उत्तर प्रदेश के जिला बलिया के गांव मालदेपुर के रहने वाले राजकुमार उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा थे. उन की अधिकतर पोस्टिंग प्रयागराज जिले में ही रही, इसलिए वह शिवकुटी, प्रयागराज में ही अपने परिवार के साथ रह रहे थे. वह मार्च, 2023 में रिटायर हो गए थे.

रिटायर होने के बाद वह 18 मार्च, 2023 को अपनी पेंशन संबंधी मामले में प्रयागराज की कचहरी स्थित ट्रेजरी औफिस गए हुए थे. वहां ट्रेजरी अफसर अशोक कनौजिया से उन की औपचारिक मुलाकात हुई. कुछ गपशप और चाय पीनेपिलाने के बाद राजकुमार अपने घर वापस आ गए.

20 मार्च, 2023 की सुबह दरोगाजी राजकुमार के मोबाइल पर काल आई. उन्होंने काल रिसीव की, “हैलो कौन?”

दूसरी तरफ से आवाज आई, “गुडमार्निंग सर.”

“गुडमार्निंग…गुडमार्निंग.”

“मैं ने आप को पहचाना नहीं.”

“जी, मैं ट्रेजरी औफिस से बोल रहा हूं.”

“अरे, अशोक बाबू आप?ï अभी हमारी मुलाकात परसों ही औफिस में हुई थी.”

“जी… जी, बहुत खूब. ठीक पहचाना आप ने. मैं ट्रेजरी आफिसर अशोक बाबू ही बोल रहा हूं.”

“अरे साहब, भला मैं आप को और आप की आवाज को कैसे भूल सकता हूं.”

बातचीत का सिलसिला जारी रहा.

राजकुमार बोले, “बताएं सरजी, कैसे याद किया?”

दूसरी तरफ से आवाज आई, “अरे सर, हमारा तो काम ही है आप लोगों की सेवा. हमें अपने सभी पेंशनरों का खयाल रखना पड़ता है. आप ने अपनी पेंशन के सभी कागज जमा करा दिए थे न?”

“जी, वो तो करा दिए थे. क्यों? क्या कागजों में कोई कमी रह गई है?”

“हां दरोगाजी, कुछ आवश्यक जानकारी आप को मुझे देनी होगी, जिस से मैं आप की पेंशन की फाइल कंप्लीट कर दूं ताकि बीच में आप की पेंशन नहीं रुके. अब आप के पेंशन और खाते का दोबारा वेरीफिकेशन किया जाएगा.”

“अब जैसा कि मैं आप से पूछता जाऊं, आप बताते जाएं. आप की नियुक्ति पुलिस विभाग में फलां सन में दिनांक

इतने….इतने… को हुई थी, आप फलां फलां जनपद में पोस्टेड रहे हैं. आप फलां तारीख को रिटायर हुए हैं.”

“जी…अशोक बाबू आप के द्वारा पूछी व दी गई जानकारी एकदम सही है.”

ट्रेजरी औफिसर के पास राजकुमार की पुलिस विभाग में भरती से ले कर रिटायरमेंट सहित सभी जानकारी डेट बाई डेट फुल डिटेल के साथ थी.

ट्रेजरी औफिसर उन से बातचीत कर सारी जानकारी देते व लेते रहे, जहां राजकुमार को बात समझ नहीं आ रही थी, पास ही बैठे अपने भतीजे से बात करवा देते थे, क्योंकि उन का पेंशन संबंधी वेरीफिकेशन चल रहा था. बीचबीच में अंगरेजी के कई कठिन शब्द ट्रेजरी आफीसर द्वारा पूछ लिए जा रहे थे, जिन का जवाब उन का भतीजा दे रहा था और ट्रेजरी औफिसर द्वारा पूछे जा रहे सवालों से संतुष्ट था.

“राजकुमारजी, आप का वेरीफिकेशन पूरा हुआ. अभी आप के मोबाइल पर ओटीपी का मैसेज आएगा, ओटीपी नंबर मुझे बताइएगा. ताकि आप की हर महीने की पेंशन सुचारू रूप से आप के खाते में आ सके.”

ठगों के झांसे में फंसे दरोगाजी

इतना कह कर राजकुमार ने अपना मोबाइल फोन दोबारा अपने भतीजे को थमा दिया और बोले, “देखो बेटा, ये क्या पूछ रहे हैं? कैसा मैसेज आएगा ओटीपी वगैरह का. मुझे इन सब की विशेष जानकारी नहीं है, तुम्हीं सोचसमझ कर सारी चीजें बताओ.”

“अरे चाचाजी, इस में सोचनासमझना क्या है, ट्रेजरी औफिसर आप के दोस्त हैं न? आप उन से मिल भी चुके हैं, इन के द्वारा जो भी जानकारी अपडेट की जा रही है सब सही भी है, बस ओटीपी नंबर देना है.”

“हां…हां, ठीक है तो बता दे उन्हें, मुझे ये सब नहीं आता. इस के पहले कभी पूछा नहीं गया अब स्मार्टफोन का जमाना है, घर बैठे सब कुछ औनलाइन हो जाता है. फिर भी मैं इतना नहीं जानता हूं, तुम मुझ से ज्यादा स्मार्ट हो, सो तुम्हीं इन्हें बताओ. मुझे ओटीपी सोटीपी की नालेज नहीं है.”

बहरहाल, बात आईगई हो गई. भतीजे ने फोन करने वाले ट्रेजरी औफिसर अशोक कनौजिया को ओटीपी वगैरह बता दिए.

उस के ठीक एक दिन बीत जाने के बाद यानी 21 मार्च को रिटायर्ड एसआई राजकुमार के मोबाइल पर बैंक से मैसेज आया कि 9 लाख 98 हजार रुपया उन के खाते से निकल चुका है. अब राजकुमार का सिर घूमने लगा. उन्होंने सब से पहले ट्रेजरी औफिसर अशोक कनौजिया को फोन लगाया. उधर से आवाज आई, “हैलो कौन?

“अरे अशोक बाबू मैं, राजकुमार बोल रहा हूं.”

“हांहां, जी बताएं दारोगाजी?”

“अजी गजब हो गया, मेरे बैंक अकाउंट से 9 लाख 98 हजार रुपए निकल चुके हैं, जबकि मैं ने फूटी कौड़ी तक नहीं निकाली और न ही बैंक गया.”

“अरेअरे! तो इस में इतना घबराने वाली क्या बात है, मैं बस थोड़ी ही देर में पहुंच कर आप को सारी जानकारी देता हूं, आप निश्चिंत रहें.”

करीब आधे घंटे बाद उन के मोबाइल पर काल आई, “अरे राजकुमारजी, गलती से आप का पैसा दूसरे पेंशनर के खाते में चला गया. चिंता न करें, ऐसा तकनीकी खराबी के कारण हुआ. आप का सारा पैसा दोबारा एकदो दिन मैं आप के खाते में आ जाएगा.”

दरोगाजी की उड़ गई नींद

अभी एक दिन भी नहीं बीता था कि 22 मार्च को दोबारा 10 लाख 49 हजार रुपए उन के खाते से निकल गए. अब राजकुमार का सिर चकराने लगा. कुल मिला कर 3 दिन के अंदर उन के खाते से 20 लाख रुपए से ज्यादा निकाल लिए गए थे. उन्होंने फिर से आननफानन ट्रेजरी औफिसर को फोन लगाया और सारी बात बताई.

उधर से जवाब आया, “दारोगाजी, अभी मैं अपने गांव आया हूं, परसों प्रयागराज लौटूंगा तो देखता हूं कहां क्या मिस्टेक हो रही है. चिंता न करें आप, मैं वापस आते ही औफिस पहुंच कर सब कुछ ठीक कर दूंगा.”

राजकुमार की तो जैसे नींद उड़ गई थी. बात छोटीमोटीरकम की नहीं बल्कि 20 लाख से ज्यादा रुपयों की थी. लिहाजा अगले दिन ही राजकुमार प्रयागराज कचहरी डीएम औफिस कंपाउंड में स्थित कोषागार ट्रेजरी औफिस नियत समय से पहले ही पहुंच गए.

औफिस खुलते ही सीधे वह ट्रेजरी औफिसर अशोक कनौजिया के पास पहुंचे. दुआसलाम के बाद अशोक बाबू से बातचीत का सिलसिला जारी हुआ .

“अरे आइए, आइए बैठिए दरोगाजी, बताएं कैसे आना हुआ?”

इतना सुन कर राजकुमार बड़ी बुरी तरह चौंके, “आप भी अच्छा मजाक कर लेते हैं अशोक बाबू, एकएक पल की खबर है आप के पास और उलटे मुझ से ही पूछ रहे हैं कि कैसे आना हुआ?”

अब राजकुमार से ज्यादा चौंकने की बारी ट्रेजरी औफिसर की थी.

“कैसी बात कर रहे हैं दरोगाजी, किस खबर की बात कर रहे हैं आप?”

“अशोक बाबू, लगातार 3 दिन आप से बात हुई है. मेरे खाते से 20 लाख से ज्यादा रुपए निकल गए हैं, पूरी जानकारी आप ने फोन पर ली और दी, फिर भी पूछ रहे हैं. आप ने कहा था कि गांव से आने के बाद सब ठीक कर दूंगा, किसी दूसरे पेंशनर के खाते में आप का पैसा चला गया है.” राजकुमार ने एक सांस में कह दिया.

अब बुरी तरह से चौंकने की बारी अशोक बाबू समेत पूरे डिपार्टमेंट की थी. अशोक कनौजिया फौरन समझ गए कि दरोगाजी के साथ बहुत तगड़ा फ्रौड हुआ है. उन्होंने राजकुमार से वह मोबाइल नंबर लिया, जिस पर उन की बात होती थी, फिर अपना नंबर बताया और कहा, “दरोगाजी, न मेरी आप से फोन पर बात हुई और न ही मैं गांव गया था.”

“अब पूरी तरह विस्तार से बताएं, हुआ क्या है?”

साइबर ठगों ने उड़ाए 20 लाख

रुंधे गले से राजकुमार ने पूरी कहानी अशोक कनौजिया को बता दी, जिसे पूरा स्टाफ भी सुन रहा था. उन की सारी व्यथा सुनने के बाद बात पूरी तरह साफ हो गई थी कि वह बहुत बड़ी धोखाधड़ी यानी साइबर क्राइम का शिकार हो चुके थे. फौरन उन के खाते को खंगाला गया तो वास्तव में 20 लाख रुपए 3 दिन के भीतर साइबर अपराधियों ने उन के खाते से गायब कर दिए थे.

अशोक कनौजिया ने अपना सिर पकड़ते हुए कहा, “दरोगाजी, आप के पास मेरा मोबाइल नंबर था. एक बार चैक तो कर लेते. आप जैसे पढ़ेलिखे लोग वो भी पुलिस विभाग से रिटायर्ड, कैसे इतना बड़ा गच्चा खा गए? एक बार आ कर औफिस में कंफर्म तो कर लेते. पहली बार में ही आप को यहां आना चाहिए था, जब आप की 10 लाख रुपए की भारीभरकम रकम निकली थी. बड़े अफसोस की बात है, आप के जीवन भर की जमापूंजी एक छोटी सी नादानी के कारण आप के अकाउंट से साइबर ठग ने निकाल ली. आखिर कैसे इतना बड़ा धोखा हो गया आप से?”

“क्या बताऊं अशोक बाबू, जब मैं 38 मार्च को आप से मुलाकात कर के घर चला गया था, उसी के ठीक तीसरे दिन उस धोखेबाज का फोन आया था. उस की आवाज हूबहू आप की आवाज से मिल रही थी, मैं ने सोचा कि आप ही मुझ से बात कर रहे हैं. इसे इत्तेफाक और मेरा दुर्भाग्य ही कह सकते हैं कि उस के पास जैसे मेरा पूरा रेकौर्ड था. मैं ने आप को ही समझ कर पूरी जानकारी देता गया और वह इतने कौन्फीडेंस के साथ बात कर रहा कि सिर्फ मैं ही नहीं, परिवार के सभी सदस्य उस के झांसे में आ गए.”

ट्रेजरी औफिसर और स्टाफ ने राजकुमार को सांत्वना और ढांढस बंधाते हुए साइबर सेल थाने जा कर उस साइबर क्रिमिनल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की सलाह दी. उस के खिलाफ मुकदमा लिखवाने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं बचा था. सो लुटेपिटे और थकेहारे रिटायर्ड एसआई राजकुमार आईजी जोन औफिस स्थित साइबर क्राइम थाने पहुंचे, जहां उन की मुलाकात इंसपेक्टर राजीव कुमार तिवारी से हुई. रिटायर्ड एसआई राजकुमार ने उन्हें अपना परिचय देते हुए अपनी सारी व्यथा उन के सामने कह डाली.

साइबर क्राइम पुलिस आई हरकत में

इंसपेक्टर राजीव कुमार तिवारी ने राजकुमार से साइबर ठग का मोबाइल नंबर वगैरह नोट करते हुए आईपीसी की धारा 410, 420 के अलावा 66सी, डी आईटी ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया. चूंकि मामला पुलिस विभाग के एक रिटायर्ड एसआई का था, जिसे साइबर ठग ने नहीं बख्शा. काफी शातिर ठग था जिस का हर हाल में परदाफाश करना था, सो राजकुमार से बोले, “राजकुमारजी, आप की हरसंभव मदद की जाएगी. हम अपराधियों को पाताल से भी निकाल लेंगे, ये मेरा वादा है.”

साइबर थाने में इसी तरह का केस सितंबर 2022 में भी आया था. मूलरूप से चंदौली जिले के कांवरनाथ बलुआ निवासी भोला चौधरी भी उत्तर प्रदेश पुलिस में हैडकांस्टेबल थे. वह प्रयागराज के खुल्दाबाद में रहते हैं. उन के रिटायर होने के बाद उन के खाते से भी 15 सितंबर, 2022 को 10 लाख रुपए साइबर अपराधियों ने निकाल लिए थे. उन्होंने 16 सितंबर, 2022 को साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

राजकुमार की तहरीर ले कर साइबर थाने के इंचार्ज राजीव तिवारी सीधे सीओ अतुल यादव के पास पहुंचे और रिटायर्ड एसआई राजकुमार के साथ हुए साइबर फ्रौड का पूरा मामला बयान किया. जिसे सुनने के बाद फौरन सीओ अतुल यादव ने अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए एक टीम गठित की.

इस टीम में थाना इंचार्ज राजीव कुमार तिवारी, एसआई अनुज कुमार तिवारी, राघवेंद्र कुमार पांडेय, हैडकांस्टेबल सत्येश राय, कांस्टेबल रूप सिंह, लोकेश पटेल, प्रदीप कुमार यादव, अनुराग यादव, मुसलिम खां को शामिल किया गया.

पीडि़त राजकुमार द्वारा उपलब्ध कराए गए फोन नंबर को ट्रैकिंग के लिए सर्विलांस पर लगा दिया गया. पुलिस ने उस नंबर पर काल करनी चाही तो कभी नाट अवेलेबल तो कभी नाट रीचेबल तो कभी आउट औफ नेटवर्क कवरेज एरिया बताया जा रहा था.

पुलिस ने उस फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर यह जांच की कि उस नंबर से किनकिन लोगों से संपर्क किया गया. जांच टीम ने यह भी पता लगा लिया कि रिटायर्ड एसआई राजकुमार के खाते से रकम किनकिन अकाउंट में ट्रांसफर की गई थी. जानकारी मिली कि वह रकम पश्चिम बंगाल के बैंक खाते में ट्रांसफर की गई थी. फिर वह वहां से दूसरे खातों में भेजी गई.

साइबर क्राइम ब्रांच की एक टीम पश्चिम बंगाल पहुंच गई. वहां जा कर पता चला कि जिन लोगों के खातों में यह ठगी की रकम ट्रांसफर की गई थी, वे बेहद गरीब थे. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपना बैंक अकाउंट नंबर 20 हजार रुपए महीना अंकित को किराए पर दे रखा है. उन्हें नहीं पता कि अंकित उन के अकाउंट में क्या करता है. पुलिस टीम को किराए पर बैंक अकाउंट देने की जानकारी मिली थी.

बहरहाल, पुलिस को उन खाताधारकों से पता चला कि अंकित नार्थ 24 परगना के बैरकपुर में रहता है. पुलिस को उस का फोन नंबर भी मिल गया, जिसे सर्विलांस पर लगवा दिया. अंकित की काल डिटेल्स से भी पुलिस को कई और संदिग्ध फोन नंबर मिले. करीब 3 महीने तक जांच टीम साइबर अपराधियों की तलाश में जुटी रही.

आखिर मई, 2023 के तीसरे सप्ताह में पुलिस को साइबर अपराधियों तक पहुंचने में सफलता मिल गई और इस केस के 5 शातिर साइबर अपराधियों को झारखंड से गिरफ्तार कर लिया गया.

साइबर अपराधियों के गैंग का हुआ खुलासा

पूछताछ के दौरान पता चला कि गिरफ्तार साइबर ठग अब्दुल मतीन उर्फ मार्टिन (35) निवासी बारा, जिला देवघर, झारखंड जोकि इस गैंग का सरगना था और उस के साथी 29 वर्षीय अंकित अग्रवाल निवासी अलीगोत महल सदर बाजार, बैरकपुर जिला नार्थ चौबीस परगना, पश्चिम बंगाल, 25 वर्ष का बशारत अंसारी निवासी ग्राम संथाली सिमरा, जिला देवघर, झारखंड, एस.के. जीशान (25 वर्ष) न्यू टेंगरा रोड, सर्कस एवेन्यू कोलकाता पश्चिम बंगाल, विजय प्रसाद (25 वर्ष) निवासी गोविंदा खटीक रोड, सर्कस एवेन्यू, कोलकाता पश्चिम बंगाल थे.

इन्होंने पुलिस अधिकारियों को बताया कि कैसे रिटायर्ड कर्मचारियों को ओपन सोर्स से औनलाइन जानकारी कर के मोबाइल फोन पर ट्रेजरी औफिसर बन कर फोन करते थे और घटना को अंजाम देने के लिए अपने फोन नंबरों को ट्रूकालर पर ट्रेजरी अधिकारी के नाम से अपडेट कर रखे थे.

इन का पहला टारगेट पेंशन खाताधारक को नौकरी से संबंधित पूरी जानकारी जैसे नियुक्ति दिनांक, रिटायरमेंट की तारीख वगैरह बता कर पहले विश्वास में लेना होता था. उन्हें विश्वास में लेने यानी शीशे में पूरी तरह उतारने के बाद पेंशन खातों को औनलाइन वेरीफिकेशन के नाम पर गोपनीय दस्तावेजों ओटीपी को रिमोट एक्सेसिंग ऐप (एनीडेस्क, टीमव्यूवर आदि) के माध्यम से प्राप्त कर के पेंशनर के एकाउंट से औनलाइन बैंकिंग ऐप को डाउनलोड और चालू कर के रकम निकाल लेते थे.

जब साइबर क्राइम थाने की टीम ने गहराई से जानकारी जुटाई तो पाया कि इस पूरे मामले में झारखंड और पश्चिम बंगाल का गैंग शामिल है. साइबर ठगों से बरामद प्रयोग में किए जाने वाले मोबाइल सिमकार्ड, एटीएम कार्ड और मोबाइल नंबरों को तेलंगाना पुलिस और राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर जब सर्च किया गया तो पाया कि अभियुक्त अब्दुल मतीन और इस के गैंग के सदस्यों द्वारा 179 साइबर ठगी की वारदातें की गई हैं. पता चला कि करोड़ों रुपए की साइबर ठगी करने वाले इस गैंग के 12 लोग पहले ही विभिन्न राज्यों से गिरफ्तार हो चुके हैं. इस गैंग ने ज्यादातर पुलिस वालों को ही ट्रेजरी औफिसर बन कर ठगा.

जानकारी मिली कि साइबर गैंग के द्वारा पूरे देश में एक लंबे समय से रिटायर्ड कर्मचारियों से कई करोड़ रुपए की ठगी की गई है, जिस का मिलान अन्य प्रदेशों की जांच एजेंसियों से संपर्क स्थापित कर के किया जा रहा है. अभियुक्तों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे बैंक खातों को पुलिस अधिकारियों ने फ्रीज करा दिया है और इस खेल में शामिल अन्य लोगों की तलाश की जा रही है.

पुलिस ने गिरफ्तार किए गए साइबर ठगों से 9 मोबाइल फोन, 15 एटीएम कार्ड, 11 प्रीएक्टिवेटेड सिम कार्ड, स्मार्ट घड़ी आदि बरामदकिए. 23 मई, 2023 को पुलिस मुख्यालय प्रैस कौन्फ्रैंस कर घटना का खुलासा किया. गिरफ्तार अभियुक्तों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

रिटायर्ड कर्मी भी ऐसे बचें साइबर ठगों से

रिटायर्ड कर्मी ट्रेजरी फ्रौड से बचने के लिए इन टिप्स को ध्यान से समझें—

ट्रेजरी विभाग की तरफ से फोन कर के पेंशनर्स से कोई जानकारी नहीं मांगी जाती, इसलिए इस डिपार्टमेंट के नाम से कोई काल करे तो उसे रिसीव न करें. यदि किसी पेंशनर को ट्रेजरी विभाग के कर्मचारियों से संपके करना है तो वह फोन करने के बजाय सीधे कार्यालय आएं, ताकि ठगी न हो सके. फोन पर बात करते हुए बैंक से जुड़ा कोई काम न करें, इस के बजाय कोई दिक्कत हो तो सीधे बैंक या ट्रेजरी कार्यालय में जाएं.

साइबर क्रिमिनल कई बार पैसों के ट्रांसफर कराने के नाम पर वेरिफिकेशन कोड मांग लेते हैं, इसलिए फोन पर ऐसी बात कभी न करें. अगर किसी के पेंशन खाते में दिक्कत आ भी रही है तो इस के लिए फोन न करें, इस के बजाय कार्यालय में आ कर ही बात करें.

सभी पेंशनर अपने मोबाइल नंबर को बैंक अकाउंट से अपडेट रखें और एटीएम कार्ड का पासवर्ड समयसमय पर बदलते रहें. पेंशनर कभी भी बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड डिटेल्स, आधार कार्ड या कोई जानकारी किसी को भी न बताएं. रिटायर होने के बाद बैंक में जा कर भी अपनी निजी जानकारी खुल कर न बताएं वरना वहां मौजूद शख्स भी फरजीवाड़ा कर सकता है.

किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें. ट्रेजरी फ्रौड से बचने के लिए जो रिटायर होने वाले अधिकारी व कर्मचारी हैं, वह किसी भी ट्रेजरी अधिकारी के फोन करने पर अपनी कोई भी गोपनीय जानकारी जैसे एटीएम पिन ओटीपी आदि शेयर न करें. वह फोन पर आए किसी भी लिंक पर क्लिक न करें, क्योंकि बैंक और ट्रेजरी औफिस से कोई भी जानकारी फोन के माध्यम से नहीं मांगी जाती है.

इस के बावजूद भी अगर फिर भी कोई इस तरह की साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं तो तत्काल 1930 पर काल करें तथा नजदीकी साइबर अपराध सेल या पुलिस थाने में संपर्कं करें.

—अतुल कुमार यादव

सीओ – साइबर क्राइम थाना, प्रयागराज

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