देह की राह के राही – भाग 3

पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना पा कर थाना सिंहानी गेट के थानाप्रभारी मनोज कुमार यादव, सीनियर सबइंसपेक्टर चंद्रप्रकाश चतुर्वेदी, सबइंसपेक्टर विनोद कुमार त्यागी, अवधेश कुमार, हेडकांस्टेबल के.पी. सिंह के साथ नंदग्राम स्थिति मंजू शर्मा के घर पहुंच गए. लाश की स्थिति से ही पता चल रहा था कि उस की हत्या गला घोंट कर की गई थी. क्योंकि उस के गले से चुन्नी लिपटी हुई थी, गले पर कसने के निशान भी थे.

सुमन को कमरा बबिता ने दिलाया था, इसलिए मंजू ने उसे भी सुमन की हत्या की सूचना दे दी थी, जिस से इस बात की सूचना सुमन के घर वालों तक पहुंच गई थी.

पुलिस घटनास्थल एवं लाश का निरीक्षण कर मकान मालकिन मंजू शर्मा से पूछताछ कर रही थी कि रोतेबिलखते सुमन के घर वाले भी पहुंच गए. थोड़ी देर के लिए वहां का माहौल काफी गमगीन हो गया.

पुलिस को मंजू शर्मा से मृतका के बारे में काफी जानकारी मिल चुकी थी. उस ने बताया कि मृतका यहां अकेली रहती थी. उस का अपने पति से कोई संबंध नहीं था. उस से मिलने एक लड़का आता था. कभीकभी वह उस के कमरे पर रुकता भी था. इस से पुलिस को लगा कि यह हत्या अवैध संबंधों की वजह से हुई है.

पुलिस ने सुमन के घर वालों को ढांढस बंधाया और घटनास्थल की सारी औपचारिकताएं पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए हिंडन स्थित मोर्चरी भिजवा दिया. इस के बाद थाना सिंहानी गेट पुलिस मृतका सुमन के घर वालों को साथ ले कर थाने आ गई, जहां मृतका की छोटी बहन राखी की ओर से सुमन की हत्या का मुकदमा धूकना निवासी सत्येंद्र त्यागी के बेटे राजीव उर्फ राजू उर्फ नोनू त्यागी के खिलाफ दर्ज कर लिया.

मामला हत्या का था और रिपोर्ट नामजद दर्ज थी, इसलिए क्षेत्राधिकारी अनुज यादव ने अगले दिन अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए थानाप्रभारी मनोज कुमार यादव के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी.  इस टीम ने राजीव को गिरफ्तार करने के लिए धूकना स्थित उस के घर छापा मारा, लेकिन वह घर पर नहीं मिला. इस के बाद पुलिस टीम ने कई जगहों पर छापा मारा, लेकिन वह पुलिस टीम के हाथ नहीं लगा.

इस के बाद राजीव की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी सीनियर सबइंसपेक्टर चंद्रप्रकाश चतुर्वेदी को सौंप दी गई. उन्होंने राजीव को काबू में करने के लिए उस का मोबाइल फोन सर्विलांस पर लगवा दिया, जिस से उन्हें उस की लोकेशन का पता चल गया.

मोबाइल के लोकेशन के आधार पर ही सीनियर सबइंसपेक्टर चंद्रप्रकाश ने अपनी टीम की मदद से गाजियाबाद के पुराने बसअड्डे के पास से 5 जून की शाम 7 बजे उसे गिरफ्तार कर लिया. राजीव को थाने ला कर पूछताछ की गई तो उस ने किसी भी तरह की बहानेबाजी किए बगैर सुमन की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने हत्या की जो वजह बताई, वह इस प्रकार थी.

शुरूशुरू में राजीव और सुमन का संबंध लेनदेन का रहा. वह सुमन के खर्च उठाता था और सुमन उसे औरत वाला सुख देती थी. राजीव ने सुमन से ये संबंध सिर्फ औरत का सुख पाने के लिए बनाए थे, लेकिन कुछ दिनों बाद सुमन कहने लगी कि उसे उस से प्यार हो गया है. उसे खुश करने के लिए राजीव ने भी कह दिया कि वह भी उस से प्यार करता है.

सुमन ने राजीव की इस बात को सच माना और उस के साथ शादी के सपने ही नहीं देखने लगी, बल्कि उसे साकार करने की कोशिश भी करने लगी. राजीव उसे टालता रहा.  सुमन को जब लगा कि राजीव उसे टाल रहा है तो वह उस पर शादी के लिए दबाव बनाने के साथसाथ ज्यादा से ज्यादा माल झटकने की कोशिश करने लगी.

सुमन की हरकतों से राजीव को लगने लगा कि मौजमस्ती के लिए की गई यह दोस्ती गले का फांस बन रही है. वह सुमन से बचने की कोशिश करने लगा. लेकिन उस से मिलने वाले सुख के बिना वह रह नहीं सकता था, इसलिए मजबूर हो कर उसे उस के पास आता भी रहा.

3 जून की शाम को राजीव सुमन से मिलने आया तो सुमन ने एक बड़ी फरमाइश कर डाली. उस ने मुरादनगर में एक प्लौट दिलाने को कहा. हजारों की बात होती तो शायद राजीव तैयार भी हो जाता, लेकिन यहां तो मामला लाखों का था, इसलिए राजीव ने मना कर दिया. तब सुमन उसे फंसाने की धमकी देने लगी.

सुमन द्वारा धमकी देने पर राजीव को गुस्सा आ गया कि इस औरत के लिए उस ने कितना कुछ किया. उस का एहसान मानने के बजाय यह उसे बेनकाब करने की धमकी दे रही है. उसी गुस्से में उस ने सुमन के गले में पड़ी चुन्नी को पकड़ा और लपेट कर कस दिया. सुमन फर्श पर गिरी और मर गई. उसे उसी तरह छोड़ कर राजीव भाग गया. घबराहट में वह सुमन के कमरे का दरवाजा भी बंद करना भूल गया.

पूछताछ के बाद पुलिस ने राजीव के खिलाफ सारे सुबूत जुटा कर अगले दिन अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. इस तरह देह का यह राही जेल पहुंच गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

देह की राह के राही – भाग 2

25 वर्षीया सुमन सिंह अपने 3 साल के बेटे तनुष के साथ उत्तर प्रदेश के जिला गाजियाबाद के नंदग्राम में मंजू शर्मा के मकान में किराए पर रहती थी. उस के मकान का किराया 3 हजार रुपए महीना था. उस के पिता नत्थू सिंह अपनी पत्नी विमलेश और 4 बच्चों के साथ गाजियाबाद के इंद्रापुरम के न्यायखंड-3 में रहते थे.

नत्थू सिंह मूलरूप से मुरादनगर के रहने वाले थे. जहां वह चाट का ठेका लगाते थे. यह उन का पुश्तैनी धंधा था. गाजियाबाद आ कर भी उन्होंने अपने इसी काम को तरजीह दी और यहां वह अपना चाट का ठेला अपने एकलौते बेटे की मदद से न्यायखंड की मेन बाजार में लगाने लगे. यहां भी उन का धंधा बढि़या चल रहा था.

बच्चों में सुमन सब से बड़ी थी, इसलिए मांबाप की कुछ ज्यादा ही लाडली थी. लाड़प्यार से वह जिद्दी होने के साथसाथ बेलगाम भी हो गई थी. चाट के ठेले से इतनी कमाई नहीं होती थी कि नत्थू सिंह अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिला पाते. लेकिन ऐसा भी नहीं था कि उस के बच्चे अनपढ़ थे. जरूरत भर की शिक्षा उस ने सभी को दिला रखी थी.

कहा जाता है कि बेटी के सयानी होने की जानकारी मातापिता से पहले पड़ोसियों को हो जाती है. नत्थू सिंह की बेटी सुमन भी सयानी हो गई थी, बेटी वैसे ही जिद्दी और बेलगाम थी. कोई ऊंचनीच हो, नत्थू सिंह और विमलेश उस से पहले ही उस के हाथ पीले कर उसे विदा कर देना चाहते थे.

विमलेश ने जब इस बारे में नत्थू सिंह से बात की तो उस ने कहा, ‘‘मैं तो पूरा दिन घर से बाहर काम में लगा रहता हूं. अगर तुम्हीं कोई ठीकठाक लड़का देख कर शादी तय कर लो तो ज्यादा ठीक रहेगा. मेरे आनेजाने से नुकसान ही होगा.’’

इस तरह नत्थू सिंह ने यह जिम्मेदारी पत्नी पर डाल दी. विमलेश तेजतर्रार थी. इसलिए उस ने कहा, ‘‘ठीक है, मैं ही कुछ करती हूं.’’

विमलेश ने कहा ही नहीं, बल्कि लड़के की तलाश भी शुरू कर दी. उस ने अपने तमाम रिश्तेदारों एवं परिचितों से सुमन के लायक लड़का बताने के लिए कह दिया.

विमलेश की यह कोशिश रंग लाई और जल्दी ही इस का सुखद नतीजा सामने आ गया. किसी से उसे पता चला कि गांव के रिश्ते की एक मौसी का एकलौता बेटा परवीन शादी लायक है. वह दिल्ली नगर निगम के उद्यान विभाग में माली था. उस के पिता सहदेव की मौत हो चुकी थी. यहां वह परिवार के साथ फरीदाबाद के लक्कड़पुर में रहता था.

सरकारी नौकरी वाला लड़का था, वेतन तो ठीकठाक था ही, उस के साथ भविष्य भी सुरक्षित था. यही सोच कर नत्थू सिंह और विमलेश ने परवीन के साथ सुमन की शादी फरवरी, 2008 में अपनी हैसियत के हिसाब से दहेज दे कर कर दी.

विदा हो कर सुमन ससुराल आ गई. तेजतर्रार, सपनों में जीने वाली सुमन ने जैसे पति की कामना की थी, परवीन उस का एकदम उलटा था. साधारण शक्लसूरत वाला परवीन बहुत ही सीधा था. वह न तो किसी से ज्यादा बातचीत करता था और न ही किसी से ज्यादा मेलजोल रखता था. अपने काम से काम रखने वाले परवीन का रवैया पत्नी के प्रति भी ऐसा ही था. शादी के बाद भी उस की इस आदत में कोई बदलाव नहीं आया तो सुमन परेशान रहने लगी.

सुमन तो अपनी ही तरह का खुशमिजाज पति चाहती थी, जो खुद भी हंसताबोलता रहे और दूसरों को भी बोलबोल कर हंसाता रहे. शाम को साथ घूमने जाने को कौन कहे, परवीन घर में भी सुमन से प्यार के 2 शब्द नहीं बोलता था. जब तक घर में रहता, मौनी बाबा की तरह चुप बैठा रहता. बोलता भी तो सिर्फ जरूरत भर की बात करता. पति की इस आदत से सुमन जल्दी ही ऊब गई.

सुमन को परवीन के साथ जिंदगी बोझ लगने लगी और घुटन सी होने लगी तो वह उसे छोड़ कर मायके आ गई. हालांकि अब तक वह परवीन के 2 बच्चों की मां बन चुकी थी. उस की 5 साल की बेटी तनु थी और 3 साल का बेटा तनुष. मात्र 6 साल ही उस का यह वैवाहिक संबंध चला था.

सुमन के घर वालों ने ही नहीं, परवीन के घर वालों ने भी बहुत कोशिश की कि परवीन और सुमन एक बार फिर साथ आ जाएं, लेकिन सुमन इस के लिए कतई तैयार नहीं हुई. दोनों बच्चे भी उसी के साथ थे. नत्थू सिंह का अपना छोटा सा मकान था, जिस में 9 लोग नहीं रह सकते थे. इस के अलावा सुमन को पता था कि मांबाप के घर से विदा होने के बाद अगर किसी वजह से बेटी वापस आ जाती है तो उसे पहले जैसा सम्मान नहीं मिलता.

सुमन के आने से रहने में तो परेशानी हो ही रही थी, मांबाप पर खर्च का बोझ भी बढ़ गया था. इसलिए अपने और बच्चों के गुजरबसर के लिए उस ने जोरशोर से नौकरी की तलाश शुरू कर दी. परिणामस्वरूप जल्दी ही उसे गाजियाबाद की एक गारमेंट फैक्टरी में ‘पैकर’ की नौकरी मिल गई. रोजीरोटी का जुगाड़ हो गया तो समस्या आई रहने की, क्योंकि उस छोटे से घर में उतने लोगों का रहना मुश्किल हो रहा था.

सुमन की मां विमलेश ने गाजियाबाद के ही नंदग्राम इलाके में रहने वाली अपनी एक मुंहबोली बहन बबिता उर्फ पारो से बात की तो उस ने अपनी जिम्मेदारी पर मंजू शर्मा के मकान में पहली मंजिल के हिस्से को 3 हजार रुपए महीने के किराए पर दिला दिया. सुमन उसी मकान में अपने 3 वर्षीय बेटे तनुष के साथ रहने लगी, जबकि बेटी मांबाप के साथ रहती थी.

सुमन की जिंदगी पटरी पर आ रही थी कि एकाएक उस की नौकरी चली गई, जिस से जिंदगी की गाड़ी एक बार फिर पटरी से उतर गई. सुमन के लिए यह बहुत बड़ा झटका था. नौकरी चली जाने से वह आर्थिक परेशानियों में घिर गई. अब उसे मकान का किराया भी देना पड़ रहा था  मातापिता भी कब तक सहारा देते. संकट की इस घड़ी में एक बार फिर सहारा दिया मुंहबोली मौसी बबिता ने. उसी ने सुमन की दोस्ती धूकना गांव के रहने वाले राजीव त्यागी से करा दी, जो उस का पूरा खर्च उठाने लगा.

राजीव त्यागी के पिता सत्येंद्र त्यागी की नंदग्राम में बिजली के सामान की दुकान थी, जिसे बापबेटे मिल कर चलाते थे. दुकान ठीकठाक चलती थी, इसलिए राजीव के पास पैसों की कमी नहीं थी. पैसे वाला होने की वजह से सुमन का खर्च उठाने में उसे कोई दिक्कत नहीं हो रही थी.

राजीव और सुमन का लेनदेन का यह संबंध प्यार में बदला तो सुमन को लगने लगा कि राजीव उस से शादी कर लेगा. वह राजीव से शादी करना भी चाहती थी, क्योंकि राजीव ठीक वैसा था, जैसा पति वह चाहती थी. लेकिन वह राजीव की पत्नी बन पाती, उस के पहले ही 3 जून, 2014 को उस की हत्या हो गई.

रात 9 बजे के आसपास मकान मालकिन मंजू शर्मा किसी काम से पहली मंजिल पर गईं तो उन्होंने देखा, सुमन का कमरा खुला पड़ा है. उन्होंने कमरे में झांका तो दरवाजे के पास ही वह चित पड़ी दिखाई दी. उस की चुन्नी गले में लिपटी थी, इसलिए उन्हें समझते देर नहीं लगी कि उस की हत्या की गई है. उन्होंने इस बात की जानकारी पड़ोसियों को दे कर सुमन की हत्या की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दिला दी.

प्रेमिका बनी ब्लैकमेलर

देह की राह के राही – भाग 1

फोन की घंटी बजी तो सुमन ने स्क्रीन पर नंबर देखा. नंबर मुंहबोली मौसी बबिता का  था, जो उस के घर से कुछ दूरी पर रहती थीं. उस ने जल्दी से फोन रिसीव किया, ‘‘हैलो, मौसी नमस्ते, आप कैसी हैं, फोन कैसे किया?’’

‘‘नमस्ते बेटा, मैं तो ठीक हूं. तू बता कैसी है?’’ बबिता ने अपने बारे में बता कर सुमन का हालचाल पूछा तो वह बोली, ‘‘मैं भी ठीक हूं मौसी. बताइए, फोन क्यों किया?’’

‘‘मैं ने फोन इसलिए किया है कि तू ने जिस काम के लिए मुझ से कहा था, वह हो गया है. तू जब भी उस से मिलना चाहे, मिल सकती है.’’

‘‘अगर मैं आज ही उस से मिलना चाहूं तो..?’’ सुमन ने चहक कर पूछा.

‘‘हां…हां, आज ही मिल ले. लेकिन रुक, मैं उसे एक बार और फोन कर के पूछ लेती हूं. उस के बाद तुझे फोन करती हूं.’’ कह कर बबिता ने फोन काट दिया.

कुछ देर बाद बबिता ने फोन कर के कहा, ‘‘ठीक है, आज शाम को राजनगर के प्रियदर्शिनी पार्क में तू उस से मिल सकती है. उस का नाम राजीव है. मैं तुझे उस का मोबाइल नंबर दिए देती हूं. जाने से पहले तू उसे एक बार फोन कर लेना.’’

इस के बाद बबिता ने राजीव का मोबाइल नंबर सुमन को लिखा दिया. दरअसल सुमन ने अपनी मुंहबोली मौसी बबिता से कहा था कि नौकरी छूट जाने की वजह से वह काफी तंगी में आ गई है. इसलिए वह उस की दोस्ती किसी ऐसे आदमी से करा दे, जो उस की हर तरह मदद कर सके और वक्त जरूरत काम आ सके. उसी के लिए बबिता ने उसे फोन किया था. उस ने कहा था कि राजीव अच्छा लड़का है और उसे भी उसी की तरह एक बढि़या दोस्त की तलाश है.

बबिता से नंबर ले कर सुमन ने राजीव को फोन किया तो उस ने सुमन को शाम को राजनगर के प्रियदर्शिनी पार्क में मिलने के लिए बुला लिया. राजीव को प्रभावित करने, एक तरह से उसे अपने जाल में फंसाने के लिए सुमन खूब सजसंवर कर तय समय पर पार्क पहुंची तो राजीव उसे इंतजार करता मिला.

24 वर्षीय राजीव चढ़ती उम्र का खूबसूरत नौजवान था. पहली ही नजर में वह सुमन को भा गया. मौसी ने बताया था कि वह काफी पैसे वाला भी है. इस तरह सुमन ने जिस तरह के दोस्त की कल्पना की थी, राजीव एकदम वैसा ही था.

25 वर्षीया सुमन भी कम सुंदर नहीं थी. यही वजह थी कि उस पर राजीव की नजर पड़ी तो वह हटा नहीं सका. उसे सुमन बेहद खूबसूरत लगी. दोनों ही एकदूसरे को भा गए, इसलिए इसी पहली मुलाकात में उन दोनों की दोस्ती पक्की हो गई. वैसे भी आजकल के नौवजवान ऐसे पलों में एकदूसरे के प्रति कुछ अधिक ही जोशीले अंदाज में पेश आते हैं.

इस के बाद राजीव और सुमन घर के बाहर तो मिलने ही लगे, राजीव सुमन के घर भी आनेजाने लगा. राजीव को पता ही था कि सुमन ने उस से दोस्ती क्यों की है, इसीलिए वक्त जरूरत वह उस की मदद भी करने लगा. राजीव यह मदद ऐसे ही नहीं कर रहा था. वह सुमन की देह से अपनी पाई पाई वसूल रहा था.

राजीव स्मार्ट तो था ही, बातचीत में भी तेजतर्रार था. इसलिए सुमन को लगा कि अगर वह उस से शादी कर ले तो उस की सूनी जिंदगी में एक बार फिर बहार तो आ ही जाएगी, यह जिंदगी आराम से कट भी जाएगी. यही सोच कर एकांत के क्षणों में एक दिन उस ने राजीव कहा, ‘‘राजीव, आज मैं तुम से कुछ कहना चाहती हूं.’’

राजीव और सुमन में प्यार जैसा कुछ भी नहीं था. उन का लेनदेन का संबंध था, इसलिए उसे लगा कि सुमन कोई बड़ी मांग करेगी. थोड़ा गंभीर हो कर उस ने कहा, ‘‘बताओ, क्या चाहिए?’’

‘‘मैं जो चाहती हूं, पता नहीं तुम दे भी पाओगे या नहीं?’’

‘‘आज तक तुम ने जो भी मांगा है, मैं ने कभी मना किया है,’’ राजीव ने कहा, ‘‘जो भी चाहिए, साफसाफ कहो. पहेलियां मत बुझाओ.’’

‘‘मैं कोई चीज नहीं मांग रही हूं.’’ सुमन ने करीब आ कर राजीव का हाथ अपने हाथों में ले कर कहा, ‘‘मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए.’’

सुमन के मुंह से ये शब्द सुन कर राजीव जैसे झूम उठा. उस ने अपने हाथ से सुमन का हाथ दबा कर कहा, ‘‘मैं तुम्हें प्यार ही तो दे रहा हूं. अगर तुम से प्यार न होता तो मैं तुम्हारे पास आता ही क्यों.’’

‘‘यह प्यार थोड़े ही है. हमारा तुम्हारा संबंध तो लेनदेन का है. तुम मेरी जरूरत पूरी करते हो और मैं तुम्हें खुश करती हूं. लेकिन तुम्हें खुश करते करते ही अब मुझे तुम से प्यार हो गया है.’’

‘‘हमारा तुम्हारा जो भी संबंध है, बिना प्यार के हो ही नहीं सकता. तुम जिस तरह के संबंध की बात कर रही हो, वैसा बाजार में होता है. वहां आदमी ने पैसे फेंके, मौज लिया और चल दिया. लेकिन यहां ऐसा नहीं है. जरूरतें तो आदमी पत्नी की भी पूरी करता है. तो क्या वहां भी इसी तरह लेनदेन का संबंध होता है. सुमन सही बात तो यह है कि मैं भी तुम से प्यार करता हूं. बस, परेशानी यह है कि तुम मुझ से बड़ी हो.’’ राजीव ने कहा.

‘‘सिर्फ एक ही साल तो बड़ी हूं. पुरुष तो 20-20 साल बड़े होते हैं. तब तो कोई फर्क नहीं पड़ता,’’ सुमन ने कहा.

‘‘मैं ने तो ऐसे ही कह दिया था. कहां तुम्हें छोड़ कर जा रहा हूं.’’ राजीव ने सुमन के गले में बाहें डाल कर कहा तो वह उस के सीने से लग कर बोली, ‘‘अच्छा राजीव, इस प्यार को कब तक निभाओगे?’’

सुमन की आंखों में आंखें डाल कर राजीव ने कहा, ‘‘आखिरी सांस तक, जब तक जिंदा रहूंगा. तुम यह कभी मत सोचना कि मैं सिर्फ तुम्हारा शरीर पाने के लिए तुम्हारे पास आता हूं. मुझे तो तुम से पहले ही दिन प्यार हो गया था. अब वह इतना बढ़ गया है कि अब मैं तुम से अलग हो कर रह ही नहीं सकता. अगर जरूरत पड़ी तो दिखा भी दूंगा.’’

‘‘एक बार फिर सोच लो राजीव. तुम सहानुभूति की वजह से तो ऐसा नहीं कर रहे हो? क्योंकि मैं पति से अलग रहने वाली 2 बच्चों की मां हूं.’’ सुमन ने भावुक हो कर राजीव के सामने अपनी हकीकत बयां कर दी.

सुमन की हकीकत जान कर राजीव एक पल को चौंका. लेकिन उसे सुमन की देह का चस्का लग चुका था, इसलिए तुंरत संभल कर हंसते हुए उस ने उस का गाल थपथपा कर कहा, ‘‘ऐसा कभी नहीं होगा. प्यार में जब जाति और उम्र नहीं देखी जाती तो मैं इसे ही क्यों देखूंगा.’’

राजीव का इतना कहना था कि सुमन उस की बांहों में समा गई. इस के बाद जहां राजीव सुमन पर पति की तरह अधिकार जताने लगा था, वहीं सुमन भी राजीव से पत्नी की तरह हर जरूरत पूरी करवाने लगी थी. राजीव अब कभीकभी सुमन के कमरे पर रात को भी रुकने लगा था. बात यहां तक पहुंच गई तो सुमन और राजीव के संबंधों की जानकारी सुमन के मकान मालकिन मंजू शर्मा को ही नहीं, उस के घर वालों को भी हो गई.

पहले तो मकान मालकिन मंजू शर्मा ने उसे टोका. लेकिन सुमन ने उस की टोकाटाकी पर ध्यान नहीं दिया, तब उस ने उस से मकान खाली करने के लिए कह दिया. मांबाप ने सुमन से राजीव के बारे में पूछा तो उस ने सबकुछ सचसच बता दिया. उस ने बताया कि राजीव उस से शादी करने को तैयार है तो मांबाप ने कोई आपत्ति नहीं की.

मकान मालकिन जब सुमन को ज्यादा परेशान करने लगी तो एक दिन सुमन ने उस से भी कह दिया कि वह राजीव से शादी करने वाली है. इस के बाद उन्होंने भी टोकाटाकी बंद कर दी.

प्रेमिका बनी ब्लैकमेलर – भाग 3

यह सब जानकारी मिलने के बाद उसे पहली बार पता चला कि वह बुरी तरह से फंस चुका है. शनीफ ने कई बार प्यार से सिमरन को समझाने की कोशिश की, लेकिन उस ने उस की एक न सुनी. उस का साफ कहना था कि अगर उस ने उसे पैसा नहीं दिया तो वह उसे बुरी तरह से बदनाम कर देगी.

बदनामी के डर से वह बारबार उस की मांग पूरी करता रहा. लेकिन उस की मांग खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी. जिस से शनीफ बुरी तरह से तंग आ चुका था. उसी दौरान शनीफ का रिश्ता महाराष्ट्र की एक युवती के साथ पक्का हो गया. हालांकि उस ने रिश्ते वाली बात पूरी तरह से उस से छिपा कर रखी थी. लेकिन पता नहीं उसे किस तरह से शनीफ के रिश्ते की बात पता चल गई. उस के बाद उस ने फिर से उसे ब्लैकमेल करना चालू कर दिया.

शनीफ ने उसे इस बार पैसा देने से साफ मना किया तो उस ने उस से कहा कि यह आखिरी बार है. तुम्हारा निकाह हो जाने के बाद तुम्हें मेरी जरूर तो होगी नहीं. उस के बाद वह उस से कोई पैसा नही मांगेगी.

सिमरन की बात सुनते ही शनीफ को लगा कि इस बार पैसा देने से उस से हमेशाहमेशा के लिए पीछा छूट जाएगा. यही सोच कर उस ने फिर से उसे मोटी रकम दे दी, लेकिन उस के बावजूद भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आई. उस ने कुछ ही दिनों में फिर से उस से पैसों की मांग शुरू कर दी थी. परेशान हो कर शनीफ ने उस का फोन तक अटैंड करना बंद कर दिया था.

सिमरन नहीं मानी तो रेत डाला गला

शनीफ ने पुलिस को बताया कि 3 मई, 2023 को सिमरन उस की दुकान पर आ धमकी. उस वक्त दुकान पर काफी ग्राहक खड़े थे. दुकान के सामने आते ही उस ने अपनी स्कूटी रोकी और फिर उसे इशारे से पास बुलाने लगी. उस ने उसे अनदेखा करते हुए अपने ग्राहकों को निपटाया.

उस ने उस के बुलाने पर नहीं गया तो उस ने शनीफ को मोबाइल दिखा कर इशारा किया. उस के इशारे को शनीफ भलीभांति समझता था. उस वक्त दुकान बंद करने का भी समय हो चुका था. आसपास की अधिकांश दुकानें बंद हो चुकी थीं. फिर भी वह अनचाहे मन से उस के पास पहुंचा.

शनीफ ने उस से काफी मिन्नतें की कि वह उसे माफ कर दे. इस वक्त उस के पास उसे देने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन उस के बाद भी सिमरन अपनी जिद पर अड़ी रही. उस वक्त उस के पड़ोसी उसे शक की निगाहों से देख रहे थे. बारबार उस की धमकी सुन कर शनीफ बुरी तरह पक चुका था.

सिमरन ने फिर से जैसे ही उसे मोबाइल दिखाने की तो शनीफ उस के हाथ से मोबाइल छीन लिया. उस के बाद उसे सडक़ पर दे मारा. फिर वह जल्दी से दुकान की तरफ लपका. जब तक सिमरन ने अपना मोबाइल समेटा, वह दुकान से मीट काटने का छुरा ले कर उस के पास पहुंच गया. जैसे ही सिमरन ने उस के हाथ में छुरा देखा, उस ने वहां से भागने की कोशिश की. लेकिन उस की स्कूटी स्टार्ट नहीं हुई. मौका पाते ही शनीफ ने छुरे से उस का गला रेत दिया.

उस वक्त कई दुकानदार उसे देख रहे थे. लेकिन उस पर खून का भूत सवार होते देख किसी ने भी बोलने की हिम्मत नहीं की. रात के साढ़े 9 बजे के बाजार में सैंकड़ों की मौजूद भीड़ के बीच एक जवान युवती की जघन्य रूप से हत्या किए जाने से बाजार में अफरातफरी मच गई. उस की हत्या को देख कर खरीदार तो इधरउधर हुए ही, साथ ही दुकानदार भी अपनी दुकानें फटाफट बंद कर वहां से निकल लिए थे.

सिमरन को मौत की नींद सुलाने के बाद शनीफ मलिक ने वह छुरा दुकान में रख दिया और फिर वह भी वहां से फरार हो गया. फिर शनीफ ने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया था. उस के बाद वह घर पहुंचा, अपने कपड़े चेंज किए और घर वालों को कुछ भी बताए बगैर फरार हो गया.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने आरोपी को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में फातिमा, राशिद परिवर्तित नाम हैं

आरजू की लाश पर सजाई सेज – भाग 4

आरजू को अपनी स्विफ्ट डिजायर कार में बिठा कर नवीन करोलबाग, धौलाकुआं, ङ्क्षरगरोड से मुनीरका होते हुए देवली गांव पहुंचा. वहां पर नवीन की बुआ रहती हैं. कार को सडक़ पर खड़ी कर के वह अकेला ही बुआ के यहां कार्ड देने गया. आरजू बारबार उस से यही कह रही थी कि तुम शादी के कार्ड बांट तो रहे हो, लेकिन मैं यह शादी होने नहीं दूंगी. नवीन ने तो कुछ और ही सोच रखा था, इसलिए उस की धमकी को उस ने गंभीरता से नहीं लिया.

साढ़े 12 बजे वह देवली से निकला. दोपहर तक उसे अपनी बहन के घर पहुंचना था. साढ़े 12 बजे उसे देवली में ही बज गए. बहन के यहां पहुंचने में उसे 2 घंटे और लगने थे, इसलिए वह कार को तेजी से चलाते हुए सैनिक फार्म, साकेत, महरौली होते हुए वसंतकुंज पहुंचा. वहां बाजार में बीकानेर की दुकान पर उस ने आरजू को गोलगप्पे खिलाए. सवा 2 बजे वह बहन के गांव के लिए निकला. इस बीच आरजू शादी की बात को ले कर उस से बहस करती रही.

नांगल देवत गांव से पहले केंद्रीय विद्यालय के पास सुनसान सडक़ पर उस ने कार रोक दी. आरजू उसे बारबार धमकी दे रही थी. नवीन बेहद गुस्से में था. उस ने आरजू के गले में पड़ी चुन्नी के दोनों सिरे पकड़ कर कस दिए. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई. गला दबाते समय आरजू की नाक और मुंह से थोड़ा खून तो निकला ही, उस का यूरिन भी निकल गया था.

आरजू के मरते ही नवीन के हाथपैर फूल गए. नाक व मुंह से निकले खून को आरजू के बैग से पोंछा. आरजू के पास 2 मोबाइल फोन थे. उस ने दोनों के सिमकार्ड निकाल लिए. इस के बाद उस की लाश कार की डिक्की में डाल दी. कार की अगली सीट पर निकले उस के यूरिन को उस ने पहले अखबार से, फिर बोतल के पानी से साफ किया.

बहन के यहां पहुंचने में उसे देर हो चुकी थी. वह बहन के यहां पहुंचा तो बहन अपने दोनों बच्चों के साथ तैयार बैठी थी. फटाफट उन्हें गाड़ी में बिठा कर अपने घर ले आया. हत्या करने के बाद भी वह बहन से सामान्य रूप से बातें करता आया था. चूंकि कार में लाश थी, इसलिए उस ने उस की चाबी अपने पास ही रखी. उस के दिमाग में एक ही बात घूम रही थी कि वह लाश को ठिकाने कहां और कैसे लगाए.

नवीन का जो मकान बना हुआ था, उस के ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग है. पहली मंजिल पर वह खुद रहता है. दूसरी मंजिल पर उस के मातापिता और दादी रहती हैं और तीसरे फ्लोर पर उस का बड़ा भाई संदीप पत्नी के साथ रहता है.

2 फरवरी को नवीन की शादी का दहेज का सामान आ गया था. वह सारा सामान ग्राउंड फ्लोर पर ही रखा हुआ था. 5 फरवरी को उस की बारात जानी थी. घर वालों ने रात को दहेज का सामान के कमरे में सेट कर दिया था. इस के बाद सभी अपनेअपने कमरों में जा कर सो गए. लेकिन नवीन को नींद नहीं आ रही थी. वह लाश को ठिकाने लगाने के बारे में ही सोच रहा था.

उस के मकान की रसोई और अन्य कमरों की वेंटिलेशन के लिए कुछ जगह खाली छोड़ी गई थी. इसे वे शाफ्ट कहते थे. लाश छिपाने के लिए नवीन को वही जगह उपयुक्त लगी. सुबह करीब 5 बजे नवीन उठा और अपनी कार की डिक्की से आरजू की लाश निकाल कर शाफ्ट में डाल दी. लाश के ऊपर उस एक पौलीथिन डाल दी. शाफ्ट में एग्जास्ट फैन लगा था. उस की हवा से कहीं पौलीथिन लाश से हट न जाए, उस के ऊपर घर में पड़ा टूटा कांच डाल दिया. अपने ही घर में लाश को ठिकाने लगा कर नवीन को थोड़ी तसल्ली हुई. अगले दिन वह आरजू का पौकेट पर्स, मोबाइल फोन हैदरपुर बाईपास के नजदीक गहरे नाले में फेंक आया.

उधर आरजू के मांबाप को जब पता चला कि 2 फरवरी को उन की बेटी नवीन के ही साथ गई थी तो कविता चौहान ने नवीन के भाई संदीप से बात की. कविता के दबाव पर संदीप और उस के पिता ने नवीन से बात की तो उस ने बताया कि उस ने आरजू की हत्या कर दी है और उस की लाश को जंगल में फेंक आया है. उस ने यह नहीं बताया कि लाश घर के शाफ्ट में रखी है.

कार में हत्या का सबूत न रह जाए, इस के लिए उस की धुलाई होनी जरूरी थी. दिल्ली के पीतमपुरा गांव में नवीन के रिश्ते के मामा कृष्ण रहते थे. संदीप ने फोन कर के आरजू की हत्या करने वाली बात उन्हें बताई तो उन्होंने तसल्ली दी कि चिंता न करें, आगे का काम वह देख लेगा.

5 फरवरी को नवीन के भात भरने की रस्म पूरी करने के लिए कृष्ण राजपुरा गांव पहुंचा तो वह अपने साथ अपने गांव ही के नवीन को भी साथ लाया था, वह उन का नजदीकी था. भात भरने की रस्म के बाद कृष्ण और नवीन उस की स्विफ्ट डिजायर कार पीतमपुरा ले गए. इसी चक्कर में वे उस की बारात तक नहीं गए. पीतमपुरा में उन्होंने कार की अंदरबाहर अच्छी तरह सफाई करा दी. 6 फरवरी को कार संदीप के घर पहुंचा दी.

शाफ्ट में रखी लाश की बदबू घर में फैलने लगी तो नवीन थोड़ीथोड़ी देर में परफ्यूम छिडक़ देता था. परफ्यूम की बोतल खत्म हो गई तो वह बाजार से तेज सुगंध वाले परफ्यूम की 2 दरजन बोतलें खरीद लाया, जिन में से वह 17 बोतलें छिडक़ चुका था. मेहमान और घर वाले यही समझ रहे थे कि नवीन यह सब शादी की खुशी में कर रहा है. सच्चाई तो तब सामने आई, जब पुलिस ने घर से आरजू की लाश बरामद की.

नवीन खत्री ने अपनी नईनवेली दुलहन के साथ हनीमून के लिए गोवा जाने का प्रोग्राम बनाया था. उस की 6 फरवरी की शाम को दिल्ली से गोवा की फ्लाइट थी. लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही उस की फ्लाइट चली गई तो निराश हो कर वह घर लौट आया. इस के बाद किसी काम से वह आजादपुर गया था. रात 10 बजे वह वहां से बस से मौडल टाउन के लिए लौट रहा था, तभी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

नवीन खत्री से पूछताछ के बाद पुलिस ने 12 फरवरी को नवीन खत्री के पिता राजकुमार, भाई संदीप खत्री, रिश्ते के मामा कृष्ण और नवीन को भादंवि की धारा 201, 202, 212 के तहत गिरफ्तार कर लिया. सभी को महानगर दंडाधिकारी श्री सुनील कुमार की कोर्ट में पेश किया गया. पुलिस ने राजकुमार, संदीप खत्री, कृष्ण और नवीन पर जमानती धाराएं लगाई थीं, इसलिए इन चारों को उसी समय कोर्ट से जमानत मिल गई, जबकि नवीन खत्री को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

नवीन खत्री के पिता राजकुमार हाल ही में जेल से पैरोल पर बाहर आया था. उस ने सन 2005 में गांव के ही अजय का मामूली बात पर कत्ल कर दिया था. हत्या के इस मामले में उस के परिवार के 6 सदस्य जेल गए थे. बहरहाल, कथा लिखने तक प्रेमिका की हत्या करने वाले नवीन खत्री की जमानत नहीं हुई थी. केस की जांच इंसपेक्टर सुधीर कुमार कर रहे हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों और आरजू के घर वालों के बयानों पर आधारित

आरजू की लाश पर सजाई सेज – भाग 3

7 फरवरी को पुलिस ने नवीन खत्री को रोहिणी न्यायालय में ड्यूटी मेट्रोपौलिटन मजिस्ट्रेट सोनाली गुप्ता के समक्ष पेश कर के पूछताछ के लिए 3 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया. रिमांड अवधि में अभियुक्त नवीन खत्री से विस्तार से पूछताछ की गई तो आरजू चौधरी की हत्या की रोंगटे खड़े कर देने वाली प्रेम, धोखा और छुटकारे की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली.

संजीव चौहान उत्तरी पश्चिमी जिले के गांव राजपुरा, गुड़मंडी में अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी कविता के अलावा 2 बेटियां और एक बेटा था. आरजू उन की दूसरे नंबर की बेटी थी. बड़ी बेटी पायल पढ़लिख कर दिल्ली के ही एक निजी स्कूल में टीचर हो गई थी. दूसरी बेटी आरजू दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कालेज में बीए फाइनल ईयर में पढ़ रही थी. वह कालेज बस से आतीजाती थी. कभीकभी वह अपनी सहेलियों के साथ कमलानगर मार्केट घूमने चली जाती थी.

एक दिन आरजू कालेज की एक दोस्त के साथ कमलानगर मार्केट घूमने गई थी, तभी वहां उस की मुलाकात नवीन खत्री से हो गई. नवीन को वह पहले से जानती थी, क्योंकि वह उसी के मोहल्ले में रहता था. लेकिन वह उस से कभी मिली नहीं थी. नवीन भी राजपुरा गांव के राजकुमार का बेटा था. उस दिन रैस्टोरेंट में नवीन और आरजू की पहली बार बात हुई तो आरजू के खानेपीने का बिल नवीन ने ही चुकाया. उस दौरान दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए. यह करीब 2 साल पहले की बात है.

पहली मुलाकात में ही आरजू नवीन को भा गई थी. उस से नजदीकियां बढ़ाने के लिए वह उसे जबतब फोन करने लगा. कभीकभी आरजू जैसे ही कालेज के लिए घर से निकल कर मेनरोड तक पहुंचती, नवीन मोटरसाइकिल ले कर आ जाता. उसे अपनी मोटरसाइकिल पर बिठाने के लिए कहता कि उसे लक्ष्मीबाई कालेज के सामने से होते हुए करोलबाग जाना है. तब आरजू उस की मोटरसाइकिल पर बैठ जाती. इस तरह आरजू और नवीन के बीच दोस्ती हो गई, जो बाद में प्यार में बदल गई. इस के बाद वह अकसर नवीन की मोटरसाइकिल पर घूमने लगी. नवीन भी उस पर खूब पैसे खर्च करने लगा.

राजपुरा गांव के कुछ लोगों ने आरजू को नवीन के साथ घूमते देखा तो इस की चर्चा गांव में होने लगी. इस का नतीजा यह निकला कि दोनों के ही घर वालों को उन के प्यार की जानकारी हो गई. तब उन्होंने अपनेअपने बच्चों को समझाने की कोशिश की. लेकिन आरजू और नवीन अपनी प्यार की धुन में रमे थे, उन के बारे में लोग क्या कह रहे हैं, इस की उन्हें परवाह नहीं थी. हां, उन्होंने मिलने में अब ऐहतियात बरतनी शुरू कर दी थी.

प्यार कर लिया, साथ जीनेमरने की कसमें भी खा लीं, लेकिन इस बात पर गौर नहीं किया कि वे एक ही मोहल्ले में रहते हैं, जिस की वजह से शादी होना असंभव है. गांव के रिश्ते से एक तरह से वे भाईबहन लगते थे. अगर यह बात वे पहले सोच लेते तो उन की मोहब्बत परवान न चढ़ती.

संजीव चौहान को लगा कि नवीन ने ही उन की बेटी को बहका कर अपने जाल में फांस लिया है. इसलिए उन्होंने फोन कर के नवीन के घर वालों से शिकायत की. इस के बाद नवीन के घर वाले कुछ परिचितों को ले कर संजीव चौहान के घर पहुंचे. यह करीब 4 महीने पहले की बात है.

एक ही गांव का होने की वजह से शादी होना असंभव था, इसलिए सब ने यही कहा कि दोनों के घर वाले अपनेअपने बच्चों को समझाएं. कहा जाता है कि अपने घर वालों की इज्जत को देखते हुए आरजू ने नवीन से बात करनी बंद कर दी थी. उस ने उस से दूरियां बना ली थीं. इस के बाद उस ने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया था. कल्पनाओं की दुनिया में नाम कमाने के लिए उस ने किंग्सवे कैंप स्थित एक इंस्टीट्यूट में एनिमेशन के कोर्स में दाखिला भी ले लिया था. कालेज से लौटने के बाद वह एनिमेशन सीखने जाती थी.

आरजू और नवीन भले ही घर वालों के दबाव में एकदूसरे से दूरी बनाए हुए थे, लेकिन पुरानी यादों को भूलना इतना आसान नहीं था. जब कभी वे घर पर एकांत में होते तो उन की पुरानी यादें दिमाग में घूमने लगतीं. वे यादें उन्हें फिर से मिलने के लिए उकसा रही थीं. नतीजा यह हुआ कि दोनों ही खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाए और फोन पर बातें ही नहीं करने लगे, बल्कि मिलने भी लगे.

अब आरजू नवीन पर शादी का दबाव डालने लगी, मगर नवीन कोई न कोई बहाना बना कर उसे टालता रहा. पंचायत के फैसले के बाद नवीन दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली के नागल देवत में अपनी बहन के घर रहने लगा था. वह वहीं से आरजू से फोन पर बात कर के निश्चित जगह पर उस से मिल लेता था. जबकि घर वाले सोच रहे थे कि बच्चों ने संबंध खत्म कर लिए हैं.

इस बीच नवीन के घर वालों ने दिल्ली के द्वारका सेक्टर-5 स्थित विश्वासनगर की एक लडक़ी से उस की शादी तय कर दी थी. इतना ही नहीं, 5 फरवरी, 2016 को विवाह की तारीख भी निश्चित कर दी. यह बात आरजू को पता चली तो वह नवीन पर बहुत नाराज हुई. उस ने उसे धमकी दी, “मैं किसी और से तुम्हारी शादी कतई नहीं होने दूंगी.”

आरजू की इस धमकी से नवीन डर गया. आरजू की धमकी वाली बात नवीन के घर वालों को पता चली तो वे भी परेशान हो उठे. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि इस बला से कैसे छुटकारा पाया जाए. जैसेजैसे नवीन की शादी की तारीख नजदीक आ रही थी, उन की चिंता बढ़ती जा रही थी. नवीन को इस बात का डर था कि वह उस की शादी में पहुंच कर लडक़ी वालों के यहां कोई बवंडर न खड़ा कर दे. अब आरजू उस के लिए मुसीबत बन गई थी.

तमाम रिश्तेदारों और परिचितों को वह शादी के कार्ड दे चुका था. बाकी बचे लोगों को 2 फरवरी को उसे कार्ड बांटने और दोपहर को नांगल देवत से अपनी बहन को लाने जाना था. उसी दिन उस की आरजू से बात हुई तो उस ने उस पर शादी का दबाव ही नहीं डाला, बल्कि धमकी भी दी. उस की धमकी से परेशान नवीन ने उसी समय आरजू से हमेशा के लिए छुटकारा पाने का निर्णय ले लिया.

2 फरवरी को आरजू अपने नियत समय पर कालेज चली गई. उसी दौरान उस की नवीन से बात हुई तो उस ने 9, साढ़े 9 बजे उस से कालेज के गेट पर मिलने को कहा. पहला पीरियड अटैंड करने के बाद आरजू कालेज के गेट पर इंतजार कर रहे अपने प्रेमी नवीन के पास पहुंच गई.

जबरदस्ती का प्यार – भाग 3

काफी समय बाद दोनों की मुलाकात हुई तो सावित्री के दिल में उस के प्रति उमड़ा प्यार फिर से जाग गया. लेकिन उस ने नूर हसन से साफ शब्दों में कह दिया था कि वह अब उस के साथ काम नहीं कर सकती है. जबकि नूर हसन चाहता था कि वह काम करे तो सिर्फ उसी के साथ, वरना वह उसे किसी अन्य मिस्त्री के साथ काम नहीं करने देगा.

इसी बात को ले कर कई दिनों से सावित्री और नूर हसन के बीच मनमुटाव चला आ रहा था. जब सावित्री उस के साथ काम करने को राजी नहीं हुई तो नूर हसन को शक हो गया कि उस का किसी अन्य व्यक्ति से चक्कर चल रहा है. यह बात नूर हसन ने उस के सामने कही तो सावित्री बौखला उठी.

28 मई, 2023 की शाम को इसी बात को ले कर दोनों के बीच झगड़ा हुआ. झगड़ा होने के दौरान ही नूर हसन ने उसे खत्म करने का प्लान बना लिया था. नूर हसन चाहता था कि वह काम करे तो उसी के साथ अन्यथा वह उसे किसी और मिस्त्री के साथ काम नहीं करने देगा. सावित्री उस की इस बात पर राजी नहीं थी.

दोनों के बीच झगड़ा होने के बाद सावित्री वहां से जाने लगी तो नूर हसन ने उसे रोका. फिर उस ने उसे घर छोडऩे की बात कही. लेकिन फिर भी सावित्री ने उस के साथ जाने से साफ मना कर दिया था. जब नूर हसन को लगा कि वह उस की बातों मे आने वाली नहीं है तब उस ने सावित्री के सामने अपनी गलती मानी और भविष्य में ऐसी गलती न करने की कसम भी खाई. सावित्री नूर हसन को बहुत चाहती थी. वह जल्दी ही उस की मीठी बातों में आ गई. फिर वह उसी की बाइक पर बैठ कर चली गई.

हवस पूरी न हुई तो कर दी हत्या

नूर हसन सावित्री को बाइक पर बिठा कर एकांत में घटनास्थल पर ले गया. घटनास्थल पर ले जाने के बाद उस ने उस के साथ संबंध बनाने की इच्छा जाहिर की. सावित्री ने उस वक्त संबंध बनाने से मना किया तो वह अपना आपा खो बैठा. उस ने गुस्से के आवेग में आ कर उस के साथ मारपीट शुरू कर दी.

उस वक्त घटनास्थल पर दूरदूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था. जब सावित्री उस के कब्जे में नहीं आई तो उस ने उसे ऊंचे टीले से नीचे की ओर धक्का दे दिया. उस मिट्टी के टीले से गिरने के बाद ही सावित्री सुध खो बैठी. सावित्री के बेहोश होते ही नूर हसन ने दरिंदगी दिखाते हुए ब्लेड से उस का गला काट दिया. गला कटते ही तेजी से खून निकलने लगा और थोड़ी ही देर में सावित्री की मौत हो गई.

सावित्री की गला काट कर हत्या करने के बाद नूर हसन बुरी तरह से घबरा गया. उस ने वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन उस के कदम वहीं पर ठिठक गए. उस के दिमाग में तुरंत ही एक आइडिया आया. क्यों न उस के नीचे के कपड़े फाड़ दिए जाएं, ताकि लोग उसे देख कर यही अनुमान लगाएं कि उस के साथ रेप हुआ है.

यही सोच कर उस ने सावित्री के नीचे के कपड़े फाड़ दिए. उस के तुरंत बाद ही उस ने सावित्री का मोबाइल स्विच्ड औफ कर दिया था. फिर वह उस का पर्स ले कर घटनास्थल से फरार हो गया. घर जाने के बाद उस ने तुरंत ही पहने हुए कपड़े बदल डाले, जिस से वह पुलिस की पकड़ में न आ सके. घर जाने के बाद अपने परिवार वालों की गैरमौजूदगी में उस ने कई बार सावित्री का मोबाइल खोला और बंद किया. उस के मोबाइल पर कई मिस्ड काल आई हुई थीं. उन को देख कर वह बारबार मोबाइल को स्विच्ड औफ कर देता था.

रात के 8 बजे उस ने फिर से मोबाइल खोला तो कई फोन आए. उस ने उन इनकमिंग काल में से कई को रिसीव भी किया. वह बारबार महिला और बच्चे की आवाज बदल कर उन को भ्रमित करता रहा. जिस के कारण सावित्री के परिवार वाले समझ नहीं पा रहे थे कि सावित्री का मोबाइल किस के पास है.

सावित्री की हत्या करने के बाद नूर हसन पुलिस की नजरों से बचकर इधरउधर भागता रहा. लेकिन जब उसे 29 मई, 2023 की सुबह को पता चला कि पुलिस को सावित्री की हत्या की जानकारी मिल चुकी है तो वह भी घटना स्थल पर पहुंचा. ताकि मृतका के घर वाले उस पर ही शक न कर सकें.

घटनास्थल पर जा कर वह नरेश से भी मिला. उस ने उस के घर वालों को सांत्वना भी दी. जिस के कारण उस के परिवार वाले उस पर किसी तरह का शक नहीं कर पाए थे. लेकिन खोजी कुतिया कैटी की सूझबूझ के सामने उस की सारी चालाकी धरी की धरी रह गई.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने अभियुक्त की निशानदेही पर उस की बाइक, हत्या में प्रयुक्त ब्लेड, मृतका की चप्पलें, उस का मोबाइल फोन व पर्स भी बरामद कर लिया था. नूर हसन ने घटना के वक्त पहने कपड़े भी पुलिस के हवाले कर दिए थे.

नूर हसन से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने कोर्ट में पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया. मामले की जांच इंसपेक्टर प्रवीण सिंह कोश्यारी कर रहे थे.

प्रेमिका बनी ब्लैकमेलर – भाग 2

समय के साथसाथ जैसे सिमरन बड़ी होती गई, उस की सुंदरता में और भी निखार आता गया. जवान होतेहोते वह रूप की रानी बन गई. होश संभालते ही उस ने भी मोबाइल चलाना सीख लिया था. उसी दौरान उसने फेसबुक, वाट्सऐप व इंस्टाग्राम चलाना सीख लिया था. उस के बाद वह अपनी सुंदर फोटो खींच कर सोशल मीडिया पर अपलोड करने लगी. जिस की अदाएं देख कर फेसबुक पर उस के हजारों दोस्त बन गए.

हजारों लोगों के फालोअर बनते ही उस ने अपने रखरखाव पर और अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया था, जिस के कारण दिनबदिन उस के फालोअर्स की संख्या में बढ़ोत्तरी होती गई. उसी दौरान उस की फूफी फातिमा का इंतकाल हो गया. फूफी के इंतकाल के बाद उस ने उस घर को छोड़ दिया और किराए का कमरा ले कर अकेली ही रहने लगी. उसे पहले से ही अपनी खूबसूरती पर नाज था. उसी खूबसूरती के कारण ही उस के आसपास में कई चाहने वाले भी बन गए थे.

उन्हीं चाहने वालों में था उस का एक पड़ोसी राशिद, जिस की शनीफ से अच्छी पटती थी. कई बार राशिद ने शनीफ के सामने सिमरन की सुंदरता की तारीफ की थी. लेकिन वह उस से कभी भी रूबरू नहीं हो पाया था. सिमरन की तारीफ सुन कर कई बार उस का उस से मिलने का मन भी करता, लेकिन समय अभाव के कारण वह मिल नहीं पाया था.

शनीफ मलिक से हुआ प्यार

अब से लगभग डेढ़ साल पहले की बात है. हर रोज की तरह उस दिन भी शनीफ अकेला ही दुकान पर बैठा हुआ था, तभी उस की दुकान के सामने एक स्कूटी आ कर रुकी. उस स्कूटी पर सवार युवती निहायत ही खूबसूरत थी. शनीफ की जैसे ही उस युवती पर नजर पड़ी तो वह उसे देखता ही रह गया. उस ने सोचा भी न था कि वह उस की दुकान से अंडे लेने आई है. लेकिन जैसे ही वह युवती उस की दुकान की ओर बढ़ी, उस के दिल की धडक़न दोगुनी हो चली थी. जैसे ही वह पास आ कर खड़ी हुई, वह उसे देखता ही रह गया.

युवती ने दुकान पर पहुंचते ही अंडे देने को कहा. तभी उस के दिमाग में आया कि कहीं यही तो सिमरन नहीं है. उस ने अंडे गिनतेगिनते कुछ हिम्मत जुटाई, “आप का नाम सिमरन तो नहीं?”

“जी हां, मैं ही सिमरन हूं. पर आप मेरा नाम कैसे जानते हो?”

“यूं ही आप के बारे मे मेरे दोस्त चर्चा करते रहते हैं.”

“कौन है, आप का दोस्त?”

“वही राशिद जो आप के पड़ोस में रहता है.”

“ओहो! तो वह आवारा यहां तक घूमता है. वैसे मैं आप का नाम जान सकती हूं.”

“हां, क्यों नहीं. मुझे शनीफ मलिक कहते है.”

“बहुत अच्छा नाम है आप का. ओके चलती हूं.”

“ठीक है, फिर आगे भी हमारी दुकान की शोभा बढ़ाने के लिए आते रहना.”

“जी जरूर, लेकिन आप के बैठने का समय क्या है? क्योंकि मैं इस से पहले भी कई बार यहां से अंडे खरीद कर ले जा चुकी हूं. लेकिन उस वक्त तो शायद आप के वालिद ही मिलते थे.”

“जी हां, दोपहर तक दुकान वही संभालते हैं. मेरी ड्यूटी शाम को शुरू होती है. आप ये मेरा नंबर रख लीजिए, जब आप को अंडे चाहिए, मुझे फोन पर ही बता देना. मैं तुम्हारे आने से पहले ही ताजे अंडे छांट कर रख लिया करूंगा.”

“तो फिर आप ने जो मुझे अंडे दिए हैं, वो बासी हैं क्या?” युवती ने मजाक के लहजे में प्रश्न किया.

“नहींनहीं, फिर भी जब आप मुझे बता कर आओगी तो मुझे सहूलियत होगी.” कह कर शनीफ ने उसे एक विजिटिंग कार्ड थमा दिया. उस के बाद सिमरन हंसती हुई वहां से चली गई.

पहली मुलाकात में ही शनीफ उस की खूबसूरती का दीवाना हो गया था. उस दिन के बाद वह जल्दी ही मोबाइल पर उस की फेसबुक और इंस्टाग्राम को खंगालने में लग गया और जल्दी ही सिमरन के साथ फेसबुक और दूसरे मीडिया प्लेटफार्म पर जुड़ गया. फिर कुछ ही दिनों में दोनों के बीच दोस्ती गहराने लगी.

शनीफ देखनेभालने में हैंडसम था. धीरेधीरे दोनों में दोस्ती इस कदर पक्की हो गई कि उन्हें एकदूसरे से मिले बिना चैन नहीं पड़ता था. दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चालू हुआ तो दोनों ही साथ जीनेमरने की कसमें भी खाने लगे थे. उन्हीं एकांत मुलाकातों में सिमरन ने पूरी तरह से अपना शरीर उसे समर्पित कर दिया. सिमरन को पा कर शनीफ अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझने लगा था. उसे घमंड इस बात का था कि एक खूबसूरत और मौडर्न लडक़ी उस के इतने करीब थी कि उस ने कभी सोचा भी नहीं था.

सिमरन का खर्च उठाने लगा शनीफ

सिमरन शेख से गहरी दोस्ती हो जाने के बाद शनीफ मलिक उसे खर्च के लिए कुछ पैसे भी देने लगा था. वह पूरी तरह से सिमरन को अपनी मानने लगा था. यही कारण रहा कि उस ने कभी भी उसे पैसे देने से मना नहीं किया. समयसमय पर वह उस के छोटेमोटे खर्च खुद ही वहन करने लगा था.

उसी दौरान कई बार दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बने. उन्हीं अवैध संबंधों के दौरान सिमरन अकसर दोनों की वीडियो यह कह कर बना लेती थी कि यह उस का शौक है. उस के बाद वह उन वीडियो को अन्य फोन में भी सेव कर लेती थी. लेकिन शनीफ उसे इस कदर चाहने लगा था कि उस ने कभी भी किसी भी प्रतिक्रिया पर शक नहीं किया था.

उसी दौरान शनीफ के घर वालों ने उस के निकाह करने की सोची. फिर जल्दी ही शनीफ के घर वाले उस के निकाह की चर्चा करते हुए एक लडक़ी की तलाश में जुट गए. यह बात शनीफ ने सिमरन के सामने रखी. उस ने सिमरन से साफ शब्दों में कहा कि इस से पहले मेरे घर वाले मेरा निकाह किसी और लडक़ी से करें, हम दोनों कोर्ट मैरिज कर लेते हैं.

शनीफ जानता था कि अगर उस ने अपने घर वालों के सामने उस का जिक्र किया तो वह उस के साथ निकाह करने के लिए किसी भी हाल में राजी होने वाले नहीं. लेकिन सिमरन ने उस के साथ निकाह करने से साफ मना कर दिया. सिमरन का कहना था कि अभी निकाह करने की क्या जल्दी है. वह इतनी जल्दी निकाह के बंधन में बंधना नहीं चाहती.

सिमरन की बात सुनते ही शनीफ को बहुत बड़ा झटका लगा. वह उसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता था. उस के लिए उसे चाहे कितनी भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े.

प्रेमिका बन गई ब्लैकमेलर

उस के बाद सिमरन ने नएनए खर्च बता कर शनीफ से मोटी रकम ऐंठनी शुरू कर दी थी. उस ने कई बार उस की मांग पूरी कर भी दी, लेकिन उस की मांग पहले से ज्यादा बढऩे लगी थी. शनीफ ने उस के सामने अपनी मजबूरी बताते हुए पैसे देने से मना किया तो उस ने उसे उस के साथ बनाई गई अश्लील वीडियो दिखा कर धमकाने की कोशिश की.

उस ने साफ शब्दों में कहा कि अगर उस ने उस की मांग पूरी न की तो वह उस की सारी वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर देगी, जिस के बाद वह सारी जिंदगी कुंवारा ही बैठा रहेगा. सिमरन ने उस के कई फोन काल भी रिकौर्ड कर रखे थे.

आरजू की लाश पर सजाई सेज – भाग 2

संजीव चौहान और उन की पत्नी कविता का बेटी की चिंता में रोरो कर बुरा हाल था. संदीप से बात किए उन्हें कई घंटे हो चुके थे. उधर से उन के पास कोई फोन नहीं आया था. आखिर उन्होंने ही फिर से संदीप को फोन किया, “संदीप क्या हुआ, अभी तक तुम ने आरजू के बारे में कुछ नहीं बताया.”

“आंटी, मैं उसे कहां से ढूंढू. हम राजपाल अंकल के पास गए थे. वह शादी में जा रहे थे. उन के लौटने के बाद ही बात करेंगे.” संदीप ने कहा.

“मगर तुम ने तो कहा था कि एसएचओ से बात कर के आरजू को ढूंढोगे.” कविता ने कहा.

“आंटी, कल हमारे यहां शादी है. बताओ, मैं उसे कहां से लाऊं?”

“देखो, मैं इस बात की गारंटी देती हूं कि मेरी बेटी घर आ जाएगी तो मैं शादी में कोई विघ्न नहीं डालूंगी.” उन्होंने कहा. संदीप ने फोन अपनी दादी राजरानी को दे दिया. राजरानी से बात करते समय कविता की आंखों में आंसू भर आए. उन्होंने भर्राई आवाज में कहा, “मैं बहुत दुखी हूं. 3 दिन हो गए मेरी बच्ची घर नहीं आई.”

“दुख तो हमें भी है. हम ने नवीन को इतना टाइट कर दिया था कि वह 3 महीने से अपनी बहन के घर है. वहीं पर वह अपना काम भी कर रहा है. यहां आता भी नहीं. अब यह उस बच्ची को कहां से लाए?” राजरानी ने कहा.

“मुझे पता चला है कि एक हफ्ते पहले नवीन बाइक से आरजू का बस का पास बनवाने ले गया था. अभी भी वह उस के साथ घूमती थी. आप कैसे कह रही हैं कि वह आरजू से नहीं मिलता था. संदीप ने भी कहा था कि अपनी इज्जत के लिए वह कुछ भी करेगा.” कविता ने कहा.

“कह दिया होगा तो वह गारंटी थोड़े ही लेगा. वह माचिस की डिब्बी में तो है नहीं, जो निकाल कर दे दें. लडक़ी की जो फ्रैंड हैं, उन से भी पूछ लो. यह भी हो सकता है कि तुम्हारी रिश्तेदारी में जहां शादी हो रही है, वह वहीं पहुंच जाए. शांति रखो सब ठीक हो जाएगा.”

“मैं शांति ही तो रखे हुए हूं. मैं ने पुलिस के पास अभी नवीन का नाम तक नहीं लिखवाया है. मुझे मेरी बेटी दिलवा दो. मैं बहुत सहयोग करूंगी. मेरी बेटी तुम्हारी शादी में विघ्न भी नहीं डालेगी.” कहतेकहते कविता रो पड़ीं.

अगले दिन नवीन की शादी थी. कविता ने सोचा कि हो सकता है शादी के बाद वह बेटी को ढूंढने में मदद करें, इसलिए उन्होंने एक दिन और चुप रहना उचित समझा. 6 फरवरी की शाम तक संदीप खत्री और उस के घर वालों ने कोई जवाब नहीं दिया तो चौहान दंपति के सब्र का बांध टूट गया. संजीव चौहान थाने पहुंचे और उन्होंने शक के आधार पर नवीन खत्री के खिलाफ बेटी के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

अपहरण की रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस काररवाई तेज हो गई. डीसीपी विजय सिंह ने एसीपी (मौडल टाउन) के नेतृत्व में एक टीम बनाई, जिस में थानाप्रभारी रामअवतार यादव, अतिरिक्त थानाप्रभारी सुधीर कुमार, एसआई संदीप माथुर, अमित राठी, विश्वप्रताप शर्मा, हैडकांस्टेबल रंधीर सिंह, जयभगवान, कांस्टेबल शिवकुमार, नवीन, राजेश को शामिल किया गया.

रिपोर्ट नामजद थी, इसलिए पुलिस टीम गांव राजपुर, गुड़मंडी में नवीन के घर जा पहुंची. वह घर पर नहीं मिला. उस की मां और दादी ने बताया कि वह अपनी नईनवेली दुलहन को ले कर हनीमून मनाने गोवा गया है. पुलिस टीम लौट आई. उस के गोवा से लौटने के बाद ही उस से आरजू के बारे में पूछताछ की जा सकती थी. इस बीच पुलिस ने आरजू और नवीन खत्री के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा लिया था.

उस दिन रात 10 बजे के करीब पुलिस टीम को खबर मिली कि नवीन आजादपुर से मौडल टाउन की ओर डीटीसी की एक बस से आ रहा है. इस खबर पर थानाप्रभारी चौंके, क्योंकि उन्हें तो उस के गोवा जाने की खबर मिली थी. उन के पास नवीन खत्री का फोटो था ही, इसलिए वह मौडन टाउन-2 के बस स्टाप पर खड़े हो कर आजादपुर से आने वाली बसों की तलाशी लेने लगे. आखिर एक बस में उन्हें नवीन खत्री मिल गया.

पुलिस को देखते ही उस ने भागने की कोशिश की, लेकिन बस के दोनों दरवाजों पर पुलिस के तैनात होने की वजह से उस की कोशिश सफल नहीं हो सकी. उसे हिरासत में ले कर पुलिस टीम थाने ले आई.

आरजू के बारे में पूछने पर उस ने कहा, “4 महीने पहले जब पंचायत बैठी थी, तभी से मैं ने उस से बातचीत बंद कर दी थी. अब तो मेरी शादी भी हो चुकी है. उस दिन वह कालेज से कहां गई, मुझे नहीं पता.”

“लेकिन कालेज के गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरे की रिकौर्डिंग में आरजू तुम्हारे साथ जाती दिखाई दी है.” इंसपेक्टर सुधीर कुमार ने कहा.

“नहीं सर, ऐसा नहीं हो सकता. मैं तो उस दिन सुबह से ही अपनी शादी के कार्ड बांट रहा था.” नवीन ने कहा.

नवीन और आरजू के नंबरों की काल डिटेल्स से पता चला था कि 2 फरवरी, 2016 को सुबह 9 से साढ़े 9 बजे के बीच उस की आरजू से बात हुई थी. उस समय उस के फोन की लोकेशन भी लक्ष्मीबाई कालेज के आसपास थी. इस से साफ लग रहा था कि नवीन झूठ बोल रहा है.

पुलिस ने उसे सारे सबूत दिखा कर पूछताछ की तो उसे सच बोलना पड़ा. उस ने मान लिया कि उस ने आरजू की हत्या कर दी है और इस वक्त लाश उस के घर में ही पड़ी है. पुलिस को हैरानी इस बात की थी कि शादी वाले घर में 5 दिनों से लाश कैसे रखी है?

पुलिस उसे ले कर उस के घर पहुंची तो मकान में कमरों और किचन के बीच वेंटिलेशन के लिए कुछ खाली जगह छूटी थी, उसी खाली जगह में पानी के पाइप लगे थे. उसे शाफ्ट कहते हैं. उसी शाफ्ट में उस ने आरजू की लाश छिपा कर रखी थी, जिसे उस ने बरामद करा दी. घर से आरजू की लाश बरामद होने पर नवीन के घर वाले भी हैरान रह गए.

आरजू की लाश बरामद होने की जानकारी थानाप्रभारी ने डीसीपी व अन्य अधिकारियों को दी तो जिला स्तर के सभी अधिकारी मौके पर पहुंच गए. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी मौके पर बुला लिया गया. लाश देख कर ही लग रहा था कि हत्या कई दिनों पहले की गई थी. लाश से दुर्गंध भी आ रही थी. उस के गले में उस समय भी एक दुपट्टा लिपटा था.

थाने का माहौल गमगीन हो गया था. पुलिस अधिकारियों ने पीडि़त पक्ष को आश्वासन दिया कि नवीन के अलावा इस केस में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन के खिलाफ भी काररवाई की जाएगी. किसी तरह समझाबुझा कर पुलिस ने उन्हें शांत किया. इस के बाद उन्होंने लाश पोस्टमार्टम के लिए बाबू जगजीवनराम मैमोरियल अस्पताल भेज दी.