UP News : फरजी कर्नल बन कर राहुल कुमार ने बेरोजगार युवकयुवतियों को आर्मी में नौकरी दिलाने का झांसा दे कर ठगना शुरू कर दिया. वह उन्हें जौइनिंग लेटर तक दे देता था. आखिर उस का यह फरजीवाड़ा पुलिस की पकड़ में आ गया. फिर उस की ठगी की जो कहानी सामने आई, वह…
उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर के थाना खतौली के अंतर्गत आने वाले गांव तकराला का रहने वाला राहुल कुमार सेना में नौकरी करना चाहता था, इसलिए आठवीं पास करने के बाद से ही वह सेना में जाने की तैयारी करने लगा था. रोजाना सुबह जल्दी उठ कर वह दौडऩे जाता, घर आ कर उठकबैठक करता. घर वाले भी उस के खानेपीने का खयाल रखते थे. इसलिए दसवीं पास करतेकरते उस का शरीर पहलवानों जैसा हो गया था. एक साल उस ने सेना में पूछे जाने वालों सवालों की जम कर पढ़ाई भी की. यही वजह थी कि पहले प्रयास में ही वह सेना में भरती हो गया था. यह साल 2019 की बात है.
राहुल सेना में भरती जरूर हो गया था, लेकिन अधिकारियों का रौबदाब और उन की सुखसुविधाएं देख कर वह हीनभावना का शिकार होने लगा. क्योंकि सेना में सिपाही और अधिकारियों के बीच का जो फासला होता है, वह बहुत बड़ा होता है. उस फासले को पार करना आसान नहीं होता. हीनभावना से ग्रसित हो कर वह सेना में होते हुए ही गलत काम करने लगा था. उन्हीं कामों में एक चोरी भी थी. आखिरकार एक दिन वह चोरी करते पकड़ा गया और नौकरी से निकाल दिया गया, जिस का केस आज भी चल रहा है. यह साल 2022 की बात है.
नौकरी से निकाले जाने के बाद वह बेरोजगार हो गया था. घर वाले भी उस से नाराज थे. क्योंकि अच्छीभली नौकरी उस की गलतियों की वजह से चली गई थी. जीना है तो पैसे चाहिए ही. क्योंकि बिना पैसों के कुछ हो ही नहीं सकता. राहुल कुमार की नौकरी छूट गई तो पैसे कहां से आते. घर वाले भी नाराज थे. इसलिए उन से भी कोई मदद नहीं मिल रही थी. ऐसे में राहुल को कुछ नहीं सूझा तो उस ने लोगो को ठगने का विचार बना लिया.
सेना में नौकरी पाने का हर मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे का सपना होता है. इस की वजह यह होती है कि कम पढ़ाई में इस से बढिय़ा दूसरी कोई नौकरी नहीं है. रिटायर होने पर किसी अन्य नौकरी में पेंशन नहीं मिलती, जबकि सेना की नौकरी से रिटायर होने पर आजीवन पेंशन भी मिलती है. घर वाले भी खुश होते हैं कि उन्हें आगे की पढ़ाई का खर्च नहीं उठाना पड़ेगा.
राहुल को यह बात पता थी, इसलिए उस ने इसी बात का फायदा उठाने का विचार किया. कर्नल की वरदी और बैज वह चुरा कर लाया ही था. इसलिए उस ने उस वरदी को पहन कर लोगों को ठगने का विचार किया. वह कर्नल की वरदी पहन कर कर्नल बन जाता और शिकार की तलाश में किसी इंटर कालेज के सामने पहुंच जाता, जहां वह दसवीं बारहवीं के बच्चों से मिलता. वह उन्हें सेना में नौकरी दिलाने का भरोसा देता और उन से मोटी रकम यानी डेढ़ से ढाईतीन लाख रुपए ले कर फरार हो जाता.
राहुल बहुत शातिर था. उस ने यह काम अपने गांव के आसपास करना उचित नहीं समझा. क्योंकि उसे पता था कि पैसे लेने के बाद वह नौकरी तो दिला नहीं पाएगा. लोग उस के घर तक आ जाएंगे. तब उस की और फजीहत होगी. इसलिए ठगी का यह काम करने के लिए वह लखनऊ के पास सीतापुर आ गया. सीतापुर के नारायणनगर में उस ने एक मकान किराए पर लिया और उसी में रह कर वह ठगी का अपना धंधा करने लगा. शिकार की तलाश में वह सीतापुर से लखनऊ आता और शिकार मिल जाता तो उस से मोटी रकम ले कर सीतापुर निकल जाता और आराम से रहता.
लड़कियों को भी दिया नौकरी का झांसा
ऐसे में ही उस की मुलाकात लखनऊ की रहने वाली मुसकान माहौर और कल्पना कुमारी से हुई. दोनों सहेलियां थीं और एक ही कालेज में पढ़ती थीं. एक दिन कालेज में जल्दी छुट्टी होने पर दोनों कालेज के बाहर पार्क की बेंच पर बैठी बातें कर रही थीं, तभी राहुल कुमार कर्नल की वरदी में आ कर उसी बेंच पर बैठ गया. थोड़ी देर वह चुपचाप बैठा रहा. उस के बाद मुसकान से पूछा, ”आप लोग क्या करती हैं?’’
”हम दोनों पढ़ती हैं.’’ मुसकान ने जवाब दिया.
”बीए कर रही हैं या बीएससी?’’
”मतलब?’’ जवाब देने के साथ मुसकान ने सवाल कर दिया.
”ऐसे ही पूछ लिया. वैसे अगर आप लोग नौकरी करना चाहें तो मैं आप लोगों को सेना में नर्सिंग असिस्टेंट की नौकरी दिलवा सकता हूं.’’ राहुल कुमार ने कहा, ”लेकिन इस के लिए आप लोगों को कुछ खर्च करना होगा.’’
राहुल कुमार की इस बात से मुसकान और कल्पना ने उसे गौर से देखा. उस की वरदी पर जो नेमप्लेट लगी थी, उस में राहुल कुमार लिखा था. कंधे पर अशोक चिह्न और 2 स्टार लगे थे. शरीर और बातचीत से भी वह फौजी जैसा लगता था. राहुल फौज में था ही, इसलिए उसे फौज के अधिकारियों के बात करने का लहजा एवं व्यवहार के बारे में पता ही था.
”मैं आप को जानती भी नहीं, फिर आप पर विश्वास कैसे करें?’’ मुसकान ने कहा, ”जमाना बहुत खराब है. रोजाना ठगी के तमाम किस्से अखबारों में पढऩे को मिलते हैं, इसलिए जल्दी से किसी पर विश्वास नहीं होता.’’
”मैं जिला मुजफ्फरनगर के थाना खतौली के अंतर्गत आने वाले गांव तकराला का रहने वाला हूं. लेकिन इस समय सीतापुर के नारायणनगर स्थित मकान नंबर 302 में रह रहा हूं.’’ इतना कह कर राहुल ने मुसकान को अपना सेना का आईडी कार्ड दिखाया.
इस के बाद मुसकान को थोड़ा विश्वास हुआ. उस ने कहा, ”पहले घर वालों से बात कर लूं. उस के बाद ही कुछ कह सकती हूं. क्योंकि नौकरी के लिए थोड़े पैसे तो लगेंगे नहीं.’’
”जी, कम से कम ढाईतीन लाख रुपए तो देने ही होंगे. इसलिए घर वालों से बात करनी ही पड़ेगी.’’
”ठीक है, बात कर लो. बात कर के जल्दी बताना.’’ राहुल ने कहा.
”कहां बताऊंगी? आप अपना मोबाइल नंबर दे दीजिए. घर वालों से बात कर के आप को फोन कर दूंगी.’’ मुसकान बोली.
”इस तरह की बातें फोन पर नहीं की जातीं. आप बात कर लेना. मैं 2 दिन बाद इसी समय यहां आऊंगा. आप के घर वाले जो कहें, बता देना.’’ राहुल ने कहा.
इस के बाद थोड़ीबहुत औपचारिक बातें हुईं और फिर तीनों अपनेअपने रास्ते चले गए. मुसकान और कल्पना ने इस बारे में अपनेअपने घरों में बात की. राहुल ने नौकरी दिलाने के लिए जो रकम मांगी थी, वह कम नहीं थी. इतने रुपए हर किसी के घर में नहीं होते. फिर मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए तो यह एक बड़ी रकम थी. लेकिन बेटी के भविष्य की बात थी, इसलिए मुसकान और कल्पना के घर वाले पैसों की व्यवस्था करने में लग गए. क्योंकि उन लोगों को यही लगता था कि आर्मी वाले ईमानदार होते हैं. वे किसी के साथ ठगी कर ही नहीं सकते. मुसकान की मम्मी ने तो पूरे ढाई लाख रुपयों की व्यवस्था कर ली थी. जबकि कल्पना के पेरेंट्स मात्र डेढ़ लाख रुपए ही इकट्ठा कर पाए थे. इस पर राहुल ने कहा था कि बाकी रकम वह जौइनिंग लेटर पाने के बाद दे देना.
पैसे देने के बाद मुसकान और कल्पना खुश थीं कि अब उन्हें सेना में नर्सिंग असिस्टेंट की नौकरी मिल जाएगी. इसी के साथ वे खुशहाल जीवन के तरहतरह के सपने देखने लगी थीं. इंतजार के दिन बहुत मुश्किल से कटते हैं. मुसकान और कल्पना का भी एकएक दिन बहुत मुश्किल से कट रहा था. इस की वजह यह थी कि वे चाहती थीं कि जल्दी से नौकरी मिल जाए और वे महीने में मिलने वाले वेतन से मजे करें, साथ ही घर वालों ने उन की नौकरी के लिए जो रुपए उधार लिए हैं, उन्हें भी अदा कर सकें.
आखिर उन के इंतजार की घडिय़ां खत्म हुईं और राहुल कुमार का फोन आ गया. उस ने मुसकान को फोन कर के लखनऊ के कैंट इलाके में बुलाया. उस ने कहा कि उन के जौइनिंग लेटर उस के पास हैं, आ कर ले लें और जल्दी से अपनी नौकरी जौइन कर लें. मुसकान कल्पना के साथ घर से निकलने की तैयारी कर रही थी कि राहुल का फिर फोन आ गया. इस बार उस ने कहा कि किसी जरूरी काम से वह सीतापुर आ गया है. उन के जौइनिंग लेटर उस के पास ही ही हैं. वे कैसरबाग बसस्टैंड से बस पकड़ कर सीतापुर आ जाएं. वह उन के जौइनिंग लेटर दे देगा.
ऐसे दबोचा फरजी कर्नल
सीतापुर पहुंच कर मुसकान ने राहुल को फोन किया. राहुल ने लालबाग चौराहे के पास स्थित आर्मी कैंटीन में बुलाया. मुसकान और कल्पना आर्मी कैंटीन पहुंचीं तो राहुल उन्हें वहां उन का इंतजार करते मिला. उस ने दोनों को नाश्ता करा कर चाय पिलाई. इस के बाद उस ने दोनों के जौइनिंग लेटर दे दिए. दोनों जौइनिंग लेटर ले कर घर तो आ गईं, पर घर आ कर जब दोनों ने अपने जौइनिंग लेटर देखे तो उन्हें संदेह हुआ. उन्हें लगा कि ये फरजी हैं. उन्होंने तुरंत राहुल कुमार को फोन किया. जब मुसकान और कल्पना ने उस से जौइनिंग लेटर फरजी होने की बात कही तो सीधे मुंह बात करने के बजाय वह नाराज हो कर बदतमीजी करने लगा.
दोनों से अभद्रता करते हुए धमकी देते हुए कहा कि जौइनिंग लेटर फरजी हैं तो क्या हुआ? उन्हें जो करना है, कर लें. उस की इतनी पहुंच है कि वे उस का कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं. मुसकान और कल्पना के पास पुलिस के पास शिकायत करने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं था. उन्होंने पुलिस में उस के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी. यह शिकायत सीतापुर एसटीएफ को ट्रांसफर कर दी गई. उत्तर प्रदेश एसटीएफ को पहले से ही शिकायत मिल रही थी कि सीतापुर में रह कर सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर एक युवक फरजी कर्नल बन कर ठगी कर रहा है.
मुसकान और कल्पना से एसटीएफ को राहुल कुमार का नंबर और पता मिल गया था. फिर क्या था, एसटीएफ इंसपेक्टर संतोष कुमार सिंह ने रात को नारायणनगर स्थित राहुल के किराए के मकान पर छापा मार कर उसे गिरफ्तार कर लिया. एसटीएफ जब राहुल कुमार को गिरफ्तार करने पहुंची थी तो वह एसटीएफ की टीम से भिड़ गया था. वह उन से हाथापाई करने लगा था, लेकिन आरोपी भला पुलिस से कहां तक मुकाबला करता. एसटीएफ ने उसे दबोच कर गिरफ्तार कर लिया. तलाशी में पुलिस को उस के कमरे से कर्नल की वरदी, फरजी आईडी कार्ड, फरजी दस्तावेज और 4 लाख रुपए मिले थे, जो ठगी द्वारा राहुल कुमार को मिले थे.
एसटीएफ ने सीतापुर थाना कोतवाली में राहुल कुमार के खिलाफ बीएनएस की धारा 319(ठ), 318(4), 352, 351(2), 336(1), 338, 341(1), 205 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया तो सीओ (सिटी) अमन सिंह की उपस्थिति में उस से पूछताछ शुरू हुई. इस पूछताछ में राहुल कुमार ने बताया कि वह मुजफ्फरनगर का रहने वाला है. साल 2019 में वह सेना में भरती हुआ था. वह महार रेजिमेंट सागर, मध्य प्रदेश में सिपाही के पद पर तैनात था. तभी साल 2022 में उस की गलत हरकतों की वजह से उसे सेना से निकाल दिया गया था. उस का बैज नंबर 10391419एम था. उस का डीसीएम बौडी (सैन्य न्यायालय) केस चल रहा है.
इस का मतलब था कि इस समय वह ड्यूटी पर नहीं था. कर्नल की वरदी, बैज वगैरह वह सेना में नौकरी करने के दौरान चुरा लाया था. नौकरी से निकाले जाने के बाद वह वही कर्नल की वरदी पहन कर बेरोजगार लड़कों और लड़कियों को सेना के विभिन्न पदों पर नौकरी दिलाने के नाम पर मोटी रकम ले कर फरजी दस्तावेज तैयार कर के ठग रहा था. पूछताछ के बाद कोतवाली पुलिस ने राहुल कुमार को अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया और अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसे सेना से क्यों निकाला गया था? अब तक उस ने और कितने लोगों को ठगा है? कथा लिखे जाने तक पुलिस ने उसे फिर से अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया था.
एक और फरजी कर्नल मेरठ से गिरफ्तार
इसी तरह मेरठ एसटीएफ ने भी कुछ दिनों पहले मेरठ के थाना गंगानगर निवासी एक फरजी कर्नल सतपाल सिंह यादव को गिरफ्तार किया था. मेरठ में सेना की छावनी है. वहां सेना को कहीं से जानकारी मिली थी कि कोई आदमी सेना का कर्नल बन बेरोजगार युवकों को सेना में भरती कराने के नाम पर ठगी कर रहा है. सेना ने यह सूचना एसटीएफ को दी तो एसटीएफ इंसपेक्टर एस.पी. सिंह ने छापा मार कर मेरठ के थाना गंगानगर के अंतर्गत रहने वाले सतपाल सिंह यादव को गिरफ्तार किया था.
सतपाल सिंह को गिरफ्तार करने के साथ एसटीएफ ने उस के घर से कई बैंकों की चेकबुकें, फरजी परिचय पत्र, फरजी नियुक्ति पत्र, स्टांप, प्रिंटर, भारतीय सेना के कर्नल की वरदी, फरजी पहचान पत्र, रसीदी टिकट, आर्मी कर्नल का आईडी कार्ड और अन्य तमाम फरजी दस्तावेज बरामद किए थे. आरोपी सतपाल सिंह यादव अपने बेटे के साथ मिल कर ठगी का धंधा चला रहा था. सतपाल साल 2003 में सेना से ड्राइवर के पद से रिटायर हुआ था. वह पुणे में तैनात एक कर्नल डी.एस. चौहान की गाड़ी चलाता था.
रिटायर होने के बाद सतपाल सिंह ने कर्नल डी.एस. चौहान के नाम की वरदी बनवाई और उन्हीं के नाम का फरजी आईडी कार्ड भी बनवाया. इस के बाद खुद को सेना का कर्नल बता कर बेरोजगार युवकों को सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने लगा था. पिछले 7 सालों से वह बेरोजगार युवकों को ठग रहा था. इस काम में उस का बेटा उस की मदद कर रहा था. अब तक वह करोड़ों की ठगी कर चुका है. बुलंदशहर से ले कर नोएडा और मेरठ ही नहीं, लखनऊ तक के युवकों को ठग चुका है.
एसपी कमलेश बहादुर सिंह के अनुसार, सतपाल सिंह लोगों को फरजी जौइनिंग लेटर दे कर मोटी रकम लेता था. उस ने कई युवकों को फरजी ट्रेनिंग भी करवाई है. उस के खिलाफ बुलंदशहर में शिकायत दर्ज कराई गई थी. बुलंदशहर के उस युवक से उस ने 16 लाख रुपए लिए थे. उसी के बाद एसटीएफ ने उसे गिरफ्तार किया था. फिलहाल सतपाल सिंह अपने बेटे के साथ जेल में है. UP News