प्रेमिका की हत्या का गवाह बना सूटकेस

एसएचओ ने घटनास्थल पर पहुंच कर देखा तो वहां वास्तव में एक सूटकेस अधजली हालत में पड़ा था. उसी के साथ कुछ अधजली लकड़ियों से पेट्रोल की गंध भी महसूस हुई. इस से उन्होंने अंदाजा लगाया कि किसी ने बाहर से यह सूटकेस यहां ला कर उस पर लकड़ियों रख कर पेट्रोल डाल कर जलाने की कोशिश की थी.

सूटकेस में एक युवती की लाश निकली, लेकिन वहां मौजूद लोगों में से कोई भी मृतका की शिनाख्त नहीं कर पाया तो यही लगा कि मृतका आसपास के क्षेत्र की रहने वाली नहीं होगी. मृतका की उम्र यही कोई 24-25 साल थी.

गुजरात के शहर राजकोट के बाहर ग्रामीण इलाके में गांव पदधारी के पास काफी जमीन बंजर पड़ी है. इस जमीन पर घास के अलावा और कुछ नहीं होता, इसलिए उधर लोग कम ही आतेजाते थे. केवल जानवर चराने वाले दोपहर बाद अपने जानवर ले कर चराने के लिए आते थे.

9 अक्तूबर, 2023 की दोपहर के बाद जब कुछ लोग अपने जानवर उस सुनसान बंजर जमीन पर चराने के लिए ले आए तो उन्हें ही वहां वह अधजला सूटकेस दिखाई दिया था.

उन लोगों ने इस बात की सूचना गांव के सरपंच कनुभाई परमार को दी. कुछ ही देर में कनुभाई गांव के कई लोगों के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. सभी को मामला गड़बड़ लगा.

सरपंच ने तुरंत इस की सूचना क्षेत्रीय थाना पदधारी में दे दी. सरपंच की सूचना पर ही थाना पदधारी के एसएचओ जी.जे. जाला सहयोगियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे थे.

घटनास्थल पर काफी लोग जमा थे. जिस स्थिति में लाश मिली थी, साफ था कि यह सुनियोजित हत्या कर लाश ठिकाने लगाने का मामला था. लाश की शिनाख्त जरूरी थी, इसलिए पुलिस ने आसपास का निरीक्षण शुरू किया कि शायद वहां कोई ऐसी चीज मिल जाए, जिस से लाश की शिनाख्त हो जाए.

काफी कोशिश के बाद भी वहां कोई ऐसी चीज नहीं मिली, जिस से लाश के बारे में कुछ पता चलता. सिर्फ एक गाड़ी के टायरों के निशान जरूर दिखाई दिए. वे निशान भी थोड़ा अलग थे. वे निशान किसी बड़ी गाड़ी के दिख रहे थे, क्योंकि वह निशान चौड़े टायरों के थे.

एसएचओ ने फोटोग्राफर के साथसाथ फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया था. घटनास्थल की सारी काररवाई करने के बाद पुलिस ने सूटकेस जब्त कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

थाने लौट कर एसएचओ जी.जे. जाला ने पूरे स्टाफ को बुला कर कहा, ”सब से पहले तो यह पता लगाओ कि आसपास के किसी गांव की इस उम्र की कोई युवती गायब तो नहीं है? इस के बाद यह पता करो कि जिले के किसी थाने में इस तरह की युवती की गुमशुदगी तो नहीं दर्ज कराई गई? क्योंकि लाश की जो हालत थी, उस से साफ लग रहा था कि उस युवती की हत्या कम से कम 3 दिन पहले हुई थी.

पुलिस अपने सूत्रों से यह पता लगाने में जुट गई कि लाश वाली युवती कौन हो सकती है? आसपास के ही नहीं, पूरे राजकोट के सभी थानों से पता किया गया कि किसी थाने में 24-25 साल की युवती की गुमशुदगी तो नहीं दर्ज कराई गई है. दुर्भाग्य से राजकोट के किसी थाने में उस तरह की युवती की कोई गुमशुदगी नहीं दर्ज थी.

कहीं किसी मुखबिर से भी सूचना नहीं मिल रही थी कि उस तरह की युवती कहां रहती थी और अब दिखाई नहीं दे रही है. जब जिले के किसी थाने से कोई जानकारी नहीं मिली तो एसएचओ ने अगलबगल के जिलों से पता किया. पर इस में भी उन्हें निराश ही होना पड़ा. अब क्या किया जाए, एसएचओ ने सहयोगियों के साथ सलाह मशविरा किया. क्योंकि बिना शिनाख्त के हत्यारे तक पहुंचा नहीं जा सकता था.

जब कोई सहयोगी उचित सलाह नहीं दे सका तो एसएचओ जी.जे. जाला ने खुद ही अपना दिमाग लगाया. उन्होंने वह सूटकेस मंगवाया, जिस में रख कर लाश जलाई गई थी. उन्होंने उस अधजले सूटकेस को उलटपलट कर देखा तो उस में उस के ब्रांड का नाम मिल गया यानी यह पता चल गया कि वह सूटकेस किस कंपनी का था.

यह पता चलते ही एसएचओ ने ड्राइवर से थाने की जीप निकलवाई और 2 सिपाहियों को साथ ले कर शहर में उस ब्रांड के सूटकेस के जितने भी शोरूम थे, सभी पर जा पहुंचे. लाश 9 अक्तूबर को मिली थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला था कि हत्या 6 अक्तूबर को की गई थी. इसलिए पहली अक्तूबर, 2023 से ले कर 8 अक्तूबर, 2023 तक उस ब्रांड के उस साइज के जितने भी सूटकेस बिके थे, शोरूमों से उन्हें खरीदने वालों के नाम, पते और फोन नंबर प्राप्त कर लिए.

पता चला कि इस बीच उस तरह के कुल 27 सूटकेस बिके थे. दरअसल, यह ब्रांडेड सूटकेस था और इस की वारंटी होती है, इसलिए वापसी का चक्कर रहता है. यही वजह थी कि इसे खरीदने वाला ग्राहक बिल में अपना पूरा नाम, पता और फोन नंबर लिखवाता है.

यह सब करते करते एक महीने का समय निकल गया था. यानी नवंबर महीना चल रहा था. थाने आ कर एसएचओ जी.जे. जाला ने उस बीच उस ब्रांड के सूटकेस खरीदने वाले एकएक आदमी को फोन करना शुरू किया. अपना परिचय दे कर एसएचओ उस के द्वारा खरीदे गए सूटकेस के बारे में पूछते तो हर आदमी सूटकेस खरीदने की वजह बताने के साथसाथ वीडियो काल पर सूटकेस भी दिखा देता.

किसी का सूटकेस किसी रिश्तेदार के यहां होता तो वह अपने रिश्तेदार से बात करा देता. अगर किसी से फोन पर बात न हो पाती तो जी.जे. जाला शोरूम से मिले पते के आधार पर उस के घर पहुंच जाते और पूरी बात बता कर उस के द्वारा खरीदे गए सूटकेस के बारे में पता करते.

इसी तरह एसएचओ जी.जे. जाला ने 26 सूटकेसों के बारे में पता कर लिया. जब उन्होंने 27वें आदमी को फोन किया तो वह बहाने बनाने लगा. कभी वह कहता कि सूटकेस कोई ले गया है तो कभी कहता कि जो सूटकेस ले गया है, अभी दे कर नहीं गया. जब जी.जे. जाला सूटकेस ले जाने वाले का पता पूछते तो वह पता बताने को तैयार नहीं होता.

मजबूर हो कर जी.जे. जाला राजकोट के गांधीग्राम इलाके के आत्मन अपार्टमेंट में रहने वाले उस व्यक्ति मेहुल चोटलिया के यहां पहुंच गए. जब वह आत्मन अपार्टमेंट पहुंचे तो अपार्टमेंट के नीचे उन्हें एक एसयूवी दिखाई दी, जिस के टायर उतने ही चौड़े थे, जितने चौड़े टायर के निशान घटनास्थल पर मिले थे. उस एसयूवी को देखते ही उन्हें लगा कि हो न हो, इसी आदमी ने उस घटना को अंजाम दिया होगा.

उस समय मेहुल चोटलिया घर पर ही था. पुलिस ने उस के फ्लैट की घंटी बजाई तो उस ने दरवाजा खोला. दरवाजे पर पुलिस देख कर वह घबरा गया. क्योंकि उस के मन में चोर था.

एसएचओ ने उस की शक्ल देख कर ही अंदाजा लगा लिया कि वह सही ठिकाने पर आ गए हैं. उन्होंने आने की वजह बताई तो वह सूटकेस दिखाने में पहले की ही तरह बहानेबाजी करता रहा.

पुलिस को उस पर शक तो था ही, इसलिए उन्होंने उस के फ्लैट की तलाशी ली तो उस के फ्लैट से ऐसी तमाम चीजें मिलीं, जिन का उपयोग महिलाएं करती हैं. लेकिन जब उस से पूछा गया कि उस के फ्लैट में तो कोई महिला है नहीं, यह सामान किस का है? तब पुलिस के इस सवाल का मेहुल कोई उचित जवाब नहीं दे सका.

तब पुलिस ने उस से तरहतरह के सवाल करने शुरू किए. मेहुल झूठ पर झूठ बोलता रहा. पुलिस उसे ले कर नीचे आई तो सामने ही उस की एसयूवी खड़ी थी. पुलिस ने जब उस एसयूवी के बारे में पूछा तो उस ने कहा कि यह गाड़ी उसी की है.

पुलिस ने उस गाड़ी के टायर एक बार फिर देखे तो वे वैसे ही थे, जिस तरह के निशान उस जली हुई लाश के पास पाए गए थे. एसएचओ जी.जे. जाला को पूरा विश्वास हो गया कि पदधारी गांव के पास सूटकेस में जो लाश जलाई गई थी, वह इसी मेहुल चोटलिया ने ही जलाई थी.

मेहुल को थाने ला कर पूछताछ शुरू हुई. मेहुल मानने को तैयार ही नहीं था कि वह लाश उसी ने जलाई थी. वह लगातार झूठ बोलते हुए इस बात से इनकार करता रहा. चूंकि पुलिस को अब तक काफी सबूत मिल चुके थे, इसलिए पुलिस भी लगातार उस से पूछताछ करती रही.

आखिर झूठ बोलते बोलते जब मेहुल थक गया तो उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने अपने साथ रहने वाली अपनी लिवइन पार्टनर आयशा मकवाना की हत्या कर उस की लाश वहां ले जा कर जलाई थी.

इस के बाद मेहुल ने आयशा से प्यार करने से ले कर उस की हत्या कर के लाश को सूटकेस में रख कर जलाने तक की जो कहानी सुनाई, वह कुछ इस प्रकार थी.

मेहुल चोटलिया राजकोट का ही रहने वाला था. होटल मैनेजमेंट की पढाई करने के बाद उसे राजकोट में ही एक होटल में मैनेजर की नौकरी मिल गई थी. मेहुल थोड़ा आजाद खयाल युवक था, इसलिए नौकरी लगने के बाद उस ने राजकोट के ही गांधीग्राम इलाके के आत्मन अपार्टमेंट में एक फ्लैट खरीद लिया था और उसी में अकेला ही रहने लगा था. उसे गाड़ी का शौक था, इसलिए उस ने चौड़े टायरों वाली एसयूवी कार खरीद ली थी.

आजाद खयाल मेहुल चोटलिया को होटल से अच्छा खासा वेतन मिलता था, इसलिए वह मौज से रहता था. उस के पास अब सब कुछ था, लेकिन कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी. मेहुल को गर्लफ्रेंड की कमी बहुत खलती थी. उस ने इस के लिए प्रयास करना शुरू किया तो एक दिन उसी के होटल में उस की मुलाकात आयशा मकवाना से हो गई.

24 साल की आयशा अहमदाबाद की रहने वाली थी. राजकोट में वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती थी और राजकोट में अकेली ही रहती थी. आयशा भी आजादखयाल थी. वह जीवन के सारे सुख भोगना चाहती थी, पर जिम्मेदारियों का बोझ नहीं उठाना चाहती थी.

ऐसा ही हाल लगभग मेहुल का भी था. इसलिए जब दोनों की मुलाकात हुई तो दोनों के विचार आपस में मिलने की वजह से उन में दोस्ती हो गई. यह दोस्ती जल्दी ही प्यार में बदल गई तो दोनों ने बिन फेरे हम तेरे बनने का फैसला कर लिया.

यानी वह लिवइन रिलेशन में रहने लगे. इस तरह साथ रहने को आज की नई पीढ़ी पसंद भी करती है. इस में रहते तो दोनों पतिपत्नी की तरह हैं, पर दोनों ही एकदूसरे के प्रति न तो जिम्मेदार होते हैं और न ही एकदूसरे का कहना मानते हैं और न ही एकदूसरे के लिए कुछ करना चाहते हैं. सिर्फ मौजमजे के साथी होते हैं.

मेहुल और आयशा भी इसी तरह लिवइन में साथसाथ पतिपत्नी की तरह रह रहे थे. रहते जरूर दोनों साथसाथ पतिपत्नी की तरह थे, लेकिन अपनी अपनी मरजी के मालिक थे, इसलिए दोनों में अकसर लड़ाई झगड़ा होता रहता था.

6 अक्तूबर, 2023 को भी किसी बात को ले कर मेहुल और आयशा में लड़ाई हो रही थी, तभी गुस्से में आयशा ने मेहुल को एक तमाचा मार दिया. एक लड़की हो कर आयशा ने एक मर्द मेहुल को तमाचा मार दिया था, इसलिए मेहुल से यह अपमान बरदाश्त नहीं हुआ और उस ने गुस्से में आयशा का गला इतनी जोर से दबा दिया कि उस की मौत हो गई.

गुस्से में मेहुल ने आयशा की हत्या तो कर दी, लेकिन अब पकड़े जाने का डर सताने लगा था. उसे पता था कि अगर पुलिस ने आयशा की हत्या के आरोप में उसे पकड़ लिया तो उस की बाकी की जिंदगी जेल में ही कटेगी.

यह 6 अक्तूबर की शाम घटना थी. उस ने आयशा की लाश को बैडबौक्स में छिपा दिया और इस बात पर विचार करने लगा कि वह आयशा की लाश को कैसे और कहां ठिकाने लगाए कि पुलिस उस की शिनाख्त न करा सके. क्योंकि अब तक वह इतना तो जान ही चुका था कि जब तक लाश की शिनाख्त नहीं हो सकेगी, तब तक पुलिस उस तक पहुंच नहीं पाएगी.

यही सोचते सोचते वो रात भी बीत गई और अगला पूरा दिन भी. 8 अक्तूबर को लाश से बदबू आने लगी. इस से मेहुल डर गया कि अगर बदबू ज्यादा बढ़ेगी तो पड़ोसी पुलिस को सूचना दे देंगे. तब वह पकड़ा जाएगा.

काफी सोचविचार कर वह बाजार गया और वहां एक सूटकेस के शोरूम से एक ट्रौली वाला सूटकेस खरीद लाया. उसे अंदाजा था कि आयशा की लंबाई ज्यादा नहीं है, इसलिए उस की लाश आराम से उस सूटकेस में आ जाएगी. चूंकि वह शोरूम ब्रांडेड सूटकेस का था, इसलिए बिल बनाते समय उस के नामपते के साथ फोन नंबर भी लिखा गया.

मेहुल सूटकेस ले कर घर आया और आयशा की लाश बैडबौक्स से निकाल कर उस सूटकेस में रख ली. इस के बाद उस ने लिफ्ट से सूटकेस नीचे उतारा और एसयूवी कार में रख कर पास के बाजार गया, जहां से उस ने लकडिय़ां खरीदीं. पेट्रोल पंप से एक बोतल पेट्रोल खरीदा और अपनी एसयूवी से शहर से बाहर ग्रामीण इलाके में आ गया.

कार चलाते हुए वह पदधारी गांव के पास पहुंचा तो गांव के पास उसे सुनसान इलाका दिखाई दिया. उस ने वहीं पर कार से सूटकेस निकाला और उस पर लकडिय़ां रखीं, फिर पेट्रोल डाल कर आग लगा दी.

जब तक लकडिय़ां जलती रहीं, वह वहीं खड़ा रहा. लकडिय़ों की आग बुझने लगी तो वह कार ले कर घर वापस आ गया. उसे जरा भी नहीं लग रहा था कि पुलिस उस तक पहुंच जाएगी, इसलिए निश्चिंत हो कर अपने घर में रह रहा था. लेकिन पुलिस 2 महीने बाद उस तक पहुंच ही गई.

थाना पुलिस ने अहमदाबाद में रहने वाले आयशा के घर वालों को सूचना दी. घर वालों ने आ कर लाश की फोटो देख कर शिनाख्त कर दी. पुलिस ने उन की डीएनए जांच भी कराई है. पूछताछ के बाद पुलिस ने मेहुल चोटलिया को राजकोट की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

किसी एक की नहीं हुई अनारकली

किसी एक की नहीं हुई अनारकली – भाग 3

अनारकली की बात पर बलराम ने भी बहस करनी जरूरी नहीं समझी. वह उसे समझाने की कोशिश करने लगा. पर उसी समय उस ने यह जरूर तय कर लिया था कि इस धोखेबाज औरत को वह सबक जरूर सिखाएगा. और यह काम उस के साथ रह कर संभव हो सकता था.

बलराम के दिल में कसक तो थी ही. वह बस मौके का इंतजार कर रहा था. बात 2 दिसंबर, 2016 की है. दोपहर के समय बलराम दशघरा गढ़ी स्थित अपने कमरे पर आया. उस के दिल में अनारकली के प्रति गुस्सा तो भरा ही हुआ था. बलराम ने उस के चरित्र को ले कर बात शुरू की तो अनारकली भड़क गई. दोनों तरफ से गरमागरमी होने लगी. तभी बलराम कमरे में स्लैब पर रखा अपना हथौड़ा उठा लिया और उस का एक वार उस के सिर पर किया.

हथौड़े के वार से अनारकली बेहोश हो कर गिर पड़ी और उस के सिर से खून निकलने लगा. इस के बाद उस ने उस की पीठ पर भी हथौड़े से कई वार किए. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

अनारकली की हत्या करने के बाद बलराम को तसल्ली हुई पर उस के सामने समस्या यह आ गई कि लाश को ठिकाने कैसे लगाए.

कुछ देर सोचने के बाद वह कमरे में रखा किचन में प्रयोग होने वाला चाकू उठा लाया. उस चाकू से उस ने अनारकली को कूल्हे के ऊपर से काट कर 2 हिस्सों में कर दिया. कमरे में बड़ेबड़े 2 ट्रैवल बैग रखे थे. उन में रखे कपड़े निकाल दिए. इस के बाद उस ने उन में लाश के टुकड़े रख दिए. फिर उस ने कमरे का खून साफ किया. अब वह अंधेरा होने का इंतजार करने लगा.

अंधेरा होने पर उस ने वह बैग उठाया, जिस में अनारकली का सिर और धड़ वाला भाग रखा था. उस बैग को रिक्शे में ले कर वह कैप्टन गौड़ मार्ग पर नाले के पास स्थित बसस्टैंड पर उतर गया. कुछ देर वहां बैठने के बाद जब उसे आसपास कोई दिखाई नहीं दिया तो उस ने उस बैग को नाले के किनारे झाडि़यों में डाल दिया.

एक बैग को ठिकाने लगाने के बाद वह कमरे पर आया और दूसरे बैग को रिक्शे में ले कर कैप्टन गौड़ मार्ग पर स्थित मसजिद के पास उतर गया.

फिर वहां से कुछ मीटर आगे चल कर उस ने वह बैग भगेल मंदिर के पास पुलिया के नीचे गिरा दिया. वह इलाका श्रीनिवासपुरी क्षेत्र में आता है. वहां से बह रहे बड़े नाले में 2 छोटे नाले भी जुड़े हुए हैं. वह बैग जिस में अनारकली के कूल्हे और पैर वाला भाग था, लुढ़क कर एक छोटे नाले के किनारे पहुंच गया.

दोनों बैग ठिकाने लगाने के बाद बलराम ने राहत की सांस ली. फिर कमरे की सफाई कर के खून से सनी चादर कूड़े के ढेर पर फेंक आया. इस के बाद वह ताला लगा कर अपने एक जानकार के यहां चला गया.

नोटबंदी के बाद जिस तरह जगहजगह नोट पड़े होने की खबरें सामने आई हैं, उसी तरह नाले के पास झाडि़यों में पड़े उस बैग को किसी व्यक्ति ने लालच में आ कर खोला होगा. पर नोटों की जगह उस में लाश देख कर उसे जरूर पसीना आ गया होगा. डर की वजह से वह बैग को खुला छोड़ कर भाग गया.

उधर भगेल मंदिर के पास छोटे नाले के पास जो बैग गिरा था, उसे कुत्तों ने फाड़ कर उस में से लाश निकाल कर खा ली. केवल एक टांग पर कुछ मांस बचा था. जानवरों की खींचातानी में वह हिस्सा नाले में गिर गया.

पुलिस ने एम्स की मोर्चरी में लाश के जो 2 हिस्से रखवाए थे, उन की डीएनए जांच की गई तो वह दोनों एक ही महिला के पाए गए. बलराम से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा और चाकू भी कमरे से बरामद कर लिया. खून से सनी चादर जहां फेंकी थी, पुलिस उसे वहां ले कर गई पर नगर निगम की गाड़ी वहां के कूड़े को ले जा चुकी थी, जिस से वह चादर वहां नहीं मिल सकी. पुलिस ने बलराम को भादंवि की धारा 302, 201 के तहत गिरफ्तार कर के साकेत कोर्ट में महानगर दंडाधिकारी अर्चना बेनीवाल की कोर्ट में पेश कर उसे 2 दिनों के रिमांड पर लिया.

रिमांड अवधि में संबंधित स्थानों की तसदीक कराने के बाद उसे फिर से कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक बलराम जेल में बंद था. मामले की विवेचना इंसपेक्टर राजेश मौर्य कर रहे हैं.

कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

किसी एक की नहीं हुई अनारकली – भाग 2

अब तक की जांच में मृतका के साथ रहने वाले बलराम पर ही शक जा रहा था, क्योंकि वह गायब था. पुलिस टीम उसे ढूंढने में जुट गई. इस काम में पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी लगा दिया. प्रवीण ने पुलिस को बताया था कि मृतका अनारकली का एक बेटा भी है जो चेन्नै में रहता है. पुलिस ने प्रवीण से उस का, अनारकली और उस के बेटे का फोन नंबर ले लिया. तीनों के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई.

इस के अलावा इन तीनों नंबरों के द्वारा जिन नंबरों से बात होती थी, उन की भी जांच की. इस जांच में अनारकली के फोन नंबर की लोकेशन उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले की आ रही थी.

अनारकली के इस नंबर से जिनजिन नंबरों से संपर्क हुआ था, उन सब को जांच के दायरे में लिया गया. इन में से एक नंबर दिल्ली के संगम विहार इलाके का मिला. संगम विहार के जिस व्यक्ति का यह नंबर था, वह एक औटो ड्राइवर था. पुलिस उस तक पहुंच गई. उस से पूछताछ की गई तो वह पुलिस को बेकसूर लगा.

उधर पुलिस की बलराम को ढूंढने की कोशिश जारी थी. फिर 7 दिसंबर, 2016 को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर बलराम को दिल्ली के नेहरू प्लेस मैट्रो स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि अनारकली उस के साथ 20 साल से लिवइन रिलेशन में रहती थी. पर उस ने हालात ऐसे खड़े कर दिए थे कि उसे उस की हत्या के लिए मजबूर होना पड़ा. बलराम ने उस की हत्या की जो कहानी बताई, चौंकाने वाली निकली.

अनारकली उर्फ अन्नू मूलरूप से चेन्नै की रहने वाली थी. उस के मातापिता बेहद गरीब थे, इस वजह से वह नहीं पढ़ सकी. उस के मोहल्ले की कई लड़कियां दिल्ली में नौकरी या फिर दूसरे कामधंधे करती थीं. अनारकली जब करीब 16 साल की हुई तो उस के पिता ने उसे काम करने के लिए मोहल्ले की लड़कियों के साथ दिल्ली भेज दिया.

वह कोई पढ़ीलिखी तो थी नहीं, जिस से उस की कहीं नौकरी लग जाती. कुछ कोठियों में उसे झाड़ूपोंछा आदि का काम जरूर मिल गया. बाद में उसे और कोठियों में भी काम मिलते चले गए. कई जगह काम करने से उसे महीने की अच्छी कमाई होने लगी. उन पैसों में से वह कुछ पैसे अपने मांबाप के पास भेज देती थी.

दिल्ली में साल भर काम करने के बाद अनारकली काफी चालाक हो गई थी. अब वह पहले वाली सीधीसादी अन्नू नहीं रह गई थी. उसी दौरान 17 साल की अनारकली उर्फ अन्नू की मुलाकात दुरक्कन नाम के युवक से हुई जो दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था. दुरक्कन 20-22 साल का युवक था. वह भी चेन्नै का रहने वाला था, इसलिए दोनों के बीच जल्द ही दोस्ती हो गई जो बाद में प्यार में बदल गई. अपने कामधंधे से निपटने के बाद दोनों मिलतेमिलाते रहते थे.

अनारकली अपने मांबाप से भले ही सैकड़ों किलोमीटर दूर रह कर अपने प्रेमी के साथ मौजमस्ती कर रही थी, इस के बावजूद भी इस की जानकारी उस के घर वालों को हो गई थी. इस बारे में जब उन्होंने अनारकली से बात की तो उस ने साफसाफ बता दिया कि वह दुरक्कन से शादी करना चाहती है. घर वालों ने उस की बात मानते हुए दुरक्कन से उस की शादी कर दी. इस के बाद वह पति के साथ दिल्ली में रहने लगी.

अनारकली और उस का पति दोनों कमा रहे थे, इसलिए उन की घरगृहस्थी बड़े आराम से चल रही थी. इसी दौरान वह एक बेटे की मां बन गई, जिस का नाम श्रीनिवासन रखा. प्यार से सभी उसे सनी कहते थे. शादी के 7-8 साल बाद दुरक्कन पत्नी को अकेला छोड़ कर कहीं चला गया. अनारकली ने अपने स्तर से जब पति के बारे में पता लगाया तो जानकारी मिली कि उस का किसी और लड़की से चक्कर चल रहा था. वह उस लड़की को ले कर चेन्नै भाग गया है. पति के इस विश्वासघात से अनारकली को बड़ा दुख हुआ.

वह दिल्ली में बेटे सनी के साथ अकेली थी. उस ने सनी को अपने मायके भेज दिया ताकि वह अपने नानानानी की देखरेख में पढ़ाई पूरी कर सके. अनारकली की उम्र उस समय करीब 24-25 साल थी. यह उम्र अकेले काटे से नहीं कटती. पति उसे धोखा दे कर चला गया था. उसी दौरान उस की मुलाकात बलराम नाम के व्यक्ति से हो गई.

बलराम प्लंबर था. वह मूलरूप से उड़ीसा के केंद्रपाड़ा जिले का रहने वाला था. वह शादीशुदा था, उस की पत्नी उड़ीसा में ही रहती थी. धीरेधीरे दोनों इतने नजदीक आ गए कि उन्होंने साथसाथ रहने का फैसला कर लिया. वे दोनों दक्षिणपूर्वी दिल्ली के थाना अमर कालोनी के गांव दशघरा गढ़ी में लिवइन रिलेशन में रहने लगे.

अनारकली ने घरों में काम करना बंद कर दिया. वह ईस्ट औफ कैलाश में स्थित नर्सरी के पास फुटपाथ पर चाय की दुकान चलाने लगी. बलराम का साथ मिलने पर अनारकली के जीवन में खुशहाली लौट आई थी. करीब 20 साल तक दोनों लिवइन रिलेशन में रहते रहे.

इस बीच बलराम समयसमय पर उड़ीसा स्थित अपनी पत्नी और बच्चों से मिलने चला जाता था. उस के 2 बेटियां और एक बेटा था. बीवी और जवान बच्चों को इस बात की भनक तक नहीं लग सकी थी कि वह दिल्ली में किसी औरत के साथ रह रहा है.

करीब डेढ़ महीने पहले बलराम उड़ीसा से दिल्ली लौटा तो अनारकली का व्यवहार कुछ बदला हुआ था. हालांकि अनारकली का सारा खर्च वह खुद उठाता था, इस के बावजूद भी वह उस के साथ रूखा व्यवहार कर रही थी. इतना ही नहीं, वह बिस्तर पर भी उसे अपने पास नहीं फटकने देती थी. बलराम को शक हो गया कि जरूर इस के किसी और से संबंध हो गए हैं. वह पता लगाने में जुट गया कि ऐसा कौन आदमी है.

बलराम ने जल्द ही इस बारे में जानकारी जुटा ली. उसे पता चला कि अनारकली के एक नहीं बल्कि 2 औटो ड्राइवरों से नाजायज संबंध हैं. यह जानकारी मिलते ही बलराम के तनबदन में आग सी लग गई. उस का मन तो कर रहा था कि वह अनारकली को अभी ऐसी सजा दे, जिसे वह जिंदगी भर न भूल सके. पर वह कोई बात सोच कर अपना गुस्सा पी गया.

उस ने शाम को अनारकली से उस के बदले व्यवहार के बारे में बात की तो वह उस के साथ लड़ने को आमादा हो गई. दोनों में कुछ देर बहस हुई और मामला शांत हो गया.

एक दिन बलराम दोपहर के समय कमरे पर पहुंचा तो दरवाजा अंदर से बंद मिला. किवाड़ के बीच में जो दरार थी, उस पर आंख गड़ा कर देखा तो कमरे के अंदर जल रही ट्यूबलाइट की रोशनी में सारा नजारा दिख गया. अनारकली एक व्यक्ति के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थी. इस के बाद तो बलराम का शक विश्वास में बदल गया.

बलराम ने दरवाजा खटखटाने के बजाय अनारकली को फोन लगाया तो उस ने स्क्रीन पर नंबर देखने के बाद अपना फोन स्विच्ड औफ कर दिया. इस के अलावा उस ने कमरे में जल रही ट्यूबलाइट भी बंद कर दी.

तब बलराम ने दरवाजा खटखटाया. करीब 4-5 मिनट बाद अनारकली ने दरवाजा खोला तो सामने बलराम को देख कर उस के होश उड़ गए. उसी दौरान कमरे में अनारकली के साथ जो युवक था, वह वहां से भाग गया. तब बलराम ने उस से उस युवक के बारे में पूछा तो अनारकली बोली, ‘‘कोई भी हो, तुम्हें उस से क्या मतलब?’’

‘‘मेरे होते हुए तुम किसी और को यहां नहीं बुला सकती.’’ वह बोला.

‘‘क्यों, मैं ने तुम्हारे साथ क्या शादी की है जो मुझ पर इस तरह से हुकुम चला रहे हो. अपनी जिंदगी मैं अपनी तरह से जिऊंगी. इस में कोई भी दखलअंदाजी नहीं कर सकता. इसलिए बेहतर यही है कि तुम इस मुद्दे पर ज्यादा बात मत करो.’’ अनारकली ने जवाब दिया.

बलराम उस का मुंह देखता रह गया. बात भी सही थी, उस ने अनारकली से शादी थोड़े ही की थी. दोनों का स्वार्थ था, इसलिए वे साथसाथ रह रहे थे. बलराम से जब उस का मन भर गया तो उस ने किसी और के साथ नजदीकी बना ली.

किसी एक की नहीं हुई अनारकली – भाग 1

3 दिसंबर, 2016 को सुबह करीब साढ़े 10 बजे दक्षिणपूर्वी दिल्ली के अमर कालोनी थाने के ड्यूटी अफसर को पुलिस कंट्रोलरूम से सूचना मिली कि कैप्टन गौड़ मार्ग पर नाले के किनारे बैग में किसी की लाश पड़ी है. उस दिन थानाप्रभारी उदयवीर सिंह किसी काम से बाहर गए हुए थे. उन की गैरमौजूदगी में थाने का चार्ज इंसपेक्टर राजेश मौर्य संभाले हुए थे. बैग में लाश मिलने की सूचना मिलते ही इंसपेक्टर राजेश मौर्य एसआई मनोज कुमार, हैडकांस्टेबल सुरेंद्र सिंह और महावीर सिंह को ले कर सूचना में बताए पते की तरफ निकल गए.

कैप्टन गौड़ मार्ग पर स्थित वह नाला थाने से करीब 2 किलोमीटर दूर था, इसलिए पुलिस टीम करीब 10 मिनट में ही वहां पहुंच गई. वहां पहले से काफी लोग खड़े थे. भीड़ को देख कर उधर से गुजरने वाले वाहन चालक भी वहां रुकरुक कर जा रहे थे. सभी लोग नाले के किनारे झाड़ी के पास पड़े उस काले रंग के ट्रैवल बैग को देख रहे थे. उस बैग का फ्लैप खुला हुआ था, जिस से उस में रखी लाश साफ दिखाई दे रही थी.

नोटबंदी के बाद जिस तरह आए दिन कूड़े के ढेर या अन्य जगहों पर करोड़ों रुपए मिलने के समाचार आ रहे हैं, उसी तरह इस बड़े बैग को भी नाले के किनारे किसी व्यक्ति ने देखा होगा तो पैसे मिलने की संभावना को देखते हुए उस ने इस बैग का फ्लैप खोल कर देखा होगा. लाश देख कर उस के होश फाख्ता हो गए होंगे. फिर वह बैग को ऐसे ही खुला छोड़ कर भाग गया होगा. लेकिन यह पता नहीं लग पा रहा था कि उस में रखी लाश किसी आदमी की है या किसी महिला की.

इंसपेक्टर राजेश मौर्य ने उस बैग का ऊपरी मुआयना कर के सूचना डीसीपी रोमिल बानिया, एसीपी सतीश केन, थानाप्रभारी उदयवीर सिंह के अलावा क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को दे दी. वहां मौजूद सभी लोग आपस में यही बातें कर रहे थे कि पता नहीं इस बैग में किस की लाश है. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम के आने के बाद बैग से जब लाश निकाली गई तो सभी हैरान रह गए.

किसी महिला की लाश का वह कूल्हे से ऊपर का हिस्सा था. बाकी नीचे का हिस्सा वहां नहीं था. वह औरेंज कलर की नाइटी पहने हुए थी. उस के सिर पर किसी भारी चीज से वार करने की चोट थी. उस की कलाई पर कलावा बंधा था. इस के अलावा हाथ की एक अंगुली में अंगूठी थी और गले में पीले रंग का धागा पड़ा हुआ था. महिला की उम्र यही कोई 40-45 साल थी.

बैग से या उस महिला की लाश से कोई ऐसी चीज नहीं मिली जिस से उस की शिनाख्त हो सके. वहां जितने भी लोग खड़े थे, उन में से कोई भी उस की शिनाख्त नहीं कर सका. इस से यही अनुमान लगाया गया कि शायद यह किसी दूसरे इलाके की होगी. पुलिस ने मृतका का पेट के नीचे का हिस्सा आसपास की झाडि़यों में तलाशा पर वह वहां नहीं मिला.

उसी दौरान डीसीपी रोमिल बानिया, एडिशनल डीसीपी राजीव रंजन, एम. हर्षवर्धन, एसीपी सतीश केन आदि भी वहां पहुंच गए. उन्होंने भी लाश का मुआयना किया और इंसपेक्टर राजेश मौर्य को जरूरी दिशानिर्देश दे कर चले गए. पुलिस ने जरूरी काररवाई करने के बाद लाश के आधे हिस्से को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की मोर्चरी में रखवा दिया.

पुलिस ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर मृत महिला की शिनाख्त की काररवाई शुरू कर दी. पुलिस ने महिला की लाश के फोटो लगे 4 हजार पैंफ्लेट छपवा कर इलाके में सार्वजनिक स्थानों पर चिपकवा दिए.

इतना ही नहीं, समस्त थानों में सूचना भेज कर यह भी पता लगाने की कोशिश की कि इस हुलिया से मिलतीजुलती कोई महिला लापता तो नहीं है. थानाप्रभारी उदयवीर सिंह जो बाहर गए हुए थे, लाश मिलने की खबर पा कर शाम तक थाने लौट आए. अगले दिन भी पुलिस टीम हर संभावित तरीकों से पता लगाने लगी कि आखिर यह महिला है कौन. पर कहीं से भी उस के बारे में कुछ भी पता नहीं लगा.

4 दिसंबर, 2016 को दोपहर 12 बजे पुलिस कंट्रोलरूम से थाना अमर कालोनी में सूचना मिली कि श्रीनिवासपुरी के क्यू ब्लौक में पास भगेल मंदिर के पास छोटे नाले में किसी महिला का पेट से नीचे का भाग पड़ा हुआ है. थानाप्रभारी उदयवीर सिंह और इंसपेक्टर राजेश मौर्य 15-20 मिनट में ही भगेल मंदिर के पास पहुंच गए.

क्योंकि एक दिन पहले उन्होंने जिस महिला की लाश बरामद की थी, उस का भी पेट से नीचे का हिस्सा गायब था. पुलिस जब भगेल मदिर के पास पहुंची तो वास्तव में वहां किसी महिला के पेट के नीचे का हिस्सा नाले में पड़ा हुआ था. उस के एक पैर पर मांस नहीं था. शायद उसे कुत्तों ने खा लिया होगा.

नाले के पास एक काले रंग का बैग पड़ा हुआ था. उस पर खून के निशान से लगा कि लाश का वह हिस्सा उसी बैग में रख कर लाया गया होगा. जिस जगह से पुलिस ने एक दिन पहले महिला का धड़ बरामद किया था, यह जगह वहां से कोई आधा किलोमीटर दूर थी. जरूरी काररवाई कर के उसे भी पुलिस ने एम्स की मोर्चरी में रखवा दिया. पुलिस ने नाले के पास से महिला का जो धड़ बरामद किया था, यह हिस्सा उसी महिला का है या नहीं, यह बात डाक्टरी जांच के बाद ही पता लग सकती थी.

बहरहाल, अब पुलिस का पहला मकसद मृतका की शिनाख्त करवाना था. पुलिस के पास लाश के जो फोटो थे, उन्हीं के माध्यम से वह उस की शिनाख्त में जुट गई. बीट का हरेक पुलिसकर्मी अपनेअपने इलाके के लोगों को वह फोटो दिखा कर उस के बारे में पूछने लगा. हैडकांस्टेबल सुरेंद्र भी इसी काम में लगे हुए थे. फोटो देख कर उन्हें अमर कालोनी क्षेत्र के ही एक व्यक्ति ने बताया कि यह महिला तो अन्नू की तरह लग रही है.

‘‘अन्नू…यह अन्नू कौन थी और कहां रहती थी?’’ हैडकांस्टेबल सुरेंद्र ने उस से पूछा.

‘‘सर, यह दशघरा गढ़ी गांव में ही कहीं रहती थी. पर मैं इस के एक रिश्तेदार प्रवीण को जानता हूं जो सपना सिनेमा के पास साउथ इंडियन व्यंजन की रेहड़ी लगाता है.’’ वह व्यक्ति बोला.

सुरेंद्र को यह सुन कर खुशी हुई कि शायद यहां से कुछ बात बन सकती है. वह उस व्यक्ति को ले कर थाना अमर कालोनी क्षेत्र में स्थित सपना सिनेमा के पास ले गए. प्रवीण वहीं मिल गया. हैडकांस्टेबल सुरेंद्र ने प्रवीण को महिला की लाश का फोटो दिखाया तो उस ने उसे पहचानते हुए कहा कि यह अनारकली उर्फ अन्नू हैं. रिश्ते में यह उस की मौसेरी सास (सास की छोटी बहन) हैं.

सुरेंद्र ने यह जानकारी थानाप्रभारी उदयवीर सिंह और इंसपेक्टर राजेश मौर्य को दी. दोनों पुलिस अधिकारी प्रवीण के पास ही पहुंच गए. पुलिस प्रवीण को ले कर दशघरा गढ़ी स्थित अनारकली के कमरे पर पहुंची. पर उस का कमरा बाहर से बंद मिला. करीब 45 कमरों वाला वह मकान श्रीराम नाम के एक शख्स का था. पुलिस ने श्रीराम को बुला कर बात की तो उस ने बताया कि अनारकली एक मद्रासन थी जो करीब 3 महीने पहले उस के यहां आई थी.

इस के साथ बलराम नाम का एक बंदा और रहता था. यह सन 2010 में भी इसी मकान में 6-7 महीने रह कर गई थी. उस समय भी बलराम इस के साथ रहता था. जिस कमरे में अनारकली रहती थी, उस के आसपास के कमरों में रहने वाले लोगों ने बताया कि यह 2 दिसंबर से दिखाई नहीं दे रही.

वहां खड़ेखड़े पुलिस को अनारकली के कमरे से बदबू आती महसूस हुई. पुलिस ने भगेल मंदिर के पास से महिला के पेट से नीचे वाला जो हिस्सा बरामद किया था, उस की अभी डाक्टरी रिपोर्ट नहीं आई थी इसलिए कहा नहीं जा सकता था कि वह उसी की लाश का हिस्सा है. थानाप्रभारी को लगा कि कहीं अनारकली की लाश का आधा भाग इस कमरे में तो नहीं रखा है, इसलिए उन्होंने मकान मालिक और अन्य लोगों के सामने कमरे का ताला तोड़ कर कमरे में खोजबीन की तो वहां सूखी हुई मछलियां मिलीं. वह बदबू उन्हीं से आ रही थी.

कमरे की जांच के दौरान दीवार पर खून के कुछ छींटे भी दिखे. वे छींटे मानव खून के थे या नहीं, यह जांच के बाद ही पता चल सकता था. लिहाजा उन्होंने फोरैंसिक विभाग को फोन कर दिया. डा. नरेश कुमार के नेतृत्व में एक फोरैंसिक टीम वहां आ गई. टीम को दीवार पर 6 जगह खून के छींटे मिले. इस के अलावा एलपीजी के छोटे सिलेंडर पर भी खून के छींटे मिले. कमरे में 3 चाकू मिले. फोरैंसिक टीम ने कमरे से सबूत इकट्ठे कर लिए.