Delhi News : प्रताप सिसोदिया और सिद्धार्थ शर्मा ने एक करोड़ रुपए की फिरौती के लिए ज्वैलर मुकेश वर्मा के बेटे उत्कर्ष का अपहरण तो कर लिया लेकिन पुलिस की सक्रियता देख कर वे घबरा गए. बच्चे से छुटकारा पाने की उन्होंने जो चाल चली, उसी चाल ने उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. उत्कर्ष दोपहर सवा दो, ढाई बजे तक स्कूल से अपने घर लौट आता था, लेकिन 18 नवंबर को वह समय पर घर नहीं लौटा तो उस की मां ममता

सोचने लगीं कि पता नहीं उत्कर्ष अभी तक क्यों नहीं आया. अब तक तो वह आ जाता था. उन्होंने दरवाजे के बाहर झांक कर देखा. उन्हें बेटा आता हुआ नहीं दिखा तो उन्होंने कैब ड्राइवर गुरमीत को फोन किया. गुरमीत ने उन्हें बताया कि उस ने उत्कर्ष को करीब 2 बजे सत्संग रोड झील चौक पर उतार दिया था. गुरमीत उत्कर्ष को झील चौक पर छोड़ता था और वहीं से सुबह के समय स्कूल ले जाता था. वहां से करीब 100 मीटर दूर संकरी गली में उत्कर्ष का मकान था. उस गली में भीड़भाड़ रहने की वजह से कैब उस के घर तक नहीं जा सकती थी. इसलिए वह वहां से पैदल ही घर चला जाता था.

कैब ड्राइवर की बात सुन कर ममता चौंक गईं कि जब उसे झील चौक पर उतार दिया था तो वह अभी तक घर क्यों नहीं आया? वह कहां चला गया? इसी तरह के कई विचार उन के दिमाग में आए. उन्होंने कोठी में काम करने वाले एक नौकर को तुरंत बेटे को ढूंढने के लिए झील चौक की तरफ भेजा. कुछ देर बाद नौकर ने वापस आ कर जब बताया कि उत्कर्ष उधर नहीं मिला तो वह परेशान हो गईं. वह खुद भी उस जगह पर गईं जहां कैब ड्राइवर उन के बेटे को उतारता था. झील चौक से उन के घर तक व्यस्त बाजार है. गली के दुकानदार भी उत्कर्ष को पहचानते थे.

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