अकेले लोकेश ने की 25 करोड़ की चोरी – भाग 3

सुपर चोर की पत्नी चलाती है ब्यूटीपार्लर

32 वर्षीय लोकेश श्रीवास छत्तीसगढ़ राज्य के कवर्धा शहर में कैलाश नगर इलाके में रहता था. परिवार में मांबाप, पत्नी रमा और 2 बेटियां क्रमश: 11 वर्ष और 6 वर्ष है.

लोकेश श्रीवास का मकान तीनमंजिला है. वह अपने घर में कम ही रहता है. उस का ज्यादातर वक्त छत्तीसगढ़ और दूसरे राज्यों की जेलों में ही कटता है. लोकेश की पत्नी रमा मकान के निचले हिस्से में ब्यूटीपार्लर चलाती है. मकान का एक हिस्सा रमा ने किराए पर दे रखा है, जिस से वह अपने घर का खर्च चलाती है.

लोकेश श्रीवास शातिर चोर है, यह पत्नी रमा को शादी के बहुत बाद में पता चला था. लोकेश ने उसे कभी नहीं बताया कि वह क्या काम करता है. जब घर के दरवाजे पर आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा, छत्तीसगढ़ के दुर्ग, भिलाई की पुलिस लोकेश को दबोचने के लिए आने लगी और घर में लोकेश श्रीवास द्वारा छिपा कर रखा गया चोरी का माल बरामद होने लगा तो रमा को पता चला कि उस का पति शातिर चोर है.

लोकेश श्रीवास पहले एक सैलून में बाल काटने का काम करता था. उस के ख्वाब ऊंचे थे. बाल काटते वक्त उस का ख्वाब होता था कि उस के हाथ में सोने का कंघा, सोने की कैंची और सोने का उस्तरा हो, जिस से वह देश के प्रधानमंत्री के बाल काटे.

प्रधानमंत्री तक तो उस की पहुंच संभव नहीं थी, लेकिन अपने सुनहरे ख्वाब पूरे करने के लिए उस ने 20 मई, 2006 को एक ज्वेलरी शोरूम में चोरी की. लाखों के गहने हाथ लगे तो लोकेश श्रीवास ने चोरी को ही अपना धंधा बना लिया.

लोकेश श्रीवास ने आंध्र प्रदेश के विजय नगर शहर में एक ज्वेलरी शोरूम में 6 किलोग्राम सोने के आभूषणों की चोरी की. तेलंगाना स्टेट में एक ज्वेलर के यहां 4 किलोग्राम, ओडिशा में 500 ग्राम, भिलाई के बजाज ज्वेलर के यहां से 17 लाख के आभूषणों पर हाथ साफ किया. सन 2019 में लोकेश श्रीवास ने भिलाई के आनंद नगर में पारख ज्वेलर के यहां से 15 करोड़ के आभूषण चोरी किए.

19 और 25 अगस्त, 2023 को बिलासपुर में मास्टरमाइंड लोकेश श्रीवास ने एक ही रात में 10 ज्वेलरी शोरूम को अपना निशाना बनाया था.

लोकेश श्रीवास को विभिन्न राज्यों की पुलिस ने कितनी ही बार पकड़ कर चोरी का माल बरामद किया. उसे जेल की सलाखों में भी डाला, लेकिन वह किसी न किसी तिकड़म से अपनी जमानत करवा लेता और बाहर आ कर फिर से किसी ज्वेलरी शोरूम को निशाना बनाता.

उस ने 5 साल पहले चोरी के माल से 60 हजार की पल्सर मोटरसाइकिल खरीदी और 60 लाख रुपए से जिम खोला था, लेकिन वहां के कलेक्टर अमरीश कुमार शरण ने जिम को सील करा कर लोकेश श्रीवास को जिलाबदर कर दिया.

चूंकि उस वक्त देश में लोकसभा चुनाव होने वाले थे और लोकेश श्रीवास सैकड़ों चोरियां कर के पुलिस रिकौर्ड में अपना एक अलग ही क्रिमिनल रिकौर्ड दर्ज करवा चुका था, इसलिए उसे जिलाबदर करना बहुत जरूरी था.

शातिर मास्टरमाइंड चोर लोकेश श्रीवास इतनी चोरियां करने के बाद भी चैन से नहीं बैठा. छत्तीसगढ़ से 11 सौ किलोमीटर की दूरी तय कर के वह देश की राजधानी दिल्ली आया और 25 सितंबर, 2023 को उस ने साउथईस्ट दिल्ली के थाना निजामुद्दीन क्षेत्र के भोगल मार्केट में स्थित उमराव सिंह ज्वेलर्स के शोरूम में लगभग 25 करोड़ के आभूषणों पर हाथ साफ कर दिया. यह लोकेश श्रीवास द्वारा अब तक की गई चोरियों में सब से बड़ी चोरी मानी जा रही थी.

इसी सुपर चोर लोकेश श्रीवास को गिरफ्त में लेने के लिए दिल्ली पुलिस के इंसपेक्टर विष्णुदत्त और इंसपेक्टर दिनेश कुमार छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एसपी संतोष सिंह के औफिस में पहुंचे थे.

शातिर चोर के बारे में उस के साथी से मिला सुराग

एसपी संतोष सिंह ने शातिर चोर लोकेश श्रीवास की पूरी हिस्ट्री दोनों को बताते हुए कहा, ‘‘इंसपेक्टर, कमाल की बात यह है कि लोकेश श्रीवास अकेले ही चोरियां करता है. हम ने उस से इस विषय में पूछा था. उस का कहना था कि अकेले चोरी करने में वह अधिक सुविधा महसूस करता है. गैंग बना कर चोरी की जाए तो कोई न कोई गैंग का साथी बड़बोलेपन में फंसा सकता है. एक आदमी फंसा तो समझो सारा गैंग पकड़ में आया, इसलिए मैं जो करता हूं अपने हिसाब से अकेला ही करता हूं.’’

‘‘कमाल की बात है सर. दिल्ली में उमराव सिंह ज्वेलरी शोरूम में जिस हिसाब से दीवार और लौकर काटा गया है, वह एक व्यक्ति का काम नहीं लगता.’’ इंसपेक्टर विष्णुदत्त ने हैरानी से कहा.

‘‘वह अकेले लोकेश श्रीवास के ही शातिर दिमाग और हाथों का कमाल होगा. आप देख लेना, जब वह पकड़ में आएगा, तब वह यही कहेगा, मैं ने दिल्ली के उमराव सिंह ज्वेलर्स के यहां अकेले ही 25 करोड़ के आभूषणों पर हाथ साफ किया था.’’

‘‘वह पकड़ में कैसे आएगा सर?’’ विष्णुदत्त बोले, ‘‘क्या हमें उस के कवर्धा वाले घर पर रेड करनी चाहिए?’’

‘‘वह वहां नहीं मिलेगा.’’ एसपी संतोष सिंह बोले, ‘‘दिल्ली से उमराव सिंह ज्वेलर्स के यहां चोरी करके वह छत्तीसगढ़ वाली बस में बैठा है, यह मुझे आप के डीसीपी राजेश देव ने बताया था. तभी मैं ने लोकेश श्रीवास को दबोचने के लिए पुलिस को अलर्ट कर दिया था. पुलिस ने बिलासपुर आने वाली बस और उस के कबीर नगर के घर पर दबिश दी, लेकिन वह नहीं मिला.

‘‘बस से वह पहले ही उतर गया था, इस की सीसीटीवी कैमरों से फुटेज मिल गई है. हम यह मान कर चल रहे हैं कि लोकेश श्रीवास छत्तीसगढ़ वाली बस से बिलासपुर आया है, लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर वह बसअड्ïडे तक आने से पहले ही रास्ते में उतर गया. उस की तलाश यहां की पुलिस कर रही है. उसे जल्द ही पकड़ लिया जाएगा.’’

अभी एसपी संतोष सिंह ने अपनी बात खत्म की ही थी कि उन का लैंडलाइन फोन बजने लगा. उन्होंने रिसीवर उठा कर कान से लगाया, ‘‘हैलो.’’

‘‘सर, यहां पर लोकेश राव चोर अभीअभी आंध्रा पुलिस के हाथ लगा है. उस ने गले में मोटी सोने की चेन पहन रखी है. पूछताछ में उस ने बताया है कि यह चेन उसे लोकेश श्रीवास ने दी है.’’

‘‘ओह!’’ एसपी संतोष सिंह खुशी से उछल पड़े, ‘‘तब तो लोकेश राव यह भी जानता होगा कि लोकेश श्रीवास कहां है?’’

‘‘बेशक जानता होगा. उस से पूछताछ की जा रही है, आप कवर्धा आ जाइए सर, मैं कवर्धा थाने से बात कर रहा हूं.’’

‘‘हम आते हैं.’’ एसपी संतोष सिंह उठते हुए बोले.

उन्होंने रिसीवर क्रेडिल पर रख दिया और वह इंसपेक्टर विष्णुदत्त और इंसपेक्टर दिनेश कुमार से मुखातिब हुए, ‘‘चलिए, लोकेश श्रीवास हाथ आने ही वाला है.’’

इंसपेक्टर विष्णुदत्त और इंसपेक्टर दिनेश कुमार ने कुरसी छोड़ दी. वह एसपी संतोष सिंह के साथ कक्ष से बाहर की ओर बढ़ गए. पुलिस का एक दस्ता भी उन के साथ था.

अकेले ही चुरा ले गया 25 करोड़ की ज्वेलरी

कवर्धा पुलिस थाने में कुरसी पर बैठा वह पतलादुबला व्यक्ति लोकेश राव था. लोकेश श्रीवास के नाम से मिलताजुलता नाम. काम छोटीमोटी चोरियां करना. उस ने आंध्र प्रदेश में चोरी की थी. वहां की पुलिस उस की तलाश में कवर्धा आई तो वह हत्थे चढ़ गया.

उस वक्त वह गले में सोने की मोटी चेन पहने था. पूछने पर उस ने बताया कि लोकेश श्रीवास उसे जानता है, उस ने अभी दिल्ली में किसी ज्वेलरी शोरूम में मोटा हाथ मारा है, खुश हो कर उस ने सोने की चेन उसे उपहार में दी है.

लोकेश राव से पुलिस लोकेश श्रीवास के ठिकाने का पता मालूम कर रही थी, लेकिन वह बारबार एक ही बात कह रहा था कि वह लोकेश श्रीवास का ठिकाना नहीं जानता.

‘‘तुम अपने किसी दूसरे साथी का नामपता जानते हो, जो तुम्हारी तरह ही चोरियां करता हो?’’ इंसपेक्टर विष्णुदत्त ने उसे घूरते हुए पूछा.

‘‘हां, मेरा एक दोस्त है शिवा चंद्रवंशी, वह भी मेरी तरह चोर है.’’

‘‘शिवा चंद्रवंशी कहां रहता है?’’

‘‘वह कबीर धाम में रह रहा है, वहां उस ने किराए का कमरा ले रखा है.’’

‘‘चलो, हमें शिवा से मिलवाओ,’’ इंसपेक्टर विष्णुदत्त ने कहा.

लोकेश राव इस के लिए न नहीं कह सका. वह सभी को अपने साथ ले कर कबीर धाम में शिवा के कमरे पर पहुंच गया. उस वक्त शिवा सो रहा था. अधिकारियों ने उसे सोते हुए ही दबोचा तो वह हड़बड़ा कर उठ बैठा. पुलिस को देख कर वह कांपने लगा.

‘‘तुम लोकेश श्रीवास को जानते हो, यह लोकेश राव ने हम से कहा है. बताओ, इस वक्त लोकेश श्रीवास कहां है?’’ इंसपेक्टर दिनेश कुमार ने अंधेरे में तीर चलाया.

‘‘व.. वह भिलाई के स्मृतिनगर में है…’’ शिवा चंद्रवंशी ने हकलाते हुए बताया.

‘‘वह तुम से कब मिला था?’’

‘‘कल वह दिल्ली से मोटा माल ले कर आया था. यह कमरा उस ने पहले ही किराए पर ले लिया था ताकि माल यहां छिपा सके.’’

शिवा के मुंह से यह रहस्य उजागर होते ही पुलिस टीम ने कमरे की तलाशी लेनी शुरू कर दी. तकिए, रजाई गद्दों और पलंग में छिपा कर रखे गए सोनेहीरों के आभूषणों को पुलिस ने बरामद किया. 19 लाख रुपया कैश भी बरामद हुआ.

यह आभूषण अनुमान से 18-19 किलोग्राम वजन के थे और इन की कीमत करोड़ों में आंकी जा सकती थी. यह आभूषण उमराव सिंह ज्वेलर्स के शोरूम से चुराए गए हैं या कहीं और से, यह लोकेश श्रीवास ही बता सकता था.

अकेले लोकेश ने की 25 करोड़ की चोरी – भाग 2

पुलिस टीमें जुटीं जांच में

डीसीपी राजेश देव ने फिगरप्रिंट एक्सपर्ट और तेजतर्रार इंसपेक्टर विष्णु दत्त और इंसपेक्टर दिनेश को भी वहां बुला कर जांच में लगा दिया. स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर राजेंद्र डागर वहां आ गए. दुकान में 6 सीसीटीवी कैमरे थे, जिन की तार चोरों ने काट दी थी.

उन कैमरों की फुटेज कब्जे में ले ली गई. पड़ोस की इमारत में रहने वालों से पूछताछ की गई. इमारत में कई परिवार रहते थे. उन लोगों का कहना था कि उन्होंने ज्वेलरी शोरूम के आसपास किसी को संदिग्ध हालत में घूमते नहीं देखा, न उन लोगों ने ज्वेलरी शोरूम में घुसे चोरों के द्वारा अंदर की गई तोडफ़ोड की आवाजें सुनीं. चोर ज्वेलरी शोरूम में कब और कैसे घुसे, वे नहीं जानते.

पुलिस ने अनुमान लगाया कि चोर इसी इमारत की सीढिय़ों से इमारत की छत पर पहुंचे. वहां से ज्वेलरी शोरूम की इमारत पर आए और सीढ़ी के ग्रिल दरवाजे का ताला तोड़ कर ग्राउंड फ्लोर पर आ गए. उन्होंने यह काम सोमवार को किया, क्योंकि उस दिन साप्ताहिक अवकाश के कारण शोरूम बंद था.

उन्हें सोमवार का दिन और रात का पूरा वक्त स्ट्रांगरूम की दीवार तोड़ कर लौकर तक पहुंचने के लिए मिला. उन्होंने कटर से लौकर भी काट डाला और सारे आभूषण ले कर चले गए.

पुलिस की कई टीमें इस हाईप्रोफाइल चोरी का सुराग तलाशने में जुटी थीं. साइबर सेल टैक्निकल सर्विलांस पर काम कर रही थी. काल डिटेल्स खंगालने का भी काम जारी था.

छत्तीसगढ़ पुलिस से मिला सुराग

चोरों ने ज्वेलरी शोरूम में लगे सीसीटीवी कैमरों की वायर अंदर घुसते ही काट डाली थी, लेकिन वायर काटने से पहले की एक व्यक्ति की तसवीर सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गई थी. उस व्यक्ति का हुलिया ज्यादा स्पष्ट नहीं था और पुलिस के लिए उसे पहचान पाना भी आसान नहीं था, लेकिन जांच में जुटी पुलिस टीम ने हिम्मत नहीं हारी.

दूसरे दिन भोगल एरिया में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगालते वक्त पुलिस को एक फुटेज में उसी कदकाठी के एक व्यक्ति की तसवीर मिली, जैसी ज्वेलरी शोरूम में मिली थी. इस में उस व्यक्ति का चेहरा साफसाफ दिखाई पड़ रहा था. फोटो के सहारे पुलिस इस व्यक्ति का क्रिमिनल रिकौर्ड खंगालने में जुट गई.

दिल्ली के किसी भी थाने में इस व्यक्ति का फोटो नहीं था. हां, उस फोटो के जरिए गूगल पर इंटरस्टेट चोरों का रिकौर्ड खंगाला गया तो यह छत्तीसगढ़ के मशहूर चोर लोकेश श्रीवास के रूप में दर्ज मिला.

Inspector rajender and Jitender raghuvanshi

एसआई जितेंद्र ने स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर राजेंद्र डागर, इंसपेक्टर विष्णु दत्त से विचारविमर्श किया. तीनों ने यह तय किया कि छत्तीसगढ़ पुलिस से इस लोकेश श्रीवास की पूरी जानकारी मालूम की जाए.

वह अभी छत्तीसगढ़ पुलिस को फोन करने वाले ही थे कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर थाने से एक एसआई की काल एसआई जितेंद्र के मोबाइल पर आ गई. उस सबइंसपेक्टर ने कहा, ‘‘जितेंद्रजी, हम यहां रुटीन चेकिंग के लिए निकले थे. हमें आज लोकेश राव नाम का एक चोर हाथ लगा. यह लोकेश राव छोटीमोटी चोरियां करता है. एक चोरी के मामले में आंध्र प्रदेश की पुलिस को उस की तलाश थी.

‘‘इस चोर का कहना है, मुझ जैसे छोटे चोर को क्यों पकड़ते हो, दिल्ली में शातिर चोर लोकेश श्रीवास ने बड़े ज्वेलरी शोरूम पर हाथ साफ किया है, उसे पकड़ो तो जानूं. मैं यह जानना चाहता हूं क्या दिल्ली में कोई बड़ा ज्वेलरी शोरूम लूटा गया है?’’

‘‘हां. कल यहां उमराव सिंह ज्वेलर्स के यहां 25 करोड़ के आभूषणों पर उसी लोकेश श्रीवास ने हाथ साफ कर दिया है.’’ एसआई जितेंद्र ने बताया, ‘‘हमें भोगल मार्किट में एक व्यक्ति संदिग्ध अवस्था में घूमता सीसीटीवी फुटेज में मिला है. गूगल पर सर्च करने से वह व्यक्ति शातिर चोर लोकेश श्रीवास ही निकला. वह आटो में सवार हो कर ज्वेलरी शोरूम से गया है, हम आटो का पता लगवा रहे हैं. आप ने हमारा विश्वास पक्का किया है. इस जानकारी के लिए आप का धन्यवाद. जल्द ही हम छत्तीसगढ़ आ सकते हैं.’’

‘‘वेलकम जितेंद्रजी. यहां हम आप का पूरा सहयोग करेंगे.’’ कहने के बाद एसआई ने एक मोबाइल नंबर जितेंद्र रघुवंशी के वाट्सऐप पर भेज दिया. और कहा, ‘‘यह लोकेश श्रीवास का मोबाइल नंबर है. आप इस से लोकेश की लोकेशन ट्रेस कर सकेंगे.’’

उधर से नंबर मिलते ही एसआई जितेंद्र ने लोकेश श्रीवास का मोबाइल नंबर सर्विलांस सेल के पास भेज दिया, ताकि इस नंबर की लोकेशन मालूम हो सके. इधर पुलिस की एक टीम उस आटो का पता तलाशने में जुट गई. जांच में उस आटो के मालिक का पता मिल गया.

पुलिस उस आटो मालिक के घर पहुंच गई. उसे लोकेश श्रीवास की फोटो दिखा कर पूछा गया कि कल रात इसे उमराव सिंह ज्वेलर्स के पास से बिठा कर कहां उतारा?

आटो वाले ने तुरंत बताया, ‘‘वह सवारी मुझे एक हजार रुपया भाड़ा दे गई थी, इसलिए याद है. मैं ने उसे कश्मीरी गेट बसअड्ïडे पर उतारा था.’’

पुलिस के 4 सिपाही साथ ले कर इंसपेक्टर विष्णुदत्त, इंसपेक्टर दिनेश और निजामुद्दीन थाने के एसआई जितेंद्र कश्मीरी गेट बसअड्डा पहुंच गए.

यहां हर स्टेट की ओर जाने वाली बसों के टर्मिनल पर सीसीटीवी कैमरे लगे थे. इंसपेक्टर दिनेश के इशारे पर पुलिस टीम ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखनी शुरू की तो उन्हें वह व्यक्ति छत्तीसगढ़ जाने वाली एक बस में सवार होता दिखाई दे गया. सर्विलांस टीम ने भी पुष्टि कर दी कि इस फोन नंबर की लोकेशन छत्तीसगढ़ में शो हो रही है. इस से पूरी तरह स्पष्ट हो गया था कि मास्टरमाइंड चोर लोकेश श्रीवास ही है.

इंसपेक्टर विष्णु दत्त ने डीसीपी राजेश देव को यह जानकारी दे दी और बिलासपुर के एसआई के फोन की बात भी बता दी. डीसीपी पूरी संतुष्टि करना चाहते थे. उन्होंने लोकेश श्रीवास की तसवीर छत्तीसगढ़ पुलिस के पास फ्लैश करवा दी. वहां से जो कुछ बताया गया, उस से जांच में जुटी पुलिस टीम की बांछें खिल गईं.

पता चला कि वह व्यक्ति छत्तीसगढ़ के क्रिमिनल रिकौर्ड में दर्ज है. उस का नाम लोकेश श्रीवास उर्फ गोलू है. उम्र 32 साल. जानकारी मिली कि वह अब तक दरजनों ज्वेलरी शोरूम को अपना निशाना बना चुका है.

छत्तीसगढ़ पुलिस ने उसे कई बार पकड़ कर जेल में डाला था, लेकिन न जाने कैसे यह शातिर चोर अपनी जमानत करवा कर जेल से बाहर आ जाता है. फिलहाल वह छत्तीसगढ़ पुलिस की कस्टडी में नहीं था. छत्तीसगढ़ पुलिस एक ज्वेलर के यहां हुई चोरी के केस में लोकेश श्रीवास को तलाश कर रही थी.

डीसीपी राजेश देव ने इस जानकारी पर राहत की सांस ली. लोकेश श्रीवास एक शातिर चोर है और उसी ने दिल्ली के भोगल इलाके में उमराव सिंह ज्वेलर्स के शोरूम में 25 करोड़ की ज्वेलरी पर हाथ साफ किया था. चूंकि वह छत्तीसगढ़ गया था, इसलिए डीसीपी को उम्मीद थी कि लोकेश श्रीवास को छत्तीसगढ़ में पकड़ा जा सकता है.

उन्होंने नारकोटिक्स सेल के इंसपेक्टर विष्णुदत्त शर्मा और इंसपेक्टर दिनेश कुमार को फ्लाइट से छत्तीसगढ़ जाने का आदेश दे दिया. दोनों इंसपेक्टर छत्तीसगढ़ पुलिस की मदद से लोकेश श्रीवास को तलाश कर के गिरफ्तार करने के लिए छतीसगढ़ रवाना हो गए. स्पैशल स्टाफ के इंसपेक्टर राजेंद्र डागर को सर्विलांस विभाग में रह कर लोकेश श्रीवास के मोबाइल काल पर नजर रखनी थी.

अकेले लोकेश ने की 25 करोड़ की चोरी – भाग 1

पत्नी रमा को शादी के बहुत दिनों बाद ही यह बात पता चली कि उस का पति लोकेश श्रीवास एक शातिर चोर है. लोकेश ने उसे कभी नहीं बताया कि वह क्या करता है. जब घर के दरवाजे पर आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा, छत्तीसगढ़ के दुर्ग, भिलाई की पुलिस उस के पति को दबोचने के लिए आने लगी और घर में पति द्वारा छिपा कर रखा गया चोरी का माल बरामद होने लगा तो रमा को पता चला कि उस का पति शातिर चोर है.

लोकेश श्रीवास पहले एक सैलून में बाल काटने का काम किया करता था. उस के ख्वाब ऊंचे थे. बाल काटते वक्त उस का ख्वाब होता था कि उस के हाथ में सोने का कंघा, सोने की कैंची और सोने का उस्तरा हो, जिस से वह देश के प्रधानमंत्री के बाल काटे. प्रधानमंत्री तक तो उस की पहुंच संभव नहीं थी, लेकिन अपने सुनहरे ख्वाब पूरे करने के लिए उस ने 20 मई, 2006 को एक ज्वेलरी शोरूम में चोरी की. लाखों के गहने हाथ लगे तो लोकेश श्रीवास ने चोरी को ही अपना धंधा बना लिया.

लोकेश श्रीवास ने आंध्र प्रदेश के विजय नगर शहर में एक ज्वेलरी शोरूम में 6 किलोग्राम सोने के आभूषणों की चोरी की. तेलंगाना स्टेट में एक ज्वेलर के यहां 4 किलोग्राम, ओडिशा में 500 ग्राम, भिलाई के बजाज ज्वेलर के यहां से 17 लाख के आभूषणों पर हाथ साफ किया. सन 2019 में लोकेश श्रीवास ने भिलाई के आनंद नगर में पारख ज्वेलर के यहां से 15 करोड़ के आभूषण चोरी किए.

19 और 25 अगस्त, 2023 को बिलासपुर में मास्टरमाइंड लोकेश श्रीवास ने एक ही रात में 10 ज्वेलरी शोरूम को अपना निशाना बनाया था.

लोकेश श्रीवास को विभिन्न राज्यों की पुलिस ने कितनी ही बार पकड़ कर चोरी का माल बरामद किया. उसे जेल की सलाखों में भी डाला, लेकिन वह किसी न किसी तिकड़म से अपनी जमानत करवा लेता और बाहर आ कर फिर से किसी ज्वेलरी शोरूम को निशाना बनाता.

दिल्ली में स्थित थाना निजामुद्दीन के भोगल में स्थित उमराव सिंह ज्वेलर्स का शोरूम 25 सितंबर, 2023 को साप्ताहिक अवकाश की वजह से बंद था. 26 सितंबर को शोरूम के मालिक महावीर प्रसाद जैन सुबह 10 बजे दुकान पर पहुंचे तो वहां पूरा स्टाफ आ चुका था. सभी गपशप कर रहे थे.

मालिक को कार से उतरता देख उन्होंने अपने मालिक को अभिवादन किया. मुसकरा कर उन का अभिवादन स्वीकार करते हुए महावीर प्रसाद जैन ने बैग से चाबियों का गुच्छा निकाल कर एक कर्मचारी की तरफ बढ़ा दिया.

उस कर्मचारी ने शोरूम के ताले खोले और एक अन्य कर्मचारी के सहयोग से दुकान का शटर उठाया तो धूल का गुबार दुकान के भीतर से निकल कर दोनों से टकराया. दोनों धूल को हाथ से हटाने का प्रयास करते हुए बुरी तरह खांसने लगे.

‘‘इतनी धूल शोरूम में कहां से आ गई?’’ महावीर प्रसाद जैन हैरानी से बोले.

‘‘कल शोरूम बंद था न मालिक, इस की वजह से अंदर धूल जमा हो गई होगी.’’ एक कर्मचारी ने अपनी राय प्रकट की.

‘‘एक दिन में इतनी धूल दुकान में थोड़ी इकट्ठा हो जाएगी, जरा अंदर जा कर देखो तो…’’

महावीर प्रसाद जैन कह ही रहे थे, उस से पहले ही एक युवा कर्मचारी हाथों से धूल हटाने की कोशिश करता हुआ शोरूम में घुस गया था. वह धूल के गुबार में किसी तरह आंखें जमाने में कामयाब हुआ तो उस के गले से चीख निकल गई.

वह चीखता हुआ बाहर भागा, ‘‘मालिक अंदर स्ट्रांग रूम की दीवार टूटी हुई है…’’

‘‘क्… क्या कह रहे हो?’’ महावीर प्रसाद घबरा कर बोले और जल्दी से शोरूम में घुस गए.

शोरूम में धूल ही धूल भरी हुई थी. अंधेरा भी था.

अन्य स्टाफ के लोग भी अंदर आ गए थे. धूल और अंधेरे के कारण कुछ देख पाना संभव नहीं था.

एक कर्मचारी ने समझदारी दिखाते हुए लाइट्स और एग्जास्ट फैन चालू कर दिए. थोड़ी देर में दुकान की धूल छंटी तो रोशनी में उन्होंने जो कुछ देखा, वह उन के होश उड़ाने के लिए काफी था. स्ट्रांगरूम की दीवार को तोड़ कर खिडक़ी जैसा रास्ता बना दिया गया था. फर्श पर ईंटों और सीमेंट का मलबा पड़ा था.

यह रास्ता क्यों बनाया गया होगा, इस का अनुमान लगाते ही महावीर प्रसाद चीखे, ‘‘स्ट्रांगरूम का लौक खोलो और लौकर चेक करो.’’

स्ट्रांगरूम का दरवाजा खोला गया तो अंदर रखा लौकर टूटा हुआ था, उस में रखे सोने और हीरों के आभूषण गायब थे. बड़ी दुकानों में सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत स्ट्रांगरूम का निर्माण करवाया जाता है. दुकान बंद होने से पहले सारे आभूषण स्ट्रांगरूम के लौकर में रख दिए जाते हैं.

24 सितंबर रविवार को जब दुकान बंद की गई थी, महावीर प्रसाद ने अपने सामने सारे आभूषणों को स्ट्रांगरूम के लौकर में रखवाया था. अब वह लौकर खाली था. उस का मजबूत दरवाजा काट कर किसी ने सारे आभूषणों की चोरी कर ली थी.

महावीर प्रसाद खाली लौकर देखते ही गश खा कर गिर पड़े. अन्य कर्मचारियों के होश फाख्ता हो गए थे, उन की समझ में कुछ नहीं आ रहा था. अपने मालिक को बेहोश हो कर गिरता देख कर वे संभले. 2-3 कर्मचारी उन्हें उठा कर बाहर के हाल में लाए और चेहरे पर पानी के छींटे मार कर उन्हें होश में लाने का प्रयास करने लगे.

थोड़े प्रयास से महावीर प्रसाद होश में आ कर उठ बैठे. उन्होंने सब से पहले मोबाइल निकाल कर पुलिस कंट्रोल रूम को अपने यहां हुई चोरी की जानकारी दे दी.

मजबूत लौकर टूटने पर पुलिस हुई हैरान

भोगल का थाना क्षेत्र निजामुद्दीन था. कंट्रोल रूम से थाने को उमराव सिंह ज्वेलर्स के यहां लौकर तोड़ कर आभूषण चोरी चले जाने की सूचना दी गई तो थोड़ी देर में ही निजामुद्दीन के एसएचओ परमवीर और एसआई जितेंद्र रघुवंशी मय स्टाफ के उमराव सिंह ज्वेलर्स शोरूम पर पहुंच गए.

एसएचओ और एसआई जितेंद्र रघुवंशी ने दुकान में चोरों द्वारा तोड़ी गई स्ट्रांगरूम की डेढ़ फुट मोटी दीवार को देखा तो उन्हें बड़ा ताज्जुब हुआ. यह काम 1-2 घंटे का नहीं हो सकता था. लौकर का लोहे का मजबूत दरवाजा भी काटा गया था. इस में भी काफी समय लगा होगा.

पुलिस का मानना था कि चोर रात भर ज्वेलरी शोरूम में रहे हैं और उन्होंने इत्मीनान से यह चोरी की है. उमराव सिंह ज्वेलर्स की दुकान ग्राउंड फ्लोर पर थी. यह 4 मंजिला इमारत में ऊपर के 3 मंजिल पर आवासीय फ्लैट हैं. पूरी छानबीन करने के बाद यह अनुमान लगाया गया कि चोर पड़ोस की छत से शोरूम की छत पर आए. ऊपर ग्रिल दरवाजे में मजबूत ताला था, उसे तोड़ कर वह सीढियों के रास्ते शोरूम में घुसे और आभूषणों पर हाथ साफ कर दिया.

एसएचओ और एसआई शोरूम के मालिक महावीर प्रसाद जैन के पास आए. वह पत्थर की मूरत बने बैठे थे. उन का चेहरा पसीने से तरबतर था.

‘‘इस चोरी का आप को कैसे पता चला?’’ एसआई जितेंद्र रघुवंशी ने सवाल किया.

‘‘सुबह हम ने जैसे ही शोरूम खोला तो अंदर धूल का गुबार भरा था. एग्जास्ट चलाने से जब धूल छंटी, तब हम ने स्ट्रांगरूम की दीवार को टूटा हुआ पाया. स्ट्रांगरूम का दरवाजा खोल कर देखा गया तो लौकर का दरवाजा भी कटा मिला, उस में रखे सारे आभूषण गायब हैं सर.’’

‘‘आप के अनुमान से चोरों ने कितने मूल्य के आभूषण चोरी किए हैं?’’

‘‘लौकर में लगभग 25 करोड़ के आभूषण थे, सभी चोरी कर लिए गए हैं. 5 लाख रुपए का कैश था, उसे भी चोर ले गए हैं.’’

‘‘25 करोड़ की चोरी!’’ एसएचओ परमवीर का मुंह खुला का खुला रह गया. एसआई जितेंद्र रघुवंशी भी इतनी बड़ी चोरी की जानकारी पा कर चौंक गए कि यह किसी मामूली चोर का काम नहीं हो सकता.

SHO Paramveer Dhaiya

इस की जानकारी एसएचओ परमवीर ने उच्चाधिकारियों को दी तो जिले से ले कर पुलिस हैडक्वार्टर तक के अधिकारी हरकत में आ गए. अधिकारियों की गाडिय़ां उमराव सिंह ज्वेलर्स शोरूम की ओर दौड़ पड़ीं.

साउथईस्ट जिले के डीसीपी राजेश देव भी खबर पा कर तुरंत उमराव सिंह ज्वेलर्स शोरूम पर आ गए. उन्होंने शोरूम में जा कर बड़ी बारीकी से चोरों द्वारा की गई चोरी की वारदात का निरीक्षण किया.

स्ट्रांगरूम की 3 ओर की दीवारें लोहे की थीं, एक दीवार मोटे सरिया और कंक्रीट से बनाई गई थी. चोरों ने कंक्रीट की दीवार को तोड़ कर अंदर जाने का रास्ता बनाया था. वे छत के रास्ते से नीचे दुकान में उतरे थे. लौकर भी कटर से काट दिया गया था.

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स्ट्रांगरूम में लोहे की बड़ीबड़ी 2 तिजोरियां भी रखी थीं, लेकिन चोरों ने उन के साथ छेड़छाड़ नहीं की. क्योंकि स्ट्रांगरूम के अंदर ही भारी मात्रा में सोने और हीरे के आभूषण मिल गए थे. स्ट्रांगरूम भी अलमारी जैसा था. उस में कई किलोग्राम चांदी के भी आभूषण थे, लेकिन चोर उन आभूषणों को नहीं ले गए.

रिश्तों का कत्ल : पैसों के लिए की दोस्त की हत्या

सुंदरियों के हसीन सपने – भाग 3

2 दिनों बाद बेअंत सिंह अपने ममेरे भाई एडवोकेट हरजिंदर सिंह से मिलने उस के घर गया. दोनों धूप में बैठे चाय पी रहे थे, तभी बेअंत सिंह के मोबाइल फोन की घंटी बजी.  उस ने फोन रिसीव किया तो फोन करने वाले ने उस का नामपता पूछ कर कहा, ‘‘मैं पीलीबंगा थाने का सिपाही जसवंत बोल रहा हूं. तुम्हारे खिलाफ रेप का मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है.’’

यह सुनते ही बेअंत सिंह घबरा गया. उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. हरजिंदर समझ गया कि कुछ गड़बड़ है. उस ने खुद फोन ले कर बात शुरू की तो फोन करने वाले कांस्टेबल जसवंत ने कहा, ‘‘3 लोग एक महिला को ले कर आए थे. महिला कह रही थी कि बेअंत सिंह ने उस के साथ दुष्कर्म किया है. लेकिन घटनास्थल हमारे क्षेत्र के बाहर का था, इसलिए थानाप्रभारी ने उन्हें वापस भेज दिया.’’

बेअंत सिंह ने इस आरोप को खारिज करते हुए हरजिंदर सिंह को पूरी घटना के बारे में बता दिया. वकील होने के नाते हरजिंदर सिंह को पता था कि मामला कितना गंभीर है. कथित पीडि़ता के आरोप को एकबारगी नकारा नहीं जा सकता था. लवप्रीत कौर का फोन नंबर बेअंत सिंह के पास था ही. मामला पुलिस तक जाए, इस के पहले ही हरजिंदर ने सुलटाने की कोशिश शुरू कर दी.

सूचना मिलने पर बेअंत सिंह का बहनोई बौड़ा सिंह भी आ गया. बौड़ सिंह लवप्रीत कौर और उस के उन दोनों साथियों को जानता था, जो उस की मदद कर रहे थे. बातचीत शुरू हुई तो लवप्रीत ने मामला सुलटाने के लिए 40 लाख रुपए या 2 बीघा जमीन मांगी. जबकि बेअंत सिंह 2 लाख रुपए देने को तैयार था.

लवप्रीत का एक साथी था जबन सिंह उर्फ रोड़ा चाचा, जो स्वयं को पूर्व सरपंच बता रहा था, उस ने कथित पीडि़ता लवप्रीत का एक औडियो कैसेट तैयार कर रखा था. उस कैसेट में लवप्रीत कह रही थी कि मांग पूरी होने पर वह बेअंत के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराएगी. जबन सिंह लवप्रीत को अपनी नौकरानी बता रहा था.

लवप्रीत की इस मांग से बेअंत सिंह, बौड़ा सिंह और हरजिंदर सिंह परेशान थे. वहीं हरजिंदर का कहना था कि यह सरासर ब्लैकमेलिंग है. अन्य लोगों के न चाहते हुए भी हरजिंदर सिंह ने ब्लैकमेल करने वालों लवप्रीत और उस के साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का निर्णय ले लिया. इस के बाद 27 दिसंबर को बेअंत ने थाना हनुमानगढ़ में प्रकट सिंह पुत्र मुख्तयार सिंह निवासी 2 जीजीआर, जबन सिंह उर्फ रोड़ा चाचा पुत्र मखन सिंह निवासी 3 जीजीआर तथा लवप्रीत कौर उर्फ हरप्रीत उर्फ रानी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया.

थानाप्रभारी भंवरलाल ने इस मामले की जांच सबइंसपेक्टर चंद्रप्रकाश को सौंप दी. अगले दिन उन्होंने बेअंत सिंह से जबन सिंह व प्रकट सिंह को रुपए ले जाने के लिए फोन करवा दिया. वे रुपए लेने आए तो पुलिस ने जाल बिछा कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उसी दिन शाम को पुलिस ने लवप्रीत को भी गिरफ्तार कर लिया. तीनों अभियुक्तों को अदालत में पेश कर के पूछताछ के लिए 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया गया. पूछताछ के बाद तीनों को जेल भेज दिया गया.

दूसरी ओर विजयनगर से एएसआई बलवंतराम ने सपना को भी महिला पुलिस की मदद से गिरफ्तार कर लिया था. पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे भी अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया था.

पुलिस पूछताछ में सपना ने जो बताया था, वह इस प्रकार था. सपना उर्फ सोना पंजाब के मुक्तसर जिले के गांव लूलबाई के रहने वाले सतनाम सिंह की बेटी थी. सपना की शादी हनुमानगढ़ के रहने वाले अशोक के साथ हुई थी. सपना उस के एक बच्चे की मां भी बनी, लेकिन उस की सास माया समाज की मर्यादाओं को तोड़ कर असलम के साथ लिव इन रिलेशन में रहने लगी थी. अशोक को मां की तरह पत्नी का भी चरित्र ठीक नहीं लगता था. इस से आहत हो कर उस ने घर छोड़ दिया. इसी सपना को चारा बना कर असलम ने भूपेंद्र को फांस कर लूटने की योजना बनाई थी.

लवप्रीत कौर की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी. उस की शादी गंगूवाला सिरवान में हुई थी. पति से अनबन होने के बाद वह हनुमानगढ़ आ कर अकेली ही रहने लगी थी. यहीं उस का संपर्क प्रकट सिंह और जबन सिंह उर्फ रोड़ा चाचा से हुआ. लवप्रीत कथित रूप से जबन सिंह की रखैल थी. लवप्रीत को चारा बना कर बेअंत सिंह को ब्लैकमेल करने की योजना जबन सिंह की थी.

लवप्रीत से जबन सिंह ने कहा था कि पैसे मिलने पर वह उस के लिए घर बनवा देगा. लेकिन उस का यह सपना पूरा नहीं हुआ. दिल्ली में हुए दामिनी कांड के बाद जो नया कानून बना है, इस तरह के अराजक तत्व उस का गलत फायदा उठाना चाहते हैं. इन तत्वों के खेल में 2 निर्दोष महिलाएं फंस गई हैं. कथा लिखे जाने तक इन में से कुछ अभियुक्तों की जमानतें हो चुकी थीं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सुंदरियों के हसीन सपने – भाग 2

लुटापिटा भूपेंद्र बुझे मन से अपनी कार ले कर घर आ गया. गाड़ी की आरसी, एटीएम कार्ड, नगदी और आभूषण लुटेरों ने छीन लिए थे. भूपेंद्र को गुमसुम देख कर घर वालों ने उस से पूछा भी. लेकिन तबीयत खराब होने का बहाना बना कर वह बात टाल गया. जब अगली सुबह उस के बड़े भाई ने पास बैठा कर उस से परेशानी की वजह पूछी तो उस ने उन से पूरी बात बता दी.

सलाहमशविरा कर के दोनों भाई उसी समय हनुमानगढ़ के लिए रवाना हो गए. 10 दिसंबर की दोपहर थाना हनुमानगढ़ के थानाप्रभारी भंवरलाल को भूपेंद्र ने अपनी व्यथा बताई. मामला गंभीर था, लेकिन थानाप्रभारी को लग रहा था कि इस मामले में अभियुक्त शीघ्र ही पकड़ लिए जाएंगे. थानाप्रभारी ने इस मामले की जांच एएसआई बलवंतराम को सौंप दी. बलवंतराम ने उसी समय भूपेंद्र से सपना को रुपयों की व्यवस्था हो जाने का फोन करवा दिया. सपना ने आधे घंटे में अबोहर रोड पर जहां भूपेंद्र के साथ घटना घटी थी, पहुंचने को कहा.

भूपेंद्र अपनी कार से वहां पहुंच गया. एएसआई बलवंतराम भी पुलिस टीम के साथ प्राइवेट वाहन से बिना वर्दी के वहां पहुंच कर थोड़ी दूर खड़े हो गए थे. कुछ देर बाद भूपेंद्र के पास एक कार आ कर रुकी. उस में से 3 लोग उतरे और पैसे लेने के लिए भूपेंद्र के पास पहुंच गए. भूपेंद्र का इशारा पाते ही पुलिसकर्मियों ने तीनों को घेर कर पकड़ लिया. तीनों के नाम थे असलम, तुफैल मोहम्मद और गुरप्रीत सिंह उर्फ गोगी.

इस के बाद भूपेंद्र की तहरीर पर पुलिस ने सपना, असलम, तुफैल मोहम्मद और गुरप्रीत सिंह उर्फ गोगी के खिलाफ भादंवि की धारा 342, 385, 382, 323 व 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. लेकिन सपना पुलिस के हाथ नहीं लगी थी. शायद उसे अपने साथियों के पकड़े जाने की खबर लग गई थी, इसलिए वह फरार हो गई थी. गिरफ्तार तीनों अभियुक्तों को अदालत में पेश किया गया, जहां से विस्तृत पूछताछ और माल बरामद करने के लिए उन की 2 दिनों की रिमांड की मांग की गई.

रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में तीनों अभियुक्तों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इसी पूछताछ में उन्होंने बताया कि कुछ महीने पहले इसी तरह सपना से फोन करवा कर उन्होंने पंजाब के अबोहर  के एक आदमी को लूटा था. उस ने पुलिस को सूचना दे दी थी तो पंजाब पुलिस ने उन्हें पकड़ कर जेल भिजवा दिया था. अदालत से जमानत मिलने पर जब ये लोग बाहर आए तो इन्होंने भूपेंद्र को शिकार बनाया. रिमांड खत्म होने के बाद पुलिस ने तीनों अभियुक्तों को जेल भिजवा दिया. सपना अभी भी फरार थी.

27 दिसंबर को थानाप्रभारी भंवरलाल एएसआई बलवंतराम से सपना की गिरफ्तारी के बारे में चरचा कर रहे थे, तभी 3 लोग उन से मिलने आए. उन में से एक व्यक्ति ने अपना परिचय हरजिंदर सिंह एडवोकेट (पूर्व बार संघ उपाध्यक्ष हनुमानगढ़) के रूप में दिया. थानाप्रभारी ने उस से पूछा, ‘‘कहिए, मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?’’

हरजिंदर सिंह ने अपनी बगल में खड़े व्यक्ति की ओर इशारा कर के कहा, ‘‘यह बेअंत सिंह है. मेरी बुआ का बेटा. भूपेंद्र सोनी की तरह इसे भी एक गिरोह ने फांस रखा है, वह गिरोह इस से 40 लाख रुपए नकद या फिर 2 बीघा जमीन देने पर इसे छोड़ने की बात कर रहा है. न देने पर इसे रेप के केस में झूठा फंसाने की धमकी दे रहा है.’’

सूचना गंभीर और चौंकाने वाली थी. एक बार थानाप्रभारी को लगा कि यह काम भी सपना के गिरोह का हो सकता है. लेकिन उस गैंग के सदस्य तो जेल में थे. इसी बात पर चरचा हो रही थी कि तभी बलवंतराम के फोन की घंटी बजी. फोन उन के मुखबिर का था. उस ने सपना के विजयनगर (श्रीगंगानगर) में होने की सूचना दी थी. थानाप्रभारी से अनुमति ले कर बलवंतराम विजयनगर के लिए निकल पड़े.

बलवंतराम चले गए तो बेअंत सिंह ने थानाप्रभारी भंवरलाल को अपनी जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी:

12 दिसंबर, 2013 की दोपहर की बात है. चक सुंदरसिंह वाला (पीलीबंगा) का रहने वाला 50 वर्षीय बेअंत सिंह अपने खेतों में पानी लगा रहा था. उस की 2 संतानें हैं, जिन की शादियां हो चुकी हैं. हाड़तोड़ मेहनत और मितव्ययी स्वभाव का होने की वजह से इलाके में उस की पहचान एक समृद्ध किसान की है. बेअंत सिंह खेतों में जाने वाले पानी की निगरानी कर रहा था, तभी उस के फोन की घंटी बजी. उस ने फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से किसी औरत की आवाज आई, ‘‘सरदारजी, मैं आप से मिलना चाहती हूं.’’

‘‘आप कौन बोल रही हैं और मुझ से क्यों मिलना चाहती हैं?’’ बेअंत सिंह ने पूछा.

‘‘जी मैं लवप्रीत कौर बोल रही हूं. पिछले दिनों आप को पीलीबंगा के गुरुद्वारे में देखा था. तभी से मैं आप पर लट्टू हूं. किसी तरह आप का फोन नंबर हासिल कर के आप को फोन किया है. रही बात मिलने की तो आप खुद ही समझ लीजिए कि कोई जवान लड़की किसी मर्द से क्यों मिलना चाहेगी.’’

बेअंत सिंह के प्रौढ़ शरीर में एकबारगी सिहरन सी दौड़ गई. औरत हो या मर्द, एकदूसरे के प्रति आकर्षण स्वाभाविक ही है. उसी आकर्षण में बंधे बेअंत सिंह ने कहा, ‘‘लवप्रीतजी अभी तो मैं खेतों में पानी लगा रहा हूं. मैं कल आप को फोन करता हूं.’’

कह कर बेअंत सिंह ने फोन काट दिया. लवप्रीत के मीठे बोल और खुले आमंत्रण से प्रौढ़ बेअंत सिंह का रोमरोम पुलकित था. वह जवान लवप्रीत से मिलने को लालायित हो उठा.

अगले दिन सुबह बेअंत सिंह ने खेतों पर जा कर लवप्रीत को फोन किया. दूसरी ओर से फोन रिसीव हुआ तो उस ने कहा, ‘‘लवप्रीत, मैं बेअंत बोल रहा हूं.’’

‘‘सरदारजी, मुझे लवप्रीत नहीं सिर्फ लव कहिए. अब आप के लिए मैं सिर्फ लव हूं. मैं 2 घंटे बाद पीलीबंगा बसस्टैंड पर पहुंच रही हूं. मेहरबानी कर के आप वहीं आ जाइए. आगे का प्रोग्राम मिलने पर बनाएंगे.’’ इतना कह कर लवप्रीत ने फोन काट दिया.

खेतों से लौट कर बेअंत सिंह ने मोटरसाइकिल उठाई और पीलीबंगा के बसस्टैंड पर पहुंच गया. बेअंत सिंह ने बसस्टैंड से लवप्रीत को फोन किया तो सामने खड़ी लड़की को फोन रिसीव करते देख वह सकपका गया. लड़की उस की बेटी की उम्र की थी. उस ने पूछा, ‘‘सरदार जी, आप कहां हो?’’

बेअंत सिंह ने पहचान बताई तो वही लड़की उस के पास आ कर खड़ी हो गई. उसे देख कर लवप्रीत के चेहरे पर कई रंग आए और गए. वह भी बेअंत सिंह की ही तरह सकपका गई थी. पास आ कर उस ने कहा, ‘‘अभीअभी उन का फोन आया था. मेरे ससुर को दिल का दौरा पड़ गया है. मुझे तुरंत वहां पहुंचना होगा. कृपया मुझे पुराने बसस्टैंड तक अपनी मोटरसाइकिल से छोड़ दीजिए. समय मिलते ही मैं आप को फोन करूंगी.’’

बेअंत सिंह ने मोटरसाइकिल से लवप्रीत को पुराने बसस्टैंड पर छोड़ दिया और अपने घर आ गया. लाख कोशिशों के बाद भी बेअंत सिंह लवप्रीत को इस तरह कन्नी काट कर चली जाने का कारण समझ नहीं पाया. हां, इतना जरूर हुआ कि उस ने लवप्रीत को सपना समझ कर भुला दिया.

जमीन हड़पने वाले भूमाफिया

सुंदरियों के हसीन सपने – भाग 1

शाम होते ही ठंड बढ़ने लगी तो राजस्थान के जिला श्रीगंगानगर के कस्बा नरसिंहपुरा में गहनों की  दुकान चलाने वाले भूपेंद्र सोनी ने घर जाने का मन बना लिया. क्योंकि ठंड की वजह से अब ग्राहक आने की कोई उम्मीद नहीं थी. भूपेंद्र दुकान बंद कर के खडे़ हुए थे कि उन का मोबाइल बज उठा. स्क्रीन पर जो नंबर दिख रहा था, वह अंजान था, फिर भी उन्होंने फोन रिसीव कर लिया.

‘‘हैलो, जी… मुझे भूपेंद्रजी से बात करनी थी.’’ दूसरी ओर से किसी महिला ने कानों में शहद सा घोल दिया.

‘‘जी बोलिए, मैं भूपेंद्र ही बोल रहा हूं.’’ भूपेंद्र ने कहा.

‘‘अरे यार! मैं सपना बोल रही हूं. बड़ी मुश्किल से आप का नंबर ढूंढ पाई हूं. नंबर मिलते ही आप को फोन किया है. आप तो मुझे भूल ही गए. कभी पूछा भी नहीं कि मैं जिंदा हूं या मर गई?’’ सपना ने एक ही सांस में शिकायत भरे लहजे में उलाहना दे डाला.

‘‘लेकिन मैं ने आप को पहचाना ही नहीं. शायद आप को गलतफहमी हुई है. आप ने गलत नंबर मिला दिया है.’’ भूपेंद्र ने कहा.

‘‘आप चुन्नीराम अंकल के बेटे भूपेंद्र बोल रहे हैं न?’’ सपना ने पूछा.

‘‘हां, मैं उन्हीं का बेटा भूपेंद्र ही हूं.’’ भूपेंद्र ने कहा.

‘‘यह हुई न बात, भला ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं जिस भूपेंद्र की फैन हूं. वह मुझे न जाने.’’ सपना ने कहा, ‘‘तुम मर्दों की यही तो फितरत होती है. मतलब निकलने के बाद एकदम से भूल जाते हो.’’

भूपेंद्र जवाब में कुछ कहता, उस के पहले ही सपना ने धीरे से कहा, ‘‘शायद वह आ गए हैं. अभी फोन रखती हूं. कल इसी समय फिर फोन करूंगी. और हां, आप भूल कर भी फोन मत करना.’’

इतना कह कर सपना ने फोन काट दिया.

भूपेंद्र ने एक बार फोन को देखा, फिर गाड़ी में सवार हो कर घर की ओर चल पड़ा. पूरे रास्ते वह सपना के बारे में ही सोचता रहा. घर आने पर भी उस के दिमाग में सपना ही घूमती रही. उस की नसनस में सनसनी सी फैल गई थी.

भूपेंद्र की गहनों की दुकान थी, उस के ग्राहकों में ज्यादातर महिलाएं ही थीं. उसे लगा कि सपना भी उस की कोई ग्राहक होगी. कभी लगता, कोई कालगर्ल तो नहीं है. यही सब सोचते हुए भूपेंद्र सपना की सुंदरता और शारीरिक बनावट को विभिन्न आकार देता रहा. उसी के बारे में सोचते हुए उसे न जाने कब नींद आ गई.

अगले दिन भूपेंद्र का मन न जाने क्यों दुकान पर जाने का नहीं हुआ. उस ने बड़े भाई को दुकान पर जाने के लिए कहा और स्वयं खेतों की ओर चला गया. उस का कई बार मन हुआ कि वह स्वयं सपना को फोन करे, लेकिन उस ने मना किया था, इसलिए वह मन मार कर रह गया. वैसे भी उस ने कहा था कि वह शाम को स्वयं फोन करेगी. शाम तक इंतजार करना उस के लिए मुश्किल था.

दोपहर बाद जब भूपेंद्र घर लौट रहा था तो उस के मोबाइल फोन की घंटी बजी. नंबर सपना का ही था. उस के फोन रिसीव करते ही सपना ने कहा, ‘‘हैलो, भूपेंद्रजी.’’

‘‘जी बोलिए, मैं बोल रहा हूं.’’ भूपेंद्र ने कहा.

‘‘भूपेंद्रजी, मैं आप से मिलना चाहती हूं. इस समय कहां हैं आप?’’

‘‘मैं इस समय खेतों पर हूं. यहीं आ जाओ.’’ भूपेंद्र ने कहा.

‘‘पागल हो गए हैं क्या आप. मैं अपनी ससुराल हनुमानगढ़ में हूं. मैं वहां कैसे आ सकती हूं? आप को ही यहां आना होगा. वह आज किसी काम से दिल्ली गए हैं. कल तक लौटेंगे.’’ सपना ने कहा.

‘‘सपना, आज तो नहीं, मैं कल सुबह ही आ पाऊंगा.’’ भूपेंद्र ने कहा.

‘‘सुबह 10 बजे तक पहुंच कर फोन करना. मैं स्वयं आप को लेने आ जाऊंगी. घर खाली है. पूरा दिन आप के लिए… ओके बाय…’’ कह कर सपना ने फोन काट दिया.

सुंदरी से मिले आमंत्रण से भूपेंद्र का रोमरोम रोमांचित हो रहा था. अगले दिन भूपेंद्र को किसी काम से हनुमानगढ़ जाना भी था. उस ने सोचा लगे हाथ यह काम भी हो जाएगा. अगले दिन यानी 9 दिसंबर, 2013 की सुबह भूपेंद्र अपनी कार से हनुमानगढ़ पहुंच गया. उस ने फोन किया तो सपना ने कहा, ‘‘मैं तुम्हें रिसीव करने चूना फाटक पहुंच रही हूं, आप वहीं इंतजार करें.’’

भूपेंद्र चूना फाटक पहुंच गया. कार को सड़क के किनारे खड़ी कर के वह सपना का इंतजार करने लगा. थाड़ी देर बाद सपना वहां पहुंच गई तो चाहत की उम्मीदों के सहारे दोनों ने एकदूसरे को पहचान लिया. आते ही सपना भूपेंद्र की बगल वाली सीट पर बैठ गई. उस के बैठते ही भूपेंद्र ने पूछा, ‘‘बताओ, कहां चलें?’’

‘‘मेरे पड़ोस में एक बुढि़या मर गई है, उस की वजह से मोहल्ले में काफी भीड़ है. ऐसे में घर चलना ठीक नहीं होगा. घंटे, 2 घंटे मटरगस्ती कर के समय गुजारते हैं.’’ सपना ने कहा.

भूपेंद्र ने कार लिंक रोड से अबोहर जाने वाली मुख्य सड़क की ओर मोड़ दी. कुछ दूर आगे सड़क पर एक कार खड़ी दिखाई दी तो सपना ने भूपेंद्र से गाड़ी रोकने को कहा. कार के पास 3 लोग खड़े थे. उन्हें अपना परिचित बता कर सपना उन के पास चली गई.

भूपेंद्र कुछ समझ पाता, इस से पहले ही उन में से 2 लोग उस के पास आ गए. उन्होंने भूपेंद्र को कार की पिछली सीट पर धकेला और उन में से एक ड्राइविंग सीट पर बैठ गया तो दूसरा उस की बगल में. इस के बाद कार फिर रिंग रोड पर चल पड़ी. उस के पीछेपीछे वह कार भी चल पड़ी, जो वहां पहले से खड़ी थी. उस में सपना अपने तीसरे साथी के साथ सवार थी.

अब भूपेंद्र को समझते देर नहीं लगी कि वह किसी शातिर गिरोह के चक्कर में फंस गया है. वहां शोर मचाना भी बेकार था, क्योंकि सड़क लगभग सुनसान थी.  दोनों कारें एक खेत में बनी सुनसान ढांपी (घर) में जा कर रुकीं.

उन तीनों ने भूपेंद्र को खींच कर कार से बाहर निकाला. पहले तो उन्होंने उस की जम कर पिटाई की. उस के बाद उस की चेन, अंगूठी और जेब में पड़ी नकदी छीन ली. साथ ही गाड़ी की आरसी और 2 बैंकों के एटीएम भी ले लिए. उन लोगों ने एटीएम के कोड नंबर पूछे तो भूपेंद्र ने शून्य बैलेंस वाले कार्ड का नंबर बता दिया. जिस में बैलेंस था, उस के कोड नंबर के बारे में उस ने कह दिया कि याद नहीं है.

सारा माल छीन लेने के बाद उन में से एक ने कहा, ‘‘शोहदे, तूने इस लड़की के साथ दुष्कर्म किया है. हम तेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएंगे.’’

मुकदमे की बात सुनते ही भूपेंद्र की घिग्घी बंध गई. वह गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘‘मैं बाल बच्चेदार आदमी हूं. मेरी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी. प्लीज ऐसा मत करो.’’

‘‘अब तू एक ही सूरत में इस मुकदमे से बच सकता है. अगर तू 10 लाख रुपयों की व्यवस्था कर के हमें दे दे तो हम मुकदमा नहीं करेंगे.’’

भूपेंद्र के काफी गिड़गिड़ाने पर मामला 50 हजार रुपए में तय हो गया. जान से मारने की धमकी दे कर चारों ने भूपेंद्र को 2 दिनों में रुपए की व्यवस्था कर के फोन करने को कहा.

रिश्तों का कत्ल : पैसों के लिए की दोस्त की हत्या – भाग 3

भोलू का जूतों के डिब्बे बनाने का काम बढि़या चल निकला. उसी की कमाई से जल्दी ही उस ने मारुति स्विफ्ट कार खरीद ली. भोलू अपनी बहन सीमा के यहां आताजाता ही रहता था. इसी आनेजाने में उस ने महसूस किया कि स्लाटर हाउस में जो लोग जानवर सप्लाई करते हैं, उन की अच्छीखासी कमाई होती है. उस के पास पैसे तो थे ही, उस ने अपने बहनोई इरफान से इस संबंध में बात की तो उस ने भुट्टो से बात कर के भोलू को जानवर खरीद कर लाने के लिए कह दिया.

इस के बाद भोलू आगरा के जानवरों के बाजारों, किरावली, शमसाबाद, बटेश्वर आदि से सस्ते दामों में जानवर खरीद कर बहनोई की मार्फत स्लाटर हाउस में बेचने लगा. इस काम में उसे अच्छीखासी कमाई होने लगी. जूतों के डिब्बों का उस का काम चल ही रहा था. इस तरह महीने में वह एक लाख रुपए से अधिक की कमाई करने लगा.

किरावली बाजार में जानवरों की खरीदारी के दौरान भोलू की मुलाकात सलमान से हुई तो उसे यह आदमी भा गया. सलमान भी जानवरों की खरीदफरोख्त करता था. इस की वजह यह थी कि एक तो भोलू को कई काम देखने पड़ते थे, दूसरे सलमान इस काम में काफी तेज था. इसीलिए पहली मुलाकात में ही भोलू ने सलमान को बिजनैस पार्टनर बना लिया था. इस के बाद दोनों मिल कर जानवर खरीदने और बेचने लगे.

भोलू ने सलमान को बिजनैस पार्टनर तो बना लिया, लेकिन उस के बारे में उसे ज्यादा कुछ पता नहीं था. उस के बारे में उसे सिर्फ इतना पता था कि वह किरावली का रहने वाला है और उस का मोबाइल नंबर यह है. भोलू के साथ रहने में सलमान को फायदा दिखाई दिया, इसलिए वह उस के साथ रहने लगा.

बड़े भाई का साला होने की वजह से इमरान की भोलू से खूब पटती थी. जिस दिन भोलू पशु मेले या बाजार नहीं गया होता था, सारा दिन इमरान उसे अपने साथ रखता था. उसी के सामने वह बैंक से पैसे भी निकालता था और जमा भी कराता था. 50 लाख से ले कर करोड़ रुपए निकालना उस के लिए आम बात थी.

भोलू ने कभी कोई ऐसी वैसी हरकत नहीं की थी, इसलिए इमरान उस पर पूरा विश्वास करने लगा था. भोलू का काम दोनों ओर से ठीकठाक चल रहा था. उस की कमाई महीने में लाख रुपए से ऊपर थी. लेकिन कमाई बढ़ी तो उस की पैसों की भूख भी बढ़ गई थी. अब वह करोड़पति बनने के सपने देखने लगा.

एक दिन शाम को वह सलमान के साथ बैठा था तो उस के मुंह से निकला, ‘‘यार सलमान, मेरे पास एक ऐसी योजना है, जिस के तहत हमें एक करोड़ रुपए आसानी से मिल सकते हैं.’’

‘‘कैसे?’’ सलमान ने पूछा.

इस के बाद भोलू ने उसे जो योजना बताई, सुन कर सलमान की रूह कांप उठी. लेकिन जब भोलू ने उसे पूरी योजना समझा कर मिलने वाली रकम का लालच दिया तो वह उस की योजना में शामिल हो गया.  3 दिसंबर को उन्होंने अपनी इस योजना को अंजाम देने की तैयारी भी कर ली.

2 दिसंबर यानी सोमवार को भोलू इमरान के साथ ही रहा. उस दिन बैंक का कोई काम नहीं था, इसलिए बैंक जाना नहीं हुआ. लेकिन उस दिन भोलू को पता चल गया कि अगले दिन इमरान को बैंक जाना है और लगभग एक करोड़े रुपए निकाल कर लाना है. शाम को घर जाते समय इमरान ने भोलू को वाटर वर्क्स चौराहे पर छोड़ दिया तो वहां से वह वजीरपुरा स्थित अपने घर चला गया.

इमरान की गाड़ी से उतरते ही भोलू ने सलमान को फोन कर के अगले दिन चाकू और पिस्तौल ले कर तैयार रहने के लिए कह दिया था. अगले दिन यानी 3 दिसंबर, 2013 दिन मंगलवार को योजनानुसार 10 बजे के आसपास भोलू ने अपने बहनोई इरफान को फोन कर के बताया कि आज वह सलमान के साथ जानवरों की खरीदारी करने शमसाबाद जा रहा है. इसलिए वह देर शाम तक ही स्लाटर हाउस आ पाएगा.

तब इरफान ने उस से कहा था, ‘‘आज इमरान को बैंक से बड़ी रकम निकाल कर लाना है, हो सके तो तुम यह काम करा कर जाओ.’’

इस पर भोलू ने कहा, ‘‘दरअसल वहां कुछ व्यापारी सस्ते जानवर ले कर आने वाले हैं, अगर उन से सौदा पट गया तो काफी मोटा मुनाफा हो सकता है. इसलिए वहां जाना जरूरी है.’’

इस के बाद भोलू ने इमरान को भी फोन कर के कहा था, ‘‘इमरानभाई, मैं सलमान के साथ शमसाबाद जानवर खरीदने जा रहा हूं. इसलिए तुम अकेले ही बैंक चले जाना. क्योंकि मैं देर शाम तक ही वापस आ पाऊंगा.’’

योजनानुसार न तो भोलू शमसाबाद गया न सलमान. दोनों साए की तरह इमरान के पीछे इस तह लगे रहे कि वह उन्हें देख न पाए. इस बीच इमरान को फोन कर के वह पूछता रहा कि वह क्या कर रहा है? लेकिन उस ने यह नहीं पूछा था कि आज वह कितने रुपए निकाल रहा है?

इमरान जैसे ही रुपए ले कर बैंक से निकला, भोलू और सलमान टूसीटर से उस से पहले वाटर वर्क्स चौराहे पर पहुंच गए और वहीं खड़े हो कर इमरान पर नजर रखने लगे. जब उन्हें लगा कि इमरान वाटर वर्क्स चौराहे पर पहुंच गया होगा तो भोलू ने उसे फोन किया, ‘‘इमरानभाई, मैं शमसाबाद से लौट आया हूं और वाटर वर्क्स चौराहे पर खड़ा हूं. इस समय तुम कहां हो?’’

‘‘मैं यहीं वाटर वर्क्स चौराहे पर जाम में फंसा हूं. जहां से जवाहर पुल शुरू होता है, तुम वहीं पहुंचो. मैं वहीं से तुम्हें ले लूंगा.’’

भोलू सलमान के साथ जवाहर पुल के पास जा कर खड़ा हो गया. 5-7 मिनट बाद इमरान वहां पहुंचा तो भोलू इमरान की बगल वाली सीट पर बैठ गया तो सलमान पीछे वाली सीट पर. गाड़ी आगे बढ़ गई. इमरान को बातों में उलझा कर भोलू ने डैशबोर्ड पर रखे उस के दोनों मोबाइल फोन के स्विच औफ कर दिए. कार जैसे ही कुबेरपुर के पास पहुंची, भोलू ने कहा, ‘‘इमरानभाई, मेरे 2 दोस्त चौगान गांव के पास एक्सप्रेसवे के नीचे मेरा इंतजार कर रहे हैं. अगर तुम मुझे वहां तक छोड़ देते तो अच्छा रहता.’’

इमरान ने नानुकुर की, लेकिन चौगान गांव वहां से कोई बहुत ज्यादा दूर नहीं था. फिर भोलू पर उसे पूरा विश्वास था, इसलिए साथ में इतने रुपए होने के बावजूद इमरान ने कार चौगान गांव की ओर मोड़ दी. चौगान से कोई आधा किलोमीटर पहले ही सुनसान जंगली रास्ते पर लघुशंका के बहाने भोलू ने इमरान से कार रुकवा ली.

भोलू नीचे उतरा और इधरउधर देख कर अंदर बैठे सलमान को इशारा किया. जैसे ही सलमान नीचे उतरा, भोलू ने तमंचा निकाल कर ड्राइविंग सीट पर बैठे इमरान के सीने पर गोली मार दी. उस ने दूसरी गोली मारनी चाही, लेकिन तमंचा धोखा दे गया. गोली लगते ही इमरान के मुंह से हलकी सी चीख निकली और वह छटपटाने लगा. भोलू ने सलमान से छुरा ले कर इमरान पर कई वार करने के साथ गला भी काट दिया कि कहीं यह बच न जाए. चाकू चलाने के दौरान भोलू के दोनों हाथ जख्मी हो गए, जिस में उस ने रूमाल बांध ली.

इस के बाद इमरान की लाश घसीट कर दोनों ने हाईवे से सटे एक गड्ढे में फेंक दी. वहीं पास ही उन्होंने चाकू और तमंचा भी फेंक दिया. इस के बाद कार ले कर भाग निकले. रास्ते में एक हैंडपंप पर कार रोक कर थोड़ीबहुत धुलाई की. वहां से थोड़ा आगे आ कर एक्सप्रेसवे पर उन्होंने रकम गिनी तो पता चला कि ये तो सिर्फ 20 लाख रुपए ही हैं. जबकि उन्हें एक करोड़ रुपए होने की उम्मीद थी.

दोनों ने ही अपना अपना सिर पीट लिया. बहरहाल अब तो जो होना था, वह हो गया था. दोनों ने आधीआधी रकम ले ली. भोलू ने  सलमान को कार ठिकाने लगाने के लिए दे कर एक जगह रकम छिपाई और खुद स्लाटर हाउस पहुंच गया.

स्लाटर हाउस में इमरान के न आने की वजह से इरफान परेशान था. बहनोई से हालचाल पूछ कर वह इमरान की तलाश करने के बहाने बाहर आ गया. इरफान ने उस के हाथों पर रूमाल बंधी देखी तो उस के बारे में पूछा था. तब उस ने बहाना बना दिया था. स्लाटर हाउस से निकल कर भोलू ने छिपा कर रखे रुपए अपने एक परिचित के पास रखे और वापस जा कर इरफान के साथ इमरान की तलाश करने लगा.

दूसरी ओर इमरान की कार ले कर गया सलमान वहां से 5 किलोमीटर दूर एक ढाबे पर पहुंचा और एक दुर्घटनाग्रस्त ट्रेलर के पीछे कार खड़ी कर के ढाबे के एक कर्मचारी को 5 सौ रुपए का नोट दे कर कहा कि वह दिल्ली जा रहा है, इसलिए एक दिन के लिए अपनी इस कार को यहीं खड़ी कर रहा है. ढाबे के उस कर्मचारी को क्या ऐतराज होता, उस ने कह दिया कि खड़ी कर दो. सलमान ने वहीं अपने फोन का स्विच औफ किया और रुपए ले कर फरार हो गया.

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पुलिस ने मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर इमरान की हत्या में भोलू को गिरफ्तार किया था. इस की वजह यह थी कि उस ने सब से कहा था कि वह शमसाबाद जा रहा है, जबकि उस के मोबाइल फोन की लोकेशन आईसीआईसीआई बैंक से ले कर जहां से इमरान की लाश बरामद हुई थी, वहां तक मिली थी.

मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने इमरान की कार तो उस ढाबे से बरामद कर ली थी, लेकिन सलमान का मोबाइल बंद होने की वजह से उसे नहीं पकड़ पाई. पूछताछ के बाद पुलिस ने भोलू को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया था.

सलमान की तलाश में आगरा के कई थानों की पुलिस तो लगी ही है, मृतक इमरान के घर वाले भी उस की खोज में लगे हैं. उन्हें 10 लाख रुपयों से ज्यादा इमरान के हत्यारे को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने की चिंता है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित