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हर्षवर्धन के इस धंधे में आने और पत्नी समेत नेपाल फरार होने, फिर वहां से अपनी ससुराल में छिपे रह कर नौकरी की तलाश करने की कहानी कुछ कम फिल्मी नहीं है. हर्षवर्धन के पिता मुरारी लाल मीणा एक जमाने में जेलर हुआ करते थे. वह रिटायर हो चुके हैं और दौसा जिलांतर्गत महवा तहसील के सलीमपुर गांव के अपने साधारण से मकान में  रहते हैं.

अपने पिता की तरह ही हर्षवर्धन भी अच्छे रुतबे वाली नौकरी पाना चाहता था. आईएएस बनना चाहता था. लेकिन अचानक उस के कदम गलत राह पर मुड़ गए और वह पूर्वी राजस्थान में पेपर लीक करवाने वाले गिरोह के संपर्क में आ गया. इस काम की बारीकियों को सीख समझ कर उस ने खुद ही एक टीम बना ली.

परीक्षाओं में डमी कैंडिडेट बैठाने से ले कर पेपर लीक से ले कर इंटरव्यू क्लियर करवाने तक के काम को अंजाम देने लगा. इस के लिए उस ने अपना नेटवर्क बना लिया.

इस की शुरुआत उस ने 13 साल पहले की थी. बीते एक दशक में वह पेपर लीक का मास्टर बन चुका था. बताते हैं कि उस की बदौलत 500 से अधिक लोगों की नौकरी लग चुकी है. वह बौस के नाम से प्रचलित है. इस धंधे का फायदा उस ने अपने लिए भी उठाया और पटवारी की नौकरी हासिल करने में सफलता भी हासिल कर ली.

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                आरोपी हर्षवर्धन मीणा

यह एक जिम्मेदारी का पद होता है. एक पटवारी अपने कार्यालय में गांव की जमीन का नक्शा, कृषि भूमि संबंधी रिपोर्ट, जमाबंदी बिक्री, राजस्व वसूली पत्र और खसरा नंबर आदि अभिलेखों को सुरक्षित रखता है. इस के अलावा आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र बनवाने और फसल नुकसान के मुआवजे के लिए सर्वे में भी इन के बिना फाइल आगे नहीं बढ़ती है.

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