अंकिता का अपनी बहन अनीता के घर आनाजाना लगा रहता था. बहन के ठाठबाट से अंकिता प्रभावित थी. वह उस की अहसानमंद भी थी, क्योंकि वह उस की आर्थिक मदद कर देती थी. एक दिन अंकिता ने बातोंबातों में उस से कहा, ‘‘अनीता दीदी, मैं सदैव परेशानी में रहती हूं. आशुतोष इतना नहीं कमा पाता कि हमारा गुजारा हो सके. दीदी, हमें भी कोई धंधा बताओ ताकि हमारा भी गुजारा हो सके.’’
अनीता ने अंकिता के चेहरे पर नजरें गड़ा दीं. फिर कुछ क्षण बाद बोली, ‘‘जो धंधा मैं करती हूं, तू भी शुरू कर दे, कुछ ही दिनों में तेरे दिन भी बहुर जाएंगे.’’‘‘कौन सा धंधा दीदी?’’ अंकिता ने अचकचा कर पूछा.
‘‘वही जिस्मफरोशी का.’’ अनीता ने बताया. ‘‘दीदी, यह आप क्या कह रही हैं, यह तो बहुत गंदा काम है. क्या आप यही करती हो?’’
‘‘हां, अंकिता मैं यही धंधा करती हूं. बता, इस में गलत क्या है? देख ले, इस में कमाई बहुत है. सोच ले, मन करे तो आ जाना.’’ अंकिता एक सप्ताह तक पसोपेश में पड़ी रही. उस के बाद वह राजी हो गई. फिर अनीता ने बहन को देह धंधे में उतार दिया. आशुतोष झा ने भी प्राइवेट नौकरी छोड़ दी और पत्नी की देह की दलाली करने लगा. अंकिता सजधज कर बहन के अड्डे पर पहुंच जाती और जिस्म का धंधा करती. आशुतोष पत्नी के लिए ग्राहक तलाश कर लाता.छापे वाले दिन अंकिता पति आशुतोष झा के साथ बहन के घर पहुंची ही थी कि पुलिस का छापा पड़ गया और वह पति के साथ पकड़ी गई.
जिस्मफरोशी के अड्डे से पकड़ी गई सरिता फतेहपुर जिले के असोम कस्बे की रहने वाली थी. सरिता अनीता की सब से छोटी बहन थी. उस का विवाह असोम निवासी बलवीर के साथ हुआ था. बलवीर फेरी लगा कर कपड़े बेचता था. कपड़े के व्यवसाय में उसे कभी घाटा तो कभी मुनाफा होता था. उसी से वह जैसेतैसे अपनी गृहस्थी चलाता था.
सरिता महत्त्वाकांक्षी थी. वह पति की कमाई से संतुष्ट नहीं थी. सरिता अपनी बहनों के घर आतीजाती थी. वह उन के ठाटबाट देख कर मन ही मन कुढ़ती थी. उस ने बहनों से कमाई और ठाटबाट का रहस्य जाना तो उस ने भी बहनों का साथ पकड़ लिया और जिस्मफरोशी का धंधा करने लगी. उस ने पति बलवीर को भी राजी कर लिया. बलवीर भी पत्नी की देह का दलाल बन गया.सरिता कुछ ही समय में इस धंधे की खिलाड़ी बन गई. वह असोम तथा फतेहपुर से ग्राहक तथा लड़कियां भी फंसा कर लाने लगी. इस के एवज में अनीता उसे कमीशन भी देती थी.
छापे वाले दिन सरिता को ग्राहक के साथ उन्नाव जाना था लेकिन ग्राहक आने से पहले ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ गई. उस दिन उस का पति बलवीर उस के साथ अड्डे पर नहीं आया था, जिस से वह बच गया.पुलिस रेड में पकड़ी गई नेहा फतेहपुर की रहने वाली थी. 4 भाईबहनों में वह सब से छोटी थी. उस के पिता प्राइवेट नौकरी कर परिवार का पालनपोषण करते थे. नेहा की शादी कल्याणपुर निवासी रमेश के साथ हुई थी.
रमेश शराबी था, जो कमाता था वह सब शराब में ही उड़ा देता था. नेहा विरोध करती तो वह उसे मारतापीटता था. लगभग 3 साल उस ने जैसेतैसे पति के साथ बिताए, फिर उस का साथ छोड़ कर मायके आ गई.पिता उस की दूसरी शादी रचा कर गृहस्थी बसाना चाहते थे, लेकिन नेहा राजी नहीं हुई. नेहा पिता पर बोझ नहीं बनना चाहती, अत: वह कानपुर आ गई और दादानगर स्थित एक प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने लगी. लेकिन यह नौकरी उसे ज्यादा समय तक रास नहीं आई.
वह पढ़ीलिखी थी सो दूसरी नौकरी की तलाश में जुट गई. इसी तलाश में उस की मुलाकात कालगर्ल सरगना अनीता शुक्ला से हुई. अनीता ने उसे अच्छी नौकरी लगवाने का झांसा दिया और उस की आर्थिक मदद करने लगी. नेहा जवान और खूबसूरत थी. अनीता ने उस को देहसुख का चस्का भी लगा दिया. इस के बाद अनीता ने उसे देहव्यापार के धंधे में उतार दिया.
नेहा फैशनेबल थी. वह जींसटौप पहनती थी. ग्राहक उसे देखते ही पसंद कर लेता था. अनीता नेहा की बुकिंग दिल्ली, आगरा जैसे बड़े शहरों को करती थी और भारीभरकम रकम वसूलती थी. छापे वाले दिन नेहा का सौदा 10 हजार रुपए में तय था. ग्राहक कार से उसे लेने आ रहा था. लेकिन इसी बीच पुलिस का छापा पड़ गया और वह पकड़ी गई.
पुलिस छापे में पकड़ी गई पूनम, असोम (फतेहपुर) की रहने वाली थी. उस का पति फतेहपुर खागा रोड पर टैंपो चलाता था. वह इतना कमा लेता था कि अपनी पत्नी व 2 बच्चों का पालनपोषण हो जाता था. लेकिन एक दिन उस का टैंपो ट्रक से भिड़ गया, जिस से वह बुरी तरह जख्मी हो गया. उस का साल भर इलाज चला पर वह चल न सका. उस का एक पैर खराब हो गया. फिर हमेशा के लिए बिस्तर ही उस का साथी बन गया था.
पूनम के पास जो जमापूंजी थी, वह सब उस ने पति के इलाज में लगा दी. वह कर्जदार भी हो गई. बच्चों के भूखों मरने की नौबत जब आ गई तब उसे घर के बाहर कदम निकालना पड़ा. वह फतेहपुर में एक चूड़ी की दुकान पर काम करने लगी. इसी चूड़ी की दुकान पर पूनम की मुलाकात कालगर्ल सरिता से हुई.
सरिता ने पूनम को अच्छी नौकरी दिलवाने का झांसा दिया और अपनी बहन अनीता से मिलवाया. अनीता ने पूनम की मजबूरी समझी और फिर प्रलोभन दे कर सैक्स के धंधे में उतार दिया.पूनम को शुरू में तो धंधा करने में झिझक हुई, किंतु जब शरीर की भरपूर कीमत मिलने लगी तो वह इस धंधे में रम गई. छापे वाले दिन उस का रात भर का सौदा 5 हजार रुपए में तय हुआ था. वह अपने ग्राहक के साथ कमरे में बिस्तर पर थी, तभी पुलिस का छापा पड़ा और वह पकड़ी गई.
जिस्म का धंधा करते पकड़ी गई नीलम भी असोम (फतेहपुर) की रहने वाली थी. उस का पति मानसिक रोगी था. घर में ही पड़ा रहता था.सासससुर और 3 बच्चों का बोझ उस के कंधे पर था. उस की मजबूरी का फायदा असोम की रहने वाली सरिता ने उठाया. सरिता ने उसे अपनी बड़ी बहन अनीता से मिलवाया. अनीता ने नीलम को समाज की कड़वी सच्चाई से अवगत कराया और फिर जिस्म बेचने को राजी कर लिया.
मजबूरी में नीलम देह का सौदा करने लगी. हालांकि नीलम का पति और सासससुर यही समझते थे कि नीलम किसी कंपनी में नौकरी करती है और कंपनी के काम से उसे बाहर जाना पड़ता है. छापे वाली रात नीलम ग्राहक के इंतजार में थी, तभी पुलिस का छापा पड़ गया और वह पकड़ी गई.
देहव्यापार के अड्डे पर अय्याशी करते रंगेहाथ पकड़ा गया सत्यम द्विवेदी कानपुर नगर के छावनी थाने के लालकुर्ती मोहल्ले का रहने वाला था. वह कपड़े का व्यापार करता था और अय्याश प्रवृत्ति का था.
एक रंगीनमिजाज दोस्त के माध्यम से वह श्यामनगर क्षेत्र में स्थित अनीता के अड्डे पर पहुंचा था. पूनम नाम की कालगर्ल को पसंद कर उस ने पूरी रात का सौदा 5 हजार रुपए में तय किया था. पूनम के साथ वह कमरे में हमबिस्तर था, तभी पुलिस का छापा पड़ा और वह पकड़ा गया. 6 जनवरी, 2020 को थाना चकेरी पुलिस ने देहव्यापार के अड्डे से पकड़े गए सभी आरोपियों को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को जिला जेल भेज दिया गया.
—कथा संकलन सूत्रों पर आधारित. महिला पात्रों के नाम परिवर्तित किए गए हैं.