UP Crime News : 26 वर्षीय सीमा ऐसी शातिर लुटेरी दुलहन थी जो आगरा के बिजनैसमैन के यहां से 75 लाख रुपए, जयपुर के ज्वैलर के घर से 36 लाख की ज्वैलरी व नकदी ले कर फरार हुई थी. वह हमेशा मोटी आसामी को ही जाल में फांसती थी. आप भी जानें कि शादी के बाद वह कैसे करती थी ससुराल के माल पर हाथ साफ?

मोबाइल फोन की घंटी बजी तो राकेश जैन ने हाथ में पकड़ा चाय का प्याला टेबल पर रख कर वहां रखा मोबाइल फोन उठा लिया और होंठों में बुदबुदाए, ‘इतनी सुबह किस ने फोन मिला दिया मुझे.’

मोबाइल स्क्रीन पर जो नंबर चमक रहा था, वह राकेश जैन के लिए अंजाना था. कुछ पल विचार करने के बाद उन्होंने काल रिसीव कर ली, ”हैलो! मैं राकेश जैन बोल रहा हूं, आप कौन हैं?’’

जवाब देने की बजाए दूसरी ओर से चहकता हुआ नारी स्वर उभरा, ”गुड मार्निंग राकेशजी, सुबहसुबह आप को डिस्टर्ब कर दिया मैं ने?’’

राकेश जैन नारी स्वर सुन कर हैरानी से बोले, ”जी, डिस्टर्ब की बात नहीं है, बस मैं आप को पहचान नहीं पाया हूं.’’

”जी, मेरा नाम सीमा उर्फ निक्की अग्रवाल है. मैं ने कल रात को मैरिज ऐप पर आप की प्रोफाइल देखी थी. रात को मैं ने आप को डिस्टर्ब नहीं किया कि आप आराम कर रहे होंगे. अब भी आप को फोन करने का समय गलत ही है. सुबहसुबह आदमी दैनिक कर्म में उलझा होता है, लेकिन क्या करूं, आप की प्रोफाइल देखने के बाद मैं रात भर बहुत बेचैन रही, इसलिए.’’

”कोई बात नहीं सीमाजी,’’ राकेश जैन ने सीमा की बात को काटते हुए कहा, ”मुझे सुबह 4 बजे उठने की आदत है, साढ़े 5 बजे तक मैं फ्रैश हो कर चाय पीने बैठ जाता हूं, अभी भी मैं चाय ही पी रहा था.’’

”मैं आ जाऊं चाय पीने?’’ सीमा ने कहते हुए जोरदार ठहाका लगाया.

”आ जाइए,’’ राकेश जैन मुसकरा कर बोले, ”आप का ही घर है.’’

”अभी मेरा कहां से हो गया जी.’’ सीमा ने बगैर झिझके कह दिया, ”आप मुझे अपने दिल और घर में जगह दे देंगे, तब कहूंगी यह मेरा घर है, मेरा और मेरे पिया का घर.’’

राकेश जैन के हृदय में गुदगुदी सी होने लगी. उन्हें समझते देर नहीं लगी कि सीमा ने उस की ‘मैरिज ऐप’ शादी के लिए डाली गई प्रोफाइल को पढऩे के बाद उस से रिश्ता जोडऩे का मन बना लिया है.

सीमा की बेबाकी, बात करने का सलीका राकेश जैन को अच्छा लगा.

उन्होंने सीमा के विषय में विस्तार से जानने के लिए गंभीर स्वर में पूछा, ”आप कहां रहती हैं सीमाजी?’’

”मैं उत्तराखंड के देहरादून में रहती हूं. मैं ने बीकाम कर लिया है और अब एलएलबी कर रही हूं. घर मैं मम्मीपापा और बहनें हैं, मैं बड़ी हूं घर में. ‘‘

”क्या आप ने मैट्रीमोनियल साइट पर मेरे द्वारा शादी के लिए डाली गई प्रोफाइल अच्छे से पढ़ ली है सीमाजी?’’ राकेश जैन ने झिझकते हुए पूछा.

”हां जी,’’ सीमा ने बताया, ”मैं ने पढ़ लिया है कि आप विधुर हैं. आप के पास 2 बच्चे हैं और आप की उम्र 37 साल के आसपास पहुंच चुकी है.’’

”इतना जान लेने के बाद क्या आप मुझ से शादी करने के लिए तैयार हैं?’’

”जी हां.’’ सीमा ने गंभीर स्वर में कहा, ”राकेशजी, बेशक मैं कुंवारी हूं, लेकिन मेरी इच्छा है कि मैं अपना तनमन उस व्यक्ति को समर्पित करूं, जिसे अपने बच्चों से मोह हो.’’

”तब आप को अपनी जीवनसंगिनी बनाने को मैं तैयार हूं.’’ राकेश जैन तुरंत बोले, ”लेकिन एक बार मैं आप से आमनेसामने बैठ कर बात करना चाहूंगा सीमाजी.’’

”मैं भी यही कहने वाली थी,’’ सीमा बेसब्री से बोली, ”आप समय निकाल कर देहरादून आ जाइए.’’

”ठीक है,’’ राकेश ने हामी भर दी, ”मैं कल ही बस से देहरादून आ जाता हूं.’’

”आ जाइए. मैं आप के स्वागत के लिए देहरादून बस अड्ïडे पर खड़ी मिलूंगी. आप बस में बैठें तो मुझे फोन द्वारा सूचित कर देना.’’

”ठीक है,’’ राकेश जैन ने खुश होते हुए गुड बाय कहा और काल डिसकनेक्ट कर दी.

देहरादून में रूबरू हो कर मिले दिल से दिल दूसरे ही दिन राकेश जैन देहरादून गए और सीमा अग्रवाल से मिल कर जयपुर लौट आए. सीमा अग्रवाल 26 साल की रूपवान युवती थी. पहली नजर में ही राकेश जैन को वह पसंद आ गई. सीमा से उन्होंने यह वादा किया कि घर जा कर वह इस रिश्ते को पक्का करने के लिए फेमिली वालों से बात करेंगे. शाम को राकेश जैन ने घर आ कर अपने पापा, बहनजीजा और मामा के कानों में सीमा अग्रवाल से मुलाकात की बात डालते हुए बताया कि वह सीमा से शादी करना चाहते हैं.

”अरे!’’ राकेश के जीजा खुश हो कर बोले, ”जब सीमा तुम्हें जंच गई है तो फिर देरी क्यों कर रहे हो राकेश, चटपट शादी कर डालो.’’

”जीजाजी, सीमा गरीब परिवार से है.’’

”यह तो अच्छी बात है, गरीब घर की लड़कियां संस्कारी होती हैं और वे शादी के बंधन को ताउम्र निभा कर चलने में ही अपनी भलाई समझती हैं. तुम शादी की तैयारी शुरू कर दो. यह शादी हम जयपुर में ही करेंगे, सीमा के परिवार वालों के ऊपर थोड़ा सा भी बोझ नहीं डालेंगे.’’ जीजा ने राकेश जैन को समझाया.

”ठीक है, जीजाजी. मैं अपनी हैसियत के अनुसार ही बड़ी धूमधाम से यह शादी करूंगा.’’ राकेश जैन ने उत्साहित हो कर कहा और यह बात फोन कर के सीमा को बता दी. इस के दूसरे दिन से ही राकेश जैन के घर शादी की तैयारियां शुरू हो गईं. निश्चित दिन जयपुर के पौश इलाके मानसरोवर में राकेश जैन ने शानदार शादी का मंडप सजवाया. सीमा के घर वालों को पहले ही जयपुर बुला कर एक होटल में ठहरा दिया गया था. 23 फरवरी, 2023 को राकेश जैन और सीमा अग्रवाल की इस सजेधजे मंडप में बड़ी धूमधाम से शादी संपन्न हो गई. इस शादी में वरवधू के फेमिली वालों के अलावा जयपुर शहर के बड़ेबड़े ज्वैलर्स, व्यापारी और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए.

सुबह सीमा की इसी मंडप से विदाई हुई. वह दुलहन बन कर राकेश जैन के घर जोतवाड़ा के एक आलीशान बंगले में आ गई. शादी की जितनी रस्में थीं, वह यहां निभाई गईं और रात को गुलाब चमेली के फूलों से सजाए गए सुहागसेज पर राकेश जैन और सीमा की सुहागरात भी मन गई. सीमा ने अपने कौमार्य की पूंजी राकेश जैन को समर्पित कर के एक अच्छी पत्नी होने का धर्म निभा दिया. राकेश जैन की पत्नी देवकी का 2 अप्रैल, 2022 को निधन हो गया था. वह 2 बच्चे छोड़ गई थी. सीमा ने देवकी का स्थान लिया तो उस के बच्चों को भी मां की तरह गले से लगा लिया.

राकेश जैन को लगा कि उन्होंने अच्छे कर्म किए होंगे जो सीमा जैसी नेक, पतिव्रता पत्नी दूसरी बार मिल गई है. सीमा में उन्हें पूर्वपत्नी देवकी जैसे ही गुण नजर आए थे. भविष्य के गर्भ में जो छिपा था, उसे राकेश जैन नहीं भांप पाए. वह सीमा को हर प्रकार का सुख देने का हर प्रयास करने लगे. उन का जयपुर में बड़े ज्वैलर्स के रूप में नाम था. रुपएपैसों की कोई कमी नहीं थी. परिवार में पापा और छोटा भाई था. घर में किसी बात की दिक्कत नहीं थी. सब कुछ 4 महीनों तक ठीकठाक चलता रहा. पांचवां महीना शादी के बाद जुलाई का आया तो सीमा ने अपना रंग बदलना शुरू कर दिया.

एक सुबह वह सो कर उठी तो सुबकने लगी. उस की आंखों से मोटेमोटे आंसू टपकने लगे. राकेश जैन नहाने के बाद पूजा करने के लिए घर के मंदिर की तरफ जा रहे थे. सीमा को रोते देखा तो घबरा कर उस के पास आ गए.

”क्या हुआ सीमा, तुम रो क्यों रही हो?’’ स्नेह से सीमा की ठोड़ी ऊपर उठाते हुए उन्होंने हैरानी से पूछा.

”राकेश, मुझे आज सुबह एक

भयानक सपना आया है.’’ सीमा ने रोते हुए बताया.

”कैसा सपना?’’ राकेश जैन ने पूछा.

”आप मुझे धक्के दे कर घर से निकाल रहे हैं…’’

”पगली, मैं भला तुम्हें घर से क्यों निकालूंगा, तुम्हें तो मैं देवकी जैसा ही प्यार करता हूं.’’

”नहीं राकेश, कहते हैं सुबह का सपना सच्चा होता है.’’ सीमा अपने आंसू साड़ी के पल्लू से पोंछते हुए बोली, ”मैं डर रही हूं, यदि आप ने मुझे घर से निकाल दिया तो मेरा क्या होगा.’’

”मैं ऐसा नहीं करूंगा सीमा. तुम्हें मैं ने दिल से अपनी पत्नी स्वीकार किया है, तुम सदैव इस घर में रहोगी.’’

”मुझे विश्वास नहीं है राकेश.’’ सीमा गरदन झटक कर बोली, ”आप ऐसा करिए, अपनी आधी जायदाद मेरे नाम लिख दीजिए.’’

”यह क्या कह रही हो सीमा, यह घर, यह धनदौलत सब तुम्हारा ही तो है.’’ राकेश जैन ने समझाया, ”मेरे बाद तुम्हीं तो इस की मालकिन बनोगी. उठो, फ्रैश हो कर ब्रेकफास्ट तैयार करो, मुझे जल्दी दुकान पर जाना है आज.’’

”मैं नहीं उठूंगी, आप मेरे नाम आधी प्रौपर्टी करवाइए पहले.’’ सीमा जिद्दी स्वर में बोली.

”यह मुमकिन नहीं है सीमा.’’ राकेश जैन अब गंभीर हो गए, ”हमारे खानदान में ऐसा आज तक नहीं हुआ है.’’

”चलो छोड़ो! आप मुझे आधी प्रौपर्टी की मालकिन नहीं बनाते तो अपने बिजनैस में फिफ्टी का हिस्सेदार बना लीजिए.’’

”यह क्या फिफ्टीफिफ्टी का तमाशा खडा कर रही हो.’’ राकेश जैन झल्ला कर बोले,  ”तुम उठ कर ब्रेकफास्ट बनाती हो या मैं पूजा कर भूखा ही दुकान पर चला जाऊं?’’

”चले जाओ.’’ सीमा गुस्से से बोली, ”यदि आप मेरे लिए कोई हिस्सेदारी तय नहीं करेंगे तो मैं कुछ भी काम नहीं करूंगी.’’

राकेश जैन सीमा को घूरते हुए मंदिर की तरफ बढ़ गए. पूजा कर लेने के बाद जब वह दुकान के लिए निकले तो सीमा को उन्होंने बिस्तर पर ही पड़े देखा. राकेश जैन यह सोच कर चुपचाप घर से निकल गए कि शाम तक सीमा को अपने किए पर शर्मिंदगी महसूस होगी. शाम को वह उन से माफी मांग लेगी. किंतु ऐसा नहीं हुआ. वह शाम को दुकान बंद कर के लौटे तो सीमा घर में नहीं थी. सीमा किसी को बताए बगैर घर से गई थी, राकेश जैन ने उसे फोन लगाया तो सीमा ने फोन उठा कर गुस्से में पूछा, ”क्यों फोन कर रहे हो मुझेï?’’

”कहां हो तुम… घर में बगैर बताए गई हो, हम सब परेशान हो रहे हैं.’’ राकेश जैन ने अपने गुस्से पर काबू रख कर प्यार से कहा, लेकिन सीमा के जवाब ने उन्हें ऊपर से नीचे तक हिला कर रख दिया.

”राकेश बाबू, तुम मुझे आधी प्रौपर्टी या बिजनैस में फिफ्टी का हिस्सेदार नहीं बनाना चाहते थे न, अब मैं ने अपने गुजारे के लिए तुम्हारी अलमारी में सेंध लगा कर अपना हिस्सा ले लिया है. मेरा पीछा मत करना, क्योंकि मैं ने तुम्हारे पापा और भाई पर देहरादून की कोतवाली में रेप का केस दर्ज करवा दिया है. मेरे खिलाफ जाओगे तो तुम्हारे पापा और भाई को जेल में सड़वा दूंगी.’’

राकेश जैन को सुनते ही चक्कर आ गया. वह धम्म से सोफे पर गिर पड़े. छोटे भाई और पापा ने उन्हें संभाला. जब वह थोड़ा सामान्य हुए तो उन्होंने अलमारी खोल कर देखी. अलमारी में से 36 लाख के जेवर और लाखों रुपए कैश सीमा अग्रवाल ले उड़ी थी. राकेश जैन ने अपने जीजा को इस वारदात की जानकारी दी तो वह घबराए हुए घर आ गए. अपने साले से ससुरजी और छोटे साले पर रेप केस करने की धमकी ने उन के होश उड़ा दिए. उन्होंने राकेश को साथ ले जा कर जोतवाड़ा थाने में सीमा अग्रवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा दी और जयपुर (पश्चिम) के डीसीपी अमित कुमार से मुलाकात कर उन्हें भी सारी बात बता दी.

”लगता है, आप लुटेरी दुलहन के जाल में फंस गए हैं जैन साहब. आप ने थाने में शिकायत दर्ज करवा दी है. मैं सीमा अग्रवाल की तलाश में पुलिस टीम को निर्देश दे देता हूं. जल्दी ही सीमा को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.’’

ऐसे पकड़ में आई लुटेरी दुलहन

डीसीपी अमित कुमार ने यह केस मुरलीपुरा के एसएचओ सुनील कुमार जांगिड के सुपुर्द कर एक स्पैशल टीम का गठन कर दिया. इस टीम में एसआई विश्वास शर्मा, कांस्टेबल योगेश सिंह, रोशन सिंह, महिला कांस्टेबल निलाक्षी और पूजा तिवारी को शामिल किया गया. यह स्पैशल टीम देहरादून गई. वहां की पुलिस के साथ सीमा के घर दबिश दी गई तो वह घर में मिल गई. जयपुर की स्पैशल पुलिस टीम सीमा को गिरफ्तार कर के जयपुर ले आई. उस से राकेश जैन के यहां से चोरी किए जेवर और नकदी बरामद हो गई. उस से पूछताछ के बाद पता चला कि राकेश जैन सीमा का पहला शिकार नहीं थे, इस से पहले सीमा ने आगरा के एक व्यवसायी और गुरुग्राम (हरियाणा) के एनआरआई को ठगी का शिकार बनाया था.

 

सीमा बहुत शातिर ठग थी. यह मैट्रीमोनियल साइट पर ऐसे व्यक्ति को ढूंढती, जिन्हें अपने लिए अविवाहित, तलाकशुदा या विधवा स्त्री की तलाश रहती थी. किसी कारणवश ऐसे व्यक्तियों का विवाह नहीं हो पाता था या अधिक उम्र होने की वजह से उन के दरवाजे कोई पिता लड़की का रिश्ता ले कर नहीं आता था. सीमा ने 10 साल में 3 हाईप्रोफाइल ठगी की थीं. जयपुर के मशहूर ज्वैलर राकेश जैन को लाखों का चूना लगाने से पहले उस ने आगरा के एक बिजनेसमैन से 75 लाख की ठगी की थी. इस व्यवसायी की शादी नहीं हो पा रही थी. उस ने मैट्रीमोनियल साइट पर अपना रजिस्ट्रैशन कर रखा था.

सीमा ने उस से संपर्क किया और जब वह शादी के लिए तैयार हो गया तो एक सादे समारोह में सीमा ने उस से शादी कर ली और उस की दुलहन बन गई. शादी की पहली रात में ही सीमा ने व्यवसायी को पलंग से धकेल दिया और उसे नपुंसक बता कर उसे कोर्ट में घसीटने की धमकी दे डाली. अपनी इज्जत का जुलूस न निकले, इस के लिए उस ने सीमा को मुंह बंद रखने की कीमत 75 लाख रुपए दी. सीमा रुपए ले कर फुर्र हो गई.

हरियाणा गुरुग्राम का एक एनआरआई युवक भी उस के जाल में फंसा. यह युवक इंजीनियर था. सीमा ने उस से पहचान बनाई, उसे प्रेम जाल में फांसा, फिर उस की दुलहन बन कर उस के घर आ गई. इस एनआरआई की पत्नी बन कर सीमा ने इस के घर वालों का विश्वास जीता, फिर पति के ममेरे भाई पर आरोप लगा दिया कि उस ने उस की इज्जत पर हाथ डाला है. वह थाने में जाने की धमकी देने लगी तो इस मामले को दबाने के लिए घर वालों ने सीमा को 10 लाख रुपए दिए. यह घर उस के रहने लायक नहीं है, ऐसा कह कर सीमा उस युवक को छोड़ कर गुरुग्राम से देहरादून आ गई.

लुटेरी दुलहन सीमा से पूछताछ करने के बाद सक्षम न्यायालय में पेश करने पर उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस उस के द्वारा ठगे गए व्यक्तियों का ब्यौरा एकत्र कर रही थी ताकि इस लुटेरी दुलहन को सख्त से सख्त सजा दिलवाई जा सके.

13 दूल्हों को लूटने वाली लुटेरी दुलहन

तीखे नयननक्श वाली उस युवती का चेहरा धूप से तमतमा कर लाल हो गया था. साधारण सा सूट पसीने से पूरी तरह भीग कर युवती के शरीर से चिपक गया था. वह पूरी तरह थक चुकी थी. उस युवती के साथ एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति भी था, वह भी पसीने से नहाया लग रहा था. इन के पीछे कुछ दूरी पर 2 औरतें भी दिखाई दे रही थीं. वे भी काफी थकी हुई थीं और तेज धूप में धीरेधीरे अपने पांव आगे बढ़ा रही थीं.

”हमें और कितनी दूर चलना होगा बाबा, मेरी हिम्मत अब जवाब देने लगी है.’’ साथ वाली युवती ने माथे पर आया पसीना दुपट्टे से पोंछते हुए पूछा.

”वह सामने बस्ती दिखाई दे रही है पूजा. वहीं जाना है हमें.’’ अधेड़ व्यक्ति ने अंगुली से सामने दिखाई दे रहे घरों को दिखाते हुए बताया. वे चारों धीरेधीरे आगे बढऩे लगे. थोड़ी देर में वे उस बस्ती में पहुंच गए. यहां एक कुआं था, जिस पर एक औरत पानी भर रही थी.

आगुंतकों को इस बस्ती में देख कर वह औरत उन के करीब आ गई.

”किस के घर जाना है आप लोगों को?’’ उस औरत ने उन्हें सिर से पांव तक देखते हुए पूछा.

”यह सांडी का मोहल्ला नवाबगंज ही है न बहन?’’ अधेड़ ने पूछा.

”हां, यह नवाबगंज ही है.’’

”यहां नीरज गुप्ता रहते हैं, हमें उन के घर पहुंचा दोगी तो बड़ा एहसान होगा बहन.’’

”आइए, नीरज गुप्ता का घर मेरे घर के पास ही है.’’ औरत ने कहा और वह उन चारों को साथ ले कर नीरज गुप्ता के घर आ गई. उस ने बाहर से ही आवाज लगा कर कहा, ”भैया नीरज, देखो तो आप के घर कौन मेहमान आए हैं.’’

एक 30 वर्ष की उम्र वाला व्यक्ति घर से बाहर आया और हैरानी से उन चारों को देखने लगा. कुछ देर बाद वह बोला, ”कौन हैं आप लोग, मैं ने आप लोगों को पहचाना नहीं है.’’

”मेरा नाम प्रमोद है बेटा नीरज. यह मेरी बहू सुनीता है और यह मेरी पोती पूजा है. यह आशा है पूजा की मौसी. हम तुम्हारे घर पूजा की शादी का रिश्ता ले कर आए हैं नीरज बेटा.’’

”ओह!’’ वह व्यक्ति खुशी से चहका, ”अरे! आप लोग बाहर क्यों खड़े हैं. आइए, अंदर.’’

सभी अंदर आ गए. नीरज गुप्ता का घर बड़ा था और उस में एक संपन्न घर की तरह सारा सामान करीने से लगा दिखाई दे रहा था. नीरज गुप्ता ने उन्हें सोफे पर बिठा कर चाय पिलाई.

”मैं आप लोगों के लिए चाय बना कर लाता हूं.’’

”रहने दो बेटा,’’ सुनीता नाम की महिला जल्दी से बोली, ”हम दूर से पैदल ही चले आ रहे हैं, इसलिए सर्द मौसम में भी हमारे शरीर पसीने से नहा गए हैं. पहले पसीना सुखा लें, फिर चाय बना लेना.’’

नीरज गुप्ता ने बुजुर्ग से पूछा, ”दादाजी, आप को किस ने बताया कि नवाबगंज में मैं रहता हूं और मुझे शादी के लिए लड़की की तलाश है.’’

”मुझे हरदोई में एक चाय वाले भैया ने बताया था. तुम वहां जाते होगे और शादी की बात भी की होगी.’’ प्रमोद ने बताते हुए कहा.

”दादाजी, मैं साफ दिल का आदमी हूं. मेरी पहले शादी हो चुकी है, लेकिन मेरी पत्नी बीमारी के कारण चल बसी. मुझे अपने बच्चों के लिए दूसरी शादी करनी पड़ रही है. यदि आप को मेरी बात पर कोई ऐतराज न हो तो बात आगे बढ़ाइए.’’ नीरज ने बताया.

”हमें कोई ऐतराज नहीं है बेटा नीरज.’’ सुनीता बोली, ”मैं ने अपनी बेटी पूजा को 10 क्लास पढ़ाया है. घर के सारे काम सिखा दिए हैं, बदकिस्मती यह है कि मैं गरीब हूं, इसलिए लड़के वालों की मोटे दहेज वाली डिमांड पूरी नहीं कर सकी. पूजा की उम्र 26 साल हो गई है, यह जैसी है तुम्हारे सामने है. यदि तुम हां करो तो बात पक्की कर ली जाएगी.’’

”मांजी, मुझे पूजा पसंद है. मेरी दहेज की कोई डिमांड नहीं है. मेरे पास सब कुछ है, मैं इसे सोनेचांदी से लाद कर रानी की तरह रखूंगा. आप पूजा से पूछ लीजिए, क्या मैं इन्हें पसंद हूं?’’

पूजा की आंखों में तीखी चमक उभर आई, वह शरमाने की ऐक्टिंग करते हुए बोली, ”आप मुझे पंसद हैं जी.’’

बातचीत के दौरान तय हुआ कि कल पहली जनवरी, 2025 को हरदोई के रजिस्ट्रार कार्यालय में पूजा और नीरज गुप्ता कोर्ट मैरिज करेंगे. सुबह 10 बजे सभी वहां पहुंच जाएं. सब कुछ तय कर के वे चारों नवाबगंज से वापस हरदोई के लिए निकल गए. दूसरे दिन हरदोई रजिस्ट्रार कार्यालय में नीरज गुप्ता एक बैग बगल में दबा कर अपने कुछ परिचितों के साथ आ गया. यहां प्रमोद, पूजा उर्फ सोनम, उस की मां सुनीता और मौसी पहले से मौजूद थे. नीरज गुप्ता ने बैग से निकाल कर शादी का लाल जोड़ा, एक जोड़ी कान के कुंडल, नाक की नथ और 2 जोड़ी चांदी की भारी पायजेब पूजा को दीं.

”ये पहन कर मेरी दुलहन बन जाओ

पूजा. ये मेरी पत्नी के सोने के जेवर हैं और प्रमोदजी आप यह 2,750 रुपया खर्च के लिए रख लें. शादी होने के बाद मुंह मीठा करेंगे.’’ कहने के बाद नीरज गुप्ता कागजात तैयार करवाने के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय में चला गया. आधा घंटा बाद वह कागज तैयार करवा कर वापस आए तो पूजा, उस का दादा प्रमोद, मम्मी सुनीता और मौसी वहां से गायब हो गए थे. नीरज गुप्ता और उन के परिचितों ने चारों को हर तरफ तलाश किया, लेकिन वे चारों वहां से नदारद हो गए थे.

नीरज गुप्ता को लगा वह ठगा गया है. वह अपना सिर पकड़ कर बैठ गया. 23 जनवरी, 2025 को नीरज गुप्ता ने हरदोई कोतवाली में प्रमोद, पूजा, सुनीता और आशा के खिलाफ जेवर और नकदी ठग लिए जाने की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. इस लुटेरी दुलहन पूजा उर्फ सोनम के खिलाफ पहले भी कोतवाली में धोखाधड़ी करने के मामले दर्ज थे. सीओ (सिटी) अंकित मिश्रा इन सभी की तलाश में जगहजगह छापेमारी कर रहे थे. नीरज गुप्ता से उन्हें यह मालूम हुआ कि पूजा की मम्मी सुनीता कोतवाली के गांव चिंतापुर मजरा काजीपुर में रहती है.

यह बात शादी का रिश्ता तय करने आए प्रमोद ने बातोंबातों में बता दी थी. गांव चिंतापुर मजरा काजीपुर में दबिश दी गई तो सुनीता हाथ आ गई. कोतवाली ला कर उस से सख्ती से पूछा गया तो उस ने पूजा, आशा और प्रमोद के पते पुलिस को बता दिए. पुलिस टीमें अलगअलग भेजी गईं तो सफलता मिल गई. लोनार के नस्यौली डामर से लुटेरी दुलहन पूजा, पिहानी के गांव सिमौर से आशा को गिरफ्तार कर लिया गया. बेहेटी चिरागपुर में प्रमोद नहीं मिला. वह फरार हो गया था.

पूछताछ में यह मालूम हुआ कि प्रमोद पूजा का दादा नहीं है, वह इस लुटेरे गैंग का बिचौलिया है, जो पूजा के लिए शादी के लिए इच्छुक धनी व्यक्तियों से शादी की बात करता था. सुनीता और आशा इस गैंग के लिए काम करती थीं, वह पूजा की मम्मी और मौसी का रोल निभाती थीं.

अनुराधा बनी 25 दूल्हों की दुलहन

पूछताछ में पता चला कि पूजा अब तक हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर और शाहजहांपुर के 13 व्यक्तियों की दुलहन बन कर उन से लाखों रुपए की ठगी कर चुकी है. इन तीनों को न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया गया. प्रमोद को पकडऩे के लिए हरदोई कोतवाली पुलिस जगहजगह छापेमारी कर रही थी. कथा संकलन तक वह फरार चल रहा था. फरजी शादी और दुलहन बदलने के किस्से से ले कर पिछले दिनों आई फिल्म ‘लापता लेडीज’ की दुलहनों की कहानी तो आप ने अवश्य सुनी होंगी, किंतु उत्तर प्रदेश के महाराजगंज की रहने वाली अनुराधा पासवान द्वारा एकदो नहीं, बल्कि पूरे 25 दूल्हों के अरमानों पर ही पानी फेरने की कहानी जिस ने भी सुनी दांतों तले अंगुली दबा ली.

राजस्थान के मान टाउन में रहने वाले विष्णु शर्मा ने इसी साल मार्च महीने में अपनी शादी के लिए कुछ लोगों से संपर्क किया था. जल्द ही उसे एक व्यक्ति अपने एक रिश्तेदार के साथ मिला. उन्होंने 23 वर्षीय युवती अनुराधा पासवान नाम की एक लड़की की तसवीर दिखाई और जितनी जल्द हो सके विवाह करने का दबाव बनाया. वे  खंडवा निवासी सुनीता और पप्पू मीणा थे. उन्होंने जिस लड़की की तसवीर दिखाई, वह भोपाल की रहने वाली थी. उन्होंने खुद को उस का रिश्तेदार बताया. विष्णु शर्मा को न केवल लड़की पसंद आ गई, बल्कि उन्होंने लड़की वालों की तमाम शर्तें और बातें भी मान लीं. शादी से पहले सवाई माधोपुर में एक एग्रीमेंट बनाया गया और 2 लाख रुपए लिए. चट मंगनी और पट ब्याह की तरह अप्रैल महीने में शादी की तारीख तय हो गई.

शादी कर विष्णु शर्मा बहुत खुश था. पत्नी ने अपने बातव्यवहार से परिवार के सदस्यों का दिल जीत लिया था. सास तारावती भी बहू के व्यवहार से बहुत खुश थीं. घर में खुशी का माहौल था, किंतु 3 दिन बाद वह अचानक लापता हो गई. सुबहसुबह विष्णु शर्मा के परिजनों की नींद खुली, तब उन्होंने खुद को गहरी नींद से जागने की स्थिति में पाया. उन्हें ऐसा महसूस हो रहा था मानो वे नशे में हों. सभी ने सिर में दर्द की शिकायत की. घर में सभी सदस्य थे, लेकिन नवविवाहता बहू नहीं थी. जल्द ही उस ने पाया कि कमरे की अलमारी खुली पड़ी है. उस में रखे कैश और जेवर गायब हैं. वह समझ गया कि उस की पत्नी ही सारा सामान ले कर फरार हो गई है.

वह तुरंत मान टाउन थाने गया. उस ने 3 मई, 2025 को थाने में लूट की रिपोर्ट दर्ज करवाई. विष्णु शर्मा ने बताया कि उस ने यह शादी बैंक से कर्ज ले कर की थी. उस ने मोबाइल भी उधार लिया था, जो अनुराधा ले कर भाग गई थी. पुलिस को इस तरह की घटनाओं की पहले भी शिकायतें मिल चुकी थीं. आरोपियों को पकडऩे के लिए पुलिस ने एक जाल बिछाया. मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान पुलिस ने एक विशेष टीम बनाई. टीम ने भोपाल में स्थानीय मुखबिरों की मदद से फरजी शादी गैंग से संपर्क किया. टीम के एक सिपाही को अविवाहित बता कर फरजी शादी कराने की योजना बनाई गई.

इसी दौरान एजेंट की दिखाई गई तसवीरों में फरार अनुराधा की पहचान हो गई. टीम ने भोपाल के कालापीपल स्थित पन्नाखेड़ी गांव में दबिश दे कर अनुराधा को गिरफ्तार कर लिया. अनुराधा ने हाल ही में एक और फरजी शादी की थी और भोपाल में रह रही थी.  विष्णु शर्मा को झांसा देने वाली दुलहन अनुराधा 20 मई, 2025 को सवाई माधोपुर पुलिस की गिरफ्त में आ गई. पूछताछ में उस ने कुबूल कर लिया कि उस ने गिरोह के साथ मिल कर एक नहीं बल्कि महज 7 महीने में 25 फरजी शादियां कीं और वहां से ज्वैलरी, नकदी पर हाथ साफ किया.

पुलिस से पूछताछ में उस ने बताया कि वह 8वीं तक पढ़ी है. उस के 2 बच्चे हैं. 6 साल की बेटी और 3 साल का बेटा. अनुराधा विशाल पासवान से 2017 लव मैरिज करने के बाद पति के साथ घर से अलग रहने लगी थी. वह एक अस्पताल में काम करती थी, लेकिन उस की ससुराल में आए दिन झगड़ा होता रहता था. फिर 2021 में वह ससुराल छोड़ कर फरार हो गई. पति विशाल भी उस के साथ चला गया. अनुराधा और विशाल ने परिवार से नाता तोड़ लिया.

एग डोनर से लुटेरी दुलहन तक का सफर

इसी बीच अनुराधा की एक सहेली ने बताया कि भोपाल में एक डोनर को अच्छी रकम मिलती है. जल्दी अमीर बनने के लालच में अनुराधा गोरखपुर से भोपाल आ गई.  भोपाल में कुछ दिन एग डोनर का काम करते हुए उस की गोलू नाम के युवक से मुलाकात हुई. गोलू एक ऐसे गिरोह का सदस्य था, जो फरजी शादी कराता था. उस ने अनुराधा को बताया कि इस काम में मोटी रकम मिल सकती है. इस गिरोह ने इस के लिए बाकायदा ट्रेनिंग दी और हर शादी के एवज में 50 हजार रुपए देने का वादा किया. गिरोह के सदस्यों ने अनुराधा पासवान को निर्देश दिए कि शादी के 7 दिनों में घर से फरार होना है. उस की जहां भी शादी होती थी, उस के लिए बाकायदा कौंट्रेक्ट होता था. इकरारनामे के जरिए शादी कराई जाती थी.

अनुराधा पासवान को अनाथ बताया जाता था. लोकल एजेंट के जरिए पूरा जाल बिछाया जाता था. इस गिरोह में गोलू, मजबूत सिंह यादव, रोशनी, रघुवीर और सुनीता के नाम सामने आए. ठगी का यह गिरोह दूल्हे के परिवार से 2 से 5 लाख रुपए लेते थे. इस के अलावा 7 दिनों के भीतर जितना कीमती सामान दूल्हे के घर से बटोरा जा सकता, अनुराधा बटोर कर फरार हो जाती थी. अनुराधा पासवान मूलरूप से उत्तर प्रदेश के महराजगंज की निवासी थी. लेकिन फिलहाल वह भोपाल में रह कर ठगी कर रही थी.

वह विवाह कर जब ससुराल जाती थी, तब खाने में नशीला पदार्थ मिला कर लूटपाट को अंजाम देती थी. अनुराधा पासवान दूल्हे और अपने ससुराल वालों के साथ बहुत ही प्यारी बातें करती थी और उन का भरोसा जीतने के लिए परिवार के हर सदस्य के साथ एक खास रिश्ता बना लेती थी. इस के बाद वह अपनी योजना का आखिरी काम कर डालती थी. इसी तरह 20 अप्रैल को सवाई माधोपुर निवासी विष्णु शर्मा ने भी अनुराधा से शादी की थी. शादी हिंदू रीतिरिवाजों के अनुसार दोस्तों और परिवार की मौजूदगी में हुई थी. शादी दलाल पप्पू मीणा के जरिए तय हुई थी, जिस के लिए विष्णु ने उसे 2 लाख रुपए भी दिए थे.

शादी के 2 हफ्ते के भीतर ही अनुराधा 1.25 लाख रुपए के जेवर, 30 हजार रुपए नकद और 30 हजार रुपए का मोबाइल ले कर फरार हो गई थी. UP Crime News

—कथा में राकेश जैन काल्पनिक नाम है.

 

 

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