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राजस्थान में भाजपा की सरकार बन गई थी. नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 15 दिसंबर, 2023 को पिछले सीएम अशोक गहलोत की जगह ले ली थी. उन के सामने प्रदेश के विकास के अतिरिक्त कई चुनौतियां थीं. उन में कई सालों से सब से गंभीर मुद्दा बना पेपर लीक का भी था.

उन्हें सब से पहले इन से जुड़ी मौजूदा समस्याओं को सुलझाना था. चरम पर बेरोजगारों का सरकार विरोधी धरना और आक्रोश प्रदर्शन, नकली कैंडिडेट का परीक्षाओं में शामिल होने की घटनाओं से पिछली सरकारों की किरकिरी हो चुकी थी.

इसी साल जनवरी में 19 तारीख को 16वीं राजस्थान विधानसभा के पहले सत्र की जैसे ही शुरुआत हुई, सदन में हंगामा होने लगा. परीक्षा में पेपर लीक को ले कर कांग्रेस के विधायक और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अपनी सीटे से उठे और तीखे अंदाज में बोलने लगे, ”अध्यक्ष महोदय! मैं इस पहले सत्र में प्रदेश की गंभीर समस्या से अवगत करवाना चाहता हूं, जो बहुत बड़ी है. वह कई सालों से नासूर बनी हुई है. प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है. नौकरी के नाम पर लूट मची हुई है.

”पेपर लीक करवाया जा रहा है… परीक्षाओं में नकली कैंडिडेट उतारे जा रहे हैं. उन का गिरोह बन चुका है. अयोग्य मोटी रकम दे कर नौकरी हासिल कर ले रहे हैं… योग्य पिछड़ रहे हैं…’’

इस बीच सदन में बैठे कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों के विधायक ”शेम शेम…’’ करते हुए जोरजोर से बेंच पीटने लगे. हंगामा करने लगे. उन्हें टोकते हुए विधानसभा अध्यक्ष बीच मे ही बोले, ”शांत हो जाइए, सभी शांत हो जाइए! आप जो कुछ कहना चाहते हैं, साफसाफ सदन को बताइए.’’

”अध्यक्ष महोदय, मैं आप से सीधे और साफ लफ्जों में गुजारिश करता हूं कि भाजपा शासन के दौरान 2008 से 2013 के बीच पेपर लीक मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी जाए.’’ इसी के साथ गाविंद सिंह अपनी बात पूरी कर बैठ गए.

उन के बैठते ही सदन में एक बार फिर हंगामा होने लगा. अगले वक्ता के रूप में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायक हनुमान बेनीवाल का नाम पुकारा गया. बेनीवाल ने भी एक सवाल के जरिए पेपर लीक के मुद्दे को ही उठाया. इस का जवाब गृहमंत्री की ओर से स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह ने दिया.

उन्होंने कहा, ”अध्यक्ष महोदय, नई सरकार आने के बाद 2 बड़ी परीक्षाएं हुई हैं, और उन में किसी में भी कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है. जबकि 2021 में 5, 2022 में 10 और 2023 में 5 पेपर लीक हुए थे…तो फिर इन मामलों में भी सीबीआई जांच का आदेश दिया जाए.’’

इसी के साथ स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह ने कहा कि इन सभी मामलों में जांच का काम एसआईटी को दिया जा चुका है. उन के पूरा होने के बाद आगे की काररवाई की जाएगी.

उन्होंने इसे स्पष्ट करते हुए कहा, ”चूंकि जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जा रही है, इसलिए अगर एजेंसियां उचित समझती हैं तो आगे की कोई भी जांच सीबीआई को सौंपी जा सकती है.’’

मंत्री महोदय ने यह भी बताया कि 2014 के बाद से दर्ज 33 पेपर लीक मामलों में से 32 में आरोप पत्र अदालतों में दायर किए जा चुके हैं और उन में 615 लोग गिरफ्तार भी किए गए हैं. इन आरोपियों में 49 सरकारी अधिकारी शामिल हैं, जिन में ज्यादातर शिक्षक हैं और उन में से 11 को सेवा से बरखास्त कर दिया गया है. हालांकि राजस्थान उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के बाद एक मामले में काररवाई रोक दी गई है.

इतना कहना था कि विपक्षी विधायकों ने राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम को बंद करने के मुद्दे पर वाकआउट कर दिया. इस पर कांग्रेस विधायक रोहित बोहरा ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार द्वारा लगाए गए लगभग 5,000 युवा मित्रों को बंद कर दिया गया था और कार्यक्रम को निलंबित कर दिया गया था, जिसे बिना देरी किए फिर से शुरू किया जाना चाहिए.

उन्होंने बताया कि युवा मित्रों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और सेवाओं के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए लगाया गया था और उन्हें वजीफा दिया गया था.

एक तरफ विधानसभा में पेपर लीक वादविवाद का बड़ा मुद्दा गरमाया हुआ था, दूसरी तरफ इस की वजह से लाखों युवा आक्रोश में उबल रहे थे. वे प्रदेश के कोनेकोने से चल कर राजधानी जयपुर में जुटने लगे थे. सरकार विरोधी तेवर के साथ अपनी मांगों को ले कर विरोध प्रदर्शन करन लगे थे. कोई हताशनिराश था तो कोई गुस्से में था.

जयपुर में शहीद स्मारक पर नौकरी की नियुक्ति के लिए जबरदस्त विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुका था. वहां आए एक प्रदर्शनकारी राजेंद्र (बदला नाम) को 2021 में पेपर लीक घोटाले के कारण दोबारा परीक्षा देनी पड़ी थी. उस ने परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन एक ‘तकनीकी दिक्कत’ के कारण नौकरी नहीं मिल पाई थी.

नौकरी पाना राजेंद्र का एक सपना है, जो उस के जीवन से करीबकरीब खत्म हो चुका है और वह इसे हासिल करने के करीब भी नहीं है. वैसे 33 साल की उम्र में भी वह सरकारी शिक्षक बनने का इंतजार कर रहा है.

राजस्थान के मेगा पेपर लीक रैकेट में समाधान की प्रतीक्षा में है. उस की तरह ही मोहम्मद आबिद है. वह राजमिस्त्री का काम करता है. घरों में पेंटिंग आदि का छिटपुट काम करता है. अखबार विक्रेता का भी काम कर लेता है. उस ने भी टीचर बहाली की परीक्षा दी थी.

इन के जैसे कई लोग हैं, जिन्होंने सरकारी नौकरियों में भरती के इंतजार में अपनी बहुमूल्य युवावस्था को खो दिया है. ऐसा परीक्षाओं में पेपर लीक, संगठित धोखाधड़ी, पुनर्परीक्षा, परीक्षा रद्द के कारण हुआ है.

चाहे वह शिक्षक पदों के लिए हो या स्वास्थ्य अधिकारी, पुलिस कांस्टेबल, इंसपेक्टर या वन रक्षक के रूप में नौकरियों के लिए हो. कोई भी नहीं बचा है, जिस की परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाएं न हुई हों.

राजेंद्र और आबिद जैसे करीब 500 अन्य युवा जयपुर में पुलिस आयुक्त कार्यालय के सामने एक विरोध शहीद स्मारक पर डेरा डाल चुके थे. उन का जीवन अधर में अटका हुआ है. उन की मांग हमेशा के लिए भरती की है. फिलहाल वे और कुछ नहीं कर पा रहे हैं.

आबिद बताते हैं कि ‘मैं शिक्षण पेशे की ओर इसलिए आकर्षित हुआ हूं, क्योंकि एक शिक्षक को समाज में सम्मान मिलता है. मैं चुने जाने के बिलकुल करीब था, लेकिन मेरी तकलीफ खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है.’

इस साल फरवरी माह में धरने पर बैठे अधिकांश प्रदर्शनकारी 2021 राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (आरईईटी) पेपर लीक के घाव से भरे हुए थे. वे एकदूसरे के जख्मों को साझा कर रहे थे. उस वर्ष लगभग 31,000 पदों के लिए 16 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने इस परीक्षा में हिस्सा लिया था. इन के नतीजे जनवरी 2022 में घोषित किए गए थे, लेकिन धोखाधड़ी, कदाचार के आरोपों और आगामी राजनीतिक विवाद के चलते राज्य सरकार ने पूरी परीक्षा ही रद्द कर दी थी.

जब दोबारा परीक्षा कराई गई तो आबिद एक बार फिर परीक्षा में पास हो गया, लेकिन राजस्थान सरकार के अधिकारियों ने कथित तौर पर तकनीकी कारणों से भरती को रोक दिया था.

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