UP Crime News : संगीता 3 बच्चों की मां थी, लेकिन पति के दोस्त रोहित से प्रेम कर बैठी. ये प्रेम इतना गलत नहीं था, जितना रोहित का संगीता को अपने 2 दोस्तों को उपहार में देने की कोशिश करना. इस के बाद संगीता के साथ जो हुआ, वो हर औरत को याद रखना चाहिए.
20 मार्च, 2025 की रात 8 बजे रोहित वाल्मीकि 2 साथियों के साथ झांसी के लक्ष्मी गेट बाहर मोहल्ला में रहने वाली अपनी प्रेमिका संगीता के घर पहुंचा. रोहित ने दरवाजा थपथपाया तो कुछ पल बाद संगीता ने दरवाजा खोला. सामने रोहित को देख कर संगीता का चेहरा खिल उठा. वह बड़ी अदा से बोली, ”बड़ी देर कर दी रोहित. कब से मैं तुम्हरा इंतजार कर रही थी. खैर, कोई बात नहीं, अंदर आओ.’’
रोहित व उस के दोनों साथी घर के अंदर पहुंचे और आंगन में बिछी चटाई पर जा कर बैठ गए. रोहित ने दाएंबाएं नजर दौड़ाई फिर पूछा, ”संगीता, रविंद्र भाई नजर नहीं आ रहे. क्या वह गला तर करने ठेके पर गए है?’’
”जेब गरम होती तो शायद चले भी जाते, लेकिन जेब खाली है तो कमरे में पड़े हैं. कई बार वह भी पूछ चुके हैं कि रोहित नहीं आया?’’
इस के बाद संगीता ने आवाज लगाई तो उस का पति रविंद्र कमरे से बाहर आ गया और रोहित को देख कर बोला, ”आ गए भाई. बड़ी देर से तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था. दारू के बिना गला सूख रहा था.’’
”रविंद्र भाई, अब इंतजार की घड़ी खत्म. छक कर दारू पियो और सब कुछ भुला दो. आज मैं एक नहीं, 4 बोतलें ले कर आया हूं.’’ कहते हुए रोहित ने शराब की 4 बोतलें व नमकीन झोले से निकाल कर सामने रख दी. शराब देख कर रविंद्र व संगीता की जीभ लपलपाने लगी.
इसी समय सामने बैठे 2 युवकों को देख कर संगीता ने पूछा, ”रोहित, ये दोनों कौन हैं? इस के पहले मैं ने इन को तुम्हारे साथ कभी नहीं देखा?’’
”संगीता, तुम इन्हें नहीं जानती हो. ये दोनों मेरे दोस्त हैं. जैसे तुम्हारे घर में महफिल जमती है, उसी तरह इन के साथ ठेके पर कभीकभी महफिल जमती है.’’ रोहित ने इशारे से बताया, ”यह पवन खटीक है और यह कल्लू है. आज की पार्टी इन्हीं की तरफ से है.’’
”किस खुशी में पार्टी कर रहे हैं?’’ संगीता ने दोनों पर निगाह जमाते हुए पूछा.
”इस बात की जानकारी हम बाद में देंगे. अभी तुम महफिल सजाओ.’’ रोहित बोला.
संगीता ने अपने बच्चों को मकान की दूसरी मंजिल पर रहने वाली किराएदार शकुंतला के कमरे में भेज दिया. इस के बाद संगीता ने गिलास व पानी का इंतजाम किया फिर उस ने अपने हाथों से 5 पैग बनाए और पति, प्रेमी व प्रेमी के साथ आए पवन व कल्लू को एकएक गिलास थमाया और स्वयं भी गिलास थाम कर उन के साथ शराब पीने लगी. इसी बीच रोहित रविंद्र को कमरे में ले गया और बोला, ”रविंद्र भाई, आज रात मेरे अलावा मेरे दोस्त पवन व कल्लू भी संगीता के साथ मौजमस्ती करेंगे. उन्होंने पार्टी का इंतजाम तो किया ही है. साथ में नजराना भी दिया है.’’ कहते हुए रोहित ने जेब से कुछ रुपए निकाले और रविंद्र के हाथ पर रख दिए.
रुपया जेब में रखते हुए रविंद्र बोला, ”रोहित, संगीता हम दोनों का साझा प्यार है. जब तुम्हें कोई ऐतराज नहीं तो मुझे भी कोई ऐतराज नहीं.’’
दारू पीने के बाद पवन व कल्लू घर से चले गए. जाते समय रोहित ने उन दोनों से कहा कि संगीता का पति मान गया है. कुछ देर में वह संगीता को भी राजी कर लेगा. तुम दोनों उस के फोन का इंतजार करना. उस के बाद आ जाना और रात भर मौजमस्ती करना.
पवन व कल्लू के जाने के बाद रोहित संगीता को कमरे में ले गया. यहां संगीता, रोहित व रविंद्र ने खूब जाम से जाम टकराए. शराब पीने के दौरान ही रोहित बोला, ”संगीता, तुम पूछ रही थी कि मेरे दोस्तों ने किस खुशी में पार्टी दी है? तो सुनो मैं ने उन से एक वादा किया है.’’
”कैसा वादा?’’ संगीता ने रोहित को घूरते हुए पूछा.
”यही कि वे रात भर तुम्हारे साथ मौजमस्ती करेंगे.’’
”क्या!’’ संगीता चौंकी. फिर नाराज हो कर बोली, ”देखो रोहित, मैं तुम से प्यार करती हूं, इसलिए तुम्हें जिस्म से खेलने देती हूं. मैं कोई वेश्या नहीं कि हर किसी को जिस्म सौंप दूं. मैं एक बार पति से विश्वासघात कर चुकी हूं. दोबारा नहीं करूंगी.’’
”मैं ने रविंद्र भाई से बात कर ली है. उन्हें कोई ऐतराज नहीं है.’’ रोहित बोला.
यह सुन कर संगीता पति पर बिफर पड़ी, ”कैसा मर्द है तू. अपनी पत्नी के तन का ही सौदा कर दिया. सौदा करते समय तुझे जरा भी शर्म नहीं आई. चुल्लू भर पानी में डूब मर.’’
रविंद्र दांत निपोरते हुए बोला, ”ज्यादा सतीसावित्री मत बन. जैसे रोहित को खुश करती है, वैसे ही उस के दोस्तों को भी खुश कर दे. इस में हर्ज ही क्या है?’’
रोहित और रविंद्र दोनों ने संगीता को जिस्म सौैंपने के लिए मनाने की कोशिश की. लेकिन जब वह राजी नहीं हुई तो दोनों ने मिल कर संगीता की जम कर पिटाई की. रोहित संगीता का सिर दीवार पर पटकने लगा. पति व प्रेमी की पिटाई से संगीता चीखने लगी, ”बेटी पिंकी, तुम कहां हो. मुझे बचा लो. ये राक्षस मुझे पीटपीट कर मार डालेंगे.’’
मम्मी की ‘बचाओ…बचाओ’ की चीखें सुन कर 12 वर्षीया पिंकी नीचे आई और कमरे का दरवाजा पीटना शुरू किया. कुछ देर बाद रोहित ने आधा दरवाजा खोला. पिंकी कमरे में घुसने को बढ़ी तो रोहित ने उसे बाहर ढकेल दिया और बोला, ”यह लो 100 का नोट और खानेपीने की चीज ले कर छत पर चली जाना.’’ लेकिन पिंकी ने पैसे नहीं लिए. उस के बाद रोहित ने कमरा अंदर से बंद कर लिया. कमरे में संगीता पलंग पर बैठी थी. रोहित ने उसे दबोच लिया और उस के साथ मनमानी की. रोहित ने एक बार फिर संगीता को मनाने की कोशिश की. इस पर वह बोली कि वह किसी कीमत पर अपने जिस्म का सौदा नहीं करेगी.
उस ने रोहित से यह भी कहा कि उसे दोस्तों को खुश करना है तो अपनी मांबहन का सौदा क्यों नहीं कर देता.
यह सुनते ही रोहित के तनबदन में आग लग गई. उस ने संगीता को फिर पीटा और तकिया से मुंह दबा कर उस की आवाज सदा के लिए बंद कर दी. उस के बाद बाकी बची शराब रोहित ने रविंद्र के साथ पी. फिर रविंद्र बेसुध हो कर सोफे पर लुढ़क गया और रोहित संगीता के पलंग पर पसर गया. इधर संगीता की बेटी पिंकी किराएदार शकुंतला के कमरे में पहुंची. वह बेहद डरी हुई थी. उस ने शकुंतला आंटी को बताया कि रोहित अंकल मम्मी को पीट रहे हैं. मम्मी बचाने की गुहार लगा रही हैं. उन्हें बचा लो.
मासूम पिंकी की बात सुन कर शकुंतला उसे साथ ले कर नीचे आई. लेकिन अब तक कमरे में चीखें बंद हो गई थीं. शकुंतला ने दरवाजा खटखटाया, आवाज भी लगाई. लेकिन अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. शकुंतला ने तब अड़ोसपड़ोस के लोगों को बुला लिया और डायल 112 नंबर पर फोन कर के पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पर पुलिस आ गई. एसआई ए.के. सिंह ने दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे. मामला संगीन समझ कर उन्होंने सूचना झांसी थाना कोतवाल को दी. यह मामला लक्ष्मी गेट बाहर मोहल्ला का था.
खबर मिलते ही थाना कोतवाली के एसएचओ राजेश पाल पुलिस दल के साथ मौके पर पहुंच गए. उस समय मकान के बाहर भीड़ जुटी थी. किराएदार शकुंतला ने इंसपेक्टर राजेश पाल को बताया कि घर के अंदर आंगन से सटे कमरे में रविंद्र उस की पत्नी संगीता तथा दोस्त रोहित मौजूद हैं. कमरा अंदर से बंद है. कुछ देर पहले संगीता की चीखें सुनी गई थीं. अब सब कुछ शांत है.
इंसपेक्टर राजेश पाल ने कमरे का दरवाजा खुलवाने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन जब असफल रहे, तब सहयोगी पुलिसकर्मियों की मदद से दरवाजा तोड़ दिया और कमरे में प्रवेश किया. कमरे का दृश्य दिल कंपा देने वाला था. कमरे में पलंग पर संगीता मृत पड़ी थी. उसी के बगल में उस का प्रेमी रोहित नशे में धुत पड़ा था. सोफे पर संगीता का पति रविंद्र नशे की हालत में पसरा पड़ा था. नशे में धुत होने की वजह से दोनों को होश नहीं था. संगीता का शव अर्धनग्न अवस्था में था. देखने से ऐसा लग रहा था कि उस के साथ जोरजबरदस्ती की गई थी. संगीता की आंख, कान, सिर व गरदन पर चोटों के निशान थे. कमरे में शराब की दुर्गंध फैली हुई थी. सामान भी अस्तव्यस्त था.
ऐसा लग रहा था कि संगीता ने मृत्यु पूर्व संघर्ष किया था. कमरे में शराब की खाली बोतलें, डिसपोजल गिलास तथा प्लेट में कुछ नमकीन पड़ी थी. आंगन में चटाई बिछी थी और वहां भी शराब की एक खाली बोतल व गिलास पड़े थे. मामले की गंभीरता को समझते हुए एसएचओ राजेश पाल ने संगीता की हत्या की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी तो कुछ देर बाद ही झांसी की एसएसपी सुधा सिंह, एसपी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह तथा सीओ (सिटी) स्नेहा तिवारी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फील्ड यूनिट को भी बुला लिया.
अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतका का पति रविंद्र और प्रेमी रोहित इस हालत में नहीं थे कि वे कुछ भी बता सकें. अत: उन्हें थाना कोतवाली में भिजवा दिया. फील्ड यूनिट ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया और साक्ष्य जुटाए. फील्ड यूनिट ने पलंग, दीवार आदि से फिंगरप्रिंट लिए तथा कमरे से शराब की 3 बोतलें तथा आंगन से एक बोतल तथा खाली गिलास सुरक्षित किए. यूनिट ने वह तकिया भी सुरक्षित किया, जिस पर खून लगा था. जांचपड़ताल के बाद पुलिस अधिकारियों ने शव को पोस्टमार्टम के लिए झांसी जिला अस्पताल भिजवा दिया.
घटनास्थल पर मृतका संगीता की बड़ी बेटी पिंकी मौजूद थी. उस ने सीओ (सिटी) स्नेहा तिवारी को बताया कि रात 8 बजे रोहित अंकल अपने साथी कल्लू व पवन के साथ घर आए थे. उन सब ने मम्मीपापा के साथ बैठ कर शराब पी. कुछ देर बाद कल्लू व पवन चले गए. रोहित अंकल मम्मी को साथ ले कर कमरे में चले गए. पापा भी कमरे में ही थे. कुछ देर बाद कमरे से मम्मी की चीखें सुनाई दीं तो वह उन्हें बचानेे पहुंची, लेकिन रोहित अंकल ने कमरे में अंदर नहीं जाने दिया. रोहित अंकल ने ही मम्मी की हत्या की है.
किराएदार शकुंतला ने बताया कि वह 15 दिन पहले ही यहां आई थी. यहां का माहौल ठीक नहीं था. संगीता पति व प्रेमी के साथ बैठ कर शराब पीती थी. आज रात भी पार्टी की गई थी. कुछ देर बाद संगीता की बेटी आई और बताया कि रोहित उस की मम्मी को पीट रहा है. मां चीख रही है. उस की गुहार पर वह नीचे गई. दरवाजा थपथपाया, नहीं खुला तो पुलिस को सूचना दी. इधर रोहित और रविंद्र रात भर हवालात में बंद रहे. सुबह जब नशा उतरा तो खुद को हवालात में पाया. दोनों समझ गए कि उन्हें क्यों हवालात में डाला गया है. हत्या का रहस्य जानने के लिए एसपी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह कोतवाली पहुंचे.
संगीता
इंसपेक्टर राजेश पाल ने दोनों को हवालात से बाहर निकलवाया और एसपी साहब के समक्ष पेश किया. ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने उन दोनों से पूछताछ की तो रोहित ने आसानी से संगीता की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. रविंद्र कुछ भी नहीं बोला. उस की आंखों सें आंसू टपकते रहे. अब तक बहू की हत्या व बेटे की गिरफ्तारी की जानकारी पा कर मृतका की सास गिरजा देवी व ससुर तुलसीदास अहिरवार भी कोतवाली आ गए थे. एसपी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने उन से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि पहले वे बेटेबहू के साथ ही रहते थे. लेकिन जब रविंद्र और संगीता शराब पीने लगे और संगीता अपने आशिक रोहित के साथ गुलछर्रे उड़ाने लगी, तब वे छोटे बेटे के साथ गांव में रहने लगे.
प्रेमी
तुलसीदास ने यह भी बताया कि उन के बड़े भाई रतनलाल अहिरवार बसपा सरकार में राज्यमंत्री थे. पहले उन का घर आनाजाना बना रहता था, लेकिन जब बहू संगीता शराब पीने लगी और मर्यादाओं की सीमा लांघने लगी, तब मंत्रीजी ने नाता तोड़ दिया और दूरियां बना लीं. चूंकि रोहित व रविंद्र ने संगीता की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था. अत: इंसपेक्टर राजेश पाल ने संगीता के देवर अरविंद को वादी बना कर बीएनएस की धारा 103 के तहत रोहित वाल्मीकि व रविंद्र अहिरवार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.
पति
पुलिस जांच तथा आरोपियों से की गई पूछताछ से संगीता हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है. उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक शहर है झांसी. इसी झांसी शहर के थाना कोतवाली अंतर्गत आता है लक्ष्मी गेट बाहर मोहल्ला. तुलसीदास अहिरवार सपरिवार इसी मोहल्ला में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी गिरजा देवी के अलावा 2 बेटे थे रविंद्र व अरविंद. तुलसीदास अहिरवार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे. विश्वविद्यालय से मिलने वाले वेतन से वह परिवार का भरणपोषण करते थे. बड़े भाई रतनलाल अहिरवार बसपा सरकार में राज्यमंत्री थे, इसलिए बिरादरी में मानसम्मान था.
तुलसीदास का बड़ा बेटा रविंद्र ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. वह डेकोरेशन का काम करता था. वह शराब का लती था. वह अपनी कमाई का सारा पैसा शराब पीनेपिलाने में ही खर्च कर देता था. उस के मम्मीपापा ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उस की शराब की लत नहीं छूटी. तुलसीदास और उन की पत्नी गिरजा देवी का मानना था कि यदि रविंद्र के पैरों में शादी रूपी बेडिय़ां डाल दी जाए तो शायद वह सुधर सकता है. इसी उद्ïदेश्य से वह रविंद्र की शादी के लिए लड़की की तलाश में जुट गए. लेकिन सवाल था कि शराबीकबाबी को लड़की कौन दे? वह जहां भी जाते, मुंह की खाते, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. आखिर उन्होंने रविंद्र का रिश्ता संगीता के साथ पक्का कर दिया.
संगीता के पापा कांशीराम अहिरवार कालपी कस्बा के रहने वाले थे. 3 बच्चों में संगीता सब से बड़ी थी. संगीता बेहद खूबसूरत, फैशनपरस्त व चंचल स्वभाव की थी. कांशीराम प्राइवेट नौकरी करते थे, इसलिए उन्होंने रविंद्र के संबंध में बिना कुछ जानेसमझे बेटी का रिश्ता मंजूर कर लिया. इस के बाद 5 फरवरी, 2011 को संगीता का विवाह रविंद्र के साथ हो गया. शादी के बाद संगीता रविंद्र की दुलहन बन कर ससुराल पहुंची तो सभी खुश थे, लेकिन संगीता खुश नहीं थी. संगीता ने किसी मजदूर को पति के रूप में पाने की कल्पना नहीं की थी. उस ने तो फिल्मी हीरो जैसे युवक की छवि मन में बसा रखी थी.
संगीता के दिल को दूसरी ठेस तब लगी, जब रविंद्र उस के थोड़ा और करीब आया. उस की सांसों से शराब की महक आ रही थी. संगीता ने मुंह दूसरी ओर घुमा लिया, ”तुम शराब पीए हो.’’
”आज खुशी का दिन है न, इसलिए दोस्तों के साथ हलक तर कर लिया.’’ रविंद्र बेहयाई से हंसने लगा, ”वैसे भी शराब के बिना शबाब का मजा थोड़े ही आता है.’’
संगीता कुढ़ गई और उस का मन पति से खट्टा हो गया. इस के बावजूद उसे पत्नी का धर्म निभाना पड़ा. संगीता को अपने सपने जैसा पति नहीं मिला था, इस के बावजूद उस ने नियति का लिखा मान कर संतोष कर लिया था. पति की नशे की लत छुड़ाने के लिए उस ने भरसक प्रयास किया, मगर रविंद्र ने शराब से तौबा नहीं की. शादी के एक साल बाद संगीता ने बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम पिंकी रखा. इस के बाद 4 सालों में वह एक बेटी व एक बेटे की मां और बनी. वर्तमान में पिंकी की आयु 12 वर्ष है. समय के साथ संगीता व रविंद्र की उम्र भी बढ़ती गई.
एक ओर जहां शराब की लत ने रविंद्र को खोखला कर दिया, वहीं संगीता की हसरतें अब भी जवान थीं. पहले वह खुशी का बहाना बना कर शराब पीता था, अब एक्स्ट्रा पावर अर्जित करने के लिए शराब को गले लगाने लगा. लेकिन हुआ इस के विपरीत. ज्यादा नशा करने से उस की सैक्स की उमंग जागनी लगभग बंद हो गई. इन्हीं दिनों रविंद्र की दोस्ती रोहित वाल्मीकि से हो गई. वह ओरछा गेट का रहने वाला था. वह भी डेकोरेशन का काम करता था. एक शादी समारोह में सजावट करने के दौरान दोनों की मुलाकात हुई थी. चूंकि रोहित भी शराब का आदी था. अत: दोनों में जल्दी ही यारी हो गई. पहले दोनों साथ में ठेके पर पीते थे, फिर उन की महफिल रविंद्र के घर भी जमने लगी.
रोहित वाल्मीकि मजबूत शरीर वाला बांका जवान था. संगीता से उस की उम्र भी कम थी. संगीता ने जब रोहित को पहली बार देखा, तभी मन में दबी हुई तमन्ना जोर मारने लगी, ‘मेरी शादी इस से हुई होती तो जिंदगी बहारों से भरी होती.’ यही कारण था कि रोहित का आना, उस को देखना, उस से बातें करना संगीता को अच्छा लगता था. वह उसे रिझाने का भी प्रयत्न करने लगी थी. रोहित का रविंद्र के घर आनाजाना शुरू हुआ तो संगीता से भी नजदीकियां बढऩे लगीं. संगीता से रिश्ता भी भाभी का था. 3 बच्चों की मां बन जाने के बाद भी संगीता का यौवन अभी ढला नहीं था. संगीता की आंखों में जब रोहित को एक मूक आमंत्रण दिखने लगा तो कामना की प्यास बढ़ गई.
रविंद्र की कमजोरी शराब थी. उसे अंगूर की बेटी सुहाती थी. अत: आए दिन शराब की महफिल रविंद्र के घर सजने लगी. रोहित उसे मुफ्त में शराब पिलाता और उस की आर्थिक मदद भी करने लगा. रोहित का घर आनाजाना बढ़ा तो संगीता समझ गई कि रोहित पर उस के हुस्न का जादू चल गया है. दोनों ही समझ गए थे कि एक को हुस्न की तलब है तो दूसरे को इश्क की. बेताबी दोनों ओर बढ़ती गई. एक रोज रोहित ने संगीता को पाने का मन बनाया और वह काम पर न जा कर दोपहर को रविंद्र के घर पहुंच गया. संगीता उस वक्त घर मेें अकेली थी. बच्चे स्कूल गए थे और रविंद्र काम पर.
सासससुर गांव में थे. मौका अच्छा था. रोहित को देख कर संगीता के होंठों पर मानीखेज मुसकान बिखरी और उस ने पूछा, ”तुम तो शाम को अंगूर की बेटी को होंठों पर लगाने यहां आते थे, आज दिन में रास्ता कैसे भूल गए?’’
”संगीता भाभी, अंगूर की बेटी से होंठों की प्यास बुझती कहां है, उल्टा और भड़क जाती है. सोचा, आज शराब से भी ज्यादा नशीली, उस से ज्यादा मादक अपनी भाभी का नशा कर लूं.’’ रोहित ने उस के कंधों पर हाथ रख दिए. संगीता तो कामातुर थी ही. अत: वह भी रोहित की छाती सहलाने लगी. रोहित का हौसला बढ़ा तो उस ने संगीता को बांहों में भर लिया और उस के नाजुक अंगों को सहलाने लगा. इस छेड़छाड़ को संगीता ज्यादा देर तक सहन न कर सकी. वह भी उस से लिपट गई. इस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. कुछ देर बाद जब दोनों अलग हुए तो उन के चेहरे पर पूर्ण तृप्ति के भाव थे.
उस रोज के बाद रोहित व संगीता मौका मिलते ही अपनी हसरतें पूरी कर लेते. पति व प्रेमी की शराब पार्टी में अब संगीता भी शामिल होने लगी. शाम को रोहित के आते ही संगीता महफिल सजाती फिर अपने हाथों से 3 पैग बनाती, एक पैग पति को दूसरा पैग प्रेमी को और तीसरा पैग स्वयं हाथों में थामती. फिर जाम से जाम टकरा कर तीनों शराब पीते. शुरू में संगीता कम पीती थी, लेकिन बाद में जम कर पीने लगी. रोहित की जिद पर संगीता शराब पीने लगी थी.
एक रोज गिरजा देवी ने बहू संगीता को बेटे व उस के दोस्त के साथ शराब पीते देखा तो उस के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. वह जान गई कि बेटाबहू बिगड़ गए हैं. उसे यह भी पता चल गया कि बहू मर्यादा की देहरी लांघ कर गैरमर्द के साथ गुलछर्रे उड़ाने लगी है. गिरजा देवी ने बेटेबहू को फटकार लगाई तो दोनों उसी पर हावी हो गए. उन दोनों ने साफ कह दिया कि वे रोज शराब पीएंगे. देख सको तो साथ रहो, वरना गांव चले जाओ. बेटेबहू के कारण जब बिरादरी में थूथू होने लगी, तब गिरजा देवी अपने पति तुलसीदास व छोटे बेटे अरविंद के साथ गांव दोन में रहने लगी. यहां पैतृक मकान व कुछ जमीन थी.
तुलसीदास अब तक रिटायर हो चुके थे. उन्हें 20 हजार रुपया पेंशन मिलती थी. संगीता ने सासससुर का पीछा यहां भी नहीं छोड़ा. वह हर महीने गांव आती और सासससुर से लड़झगड़ कर पेंशन के पैसे से 5 हजार रुपया ले जाती थी. सासससुर गांव में रहने लगे तो संगीता पूरी तरह से स्वच्छंद हो गई. शाम को रोहित आता फिर तीनों की महफिल जमती. संगीता और रोहित जानबूझ कर रविंद्र को ज्यादा शराब पिला देते. जब वह टुन्न हो कर सोफे पर लुढ़क जाता तो रोहित संगीता को ले कर कमरे में पहुंच जाता और दोनों मौजमस्ती करते.
रविंद्र ने अपनी अधखुली आंखों से कई बार रोहित और संगीता को रंगरलियां मनाते देखा था, लेकिन कभी टोकाटाकी नहीं की. कारण, रोहित मुफ्त में उसे शराब पिलाता था और उस की आर्थिक मदद भी करता था. विरोध करने पर यह सब बंद हो जाता और संगीता भी धोखा दे सकती थी. अत: मुंह बंद रखने में ही उस ने अपनी भलाई समझी. रोहित और संगीता इतने निर्लज्ज हो गए थे कि शराब पीने के बाद रविंद्र के सामने ही कमरे में पलंग पर लुढ़क जाते थे. रविंद्र तब आंगन में पड़े तख्त पर पसर जाता. रोहित वाल्मीकि, संगीता को पत्नी से कम नही समझता था. वह अपनी कमाई भी संगीता को देता था. संगीता भी उस की दीवानी थी, सो हर बात उस की मानती थी.
रोहित वाल्मीकि के 2 अन्य दोस्त पवन खटीक व कल्लू थे. ये दोनों उस के साथ ही काम करते थे. पीनेखाने के दौरान रोहित अपने व संगीता के अंतरंग क्षणों के बारे में दोस्तों को बताता था, जिस से वे दोनों भी संगीता के जिस्म को पाने के लिए लालायित रहते थे. एक रोज पवन खटीक ने रोहित से कहा कि उन दोनो की दोस्ती भी संगीता से करा दे. रोहित ने पहले तो साफ मना कर दिया, लेकिन बाद में शराब पार्टी व 5 हजार रुपया नकद देने पर रोहित ने संगीता के जिस्म का सौदा कर दिया.
रोहित को पक्का यकीन था कि संगीता उस की बात मान लेगी और उस के पति को भी रुपयों का लालच दे कर राजी कर लेगा. 20 मार्च, 2025 को रोहित ने पवन खटीक व कल्लू को साथ लिया और रात 8 बजे शराब की पार्टी के लिए प्रेमिका संगीता के घर पहुंच गया. वहां रविंद्र, संगीता, रोहित व उस के दोनों दोस्तों ने शराब पी. शराब पीने के बाद कल्लू व पवन, रोहित के इस आश्वासन पर वहां से चले गए कि संगीता को राजी करने के बाद वह फोन कर दोनों को बुला लेगा. रोहित ने दोस्तों के जाने के बाद संगीता से बात की. लेकिन संगीता दोस्तों का बिछौना बनने को राजी नहीं हुई. इसी बात को ले कर रविंद्र और रोहित ने संगीता की जम कर पिटाई की, फिर तकिए से मुंह दबा कर मार डाला.
22 मार्च, 2025 को पुलिस ने आरोपी रविंद्र अहिरवार तथा रोहित वाल्मीकि को झांसी कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया. मृतका संगीता के तीनों बच्चे अपनी दादी व बाबा के संरक्षण में रह रहे थे. UP Crime News
—कथा में पिंकी परिवर्तित नाम है.