के बजाय वह चुप हो कर बैठ गया. महावीर के रिश्तेदारों और मोहल्ले के कुछ लोगों ने उस से थाने में शिकायत करने का सुझाव दिया पर बेटी की बदनामी को देखते हुए वह थाने नहीं गया. महावीर के चुप होने के बाद शिवदत्त का हौसला और बढ़ गया. वह पूनम को और ज्यादा तंग करने लगा. इतना ही नहीं, वह कई बार पूनम के घर तमंचा ले कर भी पहुंचा.

हर बार वह उस से शादी करने की धमकी देता. घटना से एक दिन पहले भी वह पूनम के घर गया. तमंचा निकाल कर उस ने धमकी दी कि वह शादी के लिए अभी भी मान जाए वरना अंजाम भुगतने को तैयार रहे. 10 दिसंबर को शिवदत्त फिर से पूनम के घर जा धमका. उस दिन वह अपने साथ एक केन में केरोसिन भी ले गया था. पूनम उस समय घर में झाड़ू लगा रही थी, तभी उस ने उस पर केरोसिन उड़ेल कर आग लगा दी और वहां से भाग गया.

शिवदत्त से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है. तत्कालीन एसएसपी दिनेशचंद्र दूबे का कहना था कि इस मामले में शिवदत्त के अलावा और कोई दोषी पाया गया तो उस के खिलाफ भी कानूनी काररवाई की जाएगी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दिलजली प्रेमिका ने जब मंडप में खेला तेजाबी खेल

दुलहन के लिबास में बैठी अंजना के लिए वे पल बेहद खूबसूरत थे. जिंदगी के खूबसूरत पलों में वैसे भी चेहरे की चमक और खुशियां बढ़ जाती हैं. जबकि अंजना तो खूब सजीधजी थी, इसलिए जो भी उसे देखता, देखता ही रह जाता. ऊपर से उस ने जो पारंपरिक कुमाऊंनी चुनरी ओढ़ रखी थी, वह उस की सुंदरता में चार चांद लगा रही थी. थोड़ी ही देर में उस के सपनों का राजकुमार दूल्हा आने वाला था और वह जयमाला पहना कर उसे अपना जीवनसाथी चुनने वाली थी. अंजना मूलरूप से अल्मोड़ा जनपद के रहने वाले सूबेदार शंकर सिंह बोहरा की बेटी थी. बोहरा उत्तर प्रदेश के बरेली शहर के छावनी इलाके में रह रहे थे. चंद महीने पहले ही उन्होंने बीटेक की पढ़ाई कर चुकी अंजना का रिश्ता चनेहटी निवासी सेना से सेवानिवृत्त मदन सिंह के बेटे राहुल से तय किया था. राहुल कुमाऊं रेजीमेंट में सिपाही था.

25 नवंबर, 2016 की रात छावनी इलाके में ही बरेली कैंट बोर्ड द्वारा संचालित युगवीणा समारोह स्थल पर अंजना और राहुल का विवाह होने वाला था. बोहरा परिवार अपने रिश्तेदारों के साथ बारात के स्वागत की तैयारियों में लगा था. बारात आ चुकी थी.

मंडप परिसर के ही एक कमरे में कुरसी पर बैठी अंजना अपनी सतरंगी कल्पनाओं से भविष्य का खूबसूरत महल तैयार कर रही थी. खुशियों की महक हर तरफ फैली थी. कोई नहीं जानता था कि वहां क्या होने वाला है? किस की जिंदगी में दुख कब चुपके से दस्तक दे जाए, इस बात को कौन जानता है?

मंडप में मेहमानों की आवाजाही जारी थी. लगभग 10 बजे के करीब मेहमानों की भीड़ के बीच से होते हुए 2 लड़कियां दुलहन बनी अंजना के कमरे में आ पहुंची. अंजना उस समय कमरे में अकेली थी, क्योंकि सभी लोग बारात के स्वागत में लगे थे. अंजना पर नजर पड़ते ही दोनों लड़कियां मुसकराईं. उन लड़कियों की उम्र 20-22 साल रही होगी और उन्होंने आकर्षक सलवार सूट पहन रखे थे.

अंजना की नजर उन से मिली तो वह असमंजस में पड़ गईं, क्योंकि उस ने उन्हें पहले कभी नहीं देखा था. उसे लगा कि ये दोनों उस की दूर की रिश्तेदार होंगी या फिर दूल्हा पक्ष की होंगी और उस से मिलने आई होंगी. दोनों लड़कियां अंजना को देख कर मुसकराईं तो अंजना ने भी मुसकरा दिया. उन में से एक ने पूछा, ‘‘हैलो अंजना, कैसी हो?’’

‘‘अच्छी हूं, आप बताइए?’’

‘‘आज तो तुम बहुत खुश होगी और दुलहन बन कर तुम्हें बहुत अच्छा लग रहा होगा?’’

‘‘क्यों नहीं.’’ अंजना ने मुसकरा कर कहा.

लेकिन अगले ही पल उस लड़की का लहजा एकदम से बदल गया. वह गुस्से में उसे घूरते हुए बोली, ‘‘तुम्हें कितना भी अच्छा लग रहा हो, लेकिन यह सब मुझे बिलकुल नहीं अच्छा लग रहा.’’

पलभर में बदले उस के हावभाव और बातों से अंजना को झटका सा लगा. वह कुछ समझ पाती, उस से पहले ही दोनों लड़कियों ने एकदूसरे की तरफ देख कर इशारा किया तो उन में से एक ने झपट कर अंजना के हाथ पकड़ लिए तो उस की साथी लड़की ने एक बोतल निकाली और उस का ढक्कन खोल कर उस में भरा तरल अंजना पर उछाल दिया.

बचाव के लिए अंजना ने अपना चेहरा घुमा लिया. अपना काम कर के दोनों लड़कियां तेजी से कमरे के बाहर निकल गईं. जबकि तरल पड़ते ही अंजना जलन से चीखने लगी.

उस की चुनरी भी जल गई थी, क्योंकि उस पर उछाला गया तरल तेजाब था. जलन से अंजना बिलबिला उठी. वह दरवाजे की तरफ भागी, लेकिन लड़कियों ने बाहर जाते वक्त दरवाजा बाहर से बंद कर दिया था.

अंजना ने खुद को संभाल कर पिता के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन शोरशराबे में पिता को घंटी सुनाई नहीं दी. संयोग से उस की चीखें मेहमानों ने सुन ली थीं, इसलिए उन्होंने दरवाजा तोड़ दिया. थोड़ी देर में सभी वहां पहुंच गए. अंजना की हालत देख कर सभी के पैरों तले से जमीन खिसक गई.

खुशी के मौके पर अगर इस तरह का दुख आ जाए तो तकलीफ कई गुना बढ़ जाती है. बोहरा परिवार भी परेशान हो उठा. आननफानन में दर्द से बेहाल अंजना को गाड़ी में डाल कर अस्पताल पहुंचाया गया. डाक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे एसआरएमएस मैडिकल कालेज के लिए रैफर कर दिया.

विवाह समारोह में शामिल होने आए रिश्तेदारों और परिचित भी परेशान हो उठे थे. लोग तरहतरह की चर्चाएं कर रहे थे. अचानक घटी इस घटना से हर कोई परेशान था. तेजाब डालने वाली लड़कियों की तलाश की गई, लेकिन वे अपना काम कर के जा चुकी थीं.

घटना की सूचना पुलिस को दी गई. दुलहन पर तेजाब फेंकना पुलिस के लिए भी चौंकाने वाली बात थी. स्थानीय थाना कैंट के थानाप्रभारी ब्रजेश सिंह मौके पर पहुंचे. मामला गंभीर था, इसलिए उन्होंने घटना की सूचना अधिकारियों को भी दे दी थी. उन की सूचना पर एसएसपी जोगेंद्र कुमार, एसपी (सिटी) समीर सौरभ और सीओ (सिटी) सिद्धार्थ वर्मा भी आ गए थे. पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. दुलहन के जो कपड़े पड़े थे, वे आधे जले हुए थे. वहीं प्लास्टिक की एक बोतल पड़ी थी. उसी में तेजाब लाया गया था. तेजाब के छींटे इधरउधर बिखरे पड़े थे.

तेजाब के नमूने और अन्य सामान को बतौर सबूत पुलिस ने कब्जे में ले लिया था. फोरैंसिक एक्सपर्ट की टीम को भी बुला कर सबूत जुटाए गए. पुलिस की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर दुलहन से किसी की क्या रंजिश हो सकती थी. पुलिस अधिकारी घटनास्थल की जांच कर रहे थे, तभी उन की नजर वहां पड़े कागज के एक टुकड़े पर पड़ी. कागज के उस टुकड़े को उठा कर देखा तो उस पर चंद लाइनें लिखी थीं, जिसे पढ़ कर पुलिस चौंकी. उसे तेजाब फेंकने वाली लड़कियों ने छोड़ा था. उस पर लिखा था, ‘प्यार मुझ से और शादी किसी और से. सब कुछ भूल गई. तू मेरी नहीं तो किसी दूसरे की भी नहीं हो सकती.’

पहली नजर में मामला प्रेमप्रसंग का नजर आ रहा था. पुलिस को लगा कि अंजना के किसी दिलजले प्रेमी ने इस वारदात को अंजाम दिया है. अब सवाल यह था कि अगर साजिश प्रेमी की थी तो उस ने लड़कियों का इस्तेमाल क्यों किया और वे इस के लिए तैयार क्यों हुईं?

पुलिस ने अंजना के पिता और अन्य लोगों से भी पूछताछ की. लेकिन कोई भी लड़कियों के बारे में कुछ नहीं बता सका. पिता ने किसी भी प्रकार की रंजिश होने से इनकार किया था. उन्होंने बेटी के किसी से प्रेमसंबंध की बात से भी इनकार किया था. पुलिस अस्पताल पहुंची. अंजना के चेहरे, आंख और शरीर के दाहिने कंधे पर तेजाब के छींटे पड़े थे, जहां छाले उभर आए थे. लेकिन उस की हालत खतरे से बाहर थी. पुलिस ने उसे सांत्वना दे कर पूछा, ‘‘क्या तुम उन लड़कियों को जानती हो?’’

‘‘नहीं सर, मैं ने उन्हें पहली बार देखा था.’’ अंजना ने बताया.

‘‘तुम्हें किसी पर शक है, कभी तुम्हें किसी ने धमकी तो नहीं दी थी?’’ पुलिस ने पूछा.

‘‘नहीं सर, मैं खुद नहीं जानती कि मेरे साथ उन्होंने ऐसा क्यों किया?’’

अंजना से पूछताछ के बाद भी पुलिस को जांच की कोई दिशा नहीं मिल सकी थी. लेकिन इतना जरूर समझ में आ गया कि हमले का मकसद विवाह को किसी भी तरह रुकवाना था. पुलिस ने सीसीटीवी रिकौर्डिंग से लड़कियों तक पहुंचने की सोची, लेकिन यह जान कर हैरानी हुई कि वहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे.

पुलिस ने अंजना के पिता की तहरीर पर अज्ञात लड़कियों के खिलाफ अपराध संख्या 529/2016 पर धारा 326ए के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था. बोहरा परिवार को चिंता इस बात की थी कि कहीं बेटी का रिश्ता न टूट जाए. लेकिन राहुल ने कह दिया था कि वह हर सूरत में अंजना को अपनाने को तैयार है.

दूसरी ओर अंजना को लगा कि उस के सपने चकनाचूर हो गए हैं. ऐसी घटनाएं वैसे भी इंसान को तोड़ कर रख देती हैं, लेकिन उस ने हालात का डट कर मुकाबला करने का फैसला किया. उस ने डाक्टरों से अपने मन की बात बताई, विवाह में हुए खर्च का वास्ता दिया तो डाक्टरों ने मरहमपट्टी कर के दवा दे कर उसे शादी की इजाजत दे दी.

रात करीब ढाई बजे अंजना को मंडप में लाया गया. किसी तरह दर्द को बरदाश्त कर अंजना ने विवाह की रस्मों को पूरा किया और सुबह फिर से अस्पताल जा पहुंची. दोपहर बाद वह ससुराल के लिए विदा हो गई. पुलिस ने दूल्हे राहुल से भी पूछताछ की थी, लेकिन उस ने भी किसी से अपनी रंजिश होने से इनकार किया था.इस के बावजूद कोई तो था, जिसे इस शादी से सख्त ऐतराज था. एसिड अटैक सुनियोजित तरीके से किया गया था और एसिड अटैक करने वालों के तार किसी न किसी रूप में दुलहन या दूल्हे से जुड़े थे.

एसपी (सिटी) समीर सौरभ के निर्देशन में घटना के खुलासे के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया गया, जिस में थानाप्रभारी के अलावा सर्विलांस टीम के प्रभारी गितेश कपिल, महिला थानाप्रभारी सिमरजीत कौर, एसएसआई अमर सिंह, रिसाला चौकीइंचार्ज अरविंद चौहान, हैडकांस्टेबल राजबाला यादव, कांस्टेबल गिरजेश पोसवाल, भागेश्वर, अनुज कुमार और अरशद अहमद को शामिल किया गया.

अगले दिन पुलिस ने समारोह की वीडियो रिकौर्डिंग हासिल कर के जांच शुरू की. उस में 2 लड़कियां नजर आईं, लेकिन जब भी कैमरा उन की ओर होता, वे अपना चेहरा नीचे कर लेती थीं या दुपट्टे से छिपा लेती थीं. इस से साफ हो गया था कि लड़कियां वही थीं, लेकिन उन की पहचान नहीं हो सकी थी. इस तरह उन तक पहुंचना पुलिस के लिए संभव नहीं था.

पुलिस ने अंजना और राहुल के मोबाइल नंबरों की कौल डिटेल्स निकलवाई. अंजना के नंबर की काल डिटेल्स से तो कुछ ऐसा नहीं मिला कि जांच आगे बढ़ती. लेकिन राहुल की काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा मिला, जिस पर उस की खूब बातें हुई थीं. पुलिस ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर साल्वेशन आर्मी गर्ल्स हौस्टल में रहने वाली अनामिका टमटा का निकला.

पुलिस के शक के सुई उसी पर जा कर ठहर गई. पुलिस ने उस नंबर की घटना वाली रात की लोकेशन हासिल की तो उस की लोकेशन विवाह मंडप के नजदीकी टावर की पाई गई. इस के बाद उस की लोकेशन दिल्ली और फिर कैंट एरिया की पाई गई.पुलिस ने मोबाइल कंपनी में जमा आईडी से फोटो हासिल कर के अंजना को दिखाया तो उस ने बताया कि उस पर तेजाब डालने वाली यही लड़की थी.

आखिर 29 नवंबर, 2016 को पुलिस अनामिका तक पहुंच गई. पता चला कि उसी ने इस वारदात को अपनी सगी बहन शिवांगी के साथ मिल कर अंजाम दिया था. पुलिस ने दोनों बहनों को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर पूछताछ की गई तो पता चला कि अनामिका राहुल से प्यार करती थी और उस से शादी करना चाहती थी. इसीलिए वह हर हाल में इस शादी को रुकवाना चाहती थी, जिस के लिए उस ने दुलहन पर तेजाब डालने की खतरनाक योजना बनाई थी. पुलिस पूछताछ में एक दिलजली प्रेमिका की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

मूलरूप से उत्तराखंड के रहने वाले वीरेंद्र टमटा की बेटी थी अनामिका. वह बरेली में रह कर पढ़ाई कर रही थी, जबकि उस की छोटी बहन शिवांगी एक अस्पताल में नर्स का प्रशिक्षण हासिल कर रही थी. दोनों बहनें गर्ल्स हौस्टल में रहती थीं. पुलिस को बताए अनुसार, अनामिका और राहुल एकदूसरे को 4 सालों से जानते थे. उन के बीच पहले दोस्ती हुई, उस के बाद उन में प्यार हो गया. उन का प्यार समय के साथ गहराता गया और उन्होंने साथसाथ जीनेमरने की कसमें खा लीं.

आगे चल कर अनामिका तो अपने वादे पर कायम रही, लेकिन समय के साथ राहुल का विचार बदल गया. उस की शादी अंजना से तय हो गई. जब इस की जानकारी अनामिका को हुई तो राहुल की इस बेवफाई पर वह काफी नाराज हुई. उस ने न सिर्फ राहुल को खूब खरीखोटी सुनाई, बल्कि उसे खूब समझाया भी. लेकिन राहुल अपने इरादे पर कायम रहा. उस ने साफ कह दिया कि वह विवाह अंजना से ही करेगा. अनामिका राहुल से दिल से प्यार करती थी. उस ने भले ही उस से बेवफाई की थी, लेकिन वह उसे खोना नहीं चाहती थी. राहुल को जीवनसाथी बनाने की उस की दिली ख्वाहिश थी.

यह बात अलग थी कि राहुल ने उस से दूरी बना ली थी. लेकिन अनामिका ने तय कर लिया था कि वह हर हाल में राहुल को जीवनसाथी बना कर रहेगी. चाहे इस के लिए उसे कुछ भी करना पड़े. वह राहुल को उस की बेवफाई का सबक सिखाना चाहती थी, लेकिन उस के प्यार ने उसे ऐसा करने से रोक दिया. उसे पता था कि राहुल जल्द ही विवाह कर लेगा. लेकिन विवाह की तारीख उसे पता नहीं थी. वह शातिरदिमाग लड़की थी, उस ने सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए राहुल के भाई कंचन को अपना दोस्त बनाया और उसी से राहुल के विवाह की तारीख पता कर ली.

जैसेजैसे विवाह की तारीख नजदीक आ रही थी, अनामिका के दिल की धड़कनें बढ़ती जा रही थीं. उसे राहुल से ज्यादा नफरत अंजना से थी. उस की रातों की नींद उड़ी हुई थी. उस ने सोचा कि उसे कुछ ऐसा करना चाहिए कि राहुल अंजना से दूर हो जाए और रिश्ता टूट जाए. वह मैसेज कर के राहुल को मनाने की कोशिश भी करती रही.

जब उसे लगा कि यह विवाह हो कर ही रहेगा तो उस ने अंजना पर तेजाब डालने की खतरनाक योजना बना डाली. अनामिका ने सोचा था कि तेजाब से अंजना का चेहरा बिगड़ जाएगा तो राहुल खुद ही उस से विवाह करने से मना कर देगा. इल्जाम उस पर न आए और राहुल अंजना को चरित्रहीन समझे, इस की भी उस ने योजना कागज पर चंद लाइनें लिख कर तैयार कर ली थी.

उस ने सोचा था कि घटना के बाद उस कागज को वह वहीं छोड़ देगी, ताकि पुलिस भटक जाए. उसे लगे कि घटना को अंजना के किसी प्रेमी ने अंजाम दिया है. नफरत की आग में सुलगती अनामिका ने अपनी योजना में शिवांगी को भी शामिल कर लिया था. योजना के तहत अनामिका ने टौयलेट साफ करने वाले एक बोतल तेजाब का इंतजाम किया और विवाह वाली रात दोनों बहनें अच्छे कपड़े पहन कर समारोह स्थल पर पहुंच गईं.

कैमरे से मुंह छिपाते हुए दोनों बहनें दुलहन के कमरे तक पहुंचीं तो उस समय वहां कई महिलाएं॒मौजूद थीं. वे मौके का इंतजार करने लगीं. जब बारात आने को हुई तो सभी बारात के स्वागत के लिए बाहर चले गए और अंजना कमरे में अकेली रह गई. मौका मिलते ही दोनों ने घटना को अंजाम दे दिया और भाग निकलीं. अगले दिन दोनों बहनें दिल्ली के पीतमपुरा में एक रिश्तेदारी में चली गईं और 2 दिनों बाद वापस आईं.

अनामिका को उम्मीद थी कि पुलिस उस तक पहुंच नहीं पाएगी और राहुल हमेशा के लिए उस का हो जाएगा. लेकिन पुलिस की चौखट पर पहुंचते ही अनामिका के सारे सपने टूट गए. प्यारमोहब्बत में ऐसी स्थितियां आती रहती हैं. अनामिका ने राहुल को अपनी जिंदगी मान लिया था और जबरन उसे हासिल करने की जिद कर बैठी, जिस की वजह से आज उस के भविष्य पर सवालिया निशान लग गए हैं.

अगर उस ने विवेक से काम लिया होता और उस की बहन शिवांगी ने भी गलत काम में साथ देने के बजाए उसे समझाया होता तो शायद आज यह नौबत न आती.

पूछताछ के बाद पुलिस ने दोनों आरोपी बहनों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट मयूर जैन की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. अंजना का इलाज चल रहा है. समय के साथ उस के जख्म भर जाएंगे, लेकिन एक बात उसे सताती रहेगी कि आखिर उसे किस गुनाह की सजा मिली. राहुल का कहना था कि अनामिका से सिर्फ उस की दोस्ती थी, प्यार जैसा उस में कुछ भी नहीं था.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

धोखे में लिपटी मौत ए मोहब्बत – भाग 3

उस समय सचमुच ममता घर पर अकेली थी और कमरे का दरवाजा बंद कर अपने काम में लगी हुई थी. तभी दरवाजे पर थपथपाने की आवाज उभरी, ‘‘कौन है बाहर, आती हूं.’’

मीठी सी आवाज शारिक के कानों से टकराई. वह कुछ न बोला, चुपचाप खड़ा रहा. ममता काम बीच में छोड़ दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ी. उस ने दरवाजा खोला तो सामने शारिक खड़ा था, उस के दिल का राजकुमार. देखते ही उस की आंखें शारिक के चेहरे पर ठहर गईं तो शारिक भी ममता के गोरेगोरे मुखड़े पर खो गया. दोनों खड़ेखड़े अपलक एकदूसरे को देखे जा रहे थे.

ममता ने ही सन्नाटे को तोड़ा, ‘‘जी आप?’’

“हां जी, मैं. दरवाजे पर ही खड़ा रखेंगी, अंदर आने के लिए नहीं कहेंगी?’’

“ओह, नहीं. मैं तो भूल ही गई. आइए, अंदर आइए.’’

“जी शुक्रिया, जो मुझ नाचीज पर रहम आ गई.’’

“ऐसी बात नहीं है, क्या मैं आप को निर्दयी दिखती हूं.’’

“नहीं तो कौन कमबख्त कहता है कि आप निर्दयी हैं. सिर से पांव तक आप मोम ही मोम हैं.’’ शारिक ने ममता की तारीफ के पुल बांध दिए तो वह खिलखिला कर कर हंस पड़ी. फिर शारिक भी अपनी हंसी रोक नहीं पाया. ममता शारिक को कमरे के अंदर ले आई और बैड पर बैठा दिया और खुद उस के लिए चाय बनाने चली गई. जब वह किचन से लौटी तो उस के हाथ की ट्रे में 2 प्याली गरमागरम चाय थी. दोनों ने साथ बैठ कर चाय पी.

इसी बीच मौका देख कर शारिक ने दिल की बात उस से कह दी तो ममता भी अपने प्यार का इजहार किए बिना नहीं सकी. उस ने भी अपने प्यार का इजहार कर दिया, ‘‘मैं भी आप से प्यार करती हूं. आई लव यू शारिक.’’

“आई लव यू सो मच ममता, तुम जानती नहीं हो आज मेरे लिए कितनी बड़ी खुशी का दिन है. मैं अपनी खुशी का शब्दों में बयान नहीं कर सकता. मैं बहुतबहुत खुश हूं.’’ शारिक अपने दिल की बात प्रेमिका से कह कर वह बहुत ज्यादा उत्साहित था.  उस के बाद दोनों घंटों बैठे इधरउधर की बातें करते रहे. फिर शारिक अपने घर वापस लौट गया तो वह खुशी से नाच उठी थी. वह पहली बार जान सकी थी कि प्यार क्या होता है.

दिनरात वह अपने प्यार के बारे में सोचती रहती थी. हर घड़ी वह शारिक को अपने इर्दगिर्द महसूस करती थी. जब वह अपनी आखें बंद करती तो उसे ऐसा लगता था जैसे उस का प्यार उसी के सामने खड़ा हो. ममता शारिक से बेइंतहा प्यार करती थी. उस के प्यार में अंधी और पागलों की तरह दीवानी हो चुकी थी. इतनी दीवानी हो चुकी थी कि एक दिन भी उसे न देखे तो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगती थी. न ही उसे भूख लगती थी और न प्यास और न ही आंखों में नींद होती. इतना प्यार करती थी वह शारिक से. दोनों मिल कर सुनहरे भविष्य के सपने अपनी आंखों में सजोए थे.

ममता ने अपने जीवन के जिस राजकुमार के सपने देखे थे, वह राजकुमार शारिक के रूप में उसे मिल गया था. शारिक से प्यार कर के ममता बहुत खुश थी. एक दिन उस ने अपने दिल की बात मां से बता दी.  यह जान कर चंपा देवी भी फूली नहीं समाई थी. उन की ओर से बेटी की पसंद पर ‘हां’ ही थी. ममता और शारिक का प्यार 2 सालों तक फूलों की तरह महकता रहा, लेकिन घटना से ठीक 6 महीने पहले यानी मई 2022 में शारिक के अतीत के बारे में ममता को कुछ ऐसी बातें पता चलीं कि उस का एक झटके में दिल टूट गया. शारिक पर जान छिडक़ने वाली ममता के दिल में उस के लिए नफरत भर गई.

प्रेमी की सच्चाई ने तोड़ दिया दिल

दरअसल, हुआ यह था कि एक दिन ममता ने शारिक को उस के ही घर में नमाज पढ़ते देख लिया. यह देख कर वह हैरान रह गई कि इतना बड़ा फरेब. जिस पर उस ने अंधा विश्वास किया था, उस ने अपने मजहब को छिपाया. बड़ा धोखा दिया है उस ने.  ममता को तब और दोहरा शौक लगा, जब उसे पता चला था कि शारिक पहले से ही शादीशुदा है. उस की पत्नी अपनी ससुराल बिहार के मधुबनी में रहती है तो ममता का दिल कांच की तरह चूरचूर हो गया और उस ने सारी बातें मां से कह सुनाईं. इस के बाद वह फूटफूट कर रोने लगी.

उसी दिन से उस ने शारिक से बातचीत करनी बंद कर दी थी और उस का फोन भी वह रिसीव नहीं करती थी. अचानक ममता में आए बदलाव से शारिक परेशान हो गया था. उसे नहीं पता था कि वह उस के मुसलिम और शादीशुदा होने वाली बात को जान चुकी है, इसीलिए उस ने अपना मुंह फेर लिया है. यहां तक कि शारिक जब उसे फोन करता था तो वह उस का काल भी रिसीव नहीं करती थी.

इस से शारिक बहुत परेशान हो गया था. वह ममता से एक बार बात कर उस की परेशानी और उस से बात न करने की वजह जानना चाहता था. ममता थी कि उस की शक्ल तक देखना पसंद नहीं करना चाहती थी. अगर कहीं रास्ते में उसे देखती थी तो वह रास्ता बदल देती थी. किसी तरह शारिक को जब ममता के अचानक मुंह फेर लेने वाली बात का पता कराया तो उस का शक सच निकला. ममता उस की सच्चाई जान चुकी थी. उस के सामने उस की कलई खुल चुकी थी. फिर भी वह उस से मिलना चाहता था, लेकिन वह उस से मिलने से साफ मना कर चुकी थी.

बदले की भावना ने लिया जन्म

ममता के इस व्यवहार ने शारिक के दिल में उस के लिए बदले की भावना ने जन्म ले लिया. उस के मन में ममता के लिए नफरत का जहर भर गया था और उस ने ठान लिया कि अगर वह मेरी नहीं हो सकती है तो वह किसी और की भी नहीं हो सकती. उसे अब जीने का कोई हक नहीं है, उसे तो अब मरना ही होगा.

शारिक ने ममता को मारने की पूरी प्लानिंग बना ली थी. प्लानिंग की पहली कड़ी में उस ने सब से पहले अपना किराए का कमरा चेंज कर दिया और कहीं और जा कर रहने लगा. जहां उस के ठिकाने का पता किसी और को नहीं था. वहां से शारिक ममता पर नजर रखता था कि कब वह घर पर अकेली मिले और वो अपना इंतकाम पूरा कर सके.  आखिरकार उसे वह मौका 19 नवंबर, 2022 की दोपहर में मिल ही गया, जिसे वह महीनों से जोह रहा था.

19 नवंबर की दोपहर में ममता घर पर अकेली थी. उस का भाई छोटू स्कूल गया था और मां काम पर गई हुई थी. शारिक ने ममता के घर के दरवाजे पर पहुंच कर दरवाजा खटखटाया तो उस ने दरवाजा खोल कर देखा. सामने शारिक खड़ा था. दरवाजा खुलते ही वह जबरन घर में घुस गया. इस पर ममता नाराज हो गई और डांट कर उसे घर से बाहर निकल जाने के लिए कहने लगी.

इस पर शारिक का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. उस ने आव देखा न ताव ममता की गला घोट कर हत्या करने के बाद वह फरार हो गया. जब छोटू करीब 3 बजे घर पहुंचा और बहन को अचेत अवस्था में देखा तो मां को फोन कर के बुलाया. आगे क्या हुआ, कहानी में ऊपर वर्णित किया जा चुका है.

इस तरह एक प्यार का दुखद अंत हो गया. अपने अपराध पर शारिक को कोई पछतावा नहीं है. पुलिस उस के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

धोखे में लिपटी मौत ए मोहब्बत – भाग 2

घटना के चौथे दिन दोपहर के करीब 2 बजे पुलिस को मुखबिर ने सूचना दी कि शारिक सेक्टर-45 के बस स्टैंड पर खड़ा बस के आने का इंतजार कर रहा है. वह कहीं भागने की फिराक में है. इस सूचना के बाद इंसपेक्टर नरेंद्र पटियाल बगैर एक पल गंवाए पुलिस टीम और प्राइवेट जीप से सादे कपड़ों में सेक्टर 45 बस स्टैंड पर पहुंच गए. पुलिस ने बस स्टैंड को चारों ओर से घेर लिया था.

मुखबिर के इशारे पर पुलिस ने शारिक को हिरासत में ले लिया. वह हाथ में अटैची लिए बेचैनी के साथ इधरउधर देख रहा था. पुलिस उसे हिरासत में ले कर सेक्टर-34 थाने लौट आई.  पुलिस ने उस से कड़ाई से पूछताछ की. पहले तो शारिक इधरउधर की बातें करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो वह समझ गया कि अब बचना आसान नहीं होगा. बेहतरी इसी में है कि सच कुबूल ले, उस के बाद शारिक ने रट्ïटू तोते की तरह सब कुछ बता दिया. शारिक ने ममता की हत्या का जुर्म स्वीकार करने के बाद हत्या के पीछे की कहानी भी बता दी.

इंसपेक्टर नरेंद्र पटियाल ने इस की जानकारी एसएसपी डा. सुखचैन सिंह गिल और डीएसपी राम गोपाल को भी दे दी.  अगले दिन यानी 24 नवंबर, 2022 को डीएसपी राम गोपाल ने अपने औफिस में पत्रकार वात्र्ता बुला कर ममता\ हत्याकांड का खुलासा कर दिया. उस के बाद पुलिस ने शारिक को बुड़ैल जेल भेज दिया. आरोपी शारिक से की गई पूछताछ के बाद धोखे में लिपटी फरेबी आशिक की कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

25 वर्षीय शारिक चंडीगढ़ के सेक्टर-45 के बुड़ैल मोहल्ले में किराए का कमरा ले कर अकेला रहता था. मूलरूप से वह बिहार के मधुबनी जिले के बेला गांव का रहने वाला था. वह शादीशुदा था. उस की पत्नी सासससुर के पास गांव में रहती थी. यहां रह कर वह एक होटल में डिलीवरी बौय का काम करता था.

शारिक जिस मकान में किराए पर रहता था, उस के ठीक सामने वाले मकान में चंपा देवी अपनी बेटी ममता और बेटे छोटू के साथ रहती थी. बेहद सुशील और नम्र स्वभाव की चंपा मेड का काम करती थी. पड़ोसियों से ही पता चला था कि चंपा देवी का पति के साथ रिश्ता अच्छा नहीं है, इसीलिए वह अपने गांव हरदोई के मलाहपुर रहता है और यह यहां बच्चों के साथ रहती है.

दोनों ने कर दिया प्यार का इजहार

चंपा के काम पर निकल जाने के बाद ममता और छोटू घर पर अकेले रहते थे. कहने का आशय यह है कि गोरी और खूबसूरत ममता पर जब से शारिक की नजर पड़ी थी, वह उस पर पहली ही नजर में दिल हार बैठा था. उस के दिल में अपने प्यार का घर बनाना चाहता था, लेकिन अभी ये एकतरफा प्यार था. दूरदूर से उसे देख कर अपने दिल को तसल्ली दे देता था.

चंपा देवी जब घर में होती थी, शारिक उन से पड़ोसी का हवाला दे कर मिलने आता था और उस ने अपनी मीठी बोली से उस का दिल जीत लिया था. शारिक का नेक व्यवहार देख कर चंपा देवी ने उस से आते रहने को कह दिया तो शारिक का दिल खुशी के मारे फूला नहीं समाया. यही तो वह चाहता था कि उस के घर में किसी तरह एंट्री मिल जाए तो ममता के दिल में खुदबखुद एंट्री पा लेगा.

aropi

शारिक ने धीरेधीरे चंपा के साथसाथ उस के बेटे छोटू के दिल पर राज कर लिया. अब छोटू का आलम यह था जब तक वह शारिक से एक बार मिल नहीं लेता था, उसे चैन नहीं पड़ता था.  एक दिन की बात है. उस दिन शारिक काम पर नहीं गया और चंपा काम से जल्दी घर लौट आई थी. शाम का वक्त हो रहा था. शारिक चंपा के घर उस से मिलने आया, ‘नमस्ते, आंटी.’ उस ने उन का अभिवादन किया.

“खुश रहो, बेटा,’’ चंपा ने भी उसी भाव में जवाब दिया, ‘‘आओ, बैठो.’’

“आज काम पर नहीं गया था. घर पर ही था और कई दिनों से आप से मुलाकात भी नहीं हुई. सोचा, आप सब से मिल कर खैरियत पूछ लूं. आप सब ठीक तो हैं न, आंटी.’’

“हां बेटा, सब ठीक है. तुम तब तक बच्चों से बातें करो, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.’’

“नहीं आंटी, इस की कोई जरूरत नहीं. मैं तो बस आप से मिलने और हालचाल पूछने आ गया था.’’

“इस में जरूरत की क्या बात है, बेटा. वैसे भी शाम का वक्त हो रहा था. यह वक्त चायनाश्ते का होता है, मुझे भी चाय की तलब लगी थी. सोचा इसी बहाने मुझे भी चाय मिल जाएगी..’’

“फिर तो आप चाय बना ही लो आंटी. वैसे भी आप के हाथों की बनी चाय का स्वाद लाजवाब होता है.’’ उस ने चंपा की तारीफ के पुल बांधे और ममता को निहारता रहा. ममता कमरे में ही बैठी रही, वह दूसरे कामों में उलझी रही थी.

शारिक ने आगे कहा, ‘‘आंटी, एक बात पूछूं?’’

“हूं. पूछो बेटा.’’

“आप की बिटिया बोलती नहीं है क्या?’’

“नहीं बेटा, बोलती है. जब चपड़चपड़ बोलना शुरू करती है तो इस के आगे तूफान की रफ्तार भी कम पड़ जाती है.’’ कह कर चंपा हंसने लगी तो ममता घूर कर शारिक को ताकने लगी. शारिक यही चाहता भी था कि वह उस क ी ओर देखे.  चंपा अपनी बात आगे बढ़ाती हुई बोली, ‘‘क्या है बेटा, बिटिया थोड़ी शरमीली मिजाज की है. परायों के सामने थोड़ा कम बोलती है.’’

“मैं पराया कहां रहा आंटी.’’ चंपा की बात बीच में काट कर शारिक बोला, ‘‘पराए तो वो होते हैं जिन से कोई जानपहचान नहीं होती. फिर मैं तो आप का अपना हूं, तब मुझ से बात करने में कैसी शरम, कैसी हया.’’

इस पर ममता फिर शारिक को देखने लगी. उस की भावनात्मक बातें ममता के दिल में गहराई से उतर गई थीं. ये बात 2020 की थी. उस दिन के बाद से शारिक ममता के घर जब भी आता था, ममता उस के पास बैठ कर हंसीमजाक कर लेती थी. अब पहले की तरह उस से शरमाती नहीं थी. अपनी मीठी और लच्छेदार बातों से शारिक ने ममता के दिल में जगह बना ली थी.

दिलोजान से चाहने लगी ममता

उसे शारिक की बातें और उस से मिलना अच्छा लगने लगा था. उसे भी शारिक से प्यार हो गया था तभी तो वह उसे हर घड़ी, हर पल अपने करीब देखना चाहती थी. जब कभी वह उसे नहीं देख पाती थी तो जल बिन मछली की तरह तड़पती थी. शारिक समझ गया था कि ममता भी उस से प्यार करने लगी है. तभी तो वह उस के करीब आने के लिए बेताब रहती है.

शारिक समझ गया था लोहा गरम है, चोट कर दे. यानी अपनी मोहब्बत का इजहार कर दे. वह जानता था कि दोपहर के वक्त पर घर में न तो आंटी होती थी और न ही छोटू होता था. ममता ही घर पर अकेली होती थी. एक दिन दोपहर के समय शारिक उस के घर पर जा पहुंचा.

डाक्टर का प्रेम नर्स की खुदकुशी

सिपाही की शादी बनी बरबादी

धोखे में लिपटी मौत ए मोहब्बत – भाग 1

पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ के सेक्टर-45 स्थित बुड़ैल मोहल्ले में एक किराए का कमरा ले कर 45 वर्षीय चंपा देवी 2बच्चों (बड़ी बेटी ममता और बेटा छोटू) के साथ रहती थी. उस का पति किशन किसी कारणवश उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में स्थित अलाहपुर गांव में अकेला रहता था. वह गांव में खेतीकिसानी करता था. यहां रह कर चंपा दोनों बच्चों की परवरिश के लिए घरों में चौकाबरतन करती थी.

चंपा देवी का सपना था कि दोनों बच्चों पढ़ालिखा कर उन्हें इतना काबिल बना दे कि वो किसी दूसरे के सामने हाथ फैलाने के बजाय अपने पैरों पर मजबूती से खड़े हो सकें, चाहे इस के लिए उसे दिनरात हाड़तोड़ मेहनत ही क्यों न करनी पड़े. वह बच्चों के भविष्य से कोई समझौता नहीं कर सकती थी.  मां के त्याग और तपस्या को देख कर ममता और छोटू के भी मन में ऐसी भावना जाग रही थी. लेकिन एक दिन चंपा देवी को बच्चों की वजह से अपने सपनों पर पानी फिरता नजर आया.

उस रोज 19 नवंबर, 2022 की तारीख थी और दोपहर के ठीक 3 बज रहे थे. छोटू रोज इसी टाइम स्कूल से घर लौटता था और उस दिन भी जब स्कूल से छुट्टी के बाद घर वापस लौटा तो घर का दरवाजा खुला देख कर उसे बड़ा अजीब लगा.  कुछ सोचता हुआ वह अपने कमरे में दाखिल हुआ तो बैड पर बड़ी बहन ममता को अस्तव्यस्त हालत में लेटे हुए देख कर वह परेशान हो गया था.

उस ने बहन को जोरजोर झकझोर कर उठाने की कोशिश की, लेकिन ममता जरा भी टस से मस नहीं हुई. छोटू हैरान हो गया. स्कूल का बैग एक ओर रखते हुए वह बैड पर बैठ गया और ‘दीदी, उठो ना. दीदी उठो. जोरों की भूख लगी है. मुझे कुछ खाने को दो न.’ कहते हुए ममता को फिर से झकझोर कर उठाने की कोशिश कर रहा था. लेकिन ममता थी कि उठने का नाम ही नहीं ले रही थी.

mamta-hatyakand

ममता जब नींद से नहीं उठी और उस के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई तो वह डर गया कि पता नहीं दीदी को क्या हुआ है, जो इतना झकझोरने पर भी कुछ नहीं बोल रही है. 12 साल का छोटू था तो बहुत ही समझदार, लेकिन उस वक्त उस की समझ भी नासमझी में खो गई थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करे? उस की मां चंपा देवी भी घर पर नहीं थी.

घर में मरी पड़ी थी ममता

छोटू जब एकदम परेशान हो गया और उस की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे और मदद के लिए किसे पुकारे. उस ने मां को फोन लगाया और उसे पूरी बात बता दी. बेटे की बात सुन कर चंपा भी परेशान हो गई और काम बीच में ही छोड़ कर वापस घर लौट आई. उस ने बैड पर पड़ी बेटी को ध्यान से देखा तो उस के कपड़े अस्तव्यस्त थे. उस के बाल ऐसे बिखरे थे जैसे किसी ने उस बाल पकड़ कर उसे खींच दिया हो. शरीर भी नीला था.

चंपा ने चीखचीख कर पड़ोसियों को इकट्ïठा किया और बेटी को अस्पताल पहुंचाने में मदद मांगी. पड़ोसियों ने उस की मदद की और उसे एक निजी वाहन से मल्टी स्पैशियलिटी हौस्पिटल, सेक्टर-16 ले गए, जहां डाक्टरों ने ममता को देखते ही मृत घोषित कर दिया. बेटी की मौत की खबर सुनते ही चंपा देवी और छोटू दहाड़ मार कर रोने लगे थे. चूंकि यह पुलिस केस का था, इसलिए अस्पताल से सेक्टर-34 थाने में फोन कर के मौके पर पुलिस को बुला लिया गया था.

थाना सेक्टर-34 के एसएचओ नरेंद्र पटियाल मौके पर दलबल के साथ पहुंचे और शव का परीक्षण किया. मामला पहली नजर में दुष्कर्म के बाद हत्या का लग रहा था, लेकिन पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले किसी भी नतीजे पर नहीं जा सकती थी. अलबत्ता लाश को अपने कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए पीजीआई चंडीगढ़ भेज दी. पुलिस ने चंपा देवी की तरफ से अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट लिख कर आगे की काररवाई शुरू कर दी. इस से पहले एसएचओ ने घटना की सूचना एसएसपी सुखचैन सिंह गिल और डीएसपी रामगोपाल को दे दी थी.

अगले दिन यानी 20 नवंबर की सुबह पुलिस घटना की छानबीन करने चंपा देवी के कमरे पर पहुंची, जहां घटना का जन्म हुआ था. इंसपेक्टर पटियाल ने मृतका ममता की मां चंपा देवी और उस के बेटे से पूछताछ की. चंपा ने पुलिस को बताया कि लोगों के घरों में काम करती थी. रोजाना की तरह कल सुबह भी वह काम पर निकल गई थी और छोटा बेटा स्कूल पढऩे गया था. बेटी घर पर अकेली थी.

पुलिस ने चंपा देवी से पूछा कि क्या उन को किसी पर शक है, जो घटना को अंजाम दे सकता है? इस पर वह सोचती हुई आगे बोली, ‘‘साहब, हम को तो एक मुसलिम लडक़े पर शक है. जिस का मोहम्मद शारिक नाम है. पिछले कई महीनों से वह बेटी को परेशान कर रहा था. हो सकता है, उसी ने बेटी को मार डाला हो.’’

मां ने जताया प्रेमी शारिक पर शक

घटनास्थल भी चीखचीख कर कह रहा थी कि इस में कोई ऐसा शख्स शामिल हो सकता है, जिसे पहले से पता था कि ममता घर पर अकेली है. इस का फायदा उठा कर उस ने हत्या कर दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी थी. मृतका के साथ जिस दुष्कर्म को ले कर पुलिस आशंकित हुई थी, रिपोर्ट में दुष्कर्म की बात सिरे से खारिज कर दी गई थी. रिपोर्ट में बताया कि दम घुटने से ममता की मौत हुई थी.

जिस शारिक का चंपा देवी ने पुलिस के सामने नाम लिया था, वर्षों पहले एक ही मोहल्ले में आमनेसामने किराए के कमरे में रहते थे. फिर बाद के दिनों में शारिक ने वह कमरा छोड़ दिया और कहीं और किराए का कमरा ले कर शिफ्ट हो गया था.  पास में रहने पर दोनों परिवार एकदूसरे को अच्छी तरह जानतेपहचानते थे. उन का एकदूसरे के घरों में जानाआना और बैठना तसल्ली से होता था. ममता और शारिक काफी घुलमिल चुके थे.

बहरहाल, शारिक अब कहां रहता है, किसी को कुछ नहीं पता था. पुलिस को चंपा इतना ही बता सकी थी कि वह किसी बड़े होटल में डिलीवरी बौय का काम करता है. अब वह कहां रहता है, चंपा देवी को पता नहीं था. पुलिस इस बात की तसदीक में जुटी हुई थी ममता के मर्डर में शारिक का क्या मकसद हो सकता है? इस का पता तो तभी लग सकता है जब वह पुलिस की गिरफ्त में आए. फिलहाल पुलिस ने ममता और शारिक के बीच में क्या रिश्ता हो सकता है अथवा उस की हत्या क्यों की? इस मकसद को खोलने के पीछे जुटी हुई थी.

जल्द ही पुलिस को इस पर बड़ी कामयाबी हासिल हो गई थी. पुलिस ने मृतका के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई और उस के गहन अध्ययन से पता चला कि घटना वाले दिन शारिक और ममता की कुछ देर तक आपस में बातचीत हुई थी. यही नहीं, दोपहर के करीब में शारिक की लोकेशन मृतका के घर के करीब थी. और तो और जांचपड़ताल में यह भी पता चला कि दोनों के बीच में वर्षों से प्रेम संबंध चल रहा था.

प्रेम संबंधों में खटास बनी हत्या की वजह

इस का पता मृतका की मां और भाई दोनों को भी था. कुछ दिनों से इन दोनों के बीच कुछ अनबन चल रही थी. अनबन क्यों थी? पुलिस को पता नहीं चल सका, लेकिन ये बात शीशे की तरह साफ हो गई थी ममता की मौत प्रेम संबंधों में खटास की वजह से हुई थी. दोनों के बीच में अनबन क्यों थी? इस का पता तभी लग सकता था, जब संदिग्ध शारिक पुलिस के हत्थे चढ़ता. उस की तलाश में पुलिस जुटी हुई थी. यही नहीं, उस का पता लगाने के लिए पुलिस ने अपने मुखबिरों का जाल भी बिछा दिया था.

एयर फोर्स सार्जेंट ने रची जर, जोरू और जमीन हथियाने की साजिश- भाग 5

डा. गौरव को मुदित और प्रियंका के बीच अवैध संबंधों का पता नहीं चला. क्योंकि उन का मिलन ऐसे समय होता था, जब डा. गौरव क्लीनिक पर होते थे. मुदित दोहरा गेम खेलने लगा था. एक ओर तो वह दोस्ती की आड़ में डाक्टर की इज्जत से खेल रहा था. दूसरी ओर वह दोस्ती कायम रख डाक्टर का विश्वास जीत रहा था.

डा. गौरव उस पर पत्नी से ज्यादा विश्वास करते थे. मुदित को जब भी पैसों की जरूरत होती थी, वह डा. गौरव से मांग लेता था. लेकिन रकम कभी लौटाता नहीं था. इस तरह उस ने लाखों रुपया डा. गौरव से ले लिया था. जब कभी डा. गौरव पैसों की डिमांड करता तो वह प्लौट बेच कर पैसा देने की बात कह देता.

डा. गौरव व उस के मातापिता ने अकूत संपत्ति अर्जित की थी. शिकोहाबाद, उन्नाव व लखनऊ में डा. गौरव के नाम लगभग 60 करोड़ की संपत्ति (मकान/प्लौट के रूप में) थे. इस संपत्ति पर मुदित की गिद्धदृष्टि थी. वह डा. गौरव की जर, जोरू और जमीन हथियाना चाहता था. इसी लालच में उस ने डा. गौरव की पत्नी को अपने प्रेमजाल में फंसा लिया था. वह हर रोज प्रियंका से एकदो घंटे फोन पर बातें करता था.

लगभग 3 महीने पहले डा. गौरव ने मुदित को प्रियंका के साथ अश्लील हरकतें करते देख लिया था. तब से उन्हें शक हो गया था कि मुदित श्रीवास्तव और प्रियंका के बीच अवैध रिश्ता है. वह अपने दर्द को कभीकभी बातों ही बातों में बयां भी कर देते थे. एक रोज उन्होंने तंज कसा, “मुदित, तुम्हें अब किस बात की चिंता, तुम ने तो मेरे निजी जीवन में भी दखल देना शुरू कर दिया है.’’

सार्जेंट मुदित को लगने लगा डा. गौरव से डर…

मुदित श्रीवास्तव ने डा. गौरव के तंज का जवाब तो नहीं दिया, लेकिन वह समझ गया कि डा. गौरव को उस पर शक हो गया है. उसे इस बात का डर सताने लगा कि डा. गौरव उस की हत्या न कर दे. इस डर ने मुदित को इतना उकसाया कि वह सोचने लगा कि यदि उस ने डा. गौरव की हत्या नहीं की तो वह उसे ही मरवा देगा. आखिर उस ने डा. गौरव की हत्या का फेसला ले लिया और उचित समय का इंतजार करने लगा.

13 मार्च, 2023 की शाम 7 बजे जब डा. गौरव अपनी क्रेटा कार से उस के सरकारी आवास पहुंचे तो उस समय मुदित श्रीवास्तव घर पर ही था. उस की पत्नी नेहा बेटी का इलाज कराने लखनऊ गई थी. डा. गौरव उस वक्त नशे में थे. उचित मौका देख कर उस ने घर पर ही डाक्टर को और शराब पिलाई. इतनी शराब पिलाई कि वह अपने पैरों पर खड़े होने की स्थिति में नहीं रहे.

उस के बाद मुदित उन की क्रेटा कार से डा. गौरव को हाइवे पर ले गया. वहां सुनसान जगह पर कार रोकी. फिर डा. गौरव को कार से बाहर निकाला. उस के बाद सडक़ किनारे लगे बड़े पत्थर से डा. गौरव का सिर पटकपटक कर मार डाला. फिर शव को हाइवे किनारे जंगल में फेंक दिया. उस के बाद क्रेटा कार ले कर वह अपने सरकारी आवास आ गया.

इधर डा. गौरव जब घर नहीं पहुंचे तो पत्नी प्रियंका सिंह ने थाना चकेरी में गुमशुदगी दर्ज कराई. गुमशुदगी दर्ज होने के बाद पुलिस को डा. गौरव के दोस्त मुदित पर शक हुआ. शक के आधार पर पुलिस ने जब उस से कड़ाई से पूछताछ की तो मुदित टूट गया और उस ने हत्या का जुर्म कुबूल कर डा. गौरव के शव को बरामद करा दिया. मृतक डा. गौरव की पत्नी प्रियंका सिंह का कहना है कि आरोपी मुदित श्रीवास्तव उसे बदनाम करने के लिए नाजायज रिश्तों की कहानी गढ़ रहा है.

प्रियंका ने प्रेम संबंधों को नकारते हुए कहा कि मुदित ने पिछले कई सालों के दौरान गौरव से 45 से 50 लाख रुपए का कर्ज ले रखा था. क्रेटा कार भी मुदित के नाम ही है. रुपया और कार न लौटाना पड़े, इसलिए उस ने पति की हत्या कर दी. उस ने ट्वीट कर इस की जानकारी मुख्यमंत्री व अन्य आला अधिकारियों को भी दी.

16 मार्च, 2023 को पुलिस ने हत्यारोपी मुदित श्रीवास्तव को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. मृतक के पिता डा. प्रबल प्रताप सिंह ने पुलिस कमिश्नर वी.पी. जोगदंड से अपनी व परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाई है. उन्होंने अपनी जान का खतरा बताया है.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

एयर फोर्स सार्जेंट ने रची जर, जोरू और जमीन हथियाने की साजिश- भाग 4

तलाक के बाद डा. रुचि बरेली में पिता के मकान में रहने लगी. वहां उन्होंने अपना क्लीनिक खोल लिया. इधर डा. गौरव पत्नी से तलाक के बाद तनहा जिंदगी बिताने लगे. उन की शराब की लत भी बढ़ गई. डा. गौरव के कई शराबी दोस्त थे. इन्हीं में एक था मुदित श्रीवास्तव. मुदित श्रीवास्तव संपन्न परिवार का था. उस के पिता मिथलेश श्रीवास्तव सिविल लाइंस उन्नाव में रहते थे.

मिथलेश के 3 बेटे मनीष, मोहित व मुदित थे. मनीष दिल्ली में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में कार्यरत था और परिवार सहित वहीं रहता था. जबकि मोहित, अमेरिका (शिकागो) में इंजीनियर है. सब से छोटा मुदित वायुसेना में सार्जेंट पद पर लुधियाना (पंजाब) में तैनात था. घर पर मिथलेश श्रीवास्तव पत्नी के साथ रहते थे. वह फजलगंज (कानपुर) में एक फैक्ट्री में कार्यरत थे.

मुदित श्रीवास्तव से डा. गौरव की दोस्ती उन के मित्र अनिल के माध्यम से हुई थी. चूंकि मुदित खानेपीने का शौकीन था. सो जल्दी ही दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई. डा. गौरव उसे अपने भाई जैसा मानने लगे और हर बात उस से साझा करने लगे. मुदित उन दिनों लुधियाना (पंजाब) में तैनात था. वह जब भी छुट्ïटी पर घर आता तो डा. गौरव के साथ ही रहता. उसी के साथ हर शाम महफिल भी जमती. महफिल का खर्च डा. गौरव ही करते थे.

एक रोज ड्रिंक्स के दौरान डा गौरव ने मुदित श्रीवास्तव से एक कार खरीदने की इच्छा जाहिर की. इस पर उस ने कहा कि यदि वह उस की एयर फोर्स कैंटीन से कार खरीदेगा तो उसे लगभग 2 लाख का फायदा होगा. डा. गौरव के राजी होने पर मुदित ने लुधियाना की एयर फोर्स कैंटीन से क्रेटा कार खरीदवा दी. यह क्रेटा कार थी तो मुदित के नाम लेकिन पैसा डा. गौरव ने दिया था और डा. गौरव ही चलाते थे. इस कार से मुदित और गौरव लद्ïदाख तक घूम आए थे.

दोस्त मुदित ने करा दी प्रियंका से शादी…

इन्हीं दिनों मुदित का ट्रांसफर लुधियाना से कानपुर एयर फोर्स चकेरी हो गया. वह सरकारी आवास एच 2/4 आकाश गंगा विहार कालोनी में अपनी पत्नी नेहा के साथ रहने लगा. नेहा लखनऊ की रहने वाली थी. उस के एक बेटी है. उस का तालू (जन्म से) कटा हुआ था. उस का इलाज लखनऊ के अस्पताल में चल रहा था.

मुदित का ट्रांसफर कानपुर हुआ तो उस का मिलनाजुलना डा. गौरव से ज्यादा हो गया. अब वह शनिवार व रविवार को अपने घर उन्नाव आता और डा. गौरव के साथ रहता. दोनों साथ घूमते और होटल पर खाना खाते. इन्हीं दिनों डा. गौरव व मुदित ने लखनऊ के दुबग्गा में अगलबगल प्लौट खरीदा. प्लौट खरीदने में 7 लाख रुपए डा. गौरव ने मुदित को दिए. उस ने यह रकम जल्द ही लौटाने का वादा किया.

मुदित श्रीवास्तव को पता था कि डा. गौरव का अपनी पत्नी से तलाक हो गया है और वह तनहा जिंदगी बिता रहा है. इसलिए उस ने एक रोज डा. गौरव को सलाह दी कि वह दूसरी शादी कर ले और आराम की जिंदगी बिताए. डा. गौरव पहले तो इंकार करते रहे, लेकिन ज्यादा जोर देने पर मान गए. इस के बाद डा. गौरव के लिए लडक़ी की तलाश शुरू हुई. यह तलाश प्रियंका पर जा कर खत्म हुई.

प्रियंका के पिता कमल सिंह कानपुर नगर के नौबस्ता थाने के राजीव विहार कालोनी में रहते थे. कमल सिंह के परिवार में पत्नी कमलेश के अलावा 2 बेटियां प्रियंका व दीपिका थीं. कमल सिंह किसान थे. उन की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी. बड़ी बेटी प्रियंका के विवाह के लिए वह प्रयासरत थे. ऐसे में एक परिचित छुन्नू के मार्फत डा. गौरव का रिश्ता आया तो वह राजी हो गए. हालांकि डा. गौरव दुजहा थे और उम्र में भी बड़े थे.

प्रियंका बेहद खूबसूरत थी. पहली ही नजर में डा. गौरव ने उसे पसंद कर लिया था. प्रियंका को भी डा. गौरव अच्छे लगे. दोनों की पसंद के बाद जनवरी, 2018 में डा. गौरव ने आर्यसमाज में प्रियंका के साथ विवाह कर लिया. विवाह के बाद प्रियंका डा. गौरव की पत्नी बन कर ससुराल आ गई. ससुराल में सभी भौतिक सुखसुविधाएं थीं. उसे किसी चीज की कमी नहीं थी. पति भी चाहने वाला मिला था. सब कुछ ठीक चल रहा था. शादी के एक साल बाद प्रियंका ने एक बेटे को जन्म दिया. बेटे के जन्म से डा. प्रबल प्रताप सिंह को बेहद खुशी हुई. क्योंकि उन के वंश को बढ़ाने वाला आ गया था.

अब तक डा. प्रबल प्रताप सिंह व उन की पत्नी रिटायर हो चुके थे. लेकिन दोनों शिकोहाबाद में ही रहते थे. क्योंकि वहां उन का मकान प्लौट था. मुदित श्रीवास्तव ने पुलिस को बताया कि उस का डा. गौरव के घर बेरोकटोक आनाजाना था. घर आतेजाते उस की नजर प्रियंका की खूबसूरती पर पड़ी तो वह उस का दीवाना बन गया और उस से नजदीकियां बढ़ाने लगा. वह जब भी आता, प्रियंका से मीठीमीठी बातें करता तथा हंसीठिठोली करने लगता. धीरेधीरे प्रियंका को भी उस की बातें अच्छी लगने लगीं.

प्रियंका को चाहने लगा सार्जेंट मुदित श्रीवास्तव…

एक रोज प्रियंका बाथरूम से निकली और हल्का मेकअप किया. तभी मुदित आ गया. वह प्रियंका के खूबसूरत चेहरे पर नजरेंगड़ाते हुए बोला, ‘‘भाभी, तुम बहुत खूबसूरत हो. तुम ने मुझे अपने रूप का दीवाना बना दिया है. मैं ने जब से तुम्हें देखा है, चैन से जी नहीं पा रहा हूं. मैं तुम्हें जब भी डा. गौरव के साथ देखता हूं, मेरा मन कसैला हो जाता है.’’

प्रियंका ने एक नजर मुदित के चेहरे पर डाली फिर बोली, ‘‘मुदित, मैं शादीशुुदा और एक बच्चे की मां हूं. तुम भी शादीशुदा और एक बच्ची के पिता हो. फिर यह दीवानगी कैसी?’’ लेकिन मुदित ने प्रियंका की बात पर ध्यान नहीं दिया. उस ने प्रियंका को रिझाना जारी रखा.

मुदित ने आगे बताया कि इस के बाद वह अकसर प्रियंका के घर आने लगा. वह घंटों उस के घर पड़ा रहता. प्रियंका को भी उस की बातों में रस आने लगा था. आखिर एक दोपहर देवरभाभी के पवित्र रिश्ते की शालीन दीवार ढह ही गई. दोनों को जानबूझ कर की गई इस गलती का पछतावा भी नहीं हुआ. उलटे उन के बीच हया की चादर तारतार होती रही.