Hindi Story : 3 वर्षीय सिया के गायब होने के अगले दिन ही पुलिस ने एक बच्चे की अधजली लाश बरामद की थी, जिसे सिया के घर वालों ने पहचानने से इनकार कर दिया था. जिस से पुलिस के लिए यह केस चुनौती बन गया था. लेकिन जब बाद में पुलिस को इस अज्ञात लाश की डीएनए रिपोर्ट मिली, उस से न सिर्फ सिया के केस का खुलासा हुआ बल्कि…
16 अगस्त, 2021 को थाना सिविललाइंस, मुरादाबाद को एक रजिस्टर्ड डाक मिली, जो विधिविज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ से भेजी गई थी. वह एक डीएनए रिपोर्ट थी. जिस में बताया गया था कि सिविललाइंस थाने में मुकदमा संख्या 922/18 धारा 363 आईपीसी के तहत जिस अज्ञात शव का सैंपल डीएनए जांच के लिए भेजा था, वह शव गौतम की लापता 3 वर्षीय बच्ची सिया का ही है. थाना सिविललाइंस को इस रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार था. इस रिपोर्ट के आते ही मुरादाबाद पुलिस महकमे में हलचल मच गई थी.
यह जानकारी एसपी और सीओ के संज्ञान में आई तो उन्होंने तुरंत ही इस केस का खुलासा करने का आदेश दिया. यह मुरादाबाद नगर का 3 साल पुराना मामला था, जिस ने पूरे विभाग को हिला कर रख दिया था. अब से लगभग 3 साल पहले 5 सितंबर, 2018 को मुरादाबाद हैलट रोड झुग्गी निवासी गौतम पुत्र टुंगल सिंह की 3 वर्षीय बच्ची सिया घर के सामने खेलते समय अचानक गायब हो गई थी. पहले तो गौतम सिंह के परिवार ने अपने स्तर से बच्ची का पता लगाने की कोशिश की, लेकिन जब उस का कहीं भी पता नहीं चला तो बाद में 6 सितंबर, 2018 को थाना सिविललाइंस में बच्ची के अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिस को सिविललाइंस थाने में मुकदमा संख्या 922/18 धारा 363 आईपीसी बनाम अज्ञात के नाम पंजीकृत किया गया था.
इस केस के दर्ज होते ही पुलिस ने काफी भागदौड़ की, लेकिन उस बच्ची का कहीं भी पता न चल सका था. पुलिस इस मामले को गंभीर मान कर भागदौड़ कर ही रही थी कि उसी शाम 6 सितंबर, 2018 को दिल्ली हाइवे से सटी रेलवे कालोनी के पीछे झाडि़यों में कूड़ा फेंकने गई एक युवती नीरू सागर ने एक बच्चे का अधजला शव देखा. शव को देखते ही युवती हड़बड़ा गई. घर पहुंचते ही उस ने इस की जानकारी अपने पति और देवर को दी. देखते ही देखते बच्चे का शव मिलने की खबर पूरी कालोनी में फैल गई थी. एक मासूम का शव देख लोग सकते में आ गए थे. तभी इस बात की सूचना सिविललाइंस थाने को दी गई थी. इस से एक दिन पहले ही एक बच्ची के अपहरण को ले कर नगर का माहौल गर्म बना हुआ था.
पुलिस उस की गुत्थी सुलझा नहीं पाई थी कि एक रात में ही यह दूसरा मामला आ खड़ा हुआ था. इस सनसनीखेज खबर के मिलते ही पुलिस महकमे के हाथपांव फूल गए. इस सूचना के मिलते ही तत्कालीन थानाप्रभारी सुधीरपाल धामा व सीओ सिविललाइंस अपर्णा गुप्ता पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंची थीं. घटनास्थल पर पहुंचते ही पुलिस ने अपनी जांचपड़ताल शुरू की. शव को जलाने की कोशिश की गई थी. शव के पेट के नीचे का हिस्सा काफी जल गया था. चेहरे के जलने के कारण उस बच्चे की पहचान भी नहीं हो पा रही थी. वह शव लड़के का है या लड़की का, यह भी देखने से स्पष्ट नहीं हो पाया था. फिलहाल पुलिस मृतक बच्चे की उम्र 5 से 6 साल के बीच मान कर चल रही थी.
हालांकि घटनास्थल के पास ही रेलवे गोदाम है. यहां पर सुनसान होने के कारण आपराधिक घटनाओं के मद्देनजर रेलवे स्टेशन से आउटर क्षेत्र तक आरपीएफ की गश्त रहती थी. यही नहीं रेलवे कालोनी भी इस क्षेत्र से लगी हुई है. यहां पर पीआरवी की ड्यूटी भी घटनास्थल के पास ही रहती है. इतना बंदोबस्त होने के बावजूद भी किसी ने उस बच्ची के शव को लाते ले जाते नहीं देखा था. घटनास्थल पर पड़े शव को देख कर यह साफ जाहिर हो गया था कि बच्चे को कहीं अन्यत्र जला कर यहां पर ला कर डाला गया था. बच्चे की लाश को झाडि़यों के ऊपर इस तरह से डाला गया था कि आनेजाने वालों को साफ दिखाई दे सके.
उस झाड़ी के आसपास कहीं भी कूड़ा जलने की कोई पहचान भी नहीं थी. शव को सूखी घास पर फेंका गया था. पुलिस ने इस बच्चे के शव की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन वहां पर मौजूद सभी लोगों ने उस बच्चे को पहचानने से इंकार कर दिया था. पुलिस ने गायब बच्ची सिया के परिवार वालों से बात कर उन्हें भी मौके पर बुलाया. लेकिन उस बच्चे के शव को देखते ही उस के परिवार वालों ने उसे अपनाने से इंकार कर दिया था. उन का कहना था कि न तो उन की बेटी इतनी लंबी थी और न ही उस का डीलडौल ऐसा था. जबकि पुलिस का मानना था कि वह शव गायब सिया का ही था.
उस का सब से बड़ा कारण यह था कि न तो मृत बच्ची की शिनाख्त करने के लिए ही कोई आया था और न ही किसी अन्य बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट किसी थाने में दर्ज थी. घर वालों ने किए धरनाप्रदर्शन इस के बावजूद भी गायब बच्ची के परिवार वाले उस बात से नाराज हो कर हंगामा करने पर तुले थे. उस वक्त उन लोगों ने कई दिन तक सीओ और एसएसपी औफिस के सामने बच्ची की बरामदगी को ले कर प्रदर्शन भी किया था. जब पुलिस के काफी हाथपांव मारने के बाद भी उस बच्चे की शिनाख्त नहीं हो पाई तो पुलिस ने इस मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर बच्ची की पहचान होने तक उस के शव को मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया था.
जब 72 घंटे गुजर जाने के बाद भी शव की पहचान नहीं हो पाई तो पुलिस ने बच्चे की लाश का पोस्टमार्टम कराया तो पता चला कि वह एक बच्ची का शव था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार बच्ची के साथ पहले रेप हुआ और फिर गला दबा कर उस की हत्या की गई थी. हत्यारों ने बच्ची के साथ पूरी दरिंदगी दिखाई थी. सिविललाइंस के पूर्व प्रभारी सुधीर पाल धामा ने फिर भी सूझबूझ से काम लिया. सिया के परिवार वालों ने भले ही उस बच्ची को पहचानने में चूक की थी. लेकिन उन का कहना था कि मृत बच्ची सिया ही है. यही कारण रहा कि थानाप्रभारी सुधीर पाल ने मिले शव को सिया का शव मान कर ही उस मामले में अपहरण के साथ हत्या और साक्ष्य छिपाने का आरोप लगा कर दूसरा मुकदमा भी दर्ज कर लिया था.
उस के साथसाथ ही सुधीर पाल धामा ने बच्ची सिया के पिता गौतम और उस की पत्नी रेनू का ब्लड सैंपल ले कर अस्थियों का सैंपल करा कर डीएनए जांच के लिए लखनऊ प्रयोगशाला में भेजा था. जिस का पुलिस काफी समय से इंतजार कर रही थी. बच्ची के परिवार वालों के बारबार हंगामा करने पर पुलिस ने हर जगह पर बच्ची का पता लगाने की कोशिश की थी, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. उसी तहकीकात के दौरान पुलिस को एक अहम जानकारी मिली थी. गौतम के घर के पास ही हैदर नाम के व्यक्ति की दुकान थी. पुलिस पूछताछ के दौरान हैदर ने बताया था कि 5 सितंबर, 2018 की शाम को रवींद्र नाम का युवक बच्ची को साथ ले कर उस की दुकान पर आया था. बच्ची को टौफी दिलाने के बाद वह उसे अपने साथ ही ले गया था.
यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने रवींद्र को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया था. लेकिन उस वक्त रवींद्र ने बच्ची को टौफी दिलाने वाली बात तो स्वीकार की थी. उस के बाद उस ने बच्ची को घर के सामने छोड़ने वाली बात कहते हुए अपनी सफाई दी थी. रवींद्र का गौतम के घर पहले से ही आनाजाना था. उसी जानपहचान के कारण पुलिस रवींद्र पर ज्यादा दबाव नहीं बना पाई थी. फिर भी पुलिस ने रवींद्र और उस के एक साथी मिंटू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. लेकिन आरोपियों के प्रति कोई ठोस सबूत न मिलने के कारण कुछ ही दिनों में दोनों जमानत जेल से छूट कर बाहर आ गए थे.
बच्ची की दादी ने कस ली कमर बच्ची सिया की दादी रानी इस मामले को ले कर काफी गंभीर बनी हुई थी. उस ने प्रण किया था कि चाहे कुछ भी हो, वह अपने जीते जी अपनी पोती के हत्यारों को जेल भिजवा कर ही दम लेगी. यही कारण रहा कि रानी ने कई बार अपने साथियों के साथ सिविललाइंस थाना व सीओ के औफिस के सामने धरनाप्रदर्शन भी किया था. जिस की सक्रियता के चलते ही पुलिस पर बच्ची के हत्याकांड को खोलने के लिए बारबार दबाव बन रहा था. इस डीएनए रिपोर्ट के आने से जहां एक तरफ पुलिस ने राहत की सांस ली थी, वहीं बच्ची के परिवार वालों ने फिर से बच्ची के हत्यारों तक पहुंचने के लिए पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था.
पुलिस पर पड़ रहे दबाव के कारण ही इस केस की विवेचना इंसपेक्टर (क्राइम) गजेंद्र त्यागी को सौंपी गई. मासूम के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना का खुलासा करने के लिए गजेंद्र त्यागी के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई गई, जि समें एसएसआई वीरेंद्र सिंह, सिपाही सोनू सिंह, सोनू कुमार और महिला सिपाही टीना को शामिल किया गया था. इस केस की विवेचना मिलते ही इंसपेक्टर गजेंद्र त्यागी ने इस केस की फाइल खोली. फाइल खोलते ही उन का शक भी सब से पहले रवींद्र और उस के साथी मिंटू की तरफ गया. गजेंद्र त्यागी की टीम ने इस केस की तह तक जाने के लिए सब से पहले पूछताछ के लिए सिविललाइंस के फकीरपुरा निवासी रवींद्र, जिला बिजनौर के थाना धामपुर के गांव बसैड़ा निवासी मिंटू पुत्र राजू को अपनी रडार पर रखते हुए गिरफ्तार किया.
दोनों से कड़ी पूछताछ की गई. लेकिन फिर भी रवींद्र ने अपना पहले का बयान अलापना जारी रखा. उस का कहना था कि उस ने सिया को दुकान से टौफी दिला कर उस के घर के सामने ही छोड़ दिया था. उस के बाद सिया कहां गई, उसे कुछ नहीं मालूम. इस केस के घटित होने से पहले गौतम के घर रवींद्र बहुत आताजाता था. लेकिन उस के बाद उस ने एक बार भी उस घर की तरफ झांक कर नहीं देखा था. रवींद्र गौतम की मां रानी को वह मौसी कहता था, जिस के कारण रानी भी उस पर बहुत विश्वास करती थी. रवींद्र और उस का साथी मिंटू शराब के साथसाथ भांग का नशा भी करते थे. जिस के कारण गौतम के परिवार का शक उस के प्रति गहरा गया था.
इस जानकारी के अनुसार ही पुलिस ने रवींद्र और उस के साथी मिंटू पर थोड़ी सख्ती बरती तो दोनों ही टूट गए. पुलिस के सामने दोनों ने स्वीकार किया कि नशे की हालत में उन से कुकर्म हो गया. सच हुआ उजागर रवींद्र ने अपना जुर्म कुबूलते हुए पुलिस को बताया कि उस रात मिंटू के साथ बैठक कर उस ने कुछ ज्यादा ही शराब पी थी, जिस के बाद दोनों ही हैवान बन गए थे. सिया उन के सामने आई तो मिंटू ने उस के साथ कुकर्म करने के लिए उकसाया. जिस के बाद दोनों ने उस के साथ दरिंदगी दिखाते हुए अपनी हवस मिटाई थी. इस सनसनीखेज हत्या का खुलासा होते ही इस से सबंधित जो जानकारी हासिल हुई, वह इस प्रकार थी.
मुरादाबाद रेलवे स्टेशन के नजदीक ही होटल रोड स्थित फकीरपुरा मोहल्ला बसा है. इसी मोहल्ले की मेन सड़क पर झुग्गी डाल कर रहता है गौतम का परिवार. गौतम के 3 बच्चों में बेटी सिया सब से बड़ी थी. सिया तेजतर्रार और बोलने में चतुर थी. गौतम के घर के पास ही रवींद्र का घर भी था. गौतम की मां रानी पहले से ही राजनीति से जुड़ी हुई थी. उसी के चलते उस की उस इलाके में अच्छी बात भी थी. रवींद्र का जो भी कोई छोटामोटा काम होता था, वह रानी को मौसीमौसी कर के करा लेता था. इसी कारण उस का गौतम के घर आनाजाना भी लगा रहता था.
सिया पहले से ही रवींद्र को चाचा कहती थी. रवींद्र शराब पीने का आदी था. शराब के नशे में वह जब कभी भी गौतम के घर आता तो वह सिया को चीज खरीदने के लिए कुछ पैसे दे देता था. सिया नटखट थी, जिस के कारण वह रवींद्र से कुछ ज्यादा ही घुलमिल गई थी. गौतम के परिवार वाले भी रवींद्र पर बहुत ही विश्वास करते थे. 5 सितंबर, 2018 को जन्माष्टमी का त्यौहार था. कपूर कंपनी के पास ही जन्माष्टमी का जुलूस निकल रहा था. जुलूस में बैंडबाजे की आवाज सुन कर सिया घर से बाहर आई तो उस की नजर सामने बैठे रवींद्र पर पड़ गई.
पोर्न वीडियो देख कर हुए बेकाबू उस वक्त रवींद्र एकांत में बैठा अपने दोस्त मिंटू के मोबाइल पर पोर्न वीडियो देख रहा था. उस समय दोनों ही दोस्त शराब के नशे में धुत थे. अश्लील वीडियो देखतेदेखते कामवासना दोनों के सिर चढ़ चुकी थी. तभी मिंटू ने रवींद्र से पूछा, ‘‘यार, कहीं तेरा जुगाड़ हो तो चलें.’’
‘‘ठीक कह रहा है दोस्त, इन वीडियो को देखतेदेखते मेरा मन भी काबू से बाहर हो चला है. आज तो मनोरंजन हो ही जाए.’’
ठीक उसी समय सिया दोनों के पास आ कर खड़ी हो गई. उस ने रवींद्र के पास जाते ही कहा, ‘‘चाचा शहर में किसी की बारात चढ़ रही है क्या?’’
‘‘नहीं बेटा, बारात नहीं चढ़ रही है. आज जन्माष्टमी है. जन्माष्टमी का जुलूस निकल रहा है.’’ रवींद्र ने सिया के प्रश्न का उत्तर दे दिया. रवींद्र की बात सुनते ही सिया ने कहा, ‘‘चाचा, मुझे भी जुलूस देखना है.’’
‘‘बेटा, वहां पर भीड़ बहुत होती है, वहां पर तुम्हारा जाना ठीक नहीं.’’ रवींद्र ने सिया को समझाने की कोशिश की. लेकिन बच्चा तो बच्चा ही होता है, उस के मन में एक बार जो बात बैठ गई, उस को निकालना बहुत ही मुश्किल काम होता है.
‘‘बेटा, आओ हम तुम्हें दुकान से टौफी दिला देते हैं.’’ रवींद्र ने सिया का ध्यान बंटाने की कोशिश की.
उस समय रवींद्र का दिमाग दूसरी तरफ घूम रहा था. हालांकि वह सिया को बहुत ही प्यार करता था, लेकिन उस वक्त कामवासना की आंधी में घिरे रवींद्र को उस का आना भी अच्छा नहीं लगा था. उस के बाद उस ने जल्दी से सिया से पीछा छुड़ाने के कोशिश की. वह पास की दुकान से सिया को टौफी दिलाने चला गया. रवींद्र के वहां से जाते ही मिंटू के दिमाग में कामवासना का भूत सवार हो चुका था. उस की आंखों के सामने सिया घूमने लगी थी. उस वक्त दोनों ही नशे में धुत थे. मिंटू ने रवींद्र के सामने मौजमस्ती का रास्ता सुझाया तो उस की इंसानियत रिश्तों का कत्ल करने के लिए तैयार हो गई. उस के बाद दोनों ही कामवासना की आग में इतनी बुरी तरह से अंधे हुए कि बच्ची को जुलूस दिखाने का लालच दे कर उसे अपने साथ ले गए.
दोनों ने रेप के बाद कर दी हत्या जुलूस दिखाने के बाद दोनों सिया को घर वापसी जाने वाली बात कह कर कपूर कंपनी रेलवे लाइन सुनसान जगह पर ले गए. रेलवे लाइन पर जाते ही रवींद्र और मिंटू ने बच्ची का मुंह बंद कर उस के साथ बारीबारी से दुष्कर्म किया. 3 साल की बच्ची दोनों की दरिंदगी को झेल नहीं पाई और वह बुरी तरह से असहनीय दर्द को झेलते हुए बेहोश हो गई. उस वक्त दोनों ही कामवासना में इतने अंधे हो चुके थे कि उन्हें उस बच्ची पर बिलकुल भी दया नहीं आई. बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद भी दोनों ने हैवानियत की हदों को पार करते हुए बेहोश बच्ची का गला दबा कर उस की हत्या कर डाली.
साक्ष्य छिपाने के लिए बच्ची के शव को कूड़े के ढेर पर डाल कर आग लगा थी. लेकिन आग में बच्ची का शव पूरी तरह से नहीं जल सका था. जिस के बाद उस की पहचान मिटाने के लिए उस के गुप्तांग और चेहरे पर तेजाब डाल दिया था. ताकि शव की एक लड़की होने की पहचान ही खत्म हो जाए. बच्ची के शरीर को पूरी तरह से विकृत करने के बाद दोनों ने उसे उठा कर रेलवे कालोनी के पीछे गेट के पास झाड़ी में फेंक दिया ताकि वहां से निकलने वाले लोगों की उस पर नजर पड़ सके. बच्ची के शव को ठिकाने लगाने के बाद दोनों ही अपनेअपने घर चले गए थे. अगले दिन 6 सितंबर, 2018 मिंटू डर के मारे अपने गांव धामपुर चला गया. लेकिन रवींद्र अपनी मौसी रानी के साथ बच्ची को ढूंढने में हर वक्त साथ रहा.
लेकिन जब यह मामला पुलिस में चला गया तो रवींद्र घबरा गया. उस के बाद वह रानी के परिवार के आसपास भी नहीं दिखाई दिया था. यही उस पर शक का आधार भी बना. इस केस के खुलते ही पुलिस ने पंजीकृत अभियोग में 922/18 धारा 363 आईपीसी के साथ ही अभियोग 924/18 धारा 302/201/376 डीआईपीसी व 5/6 पोक्सो एक्ट लगा कर आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था. इस केस का सब से बड़ा पहलू यह रहा कि बच्ची के परिजन अधजली बच्चे की लाश को अपनाने के लिए तैयार नहीं थी, इस के बावजूद भी तत्कालीन सिविललाइंस थानाप्रभारी सुधीरपाल धामा की सूझबूझ काम कर गई.
बच्ची के परिवार वालों के मना करने पर भी उन्होंने बच्ची का सैंपल डीएनए हेतु भिजवा दिया था. जिस के कारण ही मृत बच्ची की शिनाख्त हो पाई. अन्यथा इस केस के खुलने का कोई रास्ता ही नहीं बचा था. वर्तमान में इस केस के खुलासा करने में सिविललाइंस थाने के इंसपेक्टर (क्राइम) गजेंद्र त्यागी की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही. इस केस के खुलासे के बाद एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद ने बताया कि इस टीम को डीआईजी ने 25 हजार रुपए का नकद पुरस्कार और प्रशस्तिपत्र देने की घोषणा की थी. Hindi Story