भाईबहन के रिश्ते का नहीं रखा लिहाज
डायरेक्टर और लेखक ने मिल कर धर्म की आड़ के सहारे दारा कादरी को हीरो बनाने की नाकाम कोशिश भी की. दारा अपने भाइयों और साथियों के सहारे नया गैंग बना लेता है. वह रंगदारी टैक्स मांगने वाला गिरोह बना कर काम करने लगता है. यह बात पठान गैंग को पता चलती है तो उस की तलाश में निकलते हैं. यह दिखाते हुए भी डायरेक्टर ने यहां फिर एक चूक की है.
दरअसल, पठान का इसी वेब सीरीज में ताकतवर नेटवर्क दिखाया गया लेकिन दारा को पकड़ने में गैंग को एक दिन से ज्यादा का वक्त लग जाता है. यहां डायरेक्टर कहानी के जुड़ाव को बनाए रखने में असफल साबित दिखे. एपिसोड के अंत में इस्माइल कादरी की तरफ फिल्म फिर मोड़ी जाती है.
यहां पठान गिरोह के लोग उस के बेटे को अपराध जगत में उन के खिलाफ खड़ा करने का आरोप लगा कर उसे कोसते हुए दिखाई दिए, जिस के बाद भनभनाया इस्माइल कादरी पत्नी पर गुस्सा उतारता है. वेब सीरीज में मुसलिम समाज के भाईबहन वाले रिश्ते को जाहिलियत दिखाते हुए डायरेक्टर ने काफी बुरी मानसिकता के साथ पेश किया है.
मुसलिम समाज में परदा प्रथा काफी पहले से है. वहां भाईबहन के बीच संवाद गालीगलौज भरा दिखाया गया है. घर पर इस्माइल कादरी और उस की पत्नी के बीच हुई कलह की बात हबीबा अपने भाई दारा कादरी को बता देती है. यह बात सुनने के बाद वह अपने पिता की बेइज्जती का बदला लेने के लिए पठान गैंग को मारने के निकल पड़ता है, जहां पठान गैंग के लोग भी उसे मारने की योजना बना कर बाहर निकल रहे होते हैं. तभी वहां दोनों गिरोहों का आमनासामना दिखाया गया है.
इस सीन में दारा कादरी गैंग के 6 सदस्य दिखाए गए हैं, जो सैंकड़ों शराब की बोतलें पठान गिरोह पर बरसा देते हैं. यह सब कुछ दृश्य पठान गिरोह के अखाड़े में फिल्माया गया है. पठान गिरोह के लोग अखाड़े से भाग जाते हैं. उन के जाने के बाद दारा कादरी अखाड़े को जला देता है. चौथे एपिसोड में रोमांच पैदा कर के दर्शकों को जबरिया पांचवें में जाने के लिए इस्माइल कादरी का सहारा डायरेक्टर ने लिया है.
पांचवें एपिसोड की शुरुआत हाजी मस्तान, पठान और अन्ना की रिहाई से शुरू होती है. यहां पठान का छोटा भाई दारा कादरी के आतंक को बयां कर रहा होता है. तब पठान का बड़ा भाई उसे अभद्र गालीगलौज करते हुए कोसता है. इस के बाद कहानी में इस्माइल कादरी की फिर एंट्री होती है. उस से हाजी मकबूल कहता है कि पठान गिरोह उस के बेटे दारा कादरी को मारना चाहता है.
यदि उसे बचाना है तो समझाए और माफी मांगने के लिए बोले, जिस के बाद पिता के कहने पर बेटा मांडवली के लिए राजी हो जाता है. वह और उस के गुरगे पठान गिरोह के लिए काम करने लग जाते हैं. कहानी को लंबा करने के लिए यहां उन्हें काम करते हुए काफी सीन जबरदस्ती घुसेड़े हैं. इसे देख कर लगता है कि डायरेक्टर के पास कंटेंट शूट की कमी हो गई थी.
अचानक दारा कादरी के भाइयों और पठान गैंग की बेइज्जती से तंग आ कर बदला लेने की योजना बनाते हैं. यह जब सोच रहे होते हैं तब दारा कादरी और अब्दुला बिल्डर से रंगदारी टैक्स मांगने गए होते हैं. इसी दरमियान दारा कादरी का भाई उस कस्टम अधिकारी जिस को गिरोह पैसा देता है उसे न दे कर दूसरे को वह रकम दे देता है. जिस कारण वहां विवाद की स्थिति बनती दिखाई गई है.
दारा अपने भाइयों की गलती छिपाने के लिए पठान गैंग को बताए बिना बिल्डर से वसूली रकम उस कस्टम अधिकारी को दे देता है, जिसे पहले दिया जाना था. इस बात की भनक हाजी मकबूल और पठान को लग जाती है और उसे गद्दार मान कर अब्दुल्ला के हाथों उसे पिटवाया जाता है. यहां डायरेक्टर ने फिर कहानी को जबरिया लंबा करने का प्रयास किया.
पठान गिरोह से अलग हो कर दारा कादरी अपना गैंग चलाने लगता है. इस बात से नाराज हो कर हाजी मकबूल सुपारी दे देता है. उस की हत्या की जिम्मेदारी अब्दुल्ला को दी जाती है. यहां डायरेक्टर एक बार फिर बड़ी चूक करते हैं. अब्दुला को काम सौंपने के बाद उस को मारने की भी सुपारी हाजी मकबूल पठान के भांजों को दे देता है, लेकिन उस का हत्या का इरादा बदल जाता है और उन में गहरी दोस्ती हो जाती है.
अब्दुल्ला और दारा कादरी का गठबंधन होते ही पठान गिरोह की शामत आ जाती है. दोनों के बीच आपसी मुठभेड़ में पठान गिरोह के बहुत सारे गुर्गों के मर्डर हो जाते हैं. हाजी मकबूल के लिए एक प्रैस उस के पक्ष में रिपोर्टिंग करता है, जिस के जरिए वह अपराधी होने के बावजूद उसे गरीबों का मसीहा के रूप में प्रस्तुत किया जाता है.
अभद्रता और फूहड़ता को जम कर दिखाया
यहां भी जबरिया कहानी को लंबा खींचने के लिए दारा कादरी के दोस्त की जिंदगी पर फोकस करता है. अभद्रता और फूहड़ शब्दों के साथ दारा कादरी के दोस्त की शादी के वक्त डायलौग डाले गए हैं. उस वक्त दारा कादरी की बहन और दोस्त की पत्नी मौजूद होती है. इस वक्त के फिल्माए गए सारे दृश्य परिवार के साथ आप कभी नहीं देख सकते. इसे देख कर लगता है कि यह डायरेक्शन किसी कम पढ़ेलिखे गंवार ने किया है.
दूसरी तरफ पठान के भांजे आरिफ और नासिर शराब के अहाते में बैठ कर शराब पी रहे होते हैं. उन्हें जिस अखबार के टुकड़े पर चखना दिया जाता है, उस में हाजी मकबूल और दारा कादरी के प्रतिद्वंदी बाजार में आने वाली बात छपी होती है. यह पढ़ने के बाद दोनों दारा कादरी के दोस्त को ठिकाने लगाने के लिए निकल पड़ते हैं.
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि डायरेक्टर ने अपने विचारों को दर्शकों को थोपा है. अमूमन इस पैटर्न को कई फिल्मों में पहले ही आजमाया जा चुका है. दोनों शूटर दारा कादरी के दोस्त के घर पहुंच कर उस के सामने ही उस की बीवी का बलात्कार करते हैं. इस दौरान भी अभद्र और कानों को चुभने वाली अश्लील गालियों की भरमार डायरेक्टर डाल दी हैं. इस से यह जाहिर होता है कि डायरेक्टर शायद इसी माहौल में पलाबढ़ा हे.
कहानी बढ़ाने के लिए अधमरे दोस्त को सागर में ले जा कर फेंकने का सीन दिखाया है. जबकि डायरेक्टर बलात्कार वाली जगह पर ही मर्डर का सीन रख सकते थे. कहानी यहां भी खत्म नहीं होती और फिल्मी स्टाइल में दारा कादरी का दोस्त समंदर से बाहर आता है. यहां डायरेक्टर एपिसोड को विराम दे देता है.