UP Crime News : जवान बेटे होने के बावजूद 35 वर्षीय यशोदा शर्मा ने पति संजय शर्मा के होते हुए जेठ रामनिवास से शादी कर ली. तब वह रामनिवास के साथ ही रहने लगी. इस अपमान को संजय शर्मा बरदाश्त नहीं कर सका, उस की मौत हो गई. बेटों को भी समाज में जलालत भरी जिंदगी नासूर बनती दिखी तो उन्होंने ऐसा कदम उठाया कि…
जैसेजैसे समय बीतता जा रहा था, वैसेवैसे कौशल शर्मा की उलझन बढ़ती जा रही थी. कौशल एक टीचर था. उस का दिन तो स्कूल के बच्चों को पढ़ाने में बीत जाता था, लेकिन रातें करवटें बदलते बीतती थीं. उस की इस उलझन का कारण थी, उस की सगी मम्मी यशोदा देवी. दरअसल, यशोदा देवी ने पति संजय शर्मा का साथ छोड़ कर रिश्ते के जेठ लगने वाले रामनिवास शर्मा से शादी रचा ली थी. मम्मी के इस गलत कदम से कौशल शर्मा की पूरे समाज में घोर बदनामी हो रही थी. बिरादरी के कुछ परिवारों ने उस का हुक्कापानी भी बंद कर दिया था. उस के पापा संजय शर्मा तो इस बदनामी से इतना ज्यादा दुखी हुए कि मम्मी द्वारा शादी रचाने के एक माह बाद ही उन्होंने दम तोड़ दिया.
मम्मी की चरित्रहीनता ने कौशल को झकझोर कर रख दिया था. उस का गांव में सिर उठा कर चलना दूभर हो गया था. गांव के लोग मम्मी के चरित्र को ले कर उस पर कमेंट करते तो उस के दिल को गंभीर चोट लगती. हमउम्र युवक मम्मी को ले कर गंदी व अश्लील बातें करते तो कौशल तिलमिला उठता. कभीकभी कमेंट करने वालों से उस का झगड़ा व मारपीट भी हो जाती थी. कई साल बीत गए थे, लेकिन मम्मी की चरित्रहीनता उस का पीछा नहीं छोड़ रही थी. इसी के चलते कौशल अभी तक कुंवारा था. जो भी रिश्ता आता, मम्मी के चालचलन की वजह से टूट जाता. गांव के लोग भी आग में घी डालने का काम करते, जिस के कारण कोई भी बाप अपनी बेटी का हाथ देने को राजी न होता.
समय बीतते कौशल शर्मा के मन में मम्मी के प्रति नफरत पनपने लगी. नफरत पनपने का दूसरा कारण यह भी था कि वह कौशल से जमीन व मकान में अपना हिस्सा मांगने लगी थी. कौशल दिखावे के तौर पर तो मम्मी से मिलने उस के घर जाता था और बतियाता भी था, लेकिन सीने में नफरत की चिंगारी सुलगती थी. कौशल शर्मा अब तक अच्छी तरह समझ चुका था कि जब तक उस की मम्मी जीवित है, तब तक उस की जिंदगी में जहर घुला रहेगा. न उस का घर बसेगा, न ही उस के भाई का. मम्मी उस की जमीन भी हड़प लेगी, अत: मम्मी को सबक सिखाना ही पड़ेगा.
उस रोज कौशल की उलझन बढ़ी तो उस ने फोन कर दोस्तों को घर बुला लिया. थोड़ी देर बाद ही बौबी, रजत, सतबीर, कबीर व सौरभ उस के घर आ गए. कौशल ने दोस्तों से कहा कि मम्मी ने जीना हराम कर रखा है. इसलिए मैं मम्मी को सबक सिखाना चाहता हूं. इस में मुझे तुम सब का साथ चाहिए.
”कौशल भैया, आप ने अपनी मम्मी को सबक सिखाने में बहुत देर कर दी. तुम्हारी जगह मैं होता तो बदचलन मम्मी को कब का सबक सिखा दिया होता.’’ रजत बोला.
रजत की बात का उस के अन्य दोस्तों ने भी समर्थन किया और उस का साथ देने का वादा किया. इस के बाद कौशल ने दोस्तों के साथ मिल कर मम्मी को सबक सिखाने की योजना बनाई. 28 जुलाई, 2025 की रात 10 बजे थाना बलरई के एसएचओ दिवाकर सरोज को सूचना मिली कि यमुना नदी पर बने खंदिया पुल के पास सड़क किनारे एक महिला की लाश पड़ी है. यह सूचना इटावा जिले के फकीरे की मड़ैया गांव निवासी धीरेंद्र सिंह ने मोबाइल फोन के जरिए दी थी. प्राप्त सूचना से दिवाकर सरोज ने पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया, फिर पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उस समय पानी बरस रहा था और रात का अंधेरा छाया था, जिस से कोई भी काररवाई संभव न थी.
अत: महिला के शव को सुरक्षित कर घटनास्थल पर पुलिस का पहरा लगा दिया गया. आसपास के गांवों में महिला की सड़क किनारे लाश पड़ी होने की खबर फैली तो वहां ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी. कुछ देर बाद इटावा के एसएसपी ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव, एसपी (सिटी) अभयनाथ त्रिपाठी तथा सीओ (जसवंत नगर) आयुषि सिंह भी घटनास्थल पर आ गईं. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया. पुलिस अधिकारियों ने बड़ी बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया. सड़क किनारे पड़ी मृत महिला की उम्र 35 साल के आसपास थी.
उस के शरीर पर गुलाबी रंग की साड़ी लिपटी थी. साड़ी पर सफेद रंग के फूलों के प्रिंट थे. हाथों में सुनहरे रंग की चूडिय़ां पहने थी. उस के सिर व माथे पर चोट के निशान थे. खून जम चुका था. उस का रंग साफ तथा शरीर स्वस्थ था. जामातलाशी में उस के पास कोई भी सामान बरामद नहीं हुआ. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि महिला की मौत या तो सड़क दुर्घटना में हुई या फिर हत्या कर लाश यहां फेंकी गई. लूटपाट के साथ रेप की आशंका भी जताई. अब तक सैकड़ों ग्रामीण शव को देख चुके थे, लेकिन कोई भी शव को पहचान नहीं पाया था.
अत: अधिकारियों ने यह भी अनुमान लगाया कि शायद मृतका दूरदराज के किसी गांव, शहर या कस्बे की रहने वाली है. चूंकि लाश की पहचान नहीं हो पाई थी, इसलिए पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर एसएचओ दिवाकर सरोज ने महिला के शव के फोटो हुलिए सहित सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया. साथ ही आसपास के थानों में भी सूचना भेज दी. इस के अलावा इटावा सीमा से सटे आगरा जिले के थाना चित्राहट व जैतपुर को भी महिला का शव पाए जाने की जानकारी दे दी. इस के बाद शव का पंचनामा सीओ आयुषी सिंह की निगरानी में करा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए इटावा के जिला अस्पताल भेज दिया गया.
एसएचओ दिवाकर सरोज 30 जुलाई, 2025 की सुबह 10 बजे अपने कक्ष में मौजूद थे. तभी एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति आया. उस ने कहा, ”हुजूर, मेरा नाम रामनिवास शर्मा है. मैं आगरा जिले के थाना जैतपुर के गांव बिठौना का रहने वाला हूं. मेरी पत्नी यशोदा दवा लेने जैतपुर कस्बा 28 जुलाई, 2025 की शाम गई थी. उस के बाद वापस घर नहीं आई. उस का मोबाइल फोन भी बंद है. बीती शाम हम गुमशुदगी दर्ज कराने थाना जैतपुर गए थे. वहां पता चला कि बलरई थाना क्षेत्र में एक महिला की लाश सड़क किनारे मिली है. कहीं वह लाश मेरी पत्नी यशोदा की तो नहीं? इसलिए थाने आया हूं.’’
उस की बात सुनने के बाद एसएचओ दिवाकर सरोज ने उसे लाश के फोटो दिखाए. फोटो देखते ही रामनिवास शर्मा की आंखों में आंसू छलक आए. बोले कि यह तो उस की बीवी यशोदा है. लाश की शिनाख्त होने पर एसएचओ ने राहत की सांस ली. क्योंकि अब अगला काम हत्यारों का पता लगाना था. वह उन्हें मोर्चरी ले गए. मोर्चरी में शव देखते ही रामनिवास रो पड़े और बोले, ”हुजूर, यह लाश मेरी पत्नी यशोदा की है. उस की मौत सड़क दुर्घटना में नहीं हुई, बल्कि उस की हत्या की गई है. आप रिपोर्ट दर्ज कर काररवाई करें.’’
शव की शिनाख्त हो जाने पर एसएसपी ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव ने केस के खुलासे के लिए एक पुलिस टीम एसपी (सिटी) अभयनाथ त्रिपाठी व सीओ (जसवंत नगर) आयुषी सिंह की निगरानी में गठित कर दी. इस गठित पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का फिर से निरीक्षण कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. रिपोर्ट के मुताबिक यशोदा देवी की मौत किसी वाहन से कुचलने से लग रही थी. सिर और माथे पर चोट लगना मौत का कारण बना था. उस के साथ बलात्कार करने जैसी बात सामने नहीं आई. टीम ने मृतका के पति रामनिवास शर्मा से भी पूछताछ की तथा उस का बयान दर्ज किया. उस ने बताया कि यशोदा के पास मोबाइल फोन था. वह नहीं मिला.
सीसीटीवी फुटेज से मिला हत्यारों का सुराग
पुलिस टीम ने खंदिया पुल के रास्तेे सड़क किनारे लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला तो बाइक से महिला को ले जाते एक युवक दिखा. इस फुटेज को पुलिस टीम ने मृतका के पति रामनिवास शर्मा को दिखाया तो उस ने बाइक चलाने वाले युवक को तुरंत पहचान लिया. उस ने पुलिस को बताया कि बाइक चलाने वाला युवक कोई और नहीं यशोदा का बड़ा बेटा कौशल शर्मा है और पीछे बैठी उस की मम्मी यशोदा है. रामनिवास शर्मा की बात सुन कर पुलिस टीम चौंक पड़ी. टीम ने फिर यशोदा के बेटे कौशल शर्मा को हिरासत में लेने का जाल बिछाया.
पुलिस टीम ने पहले उस के गांव खुरियापुर में छापा मारा, लेकिन वह घर से फरार था. उस के बाद पुलिस ने जैतपुर कस्बा स्थित मकान पर छापा मारा, वह पुलिस को चकमा दे गया. 2 अगस्त, 2025 की रात 8 बजे पुलिस टीम ने नाटकीय ढंग से कौशल शर्मा को जैतपुर कस्बा के बस स्टाप से गिरफ्तार कर लिया. उसे थाना बलरई लाया गया. थाने में जब पुलिस टीम ने कौशल शर्मा से यशोदा की हत्या के संबंध में पूछा तो वह साफ मुकर गया, लेकिन जब उस से पुलिसिया अंदाज में पूछताछ शुरू हुई तो वह ज्यादा देर तक टिक नहीं सका और अपनी मम्मी यशोदा की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. इतना ही नहीं, उस ने इस वारदात में शामिल लोगों के नाम भी बता दिए.
कौशल शर्मा के कुबूलनामे के बाद पुलिस टीम ने रात में ही उस के साथियों के घर दबिश दी और कौशल शर्मा की निशानदेही पर गड़ा रमपुरा थाना जैतपुर (आगरा) निवासी बौबी तथा इसी थानाक्षेत्र के गांव कमतरी गोपालपुरा थाना निवासी रजत को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन जैतपुर कस्बा निवासी सतबीर, कबीर और सौरभ पुलिस के हाथ नहीं आए. पुलिस ने उन की गिरफ्तारी के लिए मुखबिरों को लगा दिया. पुलिस टीम ने हत्यारोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त होंडा शाइन बाइक, स्कौर्पियो कार तथा 3 मोबाइल फोन बरामद किए.
इस के अलावा मृतका का मोबाइल फोन भी कौशल शर्मा की निशानदेही पर बरामद किया, जिसे उस ने तोड़ कर जला दिया था. बौबी व रजत ने भी बिना किसी दबाव के हत्या का जुर्म कुबूल किया. गिरफ्तारी व बरामदगी के बाद एसपी (सिटी) अभयनाथ त्रिपाठी व सीओ आयुषी सिंह ने पुलिस सभागार में संयुक्त प्रैसवार्ता की और मीडिया के समक्ष यशोदा देवी हत्याकांड का खुलासा किया. चूंकि हत्यारोपियों ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था और हत्या में प्रयुक्त कार व बाइक को भी बरामद करा दिया था. अत: पुलिस ने मृतका के दूसरे पति रामनिवास शर्मा को वादी बना कर बीएनएस की धारा 103(1) तथा 201(3) (5) के तहत कौशल शर्मा, बौबी, रजत, सतबीर, कबीर व सौरभ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. पुलिस जांच में कलियुगी बेटे द्वारा अपनी मम्मी की हत्या की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.
घूंघट से ऐसे निकले मोहब्बत के तीर
उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद के थाना जैतपुर अंतर्गत एक गांव है-खुरियापुर. इसी गांव में संजय शर्मा सपरिवार रहता था. उस के परिवार में पत्नी यशोदा देवी के अलावा 2 बेटे कौशल व अनुपम थे. संजय शर्मा के पास लगभग 10 बीघा उपजाऊ भूमि थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. खेतीबाड़ी से ही वह परिवार का भरणपोषण करता था. संजय शर्मा स्वयं तो ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था, लेकिन वह अपने दोनों बेटों को पढ़ालिखा कर अफसर बनाना चाहता था. इसी कारण वह घर खर्च में कटौती कर बेटों की पढ़ाई पर ध्यान देता था.
समय बीतते बड़े बेटे कौशल ने बीए पास कर लिया. उस का रुझान शिक्षा विभाग की ओर था. वह बीएड की परीक्षा पास कर अध्यापक बनना चाहता था. जबकि अनुपम का सपना अफसर बनने का था, अत: वह भी मन लगा कर पढ़ता था. उस ने भी इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास कर ली थी. संजय शर्मा किसान था. वह खेतों पर हाड़तोड़ मेहनत करता था. अधिक मेहनत करने से संजय शर्मा का शरीर कमजोर हो गया था और वह बीमार रहने लगा था. अब वह खेतों की उचित देखभाल नहीं कर पाता था, जिस से उपज कम होने लगी थी और उस की कृषि आय में कमी आ गई थी. उसे अब आर्थिक संकट से जूझना पड़ता था.
पापा की आर्थिक स्थिति खराब हुई तो कौशल व अनुपम ट्यूशन पढ़ा कर अपनी पढ़ाई का खर्च पूरा करने लगे. साथ ही खेतों की भी देखभाल करने लगे. संजय शर्मा जितना सीधा था, उस की पत्नी यशोदा उतनी ही तेजतर्रार थी. वह बनसंवर कर रहती थी. उसे देख कर कोई कह नहीं सकता था कि वह 2 जवान बेटों की मां है. यशोदा घर की मालकिन थी. उसे घर में वैसे तो सब सुख था, लेकिन पति सुख से वंचित रहती थी. दरअसल, बीमारी के चलते वह पत्नी से दूरी बनाए रखता था. जबकि यशोदा अब भी पति का साथ चाहती थी.
35 वर्षीया यशोदा माथे पर बिंदी सजा कर और काला चश्मा लगा कर घर से बाजारहाट जाने को निकलती तो गांव के लोग उसे घूरघूर कर देखते. लोगों का घूर कर देखना यशोदा को मन ही मन तो अच्छा लगता, लेकिन दिखावे के तौर पर वह आंखें तरेरती. हालांकि कभीकभी कोई युवक फब्तियां भी कस देते, ”बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम.’’
यह कमेंट सुन यशोदा आपे से बाहर हो जाती और उस युवक को खूब खरीखोटी सुनाती. यशोदा अब ऐसे अधेड़ की तलाश में रहने लगी जो उस की कामनाओं को पार लगाए साथ ही आर्थिक मदद भी करे. उस के घर आनेजाने पर किसी को शक भी न हो और उस की इज्जत भी बरकरार रहे. उन्हीं दिनों एक रोज रामनिवास शर्मा यशोदा के घर आया. वह पड़ोस के गांव बिठौना का रहने वाला था. 40 वर्षीय रामनिवास रिश्ते में यशोदा का जेठ लगता था. वह अभी तक अविवाहित था. पेशे से वह भी किसान था. उस के पास 15-20 बीघा जमीन थी. उस की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. शरीर से वह तंदुरुस्त था.
यशोदा का पति संजय शर्मा व रामनिवास रिश्ते में चचेरे भाई थे. बीमार चल रहे छोटे भाई संजय का हालचाल लेने ही रामनिवास उस के घर आया था. उस रोज दोनों भाइयों के बीच खूब बातें हुईं. यशोदा ने भी जेठ की खूब खातिरदारी की. यशोदा की खातिरदारी से रामनिवास खूब गदगद हुआ. उस ने खुशी जाहिर करते हुए यशोदा के हाथ पर चंद नोट रखे, जिन्हें यशोदा ने नानुकुर के बाद स्वीकार कर लिए.
इस के बाद रामनिवास बीमार भाई को देखने के बहाने अकसर यशोदा के घर आने लगा. घर आतेजाते ही रामनिवास की नजर छोटे भाई संजय की पत्नी यशोदा पर पड़ी. यशोदा रामनिवास से परदा करती थी. घूंघट के भीतर वह उसे हूर की परी लगती थी. रामनिवास यशोदा को मन ही मन चाहने लगा और उसे अपना बनाने के लिए जुगत भिड़ाने लगा. अब रामनिवास जब भी आता, यशोदा को रिझाने के लिए कोई न कोई सामान जरूर लाता. वह उस से खूब बतियाता और उस के रूप तथा व्यवहार की तारीफ करता. धीरेधीरे यशोदा को भी जेठ की बातों में रस आने लगा. घूंघट के भीतर वह तिरछी नजरों से जेठ को देखती और उस की रसभरी बातों का उसी अंदाज में जवाब देती.
कहते हैं मर्द की नजर को कोई भी औरत बहुत जल्दी भांप लेती है. यशोदा भी भांप गई थी कि जेठ रामनिवास की नजर में खोट है. उस की नजरें सदैव उस के जिस्म पर गड़ी रहती हैं. वह उस के जिस्म को पाने के लिए बेताब है. इसलिए वह उसे ललचाई नजरों से देखता है. उस से रसभरी बातें करता है और तोहफे लाता है.
ऐसे ढह गई रिश्तों की दीवार
एक रोज परखने के लिए यशोदा बोली, ”जेठजी, आप जब भी आते हैं, मेरे आगेपीछे घूमते रहते हैं. मुझ से मीठीमीठी बातें करने का प्रयास करते हैं. मेरे रूप की भी तारीफ करते हो और मेरे लिए तोहफे भी लाते हो. आखिर आप मुझ से चाहते क्या हो?’’
”मैं तुम्हें चाहने लगा हूं यशोदा और तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं. तुम्हारे बिना अब मेरा जीवन अधूरा है. तुम ने मेरा प्यार स्वीकार न किया तो मैं तड़पता रहूंगा.’’ आखिर रामनिवास की दिल की बात जुबान पर आ ही गई.
जेठ रामनिवास की बात सुन कर यशोदा मन ही मन खुश हुई. लेकिन दिखावे के तौर पर बोली, ”जेठजी, आप यह क्या कह रहे हैं. मैं आप की बहू हूं. लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे. नहींनहीं, यह अनर्थ है.’’
”मैं कुछ नहीं जानता. मैं तो तुम्हें अपनी घरवाली बनाना चाहता हूं और वो सुख देना चाहता हूं, जो मेरा भाई संजय तुम्हें अभी तक नहीं दे पाया. वैसे भी हम दोनों का दर्द एक समान है. तुम पति सुख से वंचित हो और मैं स्त्री सुख से. हम दोनों मिल जाएं तो जीवन में बहार आ जाएगी.’’
यशोदा तो रामनिवास जैसे ही अधेड़ पुरुष की तलाश में थी, अत: उस ने रामनिवास को अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला कर लिया. फैसले के बाद यशोदा ने जेठ को खुली छूट दे दी. वह उस के समक्ष अपने सुघड़ अंगों का भी प्रदर्शन करने लगी. उस ने जेठ से परदा करना भी बंद कर दिया और खुल कर बतियाने लगी. एक दोपहर रामनिवास यशोदा के घर आया तो वह घर में अकेली थी. पति संजय दवा लेने जैतपुर गया था और दोनों बेटे कालेज में थे. सूना घर पा कर रामनिवास ने यशोदा को बांहों में भर लिया और शारीरिक छेड़छाड़ करने लगा. यशोदा ने कुछ पल बनावटी विरोध किया, उस के बाद बिस्तर पर स्वयं ही सहयोग करने लगी. फिर तो उस रोज जेठबहू के रिश्ते की दीवार ढह गई. दोनों ने ही अपनी हसरतें पूरी कीं.
अवैध संबंधों का रिश्ता एक बार कायम हुआ तो वक्त के साथ बढ़ता ही गया. उन्हें जब भी मौका मिलता, एकदूसरे की बांहों में समा जाते. यशोदा ने सारी मर्यादाओं का ताक पर रख दिया और आए दिन जेठ के साथ रास रचाने लगी. वह भूल गई कि वह 2 जवान बेटों की मां है और परिवार की समाज में प्रतिष्ठा है.
यशोदा के दोनों बेटे कौशल व अनुपम, रामनिवास शर्मा को ताऊ कह कर बुलाते थे और पैर छू कर आशीर्वाद लेते थे. उन्हें पता ही नहीं था कि रिश्ते का ताऊ उन की इज्जत तारतार कर रहा है. संजय शर्मा भी बड़े भाई रामनिवास को अपना हमदर्द समझता था, इसलिए उस के आनेजाने पर कोई पाबंदी नहीं थी. संजय को भी पता नहीं था कि बड़ा भाई उस के साथ विश्वासघात कर रहा है और इज्जत का छुरा उस की पीठ में घोंप रहा है.
जब रामनिवास का उस के यहां आनाजाना बढ़ा और उस के द्वारा मदद शुरू की तो उसे उस पर शक हुआ. लेकिन यशोदा ने कोई ऐतराज नहीं जताया तो वह शांत हो गया. कहते हैं कि कोई भी गलत काम ज्यादा दिनों तक नहीं छिप सकता है. यशोदा और रामनिवास के साथ भी ऐसा ही हुआ. एक रात संजय शर्मा ने पत्नी यशोदा को रामनिवास के साथ रंगेहाथों पकड़ लिया. फिर तो उस रात घर में खूब कोहराम मचा. संजय ने रामनिवास को खूब खरीखोटी सुनाई और यशोदा की पिटाई की. मम्मी की करतूत की जानकारी बेटों को हुई तो उन्होंने शर्म से सिर झुका लिया.
इस घटना के बाद संजय व उस के बेटे कौशल ने रामनिवास के घर आने पर प्रतिबंध लगा दिया. लेकिन प्रतिबंध के बावजूद यशोदा व रामनिवास का मिलन बंद नहीं हुआ. वह बहाने से घर से निकलती और पड़ोसी गांव बिठौना में रामनिवास के घर पहुंच जाती और मिलन कर वापस आ जाती. लेकिन यहां भी एक रोज हंगामा हो गया. अब तक यशोदा और रामनिवास एकदूसरे के इतने दीवाने बन गए थे कि उन्होंने शादी रचाने का निश्चय कर लिया, लेकिन शादी रचाने की भनक उन्होंने किसी को भी नहीं लगने दी. रामनिवास ने गुपचुप तरीके से शादी की पूरी तैयारी कर ली.
10 जनवरी, 2017 की दोपहर रामनिवास यशोदा को साथ ले कर गांव के बाहर स्थित शीतला माता के मंदिर पहुंचा. फिर एकदूसरे के गले में माला पहना कर शादी रचा ली. रामनिवास ने यशोदा की मांग में सिंदूर भर कर अपनी जीवनसंगिनी बना लिया. यशोदा ने भी रामनिवास को दूसरे पति के रूप में स्वीकार कर लिया. यशोदा रामनिवास की दुलहन बन कर उस के घर आई तो पूरे बिठौना गांव में चर्चाएं शुरू हो गईं. महिलाएं चटखारे ले कर बातें करतीं और हंसीठिठोली करती. शाम होतेहोते यशोदा की शादी की बात खुरियापुर गांव भी पहुंच गई. फिर तो गांव में कोलाहल मच गया.
यशोदा द्वारा दूसरा विवाह रचाने की बात संजय शर्मा के कानों में पड़ी तो उसे लगा जैसे उस के कानों में किसी ने गर्म शीशा उड़ेल दिया. वह अवाक रह गया. उस ने अपना माथा पीट लिया. उस के बेटे कौशल का भी सिर शर्म से झुक गया. दोनों कई दिनों तक घर से बाहर नहीं निकले. पत्नी यशोदा के गलत कदम से संजय शर्मा को गहरा सदमा लगा. वह बीमार पड़ गया और कुछ दिनों में ही दम तोड़ दिया. पापा की मौत से कौशल और अनुपम को बड़ा दुख हुआ. पापा की मौत का दोषी उन दोनों ने मम्मी को ही ठहराया.
नासूर बन रही थी अपमान की जिंदगी
यशोदा द्वारा दूसरी शादी रचाने से परिवार की प्रतिष्ठा धूल में मिल गई थी. कौशल का भी गांव में सिर उठा कर चलना दूभर हो गया था. गांव के लोग उस की मम्मी के चरित्र को ले कर कमेंट करते तो वह तिलमिला उठता था. इस समस्या से निपटने के लिए कौशल ने कुछ समय बाद गांव छोड़ दिया और जैतपुर कस्बा में जा कर बस गया. कस्बे में उस ने स्कूल खोल लिया और कक्षा 8 तक के बच्चों को पढ़ाने लगा. उस ने गांव की जमीन को बंटाई पर दे दिया. वहीं यशोदा पति संजय शर्मा की जायदाद से भी हिस्सा मांग रही थी.
कौशल शर्मा कस्बे में रहता जरूर था, लेकिन मम्मी की चरित्रहीनता अब भी उस का पीछा नहीं छोड़ रही थी. जब भी गांव का कोई युवक या यारदोस्त उस के सामने पड़ता, वह कमेंट जरूर करता. मम्मी की चरित्रहीनता से उस का विवाह भी नहीं हो पा रहा था. इस सब के बावजूद कौशल ने मम्मी से रिश्ता जोड़ रखा था. वह दिखावे के तौर पर मम्मी से मिलने जाता, लेकिन दिल में नफरत की चिंगारी सुलगती रहती थी.
कौशल के 2 खास दोस्त थे— रजत और बौबी. रजत कमतरी गोपालपुरा का रहने वाला था, जबकि बौबी गढ़ी रमपुरा का था. इन दोनों के मार्फत ही कौशल की 3 अन्य जैतपुरा कस्बा निवासी सतबीर, कबीर व सौरभ से दोस्ती हो गई. रविवार वाले दिन सभी साथ घूमते और पार्टी करते. कौशल अपने दोस्तों से दुखदर्द साझा करता था. एक शाम कौशल ने अपने पांचों दोस्तों को अपने घर बुलाया और अपना दर्द बयां कर मम्मी को सबक सिखाने व साथ देने के लिए कहा. चूंकि उन में गहरी दोस्ती थी, अत: वे सब कौशल का साथ देने को राजी हो गए. इस के बाद कौशल ने दोस्तों के साथ मिल कर यशोदा की हत्या की योजना बनाई.
28 जुलाई, 2025 की शाम कौशल शर्मा अपनी मम्मी यशोदा से मिलने बिठौना गांव पहुंचा. गांव के बाहर सड़क पर उसे मम्मी दिखाई पड़ी. वह मम्मी के पास पहुंचा और पूछा, ”मम्मी, तुम कहां जा रही हो?’’
यशोदा ने जवाब दिया, ”बेटा, कई दिनों से बीमार हूं. दवा लेने जैतपुर कस्बे जा रही थी. टैंपो के इंतजार में खड़ी हूं.’’
”मम्मी, तुम बाइक पर बैठो. मैं तुम्हें इटावा के अच्छे डाक्टर को दिखाऊंगा. उस की दवा से तुम जल्दी ठीक हो जाओगी. फिर बारबार बीमार नहीं पड़ोगी.’’
यशोदा कौशल की चाल को समझ नहीं सकी और उस की बाइक पर बैठ कर चल दी. कुछ दूर जा कर कौशल ने बाइक रोकी और दोस्त सौरभ से फोन पर बात की, ”सौरभ, तुम अपनी कार से दोस्तों को साथ ले कर यमुना नदी के खंदिया पुल पर आ जाओ. मम्मी मेरे साथ में है.’’
सौरभ समझ गया कि कौशल मम्मी को सबक सिखाने ले गया है. अत: सौरभ ने अपनी स्कौर्पियो कार यूपी75एक्यू0876 निकाली फिर दोस्त रजत, बौबी, सतबीर व कबीर को कार में बिठा कर बलरई कस्बे की ओर चल पड़ा. लगभग एक घंटे बाद वह खंदई पुल पहुंच गया. खंदई पुल पर कौशल व उस की मम्मी यशोदा पहले से मौजूद थी. इशारा पा कर रजत व बौबी ने यशोदा को कार में बिठा लिया फिर कार धीमी गति से बढ़ा दी. कार के पीछे बाइक से कौशल चल रहा था. लगभग एक किलोमीटर दूर जा कर रजत व बौबी ने यशोदा को कार से सड़क पर फेंक दिया, फिर कार से कुचल कर मार डाला.
हत्या करने के बाद शव को खंदिया पुल के पास सड़क किनारे फेंक दिया. कौशल ने मम्मी के मोबाइल फोन को कूंच कर जला दिया. उस के बाद सड़क के रास्ते सभी फरार हो गए. इधर दवा लेने गई यशोदा देवी रात 10 बजे तक वापस घर नहीं आई तो रामनिवास को चिंता हुई. उस ने यशोदा को काल लगाई तो उस का फोन बंद था. दूसरे रोज रामनिवास पत्नी यशोदा की गुमशुदगी दर्ज कराने थाना जैतपुर गया तो वहां बलरई थाना क्षेत्र के खंदिया पुल के पास सड़क किनारे अज्ञात महिला की लाश पाए जाने की जानकारी हुई.
तब रामनिवास थाना बलरई पहुंचा और मोर्चरी में रखी महिला की लाश को अपनी पत्नी यशोदा के रूप में शिनाख्त की. उस ने हत्या की आशंका जताई तो पुलिस ने गंभीरता से जांच कर हत्या का खुलासा किया और आरोपियों को गिरफ्तार किया. 4 अगस्त, 2025 को पुलिस ने आरोपी कौशल शर्मा, रजत व बौबी को इटावा कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक उन की जमानत नहीं हुई थी. फरार आरोपी सतबीर, कबीर व सौरभ की तलाश में पुलिस जुटी थी. UP Crime News