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शादी के घर में बिछ गईं 6 लाशें

रंजना ने पुलिस को भी बताया कि उस के बाबा गजेंद्र सिंह तोमर काफी समझदार थे. 2013 में हुई वीरभान तोमर और सोबरन सिंह तोमर की हत्या के बाद आंसुओं में डूबे मृतक वीरभान और सोबरन के परिजन बदले की आग में परिवार के साथ किसी तरह की हैवानियत न कर दें, इसलिए बाबा ने अपने परिवार सहित पैतृक गांव को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था और वे अपने बेटेबहुओं और नातीनातिन को साथ ले कर अहमदाबाद के नारोलकोट में रहने लगे थे.

अहमदाबाद में बड़ा बेटा वीरेंद्र सिंह तोमर प्राइवेट नौकरी कर के किसी तरह अपने परिवार का भरणपोषण करने लगा था, लेकिन असल मुश्किल वक्त तब आया, जब 20 अक्टूबर 2013 को लेपा में हुई सोबरन और वीरभान की हत्या के मामले में 23 जनवरी, 2020 को वीरेंद्र सिंह तोमर को जेल जाना पड़ा, तब वीरेंद्र के परिवार पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा.

उस वक्त वीरेंद्र सिंह की दूसरे नंबर की बेटी रंजना सातवीं कक्षा में पढ़ रही थी. वीरेंद्र के जेल जाते ही उस की पत्नी केश कुमारी और रंजना के कंधों पर परिवार को चलाने की जिम्मेदारी आ गई. पैसे की तंगी के चलते वीरेंद्र सिंह की बड़ी बेटी वंदना को भी अपनी पढ़ाई बीच में ही छोडऩी पड़ी. वैसे भी वंदना का रिश्ता वीरेंद्र ने जेल जाने से पहले तय कर दिया था. इस वजह से वह अपनी मां, छोटी बहन और मौसी बबली के साथ काम पर भी नहीं जा सकती थी.

ऐसी विषम परिस्थितियों में वीरेंद्र की पत्नी केश कुमारी और छोटी बेटी रंजना धागे की एक फैक्ट्री में काम करने जाने लगे थे, लेकिन दुर्भाग्यवश कोरोना के दौरान धागा फैक्ट्री बंद हो गई. 2021 में वीरेंद्र ने महज 8 दिन के पैरोल पर आ कर जैसे तैसे बड़ी बेटी के हाथ पीले करने की रस्म अदा की और वापस जेल लौट गया.

वीरेंद्र जिन दिनों जेल में बंद था, उस दौरान रंजना से छोटी बहन शैलेंद्री को भी स्कूल जाना बंद करना पड़ा था. वक्त अपनी गति से बढ़ता रहा. दरअसल, अहमदाबाद में ही रह रहे नरेंद्र और उस की पत्नी बबली ने अपनी दोनों बेटियों संध्या और शिवानी का रिश्ता तय करने के साथ ही विवाह की तारीख भी तय कर दी थी, लेकिन ऐसा कोई नहीं जानता था कि इस तरह बेटियों की शादी करने से पहले ही बबली इस तरह दुनिया छोड़ कर चली जाएगी.

वैसे भी नरेंद्र एक पैर से अपाहिज होने के कारण कोई काम नहीं कर पाते थे, इसलिए बबली ही अहमदाबाद में अपनी बहन के साथ काम पर जा कर किसी तरह अपने परिवार का भरणपोषण करती थी. मां के मारे जाने का गम बबली की दोनों बेटियों के चेहरे पर साफ झलकता है.

जून में होने वाली अपनी शादी को ले कर दोनों बहनों में किसी तरह का उत्साह नहीं रह गया है. वे दोनों यह सोच कर परेशान हैं कि अगले महीने शादी के बाद हम दोनों अपनीअपनी ससुराल चली जाएंगी तो दिव्यांग पिता और छोटे भाई की देखभाल कौन करेगा?

पूरी प्लानिंग से हुआ हमला

5 मई, 2023 की सुबह ताबड़तोड़ फायरिंग हुई, जिस में एक के बाद एक 6 लाशें बिछ गईं. दरअसल, एक पखवाड़े पहले ही दोनों पक्षों में कोथर में रहने वाले नरेंद्र सिंह के घर पर धीर सिंह और वीरेंद्र में सुलह हो गई थी. वीरेंद्र से 7 लाख रुपए और मकान ले कर धीर सिंह तोमर ने सुलह के कागजात में स्पष्ट तौर पर लिखा था कि 2013 में हुई हत्या में आप लोग शामिल नहीं थे. हमारे दोनों गवाह कोर्ट में आप के पक्ष में बयान देंगे.

10 साल पहले पैतृक गांव छोड़ चुका गजेंद्र सिंह तोमर का परिवार पुराने झगड़े में विरोधी पक्ष से सुलह हो जाने के बाद धीर सिंह तोमर की चिकनीचुपड़ी बातों में आ कर अपने दिव्यांग बेटे नरेंद्र की दोनों बेटियों संध्या और शिवानी की शादी अपनी पैतृक हवेली से करने के लिए परिवार सहित लेपा लौटा था. गजेंद्र सिंह तोमर के परिवार को कतई अंदेशा नहीं था कि विरोधी पक्ष के धीर सिंह तोमर ने सोचीसमझी योजना के तहत ही मोटी रकम और मकान ले कर समझौता किया है.

हैरानी वाली बात यह है कि 2013 में रंजीत सिंह तोमर के हाथों मारे गए मृतकों के बेटों ने अपने पिता की मौत का बदला गजेंद्र सिंह तोमर के परिवार के 3 पुरुष और 3 महिलाओं को फिल्मी अंदाज में मौत के घाट उतार कर ले लिया. अजीत और भूपेंद्र की योजना इसी परिवार के रंजीत सिंह तोमर को भी मारने की थी, लेकिन घटना वाले दिन गजेंद्र सिंह के मना करने की वजह से रंजीत लेपा नहीं आया था.

हैवान बने अजीत सिंह ने नरेंद्र सिंह तोमर पुत्र गजेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह पुत्र गजेंद्र सिंह तोमर, विनोद सिंह पुत्र सुरेश सिंह तोमर को गोली मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया.

गजेंद्र सिंह तोमर के परिवार में कुल 29 सदस्य थे. उन के 6 बेटे थे वीरेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह, संजू सिंह, राकेश सिंह, सुनील सिंह और सत्यप्रकाश सिंह. अब इन में से 6 लोगों की हत्या कर दी गई है. परिवार में अब 23 सदस्य शेष बचे हैं.

10 लोगों के खिलाफ लिखाई नामजद रिपोर्ट

इस हत्याकांड का एक और दुखदाई पहलू यह है कि शुक्रवार की मनहूस सुबह गोलियों से भून डाली गई सुनील सिंह की पत्नी मधु तोमर 7 महीने की गर्भवती थी. हत्या का आरोप जिस पर लगा है, वह मुंशी सिंह तोमर का परिवार है. अब मुंशी सिंह तोमर के परिवार के सदस्यों के बारे में भी जान लेते हैं, इस के बाद समझेंगे कि इस नरसंहार में किस की, क्या भूमिका है.

मुंशी सिंह के 5 बेटे थे, रामवीर सिंह तोमर, सोबरन सिंह तोमर, धीर सिंह तोमर, शिवचरन सिंह तोमर और वीरभान सिंह तोमर. सब से बड़े बेटे रामवीर सिंह के 3 बेटे हैं, लेकिन इन का परिवार लेपा गांव से 3 किलोमीटर दूर मकान बना कर रहता है. इन का एक बेटा फौज में है, 2 प्राइवेट नौकरी करते हैं.

शुक्रवार को घटी घटना से इन का कोई लेनादेना नहीं है. दूसरे नंबर का बेटा सोबरन सिंह तोमर है, जिस की हत्या 2013 में गोबर डालने को ले कर हुए विवाद के चलते हो गई थी. सोबरन के 4 बेटे जगराम सिंह, राधेश्याम सिंह तोमर, बलराम सिंह तोमर, भूपेंद्र सिंह तोमर उर्फ भूरा हैं.

मुंशी सिंह के तीसरे बेटे धीर सिंह तोमर के 3 बेटे हैं. चौथे नंबर का बेटा शिवचरन दिव्यांग है. इस की अभी शादी नहीं हुई है, सब से छोटे वीरभान सिंह के 2 बेटे हैं. गजेंद्र सिंह परिवार के हत्याकांड में मुंशी सिंह के भाई सूरजभान का बेटा गौरव सिंह तोमर भी आरोपी बना है.

गजेंद्र सिंह के परिवार के साथ घटी घटना के बाद मृतक गजेंद्र सिंह तोमर के बेटे सुनील सिंह तोमर की तहरीर के आधार पर सिहोनिया थाने में भादंवि की धारा 302, 307, 323, 294, 506, 147, 148, 149 के तहत 10 आरोपयों भूपेंद्र सिंह, अजीत सिंह, सोनू तोमर, श्यामू, मोनू, रामू, गौरव, रज्जो, धीर सिंह और पुष्पा के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.

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