MP News : समीर अग्रवाल ऐसा शातिर व्यक्ति था कि उस ने अपने सागा ग्रुप के अंतर्गत केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय से 7 सोसाइटियों के रजिस्ट्रैशन कराए. इस के बाद उस ने देश के विभिन्न शहरों में दफ्तर खोल कर विभिन्न आकर्षक योजनाओं में लोगों के 10 हजार करोड़ रुपए जमा कराए. लालच में फंसे लोगों को अपने ठगे जाने का अहसास तब हुआ, जब…

मध्य प्रदेश के भिंड जिले के दबोह कस्बे के रहने वाले गोटीराम राठौर उस दिन अपने खेत में लगी गेहूं की फसल में पानी दे कर अपने घर कुछ समय पहले ही आए थे. पत्नी खाना परोसने की तैयारी कर रही थी कि एक परिचित व्यक्ति ने उन के घर पर दस्तक देते हुए कहा, ”भाईजी नमस्कार, मैं एलजेसीसी (लस्टिनेस जनहित क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड) का एजेंट हूं. सोसाइटी बैंकिंग का काम भी करती है. ग्राहकों के लिए सोसाइटी बहुत सी बचत की स्कीम चला रही है, जिस में रुपए जमा करने पर भरपूर फायदा मिलता है. सोसायटी की कुछ स्कीम के बारे में जानकारी देने आया हूं.’’

”हां जी, बताइए कौन सी स्कीम है आप की सोसायटी की.’’ सामने पड़े लकड़ी के तख्त पर बैठने का इशारा करते हुए गोटीराम ने कहा.

”हमारी सोसायटी की स्कीम के तहत आप का जमा रुपया 5 साल में दोगुना हो जाता है. बैंकों से ज्यादा ब्याज हमारी सोसायटी ग्राहकों को देती है, कम समय में रकम दोगुना करने की स्कीम और किसी भी बैंक में नहीं है.’’ एजेंट बोला.

”इस सोसायटी का औफिस वगैरह कहां है. हमारा जमा पैसा सुरक्षित तो रहेगा न?’’ आशंका जाहिर करते हुए गोटीराम बोले.

”हां जी, सौ फीसदी सेफ. यह सोसायटी भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में रजिस्टर्ड है और भिंड शहर में ही सोसाइटी की ब्रांच है. फिर मैं हूं न.’’ एजेंट बोला.

”कितने रुपए जमा करने होंगे थोड़ा जानकारी दीजिएगा.’’ गोटीराम ने जिज्ञासा दिखाते हुए कहा.

”कम से कम 5 हजार और अधिकतम जितना आप जमा कर सकें.’’ एजेंट बोला.

”हमें जमीन के मुआवजे के तौर पर साढ़े 5 लाख रुपए मिले हैं, क्या पूरी रकम जमा कर सकते हैं?’’ गोटीराम ने पूछा.

”हां, जरूर कर सकते हैं, 5 साल में सोसाइटी आप को 11 लाख रुपए वापस कर देगी.’’ एजेंट ने भरोसा दिलाते हुए कहा.

तभी गोटीराम की पत्नी एजेंट को चाय बना कर ले आई. चाय पीने के बाद गोटीराम ने एजेंट से पूछा, ”इस के लिए कौन से दस्तावेज की जरूरत पड़ेगी और रुपए चैक से देने होंगे या नकद?’’

”भाईजी, बस आप का आधार कार्ड, एक फोटो आप को देनी होगी और नकद रुपए जमा करने पड़ेंगे.’’ एजेंट बोला.

”ठीक है, 2 दिन बाद आ जाइए, मैं बैंक से पैसा निकाल कर ले आऊंगा.’’ गोटीराम ने सहमति देते हुए कहा. गोटीराम राठौर की खेती की जमीन को सरकार ने हाईवे बनाने के लिए अधिगृहीत किया था, इस के एवज में उन्हें साढ़े 5 लाख रुपए का मुआवजा मिला था. गोटीराम ने सोचा यह रकम 5 साल में दोगुनी हो जाएगी यानी 11 लाख रुपए मिलेंगे. फायदे का सौदा देख गोटीराम ने पूरी रकम एजेंट के जरिए सोसाइटी में जमा कर दी. यह बात 2019 की है.

5 साल पूरे होने पर गोटीराम अपने दोगुने रुपए पाने का इंतजार कर रहे थे कि उन्हें पता चला कि यह सोसाइटी बहुत से लोगों का पैसा ले कर चंपत हो गई. आज हालात ये हैं कि सोसाइटी के दफ्तरों में ताले पड़े हुए हैं. गोटीराम राठौर की एक गलती की वजह से उन की जमीन भी चली गई और लालच में पैसा भी गंवा बैठे. एकांत में बैठ कर वे खुद को बारबार अभी भी कोसते हैं. यह कहानी अकेले गोटीराम की नहीं है. भिंड जिले के अलगअलग कस्बों के लोगों के साथ इसी तरह का फ्रौड हुआ है, जिस में लोगों की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपए डूब चुके हैं.

टीकमगढ़ में ठेले पर सैंडविच बेचने वाले  अनूप रैकवार ने भी आज से 3 साल पहले एलजेसीसी में हर दिन 500 रुपए जमा किए थे. उसे बताया गया था कि 3 साल में 5 लाख 40 हजार रुपए जमा होंगे और मैच्योरिटी पूरी होने पर 7 लाख रुपए वापस मिलेंगे. अनूप दिन भर जीतोड़ मेहनत कर अपने बच्चों के भविष्य के लिए यह बचत कर रहा था. अब कंपनी भाग गई है. जिस एजेंट ने उस से पैसा जमा करवाया था, उस ने भी पैसा देने से हाथ खड़े कर दिए तो अनूप के सारे सपने बिखर गए.

इसी तरह गंजबासौदा में फेरी लगा कर सामान बेचने वाले सचिन गोयल जेएलसीसी में रोज 100 रुपए जमा करता था. उस ने इस तरह 36 हजार रुपए जमा किए. एक साल में उसे 38 हजार रुपए देने का लालच दिया गया था. अब ब्रांच में ताला लग चुका है तो सचिन अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है.

समीर ने किया 10 हजार करोड़ का फ्रौड

जब इस पूरे मामले की पड़ताल की गई तो पता चला कि एलजेसीसी सोसाइटी ने न केवल भिंड में बल्कि मध्य प्रदेश के 16 जिलों के लोगों के साथ करीब 10 हजार करोड़ का फ्रौड किया है. फ्रौड के शिकार हुए लोग अब पुलिस थानों के चक्कर काट रहे हैं. फ्रौड करने वाली इस सोसाइटी का संबंध सागा ग्रुप से है, जिस ने पिछले 15 सालों में देश के 16 राज्यों के एक हजार शहरों व कस्बों में अलगअलग नाम की कंपनी और फिर सोसाइटियों के दफ्तर खोल रखे थे. एमपी के टीकमगढ़, विदिशा, भिंड, सागर, छतरपुर, दमोह, सागर, कटनी, सीहोर आदि शहरों में जनवरी 2024 से कंपनी ने मैच्योरिटी की राशि का भुगतान करना बंद कर दिया था.

पहले लोगों को लोकसभा चुनाव का हवाला दिया गया, इस के बाद अलगअलग बहाने बनाए गए. जब पैसा नहीं मिला तो लोगों ने थाने पहुंच कर शिकायतें करनी शुरू कीं. अगस्त 2024 में ललितपुर और टीकमगढ़ में एक साथ पुलिस ने पहली बार पीडि़तों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की. अगस्त 2024 में टीकमगढ़  शहर के कई निवेशकों ने एसपी औफिस आ कर शिकायती पत्र देते हुए बताया था कि टीकमगढ़ शहर के चकरा तिराहे स्थित एलजेसीसी औफिस बंद कर के भाग गई है और लोगों का करोड़ों रुपए वापस नहीं कर रहे हैं. टीकमगढ़ के तत्कालीन एसपी रोहित काशवानी के पास सागा ग्रुप की सोसाइटी के खिलाफ 100 लोगों की शिकायतें आईं.

शिकायत मिलने के बाद टीकमगढ़ पुलिस कोतवाली में लस्टिनेस जनहित क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसाइटी के खिलाफ 5 एफआईआर दर्ज कीं और इस मामले की जांच के लिए एडिशनल एसपी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया. टीकमगढ़ शहर में ब्रांच मैनेजर रहे सुबोध रावत सहित 5 लोगों को हिरासत में ले कर जब पूछताछ की गई तो इस पूरी चिट फंड कंपनी और लोगों से ठगी करने वाले गिरोह का परदाफाश हुआ. इस सोसाइटी में काम करने वाले लोगों ने करोड़ों रुपए की ठगी कर के अपनी संपत्ति बनाई. इस कंपनी का सीएमडी समीर अग्रवाल दुबई में रहता है, उस के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया.

एसपी ने बताया कि वर्ष 2012 से ले कर 2024 तक 12 वर्षों के दौरान इस कंपनी ने टीकमगढ़ जिले के निवेशकों से करोड़ों रुपए की राशि फरजी तरीके से हड़प कर के बैंक प्रबंधन में काम करने वाले कर्मचारियों ने जमीन, मकान, वाहन और सरकारी बैंकों में एफडीआर बना लिए और अंत में सोसाइटी को बंद कर के फरार हो गए. इन में से सोसाइटी के टीकमगढ़ हैड सुबोध रावत समेत 11 आरोपियों को पुलिस ने उसी समय गिरफ्तार कर लिया था. साथ ही आरोपियों की 4 करोड़ रुपए कीमत की प्रौपर्टी भी जब्त की थी, जिस में वाहन और जमीनें शामिल थीं.

चिटफंड कंपनी के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले 5 आरोपियों ब्रांच मैनेजर सुबोध रावत, अजय तिवारी, विजय कुमार शुक्ला, राहुल यादव और जियालाल राय को गिरफ्तार कर  इन सभी आरोपियों पर बीएनएस की धारा 111, 318, 61(2) के तहत गिरफ्तारी की गई.

मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में भी सोसाइटी द्वारा कई हजार करोड़ की ठगी सिंडिकेट बना कर की गई. ललितपुर के एसपी मोहम्मद मुश्ताक के मुताबिक, अभी तक 13 एफआईआर दर्ज की हैं. इस मामले में ललितपुर के मास्टरमाइंड रवि तिवारी और आलोक जैन को गिरफ्तार किया है. उन के खातों में जमा 54 लाख रुपए फ्रीज कराया गया है. ईडी भी इस मामले की जांच कर रही है. उत्तराखंड पुलिस भी 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. दुबई के अबूधाबी में बैठे मास्टरमाइंड समीर अग्रवाल की गिरफ्तारी के लिए लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया है.

शुरुआत में सागा ग्रुप ने अपना खूब प्रचारप्रसार करते हुए दावा किया कि उन की कंपनी विदेशों में सोने, कोयले की खदान, तेल कुआं और रियल एस्टेट का काम करती है. कंपनी का सीएमडी समीर अग्रवाल इतना शातिरदिमाग है कि उस ने पिछले 15 साल से अलगअलग नाम की कंपनी और सोसाइटियों के जरिए लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी को अंजाम दिया.

सब से पहले साल 2009 में एडवांटेज ट्रेड काम नाम से ग्वालियर में कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया. उस समय यह कंपनी टूर पैकेज बेचने का काम करती थी. इस में 7,500 रुपए एक ग्राहक से लिए जाते थे. टूर देश के ही अलगअलग हिस्सों में कराया जाता था. 3 साल के इस प्लान में यदि कोई ग्राहक टूर नहीं करता था तो उसे डबल रकम के तौर पर 15,000 रुपए भुगतान का लालच दिया जाता था.

साल 2012 में औप्शन वन इंडस्ट्रीज लिमिटेड कंपनी का ग्वालियर में औफिस खोल लिया और इस कंपनी में एडवांटेज ट्रेड के ग्राहकों को मर्ज कर दिया गया. इस का हैड औफिस इंदौर में खोला गया. कंपनी तब बांड बेचती थी, इस में 5 साल में लोगों की रकम डबल करने का झांसा दे कर लाखों रुपए जमा कराए गए. साल 2016 में कंपनी बंद कर के समीर अग्रवाल ने कृषि मंत्रालय में अलगअलग नामों से 7 सोसाइटियां रजिस्टर्ड करा लीं. मध्य प्रदेश में श्री स्वामी विवेकानंद मल्टीस्टेट कोऔपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी (एसएसवी) ने औप्शन वन इंडस्ट्रीज लिमिटेड कंपनी का स्थान लिया.

जब भोपाल में एसएसवी के खिलाफ शिकायतें और एफआईआर दर्ज होने पर सेबी ने इस के कामकाज पर रोक लगा दी तो साल 2019 में एसएसवी सोसाइटी बंद कर लस्टिनेस जनहित क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (एलजेसीसी) खोल ली. एमपी में इस सोसाइटी ने काम शुरू किया तो एसएसवी के सभी ग्राहकों को इस में मर्ज कर दिया गया, लेकिन सारा काम पुरानी सोसाइटी की तरह ही होता रहा. सागा ग्रुप ने एमपी में उन जगहों को टारगेट किया, जहां लोगों को सरकारी मुआवजे के तौर पर पैसा मिला था.

एमपी और यूपी के बुंदेलखंड रीजन में पिछले सालों में सरकार के कई बड़े प्रोजेक्ट आए थे. ललितपुर में 2012 में बजाज पावर प्लांट की स्थापना हुई, मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में बानसजारा बांध बना. सरकार ने लोगों की जमीनें अधिगृहीत कर उन्हें मुआवजा दिया. किसानों के पास आए इस पैसे पर सागा ग्रुप ने नजर जमा कर सोसाइटियों के जरिए यह पैसा अपनी स्कीम्स में निवेश करा लिया.

लोगों को प्रलोभन देने के लिए कंपनी ने तरहतरह की स्कीमें चला रखी थीं. इस काम के लिए कंपनी ने एजेंट बना रखे थे. कंपनी ने एजेंटों को भी लुभावने औफर दे कर अपने जाल में फंसा लिया था. कंपनी द्वारा चलाए गए मासिक पेंशन प्लान में 500 से 25 हजार का लगातार 78 महीने तक निवेश करने पर हर महीने 450 रुपए से ले कर 90 हजार रुपए देने का वादा किया गया. धन पेटी स्कीम में एक हजार से 25 हजार रुपए 78 महीने तक इनवैस्टमेंट करने पर 21 साल बाद 3.75 लाख से 93.80 लाख रुपए देने का औफर ग्राहकों को दिया गया था.

सोसाइटी एजुकेशन प्लान के अंतर्गत कहा गया था कि एक से 10 हजार रुपए 7 साल तक हर महीने जमा करने पर 14 साल 6 महीने बाद मैच्योरिटी होने पर 2.50 लाख से ले कर 25 लाख रुपए मिलेंगे. दिवाली औफर के नाम पर शुरू की गई योजना में हर महीने 200 रुपए 3 साल तक जमा करने पर मैच्योरिटी होने पर 9,440 रुपए देने को कहा गया. कंपनी स्कीमों के लिए पासबुक से ले कर बांड देती थी, जिस में पूरा ब्योरा दर्ज होता था.

शातिरों ने कैसे फैलाया ठगी का नेटवर्क

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में  सागा ग्रुप ने साल 2012-13 के बीच कुल 7 सोसाइटियों का रजिस्ट्रैशन कृषि मंत्रालय में कराया, इन में से 2 सोसाइटियों के दफ्तर मध्य प्रदेश में खोले गए. लस्टिनेस जनहित क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन 24 जनवरी 2013 को हुआ, जिस में समीर अग्रवाल सीएमडी, अनुराग बंसल चेयरमैन, आर.के. शेट्टी वित्तीय सलाहकार, संजय मुदगिल ट्रेनर, सुतीक्ष्ण सक्सेना और पंकज अग्रवाल पार्टनर के तौर पर जुड़े. सागा ग्रुप ने सोसाइटी का रजिस्ट्रैशन लोन देने के लिए किया था.

कंपनी 2016 से बैंकिंग, क्रेडिट, एफडी, आरडी, एमआईएस, सुकन्या, धन पेटी, एजुकेशन प्लान, पेंशन प्लान, आयुष्मान जैसी स्कीम में देश के 6 राज्यों में 7 सोसाइटियों के जरिए लोगों से पैसा इनवेस्ट कराने लगी.  सोसाइटियों के रजिस्ट्रैशन के बाद देशभर में तहसील और ब्लौक स्तर पर एक हजार ब्रांच खोल कर करीब एक लाख एजेंट्स बनाए गए. कुछ को सैलरी पर रखा, बाकियों को इनवैस्टमेंट लाने पर 4 से 12 प्रतिशत का कमीशन दिया जाता था. मध्य प्रदेश के 16 जिलों में 40 ब्रांच औफिस खोले गए. यूपी के ललितपुर समेत 22 जिलों में भी जगहजगह ब्रांच औफिस खोले गए.

ये सोसाइटी लुभावनी स्कीम लांच कर लोगों के पैसे जमा कराती थी, इन में मंथली इनकम सहित एफडी, आरडी, एमआईएस की रसीद दे कर मैच्योरिटी की तारीख तय कर देती थी. नकद लेनदेन पर ज्यादा जोर था. इस में प्रतिदिन के हिसाब से भी लोगों से पैसे जमा कराए जाते थे. सभी सातों सोसाइटियों में एक तरह के निवेश प्लान लांच किए गए थे, इन में एक साल से ले कर 21 साल तक के प्लान शामिल थे. एक हजार रुपए एक साल में जमा करने वाले को 1,172 रुपए दिए जाते थे. वहीं, 5 साल की एफडी पर यह रकम दोगुना करने का दावा करते थे.

इस के अलावा रोजाना और महीने के अनुसार आरडी का भी प्लान था. इस में 200 रुपए महीने जमा करने पर एक साल की मैच्योरिटी पर 2,560 रुपए मिलते थे. आरडी 200 से 5,000 रुपए के बीच कोई भी खोल सकता था, इस में भी एक साल से ले कर 7 साल तक का प्लान पेश किया गया था. लोगों को आकर्षित करने के लिए सागा ग्रुप ने वेबसाइट और ऐप बना रखे थे. सभी एजेंटों को ऐप के जरिए ही लोगों के पैसे जमा कराने होते थे. इस का लौगिन और पासवर्ड होता था. इस में ग्राहक की पौलिसी नंबर के आधार पर एजेंटों को उस की मैच्योरिटी देखने की सुविधा मिलती थी.

एजेंट जोडऩे का चेन सिस्टम था. एजेंट जो भी पैसे निवेश कराते थे, उस के ऊपर वाले एजेंट को भी उस में से कुछ प्रतिशत कमीशन मिलता था. ये चेन सिस्टम सीएमडी समीर अग्रवाल तक बना हुआ था. इसी ऐप में एजेंट्स का कमीशन भी आता था, जो पौइंट्स के रूप में दिखता था. इसे कैश करने का एक ही तरीका था कि उतनी राशि वो किसी ग्राहक से निवेश कराए और उसे खुद रख कर पौइंट के रूप में मिले कमीशन से उस का भुगतान कर दे. एजेंटों को उन के कमीशन पर सोसाइटी जीएसटी भी काटती थी.

एजेंटों को हर महीने ट्रेनिंग के लिए झांसी, सागर, लखनऊ, भोपाल आदि शहरों में बुलाया जाता था, जहां उन के रुकने से ले कर खानेपीने की सारी व्यवस्था सोसाइटी ही करती थी. समयसमय पर एजेंट को औनलाइन ट्रेनिंग कराई जाती थी. ट्रेनर के तौर पर संजय मूट्रिल जुड़ता था, वो एजेंटों को टारगेट पूरा करने पर मिलने वाले औफर्स को इतने लुभावने तरीके से पेश करता था कि एजेंट उसे पूरा करने के लिए जीजान लगा देते थे.

एलजेसीसी सहित सभी सोसाइटी अपने एजेंटों को टारगेट पूरा करने पर मुंबई, गोवा आदि शहरों के साथ बैंकाक, थाईलैंड और दुबई जैसे देशों की सैर भी कराती थी. देश के बड़ेबड़े शहरों जैसे मुंबई, हैदराबाद, अहमदाबाद, चेन्नै आदि जगहों पर सेमिनार करती थी. इन में एजेंटों को सम्मानित किया जाता था. साथ ही टारगेट पूरा करने वाले एजेंट्स को बड़ी और महंगी गाडिय़ां गिफ्ट में दी जाती थीं. किसे कौन सी गाड़ी मिलेगी, यह उस के हर महीने के इनवैस्टमेंट पर डिपेंड करता था. न्यूनतम राशि के साथ कंपनी गाड़ी खरीद कर देती थी. बाकी पैसा बैंक से फाइनैंस कराया जाता था, जिस की किस्त एजेंट अपने टारगेट पूरे कर भरता था.

हाईकोर्ट तक कैसे पहुंचा ठगी का मामला

भोपाल की चिटफंड कंपनी सागा ग्रुप  और उस से जुड़ी सहकारी सोसाइटी में 10 हजार करोड़ की धोखाधड़ी, हजारों निवेशकों के साथ ठगी के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच में 2 सितंबर, 2024 को सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा एवं जस्टिस विनय सराफ की डबल बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार सहित संबंधितों को नोटिस जारी किया है. अदालत ने स्टेटस रिपोर्ट अगली सुनवाई से पहले कोर्ट में पेश करने के भी निर्देश दिए हैं.

याचिका में इस धोखाधड़ी की जांच निष्पक्ष एजेंसी या सीबीआई से कराने की मांग की गई थी. याचिका में डीजीपी, प्रमुख सचिव गृह विभाग, एसपी भोपाल, कोऔपरेटिव सोसाइटी और उन के पदाधिकारियों सहित अन्य को अनावेदक बनाया गया है. भोपाल के पिपलानी की तरह सागर के रहली थाने में 15 सितंबर, 2024 को पुष्पेंद्र राठौर ने अशोक राज, संजय मिश्रा और सुषमा मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. पुष्पेंद्र ने शिकायत में बताया था कि वह 2022 में कंपनी से एजेंट के तौर पर जुड़ा था. उस ने लोगों से 14 लाख रुपए जमा कराए थे. साल 2024 में 35 लोगों की मैच्योरिटी पूरी हुई तो उस ने भुगतान के लिए ब्रांच से संपर्क किया.

ब्रांच के लोग कुछ समय तक अलगअलग बहाने बनाते रहे. फिर कहा गया कि रहली की इस ब्रांच को मकरोनिया में मर्ज कर दिया गया है, वहां से भुगतान होगा. किसी तरह 5 लाख रुपए के लगभग भुगतान तो कर दिया  गया, लेकिन अभी 10 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया गया है. इस मामले में बीएनएस की धारा में प्रकरण दर्ज कर रहली पुलिस ने इस मामले में 9 नवंबर, 2024 को ब्रांच मैनेजर अशोक राज को गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद आरोपी की ओर से शिकायतकर्ता से समझौता कर लिया गया. शिकायतकर्ता पुष्पेंद्र राठौर ने बताया कि उस के द्वारा कराए गए निवेश की राशि लौटा दी गई है. इस की वजह से उस ने शिकायत वापस ले ली.

निवेशकों को चूना लगाने में उत्तर प्रदेश के एक जीजासाले की जोड़ी की अहम भूमिका रही है. आलोक की ममेरी बहन शैलजा बजाज से रवि तिवारी की शादी हुई थी. इस तरह से दोनों रिश्ते में जीजासाले लगते हैं. ललितपुर के रहने वाले आलोक जैन और रवि तिवारी दोनों ने एक साथ समीर अग्रवाल की कंपनी जौइन की थी. कंपनी से जुडऩे से पहले आलोक ललितपुर मंडी में जूट के बोरे बेचने का काम करता था. आलोक को समीर अग्रवाल ने यूपी और उत्तराखंड का हैड बनाया था. उस ने एमपी में कंपनी के ब्रांच औफिस खोलने में अहम भूमिका निभाई थी. आलोक ने अकेले समीर अग्रवाल की जेएलसीसी और यूएलसीसी सोसाइटियों में 1800 करोड़ रुपए का निवेश कराया था.

आलोक ने ललितपुर, भोपाल, इंदौर में काफी प्रौपर्टी बनाई है. ललितपुर में वह कई कालोनियों में पार्टनर भी है. उस ने हैदराबाद में भी प्रौपर्टी खरीदी है. ललितपुर पुलिस के मुताबिक आलोक जैन के पास 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है. उत्तर प्रदेश के ललितपुर के रहने वाले रवि तिवारी के पिता तिलकराम होमगार्ड जवान थे. 3 भाइयों में सब से बड़ा रवि साल 2008-09 में पिता के साथ ललितपुर में चाट फुलकी का ठेला लगाता था. साल 2009 में समीर अग्रवाल ने झांसी में एडवांटेज ट्रेड काम कंपनी का एक कार्यक्रम आयोजित किया था. रवि अपने रिश्तेदार आलोक के साथ इस कार्यक्रम में पहुंचा था. दोनों ने बतौर एजेंट एडवांटेज ट्रेड काम कंपनी जौइन की. उस समय दोनों की उम्र मुश्किल से 17-18 साल रही होगी.

दोनों ने बेहद कम समय में कंपनी को करोड़ों का इनवैस्टमेंट दिलाया तो सीएमडी समीर अग्रवाल के चहेते बन गए. समीर ने उन के काम से खुश हो कर आलोक को यूपी और उत्तराखंड का, जबकि रवि को एमपी का हैड बना दिया. रवि तिवारी ने निवेशकों की जमा रकम से भोपाल, इंदौर, ललितपुर, टीकमगढ़, झांसी में कई प्लौट, खेती की जमीन, फार्महाउस बनाए हैं. उस का परिवार भोपाल के अयोध्या बाइपास के पास नीत ग्रीन कालोनी में रहता है. करोद में उस ने पिता तिलकराम के नाम से एक होटल एंड रेस्टोरेंट खोला है. इस होटल में वह कई रसूखदार लोगों को बुलाता है और सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करता है.

रवि तिवारी के जरिए एलजेसीसी कंपनी में 600 करोड़ रुपए का इनवैस्टमेंट हुआ था. ललितपुर में पीडि़तों की शिकायत के बाद पुलिस ने रवि और उस के भाई विनोद को अगस्त 2024 में गिरफ्तार कर लिया और दोनों फिलहाल ललितपुर जेल में हैं.

और भी अनेक लोग हैं इस गिरोह में शामिल

लोगों की मेहनत की कमाई डकारने वाली इस सोसायटी में समीर अग्रवाल, रवि तिवारी, आलोक जैन के अलावा अंगद कुशवाहा, सुबोध रावत और सुतीक्ष्ण सक्सेना जैसे लोगों का रोल भी रहा है. टीकमगढ़ पुलिस 50 करोड़ रुपए की आसामी सुबोध रावत को गिरफ्तार कर चुकी है. रावत ने पुलिस को अपने बयान में बताया कि 2012 में उस की मुलाकात ललितपुर में अजय तिवारी से हुई थी. तब आप्शन वन नाम से कंपनी का संचालन किया जा रहा था इस के मालिक समीर व पंकज अग्रवाल थे.

अजय के माध्यम से उस की मुलाकात ललितपुर में आलोक जैन, रवि तिवारी और सुरेंद्र पाल सिंह से हुई. उन के कहने पर वह इस कंपनी से जुड़ा. वह निवेशकों के पैसे आलोक, रवि व सुरेंद्रपाल को भेजता था. इस के बाद इस रकम को झांसी चेस्ट में भेज दिया जाता था, वहां से यह रकम हवाला के जरिए समीर के पास विदेश भेजी जाती थी. साल 2020 में जब समीर अग्रवाल की श्री स्वामी विवेकानंद सोसाइटी बंद हुई तो सुतीक्ष्ण सक्सेना की पार्टनरशिप में एलजेसीसी सोसाइटी शुरू की गई. सुतीक्ष्ण ने इनवेस्टर्स के पैसों से टीकमगढ़ में 26 लाख रुपए में 2 हजार वर्गफीट का प्लौट, 900 वर्गफीट का एक डुप्लैक्स भी खरीदा था.

भोपाल के अयोध्या बाइपास पर 50 लाख रुपए में 2 हजार वर्गफीट जमीन, रायसेन-भोपाल रोड पर 4 लाख रुपए में 1200 वर्गफीट के प्लौट के अलावा उस के पास 16 लाख रुपए कीमत की एसयूवी है. उस के एक्सिस बैंक अकाउंट में 50 हजार रुपए जमा मिला. पत्नी प्रीति के नाम पर उस ने एलजेसीसी सोसाइटी में 50 लाख रुपए का इनवैस्टमेंट भी किया है. ठगी के इस कारोबार में शामिल अंगद कुशवाहा मध्य प्रदेश के गंजबासौदा का रहने वाला था, जो मंडी में हम्माल का काम करता था. साल 2015-16 में वह समीर अग्रवाल की कंपनी एसएसवी (श्री स्वामी विवेकानंद सोसाइटी) से एजेंट बन कर जुड़ा था. जब भोपाल के पिपलानी थाने में एसएसवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई तो समीर अग्रवाल ने इसे बंद कर एलजेसीसी सोसाइटी शुरू कर दी थी

अंगद को एलजेसीसी में गंजबासौदा ब्रांच का हैड बना दिया गया. लोगों द्वारा जमा किए गए रुपयों से अंगद ने प्रौपर्टी खरीदी, बाद में वह भोपाल में प्लौट काटने का काम करने लगा. गंजबासौदा पुलिस को अंगद के खिलाफ 25 से ज्यादा शिकायतें मिलीं. कंपनी का दफ्तर बंद होने के बाद से वह फरार है. एलजेसीसी कंपनी ने गंजबासौदा में सुनील जैन की ही बिल्डिंग में 15 हजार रुपए महीने के किराए पर औफिस खोला था. अब कंपनी भाग गई है. लोग अभी भी यहां पैसा लेने आते हैं. मैनेजर अंगद कुशवाहा भी फरार है.

टीकमगढ़ का रहने वाला सूरज रैकवार एलजेसीसी में कैशियर के तौर पर काम करता था. उसे हर महीने 12 हजार रुपए सैलरी थी, लेकिन वह लग्जरी लाइफ जीता था और उस के पास करीब 20 करोड़ की प्रौपर्टी है. उस की भोपाल में 5-5 हजार वर्गफीट के 2 प्लौट, बानपुर में 10 एकड़ खेती की जमीन, टीकमगढ़ के सुभाषपुरा में 2 प्लौट, 7 दुकानें हैं. इस के अलावा वह 4 गाडिय़ों का मालिक है. उस ने टीकमगढ़ में जो आलीशान मकान बनाया है, उस की कीमत ही 5 करोड़ रुपए है. मकान में विदेशी मार्बल लगा हुआ है. कथा लिखे जाने तक सूरज रैकवार फरार था और उस पर पुलिस ने 25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा है.

एलजेसीसी की ओर से मुंबई, हैदराबाद, गोवा, लखनऊ, झांसी, भोपाल, इंदौर जैसे बड़े शहरों में कार्यक्रम कराए जाते थे. इस में कंपनी की ग्रोथ और एजेंट्स की लग्जरी लाइफ को बढ़ाचढ़ा कर पेश किया जाता था. जेएलसीसी कंपनी के कार्यक्रमों में फिल्मी ऐक्टर श्रेयस तलपड़े से ले कर सुखविंदर सिंह जैसे नामी गायक को बुलाया जाता था. ऐसे कार्यक्रमों के जरिए भीड़ इकट्ठी हो जाती थी और कंपनी अपनी स्कीम का प्रमोशन करती थी. इस वजह से लोग आसानी से कंपनी पर भरोसा करने लगते थे.

ललितपुर पुलिस ने ऐक्टर श्रेयस तलपड़े को भी एक एफआईआर में आरोपी बनाया है. एसपी (ललितपुर) मोहम्मद मुश्ताक के  मुताबिक फिल्मी ऐक्टर ने लोगों को कंपनी में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया था, इस कारण उसे भी आरोपी बनाया गया है और  उस के मुंबई पते पर नोटिस भेजा गया है. बताया जा रहा है कि समीर अग्रवाल  ने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल में शामिल एक छोटे से देश सेंट क्रिस्टोफर और नेविस की नागरिकता ले ली है. इस देश का उस का नया पासपोर्ट भी बन चुका है, उस की पत्नी, मम्मी और दोनों बेटियां नवी मुंबई में रहते हैं. कुछ लोग बताते हैं कि दिखावे के तौर पर उस ने पत्नी से तलाक लिया है. पिछले 16 सालों में समीर ने सागा ग्रुप के जरिए करोड़ों रुपए कमाए हैं.

मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के टेंट्रा गांव का रहने वाला समीर का परिवार 2 पीढ़ी पहले इंदौर शिफ्ट हो गया था. समीर के पिता राजेंद्र अग्रवाल एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे, समीर उन का इकलौता बेटा है. कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, यही हाल समीर अग्रवाल का रहा है. साल 2008 में उस ने ग्रैजुएशन किया, पढ़ाई के दौरान ही वह मुंबई से औपरेट होने वाले मटका सट्टा से जुड़ा और इंदौर में उस का बुकी बन गया. उस समय चिटफंड कंपनियों की देश में बाढ़ सी आई हुई थी तो समीर ने भी 2009 में पहली चिटफंड कंपनी खोली और उस के बाद से लगातार फरजी कंपनियां बना कर लोगों से पैसा ऐंठता रहा.

दुबई में छिपा है ठगों का सरगना

साल 2012 के बाद समीर इंदौर छोड़ कर नवी मुंबई शिफ्ट हो गया. समीर ने 2012 में ‘आप्शन वन’ नामक कंपनी शुरू की लेकिन, 2016 में सरकारी काररवाई का अंदेशा होते ही 2016 में इस का नाम बदल कर ‘श्री स्वामी विवेकानंद’ कर दिया. 2014 में देश में भाजपा की सरकार बन चुकी थी और हिंदुत्व का राग अलाप रहे लोगों को हिंदू संगठनों से जोडऩे के मकसद से समीर ने इस नाम का उपयोग किया था. समीर अग्रवाल सागा ग्रुप की सालगिरह पर आलीशान होटल में भव्य कार्यक्रम का आयोजन करता था. 2018 में सागा ग्रुप की 10वीं सालगिरह पर भी उस ने कार्यक्रम का आयोजन किया,

जिस में फिल्मी सितारों को भी बुलाया था. सागा ग्रुप की सातों सोसाइटियों की लुभावनी स्कीम्स को देख कर लोग निवेश कर रहे थे. साल 2019 में उसे पहला झटका तब लगा जब उस की एक सोसाइटी श्री स्वामी विवेकानंद मल्टीस्टेट क्रेडिट कोऔपरेटिव सोसाइटी के कामकाज पर सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड औफ इंडिया) ने रोक लगा दी. इसी के बाद समीर अग्रवाल मुंबई से दुबई शिफ्ट हो गया.

2020 में भोपाल के पिपलानी थाने में इसी सोसाइटी के खिलाफ अंकित मालवीय ने शिकायत दर्ज कर दी. पुलिस ने समीर अग्रवाल समेत सोसाइटी अध्यक्ष चंदन गुप्ता, आर.के. शेट्टी, एमपी हेड रविशंकर तिवारी उस के भाई विनोद तिवारी और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और पुलिस ने विनोद तिवारी, शशांक श्रीवास्तव और अंगद कुशवाहा को गिरफ्तार कर लिया. इस काररवाई के बाद श्री स्वामी विवेकानंद सोसाइटी की सभी ब्रांचों पर ताला लगा दिया था.

मध्य प्रदेश समेत 10 राज्यों में 10 हजार करोड़ रुपए ठगने वाले समीर अग्रवाल ने इस रकम को अबुधाबी में रियल एस्टेट में निवेश किया है. इसी के बदौलत उस ने 28 नवंबर 2023 को संयुक्त अरब अमीरात की नागरिकता भी ली है. जानकारों के मुताबिक अमीरात एक टैक्स हैवन कंट्री है यानी करदाताओं के लिए स्वर्ग है. यहां इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता साथ ही कमाई और निवेश को ले कर ज्यादा पूछताछ नहीं होती है.

यूएई ने उसे एक साल के लिए नागरिकता दी थी. 27 नवंबर, 2024 को इस की वैधता खत्म हो चुकी है. जानकारों के मुताबिक यूएई की नागरिकता नियम की पहली शर्त है कि वह किसी को भी दोहरी नागरिकता नहीं दे सकता है. एक देश की नागरिकता छोडऩे के बाद ही कोई व्यक्ति वहां की नागरिकता ले सकता है. समीर ने नागरिकता हासिल करने के लिए या तो दस्तावेजों में फरजीवाड़ा किया होगा या फिर किसी और तरीके से नागरिकता हासिल की होगी. यह भी पता चला है कि वहां उस ने दुबई के एक शेख के पार्टनरशिप में हाई एंड सिटी मैनेजमेंट सर्विस एलएलसी नाम की कंपनी बनाई है.

सीएमडी समीर अग्रवाल की गिरफ्तारी पर एमपी और यूपी पुलिस ने 50-50 हजार रुपए इनाम घोषित किया है. सीबीआई ने भी उस के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है. मध्य प्रदेश समेत 10 राज्यों में सागा ग्रुप द्वारा लाखों लोगों के साथ करोड़ों रुपए की ठगी हो गई और सरकारी नुमाइंदे घोड़े बेच कर सोते रहे. सागा ग्रुप की एफआईआर रफादफा करवाने के बाद भोपाल के एक समाजसेवी सौरभ गुप्ता की ओर से साल 2021 में एक जनहित याचिका दायर की गई.

हाईकोर्ट ने एफआईआर निरस्त करने पर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए थे. याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट में बताया गया कि कंपनी पर काररवाई नहीं हुई तो देश भर के लाखों निवेशकों का पैसा डूब जाएगा. हाईकोर्ट ने भारत सरकार और प्रदेश सरकार से सागा ग्रुप कंपनी के लोगों के बारे में जानकारी मांगी और कहा कि इतना बड़ा फरजीवाड़ा अंजाम दिया गया, सरकारें क्या कर रही थीं?

कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील रविंद्र गुप्ता बताते हैं कि 8 नवंबर 2021 को राज्य के महाधिवक्ता ने जवाब देने के लिए समय मांगा था, परंतु साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन जवाब अब तक पेश नहीं किया. इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2025 में हुई थी. अभी मामला न्यायालय में चल रहा है. MP News

 

 

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