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राजस्थान पेपर लीक की समस्या से जूझ रहे कई राज्यों में से एक है. लगभग एक महामारी की तरह है. पेपर लीक जबरदस्त तरीके से संचालित होता आया है. संगठित मशीनरी है, जिस में अपराधी, छात्र माफिया, कोचिंग सेंटर, प्रिंसिपल और अधिकारी तक शामिल होते हैं. जम्मूकश्मीर से ले कर कर्नाटक तक, गुजरात से ले कर अरुणाचल प्रदेश तक, पिछले 5 वर्षों में पूरे भारत में पेपर लीक की कम से कम 41 घटनाएं हुई हैं.

इन में अकेले राजस्थान में पिछले दशक में कांग्रेस और भाजपा दोनों की सरकारों में परीक्षा पेपर लीक के 25 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शासन काल में पिछले 5 सालों में यह मुद्दा काफी बढ़ गया था.

राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी), राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (आरबीएसई) और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (आरएसएसबी) समेत राज्य की सभी भरती एजेंसियां इस की चपेट में आ चुकी हैं.

यह समस्या प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन कर राज्य में चुनाव अभियानों और विधानसभा की बहसों में शामिल होती रही है. इस का असर भी हुआ है और मार्च 2022 में राजस्थान सरकार ने एक धोखाधड़ी विरोधी कानून भी पारित किया. बाद में सजा के रूप में आजीवन कारावास को शामिल करने के लिए इस के प्रावधानों को कड़ा कर दिया. भारतीय संसद द्वारा भी फरवरी 2024 में इसी तरह का कानून पारित करने की पहल की गई.

शिक्षक बनने की तमन्ना लिए हुए मोहम्मद आबिद एक पखवाड़े से अधिक समय से जयपुर में रह रहा है. वह जोधपुर जिले के बिलारा का रहने वाला है. अपने घर से केवल एक अतिरिक्त जोड़ी कपड़े, एक कंबल और अपने बटुए में 800 रुपए ले कर निकला था. अपनी नियुक्ति की मांग को ले कर जयपुर में अड़ा हुआ था.

जयपुर के एक सरकारी आश्रय स्थल में सोना और गुरुद्वारों और समाजसेवियों द्वारा बांटे जाने वाले मुफ्त भोजन पर आश्रित बना रहना उस के जीवनयापन का हिस्सा बन गया था. उस ने आरईईटी के अलावा वरिष्ठ शिक्षक परीक्षा भी उत्तीर्ण की है. उच्च कट औफ अंकों के बावजूद उस ने 2021 में आरईईटी पास की.

हालांकि एक अतिरिक्त डिग्री आबिद के गले में एक मुसीबत बनी. उस ने उर्दू पढ़ाने के लिए परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन उस ने अपने स्नातक कार्यक्रम के दौरान इस का अध्ययन नहीं किया था. इस के लिए उस ने एक साल की अलग से डिग्री पूरी की थी. सरकार अब ऐसे अभ्यर्थियों को स्वीकार करने से इनकार कर रही है. यह राजस्थान में भरती संबंधी गतिरोध की एक अलग समस्या है. आबिद की तरह राज्य भर में लगभग 700 अन्य लोग अब इस नए नियम के कारण फंस गए हैं.

ऐसी ही एक उम्मीदवार है पूजा सेन, जो एक सिंगल मदर है. उस ने भी धैर्यपूर्वक 2021 के पेपर लीक मुद्दे के हल होने तक इंतजार किया और दोबारा परीक्षा दी. लेकिन इस तकनीकी ने एक नई बाधा पैदा कर दी है. अब उस के पास आंदोलन करने के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं बचा. वह खुद को गठिया से पीडि़त बताती है. अपने मातापिता और बड़े भाइयों के साथ रहती है. कोविड के दौरान बीमार होने के चलते निजी स्कूल की नौकरी चली गई थी.

पेपर लीक माफिया पर किया 50 हजार का इनाम घोषित

पेपर लीक को ले कर जयपुर में शहीद स्मारक पर तरहतरह की कहानियांं बिखरी पड़ी थीं. सभी नौकरी पाने की ललक लिए हुए थे. समाज और परिवार से कटे हुए महसूस कर रहे थे. पेपर लीक पर गुस्से में थे. सरकारी नौकरी की भूख बनी हुई थी. बहुतों की नौकरी पाने की आधिकारिक आयु सीमा भी समाप्त होने को थी.

राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सरकार द्वारा पेपर लीक माफियाओं पर एक के बाद एक काररवाई शुरू कर दी गई. जांच एसओजी को सौंपी गई थी. बीते 10 सालों के भीतर टीचर, पुलिस, इंजीनियर की भरती प्रतियोगिता परीक्षाओं के पेपर परीक्षा के कुछ घंटे पहले ही लीक हो चुके थे. इसे बेहद संगठित तरीके से चलाया जा रहा था.

एसओजी के द्वारा जूनियर इंजीनियर (जेईएन) पेपर लीक 2020 के मामले में 4 गिरफ्तार किए गए थे. सभी इन दिनों सरकारी महकमे के कर्मचारी हैं. इन में एक हर्षवर्धन मीणा मास्टरमाइंड था. वह राजस्थान में पटवारी है. उस का साथ देने वाला एसआई राजेंद्र कुमार यादव उर्फ राजू (30) नेपाल बौर्डर से पकड़ा गया था. तीसरा पकड़ा जाने वाला व्यक्ति राजेंद्र कुमार यादव (55) स्कूल टीचर है, जबकि चौथा शिवरतन मोट (30) लाइब्रेरियन है. चारों पर जयपुर के सरकारी स्कूल से पेपर लीक कर कैंडिडेट को बेचने का आरोप लगा था.

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        आरोपी एसआई राजेंद्र कुमार यादव

जेईएन की परीक्षा 9 दिसंबर, 2020 को होनी थी. उस दिन परीक्षा शुरू होने से 2 घंटे पहले ही बेची गई पेपर की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

इस की प्रशासन को खबर लगने पर तत्काल प्रभाव से परीक्षा रद्द कर दी गई. साथ ही इस मामले को ले कर अज्ञात के खिलाफ एसओजी थाना जयपुर में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई. केस की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया और इस की टीम ने गहन जांचपड़ताल और छापेमारी शुरू कर दी. जांच के दौरान सब से पहले हर्षवर्धन मीणा का नाम आया. यह भी पता चला कि वह नेपाल फरार हो गया है. कई महीनों तक जांच टीम उसे दबोचने के लिए नेपाल की खाक छानती रही. इधर राजस्थान पुलिस उस पर 50 हजार का इनाम भी घोषित कर चुकी थी.

एसओजी डीएसपी शिव कुमार भारद्वाज के नतृत्व में टीम को हर्षवर्धन मीणा की ससुराल की जानकारी मिली थी. उस की ससुराल भरतपुर जिले में उच्चैन थाना इलाके के गांव मिलकपुर में है. टीम ने उस की ससुराल में 29 फरवरी की सुबहसुबह दबिश दी. वहीं हर्षवर्धन पकड़ा गया और उस के पास से कई संदिग्ध दस्तावेज जब्त कर लिए गए.

4 आरोपियों की गिरफ्तारी में 3 साल से अधिक समय लग गया. राजेंद्र कुमार यादव उर्फ राजू भी नेपाल बौर्डर पर दबोच लिया गया. दोनों जयपुर लाए गए.

दोनों से पूछताछ के बाद जेईएन परीक्षा 2020 के पेपर लीक की चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. साथ ही इस का भी खुलासा हुआ कि इस धंधे में कितने लोग किस तरह से संगठित हो कर काम करते थे. उन्होंने इसे अंजाम देने की पूरी कहानी सिलसिलेवार ढंग से बताई.

उन्होंने बताया कि 9 दिसंबर को परीक्षा शुरू होने से जयपुर के खातीपुरा स्थित शहीद दिग्विजय सिंह सुमेल राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से पेपर लीक को अंजाम दिया गया था. इसी स्कूल के शिक्षक राजेंद्र कुमार यादव और लाइब्रेरियन ने उन का साथ दिया था. परीक्षा का पेपर स्ट्रांग रूम में रखा जा चुका था. वहीं से राजू ने पेपर निकाल लिया. उधर स्कूल के लाइब्रेरियन शिवचरण मोटे ने पेपर बिक्री की डील पहले से ही कर रखी थी.

उन का खेल तब बिगड़ गया, जब परीक्षा रद्द हो गई. तब हर्षवर्धन बेरोजगार था और नौकरी पाने के लिए परीक्षाओं में शामिल हो रहा था. वह फरार हो गया. दरअसल, वर्ष 2020 के जेईएन भरती परीक्षा पेपर लीक को ले कर उस समय खूब हंगामा हुआ था. तब इस मामले में 30 से अधिक लोग अभियुक्त बनाए गए थे. जिस में सभी की गिरफ्तारी हो चुकी थी. पूरे मामले के मुख्य अभियुक्त जगदीश विश्नोई को भी गिरफ्तार करने में सफलता मिली.

अतिरिक्त महानिदेशक एटीएस एवं एसओजी के अनुसार जेईएन भरती परीक्षा 2020 के प्रश्न पत्र को परीक्षा से पहले ही पेपर की फोटो कौपी बाहर अभ्यर्थियों में बेच दिए गए थे. उसे गिरोह के सरगना ने 10 लाख में शिक्षक राजेंद्र यादव से पेपर खरीदा था और अपने गैंग के सदस्य के जरिए वाट्सऐप पर भिजवा दिया था.

फरजीवाड़े में हुआ था हाईटेक तकनीक का प्रयोग

गिरफ्तार आरोपियों में इनामी हर्षवर्धन कुमार मीणा दौसा जिले के महुआ का रहने वाला है और वह पटवारी है, जबकि 55 वर्षीय आरोपी राजेंद्र कुमार यादव पुत्र द्वारका प्रसाद जयपुर के खातीपुरा का रहने वाला है. वह तृतीय श्रेणी सरकारी अध्यापक है.

अन्य 2 आरोपियों में एक का नाम राजेंद्र यादव है. उस के पिता तेजपाल यादव कालाडेरा के पास टाडावास गांव के निवासी हैं. यह राजेंद्र यादव की सबइंसपेक्टर भरती 2021 में चुना जा चुका है. शिवरतन मोटे उर्फ शिवा श्रीगंगानगर का रहने वाला है. वह श्रीगंगानगर में सरकारी स्कूल में लाइब्रेरियन है.

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