वेब सीरीज : कोहरा (रिव्यू) – भाग 2

डायरेक्टर रणदीप झा जो एनआरआई पौल की मर्डर मिस्ट्री और उस के लापता दोस्त लियाम पर बनाई वेब सीरीज को भूल जाते हैं. एपिसोड पुलिस अधिकारी बलवीर सिंह के जरिए कहानी को आगे बढ़ाते हैं. वह जिस खबरी का एनकाउंटर करते हैं, उस की पत्नी के जरिए ऐसा करने का नाकाम प्रयास करते हैं.

बलवीर सिंह फिल्म में मुख्य पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा रहे हैं. लेकिन जांच और सस्पेंस को छोड़ कर उन के रोमांटिक लाइफ की आड़ में उसे बढ़ाने की कोशिश डायरेक्टर ने की है. यहां डायरेक्टर बलवीर सिंह की बेटी के चलते थोड़ा भारतीय संस्कृति को बख्शने की कोशिश करते दिखे.

दरअसल, एपिसोड में खबरी की पत्नी बलवीर सिंह को सेक्स करने के लिए उकसाती है. उसे रिझाने के कई बार एपिसोड में सीन बनाए गए हैं. आखिरी में यह साफ तब होता है जब खबरी की बीवी उस के गले से लिपट कर सेक्स करने के लिए तैयार होने का संकेत देती है.

डायरेक्टर को फिल्म बनाते बनाते याद आता है कि वह पौल की मर्डर मिस्ट्री दर्शकों को बताना चाह रहे थे. इसलिए एपिसोड के मध्यांतर में अचानक सस्पेंस पैदा करने के लिए पौल की कार आ जाती है. यह कार उस की जहां लाश मिली थी, उस के नजदीक दिखाई थी. अब बलवीर सिंह और उस के सहयोगी गरूंडी सिंह कार में लगे डेंट को देखते हैं.

जबरिया सस्पेंस वाली बात इसलिए की जा रही है क्योंकि विदेश से आए पौल की गला रेत कर हत्या की गई थी. फिर कार में लगे डेंट को दिखा कर एपिसोड के मध्य में सस्पेंस पैदा किया गया है. इसी डेंट की आड़ में तफ्तीश के नाम पर फिल्म आगे बढ़ाई जाती है.

वेब सीरीज में डायरेक्टर रणदीप झा की तरफ से कहीं भी ऐसा नहीं लगता है कि वह मर्डर मिस्ट्री पर काम कर रहे हैं. पूरे एपिसोड में वह दर्शकों के सामने सिर्फ टाइटल कोहरा को ही सच साबित करने में दिखाई देते हैं. यहां डेंट की आड़ में फिर जबरिया मिस्ट्री डायरेक्टर ने पैदा की है.

दरअसल, कार का डेंट बस की टक्कर से आता है. पौल की लाश के नजदीक उस के चाचा के बेटे हैप्पी को दिखाया गया है. वह डेंट को देख कर सकपका जाता है. यह भूमिका अमनिंदर पाल सिंह ने निभाई है. सीरीज में वह हैप्पी नाम से दिखाई देते हैं. एपिसोड में दर्शक उन के अभिनय को देख कर अनहैप्पी ही होंगे.

कार के डेंट को काफी गहरा दिखाया गया है, जिस को तलाशने के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाले जाते हैं. यहां फिर डायरेक्टर हैप्पी की आड़ में वेब सीरीज को धकेलने का प्रयास करते हैं. यहां डायरेक्टर पुलिस जांच की आड़ में बस ड्राइवर की निजी लाइफ के जरिए बढ़ाते हैं.

दरअसल, पौल को परिवार में तवज्जो देने के कारण हैप्पी उस से नफरत करता था. इस कारण उस ने बस ड्राइवर को दुर्घटना कर के पौल को मारने की सुपारी दी थी. फिर कहानी पौल के चचेरे भाई हैप्पी से हुई पूछताछ के जरिए ड्राइवर पर फोकस की जाती है. ड्राइवर इस बात को न बताने के लिए उसे ब्लैकमेल करता है. फिर वह फिल्म में पुलिस को चकमा दे कर जांच के दौरान ही अचानक गायब हो जाता है.

वेब सीरीज में अचानक बिना किसी पूर्व सूचना और जानकारी के नए किरदार की एंट्री दिखाई गई है, जिस का अभिनय सौरभ खुराना ने सकार नाम से निभाया है. उसे वेब सीरीज में रैप गायक दिखाया गया है. उसे सीरीज में अकसर नशे में धुत दिखाया है.

उबाऊ दिखे कई कैरेक्टर

वेब सीरीज देखने वाले हर दर्शक को सौरभ खुराना उबाऊ किरदार नजर आया. वह एपिसोड में पौल की मंगेतर का बौयफ्रेंड दिखाया गया है. मंगेतर की भूमिका में आनंद प्रिया है जिस का नाम वीरा सोनी है. वह एनआरआई लडक़े की संपत्ति के लालच में आ कर बौयफ्रेंड को ठुकरा कर उस से शादी करने का फैसला लेती है.

मर्डर मिस्ट्री में खराब वाकया यह है कि जिस रात पौल की हत्या हुई, उस से 2 घंटे पहले उसे बौयफ्रेंड सकार के साथ घर पर सेक्स करते हुए दिखाया गया. कहानी के अगले सीन में इस बात को वह कबूल करती है.

जांच करने वाली महिला पुलिस अधिकारी के सामने वह बताती है कि उस ने बौयफ्रेंड के साथ ओरल सेक्स किया था. वेब सीरीज में फोरैंसिक जांच का खुलेआम मखौल उड़ाया गया है. ओरल सेक्स की रिपोर्ट एपिसोड के अंतिम दौर में दिखाई गई है. जबकि इसे शुरुआत में सामने आना था. वीरा सोनी ने अभिनय के साथ इंसाफ नहीं किया. उन्होंने सतही भूमिका निभाई.

सीरीज के आखिरी एपिसोड में पता चलता है कि वह बौयफ्रेंड को छोड़ कर एनआरआई से शादी करती है. उस की हत्या के बाद वह तीसरे के साथ वैवाहिक जीवन जीने के लिए तैयार हो जाती है. ऐसा कर के डायरेक्टर ने एक बार फिर भारतीय संस्कृति को विकृत रूप में प्रस्तुत करने का साहस किया है.

एपिसोड में पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाने वाले बलवीर सिंह की बेटी निमरत कौर भी सामने आती है. यह भूमिका हरलीन सेठी ने निभाई है. उस के बचपन को फ्लैशबैक में दिखाते हुए मातापिता की कलह के कारण उस के दिलोदिमाग में पिता का भय घर कर गया था. उस की भी अलग कहानी बनाते हुए अपने 6 साल के बच्चे को पति के घर छोड़ कर आ जाती है.

आधी वेब सीरीज देखने के बाद डायरेक्टर यह बताते हैं कि वह ऐसा अपने एक्स बौयफ्रेंड के साथ बाकी लाइफ जीने के लिए ऐसा करती है. वेब सीरीज का हैप्पी एंडिंग के लिए जबरिया फिल्मांकन डायरेक्टर ने किया. पुलिस अधिकारी पिता उस की बेटी को बौयफ्रेंड के साथ भेजने के लिए तैयार हो जाता है.

वेब सीरीज में पौल के चाचा के जरिए ओटीटी में जाने के लिए डायरेक्टर ने कहानी को यहां फिर लंबा किया. चाचा की भूमिका वरुण वडोला ने निभाई है. उन का नाम मनिंदर ढिल्लन है, जिसे पुलिस अधिकारी मन्ना करते हैं. यहां ‘जवान’ फिल्म से काफी मेल खाता हुआ डायलौग सुनने को मिलता है. ढिल्लन को वेब सीरीज में रसूखदार दिखाया गया है. वह पौल की हत्या करने के लिए सुपारी देने वाले हैप्पी का पिता और पौल का चाचा है.

किरदार से भटके दिखे कलाकार

टीवी जगत में वरुण वडोला काफी चर्चित चेहरा है. लेकिन वेब सीरीज में वह अभिनय करने के दौरान कई जगहों पर जूझते हुए दिखाई दिए. इस में दोष कलाकार से ज्यादा डायरेक्टर को दिया जा सकता है कि वह सफल कलाकार के भीतर छिपी प्रतिभा का इस्तेमाल ही नहीं कर सके.

वेब सीरीज : कोहरा (रिव्यू) – भाग 1

नेटफ्लिक्स पर जुलाई, 2023 में प्रदर्शित वेब सीरीज ‘कोहरा’ दर्शकों को पूरी तरह से गुमराह करने के लिए बनाई गई फिल्म है. पहले सीजन में यह 6 एपिसोड के साथ रिलीज हुई है. इस की शुरुआत से ही डायरेक्टर रणदीप झा की कमजोरियां दिख रही हैं.

फिल्म एक मर्डर मिस्ट्री पर बनी है. हालांकि इस में सस्पेंस जैसा शुरू से ही कुछ नहीं होता है. वेब सीरीज के आखिर में उसे पंजाब पुलिस के 2 अधिकारियों पर बना दिया गया है.

इस की कहानी एक खेत से शुरू होती है, जहां लडक़ा लडक़ी सेक्स कर रहे होते हैं. इस से साफ है कि दर्शकों को आखिर तक जोड़े रखने के लिए एक जबरिया उत्साह पैदा किया गया है. जबकि आलिंगन होने के दौरान पुरुष कभी भी अपने पार्टनर को यूं ही नहीं छोड़ता है, जब तक उसे कोई खतरा महसूस न हो.

लेकिन फिल्म में सेक्स कर रहा लडक़ा कुत्ते के भौकने की आवाज सुन कर उसे भगाने जाता है. तब वहां उसे एक लाश दिखती है. वह पुलिस को फोन कर के बुलाता है. मौके पर तफ्तीश करने पहुंचे पुलिस के अमले को एक लावारिस कार मिलती है, जिस के आधार पर उस की पहचान होने को दिखाया गया है.

लाश एनआरआई लडक़े की होती है. जिस व्यक्ति की लाश दिखाई गई, उस की भूमिका विशाला हांडा ने निभाई है. फिल्म में उस का नाम पौल बताया गया है. वह शादी करने के लिए विदेश से अपने दोस्त के साथ इंडिया आता है. पौल की जिस दिन शादी होनी थी, उस से एक रात पहले उस का कत्ल कर दिया जाता है.

अगले सीन में पुलिस विभाग का दर्शकों के सामने मजाक परोस दिया गया. थाने में संदेहियों से पूछताछ करते समय पुलिस वाले बातचीत के दौरान गाली देते हुए दिखते हैं. थाने में सीनियर पुलिस अधिकारी की भूमिका शिवेंद्र पाल विक्की निभा रहे हैं. उन का फिल्म में बलवीर सिंह नाम है. उन के साथ वरुण सोबती ने सहायक पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई है. वह फिल्म में गरूंडी सिंह नाम से पुकारे जाते हैं.

फिल्म में हिंदी भाषा का कम पंजाबी का ज्यादा इस्तेमाल किया गया है. वेब सीरीज में डायरेक्टर की ही तरह इस के स्क्रीन प्ले लिखने वाले भी कमजोर साबित हुए, जिस को गुंजित चोपड़ा और दिग्गी सिसोदिया ने लिखा है. दर्शकों के दिमाग में कोई डायलौग घर कर जाए, ऐसा वेब सीरीज में कुछ भी नहीं है. यहां डायरेक्टर ने दर्शकों के सामने सिर्फ अभद्र गालियां परोसी हैं वह भी पंजाबी भाषा में लिखी गई है. जबकि वेब सीरीज डायलौग के कारण सुर्खियां बटोरती हैं.

वेब सीरीज के पहले एपिसोड में डायरेक्टर की दूसरी बड़ी भूल उजागर हुई है. विदेश से आए पौल का कमरा फिल्माते वक्त यह उजागर हुआ है. वेब सीरीज के पहले एपिसोड में साफ हो जाता है कि पौल और उस के दोस्त के बीच मर्डर में सीधा कनेक्शन है, लेकिन गफलत पैदा करने के लिए उस के कमरे में लडक़ों के जूतों के साथ लडक़ी के शूज भी दिखाए जाते हैं.

पूरी वेब सीरीज और पुलिस तफ्तीश में डायरेक्टर यह साफ नहीं कर पाए कि वह शूज किस के थे और कैसे वहां पहुंचे. मतलब पुलिस जांच को भी डायरेक्टर ने काफी हलके में लिया.

जबरिया डाले सेक्स सीन

भटकी हुई कहानी और डायरेक्शन के नाम पर पहले एपिसोड में डायरेक्टर रणदीप झा ने फिर जबरिया सेक्स सीन डाल दिया. यह सीन पहले ही एपिसोड के 22 मिनट बाद अचानक दर्शकों के सामने आ जाता है. इस में लाश मिलने के बाद फिल्म की शुरुआत में मौके पर पहुंचने वाले गरूंडी सिंह को आलिंगनबद्ध दिखाया गया है.

वह जिस के साथ सेक्स कर रहे होते हैं, उस महिला के बारे में पहले एपिसोड में कोई सीन ही नहीं हैं, जिस से यह पता चल सके कि संभोग कर रही महिला कौन है और वह पुलिस अधिकारी के साथ ऐसा क्यों कर रही है. जबरिया मिस्ट्री पैदा करने का यहां डायरेक्टर ने प्रयास किया. वेब सीरीज के दूसरे एपिसोड में वह फिल्म में फिर आती है और पता चलता है कि सेक्स करने वाले पुलिस अधिकारी की वह भाभी है.

वेब सीरीज देखने से साफ है कि डायरेक्टर से सामाजिक बुराई वाला यह घिनौनी मानसिकता को दर्शाने वाला सीन डाला गया है. ऐसा डायरेक्टर ने सीरीज को लंबा करने के लिए किया है, यह साफ पता चलता है. गरूंडी सिंह की जब पुलिस में नौकरी लगती है, तब उस का बड़ा भाई रिश्वत देने के लिए 5 लाख रुपए देता है. वह भी इस लालच के साथ कि वह पुश्तैनी जमीन का बंटवारा कभी नहीं कराएगा.

बदले में उस का बड़ा भाई पत्नी को हमबिस्तर होने के लिए राजी करता है. ऐसा करने पर उस की पत्नी फिल्म में विरोध भी नहीं करती है. यानी भारतीय संस्कृति को डायरेक्टर ने विकृत करने के उद्देश्य से अपने गंदे नजरिए को दर्शकों पर थोप दिया है. वेब सीरीज में दूसरे एपिसोड तक यह साफ नहीं होता है कि देवरभाभी के अवैध रिश्तों पर यह फिल्म बनी है या फिर हत्याकांड को सुलझाने के विषय पर इसे बनाया गया है.

पूरे एपिसोड में शराब का सेवन बहुतायत में दिखाया गया है. कहानी में शराब पीने को ले कर भी कोई ठोस विषय की कमी दिखाई देती है. वेब सीरीज में सीनियर अधिकारी बने बलवीर सिंह की कहानी भी डायरेक्टर ने हास्यास्पद तरीके से दर्शकों को थोप दी.

फ्लैशबैक में बलवीर सिंह को पत्नी को प्रताडि़त करने के आरोपों से घिरा दिखाया गया है. उस के खिलाफ पुलिस केस होने के बावजूद अधिकारी बनने की डायरेक्टर ने अपने खुराफाती दिमाग से प्रस्तुत किया है. भरती के लिए बलवीर सिंह एक मंत्री के कहने पर केस को रफादफा करते हुए दिखाया गया है. डायरेक्टर मंत्री और पुलिस अधिकारी के बीच कनेक्शन को प्रदर्शित करने में नाकाम साबित हुए हैं.

यदि आप चुइंगम चबाते हैं तो एक समय बाद वह फीकी हो जाती है. ऐसा ही बेव सीरीज ‘कोहरा’ में आप को देखने को मिलेगा. सीनियर पुलिस अधिकारी और मंत्री के बीच रिश्तों को सही तरीके से बताने में फेल हुए डायरेक्टर रणदीप झा फिर जबरिया हास्यास्पद मोड़ लाने का प्रयास करते हैं. मंत्री और पुलिस अधिकारी के बीच डील दिखाई गई है.

सीरीज में सस्पेंस का दिखा अभाव

‘कोहरा’ वेब सीरीज देखने के बाद लगता है कि डायरेक्टर के पास पैसों की तंगी आ गई थी, क्योंकि पूरे एपिसोड में मंत्री दर्शकों को तलाशने पर भी नहीं मिलेगा. उस के पात्र को बलवीर सिंह मुंहजुबानी बताता है, जिस से फिल्म में बजट की कमी उजागर हो गई. मंत्री और पुलिस अधिकारी की डील के बाद कहानी फिर खींची गई है. दरअसल, पुलिस अधिकारी का एक खबरी दिखाया गया है.

खबरी के भी फिल्म में सिर्फ 2 सीन रखे हैं. उसे मारने की सुपारी मंत्री ही देता है. ऐसा उस से इसलिए कराया जाता है कि पुलिस का खबरी मंत्री के काले कारनामों की जानकारी रखता था. जिस के चलते उसे एनकाउंटर में मारा जाना दिखाया गया है.

वेब सीरीज : आखिरी सच – भाग 3

दूसरी ओर मनोवैज्ञानिक का कहना है कि रजिस्टर में 2 लोगों की राइटिंग मिली है. एक तो भुवन की राइटिंग से मेल खाती है और दूसरी जवाहर सिंह यानी भुवन के पिता की राइटिंग से. इस बात पर सभी को हैरानी होती है. पर मनोवैज्ञानिक का कहना है कि यह मामला रेयर में रेयरिस्ट है.

अक्षय साधना की बात पढऩे के बाद अन्या अपनी टीम के साथ भुवन के राजस्थान स्थित पुश्तैनी मकान पर जाती है. मजे की बात यह है कि भुवन जब वहां पहुंचा था, तब भी पानी बरस रहा था और अन्या की टीम पहुंचती है, तब भी पानी बरस रहा था.

घर की तलाशी में अन्या को अक्षय साधना वाला वह पुराना कागज मिल जाता है, जिस से सभी की हत्या का खुलासा हो जाता है. उस कागज में लिखे अनुसार भुवन सभी से कहता है कि अक्षय साधना के लिए हाथ पीछे बांध कर गले में फंदा डाल कर स्टूल पर खड़े हो कर मंत्र जाप करना है.

इसी के साथ बीच में एक कटोरी में पानी रखा रहेगा, जिस का रंग पिताजी के आने पर बदल जाएगा. लेकिन जब पूरे परिवार ने ऐसा किया तो कटोरी में रखे पानी का रंग नहीं बदला, जिसे देख कर भुवन घबरा गया था. वह मां के कमरे में जाता है और मां से कहता है कि सब खत्म हो गया. इस के बाद मां के पैर में रस्सी बांधने के साथ सभी के स्टूल के नीचे रस्सी डाल कर खींच लेता और सभी बरगद की जटाओं की तरह झूल जाते हैं. इस तरह 11 लोगों की मौत का सच सामने आ जाता है.

तमन्ना भाटिया

‘आखिरी सच’ में लीड रोल करने वाली तमन्ना भाटिया का जन्म मुंबई में 19 नवंबर, 1989 को संतोष भाटिया और रजनी भाटिया के घर हुआ था. पढ़ाई के साथसाथ 13 साल की उम्र से ही उन्होंने अभिनय करना सीखना शुरू कर दिया था और एक साल के लिए वह पृथ्वी थिएटर से जुड़ गई थीं, जहां उन्होंने मंच के लिए काम किया.

उन्होंने फिल्म उद्योग में अभिनय की शुरुआत 2005 में अभिजीत सावंत की एल्बम ‘लफ्जों’ से की. इस के बाद उन्होंने हिंदी फिल्म ‘चांद सा रोशन चेहरा’ में मुख्य अभिनेत्री की भूमिका की, पर दुर्भाग्य से यह फिल्म बौक्स औफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी. उसी साल उन्हें तेलुगु सिनेमा में काम मिला, लेकिन पहली फिल्म में वह दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने में असफल रहीं.

उन्हें सफलता मिली ‘वियाबारी’ से, जिस में उन्हें आलोचकों की प्रशंसा मिली. इस के बाद ‘हैप्पी डेज’ और ‘कल्लूरी’ से उन की स्थिति मजबूत हुई. धीरेधीरे वह दर्शकों पर अपना प्रभाव डालने लगीं. कई फिल्मों में मध्यम सफलता मिलने के बाद सूर्या के साथ उन की फिल्म ‘अयान’ व्यावसायिक रूप से हिट रही, जिस से फिल्म उद्योग में उन की स्थिति काफी मजबूत हो गई. इस के बाद तो उन के पास फिल्मों की लाइन लग गई. वह तेलुगु, तमिल और हिंदी फिल्मों में काम करती हैं.

अप्रैल, 2021 में उन्होंने ‘11 घंटे’ से वेब सीरीज में काम करना शुरू किया, जिस में आलोचकों की मिश्रित समीक्षा मिली. इस के बाद ‘नवंबर स्टोरी’, ‘मास्टर शेफ इंडिया’ तेलुगु में, ‘जी करदा’ और ‘आखिरी सच’ में काम किया है. ‘नवंबर स्टोरी’ में उन के काम को सराहा गया है. उसी तरह आखिरी सच में देखा जाए तो उन्होंने अपने काम को अच्छी तरह किया है. बाकी तो लेखक और डायरेक्टर का काम है कि वह किसी भी अभिनेता या अभिनेत्री से कैसे कराता है.

‘आखिरी सच’ में तमन्ना के अभिनय की बात करें तो उन का परफौरमेंस कोई खास नहीं है. एक पुलिस अधिकारी वह भी इंसपेक्टर की जो कार्यशैली होती है, वह उन में कहीं नहीं दिखती. पुलिस वाले और डाक्टर में संवेदना नाम की चीज नहीं होती. जबकि तमन्ना जब घटनास्थल पर पहुंचती हैं तो 11 लाशें देख कर शौक में आ जाती हैं.

अभिषेक बनर्जी

5 मई, 1985 को खडग़पुर पश्चिम बंगाल में पैदा हुए अभिषेक बनर्जी ने अपनी पढ़ाई दिल्ली से की थी. अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत उन्होंने दिल्ली से शुरू की. फिल्म ‘रंग दे बसंती’ में एक डाक्युमेंटरी भूमिका के लिए आडीशन देने वाले छात्रों में वह भी एक थे.

साल 2008 में वह दिल्ली से मुंबई चले गए और 2010 में उन्होंने ‘नौक आउट’ में कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में काम किया. इस के बाद इसी साल ‘सोल औफ लैंड’ में अभिनय भी किया.

साल 2011 में उन्होंने ‘द डर्टी पिक्चर’ और ‘नो वन किल्ड जेसिका’ में कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में काम करने के साथसाथ अभिनय भी किया. इस तरह वह कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में काम करने के साथसाथ अभिनय भी करते रहे. फिल्मों में अभिनय करने के साथसाथ साल 2015 में ‘टीवीएफ पिचर्स’, 2018 में ‘मिर्जापुर’, 2019 में ‘टाइपराइटर’ जैसी वेब सीरीज में भी काम किया.

उन्होंने ‘फेकर’ के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका तो निभाई ही, दोस्त अनमोल के साथ ‘कास्टिंग बे’ चलाते हैं, जिस से विज्ञापनों, फिल्मों के साथसाथ वेब सीरीज में अभिनेताओं को कास्ट करते हैं. वेब सीरीज ‘काली 2’ के अलावा खूंखार सीरियल किलर वेब सीरीज विशाल त्यागी (हथौड़ा त्यागी) और ‘पाताल लोक’ में अभिनय किया. उन की आखिरी फिल्म ‘भेडिय़ा’ थी. वेब सीरीज ‘आखिरी सच’ में भी उन्होंने भुवन का किरदार निभाया है.

वेब सीरीज : आखिरी सच – भाग 2

तीसरे एपीसोड में पता चलता है कि आदेश ने किसी महीपाल नाम के व्यक्ति से 20 लाख रुपए कर्ज लिया था, उसी के लिए उन गुंडों ने उसे धमकी दी थी. इस के बाद अन्या अपने खास सहयोगी राघव, जो उस के साथ परछाई की तरह लगा रहता है, से कहती है कि एक बार फिर घर का निरीक्षण करना पड़ेगा. राघव की भूमिका में राहुल बग्गा हैं, जो देखने में तो कहीं से भी पुलिस वाले नहीं लगते.

काल डिटेल्स से पता चला था कि भुवन ने उस रात 11 बजे किसी अवस्थी को फोन किया था. घर के निरीक्षण में अन्या को खयाल आता है कि इस परिवार का कनेक्शन 11 की संख्या से है. क्योंकि जिस अवस्थी को भुवन ने रात 11 बजे फोन किया था, जब उसे बुलाया गया तो उस ने जो बात बताई थी, वह हैरान करने वाली थी.

उस ने घर की एक दीवार में 11 पाइप लगाए थे, जिन में 7 मुड़े हुए थे और 4 सीधे. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि घर में 7 फीमेल थीं और 4 मेल. इसी के बाद उन्हें घर की हर चीज का संबंध 11 से दिखाई दिया. तब पुलिस को इस का संबंध तंत्रमंत्र से जुड़ता दिखाई दिया.

इस के बाद एक चमत्कारी बाबा को हिरासत में लिया जाता है और उस से पूछताछ की जाती है. यहां कुछ इस तरह का ड्रामा किया जाता है, जो सीरीज को आकर्षित करे. यहां सस्पेंस क्रिएट करने की कोशिश की जाती है, पर वह बेकार की लगती है. पूछताछ में राजावत परिवार की कहानी फ्लैशबैक में दिखाई जाती है.

भुवन बाबा को अपनी पूरी कहानी सुनाता है. उसी रात भुवन को रात में सपना आता है, जिस में उस के पिता उस से कहते हैं कि वह दौलतराम से उस का बदला ले लेंगे. उसी बीच दौलतराम की दुकान में आग लग जाती है और सब कुछ जल कर खाक हो जाता है. इस से भुवन के मन में पिता के प्रति श्रद्धा बढ़ जाती है और वह सुबह पिता की तसवीर की पूजा कर के सभी को आरती दिखाता है.

तब मां कहती है कि आज के बाद यह सब इस घर में नहीं होगा. इस के बाद भुवन पिता की आवाज में बोलता है और फिर बेहोश हो जाता है. यहां लेखक और डायरेक्टर ने अंधश्रद्धा को बढ़ावा देने वाला काम किया है.

अंधविश्वास को दिया बढ़ावा

चौथे एपीसोड में डाक्टर भुवन को देखने आता है. तब भुवन की पत्नी पूनम डाक्टर को पूरा सच नहीं बताती, जिस पर घर के सभी लोगों को हैरानी होती है. पूनम का रोल निशु दीक्षित ने किया है. अपनी भूमिका में वह बिलकुल फिट लगती है. भुवन को पूरा विश्वास है कि मरने के बाद उस के पिता उस के साथ हैं.

भुवन सपने देखता है, जिस में वह पापा को देखता है. इस बीच घर में सब ठीक हो जाता है. अंशिका को नौकरी मिल जाती है, पेंट की दुकान भी खुल जाती है. अंशिका की सगाई हो जाती है. भुवन खुश रहने लगता है. परिवार वाले भी खुश हैं. भुवन पत्नी से रजिस्टर लिखवाता है, जिस में रोजमर्रा से जुड़ी बातें और आध्यात्मिक बातें होती हैं.

इसी एपीसोड में अन्या की जिंदगी के बारे में भी दिखाया जाता है कि उस के पति से उस के संबंध ठीक नहीं हैं. अन्या डीसीपी से इस केस को छोडऩे के बारे में कहती है.

पांचवें एपीसोड में अन्या जीवन से जुड़ा सपना देखती है. सपना उसे परेशान और बेचैन कर देता है. दूसरी ओर क्राइम ब्रांच के औफिस में अमन को बुला कर पूछताछ की जाती है कि घटना वाली रात वह राजावत परिवार के घर क्यों गया था. यह पता सीसीटीवी फुटेज से चला था. पहले तो अमन चुप रहा. लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो उस ने बताया कि उस के और अंशिका के बीच कुछ मिसअंडरस्टैंडिंग हो गई थी, जिसे सुलझाने के लिए वह वहां गया था.

वह घर के सामने पहुंचा तो लाइट चली गई थी. फिर भी वह घर के अंदर गया तो देखा, घर के सभी लोगों ने फंदे से लटक कर जान दे दी थी. अमन इतना ही बता सका था कि अन्या आ गई. इस के बाद वह अपनी टीम के साथ राजावत परिवार के घर गई, जहां तलाशी में उसे 9 रजिस्टर मिलते हैं. यहां डायरेक्टर ने सस्पेंस क्रिएट करने की कोशिश की है, लेकिन यह सब बेकार की नौटंकी लगती है.

राजावत परिवार के घर से कुल 9 रजिस्टर मिलते हैं, जिन में परिवार से जुड़ी एकएक बात भुवन ने लिखी थी. डीसीपी प्रैस कौन्फ्रैंस कर के पत्रकारों को भी यह बात बताते हैं और कहते हैं कि हो सकता है कि हत्या का रहस्य इन रजिस्टरों से उजागर हो जाए. मनोवैज्ञानिक को बुला कर उस से भी रजिस्टर में लिखी बातों पर चर्चा होती है कि भुवन अपने मृत पिता से बातें करता था और वह वही करता था, जो पिता कहते थे. रजिस्टर को इंसपेक्टर अन्या जैसेजैसे पढ़ती जाती हैं, रहस्य उजागर होता जाता है.

भुवन मनोवैज्ञानिक समस्या से ग्रसित है. परिवार वही करता है, जो भुवन कहता है. और भुवन वही करता है, जो सपने में उस के पिता कहते हैं. इस एपीसोड में फैमिली ड्रामा दिखाया जाता है, जैसा भुवन ने रजिस्टर में लिखा है. इस में अंशिका की शादी तय होना दिखाया जाता है. इंसपेक्टर अन्या भी भुवन की ही तरह सपने देखती है. रजिस्टर पढ़ते समय उस के चेहरे के हावभाव ऐसे लगते हैं, जैसे उस पर ही सब कुछ बीत रहा है.

अंत में भुवन राजस्थान के अपने गांव जाता है, जहां एक पुरानी सी अलमारी में मकान के कागजों के साथ उसे एक और कागज मिलता है, जिस में संस्कृत में अक्षय साधना के बारे में लिखा है. उस में ऊपर एक बरगद का चित्र है, जिस की जटाएं झूल रही हैं.

दर्शकों को बांध नहीं पाई यह सीरीज

छठें एपीसोड में जैसा रजिस्टर में लिखा है, उस के अनुसार भुवन घर में सभी से अक्षय साधना की बात करता है. उस का कहना है कि पिताजी ने कहा है कि तरक्की के लिए यह साधना करनी जरूरी है. अगर साधना सफल हो गई तो सब ठीक हो जाएगा, अगर नहीं सफल हुई तो सब बेकार हो जाएगा. भुवन यह भी बताता है कि साधना कैसे करनी है. परिवार के लोग सलाह करते हैं कि बच्चों को इस से अलग रखा जाए, पर भुवन नहीं मानता, उस का कहना है कि साधना सभी लोगों को करनी है.

वेब सीरीज : आखिरी सच – भाग 1

वेब सीरीज : आखिरी सच

कलाकार: तमन्ना भाटिया, अभिषेक बनर्जी, शिवांग नारंग, कृति सेन, राहुल बग्गा, दानिश इकबाल, निशु दीक्षित, संजीव चोपड़ा

निर्देशक: रौबी ग्रेवाल

लेखक: सौरव डे

तमन्ना भाटिया की यह सीरीज साल 2018 में दिल्ली में हुए बुराड़ी कांड से प्रेरित है. बुराड़ी में घटे इस मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. पहली जुलाई, 2018 की सुबह एक ही परिवार के 10 लोगों के शव घर के आंगन की ग्रिल से लटके मिले थे. जबकि दादी का शव कमरे में मिला था. फंदे से लटकी लाशों के हाथ पीछे बंधे थे और उन के मुंह पर कपड़ा बंधा था.

इस घटना पर नेटफ्लिक्स ने साल 2021 में ‘हाउस आफ सीक्रेट्स: द बुराड़ी डेथ्स’ नाम से डाक्युमेंटरी सीरीज जारी की थी, जिस में जांच अधिकारियों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों से की गई मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ के बाद इस रहस्यमयी घटना के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डालते हुए इस के पीछे की सच्चाई को समझाने की कोशिश की गई थी.

अब डिज्नी प्लस हौटस्टार ने इस घटना से प्रेरित हो कर काल्पनिक इनवैस्टिगेशन को आधार बना कर ‘आखिरी सच’ वेब सीरीज के 6 एपीसोड रिलीज किए हैं. बुराड़ी वाली घटना को आधार बना कर एक कहानी को दिखाया गया है. इस वेब सीरीज के लेखक सौरव डे हैं तो निर्देशन रौबी ग्रेवाल ने किया है.

इस सीरीज में अभिनय की बात करें तो अभिषेक बनर्जी का अभिनय औसत है, बाकी तो सभी का अभिनय नौटंकी लगता है. इतनी अधिक फिल्मों में काम कर चुकी तमन्ना भाटिया तो एक इंसपेक्टर की भूमिका में बिलकुल ही फिट नहीं बैठीं. उन का इंसपेक्टर होते हुए मेकअप में रहना आंखों को चुभता है. उसी तरह पुलिस की भूमिका में जितने भी लोग हैं, ऐसा लगता है कि वे नाटक कर रहे हैं.

इस में दोष लेखक और डायरेक्टर का है. लेखक ने भी शायद अपराध कथाएं नहीं पढ़ीं. अगर उस ने मनोहर कहानियां या सत्यकथा ही पढ़ी होतीं तो उसे पता चल जाता कि पुलिस अपराधों का इनवैस्टीगेशन कैसे करती है.

इस वेब सीरीज में इनवैस्टीगेशन जैसा तो कहीं कुछ दिखाई ही नहीं देता. ऐसा लगता है जैसे पुलिस इनवैस्टीगेशन न कर के सिर्फ यह पता लगा रही है कि इन लोगों ने आत्महत्या क्यों की है. यानी उसे पहले से ही पता है कि इन लोगों ने आत्महत्या की है.

पहले एपीसोड की शुरुआत दिल्ली के किशननगर में रहने वाले राजावत परिवार के 11 लोगों की मौत के समाचार से होती है. 10 लोगों की लाशें आंगन में लगी ग्रिल से लटके थे तो दादी की लाश कमरे में पड़ी थी.

इस सनसनीखेज मामले की जांच क्राइम ब्रांच की इंसपेक्टर अन्या को सौंपी जाती है. इंसपेक्टर अन्या का रोल तमन्ना भाटिया ने किया है. अपना रोल अच्छी तरह निभाने वाली तमन्ना भाटिया ने अपनी भूमिका के साथ यानी एक इंसपेक्टर के रूप में जिस तरह न्याय करना चाहिए था, उस तरह नहीं किया है.

वह घटनास्थल पर भी जाती हैं तो इस तरह मेकअप किए हुए होती हैं, जैसे किसी पार्टी में गई हों. हां, घटना को देख कर उन के चेहरे पर जो भाव आते हैं, वह किसी पुलिस वाले के चेहरे पर नहीं आते, क्योंकि पुलिस वालों की संवेदना मर चुकी होती है. उन का शौक होना वहां अच्छा नहीं लगा, इसलिए उस समय वह पुलिस वाली बिलकुल नहीं लगतीं. इस पर शायद डायरेक्टर का ध्यान न गया हो.

पुलिस अधिकारी के रूप में फेल हुईं तमन्ना भाटिया

घटना को देख कर एक आम आदमी की ही तरह इंसपेक्टर अन्या हिल जाती हैं. अन्या घटनास्थल का निरीक्षण करते हुए वहां जमा लोगों से तथा पड़ोसियों से पूछताछ कर सच्चाई जानने का प्रयास करती हैं. इसी पूछताछ में पता चलता है कि राजावत परिवार की एक लडक़ी अंशिका की अमन से इंगेजमेंट हुई थी.

पूछताछ में पता चलता है कि इस इंगेजमेंट में किसी पड़ोसी या रिश्तेदार को नहीं बुलाया गया था. यहीं से अमन भी संदेह के घेरे में आ जाता है. यहां बच्चा कुछ बताना चाहता है, पर पुलिस वाले उस का मजाक उड़ाते हैं. यह दृश्य भी हजम नहीं होता. यहां अंशिका की भूमिका कृति सेन ने की है तो अमन की भूमिका शिविन नारंग ने की है. एक नशेड़ी के जो हावभाव होते हैं, वैसा अमन में दिखाई नहीं देता. नशेड़ी दब्बू स्वभाव का होता है, लेकिन अमन तो सब पर हावी होने की कोशिश करता है.

यहां अंगरेजी में किया गया वार्तालाप भी बेकार लगता है, जो वेब सीरीज देखने वाला हर आदमी समझ नहीं सकता. दिल्ली पुलिस या कहीं की भी पुलिस जिस लहजे में पूछताछ करती है, वह लहजा भी यहां कहीं नहीं दिखता, इसलिए दर्शकों को जो आनंद आना चाहिए, वह आनंद नहीं आता. संदेह के घेरे में आने की वजह से अन्या अमन के पीछे अपना एक आदमी लगा देती है.

दूसरे एपीसोड की शुरुआत पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद से होती है. इस के बाद राजावत की डेयरी में दूध पहुंचाने वाला दूधिया बताता है कि एक दिन उस ने देखा था कि 2 आदमी राजावत परिवार के बड़े बेटे यानी आदर्श के गले पर चाकू लगा कर धमका रहे थे. दूधवाला यह भी दावा करता है कि वह उन लोगों को पहचान लेगा. आदर्श की भूमिका दानिश इकबाल ने की है.

इस के बाद अंशिका का मंगेतर परिवार की एकमात्र बची बेटी यानी अंशिका की मौसी से मिलने जाता है. यहां कहानी फ्लैशबैक में चलती है. अंशिका की मौसी यानी आदेश की एक बहन बबीता, जो अलग रहने की वजह से इस हादसे से बच गई थी, से पता चलता है कि उन के पिता अपने एक दोस्त दौलतराम के साथ राजस्थान से दिल्ली आए थे. उन के पिता जवाहर सिंह पुलिस की नौकरी कर लेते हैं तो वहीं दौलतराम दुकान खोल लेता है.

अभिषेक का रोल दिखा बनावटी

जवाहर सिंह की भूमिका में संजीव चोपड़ा हैं, जो एक वरिष्ठ कलाकार हैं. राजावत परिवार के दूसरे बेटे भुवन की गलती से हादसे में पिता जवाहर सिंह की मौत हो जाती है तो वह हर वक्त पिता की यादों में खोया रहने लगता है. पिता की मौत के लिए वह खुद को जिम्मेदार मानता है. उसे लगता है कि पिता घर में ही हैं. भुवन का रोल अभिषेक बनर्जी ने किया है. रोल तो उस ने ठीक किया है, पर उस के रोल में कहींकहीं बनावटीपन नजर आता है.

दूसरी ओर इंसपेक्टर अन्या दूधवाले के बताए अनुसार आदेश और गुंडों के एंगल से जांच करती है तो अंशिका का मंगेतर बबीता के बताए अनुसार अपने हिसाब से जांच करता है. क्योंकि बबीता ने उसे बताया था कि पिता के दोस्त दौलतराम का परिवार उन लोगों को पहले से ही परेशान करता था. दौलतराम ने घोटाले का आरोप लगा कर भुवन को मारा भी था, जिस की वजह से उस के सिर में चोट लग गई थी और उसे अस्पताल में भरती होना पड़ा था. अस्पताल में उस ने सुसाइड की भी कोशिश की थी.

इसी के साथसाथ अन्या दूधवाले को कुछ फोटो दिखा कर उस गुंडे की शिनाख्त कराती है, जिस ने आदेश को धमकी दी थी. पहचान होने के बाद अन्या उस गुंडे का पीछा कर पकड़ लेती है. इस के बाद अमन की दौलतराम के बेटे से झड़प होती है, क्योंकि अंशिका को वह अकसर फोन कर के परेशान करता था.

अभिनेत्री आरती मित्तल का सैक्स रैकेट

मुंबई के दिंडोशी पुलिस थाने के एसएचओ मनोज सुतार 18 अप्रैल, 2023 की सुबह अपने कार्यालय में बैठे थे. तभी उन का एक विश्वस्त मुखबिर उन के सामने हाजिर हुआ.

“साहेब, एक बहुत बड़ी खबर लाया हूं, इस मामले में मुझे तगड़ी बख्शीश तो मिलेगी न?” मुखबिर ने कुरसी पर बैठते हुए कहा.

“बताओ तो सही, खबर आखिर क्या है जो तुम इतने उतावले हो रहे हो?” मनोज सुतार ने कहा.

“साहेब, फिल्म जगत की कास्टिंग डायरेक्टर और हीरोइन आरती मित्तल सैक्स रैकेट चला रही है,” मुखबिर ने कहा.

“भाई, ये तुम क्याक्या कह रहे हो? इतना बड़ा नाम है, अगर थोड़ी सी भी भूलचूक हो गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे. मेरी

नौकरी लेने का इरादा है क्या, तुम्हारा?” इंसपेक्टर ने घबराते हुए कहा.

“नहीं साहब, एकदम पुख्ता खबर है. मेरे पास मोबाइल नंबर भी है. आप बात करो, आप को खुद पता चल जाएगा.” कहते हुए मुखबिर ने एक मोबाइल नंबर इंसपेक्टर मनोज सुतार को दिया और वहां से चला गया.

खबर काफी महत्त्वपूर्ण थी और एक ऐसी शख्सियत से जुड़ी थी कि इंसपेक्टर मनोज सुतार ने इस की खबर तुरंत अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. उच्चाधिकारियों द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद इंसपेक्टर मनोज सुतार ने इस केस की तहकीकात करनी शुरू कर दी. जब जिम्मेदारी मिली तो इंसपेक्टर मनोज सुतार ने तुरंत मुखबिर द्वारा दिया गया फोन नंबर मिला दिया, “जी, आप आरतीजी बोल रही हैं न?”

“जी, आप ने सही फोन मिलाया, मेरे बारे में तो आप जानते ही होंगे? मगर आप को मेरा मोबाइल नंबर आखिर कैसे मिल गया?” उधर से आवाज आई.

“आरतीजी, मैं एक बहुत बड़ा हीरे का व्यापारी हूं. अपने कस्टमर के लिए मुझे भी कभीकभी कुछ करना पड़ जाता है. पता नहीं, मेरे कस्टमरों के भी बड़े अजीब शौक हैं. अब पूरा न करें तो कस्टमर हाथ से निकल जाते हैं. आप समझ रही हैं न, मैं कहना क्या चाहता हूं.” मनोज सुतार ने पासा फेंकते हुए कहा.

“आप ने इतनी देर बात कर ली. कम से कम आप मुझे अपना नाम तो बता दीजिए,” आरती ने कहा.

“आरतीजी मेरा नाम शुभम मीणा है. मेरे 2 बहुत बड़े कस्टमर हैं विवेक और कैलाश, दोनों हसीन चेहरों के आशिक हैं. उन का काम हो सकता है?” मनोज सुतार ने कहा.

“शुभमजी, आप का काम तो अवश्य हो जाएगा, मगर दाम कुछ ज्यादा देने होंगे,” आरती ने कहा.

“आरतीजी, जब आप से बात हुई है तो दाम का क्या मोलभाव करना है. आप तो मुझे बताइए कि दाम कितने चुकाने हैं?” मनोज सुतार बोले.

“शुभमजी, 2 लोग हैं तो 2 लड़कियां भी होंगी. मेरी लड़कियां एकदम से फ्रैश माल हैं, मौडलिंग करती हैं. आप को दोनों लड़कियों के 60 हजार चुकाने होंगे. बोलो, मंजूर है या नहीं?” आरती बोली.

“जी मंजूर है. आप उन के फोटो मुझे भेज दीजिए, पसंद आने पर मैं आप को अभी बता दूंगा.” मनोज सुतार ने कहा.

“शुभमजी, एक बात और है. मेरी दोनों लड़कियां जुहू या गोरेगांव स्थित होटलों में ही आएंगी. आप को वहां पर 2 कमरे बुक करने होंगे. होटल का भी खर्चा आप को ही वहन करना होगा.” आरती मित्तल ने बात स्पष्ट की.

“आरतीजी, ठीक है, मुझे आप की यह शर्त भी मंजूर है.”

“शुभमजी, मैं आप को अपनी मौडल के फोटो वाट्सऐप पर भेज रही हूं. वैसे मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरी मौडल्स आप को अवश्य पसंद आएंगी,” कहते हुए आरती मित्तल ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

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आरती ऐसे फंसी जाल में

पुलिस इंसपेक्टर मनोज सुतार ने जब अपने मोबाइल पर आवाज सुनी तो उन्होंने अपना वाट्सऐप चैक किया तो उन्हें वहां पर आरती मित्तल की ओर से 2 युवतियों की फोटो मिलीं. उन्होंने उसी समय इस की सूचना तत्काल अपने उच्च अधिकारियों कर दे दी.

ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद इंसपेक्टर मनोज सुतार ने तुरंत अपने 2 सबइंस्पेक्टर तैयार किए और उन्हें सब कुछ समझा दिया. उस के बाद उन्होंने अपनी योजना के तहत आरती मित्तल को फोन किया.

“जी बोलिए शुभमजी, आप को पसंद आई हैं न मेरी बिंदास मौडल्स?” आरती ने काल रिसीव करते हुए कहा.

“आरतीजी, फोटो देख कर तो सचमुच मेरा दिल खुश हो गया. अब मैं ने गोरेगांव के चितरंजन होटल में आप केकहे अनुसार 2 कमरे भी बुक करा दिए हैं. एक कमरा विवेक के नाम और दूसरा कमरा मैं ने अपने क्लाइंट कैलाश के नाम बुक करा दिया है. देखिए आरतीजी, मेरा आप से रिक्वेस्ट है कि ये दोनों मेरे काफी खास कस्टमर हैं. मैं इन दोनों को बिलकुल भी नाराज नहीं कर सकता, इसलिए मैं खुद इन दोनों को ले कर 10 मिनट में गोरेगांव के चितरंजन होटल पहुंच रहा हूं.” मनोज सुतार ने बताया.

“शुभमजी, आप अपने कस्टमर्स का काफी अच्छा खयाल रखते हैं. व्यापार में तो यह सब करना ही पड़ता है, पर आप कुछ निवेदन करना चाहते थे, वह तो आप ने अब तक किया ही नहीं. बोलिए, आखिर क्या निवेदन करना चाहते हैं आप?” आरती ने पूछा.

“आरतीजी, मेरा निवेदन यह है कि भविष्य में भी आप से मेरा संपर्क बना रहेगा, इसलिए यदि जब इतना जोखिम उठा कर मैं खुद होटल में आ रहा हूं तो आप भी अपनी मौडल्स को ले कर खुद वहां पर पहुंच जातीं तो मुझे अच्छा लगता. वैसे मैं तो एक निवेदन कर रहा था.”

“शुभमजी, आप से मेरी यह पहली डीलिंग है, इसलिए चाह कर भी मना नहीं कर सकती, आप मुझे बता दीजिएगा मैं ने अपनी माडल्स को ले कर कब आना है?”

“जी मेरे क्लाइंट तो आप की मौडल्स के फोटो देख कर बावले से हो गए हैं. मैं ने रूम बुक कर दिए हैं. अब मैं जल्दी आप को बताता हूं.”

“शुभमजी, आप भी कमाल के व्यक्तित्व के स्वामी लगते हैं. मुझे तो ऐसा लग रहा है हमारी आप से ये डील काफी लंबे समय तक चलेगी. मैं आप के फोन का इंतजार कर रही हूं, जल्दी बताइएगा.”

“बस मैं 5 या 10 मिनट के बाद आप को सूचित करता हूं. आप का पेमेंट भी मैं नकद आप को कर दूंगा. अच्छा बाय.” मनोज सुतार ने यह कहते फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

इंसपेक्टर मनोज सुतार ने अपने 2 सबइंसपेक्टरों को पहले से ही इस काम में लगा दिया था. ठीक 10 मिनट के बाद मनोज सुतार ने शुभम बन कर आरती को फोन कर दिया, “आरती मैम, मैं अपने दोनों कस्टमर के साथ चितरंजन होटल में पहुंच रहा हूं. आप ठीक 20 मिनट तक वहां पर पहुंच जाइए.”

“ठीक है शुभमजी, मैं अपनी मौडल्स को ले कर यहां से निकल रही हूं.”

पुलिस टीम ने लगाए स्पाई कैमरे

असल में जब इंसपेक्टर मनोज सुतार ने आरती मित्तल को फोन कर के बुलाया था, उस समय तक उन की समाजसेवा शाखा टीम होटल में पहुंच चुकी थी और दोनों कमरों के बाहर एवं आसपास पुलिस टीम द्वारा स्पाई कैमरे लगाए जा चुके थे. यह 17 अप्रैल, 2023 सोमवार की घटना थी.

थोड़ी ही देर बाद कास्टिंग डायरेक्टर आरती मितल अपने साथ 2 मौडल्स को ले कर गोरेगांव स्थित चितरंजन होटल पहुंच गई. उस के आते ही मनोज सुतार अपने 2 फरजी ग्राहकों के साथ आरती मित्तल के पास गए और अपना परिचय दिया. उस के बाद वे सब उन दोनों कमरों में गए.

आरती मित्तल ने दोनों फरजी ग्राहकों को और युवतियों को कंडोम भी दिए. मनोज सुतार ने जब 60 हजार रुपए आरती मित्तल का सौंप दिए. तब आरती मित्तल ने एकएक मौडल को उन दोनों कस्टमरों को सौंप दिया. तभी चारों तरफ से मुंबई की समाजसेवा पुलिस टीम ने उन सभी को चारों तरफ से घेर लिया और आरती मित्तल व दोनों माडल्स को रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया.

आखिर कौन है आरती मित्तल?

आरती मित्तल एक बौलीवुड अभिनेत्री और कास्टिंग डायरेक्टर है, जो मुख्य रूप से टीवी धारावाहिकों और वेब सीरीज में दिखाई देने वाला चर्चित नाम है. सन 2022 में जीटीवी के लोकप्रिय धारावाहिक ‘कुंडली भाग्य’ में अभिनय करने के लिए उसे अपार सफलता मिली थी.

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आरती मित्तल का जन्म और प्रारंभिक जीवन

आरती मित्तल का जन्म 18 अक्तूबर, 1992 को हरियाणा के पलवल में हुआ था. इन के पिता इंडियन एयरलाइंस में पायलट थे. जब आरती मित्तल की उम्र 6 साल की थी, तब उन का परिवार दिल्ली आ गया था. दिल्ली में आरती ने टैगोर पब्लिक स्कूल और मीरा मौडल स्कूल में पढ़ाई की. उस के बाद आरती ने अध्यापन का एक कोर्स किया और उस के बाद उन्होंने मानव भारती विश्वविद्यालय, सोलन, हिमाचल प्रदेश से मार्केटिंग में एमबीए पूरा किया.

एमबीए पूरा करने से पहले आरती ने टैगोर पब्लिक स्कूल में नर्सरी क्लास टीचर के रूप में भी कार्य किया था. एमबीए पूरा करने के बाद आरती मित्तल ने अपने नए करिअर की शुरुआत में दिल्ली की एक निजी फर्म में नौकरी की. कुछ महीनों तक वहां काम करने के बाद आरती ने अपनी जिंदगी में कुछ नया करने का फैसला किया और खुद का व्यवसाय शुरू करने के सपने को पूरा करने के लिए अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया. अपनी उस उच्च महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए

आरती मित्तल ने गुरुग्राम में ‘बोल्ड जिम’ शुरू किया, लेकिन कोविड-19 लौकडाउन के कारण उन का जिम 2020 में बंद हो गया. अपने ऊंचे सपनों को न छोडऩे का दृढ संकल्प लिए आरती मित्तल ने अपनी एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘प्लांटैस्टिक ग्रुप’ शुरू की. उस के बाद उन्होंने अपनी मैनेजमेंट कंपनी के बैनर तले मिस्टर ऐंड मिस हरियाणा प्रतियोगिता का एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया.

इस भव्य कार्यक्रम के आयोजन पर प्रायोजकों की कमी के कारण आरती मित्तल को काफी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन फिर भी आरती मित्तल ने हार नहीं मानी. वह एक बार फिर से जुट गई और दिल्ली स्थित एक समूह के साथ काम करना शुरू कर दिया.

दिल्ली में आरती मित्तल ने कुछ नाटकों में बेहतरीन अभिनय की छाप छोड़ी. इस के कारण आरती मित्तल को ‘हाउस औफ प्लैटर’, ‘अरेबियन डेटिंग साइट’ और ‘मयंक क्रिएशन’ जैसे नामचीन ब्रांडों के लिए कई प्रिंट अभियानों से शामिल किया गया. इस के अलावा आरती मित्तल को ‘ट्रिनिटी साबुन’, ‘मेलोरा ज्वैलरी’, ‘अमृत जल’ और ‘रिवोल्ट प्रोटीन’ जैसे विभिन्न ब्रांडों के लिए लिए टीवी विज्ञापनों में काम करने का मौका भी मिला.

इस के बाद आरती मित्तल मुंबई आ गई, जहां पर उसे ‘हरफूल मोहिनी’, ‘बन्नी चौ होम डिलीवरी’, ‘एक महानायक’, ‘डाक्टर बी.आर. अंबेडकर’, ‘रक्षाबंधन’, ‘रसल अपने भाई की ढाल’, ‘भाग्यलक्ष्मी’, ‘परशुराम’, ‘अपनापन’, ‘काशीबाई बलाल’ व कई अन्य धारावाहिकों में काम करने का अवसर मिला. उन्हें ‘जीएसटी’, ‘रूहानियत’ और ‘धारावी बैंक’ जैसी कुछ एमएक्स प्लेयर की वेब सीरीज में भी काम करने का मौका मिला था.

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अभिनेत्री और कास्टिंग डायरेक्टर आरती मित्तल को मुंबई पुलिस ने 17 अप्रैल, 2023 को सैक्स रैकेट के मामले मे रंगेहाथों गिरफ्तार किया है. आरती मित्तल के साथ पकड़ी गई दोनों मौडल्स ने पुलिस को बताया कि अभिनेत्री आरती मित्तल उन्हें किसी विज्ञापन या सीरियल अथवा फिल्म में लेने से पहले उन से कहती थी कि ये कंप्रोमाइज का जमाना है. यदि तुम कंप्रोमाइज करोगी तो फिर ही आगे बढ़ सकती हो.

इस के लिए आरती मित्तल उन्हें गैर लोगों के साथ सोने और अवैध संबंध बनाने के लिए दबाब बनाती थी. गोरेगांव स्थित होटल में 2 लोगों के साथ संबंध बनाने के बनाने के लिए आरती ने उन दोनों माडल्स को 15 हजार रुपए देने का वादा भी किया था.

दिंडोशी थाना पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर आगे की जांच के लिए अपराध शाखा की यूनिट नंबर 11 को स्थानांतरित कर दिया है. घटना में गिरफ्तार दोनों मौडल्स को पूछताछ के बाद पुनर्वास केंद्र भेजा गया.”

बौलीवुड में ऐसी अनेक आरती मित्तल हैं, जो जल्द मोटा पैसा कमाने के लिए अनुचित काम कर रहे हैं. इन में से कुछ लोगों का सत्य उजागर हो जाता है और कुछ का सत्य उसी में दफन हो कर रह जाता है.

—कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है. तथ्यों का नाट्य रूपांतरण किया गया है.

अभिनेत्री क्रिसन परेरा की ट्रौफी में ड्रग्स

अभिनेत्री क्रिसन परेरा की ट्रौफी में ड्रग्स – भाग 3

मुंबई पुलिस की गाइडलाइन में प्रमिला परेरा ने शारजाह में एक वकील को हायर किया. उस की फीस 13 लाख रुपए थी. 2 सप्ताह तक काफी भागदौड़ करने के बाद 24 अप्रैल को प्रमिला ने मुंबई पुलिस स्टेशन में क्रिसन परेरा को साजिश के तहत ड्रग के केस में फंसाने के मामले में एंथोनी पाल और राजेश बोराते के विरुद्ध मामला दर्ज करवा दिया.

अंतरराष्ट्रीय मामला होने के कारण मुंबई क्राइम ब्रांच फौरन हरकत में आ गई और 25 अप्रैल को इस केस में नामजद दोनों आरोपियों एंथोनी पाल और राजेश बोराते को गिरफ्तार कर लिया. मुंबई क्राइम ब्रांच द्वारा उन की गिरफ्तारी और मामले से जुड़ी हर बारीक जानकारी को भारत के विदेश मंत्रालय के साथ साझा किया गया.

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जब एंथोनी पाल और उस के साथी राजेश बोराते से इस बारे में पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की, तब उस ने जो कहानी सुनाई, वह भी कुछ हैरानी वाली नहीं थी. उस ने बताया कि उस ने क्रिसन से अपमान का बदला लेने के लिए उसे जानबूझ कर फंसाया है.

साजिश का हुआ खुलासा

ऐक्ट्रैस क्रिसन परेरा अपने परिवार के साथ बोरीवली इलाके की एक बिल्डिंग में रहती थी. वहीं आरोपी एंथोनी पाल की बहन मारिया भी रहती है. एंथोनी मलाड और बोरीवली के इलाकों में अपनी बेकरी चलाता है. साल 2020 में कोविड के दौरान जब सभी जगह लौकडाउन लगा था, तब एंथोनी पाल का अपनी बहन मारिया के घर उसे देखने के लिए आनाजाना लगा रहता था.

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प्रमिला एक एनिमल लवर महिला हैं और बिल्डिंग के आवारा कुत्तों की देखभाल करती हैं. लौकडाउन के दौरान एक दिन जब एंथोनी उस बिल्डिंग के नीचे पहुंचा, तब वहां का एक कुत्ता उसे देख कर जोरजोर से भौंकने लगा. वह जब भी यहां आता था, कुत्ता उसे देखते ही भौंकना शुरू कर देता था. उस दिन कुत्ते को खुद पर भौंकते देख एंथोनी ने पास में पड़ी कुरसी उठाई और कुत्ते पर दे मारी.

प्रमिला यह सब देख रही थीं. उन्हें एंथोनी पर बहुत गुस्सा आया. उस ने एंथोनी को खूब खरीखोटी सुनाई और जानवरों के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार करने की नसीहत दी. काफी शोरशराबा होने के कारण वहां पर बहुत से लोग इकट्ठा हो गए. जब एंथोनी पाल की बहन को बिल्डिंग के नीचे हो रहे इस हंगामे के बारे में पता चला तो वह वहां पहुंची और एंथोनी को अपने साथ ले गई.

एंथोनी बिल्डिंग के लोगों के सामने अपनी बेइज्जती बरदाश्त नहीं कर सका और मन ही मन प्रमिला को सबक सिखाने की ठान ली. इस योजना में उस ने महाराष्ट्र के सिंहदुर्ग जिले में रहने वाले अपने एक दोस्त राजेश बोराते उर्फ रवि को शामिल किया. वे दोनों एकदूसरे को 2016 से जानते थे और लोगों को ठगने की योजना बनाया करते थे.

एक योजना के तहत रवि ने प्रमिला को फोन कर के बताया कि वह बेव सीरीज का एक फाइनेंसर है. इस समय वह संयुक्त अरब अमीरात और भारत के बीच एक प्रोजेक्ट के ऊपर काम कर रहा है. अगर आप की बेटी चाहे तो उसे इस वेब सीरीज में काम मिल सकता है.

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रवि की बात सुन कर प्रमिला बहुत खुश हुईं. उन्होंने क्रिसन से इस के बारे में चर्चा की और उसे रवि से मिलने के लिए उस के औफिस में भेज दिया. इस तरह से सुनियोजित ढंग से बनाई गई योजना के अनुसार रवि ने क्रिसन को ट्रौफी दी. इस से पहले उस ने उस में नशीला पदार्थ छिपा दिया था.

विदेश मंत्रालय ने संयुक्त अरब अमीरात इनर्फोमेशन एजेंसी के साथ इसे साझा कर जानकारी दी कि किस प्रकार आपसी रंजिश के कारण आरोपी एंथोनी पाल ने एक साथी राजेश बोराते के साथ मिल कर एक इंटरनैशनल वेब सीरीज के औडिशन कराने का झूठा वादा कर क्रिसन परेरा को ड्रग से भरी ट्रौफी के साथ शारजाह भेजा. जिस के कारण वह वहां एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर ली गई.

कुल 25 दिनों तक शारजाह के सैंट्रल जेल में बंद रहने के बाद 27 अप्रैल, 2023 को शारजाह कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए ऐक्ट्रैस क्रिसन परेरा को नशीला पदार्थ रखने के आरोप से मुक्त कर दिया. कोर्ट का आदेश जारी होने के बाद ऐक्ट्रैस क्रिसन परेरा को सैंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया और 2 दिन बाद वह शारजाह से मुंबई लौट आईं.

अभिनेत्री क्रिसन परेरा की ट्रौफी में ड्रग्स – भाग 2

करीब एक घंटा बीत गया और उसे लेने के लिए कोई नहीं आया, तब वह परेशान हो गई. उस ने अपना मोबाइल फोन निकाला और उस में से अपना वाट्सऐप खोल कर रवि द्वारा भेजा गया वह मैसेज देखने लगी, जिस में उस के दुबई स्थित एक एक फाइव स्टार होटल का नाम और कमरे का विवरण था. लेकिन यह क्या? वहां से तो रवि के सारे मैसेज गायब थे.

वह हैरान हो गई. रवि के भेजे सभी मैसेज कहां चले गए? दिमाग भन्ना गया. थोड़ी देर सोचने के बाद उस की समझ में यह बात आ गई कि सारे मैसेज अचानक कैसे गायब हो गए?

दरअसल, ऐसा वाट्सऐप में मैसेजिंग के विशेष डिसअपीयरिंग फीचर के कारण हुआ था. इस फीचर द्वारा मैसेज भेजने वाला व्यक्ति उसे अपनी इच्छा के अनुसार तय समय पर हटा भी सकता है.

क्रिसन परेरा को होने लगा शक

क्रिसन के सामने अब बड़ी समस्या दुबई पहुंचने और उस के नाम बुक होटल की जानकारी की आ गई थी. वैसे सिर्फ उसे होटल का नाम याद था. उस ने दुबई स्थित उस होटल के रिसैप्शन में फोन कर अपने कमरे की बुकिंग के बारे में पूछा. वहां से जवाब मिला कि उस के नाम कोई सुइट बुक नहीं है और न ही वैसी किसी कंपनी द्वारा किसी मीटिंग हाल या औडिशन के संबंध में कोई जानकारी है. इतना सुनते ही क्रिसन स्तब्ध हो गई. उस के मुंह से निकला, “क्या? ऐसा कैसे हो सकता है?”

उस ने होटल के रिसैप्शन से दोबारा बात की और ठीक से चैक करने लिए कहा. रिसैप्शनिस्ट ने पहली बात दोहरा दी. क्रिसन अपना परिचय बौलीवुड हीरोइन के रूप में देती हुई मैनेजर से बात करवाने का आग्रह किया. रिसैप्शनिस्ट ने मैनेजर से भी बात करवा दी. मैनेजर का जवाब वही था, जो रिसैप्शनिस्ट ने दिया था. यहां तक कि वह झल्लाता हुआ बोला, “यहां आप जैसी लड़कियां बगैर किसी ठौरठिकाने के हिंदुस्तान से अकसर आती हैं. कहिए तो आप के नाम कमरा बुक कर दूं.”

“किसी इंटरटेनमेंट कंपनी ने पहली अप्रैल के लिए कोई कमरा या हाल बुक नहीं किया है?” क्रिसन ने एक बार फिर पहले जैसा ही सवाल किया.

“मैडम, मुझे लगता है आप को किसी ने झूठे दिलासे से यहां भेज दिया है, आप ने कितना पैसा खर्च किया है?” मैनेजर बोला.

“पैसा? मैं ने तो कोई पैसा खर्च नहीं किया है, एयर टिकट कंपनी ने ही बुक किया था.” क्रिसन बोली.

“क्या कहा? आप को कंपनी ने अपने पैसे से भेजा है? मैडम, तब आप संभल जाइए, जरूर किसी ने आप के साथ साजिश रची है,” यह कहते हुए मैनेजर ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

मैनेजर की बातें क्रिसन के सिर पर भारी पत्थर की तरह पड़ी थीं. वह वहीं बैठ गई. सिर पकड़ लिया. मुंह से निकला, ‘साजिश!’

थोड़ी देर शांत बनी रही. वह समझ गई कि किसी ने झूठ बोल कर यहां भेजा है. उसे कोई जाल में फंसाना चाहता है, लेकिन क्यों? अनहोनी की बातें और आशंकित करने वाले सवाल उस के दिमाग में एकदूसरे से टकराने लगे. महसूस हुआ दिमाग से टनटन की निकली आवाज सीधे कानों में समा रही है. वह यह तो समझ ही गई थी कि उस के साथ धोखा हुआ है. दुबई में जिस वेब सीरीज के औडिशन के नाम पर वह यहां आई, वह पूरी तरह झूठ था. वह कुछ खतरनाक लोगों की साजिश का शिकार बन चुकी है.

क्रिसन परेरा इन मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकलने पर विचार करने लगी. भारत से हजारों किलोमीटर दूर खाड़ी देश के एक बिजी एयरपोर्ट पर थी. उस के पास 3 अप्रैल को वापस भारत लौटने का एक एयर टिकट तो था, परंतु अभी सामने खड़ी इस आफत का समाधान निकालना था. परदेस में किस से मदद की उम्मीद रखती.

अभिनेत्री की ट्रौफी में मिली ड्रग्स

सब से पहले उस ने अपनी मां को फोन कर सारी बात बताई. बेटी की बात सुन कर प्रमिला के भी हाथपांव फूल गए. उन्होंने बेटी को सलाह दी कि वह शारजाह एयरपोर्ट के किसी पुलिस या कस्टम अधिकारी से मुंबई लौटने में मदद की गुहार करे.

क्रिसन मां की सलाह मानते हुए शारजाह एयरपोर्ट के एक अधिकारी से मदद के लिए वहां की पुलिस से मिली. तब तक उस के फोन की बैटरी काफी कम बची थी. शारजाह पुलिस से अपनी पूरी समस्या बताई और मदद मांगी. शारजाह की पुलिस उसे कस्टम अधिकारी के पास ले गए. वहां उस के सामान की जांच होने लगी.

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सब से पहले उस के थैले से ट्रौफी निकाल कर जांच की शुरुआत हुई. जांच में ट्रौफी संदिग्ध पाई गई. उस के तल को खोला गया. उस के अंदर नशीला पदार्थ 10 ग्राम भांग और 10 ग्राम अफीम की पुडिय़ा पड़ी थी. कस्टम अधिकारियों ने उस पर ड्रग्स स्मगलिंग का आरोप लगा दिया. इस जुर्म में उसे तुरंत गिरफ्तार कर शारजाह की सैंट्रल जेल में डाल दिया गया. उस के लिए ‘आ बैल मुझे मार’ जैसी कहावत चरितार्थ हो गई थी. वह साजिश के तहत बुने जाल में फंस गई थी.

मुंबई के बोरीवली स्थित आवास पर प्रमिला बारबार क्रिसन के मोबाइल पर फोन कर उस के बारे में जानने के लिए बेचैन थीं, लेकिन उन्हें हर बार बेटी का मोबाइल फोन बंद मिला. परेशान प्रमिला ने मुंबई पुलिस से मुलाकात कर सारी बातें बताईं. उस बारे में शिकायत दर्ज करवाई.

मुंबई पुलिस ने भारतीय दूतावास से संपर्क किया. उस के बाद उन्हें औपचारिक ईमेल की मदद से 10 अप्रैल को इस बात की जानकारी मिली कि ड्रग्स स्मगलिंग के केस में उसे गिरफ्तार कर लिया गया है. शारजाह सैंट्रल जेल में है. क्रिसन के पास से ड्रग्स बरामद हुई थी.

इस बारे में प्रमिला ने टैंलेंट मैनेजर रवि से भी बात की. उस ने भी कहा कि उन की बेटी क्रिसन परेरा शारजाह में गिरफ्तार हो गई है, लेकिन ज्यादा घबराने की जरुरत नहीं है. उसे जेल से बाहर निकाल लिया जाएगा. इस के साथ ही उस ने बताया कि जेल अधिकारियों और विदेशी वकील समेत अदालती खर्च में करीब 80 लाख रुपए लग जाएंगे. प्रमिला उस की बातों में नहीं आई और अपने स्तर से पुलिस से बेटी को बचाने के लिए गुहार लगाई.

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अभिनेत्री क्रिसन परेरा की ट्रौफी में ड्रग्स – भाग 1

कोरोना का दौर के खत्म होने के बाद बौलीवुड में नई फिल्में और वेब सीरीज की शूटिंग में तेजी आ गई थी. हर रोज नई फिल्में लांच हो रही थीं. वेब सीरीज दनादन आने लगी थीं. 1-2 फिल्में, वेब सीरीज या सीरियलों में काम कर चर्चित हो चुके ऐक्टर और ऐक्ट्रैस नए प्रोजेक्ट की तलाश में जुट गए थे. उन्हीं में क्रिसन परेरा भी थी.

वैसे तो उसे ‘सडक़ 2’ और ‘बाटला हाउस’से एक पहचान मिल चुकी थी और बौलीवुड की मसाला खबरों में बनी रहती थी. फिर भी उस की मंशा किसी वेब सीरीज में काम करने की थी, ताकि ओटीटी प्लेटफार्म के सिनेमाप्रेमियों के दिलों में जगह बना सके. इस के लिए उस की मां प्रमिला परेरा भी सक्रिय बनी रहती थीं. उन्हें जहां कहीं से भी फिल्म के प्रोजेक्ट की जानकारी मिलती थी, वह तुरंत अपनी बेटी को सूचित कर देती थीं. उस का मेल वही चैक करती थीं.

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इसी साल 2023 के मार्च महीने के दूसरे सप्ताह की बात है, प्रमिला परेरा एक रोज बेटी का मेल चैक कर रही थीं. कई अनुपयोगी मेल को डिलीट करने के बाद एक मेल पर वह अटक गईं. ध्यान से पढऩे लगीं. वह मेल एक रियल एस्टेट कारोबारी रवि की तरफ से आया था. उस ने तुरंत इस की जानकारी बेटी क्रिसन को दी.

दरअसल, मेल एक टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी के बारे में था. मेल में रवि नाम के शख्स ने क्रिसन को अपनी टैलेंट पूल टीम से मिलवाने की पेशकश की थी, उन्हें मुंबई के ग्रैंड हयात होटल में बुलाया गया था. प्रमिला को यह मैसेज उपयोगी लगा. प्रमिला ने रवि से फोन पर बातचीत की. कंपनी और नए वेब सीरीज के प्रोजेक्ट के बारे में संक्षिप्त जानकारी पा कर आश्वस्त होने के बाद उस ने क्रिसन को रवि की टीम के साथ मीटिंग में शामिल होने के लिए प्रेरित किया.

क्रिसन अपनी मां के साथ तय समय के मुताबिक होटल पहुंची. वहां पहले रवि और उन के साथ की टीम के साथ मीटिंग हुई. उस के कुछ समय बाद ही लंच के बाद क्रिसन का औडिशन भी हुआ. औडिशन में वह सेलेक्ट भी हो गई. यह इतना जल्दी हुआ कि इस बारे में मांबेटी को और अधिक सोचने का मौका ही नहीं मिला. यहां तक कि उसी दिन दुबई में औपचारिक औडिशन और शूटिंग के लिए शेड्यूल भी निर्धारित कर लिया गया, वह अगले सप्ताह ही होना था.

दुबई जाने की तैयारी में जुट गई क्रिसन परेरा

सब कुछ परेरा के लिए एक सपने की तरह महसूस हुआ. उस ने मां से इस बारे में इशारे में बातें कीं. मां की आंखों में खुशी की झलक देखी. मां ने इशारोंइशारों में क्रिसन को दुबई जाने की अनुमति दे दी थी. वह भी अकेली. इस का एक कारण दुबई में उन के रिश्तेदारों का होना था. फिर क्या था, क्रिसन दुबई यात्रा की तैयारी में जुट गई. 3 दिन बाद ही तय कार्यक्रम के अनुसार खाड़ी देशों की इंटरनैशनल फ्लाइट का उस के नाम 27 मार्च, 2023 का टिकट बुक हो गया.

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क्रिसन के मेल और वाट्सऐप मैसेज में टिकट की पीडीएफ आ चुकी थी. किंतु टिकट देख कर वह चौंक पड़ी थी. उसे तो दुबई जाना था, लेकिन टिकट शारजाह की थी. इस बारे में उस ने रवि को फोन किया,

“औडिशन का स्थान बदल गया है क्या?”

“नहीं तो, वह दुबई में ही होगा. ऐसा क्यों पूछ रही हो?” रवि बोला.

“तो फिर मेरा टिकट शरजाह का क्यों भेजा?” क्रिसन संदेह जताती हुई बोली.

इस पर रवि हंसता हुआ बोला.” यही तुम लड़कियों के साथ समस्या है. हर बात पर संदेह करती हो. चिंता करने की बात नहीं है.” रवि समझाने लगा.

“चिंता क्यों नहीं होगी. कहां शारजाह और कहां दुबई? मां को क्या बोलूं?” क्रिसन बोली.

“दरअसल, दुबई की फ्लाइट महंगी है, इसलिए टिकट शारजाह का बुक किया गया है. वहां से उस का स्टाफ बाईरोड दुबई ले कर जाएगा. कितनी दूरी है मात्र 28 किलोमीटर… डोंट वरी.”

“ओके.” इसी के साथ क्रिसन खुद से बात करने लगी, ‘28 किलोमीटर यानी करीब 20 मिनट का सफर और!… चलो कोई बात नहीं!’ …और फिर क्रिसन ने खुद को आश्वस्त किया. नजर वहां आगे के कार्यक्रम पर डाली. उस के अनुसार उस का फाइनल औडिशन पहली अप्रैल को दुबई में होगा. इस से पहले उसे कंपनी द्वारा दुबई में ठहरने का इंतजाम किया गया था. मिली जानकारी के मुताबिक उसे शारजाह में हवाई अड्डे से उतरने से लेकर दुबई में ठहरने तक का समय भी निर्धारित कर लिया गया था. साथ ही मुंबई वापसी का टिकट के 3 अप्रैल का बुक होने की जानकारी भी दी गई थी.

कार्यक्रम के मुताबिक 27 वर्षीया क्रिसन परेरा मुंबई में इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर पहुंच गई थी. साथ में मां उसे छोडऩे आई थीं. कुछ समय में ही वहां रवि भी सीआफ करने के लिए आ गया था. उस के हाथ में एक ट्रौफी थी. उस ने क्रिसन को गुड जर्नी का विश करते हुए ट्रौफी उसे देने लगा. क्रिसन चौंकती हुई बोली, “यह ट्रौफी क्यों?”

“साथ में रख लो, औडिशन में जा कर दिखाओगी तब तुम्हारा इंप्रेशन बढ़ेगा.” रवि बोला.

तभी प्रमिला परेरा मुसकराती हुई बोलीं, “अरे वाह! अच्छा शगुन है. इंटरनैशनल वेब सीरीज शुरू होने से पहले ही ट्रौफी… क्या बात है.”

“ऐसा ही समझिए मांजी, यही तो शुभ संकेत है.” रवि ने भी मुसकराहट के साथ जवाब दिया. तब तक क्रिसन ट्रौफी अपने हाथ में ले कर मां को बैग से एक थैला निकालने को बोली. ट्रौफी को एक थैले में रख कर उसे संभाल कर पकड़ लिया और दूसरे हाथ से ट्राली बैग खींचती हुई एयरपोर्ट के अंदर चली गई थी.

जाना था दुबई पहुंची शारजाह

इस तरह टिकट से ले कर सामान तक चैकिंग के बाद ऐक्ट्रैस क्रिसन परेरा ने एक अंतरराष्ट्रीय बेब सीरीज के औडिशन में भाग लेने शरजाह के लिए फ्लाइट ले ली थी. वहां से उसे टैक्सी द्वारा दुबई के एक बड़े फाइव स्टार होटल तक पहुंचना था. जिस होटल में उस का औडिशन होना था, वहीं उस के नाम एक सुइट भी बुक था. सारी जानकारी उसे वाट्सऐप मैसेज से मिल चुकी थी.

शारजाह के व्यस्त एयरपोर्ट पर एयर इंडिया की फ्लाइट लैंड कर चुकी थी. उस वक्त करीबकरीब आधी रात बीत चुकी थी. क्रिसन प्लेन से बाहर निकल कर उस जगह पर पहुंची, जहां उसे अपने साथ दुबई के होटल ले जाने के लिए कंपनी स्टाफ के मौजूद होने की बात कही गई थी. किंतु वहां कोई नहीं मिला था.

वह अपने एक हाथ में ट्रौफी लिए हुए थी, जिसे उस ने एक थैले में डाल लिया था. पर्सनल बैग तिरछा कर कंधे से लगा रखा था. दूसरे हाथ से बगल में रखे ट्राली बैग का हैंडल थामे थी. वहां खड़ेखड़े 10 मिनट हो गए थे, लेकिन उस के नाम की किसी के हाथ में तख्ती नजर नहीं आ रही थी. जबकि कई टैक्सी वाले अपनेअपने यात्रियों के नाम की तख्ती हाथ में लिए आगंतुकों को दिखा रहे थे.

दूसरी तरफ क्रिसन की बेचैन नजरें उन्हें खोज रही थीं, जो उसे लेने के लिए एयरपोर्ट पर आने वाले थे. बीचबीच में अनाउंसमेंट पर भी ध्यान देती थी कि शायद दूसरे यात्रियों की तरह उस का नाम भी पुकारा जाए और बताया जाए कि कौन उसे लेने आया है.

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