‘किलर सूप’ रिव्यू : मनोज वाजपेयी और कोंकणा सेन की डार्क थ्रिलर कॉमेडी – भाग 1

कलाकार: मनोज बाजपेयी, कोंकणा सेन शर्मा, नासर, सयाजी शिंदे, अनुला नावलेकर, कानि कुश्रुति, वैशाली बिष्ट

छायांकन: अनुज राकेश धवन

निर्देशक: अभिषेक चौबे

निर्माता: चेतना कौशिक, हनी त्रेहन

लेखक: अभिषेक चौबे, अनंत त्रिपाठी, उनैजा मर्चेंट, हर्षद नलवडे

ओटीटी: नेटफ्लिक्स

बौलीवुड के 4 मंझे हुए कलाकारों को ले कर वेब सीरीज (Web Series) ‘किलर सूप’ (Killer Soup) बनाई गई. इस में मुख्य भूमिका  कोंकणा सेन (Konkona Sen), मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee), सयाजी शिंदे और नासर ने निभाई है. वेब सीरीज के 8 एपिसोड हैं जोकि साढ़े 6 घंटे के हैं. वेब सीरीज को नेटफ्लिक्स (Netflix) पर मर्डर मिस्ट्री, सस्पेंस (Suspense), क्राइम, ड्रामा बता कर दर्शकों को बेचा जा रहा है.

पहले एपिसोड में दर्शकों को टीवी जगत की डायरेक्टर एकता कपूर की याद जरूर आएगी. क्योंकि कब कौन सा पात्र कहां से, क्यों निकल कर सामने आ रहा है, वह समझने के लिए आप को 8वें एपिसोड को पहले देखना चाहिए.

वेब सीरीज ‘किलर सूप’ में रोमांच, रहस्य या फिर अच्छे संगीत की भारी कमी खलती है. दरअसल, पहले एपिसोड के अंत में मर्डर से शुरू होने वाली वेब सीरीज के बैंकग्राउंड में अच्छे संगीत की कमी आप को अंत तक महसूस होगी.

हालांकि जब वेब सीरीज समाप्त होती है, तब आप को अच्छा संगीत सुनने को मिलेगा. यह सीरीज ‘एक हसीना के 2 दीवाने’ के तर्ज पर बनी है. उस में संयोग यह भी है कि दोनों दीवानों का हुलिया एक जैसा है यानी सीरीज के नायक मनोज बाजपेयी का डबल रोल है.

Manoj-vajpayi

अब एक जैसे हुलिए के पीछे कहानी कुछ नहीं है, जो दर्शकों को काफी निराश करने वाली है. सीरीज को क्राइम के लिहाज से देखना चाहते हैं तो आप को पूरी कौमेडी हर स्तर पर मिलेगी. सीरीज के केंद्रबिंदु में कोंकणा सेन है, जो 1995 में मणिरत्नम की फिल्म ‘बांबे’ की नायिका मनीषा कोइराला से काफी प्रभावित है.

यह क्यों है, इस में जरूर डायरेक्टर ने वेब सीरीज में सस्पेंस बना रखा है. दर्शकों को मनीषा कोइराला को ले कर आखिर तक इस बारे में जरा भी भनक नहीं लगेगी और आप सोच भी नहीं सकेंगे, क्योंकि मनीषा कोइराला के नाम और उस पर फिल्माए गीत ‘तू ही रे, तेरे बिना मैं कैसे जिऊं…’ दर्शकों के सामने कई बार आएगा. लेकिन, जब भी आएगा दर्शक मुसकराए बिना नहीं रह पाएंगे.

वास्तव में देखा जाए तो यह वेब सीरीज बौटनी यानी वनस्पति शास्त्र के छात्रों के लिए बनाई गई है. इस में कवक या दूसरे नाम मशरूम के बारे में डायरेक्टर ने दर्शकों को समझाने की कोशिश की है. जहरीले मशरूम से बनने वाले मसाले का इस्तेमाल चिकन सूप में होता है. हालांकि ऐसा होने तक वेब सीरीज समाप्ति की ओर पहुंच जाती है.

इस में 2 मुख्य भूमिका निभाने वाले पात्र भी संदिग्ध हालात में मर जाते हैं. वे दोनों जिस यात्री बस में सवार होते हैं, उस में मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने वाला एएसआई का भूत छत पर दिखाया गया है. आप को हैरानी हो रही होगी कि एएसआई का भूत मर्डर की जांच कर रहा है. इसीलिए दर्शकों से यह दावा है कि उन्हें वेब सीरीज देखने के बाद रहस्य-रोमांच नहीं बल्कि अंधविश्वास पर हंसी का अहसास होगा.

जांच करने वाला एएसआई का भूत वेब सीरीज में करीब 10 बार आता है. सीरीज में जबरिया सैक्स सीन भी डाला गया है. मनोज बाजपेयी जैसे सीनियर कलाकारों में यह सीन फिल्माते वक्त जिन मर्यादाओं को उन्होंने पहले से बरकरार रखा है, वह बना हुआ है.

कोंकणा सेन ने जरूर एक जगह कुछ पल के लिए पोर्न मूवी जैसा अहसास दर्शकों को कराया है. यह सीन शायद दर्शकों के सामने वेब सीरीज को बेचने के उद्देश्य से डायरेक्टर ने पैदा किया है.

वेब सीरीज के पहले एपिसोड में ही लगभग सारे पात्रों की एंट्री हो जाती है. शुरुआत मेनजूर सिटी से होती है. एपिसोड की मुख्य कलाकार कोंकणा सेन है, जिस का नाम स्वाति शेट्टी है. उस का पति प्रभाकर शेट्टी यानी मनोज बाजपेयी है.

मनोज बाजपेयी की अलगअलग भूमिका को रेखांकित करने के लिए प्रभाकर शेट्टी के दाहिने पैर में तकलीफ दिखाते हुए छड़ी थमाई गई है. वहीं दूसरा मनोज बाजपेयी जो उमेश महतो के नाम से वेब सीरीज में दिखेगा, उसे बाईं आंख से काना दिखाया गया है.

मुख्य कलाकार स्वाति अपने पाया सूप की रेसिपी वाला रेस्टोरेंट खोलना चाहती है. जबकि पति प्रभाकर शेट्टी कैलिफोर्निया नाम से होटल डालना चाहता है.

पहले एपिसोड में दिखाया गया है कि यह सब कुछ तभी संभव हो सकता है, जब अरविंद शेट्टी की मदद मिले. अरविंद शेट्टी की भूमिका सयाजी शिंदे ने निभाई है. वह मशरूम की खेती करता है, जिस की आड़ में वह गलत धंधे यानी मादक पदार्थ भी यहांवहां सप्लाई करता है. मनोज बाजपेयी उस का छोटा भाई है, जोकि उस के धंधे की रकम को संभालने का काम करता है.

ऐसा करते हुए वह करीब 31 करोड़ रुपए की हेराफेरी अरविंद शेट्टी से कर देता है, जिस की जानकारी सिर्फ प्रभाकर शेट्टी की पत्नी स्वाति को होती है. यह रोल कोंकणा सेन ने निभाया है.

स्वाति शेट्टी अपने प्रेमी यानी डुप्लीकेट मनोज बाजपेयी का किरदार निभा रहे मनोज (उमेश महतो) को बता देती है. उमेश महतो मसाज पार्लर में जौब करता है. यहां अकसर प्रभाकर और उस का भाई अरविंद मसाज करने आतेजाते हैं.

उमेश महतो मसाज करते वक्त चुपचाप चोरी की बात उजागर करने की धमकी दे कर पत्र प्रभाकर के बैग में रख देता है. इसी मामले की जांच करने के लिए अमेरिकी मूल के नागरिक डिटेक्टिव किरण नडार को प्रभाकर जिम्मेदारी सौंप देता है. डिटेक्टिव का रोल भगवती पेरुमल ने किया है.

वह चुपचाप अपनी जासूसी करते हुए स्वाति और उमेश महतो के अवैध संबंधों को अपने कैमरे में कैद कर लेता है. इस के अलावा स्वाति एक कुकिंग क्लास के लिए खानसामा मेहरुन्निसा के पास जाती है.

मेहरुन्निसा की भूमिका वैशाली बिष्ट ने निभाई है. स्वाति के वहां जाने को ले कर प्रभाकर को आपत्ति है. इस के बावजूद वह ऐसा करती है. हालांकि यह बात प्रभाकर शेट्टी को पता चलती, उस से पहले कैलिफोर्निया होटल खोलने के लिए अपने भाई अरविंद शेट्टी को मनाने वह पार्टी में चला जाता है.

इस पार्टी में 5 रशियन लड़कियों को बुला कर अरविंद शेट्टी को ऐश करने के लिए प्रभाकर शेट्टी बोलता है. यहां वह अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को बताता है तो अरविंद शेट्टी नाराज हो जाता है. वह कहता है कि अभी चेन्नै की पार्टी से डील को फोकस करने में उस की मदद करे. इधर, खानासामा के यहां से निकलते वक्त स्वाति को अमेरिकी मूल का जासूस कैमरे में कैद करता है. यह स्वाति की नजर में आ जाता है.

कार में बैठे जासूस के साथ उस की झूमाझटकी होती है. इस दौरान उस से कैमरा छीन लेती है. लेकिन, गले में उस की बेल्ट रह जाती है. तभी एक तेजरफ्तार ट्रक आ कर उसे उड़ा देती है. कैमरे की तसवीरें देख कर स्वाति चौंक जाती है. वह फोन कर के उमेश को अपने घर बुला लेती है.

इधर, कैलिफोर्निया होटल की पार्टी में हुए घटनाक्रम से नाराज हो कर प्रभाकर जब घर पहुंचता है तो वहां घर पर उमेश मिल जाता है. इस से पहले प्रभाकर और स्वाति के बीच सैक्स सीन भी फिल्माया गया है. ऐसा करते वक्त पलंग के नीचे जासूस से छीना कैमरा ले कर उमेश भी छिपा होता है.

सैक्स करने के बाद जब प्रभाकर सो जाता है, तब स्वाति और उमेश घर में ही बहस कर रहे होते हैं. तभी वहां कैमरा ले कर प्रभाकर आ जाता है और संघर्ष के दौरान उमेश 3 बार भारी चीज से प्रहार कर के उस को मार देता है.

दोनों कारपेट में प्रभाकर के शव और कैमरे को लपेट कर जंगल में ले जा कर दफना देते हैं. ऐसा करने के बाद दोनों जब घर आते हैं तो डिटेक्टिव किरण नडार के मोबाइल से प्रभाकर शेट्टी के मोबाइल पर काल आता है.

आर्या सीजन 3 : माफिया क्वीन बनी सुष्मिता सेन की जोरदार वापसी – भाग 3

संपत ध्रुव और एक लड़के को बुलाता है और पूछता है कि सचसच बताओ कि कंटेनर का नंबर खान को किस ने दिया था? क्योंकि कंटेनर का नंबर तुम दोनों को ही शेयर किया गया था. हमारे धंधे में खबरी की सजा मौत है. आधा घंटा है पता कर लो. दोनों लडऩे लगते हैं और फिर आपस में संपत को मारने की बात करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि संपत उन्हें मार देगा.

दूसरी ओर नलिनी आर्या से कहती है कि वह सप्लायर बनने का जो सपना देख रही है, उसे भूल जाए. क्योंकि उस के धंधे में जो गद्दारी करता है, उस की सजा मौत है. यह कंसाइनमेंट उस की वजह से चोरी हुआ है, इसलिए कंसाइनमेंट उसे ही वापस लाना होगा. अभिमन्यु कहता है कि वह सूरज को संभाल लेगा. पर सूरज को आर्या खुद मारना चाहती थी.

पूछताछ के दौरान खान माया से कहता है कि वह आर्या का साथ छोड़ दे, वरना बीर और अरु की जगह उस का बेटा अप्पू हो सकता है. इस के बाद वह रूप का फोटो दिखा कर बीर से पूछता है कि वह इस लड़की को जानता है.

ध्रुव दूसरे लड़के को मार देता है और एक औडियो संपत को सुनाता है कि यह लड़का सारी बातें रिकौर्ड कर खान को सुना दिया करता था. आर्या रात को घर लौटती है तो देखती है कि कुछ लोग उस के घर के सामने लाश फेंक रहे हैं. वह लाश रूप की थी, जिसे देख कर आर्या बहुत दुखी हो जाती है. माया भी लाश देख कर बहुत दुखी होती है.

बीर अपनी मां से रूप के बारे में पूछता है तो बेटा दुखी न हो, इस के लिए वह झूठ बोल देती है कि रूप को वह किसी भी हालत में ढूंढ निकालेगी. बीर आर्या को बताता है कि खान आया था उस के बिजनैस के बारे में पूछ रहा था, पर उस ने कुछ नहीं बताया. वह खुद रूप को ढ़ूंढऩे की बात करता है तो आर्या उसे रोकती है.

माया अपना सामान पैक करते हुए लाश के बारे में पूछती है तो आर्या उसे बताती है कि रूप मर चुकी है, पर वह अभी अपने बेटे बीर को यह बात बताना नहीं चाहती. माया जाने की बात करती है तो आर्या उसे रोकती है. पर माया अगले दिन सुबह जाने की बात करते हुए कहती है कि उस के यहां अब कोई सेफ नहीं है.

सुशीला फोन कर के आर्या को बताती है कि प्रताप का पता चल चुका है मतलब कि सूरज भी वहीं होगा. आर्या उस से कंसाइनमेंट तलाशने के लिए कहती है. इस के बाद संपत के साथ आर्या सूरज की लोकेशन पर पहुंच जाती है. दोनों प्रताप को गोली मार देते हैं, पर सूरज भाग जाता है.

आर्या का बेटा आदित्य बौडीगार्ड के साथ स्कूल जाता है, जहां बच्चे उसे परेशान करते हैं. आर्या के बेटे आदित्य का स्कूल में एक लड़के से झगड़ा हो जाता है, जिस का बाप वकील है. प्रिंसिपल आर्या को स्कूल बुलाती है, जहां वकील और आर्या में झड़प हो जाती है और दोनों एकदूसरे को देख लेने की धमकी देते हैं.

चौथे एपिसोड में सूरज माया की गैलरी पहुंच जाता है और अपनी पत्नी की मेमोरी गुम हो जाने की बात कह कर माया को अपने घर चलने को कहता है. आर्या घर आती है तो अरु बताती है कि उसे कविता को परफार्मेंस के लिए पहला पेमेंट मिला है. उस का अगला परफार्मेंस नलिनी के घर है. आर्या नलिनी को फोन करती है तो नलिनी कहती है कि वह कंसाइनमेंट का जल्दी पता करे, क्योंकि रशिया से एंटोन की जगह मिकायल आने वाला है और वह बहुत खतरनाक है.

रशिया से गेस्ट आने वाले हैं, इसलिए वह बेटी को परफार्मेंस के लिए अच्छी तरह तैयार कर दे. आर्या इस से घबरा जाती है.

माया सूरज के घर पहुंच कर मेजरमेंट ले रही होती है, तभी उस की नजर एक फोटोफ्रेम पर पड़ती है, जिस से उसे पता चलता है कि यह आदमी कोई और नहीं, नंदिनी का पति सूरज है. वह घबरा जाती है, तभी सूरज उस पर हमला कर देता है. माया उस से माफी मांगने लगती है. अप्पू स्कूल में इंतजार कर रहा था कि मां आज लेने क्यों नहीं आई. तब वह आर्या को फोन कर के बताता है कि आज मम्मी उसे लेने नहीं आई.

आर्या डर जाती है और संपत से बात करती है तो वह बताता है कि उस के गार्ड का भी फोन नहीं लग रहा है. आर्या संपत को अप्पू को लाने के लिए कह कर आर्ट गैलरी चली जाती है, जहां सीसीटीवी फुटेज में माया सूरज के साथ दिखाई देती है. आर्या सुशीला से माया की लोकेशन पता करती है और उस जगह के लिए चल पड़ती है.

दूसरी ओर इस सब की जानकारी खान को हो जाती है. वह अपनी टीम के साथ आर्या को रंगेहाथ पकडऩे के लिए निकलता है, लेकिन सुशीला यह बात आर्या को बता देती है, जिस से वह संपत से अपनी कार बदल कर वहां पहुंच जाती है, जहां सूरज माया को ले कर गया था.

आर्या सूरज से खूनखराबा बंद करने की बात करती है. सूरज मान भी जाता है, पर तभी बीर गन ले कर रूप की मौत का बदला लेने पहुंच जाता है. सूरज उसे मारना चाहता है, पर उस के पहले ही आर्या उसे गोली मार देती है और तीसरा सीजन यहीं खत्म हो जाता है.

सुष्मिता सेन

सुष्मिता सेन का जन्म 19 नवंबर, 1975 को आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार में हुआ था. उस के पिता शुबेर सेन एयरफोर्स में विंग कमांडर थे तो मां शुभ्रा सेन का दुबई में अपना डिजाइनर गहनों का शोरूम था. उस ने नई दिल्ली स्थित वायुसेना गोल्डन जयंती संस्थान और सिकंदराबाद के सेंट हाई स्कूल से पढ़ाई की थी.

19 साल की उम्र में सुष्मिता सेन मिस यूनिवर्स 1994 बनी. मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने के बाद सुष्मिता ने हिंदी सिनेमा में बतौर एक्ट्रेस काम करना शुरू किया. साल 1996 में उस की पहली फिल्म ‘दस्तक’ आई. इस के बाद तो वह हिंदी सिनेमा में छा गई.

सुष्मिता सेन ने तमाम फिल्मों में काम किया, जो बौक्स औफिस पर अच्छी कमाई करने में कामयाब रहीं. सुष्मिता सेन ने विवाह नहीं किया है. उस ने 2 लड़कियों को गोद लिया है, जो उस के दिल के काफी करीब हैं. वह अपनी इन गोद ली गई लड़कियों का बेटी की तरह खयाल रखती हैं.

खाली समय में सुष्मिता सेन कविताएं लिखना पसंद करती है. उस की प्रसिद्ध फिल्में हैं- ‘तुम’, ‘दस्तक’, ‘बीवी नंबर 1’, ‘नायक’, ‘बस इतना सा ख्वाब’, ‘आंखें’, ‘तुम को ना भूल पाएंगे’, ‘पैसा वसूल’, ‘फिलहाल’, ‘मैं हूं न’, ‘चिनगारी’, ‘मैं ने प्यार क्यों किया?’, ‘बेवफा’, ‘किसना: द वारियट पोएट’, ‘जिंदगी रौक्स’, ‘कर्मा और होली’, ‘दूल्हा मिल गया’, ‘नो प्राब्लम’ आदि. इस समय वह डिज्नी हौटस्टार पर आने वाली वेब सीरीज आर्या में काम कर के वह छाई हुई हैं.

इंद्रनील सेनगुप्ता

इंद्रनील सेनगुप्ता एक भारतीय अभिनेता और मौडल है. मूलरूप से कोलकाता के रहने वाले इंद्रनील का जन्म 8 सितंबर, 1974 को अहमदाबाद में हुआ था. पढ़ाई पूरी करने के बाद इंद्रनील ने मौडलिंग शुरू कर दी. उस ने डिजाइनर रोहित बल के लिए मौडलिंग की.

indraneel-sengupta-aarya

साल 1999 में वह ग्लेड्रैग्स मैनहंट प्रतियोगिता में फाइनलिस्ट था, जिस में जौन अब्राहम विजेता बना था. वह टाटा इंडिगो मरीना कार, वीआईपी फ्रेंची और एक्वाफिना के विज्ञापनों में भी दिखाई दिया. इस के बाद उस ने गानों के एलबम में काम किया.

साल 2004 में उस ने ‘शुक्रिया: टिल डेथ डू अस अपार्ट’ में अभिनय किया. इस के बाद साल 2008 में उस ने विक्रम भट्ट द्वारा लिखित और निर्देशित हौरर फिल्म ‘1920’ में एक ब्रिटिश भारतीय सेना के जवान मोहन कांता की नकारात्मक भूमिका निभाई, जो अपनी विद्रोही स्वतंत्रता समर्थक सैन्य रेजिमेंट को धोखा देता है.

इंद्रनील सेनगुप्ता ने हिंदी फिल्मों के अलावा टीवी धारावाहिकों तथा बंगाली फिल्मों काम किया. इंद्रनील को 2008 में आइडिया ग्लैमर फेस औफ द ईयर पुरुष के लिए आईटीए पुरस्कार मिला था. साल 2014 में बंगाली फिल्म ‘मिशावर रावोश्यो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार मिला था.

पहली मार्च, 2008 को इंद्रनील ने बरखा बिष्ट से विवाह किया, जो ‘डोली सजा के’ और ‘एक प्यार के दो नाम, एक राधा एक श्याम’ में उस की सहकलाकार थी. अक्तूबर 2011 में इन के एक बेटी पैदा हुई, जिस का नाम मीरा है. लेकिन इंद्रनील और बरखा का 2022 में अधिकारिक रूप से तलाक हो गया है. इंद्रनील इस समय वेब सीरीज ‘आर्या’ की वजह से फिर चर्चा में है.

आर्या सीजन 3 : माफिया क्वीन बनी सुष्मिता सेन की जोरदार वापसी – भाग 2

आर्या की बेटी अरु परफार्मेंस करना चाहती है, पर आर्या मना करती है कि घर से बाहर जाना ठीक नहीं है, लेकिन अरु कहती है कि वह यह परफार्मेंस अपने डैड के लिए करना चाहती है, तब आर्या मान जाती है और वीडियो कौन्फ्रैंसिंग द्वारा परफार्मेंस की व्यवस्था करवा देती है. अरु की भूमिका विरति बघानी ने निभाई है. यहां उस का काम तो ज्यादा नहीं है, पर वह आकर्षक चेहरे वाली है.

किस ने रची कंसाइनमेंट चुराने की साजिश

अगले दिन आर्या का कंसाइनमेंट निकलने वाला था और आर्या अपने पूरे परिवार के साथ केडिया के यहां उस की तेरहवीं में जाती है. आर्या रूप को फोन कर के पूछती है कि अपडेट क्या है. रूप बताती है कि ट्रांसपोर्ट निकलने को तैयार है.

आर्या संपत से कहती है कि मुझे हर आधे घंटे में अपडेट करते रहना. संपत का रोल विश्वजीत प्रधान ने निभाया है. पुराना कलाकार होते हुए भी वह अपना काम ऐसा नहीं कर सका कि दर्शकों पर प्रभाव छोड़ सके.

आर्या अंदर केडिया को श्रद्धांजलि देने जाती है, जहां उसे माया मिलती है और वह कहती है कि यह हमला सूरज ने करवाया था. नंदिनी को मारने के बाद वह बहुत डरी हुई है, जिस की वजह से वह अपनी गैलरी पर ध्यान भी नहीं दे पा रही है. माया की भूमिका माया सराओ ने निभाई है. तब आर्या उसे भरोसा दिलाती है कि उसे और उस के बेटे अप्पू को कुछ नहीं होने पाएगा.

Aarya-sushmita-acp

कंसाइनमेंट वाला ट्रक निकलने के बाद आर्या संपत से उस पर नजर रखने को कहती है, साथ ही केडिया की मां को आश्वासन देती है कि वह उस के बेटे की मौत का बदला जरूर लेगी. सूरज प्रताप से कहता है कि रूप के निकलते ही उस का अपहरण कर लेना. अस्पताल में डाक्टर रूप को एक गोली देती है और कहती है कि इसे खाते ही अबौर्शन का प्रोसेस शुरू हो जाएगा, लेकिन बीर का मैसेज आते ही रूप टैबलेट फेंक देती है. बीर आर्या का बेटा है, जिस की भूमिका में वीरेन वजीरानी है.

कंसाइनमेंट वाला ट्रक जो ड्राइवर ले कर जा रहा था, उसे रास्ते में नाकाबंदी मिलती है. एसीपी खान अपने सहयोगियों के साथ ट्रक चैक कर रहा था. लेकिन आर्या होशियारी से अपना ट्रक निकलवा देती है. तभी पता चलता है कि रूप गायब हो गई है.

दूसरे एपिसोड में रूप का अपहरण सूरज ने करवा लिया था. वह उसे अपने अड्डे पर ला कर उस से आर्या का कंसाइनमेंट जिस कंटेनर से जाने वाला था, उस का नंबर पूछता है. पर तमाम टौर्चर के बाद भी रूप नंबर नहीं बताती. लेकिन जब बात उस के गर्भ में पल रहे बच्चे की आती है, तब वह कहती है कि कंटेनर नंबर ईमेल से उस के लैपटाप पर आएगा. सूरज रूप का लैपटाप उठवाता, उस के पहले ही आर्या ने उसे मंगवा लिया था. सूरज कहता है कि लैपटाप आर्या ने मंगा लिया होगा, इसलिए वहां जाना बेकार है.

किस ने पकड़वाई ड्रग्स की खेप

आर्या का माल ले कर ट्रक कंटेनर डिपो पहुंच जाता है. उस का माल लोड भी हो जाता है. कस्टम क्लियरेंस के बाद कंटेनर निकलने ही वाला था कि एसीपी खान अपनी टीम के साथ पहुंच जाता है और कंटेनर पकड़ लेता है. कंटेनर नंबर न मिलने से चिढ़ कर सूरज रूप की हत्या कर देता है. यहीं पर आर्या और आर्या के बेटे बीर को पता चल जाता है कि रूप के पेट में बीर का बच्चा पल रहा था.

यह जान कर आर्या संपत को दोष देती है. इस बात से नाराज संपत अपने 2 लोगों को गोली मार देता है, क्योंकि बीर पर नजर रखने की उन की जिम्मेदारी थी और उन्हें बीर और रूप के प्यार का पता था. क्योंकि इस धंधे में गलती की सजा मौत है. लोकेशन मिलने पर आर्या रूप को बचाने जाती है, पर वहां न सूरज मिलता है और न ही रूप.

तीसरे एपिसोड की शुरुआत में डर से बीर को दुखी होते दिखाया गया है. इस के बाद संपत आर्या को फोन कर के कहता है कि उस का कंटेनर सुशीला की गलती से पकड़ा गया है. जवाब में आर्या कहती है कि उन्हीं के बीच कोई गद्दार है, वरना खान को उस के कंटेनर के बारे में कैसे पता चलता. हमारा ही कोई आदमी खान का खबरी है. इसी के साथ उस ने यह भी कहा कि सूरज का आदमी कंटेनर यार्ड में होगा. उस के बारे में पता करो. उस से सूरज के बारे में पता चल जाएगा.

दूसरी ओर खान मीडिया को बता रहा था कि उसे डेढ़ सौ किलोग्राम ड्रग मिला है, जिस की कीमत तकरीबन एक हजार करोड़ है. यह समाचार देख कर एंटोन गुस्सा हो रहा था. गुस्से में उस ने सूरज को फोन कर के कहा कि उसे जो चाहिए था, वह उसे मिल गया. पर मुझे क्या मिला? पैसा कहां है? अगर पैसा नहीं मिला तो रशियन मुझे मार देंगे.

इस पर सूरज उसे धमकी देता है कि अगर उस ने फिर उसे पैसों के लिए फोन किया तो वह उस के बारे में रशियन को बता देगा. पिछली बार उन्होंने उस की अंगुली काटी थी, इस बार उस का सिर काट देंगे.इसी के साथ वह अपने लोगों से कहता है कि जब तक रशियन आर्या को मार नहीं देते, तब तक सभी लोग छिप जाएं और कंटेनर यार्ड में उन का जो आदमी मिश्रा है, उसे छिप जाने के लिए कह दें.

संपत सूरज के आदमी मिश्रा के बारे में पता कर लेता है और उस से प्रताप के बारे में पूछता है. दूसरी ओर आर्या खान पर नजर रखने वाली सुशीला से जा कर मिलती है और उस से पूछती है कि खान को वारंट नहीं मिला था, तब उस ने रेड कैसे मारी? रशियन अब किसी को नहीं छोड़ेंगे. और हां, संपत ने उसे प्रताप का नंबर भेजा होगा. वह उस की लोकेशन पता करे.

ACP-aarya-review

आर्या जैसे ही बाहर आती है, एंटोन उसे अपनी गाड़ी में बैठा लेता है और उस का मोबाइल ले लेता है. बीर मां को फोन करता है. आर्या फोन नहीं उठाती तो बीर को लगता है कि उस की मां उसे इग्नोर कर रही है.

खान को पता चलता है कि उस ने जिस लड़की को किडनैप होते देखा था, उस का नाम रूप है. खान धु्रव को फोन करता है. धु्रव आर्या का आदमी था. वह खान का खबरी बन गया था.

उसी की वजह से आर्या का कंसाइनमेंट पकड़ा गया था. उस से खान को बीर और रूप के संबंध के बारे में पता चलता है. खान आर्या के घर जा कर बीर और अरु को पूछताछ के लिए ले आता है. लेकिन धु्रव यहां नाटक करने लगता है कि वह बीर और अरु को नहीं ले जाने देगा.

एंटोन आर्या को नलिनी से मिलवाता है, जिसे शेर का शिकार करना बहुत पसंद है. नलिनी की भूमिका इला अरुण ने की है. वह सप्लायर है. लेकिन कहीं से भी ड्रग सप्लायर नहीं लगती. वह एक संभ्रांत परिवार की महिला लगती है. नलिनी रशियन को हेरोइन सप्लाई करती थी. यहीं अभिमन्यु मिलता है, जो कहता है कि वह रशियन का बिजनैस पार्टनर है.

वह एक औडियो सुनाता है, जिस में एंटोन सूरज से बात कर रहा था. तब आर्या को पता चलता है कि एंटोन ने ही उसे धोखा दिया था, जिस की वजह से उस का कंसाइनमेंट पकड़ा गया. अभिमन्यु एंटोन को गोली मार देता है. आर्या बहुत डर जाती है कि जो आदमी एंटोन को गोली मार सकता है तो उस के आगे उस की क्या औकात है.

वेब सीरीज रिव्यू : हंटर टूटेगा नहीं, तोड़ेगा – भाग 4

वेब सीरीज की हीरोइन स्वाति है या दिव्या. कहींकहीं ये खलनायिका जैसी भूमिका में है. लगता है कि यह दूसरा सीजन भी जारी करना चाहते हैं लेकिन दर्शकों द्वारा इस वेब सीरीज को देखने के बाद कोई भी दूसरा सीजन देखने का साहस नहीं करेगा.

ईशा देओल

‘हंटर टूटेगा नहीं तोड़ेगा’ में दिव्या का किरदार ईशा देओल ने निभाया है. ईशा देओल का जन्म 2 नवंबर, 1981 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था. बौलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र कुमार और ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी की बड़ी बेटी है. उन की एक छोटी बहन भी है, जिस का नाम अहाना देओल है.

अहाना देओल का जन्म 28 जुलाई, 1985 को हुआ था. 2014 में व्यापारी वैभव कुमार से अहाना की शादी हुई. अहाना एक डांसर और नृत्यांगना भी है. ईशा देओल अभिनेत्री व मौडल है. मुख्यरूप से हिंदी सिनेमा में काम किया है. कुछ तमिल तेलुगु व कन्नड़ फिल्मों में भी ईशा को देखा गया है.

उस की पहली तमिल फिल्म ‘आयथा एजुथु’ 2004 में पहली कन्नड़ फिल्म ‘फुटपाथ की देखभाल’ 2015 में आई थी. हिंदी की पहली फिल्म 2002 में ‘कोई मेरे दिल से पूछे’ है. इतने भारीभरकम फिल्मी बैनर वाले परिवार से जुड़ी होने के बाद भी ईशा देओल की फिल्म बौक्स औफिस पर असफल हो गई. ईशा देओल फिल्म निर्माता विनय शुक्ला की फिल्म में आफताब शिवदासानी के साथ थी.

sunil-shetty-isha-barkha-hunter

संजय कपूर, जया बच्चन और अनुपम खेर सहायक भूमिका में थे. 2003 की 2 फिल्में ‘कुछ तो है’, ‘चुरा लिया है तुम ने’ भी बौक्स औफिस पर ही फ्लौप हो गई थी. हालांकि 2002 में ‘ना तुम जानो ना हम’, ‘क्या दिल ने कहा’ 2 फिल्मों में भी काम किया है.

ईशा देओल ने फिल्म ‘धूम’ में 2004 में अभिषेक बच्चन, जौन अब्राहम, उदय चोपड़ा आदि के साथ काम किया. 2005 में ‘दस’, ‘नो एंट्री’ और 2008 में फिल्म ‘संडे’ में भी ईशा देओल ने काम किया है. 2011 में ‘टेल मी ओ खुदा’ नमक फिल्म में अजय देवगन, विनोद खन्ना, ऋषि कपूर आदि के साथ ईशा देओल को भी देखा गया.

29 जून, 2012 में ईशा देओल ने मुंबई के इस्कान मंदिर में भरत तख्तानी हीरा व्यापारी से विवाह कर लिया. वह आर.जी. बैंगल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चलाते हैं. ईशा देओल और हीरा व्यापारी भरत तख्तानी के बीच भी इन के संबंध एक फिल्मी कहानी जैसे हैं. इन दोनों के बीच जब जानपहचान हुई तो उस समय दोनों की आयु लगभग 13 वर्ष थी.

ईशा देओल जमुना भाई नरसी स्कूल में तथा भरत बांद्रा के तर्नसे अकादमी में पढ़ते थे. इंटर स्कूल के कंपटीशन के दौरान दोनों की मुलाकात हुई. दोनों की दोस्ती हुई. इस तरह दोनों के संबंध मधुर होते गए.

इसी बीच बौयफ्रेंड भरत ने प्रेम भाव का इजहार करने के लिए ईशा देओल का हाथ पकडऩा चाहा. यह हरकत ईशा देओल को बहुत नागवार गुजरी. वह इतनी नाराज हुई कि उस ने उसे एक थप्पड़ भी भरत के जड़ दिया. इस के बाद से दोनों के रिश्तों में दरार आ गई और लगभग 10 वर्ष तक दोनों के बीच कहीं कोई बातचीत नहीं हुई.

कहते हैं कि बचपन का पहला प्यार भुलाए नहीं भुलाया जाता और उस के बीज कभी भी अंकुर बन कर फूट पड़ते हैं. ऐसा ही इन दोनों के बीच भी हुआ. इसे इत्तफाक ही कहेंगे कि दोनों की मुलाकात कनाडा के नियाग्रा फाल्स यानी एक टूरिस्ट प्लेस पर भ्रमण के दौरान हुई. दोनों ने एकदूसरे को देखा तो दोनों का दिल धड़कने लगा.

बचपन का प्यार आंखों में उतर आया और दोनों एकदूसरे से मिलने को लालायित दिखाई दिए. एकदूसरे को देख कर दोनों रुक गए. अब सोच रहे थे कि बातचीत की पहल कौन करे.

इतने में भरत ने जहां से रिश्ता टूटा था वहीं से बात शुरू की और कहा कि क्या मैं आप का हाथ पकड़ सकता हूं. ईशा देओल ने तत्काल ‘हां’ ही नहीं कहा, बल्कि हाथ भी बढ़ा दिया. इस तरह दोनों में संबंध फिर मधुर हो गए.

ईशा देओल ने सब से पहले अपनी मां हेमा मालिनी से भरत की मुलाकात कराई. उन्होंने इन दोनों के संबंध को ले कर कोई आपत्ति नहीं की या यह कहिए कि अपनी रजामंदी दे दी. ईशा देओल ने उस के बाद अपने पिता धर्मेंद्र से भरत की मुलाकात कराई. धर्मेंद्र ने करीब एक घंटा तक भरत से बातचीत की. धर्मेंद्र को भी अपनी बेटी के लिए रिश्ता उचित लगा और उन्होंने भी हामी भर दी.

विवाह के बाद ईशा फिल्मी दुनिया से दूर हो गई और अपने पारिवारिक जीवन को सफल बनाने में अपने पति के साथ रहने लगी. दोनों के आंगन में पहली किलकारी 2017 में गूंजी. बेटी का नाम राध्या रखा गया. 10 जून, 2019 को दूसरी बेटी ने जन्म लिया, जिसे मिराया नाम दिया गया.

यह तो सभी जानते हैं कि धर्मेंद्र का पहला विवाह प्रकाश कौर के साथ परंपरागत हुआ था. इन से धर्मेंद्र की 4 संताने हैं, जिस में सनी देओल, बौबी देओल, विजेता देओल और अनीता देओल शामिल हैं.

दोनों पत्नियों और बच्चों के बीच सगे सौतेले का कोई विवाद तो सामने नहीं आया है, लेकिन सनी देओल के बेटे करण की शादी में हेमा मालिनी और उन की दोनों बेटियां शामिल नहीं हुई थीं. इसी तरह ईशा देओल की शादी में भी सनी व बौबी शामिल नहीं हुए.

पारिवारिक जीवन का भरपूर आनंद लेने के बाद ईशा देओल ने 2019 में फिल्मी दुनिया में फिर वापसी की. उन्होंने एक वेब सीरीज ‘रूद्र: द एज औफ डार्कनेस’ 2022 में भी काम किया है. वेब सीरीज ‘हंटर टूटेगा नहीं तोड़ेगा’ में मुख्य भूमिका में है, लेकिन कलाकारी का वह प्रदर्शन नहीं कर पाई, जिस की इस से अपेक्षा की जाती है.

ईशा देओल एक पत्रकार होते हुए भी हीरो विक्रम के साथ गुंडों से फाइटिंग करती है. जबकि पत्रकार का काम कलम चलाना होता है. विक्रम के साथ गुंडों के ऊपर फाइटिंग और फायरिंग से ऐसा लगता है जैसे कि वेब सीरीज की हीरोइन ईशा देओल है.

विक्रम के साथ ईशा देओल लड़ाई झगड़ा करती है. विक्रम पर जानलेवा हमला भी होता है. तब वह एक खलनायिका  के रोल में नजर आती है. अंत में  अपनी बहन की यानी डेविड की बच्ची को पा कर अपनी भूमिका पूरी करती है.

बरखा बिष्ट

बरखा बिष्ट सेनगुप्ता फिल्म व टीवी एक्ट्रैस है, जो हिंदी सिनेमा और टीवी के अलावा बंगाली सिनेमा में सक्रिय है. ‘हंटर टूटेगा नहीं तोड़ेगा’ में बरखा बिष्ट ने वेब सीरीज के हीरो विक्रम की पत्नी स्वाति की भूमिका में काम किया है.

बरखा का जन्म 28 दिसंबर, 1979 को हिसार, हरियाणा में हुआ था. उस के पिता सेना में कर्नल थे. उस की मां एक गृहिणी थीं.  इस की 2 बहनें भी हैं, जिन का नाम अपर्णा और शंका है. बड़ी बहन होटल मैनेजर है. दूसरी बहन फैशन डिजाइनर है.

बरखा का पूरा बचपन कोलकाता में बीता. जब उस की उम्र पढऩेलिखने की हुई, तब उस के मातापिता ने उसे सेंट्रल स्कूल फोर्ट विलियम कोलकाता में भरती करा दिया था.

जहां से उस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी. स्कूल में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उस की सक्रिय भूमिका रहती थी. नाटक आदि कार्यक्रम में उस की अदाकारी व डांस देख कर उस के एक शिक्षक ने कहा था कि यह लड़की आगे अभिनय में अच्छा प्रदर्शन करेगी.

बरखा बिष्ट ने ग्रैजुएशन पूरा करने के लिए सिम्बोयसिस कालेज में एडमिशन ले लिया था. यह कालेज पुणे में स्थित है. इस कालेज से बरखा बिष्ट ने बीकौम किया. शादी करने से पहले उस ने अपने प्रेमी करण सिंह ग्रोवर से सगाई की थी, लेकिन यह रिश्ता 2006 में समाप्त हो गया था.

बरखा की शादी टीवी, फिल्म ऐक्टर इंद्रनील सेनगुप्ता से हुई थी. दोनों की मुलाकात ‘प्यार के दो नाम एक राधा एक श्याम’ के सेट पर हुई थी. यह दोस्ती प्यार में बदल गई. बाद में 2008 में इन की शादी हो गई. इन के एक बेटी पैदा हुई, जिस का नाम मीरा है.

बरखा ने अपने करिअर की शुरुआत टीवी शो ‘कितनी मस्त है जिंदगी’ से की, इस के बाद वह स्टार प्लस के टीवी शो ‘प्यार के दो नाम एक राधा एक श्याम’ में नजर आईं.

बरखा टीवी की दुनिया के कई हिट टीवी सीरीज का हिस्सा रह चुकी है, जिस में ‘कसौटी जिंदगी की’, ‘क्या होगा निम्मो का’, ‘बाबुल की बिटिया’, ‘डोली सजा के’, ‘काव्यांजलि’, ‘परवरिश’, ‘नामकरण’, ‘तेनालीराम’ जैसे टीवी शोज शामिल हैं.

बरखा ने फिल्मी दुनिया में कदम 2010 में फिल्म ‘राजनीति’ से रखा, इस के बाद उस ने इसी साल बंगाली सिनेमा में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. बरखा ने अपने करिअर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में की थी. उस ने ‘मुझ से दोस्ती करोगे’ में छोटी करीना कपूर टीना की भूमिका निभाई. इस के अलावा उस ने उस ने धारावाहिक एमटीवी फनाह में वेदिका के रूप में अपनी छोटी भूमिका भी

निभाई थी. बरखा ने जनवरी 2018 में अपना यूट्यूब चैनल भी शुरू किया. उस ने प्लीज फाइंड अटैच्ड, वर्क लाइफ बैलेंस, इंजीनियरिंग गल्र्स, मर्डर मेरी जान, नेटफ्लिक्स के मसाबा मसाबा जैसे कई लोकप्रिय वेब शो भी किए.

उस की एक वेब सीरीज अभिषेक बनर्जी के साथ ‘द ग्रेट वेडिंग औफ मुन्नेस’ थी. 2021 में उसे फिल्म ‘साइलेंस: कैन यू हियर इट’ में देखा गया था. मनोज बाजपेयी अभिनीत 2022 में उसे 2 फिल्मों ’36 फार्महाउस’ और ‘माजा मां’ में मुख्य भूमिका में देखा गया.

अभिनय के अलावा बरखा ने सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाले शो ‘कौमेडी सरकस के अजूबे’ 2012 और जूम टीवी पर प्रसारित होने वाले ‘पौपकार्न’ 2006 जैसे शो को भी होस्ट किया. वर्ष 2008 में सहारा वन पर प्रसारित होने वाले डांस शो ‘सास बनाम बहू’ में उस ने एक प्रतियोगी के रूप में भाग लिया. बरखा बिष्ट 2010 की बौलीवुड फिल्म ‘राजनीति’ के ‘इश्क बरसे’ एक गाने में दिखाई दी.

वह एक भारतीय टेलीविजन प्रस्तोता और फिल्म अभिनेत्री है, जो टीवी शृंखला में अपने काम के लिए जानी जाती है. वह बौलीवुड और बंगाली फिल्मों में भी नजर आ चुकी है.

‘काव्यांजलि’, ‘कसौटी जिंदगी की’, ‘साजन घर जाना है’, ‘कैसा ये प्यार है’, ‘बाबुल की बिटिया चली डोली सजा के’, ‘ये है आशिकी’, ‘संकटमोचन महाबली हनुमान’ उस के कुछ शो हैं. उस ने कई टेलीविजन शो की मेजबानी की है, जिन में ‘कौमेडी सरकस के अजूबे’ और ‘पौपकार्न न्यूज’ जैसे रियलिटी शो शामिल हैं. सोनी टीवी के ओपेरा ‘परवरिश- कुछ खट्टी कुछ मीठी’ में ‘पिंकी’ की भूमिका में थी. ‘हंटर टूटेगा नहीं तोड़ेगा’ में बरखा बिष्ट विक्रम की तलाकशुदा पत्नी स्वाति के किरदार में है.

आर्या सीजन 3 : माफिया क्वीन बनी सुष्मिता सेन की जोरदार वापसी – भाग 1

कलाकार: सुष्मिता सेन, इंद्रनील सेनगुप्ता,  विरती वाघानी, सिकंदर खेर, इला अरुण, विकास कुमार, विश्वजीत प्रधान, माया सराओ, गीतांजलि कुलकर्णी, सोहेला कपूर आदि

लेखक: खुशबू राज, अमित राज और अनु सिंह चौधरी

निर्देशक: कपिल शर्मा, श्रद्धा पासी जयरथ और राम माधवानी

निर्माता: अमित माधवानी, राम माधवानी और एंडेमौल शाइन इंडिया

ओटीटी: डिज्नी प्लस हौटस्टार

आर्या सरीन जिस की भूमिका सुष्मिता सेन ने की है, वह सत्ता के शिखर पर पहुंचना चाहती है. इस के लिए वह जहां नए लोगों को अपने साथ जोड़ रही है, वहीं उसे नए और पुराने दुश्मनों का सामना भी करना पड़ रहा है. क्योंकि सीजन एक और 2 में वह अपने परिवार की सुरक्षा के लिए भागती नजर आई थी.

अब उस के सामने अपने परिवार वालों का असली चेहरा सामने आ गया है, इसलिए उस ने लडऩे का फैसला तो कर लिया, पर हाय रे डायरेक्टर और लेखक, वह कहीं भी लड़ती नजर नहीं आई. उसे ताकतवर बनाने की बात तो की गई है, पर सीजन 3 के चारों एपिसोडों में वह हर जगह मात ही खाती नजर आ रही है. उस के ऐक्शंस में ताकत दूरदूर तक नजर नहीं आती. वह कहती तो बहुत कुछ है, पर कर कुछ नहीं पाती.

इस से सीरीज के ये चारों ही एपिसोड बेकार नजर आते हैं. गौडमदर बनने की कोशिश करने वाली आर्या को हर जगह मात खाते दिखाना वेब सीरीज का मजा किरकिरा कर देता है. लेखक को लिखते समय और डायरेक्टर को निर्देशन के समय यह विचार करना चाहिए कि दर्शक हीरो या हीरोइन को देखते पसंद नहीं करता.

चारों एपिसोड में कहानी जैसा तो कुछ दिखता नहीं, केवल खूनखराबा ही दिखाया गया है. न कहीं सस्पेंस है और न ही कहीं ऐक्शन, इसलिए चारों एपिसोड दर्शकों को बोर करते हैं. मेरी समझ से तो ये चारों एपिसोड दर्शकों का केवल समय बरबाद करते हैं, इसलिए इसे देख कर अपना समय न बरबाद करें.

शुरुआत में फ्लैशबैक में दिखाया जाता है कि आर्या के पति तेज का अफीम का बिजनैस था, जो बहुत रिस्की था. एक दिन उस के पति तेज को गोली मार दी जाती है, जिस के पीछे उस के पिता का हाथ था. आर्या अपने सभी दुश्मनों से लड़ती है, जिस में पुलिस अफसर खान भी उस की मदद करता है.

लेकिन रशियन डीलर उस के पीछे पड़ जाते हैं, इस में आर्या अपने तीनों बच्चों को बचाने के लिए उस से जो बन पड़ता है, वह वो करती है, यहां तक कि वह ड्रग्स के धंधे में भी उतर जाती है, ताकि उस के परिवार पर कोई आंच न आए.

Sushmita-sen-in-aarya-season-3

कुछ लोग आर्या का साथ देते हैं, जबकि ऐसे भी कुछ लोग हैं, जो उस के दुश्मन बन जाते हैं, जिस में उस के परिवार वाले भी शामिल हैं. इस में उस का भाई संग्राम मारा जाता है. यहां यह पता चलता है कि आर्या उदयवीर की बेटी है. इतने सालों तक आर्या को इस बात का पता नहीं था. आर्या और उस की दोस्त माया गलती से नंदिनी को मार देती हैं, जो उदयवीर की बेटी थी. इसी वजह से नंदिनी का पति सूरज आर्या का दुश्मन हो जाता है और उस की जान के पीछे पड़ जाता है. इसी के बाद शुरू होती है ‘आर्या सीजन 3’ की कहानी.

पहले एपिसोड में ही दिखाया जाता है कि आर्या को गोली लग जाती है और वह गिर जाती है. इस के बाद 4 सप्ताह पीछे की कहानी दिखाई जाती है, जिस में आर्या अफीम के खेतों के पेपर देख रही है.

किस ने चलाई थी आर्या पर गोली

आर्या का एडवाइजर केडिया बताता है कि एक किसान है, जो पेपर पर साइन नहीं करना चाहता. उस का नाम है गरोडिय़ा, जो बहुत लालची इंसान है. केडिया आगे कहता है कि जब ट्रांसपोर्ट का धंधा अच्छा चल रहा है तो अफीम के बिजनैस में जाना जरूरी है क्या? वेब सीरीज में केडिया की भूमिका तारिक वासुदेव ने की है.  जबकि आर्या अपने बच्चों के लिए ट्रांसपोर्ट और सप्लाई दोनों धंधों को कंट्रोल चाहती थी.

आर्या का सोचना था कि उस के पति को उस के पिता ने क्यों मारा, जबकि उस के पति को मारने वाला दौलत था, जो उसी दिन जेल से रिहा हो रहा था. दौलत का रोल सिकंदर खेर ने किया है. आर्या उसे लेने जाती है. वह आर्या का बहुत वफादार था. आर्या उस से कहती है कि आज पति की डेथ एनिवर्सरी है. एक बार उस ने उस की जान बचाई थी, इसलिए उस ने उसे जेल से रिहा करा कर हिसाब बराबर कर दिया. अब उसे उस की जरूरत नहीं है.

अगले दिन आर्या जमींदारों के साथ मीटिंग करती है, जिस में एक किसान गरोडिय़ा साइन करने से मना करता है तो आर्या उस का अंगूठा काट कर कागज पर लगवा लेती है.

इस के बाद आर्या घर से निकलती है तो उस पर गोलियां चलने लगती हैं. इस फायरिंग में एक गोली केडिया को लग जाती है. इस गोलीबारी में आर्या के सभी गार्ड मारे जाते हैं. आर्या केडिया को अस्पताल ले जाती है. तभी उस के बच्चों का फोन आता है तो वह बच्चों को घर से बाहर जाने से मना करती है.

इस के बाद सूरज फोन कर के कहता है कि वह उसे छोड़ेगा नहीं. उस ने नंदिनी को मारा है, जिस का बदला वह ले कर रहेगा. अगली बार वह नहीं बचेगी. सूरज की भूमिका में इंद्रनील सेनगुप्ता है, पर देखा जाए तो वह भूमिका में बिलकुल फिट नहीं बैठता. आर्या का कहना था कि इस में उस की कोई गलती नहीं है. वह जो कुछ भी हुआ था, शेखावत की वजह से हुआ था.

आर्या अपने घर की सिक्योरिटी बढ़वा देती है. तभी अस्पताल में एसीपी खान पहुंच जाता है. वह पूछता है कि यह हमला पर्सनल था. एसीपी खान की भूमिका विकास कुमार ने की है. एक पुलिस अधिकारी की भूमिका के अनुसार वह काम नहीं करते हैं.

डाक्टर आर्या को बताता है कि वह केडिया को नहीं बचा सके, इस से आर्या बहुत दुखी हो जाती है. केडिया ने उस के लिए जान दी थी, इसलिए वह उस की जान का बदला जरूर लेगी. आर्या अपने घर आती है और बच्चों के साथ पति के फोटो के सामने दीया जलाती है. वहां उस के साथ उस के भाई संग्राम का बेटा भी मौजूद होता है.

अगले दिन रूस से एंटोन आर्या से मिलने आता है और उसे सब से बड़ा हजार करोड़ का ट्रांसपोर्टेशन डील देता है, लेकिन विनीत, जो केडिया का काम संभाल रहा होता है, वह कहता है कि यह डील बहुत बड़ी है. आर्या का कहना था कि वह यह सब अपने और अपने बच्चों की सिक्योरिटी के लिए कर रही है.

केडिया की जान चली गई, पर अब आगे किसी की जान नहीं जाएगी. कंसाइनमेंट पहुंच जाने के बाद रशियन सूरज को ढूंढ कर मार डालेंगे.

दूसरी ओर सूरज अपने एक खास आदमी प्रताप को बता रहा होता है कि वह आर्या के कंसाइनमेंट को कैसे चुराएंगे. इसके बाद प्रताप रूप का पीछा करने लगता है, क्योंकि कंसाइनमेंट का सारा सामान उसी की दुकान में पैक हो रहा था.

रूप अस्पताल में सोनोग्राफी कराने जाती है तो पता चलता है कि उस के पेट में पल रहा बच्चा 7 सप्ताह का हो चुका है. रूप अपने बच्चे का अबौर्शन करना चाहती है, क्योंकि वह जो काम कर रही है, उस में बच्चे के लिए कोई जगह नहीं है. रूप की भूमिका में श्वेता पसरीचा है, जो खूबसूरत तो है, पर उस का भी काम ऐसा नहीं है कि तारीफ की जाए.

वेब सीरीज रिव्यू : हंटर टूटेगा नहीं, तोड़ेगा – भाग 3

क्यों लगाया लाशों का ढेर

पांचवां एपिसोड सब से ज्यादा बोरियत वाला है. इस में दिखाते हैं कि दिव्या को बेहोश कर के डाला जाता है. होश में आने पर लाशों की एक थैली में लेट जाती है और वहां खिड़की में एक रस्सी बांध देती है, जिस से पता चले वह कूद कर भाग गई है. इस तरह वह वहां से बच कर निकल जाती है.

यह लाशों का ढेर किस का है? कहां से आया? इन्हें पौलीथिन में पैक क्यों किया गया? इस की कोई जानकारी नहीं है. उधर विक्रम जंगल में अकेला कराह रहा है. बुरी हालत में है. तभी साजिद का फोन आता है. पता नहीं विक्रम की जेब में फोन कहां से आ गया. वह बताता है कि स्वाति की हत्या करने के लिए एक बदमाश उस के घर के बाहर खड़ा है.

विक्रम यह सूचना स्वाति को फोन कर के देना चाहता है लेकिन वह फोन नहीं उठाती है. अंत में वह मैसेज कर देता है. तब तक  दरवाजे के अंदर बदमाश आ चुका था. यहां बदमाश से लडऩे और बचने के बेवकूफी व बोरियत भरे सीन हैं. बदमाश बिजली से संचालित किसकिस मशीनरी से दरवाजे काटता है, उस में घुसता है. इस बीच स्वाति अपने पूर्व पति विक्रम से भी बातें करती है.

साजिद भी लीना के असली कातिल को ढूंढने और विक्रम को बचाने के लिए रिकौर्ड रूम पहुंचता है. कहता है कि डा. सतीश ने कहा है कि अशोक माथुर से मिल लेना. इस पर अशोक माथुर फाइल ला कर देता है. साजिद कुछ खास जानकारी कर के चला जाता है.

अगला सीन बहुत खतरनाक है. पल्लवी अपने प्रेमी के साथ तो कोई प्रेम प्रसंग नहीं करती, बल्कि विक्रम को बचाने के लिए थाने से वीडियो निकलवानी है तो उस के लिए वहां के एक इंजीनियर को बुलाती है. उस को अपने शबाब से जिस्म परोसने का भरपूर निमंत्रण देती है.

इस बीच एक गाना होता है, जिस में खूब ठुमके और खुले शरीर का प्रदर्शन चलता रहता है. इस बीच उस का प्रेमी सुदेश थाने में इंजीनियर के बदले जा कर वहां से वह वीडियो निकाल लाता है.

उस के बाद पल्लवी इंजीनियर को भैया थैंकयू कह कर भगा देती है. सिदेश व पल्लवी थाने से लाई गई वीडियो देखते हैं. यहां पर पल्लवी कुछ प्रेम मिलाप करना चाहती है, लेकिन सिदेश वीडियो में मस्त है. वह दोनों वीडियो की रियलिटी निकालने की कोशिश में लगे रहते हैं. एक और बेवकूफी का अगला सीन है.

जंगल में भटक रहे विक्रम के सामने एक मोटरसाइकिल सवार आता है. वहां कोई सड़क नहीं है. बस्ती नहीं है. कोई ट्रैफिक नहीं चल रहा है. विक्रम उसे हाथ दे कर रोकता है. वह भी डेविड का आदमी होता है. बदमाश होता है. दोनों में गुत्थमगुत्था शुरू हो जाती है. गाने की रिकौर्डिंग बजती रहती है, ‘दम मारो दम मिट जाएं गम…’

मारपीट में उन से ठिकाने लगाने के बाद विक्रम को याद आता है कि एक किडनी उस की कोई चुरा चुका है. दूसरी फेल होने के कगार पर है. इस के लिए वह अपने रकीब साजिद को फोन करता है.

एपिसोड-6

छठें एपिसोड की शुरुआत में साजिद कार में विक्रम को ले कर जाता है. रास्ते में दिखाता है कि इसे किसी कीड़े ने काट लिया है. साजिद जानता है कि इस का इलाज क्या है. यहां से डाक्टर के पास ले जाता है. विक्रम उसे डेविड के अड्डे पर पहुंचने को कहता है. दोनों वहां पहुंचते हैं.

फायरिंग शुरू हो जाती है. गाना बजने लगता है, ‘आवारा हूं…’

एक सड़ी हुई किडनी के साथ फाइटिंग करते हुए विक्रम को दिखाया गया है. गोलियां चल रही हैं. सिर्फ एपिसोड का समय पूरा करने के लिए यहां फाइटिंग और गोलीबारी के सीन हैं. अब डेविड घायल हो कर गिर पड़ता है. उस से अपनी किडनी मांगता है. दोनों में डायलौगबाजी होती है. वह अपनी मां की दास्तान सुनाता है. तभी 2 सुरक्षागार्ड  महिलाएं रिवौल्वर ले कर आती हैं. इस से पहले भी वह दिखाई गई हैं. एपिसोड के अंत में विक्रम घायल अवस्था में भागता है और गिर कर बेहोश हो जाता है.

एपिसोड-7

सातवें एपिसोड में विक्रम एक अस्पताल में बेहोशी की हालत में भरती होता है. एक नर्स उस के पास दवा लिए खड़ी होती है. होश में आते ही वह दवाओं को झपट्टा मारता है. वह पुलिस को आवाज देती है. पुलिस अधिकारी आता है. वह बताता है कि तुम्हारी एक किडनी गायब थी. ये तो अच्छा हुआ कि तुम्हारे बैग में जो किडनी थी, वह मेल की थी. विक्रम कहता है कि वह मेरी किडनी थी. तब पता चलता है कि वह गिरफ्तार है और हथकड़ी उस के हाथ में पड़ी हुई है.

अस्पताल की नर्स दवा रख कर यह कह कर चली जाती है कि दवा खा लेना वरना मर जाओगे. विक्रम की चौकसी के लिए 2 सिपाही वार्ड के बाहर ड्यूटी दे रहे हैं. एक उस में चाय पीने को कह कर चला जाता है. दूसरा मोबाइल देख रहा है और उस में गाना बज रहा है, ‘पिया तू अब तो आजा…’ इस बीच डाक्टर इंजेक्शन लगाने आता है. विक्रम उस पर झपट पड़ता है. हथकड़ी बंधी है फिर भी डाक्टर से फाइटिंग हो रही है.

डाक्टर खून में लथपथ पड़ा है. वह हथकड़ी हाथ से निकाल कर भागता है. कई मंजिल का अस्पताल है. भागते में एक सिपाही का फोन छीन लेता है और पुलिस टीम को फोन कर देता है कि विक्रम चौथी मंजिल पर है. पुलिस ऊपर भागती है और वह निकल कर अस्पताल से बाहर आ जाता है.

बाहर एक फोर व्हीलर में बैठता है और ड्राइवर की किसी बात के जवाब में गाली देता है और सीधा स्वाति के घर पहुंचता है. वह उस से लिपट जाती है, जबकि उस से संबंध विच्छेद कर चुकी होती है. उस से साजिद की तारीफ करती है.

विक्रम को स्वामी की बात लग जाती है और वह घर से बाहर निकलता है. वहां एक कार खड़ी होती है, उस में बैठ कर चल देता है. कार कहां से आ गई. यह कुछ पता नहीं है. पुरानी बातें ध्यान में आती हैं और हर बात को कड़ी से कड़ी जोडऩे में विक्रम लगा रहता है. फिर सीधे प्रेमी युगल मास्टरमाइंड सिदेश पल्लवी के पास पहुंचता है.

यह दोनों उस वीडियो का पोस्टमार्टम कर चुके हैं. उस में लीना का मर्डर करने वाले का चेहरा साफ दिखाई देता है. विक्रम को दिव्या की तलाश है. हैकर्स प्रेमी युगल दिव्या की तलाश करता है. पता चलता है कि दिव्या रांची में है.

विक्रम रांची पहुंच जाता है. दिव्या व विक्रम एकदूसरे को देखते हैं और अचानक दिव्या हमला कर देती है. जो भी हाथ में आता है उठाउठा कर मारती है. अचानक दिव्या नुकीले धारदार हथियार विक्रम के सीने में घोंपने की कोशिश करती है. तभी विक्रम उसे रोक लेता है. दोनों बातचीत पर रजामंद हो जाते हैं और आपस में गिलेशिकवे करते हैं. लीना मर्डर केस डेविड पर चर्चा करते हैं. फिर दोनों में बिगड़ जाती है और दिव्या एकदम आक्रामक हो जाती है. विक्रम कहता है कि तुझे उस की बच्ची की जरूरत नहीं. कहां है वो. मैं उसे ढूंढ लूंगा? यह सारे सीन एकदम बकवास है. ऐक्टिंग में कोई जान नहीं है.

एपिसोड-8

आठवां एपिसोड बिलकुल बकवास है. उस में जो कुछ दिखाया गया है, उस की यहां कोई जरूरत भी नहीं थी. साजिद को बदमाशों के कब्जे में दिखाया गया है. उसे अस्पताल के एक बैड पर बांध रखा है. गरदन से खून निकल रहा है और उसे मारने की साजिश की जा रही है. मगर क्यों कुछ पता नहीं. उधर विक्रम और दिव्या डाक्टर सतीश की तलाश में आते हैं. अस्पताल की एक बहुत ऊंची बिल्डिंग में पहुंचते हैं. डाक्टर मिलता है. उस से पूछते हैं कि डाक्टर सतीश कहां है?

अचानक सतीश दिखाई देता है. कोई बताता है कि वह डाक्टर सतीश है. विक्रम और दिव्या उस के पीछे भागते हैं. बहुत ऊंची बिल्डिंग है. सतीश को पकड़ लेते हैं. दिव्या भी पहुंच जाती है. डा. सतीश को विक्रम नीचे लटका रखा है और उस का हाथ विक्रम ने पकड़ रखा है. उस से विक्रम सवालजवाब कर रहे हैं. उसे डेविड की बेटी और दिव्या की बहन के बच्चे की जानकारी कर रहे हैं.

अचानक उस का हाथ छूट जाता है. डाक्टर सतीश नीचे गिर जाता है. दिव्या और विक्रम आपस में लड़तेझगड़ते हैं. दिव्या कहती है कि मेरी बहन की बेटी का पता नहीं लगा सके. मेरा पूरा परिवार बरबाद कर दिया. अगला सीन पल्लवी एवं सिदेश के प्रेम प्रसंग का है. तभी विक्रम और दिव्या वहां पहुंच जाते हैं.

डेविड की बेटी यानी दिव्या की भांजी का पता लगाने के बाद यह दोनों उन के अड्डे पर जाना चाहते हैं. वहां घुसने से पहले दिव्या और विक्रम को बदमाश घेर लेते हैं. दोनों में फाइटिंग शुरू हो जाती है. गोलीबारी होने लगती है. विक्रम ने मारतेमारते लाशों का ढेर लगा दिया है और किसी तरह से अंदर घुस जाता है. दिव्या भी साथ में पहुंचती है.

डेविड की बेटी दिखाई जा रही है, जो  डाक्टर के पास है. डाक्टर लड़की को कार में डाल कर भागता है. विक्रम भी कार से उस का पीछा करता है. कार अचानक नदी में गिर जाती है. विक्रम भी उस में कूद पड़ता है. लड़की को बचा लेता है. नदी में ही डूबने से पहले डाक्टर को गोली मार देता है.

यहां भी गाना बज रहा होता है, ‘किसी की मुसकराहटों पर हो निसार जीना इसी का नाम है…’ बारिश भी हो रही है.

बच्ची को दिव्या को सौंप दिया जाता है. इस मारधाड़ और बच्ची को बचाने में उस की हालत खराब हो जाती है. जब उसे होश आता है तो उस के पास उस की पूर्व पत्नी स्वाति होती है. दोनों में बातचीत होती है. विक्रम अपनी बेटी पूजा को पूछता है कि वह भी कहीं जीवित होगी. इमोशनल सीन की कोशिश की गई है. स्वाति विक्रम से लिपट जाती है.

संबंध विच्छेद होने के बाद भी पतिपत्नी जैसा रिश्ता दिखाया गया है. तभी फोन आता है, जो जैकी श्रौफ का होता है. वह कहता है तुम्हारी बेटी पूजा जीवित है, मेरे पास है और उस से बात भी कराता है. लेकिन सालों बाद भी बेटी उतनी ही बड़ी दिखाई देती है, जितनी बड़ी गायब हुई थी. यहीं पर एपिसोड और वेब सीरीज खत्म हो जाती है.

सवाल यह है कि कहानी कई एपिसोड में लीना के मर्डर के खुलासे की ओर चल रही थी और अंत में यह सब कहीं गायब हो जाता है. स्वाति की बेटी पूजा और डेविड की बेटी पर आ कर खत्म हो जाती है.

वेब सीरीज रिव्यू : हंटर टूटेगा नहीं, तोड़ेगा – भाग 2

एपिसोड-2

दूसरे एपिसोड में विक्रम घर से भाग नहीं पाता क्योंकि एक आदमी के हाथ से उस का हाथ हथकड़ी से लौक होता है. हुड्डा फोर्स सहित घर में आ जाता है. दोनों के बीच फायरिंग होती है. उस का हाथ तोड़ कर उस के हाथ में से हथकड़ी निकाल कर हुड्डा से बच कर विक्रम कूद कर भाग जाता है. क्या सीन है! इसी फिल्म के दृश्य से डायरेक्टर की मानसिकता और योग्यता आसानी से समझी जा सकती है.

साजिद फोन कर के विक्रम को बताता है कि लीना का मर्डर हो गया है और हुड्डा को वीडियो से यह सबूत लगे हैं कि जिस ने भी लीना की हत्या की है, उस के सारे सबूत विक्रम से मिलतेजुलते हैं. विक्रम को लगता है कि किसी ने वीडियो को एडिट कर के कातिल की तसवीर में उस का मुखौटा लगा दिया है, जिस से विक्रम को फंसाया जा सके.

विक्रम समझता है कि यह काम उसी हैकर सिदेश का है, जिस से लीना का पता तलाश कराया था. क्योंकि वही इन मामलों में एक्सपर्ट है. विक्रम सिदेश के घर पहुंच कर उसे धमकाता है. इस पर सिदेश कहता है कि यह काम उस ने नहीं किया, लेकिन ओरिजिनल वीडियो अगर उसे दे दी जाए तो वह यह पता लगा सकता है कि यह एडिट का काम किस तरह किया है.

डायरेक्टर से हुई चूक

उधर पुलिस अफसर हुड्डा विक्रम लीना मर्डर केस में गिरफ्तारी के लिए उस के घर जाता है. स्वाति से पूछता है कि विक्रम कहां है? स्वाति बताती है कि विक्रम से उस का कोई मतलब या वास्ता नहीं है. विक्रम से उस का तलाक हो चुका है. विक्रम से कभीकभार फोन पर बात होती है. इतना सुन कर हुड्डा स्वाति के साथ अभद्रता करता है और उस की घर की तलाशी लेने लगता है.

इसी दौरान उसे कंडोम का खाली रैपर दिखाई देता है, जिसे देख कर वह स्वाति को चरित्रहीन कहता है. तभी वहां साजिद पहुंच जाता है और वह अपनी प्रेमिका स्वाति के साथ इस अभद्र व्यवहार का विरोध करता है. इस से पहले विक्रम की पत्नी स्वाति के घर हुड्डा पुलिसिया अंदाज में खूब तोडफ़ोड़ भी करता है.

अगले सीन में विक्रम लीना के मर्डर स्थल पर पहुंचता है. वहां से लीना के बेटे डेविड का एक लैपटाप मिलता है. विक्रम सिदेश हाकर से लैपटाप के पासवर्ड को अनलौक करने का तरीका पूछता है. सिदेश की प्रेमिका पल्लवी के साथ एक होटल में बैठा होता है. उस ने पल्लवी को बताया कि किसी सिस्टम के पासवर्ड को अनलौक कर रहा है.

पल्लवी एक डिवाइस देती है और बताती है कि इस से कैसे पासवर्ड अनलौक किया जा सकता है. यहां पर डायरेक्टर को सिदेश और उस की प्रेमिका पल्लवी के प्रेम प्रसंग को फिल्माना चाहिए था. इन दोनों की प्रेम कहानी का कोई भी सीन फिल्माया नहीं गया. यहां वह अपने प्रेमी के साथ अफेयर के कुछ क्षण बिताने के बजाय अनलौक करने के लिए डिवाइस देती है.

इस से फिल्म देखने वाले दर्शकों को मायूसी के अलावा कुछ हाथ नहीं लगेगा. विक्रम को दिव्या का फोटो लैपटाप में मिलता है. इसी लड़की को उस ने लीना के घर देखा था. विक्रम कमरे से बाहर आता है तो कावड़ी नाम का एक इंसपेक्टर उसे देख लेता है. उसे गन पौइंट पर ले लेता है.

इस गन पौइंट के सीन में विक्रम ने जिन बातों का जाल बिछा कर उस के चंगुल से स्वयं को निकाला है, वह बेवकूफी वाली हैं. इतना ही नहीं उस के रिवौल्वर में से मैगजीन भी निकाल लेता है और उसे पता ही नहीं चलता. ये सीन एकदम बकवास है. एपिसोड के समय को बरबाद करना ही इस सीन का उद्ïदेश्य प्रतीत होता है.

एपिसोड-3

तीसरे एपिसोड में हुड्डा लीना के मर्डर केस की जांच करता है. उसे विक्रम की तलाश है. उसे विक्रम व दिव्या पत्रकार एक साथ कार में आते दिखते हैं. तब वह उन पर रिवौल्वर तान देता है. विक्रम कार से उतर कर आता है. हुड्डा गोली नहीं चलाता, बल्कि उस को आते देखता रहता है. बेहद खराब सीन है. विक्रम उस पर अटैक कर देता है.

rahul-dev-in-hunter-series

दोनों में फाइटिंग होती है. विक्रम आसानी से उस की गरदन कार में फंसा कर पत्रकार दिव्या के साथ चला जाता है. दिलचस्प बात यह है कि हुड्डा के साथ पुलिस फोर्स नहीं होती है. बैकग्राउंड गाना बजता रहा ‘चाहे कोई मुझे जंगली कहे…’ लोग समझते हैं कि जंगली हीरो विक्रम को समझा जाए या हुड्डा को. क्या मतलब है इस गाने का.

विक्रम हुड्डा से कहता है कि उस की पत्नी स्वाति को परेशान न करे, जबकि इससे पहले साजिद और विक्रम की मुलाकात होती है. उस समय दिव्या भी साथ होती है तभी अचानक स्वाति कार से उतर कर आती है और विक्रम को बुराभला कहती है. पतिपत्नी का संबंध विच्छेद कर के चली जाती है. तब विक्रम अपने साथी पुलिस अधिकारी साजिद से कहता है कि इस का खयाल रखना. दिव्या और विक्रम मुंबई की झुग्गीझोपड़ी में पहुंचते हैं. लीना के मर्डर केस की गुत्थी सुलझाने में किसी की तलाश है.

गार्ड ने पुलिस को क्यों किया फोन

बस्ती में एक गुंडा होता है उस के पास पहुंचते ही गुंडे के गुर्गे जिस में अधिकतर बच्चे शामिल हैं, बंदूक तान कर विक्रम को घेर लेते हैं. लेकिन कुछ नहीं होता. यह नाटक भी दर्शकों को मायूस करता है. विक्रम उसे एक फोटो दिखाता है. गुंडा पहचान लेता है. कहता है कि यह अंकिता है और वह उस का पता बता देता है.

विक्रम और दिव्या दोनों अंकिता के घर पहुंच जाते हैं. उस के घर तक पहुंचने में जो सीन है, उस में भी डायरेक्टर की कमी उजागर होती है. यह अंकिता वही है जो 5 लाख रुपए लीना का पता बताने के लिए देती है. यहां एक गार्ड लीना मर्डर की खबर सुन रहा होता है, जिस में विक्रम का जिक्र है. पता नहीं कब मर्डर हुआ और कब खबर चल रही है और वह विक्रम को पहचान लेता है तथा पुलिस को फोन करता है.

स्वाति और साजिद के प्रेम करने का सीन दिखाया जाता है और स्वाति उस से विक्रम की चिंता प्रकट करती है. असल में पूरे वेब सीरीज में यही 2 लोग हैं, जो विक्रम को लीना मर्डर केस का दोषी नहीं मानते और उस को जबरदस्ती इस केस में फंसाए जाने से चिंतित भी हैं. अजब कहानी है. तभी साजिद पर उस के आला पुलिस अधिकारी का फोन आता है और उस से कहता है कि तुझे लीना मर्डर केस  की जांच से हटा दिया गया है.

एपिसोड-4

चौथे एपिसोड में दिखाया जाता है कि विक्रम और दिव्या, अंकिता को टौर्चर करते हैं. उस से पूछते हैं कि लीना थामस का मर्डर किस ने किया? अंकिता को पीट पीट बेहोश कर देते हैं.

उस के मोबाइल में थामस के बेटे डेविड की फोटो  मिलती है. इसी दौरान हुड्डा भी वहां पहुंच जाता है. उसे कोई सूचना नहीं होती कि पता नहीं डायरेक्टर ने अचानक कैसे पता लगा कर खलनायक हुड्डा को मौके पर भेज दिया.

पुलिस अधिकारी हुड्डा विक्रम और दिव्या को गिरफ्तार करके अपनी गाड़ी में बैठा कर ले जाता है और उन्हें डेविड के सामने पेश करता है. डेविड दोनों को टौर्चर करता है. दिव्या को पकड़ कर अलग टौर्चर रूम में बंद कर दिया जाता है और विक्रम को नशे का इंजेक्शन लगा देते हैं और उसे 2 लोगों के हवाले करते हुए एक गाड़ी में डाल देते हैं. कहते हैं कि इस का एक्सीडेंट दिखा कर काम तमाम कर दो.

सिदेश और उस की प्रेमिका पल्लवी इस में विक्रम को बचाने में लगे हैं. सिदेश कहता है कि विक्रम का उस पर एक एहसान है जिस तरह से वह हैकिंग का काम करता है, उस में फंस गया था. विक्रम ने ही उसे जेल जाने से बचाया है. इन दोनों युवा कलाकारों की प्रेम कहानी कुछ नहीं है. देखने वाले इसी प्रतीक्षा में रहे और कहीं दोनों के बीच प्रेम प्रसंग के सीन नजर आएंगे.

दोनों व्यक्ति विक्रम का एक्सीडेंट कर के हत्या करने ले जा रहे थे, उन की गाड़ी एक जंगल में जा कर पलट जाती है. उस में से पहले वह 2 व्यक्ति निकलते हैं. विक्रम निकलता है उस के हाथ में मशीनगन होती है और वह दोनों को उड़ा देता है. इस बीच यहां गाना चलता है, ‘दम मारो दम हरे कृष्णा हरे राम…’ इस मारकाट में यह गाना भी बकवास लगता है. यह चौथे एपिसोड का अंतिम सीन है.

वेब सीरीज रिव्यू : हंटर टूटेगा नहीं, तोड़ेगा – भाग 1

कलाकार: सुनील शेट्टी, ईशा देओल, राहुल देव, करनवीर शर्मा, बरखा बिष्ट, सिद्धार्थ शेखर, मिहिर आहूजा, गार्गी सावंत

प्लेटफार्म: अमेजन मिनी टीवी

अवधि: लगभग आधे घंटे के 8 एपिसोड्स

निर्देशक: प्रिंस धीमान, आलोक बत्रा

कार्यकारी निर्माता: अक्षय वलसांगकर, आशीष मेहरा, अनुरोध गुसान

प्रोड्यूसर: विक्रम मेहरा, सिद्धार्थ आनंद कुमार, साहिल शर्मा

छायांकन: जेसिल पटेल

वेब सीरीज ‘हंटर टूटेगा नहीं तोड़ेगा’ प्रिंस धीमान और आलोक बत्रा के निर्देशन में बनी है. सीरीज कटियाल के उपन्यास ‘द इनविजिबल वूमेन’ पर आधारित है. यह बौलीवुड की एक ऐक्शन फिल्म की तरह है. वेब सीरीज 8 एपिसोड में जारी की गई है. सीरीज की कहानी में कोई दम नहीं है. इस के कारण जो दृश्य फिल्माए गए हैं, उन में 1-2 को छोड़ कर बाकी सब बकवास हैं.

वेब सीरीज की कहानी में अंगों का व्यापार और देह व्यापार जैसे पुराने घिसेपिटे मामलों को फिल्माने की नाकाम कोशिश की गई है. इस में कत्ल का आरोपी पुलिस अफसर है, उस के पीछे पड़ा एक अन्य पुलिस अधिकारी है, जो विलेन की कमी पूरी करता है. तलाकशुदा पत्नी है. अफेयर है. यह है हंटर की कहानी

सीरीज में एसीपी विक्रम सिंह (सुनील शेट्टी) एक हाईप्रोफाइल महिला लीना थामस के कत्ल के आरोप में फंस जाता है. एसीपी विक्रम गिरफ्तारी से बचने के लिए इधरउधर छिपता है. विक्रम को गिरफ्तार करने में एक दूसरा पुलिस अधिकारी हुड्डा जुटा हुआ है. एसीपी विक्रम का रोल सुनील शेट्टी और लीना थामस का रोल स्मिता जयकर ने निभाया है. जबकि हुड्डा के किरदार में राहुल देव हैं.

विक्रम कानून की गिरफ्त से बचते हुए खुद इस केस को हल करने की कोशिश कर रहा है. इस में उस की मदद एक पुलिस अफसर कर रहा है, जो उस की पूर्व पत्नी स्वाति के साथ रिलेशनशिप में भी है. इसी क्रम में वह दिव्या से मिलता है, जो एक रिपोर्टर है और फिर इस मिशन में उस की सहयोगी बन जाती है.

स्वाति की भूमिका में बरखा बिष्ट है और दिव्या का रोल एशा देओल निभा रही है. शृंखला घिसेपिटे संवादों और उतनी ही खराब संवादों की अदाएगी के लिए एक कीर्तिमान स्थापित कर रही है.

कहानी तो जैसेतैसे इन को मिल गई, लेकिन उसे इतनी बुरे तरीके से फिल्माया गया है कि दर्शकों को बोरियत के सिवा और कुछ हाथ नहीं लगेगा. वेब सीरीज में महिलाओं के काफी सीन ब्रा और छोटे कपड़ों में दिखाए गए हैं. कभी कभी केवल पेंटी पहनती महिला के सीन हैं, जिन का कोई औचित्य नजर नहीं आता.

सीरीज का म्युजिक भी बहुत खराब है. ऐक्शन सीन बहुत ही बोरिंग और बहुत लंबे हैं. यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि किसी भी कलाकार ने अपने किरदार के साथ न्याय नहीं किया. सुनील शेट्टी और ईशा देओल तो अभिनय के बारे में बिलकुल अनजान से नजर आए हैं. सुनील शेट्टी इस से पहले एमएक्स प्लेयर की वेब सीरीज ‘धारावी बैंक’ में अंडरवल्र्ड डौन के किरदार में नजर आया था. उस की यह दूसरी सीरीज है.

एपिसोड- 1

पहले एपिसोड की शुरुआत मछली मार्केट से होती है. इमरान नाम का एक गुंडा एक महिला शावा को पीट रहा होता है. एसीपी विक्रम का फोन आता है. कहता है पुलिस आने वाली है, जल्दी भाग जा. इस बीच इमरान धारदार हथियार से गला काट कर शावा की हत्या कर देता है. उस की मां रेशमा को धमकी देता है कि उस का चोरी का माल नहीं मिला तो शावा की बहन का भी यही हाल होगा. इस के बाद वह उस की बहन को उठा कर ले जाता है.

मछली कारोबारी का ऐसा कौन सा सामान एक महिला ने चुरा लिया, जो इस के न मिलने पर हत्या कर दी गई, यह बात फिल्म में कहीं नहीं बताई गई. निर्माता ने खूनखराबे का सीन दिखाने के लिए इसे कहानी में शामिल कर लिया. इमरान नाम के इस गुंडे की ऐक्टिंग में कहीं ऐसी क्रूरता नजर नहीं आई, जैसी कि कातिल में होनी चाहिए. अगले सीन में डीएसपी साजिद एक युवक का पीछा कर रहा होता है.

इंसपेक्टर हुड्डा अचानक आता है और उसी युवक की गोली मार कर हत्या कर देता है. डीएसपी साजिद अकेला होता है और इंसपेक्टर हुड्डा फोर्स के साथ. वेब सीरीज में ऐसा सीन दर्शाया गया है, जिस का कोई मतलब ही नहीं है. डीएसपी साजिद युवक का क्यों पीछा कर रहा है? वह किसी मामले में अपराधी है तथा हुड्डा ने उसे गोली से क्यों उड़ा दिया, यह बात अंत तक भी पता नहीं चल पाई. डीएसपी साजिद का किरदार करणवीर शर्मा ने निभाया है.

दरअसल, एसीपी विक्रम सिंह एक शराबी नशेड़ी उपद्रवी पुलिस अफसर है. इमरान मछली के कारोबार के पीछे अवैध रूप से ड्रग सप्लाई करता है. यह बात विक्रम को पता है. विक्रम उस से ड्रग ले कर नशा करता है. मोटी रकम हासिल करने की खातिर उस की मदद करता है. विक्रम और हुड्डा की मुलाकात होती है और हुड्डा कहता है कि इमरान के सपोर्ट में क्यों खड़ा है. वो तस्कर माफिया है. उसने एक महिला की हत्या की है.

क्यों शुरू हुई मारकाट

यह जानकारी मिलते ही विक्रम अकेला ही इमरान के अड्डे पर पहुंच जाता है. वहां उस के गुंडों से मारपीट व फाइटिंग शुरू हो जाती है. गाना बजने लगता है, ‘सोने की थाली में भोजन परोसा, खाए गोरी का यार बलम तरसे रंग बरसे…’ यह गाने की बैकग्राउंड इस मारकाट के सीन में अर्थहीन है.

इस का सीरीज पर दुष्प्रभाव पड़ता है. जिस तरह से गुंडों की हत्याएं विक्रम को करते दिखाया गया है, उस में रंगमंच पर किए जाने वाले नौटंकी जैसी भी ऐक्टिंग नहीं है. खूब बारिश हो रही है और विक्रम ने इमरान के  गुंडों की लाशें बिछा दी हैं. इतनी देर में इमरान भी सामने आ जाता है. दोनों में डायलौगबाजी होती है और फाइटिंग शुरू हो जाती है, जिस में इमरान भी मारा जाता है.

विक्रम को शिवा की बहन मिल जाती है, जिसे बेहोशी की हालत में रस्सी से बांध कर लटका रखा है. वह उसे उतार कर कंधे पर लाद कर इमरान के अड्डे से बाहर निकलता है. सामने ही हुड्डा अपने हमराह सिपाहियों के साथ दिखाई देता है. विक्रम उन के सिपाही  को आदेश देता है कि इस लड़की को संभालो. सिपाही लड़की को उठा कर ले चलता है.

हुड्डा धमकी देता है कि तेरी जांच कराऊंगा. तब विक्रम कहता है कि इन हत्याओं में उस का कोई हाथ नहीं है. उस ने तो सिर्फ इस लड़की को बचाया है. वेब सीरीज में इस का यही अंत हो जाता है. आगे इस का कहानी में कोई उल्लेख नहीं है. लाशों के ढेर की न तो कोई जांच होती है और न इस का कहीं जिक्र होता है.

बेमतलब के हौट सीन

अगले सीन में विक्रम एक डाक्टर के पास जाता है. लाशों के ढेर लगाने और बिना जरूरत की फाइटिंग में विक्रम के हाथ में चोट लग जाती है. धारदार हथियार से लगी चोट का इलाज न कर के डाक्टर विक्रम को बताता है कि उस की एक किडनी खराब है. किडनी का औपरेशन कर के जल्द से जल्द बाहर निकलना है.

इस में 10 से 15 लाख रुपए तक खर्च आएगा. इस समय विक्रम के पास पैसा नहीं है. वह समय न होने की बात कह कर औपरेशन को मना कर के वहां से चला जाता है. अगले सीन में स्वाति उसे फोन करती है. घर न आने पर नाराजगी व्यक्त करती है. इस के बावजूद वेब सीरीज का हीरो जिस का चरित्र कहानीकार ने यह दिखाया है कि वह घर न जा कर एक बार में शराब और शबाब का आनंद लेने पहुंच जाता है.

बारबाला पहले से जानती है कि विक्रम  नशे का आदी है. विक्रम के असली धंधे  के बारे में भी वह जानती है और कहती है कि उसे एक लीना थामस नाम की लेडी की तलाश करनी है. इस के लिए विक्रम को 5 लाख रुपए देने की बात कहती है. रात में शबाब व शराब का आनंद ले कर सुबह का सीन विक्रम के फ्रेश होने का है.

वह फ्रेश हो कर निकलता है. सामने वह हौट कपड़ों में तैयार मिलती है. यहां रोमांस का भी सीन है, जिस का कोई मतलब नहीं है. फिर वह विक्रम के सामने ही कपड़े बदलती है. छोटे कपड़ों में शरीर में से वह अंग साफ दिखाई देते हैं, जिसे बेवजह फिल्माया गया है. फिर उसे ढकती है. 5 लाख रुपए और लीना का फोटो देती है. कहती है कि इसे जल्द से जल्द तलाश करो.

अगले सीन में विक्रम अपने घर पहुंचता है. उसे अपनी बेटी का खयाल आता है, जो इस दुनिया में नहीं है. इतने में उस की पत्नी स्वाति सामने आती है. उस के कपड़ों से दोनों वक्ष झांक रहे होते हैं. क्या फिल्मकार दर्शकों को हौट सीन दिखा कर वेब सीरीज को हिट सीरीज बनाने के प्रयास में है? क्योंकि विक्रम या फिर दर्शकों की नजर पडऩे के बाद वह उन्हें ढकने लगती है.

थोड़ी बातचीत के बाद विक्रम कमरे में ऊपर पहुंचता है, जहां उस की बेटी के फोटो लगे होते हैं. एक फोटो उठा कर देखता है. तभी उसे बेटी खयालों में लिपट जाती है. डायरेक्टर ने इस सीन को इमोशनल बनाने की कोशिश की है, लेकिन उस में सफलता नहीं मिली. यह सीन बहुत ही गंभीर और दिल में उतारने वाला हो सकता था, लेकिन इस सीन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा. उस के बाद दोनों नीचे उतर कर आते हैं.

hunter-series-barkha-sunil

विक्रम घर से बाहर निकल जाता है. स्वाति को अपनी बेटी व पुलिस अफसर साजिद का खयाल आता है, जिस से उस का अफेयर चल रहा है. अगले सीन में विक्रम मिहिर आहूजा यानी हैकर सिदेश के पास पहुंचता है. वहां से लीना का पता ले कर लीना के घर पहुंच जाता है. वहां सिद्धार्थ शेखर यानी डेविड का फोटो देख कर उसे खयाल आता है कि वह इस से कहीं मिला है. स्मिता जयकर यानी लीना थामस से मुलाकात होती है.

थोड़ी देर बातें करने के बाद वह यह बहाना कर के चली जाती है कि वह किसी मीटिंग में जा रही है. शैलेंद्र को उस के पास छोड़ जाती है. विक्रम उस से परिचय पूछता है तो शैलेंद्र बताता है कि वह लीना मैडम व डेविड का काम देखता है. इसी दौरान एक लड़की विक्रम को दिखाई देती है. उस से बात करने पर पता चलता है कि वह लीना थामस पर एक किताब लिख रही है.

अगले सीन में विक्रम के पास एक फोन आता है. वह कहता है तुम्हारा हिसाब चुका दिया है. वह समझ नहीं पाता है. तभी दरवाजे पर दस्तक होती है और 2 युवक घर में दाखिल होते हैं. थोड़ी बात के बाद दोनों में फाइटिंग शुरू हो जाती है और यहां गाना बजता है, ‘चाहे कोई मुझे जंगली कहे, कहने दो कहता रहे…’ विक्रम दोनों को मारता है.

फायरिंग के दौरान विक्रम फ्रिज से एक केला निकाल कर खाता है. दारू पीता है. तब तक दोनों जमीन पर गिरे होते हैं. उन में से एक उठ कर आता है. गोली चलाने से पहले इन दोनों में जो बातचीत हुई है, ये सीन एकदम बकवास है. युवक गोली न चला कर उस की बातों में उलझा रहता है, फिर तीनों गिरे पड़े होते हैं.

विक्रम जब होश में आता है तो उन में से एक युवक के साथ उस का हाथ भी हथकड़ी में बंधा होता है. दोनों के हाथों में हथकड़ी कैसे बंध गई, यह वेब सीरीज में कहीं पता नहीं चला. विक्रम उसे हथकड़ी सहित खींच कर उस स्थान पर ले जाता है, जहां उस का फोन पड़ा है. फोन की घंटी बज रही होती है. वह रिसीव करता है.

इसी बीच पुलिस अफसर साजिद का फोन आता है. वह बताता है कि लीना थामस का मर्डर हो गया है और उस का आरोप तुम्हारे ऊपर आया है. ऐसे सबूत भी मिले हैं. वह कहता है कि हुड्डा आ रहा है. तभी एपिसोड खत्म हो जाता है.

वेब सीरीज रिव्यू : रंगबाज सीजन 1

वेब सीरीज रिव्यू : इंस्पेक्टर अविनाश