यह कहानी स्वाति से शिवाय बने (Swati to Shivaay) 35 साल के एक सौफ्टवेयर इंजीनियर की है, जिन्होंने 3 साल की लंबी मशक्कत के बाद अपना जेंडर फीमेल (Gender Change) से बदल कर मेल करवा लिया.

स्वाति का फ्रस्ट्रेशन तब और बढ़ गया, जब आठवीं क्लास में आते ही उसे पीरियड शुरू हो गए. वह अंदर ही अंदर घुटन महसूस करने लगी. उसे अपने शरीर से ही नफरत होने लगी थी. हायर सेकेंडरी पास होते ही, घर वालों ने उस की शादी के लिए लड़का भी देखना शुरू कर दिया.

एकदो रिश्ते आए भी, मगर उस की हेयर स्टाइल और कपड़े देख कर वे हैरान रह जाते.  एक दिन उस की मम्मी उर्मिला ने उसे पास बिठाया और उस के सिर पर हाथ रखते हुएकहा, ''देख स्वाति, अब तो तू बड़ी हो रही है. अपने बाल बढ़ा ले और लड़के वाले कपड़े पहनना छोड़ दे.’’

मगर स्वाति इस के लिए कतई तैयार नहीं थी. उस ने मम्मी से दोटूक कह दिया, ''देखो मम्मी, मुझे बारबार टोका मत करो, मैं तो लड़के के रूप में ही अच्छी हूं.’’

घर में सब से लाडली होने के कारण कोई भी उस से कुछ भी कहने के बजाय खामोश हो जाता. मगर आसपास रहने वाले लोग स्वाति के घर वालों को ताना देने लगे थे, इस से स्वाति का मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा था.

बचपन से ही स्वाति शरीर से भले ही लड़की थी, मगर उसे अपना वह शरीर कतई पसंद नहीं था. उस के बाल, कपड़े इस तरह के थे कि कोई अनजान व्यक्ति उसे लड़का ही समझता था. लड़कियों के स्कूल में पढऩे जाने पर जब उसे यूनिफार्म में सलवार कमीज पहनने को मजबूर किया जाता तो वह स्कूल से बंक मारने लगी.

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