कानपुर शहर से 30 किलोमीटर दूर एक बड़ा कस्बा है अकबरपुर. यह  (देहात) जिले के अंतर्गत आता है. तहसील व जिला मुख्यालय होने के कारण कस्बे में हर रोज चहलपहल रहती है. इस नगर से हो कर स्वर्णिम चतुर्भुज राष्ट्रीय मार्ग जाता है जो पूर्व में कानपुर, पटना, हावड़ा तथा पश्चिम में आगरा, दिल्ली से जुड़ा है.

इस नगर में एक ऐतिहासिक तालाब भी है जो शुक्ल तालाब के नाम से जाना जाता है. शुक्ल तालाब ऐतिहासिक वास्तुकारी का नायाब नमूना है. बताया जाता है कि सन 1553 में बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल ने शीतल शुक्ल को इस क्षेत्र का दीवान नियुक्त किया था. दीवान शीतल शुक्ल ने सन 1578 में इस ऐतिहासिक तालाब को बनवाया था.

इसी अकबरपुर कस्बे के जवाहर नगर मोहल्ले में सभासद जितेंद्र यादव अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी अर्चना यादव के अलावा बेटी अक्षिता (5 वर्ष) तथा बेटा हनू (डेढ़ वर्ष) था. जितेंद्र के पिता कैलाश नाथ यादव भी साथ रहते थे.

वह पुलिस में दरोगा थे, लेकिन अब रिटायर हो चुके हैं. जितेंद्र यादव की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. उन का अपना बहुमंजिला आलीशान मकान था.

जितेंद्र यादव की पत्नी अर्चना यादव पढ़ीलिखी महिला थी. वह नगर के रामगंज मोहल्ला स्थित प्राइमरी पाठशाला में सहायक शिक्षिका थी, जबकि जितेंद्र यादव समाजवादी पार्टी के सक्रिय सदस्य थे.

2 साल पहले उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सभासद का चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. वर्तमान में वह जवाहर नगर (वार्ड 14) से सभासद है. जितेंद्र यादव का अपने मकान के भूतल पर कार्यालय था, साथ ही पिता कैलाश नाथ यादव रहते थे, जबकि भूतल पर जितेंद्र अपनी पत्नी अर्चना व बच्चों के साथ रहते थे.

मकान के दूसरी और तीसरी मंजिल पर 4 किराएदार रहते थे, जिन में 2 महिला पुलिसकर्मी अनीता व ऊषा प्रजापति थीं. मकान की देखरेख व किराया वसूली का काम कैलाश नाथ यादव करते थे.

ऊषा का पति अवनीश प्रजापति मूलरूप से प्रयागराज जनपद के फूलपुर का रहने वाला था. महिला कांसटेबल ऊषा पहले प्रयागराज में तैनात थी. उस के साथ उस का पति भी रहता था. अवनीश वहां लैब टैक्नीशियन था, लेकिन लौकडाउन लगने के कारण मई 2020 में उस की लैब बंद हो गई थी.

ऊषा का ट्रांसफर भी प्रयागराज से कानपुर देहात जनपद के थाना अकबरपुर में हो गया था. उस के बाद वह पति अवनीश के साथ अकबरपुर कस्बे में सभासद जितेंद्र यादव के मकान में किराए पर रहने लगी थी.

ऊषा की शादी अवनीश प्रजापति के साथ 4 साल पहले हुई थी. 4 साल बीत जाने के बाद भी ऊषा मां नहीं बन सकी थी. इस से उस का बेरोजगार पति अवनीश टेंशन में रहता था. अवनीश घर में ही पड़ा रहता था. उस का काम केवल इतना था कि वह पत्नी ऊषा को ड्यूटी पर अकबरपुर कोतवाली स्कूटर से छोड़ आता था और ड्यूटी समाप्त होने पर घर ले आता था.

ऊषा पुलिसकर्मी होने के बावजूद जितनी सरल स्वभाव की थी, उस का पति बेरोजगार होते हुए भी उतने ही कठोर स्वभाव का था. अवनीश की न तो किसी अन्य किराएदार से पटती थी और न मकान मालिक से. हां, वह सभासद जितेंद्र यादव से जरूर भय खाता था, जितेंद्र की पत्नी अर्चना यादव तो उसे फूटी आंख नहीं सुहाती थी.

सभासद की पत्नी अर्चना यादव तथा ऊषा के पति अवनीश प्रजापति के बीच पटरी नहीं बैठती थी. दोनों के बीच अकसर तनाव बना रहता था. तनाव का पहला कारण यह था कि अवनीश साफसफाई से नहीं रहता था. वह मकान में भी गंदगी फैलाता रहता था.

अर्चना यादव शिक्षिका थीं. वह खुद भी साफसफाई से रहती थीं और मकान में रहने वाले अन्य किराएदारों को भी साफसफाई से रहने को कहती थीं. अन्य किराएदार तो अर्चना के सुझाव पर अमल करते थे, लेकिन अवनीश नहीं करता था.

वह गुटखा और पान खाने का शौकीन था. पान खा कर उस की पीक कमरे के बाहर ही थूक देता था. कमरे के अंदर की साफसफाई का कूड़ा भी बाहर जमा कर देता था, जो हवा में उड़ कर पूरे फ्लोर पर फैल जाता था.

तनाव का दूसरा कारण अवनीश की बेशरमी थी. उस की नजर में खोट था. वह अर्चना को घूरघूर कर देखता था. उसे देख कर वह कभी मुसकरा देता, तो कभी कमेंट कस देता. उस की हरकतों से अर्चना गुस्सा करती तो कहता, ‘‘अर्चना भाभी, जब तुम गुस्सा करती हो तो तुम्हारा चेहरा गुलाब जैसा लाल हो जाता है और गुलाब मुझे बहुत पसंद है.’’

अर्चना ने अवनीश की हरकतों और गंदगी फैलाने की शिकायत अपने ससुर कैलाश नाथ यादव से की तो उन्होंने अवनीश को डांटाफटकारा और कमरा खाली करने को कह दिया. लेकिन अवनीश की पत्नी ऊषा ने बीच में पड़ कर मामले को शांत कर दिया.

ऊषा प्रजापति ने मामला भले ही शांत कर दिया था, लेकिन अर्चना की शिकायत ने अवनीश के मन में नफरत के बीज बो दिए थे. वह मन ही मन उस से नफरत करने लगा था. अर्चना अपने बच्चों को भी अवनीश से दूर रखती थी. दरअसल, ऊषा की कोई संतान नहीं थी, अर्चना को डर था कि गोद भरने के लिए कहीं ऊषा व अवनीश उस के बच्चों पर कोई टोनाटोटका न कर दें.

एक रोज अर्चना किसी काम से छत पर जा रही थी. वह पहली मंजिल पर पहुंची तो अवनीश के कमरे के अंदरबाहर कूड़ा बिखरा देखा. इस पर उस ने गुस्से में कहा, ‘‘अवनीश कुत्ता भी पूंछ से जगह साफ कर के बैठता है, लेकिन तुम तो उस से भी गएगुजरे हो जो गंदगी में पैर फैलाए बैठे हो.’’

अर्चना की बात सुन कर अवनीश का गुस्सा बढ़ गया, ‘‘भाभी, मैं कुत्ता नहीं इंसान हूं. मुझे कुत्ता मत बनाओ. आप मकान मालकिन हैं, लेकिन इतना हक नहीं है कि आप मुझे कुत्ता कहें. आज तो मैं किसी तरह आप की बात बरदाश्त कर रहा हूं, लेकिन आइंदा नहीं करूंगा.’’

इस बार अर्चना ने अपने सभासद पति जितेंद्र से अवनीश की शिकायत की. इस पर सभासद ने अवनीश को खूब फटकार लगाई, साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर उसे मकान में रहना है तो सफाई का पूरा ध्यान रखना होगा. वरना मकान खाली कर दो.

अर्चना द्वारा बारबार शिकायत करने से अवनीश के मन में नफरत और बढ़ गई. उसे लगने लगा कि अर्चना जानबूझ कर किराएदारों के सामने उस की बेइज्जती करती है. उस के मन में प्रतिशोध की ज्वाला भड़कने लगी. वह बेइज्जती का बदला लेने की सोचने लगा.

28 फरवरी, 2021 की सुबह अवनीश ने पान की पीक कमरे के बाहर थूक दी. पीक की गंदगी को ले कर अर्चना और अवनीश में जम कर तूतूमैंमैं हुई. ऊषा ने किसी तरह पति को समझा कर शांत किया और गंदगी साफ कर दी. झगड़ा करने के बाद अवनीश दिन भर कमरे में पड़ा रहा और अर्चना को सबक सिखाने की सोचता रहा. आखिर उस ने एक बेहद खतरनाक योजना बना ली.

रात 8 बजे अवनीश अपनी पत्नी ऊषा को अकबरपुर कोतवाली छोड़ने गया. वहां से लौटते समय उस ने पैट्रोल पंप से एक बोतल में आधा लीटर पैट्रोल लिया और वापस घर लौट आया.

उस ने ऊपरनीचे घूम कर पूरे मकान का जायजा लिया. ग्राउंड फ्लोर स्थित कार्यालय में सभासद जितेंद्र यादव क्षेत्रीय लोगों के साथ क्षेत्र की समस्यायों के संबंध में बातचीत कर रहे थे, कैलाश नाथ भी अपने कमरे में थे.

जायजा लेने के बाद अवनीश पहली मंजिल पर आया. वहां अर्चना यादव रसोई में थी. पास में उन की 5 साल की बेटी अक्षिता तथा 18 माह का बेटा हनू भी बैठा था. अर्चना खाना पका रही थीं, जबकि दोनों बच्चे खेल रहे थे. इस बीच सिपाही अनीता कोई सामान मांगने अर्चना के पास आई. फिर वापस अपने कमरे में चली गई.

सही मौका देख कर अवनीश अपने कमरे में गया और वहां से पैट्रोल भरी बोतल ले आया. फिर वह रसोई में पहुंचा और पीछे से अर्चना यादव व उस के बच्चों पर पैट्रोल उड़ेल दिया. उस समय गैस जल रही थी, अत: पैट्रोल पड़ते ही गैस ने आग पकड़ ली. अर्चना व उस के बच्चे धूधू कर जलने लगे.

आग की लपटों से घिरी अर्चना चीखी तो महिला सिपाही अनीता ने दरवाजा खोला. सामने का खौफनाक मंजर देख कर वह सहम गई. वह उसे बचाने को आगे बढ़ी तो अवनीश ने उस पर वार कर दिया. अनीता चीखनेचिल्लाने लगी.

भूतल पर सभासद जितेंद्र यादव साथियों सहित मौजूद थे. उन्होंने चीखपुकार सुनी तो पिता कैलाश नाथ व अन्य लोगों के साथ भूतल पर पहुंचे और आग की लपटों से घिरी पत्नी अर्चना व बच्चों के ऊपर कंबल डाल कर आग बुझाई.

इसी बीच पकड़े जाने के डर से अवनीश भागा और केबिल के सहारे नीचे आ गया. घर के बाहर सभासद की स्कौर्पियो कार खड़ी थी. उस ने उसे भी जलाने का प्रयास किया. इसी बीच सभासद के साथियों ने उसे दौड़ाया तो वह भागने लगा. भागते समय सड़क पार करते हुए वह मिनी ट्रक की चपेट में आ गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और उपचार हेतु सरकारी अस्पताल पहुंचा दिया.

इधर सभासद जितेंद्र यादव ने गंभीर रूप से जली पत्नी और दोनों बच्चों को अपनी कार से प्राइवेट अस्पताल राजावत पहुंचाया. लेकिन डाक्टरों ने उन की गंभीर हालत देख कर जिला अस्पताल रेफर कर दिया.

सभासद  के पिता कैलाश नाथ यादव ने घटना की सूचना पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को दी तो हड़कंप मच गया. कुछ ही देर में कोतवाल तुलसी राम पांडेय, डीएसपी संदीप सिंह, एसपी केशव कुमार चौधरी, एएसपी घनश्याम चौरसिया तथा डीएम दिनेश चंद्र जिला अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने सभासद जितेंद्र यादव को धैर्य बंधाया और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.

चूंकि अर्चना की हालत नाजुक थी. अत: जिलाधिकारी डा. दिनेश चंद्र ने अर्चना का बयान दर्ज कराने के लिए एसडीएम संजय कुशवाहा को जिला अस्पताल बुलवा लिया. संजय कुशवाहा ने अर्चना का बयान दर्ज किया. अर्चना ने कहा कि किराएदार अवनीश ने पैट्रोल डाल कर उसे और उस के दोनों मासूम बच्चों को जलाया है.

जिला अस्पताल में अर्चना व उस के बच्चों की हालत बिगड़ी तो डाक्टरों ने उन्हें कानपुर शहर के उर्सला अस्पताल में रेफर कर दिया. उर्सला अस्पताल में रात 11 बजे जितेंद्र के मासूम बेटे हनू ने दम तोड़ दिया.

रात 1 बजे बेटी अक्षिता की भी सांसें थम गईं. उस के बाद 4 बजे अर्चना ने भी उर्सला अस्पताल में आखिरी सांस ली. इस के बाद तो परिवार में कोहराम मच गया. जितेंद्र पत्नी व मासूम बच्चों का शव देख कर बिलख पड़े. अर्चना की मां व भाई भी आंसू बहाने लगे.

पहली मार्च को सभासद जितेंद्र यादव की पत्नी अर्चना यादव व उस के मासूम बच्चों को किराएदार अवनीश द्वारा जिंदा जलाने की खबर अकबरपुर कस्बे में फैली तो सनसनी फैल गई. चूंकि मामला सभासद के परिवार का था, उन के सैकड़ों समर्थक थे. अत: उपद्रव की आशंका से पुलिस अधिकारियों ने अकबरपुर कस्बे में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया.

इधर अर्चना व उस के बच्चों की मौत की खबर अकबरपुर कोतवाल तुलसीराम पांडेय को मिली तो उन्होंने अवनीश व उस की पत्नी ऊषा की सुरक्षा बढ़ा दी. उन्होंने अवनीश को अस्पताल से डिस्चार्ज करा कर अपनी कस्टडी में ले लिया. सभासद जितेंद्र यादव की तहरीर पर कोतवाल तुलसीराम पांडेय ने भादंवि की धारा 326/302 के तहत अवनीश प्रजापति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उसे बंदी बना लिया.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद डीएसपी संदीप सिंह ने अभियुक्त अवनीश से घटना के संबंध में पूछताछ की तथा उस का बयान दर्ज किया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का भी बारीकी से निरीक्षण किया तथा साक्ष्य जुटाए.

2 मार्च, 2021 को नगरवासियों ने मृतकों की आत्माओं की शांति के लिए कैंडल मार्च निकाला और अंडर ब्रिज के नीचे उन की फोटो पर पुष्प अर्पित किए. अनेक युवकों के हाथों में हस्तलिखित तख्तियां थी.

उन की मांग थी कि हत्यारे को फांसी की सजा मिले. युवक सीबीआई जांच की भी मांग कर रहे थे. उन को शक था कि इस साजिश में कुछ और लोग भी शामिल हैं, जिन का परदाफाश होना जरूरी है.

3 मार्च, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त अवनीश प्रजापति को कानपुर देहात की माती कोर्ट में मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

सभासद जितेंद्र यादव और उन के पिता इस हृदयविदारक घटना से बेहद दुखी हैं. जितेंद्र यादव से दर्द साझा किया गया तो वह फफक पड़े. बोले, ‘किस पर भरोसा करूं. चंद मिनटों में ही हमारा सब कुछ खत्म हो गया. किराएदार ऐसा कर सकता है, कभी सोचा नहीं था. अवनीश ने मेरे परिवार को योजना बना कर जलाया है. बदले की आग में उस ने हमारी दुनिया ही उजाड़ डाली.’

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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