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आखिर डाक्टरों ने आपस में सलाह कर के मीनाक्षी की काउंसलिंग करवाने का फैसला लिया. यह बात उस की मां सुषमा को भी बता दी गई. काउंसलिंग एक्सपर्ट बुलवाया गया और डाक्टरों तथा मीनाक्षी की मां की मौजूदगी में 11 अगस्त, 2023 को मीनाक्षी की काउंसलिंग शुरू हुई.

काउंसलिंग एक्सपर्ट ने मीनाक्षी को अपने तरीके से विश्वास में ले कर प्यार से पूछा, “बेटा मीनाक्षी, मैं महसूस कर रहा हूं कि तुम्हारे भीतर कोई ऐसी बात गड्डमड्ड हो रही है, जिसे जुबान तक लाने में तुम झिझक रही हो. वही बात तुम्हें परेशान और बेचैन कर रही है. तुम अपने मन की बात होंठों पर लाओगी तो मन का बोझ कम हो जाएगा, तुम अपने आप को हलका महसूस करने लगोगी.”

मीनाक्षी की आंखों में आंसू आ गए. वह हिलक हिलक कर रोने लगी. काउंसलिंग एक्सपर्ट ने प्यार से उस का कंधा थपथपाया,

“कह दो बेटा, जो मन में है. तुम्हारी मदद के लिए डाक्टर हैं, तुम्हारी मम्मी हैं, मैं हूं.”

“अंकल…” मीनाक्षी रुंधे गले से बोली, “मेरा मुंहबोला मामा बहुत गंदा आदमी है. उस ने अपने घर ले जा कर मुझे अपनी हवस का शिकार बनाया.”

इस खुलासे ने डाक्टर और काउंसलिंग एक्सपर्ट को बुरी तरह चौंका दिया. सुषमा तो बेटी के साथ उस मुंहबोले भाई की दरिंदगी की बात सुन कर अपना होश खो बैठी. वह अपनी जगह पर बेहोश हो कर गिर पड़ी. नर्स उसे उठवा कर बेड पर ले गई और उसे होश में लाने की कोशिश करने लगी.

नशीला पदार्थ खिला कर इज्जत से खेला मामा

मीनाक्षी बोली, “पहली अक्तूबर को मैं मामा के साथ उस के घर गई थी. अभी उस घर में गए मुझे 8-10 दिन ही हुए थे. उस दिन सीमा मामी बाजार गई थी. उस के बच्चे स्कूल गए हुए थे. घर में मैं अकेली थी. सीमा मामी मुझे हिदायत दे गई थी कि मैं घर में ही अंदर से दरवाजा लौक कर के रहूं. मैं ने ऐसा ही किया. अभी मामी को गए हुए थोड़ी ही देर हुई थी कि दरवाजे की बेल बजी. मैं ने की-होल से देखा तो बाहर मुंहबोले मामा को खड़ा पाया. मैं ने दरवाजा खोल दिया. मामा ने अंदर आ कर दरवाजा लौक कर लिया.”

“क्या कर रही थी मीना?” उस ने प्यार से पूछा.

“कुछ नहीं अंकल. मामीजी बाजार गई हैं, सोच रही थी कुछ पढ़ाई कर लूं.”

“छोड़ो, तुम शाम को पढ़ लेना. आओ, मेरे पास बैठो. मैं तुम्हारे लिए ठंडी कोक लाया हूं. और पेस्ट्री भी.”

“मैं उस के पास पलंग पर बैठ गई तो उस ने एक कांच के गिलास में कोक डाल कर और प्लेट में पेस्ट्री रख कर मुझे दी. मैं पेस्ट्री खाने लगी. बीचबीच में मैं कोक भी पी रही थी. अभी मेरी कोक खत्म भी नहीं हुई थी कि मुझे जोर का चक्कर आया और मैं बिस्तर पर लुढक़ती चली गई. फिर मैं बेहोश हो गई थी.

“मुझे जब होश आया तो मुंहबोला मामा वहां नहीं था. मैं ने उठने की कोशिश की तो दर्द से तड़प गई. मेरी जांघों के जोड़ों में भयंकर दर्द था. मैं ने झांक कर देखा तो घबरा गई. मेरी जांघों पर खून फैला था और मेरी सलवार का नाड़ा खुला पड़ा था. सलवार पर भी खून लग गया था. मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया. मेरी समझ में इतना ही आया कि मेरे साथ मुंहबोले मामा ने गलत काम किया है.” मीनाक्षी कहतेकहते सिसकने लगी.

आपबीती सुन कर डाक्टर हुए आश्चर्यचकित

काउंसिलिंग एक्सपर्ट ने सहानुभूति से मीनाक्षी का सिर सहलाया, “आंसू कमजोर लोग बहाते हैं बेटी, तुम बहादुर बेटी हो. उस मुंहबोले मामा की असलियत बताओगी तो उसे हम सब कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने की कोशिश करेंगे. बोलो, आगे क्या हुआ?”

मीनाक्षी ने गालों पर लुढक़ आए आंसुओं को हथेलियों से पोंछा और फिर बताने लगी, “मैं हिम्मत बटोर कर जैसेतैसे बाथरूम तक गई. अपने खून को साफ किया. सलवार बदली और कमरे में बैठ कर मामी के आने का इंतजार करने लगी. सीमा मामी दोपहर में घर लौट कर आई. उसे देख कर मैं रोने लगी तो वह मुझे घूरते हुए बोली क्या हुआ, यह टेसुए क्यों बहा रही है? क्या हुआ है?”

“मामा ने मेरे साथ गलत काम किया है मामी.” मैं ने सुबकते हुए बताया.

“ऐ लडक़ी, क्या बकवास कर रही है.” सीमा मुझ पर चीखी, “तुझे अपने मामा पर ऐसा लांछन लगाते शरम नहीं आ रही है.”

“मैं झूठ नहीं बोल रही हूं.”

“मक्कार, बदचलन, मेरे पति पर झूठी तोहमत लगा रही है. वह तो सुबह ही ड्यूटी चले गए हैं.”

“वह घर आए थे, आप बाजार गई थी तब उन्होंने आ कर कालबेल बजाई थी. मैं ने उन के लिए दरवाजा खोला था…” मैं ने रोते हुए बताया, “वह मुझे अपने कमरे में ले गए, मुझे पेस्ट्री और कोक दी. मैं ने जैसे ही कोक पी, मैं बेहोश हो गई. उसी बेहोशी में मेरे साथ उन्होंने गलत काम किया. आप मेरी खून सनी सलवार देख लीजिए. वह मैं ने उतार कर रख दी है.”

“यह लडक़ी क्या बके जा रही है.” सीमा मामी ने अपना सिर थाम लिया. कुछ क्षण वह चुप रही तो मैं ने समझा कि वह मेरे साथ न्याय करेगी, मगर सिर से हाथ हटा कर उस ने चुप्पी तोड़ी.

वह मुझे गालियां देने लगी, “छोटे घर की बदजात लडक़ी, तेरी मां ने तुझे यहां मेरे पति को फांसने के लिए भेजा है. मेरे पति की दौलत पर तेरी मां की नजर है, उस ने तुझे सिखापढ़ा कर भेजा है कि सीमा के पति को अपनी जवानी के जाल में फंसा लेना फिर हम लोगों की गरीबी दूर हो जाएगी.”

“यह गलत है.” मैं तैश में चिल्ला पड़ी, “हम गरीब हैं, लेकिन ऐसी ओछी हरकतें नहीं करते.”

“ओह, तू चिल्लाना भी जानती है. ठहर, मैं तेरी जुबान बंद करती हूं.” सीमा मामी ने कहा और जा कर दूसरे कमरे में रखा डंडा उठा लाई. वह मुझे डंडे से पीटने लगी. मैं रोती चीखती रही, लेकिन सीमा को मुझ पर दया नहीं आई. उस ने मुझे जी भर कर मारा और एक कमरे में बंद कर दिया. मुझे उस दिन खाना भी नहीं दिया गया. मै बंद कमरे में पड़ी रोती रही.

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मीनाक्षी की आपबीती सुन कर बुलानी पड़ी पुलिस

“मुंहबोले मामा ने एक बार नहीं, मुझे 4 बार अपनी गंदी सोच का शिकार बनाया.” मीनाक्षी ने बताया, “उस की इस बुरी हरकत में मामी भी बराबर की भागीदार बनती रही. उस का पति अपनी इच्छा पूर्ति करने के लिए मुझे धोखे से नशीली दवा मिली चीज खिला देता था. मामी उस वक्त घर में ही होती थी.

“वह एक प्रकार से अपने पति को मौका देती थी. मैं होश में आने पर मामी को मामा की हरकत के बारे में बताती थी तो मेरा पक्ष लेने के बजाय वह पति का पक्ष लेती. मुझे पीटने लगती और लांछन लगाती कि मैं उस के पति को गलत काम करने के लिए उकसाती हूं. मैं बहुत डरी हुई और टेंशन में जी रही थी कि मेरे साथ ऐसी घटना घटी कि मैं न मरे में रह गई न जीवित में.”

“ऐसी क्या बात हुई थी मीनाक्षी बेटी?” काउंसलिंग एक्सपर्ट ने हैरानी से पूछा.

“मैं गर्भ से हो गई थी अंकल!” मीनाक्षी ने धीरे से बताया.

“ओ माई गौड.” डाक्टर्स और काउंसलिंग एक्सपर्ट चौंक कर एक साथ बोल पड़े.

“यह बात तुम ने सीमा को बताई होगी?” एक्सपर्ट ने पूछा.

“हां, बताई थी. उस ने अपने बेटे से प्रेंगनेंसी जांच किट मंगवा कर मेरी प्रेगनेंसी जांच की और प्रेग्नेंट होने पर बाजार से एबार्शन (गर्भ गिराने) की दवा ला कर मुझे जबरन खिलाई. उस के बाद से मैं वहां से अपने घर जाने के लिए लगातार मां को फोन कर रही थी. मैं 4 महीने उस गंदी नीयत वाले मुंहबोले मामा के घर रही. उस ने मेरी जिंदगी बरबाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है अंकल..” मीनाक्षी की आंखों से आंसुओं का सैलाब फूट पड़ा.

क्या मीनाक्षी को न्याय मिलेगा? या आरोपी अपनी ऊंची पहुंच की वजह से बच जायेगा? जानने के लिए पढ़िए सोशल क्राइम स्टोरी का अगला भाग. 

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