‘‘शिवम, तुम को केवल गलतफहमी है, मेरा तुम्हारे अलावा किसी से कोई संबंध नहीं है. जब एक बार हमारी शादी तय हो गई तो ऐसे कैसे छोड़ सकते हो? इस से मेरी बदनामी होगी.’’ 19 साल की रोशनी ने अपने मंगेतर शिवम को समझाने की कोशिश करते हुए कहा.

रोशनी गांव के परिवेश में पलीबढ़ी थी, जहां लड़की का रिश्ता एक बार तय होने के बाद अगर टूट जाए तो सारी जिम्मेदारी लड़की पर डाल दी जाती है. सब उसी पर ही अंगुली उठाते हैं. इस से बचने के लिए लड़की हर तरह का समझौता करती है.

गांव हो या शहर, अगर 2 लोगों में से किसी एक के मन में अविश्वास की रेखा खिंच जाए, तो फिर उस का मिटना आसान नहीं होता. शिवम की हालत भी कुछ ऐसी ही थी. वह रोशनी की बात समझ तो रहा था पर उस की बात पर यकीन नहीं कर पा रहा था.

उस ने कहा, ‘‘रोशनी, जो भी हो पर मेरा मन तुम्हारी बातों पर यकीन नहीं कर पा रहा है. ऐसे में हम शादी जैसा बड़ा कदम कैसे उठा सकते हैं. अगर हम शादी कर भी लें तो हमारा जीवन सहज नहीं रह पाएगा. अविश्वास की रेखा जिंदगी भर कचोटती रहेगी.’’

‘‘शिवम, तुम कुछ भी कहो पर मैं इस रिश्ते को जीवन भर निभाने के लिए तैयार हूं. तुम्हें मेरी तरफ से कोई शिकायत नहीं मिलेगी.’’ रोशनी किसी भी तरह अपने रिश्ते को बचाने की कोशिश कर रही थी. उसे पता था कि शादी टूटने का सारा असर उसी पर पड़ेगा. घरबाहर सब उसी को दोष देंगे. पर शिवम टस से मस नहीं हो रहा था.

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