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रिमांड पूरी होने पर पुलिस ने अदालत में चालान पेश कर दिया. इस मौके पर मैं ने जमानत की कोशिश की पर मंजूर नहीं हुई. उसे जेल भेज दिया गया.

पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के मुताबिक कत्ल 15 मई को दिन के 11 बजे हुआ था. एक लोहे की रौड फरीद के सिर पर मारी गई थी, जिस से खोपड़ी चटक गई थी. मौत की जगह रूमाना का ड्राइंगरूम था.

दूसरी पेशी 15 दिन बाद थी. मेरे पास तैयारी के लिए काफी टाइम था. बशीर जानकारी जुटाने में लगा था. वह अफजल का पक्का दोस्त था.

जब अदालत शुरू हुई तो जज ने अफजल को उस का जुर्म बताया. उस ने कत्ल से साफ इनकार कर दिया. इस्तगासा की तरफ से 6 गवाहों को पेश किया गया था, जिस में अफजल की एक्स वाइफ रूमाना भी थी.

अफजल का बयान नोट कराया गया जो काफी सटीक था. अदालत की इजाजत से इस्तगासा के वकील ने पूछताछ शुरू की. उस ने पूछा, ‘‘क्या तुम इस बात से इनकार करते हो कि तुम मकतूल से नफरत करते थे और उसी नफरत में तुम ने फरीद का खून कर दिया?’’

‘‘मैं ने फरीद का कत्ल नहीं किया.’’ उस ने दोटूक कहा.

‘‘आलाए कत्ल पर तुम्हारे फिंगरप्रिंट्स मिले हैं.’’

‘‘मुझे नहीं मालूम रौड पर मेरे फिंगरप्रिंट्स कैसे आए?’’

‘‘क्या फरीद तुम्हारा किराएदार रहा था?’’

‘‘नहीं, वह मेरा नहीं मेरी एक्स वाइफ का किराएदार था.’’

‘‘क्या तुम ने फरीद की वजह से रूमाना को तलाक नहीं दी थी, तुम उस पर झूठा शक करते थे?’’

‘‘मैं ने कोई झूठा शक नहीं किया, जो हकीकत थी वह बरदाश्त से बाहर थी. मुझे तलाक देनी पड़ी.’’

वकील इस्तगासा कोई खास बात मालूम नहीं कर सका. बारी आने पर मैं ने बौक्स में खड़े हो कर पूछा, ‘‘इस्तगासा के 3 गवाहों ने दावा किया है कि तुम्हें कत्ल के दिन मौकाएवारदात पर देखा गया. तुम 15 मई को वहां क्या कर रहे थे?’’

वह मुझे हवालात में बता चुका था. बात मेरे पक्ष में थी, इसलिए मैं ने पूछा तो अफजल ने जवाब दिया, ‘‘मैं अपनी बेटी फरजाना से मिलने गया था.’’

‘‘तुम्हारी मुलाकात पार्क या बाहर होती थी, उस दिन तुम घर क्यों गए थे?’’

‘‘यह चेंज रूमाना के कहने पर हुआ था. हर महीने की 15 तारीख को मैं अपनी बेटी से पार्क में मिलता था. रूमाना उसे ले कर आती थी. पर इस बार 14 मई की शाम उस ने मुझे कहलवाया कि फरजाना की तबीयत ठीक नहीं है. वह पार्क नहीं आएगी. इस बार साढ़े 11 बजे उस से मिलने घर आ जाओ. फरजाना घर पर अकेली होगी, मुझे शौपिंग के लिए बाहर जाना है. वापसी लगभग एक बजे होगी. इस बीच मैं अपनी बेटी से मिल सकता हूं. मेरी कोई गलती नहीं, उस के कहने पर मैं घर गया था.’’

‘‘अच्छा, सोच कर बताओ, तुम कितने बजे रूमाना के घर पहुंचे थे?’’

‘‘मैं ठीक 12 बजे उस के घर पहुंचा था.’’

मैं ने जज से कहा, ‘‘जनाबेआली, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार कत्ल 10 से 11 बजे के बीच हुआ. मुलजिम वहां 12 बजे पहुंचा था. यह पौइंट नोट किया जाए.’’

जज ने सिर हिला कर सहमति जताई.

वकील इस्तगासा बोला, ‘‘टाइम गलत भी बताया जा सकता है, जान बचाने की खातिर. मिसेज रूमाना ने भी इस बात से इनकार किया है कि उस ने अफजल को ऐसा कोई मैसेज दे कर 12 बजे घर बुलाया था. ये बनाई हुई कहानी है.’’

‘‘यह बात मिसेज रूमाना से गवाही के समय पूछी जा सकती है.’’

‘‘जनाबेआली सब से बड़ा सबूत यह है कि आलाए कत्ल पर मुलजिम की अंगुलियों के निशान पाए गए. जब 12 बजे पहुंचा था तो आलाए कत्ल पर उस की अंगुलियों के निशान क्यों पाए गए?’’

‘‘आप परेशान न हों, इस का जवाब भी मिल जाएगा. हां, अफजल जब तुम रूमाना के घर पहुंचे तो तुम ने वहां क्या देखा?’’

‘‘मुझ से कहा गया था कि फरजाना घर पर अकेली होगी.’’

‘‘तो क्या फरजाना से तुम्हारी मुलाकात हुई?’’

‘‘दरवाजे के दोनों पट भिड़े हुए थे. मैं अंदर पहुंचा तो फरजाना नहीं, वहां फरीद की लाश पड़ी थी. वह सोफे पर उलटा पड़ा था और उस की खोपड़ी चटकी हुई थी. खून से कपड़े व सोफा गीला हो गया था. मैं वहां से उलटे पांव निकल गया, पर दोपहर को मुझे पुलिस ने होटल के कमरे से गिरफ्तार कर लिया. बशीर भाई ने लाख दलीलें दीं पर कुछ नहीं हुआ.’’

‘‘क्या तुम ने मौकाएवारदात पर लोहे की रौड को पकड़ा था?’’

‘‘वकील साहब, मैं ने किसी चीज को हाथ नहीं लगाया. इतना भी बेवकूफ नहीं हूं मैं.’’

‘‘पर आलाए कत्ल पर तुम्हारी अंगुलियों के निशान हैं.’’

‘‘यह बात मेरी समझ से बाहर है, ये कैसे हुआ?’’

‘‘उस आदमी का नाम क्या है जो 14 मई को रूमाना का संदेश ले कर तुम्हारे पास आया था?’’

‘‘वकील साहब, मैं उस बंदे के नाम से वाकिफ नहीं हूं. उस दिन मैं ने उसे पहली बार देखा था.’’

फिर उस दिन अदालत का वक्त खत्म हो गया. जिस तरह अफजल ने अदालत में जवाब दिए, उस से वह जरा भी नर्वस नहीं लग रहा था. ऐेसे केस लड़ने का एक अलग ही मजा है.

अगली 2 पेशियों में इस्तगासा के 5 गवाह पेश हुए, उन में से एक खुरशीद था, अख्तर कालोनी में रहता था. उस ने हलफ ले कर अपना बयान दिया. वकील ने उस से अफजल के बारे में पूछा तो उस ने कहा, ‘‘जब अफजल और रूमाना का तलाक नहीं हुआ था, मैं भी उन का किराएदार था. अफजल अकसर दुकान पर आता था पर तलाक के बाद उसे घर छोड़ना पड़ा.’’

‘‘उस के बाद तुम्हारी उस से कभी मुलाकात हुई थी?’’

‘‘एकदो बार राह चलते सलामदुआ हुई. 15 मई को वाकए के दिन वह मेरी दुकान के सामने वाली गली में गया था, जिस के अंदर रूमाना का घर है.’’

‘‘अफजल तुम से रूमाना के बारे में क्या कहता था?’’

‘‘वह रूमाना के बारे में कुछ नहीं कहता था, इधरउधर की बातें होती थीं. उस की बातों से पता लगता था कि वह फरीद को पसंद नहीं करता. वह बहुत चालाक व फितना आदमी था, जो हुआ अच्छा हुआ. अफजल उस से परेशान था.’’

‘‘अफजल उस से किस वजह से नफरत करता था कि उस की बातें सुन कर तुम भी फरीद को नापसंद करने लगे.’’

‘‘जनाब, उस ने एक हंसताखेलता घर तोड़ डाला. दोनों के बीच फरीद ने ही आग लगाई थी.’’

‘‘क्या आप को लगता है कि तलाक का जिम्मेदार फरीद था? क्या अफजल का रूमाना पर शक सही था?’’

‘‘ये मुझे नहीं मालूम पर अफजल ने जो कुछ कहा, उस से यही लगता है कि वह फरीद से नफरत करता था.’’

वकील ने कहा, ‘‘जनाबेआली, 15 मई को उसे अपनी नफरत निकालने का मौका मिल गया. उस ने फरीद को ठिकाने लगा दिया.’’

उस की जिरह खत्म होने पर मैं खड़ा हुआ, ‘‘खुरशीद साहब, आप किस चीज का बिजनैस करते हैं? आप की टाइमिंग क्या है?’’

‘‘मैं कपड़े का कारोबार करता हूं. साढ़े 12 बजे तक अपनी दुकान खोलता हूं. 15 मई को मैं ने 12 बजे दुकान खोली थी.’’

‘‘आप ने 15 मई को मुलजिम को रूमाना के घर वाली गली में जाते देखा था?’’

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