Crime News : यौन शोषण से ले कर धर्मांतरण करवाने वाले माफिया जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा का साम्राज्य भले ही ध्वस्त हो गया हो, लेकिन उस के कारनामे से अनगिनत युवतियों की जिंदगी बरबाद हो गई. कैसे हुआ यह सब? कैसा था उस का माफिया राज और कहां से कहां तक जुड़े थे उस के तार और आमदनी का जरिया? पढ़ें, इस कहानी में.

राजधानी दिल्ली के एनसीआर का एक औद्योगिक क्षेत्र है फरीदाबाद. यहां मिलेजुले समुदाय के कामकाजी लोगों की घनी आबादी है. यहीं पर संजय कालोनी की गली नंबर 66 में रहने वाली नेहा खान से विनीता (परिवर्तित नाम) साल 2023 के अप्रैल महीने में अचानक टकरा गई थी. दोनों की उम्र में ज्यादा अंतर नहीं था. विनीता जे.पी. हाईस्कूल के पास रहती थी. वहीं से दोनों का अकसर आनाजाना होता था. आतेजाते उन के बीच दोस्ती हो गई. जल्द ही दोनों में मेलजोल इस कदर बढ़ गया था कि वे अपनेअपने सुखदुख और पारिवारिक समस्याओं को साझा करने लगी थीं. यहां तक कि वे एकदूसरे के घर भी आनेजाने लगीं.

 

एक दिन विनीता जब नेहा खान के घर पर थी, तब उस का परिचय उस के भाई आमिर हुसैन से हुआ. नेहा हमेशा आमिर की तारीफ करती रहती थी. उस से मिल कर विनीता को भी बहुत अच्छा लगता था. उस के बारे में जैसा सुना था, वैसा ही पाया. उस से मिल कर विनीता को कितना अच्छा लगा, इस का तो पता नहीं, लेकिन नेहा उसे बारबार एहसास करवाने लगी थी कि आमिर उसे पसंद करने लगा है. एक दिन नेहा बोली, ”विनीता, आमिर तुम्हारा फोन नंबर मांग रहा था, कोई ऐतराज न हो तो उसे दे दूं?’’

कुछ देर चुप रहने के बाद विनीता बोली,  ”वैसे तो मैं ने अपना फोन नंबर केवल उन्हीं लोगों को दिया है, जिन पर मुझे भरोसा है. तुम भी हमारी भरोसेमंद हो…’’

”तुम हां कहोगी, तभी आमिर को तुम्हारा नंबर दूंगी.’’ नेहा बीच में ही बोली.

”किंतु उसे बोलना कि वह मेरा नंबर किसी और को नहीं दे.’’ विनीता ने इस विनती के साथ हामी भर दी थी.

फिर क्या था, उस रोज की शाम से ही विनीता और आमिर की फोन पर भी बातें होने लगीं. बहुत जल्द ही विनीता पर आमिर की लुभावनी बातों का असर हो गया और वे अकेले में मिलनेजुलने भी लगे. आमिर जब भी मिलता, विनीता की तारीफ करता. उस की सुंदरता, पहनावे, मेकअप और बोलने की शैली को फिल्मी हीरोइन जैसी अदाओं से तुलना करने से भी नहीं चूकता. खूब लच्छेदार बातें बनाता था. विनीता ठहरी कच्चे उम्र की लड़की. वह आमिर की बातों में तुरंत आ जाती थी. उस की प्रशंसा पा कर कभी शरमा जाती थी तो कभी वह भी बदले में उस की तारीफ करने लगती थी. इस तरह दोनों के दिलों में प्रेम की बातें जगह बनाने लगी थीं. यह कहना गलत नहीं होगा कि वे एकदूसरे से बेइंतहा मोहब्बत की गिरफ्त में आ चुके थे.

 

एक दिन आमिर अपने परिवार के साथ विनीता को दिल्ली स्थित हजरत निजामुद्दीन दरगाह पर ले गया. आमिर और नेहा ने विनीता को पहले से बता रखा था कि वह उस की मुलाकात वहां आए हुए एक पीर छांगुर बाबा से करवाएंगे. वह सब की मुराद पूरी कर देते हैं. दरगाह में नेहा ने विनीता का परिचय छांगुर बाबा से अपने भाई आमिर हुसैन की होने वाली बहू के रूप में कराया. तब छांगुर बाबा ने विनीता से पूछा कि वह हिंदू है या मुसलिम?

जब आमिर ने विनीता की पहचान हिंदू के रूप में बताई, तब छांगुर बाबा ने आमिर से खुश हो कर कहा, ”बच्चे, तुम अवश्य जन्नत जाओगे, लेकिन उस के पहले तुम इस लड़की का मुसलिम धर्म में परिवर्तन करवा दो. उस के बाद ही तुम इस लड़की विनीता से निकाह कर सकते हो.’’

उस के बाद छांगुर ने विनीता को एक ताबीज दिया और इस का पानी पीने के लिए कहा. उस समय विनीता की उम्र 16 वर्ष की थी.

बात जून 2023 की है. आमिर हुसैन विनीता को अपनी मामी सबीना के घर पर ले गया. वहां पर आमिर की बहन नेहा पहले से मौजूद थी. उस के बाद विनीता को कमरे में ले जा कर आमिर उस के साथ नेहा के सामने ही छेड़छाड़ करने लगा. जब विनीता विरोध करने लगी तो नेहा ने आमिर का भरपूर सहयोग करते हुए विनीता का आमिर से रेप करवा दिया.

इस दौरान के वह फोटो खींचने लगी और उस ने रेप की वीडियो भी बना ली. उस के बाद आमिर अश्लील फोटो और वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर उसे अलगअलग स्थानों पर बुला कर विनीता का रेप करने लगा. विनीता मायूस बनी रही. इस का फायदा उठाते हुए 14 मार्च, 2024 को आमिर ने ब्लैकमेल की धमकी दे कर उसे अपने घर बुलाया और उस के साथ गलत काम करने लगा. तभी इस की भनक विनीता के फेमिली वालों को लग गई. विनीता की मम्मी और कुछ अन्य लोगों ने आमिर को मौके पर ही पकड़ लिया. उस के बाद आमिर के खिलाफ रेप की रिपोर्ट दर्ज हो गई और वह जेल भेज दिया गया.

रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद 5 अप्रैल, 2024 को नेहा ने विनीता को इंस्टाग्राम काल कर के वीडियो और फोटो वायरल करने की धमकी दे कर अपने घर नांगलोई, दिल्ली बुलवा लिया. 2 महीने तक विनीता नेहा के घर पर रही. फिर उस के बाद नेहा ने 4 महीने तक के लिए विनीता को दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल नवाब खान के घर पर भेज दिया. पूरे 4 महीने तक नवाब खान ने विनीता के साथ रेप किया. कांस्टेबल नवाब खान ने दिल्ली के कमरुद्दीन नगर, नांगलोई में अकेले कमरा ले रखा था, जहां पर नेहा ने नवाब खान को विनीता का नाम आयत खान बताया था.

 

वहां पर नेहा हिंदी में लिख कर उर्दू कलमा और नमाज की आयतें विनीता को देती थी. नेहा उसे खाना भी नहीं देती थी. नेहा विनीता से कहती थी कि जब तू रोजरोज थोड़ाथोड़ा कलमा याद कर सुनाएगी, तभी तुझे मैं खाना दूंगी. नवाब खान आमिर का जीजा था. कलमा याद न करने पर नेहा विनीता को जम कर पीटा करती थी. नवाब खान की उन दिनों रोहिणी थाने में ड्यूटी थी, जब नवाब खान की पत्नी मार्केट जाती थी और उस के बच्चे ट्यूशन पढऩे चले जाते थे, तभी वह विनीता के पास आ कर उस का रेप करता था. नवाब खान कई बार विनीता के कमरे में आ जाता था और उस से जबरदस्ती मीट बनवाता था. इसी दौरान नेहा और नवाब खान ने धमकी दे कर 22 अक्तूबर, 2024 को आमिर के पक्ष में बयान दर्ज करवा दिए, जिस के कारण 18 दिसंबर, 2024 को आमिर की कोर्ट से जमानत हो गई.

आमिर को जब कोर्ट से जमानत मिल गई तो नेहा और उस के जीजा नवाब खान ने विनीता को उस के घर फरीदाबाद वापस भेज दिया और कभी मुंह न खोलने की धमकी दी. इस के बाद आमिर वीडियो और फोटो वायरल करने की धमकी दे कर विनीता को फोन कर के अपने पास फिर से बुलाने लगा तो विनीता ने इस की शिकायत अपने परिजनों व हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं से कर दी. इस के बाद विनीता के फेमिली वालों द्वारा दोबारा हरियाणा के मुजेसर थाने में आमिर हुसैन व उस के साथियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी गई.

मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बदायूं के ददमई गांव का रहने वाला आमिर हुसैन उस वक्त दिल्ली के द्वारका में गोयला डेरी झंकार रोड पर रहता था. 11 जुलाई, 2025 को मुजेसर पुलिस ने उसे उस के घर से गिरफ्तार कर लिया और 7 दिन की रिमांड में ले लिया. उस की बहन नेहा को भी मुजेसर पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया. इसी के साथ धर्म परिर्वतन के  मास्टरमाइंड जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा का नाम भी इस में जुड़ गया था. उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा पर आरोप है कि वह 1500 से अधिक हिंदू महिलाओं और युवतियों का धर्मांतरण करवा चुका है. अजीबोगरीब चमत्कार और इलाज के नाम पर वह महिलाओं व युवतियों को फंसाता था.

फिर धीरेधीरे उन के दिमाग में भावनात्मक भय भर कर उन्हें अपना हिंदू धर्म छोड़ कर मुसलिम धर्म अपनाने को मजबूर कर देता था. उस के अंधविश्वास में फंसे लोगों की निगाह में वह पाखंडी बाबा ‘पीर’, ‘मसीहा’ और ‘रुहानी बाबा’ बना हुआ था. इस पाखंडी बाबा ने एक संगठित नेटवर्क बना रखा था. उन के इस नेटवर्क का केंद्र बलरामपुर में स्थित उस का घर था, जो किसी आलीशान महल से कम नहीं था. कहने को तो वह कोठी थी, जिस का अब कोई नामोनिशान नहीं है, कारण यूपी सरकार ने उसे बुलडोजर चला कर जमींदोज कर दिया है.

उस की कोठी उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर रेहरामाफी गांव में बनी थी. आधी से अधिक मुसलिम आबादी वाले इस गांव की कुल आबादी मौजूदा समय में करीब 3,000 है. इसी गांव में जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा का बचपन बीता था. वैसे बाबा का घर पहले गरीबपुर गांव में था. उस के अब्बा करीमुल्ला गांवगांव जा कर फेरी लगा कर सामान बेचते थे. छांगुर बाबा कुल 4 भाई थे. वह जब छोटा था, तभी उस के अब्बू करीमुल्ला का इंतकाल हो गया था.

अब्बू की मौत के बाद उस के सभी भाई अपनी अम्मी को ले कर अपना पुराना गांव गरीबपुर छोड़ कर रेहरामाफी गांव में आ गए थे. वहीं मेहनतमजदूरी का काम करने लगे. जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा जब बड़ा हुआ तो वह भी गांवगांव घूम कर फेरी लगा कर कपड़ा बेचने का काम करने लगा. उस के बाद वह अंगूठियां और नग बेचने लगा. इस में उसे अच्छी आमदनी होने लगी.

फेरी लगातेलगाते जलालुद्दीन को यह एहसास हो गया था कि गांवदेहात के लोग ज्यादा अंधविश्वासी होते हैं. उन्हें विश्वास में ले कर ताबीज से उन की निजी समस्याओं के समाधान का झांसा दिया जा सकता है, इसलिए उस ने लोगों को ताबीज देने भी शुरू कर दिए. उन पर मनोवैज्ञानिक असर हुआ. किसे कितना फायदा हुआ, इस बारे में किसी ने किसी से नहीं बताया, लेकिन जलालुद्दीन की ताबीज और नगनगीने वाली अंगूठियों का धंधा जरूर चल पड़ा. वह जलालुद्दीन से छांगुर बाबा बन गया. उस के मुरीदों की संख्या दिनप्रतिदिन बढ़ती चली गई. उस का यह नया धंधा अच्छा चलने लगा. उस का निकाह कुतुबनिशा के साथ हो गया, जिस से उस की 4 बेटियां और अंत में बेटा महबूब पैदा हुआ.

छांगुर ने अपने बच्चों को पढ़ाईलिखाई में ध्यान देने के बजाय उन की शादीब्याह को अधिक तरजीह दी. जवान होने पर एकएक कर के सभी के निकाह कर दिए. उस का मानना था कि बच्चों की शादियां यदि समय से कर दी जाएं तो इंसान अपनी खुद की एक नई तकदीर लिख सकता है. वर्ष 1995 में छांगुर की जिंदगी में तब एक नया मोड़ आया, जब उस की मामी रेहरामाफी गांव प्रधान के चुनाव मैदान में उतरी. इस चुनाव को छांगुर ने अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया और मामी की जीत के लिए अपनी सारी ताकत झोंक दी. नतीजे भी उस के मन मुताबिक आए. उस की मामी ग्राम प्रधान का चुनाव जीत गई.

उस के चुनाव जीतने पर छांगुर की मानो लौटरी लग गई थी. मामी अपने बेटों से अधिक छांगुर पर ही भरोसा करती थी, इसलिए प्रधानी के अधिकतर काम उसे करने को देेने लगी. धीरेधीरे उस का झुकाव राजनीति की ओर हो गया. साल 2011 में उस ने खुद ग्राम प्रधान का चुनाव लडऩे का मन बना लिया. किंतु उस बार ग्राम प्रधान की सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई थी. तब छांगुर ने अपनी बेगम कुतुबनिशा को चुनाव मैदान में उतार दिया और फिर काफी मतों के अंतर से कुतुबनिशा यह सीट जीत गई.

कहने को तो कुतुबनिशा ग्राम प्रधान बन चुकी थी, लेकिन असल में प्रधानी का हर काम छांगुर ही करता था. इसलिए अब छांगुर इस की आड़ में काफी पैसे कमाने लगा और उस ने फेरी लगाने, अंगूठी नग बेचने का काम छोड़ दिया. पैसा आते ही उस ने मुंबई का रुख किया. वहां उस ने कपड़े की एक दुकान खोल ली. दुकान अच्छी चल पड़ी. मुंबई में रहते हुए हर 2-3 दिनों पर मुंबई के वरली में स्थित सैयद पीर हाजी शाह बुखारी की दरगाह पर भी जाने लगा. वह बातें करने में माहिर था. उस ने धीरेधीरे वहां के कुछ मुजाबिरों से अच्छे संबंध बना लिए थे. उन के माध्यम से उसे धर्मांतरण के एक नए खेल का पता चला. जिस में पैसों के साथसाथ खूब ऐश भी करने को मिलते थे. वह भी उन के गिरोह में शामिल हो कर धर्मांतरण का कार्य कर उस से अच्छे पैसे कमाने लगा.

जलालुद्दीन उर्फ छांगुर अब अधिकतर समय मुंबई में ही रहने लगा था. वहां पर वह अपनी कपड़े की दुकान तो चला ही रहा था. तब उस की जिंदगी में नई रौनक आ गई. उस ने अपना हुलिया एक खास तरह के गुणी ओझा, तांत्रिक, ज्योतिष या कहें पीर जैसे बाबा जैसा बना लिया था. बाबा के इस अनोखे रूप को जो भी देखता पहली ही नजर में उस की ओर खिंचा चला आता. अक्तूबर, 2015 में एक दिन शाम को दरगाह परिसर में मुंबई के नवीन रोहरा और उस की पत्नी नीतू आए. उन्होंने छांगुर बाबा को देखा. उन्हें जब मालूम हुआ कि बाबा एक पहुंचे हुए पीर हैं और हर समस्या का समाधान चुटकियों में निकाल देते हैं, तो वे बाबा के पास आ कर बातें करने लगे.

बातोंबातों में नवीन रोहरा ने बताया कि वह मुंबई की एक बड़ी कंपनी में उच्च पद पर काम करता है. मुंबई में उस की अरबों की संपत्ति थी. इतना वैभव और अपार पैसा होने के बावजूद भी उन का परिवार काफी दुख और परेशानियों से घिरा हुआ है. उलझन भरा जीवन व्यतीत कर रहा है. नवीन की पत्नी नीतू मूलरूप से तमिलनाडु की रहने वाली थी. उस ने छांगुर को बताया कि उसे मानसिक तौर पर काफी दिक्कतें हैं. साथ ही उसे प्रेग्नेंसी में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. नीतू की समस्या जानने के बाद छांगुर ने उसे भरोसा दिलाया कि अब वह उस की सारी परेशानियों को दूर कर देगा. उस ने नीतू को भभूत दी और एक विशेष नग वाली अंगूठी नियमित पहनने के लिए दे दी.

जैसा बाबा ने समझाया था, नीतू ने वैसा ही किया. कुछ दिन के बाद नीतू को फायदा होने लगा तो वह अब अकसर उस से मिलने उस के पास आने लगी. एक तरफ  नीतू का बाबा के प्रति विश्वास गहराने लगा था, दूसरी तरफ बाबा के दिल में नीतू को ले कर कुछ हलचल होने लगी थी. छांगुर ने उसे अपने शीशे में ऐसा उतारा कि वह उस की हर बात मानने लगी. नतीजा हुआ, दोनों अवैध रिश्ते में बंध गए. कहने को बाबा नीतू का गुरु था, जबकि नीतू बाबा के लिए शिष्या और फिर प्रेमिका बन गई. उस के बाद छांगुर ने नीतू के पति नवीन रोहरा को धर्मांतरण के खेल में शामिल होने के लिए उकसाते हुए करोड़ों रुपए कमाने का लालच दिया. फिर नीतू का बाबा के प्रति विश्वास गहराने लगा था.

दोनों पतिपत्नी अब छांगुर की हर बात को आंखें बंद कर स्वीकार करने लगे थे. इसी का फायदा उठाते हुए छांगुर ने उन्हें उन की बेटी सहित मुसलिम धर्म स्वीकार करने का दबाव बनाया. इस से करोड़ों रुपए कमाने का प्लान भी समझाया. रोहरा दंपति ने छांगुर की बात मान ली. उन के हामी भरते ही छांगुर उन्हें तीनों को दुबई ले गया. बाबा ने 16 नवंबर, 2015 को दुबई के अलफारुख उमर बिन खत्ताब सेंटर में आवश्यक कागजी काररवाई पूरी कर तीनों को हिंदू से मुसलिम धर्म में धर्मांतरित करवा दिया. उस के बाद नवीन रोहरा का नया नाम जमालुद्दीन, नीतू का नसरीन और उन की बेटी सबीहा बन गई.

फिर नवीन और नीतू मुसलिमों के रहनसहन, जीवनशैली, लहजा और लिबास आदि को अपना कर कुछ सालों तक मुंबई में धर्मांतरण का धंधा करने लगे. इस से खुद भी पैसा कमाया और बाबा को हिस्सा दिया. वे एक तरह से बाबा के एजेंट की तरह काम करने लगे थे.

कोठी को बनाया धर्मांतरण का अड्डा

मुंबई में छांगुर बाबा हर महीने लाखों रुपए कमाने लगा था, लेकिन वह इतने से संतुष्ट नहीं था. वह और अधिक रुपए कमाना चाहता था. इस के लिए उस ने एक विशेष प्लान के तहत यह काम अपने गांव रेहरामाफी में स्थापित करने का मन बनाया. वह उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के आसपास के क्षेत्रों में धर्मांतरण का रैकेट फैलाना चाहता था. मुसलमान बन चुके नवीन और नीतू अपनी बेटी के साथ हर कदम पर छांगुर बाबा का साथ देते थे. इस के लिए छांगुर ने नवीन और उस के परिवार के सभी सदस्यों द्वारा 24 मई, 2021 को बलरामपुर के उतरौला सिविल कोर्ट से शपथ पत्र बनवा लिया.

 

उस में नीतू उर्फ नसरीन, नवीन उर्फ जमालुद्दीन और रोहरा उर्फ सबीहा द्वारा स्पष्ट लफ्जों में कहा गया था कि वह पहले सिंधी समुदाय के हिंदू धर्म से थे, मगर उन्होंने 16 नवंबर, 2015 को अपना धर्म छोड़ कर इसलाम धर्म अपना लिया. इस शपथ पत्र के आधार पर तीनों ने बाबा को अपना अभिभावक बना लिया था. नीतू उर्फ नसरीन छांगुर के धर्मांतरण गैंग की प्रमुख और सक्रिय सदस्य बन कर उस के लिए धर्मांतरण की नई जमीन तैयार करनी शुरू कर दी. इस के लिए नसरीन ने गरीब हिंदू परिवारों को निशाना बनाया. उन की बीमारी के दौरान इलाज का खर्च उठाने, उन्हें किसी भी तरह की आर्थिक मदद देने, छांगुर बाबा के रहस्यमई चमत्कारों को बढ़ाचढ़ा कर बताने का काम करने लगी. गरीब लोगों को कई तरह से झांसा दे कर बाबा के पक्ष में माहौल बना दिया था.

जब कोई हिंदू परिवार नसरीन के झांसे में फंस जाता था, तब वह उन्हें छांगुर बाबा के पास ला कर उन का धर्मांतरण करवा देती थी. इसी तरह से नवीन उर्फ जमालुद्दीन भी गरीब हिंदू परिवारों को पहले कर्ज दे कर फंसाता था, फिर उन का धर्मांतरण करवा देता था. नवीन बाबा की कार ड्राइव करता था, जबकि कार की पिछली सीट पर नसरीन और छांगुर आराम से बैठ कर धर्मांतरण की प्लानिंग करते थे. छांगुर बाबा का बेटा महबूब भी साथ में मिल कर धर्मांतरण का पूरा रैकेट संचालित कर रहा था. बाबा ने नीतू उर्फ नसरीन को अपनी दूसरी बीवी का दरजा दे दिया था. वह अपने पूर्व पति और बेटी के साथ ऐशोआराम की जिंदगी गुजार रही थी.

इस तरह से छांगुर बाबा का पूरा गैंग गरीब, मजदूर या फिर मजबूर लोगों को पैसों का लालच दे कर धर्मांतरण के लिए विवश कर देता था. यदि कोई उन की बात मानने से इनकार कर देता था, तब वह गैंग के सदस्य पुलिस व कोर्ट के जरिए फरजी मुकदमे दर्ज कर गरीब परिवारों को प्रताडि़त करते थे. छांगुर बाबा ने अलगअलग जाति धर्म की लड़कियों को लाने के अलगअलग दर निर्धारित कर रखी थीं. जैसे ब्राह्मण, सिख और क्षत्रिय लड़कियों के इसलाम स्वीकारने पर 15 से 16 लाख रुपए, पिछड़ी जाति की लड़कियों के लिए 10 से 12 लाख रुपए एवं अन्य जाति की लड़कियों को 8 से 10 लाख रुपए दिए जाते थे.

छांगुर के गांव में उस की आलीशान कोठी का निर्माण का काम शुरू हो गया था. जब 2021 में निर्माण का काम आधे से अधिक हो गया तो नीतू ने छांगुर से शिकायत की कि कोठी में ठेकेदार वसीउद्दीन उर्फ बब्बू अच्छा मटीरियल नहीं लगा रहा है. नीतू ने निर्माणाधीन कोठी की कई खामियों के सबूत दिखाते हुए बताया कि बब्बू ने अब तक निर्माण कार्य में पूरे ढाई करोड़ रुपए की हेराफेरी कर ली है. आगे वह पूरे काम में न जाने कितने करोड़ की चपत लगाएगा. छांगुर ने नीतू की शिकायत को गंभीरता से लिया और वसीउद्दीन उर्फ बब्बू के खिलाफ हेराफेरी का मुकदमा दर्ज करा दिया. इस के बाद उस के खिलाफ 7 एफआईआर दर्ज करवाई गईं. फिर तो छांगुर और बब्बू के बीच मुकदमेबाजी का दौर शुरू हो गया.

इस के साथ ही छांगुर बाबा के खिलाफ पहले से ही स्थानीय लोगों के द्वारा धर्मांतरण और अन्य अनैतिक कार्यों की शिकायतें दर्ज करवाई जा चुकी थीं. बाबा की प्रशासन व पुलिस में अच्छी पकड़ होने के कारण उस के खिलाफ कोई भी काररवाई नहीं हो पाई थी. दूसरी तरफ बब्बू की हैसियत भी कम नहीं थी. वह भी समाज में अपना रुतबा बना कर रखता था. जब छांगुर ने उस के खिलाफ एफआईआर और मुकदमेबाजी शुरू कर दी तो बब्बू ने भी इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था.

उस ने आर या पार का फैसला कर लिया था. छांगुर, उस की प्रेमिका नसरीन, नसरीन के पति जमालुद्दीन और छांगुर के बेटे महबूब से जुड़े जमीनों, कोठियों और अन्य खातों को खंगालने का काम शुरू कर दिया. इस के अलावा उस ने धर्मांतरण के मामलों से जुड़े सबूत भी जुटाने शुरू कर दिए. बब्बू ने सारे सबूत इकट्ठा कर पहले बलरामपुर के आला अधिकारियों से इस की शिकायत कर दी. छांगुर की पुलिस और प्रशासन में अच्छी पकड़ थी. इस कारण उस के खिलाफ काररवाई में ढिलाई बनी रही. किंतु बब्बू ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली थीं. उस ने भी बदला लेने की ठान रखी थी. जब स्थानीय प्रशासन से बात बनती नहीं नजर नहीं आई, तब उस ने छांगुर के कारनामों की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय यानी पीएमओ में कर दी.

हफ्ते भर में ही पीएमओ से जांच का आदेश जारी हो गया. फिर क्या था, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेश पर इस की जांच एसटीएफ को सौंपी गई. एसटीएफ ने आदेश मिलते ही छांगुर बाबा और उस के सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन, नवीन उर्फ जमालुद्दीन और बेटे महबूब को पूछताछ के लिए नोटिस भेज दिया. उधर दूसरी तरफ छांगुर व उस की गैंग एसटीएफ के सामने पेश न हो कर अपने ऊपर वैधानिक काररवाई रुकवाने के लिए सीधे हाईकोर्ट पहुंच गए, लेकिन हाईकोर्ट ने इस गंभीर मसले पर संज्ञान लेने के बाद काररवाई रोकने से इंकार कर दिया.

उस के बाद यूपी एसटीएफ ने छांगुर व उस के 3 साथियों पर एफआईआर दर्ज कर दी. उस एफआईआर के खिलाफ एक बार फिर छांगुर व उस के साथी हाईकोर्ट चले गए, लेकिन इस मामले में भी हाईकोर्ट की ओर से उन्हें कोई भी राहत न मिल सकी. यूपी एसटीएफ की टीम अब छांगुर बाबा और उस के साथियों की गिरफ्तारी के लिए हाथ धो कर उन के पीछे पड़ गई थी. टीम ने नाटकीय अंदाज में 10 अप्रैल, 2025 को छांगुर के बेटे महबूब और नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली. हालांकि इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद छांगुर बाबा, नीतू उर्फ नसरीन फरार हो गए थे. छांगुर की गिरफ्तारी पर पुलिस ने 50 हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर दिया.

महबूब और नवीन की गिरफ्तारी के बाद छांगुर बाबा नीतू को ले कर लखनऊ के  होटल स्टार रूम्स में आ गया था. वहां उन्होंने 16 अप्रैल, 2025 को 4 दिन के लिए कमरा नंबर 102 बुक किया था. पहचान के तौर पर दोनों ने अपनेअपने आधार कार्ड होटल रिसैप्शन पर दिए थे.

ऐसे हुई छांगुर बाबा की गिरफ्तारी

नसरीन का आधार कार्ड नीतू पत्नी नवीन रोहरा के नाम पर था, जबकि जलालुद्दीन का कार्ड खुद उस के नाम पर था. स्टार रूम्स के होटल नंबर 102 में छांगुर और नीतू उर्फ नसरीन 4 दिन तक रुके. इस के बाद पांचवें दिन इन्होंने कमरा नंबर 104 ले लिया. फिर इस कमरे में ये दोनों पूरे 70 दिनों तक रहे. होटल के रिकौर्ड के मुताबिक कमरा नंबर 102 और फिर 104 में छांगुर और नसरीन पतिपत्नी थे. वहां वे छिप कर रह रहे थे. दोनों अपने कमरे से कभीकभार ही बाहर निकलते थे. खाना होटल के अंदर ही खाते थे. एक तरह से उन्होंने उसे ही सुरक्षित और अस्थाई ठिकाना बना लिया था.

दूसरी तरफ एसटीएफ के अलावा एटीएस तेजी से उन की तलाशी में जुटी हुई थी. टीम ने 5 जुलाई, 2025 को पुख्ता जानकारी मिलने पर लखनऊ के स्टार रूम्स होटल के कमरा नंबर 104 पर छापेमारी की. वहां से छांगुर बाबा और नीतू उर्फ नसरीन दबोच लिए गए.

छांगुर और नसरीन के बैंक खातों की जांच

एटीएस की जांच में पाया कि छांगुर बाबा ने ‘शिजर-ए-तैय्यबा’ नामक एक पुस्तक प्रकाशित करवाई थी. इस का इस्तेमाल वह इसलाम का प्रचार करने के लिए करता था. इस किताब के माध्यम से वह और उस का पूरा गैंग लव जेहाद के लिए मुसलिम युवकों और हिंदू युवतियों को प्रेरित करता था. इसी पुस्तक के द्वारा उस ने हजारों हिंदू युवकयुवतियों का धर्म परिवर्तन करने के लिए उकसाया था.

छांगुर की सब से करीबी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन थी. उस ने एटीएस के सामने अनेक राज खोले. उस ने बताया कि बाबा अपने बेटे की गिरफ्तारी के बाद विदेश भागने की फिराक में था. उस ने कहा कि बाबा 2 हजार गुर्गों की टीम देश के 574 ङ्क्षहदू बहुल जिलों तक फैलाना चाह रहा था. इन में ज्यादातर मुसलिम युवक थे, जो ङ्क्षहदू लड़कियों को प्रेमजाल में फांस कर धर्म परिवर्तन कराते. इस काम में उसे सफलता भी मिल रही थी. जांच की अगली कड़ी में छांगुर और नसरीन के खातों की जांच की गई. पाया कि इन दोनों के खाते से 100 करोड़ रुपए से अधिक के लेनदेन किए गए. नसरीन के खाते में 124 दिनों में 13.90 करोड़ रुपए जमा हुए और 13.58 करोड़ रुपए निकाले गए.

छांगुर बाबा के एक खाते में 18.66 करोड़ की विदेशी फंडिंग का खुलासा हुआ, जबकि छांगुर के दूसरे खाते में 16.22 करोड़ निफ्ट ट्रांजैक्शन हुआ. छांगुर के एचडीएफसी बैंक के 2 खातों में 20 करोड़ रुपए से अधिक का लेनदेन सामने आया है. इस के अतिरिक्त जांच में यह भी सामने आया है कि छांगुर की कई फरजी फर्में और ट्रस्ट ‘आस्वी इंटरप्राइजेज’, ‘आस्वी चैरिटेबल ट्रस्ट’, ‘आसिपिया हसनी हुसैनी कलेक्शन’, ‘बाबा ताजुद्ïदीन आस्वी’ और ‘बुटीक नवीन’ के नाम से चल रहे थे. इन फरजी फर्मों और ट्रस्टों के जरिए बाबा ने बैंक खाते भी खुलवाए थे और इन्हीं के माध्यम से फंडिंग आती थी और पैसा ट्रांसफर किया गया था.

जांच एजेंसी के अधिकारी जब छांगुर बाबा की कोठी में घुसे थे, तब वहां की सुविधाएं और सामानों को देख कर चौंक गए थे. कोठी के अंदर एक गुप्त कंट्रोलरूम बना था, जहां से पूरे घर के सीसीटीवी कैमरों की निगरानी की जाती थी. जब्त सामानों में पैक किए डेली यूज प्रोडक्ट्स भी मिले. इन में दुबई से मंगाए गए स्पैनिश तेल, शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाली दवाइयां, विदेशी इत्र, खानेपीने की चीजों के साथसाथ विदेशी डिटर्जेंट थे. उत्तर प्रदेश के एडीजी (ला एंड और्डर) अमिताभ यश के अनुसार छांगुर बाबा और उस के गैंग के सदस्य 40 से अधिक बार इसलामिक देशों की यात्रा कर चुके थे. एटीएस की जांच में विदेशी फंडिंग से एक साल में करोड़ों की संपत्तियां खरीदी गई थीं, जिन में शोरूम, बंगले और लग्जरी गाडिय़ां शामिल हैं.

कोठी पर चले बुलडोजर

छांगुर बाबा की 3 बीघा जमीन पर बनाई गई कोठी नेपाल बौर्डर से सटे बलरामपुर के उतरौला-मनकापुर मुख्य मार्ग पर स्थित थी, जो 3 करोड़ रुपए से अधिक की आंकी गई थी. जिस में 10 सीसीटीवी कैमरों के अलावा कोठी के चारों तरफ बांउड्री वाल पर कंटीले तार लगे थे, जिस में सुरक्षा के लिए रात को करंट दौड़ाया जाता था. इस कारण आलीशान कोठी के अंदर परिंदा भी पर न मार पाता था. मेन रोड से कोठी तक जाने के लिए बाबा ने 500 मीटर लंबी निजी सड़क बनवाई थी.

जांच के लिए 8 जुलाई, 2025 की सुबह डीएम पवन अग्रवाल, एसपी विकास कुमार व अन्य अधिकारियों की निगरानी में टीम कोठी का ताला तोड़ कर अंदर गई थी. शाम को 5 बजे तक 20 कमरों और 40 फीट लंबे 40 फीट चौड़े हाल को बुलडोजर द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था. इस 3 करोड़ की कोठी पर कुल 9 बुलडोजर चलाए गए. प्रशासन का कहना है कि यह कोठी अवैध जमीन पर बनाई गई थी. कोठी के अंदर एक मिनी पावर हाउस भी बना था. आलीशान बाथरूम में विदेशी ब्रांड के सामान लगे थे. कोठी में एक अच्छी नस्ल का घोड़ा भी बंधा मिला. कोठी के अंदर महंगी टाइल्स और महंगा संगमरमर लगा था. छांगुर बाबा का किचन भी आधुनिक था, जो महंगी टाइल्स और संगमरमर से सजा था, जिस की लंबाई और चौड़ाई 15 फीट की थी. बाबा ने अच्छी नस्ल के 6 जरमन शेफर्ड कुत्ते भी पाल रखे थे.

छांगुर बाबा के काले कारनामों के अनगिनत राज बेहद चौंकाने वाले थे. उस के गुनाहों की फेहरिस्त इतनी लंबी पाई गई कि उन की अलग से जांच बिठाने की जरूरत महसूस की जाने लगी. उस पर सब से बड़ा गंभीर आरोप यह लगा कि वह हिंदू लड़कियों और महिलाओं को अपने जाल में फंसा कर उन का इसलामी धर्मांतरण करवाता था. इस की संख्या का सही आकलन नहीं किया जा सका है, लेकिन वह हजारों में हो सकती है. उस पर यह भी आरोप है कि उसे इसलामिक मुल्कों से धर्मांतरण कराने के एवज में करोड़ों रुपए की फंडिंग मिलती रही. जिस की पुष्टि 200 करोड़ रुपए तक की हुई.

प्रशासन का अनुमान है कि अभी करोड़ों रुपए की फंडिंग को ट्रैक किया जाना बाकी है. जिस के अनुसार 300 करोड़ रुपए की अतिरिक्त फंडिंग का अनुमान है. कहानी लिखे जाने तक छांगुर बाबा एटीएस की कड़ी कस्टडी में था. Crime News

 

 

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