Delhi News: लाल किले के पास हुए ब्लास्ट के बाद जांच एजेंसियों को जो जानकारी मिली, उस से खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ चुकी है. अल फलाह यूनिवर्सिटी में डौक्टरों ने जिस तरह आतंक का मौड्यूल तैयार किया, वह देश में बड़ी तबाही करने का प्लान था. आखिर उच्चशिक्षित लोग आतंक के दलदल में क्यों उतरे?

वैसे दिल्ली का दिल तो कनाट प्लेस को कहते हैं, लेकिन पुरानी दिल्ली में लालकिला के सामने चांदनी चौक के प्रवेश द्वार पर जिंदगी की जो चहलपहल और राहगीरों का जो जमावड़ा रहता है, असल में वही दिल्ली का असली दिल लगता है. 10 नवंबर, 2025 की शाम 6 बज कर 50 मिनट हो चुके थे. सोमवार को हालांकि लाल किला का पटरी बाजार बंद रहता है, लेकिन सप्ताह का पहला दिन होने के कारण और सूर्यास्त के कारण आसपास के बाजारों की भीड़ की चहलपहल से यह इलाका भी अपने शबाब पर पूरी तरह गुलजार था.

लाल किले के गेट नंबर एक से आवागमन कर रहे लोगों को अपने अगलबगल होने वाली किसी भी हलचल से मानो कोई मतलब ही नहीं हो. लोग इधर से उधर ऐसे दौड़ रहे थे, जैसे यहां कोई कयामत आने वाली हो. किसी को गुमान भी नहीं था कि अगले कुछ सेकेंड में वाकई में कयामत ही आने वाली थी. मेट्रो के गेट नंबर एक से करीब 70 मीटर दूर रेड लाइट पर ठीक 6 बज कर 53 मिनट पर सफेद रंग की एक आई 20 कार में अचानक जोरदार धमाका हो गया.

धमाका कितना जोरदार था, इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि लाल किला मेट्रो में जमीन के 40 फीट नीचे तक धमाके का असर देखने को मिला था. मेट्रो में जमीन के 40 फीट नीचे तक हर चीज कंपन से हिलती नजर आई. धमाके के बाद का कंपन इतना ज्यादा था कि धमाका होते ही पूरा लाल किला मेट्रो स्टेशन कांप गया.

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